प्रेम और कल्याण: जीवनसाथी
By Shivahim
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About this ebook
मनुष्य का जीवन कर्म करने के लिए हुआ है | कर्म ही उसकी पहचान है | परंतु कर्म भी नैतिक और अनैतिक में बंटा हुआ है | सही और गलत , अच्छा और बुरा , सत्य और असत्य , ये सब कर्म और भावनाओं गुण हैं | प्रेम, मोह, इच्छा और त्याग ये कर्म के आकर्षण हैं |
ये गुण और आकर्षण अकसर धर्म संकट का रूप ले लेते हैं, जब मनुष्य को पता ही नहीं होता की उसे क्या करना चाहिए ? जब दोराहा हो , तो कौन सी राह चुननी चाहिये , जिससे उसे संतुष्टि मिले ? कैसे मोह, इच्छाओं के भंवर में फंसा मनुष्य सत्य को पहचाने और असत्य का त्याग करे ? क्या है एक आदर्श जीवन ? कौन है एक आदर्श मनुष्य ? क्या है एक आदर्श कर्म ?
एक आदर्श कर्म ही मनुष्य का धर्म है | एक आदर्श कर्म हर जाती , हर रंग से ऊपर है | आदर्श कर्म करते हुए मनुष्य के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिन्हें पार करता हुआ वो एक आदर्श जीवन जीता है और महानता को प्राप्त होता है |
ऐसे ही धर्म-संकटों और आदर्शों को कुछ बहुत ही सरल, रोचक एवं ज्ञानवर्धक प्रेम-कहानियों के द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है | ये प्रेम-कहानियाँ आपस में जुड़ कर एक अनुपम प्रेम-ग्रंथ का निर्माण करती हैं, जिसका नाम है - प्रेम और कल्याण |
प्रस्तुत कहानी, जीवनसाथी, इसी ग्रंथ का एक भाग है, जिसमें जीवन के शुरू से लेकर अंत तक के कुछ महत्वपूर्ण पड़ावों द्वारा प्रेम और कर्तव्य के कुछ गंभीर व मजेदार प्रसंग बुने गये हैं | किस तरह से व्यंग्य और समस्याएं, दोनों ही जीवन का अभिन्न अंग हो सकते हैं और कैसे दो व्यक्ति एक दूसरे के साथी बन कर जीवन के इन धर्म-संकटों को पार कर जाते हैं, ये ही जीवनसाथी का सार है |
आशा है आपको प्रेम और वैवाहिक जीवन से जोड़ती ये सरल कहानी पसंद आएगी |
धन्यवाद |
Shivahim
I am hearing stories since my childhood. Now I'm telling stories since my adulthood
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Book preview
प्रेम और कल्याण - Shivahim
प्रेम और कल्याण – १
जीवनसाथी
कॉपीराइट 2019 हिमांशु अग्रवाल
Smashwords पर Infotropy Solutions द्वारा प्रकाशि
Smashwords संस्करण लाइसेंस सारांश
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#प्रस्तावना
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#अध्याय १
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प्रस्तावना
मनुष्य का जीवन कर्म करने के लिए हुआ है | कर्म ही उसकी पहचान है | परंतु कर्म भी नैतिक और अनैतिक में बंटा हुआ है | सही और गलत , अच्छा और बुरा , सत्य और असत्य , ये सब कर्म और भावनाओं गुण हैं | प्रेम, मोह, इच्छा और त्याग ये कर्म के आकर्षण हैं |
ये गुण और आकर्षण अकसर धर्म संकट का रूप ले लेते हैं, जब मनुष्य को पता ही नहीं होता की उसे क्या करना चाहिए ? जब दोराहा हो , तो कौन सी राह चुननी चाहिये , जिससे उसे संतुष्टि मिले ? कैसे मोह, इच्छाओं के भंवर में फंसा मनुष्य सत्य को पहचाने और असत्य का त्याग करे ? क्या है एक आदर्श जीवन ? कौन है एक आदर्श मनुष्य ? क्या है एक आदर्श कर्म ?
एक आदर्श कर्म ही मनुष्य का धर्म है | एक आदर्श कर्म हर जाती , हर रंग से ऊपर है | आदर्श कर्म करते हुए मनुष्य के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिन्हें पार करता हुआ वो एक आदर्श जीवन जीता है और महानता को प्राप्त होता है |
ऐसे ही धर्म-संकटों और आदर्शों को कुछ बहुत ही सरल, रोचक एवं ज्ञानवर्धक प्रेम-कहानियों के द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है | ये प्रेम-कहानियाँ आपस में जुड़ कर एक अनुपम प्रेम-ग्रंथ का निर्माण करती हैं, जिसका नाम है - प्रेम और कल्याण |
प्रस्तुत कहानी, जीवनसाथी, इसी ग्रंथ का एक भाग है, जिसमें जीवन के शुरू से लेकर अंत तक के कुछ महत्वपूर्ण पड़ावों द्वारा प्रेम और कर्तव्य के कुछ गंभीर व मजेदार प्रसंग बुने गये हैं | किस तरह से व्यंग्य और समस्याएं, दोनों ही जीवन का अभिन्न अंग हो सकते हैं और कैसे दो व्यक्ति एक दूसरे के साथी बन कर जीवन के इन धर्म-संकटों को पार कर जाते हैं, ये ही जीवनसाथी का सार है |
आशा है आपको प्रेम और वैवाहिक जीवन से जोड़ती ये सरल कहानी पसंद आएगी |
धन्यवाद |
स्वीकृतियाँ
उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे सोचने और कार्य करने के लिए ज्ञान देते हैं ।
उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे जीने के लिए भोजन और जल देते हैं ।
उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे जीवन अनुभव करने के लिए प्रेम देते हैं ।
उनके लिए धन्यवाद, जिन्होंने मुझे मजबूत बनाने के लिए मेरा उपहास किया ।
उनके लिए धन्यवाद, जो मुझे मुसकुराने के लिए अहंकारी बनते हैं कि वो मुझसे श्रेष्ठ हैं ।