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प्रेम और कल्याण: जीवनसाथी
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Ebook72 pages40 minutes

प्रेम और कल्याण: जीवनसाथी

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About this ebook

मनुष्य का जीवन कर्म करने के लिए हुआ है | कर्म ही उसकी पहचान है | परंतु कर्म भी नैतिक और अनैतिक में बंटा हुआ है | सही और गलत , अच्छा और बुरा , सत्य और असत्य , ये सब कर्म और भावनाओं गुण हैं | प्रेम, मोह, इच्छा और त्याग ये कर्म के आकर्षण हैं |
ये गुण और आकर्षण अकसर धर्म संकट का रूप ले लेते हैं, जब मनुष्य को पता ही नहीं होता की उसे क्या करना चाहिए ? जब दोराहा हो , तो कौन सी राह चुननी चाहिये , जिससे उसे संतुष्टि मिले ? कैसे मोह, इच्छाओं के भंवर में फंसा मनुष्य सत्य को पहचाने और असत्य का त्याग करे ? क्या है एक आदर्श जीवन ? कौन है एक आदर्श मनुष्य ? क्या है एक आदर्श कर्म ?
एक आदर्श कर्म ही मनुष्य का धर्म है | एक आदर्श कर्म हर जाती , हर रंग से ऊपर है | आदर्श कर्म करते हुए मनुष्य के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिन्हें पार करता हुआ वो एक आदर्श जीवन जीता है और महानता को प्राप्त होता है |
ऐसे ही धर्म-संकटों और आदर्शों को कुछ बहुत ही सरल, रोचक एवं ज्ञानवर्धक प्रेम-कहानियों के द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है | ये प्रेम-कहानियाँ आपस में जुड़ कर एक अनुपम प्रेम-ग्रंथ का निर्माण करती हैं, जिसका नाम है - प्रेम और कल्याण |
प्रस्तुत कहानी, जीवनसाथी, इसी ग्रंथ का एक भाग है, जिसमें जीवन के शुरू से लेकर अंत तक के कुछ महत्वपूर्ण पड़ावों द्वारा प्रेम और कर्तव्य के कुछ गंभीर व मजेदार प्रसंग बुने गये हैं | किस तरह से व्यंग्य और समस्याएं, दोनों ही जीवन का अभिन्न अंग हो सकते हैं और कैसे दो व्यक्ति एक दूसरे के साथी बन कर जीवन के इन धर्म-संकटों को पार कर जाते हैं, ये ही जीवनसाथी का सार है |
आशा है आपको प्रेम और वैवाहिक जीवन से जोड़ती ये सरल कहानी पसंद आएगी |
धन्यवाद |

Languageहिन्दी
PublisherShivahim
Release dateOct 30, 2019
ISBN9780463752326
प्रेम और कल्याण: जीवनसाथी
Author

Shivahim

I am hearing stories since my childhood. Now I'm telling stories since my adulthood

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    प्रेम और कल्याण - Shivahim

    प्रेम और कल्याण – १

    जीवनसाथी

    कॉपीराइट 2019 हिमांशु अग्रवाल

    Smashwords पर Infotropy Solutions द्वारा प्रकाशि

    Smashwords संस्करण लाइसेंस सारांश

    यह ई-पुस्तक केवल आपके व्यक्तिगत आनंद के लिए लाइसेंस प्राप्त है। इस ई-पुस्तक को अन्य लोगों को फिर से बेचा या नहीं दिया जा सकता है। यदि आप इस पुस्तक को किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा करना चाहते हैं, तो कृपया प्रत्येक प्राप्त-कर्ता के लिए एक अतिरिक्त प्रति खरीद लें। यदि आप इस पुस्तक को पढ़ रहे हैं और इसे नहीं खरीदा है, या इसे केवल आपके आनंद के लिए नहीं खरीदा गया है, तो कृपया Smashwords.com या अपने पसंदीदा रिटेलर पर वापस लौटें और अपनी स्वयं की प्रति खरीदें। इस लेखक की मेहनत का सम्मान करने के लिए धन्यवाद।

    विषय - सूची

    #प्रस्तावना

    #स्वीकृतियाँ

    #लेखक के बारे में

    #अध्याय १

    #अध्याय २

    #अध्याय ३

    #अध्याय ४

    #अध्याय ५

    #अध्याय ६

    #अध्याय ७

    #अध्याय ८

    #अध्याय ९

    #शिवाहिम से जुड़िये

    प्रस्तावना

    मनुष्य का जीवन कर्म करने के लिए हुआ है | कर्म ही उसकी पहचान है | परंतु कर्म भी नैतिक और अनैतिक में बंटा हुआ है | सही और गलत , अच्छा और बुरा , सत्य और असत्य , ये सब कर्म और भावनाओं गुण हैं | प्रेम, मोह, इच्छा और त्याग ये कर्म के आकर्षण हैं |

    ये गुण और आकर्षण अकसर धर्म संकट का रूप ले लेते हैं, जब मनुष्य को पता ही नहीं होता की उसे क्या करना चाहिए ? जब दोराहा हो , तो कौन सी राह चुननी चाहिये , जिससे उसे संतुष्टि मिले ? कैसे मोह, इच्छाओं के भंवर में फंसा मनुष्य सत्य को पहचाने और असत्य का त्याग करे ? क्या है एक आदर्श जीवन ? कौन है एक आदर्श मनुष्य ? क्या है एक आदर्श कर्म ?

    एक आदर्श कर्म ही मनुष्य का धर्म है | एक आदर्श कर्म हर जाती , हर रंग से ऊपर है | आदर्श कर्म करते हुए मनुष्य के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिन्हें पार करता हुआ वो एक आदर्श जीवन जीता है और महानता को प्राप्त होता है |

    ऐसे ही धर्म-संकटों और आदर्शों को कुछ बहुत ही सरल, रोचक एवं ज्ञानवर्धक प्रेम-कहानियों के द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है | ये प्रेम-कहानियाँ आपस में जुड़ कर एक अनुपम प्रेम-ग्रंथ का निर्माण करती हैं, जिसका नाम है - प्रेम और कल्याण |

    प्रस्तुत कहानी, जीवनसाथी, इसी ग्रंथ का एक भाग है, जिसमें जीवन के शुरू से लेकर अंत तक के कुछ महत्वपूर्ण पड़ावों द्वारा प्रेम और कर्तव्य के कुछ गंभीर व मजेदार प्रसंग बुने गये हैं | किस तरह से व्यंग्य और समस्याएं, दोनों ही जीवन का अभिन्न अंग हो सकते हैं और कैसे दो व्यक्ति एक दूसरे के साथी बन कर जीवन के इन धर्म-संकटों को पार कर जाते हैं, ये ही जीवनसाथी का सार है |

    आशा है आपको प्रेम और वैवाहिक जीवन से जोड़ती ये सरल कहानी पसंद आएगी |

    धन्यवाद |

    स्वीकृतियाँ

    उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे सोचने और कार्य करने के लिए ज्ञान देते हैं ।

    उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे जीने के लिए भोजन और जल देते हैं ।

    उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे जीवन अनुभव करने के लिए प्रेम देते हैं ।

    उनके लिए धन्यवाद, जिन्होंने मुझे मजबूत बनाने के लिए मेरा उपहास किया ।

    उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे मुसकुराने के लिए अहंकारी बनते हैं कि वो मुझसे श्रेष्ठ हैं ।

    - शिवाहिम

    लेखक के बारे में

    मेरे पास प्रबंधन और कंप्यूटर विज्ञान में दोहरी मास्टर

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