Sie sind auf Seite 1von 3

एक साधायण से ऩरयवाय की रड़की जजसने अबी अबी अऩनी ऩढ़ाई ऩयी की थी, भाॉ फाऩ क सऩने ऩये े ू ू कयने

क लरए औय सभाज भें सय ऊचा कय जीने क लरए,उसने नौकयी कयनी शरू की. े ॉ े ु ददर की तभन्ना थी क वो अऩने भाॉ फाऩ का नाभ योशन कये गी,उनक घय खचच भें अऩनी बागीदायी अच्छे े े से ननबाएगी.इसी सोच औय उत्साह क साथ फड़ी ही भेहनत औय रगन से काभ कयने रगी.उसे इस फात े की फेहद खशी थी क उसे अऩने भाॉ फाऩ क ककमे हुए उऩकायों का धन्मवाद कयने का अवसय इस तयह े े ु लभरा है .वह फड़ी ही लशद्दत से अऩने कतचव्म औय धभच को ननबा यही थी.ऩय जीवन क ककस भोड़ औय े ककस ऩर ऩय क्मा हो जाए इस फात का कबी अॊदाजा नहीॊ रगामा जा सकता. उस रड़की की भरा़ात एक रड़क से हुई. न जाने वह कौन सा ऩर औय कौन सा अहसास था क दोनों े े ु ने आॉखों ही आॉखों भें एक दसये को ऩसॊद कय लरमा.आऩसी फातचीत शरू हुई.रड़की को रड़क क ववचायों े े ू ु ने प्रबाववत ककमा तो रड़क को रड़की की सादगी औय कभचठता ऩसॊद आई.ववचाय लभरे औय न जानकाय े औय कछ ककमे बफना बी कछ सभम फाद प्रेभ ऩाश भें दोनों ने स्वमॊ को पसा हुआ ऩामा. एक दसये से ॊ ू ु ु ऩववत्र प्रेभ कयने की वह स्वीकृनत अल्पाजों भें नहीॊ फस नज़यों भें ही हो गमी. एक दसये को दे खने बय से ही तप्त होने का वह एहसास दोनों को बाने रगा.वो दोनों अधधक नज़दीक ू ृ बी नहीॊ आते थे ऩय दय बी नहीॊ यह ऩाते थे. अगय न लभरते तो फेचैन हो जाते.रूठना भनाना,कपय रूठना ू कपय भनाना ,एक दसये की धचॊता कयना, मह सफ शरू हो गमा.फातें कयना औय एक दसये क साथ सभम े ु ु ू बफताना दोनों को अच्छा रगता था.दोनों को एक दसये की ज़रूयत फनने भें दे य नहीॊ रगी.रड़का औय ू रड़की दोनों सभझदाय थे,ऩढ़े लरखे थे औय अऩने अऩने ऩरयवायों की भानलसकता से बरी बाॊनत वाक़फ़ थे. वो दोनों जानते थे क उनक इस प्रेभ को कोई नहीॊ स्वीकाये गा. ऩयन्तु प्रेभ तो भधुभक्खी क उस दॊ श े े े क सभान है जो कवर एक फाय ही होता है . े े अफ इस ववकट ऩरयजस्थनत भें जफ रड़का औय रड़की एक दसये की आवश्मकता फन चुक थे उनका दय े ू ू यहना बी रगबग असॊबव था.उन्होंने कोलशश बी की ऩय सपरता नहीॊ लभरी.ददर क ककसी कोने से कोई े कसक, फाय फाय उन्हें ऩास आने को भजफय कयती.अॊत भें हायकय, दोनों ने घयवारों क खखराप जा कय े ू शादी कयने का ननणचम रे लरमा.दोनों फालरा थे औय सववॊधान उन्हें इस ननणचम की आज़ादी बी दे ता था. रड़की ने गवाही क लरए अऩनी एक सहे री को फरा लरमा,औय रड़क ने अऩने एक दोस्त को. अफ दोनों े े ु उनक साथ शादी यजजस्टय कयवाने दफ्तय ऩहुॊचे.रड़की अऩने वऩता का प्माय औय भाॉ का दराय बरा कय े ु ु रड़क क साथ जीने भयने की कसभें खा चकी थी.अफ वह उनक ककमे उऩकायों को बी बरा चुकी े े े ु ु थी.उसक भन भें फस नए जीवन की शरुआत क स्वप्न थे.वह बरा चकी थी कक ककस तयह से तकरीप े े ें ु ु ु सह कय उसक भाता वऩता ने उसे ऩढ़ामा लरखामा,उसकी हय इच्छा को ऩया ककमा औय इस रामक फनामा े ू

क वो सभाज भें इज़्जज़त से सय उठा कय जी सक.वह अऩने भाॉ फाऩ क ददए हुए सॊस्कायों को औय े े े लशऺाओॊ को दफाकय उस रड़क की जीवनसाथी फनने क लरए तैमाय हो गमी थी.उधय दसयी ओय रड़क े े े ू का बी मही हार था.ऩय मवावस्था की उस ऩरयजस्थनत भें जफ आकषचण अऩने चयभ ऩय होता है तो ऻान ु भॊद ऩड़ जाता है .वह बी उस रड़की को रेकय अनधगनत सऩने सजा चुका था.अफ वह बी ऩीछे हटने का ववचाय नहीॊ कयना चाहता था.दोनों अऩने लभत्रों क साथ दफ्तय ऩहुॊचे औय रड़क ने अऩने दस्तऽत कागज़ े े ऩय कय ददए.अफ रड़की की फायी थी.जैसे ही रड़की ने दस्तऽत कयने क लरए ऩेन उठामा,रड़की की नज़य े ऐसी जगह ऩड़ी क रड़की ने अऩना ननणचम फदर लरमा औय शादी का पसरा त्माग ददमा. े ै रड़की ने जैसे ही ऩेन उठामा,वैसे ही उसकी नज़य साभने दीवाय ऩय टॊ गी एक तस्वीय ऩय ऩड़ी.उस तस्वीय भें एक अत्मॊत ही साधायण सा ददखने वारा एक आदभी था.उसभे कछ बी ऐसा ववशेष नहीॊ था कक वह ु ककसी का ध्मान आकवषचत कय सक,ऩयन्तु ववशेष तो उस तस्वीय क नीचे लरखी एक ऩॊजक्त थी,जजसे े े ऩढ़कय ही रड़की ने अऩना ववचाय फदर लरमा था.उस साधायण से व्मजक्त की तस्वीय क नीचे लरखा था े “फस इसी ददन को सोचकय रड़की ऩैदा कयने से डयता था” इस ऩॊजक्त ने रड़की क रृदम को बेद ददमा े औय उसे अऩने भाता वऩता क ककमे कभो की ़ीभत माद आ गमी.उसे माद आ गमा कक ककस तयह े उसक वऩता ने उसे फचऩन की गड़ड़मा,औय फड़े होने ऩय गाड़ी तक ददराई.कसे उसे कधे ऩय फैठामा औय े ै ॊ ु कसे गोदी भें खखरामा.उसे माद आ गमा क स्वमॊ साया जीवन तऩकय उसक भाता वऩता ने उसक सख क ै े े े ु े लरए अनधगनत द्ख उठामे.उसे माद आ गमा क कसे नौ भहीने भाॉ ने अऩने गबच भें अऩने ही खून से े ै ु उसका ऩारन ऩोषण ककमा.कसे उसे फीभायी की हारत भें सॊबारा.कसे घय रौटने भें एक ऺण की बी दे यी ै ै उसक भाॉ फाऩ को धचॊनतत कय दे ती है .अफ तस्वीय का वह आदभी उस रड़की को अऩना वऩता रगने े रगा था.अफ रड़की ने दहम्भत कय,अऩना ननणचम फदर लरमा.उसने रड़क से शादी का ववचाय त्माग े ददमा.रड़क को बी भाभरा सभझने भें दे य न रगी.अफ वह बी तस्वीय भें स्वमॊ को दे खा यहा था.कर जफ े उसे सॊतान सख प्राप्त होगा तफ इस सॊबावना से इॊकाय नहीॊ ककमा जा सकता कक उसे रड़की नहीॊ ु होगी.औय आगे चरकय जफ उसकी रड़की जवान होगी,तफ उसे बी इसी ऩरयजस्थनत का साभना कयना ऩड़ सकता है .एक वऩता क दृजटटकोण से सोचकय वह बी शादी का ववचाय त्माग दे ता है . े वह ऩॊजक्त कोई साधायण ऩॊजक्त नहीॊ है ,वह अऩने आऩ भें एक सीख है उनक लरए जो अऩनी ऽुशी क े े लरए अऩने भाॉ फाऩ को धोखा दे ते है .असर फात तो मह है क वह ऽुशी नही स्वमॊ को बी धोखा दे ना है . े मदद आऩ अऩने भाॉ फाऩ से प्रेभ कयते है तो अऩने भाता वऩता को कबी धोखा भत दें .ज़या सोधचए कक जफ आऩ अऩने भाॉ फाऩ क प्रनत इतने वफ़ादाय नहीॊ है जजन्होंने आऩक लरए इतना कछ ककमा,अऩने खून े े ु ऩसीने की कभाई आऩ ऩय रगाईं,अऩना साया जीवन आऩ ऩय रगा ददमा,आऩको अच्छे सॊस्काय ददए,तो

आऩ उस व्मजक्त क प्रनत वफ़ादाय कसे हो सकते हैं जजसे आऩ कछ ददनों,मा कछ भहीनों से जानते है . े ै ु ु ज़या सोधचमे ..........................

Das könnte Ihnen auch gefallen