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श्रीयाभचरयतभानस
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फार काण्ड 2
अमोध्मा काण्ड 137
अयण्म काण्ड 248
ककष्ककन्धा काण्ड 273
सुन्दय काण्ड 287
रॊका काण्ड 310
उत्तय काण्ड 365

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1
BAL KAND

फार काण्ड

।।श्री गणेशाम नभ् ।।


श्रीजानकीवल्रबो ववजमते
श्री याभचरयत भानस
प्रथभ सोऩान
(फारकाण्ड)
श्लोक
वणाानाभथासॊघानाॊ यसानाॊ छन्दसाभवऩ।
भङ्गरानाॊ च कत्ताायौ वन्दे वाणीववनामकौ।।1।।
बवानीशङ्कयौ वन्दे श्रद्धाववश्वासरूवऩणौ।
माभ्माॊ ववना न ऩश्मष्न्त ससद्धा्स्वान्त्स्थभीश्वयभ ्।।2।।
वन्दे फोधभमॊ सनत्मॊ गुरुॊ शङ्कयरूवऩणभ ्।
मभासश्रतो कह वक्रोऽवऩ चन्र् सवात्र वन्यते।।3।।
सीतायाभगुणग्राभऩुण्मायण्मववहारयणौ।
वन्दे ववशुद्धववऻानौ कफीश्वयकऩीश्वयौ।।4।।
उद्भवष्स्थसतसॊहायकारयणीॊ क्रेशहारयणीभ ्।
सवाश्रम
े स्कयीॊ सीताॊ नतोऽहॊ याभवल्रबाभ ्।।5।।
मन्भामावशवसतं ववश्वभष्िरॊ ब्रह्माकददे वासुया
मत्सत्वादभृषैव बासत सकरॊ यज्जौ मथाहे र्भ्भ
ा ्।
मत्ऩादप्रवभेकभेव कह बवाम्बोधेष्स्ततीषाावताॊ
वन्दे ऽहॊ तभशेषकायणऩयॊ याभाख्मभीशॊ हरयभ ्।।6।।
नानाऩुयाणसनगभागभसम्भतॊ मद्
याभामणे सनगकदतॊ क्वसचदन्मतोऽवऩ।
स्वान्त्सुिाम तुरसी यघुनाथगाथा-
बाषासनफन्धभसतभञ्जुरभातनोसत।।7।।
सो0-जो सुसभयत सससध होइ गन नामक करयफय फदन।
कयउ अनुग्रह सोइ फुवद्ध यासस सुब गुन सदन।।1।।
भूक होइ फाचार ऩॊगु चढइ सगरयफय गहन।
जासु कृ ऩाॉ सो दमार रवउ सकर कसर भर दहन।।2।।
नीर सयोरुह स्माभ तरुन अरुन फारयज नमन।

2
कयउ सो भभ उय धाभ सदा छीयसागय समन।।3।।
कुॊद इॊ द ु सभ दे ह उभा यभन करुना अमन।
जाकह दीन ऩय नेह कयउ कृ ऩा भदा न भमन।।4।।
फॊदउ गुरु ऩद कॊज कृ ऩा ससॊधु नयरूऩ हरय।
भहाभोह तभ ऩुॊज जासु फचन यवफ कय सनकय।।5।।
फॊदउ गुरु ऩद ऩदभ
ु ऩयागा। सुरुसच सुफास सयस अनुयागा।।
असभम भूरयभम चूयन चारू। सभन सकर बव रुज ऩरयवारू।।
सुकृसत सॊबु तन वफभर वफबूती। भॊजुर भॊगर भोद प्रसूती।।
जन भन भॊजु भुकुय भर हयनी। ककएॉ सतरक गुन गन फस कयनी।।
श्रीगुय ऩद नि भसन गन जोती। सुसभयत कदब्म रवृ ि कहमॉ होती।।
दरन भोह तभ सो सप्रकासू। फड़े बाग उय आवइ जासू।।
उघयकहॊ वफभर वफरोचन ही के। सभटकहॊ दोष दि
ु बव यजनी के।।
सूझकहॊ याभ चरयत भसन भासनक। गुऩुत प्रगट जहॉ जो जेकह िासनक।।
दो0-जथा सुअॊजन अॊष्ज दृग साधक ससद्ध सुजान।
कौतुक दे ित सैर फन बूतर बूरय सनधान।।1।।
–*–*–
एकह भहॉ यघुऩसत नाभ उदाया। असत ऩावन ऩुयान श्रुसत साया।।
भॊगर बवन अभॊगर हायी। उभा सकहत जेकह जऩत ऩुयायी।।
बसनसत वफसचत्र सुकवफ कृ त जोऊ। याभ नाभ वफनु सोह न सोऊ।।
वफधुफदनी सफ बाॉसत सॉवायी। सोन न फसन वफना फय नायी।।
सफ गुन यकहत कुकवफ कृ त फानी। याभ नाभ जस अॊककत जानी।।
सादय कहकहॊ सुनकहॊ फुध ताही। भधुकय सरयस सॊत गुनग्राही।।
जदवऩ कवफत यस एकउ नाही। याभ प्रताऩ प्रकट एकह भाहीॊ।।
सोइ बयोस भोयईऄ भन आवा। केकहॊ न सुसॊग फडप्ऩनु ऩावा।।
धूभउ तजइ सहज करुआई। अगरु प्रसॊग सुगॊध फसाई।।
बसनसत बदे स फस्तु बसर फयनी। याभ कथा जग भॊगर कयनी।।
छॊ 0-भॊगर कयसन कसर भर हयसन तुरसी कथा यघुनाथ की।।
गसत कूय कवफता सरयत की ज्मं सरयत ऩावन ऩाथ की।।
प्रबु सुजस सॊगसत बसनसत बसर होइकह सुजन भन बावनी।।
बव अॊग बूसत भसान की सुसभयत सुहावसन ऩावनी।।
दो0-वप्रम रासगकह असत सफकह भभ बसनसत याभ जस सॊग।
दारु वफचारु कक कयइ कोउ फॊकदअ भरम प्रसॊग।।10(क)।।

3
स्माभ सुयसब ऩम वफसद असत गुनद कयकहॊ सफ ऩान।
सगया ग्राम्म ससम याभ जस गावकहॊ सुनकहॊ सुजान।।10(ि)।।
–*–*–
गुरु ऩद यज भृद ु भॊजुर अॊजन। नमन असभअ दृग दोष वफबॊजन।।
तेकहॊ करय वफभर वफफेक वफरोचन। फयनउॉ याभ चरयत बव भोचन।।
फॊदउॉ प्रथभ भहीसुय चयना। भोह जसनत सॊसम सफ हयना।।
सुजन सभाज सकर गुन िानी। कयउॉ प्रनाभ सप्रेभ सुफानी।।
साधु चरयत सुब चरयत कऩासू। सनयस वफसद गुनभम पर जासू।।
जो सकह दि
ु ऩयसछर दयु ावा। फॊदनीम जेकहॊ जग जस ऩावा।।
भुद भॊगरभम सॊत सभाजू। जो जग जॊगभ तीयथयाजू।।
याभ बवि जहॉ सुयसरय धाया। सयसइ ब्रह्म वफचाय प्रचाया।।
वफसध सनषेधभम कसर भर हयनी। कयभ कथा यवफनॊदसन फयनी।।
हरय हय कथा वफयाजसत फेनी। सुनत सकर भुद भॊगर दे नी।।
फटु वफस्वास अचर सनज धयभा। तीयथयाज सभाज सुकयभा।।
सफकहॊ सुरब सफ कदन सफ दे सा। सेवत सादय सभन करेसा।।
अकथ अरौककक तीयथयाऊ। दे इ सय पर प्रगट प्रबाऊ।।
दो0-सुसन सभुझकहॊ जन भुकदत भन भज्जकहॊ असत अनुयाग।
रहकहॊ चारय पर अछत तनु साधु सभाज प्रमाग।।2।।
–*–*–
भज्जन पर ऩेष्िअ ततकारा। काक होकहॊ वऩक फकउ भयारा।।
सुसन आचयज कयै जसन कोई। सतसॊगसत भकहभा नकहॊ गोई।।
फारभीक नायद घटजोनी। सनज सनज भुिसन कही सनज होनी।।
जरचय थरचय नबचय नाना। जे जड़ चेतन जीव जहाना।।
भसत कीयसत गसत बूसत बराई। जफ जेकहॊ जतन जहाॉ जेकहॊ ऩाई।।
सो जानफ सतसॊग प्रबाऊ। रोकहुॉ फेद न आन उऩाऊ।।
वफनु सतसॊग वफफेक न होई। याभ कृ ऩा वफनु सुरब न सोई।।
सतसॊगत भुद भॊगर भूरा। सोइ पर सससध सफ साधन पूरा।।
सठ सुधयकहॊ सतसॊगसत ऩाई। ऩायस ऩयस कुधात सुहाई।।
वफसध फस सुजन कुसॊगत ऩयहीॊ। पसन भसन सभ सनज गुन अनुसयहीॊ।।
वफसध हरय हय कवफ कोवफद फानी। कहत साधु भकहभा सकुचानी।।
सो भो सन ककह जात न कैसईऄ। साक फसनक भसन गुन गन जैसईऄ।।
दो0-फॊदउॉ सॊत सभान सचत कहत अनकहत नकहॊ कोइ।
अॊजसर गत सुब सुभन ष्जसभ सभ सुगॊध कय दोइ।।3(क)।।

4
सॊत सयर सचत जगत कहत जासन सुबाउ सनेहु।
फारवफनम सुसन करय कृ ऩा याभ चयन यसत दे हु।।3(ि)।।
–*–*–
फहुरय फॊकद िर गन ससतबाएॉ। जे वफनु काज दाकहनेहु फाएॉ।।
ऩय कहत हासन राब ष्जन्ह केयईऄ । उजयईऄ हयष वफषाद फसेयईऄ।।
हरय हय जस याकेस याहु से। ऩय अकाज बट सहसफाहु से।।
जे ऩय दोष रिकहॊ सहसािी। ऩय कहत घृत ष्जन्ह के भन भािी।।
तेज कृ सानु योष भकहषेसा। अघ अवगुन धन धनी धनेसा।।
उदम केत सभ कहत सफही के। कुॊबकयन सभ सोवत नीके।।
ऩय अकाजु रसग तनु ऩरयहयहीॊ। ष्जसभ कहभ उऩर कृ षी दसर गयहीॊ।।
फॊदउॉ िर जस सेष सयोषा। सहस फदन फयनइ ऩय दोषा।।
ऩुसन प्रनवउॉ ऩृथुयाज सभाना। ऩय अघ सुनइ सहस दस काना।।
फहुरय सक्र सभ वफनवउॉ तेही। सॊतत सुयानीक कहत जेही।।
फचन फज्र जेकह सदा वऩआया। सहस नमन ऩय दोष सनहाया।।
दो0-उदासीन अरय भीत कहत सुनत जयकहॊ िर यीसत।
जासन ऩासन जुग जोरय जन वफनती कयइ सप्रीसत।।4।।
–*–*–
भईआ अऩनी कदसस कीन्ह सनहोया। सतन्ह सनज ओय न राउफ बोया।।
फामस ऩसरअकहॊ असत अनुयागा। होकहॊ सनयासभष कफहुॉ कक कागा।।
फॊदउॉ सॊत असज्जन चयना। दि
ु प्रद उबम फीच कछु फयना।।
वफछुयत एक प्रान हरय रेहीॊ। सभरत एक दि
ु दारुन दे हीॊ।।
उऩजकहॊ एक सॊग जग भाहीॊ। जरज जंक ष्जसभ गुन वफरगाहीॊ।।
सुधा सुया सभ साधू असाधू। जनक एक जग जरसध अगाधू।।
बर अनबर सनज सनज कयतूती। रहत सुजस अऩरोक वफबूती।।
सुधा सुधाकय सुयसरय साधू। गयर अनर कसरभर सरय ब्माधू।।
गुन अवगुन जानत सफ कोई। जो जेकह बाव नीक तेकह सोई।।
दो0-बरो बराइकह ऩै रहइ रहइ सनचाइकह नीचु।
सुधा सयाकहअ अभयताॉ गयर सयाकहअ भीचु।।5।।
–*–*–
िर अघ अगुन साधू गुन गाहा। उबम अऩाय उदसध अवगाहा।।
तेकह तईऄ कछु गुन दोष फिाने। सॊग्रह त्माग न वफनु ऩकहचाने।।
बरेउ ऩोच सफ वफसध उऩजाए। गसन गुन दोष फेद वफरगाए।।
कहकहॊ फेद इसतहास ऩुयाना। वफसध प्रऩॊचु गुन अवगुन साना।।

5
दि
ु सुि ऩाऩ ऩुन्म कदन याती। साधु असाधु सुजासत कुजाती।।
दानव दे व ऊॉच अरु नीचू। असभअ सुजीवनु भाहुरु भीचू।।
भामा ब्रह्म जीव जगदीसा। रष्छछ अरष्छछ यॊ क अवनीसा।।
कासी भग सुयसरय क्रभनासा। भरु भायव भकहदे व गवासा।।
सयग नयक अनुयाग वफयागा। सनगभागभ गुन दोष वफबागा।।
दो0-जड़ चेतन गुन दोषभम वफस्व कीन्ह कयताय।
सॊत हॊ स गुन गहकहॊ ऩम ऩरयहरय फारय वफकाय।।6।।
–*–*–
अस वफफेक जफ दे इ वफधाता। तफ तष्ज दोष गुनकहॊ भनु याता।।
कार सुबाउ कयभ फरयआई। बरेउ प्रकृ सत फस चुकइ बराई।।
सो सुधारय हरयजन ष्जसभ रेहीॊ। दसर दि
ु दोष वफभर जसु दे हीॊ।।
िरउ कयकहॊ बर ऩाइ सुसॊगू। सभटइ न भसरन सुबाउ अबॊगू।।
रष्ि सुफेष जग फॊचक जेऊ। फेष प्रताऩ ऩूष्जअकहॊ तेऊ।।
उधयकहॊ अॊत न होइ सनफाहू। कारनेसभ ष्जसभ यावन याहू।।
ककएहुॉ कुफेष साधु सनभानू। ष्जसभ जग जाभवॊत हनुभानू।।
हासन कुसॊग सुसॊगसत राहू। रोकहुॉ फेद वफकदत सफ काहू।।
गगन चढ़इ यज ऩवन प्रसॊगा। कीचकहॊ सभरइ नीच जर सॊगा।।
साधु असाधु सदन सुक सायीॊ। सुसभयकहॊ याभ दे कहॊ गसन गायी।।
धूभ कुसॊगसत कारयि होई। सरष्िअ ऩुयान भॊजु भसस सोई।।
सोइ जर अनर असनर सॊघाता। होइ जरद जग जीवन दाता।।
दो0-ग्रह बेषज जर ऩवन ऩट ऩाइ कुजोग सुजोग।
होकह कुफस्तु सुफस्तु जग रिकहॊ सुरछछन रोग।।7(क)।।
सभ प्रकास तभ ऩाि दह
ु ुॉ नाभ बेद वफसध कीन्ह।
ससस सोषक ऩोषक सभुष्झ जग जस अऩजस दीन्ह।।7(ि)।।
जड़ चेतन जग जीव जत सकर याभभम जासन।
फॊदउॉ सफ के ऩद कभर सदा जोरय जुग ऩासन।।7(ग)।।
दे व दनुज नय नाग िग प्रेत वऩतय गॊधफा।
फॊदउॉ ककॊनय यजसनचय कृ ऩा कयहु अफ सफा।।7(घ)।।
–*–*–
आकय चारय राि चौयासी। जासत जीव जर थर नब फासी।।
सीम याभभम सफ जग जानी। कयउॉ प्रनाभ जोरय जुग ऩानी।।
जासन कृ ऩाकय ककॊकय भोहू। सफ सभसर कयहु छाकड़ छर छोहू।।
सनज फुसध फर बयोस भोकह नाहीॊ। तातईऄ वफनम कयउॉ सफ ऩाही।।

6
कयन चहउॉ यघुऩसत गुन गाहा। रघु भसत भोरय चरयत अवगाहा।।
सूझ न एकउ अॊग उऩाऊ। भन भसत यॊ क भनोयथ याऊ।।
भसत असत नीच ऊॉसच रुसच आछी। चकहअ असभअ जग जुयइ न छाछी।।
छसभहकहॊ सज्जन भोरय कढठाई। सुसनहकहॊ फारफचन भन राई।।
जौ फारक कह तोतरय फाता। सुनकहॊ भुकदत भन वऩतु अरु भाता।।
हॉ ससहकह कूय कुकटर कुवफचायी। जे ऩय दष
ू न बूषनधायी।।
सनज कववत केकह राग न नीका। सयस होउ अथवा असत पीका।।
जे ऩय बसनसत सुनत हयषाही। ते फय ऩुरुष फहुत जग नाहीॊ।।
जग फहु नय सय सरय सभ बाई। जे सनज फाकढ़ फढ़कहॊ जर ऩाई।।
सज्जन सकृ त ससॊधु सभ कोई। दे ष्ि ऩूय वफधु फाढ़इ जोई।।
दो0-बाग छोट असबराषु फड़ कयउॉ एक वफस्वास।
ऩैहकहॊ सुि सुसन सुजन सफ िर कयहकहॊ उऩहास।।8।।
–*–*–
िर ऩरयहास होइ कहत भोया। काक कहकहॊ करकॊठ कठोया।।
हॊ सकह फक दादयु चातकही। हॉ सकहॊ भसरन िर वफभर फतकही।।
कवफत यससक न याभ ऩद नेहू। सतन्ह कहॉ सुिद हास यस एहू।।
बाषा बसनसत बोरय भसत भोयी। हॉ ससफे जोग हॉ सईऄ नकहॊ िोयी।।
प्रबु ऩद प्रीसत न साभुष्झ नीकी। सतन्हकह कथा सुसन रागकह पीकी।।
हरय हय ऩद यसत भसत न कुतयकी। सतन्ह कहुॉ भधुय कथा यघुवय की।।
याभ बगसत बूवषत ष्जमॉ जानी। सुसनहकहॊ सुजन सयाकह सुफानी।।
कवफ न होउॉ नकहॊ फचन प्रफीनू। सकर करा सफ वफया हीनू।।
आिय अयथ अरॊकृसत नाना। छॊ द प्रफॊध अनेक वफधाना।।
बाव बेद यस बेद अऩाया। कवफत दोष गुन वफवफध प्रकाया।।
कवफत वफफेक एक नकहॊ भोयईऄ । सत्म कहउॉ सरष्ि कागद कोये ।।
दो0-बसनसत भोरय सफ गुन यकहत वफस्व वफकदत गुन एक।
सो वफचारय सुसनहकहॊ सुभसत ष्जन्ह कईऄ वफभर वफवेक।।9।।

–*–*–

भसन भासनक भुकुता छवफ जैसी। अकह सगरय गज ससय सोह न तैसी।।
नृऩ ककयीट तरुनी तनु ऩाई। रहकहॊ सकर सोबा असधकाई।।
तैसेकहॊ सुकवफ कवफत फुध कहहीॊ। उऩजकहॊ अनत अनत छवफ रहहीॊ।।
बगसत हे तु वफसध बवन वफहाई। सुसभयत सायद आवसत धाई।।

7
याभ चरयत सय वफनु अन्हवाएॉ। सो श्रभ जाइ न कोकट उऩाएॉ।।
कवफ कोवफद अस रृदमॉ वफचायी। गावकहॊ हरय जस कसर भर हायी।।
कीन्हईऄ प्राकृ त जन गुन गाना। ससय धुसन सगया रगत ऩसछताना।।
रृदम ससॊधु भसत सीऩ सभाना। स्वासत सायदा कहकहॊ सुजाना।।
जं फयषइ फय फारय वफचारू। होकहॊ कवफत भुकुताभसन चारू।।
दो0-जुगुसत फेसध ऩुसन ऩोकहअकहॊ याभचरयत फय ताग।
ऩकहयकहॊ सज्जन वफभर उय सोबा असत अनुयाग।।11।।
–*–*–
जे जनभे कसरकार कयारा। कयतफ फामस फेष भयारा।।
चरत कुऩॊथ फेद भग छाॉड़े। कऩट करेवय कसर भर बाॉड़ईऄ।।
फॊचक बगत कहाइ याभ के। ककॊकय कॊचन कोह काभ के।।
सतन्ह भहॉ प्रथभ ये ि जग भोयी। धीॊग धयभध्वज धॊधक धोयी।।
जं अऩने अवगुन सफ कहऊॉ। फाढ़इ कथा ऩाय नकहॊ रहऊॉ।।
ताते भईआ असत अरऩ फिाने। थोये भहुॉ जासनहकहॊ समाने।।
सभुष्झ वफवफसध वफसध वफनती भोयी। कोउ न कथा सुसन दे इकह िोयी।।
एतेहु ऩय करयहकहॊ जे असॊका। भोकह ते असधक ते जड़ भसत यॊ का।।
कवफ न होउॉ नकहॊ चतुय कहावउॉ । भसत अनुरूऩ याभ गुन गावउॉ ।।
कहॉ यघुऩसत के चरयत अऩाया। कहॉ भसत भोरय सनयत सॊसाया।।
जेकहॊ भारुत सगरय भेरु उड़ाहीॊ। कहहु तूर केकह रेिे भाहीॊ।।
सभुझत असभत याभ प्रबुताई। कयत कथा भन असत कदयाई।।
दो0-सायद सेस भहे स वफसध आगभ सनगभ ऩुयान।
नेसत नेसत ककह जासु गुन कयकहॊ सनयॊ तय गान।।12।।
–*–*–
सफ जानत प्रबु प्रबुता सोई। तदवऩ कहईऄ वफनु यहा न कोई।।
तहाॉ फेद अस कायन यािा। बजन प्रबाउ बाॉसत फहु बाषा।।
एक अनीह अरूऩ अनाभा। अज सष्छचदानॊद ऩय धाभा।।
ब्माऩक वफस्वरूऩ बगवाना। तेकहॊ धरय दे ह चरयत कृ त नाना।।
सो केवर बगतन कहत रागी। ऩयभ कृ ऩार प्रनत अनुयागी।।
जेकह जन ऩय भभता असत छोहू। जेकहॊ करुना करय कीन्ह न कोहू।।
गई फहोय गयीफ नेवाजू। सयर सफर साकहफ यघुयाजू।।
फुध फयनकहॊ हरय जस अस जानी। कयकह ऩुनीत सुपर सनज फानी।।
तेकहॊ फर भईआ यघुऩसत गुन गाथा। ककहहउॉ नाइ याभ ऩद भाथा।।
भुसनन्ह प्रथभ हरय कीयसत गाई। तेकहॊ भग चरत सुगभ भोकह बाई।।

8
दो0-असत अऩाय जे सरयत फय जं नृऩ सेतु कयाकहॊ ।
चकढ वऩऩीसरकउ ऩयभ रघु वफनु श्रभ ऩायकह जाकहॊ ।।13।।
–*–*–
एकह प्रकाय फर भनकह दे िाई। करयहउॉ यघुऩसत कथा सुहाई।।
ब्मास आकद कवफ ऩुॊगव नाना। ष्जन्ह सादय हरय सुजस फिाना।।
चयन कभर फॊदउॉ सतन्ह केये । ऩुयवहुॉ सकर भनोयथ भेये।।
कसर के कवफन्ह कयउॉ ऩयनाभा। ष्जन्ह फयने यघुऩसत गुन ग्राभा।।
जे प्राकृ त कवफ ऩयभ समाने। बाषाॉ ष्जन्ह हरय चरयत फिाने।।
बए जे अहकहॊ जे होइहकहॊ आगईऄ। प्रनवउॉ सफकहॊ कऩट सफ त्मागईऄ।।
होहु प्रसन्न दे हु फयदानू। साधु सभाज बसनसत सनभानू।।
जो प्रफॊध फुध नकहॊ आदयहीॊ। सो श्रभ फाकद फार कवफ कयहीॊ।।
कीयसत बसनसत बूसत बसर सोई। सुयसरय सभ सफ कहॉ कहत होई।।
याभ सुकीयसत बसनसत बदे सा। असभॊजस अस भोकह अॉदेसा।।
तुम्हयी कृ ऩा सुरब सोउ भोये । ससअसन सुहावसन टाट ऩटोये ।।
दो0-सयर कवफत कीयसत वफभर सोइ आदयकहॊ सुजान।
सहज फमय वफसयाइ रयऩु जो सुसन कयकहॊ फिान।।14(क)।।
सो न होइ वफनु वफभर भसत भोकह भसत फर असत थोय।
कयहु कृ ऩा हरय जस कहउॉ ऩुसन ऩुसन कयउॉ सनहोय।।14(ि)।।
कवफ कोवफद यघुफय चरयत भानस भॊजु भयार।
फार वफनम सुसन सुरुसच रष्ि भोऩय होहु कृ ऩार।।14(ग)।।
–*–*–
सो0-फॊदउॉ भुसन ऩद कॊजु याभामन जेकहॊ सनयभमउ।
सिय सुकोभर भॊजु दोष यकहत दष
ू न सकहत।।14(घ)।।
फॊदउॉ चारयउ फेद बव फारयसध फोकहत सरयस।
ष्जन्हकह न सऩनेहुॉ िेद फयनत यघुफय वफसद जसु।।14(ङ)।।
फॊदउॉ वफसध ऩद ये नु बव सागय जेकह कीन्ह जहॉ ।
सॊत सुधा ससस धेनु प्रगटे िर वफष फारुनी।।14(च)।।
दो0-वफफुध वफप्र फुध ग्रह चयन फॊकद कहउॉ कय जोरय।
होइ प्रसन्न ऩुयवहु सकर भॊजु भनोयथ भोरय।।14(छ)।।
–*–*–
ऩुसन फॊदउॉ सायद सुयसरयता। जुगर ऩुनीत भनोहय चरयता।।
भज्जन ऩान ऩाऩ हय एका। कहत सुनत एक हय अवफफेका।।
गुय वऩतु भातु भहे स बवानी। प्रनवउॉ दीनफॊधु कदन दानी।।

9
सेवक स्वासभ सिा ससम ऩी के। कहत सनरुऩसध सफ वफसध तुरसीके।।
कसर वफरोकक जग कहत हय सगरयजा। साफय भॊत्र जार ष्जन्ह ससरयजा।।
अनसभर आिय अयथ न जाऩू। प्रगट प्रबाउ भहे स प्रताऩू।।
सो उभेस भोकह ऩय अनुकूरा। करयकहॊ कथा भुद भॊगर भूरा।।
सुसभरय ससवा ससव ऩाइ ऩसाऊ। फयनउॉ याभचरयत सचत चाऊ।।
बसनसत भोरय ससव कृ ऩाॉ वफबाती। ससस सभाज सभसर भनहुॉ सुयाती।।
जे एकह कथकह सनेह सभेता। ककहहकहॊ सुसनहकहॊ सभुष्झ सचेता।।
होइहकहॊ याभ चयन अनुयागी। कसर भर यकहत सुभॊगर बागी।।
दो0-सऩनेहुॉ साचेहुॉ भोकह ऩय जं हय गौरय ऩसाउ।
तौ पुय होउ जो कहे उॉ सफ बाषा बसनसत प्रबाउ।।15।।
–*–*–
फॊदउॉ अवध ऩुयी असत ऩावसन। सयजू सरय कसर करुष नसावसन।।
प्रनवउॉ ऩुय नय नारय फहोयी। भभता ष्जन्ह ऩय प्रबुकह न थोयी।।
ससम सनॊदक अघ ओघ नसाए। रोक वफसोक फनाइ फसाए।।
फॊदउॉ कौसल्मा कदसस प्राची। कीयसत जासु सकर जग भाची।।
प्रगटे उ जहॉ यघुऩसत ससस चारू। वफस्व सुिद िर कभर तुसारू।।
दसयथ याउ सकहत सफ यानी। सुकृत सुभॊगर भूयसत भानी।।
कयउॉ प्रनाभ कयभ भन फानी। कयहु कृ ऩा सुत सेवक जानी।।
ष्जन्हकह वफयसच फड़ बमउ वफधाता। भकहभा अवसध याभ वऩतु भाता।।
सो0-फॊदउॉ अवध बुआर सत्म प्रेभ जेकह याभ ऩद।
वफछुयत दीनदमार वप्रम तनु तृन इव ऩरयहये उ।।16।।
प्रनवउॉ ऩरयजन सकहत वफदे हू। जाकह याभ ऩद गूढ़ सनेहू।।
जोग बोग भहॉ यािेउ गोई। याभ वफरोकत प्रगटे उ सोई।।
प्रनवउॉ प्रथभ बयत के चयना। जासु नेभ ब्रत जाइ न फयना।।
याभ चयन ऩॊकज भन जासू। रुफुध भधुऩ इव तजइ न ऩासू।।
फॊदउॉ रसछभन ऩद जरजाता। सीतर सुबग बगत सुि दाता।।
यघुऩसत कीयसत वफभर ऩताका। दॊ ड सभान बमउ जस जाका।।
सेष सहस्त्रसीस जग कायन। जो अवतये उ बूसभ बम टायन।।
सदा सो सानुकूर यह भो ऩय। कृ ऩाससॊधु सौसभवत्र गुनाकय।।
रयऩुसूदन ऩद कभर नभाभी। सूय सुसीर बयत अनुगाभी।।
भहावीय वफनवउॉ हनुभाना। याभ जासु जस आऩ फिाना।।
सो0-प्रनवउॉ ऩवनकुभाय िर फन ऩावक ग्मानधन।

10
जासु रृदम आगाय फसकहॊ याभ सय चाऩ धय।।17।।
कवऩऩसत यीछ सनसाचय याजा। अॊगदाकद जे कीस सभाजा।।
फॊदउॉ सफ के चयन सुहाए। अधभ सयीय याभ ष्जन्ह ऩाए।।
यघुऩसत चयन उऩासक जेते। िग भृग सुय नय असुय सभेते।।
फॊदउॉ ऩद सयोज सफ केये । जे वफनु काभ याभ के चेये।।
सुक सनकाकद बगत भुसन नायद। जे भुसनफय वफग्मान वफसायद।।
प्रनवउॉ सफकहॊ धयसन धरय सीसा। कयहु कृ ऩा जन जासन भुनीसा।।
जनकसुता जग जनसन जानकी। असतसम वप्रम करुना सनधान की।।
ताके जुग ऩद कभर भनावउॉ । जासु कृ ऩाॉ सनयभर भसत ऩावउॉ ।।
ऩुसन भन फचन कभा यघुनामक। चयन कभर फॊदउॉ सफ रामक।।
याष्जवनमन धयईऄ धनु सामक। बगत वफऩसत बॊजन सुि दामक।।
दो0-सगया अयथ जर फीसच सभ ककहअत सबन्न न सबन्न।
फदउॉ सीता याभ ऩद ष्जन्हकह ऩयभ वप्रम ष्िन्न।।18।।
–*–*–
फॊदउॉ नाभ याभ यघुवय को। हे तु कृ सानु बानु कहभकय को।।
वफसध हरय हयभम फेद प्रान सो। अगुन अनूऩभ गुन सनधान सो।।
भहाभॊत्र जोइ जऩत भहे सू। कासीॊ भुकुसत हे तु उऩदे सू।।
भकहभा जासु जान गनयाउ। प्रथभ ऩूष्जअत नाभ प्रबाऊ।।
जान आकदकवफ नाभ प्रताऩू। बमउ सुद्ध करय उरटा जाऩू।।
सहस नाभ सभ सुसन ससव फानी। जवऩ जेई वऩम सॊग बवानी।।
हयषे हे तु हे रय हय ही को। ककम बूषन सतम बूषन ती को।।
नाभ प्रबाउ जान ससव नीको। कारकूट परु दीन्ह अभी को।।
दो0-फयषा रयतु यघुऩसत बगसत तुरसी सासर सुदास।।
याभ नाभ फय फयन जुग सावन बादव भास।।19।।
–*–*–
आिय भधुय भनोहय दोऊ। फयन वफरोचन जन ष्जम जोऊ।।
सुसभयत सुरब सुिद सफ काहू। रोक राहु ऩयरोक सनफाहू।।
कहत सुनत सुसभयत सुकठ नीके। याभ रिन सभ वप्रम तुरसी के।।
फयनत फयन प्रीसत वफरगाती। ब्रह्म जीव सभ सहज सॉघाती।।
नय नायामन सरयस सुर्भ्ाता। जग ऩारक वफसेवष जन त्राता।।
बगसत सुसतम कर कयन वफबूषन। जग कहत हे तु वफभर वफधु ऩूषन ।
स्वाद तोष सभ सुगसत सुधा के। कभठ सेष सभ धय फसुधा के।।
जन भन भॊजु कॊज भधुकय से। जीह जसोभसत हरय हरधय से।।

11
दो0-एकु छत्रु एकु भुकुटभसन सफ फयनसन ऩय जोउ।
तुरसी यघुफय नाभ के फयन वफयाजत दोउ।।20।।
–*–*–
सभुझत सरयस नाभ अरु नाभी। प्रीसत ऩयसऩय प्रबु अनुगाभी।।
नाभ रूऩ दइ
ु ईस उऩाधी। अकथ अनाकद सुसाभुष्झ साधी।।
को फड़ छोट कहत अऩयाधू। सुसन गुन बेद सभुष्झहकहॊ साधू।।
दे ष्िअकहॊ रूऩ नाभ आधीना। रूऩ ग्मान नकहॊ नाभ वफहीना।।
रूऩ वफसेष नाभ वफनु जानईऄ। कयतर गत न ऩयकहॊ ऩकहचानईऄ।।
सुसभरयअ नाभ रूऩ वफनु दे िईऄ। आवत रृदमॉ सनेह वफसेषईऄ।।
नाभ रूऩ गसत अकथ कहानी। सभुझत सुिद न ऩयसत फिानी।।
अगुन सगुन वफच नाभ सुसािी। उबम प्रफोधक चतुय दब
ु ाषी।।
दो0-याभ नाभ भसनदीऩ धरु जीह दे हयी द्वाय।
तुरसी बीतय फाहे यहुॉ जं चाहसस उष्जआय।।21।।
–*–*–
नाभ जीहॉ जवऩ जागकहॊ जोगी। वफयसत वफयॊ सच प्रऩॊच वफमोगी।।
ब्रह्मसुिकह अनुबवकहॊ अनूऩा। अकथ अनाभम नाभ न रूऩा।।
जाना चहकहॊ गूढ़ गसत जेऊ। नाभ जीहॉ जवऩ जानकहॊ तेऊ।।
साधक नाभ जऩकहॊ रम राएॉ। होकहॊ ससद्ध असनभाकदक ऩाएॉ।।
जऩकहॊ नाभु जन आयत बायी। सभटकहॊ कुसॊकट होकहॊ सुिायी।।
याभ बगत जग चारय प्रकाया। सुकृती चारयउ अनघ उदाया।।
चहू चतुय कहुॉ नाभ अधाया। ग्मानी प्रबुकह वफसेवष वऩआया।।
चहुॉ जुग चहुॉ श्रुसत ना प्रबाऊ। कसर वफसेवष नकहॊ आन उऩाऊ।।
दो0-सकर काभना हीन जे याभ बगसत यस रीन।
नाभ सुप्रेभ वऩमूष हद सतन्हहुॉ ककए भन भीन।।22।।
–*–*–
अगुन सगुन दइ ु ब्रह्म सरूऩा। अकथ अगाध अनाकद अनूऩा।।
भोयईऄ भत फड़ नाभु दह
ु ू तईऄ। ककए जेकहॊ जुग सनज फस सनज फूतईऄ।।
प्रोकढ़ सुजन जसन जानकहॊ जन की। कहउॉ प्रतीसत प्रीसत रुसच भन की।।
एकु दारुगत दे ष्िअ एकू। ऩावक सभ जुग ब्रह्म वफफेकू।।
उबम अगभ जुग सुगभ नाभ तईऄ। कहे उॉ नाभु फड़ ब्रह्म याभ तईऄ।।
ब्माऩकु एकु ब्रह्म अवफनासी। सत चेतन धन आनॉद यासी।।
अस प्रबु रृदमॉ अछत अवफकायी। सकर जीव जग दीन दि
ु ायी।।
नाभ सनरूऩन नाभ जतन तईऄ। सोउ प्रगटत ष्जसभ भोर यतन तईऄ।।

12
दो0-सनयगुन तईऄ एकह बाॉसत फड़ नाभ प्रबाउ अऩाय।
कहउॉ नाभु फड़ याभ तईऄ सनज वफचाय अनुसाय।।23।।
–*–*–
याभ बगत कहत नय तनु धायी। सकह सॊकट ककए साधु सुिायी।।
नाभु सप्रेभ जऩत अनमासा। बगत होकहॊ भुद भॊगर फासा।।
याभ एक ताऩस सतम तायी। नाभ कोकट िर कुभसत सुधायी।।
रयवष कहत याभ सुकेतुसुता की। सकहत सेन सुत कीन्ह वफफाकी।।
सकहत दोष दि
ु दास दयु ासा। दरइ नाभु ष्जसभ यवफ सनसस नासा।।
बॊजेउ याभ आऩु बव चाऩू। बव बम बॊजन नाभ प्रताऩू।।
दॊ डक फनु प्रबु कीन्ह सुहावन। जन भन असभत नाभ ककए ऩावन।।।
सनससचय सनकय दरे यघुनॊदन। नाभु सकर कसर करुष सनकॊदन।।
दो0-सफयी गीध सुसेवकसन सुगसत दीष्न्ह यघुनाथ।
नाभ उधाये असभत िर फेद वफकदत गुन गाथ।।24।।
–*–*–
याभ सुकॊठ वफबीषन दोऊ। यािे सयन जान सफु कोऊ।।
नाभ गयीफ अनेक नेवाजे। रोक फेद फय वफरयद वफयाजे।।
याभ बारु कवऩ कटकु फटोया। सेतु हे तु श्रभु कीन्ह न थोया।।
नाभु रेत बवससॊधु सुिाहीॊ। कयहु वफचारु सुजन भन भाहीॊ।।
याभ सकुर यन यावनु भाया। सीम सकहत सनज ऩुय ऩगु धाया।।
याजा याभु अवध यजधानी। गावत गुन सुय भुसन फय फानी।।
सेवक सुसभयत नाभु सप्रीती। वफनु श्रभ प्रफर भोह दरु जीती।।
कपयत सनेहॉ भगन सुि अऩनईऄ। नाभ प्रसाद सोच नकहॊ सऩनईऄ।।
दो0-ब्रह्म याभ तईऄ नाभु फड़ फय दामक फय दासन।
याभचरयत सत कोकट भहॉ सरम भहे स ष्जमॉ जासन।।25।।
भासऩायामण, ऩहरा ववश्राभ
–*–*–
नाभ प्रसाद सॊबु अवफनासी। साजु अभॊगर भॊगर यासी।।
सुक सनकाकद ससद्ध भुसन जोगी। नाभ प्रसाद ब्रह्मसुि बोगी।।
नायद जानेउ नाभ प्रताऩू। जग वप्रम हरय हरय हय वप्रम आऩू।।
नाभु जऩत प्रबु कीन्ह प्रसाद।ू बगत ससयोभसन बे प्रहराद।ू ।
ध्रुवॉ सगरासन जऩेउ हरय नाऊॉ। ऩामउ अचर अनूऩभ ठाऊॉ।।
सुसभरय ऩवनसुत ऩावन नाभू। अऩने फस करय यािे याभू।।
अऩतु अजासभरु गजु गसनकाऊ। बए भुकुत हरय नाभ प्रबाऊ।।

13
कहं कहाॉ रसग नाभ फड़ाई। याभु न सककहॊ नाभ गुन गाई।।
दो0-नाभु याभ को करऩतरु कसर कल्मान सनवासु।
जो सुसभयत बमो बाॉग तईऄ तुरसी तुरसीदासु।।26।।
–*–*–
चहुॉ जुग तीसन कार सतहुॉ रोका। बए नाभ जवऩ जीव वफसोका।।
फेद ऩुयान सॊत भत एहू। सकर सुकृत पर याभ सनेहू।।
ध्मानु प्रथभ जुग भिवफसध दज
ू ईऄ। द्वाऩय ऩरयतोषत प्रबु ऩूजईऄ।।
कसर केवर भर भूर भरीना। ऩाऩ ऩमोसनसध जन जन भीना।।
नाभ काभतरु कार कयारा। सुसभयत सभन सकर जग जारा।।
याभ नाभ कसर असबभत दाता। कहत ऩयरोक रोक वऩतु भाता।।
नकहॊ कसर कयभ न बगसत वफफेकू। याभ नाभ अवरॊफन एकू।।
कारनेसभ कसर कऩट सनधानू। नाभ सुभसत सभयथ हनुभानू।।
दो0-याभ नाभ नयकेसयी कनककससऩु कसरकार।
जाऩक जन प्रहराद ष्जसभ ऩासरकह दसर सुयसार।।27।।
–*–*–
बामॉ कुबामॉ अनि आरसहूॉ। नाभ जऩत भॊगर कदसस दसहूॉ।।
सुसभरय सो नाभ याभ गुन गाथा। कयउॉ नाइ यघुनाथकह भाथा।।
भोरय सुधारयकह सो सफ बाॉती। जासु कृ ऩा नकहॊ कृ ऩाॉ अघाती।।
याभ सुस्वासभ कुसेवकु भोसो। सनज कदसस दै ष्ि दमासनसध ऩोसो।।
रोकहुॉ फेद सुसाकहफ यीतीॊ। वफनम सुनत ऩकहचानत प्रीती।।
गनी गयीफ ग्राभनय नागय। ऩॊकडत भूढ़ भरीन उजागय।।
सुकवफ कुकवफ सनज भसत अनुहायी। नृऩकह सयाहत सफ नय नायी।।
साधु सुजान सुसीर नृऩारा। ईस अॊस बव ऩयभ कृ ऩारा।।
सुसन सनभानकहॊ सफकह सुफानी। बसनसत बगसत नसत गसत ऩकहचानी।।
मह प्राकृ त भकहऩार सुबाऊ। जान ससयोभसन कोसरयाऊ।।
यीझत याभ सनेह सनसोतईऄ। को जग भॊद भसरनभसत भोतईऄ।।
दो0-सठ सेवक की प्रीसत रुसच यष्िहकहॊ याभ कृ ऩारु।
उऩर ककए जरजान जेकहॊ ससचव सुभसत कवऩ बारु।।28(क)।।
हौहु कहावत सफु कहत याभ सहत उऩहास।
साकहफ सीतानाथ सो सेवक तुरसीदास।।28(ि)।।
–*–*–
असत फकड़ भोरय कढठाई िोयी। सुसन अघ नयकहुॉ नाक सकोयी।।
सभुष्झ सहभ भोकह अऩडय अऩनईऄ। सो सुसध याभ कीष्न्ह नकहॊ सऩनईऄ।।

14
सुसन अवरोकक सुसचत चि चाही। बगसत भोरय भसत स्वासभ सयाही।।
कहत नसाइ होइ कहमॉ नीकी। यीझत याभ जासन जन जी की।।
यहसत न प्रबु सचत चूक ककए की। कयत सुयसत सम फाय कहए की।।
जेकहॊ अघ फधेउ ब्माध ष्जसभ फारी। कपरय सुकॊठ सोइ कीन्ह कुचारी।।
सोइ कयतूसत वफबीषन केयी। सऩनेहुॉ सो न याभ कहमॉ हे यी।।
ते बयतकह बईऄटत सनभाने। याजसबाॉ यघुफीय फिाने।।
दो0-प्रबु तरु तय कवऩ डाय ऩय ते ककए आऩु सभान।।
तुरसी कहूॉ न याभ से साकहफ सीरसनधान।।29(क)।।
याभ सनकाईं यावयी है सफही को नीक।
जं मह साॉची है सदा तौ नीको तुरसीक।।29(ि)।।
एकह वफसध सनज गुन दोष ककह सफकह फहुरय ससरु नाइ।
फयनउॉ यघुफय वफसद जसु सुसन कसर करुष नसाइ।।29(ग)।।
–*–*–
जागफसरक जो कथा सुहाई। बयद्वाज भुसनफयकह सुनाई।।
ककहहउॉ सोइ सॊफाद फिानी। सुनहुॉ सकर सज्जन सुिु भानी।।
सॊबु कीन्ह मह चरयत सुहावा। फहुरय कृ ऩा करय उभकह सुनावा।।
सोइ ससव कागबुसुॊकडकह दीन्हा। याभ बगत असधकायी चीन्हा।।
तेकह सन जागफसरक ऩुसन ऩावा। सतन्ह ऩुसन बयद्वाज प्रसत गावा।।
ते श्रोता फकता सभसीरा। सवॉदयसी जानकहॊ हरयरीरा।।
जानकहॊ तीसन कार सनज ग्माना। कयतर गत आभरक सभाना।।
औयउ जे हरयबगत सुजाना। कहकहॊ सुनकहॊ सभुझकहॊ वफसध नाना।।
दो0-भै ऩुसन सनज गुय सन सुनी कथा सो सूकयिेत।
सभुझी नकह तसस फारऩन तफ असत यहे उॉ अचेत।।30(क)।।
श्रोता फकता ग्मानसनसध कथा याभ कै गूढ़।
ककसभ सभुझं भै जीव जड़ कसर भर ग्रससत वफभूढ़।।30(ि)
–*–*–
तदवऩ कही गुय फायकहॊ फाया। सभुष्झ ऩयी कछु भसत अनुसाया।।
बाषाफद्ध कयवफ भईआ सोई। भोयईऄ भन प्रफोध जेकहॊ होई।।
जस कछु फुसध वफफेक फर भेयईऄ। तस ककहहउॉ कहमॉ हरय के प्रेयईऄ।।
सनज सॊदेह भोह र्भ्भ हयनी। कयउॉ कथा बव सरयता तयनी।।
फुध वफश्राभ सकर जन यॊ जसन। याभकथा कसर करुष वफबॊजसन।।
याभकथा कसर ऩॊनग बयनी। ऩुसन वफफेक ऩावक कहुॉ अयनी।।
याभकथा कसर काभद गाई। सुजन सजीवसन भूरय सुहाई।।

15
सोइ फसुधातर सुधा तयॊ सगसन। बम बॊजसन र्भ्भ बेक बुअॊसगसन।।
असुय सेन सभ नयक सनकॊकदसन। साधु वफफुध कुर कहत सगरयनॊकदसन।।
सॊत सभाज ऩमोसध यभा सी। वफस्व बाय बय अचर छभा सी।।
जभ गन भुहॉ भसस जग जभुना सी। जीवन भुकुसत हे तु जनु कासी।।
याभकह वप्रम ऩावसन तुरसी सी। तुरससदास कहत कहमॉ हुरसी सी।।
ससवप्रम भेकर सैर सुता सी। सकर ससवद्ध सुि सॊऩसत यासी।।
सदगुन सुयगन अॊफ अकदसत सी। यघुफय बगसत प्रेभ ऩयसभसत सी।।
दो0- याभ कथा भॊदाककनी सचत्रकूट सचत चारु।
तुरसी सुबग सनेह फन ससम यघुफीय वफहारु।।31।।
–*–*–
याभ चरयत सचॊताभसन चारू। सॊत सुभसत सतम सुबग ससॊगारू।।
जग भॊगर गुन ग्राभ याभ के। दासन भुकुसत धन धयभ धाभ के।।
सदगुय ग्मान वफयाग जोग के। वफफुध फैद बव बीभ योग के।।
जनसन जनक ससम याभ प्रेभ के। फीज सकर ब्रत धयभ नेभ के।।
सभन ऩाऩ सॊताऩ सोक के। वप्रम ऩारक ऩयरोक रोक के।।
ससचव सुबट बूऩसत वफचाय के। कुॊबज रोब उदसध अऩाय के।।
काभ कोह कसरभर करयगन के। केहरय सावक जन भन फन के।।
असतसथ ऩूज्म वप्रमतभ ऩुयारय के। काभद घन दारयद दवारय के।।
भॊत्र भहाभसन वफषम ब्मार के। भेटत ककठन कुअॊक बार के।।
हयन भोह तभ कदनकय कय से। सेवक सासर ऩार जरधय से।।
असबभत दासन दे वतरु फय से। सेवत सुरब सुिद हरय हय से।।
सुकवफ सयद नब भन उडगन से। याभबगत जन जीवन धन से।।
सकर सुकृत पर बूरय बोग से। जग कहत सनरुऩसध साधु रोग से।।
सेवक भन भानस भयार से। ऩावक गॊग तॊयग भार से।।
दो0-कुऩथ कुतयक कुचासर कसर कऩट दॊ ब ऩाषॊड।
दहन याभ गुन ग्राभ ष्जसभ इॊ धन अनर प्रचॊड।।32(क)।।
याभचरयत याकेस कय सरयस सुिद सफ काहु।
सज्जन कुभुद चकोय सचत कहत वफसेवष फड़ राहु।।32(ि)।।
–*–*–
कीष्न्ह प्रस्न जेकह बाॉसत बवानी। जेकह वफसध सॊकय कहा फिानी।।
सो सफ हे तु कहफ भईआ गाई। कथाप्रफॊध वफसचत्र फनाई।।
जेकह मह कथा सुनी नकहॊ होई। जसन आचयजु कयईआ सुसन सोई।।
कथा अरौककक सुनकहॊ जे ग्मानी। नकहॊ आचयजु कयकहॊ अस जानी।।

16
याभकथा कै सभसत जग नाहीॊ। असस प्रतीसत सतन्ह के भन भाहीॊ।।
नाना बाॉसत याभ अवताया। याभामन सत कोकट अऩाया।।
करऩबेद हरयचरयत सुहाए। बाॉसत अनेक भुनीसन्ह गाए।।
करयअ न सॊसम अस उय आनी। सुसनअ कथा सायद यसत भानी।।
दो0-याभ अनॊत अनॊत गुन असभत कथा वफस्ताय।
सुसन आचयजु न भासनहकहॊ ष्जन्ह कईऄ वफभर वफचाय।।33।।
–*–*–
एकह वफसध सफ सॊसम करय दयू ी। ससय धरय गुय ऩद ऩॊकज धूयी।।
ऩुसन सफही वफनवउॉ कय जोयी। कयत कथा जेकहॊ राग न िोयी।।
सादय ससवकह नाइ अफ भाथा। फयनउॉ वफसद याभ गुन गाथा।।
सॊफत सोयह सै एकतीसा। कयउॉ कथा हरय ऩद धरय सीसा।।
नौभी बौभ फाय भधु भासा। अवधऩुयीॊ मह चरयत प्रकासा।।
जेकह कदन याभ जनभ श्रुसत गावकहॊ । तीयथ सकर तहाॉ चसर आवकहॊ ।।
असुय नाग िग नय भुसन दे वा। आइ कयकहॊ यघुनामक सेवा।।
जन्भ भहोत्सव यचकहॊ सुजाना। कयकहॊ याभ कर कीयसत गाना।।
दो0-भज्जकह सज्जन फृॊद फहु ऩावन सयजू नीय।
जऩकहॊ याभ धरय ध्मान उय सुॊदय स्माभ सयीय।।34।।
–*–*–
दयस ऩयस भज्जन अरु ऩाना। हयइ ऩाऩ कह फेद ऩुयाना।।
नदी ऩुनीत असभत भकहभा असत। ककह न सकइ सायद वफभरभसत।।
याभ धाभदा ऩुयी सुहावसन। रोक सभस्त वफकदत असत ऩावसन।।
चारय िासन जग जीव अऩाया। अवध तजे तनु नकह सॊसाया।।
सफ वफसध ऩुयी भनोहय जानी। सकर ससवद्धप्रद भॊगर िानी।।
वफभर कथा कय कीन्ह अयॊ बा। सुनत नसाकहॊ काभ भद दॊ बा।।
याभचरयतभानस एकह नाभा। सुनत श्रवन ऩाइअ वफश्राभा।।
भन करय ववषम अनर फन जयई। होइ सुिी जौ एकहॊ सय ऩयई।।
याभचरयतभानस भुसन बावन। वफयचेउ सॊबु सुहावन ऩावन।।
वत्रवफध दोष दि
ु दारयद दावन। कसर कुचासर कुसर करुष नसावन।।
यसच भहे स सनज भानस यािा। ऩाइ सुसभउ ससवा सन बाषा।।
तातईऄ याभचरयतभानस फय। धये उ नाभ कहमॉ हे रय हयवष हय।।
कहउॉ कथा सोइ सुिद सुहाई। सादय सुनहु सुजन भन राई।।
दो0-जस भानस जेकह वफसध बमउ जग प्रचाय जेकह हे तु।
अफ सोइ कहउॉ प्रसॊग सफ सुसभरय उभा फृषकेतु।।35।।

17
–*–*–
सॊबु प्रसाद सुभसत कहमॉ हुरसी। याभचरयतभानस कवफ तुरसी।।
कयइ भनोहय भसत अनुहायी। सुजन सुसचत सुसन रेहु सुधायी।।
सुभसत बूसभ थर रृदम अगाधू। फेद ऩुयान उदसध घन साधू।।
फयषकहॊ याभ सुजस फय फायी। भधुय भनोहय भॊगरकायी।।
रीरा सगुन जो कहकहॊ फिानी। सोइ स्वछछता कयइ भर हानी।।
प्रेभ बगसत जो फयसन न जाई। सोइ भधुयता सुसीतरताई।।
सो जर सुकृत सासर कहत होई। याभ बगत जन जीवन सोई।।
भेधा भकह गत सो जर ऩावन। सककसर श्रवन भग चरेउ सुहावन।।
बये उ सुभानस सुथर सथयाना। सुिद सीत रुसच चारु सचयाना।।
दो0-सुकठ सुॊदय सॊफाद फय वफयचे फुवद्ध वफचारय।
तेइ एकह ऩावन सुबग सय घाट भनोहय चारय।।36।।
–*–*–
सप्त प्रफन्ध सुबग सोऩाना। ग्मान नमन सनयित भन भाना।।
यघुऩसत भकहभा अगुन अफाधा। फयनफ सोइ फय फारय अगाधा।।
याभ सीम जस ससरर सुधासभ। उऩभा फीसच वफरास भनोयभ।।
ऩुयइसन सघन चारु चौऩाई। जुगुसत भॊजु भसन सीऩ सुहाई।।
छॊ द सोयठा सुॊदय दोहा। सोइ फहुयॊग कभर कुर सोहा।।
अयथ अनूऩ सुभाव सुबासा। सोइ ऩयाग भकयॊ द सुफासा।।
सुकृत ऩुॊज भॊजुर असर भारा। ग्मान वफयाग वफचाय भयारा।।
धुसन अवये फ कवफत गुन जाती। भीन भनोहय ते फहुबाॉती।।
अयथ धयभ काभाकदक चायी। कहफ ग्मान वफग्मान वफचायी।।
नव यस जऩ तऩ जोग वफयागा। ते सफ जरचय चारु तड़ागा।।
सुकृती साधु नाभ गुन गाना। ते वफसचत्र जर वफहग सभाना।।
सॊतसबा चहुॉ कदसस अवॉयाई। श्रद्धा रयतु फसॊत सभ गाई।।
बगसत सनरुऩन वफवफध वफधाना। छभा दमा दभ रता वफताना।।
सभ जभ सनमभ पूर पर ग्माना। हरय ऩत यसत यस फेद फिाना।।
औयउ कथा अनेक प्रसॊगा। तेइ सुक वऩक फहुफयन वफहॊ गा।।
दो0-ऩुरक फाकटका फाग फन सुि सुवफहॊ ग वफहारु।
भारी सुभन सनेह जर सीॊचत रोचन चारु।।37।।
–*–*–
जे गावकहॊ मह चरयत सॉबाये । तेइ एकह तार चतुय यिवाये ।।
सदा सुनकहॊ सादय नय नायी। तेइ सुयफय भानस असधकायी।।

18
असत िर जे वफषई फग कागा। एकहॊ सय सनकट न जाकहॊ अबागा।।
सॊफुक बेक सेवाय सभाना। इहाॉ न वफषम कथा यस नाना।।
तेकह कायन आवत कहमॉ हाये । काभी काक फराक वफचाये ।।
आवत एकहॊ सय असत ककठनाई। याभ कृ ऩा वफनु आइ न जाई।।
ककठन कुसॊग कुऩॊथ कयारा। सतन्ह के फचन फाघ हरय ब्मारा।।
गृह कायज नाना जॊजारा। ते असत दग
ु भ
ा सैर वफसारा।।
फन फहु वफषभ भोह भद भाना। नदीॊ कुतका बमॊकय नाना।।
दो0-जे श्रद्धा सॊफर यकहत नकह सॊतन्ह कय साथ।
सतन्ह कहुॉ भानस अगभ असत ष्जन्हकह न वप्रम यघुनाथ।।38।।
–*–*–
जं करय कि जाइ ऩुसन कोई। जातकहॊ नीॊद जुड़ाई होई।।
जड़ता जाड़ वफषभ उय रागा। गएहुॉ न भज्जन ऩाव अबागा।।
करय न जाइ सय भज्जन ऩाना। कपरय आवइ सभेत असबभाना।।
जं फहोरय कोउ ऩूछन आवा। सय सनॊदा करय ताकह फुझावा।।
सकर वफघ्न ब्माऩकह नकहॊ तेही। याभ सुकृऩाॉ वफरोककहॊ जेही।।
सोइ सादय सय भज्जनु कयई। भहा घोय त्रमताऩ न जयई।।
ते नय मह सय तजकहॊ न काऊ। ष्जन्ह के याभ चयन बर बाऊ।।
जो नहाइ चह एकहॊ सय बाई। सो सतसॊग कयउ भन राई।।
अस भानस भानस चि चाही। बइ कवफ फुवद्ध वफभर अवगाही।।
बमउ रृदमॉ आनॊद उछाहू। उभगेउ प्रेभ प्रभोद प्रफाहू।।
चरी सुबग कवफता सरयता सो। याभ वफभर जस जर बरयता सो।।
सयजू नाभ सुभॊगर भूरा। रोक फेद भत भॊजुर कूरा।।
नदी ऩुनीत सुभानस नॊकदसन। कसरभर तृन तरु भूर सनकॊकदसन।।
दो0-श्रोता वत्रवफध सभाज ऩुय ग्राभ नगय दह
ु ुॉ कूर।
सॊतसबा अनुऩभ अवध सकर सुभॊगर भूर।।39।।
–*–*–
याभबगसत सुयसरयतकह जाई। सभरी सुकीयसत सयजु सुहाई।।
सानुज याभ सभय जसु ऩावन। सभरेउ भहानद ु सोन सुहावन।।
जुग वफच बगसत दे वधुसन धाया। सोहसत सकहत सुवफयसत वफचाया।।
वत्रवफध ताऩ त्रासक सतभुहानी। याभ सरुऩ ससॊधु सभुहानी।।
भानस भूर सभरी सुयसरयही। सुनत सुजन भन ऩावन करयही।।
वफच वफच कथा वफसचत्र वफबागा। जनु सरय तीय तीय फन फागा।।
उभा भहे स वफफाह फयाती। ते जरचय अगसनत फहुबाॉती।।

19
यघुफय जनभ अनॊद फधाई। बवॉय तयॊ ग भनोहयताई।।
दो0-फारचरयत चहु फॊधु के फनज वफऩुर फहुयॊग।
नृऩ यानी ऩरयजन सुकृत भधुकय फारयवफहॊ ग।।40।।
–*–*–
सीम स्वमॊफय कथा सुहाई। सरयत सुहावसन सो छवफ छाई।।
नदी नाव ऩटु प्रस्न अनेका। केवट कुसर उतय सवफफेका।।
सुसन अनुकथन ऩयस्ऩय होई। ऩसथक सभाज सोह सरय सोई।।
घोय धाय बृगुनाथ रयसानी। घाट सुफद्ध याभ फय फानी।।
सानुज याभ वफफाह उछाहू। सो सुब उभग सुिद सफ काहू।।
कहत सुनत हयषकहॊ ऩुरकाहीॊ। ते सुकृती भन भुकदत नहाहीॊ।।
याभ सतरक कहत भॊगर साजा। ऩयफ जोग जनु जुये सभाजा।।
काई कुभसत केकई केयी। ऩयी जासु पर वफऩसत घनेयी।।
दो0-सभन असभत उतऩात सफ बयतचरयत जऩजाग।
कसर अघ िर अवगुन कथन ते जरभर फग काग।।41।।
–*–*–
कीयसत सरयत छहूॉ रयतु रूयी। सभम सुहावसन ऩावसन बूयी।।
कहभ कहभसैरसुता ससव ब्माहू। ससससय सुिद प्रबु जनभ उछाहू।।
फयनफ याभ वफफाह सभाजू। सो भुद भॊगरभम रयतुयाजू।।
ग्रीषभ दस
ु ह याभ फनगवनू। ऩॊथकथा िय आतऩ ऩवनू।।
फयषा घोय सनसाचय यायी। सुयकुर सासर सुभॊगरकायी।।
याभ याज सुि वफनम फड़ाई। वफसद सुिद सोइ सयद सुहाई।।
सती ससयोभसन ससम गुनगाथा। सोइ गुन अभर अनूऩभ ऩाथा।।
बयत सुबाउ सुसीतरताई। सदा एकयस फयसन न जाई।।
दो0- अवरोकसन फोरसन सभरसन प्रीसत ऩयसऩय हास।
बामऩ बसर चहु फॊधु की जर भाधुयी सुफास।।42।।
–*–*–
आयसत वफनम दीनता भोयी। रघुता रसरत सुफारय न थोयी।।
अदबुत ससरर सुनत गुनकायी। आस वऩआस भनोभर हायी।।
याभ सुप्रेभकह ऩोषत ऩानी। हयत सकर कसर करुष गरानौ।।
बव श्रभ सोषक तोषक तोषा। सभन दरु यत दि
ु दारयद दोषा।।
काभ कोह भद भोह नसावन। वफभर वफफेक वफयाग फढ़ावन।।
सादय भज्जन ऩान ककए तईऄ। सभटकहॊ ऩाऩ ऩरयताऩ कहए तईऄ।।
ष्जन्ह एकह फारय न भानस धोए। ते कामय कसरकार वफगोए।।

20
तृवषत सनयष्ि यवफ कय बव फायी। कपरयहकह भृग ष्जसभ जीव दि
ु ायी।।
दो0-भसत अनुहारय सुफारय गुन गसन भन अन्हवाइ।
सुसभरय बवानी सॊकयकह कह कवफ कथा सुहाइ।।43(क)।।
–*–*–
अफ यघुऩसत ऩद ऩॊकरुह कहमॉ धरय ऩाइ प्रसाद ।
कहउॉ जुगर भुसनफजा कय सभरन सुबग सॊफाद।।43(ि)।।
बयद्वाज भुसन फसकहॊ प्रमागा। सतन्हकह याभ ऩद असत अनुयागा।।
ताऩस सभ दभ दमा सनधाना। ऩयभायथ ऩथ ऩयभ सुजाना।।
भाघ भकयगत यवफ जफ होई। तीयथऩसतकहॊ आव सफ कोई।।
दे व दनुज ककॊनय नय श्रेनी। सादय भज्जकहॊ सकर वत्रफेनीॊ।।
ऩूजकह भाधव ऩद जरजाता। ऩयसस अिम फटु हयषकहॊ गाता।।
बयद्वाज आश्रभ असत ऩावन। ऩयभ यम्म भुसनफय भन बावन।।
तहाॉ होइ भुसन रयषम सभाजा। जाकहॊ जे भज्जन तीयथयाजा।।
भज्जकहॊ प्रात सभेत उछाहा। कहकहॊ ऩयसऩय हरय गुन गाहा।।
दो0-ब्रह्म सनरूऩभ धयभ वफसध फयनकहॊ तत्त्व वफबाग।

कहकहॊ बगसत बगवॊत कै सॊजुत ग्मान वफयाग।।44।।


–*–*–
एकह प्रकाय बरय भाघ नहाहीॊ। ऩुसन सफ सनज सनज आश्रभ जाहीॊ।।
प्रसत सॊफत असत होइ अनॊदा। भकय भष्ज्ज गवनकहॊ भुसनफृॊदा।।
एक फाय बरय भकय नहाए। सफ भुनीस आश्रभन्ह ससधाए।।
जगफासरक भुसन ऩयभ वफफेकी। बयव्दाज यािे ऩद टे की।।
सादय चयन सयोज ऩिाये । असत ऩुनीत आसन फैठाये ।।
करय ऩूजा भुसन सुजस फिानी। फोरे असत ऩुनीत भृद ु फानी।।
नाथ एक सॊसउ फड़ भोयईऄ । कयगत फेदतत्व सफु तोयईऄ ।।
कहत सो भोकह रागत बम राजा। जौ न कहउॉ फड़ होइ अकाजा।।
दो0-सॊत कहकह असस नीसत प्रबु श्रुसत ऩुयान भुसन गाव।
होइ न वफभर वफफेक उय गुय सन ककएॉ दयु ाव।।45।।
–*–*–
अस वफचारय प्रगटउॉ सनज भोहू। हयहु नाथ करय जन ऩय छोहू।।
यास नाभ कय असभत प्रबावा। सॊत ऩुयान उऩसनषद गावा।।
सॊतत जऩत सॊबु अवफनासी। ससव बगवान ग्मान गुन यासी।।
आकय चारय जीव जग अहहीॊ। कासीॊ भयत ऩयभ ऩद रहहीॊ।।

21
सोवऩ याभ भकहभा भुसनयामा। ससव उऩदे सु कयत करय दामा।।
याभु कवन प्रबु ऩूछउॉ तोही। ककहअ फुझाइ कृ ऩासनसध भोही।।
एक याभ अवधेस कुभाया। सतन्ह कय चरयत वफकदत सॊसाया।।
नारय वफयहॉ दि
ु ु रहे उ अऩाया। बमहु योषु यन यावनु भाया।।
दो0-प्रबु सोइ याभ कक अऩय कोउ जाकह जऩत वत्रऩुयारय।
सत्मधाभ सफाग्म तुम्ह कहहु वफफेकु वफचारय।।46।।
–*–*–
जैसे सभटै भोय र्भ्भ बायी। कहहु सो कथा नाथ वफस्तायी।।
जागफसरक फोरे भुसुकाई। तुम्हकह वफकदत यघुऩसत प्रबुताई।।
याभभगत तुम्ह भन क्रभ फानी। चतुयाई तुम्हायी भईआ जानी।।
चाहहु सुनै याभ गुन गूढ़ा। कीष्न्हहु प्रस्न भनहुॉ असत भूढ़ा।।
तात सुनहु सादय भनु राई। कहउॉ याभ कै कथा सुहाई।।
भहाभोहु भकहषेसु वफसारा। याभकथा कासरका कयारा।।
याभकथा ससस ककयन सभाना। सॊत चकोय कयकहॊ जेकह ऩाना।।
ऐसेइ सॊसम कीन्ह बवानी। भहादे व तफ कहा फिानी।।
दो0-कहउॉ सो भसत अनुहारय अफ उभा सॊबु सॊफाद।
बमउ सभम जेकह हे तु जेकह सुनु भुसन सभकटकह वफषाद।।47।।
–*–*–
एक फाय त्रेता जुग भाहीॊ। सॊबु गए कुॊबज रयवष ऩाहीॊ।।
सॊग सती जगजनसन बवानी। ऩूजे रयवष अष्िरेस्वय जानी।।
याभकथा भुनीफजा फिानी। सुनी भहे स ऩयभ सुिु भानी।।
रयवष ऩूछी हरयबगसत सुहाई। कही सॊबु असधकायी ऩाई।।
कहत सुनत यघुऩसत गुन गाथा। कछु कदन तहाॉ यहे सगरयनाथा।।
भुसन सन वफदा भासग वत्रऩुयायी। चरे बवन सॉग दछछकुभायी।।
तेकह अवसय बॊजन भकहबाया। हरय यघुफॊस रीन्ह अवताया।।
वऩता फचन तष्ज याजु उदासी। दॊ डक फन वफचयत अवफनासी।।
दो0-ह्दमॉ वफचायत जात हय केकह वफसध दयसनु होइ।
गुप्त रुऩ अवतये उ प्रबु गएॉ जान सफु कोइ।।48(क)।।
–*–*–
सो0-सॊकय उय असत छोबु सती न जानकहॊ भयभु सोइ।।
तुरसी दयसन रोबु भन डरु रोचन रारची।।48(ि)।।
यावन भयन भनुज कय जाचा। प्रबु वफसध फचनु कीन्ह चह साचा।।
जं नकहॊ जाउॉ यहइ ऩसछतावा। कयत वफचारु न फनत फनावा।।

22
एकह वफसध बए सोचफस ईसा। तेकह सभम जाइ दससीसा।।
रीन्ह नीच भायीचकह सॊगा। बमउ तुयत सोइ कऩट कुयॊ गा।।
करय छरु भूढ़ हयी फैदेही। प्रबु प्रबाउ तस वफकदत न तेही।।
भृग फसध फन्धु सकहत हरय आए। आश्रभु दे ष्ि नमन जर छाए।।
वफयह वफकर नय इव यघुयाई। िोजत वफवऩन कपयत दोउ बाई।।
कफहूॉ जोग वफमोग न जाकईऄ। दे िा प्रगट वफयह दि
ु ताकईऄ।।
दो0-असत ववसचत्र यघुऩसत चरयत जानकहॊ ऩयभ सुजान।
जे भसतभॊद वफभोह फस रृदमॉ धयकहॊ कछु आन।।49।।
–*–*–
सॊबु सभम तेकह याभकह दे िा। उऩजा कहमॉ असत हयऩु वफसेषा।।
बरय रोचन छवफससॊधु सनहायी। कुसभम जासनन कीष्न्ह सचन्हायी।।
जम सष्छचदानॊद जग ऩावन। अस ककह चरेउ भनोज नसावन।।
चरे जात ससव सती सभेता। ऩुसन ऩुसन ऩुरकत कृ ऩासनकेता।।
सतीॊ सो दसा सॊबु कै दे िी। उय उऩजा सॊदेहु वफसेषी।।
सॊकरु जगतफॊय जगदीसा। सुय नय भुसन सफ नावत सीसा।।
सतन्ह नृऩसुतकह नह ऩयनाभा। ककह सष्छचदानॊद ऩयधभा।।
बए भगन छवफ तासु वफरोकी। अजहुॉ प्रीसत उय यहसत न योकी।।
दो0-ब्रह्म जो व्माऩक वफयज अज अकर अनीह अबेद।

सो कक दे ह धरय होइ नय जाकह न जानत वेद।। 50।।


–*–*–
वफकनु जो सुय कहत नयतनु धायी। सोउ सफाग्म जथा वत्रऩुयायी।।
िोजइ सो कक अग्म इव नायी। ग्मानधाभ श्रीऩसत असुयायी।।
सॊबुसगया ऩुसन भृषा न होई। ससव सफाग्म जान सफु कोई।।
अस सॊसम भन बमउ अऩाया। होई न रृदमॉ प्रफोध प्रचाया।।
जयवऩ प्रगट न कहे उ बवानी। हय अॊतयजाभी सफ जानी।।
सुनकह सती तव नारय सुबाऊ। सॊसम अस न धरयअ उय काऊ।।
जासु कथा कुबॊज रयवष गाई। बगसत जासु भईआ भुसनकह सुनाई।।
सोउ भभ इिदे व यघुफीया। सेवत जाकह सदा भुसन धीया।।
छॊ 0-भुसन धीय जोगी ससद्ध सॊतत वफभर भन जेकह ध्मावहीॊ।
ककह नेसत सनगभ ऩुयान आगभ जासु कीयसत गावहीॊ।।
सोइ याभु ब्माऩक ब्रह्म बुवन सनकाम ऩसत भामा धनी।
अवतये उ अऩने बगत कहत सनजतॊत्र सनत यघुकुरभसन।।

23
सो0-राग न उय उऩदे सु जदवऩ कहे उ ससवॉ फाय फहु।
फोरे वफहसस भहे सु हरयभामा फरु जासन ष्जमॉ।।51।।
जं तुम्हयईऄ भन असत सॊदेहू। तौ ककन जाइ ऩयीछा रेहू।।
तफ रसग फैठ अहउॉ फटछाकहॊ । जफ रसग तुम्ह ऐहहु भोकह ऩाही।।
जैसईऄ जाइ भोह र्भ्भ बायी। कये हु सो जतनु वफफेक वफचायी।।
चरीॊ सती ससव आमसु ऩाई। कयकहॊ वफचारु कयं का बाई।।
इहाॉ सॊबु अस भन अनुभाना। दछछसुता कहुॉ नकहॊ कल्माना।।
भोये हु कहईऄ न सॊसम जाहीॊ। वफधी वफऩयीत बराई नाहीॊ।।
होइकह सोइ जो याभ यसच यािा। को करय तका फढ़ावै सािा।।
अस ककह रगे जऩन हरयनाभा। गई सती जहॉ प्रबु सुिधाभा।।
दो0-ऩुसन ऩुसन रृदमॉ ववचारु करय धरय सीता कय रुऩ।
आगईऄ होइ चसर ऩॊथ तेकह जेकहॊ आवत नयबूऩ।।52।।
–*–*–
रसछभन दीि उभाकृ त फेषा चककत बए र्भ्भ रृदमॉ वफसेषा।।
ककह न सकत कछु असत गॊबीया। प्रबु प्रबाउ जानत भसतधीया।।
सती कऩटु जानेउ सुयस्वाभी। सफदयसी सफ अॊतयजाभी।।
सुसभयत जाकह सभटइ अग्माना। सोइ सयफग्म याभु बगवाना।।
सती कीन्ह चह तहॉ हुॉ दयु ाऊ। दे िहु नारय सुबाव प्रबाऊ।।
सनज भामा फरु रृदमॉ फिानी। फोरे वफहसस याभु भृद ु फानी।।
जोरय ऩासन प्रबु कीन्ह प्रनाभू। वऩता सभेत रीन्ह सनज नाभू।।
कहे उ फहोरय कहाॉ फृषकेतू। वफवऩन अकेसर कपयहु केकह हे तू।।
दो0-याभ फचन भृद ु गूढ़ सुसन उऩजा असत सॊकोचु।
सती सबीत भहे स ऩकहॊ चरीॊ रृदमॉ फड़ सोचु।।53।।
–*–*–
भईआ सॊकय कय कहा न भाना। सनज अग्मानु याभ ऩय आना।।
जाइ उतरु अफ दे हउॉ काहा। उय उऩजा असत दारुन दाहा।।
जाना याभ सतीॊ दि
ु ु ऩावा। सनज प्रबाउ कछु प्रगकट जनावा।।
सतीॊ दीि कौतुकु भग जाता। आगईऄ याभु सकहत श्री र्भ्ाता।।
कपरय सचतवा ऩाछईऄ प्रबु दे िा। सकहत फॊधु ससम सुॊदय वेषा।।
जहॉ सचतवकहॊ तहॉ प्रबु आसीना। सेवकहॊ ससद्ध भुनीस प्रफीना।।
दे िे ससव वफसध वफकनु अनेका। असभत प्रबाउ एक तईऄ एका।।
फॊदत चयन कयत प्रबु सेवा। वफवफध फेष दे िे सफ दे वा।।
दो0-सती वफधात्री इॊ कदया दे िीॊ असभत अनूऩ।

24
जेकहॊ जेकहॊ फेष अजाकद सुय तेकह तेकह तन अनुरूऩ।।54।।
–*–*–
दे िे जहॉ तहॉ यघुऩसत जेते। सविन्ह सकहत सकर सुय तेते।।
जीव चयाचय जो सॊसाया। दे िे सकर अनेक प्रकाया।।
ऩूजकहॊ प्रबुकह दे व फहु फेषा। याभ रूऩ दस
ू य नकहॊ दे िा।।
अवरोके यघुऩसत फहुतेये। सीता सकहत न फेष घनेये।।
सोइ यघुफय सोइ रसछभनु सीता। दे ष्ि सती असत बई सबीता।।
रृदम कॊऩ तन सुसध कछु नाहीॊ। नमन भूकद फैठीॊ भग भाहीॊ।।
फहुरय वफरोकेउ नमन उघायी। कछु न दीि तहॉ दछछकुभायी।।
ऩुसन ऩुसन नाइ याभ ऩद सीसा। चरीॊ तहाॉ जहॉ यहे सगयीसा।।
दो0-गई सभीऩ भहे स तफ हॉ सस ऩूछी कुसरात।
रीन्ही ऩयीछा कवन वफसध कहहु सत्म सफ फात।।55।।
भासऩायामण, दस ू या ववश्राभ
–*–*–
सतीॊ सभुष्झ यघुफीय प्रबाऊ। बम फस ससव सन कीन्ह दयु ाऊ।।
कछु न ऩयीछा रीष्न्ह गोसाई। कीन्ह प्रनाभु तुम्हारयकह नाई।।
जो तुम्ह कहा सो भृषा न होई। भोयईऄ भन प्रतीसत असत सोई।।
तफ सॊकय दे िेउ धरय ध्माना। सतीॊ जो कीन्ह चरयत सफ जाना।।
फहुरय याभभामकह ससरु नावा। प्रेरय ससतकह जेकहॊ झूॉठ कहावा।।
हरय इछछा बावी फरवाना। रृदमॉ वफचायत सॊबु सुजाना।।
सतीॊ कीन्ह सीता कय फेषा। ससव उय बमउ वफषाद वफसेषा।।
जं अफ कयउॉ सती सन प्रीती। सभटइ बगसत ऩथु होइ अनीती।।
दो0-ऩयभ ऩुनीत न जाइ तष्ज ककएॉ प्रेभ फड़ ऩाऩु।
प्रगकट न कहत भहे सु कछु रृदमॉ असधक सॊताऩु।।56।।
–*–*–
तफ सॊकय प्रबु ऩद ससरु नावा। सुसभयत याभु रृदमॉ अस आवा।।
एकहॊ तन ससतकह बेट भोकह नाहीॊ। ससव सॊकल्ऩु कीन्ह भन भाहीॊ।।
अस वफचारय सॊकरु भसतधीया। चरे बवन सुसभयत यघुफीया।।
चरत गगन बै सगया सुहाई। जम भहे स बसर बगसत दृढ़ाई।।
अस ऩन तुम्ह वफनु कयइ को आना। याभबगत सभयथ बगवाना।।
सुसन नबसगया सती उय सोचा। ऩूछा ससवकह सभेत सकोचा।।
कीन्ह कवन ऩन कहहु कृ ऩारा। सत्मधाभ प्रबु दीनदमारा।।
जदवऩ सतीॊ ऩूछा फहु बाॉती। तदवऩ न कहे उ वत्रऩुय आयाती।।

25
दो0-सतीॊ रृदम अनुभान ककम सफु जानेउ सफाग्म।
कीन्ह कऩटु भईआ सॊबु सन नारय सहज जड़ अग्म।।57क।।
–*–*–
रृदमॉ सोचु सभुझत सनज कयनी। सचॊता असभत जाइ नकह फयनी।।
कृ ऩाससॊधु ससव ऩयभ अगाधा। प्रगट न कहे उ भोय अऩयाधा।।
सॊकय रुि अवरोकक बवानी। प्रबु भोकह तजेउ रृदमॉ अकुरानी।।
सनज अघ सभुष्झ न कछु ककह जाई। तऩइ अवाॉ इव उय असधकाई।।
ससतकह ससोच जासन फृषकेतू। कहीॊ कथा सुॊदय सुि हे तू।।
फयनत ऩॊथ वफवफध इसतहासा। वफस्वनाथ ऩहुॉचे कैरासा।।
तहॉ ऩुसन सॊबु सभुष्झ ऩन आऩन। फैठे फट तय करय कभरासन।।
सॊकय सहज सरुऩ सम्हाया। रासग सभासध अिॊड अऩाया।।
दो0-सती फसकह कैरास तफ असधक सोचु भन भाकहॊ ।
भयभु न कोऊ जान कछु जुग सभ कदवस ससयाकहॊ ।।58।।
–*–*–
सनत नव सोचु सतीॊ उय बाया। कफ जैहउॉ दि
ु सागय ऩाया।।
भईआ जो कीन्ह यघुऩसत अऩभाना। ऩुसनऩसत फचनु भृषा करय जाना।।
सो परु भोकह वफधाताॉ दीन्हा। जो कछु उसचत यहा सोइ कीन्हा।।
अफ वफसध अस फूष्झअ नकह तोही। सॊकय वफभुि ष्जआवसस भोही।।
ककह न जाई कछु रृदम गरानी। भन भहुॉ याभाकह सुसभय समानी।।
जौ प्रबु दीनदमारु कहावा। आयती हयन फेद जसु गावा।।
तौ भईआ वफनम कयउॉ कय जोयी। छूटउ फेसग दे ह मह भोयी।।
जं भोये ससव चयन सनेहू। भन क्रभ फचन सत्म ब्रतु एहू।।
दो0- तौ सफदयसी सुसनअ प्रबु कयउ सो फेसग उऩाइ।
होइ भयनु जेही वफनकहॊ श्रभ दस
ु ह वफऩवत्त वफहाइ।।59।।
सो0-जरु ऩम सरयस वफकाइ दे िहु प्रीसत कक यीसत बसर।
वफरग होइ यसु जाइ कऩट िटाई ऩयत ऩुसन।।57ि।।
–*–*–
एकह वफसध दष्ु ित प्रजेसकुभायी। अकथनीम दारुन दि
ु ु बायी।।
फीतईऄ सॊफत सहस सतासी। तजी सभासध सॊबु अवफनासी।।
याभ नाभ ससव सुसभयन रागे। जानेउ सतीॊ जगतऩसत जागे।।
जाइ सॊबु ऩद फॊदनु कीन्ही। सनभुि सॊकय आसनु दीन्हा।।
रगे कहन हरयकथा यसारा। दछछ प्रजेस बए तेकह कारा।।
दे िा वफसध वफचारय सफ रामक। दछछकह कीन्ह प्रजाऩसत नामक।।

26
फड़ असधकाय दछछ जफ ऩावा। असत असबभानु रृदमॉ तफ आवा।।
नकहॊ कोउ अस जनभा जग भाहीॊ। प्रबुता ऩाइ जाकह भद नाहीॊ।।
दो0- दछछ सरए भुसन फोसर सफ कयन रगे फड़ जाग।
नेवते सादय सकर सुय जे ऩावत भि बाग।।60।।
–*–*–

ककॊनय नाग ससद्ध गॊधफाा। फधुन्ह सभेत चरे सुय सफाा।।


वफकनु वफयॊ सच भहे सु वफहाई। चरे सकर सुय जान फनाई।।
सतीॊ वफरोके ब्मोभ वफभाना। जात चरे सुॊदय वफसध नाना।।
सुय सुॊदयी कयकहॊ कर गाना। सुनत श्रवन छूटकहॊ भुसन ध्माना।।
ऩूछेउ तफ ससवॉ कहे उ फिानी। वऩता जग्म सुसन कछु हयषानी।।
जं भहे सु भोकह आमसु दे हीॊ। कुछ कदन जाइ यहं सभस एहीॊ।।
ऩसत ऩरयत्माग रृदम दि
ु ु बायी। कहइ न सनज अऩयाध वफचायी।।
फोरी सती भनोहय फानी। बम सॊकोच प्रेभ यस सानी।।
दो0-वऩता बवन उत्सव ऩयभ जं प्रबु आमसु होइ।
तौ भै जाउॉ कृ ऩामतन सादय दे िन सोइ।।61।।
–*–*–
कहे हु नीक भोये हुॉ भन बावा। मह अनुसचत नकहॊ नेवत ऩठावा।।
दछछ सकर सनज सुता फोराई। हभयईऄ फमय तुम्हउ वफसयाई।।
ब्रह्मसबाॉ हभ सन दि
ु ु भाना। तेकह तईऄ अजहुॉ कयकहॊ अऩभाना।।
जं वफनु फोरईऄ जाहु बवानी। यहइ न सीरु सनेहु न कानी।।
जदवऩ सभत्र प्रबु वऩतु गुय गेहा। जाइअ वफनु फोरेहुॉ न सॉदेहा।।
तदवऩ वफयोध भान जहॉ कोई। तहाॉ गएॉ कल्मानु न होई।।
बाॉसत अनेक सॊबु सभुझावा। बावी फस न ग्मानु उय आवा।।
कह प्रबु जाहु जो वफनकहॊ फोराएॉ। नकहॊ बसर फात हभाये बाएॉ।।
दो0-ककह दे िा हय जतन फहु यहइ न दछछकुभारय।
कदए भुख्म गन सॊग तफ वफदा कीन्ह वत्रऩुयारय।।62।।
–*–*–
वऩता बवन जफ गई बवानी। दछछ त्रास काहुॉ न सनभानी।।
सादय बरेकहॊ सभरी एक भाता। बसगनीॊ सभरीॊ फहुत भुसुकाता।।
दछछ न कछु ऩूछी कुसराता। ससतकह वफरोकक जये सफ गाता।।
सतीॊ जाइ दे िेउ तफ जागा। कतहुॉ न दीि सॊबु कय बागा।।
तफ सचत चढ़े उ जो सॊकय कहे ऊ। प्रबु अऩभानु सभुष्झ उय दहे ऊ।।

27
ऩासछर दि
ु ु न रृदमॉ अस ब्माऩा। जस मह बमउ भहा ऩरयताऩा।।
जयवऩ जग दारुन दि
ु नाना। सफ तईऄ ककठन जासत अवभाना।।
सभुष्झ सो ससतकह बमउ असत क्रोधा। फहु वफसध जननीॊ कीन्ह प्रफोधा।।
दो0-ससव अऩभानु न जाइ सकह रृदमॉ न होइ प्रफोध।
सकर सबकह हकठ हटकक तफ फोरीॊ फचन सक्रोध।।63।।
–*–*–
सुनहु सबासद सकर भुसनॊदा। कही सुनी ष्जन्ह सॊकय सनॊदा।।
सो परु तुयत रहफ सफ काहूॉ। बरी बाॉसत ऩसछताफ वऩताहूॉ।।
सॊत सॊबु श्रीऩसत अऩफादा। सुसनअ जहाॉ तहॉ असस भयजादा।।
काकटअ तासु जीब जो फसाई। श्रवन भूकद न त चसरअ ऩयाई।।
जगदातभा भहे सु ऩुयायी। जगत जनक सफ के कहतकायी।।
वऩता भॊदभसत सनॊदत तेही। दछछ सुक्र सॊबव मह दे ही।।
तष्जहउॉ तुयत दे ह तेकह हे तू। उय धरय चॊरभौसर फृषकेतू।।
अस ककह जोग असगसन तनु जाया। बमउ सकर भि हाहाकाया।।
दो0-सती भयनु सुसन सॊबु गन रगे कयन भि िीस।
जग्म वफधॊस वफरोकक बृगु यछछा कीष्न्ह भुनीस।।64।।
–*–*–
सभाचाय सफ सॊकय ऩाए। फीयबर ु करय कोऩ ऩठाए।।
जग्म वफधॊस जाइ सतन्ह कीन्हा। सकर सुयन्ह वफसधवत परु दीन्हा।।
बे जगवफकदत दछछ गसत सोई। जसस कछु सॊबु वफभुि कै होई।।
मह इसतहास सकर जग जानी। ताते भईआ सॊछेऩ फिानी।।
सतीॊ भयत हरय सन फरु भागा। जनभ जनभ ससव ऩद अनुयागा।।
तेकह कायन कहभसगरय गृह जाई। जनभीॊ ऩायफती तनु ऩाई।।
जफ तईऄ उभा सैर गृह जाईं। सकर ससवद्ध सॊऩसत तहॉ छाई।।
जहॉ तहॉ भुसनन्ह सुआश्रभ कीन्हे । उसचत फास कहभ बूधय दीन्हे ।।
दो0-सदा सुभन पर सकहत सफ रभ
ु नव नाना जासत।

प्रगटीॊ सुॊदय सैर ऩय भसन आकय फहु बाॉसत।।65।।


–*–*–
सरयता सफ ऩुसनत जरु फहहीॊ। िग भृग भधुऩ सुिी सफ यहहीॊ।।
सहज फमरु सफ जीवन्ह त्मागा। सगरय ऩय सकर कयकहॊ अनुयागा।।
सोह सैर सगरयजा गृह आएॉ। ष्जसभ जनु याभबगसत के ऩाएॉ।।
सनत नूतन भॊगर गृह तासू। ब्रह्माकदक गावकहॊ जसु जासू।।

28
नायद सभाचाय सफ ऩाए। कौतुकहीॊ सगरय गेह ससधाए।।
सैरयाज फड़ आदय कीन्हा। ऩद ऩिारय फय आसनु दीन्हा।।
नारय सकहत भुसन ऩद ससरु नावा। चयन ससरर सफु बवनु ससॊचावा।।
सनज सौबाग्म फहुत सगरय फयना। सुता फोसर भेरी भुसन चयना।।
दो0-वत्रकारग्म सफाग्म तुम्ह गसत सफात्र तुम्हारय।।
कहहु सुता के दोष गुन भुसनफय रृदमॉ वफचारय।।66।।
–*–*–
कह भुसन वफहसस गूढ़ भृद ु फानी। सुता तुम्हारय सकर गुन िानी।।
सुॊदय सहज सुसीर समानी। नाभ उभा अॊवफका बवानी।।
सफ रछछन सॊऩन्न कुभायी। होइकह सॊतत वऩमकह वऩआयी।।
सदा अचर एकह कय अकहवाता। एकह तईऄ जसु ऩैहकहॊ वऩतु भाता।।
होइकह ऩूज्म सकर जग भाहीॊ। एकह सेवत कछु दर
ु ब
ा नाहीॊ।।
एकह कय नाभु सुसभरय सॊसाया। वत्रम चढ़हकहॉ ऩसतब्रत अससधाया।।
सैर सुरछछन सुता तुम्हायी। सुनहु जे अफ अवगुन दइ
ु चायी।।
अगुन अभान भातु वऩतु हीना। उदासीन सफ सॊसम छीना।।
दो0-जोगी जकटर अकाभ भन नगन अभॊगर फेष।।
अस स्वाभी एकह कहॉ सभसरकह ऩयी हस्त असस ये ि।।67।।
–*–*–
सुसन भुसन सगया सत्म ष्जमॉ जानी। दि
ु दॊ ऩसतकह उभा हयषानी।।
नायदहुॉ मह बेद ु न जाना। दसा एक सभुझफ वफरगाना।।
सकर सिीॊ सगरयजा सगरय भैना। ऩुरक सयीय बये जर नैना।।
होइ न भृषा दे वरयवष बाषा। उभा सो फचनु रृदमॉ धरय यािा।।
उऩजेउ ससव ऩद कभर सनेहू। सभरन ककठन भन बा सॊदेहू।।
जासन कुअवसरु प्रीसत दयु ाई। सिी उछॉ ग फैठी ऩुसन जाई।।
झूकठ न होइ दे वरयवष फानी। सोचकह दॊ ऩसत सिीॊ समानी।।
उय धरय धीय कहइ सगरययाऊ। कहहु नाथ का करयअ उऩाऊ।।
दो0-कह भुनीस कहभवॊत सुनु जो वफसध सरिा सरराय।
दे व दनुज नय नाग भुसन कोउ न भेटसनहाय।।68।।
–*–*–
तदवऩ एक भईआ कहउॉ उऩाई। होइ कयै जं दै उ सहाई।।
जस फरु भईआ फयनेउॉ तुम्ह ऩाहीॊ। सभरकह उभकह तस सॊसम नाहीॊ।।
जे जे फय के दोष फिाने। ते सफ ससव ऩकह भईआ अनुभाने।।
जं वफफाहु सॊकय सन होई। दोषउ गुन सभ कह सफु कोई।।

29
जं अकह सेज समन हरय कयहीॊ। फुध कछु सतन्ह कय दोषु न धयहीॊ।।
बानु कृ सानु सफा यस िाहीॊ। सतन्ह कहॉ भॊद कहत कोउ नाहीॊ।।
सुब अरु असुब ससरर सफ फहई। सुयसरय कोउ अऩुनीत न कहई।।
सभयथ कहुॉ नकहॊ दोषु गोसाई। यवफ ऩावक सुयसरय की नाई।।
दो0-जं अस कहससषा कयकहॊ नय जकड़ वफफेक असबभान।
ऩयकहॊ करऩ बरय नयक भहुॉ जीव कक ईस सभान।।69।।
–*–*–
सुयसरय जर कृ त फारुसन जाना। कफहुॉ न सॊत कयकहॊ तेकह ऩाना।।
सुयसरय सभरईऄ सो ऩावन जैसईऄ। ईस अनीसकह अॊतरु तैसईऄ।।
सॊबु सहज सभयथ बगवाना। एकह वफफाहॉ सफ वफसध कल्माना।।
दयु ायाध्म ऩै अहकहॊ भहे सू। आसुतोष ऩुसन ककएॉ करेसू।।
जं तऩु कयै कुभारय तुम्हायी। बाववउ भेकट सककहॊ वत्रऩुयायी।।
जयवऩ फय अनेक जग भाहीॊ। एकह कहॉ ससव तष्ज दस
ू य नाहीॊ।।
फय दामक प्रनतायसत बॊजन। कृ ऩाससॊधु सेवक भन यॊ जन।।
इष्छछत पर वफनु ससव अवयाधे। रकहअ न कोकट जोग जऩ साधईऄ।।
दो0-अस ककह नायद सुसभरय हरय सगरयजकह दीष्न्ह असीस।
होइकह मह कल्मान अफ सॊसम तजहु सगयीस।।70।।
–*–*–
ककह अस ब्रह्मबवन भुसन गमऊ। आसगर चरयत सुनहु जस बमऊ।।
ऩसतकह एकाॊत ऩाइ कह भैना। नाथ न भईआ सभुझे भुसन फैना।।
जं घरु फरु कुरु होइ अनूऩा। करयअ वफफाहु सुता अनुरुऩा।।
न त कन्मा फरु यहउ कुआयी। कॊत उभा भभ प्रानवऩआयी।।
जं न सभरकह फरु सगरयजकह जोगू। सगरय जड़ सहज ककहकह सफु रोगू।।
सोइ वफचारय ऩसत कये हु वफफाहू। जेकहॊ न फहोरय होइ उय दाहू।।
अस ककह ऩरय चयन धरय सीसा। फोरे सकहत सनेह सगयीसा।।
फरु ऩावक प्रगटै ससस भाहीॊ। नायद फचनु अन्मथा नाहीॊ।।
दो0-वप्रमा सोचु ऩरयहयहु सफु सुसभयहु श्रीबगवान।
ऩायफसतकह सनयभमउ जेकहॊ सोइ करयकह कल्मान।।71।।
–*–*–
अफ जौ तुम्हकह सुता ऩय नेहू। तौ अस जाइ ससिावन दे हू।।
कयै सो तऩु जेकहॊ सभरकहॊ भहे सू। आन उऩामॉ न सभटकह करेसू।।
नायद फचन सगबा सहे तू। सुॊदय सफ गुन सनसध फृषकेतू।।
अस वफचारय तुम्ह तजहु असॊका। सफकह बाॉसत सॊकरु अकरॊका।।

30
सुसन ऩसत फचन हयवष भन भाहीॊ। गई तुयत उकठ सगरयजा ऩाहीॊ।।
उभकह वफरोकक नमन बये फायी। सकहत सनेह गोद फैठायी।।
फायकहॊ फाय रेसत उय राई। गदगद कॊठ न कछु ककह जाई।।
जगत भातु सफाग्म बवानी। भातु सुिद फोरीॊ भृद ु फानी।।
दो0-सुनकह भातु भईआ दीि अस सऩन सुनावउॉ तोकह।
सुॊदय गौय सुवफप्रफय अस उऩदे सेउ भोकह।।72।।
–*–*–
कयकह जाइ तऩु सैरकुभायी। नायद कहा सो सत्म वफचायी।।
भातु वऩतकह ऩुसन मह भत बावा। तऩु सुिप्रद दि
ु दोष नसावा।।
तऩफर यचइ प्रऩॊच वफधाता। तऩफर वफकनु सकर जग त्राता।।
तऩफर सॊबु कयकहॊ सॊघाया। तऩफर सेषु धयइ भकहबाया।।
तऩ अधाय सफ सृवि बवानी। कयकह जाइ तऩु अस ष्जमॉ जानी।।
सुनत फचन वफससभत भहतायी। सऩन सुनामउ सगरयकह हॉ कायी।।
भातु वऩतुकह फहुवफसध सभुझाई। चरीॊ उभा तऩ कहत हयषाई।।
वप्रम ऩरयवाय वऩता अरु भाता। बए वफकर भुि आव न फाता।।
दो0-फेदससया भुसन आइ तफ सफकह कहा सभुझाइ।।
ऩायफती भकहभा सुनत यहे प्रफोधकह ऩाइ।।73।।
–*–*–
उय धरय उभा प्रानऩसत चयना। जाइ वफवऩन रागीॊ तऩु कयना।।
असत सुकुभाय न तनु तऩ जोगू। ऩसत ऩद सुसभरय तजेउ सफु बोगू।।
सनत नव चयन उऩज अनुयागा। वफसयी दे ह तऩकहॊ भनु रागा।।
सॊफत सहस भूर पर िाए। सागु िाइ सत फयष गवाॉए।।
कछु कदन बोजनु फारय फतासा। ककए ककठन कछु कदन उऩफासा।।
फेर ऩाती भकह ऩयइ सुिाई। तीसन सहस सॊफत सोई िाई।।
ऩुसन ऩरयहये सुिानेउ ऩयना। उभकह नाभ तफ बमउ अऩयना।।
दे ष्ि उभकह तऩ िीन सयीया। ब्रह्मसगया बै गगन गबीया।।
दो0-बमउ भनोयथ सुपर तव सुनु सगरयजाकुभारय।
ऩरयहरु दस ु ह करेस सफ अफ सभसरहकहॊ वत्रऩुयारय।।74।।
–*–*–
अस तऩु काहुॉ न कीन्ह बवानी। बउ अनेक धीय भुसन ग्मानी।।
अफ उय धयहु ब्रह्म फय फानी। सत्म सदा सॊतत सुसच जानी।।
आवै वऩता फोरावन जफहीॊ। हठ ऩरयहरय घय जाएहु तफहीॊ।।
सभरकहॊ तुम्हकह जफ सप्त रयषीसा। जानेहु तफ प्रभान फागीसा।।

31
सुनत सगया वफसध गगन फिानी। ऩुरक गात सगरयजा हयषानी।।
उभा चरयत सुॊदय भईआ गावा। सुनहु सॊबु कय चरयत सुहावा।।
जफ तईऄ सती जाइ तनु त्मागा। तफ सईऄ ससव भन बमउ वफयागा।।
जऩकहॊ सदा यघुनामक नाभा। जहॉ तहॉ सुनकहॊ याभ गुन ग्राभा।।
दो0-सचदानन्द सुिधाभ ससव वफगत भोह भद काभ।
वफचयकहॊ भकह धरय रृदमॉ हरय सकर रोक असबयाभ।।75।।
–*–*–
कतहुॉ भुसनन्ह उऩदे सकहॊ ग्माना। कतहुॉ याभ गुन कयकहॊ फिाना।।
जदवऩ अकाभ तदवऩ बगवाना। बगत वफयह दि
ु दष्ु ित सुजाना।।
एकह वफसध गमउ कारु फहु फीती। सनत नै होइ याभ ऩद प्रीती।।
नैभु प्रेभु सॊकय कय दे िा। अवफचर रृदमॉ बगसत कै ये िा।।
प्रगटै याभु कृ तग्म कृ ऩारा। रूऩ सीर सनसध तेज वफसारा।।
फहु प्रकाय सॊकयकह सयाहा। तुम्ह वफनु अस ब्रतु को सनयफाहा।।
फहुवफसध याभ ससवकह सभुझावा। ऩायफती कय जन्भु सुनावा।।
असत ऩुनीत सगरयजा कै कयनी। वफस्तय सकहत कृ ऩासनसध फयनी।।
दो0-अफ वफनती भभ सुनेहु ससव जं भो ऩय सनज नेहु।
जाइ वफफाहहु सैरजकह मह भोकह भागईऄ दे हु।।76।।
–*–*–

कह ससव जदवऩ उसचत अस नाहीॊ। नाथ फचन ऩुसन भेकट न जाहीॊ।।


ससय धरय आमसु करयअ तुम्हाया। ऩयभ धयभु मह नाथ हभाया।।
भातु वऩता गुय प्रबु कै फानी। वफनकहॊ वफचाय करयअ सुब जानी।।
तुम्ह सफ बाॉसत ऩयभ कहतकायी। अग्मा ससय ऩय नाथ तुम्हायी।।
प्रबु तोषेउ सुसन सॊकय फचना। बवि वफफेक धभा जुत यचना।।
कह प्रबु हय तुम्हाय ऩन यहे ऊ। अफ उय यािेहु जो हभ कहे ऊ।।
अॊतयधान बए अस बाषी। सॊकय सोइ भूयसत उय यािी।।
तफकहॊ सप्तरयवष ससव ऩकहॊ आए। फोरे प्रबु असत फचन सुहाए।।
दो0-ऩायफती ऩकहॊ जाइ तुम्ह प्रेभ ऩरयछछा रेहु।
सगरयकह प्रेरय ऩठएहु बवन दरू य कये हु सॊदेहु।।77।।
–*–*–
रयवषन्ह गौरय दे िी तहॉ कैसी। भूयसतभॊत तऩस्मा जैसी।।
फोरे भुसन सुनु सैरकुभायी। कयहु कवन कायन तऩु बायी।।
केकह अवयाधहु का तुम्ह चहहू। हभ सन सत्म भयभु ककन कहहू।।

32
कहत फचत भनु असत सकुचाई। हॉ ससहहु सुसन हभारय जड़ताई।।
भनु हठ ऩया न सुनइ ससिावा। चहत फारय ऩय बीसत उठावा।।
नायद कहा सत्म सोइ जाना। वफनु ऩॊिन्ह हभ चहकहॊ उड़ाना।।
दे िहु भुसन अवफफेकु हभाया। चाकहअ सदा ससवकह बयताया।।
दो0-सुनत फचन वफहसे रयषम सगरयसॊबव तफ दे ह।
नायद कय उऩदे सु सुसन कहहु फसेउ ककसु गेह।।78।।
–*–*–
दछछसुतन्ह उऩदे सेष्न्ह जाई। सतन्ह कपरय बवनु न दे िा आई।।
सचत्रकेतु कय घरु उन घारा। कनककससऩु कय ऩुसन अस हारा।।
नायद ससि जे सुनकहॊ नय नायी। अवसस होकहॊ तष्ज बवनु सबिायी।।
भन कऩटी तन सज्जन चीन्हा। आऩु सरयस सफही चह कीन्हा।।
तेकह कईऄ फचन भासन वफस्वासा। तुम्ह चाहहु ऩसत सहज उदासा।।
सनगुन
ा सनरज कुफेष कऩारी। अकुर अगेह कदगॊफय ब्मारी।।
कहहु कवन सुिु अस फरु ऩाएॉ। बर बूसरहु ठग के फौयाएॉ।।
ऩॊच कहईऄ ससवॉ सती वफफाही। ऩुसन अवडे रय भयाएष्न्ह ताही।।
दो0-अफ सुि सोवत सोचु नकह बीि भासग बव िाकहॊ ।
सहज एकाककन्ह के बवन कफहुॉ कक नारय िटाकहॊ ।।79।।
–*–*–
अजहूॉ भानहु कहा हभाया। हभ तुम्ह कहुॉ फरु नीक वफचाया।।
असत सुॊदय सुसच सुिद सुसीरा। गावकहॊ फेद जासु जस रीरा।।
दष
ू न यकहत सकर गुन यासी। श्रीऩसत ऩुय फैकुॊठ सनवासी।।
अस फरु तुम्हकह सभराउफ आनी। सुनत वफहसस कह फचन बवानी।।
सत्म कहे हु सगरयबव तनु एहा। हठ न छूट छूटै फरु दे हा।।
कनकउ ऩुसन ऩषान तईऄ होई। जाये हुॉ सहजु न ऩरयहय सोई।।
नायद फचन न भईआ ऩरयहयऊॉ। फसउ बवनु उजयउ नकहॊ डयऊॉ।।
गुय कईऄ फचन प्रतीसत न जेही। सऩनेहुॉ सुगभ न सुि सससध तेही।।
दो0-भहादे व अवगुन बवन वफकनु सकर गुन धाभ।
जेकह कय भनु यभ जाकह सन तेकह तेही सन काभ।।80।।
–*–*–
जं तुम्ह सभरतेहु प्रथभ भुनीसा। सुनसतउॉ ससि तुम्हारय धरय सीसा।।
अफ भईआ जन्भु सॊबु कहत हाया। को गुन दष
ू न कयै वफचाया।।
जं तुम्हये हठ रृदमॉ वफसेषी। यकह न जाइ वफनु ककएॉ फये षी।।
तौ कौतुककअन्ह आरसु नाहीॊ। फय कन्मा अनेक जग भाहीॊ।।

33
जन्भ कोकट रसग यगय हभायी। फयउॉ सॊबु न त यहउॉ कुआयी।।
तजउॉ न नायद कय उऩदे सू। आऩु कहकह सत फाय भहे सू।।
भईआ ऩा ऩयउॉ कहइ जगदॊ फा। तुम्ह गृह गवनहु बमउ वफरॊफा।।
दे ष्ि प्रेभु फोरे भुसन ग्मानी। जम जम जगदॊ वफके बवानी।।
दो0-तुम्ह भामा बगवान ससव सकर जगत वऩतु भातु।
नाइ चयन ससय भुसन चरे ऩुसन ऩुसन हयषत गातु।।81।।
–*–*–
जाइ भुसनन्ह कहभवॊतु ऩठाए। करय वफनती सगयजकहॊ गृह ल्माए।।
फहुरय सप्तरयवष ससव ऩकहॊ जाई। कथा उभा कै सकर सुनाई।।
बए भगन ससव सुनत सनेहा। हयवष सप्तरयवष गवने गेहा।।
भनु सथय करय तफ सॊबु सुजाना। रगे कयन यघुनामक ध्माना।।
तायकु असुय बमउ तेकह कारा। बुज प्रताऩ फर तेज वफसारा।।
तईऄकह सफ रोक रोकऩसत जीते। बए दे व सुि सॊऩसत यीते।।
अजय अभय सो जीसत न जाई। हाये सुय करय वफवफध रयाई।।
तफ वफयॊ सच सन जाइ ऩुकाये । दे िे वफसध सफ दे व दि
ु ाये ।।
दो0-सफ सन कहा फुझाइ वफसध दनुज सनधन तफ होइ।
सॊबु सुक्र सॊबूत सुत एकह जीतइ यन सोइ।।82।।
–*–*–
भोय कहा सुसन कयहु उऩाई। होइकह ईस्वय करयकह सहाई।।
सतीॊ जो तजी दछछ भि दे हा। जनभी जाइ कहभाचर गेहा।।
तेकहॊ तऩु कीन्ह सॊबु ऩसत रागी। ससव सभासध फैठे सफु त्मागी।।
जदवऩ अहइ असभॊजस बायी। तदवऩ फात एक सुनहु हभायी।।
ऩठवहु काभु जाइ ससव ऩाहीॊ। कयै छोबु सॊकय भन भाहीॊ।।
तफ हभ जाइ ससवकह ससय नाई। कयवाउफ वफफाहु फरयआई।।
एकह वफसध बरेकह दे वकहत होई। भय असत नीक कहइ सफु कोई।।
अस्तुसत सुयन्ह कीष्न्ह असत हे तू। प्रगटे उ वफषभफान झषकेतू।।
दो0-सुयन्ह कहीॊ सनज वफऩसत सफ सुसन भन कीन्ह वफचाय।
सॊबु वफयोध न कुसर भोकह वफहसस कहे उ अस भाय।।83।।
–*–*–
तदवऩ कयफ भईआ काजु तुम्हाया। श्रुसत कह ऩयभ धयभ उऩकाया।।
ऩय कहत रासग तजइ जो दे ही। सॊतत सॊत प्रसॊसकहॊ तेही।।
अस ककह चरेउ सफकह ससरु नाई। सुभन धनुष कय सकहत सहाई।।
चरत भाय अस रृदमॉ वफचाया। ससव वफयोध ध्रुव भयनु हभाया।।

34
तफ आऩन प्रबाउ वफस्ताया। सनज फस कीन्ह सकर सॊसाया।।
कोऩेउ जफकह फारयचयकेतू। छन भहुॉ सभटे सकर श्रुसत सेतू।।
ब्रह्मचजा ब्रत सॊजभ नाना। धीयज धयभ ग्मान वफग्माना।।
सदाचाय जऩ जोग वफयागा। सबम वफफेक कटकु सफ बागा।।
छॊ 0-बागेउ वफफेक सहाम सकहत सो सुबट सॊजुग भकह भुये।
सदग्रॊथ ऩफात कॊदयष्न्ह भहुॉ जाइ तेकह अवसय दयु े ।।
होसनहाय का कयताय को यिवाय जग ियबरु ऩया।
दइ
ु भाथ केकह यसतनाथ जेकह कहुॉ कोवऩ कय धनु सरु धया।।
दो0-जे सजीव जग अचय चय नारय ऩुरुष अस नाभ।
ते सनज सनज भयजाद तष्ज बए सकर फस काभ।।84।।
–*–*–
सफ के रृदमॉ भदन असबराषा। रता सनहारय नवकहॊ तरु सािा।।
नदीॊ उभसग अॊफुसध कहुॉ धाई। सॊगभ कयकहॊ तराव तराई।।
जहॉ असस दसा जड़न्ह कै फयनी। को ककह सकइ सचेतन कयनी।।
ऩसु ऩछछी नब जर थरचायी। बए काभफस सभम वफसायी।।
भदन अॊध ब्माकुर सफ रोका। सनसस कदनु नकहॊ अवरोककहॊ कोका।।
दे व दनुज नय ककॊनय ब्मारा। प्रेत वऩसाच बूत फेतारा।।
इन्ह कै दसा न कहे उॉ फिानी। सदा काभ के चेये जानी।।
ससद्ध वफयि भहाभुसन जोगी। तेवऩ काभफस बए वफमोगी।।
छॊ 0-बए काभफस जोगीस ताऩस ऩावॉयष्न्ह की को कहै ।
दे िकहॊ चयाचय नारयभम जे ब्रह्मभम दे ित यहे ।।
अफरा वफरोककहॊ ऩुरुषभम जगु ऩुरुष सफ अफराभमॊ।
दइ
ु दॊ ड बरय ब्रह्माॊड बीतय काभकृ त कौतुक अमॊ।।
सो0-धयी न काहूॉ सधय सफके भन भनससज हये ।
जे यािे यघुफीय ते उफये तेकह कार भहुॉ।।85।।

उबम घयी अस कौतुक बमऊ। जौ रसग काभु सॊबु ऩकहॊ गमऊ।।


ससवकह वफरोकक ससॊकेउ भारू। बमउ जथासथसत सफु सॊसारू।।
बए तुयत सफ जीव सुिाये । ष्जसभ भद उतरय गएॉ भतवाये ।।
रुरकह दे ष्ि भदन बम भाना। दयु ाधयष दग
ु भ
ा बगवाना।।
कपयत राज कछु करय नकहॊ जाई। भयनु ठासन भन यचेसस उऩाई।।
प्रगटे सस तुयत रुसचय रयतुयाजा। कुसुसभत नव तरु याष्ज वफयाजा।।
फन उऩफन फावऩका तड़ागा। ऩयभ सुबग सफ कदसा वफबागा।।

35
जहॉ तहॉ जनु उभगत अनुयागा। दे ष्ि भुएहुॉ भन भनससज जागा।।
छॊ 0-जागइ भनोबव भुएहुॉ भन फन सुबगता न ऩयै कही।
सीतर सुगॊध सुभॊद भारुत भदन अनर सिा सही।।
वफकसे सयष्न्ह फहु कॊज गुॊजत ऩुॊज भॊजुर भधुकया।
करहॊ स वऩक सुक सयस यव करय गान नाचकहॊ अऩछया।।
दो0-सकर करा करय कोकट वफसध हाये उ सेन सभेत।
चरी न अचर सभासध ससव कोऩेउ रृदमसनकेत।।86।।
–*–*–
दे ष्ि यसार वफटऩ फय सािा। तेकह ऩय चढ़े उ भदनु भन भािा।।
सुभन चाऩ सनज सय सॊधाने। असत रयस ताकक श्रवन रसग ताने।।
छाड़े वफषभ वफससि उय रागे। छुकट सभासध सॊबु तफ जागे।।
बमउ ईस भन छोबु वफसेषी। नमन उघारय सकर कदसस दे िी।।
सौयब ऩल्रव भदनु वफरोका। बमउ कोऩु कॊऩेउ त्रैरोका।।
तफ ससवॉ तीसय नमन उघाया। सचतवत काभु बमउ जरय छाया।।
हाहाकाय बमउ जग बायी। डयऩे सुय बए असुय सुिायी।।
सभुष्झ काभसुिु सोचकहॊ बोगी। बए अकॊटक साधक जोगी।।
छॊ 0-जोसग अकॊटक बए ऩसत गसत सुनत यसत भुरुसछत बई।
योदसत फदसत फहु बाॉसत करुना कयसत सॊकय ऩकहॊ गई।
असत प्रेभ करय वफनती वफवफध वफसध जोरय कय सन्भुि यही।
प्रबु आसुतोष कृ ऩार ससव अफरा सनयष्ि फोरे सही।।
दो0-अफ तईऄ यसत तव नाथ कय होइकह नाभु अनॊगु।
वफनु फऩु ब्मावऩकह सफकह ऩुसन सुनु सनज सभरन प्रसॊगु।।87।।
–*–*–
जफ जदफ ु ॊस कृ कन अवताया। होइकह हयन भहा भकहबाया।।
कृ कन तनम होइकह ऩसत तोया। फचनु अन्मथा होइ न भोया।।
यसत गवनी सुसन सॊकय फानी। कथा अऩय अफ कहउॉ फिानी।।
दे वन्ह सभाचाय सफ ऩाए। ब्रह्माकदक फैकुॊठ ससधाए।।
सफ सुय वफकनु वफयॊ सच सभेता। गए जहाॉ ससव कृ ऩासनकेता।।
ऩृथक ऩृथक सतन्ह कीष्न्ह प्रसॊसा। बए प्रसन्न चॊर अवतॊसा।।
फोरे कृ ऩाससॊधु फृषकेतू। कहहु अभय आए केकह हे तू।।
कह वफसध तुम्ह प्रबु अॊतयजाभी। तदवऩ बगसत फस वफनवउॉ स्वाभी।।
दो0-सकर सुयन्ह के रृदमॉ अस सॊकय ऩयभ उछाहु।
सनज नमनष्न्ह दे िा चहकहॊ नाथ तुम्हाय वफफाहु।।88।।

36
–*–*–
मह उत्सव दे ष्िअ बरय रोचन। सोइ कछु कयहु भदन भद भोचन।
काभु जारय यसत कहुॉ फरु दीन्हा। कृ ऩाससॊधु मह असत बर कीन्हा।।
साससत करय ऩुसन कयकहॊ ऩसाऊ। नाथ प्रबुन्ह कय सहज सुबाऊ।।
ऩायफतीॊ तऩु कीन्ह अऩाया। कयहु तासु अफ अॊगीकाया।।
सुसन वफसध वफनम सभुष्झ प्रबु फानी। ऐसेइ होउ कहा सुिु भानी।।
तफ दे वन्ह दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजाईं। फयवष सुभन जम जम सुय साई।।
अवसरु जासन सप्तरयवष आए। तुयतकहॊ वफसध सगरयबवन ऩठाए।।
प्रथभ गए जहॉ यही बवानी। फोरे भधुय फचन छर सानी।।
दो0-कहा हभाय न सुनेहु तफ नायद कईऄ उऩदे स।
अफ बा झूठ तुम्हाय ऩन जाये उ काभु भहे स।।89।।
भासऩायामण,तीसया ववश्राभ
–*–*–
सुसन फोरीॊ भुसकाइ बवानी। उसचत कहे हु भुसनफय वफग्मानी।।
तुम्हयईऄ जान काभु अफ जाया। अफ रसग सॊबु यहे सवफकाया।।
हभयईऄ जान सदा ससव जोगी। अज अनवय अकाभ अबोगी।।
जं भईआ ससव सेमे अस जानी। प्रीसत सभेत कभा भन फानी।।
तौ हभाय ऩन सुनहु भुनीसा। करयहकहॊ सत्म कृ ऩासनसध ईसा।।
तुम्ह जो कहा हय जाये उ भाया। सोइ असत फड़ अवफफेकु तुम्हाया।।
तात अनर कय सहज सुबाऊ। कहभ तेकह सनकट जाइ नकहॊ काऊ।।
गएॉ सभीऩ सो अवसस नसाई। असस भन्भथ भहे स की नाई।।
दो0-कहमॉ हयषे भुसन फचन सुसन दे ष्ि प्रीसत वफस्वास।।
चरे बवासनकह नाइ ससय गए कहभाचर ऩास।।90।।
–*–*–
सफु प्रसॊगु सगरयऩसतकह सुनावा। भदन दहन सुसन असत दि
ु ु ऩावा।।
फहुरय कहे उ यसत कय फयदाना। सुसन कहभवॊत फहुत सुिु भाना।।
रृदमॉ वफचारय सॊबु प्रबुताई। सादय भुसनफय सरए फोराई।।
सुकदनु सुनितु सुघयी सोचाई। फेसग फेदवफसध रगन धयाई।।
ऩत्री सप्तरयवषन्ह सोइ दीन्ही। गकह ऩद वफनम कहभाचर कीन्ही।।
जाइ वफसधकह दीष्न्ह सो ऩाती। फाचत प्रीसत न रृदमॉ सभाती।।
रगन फासच अज सफकह सुनाई। हयषे भुसन सफ सुय सभुदाई।।
सुभन फृवि नब फाजन फाजे। भॊगर करस दसहुॉ कदसस साजे।।
दो0- रगे सॉवायन सकर सुय फाहन वफवफध वफभान।

37
होकह सगुन भॊगर सुबद कयकहॊ अऩछया गान।।91।।
–*–*–

ससवकह सॊबु गन कयकहॊ ससॊगाया। जटा भुकुट अकह भौरु सॉवाया।।


कुॊडर कॊकन ऩकहये ब्मारा। तन वफबूसत ऩट केहरय छारा।।
ससस रराट सुॊदय ससय गॊगा। नमन तीसन उऩफीत बुजॊगा।।
गयर कॊठ उय नय ससय भारा। अससव फेष ससवधाभ कृ ऩारा।।
कय वत्रसूर अरु डभरु वफयाजा। चरे फसहॉ चकढ़ फाजकहॊ फाजा।।
दे ष्ि ससवकह सुयवत्रम भुसुकाहीॊ। फय रामक दर
ु कहसन जग नाहीॊ।।
वफकनु वफयॊ सच आकद सुयब्राता। चकढ़ चकढ़ फाहन चरे फयाता।।
सुय सभाज सफ बाॉसत अनूऩा। नकहॊ फयात दर
ू ह अनुरूऩा।।
दो0-वफकनु कहा अस वफहसस तफ फोसर सकर कदससयाज।
वफरग वफरग होइ चरहु सफ सनज सनज सकहत सभाज।।92।।
–*–*–
फय अनुहारय फयात न बाई। हॉ सी कयै हहु ऩय ऩुय जाई।।
वफकनु फचन सुसन सुय भुसकाने। सनज सनज सेन सकहत वफरगाने।।
भनहीॊ भन भहे सु भुसुकाहीॊ। हरय के वफॊग्म फचन नकहॊ जाहीॊ।।
असत वप्रम फचन सुनत वप्रम केये । बृॊसगकह प्रेरय सकर गन टे ये।।
ससव अनुसासन सुसन सफ आए। प्रबु ऩद जरज सीस सतन्ह नाए।।
नाना फाहन नाना फेषा। वफहसे ससव सभाज सनज दे िा।।
कोउ भुिहीन वफऩुर भुि काहू। वफनु ऩद कय कोउ फहु ऩद फाहू।।
वफऩुर नमन कोउ नमन वफहीना। रयिऩुि कोउ असत तनिीना।।
छॊ 0-तन िीन कोउ असत ऩीन ऩावन कोउ अऩावन गसत धयईऄ ।
बूषन कयार कऩार कय सफ सय सोसनत तन बयईऄ ।।
िय स्वान सुअय सृकार भुि गन फेष अगसनत को गनै।
फहु ष्जनस प्रेत वऩसाच जोसग जभात फयनत नकहॊ फनै।।
सो0-नाचकहॊ गावकहॊ गीत ऩयभ तयॊ गी बूत सफ।
दे ित असत वफऩयीत फोरकहॊ फचन वफसचत्र वफसध।।93।।
जस दर
ू हु तसस फनी फयाता। कौतुक वफवफध होकहॊ भग जाता।।
इहाॉ कहभाचर यचेउ वफताना। असत वफसचत्र नकहॊ जाइ फिाना।।
सैर सकर जहॉ रसग जग भाहीॊ। रघु वफसार नकहॊ फयसन ससयाहीॊ।।
फन सागय सफ नदीॊ तरावा। कहभसगरय सफ कहुॉ नेवत ऩठावा।।
काभरूऩ सुॊदय तन धायी। सकहत सभाज सकहत फय नायी।।

38
गए सकर तुकहनाचर गेहा। गावकहॊ भॊगर सकहत सनेहा।।
प्रथभकहॊ सगरय फहु गृह सॉवयाए। जथाजोगु तहॉ तहॉ सफ छाए।।
ऩुय सोबा अवरोकक सुहाई। रागइ रघु वफयॊ सच सनऩुनाई।।
छॊ 0-रघु राग वफसध की सनऩुनता अवरोकक ऩुय सोबा सही।
फन फाग कूऩ तड़ाग सरयता सुबग सफ सक को कही।।
भॊगर वफऩुर तोयन ऩताका केतु गृह गृह सोहहीॊ।।
फसनता ऩुरुष सुॊदय चतुय छवफ दे ष्ि भुसन भन भोहहीॊ।।
दो0-जगदॊ फा जहॉ अवतयी सो ऩुरु फयसन कक जाइ।
रयवद्ध ससवद्ध सॊऩवत्त सुि सनत नूतन असधकाइ।।94।।
–*–*–
नगय सनकट फयात सुसन आई। ऩुय ियबरु सोबा असधकाई।।
करय फनाव सष्ज फाहन नाना। चरे रेन सादय अगवाना।।
कहमॉ हयषे सुय सेन सनहायी। हरयकह दे ष्ि असत बए सुिायी।।
ससव सभाज जफ दे िन रागे। वफडरय चरे फाहन सफ बागे।।
धरय धीयजु तहॉ यहे समाने। फारक सफ रै जीव ऩयाने।।
गएॉ बवन ऩूछकहॊ वऩतु भाता। कहकहॊ फचन बम कॊवऩत गाता।।
ककहअ काह ककह जाइ न फाता। जभ कय धाय ककधं फरयआता।।
फरु फौयाह फसहॉ असवाया। ब्मार कऩार वफबूषन छाया।।
छॊ 0-तन छाय ब्मार कऩार बूषन नगन जकटर बमॊकया।
सॉग बूत प्रेत वऩसाच जोसगसन वफकट भुि यजनीचया।।
जो ष्जअत यकहकह फयात दे ित ऩुन्म फड़ तेकह कय सही।
दे ष्िकह सो उभा वफफाहु घय घय फात असस ररयकन्ह कही।।
दो0-सभुष्झ भहे स सभाज सफ जनसन जनक भुसुकाकहॊ ।
फार फुझाए वफवफध वफसध सनडय होहु डरु नाकहॊ ।।95।।
–*–*–
रै अगवान फयातकह आए। कदए सफकह जनवास सुहाए।।
भैनाॉ सुब आयती सॉवायी। सॊग सुभॊगर गावकहॊ नायी।।
कॊचन थाय सोह फय ऩानी। ऩरयछन चरी हयकह हयषानी।।
वफकट फेष रुरकह जफ दे िा। अफरन्ह उय बम बमउ वफसेषा।।
बासग बवन ऩैठीॊ असत त्रासा। गए भहे सु जहाॉ जनवासा।।
भैना रृदमॉ बमउ दि
ु ु बायी। रीन्ही फोसर सगयीसकुभायी।।
असधक सनेहॉ गोद फैठायी। स्माभ सयोज नमन बये फायी।।
जेकहॊ वफसध तुम्हकह रूऩु अस दीन्हा। तेकहॊ जड़ फरु फाउय कस कीन्हा।।

39
छॊ 0- कस कीन्ह फरु फौयाह वफसध जेकहॊ तुम्हकह सुॊदयता दई।
जो परु चकहअ सुयतरुकहॊ सो फयफस फफूयकहॊ रागई।।
तुम्ह सकहत सगरय तईऄ सगयं ऩावक जयं जरसनसध भहुॉ ऩयं।।
घरु जाउ अऩजसु होउ जग जीवत वफफाहु न हं कयं।।
दो0-बई वफकर अफरा सकर दष्ु ित दे ष्ि सगरयनारय।
करय वफराऩु योदसत फदसत सुता सनेहु सॉबारय।।96।।
–*–*–
नायद कय भईआ काह वफगाया। बवनु भोय ष्जन्ह फसत उजाया।।
अस उऩदे सु उभकह ष्जन्ह दीन्हा। फौये फयकह रसग तऩु कीन्हा।।
साचेहुॉ उन्ह के भोह न भामा। उदासीन धनु धाभु न जामा।।
ऩय घय घारक राज न बीया। फाझॉ कक जान प्रसव कईआ ऩीया।।
जनसनकह वफकर वफरोकक बवानी। फोरी जुत वफफेक भृद ु फानी।।
अस वफचारय सोचकह भसत भाता। सो न टयइ जो यचइ वफधाता।।
कयभ सरिा जौ फाउय नाहू। तौ कत दोसु रगाइअ काहू।।

तुम्ह सन सभटकहॊ कक वफसध के अॊका। भातु ब्मथा जसन रेहु करॊका।।


छॊ 0-जसन रेहु भातु करॊकु करुना ऩरयहयहु अवसय नहीॊ।
दि
ु ु सुिु जो सरिा सरराय हभयईऄ जाफ जहॉ ऩाउफ तहीॊ।।
सुसन उभा फचन वफनीत कोभर सकर अफरा सोचहीॊ।।
फहु बाॉसत वफसधकह रगाइ दष
ू न नमन फारय वफभोचहीॊ।।
दो0-तेकह अवसय नायद सकहत अरु रयवष सप्त सभेत।
सभाचाय सुसन तुकहनसगरय गवने तुयत सनकेत।।97।।
–*–*–
तफ नायद सफकह सभुझावा। ऩूरुफ कथाप्रसॊगु सुनावा।।
भमना सत्म सुनहु भभ फानी। जगदॊ फा तव सुता बवानी।।
अजा अनाकद सवि अवफनासससन। सदा सॊबु अयधॊग सनवासससन।।
जग सॊबव ऩारन रम कारयसन। सनज इछछा रीरा फऩु धारयसन।।
जनभीॊ प्रथभ दछछ गृह जाई। नाभु सती सुॊदय तनु ऩाई।।
तहॉ हुॉ सती सॊकयकह वफफाहीॊ। कथा प्रससद्ध सकर जग भाहीॊ।।
एक फाय आवत ससव सॊगा। दे िेउ यघुकुर कभर ऩतॊगा।।
बमउ भोहु ससव कहा न कीन्हा। र्भ्भ फस फेषु सीम कय रीन्हा।।
छॊ 0-ससम फेषु सती जो कीन्ह तेकह अऩयाध सॊकय ऩरयहयीॊ।
हय वफयहॉ जाइ फहोरय वऩतु कईऄ जग्म जोगानर जयीॊ।।

40
अफ जनसभ तुम्हये बवन सनज ऩसत रासग दारुन तऩु ककमा।
अस जासन सॊसम तजहु सगरयजा सफादा सॊकय वप्रमा।।
दो0-सुसन नायद के फचन तफ सफ कय सभटा वफषाद।
छन भहुॉ ब्माऩेउ सकर ऩुय घय घय मह सॊफाद।।98।।
–*–*–
तफ भमना कहभवॊतु अनॊदे। ऩुसन ऩुसन ऩायफती ऩद फॊदे।।
नारय ऩुरुष सससु जुफा समाने। नगय रोग सफ असत हयषाने।।
रगे होन ऩुय भॊगरगाना। सजे सफकह हाटक घट नाना।।
बाॉसत अनेक बई जेवयाना। सूऩसास्त्र जस कछु ब्मवहाया।।
सो जेवनाय कक जाइ फिानी। फसकहॊ बवन जेकहॊ भातु बवानी।।
सादय फोरे सकर फयाती। वफकनु वफयॊ सच दे व सफ जाती।।
वफवफसध ऩाॉसत फैठी जेवनाया। रागे ऩरुसन सनऩुन सुआया।।
नारयफृॊद सुय जेवॉत जानी। रगीॊ दे न गायीॊ भृद ु फानी।।
छॊ 0-गायीॊ भधुय स्वय दे कहॊ सुॊदरय वफॊग्म फचन सुनावहीॊ।
बोजनु कयकहॊ सुय असत वफरॊफु वफनोद ु सुसन सचु ऩावहीॊ।।
जेवॉत जो फढ़्मो अनॊद ु सो भुि कोकटहूॉ न ऩयै कह्यो।
अचवाॉइ दीन्हे ऩान गवने फास जहॉ जाको यह्यो।।
दो0-फहुरय भुसनन्ह कहभवॊत कहुॉ रगन सुनाई आइ।
सभम वफरोकक वफफाह कय ऩठए दे व फोराइ।।99।।
–*–*–
फोसर सकर सुय सादय रीन्हे । सफकह जथोसचत आसन दीन्हे ।।
फेदी फेद वफधान सॉवायी। सुबग सुभॊगर गावकहॊ नायी।।
ससॊघासनु असत कदब्म सुहावा। जाइ न फयसन वफयॊ सच फनावा।।
फैठे ससव वफप्रन्ह ससरु नाई। रृदमॉ सुसभरय सनज प्रबु यघुयाई।।
फहुरय भुनीसन्ह उभा फोराई। करय ससॊगारु सिीॊ रै आई।।
दे ित रूऩु सकर सुय भोहे । फयनै छवफ अस जग कवफ को है ।।
जगदॊ वफका जासन बव बाभा। सुयन्ह भनकहॊ भन कीन्ह प्रनाभा।।
सुॊदयता भयजाद बवानी। जाइ न कोकटहुॉ फदन फिानी।।
छॊ 0-कोकटहुॉ फदन नकहॊ फनै फयनत जग जनसन सोबा भहा।
सकुचकहॊ कहत श्रुसत सेष सायद भॊदभसत तुरसी कहा।।
छवफिासन भातु बवासन गवनी भध्म भॊडऩ ससव जहाॉ।।
अवरोकक सककहॊ न सकुच ऩसत ऩद कभर भनु भधुकरु तहाॉ।।
दो0-भुसन अनुसासन गनऩसतकह ऩूजेउ सॊबु बवासन।

41
कोउ सुसन सॊसम कयै जसन सुय अनाकद ष्जमॉ जासन।।100।।
–*–*–

जसस वफफाह कै वफसध श्रुसत गाई। भहाभुसनन्ह सो सफ कयवाई।।


गकह सगयीस कुस कन्मा ऩानी। बवकह सभयऩीॊ जासन बवानी।।
ऩासनग्रहन जफ कीन्ह भहे सा। कहॊ मॉ हयषे तफ सकर सुयेसा।।
फेद भॊत्र भुसनफय उछचयहीॊ। जम जम जम सॊकय सुय कयहीॊ।।
फाजकहॊ फाजन वफवफध वफधाना। सुभनफृवि नब बै वफसध नाना।।
हय सगरयजा कय बमउ वफफाहू। सकर बुवन बरय यहा उछाहू।।
दासीॊ दास तुयग यथ नागा। धेनु फसन भसन फस्तु वफबागा।।
अन्न कनकबाजन बरय जाना। दाइज दीन्ह न जाइ फिाना।।
छॊ 0-दाइज कदमो फहु बाॉसत ऩुसन कय जोरय कहभबूधय कह्यो।
का दे उॉ ऩूयनकाभ सॊकय चयन ऩॊकज गकह यह्यो।।
ससवॉ कृ ऩासागय ससुय कय सॊतोषु सफ बाॉसतकहॊ ककमो।
ऩुसन गहे ऩद ऩाथोज भमनाॉ प्रेभ ऩरयऩूयन कहमो।।
दो0-नाथ उभा भन प्रान सभ गृहककॊकयी कये हु।
छभेहु सकर अऩयाध अफ होइ प्रसन्न फरु दे हु।।101।।
–*–*–
फहु वफसध सॊबु सास सभुझाई। गवनी बवन चयन ससरु नाई।।
जननीॊ उभा फोसर तफ रीन्ही। रै उछॊ ग सुॊदय ससि दीन्ही।।
कये हु सदा सॊकय ऩद ऩूजा। नारयधयभु ऩसत दे उ न दज
ू ा।।
फचन कहत बये रोचन फायी। फहुरय राइ उय रीष्न्ह कुभायी।।
कत वफसध सृजीॊ नारय जग भाहीॊ। ऩयाधीन सऩनेहुॉ सुिु नाहीॊ।।
बै असत प्रेभ वफकर भहतायी। धीयजु कीन्ह कुसभम वफचायी।।
ऩुसन ऩुसन सभरसत ऩयसत गकह चयना। ऩयभ प्रेभ कछु जाइ न फयना।।
सफ नारयन्ह सभसर बेकट बवानी। जाइ जनसन उय ऩुसन रऩटानी।।
छॊ 0-जनसनकह फहुरय सभसर चरी उसचत असीस सफ काहूॉ दईं।
कपरय कपरय वफरोकसत भातु तन तफ सिीॊ रै ससव ऩकहॊ गई।।
जाचक सकर सॊतोवष सॊकरु उभा सकहत बवन चरे।
सफ अभय हयषे सुभन फयवष सनसान नब फाजे बरे।।
दो0-चरे सॊग कहभवॊतु तफ ऩहुॉचावन असत हे तु।
वफवफध बाॉसत ऩरयतोषु करय वफदा कीन्ह फृषकेतु।।102।।
–*–*–

42
तुयत बवन आए सगरययाई। सकर सैर सय सरए फोराई।।
आदय दान वफनम फहुभाना। सफ कय वफदा कीन्ह कहभवाना।।
जफकहॊ सॊबु कैरासकहॊ आए। सुय सफ सनज सनज रोक ससधाए।।
जगत भातु वऩतु सॊबु बवानी। तेही ससॊगारु न कहउॉ फिानी।।
कयकहॊ वफवफध वफसध बोग वफरासा। गनन्ह सभेत फसकहॊ कैरासा।।
हय सगरयजा वफहाय सनत नमऊ। एकह वफसध वफऩुर कार चसर गमऊ।।
तफ जनभेउ षटफदन कुभाया। तायकु असुय सभय जेकहॊ भाया।।
आगभ सनगभ प्रससद्ध ऩुयाना। षन्भुि जन्भु सकर जग जाना।।
छॊ 0-जगु जान षन्भुि जन्भु कभुा प्रताऩु ऩुरुषायथु भहा।
तेकह हे तु भईआ फृषकेतु सुत कय चरयत सॊछेऩकहॊ कहा।।
मह उभा सॊगु वफफाहु जे नय नारय कहकहॊ जे गावहीॊ।
कल्मान काज वफफाह भॊगर सफादा सुिु ऩावहीॊ।।
दो0-चरयत ससॊधु सगरयजा यभन फेद न ऩावकहॊ ऩारु।
फयनै तुरसीदासु ककसभ असत भसतभॊद गवाॉरु।।103।।
–*–*–

सॊबु चरयत सुसन सयस सुहावा। बयद्वाज भुसन असत सुि ऩावा।।
फहु रारसा कथा ऩय फाढ़ी। नमनष्न्ह नीरु योभावसर ठाढ़ी।।
प्रेभ वफफस भुि आव न फानी। दसा दे ष्ि हयषे भुसन ग्मानी।।
अहो धन्म तव जन्भु भुनीसा। तुम्हकह प्रान सभ वप्रम गौयीसा।।
ससव ऩद कभर ष्जन्हकह यसत नाहीॊ। याभकह ते सऩनेहुॉ न सोहाहीॊ।।
वफनु छर वफस्वनाथ ऩद नेहू। याभ बगत कय रछछन एहू।।
ससव सभ को यघुऩसत ब्रतधायी। वफनु अघ तजी सती असस नायी।।
ऩनु करय यघुऩसत बगसत दे िाई। को ससव सभ याभकह वप्रम बाई।।
दो0-प्रथभकहॊ भै ककह ससव चरयत फूझा भयभु तुम्हाय।
सुसच सेवक तुम्ह याभ के यकहत सभस्त वफकाय।।104।।
–*–*–
भईआ जाना तुम्हाय गुन सीरा। कहउॉ सुनहु अफ यघुऩसत रीरा।।
सुनु भुसन आजु सभागभ तोयईऄ । ककह न जाइ जस सुिु भन भोयईऄ ।।
याभ चरयत असत असभत भुसनसा। ककह न सककहॊ सत कोकट अहीसा।।
तदवऩ जथाश्रुत कहउॉ फिानी। सुसभरय सगयाऩसत प्रबु धनुऩानी।।
सायद दारुनारय सभ स्वाभी। याभु सूत्रधय अॊतयजाभी।।
जेकह ऩय कृ ऩा कयकहॊ जनु जानी। कवफ उय अष्जय नचावकहॊ फानी।।

43
प्रनवउॉ सोइ कृ ऩार यघुनाथा। फयनउॉ वफसद तासु गुन गाथा।।
ऩयभ यम्म सगरयफरु कैरासू। सदा जहाॉ ससव उभा सनवासू।।
दो0-ससद्ध तऩोधन जोसगजन सूय ककॊनय भुसनफृॊद।
फसकहॊ तहाॉ सुकृती सकर सेवकहॊ ससफ सुिकॊद।।105।।
–*–*–
हरय हय वफभुि धभा यसत नाहीॊ। ते नय तहॉ सऩनेहुॉ नकहॊ जाहीॊ।।
तेकह सगरय ऩय फट वफटऩ वफसारा। सनत नूतन सुॊदय सफ कारा।।
वत्रवफध सभीय सुसीतसर छामा। ससव वफश्राभ वफटऩ श्रुसत गामा।।
एक फाय तेकह तय प्रबु गमऊ। तरु वफरोकक उय असत सुिु बमऊ।।
सनज कय डासस नागरयऩु छारा। फैठै सहजकहॊ सॊबु कृ ऩारा।।
कुॊद इॊ द ु दय गौय सयीया। बुज प्ररॊफ ऩरयधन भुसनचीया।।
तरुन अरुन अॊफुज सभ चयना। नि दसु त बगत रृदम तभ हयना।।
बुजग बूसत बूषन वत्रऩुयायी। आननु सयद चॊद छवफ हायी।।
दो0-जटा भुकुट सुयसरयत ससय रोचन नसरन वफसार।
नीरकॊठ रावन्मसनसध सोह फारवफधु बार।।106।।
–*–*–
फैठे सोह काभरयऩु कैसईऄ। धयईऄ सयीरु साॊतयसु जैसईऄ।।
ऩायफती बर अवसरु जानी। गई सॊबु ऩकहॊ भातु बवानी।।
जासन वप्रमा आदरु असत कीन्हा। फाभ बाग आसनु हय दीन्हा।।
फैठीॊ ससव सभीऩ हयषाई। ऩूरुफ जन्भ कथा सचत आई।।
ऩसत कहमॉ हे तु असधक अनुभानी। वफहसस उभा फोरीॊ वप्रम फानी।।
कथा जो सकर रोक कहतकायी। सोइ ऩूछन चह सैरकुभायी।।
वफस्वनाथ भभ नाथ ऩुयायी। वत्रबुवन भकहभा वफकदत तुम्हायी।।
चय अरु अचय नाग नय दे वा। सकर कयकहॊ ऩद ऩॊकज सेवा।।
दो0-प्रबु सभयथ सफाग्म ससव सकर करा गुन धाभ।।
जोग ग्मान फैयाग्म सनसध प्रनत करऩतरु नाभ।।107।।
–*–*–
जं भो ऩय प्रसन्न सुियासी। जासनअ सत्म भोकह सनज दासी।।
तं प्रबु हयहु भोय अग्माना। ककह यघुनाथ कथा वफसध नाना।।
जासु बवनु सुयतरु तय होई। सकह कक दरयर जसनत दि
ु ु सोई।।
सससबूषन अस रृदमॉ वफचायी। हयहु नाथ भभ भसत र्भ्भ बायी।।
प्रबु जे भुसन ऩयभायथफादी। कहकहॊ याभ कहुॉ ब्रह्म अनादी।।
सेस सायदा फेद ऩुयाना। सकर कयकहॊ यघुऩसत गुन गाना।।

44
तुम्ह ऩुसन याभ याभ कदन याती। सादय जऩहु अनॉग आयाती।।
याभु सो अवध नृऩसत सुत सोई। की अज अगुन अरिगसत कोई।।
दो0-जं नृऩ तनम त ब्रह्म ककसभ नारय वफयहॉ भसत बोरय।
दे ि चरयत भकहभा सुनत र्भ्भसत फुवद्ध असत भोरय।।108।।
–*–*–
जं अनीह ब्माऩक वफबु कोऊ। कफहु फुझाइ नाथ भोकह सोऊ।।
अग्म जासन रयस उय जसन धयहू। जेकह वफसध भोह सभटै सोइ कयहू।।
भै फन दीष्ि याभ प्रबुताई। असत बम वफकर न तुम्हकह सुनाई।।
तदवऩ भसरन भन फोधु न आवा। सो परु बरी बाॉसत हभ ऩावा।।
अजहूॉ कछु सॊसउ भन भोये । कयहु कृ ऩा वफनवउॉ कय जोयईऄ ।।
प्रबु तफ भोकह फहु बाॉसत प्रफोधा। नाथ सो सभुष्झ कयहु जसन क्रोधा।।
तफ कय अस वफभोह अफ नाहीॊ। याभकथा ऩय रुसच भन भाहीॊ।।
कहहु ऩुनीत याभ गुन गाथा। बुजगयाज बूषन सुयनाथा।।
दो0-फॊदउ ऩद धरय धयसन ससरु वफनम कयउॉ कय जोरय।
फयनहु यघुफय वफसद जसु श्रुसत ससद्धाॊत सनचोरय।।109।।
–*–*–
जदवऩ जोवषता नकहॊ असधकायी। दासी भन क्रभ फचन तुम्हायी।।
गूढ़उ तत्व न साधु दयु ावकहॊ । आयत असधकायी जहॉ ऩावकहॊ ।।
असत आयसत ऩूछउॉ सुययामा। यघुऩसत कथा कहहु करय दामा।।
प्रथभ सो कायन कहहु वफचायी। सनगुन
ा ब्रह्म सगुन फऩु धायी।।
ऩुसन प्रबु कहहु याभ अवताया। फारचरयत ऩुसन कहहु उदाया।।
कहहु जथा जानकी वफफाहीॊ। याज तजा सो दष
ू न काहीॊ।।
फन फसस कीन्हे चरयत अऩाया। कहहु नाथ ष्जसभ यावन भाया।।
याज फैकठ कीन्हीॊ फहु रीरा। सकर कहहु सॊकय सुिरीरा।।
दो0-फहुरय कहहु करुनामतन कीन्ह जो अचयज याभ।
प्रजा सकहत यघुफॊसभसन ककसभ गवने सनज धाभ।।110।।
–*–*–
ऩुसन प्रबु कहहु सो तत्व फिानी। जेकहॊ वफग्मान भगन भुसन ग्मानी।।
बगसत ग्मान वफग्मान वफयागा। ऩुसन सफ फयनहु सकहत वफबागा।।
औयउ याभ यहस्म अनेका। कहहु नाथ असत वफभर वफफेका।।
जो प्रबु भईआ ऩूछा नकह होई। सोउ दमार यािहु जसन गोई।।
तुम्ह वत्रबुवन गुय फेद फिाना। आन जीव ऩाॉवय का जाना।।
प्रस्न उभा कै सहज सुहाई। छर वफहीन सुसन ससव भन बाई।।

45
हय कहमॉ याभचरयत सफ आए। प्रेभ ऩुरक रोचन जर छाए।।
श्रीयघुनाथ रूऩ उय आवा। ऩयभानॊद असभत सुि ऩावा।।
दो0-भगन ध्मानयस दॊ ड जुग ऩुसन भन फाहे य कीन्ह।
यघुऩसत चरयत भहे स तफ हयवषत फयनै रीन्ह।।111।।
–*–*–
झूठेउ सत्म जाकह वफनु जानईऄ। ष्जसभ बुजॊग वफनु यजु ऩकहचानईऄ।।
जेकह जानईऄ जग जाइ हे याई। जागईऄ जथा सऩन र्भ्भ जाई।।
फॊदउॉ फाररूऩ सोई याभू। सफ सससध सुरब जऩत ष्जसु नाभू।।
भॊगर बवन अभॊगर हायी। रवउ सो दसयथ अष्जय वफहायी।।
करय प्रनाभ याभकह वत्रऩुयायी। हयवष सुधा सभ सगया उचायी।।
धन्म धन्म सगरययाजकुभायी। तुम्ह सभान नकहॊ कोउ उऩकायी।।
ऩूॉछेहु यघुऩसत कथा प्रसॊगा। सकर रोक जग ऩावसन गॊगा।।
तुम्ह यघुफीय चयन अनुयागी। कीन्हहु प्रस्न जगत कहत रागी।।
दो0-याभकृ ऩा तईऄ ऩायफसत सऩनेहुॉ तव भन भाकहॊ ।
सोक भोह सॊदेह र्भ्भ भभ वफचाय कछु नाकहॊ ।।112।।
–*–*–
तदवऩ असॊका कीष्न्हहु सोई। कहत सुनत सफ कय कहत होई।।
ष्जन्ह हरय कथा सुनी नकहॊ काना। श्रवन यॊ ध्र अकहबवन सभाना।।
नमनष्न्ह सॊत दयस नकहॊ दे िा। रोचन भोयऩॊि कय रेिा।।
ते ससय कटु तुॊफरय सभतूरा। जे न नभत हरय गुय ऩद भूरा।।
ष्जन्ह हरयबगसत रृदमॉ नकहॊ आनी। जीवत सव सभान तेइ प्रानी।।
जो नकहॊ कयइ याभ गुन गाना। जीह सो दादयु जीह सभाना।।
कुसरस कठोय सनठु य सोइ छाती। सुसन हरयचरयत न जो हयषाती।।
सगरयजा सुनहु याभ कै रीरा। सुय कहत दनुज वफभोहनसीरा।।
दो0-याभकथा सुयधेनु सभ सेवत सफ सुि दासन।
सतसभाज सुयरोक सफ को न सुनै अस जासन।।113।।
–*–*–

याभकथा सुॊदय कय तायी। सॊसम वफहग उडावसनहायी।।


याभकथा कसर वफटऩ कुठायी। सादय सुनु सगरययाजकुभायी।।
याभ नाभ गुन चरयत सुहाए। जनभ कयभ अगसनत श्रुसत गाए।।
जथा अनॊत याभ बगवाना। तथा कथा कीयसत गुन नाना।।
तदवऩ जथा श्रुत जसस भसत भोयी। ककहहउॉ दे ष्ि प्रीसत असत तोयी।।

46
उभा प्रस्न तव सहज सुहाई। सुिद सॊतसॊभत भोकह बाई।।
एक फात नकह भोकह सोहानी। जदवऩ भोह फस कहे हु बवानी।।
तुभ जो कहा याभ कोउ आना। जेकह श्रुसत गाव धयकहॊ भुसन ध्माना।।
दो0-कहकह सुनकह अस अधभ नय ग्रसे जे भोह वऩसाच।
ऩाषॊडी हरय ऩद वफभुि जानकहॊ झूठ न साच।।114।।
–*–*–
अग्म अकोवफद अॊध अबागी। काई वफषम भुकय भन रागी।।
रॊऩट कऩटी कुकटर वफसेषी। सऩनेहुॉ सॊतसबा नकहॊ दे िी।।
कहकहॊ ते फेद असॊभत फानी। ष्जन्ह कईऄ सूझ राबु नकहॊ हानी।।
भुकय भसरन अरु नमन वफहीना। याभ रूऩ दे िकहॊ ककसभ दीना।।
ष्जन्ह कईऄ अगुन न सगुन वफफेका। जल्ऩकहॊ कष्ल्ऩत फचन अनेका।।
हरयभामा फस जगत र्भ्भाहीॊ। सतन्हकह कहत कछु अघकटत नाहीॊ।।
फातुर बूत वफफस भतवाये । ते नकहॊ फोरकहॊ फचन वफचाये ।।
ष्जन्ह कृ त भहाभोह भद ऩाना। सतन ् कय कहा करयअ नकहॊ काना।।
सो0-अस सनज रृदमॉ वफचारय तजु सॊसम बजु याभ ऩद।
सुनु सगरययाज कुभारय र्भ्भ तभ यवफ कय फचन भभ।।115।।
सगुनकह अगुनकह नकहॊ कछु बेदा। गावकहॊ भुसन ऩुयान फुध फेदा।।
अगुन अरुऩ अरि अज जोई। बगत प्रेभ फस सगुन सो होई।।
जो गुन यकहत सगुन सोइ कैसईऄ। जरु कहभ उऩर वफरग नकहॊ जैसईऄ।।
जासु नाभ र्भ्भ सतसभय ऩतॊगा। तेकह ककसभ ककहअ वफभोह प्रसॊगा।।
याभ सष्छचदानॊद कदनेसा। नकहॊ तहॉ भोह सनसा रवरेसा।।
सहज प्रकासरुऩ बगवाना। नकहॊ तहॉ ऩुसन वफग्मान वफहाना।।
हयष वफषाद ग्मान अग्माना। जीव धभा अहसभसत असबभाना।।
याभ ब्रह्म ब्माऩक जग जाना। ऩयभानन्द ऩये स ऩुयाना।।
दो0-ऩुरुष प्रससद्ध प्रकास सनसध प्रगट ऩयावय नाथ।।
यघुकुरभसन भभ स्वासभ सोइ ककह ससवॉ नामउ भाथ।।116।।
–*–*–
सनज र्भ्भ नकहॊ सभुझकहॊ अग्मानी। प्रबु ऩय भोह धयकहॊ जड़ प्रानी।।
जथा गगन घन ऩटर सनहायी। झाॉऩेउ भानु कहकहॊ कुवफचायी।।
सचतव जो रोचन अॊगुसर राएॉ। प्रगट जुगर ससस तेकह के बाएॉ।।
उभा याभ वफषइक अस भोहा। नब तभ धूभ धूरय ष्जसभ सोहा।।
वफषम कयन सुय जीव सभेता। सकर एक तईऄ एक सचेता।।
सफ कय ऩयभ प्रकासक जोई। याभ अनाकद अवधऩसत सोई।।

47
जगत प्रकास्म प्रकासक याभू। भामाधीस ग्मान गुन धाभू।।
जासु सत्मता तईऄ जड भामा। बास सत्म इव भोह सहामा।।
दो0-यजत सीऩ भहुॉ भास ष्जसभ जथा बानु कय फारय।
जदवऩ भृषा सतहुॉ कार सोइ र्भ्भ न सकइ कोउ टारय।।117।।
–*–*–
एकह वफसध जग हरय आसश्रत यहई। जदवऩ असत्म दे त दि ु अहई।।
जं सऩनईऄ ससय काटै कोई। वफनु जागईऄ न दरू य दि
ु होई।।
जासु कृ ऩाॉ अस र्भ्भ सभकट जाई। सगरयजा सोइ कृ ऩार यघुयाई।।
आकद अॊत कोउ जासु न ऩावा। भसत अनुभासन सनगभ अस गावा।।
वफनु ऩद चरइ सुनइ वफनु काना। कय वफनु कयभ कयइ वफसध नाना।।
आनन यकहत सकर यस बोगी। वफनु फानी फकता फड़ जोगी।।
तनु वफनु ऩयस नमन वफनु दे िा। ग्रहइ घ्रान वफनु फास असेषा।।
असस सफ बाॉसत अरौककक कयनी। भकहभा जासु जाइ नकहॊ फयनी।।
दो0-जेकह इसभ गावकह फेद फुध जाकह धयकहॊ भुसन ध्मान।।
सोइ दसयथ सुत बगत कहत कोसरऩसत बगवान।।118।।
–*–*–
कासीॊ भयत जॊतु अवरोकी। जासु नाभ फर कयउॉ वफसोकी।।
सोइ प्रबु भोय चयाचय स्वाभी। यघुफय सफ उय अॊतयजाभी।।
वफफसहुॉ जासु नाभ नय कहहीॊ। जनभ अनेक यसचत अघ दहहीॊ।।
सादय सुसभयन जे नय कयहीॊ। बव फारयसध गोऩद इव तयहीॊ।।
याभ सो ऩयभातभा बवानी। तहॉ र्भ्भ असत अवफकहत तव फानी।।
अस सॊसम आनत उय भाहीॊ। ग्मान वफयाग सकर गुन जाहीॊ।।
सुसन ससव के र्भ्भ बॊजन फचना। सभकट गै सफ कुतयक कै यचना।।
बइ यघुऩसत ऩद प्रीसत प्रतीती। दारुन असॊबावना फीती।।
दो0-ऩुसन ऩुसन प्रबु ऩद कभर गकह जोरय ऩॊकरुह ऩासन।
फोरी सगरयजा फचन फय भनहुॉ प्रेभ यस सासन।।119।।
–*–*–
ससस कय सभ सुसन सगया तुम्हायी। सभटा भोह सयदातऩ बायी।।
तुम्ह कृ ऩार सफु सॊसउ हये ऊ। याभ स्वरुऩ जासन भोकह ऩये ऊ।।
नाथ कृ ऩाॉ अफ गमउ वफषादा। सुिी बमउॉ प्रबु चयन प्रसादा।।
अफ भोकह आऩसन ककॊकरय जानी। जदवऩ सहज जड नारय अमानी।।
प्रथभ जो भईआ ऩूछा सोइ कहहू। जं भो ऩय प्रसन्न प्रबु अहहू।।
याभ ब्रह्म सचनभम अवफनासी। सफा यकहत सफ उय ऩुय फासी।।

48
नाथ धये उ नयतनु केकह हे तू। भोकह सभुझाइ कहहु फृषकेतू।।
उभा फचन सुसन ऩयभ वफनीता। याभकथा ऩय प्रीसत ऩुनीता।।
दो0-कहॉ मॉ हयषे काभारय तफ सॊकय सहज सुजान
फहु वफसध उभकह प्रसॊसस ऩुसन फोरे कृ ऩासनधान।।120(क)।।
नवान्हऩायामन,ऩहरा ववश्राभ
भासऩायामण, चौथा ववश्राभ
सो0-सुनु सुब कथा बवासन याभचरयतभानस वफभर।
कहा बुसुॊकड फिासन सुना वफहग नामक गरुड।।120(ि)।।
सो सॊफाद उदाय जेकह वफसध बा आगईऄ कहफ।
सुनहु याभ अवताय चरयत ऩयभ सुॊदय अनघ।।120(ग)।।
हरय गुन नाभ अऩाय कथा रूऩ अगसनत असभत।
भईआ सनज भसत अनुसाय कहउॉ उभा सादय सुनहु।।120(घ।।
–*–*–
सुनु सगरयजा हरयचरयत सुहाए। वफऩुर वफसद सनगभागभ गाए।।
हरय अवताय हे तु जेकह होई। इदसभत्थॊ ककह जाइ न सोई।।
याभ अतक्मा फुवद्ध भन फानी। भत हभाय अस सुनकह समानी।।
तदवऩ सॊत भुसन फेद ऩुयाना। जस कछु कहकहॊ स्वभसत अनुभाना।।
तस भईआ सुभुष्ि सुनावउॉ तोही। सभुष्झ ऩयइ जस कायन भोही।।
जफ जफ होइ धयभ कै हानी। फाढकहॊ असुय अधभ असबभानी।।
कयकहॊ अनीसत जाइ नकहॊ फयनी। सीदकहॊ वफप्र धेनु सुय धयनी।।
तफ तफ प्रबु धरय वफवफध सयीया। हयकह कृ ऩासनसध सज्जन ऩीया।।
दो0-असुय भारय थाऩकहॊ सुयन्ह यािकहॊ सनज श्रुसत सेतु।
जग वफस्तायकहॊ वफसद जस याभ जन्भ कय हे तु।।121।।
–*–*–
सोइ जस गाइ बगत बव तयहीॊ। कृ ऩाससॊधु जन कहत तनु धयहीॊ।।
याभ जनभ के हे तु अनेका। ऩयभ वफसचत्र एक तईऄ एका।।
जनभ एक दइ
ु कहउॉ फिानी। सावधान सुनु सुभसत बवानी।।
द्वायऩार हरय के वप्रम दोऊ। जम अरु वफजम जान सफ कोऊ।।
वफप्र श्राऩ तईऄ दन
ू उ बाई। ताभस असुय दे ह सतन्ह ऩाई।।
कनककससऩु अरु हाटक रोचन। जगत वफकदत सुयऩसत भद भोचन।।
वफजई सभय फीय वफख्माता। धरय फयाह फऩु एक सनऩाता।।
होइ नयहरय दस
ू य ऩुसन भाया। जन प्रहराद सुजस वफस्ताया।।
दो0-बए सनसाचय जाइ तेइ भहाफीय फरवान।

49
कुॊबकयन यावण सुबट सुय वफजई जग जान।।122 ।
–*–*–
भुकुत न बए हते बगवाना। तीसन जनभ कद्वज फचन प्रवाना।।
एक फाय सतन्ह के कहत रागी। धये उ सयीय बगत अनुयागी।।
कस्मऩ अकदसत तहाॉ वऩतु भाता। दसयथ कौसल्मा वफख्माता।।
एक करऩ एकह वफसध अवताया। चरयत्र ऩववत्र ककए सॊसाया।।
एक करऩ सुय दे ष्ि दि
ु ाये । सभय जरॊधय सन सफ हाये ।।
सॊबु कीन्ह सॊग्राभ अऩाया। दनुज भहाफर भयइ न भाया।।
ऩयभ सती असुयासधऩ नायी। तेकह फर ताकह न ष्जतकहॊ ऩुयायी।।
दो0-छर करय टाये उ तासु ब्रत प्रबु सुय कायज कीन्ह।।
जफ तेकह जानेउ भयभ तफ श्राऩ कोऩ करय दीन्ह।।123।।
–*–*–
तासु श्राऩ हरय दीन्ह प्रभाना। कौतुकसनसध कृ ऩार बगवाना।।
तहाॉ जरॊधय यावन बमऊ। यन हसत याभ ऩयभ ऩद दमऊ।।
एक जनभ कय कायन एहा। जेकह रासग याभ धयी नयदे हा।।
प्रसत अवताय कथा प्रबु केयी। सुनु भुसन फयनी कवफन्ह घनेयी।।
नायद श्राऩ दीन्ह एक फाया। करऩ एक तेकह रसग अवताया।।
सगरयजा चककत बई सुसन फानी। नायद वफकनुबगत ऩुसन ग्मासन।।
कायन कवन श्राऩ भुसन दीन्हा। का अऩयाध यभाऩसत कीन्हा।।
मह प्रसॊग भोकह कहहु ऩुयायी। भुसन भन भोह आचयज बायी।।
दो0- फोरे वफहसस भहे स तफ ग्मानी भूढ़ न कोइ।
जेकह जस यघुऩसत कयकहॊ जफ सो तस तेकह छन होइ।।124(क)।।
सो0-कहउॉ याभ गुन गाथ बयद्वाज सादय सुनहु।
बव बॊजन यघुनाथ बजु तुरसी तष्ज भान भद।।124(ि)।।
–*–*–
कहभसगरय गुहा एक असत ऩावसन। फह सभीऩ सुयसयी सुहावसन।।
आश्रभ ऩयभ ऩुनीत सुहावा। दे ष्ि दे वरयवष भन असत बावा।।
सनयष्ि सैर सरय वफवऩन वफबागा। बमउ यभाऩसत ऩद अनुयागा।।
सुसभयत हरयकह श्राऩ गसत फाधी। सहज वफभर भन रासग सभाधी।।
भुसन गसत दे ष्ि सुयेस डे याना। काभकह फोसर कीन्ह सभाना।।
सकहत सहाम जाहु भभ हे तू। चकेउ हयवष कहमॉ जरचयकेतू।।
सुनासीय भन भहुॉ असस त्रासा। चहत दे वरयवष भभ ऩुय फासा।।
जे काभी रोरुऩ जग भाहीॊ। कुकटर काक इव सफकह डे याहीॊ।।

50
दो0-सुि हाड़ रै बाग सठ स्वान सनयष्ि भृगयाज।
छीसन रेइ जसन जान जड़ सतसभ सुयऩसतकह न राज।।125।।
–*–*–
तेकह आश्रभकहॊ भदन जफ गमऊ। सनज भामाॉ फसॊत सनयभमऊ।।
कुसुसभत वफवफध वफटऩ फहुयॊगा। कूजकहॊ कोककर गुॊजकह बृॊगा।।
चरी सुहावसन वत्रवफध फमायी। काभ कृ सानु फढ़ावसनहायी।।
यॊ बाकदक सुयनारय नफीना । सकर असभसय करा प्रफीना।।
कयकहॊ गान फहु तान तयॊ गा। फहुवफसध क्रीड़कह ऩासन ऩतॊगा।।
दे ष्ि सहाम भदन हयषाना। कीन्हे सस ऩुसन प्रऩॊच वफसध नाना।।
काभ करा कछु भुसनकह न ब्माऩी। सनज बमॉ डये उ भनोबव ऩाऩी।।
सीभ कक चाॉवऩ सकइ कोउ तासु। फड़ यिवाय यभाऩसत जासू।।
दो0- सकहत सहाम सबीत असत भासन हारय भन भैन।
गहे सस जाइ भुसन चयन तफ ककह सुकठ आयत फैन।।126।।
–*–*–
बमउ न नायद भन कछु योषा। ककह वप्रम फचन काभ ऩरयतोषा।।
नाइ चयन ससरु आमसु ऩाई। गमउ भदन तफ सकहत सहाई।।
भुसन सुसीरता आऩसन कयनी। सुयऩसत सबाॉ जाइ सफ फयनी।।
सुसन सफ कईऄ भन अचयजु आवा। भुसनकह प्रसॊसस हरयकह ससरु नावा।।
तफ नायद गवने ससव ऩाहीॊ। ष्जता काभ अहसभसत भन भाहीॊ।।
भाय चरयत सॊकयकहॊ सुनाए। असतवप्रम जासन भहे स ससिाए।।
फाय फाय वफनवउॉ भुसन तोहीॊ। ष्जसभ मह कथा सुनामहु भोहीॊ।।
सतसभ जसन हरयकह सुनावहु कफहूॉ। चरेहुॉ प्रसॊग दयु ाएडु तफहूॉ।।
दो0-सॊबु दीन्ह उऩदे स कहत नकहॊ नायदकह सोहान।
बायद्वाज कौतुक सुनहु हरय इछछा फरवान।।127।।
–*–*–
याभ कीन्ह चाहकहॊ सोइ होई। कयै अन्मथा अस नकहॊ कोई।।
सॊबु फचन भुसन भन नकहॊ बाए। तफ वफयॊ सच के रोक ससधाए।।
एक फाय कयतर फय फीना। गावत हरय गुन गान प्रफीना।।
छीयससॊधु गवने भुसननाथा। जहॉ फस श्रीसनवास श्रुसतभाथा।।
हयवष सभरे उकठ यभासनकेता। फैठे आसन रयवषकह सभेता।।
फोरे वफहसस चयाचय यामा। फहुते कदनन कीष्न्ह भुसन दामा।।
काभ चरयत नायद सफ बाषे। जयवऩ प्रथभ फयष्ज ससवॉ यािे।।
असत प्रचॊड यघुऩसत कै भामा। जेकह न भोह अस को जग जामा।।

51
दो0-रूि फदन करय फचन भृद ु फोरे श्रीबगवान ।
तुम्हये सुसभयन तईऄ सभटकहॊ भोह भाय भद भान।।128।।
–*–*–
सुनु भुसन भोह होइ भन ताकईऄ। ग्मान वफयाग रृदम नकहॊ जाके।।
ब्रह्मचयज ब्रत यत भसतधीया। तुम्हकह कक कयइ भनोबव ऩीया।।
नायद कहे उ सकहत असबभाना। कृ ऩा तुम्हारय सकर बगवाना।।
करुनासनसध भन दीि वफचायी। उय अॊकुये उ गयफ तरु बायी।।
फेसग सो भै डारयहउॉ उिायी। ऩन हभाय सेवक कहतकायी।।
भुसन कय कहत भभ कौतुक होई। अवसस उऩाम कयवफ भै सोई।।
तफ नायद हरय ऩद ससय नाई। चरे रृदमॉ अहसभसत असधकाई।।
श्रीऩसत सनज भामा तफ प्रेयी। सुनहु ककठन कयनी तेकह केयी।।
दो0-वफयचेउ भग भहुॉ नगय तेकहॊ सत जोजन वफस्ताय।
श्रीसनवासऩुय तईऄ असधक यचना वफवफध प्रकाय।।129।।
–*–*–
फसकहॊ नगय सुॊदय नय नायी। जनु फहु भनससज यसत तनुधायी।।
तेकहॊ ऩुय फसइ सीरसनसध याजा। अगसनत हम गम सेन सभाजा।।
सत सुयेस सभ वफबव वफरासा। रूऩ तेज फर नीसत सनवासा।।
वफस्वभोहनी तासु कुभायी। श्री वफभोह ष्जसु रूऩु सनहायी।।
सोइ हरयभामा सफ गुन िानी। सोबा तासु कक जाइ फिानी।।
कयइ स्वमॊफय सो नृऩफारा। आए तहॉ अगसनत भकहऩारा।।
भुसन कौतुकी नगय तेकहॊ गमऊ। ऩुयफाससन्ह सफ ऩूछत बमऊ।।
सुसन सफ चरयत बूऩगृहॉ आए। करय ऩूजा नृऩ भुसन फैठाए।।
दो0-आसन दे िाई नायदकह बूऩसत याजकुभारय।
कहहु नाथ गुन दोष सफ एकह के रृदमॉ वफचारय।।130।।
–*–*–
दे ष्ि रूऩ भुसन वफयसत वफसायी। फड़ी फाय रसग यहे सनहायी।।
रछछन तासु वफरोकक बुराने। रृदमॉ हयष नकहॊ प्रगट फिाने।।
जो एकह फयइ अभय सोइ होई। सभयबूसभ तेकह जीत न कोई।।
सेवकहॊ सकर चयाचय ताही। फयइ सीरसनसध कन्मा जाही।।
रछछन सफ वफचारय उय यािे। कछुक फनाइ बूऩ सन बाषे।।
सुता सुरछछन ककह नृऩ ऩाहीॊ। नायद चरे सोच भन भाहीॊ।।
कयं जाइ सोइ जतन वफचायी। जेकह प्रकाय भोकह फयै कुभायी।।
जऩ तऩ कछु न होइ तेकह कारा। हे वफसध सभरइ कवन वफसध फारा।।

52
दो0-एकह अवसय चाकहअ ऩयभ सोबा रूऩ वफसार।
जो वफरोकक यीझै कुअॉरय तफ भेरै जमभार।।131।।
–*–*–
हरय सन भागं सुॊदयताई। होइकह जात गहरु असत बाई।।
भोयईऄ कहत हरय सभ नकहॊ कोऊ। एकह अवसय सहाम सोइ होऊ।।
फहुवफसध वफनम कीष्न्ह तेकह कारा। प्रगटे उ प्रबु कौतुकी कृ ऩारा।।
प्रबु वफरोकक भुसन नमन जुड़ाने। होइकह काजु कहएॉ हयषाने।।
असत आयसत ककह कथा सुनाई। कयहु कृ ऩा करय होहु सहाई।।
आऩन रूऩ दे हु प्रबु भोही। आन बाॉसत नकहॊ ऩावं ओही।।
जेकह वफसध नाथ होइ कहत भोया। कयहु सो फेसग दास भईआ तोया।।
सनज भामा फर दे ष्ि वफसारा। कहमॉ हॉ सस फोरे दीनदमारा।।
दो0-जेकह वफसध होइकह ऩयभ कहत नायद सुनहु तुम्हाय।
सोइ हभ कयफ न आन कछु फचन न भृषा हभाय।।132।।
–*–*–
कुऩथ भाग रुज ब्माकुर योगी। फैद न दे इ सुनहु भुसन जोगी।।
एकह वफसध कहत तुम्हाय भईआ ठमऊ। ककह अस अॊतयकहत प्रबु बमऊ।।
भामा वफफस बए भुसन भूढ़ा। सभुझी नकहॊ हरय सगया सनगूढ़ा।।
गवने तुयत तहाॉ रयवषयाई। जहाॉ स्वमॊफय बूसभ फनाई।।
सनज सनज आसन फैठे याजा। फहु फनाव करय सकहत सभाजा।।
भुसन भन हयष रूऩ असत भोयईऄ । भोकह तष्ज आनकह फारयकह न बोयईऄ ।।
भुसन कहत कायन कृ ऩासनधाना। दीन्ह कुरूऩ न जाइ फिाना।।
सो चरयत्र रष्ि काहुॉ न ऩावा। नायद जासन सफकहॊ ससय नावा।।

दो0-यहे तहाॉ दइ
ु रुर गन ते जानकहॊ सफ बेउ।
वफप्रफेष दे ित कपयकहॊ ऩयभ कौतुकी तेउ।।133।।
–*–*–
जईऄकह सभाज फईआठे भुसन जाई। रृदमॉ रूऩ अहसभसत असधकाई।।
तहॉ फैठ भहे स गन दोऊ। वफप्रफेष गसत रिइ न कोऊ।।
कयकहॊ कूकट नायदकह सुनाई। नीकक दीष्न्ह हरय सुॊदयताई।।
यीझकह याजकुअॉरय छवफ दे िी। इन्हकह फरयकह हरय जासन वफसेषी।।
भुसनकह भोह भन हाथ ऩयाएॉ। हॉ सकहॊ सॊबु गन असत सचु ऩाएॉ।।
जदवऩ सुनकहॊ भुसन अटऩकट फानी। सभुष्झ न ऩयइ फुवद्ध र्भ्भ सानी।।
काहुॉ न रिा सो चरयत वफसेषा। सो सरूऩ नृऩकन्माॉ दे िा।।

53
भकाट फदन बमॊकय दे ही। दे ित रृदमॉ क्रोध बा तेही।।
दो0-सिीॊ सॊग रै कुअॉरय तफ चसर जनु याजभयार।
दे ित कपयइ भहीऩ सफ कय सयोज जमभार।।134।।
–*–*–
जेकह कदसस फैठे नायद पूरी। सो कदसस दे कह न वफरोकी बूरी।।
ऩुसन ऩुसन भुसन उकसकहॊ अकुराहीॊ। दे ष्ि दसा हय गन भुसकाहीॊ।।
धरय नृऩतनु तहॉ गमउ कृ ऩारा। कुअॉरय हयवष भेरेउ जमभारा।।
दर
ु कहसन रै गे रष्छछसनवासा। नृऩसभाज सफ बमउ सनयासा।।
भुसन असत वफकर भंहॉ भसत नाठी। भसन सगरय गई छूकट जनु गाॉठी।।
तफ हय गन फोरे भुसुकाई। सनज भुि भुकुय वफरोकहु जाई।।
अस ककह दोउ बागे बमॉ बायी। फदन दीि भुसन फारय सनहायी।।
फेषु वफरोकक क्रोध असत फाढ़ा। सतन्हकह सयाऩ दीन्ह असत गाढ़ा।।
दो0-होहु सनसाचय जाइ तुम्ह कऩटी ऩाऩी दोउ।
हॉ सेहु हभकह सो रेहु पर फहुरय हॉ सेहु भुसन कोउ।।135।।
–*–*–
ऩुसन जर दीि रूऩ सनज ऩावा। तदवऩ रृदमॉ सॊतोष न आवा।।
पयकत अधय कोऩ भन भाहीॊ। सऩदी चरे कभराऩसत ऩाहीॊ।।
दे हउॉ श्राऩ कक भरयहउॉ जाई। जगत भोय उऩहास कयाई।।
फीचकहॊ ऩॊथ सभरे दनुजायी। सॊग यभा सोइ याजकुभायी।।
फोरे भधुय फचन सुयसाईं। भुसन कहॉ चरे वफकर की नाईं।।
सुनत फचन उऩजा असत क्रोधा। भामा फस न यहा भन फोधा।।
ऩय सॊऩदा सकहु नकहॊ दे िी। तुम्हयईऄ इरयषा कऩट वफसेषी।।
भथत ससॊधु रुरकह फौयामहु। सुयन्ह प्रेयी वफष ऩान कयामहु।।
दो0-असुय सुया वफष सॊकयकह आऩु यभा भसन चारु।
स्वायथ साधक कुकटर तुम्ह सदा कऩट ब्मवहारु।।136।।
–*–*–
ऩयभ स्वतॊत्र न ससय ऩय कोई। बावइ भनकह कयहु तुम्ह सोई।।
बरेकह भॊद भॊदेकह बर कयहू। वफसभम हयष न कहमॉ कछु धयहू।।
डहकक डहकक ऩरयचेहु सफ काहू। असत असॊक भन सदा उछाहू।।
कयभ सुबासुब तुम्हकह न फाधा। अफ रसग तुम्हकह न काहूॉ साधा।।
बरे बवन अफ फामन दीन्हा। ऩावहुगे पर आऩन कीन्हा।।
फॊचेहु भोकह जवसन धरय दे हा। सोइ तनु धयहु श्राऩ भभ एहा।।
कवऩ आकृ सत तुम्ह कीष्न्ह हभायी। करयहकहॊ कीस सहाम तुम्हायी।।

54
भभ अऩकाय कीन्ही तुम्ह बायी। नायी वफयहॉ तुम्ह होफ दि
ु ायी।।
दो0-श्राऩ सीस धयी हयवष कहमॉ प्रबु फहु वफनती कीष्न्ह।
सनज भामा कै प्रफरता कयवष कृ ऩासनसध रीष्न्ह।।137।।
–*–*–
जफ हरय भामा दरू य सनवायी। नकहॊ तहॉ यभा न याजकुभायी।।
तफ भुसन असत सबीत हरय चयना। गहे ऩाकह प्रनतायसत हयना।।
भृषा होउ भभ श्राऩ कृ ऩारा। भभ इछछा कह दीनदमारा।।
भईआ दफ
ु च
ा न कहे फहुतेये। कह भुसन ऩाऩ सभकटकहॊ ककसभ भेये।।
जऩहु जाइ सॊकय सत नाभा। होइकह रृदमॉ तुयॊत वफश्राभा।।
कोउ नकहॊ ससव सभान वप्रम भोयईऄ । असस ऩयतीसत तजहु जसन बोयईऄ ।।
जेकह ऩय कृ ऩा न कयकहॊ ऩुयायी। सो न ऩाव भुसन बगसत हभायी।।
अस उय धरय भकह वफचयहु जाई। अफ न तुम्हकह भामा सनअयाई।।
दो0-फहुवफसध भुसनकह प्रफोसध प्रबु तफ बए अॊतयधान।।
सत्मरोक नायद चरे कयत याभ गुन गान।।138।।
–*–*–
हय गन भुसनकह जात ऩथ दे िी। वफगतभोह भन हयष वफसेषी।।
असत सबीत नायद ऩकहॊ आए। गकह ऩद आयत फचन सुनाए।।
हय गन हभ न वफप्र भुसनयामा। फड़ अऩयाध कीन्ह पर ऩामा।।
श्राऩ अनुग्रह कयहु कृ ऩारा। फोरे नायद दीनदमारा।।
सनससचय जाइ होहु तुम्ह दोऊ। फैबव वफऩुर तेज फर होऊ।।
बुजफर वफस्व ष्जतफ तुम्ह जकहआ। धरयहकहॊ वफकनु भनुज तनु तकहआ।
सभय भयन हरय हाथ तुम्हाया। होइहहु भुकुत न ऩुसन सॊसाया।।
चरे जुगर भुसन ऩद ससय नाई। बए सनसाचय कारकह ऩाई।।
दो0-एक करऩ एकह हे तु प्रबु रीन्ह भनुज अवताय।
सुय यॊ जन सज्जन सुिद हरय बॊजन बुवफ बाय।।139।।
–*–*–
एकह वफसध जनभ कयभ हरय केये । सुॊदय सुिद वफसचत्र घनेये।।
करऩ करऩ प्रसत प्रबु अवतयहीॊ। चारु चरयत नानावफसध कयहीॊ।।
तफ तफ कथा भुनीसन्ह गाई। ऩयभ ऩुनीत प्रफॊध फनाई।।
वफवफध प्रसॊग अनूऩ फिाने। कयकहॊ न सुसन आचयजु समाने।।
हरय अनॊत हरयकथा अनॊता। कहकहॊ सुनकहॊ फहुवफसध सफ सॊता।।
याभचॊर के चरयत सुहाए। करऩ कोकट रसग जाकहॊ न गाए।।
मह प्रसॊग भईआ कहा बवानी। हरयभामाॉ भोहकहॊ भुसन ग्मानी।।

55
प्रबु कौतुकी प्रनत कहतकायी।।सेवत सुरब सकर दि
ु हायी।।
सो0-सुय नय भुसन कोउ नाकहॊ जेकह न भोह भामा प्रफर।।
अस वफचारय भन भाकहॊ बष्जअ भहाभामा ऩसतकह।।140।।
अऩय हे तु सुनु सैरकुभायी। कहउॉ वफसचत्र कथा वफस्तायी।।
जेकह कायन अज अगुन अरूऩा। ब्रह्म बमउ कोसरऩुय बूऩा।।
जो प्रबु वफवऩन कपयत तुम्ह दे िा। फॊधु सभेत धयईऄ भुसनफेषा।।
जासु चरयत अवरोकक बवानी। सती सयीय यकहहु फौयानी।।
अजहुॉ न छामा सभटसत तुम्हायी। तासु चरयत सुनु र्भ्भ रुज हायी।।
रीरा कीष्न्ह जो तेकहॊ अवताया। सो सफ ककहहउॉ भसत अनुसाया।।
बयद्वाज सुसन सॊकय फानी। सकुसच सप्रेभ उभा भुसकानी।।
रगे फहुरय फयने फृषकेतू। सो अवताय बमउ जेकह हे तू।।
दो0-सो भईआ तुम्ह सन कहउॉ सफु सुनु भुनीस भन राई।।
याभ कथा कसर भर हयसन भॊगर कयसन सुहाइ।।141।।
–*–*–
स्वामॊबू भनु अरु सतरूऩा। ष्जन्ह तईऄ बै नयसृवि अनूऩा।।
दॊ ऩसत धयभ आचयन नीका। अजहुॉ गाव श्रुसत ष्जन्ह कै रीका।।
नृऩ उत्तानऩाद सुत तासू। ध्रुव हरय बगत बमउ सुत जासू।।
रघु सुत नाभ वप्रय्रब्रत ताही। फेद ऩुयान प्रसॊसकह जाही।।
दे वहूसत ऩुसन तासु कुभायी। जो भुसन कदा भ कै वप्रम नायी।।
आकददे व प्रबु दीनदमारा। जठय धये उ जेकहॊ कवऩर कृ ऩारा।।
साॊख्म सास्त्र ष्जन्ह प्रगट फिाना। तत्व वफचाय सनऩुन बगवाना।।
तेकहॊ भनु याज कीन्ह फहु कारा। प्रबु आमसु सफ वफसध प्रसतऩारा।।
सो0-होइ न वफषम वफयाग बवन फसत बा चौथऩन।
रृदमॉ फहुत दि
ु राग जनभ गमउ हरयबगसत वफनु।।142।।
फयफस याज सुतकह तफ दीन्हा। नारय सभेत गवन फन कीन्हा।।
तीयथ फय नैसभष वफख्माता। असत ऩुनीत साधक सससध दाता।।
फसकहॊ तहाॉ भुसन ससद्ध सभाजा। तहॉ कहमॉ हयवष चरेउ भनु याजा।।
ऩॊथ जात सोहकहॊ भसतधीया। ग्मान बगसत जनु धयईऄ सयीया।।
ऩहुॉचे जाइ धेनुभसत तीया। हयवष नहाने सनयभर नीया।।
आए सभरन ससद्ध भुसन ग्मानी। धयभ धुयॊधय नृऩरयवष जानी।।
जहॉ जॉह तीयथ यहे सुहाए। भुसनन्ह सकर सादय कयवाए।।
कृ स सयीय भुसनऩट ऩरयधाना। सत सभाज सनत सुनकहॊ ऩुयाना ।

56
दो0-द्वादस अछछय भॊत्र ऩुसन जऩकहॊ सकहत अनुयाग।
फासुदेव ऩद ऩॊकरुह दॊ ऩसत भन असत राग।।143।।
–*–*–
कयकहॊ अहाय साक पर कॊदा। सुसभयकहॊ ब्रह्म सष्छचदानॊदा।।
ऩुसन हरय हे तु कयन तऩ रागे। फारय अधाय भूर पर त्मागे।।
उय असबराष सनॊयॊतय होई। दे िअ नमन ऩयभ प्रबु सोई।।
अगुन अिॊड अनॊत अनादी। जेकह सचॊतकहॊ ऩयभायथफादी।।
नेसत नेसत जेकह फेद सनरूऩा। सनजानॊद सनरुऩासध अनूऩा।।
सॊबु वफयॊ सच वफकनु बगवाना। उऩजकहॊ जासु अॊस तईऄ नाना।।
ऐसेउ प्रबु सेवक फस अहई। बगत हे तु रीरातनु गहई।।
जं मह फचन सत्म श्रुसत बाषा। तौ हभाय ऩूजकह असबराषा।।
दो0-एकह वफसध फीतईऄ फयष षट सहस फारय आहाय।
सॊफत सप्त सहस्त्र ऩुसन यहे सभीय अधाय।।144।।
–*–*–
फयष सहस दस त्मागेउ सोऊ। ठाढ़े यहे एक ऩद दोऊ।।
वफसध हरय तऩ दे ष्ि अऩाया। भनु सभीऩ आए फहु फाया।।
भागहु फय फहु बाॉसत रोबाए। ऩयभ धीय नकहॊ चरकहॊ चराए।।
अष्स्थभात्र होइ यहे सयीया। तदवऩ भनाग भनकहॊ नकहॊ ऩीया।।
प्रबु सफाग्म दास सनज जानी। गसत अनन्म ताऩस नृऩ यानी।।
भागु भागु फरु बै नब फानी। ऩयभ गबीय कृ ऩाभृत सानी।।
भृतक ष्जआवसन सगया सुहाई। श्रफन यॊ ध्र होइ उय जफ आई।।
ह्रिऩुि तन बए सुहाए। भानहुॉ अफकहॊ बवन ते आए।।
दो0-श्रवन सुधा सभ फचन सुसन ऩुरक प्रपुष्ल्रत गात।
फोरे भनु करय दॊ डवत प्रेभ न रृदमॉ सभात।।145।।
–*–*–
सुनु सेवक सुयतरु सुयधेनु। वफसध हरय हय फॊकदत ऩद ये नू।।
सेवत सुरब सकर सुि दामक। प्रनतऩार सचयाचय नामक।।
जं अनाथ कहत हभ ऩय नेहू। तौ प्रसन्न होइ मह फय दे हू।।
जो सरूऩ फस ससव भन भाहीॊ। जेकह कायन भुसन जतन कयाहीॊ।।
जो बुसुॊकड भन भानस हॊ सा। सगुन अगुन जेकह सनगभ प्रसॊसा।।
दे िकहॊ हभ सो रूऩ बरय रोचन। कृ ऩा कयहु प्रनतायसत भोचन।।
दॊ ऩसत फचन ऩयभ वप्रम रागे। भुदर
ु वफनीत प्रेभ यस ऩागे।।
बगत फछर प्रबु कृ ऩासनधाना। वफस्वफास प्रगटे बगवाना।।

57
दो0-नीर सयोरुह नीर भसन नीर नीयधय स्माभ।
राजकहॊ तन सोबा सनयष्ि कोकट कोकट सत काभ।।146।।
–*–*–
सयद भमॊक फदन छवफ सीॊवा। चारु कऩोर सचफुक दय ग्रीवा।।
अधय अरुन यद सुॊदय नासा। वफधु कय सनकय वफसनॊदक हासा।।
नव अफुॊज अॊफक छवफ नीकी। सचतवसन रसरत बावॉती जी की।।
बुकुकट भनोज चाऩ छवफ हायी। सतरक रराट ऩटर दसु तकायी।।
कुॊडर भकय भुकुट ससय र्भ्ाजा। कुकटर केस जनु भधुऩ सभाजा।।
उय श्रीफत्स रुसचय फनभारा। ऩकदक हाय बूषन भसनजारा।।
केहरय कॊधय चारु जनेउ। फाहु वफबूषन सुॊदय तेऊ।।
करय कय सरय सुबग बुजदॊ डा। ककट सनषॊग कय सय कोदॊ डा।।
दो0-तकडत वफसनॊदक ऩीत ऩट उदय ये ि फय तीसन।।
नासब भनोहय रेसत जनु जभुन बवॉय छवफ छीसन।।147।।
–*–*–
ऩद याजीव फयसन नकह जाहीॊ। भुसन भन भधुऩ फसकहॊ जेन्ह भाहीॊ।।
फाभ बाग सोबसत अनुकूरा। आकदसवि छवफसनसध जगभूरा।।
जासु अॊस उऩजकहॊ गुनिानी। अगसनत रष्छछ उभा ब्रह्मानी।।
बृकुकट वफरास जासु जग होई। याभ फाभ कदसस सीता सोई।।
छवफसभुर हरय रूऩ वफरोकी। एकटक यहे नमन ऩट योकी।।
सचतवकहॊ सादय रूऩ अनूऩा। तृसप्त न भानकहॊ भनु सतरूऩा।।
हयष वफफस तन दसा बुरानी। ऩये दॊ ड इव गकह ऩद ऩानी।।
ससय ऩयसे प्रबु सनज कय कॊजा। तुयत उठाए करुनाऩुॊजा।।
दो0-फोरे कृ ऩासनधान ऩुसन असत प्रसन्न भोकह जासन।
भागहु फय जोइ बाव भन भहादासन अनुभासन।।148।।
–*–*–
सुसन प्रबु फचन जोरय जुग ऩानी। धरय धीयजु फोरी भृद ु फानी।।
नाथ दे ष्ि ऩद कभर तुम्हाये । अफ ऩूये सफ काभ हभाये ।।
एक रारसा फकड़ उय भाही। सुगभ अगभ ककह जात सो नाहीॊ।।
तुम्हकह दे त असत सुगभ गोसाईं। अगभ राग भोकह सनज कृ ऩनाईं।।
जथा दरयर वफफुधतरु ऩाई। फहु सॊऩसत भागत सकुचाई।।
तासु प्रबा जान नकहॊ सोई। तथा रृदमॉ भभ सॊसम होई।।
सो तुम्ह जानहु अॊतयजाभी। ऩुयवहु भोय भनोयथ स्वाभी।।
सकुच वफहाइ भागु नृऩ भोकह। भोयईऄ नकहॊ अदे म कछु तोही।।

58
दो0-दासन ससयोभसन कृ ऩासनसध नाथ कहउॉ ससतबाउ।।
चाहउॉ तुम्हकह सभान सुत प्रबु सन कवन दयु ाउ।।149।।
–*–*–
दे ष्ि प्रीसत सुसन फचन अभोरे। एवभस्तु करुनासनसध फोरे।।
आऩु सरयस िोजं कहॉ जाई। नृऩ तव तनम होफ भईआ आई।।
सतरूऩकह वफरोकक कय जोयईऄ । दे वफ भागु फरु जो रुसच तोये ।।
जो फरु नाथ चतुय नृऩ भागा। सोइ कृ ऩार भोकह असत वप्रम रागा।।
प्रबु ऩयॊ तु सुकठ होसत कढठाई। जदवऩ बगत कहत तुम्हकह सोहाई।।
तुम्ह ब्रह्माकद जनक जग स्वाभी। ब्रह्म सकर उय अॊतयजाभी।।
अस सभुझत भन सॊसम होई। कहा जो प्रबु प्रवान ऩुसन सोई।।
जे सनज बगत नाथ तव अहहीॊ। जो सुि ऩावकहॊ जो गसत रहहीॊ।।
दो0-सोइ सुि सोइ गसत सोइ बगसत सोइ सनज चयन सनेहु।।
सोइ वफफेक सोइ यहसन प्रबु हभकह कृ ऩा करय दे हु।।150।।
–*–*–
सुनु भृद ु गूढ़ रुसचय फय यचना। कृ ऩाससॊधु फोरे भृद ु फचना।।
जो कछु रुसच तुम्हे य भन भाहीॊ। भईआ सो दीन्ह सफ सॊसम नाहीॊ।।
भातु वफफेक अरोककक तोयईऄ । कफहुॉ न सभकटकह अनुग्रह भोयईऄ ।
फॊकद चयन भनु कहे उ फहोयी। अवय एक वफनसत प्रबु भोयी।।
सुत वफषइक तव ऩद यसत होऊ। भोकह फड़ भूढ़ कहै ककन कोऊ।।
भसन वफनु पसन ष्जसभ जर वफनु भीना। भभ जीवन सतसभ तुम्हकह अधीना।।
अस फरु भासग चयन गकह यहे ऊ। एवभस्तु करुनासनसध कहे ऊ।।
अफ तुम्ह भभ अनुसासन भानी। फसहु जाइ सुयऩसत यजधानी।।
सो0-तहॉ करय बोग वफसार तात गउॉ कछु कार ऩुसन।
होइहहु अवध बुआर तफ भईआ होफ तुम्हाय सुत।।151।।
इछछाभम नयफेष सॉवायईऄ । होइहउॉ प्रगट सनकेत तुम्हाये ।।
अॊसन्ह सकहत दे ह धरय ताता। करयहउॉ चरयत बगत सुिदाता।।
जे सुसन सादय नय फड़बागी। बव तरयहकहॊ भभता भद त्मागी।।
आकदसवि जेकहॊ जग उऩजामा। सोउ अवतरयकह भोरय मह भामा।।
ऩुयउफ भईआ असबराष तुम्हाया। सत्म सत्म ऩन सत्म हभाया।।
ऩुसन ऩुसन अस ककह कृ ऩासनधाना। अॊतयधान बए बगवाना।।
दॊ ऩसत उय धरय बगत कृ ऩारा। तेकहॊ आश्रभ सनवसे कछु कारा।।
सभम ऩाइ तनु तष्ज अनमासा। जाइ कीन्ह अभयावसत फासा।।
दो0-मह इसतहास ऩुनीत असत उभकह कही फृषकेतु।

59
बयद्वाज सुनु अऩय ऩुसन याभ जनभ कय हे तु।।152।।
भासऩायामण,ऩाॉचवाॉ ववश्राभ
–*–*–

सुनु भुसन कथा ऩुनीत ऩुयानी। जो सगरयजा प्रसत सॊबु फिानी।।


वफस्व वफकदत एक कैकम दे सू। सत्मकेतु तहॉ फसइ नये सू।।
धयभ धुयॊधय नीसत सनधाना। तेज प्रताऩ सीर फरवाना।।
तेकह कईऄ बए जुगर सुत फीया। सफ गुन धाभ भहा यनधीया।।

याज धनी जो जेठ सुत आही। नाभ प्रताऩबानु अस ताही।।


अऩय सुतकह अरयभदा न नाभा। बुजफर अतुर अचर सॊग्राभा।।
बाइकह बाइकह ऩयभ सभीती। सकर दोष छर फयष्जत प्रीती।।
जेठे सुतकह याज नृऩ दीन्हा। हरय कहत आऩु गवन फन कीन्हा।।
दो0-जफ प्रताऩयवफ बमउ नृऩ कपयी दोहाई दे स।
प्रजा ऩार असत फेदवफसध कतहुॉ नहीॊ अघ रेस।।153।।
–*–*–
नृऩ कहतकायक ससचव समाना। नाभ धयभरुसच सुक्र सभाना।।
ससचव समान फॊधु फरफीया। आऩु प्रताऩऩुॊज यनधीया।।
सेन सॊग चतुयॊग अऩाया। असभत सुबट सफ सभय जुझाया।।
सेन वफरोकक याउ हयषाना। अरु फाजे गहगहे सनसाना।।
वफजम हे तु कटकई फनाई। सुकदन सासध नृऩ चरेउ फजाई।।
जॉह तहॉ ऩयीॊ अनेक रयाईं। जीते सकर बूऩ फरयआई।।
सप्त दीऩ बुजफर फस कीन्हे । रै रै दॊ ड छाकड़ नृऩ दीन्हईऄ ।।
सकर अवसन भॊडर तेकह कारा। एक प्रताऩबानु भकहऩारा।।
दो0-स्वफस वफस्व करय फाहुफर सनज ऩुय कीन्ह प्रफेसु।
अयथ धयभ काभाकद सुि सेवइ सभमॉ नये सु।।154।।
–*–*–
बूऩ प्रताऩबानु फर ऩाई। काभधेनु बै बूसभ सुहाई।।
सफ दि
ु फयष्जत प्रजा सुिायी। धयभसीर सुॊदय नय नायी।।
ससचव धयभरुसच हरय ऩद प्रीती। नृऩ कहत हे तु ससिव सनत नीती।।
गुय सुय सॊत वऩतय भकहदे वा। कयइ सदा नृऩ सफ कै सेवा।।
बूऩ धयभ जे फेद फिाने। सकर कयइ सादय सुि भाने।।
कदन प्रसत दे ह वफवफध वफसध दाना। सुनहु सास्त्र फय फेद ऩुयाना।।
नाना फाऩीॊ कूऩ तड़ागा। सुभन फाकटका सुॊदय फागा।।

60
वफप्रबवन सुयबवन सुहाए। सफ तीयथन्ह वफसचत्र फनाए।।
दो0-जॉह रसग कहे ऩुयान श्रुसत एक एक सफ जाग।
फाय सहस्त्र सहस्त्र नृऩ ककए सकहत अनुयाग।।155।।
–*–*–
रृदमॉ न कछु पर अनुसॊधाना। बूऩ वफफेकी ऩयभ सुजाना।।
कयइ जे धयभ कयभ भन फानी। फासुदेव अवऩात नृऩ ग्मानी।।
चकढ़ फय फाष्ज फाय एक याजा। भृगमा कय सफ साष्ज सभाजा।।
वफॊध्माचर गबीय फन गमऊ। भृग ऩुनीत फहु भायत बमऊ।।
कपयत वफवऩन नृऩ दीि फयाहू। जनु फन दयु े उ सससकह ग्रसस याहू।।
फड़ वफधु नकह सभात भुि भाहीॊ। भनहुॉ क्रोधफस उसगरत नाहीॊ।।
कोर कयार दसन छवफ गाई। तनु वफसार ऩीवय असधकाई।।
घुरुघुयात हम आयौ ऩाएॉ। चककत वफरोकत कान उठाएॉ।।
दो0-नीर भहीधय ससिय सभ दे ष्ि वफसार फयाहु।
चऩरय चरेउ हम सुटुकक नृऩ हाॉकक न होइ सनफाहु।।156।।
–*–*–
आवत दे ष्ि असधक यव फाजी। चरेउ फयाह भरुत गसत बाजी।।
तुयत कीन्ह नृऩ सय सॊधाना। भकह सभसर गमउ वफरोकत फाना।।
तकक तकक तीय भहीस चरावा। करय छर सुअय सयीय फचावा।।
प्रगटत दयु त जाइ भृग बागा। रयस फस बूऩ चरेउ सॊग रागा।।
गमउ दरू य घन गहन फयाहू। जहॉ नाकहन गज फाष्ज सनफाहू।।
असत अकेर फन वफऩुर करेसू। तदवऩ न भृग भग तजइ नये सू।।
कोर वफरोकक बूऩ फड़ धीया। बासग ऩैठ सगरयगुहाॉ गबीया।।
अगभ दे ष्ि नृऩ असत ऩसछताई। कपये उ भहाफन ऩये उ बुराई।।
दो0-िेद ष्िन्न छुवद्धत तृवषत याजा फाष्ज सभेत।
िोजत ब्माकुर सरयत सय जर वफनु बमउ अचेत।।157।।
–*–*–
कपयत वफवऩन आश्रभ एक दे िा। तहॉ फस नृऩसत कऩट भुसनफेषा।।
जासु दे स नृऩ रीन्ह छड़ाई। सभय सेन तष्ज गमउ ऩयाई।।
सभम प्रताऩबानु कय जानी। आऩन असत असभम अनुभानी।।
गमउ न गृह भन फहुत गरानी। सभरा न याजकह नृऩ असबभानी।।
रयस उय भारय यॊ क ष्जसभ याजा। वफवऩन फसइ ताऩस कईऄ साजा।।
तासु सभीऩ गवन नृऩ कीन्हा। मह प्रताऩयवफ तेकह तफ चीन्हा।।
याउ तृवषत नकह सो ऩकहचाना। दे ष्ि सुफेष भहाभुसन जाना।।

61
उतरय तुयग तईऄ कीन्ह प्रनाभा। ऩयभ चतुय न कहे उ सनज नाभा।।
दो0 बूऩसत तृवषत वफरोकक तेकहॊ सयफरु दीन्ह दे िाइ।
भज्जन ऩान सभेत हम कीन्ह नृऩसत हयषाइ।।158।।
–*–*–
गै श्रभ सकर सुिी नृऩ बमऊ। सनज आश्रभ ताऩस रै गमऊ।।
आसन दीन्ह अस्त यवफ जानी। ऩुसन ताऩस फोरेउ भृद ु फानी।।
को तुम्ह कस फन कपयहु अकेरईऄ। सुॊदय जुफा जीव ऩयहे रईऄ।।
चक्रफसता के रछछन तोयईऄ । दे ित दमा रासग असत भोयईऄ ।।
नाभ प्रताऩबानु अवनीसा। तासु ससचव भईआ सुनहु भुनीसा।।
कपयत अहे यईऄ ऩये उॉ बुराई। फडे बाग दे िउॉ ऩद आई।।
हभ कहॉ दर
ु ब
ा दयस तुम्हाया। जानत हं कछु बर होसनहाया।।
कह भुसन तात बमउ अॉसधमाया। जोजन सत्तरय नगरु तुम्हाया।।
दो0- सनसा घोय गम्बीय फन ऩॊथ न सुनहु सुजान।
फसहु आजु अस जासन तुम्ह जाएहु होत वफहान।।159(क)।।
तुरसी जसस बवतब्मता तैसी सभरइ सहाइ।
आऩुनु आवइ ताकह ऩकहॊ ताकह तहाॉ रै जाइ।।159(ि)।।
–*–*–
बरेकहॊ नाथ आमसु धरय सीसा। फाॉसध तुयग तरु फैठ भहीसा।।
नृऩ फहु बासत प्रसॊसेउ ताही। चयन फॊकद सनज बाग्म सयाही।।
ऩुसन फोरे भृद ु सगया सुहाई। जासन वऩता प्रबु कयउॉ कढठाई।।
भोकह भुसनस सुत सेवक जानी। नाथ नाभ सनज कहहु फिानी।।
तेकह न जान नृऩ नृऩकह सो जाना। बूऩ सुह्रद सो कऩट समाना।।
फैयी ऩुसन छत्री ऩुसन याजा। छर फर कीन्ह चहइ सनज काजा।।
सभुष्झ याजसुि दष्ु ित अयाती। अवाॉ अनर इव सुरगइ छाती।।
सयर फचन नृऩ के सुसन काना। फमय सॉबारय रृदमॉ हयषाना।।

दो0-कऩट फोरय फानी भृदर


ु फोरेउ जुगुसत सभेत।
नाभ हभाय सबिारय अफ सनधान यकहत सनकेसत।।160।।
–*–*–
कह नृऩ जे वफग्मान सनधाना। तुम्ह सारयिे गसरत असबभाना।।
सदा यहकह अऩनऩौ दयु ाएॉ। सफ वफसध कुसर कुफेष फनाएॉ।।
तेकह तईऄ कहकह सॊत श्रुसत टे यईऄ। ऩयभ अककॊचन वप्रम हरय केयईऄ ।।
तुम्ह सभ अधन सबिारय अगेहा। होत वफयॊ सच ससवकह सॊदेहा।।

62
जोसस सोसस तव चयन नभाभी। भो ऩय कृ ऩा करयअ अफ स्वाभी।।
सहज प्रीसत बूऩसत कै दे िी। आऩु वफषम वफस्वास वफसेषी।।
सफ प्रकाय याजकह अऩनाई। फोरेउ असधक सनेह जनाई।।
सुनु ससतबाउ कहउॉ भकहऩारा। इहाॉ फसत फीते फहु कारा।।
दो0-अफ रसग भोकह न सभरेउ कोउ भईआ न जनावउॉ काहु।
रोकभान्मता अनर सभ कय तऩ कानन दाहु।।161(क)।।
सो0-तुरसी दे ष्ि सुफेषु बूरकहॊ भूढ़ न चतुय नय।
सुॊदय केकककह ऩेिु फचन सुधा सभ असन अकह।।161(ि)
–*–*–
तातईऄ गुऩुत यहउॉ जग भाहीॊ। हरय तष्ज ककभवऩ प्रमोजन नाहीॊ।।
प्रबु जानत सफ वफनकहॊ जनाएॉ। कहहु कवसन सससध रोक रयझाएॉ।।
तुम्ह सुसच सुभसत ऩयभ वप्रम भोयईऄ । प्रीसत प्रतीसत भोकह ऩय तोयईऄ ।।
अफ जं तात दयु ावउॉ तोही। दारुन दोष घटइ असत भोही।।
ष्जसभ ष्जसभ ताऩसु कथइ उदासा। सतसभ सतसभ नृऩकह उऩज वफस्वासा।।
दे िा स्वफस कभा भन फानी। तफ फोरा ताऩस फगध्मानी।।
नाभ हभाय एकतनु बाई। सुसन नृऩ फोरे ऩुसन ससरु नाई।।
कहहु नाभ कय अयथ फिानी। भोकह सेवक असत आऩन जानी।।
दो0-आकदसृवि उऩजी जफकहॊ तफ उतऩसत बै भोरय।
नाभ एकतनु हे तु तेकह दे ह न धयी फहोरय।।162।।
–*–*–
जसन आचरुज कयहु भन भाहीॊ। सुत तऩ तईऄ दर ु ब
ा कछु नाहीॊ।।
तऩफर तईऄ जग सृजइ वफधाता। तऩफर वफकनु बए ऩरयत्राता।।
तऩफर सॊबु कयकहॊ सॊघाया। तऩ तईऄ अगभ न कछु सॊसाया।।
बमउ नृऩकह सुसन असत अनुयागा। कथा ऩुयातन कहै सो रागा।।
कयभ धयभ इसतहास अनेका। कयइ सनरूऩन वफयसत वफफेका।।
उदबव ऩारन प्ररम कहानी। कहे सस असभत आचयज फिानी।।
सुसन भकहऩ ताऩस फस बमऊ। आऩन नाभ कहत तफ रमऊ।।
कह ताऩस नृऩ जानउॉ तोही। कीन्हे हु कऩट राग बर भोही।।
सो0-सुनु भहीस असस नीसत जहॉ तहॉ नाभ न कहकहॊ नृऩ।
भोकह तोकह ऩय असत प्रीसत सोइ चतुयता वफचारय तव।।163।।
नाभ तुम्हाय प्रताऩ कदनेसा। सत्मकेतु तव वऩता नये सा।।
गुय प्रसाद सफ जासनअ याजा। ककहअ न आऩन जासन अकाजा।।
दे ष्ि तात तव सहज सुधाई। प्रीसत प्रतीसत नीसत सनऩुनाई।।

63
उऩष्ज ऩरय भभता भन भोयईऄ । कहउॉ कथा सनज ऩूछे तोयईऄ ।।
अफ प्रसन्न भईआ सॊसम नाहीॊ। भागु जो बूऩ बाव भन भाहीॊ।।
सुसन सुफचन बूऩसत हयषाना। गकह ऩद वफनम कीष्न्ह वफसध नाना।।
कृ ऩाससॊधु भुसन दयसन तोयईऄ । चारय ऩदायथ कयतर भोयईऄ ।।
प्रबुकह तथावऩ प्रसन्न वफरोकी। भासग अगभ फय होउॉ असोकी।।
दो0-जया भयन दि
ु यकहत तनु सभय ष्जतै जसन कोउ।
एकछत्र रयऩुहीन भकह याज करऩ सत होउ।।164।।
–*–*–
कह ताऩस नृऩ ऐसेइ होऊ। कायन एक ककठन सुनु सोऊ।।
कारउ तुअ ऩद नाइकह सीसा। एक वफप्रकुर छाकड़ भहीसा।।
तऩफर वफप्र सदा फरयआया। सतन्ह के कोऩ न कोउ यिवाया।।
जं वफप्रन्ह सफ कयहु नये सा। तौ तुअ फस वफसध वफकनु भहे सा।।
चर न ब्रह्मकुर सन फरयआई। सत्म कहउॉ दोउ बुजा उठाई।।
वफप्र श्राऩ वफनु सुनु भकहऩारा। तोय नास नकह कवनेहुॉ कारा।।
हयषेउ याउ फचन सुसन तासू। नाथ न होइ भोय अफ नासू।।
तव प्रसाद प्रबु कृ ऩासनधाना। भो कहुॉ सफा कार कल्माना।।
दो0-एवभस्तु ककह कऩटभुसन फोरा कुकटर फहोरय।
सभरफ हभाय बुराफ सनज कहहु त हभकह न िोरय।।165।।
–*–*–
तातईऄ भै तोकह फयजउॉ याजा। कहईऄ कथा तव ऩयभ अकाजा।।

छठईऄ श्रवन मह ऩयत कहानी। नास तुम्हाय सत्म भभ फानी।।


मह प्रगटईऄ अथवा कद्वजश्राऩा। नास तोय सुनु बानुप्रताऩा।।
आन उऩामॉ सनधन तव नाहीॊ। जं हरय हय कोऩकहॊ भन भाहीॊ।।
सत्म नाथ ऩद गकह नृऩ बाषा। कद्वज गुय कोऩ कहहु को यािा।।
यािइ गुय जं कोऩ वफधाता। गुय वफयोध नकहॊ कोउ जग त्राता।।
जं न चरफ हभ कहे तुम्हायईऄ । होउ नास नकहॊ सोच हभायईऄ ।।
एककहॊ डय डयऩत भन भोया। प्रबु भकहदे व श्राऩ असत घोया।।
दो0-होकहॊ वफप्र फस कवन वफसध कहहु कृ ऩा करय सोउ।
तुम्ह तष्ज दीनदमार सनज कहतू न दे िउॉ कोउॉ ।।166।।
–*–*–
सुनु नृऩ वफवफध जतन जग भाहीॊ। किसाध्म ऩुसन होकहॊ कक नाहीॊ।।
अहइ एक असत सुगभ उऩाई। तहाॉ ऩयॊ तु एक ककठनाई।।

64
भभ आधीन जुगुसत नृऩ सोई। भोय जाफ तव नगय न होई।।
आजु रगईऄ अरु जफ तईऄ बमऊॉ। काहू के गृह ग्राभ न गमऊॉ।।
जं न जाउॉ तव होइ अकाजू। फना आइ असभॊजस आजू।।
सुसन भहीस फोरेउ भृद ु फानी। नाथ सनगभ असस नीसत फिानी।।
फड़े सनेह रघुन्ह ऩय कयहीॊ। सगरय सनज ससयसन सदा तृन धयहीॊ।।
जरसध अगाध भौसर फह पेनू। सॊतत धयसन धयत ससय ये नू।।
दो0- अस ककह गहे नये स ऩद स्वाभी होहु कृ ऩार।
भोकह रासग दि
ु सकहअ प्रबु सज्जन दीनदमार।।167।।
–*–*–
जासन नृऩकह आऩन आधीना। फोरा ताऩस कऩट प्रफीना।।
सत्म कहउॉ बूऩसत सुनु तोही। जग नाकहन दर
ु ब
ा कछु भोही।।
अवसस काज भईआ करयहउॉ तोया। भन तन फचन बगत तईआ भोया।।
जोग जुगुसत तऩ भॊत्र प्रबाऊ। परइ तफकहॊ जफ करयअ दयु ाऊ।।
जं नये स भईआ कयं यसोई। तुम्ह ऩरुसहु भोकह जान न कोई।।
अन्न सो जोइ जोइ बोजन कयई। सोइ सोइ तव आमसु अनुसयई।।
ऩुसन सतन्ह के गृह जेवॉइ जोऊ। तव फस होइ बूऩ सुनु सोऊ।।
जाइ उऩाम यचहु नृऩ एहू। सॊफत बरय सॊकरऩ कये हू।।
दो0-सनत नूतन कद्वज सहस सत फये हु सकहत ऩरयवाय।
भईआ तुम्हये सॊकरऩ रसग कदनकहॊûकरयफ जेवनाय।।168।।
–*–*–
एकह वफसध बूऩ कि असत थोयईऄ । होइहकहॊ सकर वफप्र फस तोयईऄ ।।
करयहकहॊ वफप्र होभ भि सेवा। तेकहॊ प्रसॊग सहजेकहॊ फस दे वा।।
औय एक तोकह कहऊॉ रिाऊ। भईआ एकह फेष न आउफ काऊ।।
तुम्हये उऩयोकहत कहुॉ यामा। हरय आनफ भईआ करय सनज भामा।।
तऩफर तेकह करय आऩु सभाना। यष्िहउॉ इहाॉ फयष ऩयवाना।।
भईआ धरय तासु फेषु सुनु याजा। सफ वफसध तोय सॉवायफ काजा।।
गै सनसस फहुत समन अफ कीजे। भोकह तोकह बूऩ बईऄट कदन तीजे।।
भईआ तऩफर तोकह तुयग सभेता। ऩहुॉचेहउॉ सोवतकह सनकेता।।
दो0-भईआ आउफ सोइ फेषु धरय ऩकहचानेहु तफ भोकह।
जफ एकाॊत फोराइ सफ कथा सुनावं तोकह।।169।।
–*–*–
समन कीन्ह नृऩ आमसु भानी। आसन जाइ फैठ छरग्मानी।।
श्रसभत बूऩ सनरा असत आई। सो ककसभ सोव सोच असधकाई।।

65
कारकेतु सनससचय तहॉ आवा। जेकहॊ सूकय होइ नृऩकह बुरावा।।
ऩयभ सभत्र ताऩस नृऩ केया। जानइ सो असत कऩट घनेया।।
तेकह के सत सुत अरु दस बाई। िर असत अजम दे व दि
ु दाई।।
प्रथभकह बूऩ सभय सफ भाये । वफप्र सॊत सुय दे ष्ि दि
ु ाये ।।
तेकहॊ िर ऩासछर फमरु सॉबया। ताऩस नृऩ सभसर भॊत्र वफचाया।।
जेकह रयऩु छम सोइ यचेष्न्ह उऩाऊ। बावी फस न जान कछु याऊ।।
दो0-रयऩु तेजसी अकेर अवऩ रघु करय गसनअ न ताहु।
अजहुॉ दे त दि
ु यवफ सससकह ससय अवसेवषत याहु।।170।।
–*–*–
ताऩस नृऩ सनज सिकह सनहायी। हयवष सभरेउ उकठ बमउ सुिायी।।
सभत्रकह ककह सफ कथा सुनाई। जातुधान फोरा सुि ऩाई।।
अफ साधेउॉ रयऩु सुनहु नये सा। जं तुम्ह कीन्ह भोय उऩदे सा।।
ऩरयहरय सोच यहहु तुम्ह सोई। वफनु औषध वफआसध वफसध िोई।।
कुर सभेत रयऩु भूर फहाई। चौथे कदवस सभरफ भईआ आई।।
ताऩस नृऩकह फहुत ऩरयतोषी। चरा भहाकऩटी असतयोषी।।
बानुप्रताऩकह फाष्ज सभेता। ऩहुॉचाएसस छन भाझ सनकेता।।
नृऩकह नारय ऩकहॊ समन कयाई। हमगृहॉ फाॉधेसस फाष्ज फनाई।।
दो0-याजा के उऩयोकहतकह हरय रै गमउ फहोरय।
रै यािेसस सगरय िोह भहुॉ भामाॉ करय भसत बोरय।।171।।
–*–*–
आऩु वफयसच उऩयोकहत रूऩा। ऩये उ जाइ तेकह सेज अनूऩा।।
जागेउ नृऩ अनबएॉ वफहाना। दे ष्ि बवन असत अचयजु भाना।।
भुसन भकहभा भन भहुॉ अनुभानी। उठे उ गवॉकह जेकह जान न यानी।।
कानन गमउ फाष्ज चकढ़ तेहीॊ। ऩुय नय नारय न जानेउ केहीॊ।।
गएॉ जाभ जुग बूऩसत आवा। घय घय उत्सव फाज फधावा।।
उऩयोकहतकह दे ि जफ याजा। चककत वफरोकक सुसभरय सोइ काजा।।
जुग सभ नृऩकह गए कदन तीनी। कऩटी भुसन ऩद यह भसत रीनी।।
सभम जासन उऩयोकहत आवा। नृऩकह भते सफ ककह सभुझावा।।
दो0-नृऩ हयषेउ ऩकहचासन गुरु र्भ्भ फस यहा न चेत।
फये तुयत सत सहस फय वफप्र कुटु ॊ फ सभेत।।172।।
–*–*–
उऩयोकहत जेवनाय फनाई। छयस चारय वफसध जसस श्रुसत गाई।।
भामाभम तेकहॊ कीन्ह यसोई। वफॊजन फहु गसन सकइ न कोई।।

66
वफवफध भृगन्ह कय आसभष याॉधा। तेकह भहुॉ वफप्र भाॉसु िर साॉधा।।
बोजन कहुॉ सफ वफप्र फोराए। ऩद ऩिारय सादय फैठाए।।
ऩरुसन जफकहॊ राग भकहऩारा। बै अकासफानी तेकह कारा।।
वफप्रफृॊद उकठ उकठ गृह जाहू। है फकड़ हासन अन्न जसन िाहू।।
बमउ यसोईं बूसुय भाॉसू। सफ कद्वज उठे भासन वफस्वासू।।
बूऩ वफकर भसत भोहॉ बुरानी। बावी फस आव भुि फानी।।
दो0-फोरे वफप्र सकोऩ तफ नकहॊ कछु कीन्ह वफचाय।
जाइ सनसाचय होहु नृऩ भूढ़ सकहत ऩरयवाय।।173।।
–*–*–
छत्रफॊधु तईआ वफप्र फोराई। घारै सरए सकहत सभुदाई।।
ईस्वय यािा धयभ हभाया। जैहसस तईआ सभेत ऩरयवाया।।
सॊफत भध्म नास तव होऊ। जरदाता न यकहकह कुर कोऊ।।
नृऩ सुसन श्राऩ वफकर असत त्रासा। बै फहोरय फय सगया अकासा।।
वफप्रहु श्राऩ वफचारय न दीन्हा। नकहॊ अऩयाध बूऩ कछु कीन्हा।।
चककत वफप्र सफ सुसन नबफानी। बूऩ गमउ जहॉ बोजन िानी।।
तहॉ न असन नकहॊ वफप्र सुआया। कपये उ याउ भन सोच अऩाया।।
सफ प्रसॊग भकहसुयन्ह सुनाई। त्रससत ऩये उ अवनीॊ अकुराई।।
दो0-बूऩसत बावी सभटइ नकहॊ जदवऩ न दष
ू न तोय।
ककएॉ अन्मथा होइ नकहॊ वफप्रश्राऩ असत घोय।।174।।
–*–*–
अस ककह सफ भकहदे व ससधाए। सभाचाय ऩुयरोगन्ह ऩाए।।
सोचकहॊ दष
ू न दै वकह दे हीॊ। वफचयत हॊ स काग ककम जेहीॊ।।
उऩयोकहतकह बवन ऩहुॉचाई। असुय ताऩसकह िफरय जनाई।।
तेकहॊ िर जहॉ तहॉ ऩत्र ऩठाए। सष्ज सष्ज सेन बूऩ सफ धाए।।
घेयेष्न्ह नगय सनसान फजाई। वफवफध बाॉसत सनत होई रयाई।।
जूझे सकर सुबट करय कयनी। फॊधु सभेत ऩये उ नृऩ धयनी।।
सत्मकेतु कुर कोउ नकहॊ फाॉचा। वफप्रश्राऩ ककसभ होइ असाॉचा।।
रयऩु ष्जसत सफ नृऩ नगय फसाई। सनज ऩुय गवने जम जसु ऩाई।।
दो0-बयद्वाज सुनु जाकह जफ होइ वफधाता फाभ।
धूरय भेरुसभ जनक जभ ताकह ब्मारसभ दाभ।।।175।।
–*–*–
कार ऩाइ भुसन सुनु सोइ याजा। बमउ सनसाचय सकहत सभाजा।।
दस ससय ताकह फीस बुजदॊ डा। यावन नाभ फीय फरयफॊडा।।

67
बूऩ अनुज अरयभदा न नाभा। बमउ सो कुॊबकयन फरधाभा।।
ससचव जो यहा धयभरुसच जासू। बमउ वफभात्र फॊधु रघु तासू।।
नाभ वफबीषन जेकह जग जाना। वफकनुबगत वफग्मान सनधाना।।
यहे जे सुत सेवक नृऩ केये । बए सनसाचय घोय घनेये।।
काभरूऩ िर ष्जनस अनेका। कुकटर बमॊकय वफगत वफफेका।।
कृ ऩा यकहत कहॊ सक सफ ऩाऩी। फयसन न जाकहॊ वफस्व ऩरयताऩी।।
दो0-उऩजे जदवऩ ऩुरस्त्मकुर ऩावन अभर अनूऩ।
तदवऩ भहीसुय श्राऩ फस बए सकर अघरूऩ।।176।।
–*–*–
कीन्ह वफवफध तऩ तीसनहुॉ बाई। ऩयभ उग्र नकहॊ फयसन सो जाई।।
गमउ सनकट तऩ दे ष्ि वफधाता। भागहु फय प्रसन्न भईआ ताता।।

करय वफनती ऩद गकह दससीसा। फोरेउ फचन सुनहु जगदीसा।।


हभ काहू के भयकहॊ न भायईऄ । फानय भनुज जासत दइ
ु फायईऄ ।।
एवभस्तु तुम्ह फड़ तऩ कीन्हा। भईआ ब्रह्माॉ सभसर तेकह फय दीन्हा।।
ऩुसन प्रबु कुॊबकयन ऩकहॊ गमऊ। तेकह वफरोकक भन वफसभम बमऊ।।
जं एकहॊ िर सनत कयफ अहारू। होइकह सफ उजारय सॊसारू।।
सायद प्रेरय तासु भसत पेयी। भागेसस नीद भास षट केयी।।
दो0-गए वफबीषन ऩास ऩुसन कहे उ ऩुत्र फय भागु।
तेकहॊ भागेउ बगवॊत ऩद कभर अभर अनुयागु।।177।।
–*–*–
सतष्न्ह दे इ फय ब्रह्म ससधाए। हयवषत ते अऩने गृह आए।।
भम तनुजा भॊदोदरय नाभा। ऩयभ सुॊदयी नारय रराभा।।
सोइ भमॉ दीष्न्ह यावनकह आनी। होइकह जातुधानऩसत जानी।।
हयवषत बमउ नारय बसर ऩाई। ऩुसन दोउ फॊधु वफआहे सस जाई।।
सगरय वत्रकूट एक ससॊधु भझायी। वफसध सनसभात दग
ु भ
ा असत बायी।।
सोइ भम दानवॉ फहुरय सॉवाया। कनक यसचत भसनबवन अऩाया।।
बोगावसत जसस अकहकुर फासा। अभयावसत जसस सक्रसनवासा।।
सतन्ह तईऄ असधक यम्म असत फॊका। जग वफख्मात नाभ तेकह रॊका।।
दो0-िाईं ससॊधु गबीय असत चारयहुॉ कदसस कपरय आव।
कनक कोट भसन िसचत दृढ़ फयसन न जाइ फनाव।।178(क)।।
हरयप्रेरयत जेकहॊ करऩ जोइ जातुधानऩसत होइ।
सूय प्रताऩी अतुरफर दर सभेत फस सोइ।।178(ि)।।

68
–*–*–
यहे तहाॉ सनससचय बट बाये । ते सफ सुयन्ह सभय सॊघाये ।।
अफ तहॉ यहकहॊ सक्र के प्रेये। यछछक कोकट जछछऩसत केये ।।
दसभुि कतहुॉ िफरय असस ऩाई। सेन साष्ज गढ़ घेयेसस जाई।।
दे ष्ि वफकट बट फकड़ कटकाई। जछछ जीव रै गए ऩयाई।।
कपरय सफ नगय दसानन दे िा। गमउ सोच सुि बमउ वफसेषा।।
सुॊदय सहज अगभ अनुभानी। कीष्न्ह तहाॉ यावन यजधानी।।
जेकह जस जोग फाॉकट गृह दीन्हे । सुिी सकर यजनीचय कीन्हे ।।
एक फाय कुफेय ऩय धावा। ऩुकऩक जान जीसत रै आवा।।
दो0-कौतुकहीॊ कैरास ऩुसन रीन्हे सस जाइ उठाइ।
भनहुॉ तौसर सनज फाहुफर चरा फहुत सुि ऩाइ।।179।।
–*–*–
सुि सॊऩसत सुत सेन सहाई। जम प्रताऩ फर फुवद्ध फड़ाई।।
सनत नूतन सफ फाढ़त जाई। ष्जसभ प्रसतराब रोब असधकाई।।
असतफर कुॊबकयन अस र्भ्ाता। जेकह कहुॉ नकहॊ प्रसतबट जग जाता।।
कयइ ऩान सोवइ षट भासा। जागत होइ सतहुॉ ऩुय त्रासा।।
जं कदन प्रसत अहाय कय सोई। वफस्व फेसग सफ चौऩट होई।।
सभय धीय नकहॊ जाइ फिाना। तेकह सभ असभत फीय फरवाना।।
फारयदनाद जेठ सुत तासू। बट भहुॉ प्रथभ रीक जग जासू।।
जेकह न होइ यन सनभुि कोई। सुयऩुय सनतकहॊ ऩयावन होई।।
दो0-कुभुि अकॊऩन कुसरसयद धूभकेतु असतकाम।
एक एक जग जीसत सक ऐसे सुबट सनकाम।।180।।
–*–*–

काभरूऩ जानकहॊ सफ भामा। सऩनेहुॉ ष्जन्ह कईऄ धयभ न दामा।।


दसभुि फैठ सबाॉ एक फाया। दे ष्ि असभत आऩन ऩरयवाया।।
सुत सभूह जन ऩरयजन नाती। गे को ऩाय सनसाचय जाती।।
सेन वफरोकक सहज असबभानी। फोरा फचन क्रोध भद सानी।।

सुनहु सकर यजनीचय जूथा। हभये फैयी वफफुध फरूथा।।


ते सनभुि नकहॊ कयही रयाई। दे ष्ि सफर रयऩु जाकहॊ ऩयाई।।
तेन्ह कय भयन एक वफसध होई। कहउॉ फुझाइ सुनहु अफ सोई।।
कद्वजबोजन भि होभ सयाधा।।सफ कै जाइ कयहु तुम्ह फाधा।।
दो0-छुधा छीन फरहीन सुय सहजेकहॊ सभसरहकहॊ आइ।

69
तफ भारयहउॉ कक छाकड़हउॉ बरी बाॉसत अऩनाइ।।181।।
–*–*–

भेघनाद कहुॉ ऩुसन हॉ कयावा। दीन्ही ससि फरु फमरु फढ़ावा।।

जे सुय सभय धीय फरवाना। ष्जन्ह कईऄ ररयफे कय असबभाना।।


सतन्हकह जीसत यन आनेसु फाॉधी। उकठ सुत वऩतु अनुसासन काॉधी।।
एकह वफसध सफही अग्मा दीन्ही। आऩुनु चरेउ गदा कय रीन्ही।।
चरत दसानन डोरसत अवनी। गजात गबा स्त्रवकहॊ सुय यवनी।।
यावन आवत सुनेउ सकोहा। दे वन्ह तके भेरु सगरय िोहा।।
कदगऩारन्ह के रोक सुहाए। सूने सकर दसानन ऩाए।।
ऩुसन ऩुसन ससॊघनाद करय बायी। दे इ दे वतन्ह गारय ऩचायी।।
यन भद भत्त कपयइ जग धावा। प्रसतबट िौजत कतहुॉ न ऩावा।।
यवफ ससस ऩवन फरुन धनधायी। असगसन कार जभ सफ असधकायी।।
ककॊनय ससद्ध भनुज सुय नागा। हकठ सफही के ऩॊथकहॊ रागा।।
ब्रह्मसृवि जहॉ रसग तनुधायी। दसभुि फसफतॉ नय नायी।।
आमसु कयकहॊ सकर बमबीता। नवकहॊ आइ सनत चयन वफनीता।।
दो0-बुजफर वफस्व फस्म करय यािेसस कोउ न सुतॊत्र।
भॊडरीक भसन यावन याज कयइ सनज भॊत्र।।182(ि)।।
दे व जछछ गॊधवा नय ककॊनय नाग कुभारय।
जीसत फयीॊ सनज फाहुफर फहु सुॊदय फय नारय।।182ि।।
–*–*–

इॊ रजीत सन जो कछु कहे ऊ। सो सफ जनु ऩकहरेकहॊ करय यहे ऊ।।


प्रथभकहॊ ष्जन्ह कहुॉ आमसु दीन्हा। सतन्ह कय चरयत सुनहु जो कीन्हा।।
दे ित बीभरूऩ सफ ऩाऩी। सनससचय सनकय दे व ऩरयताऩी।।
कयकह उऩरव असुय सनकामा। नाना रूऩ धयकहॊ करय भामा।।
जेकह वफसध होइ धभा सनभूर
ा ा। सो सफ कयकहॊ फेद प्रसतकूरा।।
जेकहॊ जेकहॊ दे स धेनु कद्वज ऩावकहॊ । नगय गाउॉ ऩुय आसग रगावकहॊ ।।
सुब आचयन कतहुॉ नकहॊ होई। दे व वफप्र गुरू भान न कोई।।
नकहॊ हरयबगसत जग्म तऩ ग्माना। सऩनेहुॉ सुसनअ न फेद ऩुयाना।।
छॊ 0-जऩ जोग वफयागा तऩ भि बागा श्रवन सुनइ दससीसा।
आऩुनु उकठ धावइ यहै न ऩावइ धरय सफ घारइ िीसा।।
अस र्भ्ि अचाया बा सॊसाया धभा सुसनअ नकह काना।

70
तेकह फहुवफसध त्रासइ दे स सनकासइ जो कह फेद ऩुयाना।।
सो0-फयसन न जाइ अनीसत घोय सनसाचय जो कयकहॊ ।
कहॊ सा ऩय असत प्रीसत सतन्ह के ऩाऩकह कवसन सभसत।।183।।
भासऩायामण, छठा ववश्राभ
फाढ़े िर फहु चोय जुआया। जे रॊऩट ऩयधन ऩयदाया।।
भानकहॊ भातु वऩता नकहॊ दे वा। साधुन्ह सन कयवावकहॊ सेवा।।
ष्जन्ह के मह आचयन बवानी। ते जानेहु सनससचय सफ प्रानी।।
असतसम दे ष्ि धभा कै ग्रानी। ऩयभ सबीत धया अकुरानी।।
सगरय सरय ससॊधु बाय नकहॊ भोही। जस भोकह गरुअ एक ऩयरोही।।
सकर धभा दे िइ वफऩयीता। ककह न सकइ यावन बम बीता।।
धेनु रूऩ धरय रृदमॉ वफचायी। गई तहाॉ जहॉ सुय भुसन झायी।।
सनज सॊताऩ सुनाएसस योई। काहू तईऄ कछु काज न होई।।
छॊ 0-सुय भुसन गॊधफाा सभसर करय सफाा गे वफयॊ सच के रोका।
सॉग गोतनुधायी बूसभ वफचायी ऩयभ वफकर बम सोका।।
ब्रह्माॉ सफ जाना भन अनुभाना भोय कछू न फसाई।
जा करय तईआ दासी सो अवफनासी हभये उ तोय सहाई।।
सो0-धयसन धयकह भन धीय कह वफयॊ सच हरयऩद सुसभरु।
जानत जन की ऩीय प्रबु बॊष्जकह दारुन वफऩसत।।184।।
फैठे सुय सफ कयकहॊ वफचाया। कहॉ ऩाइअ प्रबु करयअ ऩुकाया।।
ऩुय फैकुॊठ जान कह कोई। कोउ कह ऩमसनसध फस प्रबु सोई।।
जाके रृदमॉ बगसत जसस प्रीसत। प्रबु तहॉ प्रगट सदा तेकहॊ यीती।।
तेकह सभाज सगरयजा भईआ यहे ऊॉ। अवसय ऩाइ फचन एक कहे ऊॉ।।
हरय ब्माऩक सफात्र सभाना। प्रेभ तईऄ प्रगट होकहॊ भईआ जाना।।
दे स कार कदसस वफकदससहु भाहीॊ। कहहु सो कहाॉ जहाॉ प्रबु नाहीॊ।।
अग जगभम सफ यकहत वफयागी। प्रेभ तईऄ प्रबु प्रगटइ ष्जसभ आगी।।
भोय फचन सफ के भन भाना। साधु साधु करय ब्रह्म फिाना।।
दो0-सुसन वफयॊ सच भन हयष तन ऩुरकक नमन फह नीय।
अस्तुसत कयत जोरय कय सावधान भसतधीय।।185।।
–*–*–
छॊ 0-जम जम सुयनामक जन सुिदामक प्रनतऩार बगवॊता।
गो कद्वज कहतकायी जम असुयायी ससधुॊसुता वप्रम कॊता।।

71
ऩारन सुय धयनी अद्भत
ु कयनी भयभ न जानइ कोई।
जो सहज कृ ऩारा दीनदमारा कयउ अनुग्रह सोई।।
जम जम अवफनासी सफ घट फासी ब्माऩक ऩयभानॊदा।
अवफगत गोतीतॊ चरयत ऩुनीतॊ भामायकहत भुकुॊदा।।
जेकह रासग वफयागी असत अनुयागी वफगतभोह भुसनफृॊदा।
सनसस फासय ध्मावकहॊ गुन गन गावकहॊ जमसत सष्छचदानॊदा।।
जेकहॊ सृवि उऩाई वत्रवफध फनाई सॊग सहाम न दज
ू ा।
सो कयउ अघायी सचॊत हभायी जासनअ बगसत न ऩूजा।।
जो बव बम बॊजन भुसन भन यॊ जन गॊजन वफऩसत फरूथा।
भन फच क्रभ फानी छाकड़ समानी सयन सकर सुय जूथा।।
सायद श्रुसत सेषा रयषम असेषा जा कहुॉ कोउ नकह जाना।
जेकह दीन वऩआये फेद ऩुकाये रवउ सो श्रीबगवाना।।
बव फारयसध भॊदय सफ वफसध सुॊदय गुनभॊकदय सुिऩुॊजा।
भुसन ससद्ध सकर सुय ऩयभ बमातुय नभत नाथ ऩद कॊजा।।
दो0-जासन सबम सुयबूसभ सुसन फचन सभेत सनेह।
गगनसगया गॊबीय बइ हयसन सोक सॊदेह।।186।।
–*–*–
जसन डयऩहु भुसन ससद्ध सुयेसा। तुम्हकह रासग धरयहउॉ नय फेसा।।
अॊसन्ह सकहत भनुज अवताया। रेहउॉ कदनकय फॊस उदाया।।
कस्मऩ अकदसत भहातऩ कीन्हा। सतन्ह कहुॉ भईआ ऩूयफ फय दीन्हा।।
ते दसयथ कौसल्मा रूऩा। कोसरऩुयीॊ प्रगट नयबूऩा।।
सतन्ह के गृह अवतरयहउॉ जाई। यघुकुर सतरक सो चारयउ बाई।।
नायद फचन सत्म सफ करयहउॉ । ऩयभ सवि सभेत अवतरयहउॉ ।।
हरयहउॉ सकर बूसभ गरुआई। सनबाम होहु दे व सभुदाई।।
गगन ब्रह्मफानी सुनी काना। तुयत कपये सुय रृदम जुड़ाना।।
तफ ब्रह्मा धयसनकह सभुझावा। अबम बई बयोस ष्जमॉ आवा।।
दो0-सनज रोककह वफयॊ सच गे दे वन्ह इहइ ससिाइ।
फानय तनु धरय धरय भकह हरय ऩद सेवहु जाइ।।187।।
–*–*–
गए दे व सफ सनज सनज धाभा। बूसभ सकहत भन कहुॉ वफश्राभा ।
जो कछु आमसु ब्रह्माॉ दीन्हा। हयषे दे व वफरॊफ न कीन्हा।।
फनचय दे ह धरय सछसत भाहीॊ। अतुसरत फर प्रताऩ सतन्ह ऩाहीॊ।।
सगरय तरु नि आमुध सफ फीया। हरय भायग सचतवकहॊ भसतधीया।।

72
सगरय कानन जहॉ तहॉ बरय ऩूयी। यहे सनज सनज अनीक यसच रूयी।।
मह सफ रुसचय चरयत भईआ बाषा। अफ सो सुनहु जो फीचकहॊ यािा।।
अवधऩुयीॊ यघुकुरभसन याऊ। फेद वफकदत तेकह दसयथ नाऊॉ।।
धयभ धुयॊधय गुनसनसध ग्मानी। रृदमॉ बगसत भसत सायॉ गऩानी।।
दो0-कौसल्माकद नारय वप्रम सफ आचयन ऩुनीत।
ऩसत अनुकूर प्रेभ दृढ़ हरय ऩद कभर वफनीत।।188।।
–*–*–
एक फाय बूऩसत भन भाहीॊ। बै गरासन भोयईऄ सुत नाहीॊ।।
गुय गृह गमउ तुयत भकहऩारा। चयन रासग करय वफनम वफसारा।।
सनज दि
ु सुि सफ गुयकह सुनामउ। ककह फससष्ठ फहुवफसध सभुझामउ।।
धयहु धीय होइहकहॊ सुत चायी। वत्रबुवन वफकदत बगत बम हायी।।
सृॊगी रयषकह फससष्ठ फोरावा। ऩुत्रकाभ सुब जग्म कयावा।।
बगसत सकहत भुसन आहुसत दीन्हईऄ । प्रगटे असगसन चरू कय रीन्हईऄ ।।
जो फससष्ठ कछु रृदमॉ वफचाया। सकर काजु बा ससद्ध तुम्हाया।।
मह हवफ फाॉकट दे हु नृऩ जाई। जथा जोग जेकह बाग फनाई।।
दो0-तफ अदृस्म बए ऩावक सकर सबकह सभुझाइ।।
ऩयभानॊद भगन नृऩ हयष न रृदमॉ सभाइ।।189।।
–*–*–
तफकहॊ यामॉ वप्रम नारय फोराईं। कौसल्माकद तहाॉ चसर आई।।
अधा बाग कौसल्माकह दीन्हा। उबम बाग आधे कय कीन्हा।।
कैकेई कहॉ नृऩ सो दमऊ। यह्यो सो उबम बाग ऩुसन बमऊ।।
कौसल्मा कैकेई हाथ धरय। दीन्ह सुसभत्रकह भन प्रसन्न करय।।
एकह वफसध गबासकहत सफ नायी। बईं रृदमॉ हयवषत सुि बायी।।
जा कदन तईऄ हरय गबाकहॊ आए। सकर रोक सुि सॊऩसत छाए।।
भॊकदय भहॉ सफ याजकहॊ यानी। सोबा सीर तेज की िानीॊ।।
सुि जुत कछुक कार चसर गमऊ। जेकहॊ प्रबु प्रगट सो अवसय बमऊ।।
दो0-जोग रगन ग्रह फाय सतसथ सकर बए अनुकूर।
चय अरु अचय हषाजुत याभ जनभ सुिभूर।।190।।
–*–*–
नौभी सतसथ भधु भास ऩुनीता। सुकर ऩछछ असबष्जत हरयप्रीता।।
भध्मकदवस असत सीत न घाभा। ऩावन कार रोक वफश्राभा।।
सीतर भॊद सुयसब फह फाऊ। हयवषत सुय सॊतन भन चाऊ।।
फन कुसुसभत सगरयगन भसनआया। स्त्रवकहॊ सकर सरयताऽभृतधाया।।

73
सो अवसय वफयॊ सच जफ जाना। चरे सकर सुय साष्ज वफभाना।।
गगन वफभर सकुर सुय जूथा। गावकहॊ गुन गॊधफा फरूथा।।
फयषकहॊ सुभन सुअॊजसर साजी। गहगकह गगन दॊ द
ु ब
ु ी फाजी।।
अस्तुसत कयकहॊ नाग भुसन दे वा। फहुवफसध रावकहॊ सनज सनज सेवा।।
दो0-सुय सभूह वफनती करय ऩहुॉचे सनज सनज धाभ।
जगसनवास प्रबु प्रगटे अष्िर रोक वफश्राभ।।191।।
–*–*–
छॊ 0-बए प्रगट कृ ऩारा दीनदमारा कौसल्मा कहतकायी।
हयवषत भहतायी भुसन भन हायी अद्भत
ु रूऩ वफचायी।।
रोचन असबयाभा तनु घनस्माभा सनज आमुध बुज चायी।
बूषन फनभारा नमन वफसारा सोबाससॊधु ियायी।।
कह दइ
ु कय जोयी अस्तुसत तोयी केकह वफसध कयं अनॊता।
भामा गुन ग्मानातीत अभाना फेद ऩुयान बनॊता।।
करुना सुि सागय सफ गुन आगय जेकह गावकहॊ श्रुसत सॊता।
सो भभ कहत रागी जन अनुयागी बमउ प्रगट श्रीकॊता।।
ब्रह्माॊड सनकामा सनसभात भामा योभ योभ प्रसत फेद कहै ।
भभ उय सो फासी मह उऩहासी सुनत धीय ऩसत सथय न यहै ।।
उऩजा जफ ग्माना प्रबु भुसकाना चरयत फहुत वफसध कीन्ह चहै ।
ककह कथा सुहाई भातु फुझाई जेकह प्रकाय सुत प्रेभ रहै ।।
भाता ऩुसन फोरी सो भसत डौरी तजहु तात मह रूऩा।
कीजै सससुरीरा असत वप्रमसीरा मह सुि ऩयभ अनूऩा।।
सुसन फचन सुजाना योदन ठाना होइ फारक सुयबूऩा।
मह चरयत जे गावकहॊ हरयऩद ऩावकहॊ ते न ऩयकहॊ बवकूऩा।।
दो0-वफप्र धेनु सुय सॊत कहत रीन्ह भनुज अवताय।
सनज इछछा सनसभात तनु भामा गुन गो ऩाय।।192।।
–*–*–
सुसन सससु रुदन ऩयभ वप्रम फानी। सॊर्भ्भ चसर आई सफ यानी।।
हयवषत जहॉ तहॉ धाईं दासी। आनॉद भगन सकर ऩुयफासी।।
दसयथ ऩुत्रजन्भ सुसन काना। भानहुॉ ब्रह्मानॊद सभाना।।
ऩयभ प्रेभ भन ऩुरक सयीया। चाहत उठत कयत भसत धीया।।
जाकय नाभ सुनत सुब होई। भोयईऄ गृह आवा प्रबु सोई।।
ऩयभानॊद ऩूरय भन याजा। कहा फोराइ फजावहु फाजा।।
गुय फससष्ठ कहॉ गमउ हॉ काया। आए कद्वजन सकहत नृऩद्वाया।।

74
अनुऩभ फारक दे िेष्न्ह जाई। रूऩ यासस गुन ककह न ससयाई।।
दो0-नॊदीभुि सयाध करय जातकयभ सफ कीन्ह।
हाटक धेनु फसन भसन नृऩ वफप्रन्ह कहॉ दीन्ह।।193।।
–*–*–
ध्वज ऩताक तोयन ऩुय छावा। ककह न जाइ जेकह बाॉसत फनावा।।
सुभनफृवि अकास तईऄ होई। ब्रह्मानॊद भगन सफ रोई।।
फृॊद फृॊद सभसर चरीॊ रोगाई। सहज सॊगाय ककएॉ उकठ धाई।।
कनक करस भॊगर धरय थाया। गावत ऩैठकहॊ बूऩ दआ
ु या।।
करय आयसत नेवछावरय कयहीॊ। फाय फाय सससु चयनष्न्ह ऩयहीॊ।।
भागध सूत फॊकदगन गामक। ऩावन गुन गावकहॊ यघुनामक।।
सफास दान दीन्ह सफ काहू। जेकहॊ ऩावा यािा नकहॊ ताहू।।
भृगभद चॊदन कुॊकुभ कीचा। भची सकर फीसथन्ह वफच फीचा।।
दो0-गृह गृह फाज फधाव सुब प्रगटे सुषभा कॊद।
हयषवॊत सफ जहॉ तहॉ नगय नारय नय फृॊद।।194।।
–*–*–
कैकमसुता सुसभत्रा दोऊ। सुॊदय सुत जनभत बईआ ओऊ।।
वह सुि सॊऩसत सभम सभाजा। ककह न सकइ सायद अकहयाजा।।
अवधऩुयी सोहइ एकह बाॉती। प्रबुकह सभरन आई जनु याती।।
दे ष्ि बानू जनु भन सकुचानी। तदवऩ फनी सॊध्मा अनुभानी।।
अगय धूऩ फहु जनु अॉसधआयी। उड़इ अबीय भनहुॉ अरुनायी।।
भॊकदय भसन सभूह जनु ताया। नृऩ गृह करस सो इॊ द ु उदाया।।
बवन फेदधुसन असत भृद ु फानी। जनु िग भूिय सभमॉ जनु सानी।।
कौतुक दे ष्ि ऩतॊग बुराना। एक भास तेइॉ जात न जाना।।
दो0-भास कदवस कय कदवस बा भयभ न जानइ कोइ।
यथ सभेत यवफ थाकेउ सनसा कवन वफसध होइ।।195।।
–*–*–
मह यहस्म काहू नकहॊ जाना। कदन भसन चरे कयत गुनगाना।।
दे ष्ि भहोत्सव सुय भुसन नागा। चरे बवन फयनत सनज बागा।।
औयउ एक कहउॉ सनज चोयी। सुनु सगरयजा असत दृढ़ भसत तोयी।।
काक बुसुॊकड सॊग हभ दोऊ। भनुजरूऩ जानइ नकहॊ कोऊ।।
ऩयभानॊद प्रेभसुि पूरे। फीसथन्ह कपयकहॊ भगन भन बूरे।।
मह सुब चरयत जान ऩै सोई। कृ ऩा याभ कै जाऩय होई।।
तेकह अवसय जो जेकह वफसध आवा। दीन्ह बूऩ जो जेकह भन बावा।।

75
गज यथ तुयग हे भ गो हीया। दीन्हे नृऩ नानावफसध चीया।।
दो0-भन सॊतोषे सफष्न्ह के जहॉ तहॉ दे कह असीस।
सकर तनम सचय जीवहुॉ तुरससदास के ईस।।196।।
–*–*–

कछुक कदवस फीते एकह बाॉती। जात न जासनअ कदन अरु याती।।
नाभकयन कय अवसरु जानी। बूऩ फोसर ऩठए भुसन ग्मानी।।
करय ऩूजा बूऩसत अस बाषा। धरयअ नाभ जो भुसन गुसन यािा।।
इन्ह के नाभ अनेक अनूऩा। भईआ नृऩ कहफ स्वभसत अनुरूऩा।।
जो आनॊद ससॊधु सुियासी। सीकय तईऄ त्रैरोक सुऩासी।।
सो सुि धाभ याभ अस नाभा। अष्िर रोक दामक वफश्राभा।।
वफस्व बयन ऩोषन कय जोई। ताकय नाभ बयत अस होई।।
जाके सुसभयन तईऄ रयऩु नासा। नाभ सत्रुहन फेद प्रकासा।।
दो0-रछछन धाभ याभ वप्रम सकर जगत आधाय।
गुरु फससि तेकह यािा रसछभन नाभ उदाय।।197।।
–*–*–
धये नाभ गुय रृदमॉ वफचायी। फेद तत्व नृऩ तव सुत चायी।।
भुसन धन जन सयफस ससव प्राना। फार केसर तेकहॊ सुि भाना।।
फाये कह ते सनज कहत ऩसत जानी। रसछभन याभ चयन यसत भानी।।
बयत सत्रुहन दन
ू उ बाई। प्रबु सेवक जसस प्रीसत फड़ाई।।
स्माभ गौय सुॊदय दोउ जोयी। सनयिकहॊ छवफ जननीॊ तृन तोयी।।
चारयउ सीर रूऩ गुन धाभा। तदवऩ असधक सुिसागय याभा।।
रृदमॉ अनुग्रह इॊ द ु प्रकासा। सूचत ककयन भनोहय हासा।।
कफहुॉ उछॊ ग कफहुॉ फय ऩरना। भातु दर
ु ायइ ककह वप्रम ररना।।
दो0-ब्माऩक ब्रह्म सनयॊ जन सनगुन
ा वफगत वफनोद।
सो अज प्रेभ बगसत फस कौसल्मा के गोद।।198।।
–*–*–
काभ कोकट छवफ स्माभ सयीया। नीर कॊज फारयद गॊबीया।।
अरुन चयन ऩकॊज नि जोती। कभर दरष्न्ह फैठे जनु भोती।।
ये ि कुसरस धवज अॊकुय सोहे । नूऩुय धुसन सुसन भुसन भन भोहे ।।
ककट ककॊककनी उदय त्रम ये िा। नासब गबीय जान जेकह दे िा।।
बुज वफसार बूषन जुत बूयी। कहमॉ हरय नि असत सोबा रूयी।।
उय भसनहाय ऩकदक की सोबा। वफप्र चयन दे ित भन रोबा।।

76
कॊफु कॊठ असत सचफुक सुहाई। आनन असभत भदन छवफ छाई।।
दइ
ु दइ
ु दसन अधय अरुनाये । नासा सतरक को फयनै ऩाये ।।
सुॊदय श्रवन सुचारु कऩोरा। असत वप्रम भधुय तोतये फोरा।।
सचक्कन कच कुॊसचत गबुआये । फहु प्रकाय यसच भातु सॉवाये ।।
ऩीत झगुसरआ तनु ऩकहयाई। जानु ऩासन वफचयसन भोकह बाई।।
रूऩ सककहॊ नकहॊ ककह श्रुसत सेषा। सो जानइ सऩनेहुॉ जेकह दे िा।।
दो0-सुि सॊदोह भोहऩय ग्मान सगया गोतीत।
दॊ ऩसत ऩयभ प्रेभ फस कय सससुचरयत ऩुनीत।।199।।
–*–*–
एकह वफसध याभ जगत वऩतु भाता। कोसरऩुय फाससन्ह सुिदाता।।
ष्जन्ह यघुनाथ चयन यसत भानी। सतन्ह की मह गसत प्रगट बवानी।।
यघुऩसत वफभुि जतन कय कोयी। कवन सकइ बव फॊधन छोयी।।
जीव चयाचय फस कै यािे। सो भामा प्रबु सं बम बािे।।
बृकुकट वफरास नचावइ ताही। अस प्रबु छाकड़ बष्जअ कहु काही।।
भन क्रभ फचन छाकड़ चतुयाई। बजत कृ ऩा करयहकहॊ यघुयाई।।
एकह वफसध सससुवफनोद प्रबु कीन्हा। सकर नगयफाससन्ह सुि दीन्हा।।
रै उछॊ ग कफहुॉक हरयावै। कफहुॉ ऩारनईऄ घासर झुरावै।।
दो0-प्रेभ भगन कौसल्मा सनसस कदन जात न जान।
सुत सनेह फस भाता फारचरयत कय गान।।200।।
–*–*–
एक फाय जननीॊ अन्हवाए। करय ससॊगाय ऩरनाॉ ऩौढ़ाए।।

सनज कुर इिदे व बगवाना। ऩूजा हे तु कीन्ह अस्नाना।।


करय ऩूजा नैफेय चढ़ावा। आऩु गई जहॉ ऩाक फनावा।।
फहुरय भातु तहवाॉ चसर आई। बोजन कयत दे ि सुत जाई।।
गै जननी सससु ऩकहॊ बमबीता। दे िा फार तहाॉ ऩुसन सूता।।
फहुरय आइ दे िा सुत सोई। रृदमॉ कॊऩ भन धीय न होई।।
इहाॉ उहाॉ दइ
ु फारक दे िा। भसतर्भ्भ भोय कक आन वफसेषा।।
दे ष्ि याभ जननी अकुरानी। प्रबु हॉ सस दीन्ह भधुय भुसुकानी।।
दो0-दे ियावा भातकह सनज अदबुत रुऩ अिॊड।
योभ योभ प्रसत रागे कोकट कोकट ब्रह्मॊड।। 201।।
–*–*–
अगसनत यवफ ससस ससव चतुयानन। फहु सगरय सरयत ससॊधु भकह कानन।।

77
कार कभा गुन ग्मान सुबाऊ। सोउ दे िा जो सुना न काऊ।।
दे िी भामा सफ वफसध गाढ़ी। असत सबीत जोयईऄ कय ठाढ़ी।।
दे िा जीव नचावइ जाही। दे िी बगसत जो छोयइ ताही।।
तन ऩुरककत भुि फचन न आवा। नमन भूकद चयनसन ससरु नावा।।
वफसभमवॊत दे ष्ि भहतायी। बए फहुरय सससुरूऩ ियायी।।
अस्तुसत करय न जाइ बम भाना। जगत वऩता भईआ सुत करय जाना।।
हरय जनसन फहुवफसध सभुझाई। मह जसन कतहुॉ कहसस सुनु भाई।।
दो0-फाय फाय कौसल्मा वफनम कयइ कय जोरय।।
अफ जसन कफहूॉ ब्माऩै प्रबु भोकह भामा तोरय।। 202।।
–*–*–
फारचरयत हरय फहुवफसध कीन्हा। असत अनॊद दासन्ह कहॉ दीन्हा।।
कछुक कार फीतईऄ सफ बाई। फड़े बए ऩरयजन सुिदाई।।
चूड़ाकयन कीन्ह गुरु जाई। वफप्रन्ह ऩुसन दसछना फहु ऩाई।।
ऩयभ भनोहय चरयत अऩाया। कयत कपयत चारयउ सुकुभाया।।
भन क्रभ फचन अगोचय जोई। दसयथ अष्जय वफचय प्रबु सोई।।
बोजन कयत फोर जफ याजा। नकहॊ आवत तष्ज फार सभाजा।।
कौसल्मा जफ फोरन जाई। ठु भकु ठु भकु प्रबु चरकहॊ ऩयाई।।
सनगभ नेसत ससव अॊत न ऩावा। ताकह धयै जननी हकठ धावा।।
धूयस धूरय बयईऄ तनु आए। बूऩसत वफहसस गोद फैठाए।।
दो0-बोजन कयत चऩर सचत इत उत अवसरु ऩाइ।
बाष्ज चरे ककरकत भुि दसध ओदन रऩटाइ।।203।।
–*–*–
फारचरयत असत सयर सुहाए। सायद सेष सॊबु श्रुसत गाए।।
ष्जन कय भन इन्ह सन नकहॊ याता। ते जन फॊसचत ककए वफधाता।।
बए कुभाय जफकहॊ सफ र्भ्ाता। दीन्ह जनेऊ गुरु वऩतु भाता।।
गुयगृहॉ गए ऩढ़न यघुयाई। अरऩ कार वफया सफ आई।।
जाकी सहज स्वास श्रुसत चायी। सो हरय ऩढ़ मह कौतुक बायी।।
वफया वफनम सनऩुन गुन सीरा। िेरकहॊ िेर सकर नृऩरीरा।।
कयतर फान धनुष असत सोहा। दे ित रूऩ चयाचय भोहा।।
ष्जन्ह फीसथन्ह वफहयकहॊ सफ बाई। थककत होकहॊ सफ रोग रुगाई।।
दो0- कोसरऩुय फासी नय नारय फृद्ध अरु फार।
प्रानहु ते वप्रम रागत सफ कहुॉ याभ कृ ऩार।।204।।
–*–*–

78
फॊधु सिा सॊग रेकहॊ फोराई। फन भृगमा सनत िेरकहॊ जाई।।
ऩावन भृग भायकहॊ ष्जमॉ जानी। कदन प्रसत नृऩकह दे िावकहॊ आनी।।
जे भृग याभ फान के भाये । ते तनु तष्ज सुयरोक ससधाये ।।
अनुज सिा सॉग बोजन कयहीॊ। भातु वऩता अग्मा अनुसयहीॊ।।
जेकह वफसध सुिी होकहॊ ऩुय रोगा। कयकहॊ कृ ऩासनसध सोइ सॊजोगा।।
फेद ऩुयान सुनकहॊ भन राई। आऩु कहकहॊ अनुजन्ह सभुझाई।।
प्रातकार उकठ कै यघुनाथा। भातु वऩता गुरु नावकहॊ भाथा।।
आमसु भासग कयकहॊ ऩुय काजा। दे ष्ि चरयत हयषइ भन याजा।।
दो0-ब्माऩक अकर अनीह अज सनगुन
ा नाभ न रूऩ।
बगत हे तु नाना वफसध कयत चरयत्र अनूऩ।।205।।
–*–*–
मह सफ चरयत कहा भईआ गाई। आसगसर कथा सुनहु भन राई।।
वफस्वासभत्र भहाभुसन ग्मानी। फसकह वफवऩन सुब आश्रभ जानी।।
जहॉ जऩ जग्म भुसन कयही। असत भायीच सुफाहुकह डयहीॊ।।
दे ित जग्म सनसाचय धावकह। कयकह उऩरव भुसन दि
ु ऩावकहॊ ।।
गासधतनम भन सचॊता ब्माऩी। हरय वफनु भयकह न सनससचय ऩाऩी।।
तफ भुसनवय भन कीन्ह वफचाया। प्रबु अवतये उ हयन भकह बाया।।
एहुॉ सभस दे िं ऩद जाई। करय वफनती आनौ दोउ बाई।।
ग्मान वफयाग सकर गुन अमना। सो प्रबु भै दे िफ बरय नमना।।
दो0-फहुवफसध कयत भनोयथ जात रासग नकहॊ फाय।
करय भज्जन सयऊ जर गए बूऩ दयफाय।।206।।
–*–*–
भुसन आगभन सुना जफ याजा। सभरन गमऊ रै वफप्र सभाजा।।
करय दॊ डवत भुसनकह सनभानी। सनज आसन फैठाये ष्न्ह आनी।।
चयन ऩिारय कीष्न्ह असत ऩूजा। भो सभ आजु धन्म नकहॊ दज
ू ा।।
वफवफध बाॉसत बोजन कयवावा। भुसनवय रृदमॉ हयष असत ऩावा।।
ऩुसन चयनसन भेरे सुत चायी। याभ दे ष्ि भुसन दे ह वफसायी।।
बए भगन दे ित भुि सोबा। जनु चकोय ऩूयन ससस रोबा।।
तफ भन हयवष फचन कह याऊ। भुसन अस कृ ऩा न कीष्न्हहु काऊ।।
केकह कायन आगभन तुम्हाया। कहहु सो कयत न रावउॉ फाया।।
असुय सभूह सतावकहॊ भोही। भै जाचन आमउॉ नृऩ तोही।।
अनुज सभेत दे हु यघुनाथा। सनससचय फध भईआ होफ सनाथा।।
दो0-दे हु बूऩ भन हयवषत तजहु भोह अग्मान।

79
धभा सुजस प्रबु तुम्ह कं इन्ह कहॉ असत कल्मान।।207।।
–*–*–
सुसन याजा असत अवप्रम फानी। रृदम कॊऩ भुि दसु त कुभुरानी।।
चौथईऄऩन ऩामउॉ सुत चायी। वफप्र फचन नकहॊ कहे हु वफचायी।।
भागहु बूसभ धेनु धन कोसा। सफास दे उॉ आजु सहयोसा।।
दे ह प्रान तईऄ वप्रम कछु नाही। सोउ भुसन दे उॉ सनसभष एक भाही।।
सफ सुत वप्रम भोकह प्रान कक नाईं। याभ दे त नकहॊ फनइ गोसाई।।
कहॉ सनससचय असत घोय कठोया। कहॉ सुॊदय सुत ऩयभ ककसोया।।
सुसन नृऩ सगया प्रेभ यस सानी। रृदमॉ हयष भाना भुसन ग्मानी।।
तफ फससि फहु सनसध सभुझावा। नृऩ सॊदेह नास कहॉ ऩावा।।
असत आदय दोउ तनम फोराए। रृदमॉ राइ फहु बाॉसत ससिाए।।
भेये प्रान नाथ सुत दोऊ। तुम्ह भुसन वऩता आन नकहॊ कोऊ।।
दो0-संऩे बूऩ रयवषकह सुत फहु वफसध दे इ असीस।
जननी बवन गए प्रबु चरे नाइ ऩद सीस।।208(क)।।
सो0-ऩुरुषससॊह दोउ फीय हयवष चरे भुसन बम हयन।।
कृ ऩाससॊधु भसतधीय अष्िर वफस्व कायन कयन।।208(ि)
–*–*–
अरुन नमन उय फाहु वफसारा। नीर जरज तनु स्माभ तभारा।।
ककट ऩट ऩीत कसईऄ फय बाथा। रुसचय चाऩ सामक दह
ु ुॉ हाथा।।
स्माभ गौय सुॊदय दोउ बाई। वफस्फासभत्र भहासनसध ऩाई।।
प्रबु ब्रह्मन्मदे व भै जाना। भोकह सनसत वऩता तजेहु बगवाना।।
चरे जात भुसन दीष्न्ह कदिाई। सुसन ताड़का क्रोध करय धाई।।
एककहॊ फान प्रान हरय रीन्हा। दीन जासन तेकह सनज ऩद दीन्हा।।
तफ रयवष सनज नाथकह ष्जमॉ चीन्ही। वफयासनसध कहुॉ वफया दीन्ही।।
जाते राग न छुधा वऩऩासा। अतुसरत फर तनु तेज प्रकासा।।
दो0-आमुष सफ सभवऩा कै प्रबु सनज आश्रभ आसन।
कॊद भूर पर बोजन दीन्ह बगसत कहत जासन।।209।।
–*–*–
प्रात कहा भुसन सन यघुयाई। सनबाम जग्म कयहु तुम्ह जाई।।
होभ कयन रागे भुसन झायी। आऩु यहे भि कीॊ यिवायी।।
सुसन भायीच सनसाचय क्रोही। रै सहाम धावा भुसनरोही।।
वफनु पय फान याभ तेकह भाया। सत जोजन गा सागय ऩाया।।
ऩावक सय सुफाहु ऩुसन भाया। अनुज सनसाचय कटकु सॉघाया।।

80
भारय असुय कद्वज सनभामकायी। अस्तुसत कयकहॊ दे व भुसन झायी।।
तहॉ ऩुसन कछुक कदवस यघुयामा। यहे कीष्न्ह वफप्रन्ह ऩय दामा।।
बगसत हे तु फहु कथा ऩुयाना। कहे वफप्र जयवऩ प्रबु जाना।।
तफ भुसन सादय कहा फुझाई। चरयत एक प्रबु दे ष्िअ जाई।।
धनुषजग्म भुसन यघुकुर नाथा। हयवष चरे भुसनफय के साथा।।
आश्रभ एक दीि भग भाहीॊ। िग भृग जीव जॊतु तहॉ नाहीॊ।।
ऩूछा भुसनकह ससरा प्रबु दे िी। सकर कथा भुसन कहा वफसेषी।।
दो0-गौतभ नारय श्राऩ फस उऩर दे ह धरय धीय।
चयन कभर यज चाहसत कृ ऩा कयहु यघुफीय।।210।।
–*–*–
छॊ 0-ऩयसत ऩद ऩावन सोक नसावन प्रगट बई तऩऩुॊज सही।
दे ित यघुनामक जन सुि दामक सनभुि होइ कय जोरय यही।।
असत प्रेभ अधीया ऩुरक सयीया भुि नकहॊ आवइ फचन कही।
असतसम फड़बागी चयनष्न्ह रागी जुगर नमन जरधाय फही।।
धीयजु भन कीन्हा प्रबु कहुॉ चीन्हा यघुऩसत कृ ऩाॉ बगसत ऩाई।
असत सनभार फानीॊ अस्तुसत ठानी ग्मानगम्म जम यघुयाई।।
भै नारय अऩावन प्रबु जग ऩावन यावन रयऩु जन सुिदाई।
याजीव वफरोचन बव बम भोचन ऩाकह ऩाकह सयनकहॊ आई।।
भुसन श्राऩ जो दीन्हा असत बर कीन्हा ऩयभ अनुग्रह भईआ भाना।
दे िेउॉ बरय रोचन हरय बवभोचन इहइ राब सॊकय जाना।।
वफनती प्रबु भोयी भईआ भसत बोयी नाथ न भागउॉ फय आना।
ऩद कभर ऩयागा यस अनुयागा भभ भन भधुऩ कयै ऩाना।।
जेकहॊ ऩद सुयसरयता ऩयभ ऩुनीता प्रगट बई ससव सीस धयी।
सोइ ऩद ऩॊकज जेकह ऩूजत अज भभ ससय धये उ कृ ऩार हयी।।
एकह बाॉसत ससधायी गौतभ नायी फाय फाय हरय चयन ऩयी।
जो असत भन बावा सो फरु ऩावा गै ऩसतरोक अनॊद बयी।।
दो0-अस प्रबु दीनफॊधु हरय कायन यकहत दमार।
तुरससदास सठ तेकह बजु छाकड़ कऩट जॊजार।।211।।
भासऩायामण, सातवाॉ ववश्राभ
–*–*–
चरे याभ रसछभन भुसन सॊगा। गए जहाॉ जग ऩावसन गॊगा।।
गासधसूनु सफ कथा सुनाई। जेकह प्रकाय सुयसरय भकह आई।।
तफ प्रबु रयवषन्ह सभेत नहाए। वफवफध दान भकहदे वष्न्ह ऩाए।।

81
हयवष चरे भुसन फृॊद सहामा। फेसग वफदे ह नगय सनअयामा।।
ऩुय यम्मता याभ जफ दे िी। हयषे अनुज सभेत वफसेषी।।
फाऩीॊ कूऩ सरयत सय नाना। ससरर सुधासभ भसन सोऩाना।।
गुॊजत भॊजु भत्त यस बृॊगा। कूजत कर फहुफयन वफहॊ गा।।
फयन फयन वफकसे फन जाता। वत्रवफध सभीय सदा सुिदाता।।
दो0-सुभन फाकटका फाग फन वफऩुर वफहॊ ग सनवास।
पूरत परत सुऩल्रवत सोहत ऩुय चहुॉ ऩास।।212।।
–*–*–
फनइ न फयनत नगय सनकाई। जहाॉ जाइ भन तहॉ इॉ रोबाई।।
चारु फजारु वफसचत्र अॉफायी। भसनभम वफसध जनु स्वकय सॉवायी।।
धसनक फसनक फय धनद सभाना। फैठ सकर फस्तु रै नाना।।
चौहट सुॊदय गरीॊ सुहाई। सॊतत यहकहॊ सुगॊध ससॊचाई।।
भॊगरभम भॊकदय सफ केयईऄ । सचवत्रत जनु यसतनाथ सचतेयईऄ।।
ऩुय नय नारय सुबग सुसच सॊता। धयभसीर ग्मानी गुनवॊता।।
असत अनूऩ जहॉ जनक सनवासू। वफथककहॊ वफफुध वफरोकक वफरासू।।
होत चककत सचत कोट वफरोकी। सकर बुवन सोबा जनु योकी।।
दो0-धवर धाभ भसन ऩुयट ऩट सुघकटत नाना बाॉसत।
ससम सनवास सुॊदय सदन सोबा ककसभ ककह जासत।।213।।
–*–*–
सुबग द्वाय सफ कुसरस कऩाटा। बूऩ बीय नट भागध बाटा।।
फनी वफसार फाष्ज गज सारा। हम गम यथ सॊकुर सफ कारा।।
सूय ससचव सेनऩ फहुतेये। नृऩगृह सरयस सदन सफ केये ।।
ऩुय फाहे य सय सारयत सभीऩा। उतये जहॉ तहॉ वफऩुर भहीऩा।।
दे ष्ि अनूऩ एक अॉवयाई। सफ सुऩास सफ बाॉसत सुहाई।।
कौससक कहे उ भोय भनु भाना। इहाॉ यकहअ यघुफीय सुजाना।।
बरेकहॊ नाथ ककह कृ ऩासनकेता। उतये तहॉ भुसनफृॊद सभेता।।
वफस्वासभत्र भहाभुसन आए। सभाचाय सभसथराऩसत ऩाए।।
दो0-सॊग ससचव सुसच बूरय बट बूसुय फय गुय ग्मासत।
चरे सभरन भुसननामककह भुकदत याउ एकह बाॉसत।।214।।
–*–*–
कीन्ह प्रनाभु चयन धरय भाथा। दीष्न्ह असीस भुकदत भुसननाथा।।
वफप्रफृॊद सफ सादय फॊदे। जासन बाग्म फड़ याउ अनॊदे।।
कुसर प्रस्न ककह फायकहॊ फाया। वफस्वासभत्र नृऩकह फैठाया।।

82
तेकह अवसय आए दोउ बाई। गए यहे दे िन पुरवाई।।
स्माभ गौय भृद ु फमस ककसोया। रोचन सुिद वफस्व सचत चोया।।
उठे सकर जफ यघुऩसत आए। वफस्वासभत्र सनकट फैठाए।।
बए सफ सुिी दे ष्ि दोउ र्भ्ाता। फारय वफरोचन ऩुरककत गाता।।
भूयसत भधुय भनोहय दे िी। बमउ वफदे हु वफदे हु वफसेषी।।
दो0-प्रेभ भगन भनु जासन नृऩु करय वफफेकु धरय धीय।
फोरेउ भुसन ऩद नाइ ससरु गदगद सगया गबीय।।215।।
–*–*–
कहहु नाथ सुॊदय दोउ फारक। भुसनकुर सतरक कक नृऩकुर ऩारक।।
ब्रह्म जो सनगभ नेसत ककह गावा। उबम फेष धरय की सोइ आवा।।
सहज वफयागरुऩ भनु भोया। थककत होत ष्जसभ चॊद चकोया।।
ताते प्रबु ऩूछउॉ ससतबाऊ। कहहु नाथ जसन कयहु दयु ाऊ।।
इन्हकह वफरोकत असत अनुयागा। फयफस ब्रह्मसुिकह भन त्मागा।।
कह भुसन वफहसस कहे हु नृऩ नीका। फचन तुम्हाय न होइ अरीका।।
ए वप्रम सफकह जहाॉ रसग प्रानी। भन भुसुकाकहॊ याभु सुसन फानी।।
यघुकुर भसन दसयथ के जाए। भभ कहत रासग नये स ऩठाए।।
दो0-याभु रिनु दोउ फॊधुफय रूऩ सीर फर धाभ।
भि यािेउ सफु साष्ि जगु ष्जते असुय सॊग्राभ।।216।।
–*–*–

भुसन तव चयन दे ष्ि कह याऊ। ककह न सकउॉ सनज ऩुन्म प्राबाऊ।।


सुॊदय स्माभ गौय दोउ र्भ्ाता। आनॉदहू के आनॉद दाता।।
इन्ह कै प्रीसत ऩयसऩय ऩावसन। ककह न जाइ भन बाव सुहावसन।।
सुनहु नाथ कह भुकदत वफदे हू। ब्रह्म जीव इव सहज सनेहू।।
ऩुसन ऩुसन प्रबुकह सचतव नयनाहू। ऩुरक गात उय असधक उछाहू।।
म्रुसनकह प्रसॊसस नाइ ऩद सीसू। चरेउ रवाइ नगय अवनीसू।।
सुॊदय सदनु सुिद सफ कारा। तहाॉ फासु रै दीन्ह बुआरा।।
करय ऩूजा सफ वफसध सेवकाई। गमउ याउ गृह वफदा कयाई।।
दो0-रयषम सॊग यघुफॊस भसन करय बोजनु वफश्राभु।
फैठे प्रबु र्भ्ाता सकहत कदवसु यहा बरय जाभु।।217।।
–*–*–
रिन रृदमॉ रारसा वफसेषी। जाइ जनकऩुय आइअ दे िी।।
प्रबु बम फहुरय भुसनकह सकुचाहीॊ। प्रगट न कहकहॊ भनकहॊ भुसुकाहीॊ।।

83
याभ अनुज भन की गसत जानी। बगत फछरता कहॊ मॉ हुरसानी।।
ऩयभ वफनीत सकुसच भुसुकाई। फोरे गुय अनुसासन ऩाई।।
नाथ रिनु ऩुरु दे िन चहहीॊ। प्रबु सकोच डय प्रगट न कहहीॊ।।
जं याउय आमसु भईआ ऩावं। नगय दे िाइ तुयत रै आवौ।।
सुसन भुनीसु कह फचन सप्रीती। कस न याभ तुम्ह यािहु नीती।।
धयभ सेतु ऩारक तुम्ह ताता। प्रेभ वफफस सेवक सुिदाता।।
दो0-जाइ दे िी आवहु नगरु सुि सनधान दोउ बाइ।
कयहु सुपर सफ के नमन सुॊदय फदन दे िाइ।।218।।
भासऩायामण, आठवाॉ ववश्राभ
नवान्हऩायामण, दस ू या ववश्राभ
–*–*–
भुसन ऩद कभर फॊकद दोउ र्भ्ाता। चरे रोक रोचन सुि दाता।।
फारक फृॊकद दे ष्ि असत सोबा। रगे सॊग रोचन भनु रोबा।।
ऩीत फसन ऩरयकय ककट बाथा। चारु चाऩ सय सोहत हाथा।।
तन अनुहयत सुचॊदन िोयी। स्माभर गौय भनोहय जोयी।।
केहरय कॊधय फाहु वफसारा। उय असत रुसचय नागभसन भारा।।
सुबग सोन सयसीरुह रोचन। फदन भमॊक ताऩत्रम भोचन।।
कानष्न्ह कनक पूर छवफ दे हीॊ। सचतवत सचतकह चोरय जनु रेहीॊ।।
सचतवसन चारु बृकुकट फय फाॉकी। सतरक ये िा सोबा जनु चाॉकी।।
दो0-रुसचय चौतनीॊ सुबग ससय भेचक कुॊसचत केस।
नि ससि सुॊदय फॊधु दोउ सोबा सकर सुदेस।।219।।
–*–*–
दे िन नगरु बूऩसुत आए। सभाचाय ऩुयफाससन्ह ऩाए।।
धाए धाभ काभ सफ त्मागी। भनहु यॊ क सनसध रूटन रागी।।
सनयष्ि सहज सुॊदय दोउ बाई। होकहॊ सुिी रोचन पर ऩाई।।
जुफतीॊ बवन झयोिष्न्ह रागीॊ। सनयिकहॊ याभ रूऩ अनुयागीॊ।।
कहकहॊ ऩयसऩय फचन सप्रीती। सष्ि इन्ह कोकट काभ छवफ जीती।।
सुय नय असुय नाग भुसन भाहीॊ। सोबा असस कहुॉ सुसनअसत नाहीॊ।।
वफकनु चारय बुज वफसघ भुि चायी। वफकट फेष भुि ऩॊच ऩुयायी।।
अऩय दे उ अस कोउ न आही। मह छवफ सष्ि ऩटतरयअ जाही।।
दो0-फम ककसोय सुषभा सदन स्माभ गौय सुि घाभ ।
अॊग अॊग ऩय वारयअकहॊ कोकट कोकट सत काभ।।220।।
–*–*–

84
कहहु सिी अस को तनुधायी। जो न भोह मह रूऩ सनहायी।।
कोउ सप्रेभ फोरी भृद ु फानी। जो भईआ सुना सो सुनहु समानी।।
ए दोऊ दसयथ के ढोटा। फार भयारष्न्ह के कर जोटा।।
भुसन कौससक भि के यिवाये । ष्जन्ह यन अष्जय सनसाचय भाये ।।
स्माभ गात कर कॊज वफरोचन। जो भायीच सुबुज भद ु भोचन।।
कौसल्मा सुत सो सुि िानी। नाभु याभु धनु सामक ऩानी।।
गौय ककसोय फेषु फय काछईऄ । कय सय चाऩ याभ के ऩाछईऄ ।।
रसछभनु नाभु याभ रघु र्भ्ाता। सुनु सष्ि तासु सुसभत्रा भाता।।
दो0-वफप्रकाजु करय फॊधु दोउ भग भुसनफधू उधारय।
आए दे िन चाऩभि सुसन हयषीॊ सफ नारय।।221।।
–*–*–
दे ष्ि याभ छवफ कोउ एक कहई। जोगु जानकककह मह फरु अहई।।
जौ सष्ि इन्हकह दे ि नयनाहू। ऩन ऩरयहरय हकठ कयइ वफफाहू।।
कोउ कह ए बूऩसत ऩकहचाने। भुसन सभेत सादय सनभाने।।
सष्ि ऩयॊ तु ऩनु याउ न तजई। वफसध फस हकठ अवफफेककह बजई।।
कोउ कह जं बर अहइ वफधाता। सफ कहॉ सुसनअ उसचत परदाता।।
तौ जानकककह सभसरकह फरु एहू। नाकहन आसर इहाॉ सॊदेहू।।
जौ वफसध फस अस फनै सॉजोगू। तौ कृ तकृ त्म होइ सफ रोगू।।
सष्ि हभयईऄ आयसत असत तातईऄ। कफहुॉक ए आवकहॊ एकह नातईऄ।।
दो0-नाकहॊ त हभ कहुॉ सुनहु सष्ि इन्ह कय दयसनु दरू य।
मह सॊघटु तफ होइ जफ ऩुन्म ऩुयाकृ त बूरय।।222।।
–*–*–
फोरी अऩय कहे हु सष्ि नीका। एकहॊ वफआह असत कहत सफहीॊ का।।
कोउ कह सॊकय चाऩ कठोया। ए स्माभर भृदग
ु ात ककसोया।।
सफु असभॊजस अहइ समानी। मह सुसन अऩय कहइ भृद ु फानी।।
सष्ि इन्ह कहॉ कोउ कोउ अस कहहीॊ। फड़ प्रबाउ दे ित रघु अहहीॊ।।
ऩयसस जासु ऩद ऩॊकज धूयी। तयी अहल्मा कृ त अघ बूयी।।
सो कक यकहकह वफनु ससवधनु तोयईऄ । मह प्रतीसत ऩरयहरयअ न बोयईऄ ।।
जेकहॊ वफयॊ सच यसच सीम सॉवायी। तेकहॊ स्माभर फरु यचेउ वफचायी।।
तासु फचन सुसन सफ हयषानीॊ। ऐसेइ होउ कहकहॊ भुद ु फानी।।
दो0-कहमॉ हयषकहॊ फयषकहॊ सुभन सुभुष्ि सुरोचसन फृॊद।
जाकहॊ जहाॉ जहॉ फॊधु दोउ तहॉ तहॉ ऩयभानॊद।।223।।
–*–*–

85
ऩुय ऩूयफ कदसस गे दोउ बाई। जहॉ धनुभि कहत बूसभ फनाई।।
असत वफस्ताय चारु गच ढायी। वफभर फेकदका रुसचय सॉवायी।।
चहुॉ कदसस कॊचन भॊच वफसारा। यचे जहाॉ फेठकहॊ भकहऩारा।।
तेकह ऩाछईऄ सभीऩ चहुॉ ऩासा। अऩय भॊच भॊडरी वफरासा।।
कछुक ऊॉसच सफ बाॉसत सुहाई। फैठकहॊ नगय रोग जहॉ जाई।।
सतन्ह के सनकट वफसार सुहाए। धवर धाभ फहुफयन फनाए।।
जहॉ फईआठईआ दे िकहॊ सफ नायी। जथा जोगु सनज कुर अनुहायी।।
ऩुय फारक ककह ककह भृद ु फचना। सादय प्रबुकह दे िावकहॊ यचना।।
दो0-सफ सससु एकह सभस प्रेभफस ऩयसस भनोहय गात।
तन ऩुरककहॊ असत हयषु कहमॉ दे ष्ि दे ष्ि दोउ र्भ्ात।।224।।
–*–*–
सससु सफ याभ प्रेभफस जाने। प्रीसत सभेत सनकेत फिाने।।
सनज सनज रुसच सफ रईऄकहॊ फोराई। सकहत सनेह जाकहॊ दोउ बाई।।
याभ दे िावकहॊ अनुजकह यचना। ककह भृद ु भधुय भनोहय फचना।।
रव सनभेष भहॉ बुवन सनकामा। यचइ जासु अनुसासन भामा।।
बगसत हे तु सोइ दीनदमारा। सचतवत चककत धनुष भिसारा।।
कौतुक दे ष्ि चरे गुरु ऩाहीॊ। जासन वफरॊफु त्रास भन भाहीॊ।।
जासु त्रास डय कहुॉ डय होई। बजन प्रबाउ दे िावत सोई।।
ककह फातईऄ भृद ु भधुय सुहाईं। ककए वफदा फारक फरयआई।।
दो0-सबम सप्रेभ वफनीत असत सकुच सकहत दोउ बाइ।
गुय ऩद ऩॊकज नाइ ससय फैठे आमसु ऩाइ।।225।।
–*–*–
सनसस प्रफेस भुसन आमसु दीन्हा। सफहीॊ सॊध्माफॊदनु कीन्हा।।
कहत कथा इसतहास ऩुयानी। रुसचय यजसन जुग जाभ ससयानी।।
भुसनफय समन कीष्न्ह तफ जाई। रगे चयन चाऩन दोउ बाई।।
ष्जन्ह के चयन सयोरुह रागी। कयत वफवफध जऩ जोग वफयागी।।
तेइ दोउ फॊधु प्रेभ जनु जीते। गुय ऩद कभर ऩरोटत प्रीते।।
फायफाय भुसन अग्मा दीन्ही। यघुफय जाइ समन तफ कीन्ही।।
चाऩत चयन रिनु उय राएॉ। सबम सप्रेभ ऩयभ सचु ऩाएॉ।।
ऩुसन ऩुसन प्रबु कह सोवहु ताता। ऩौढ़े धरय उय ऩद जरजाता।।
दो0-उठे रिन सनसस वफगत सुसन अरुनससिा धुसन कान।।
गुय तईऄ ऩकहरेकहॊ जगतऩसत जागे याभु सुजान।।226।।
–*–*–

86
सकर सौच करय जाइ नहाए। सनत्म सनफाकह भुसनकह ससय नाए।।
सभम जासन गुय आमसु ऩाई। रेन प्रसून चरे दोउ बाई।।
बूऩ फागु फय दे िेउ जाई। जहॉ फसॊत रयतु यही रोबाई।।
रागे वफटऩ भनोहय नाना। फयन फयन फय फेसर वफताना।।
नव ऩल्रव पर सुभान सुहाए। सनज सॊऩसत सुय रूि रजाए।।
चातक कोककर कीय चकोया। कूजत वफहग नटत कर भोया।।
भध्म फाग सरु सोह सुहावा। भसन सोऩान वफसचत्र फनावा।।
वफभर ससररु सयससज फहुयॊगा। जरिग कूजत गुॊजत बृॊगा।।
दो0-फागु तड़ागु वफरोकक प्रबु हयषे फॊधु सभेत।
ऩयभ यम्म आयाभु महु जो याभकह सुि दे त।।227।।
–*–*–
चहुॉ कदसस सचतइ ऩूॉसछ भासरगन। रगे रेन दर पूर भुकदत भन।।
तेकह अवसय सीता तहॉ आई। सगरयजा ऩूजन जनसन ऩठाई।।
सॊग सिीॊ सफ सुबग समानी। गावकहॊ गीत भनोहय फानी।।
सय सभीऩ सगरयजा गृह सोहा। फयसन न जाइ दे ष्ि भनु भोहा।।
भज्जनु करय सय सष्िन्ह सभेता। गई भुकदत भन गौरय सनकेता।।
ऩूजा कीष्न्ह असधक अनुयागा। सनज अनुरूऩ सुबग फरु भागा।।
एक सिी ससम सॊगु वफहाई। गई यही दे िन पुरवाई।।
तेकह दोउ फॊधु वफरोके जाई। प्रेभ वफफस सीता ऩकहॊ आई।।
दो0-तासु दसा दे ष्ि सष्िन्ह ऩुरक गात जरु नैन।
कहु कायनु सनज हयष कय ऩूछकह सफ भृद ु फैन।।228।।
–*–*–
दे िन फागु कुअॉय दइ
ु आए। फम ककसोय सफ बाॉसत सुहाए।।
स्माभ गौय ककसभ कहं फिानी। सगया अनमन नमन वफनु फानी।।
सुसन हयषीँ सफ सिीॊ समानी। ससम कहमॉ असत उतकॊठा जानी।।
एक कहइ नृऩसुत तेइ आरी। सुने जे भुसन सॉग आए कारी।।
ष्जन्ह सनज रूऩ भोहनी डायी। कीन्ह स्वफस नगय नय नायी।।
फयनत छवफ जहॉ तहॉ सफ रोगू। अवसस दे ष्िअकहॊ दे िन जोगू।।
तासु वचन असत ससमकह सुहाने। दयस रासग रोचन अकुराने।।
चरी अग्र करय वप्रम सष्ि सोई। प्रीसत ऩुयातन रिइ न कोई।।
दो0-सुसभरय सीम नायद फचन उऩजी प्रीसत ऩुनीत।।
चककत वफरोकसत सकर कदसस जनु सससु भृगी सबीत।।229।।
–*–*–

87
कॊकन ककॊककसन नूऩुय धुसन सुसन। कहत रिन सन याभु रृदमॉ गुसन।।
भानहुॉ भदन दॊ द
ु ब
ु ी दीन्ही।।भनसा वफस्व वफजम कहॉ कीन्ही।।
अस ककह कपरय सचतए तेकह ओया। ससम भुि ससस बए नमन चकोया।।
बए वफरोचन चारु अचॊचर। भनहुॉ सकुसच सनसभ तजे कदगॊचर।।
दे ष्ि सीम सोबा सुिु ऩावा। रृदमॉ सयाहत फचनु न आवा।।
जनु वफयॊ सच सफ सनज सनऩुनाई। वफयसच वफस्व कहॉ प्रगकट दे िाई।।
सुॊदयता कहुॉ सुॊदय कयई। छवफगृहॉ दीऩससिा जनु फयई।।
सफ उऩभा कवफ यहे जुठायी। केकहॊ ऩटतयं वफदे हकुभायी।।
दो0-ससम सोबा कहमॉ फयसन प्रबु आऩसन दसा वफचारय।
फोरे सुसच भन अनुज सन फचन सभम अनुहारय।।230।।
–*–*–
तात जनकतनमा मह सोई। धनुषजग्म जेकह कायन होई।।
ऩूजन गौरय सिीॊ रै आई। कयत प्रकासु कपयइ पुरवाई।।
जासु वफरोकक अरोककक सोबा। सहज ऩुनीत भोय भनु छोबा।।
सो सफु कायन जान वफधाता। पयककहॊ सुबद अॊग सुनु र्भ्ाता।।
यघुफॊससन्ह कय सहज सुबाऊ। भनु कुऩॊथ ऩगु धयइ न काऊ।।
भोकह असतसम प्रतीसत भन केयी। जेकहॊ सऩनेहुॉ ऩयनारय न हे यी।।
ष्जन्ह कै रहकहॊ न रयऩु यन ऩीठी। नकहॊ ऩावकहॊ ऩयसतम भनु डीठी।।
भॊगन रहकह न ष्जन्ह कै नाहीॊ। ते नयफय थोये जग भाहीॊ।।
दो0-कयत फतककह अनुज सन भन ससम रूऩ रोबान।
भुि सयोज भकयॊ द छवफ कयइ भधुऩ इव ऩान।।231।।
–*–*–
सचतवकह चककत चहूॉ कदसस सीता। कहॉ गए नृऩककसोय भनु सचॊता।।
जहॉ वफरोक भृग सावक नैनी। जनु तहॉ फरयस कभर ससत श्रेनी।।
रता ओट तफ सष्िन्ह रिाए। स्माभर गौय ककसोय सुहाए।।
दे ष्ि रूऩ रोचन ररचाने। हयषे जनु सनज सनसध ऩकहचाने।।
थके नमन यघुऩसत छवफ दे िईऄ। ऩरकष्न्हहूॉ ऩरयहयीॊ सनभेषईऄ।।
असधक सनेहॉ दे ह बै बोयी। सयद सससकह जनु सचतव चकोयी।।
रोचन भग याभकह उय आनी। दीन्हे ऩरक कऩाट समानी।।
जफ ससम सष्िन्ह प्रेभफस जानी। ककह न सककहॊ कछु भन सकुचानी।।
दो0-रताबवन तईऄ प्रगट बे तेकह अवसय दोउ बाइ।
सनकसे जनु जुग वफभर वफधु जरद ऩटर वफरगाइ।।232।।
–*–*–

88
सोबा सीवॉ सुबग दोउ फीया। नीर ऩीत जरजाब सयीया।।
भोयऩॊि ससय सोहत नीके। गुछछ फीच वफच कुसुभ करी के।।
बार सतरक श्रभवफॊद ु सुहाए। श्रवन सुबग बूषन छवफ छाए।।
वफकट बृकुकट कच घूघयवाये । नव सयोज रोचन यतनाये ।।
चारु सचफुक नाससका कऩोरा। हास वफरास रेत भनु भोरा।।
भुिछवफ ककह न जाइ भोकह ऩाहीॊ। जो वफरोकक फहु काभ रजाहीॊ।।
उय भसन भार कॊफु कर गीवा। काभ करब कय बुज फरसीॊवा।।
सुभन सभेत फाभ कय दोना। सावॉय कुअॉय सिी सुकठ रोना।।
दो0-केहरय ककट ऩट ऩीत धय सुषभा सीर सनधान।
दे ष्ि बानुकुरबूषनकह वफसया सष्िन्ह अऩान।।233।।
–*–*–
धरय धीयजु एक आसर समानी। सीता सन फोरी गकह ऩानी।।
फहुरय गौरय कय ध्मान कये हू। बूऩककसोय दे ष्ि ककन रेहू।।
सकुसच सीमॉ तफ नमन उघाये । सनभुि दोउ यघुससॊघ सनहाये ।।
नि ससि दे ष्ि याभ कै सोबा। सुसभरय वऩता ऩनु भनु असत छोबा।।
ऩयफस सष्िन्ह रिी जफ सीता। बमउ गहरु सफ कहकह सबीता।।
ऩुसन आउफ एकह फेरयआॉ कारी। अस ककह भन वफहसी एक आरी।।
गूढ़ सगया सुसन ससम सकुचानी। बमउ वफरॊफु भातु बम भानी।।
धरय फकड़ धीय याभु उय आने। कपरय अऩनऩउ वऩतुफस जाने।।
दो0-दे िन सभस भृग वफहग तरु कपयइ फहोरय फहोरय।
सनयष्ि सनयष्ि यघुफीय छवफ फाढ़इ प्रीसत न थोरय।। 234।।
–*–*–
जासन ककठन ससवचाऩ वफसूयसत। चरी याष्ि उय स्माभर भूयसत।।
प्रबु जफ जात जानकी जानी। सुि सनेह सोबा गुन िानी।।
ऩयभ प्रेभभम भृद ु भसस कीन्ही। चारु सचत बीतीॊ सरि रीन्ही।।
गई बवानी बवन फहोयी। फॊकद चयन फोरी कय जोयी।।
जम जम सगरयफययाज ककसोयी। जम भहे स भुि चॊद चकोयी।।
जम गज फदन षड़ानन भाता। जगत जनसन दासभसन दसु त गाता।।
नकहॊ तव आकद भध्म अवसाना। असभत प्रबाउ फेद ु नकहॊ जाना।।
बव बव वफबव ऩयाबव कारयसन। वफस्व वफभोहसन स्वफस वफहारयसन।।
दो0-ऩसतदे वता सुतीम भहुॉ भातु प्रथभ तव ये ि।
भकहभा असभत न सककहॊ ककह सहस सायदा सेष।।235।।
–*–*–

89
सेवत तोकह सुरब पर चायी। फयदामनी ऩुयारय वऩआयी।।
दे वफ ऩूष्ज ऩद कभर तुम्हाये । सुय नय भुसन सफ होकहॊ सुिाये ।।
भोय भनोयथु जानहु नीकईऄ। फसहु सदा उय ऩुय सफही कईऄ।।
कीन्हे उॉ प्रगट न कायन तेहीॊ। अस ककह चयन गहे फैदेहीॊ।।
वफनम प्रेभ फस बई बवानी। िसी भार भूयसत भुसुकानी।।
सादय ससमॉ प्रसाद ु ससय धये ऊ। फोरी गौरय हयषु कहमॉ बये ऊ।।
सुनु ससम सत्म असीस हभायी। ऩूष्जकह भन काभना तुम्हायी।।
नायद फचन सदा सुसच साचा। सो फरु सभसरकह जाकहॊ भनु याचा।।
छॊ 0-भनु जाकहॊ याचेउ सभसरकह सो फरु सहज सुॊदय साॉवयो।
करुना सनधान सुजान सीरु सनेहु जानत यावयो।।
एकह बाॉसत गौरय असीस सुसन ससम सकहत कहमॉ हयषीॊ अरी।
तुरसी बवासनकह ऩूष्ज ऩुसन ऩुसन भुकदत भन भॊकदय चरी।।
सो0-जासन गौरय अनुकूर ससम कहम हयषु न जाइ ककह।
भॊजुर भॊगर भूर फाभ अॊग पयकन रगे।।236।।
रृदमॉ सयाहत सीम रोनाई। गुय सभीऩ गवने दोउ बाई।।
याभ कहा सफु कौससक ऩाहीॊ। सयर सुबाउ छुअत छर नाहीॊ।।
सुभन ऩाइ भुसन ऩूजा कीन्ही। ऩुसन असीस दह
ु ु बाइन्ह दीन्ही।।
सुपर भनोयथ होहुॉ तुम्हाये । याभु रिनु सुसन बए सुिाये ।।
करय बोजनु भुसनफय वफग्मानी। रगे कहन कछु कथा ऩुयानी।।
वफगत कदवसु गुरु आमसु ऩाई। सॊध्मा कयन चरे दोउ बाई।।
प्राची कदसस ससस उमउ सुहावा। ससम भुि सरयस दे ष्ि सुिु ऩावा।।
फहुरय वफचारु कीन्ह भन भाहीॊ। सीम फदन सभ कहभकय नाहीॊ।।
दो0-जनभु ससॊधु ऩुसन फॊधु वफषु कदन भरीन सकरॊक।
ससम भुि सभता ऩाव ककसभ चॊद ु फाऩुयो यॊ क।।237।।
–*–*–
घटइ फढ़इ वफयहसन दि
ु दाई। ग्रसइ याहु सनज सॊसधकहॊ ऩाई।।
कोक ससकप्रद ऩॊकज रोही। अवगुन फहुत चॊरभा तोही।।
फैदेही भुि ऩटतय दीन्हे । होइ दोष फड़ अनुसचत कीन्हे ।।
ससम भुि छवफ वफधु ब्माज फिानी। गुरु ऩकहॊ चरे सनसा फकड़ जानी।।
करय भुसन चयन सयोज प्रनाभा। आमसु ऩाइ कीन्ह वफश्राभा।।
वफगत सनसा यघुनामक जागे। फॊधु वफरोकक कहन अस रागे।।
उदउ अरुन अवरोकहु ताता। ऩॊकज कोक रोक सुिदाता।।

90
फोरे रिनु जोरय जुग ऩानी। प्रबु प्रबाउ सूचक भृद ु फानी।।
दो0-अरुनोदमॉ सकुचे कुभुद उडगन जोसत भरीन।
ष्जसभ तुम्हाय आगभन सुसन बए नृऩसत फरहीन।।238।।
–*–*–
नृऩ सफ नित कयकहॊ उष्जआयी। टारय न सककहॊ चाऩ तभ बायी।।
कभर कोक भधुकय िग नाना। हयषे सकर सनसा अवसाना।।
ऐसेकहॊ प्रबु सफ बगत तुम्हाये । होइहकहॊ टू टईऄ धनुष सुिाये ।।
उमउ बानु वफनु श्रभ तभ नासा। दयु े नित जग तेजु प्रकासा।।
यवफ सनज उदम ब्माज यघुयामा। प्रबु प्रताऩु सफ नृऩन्ह कदिामा।।
तव बुज फर भकहभा उदघाटी। प्रगटी धनु वफघटन ऩरयऩाटी।।
फॊधु फचन सुसन प्रबु भुसुकाने। होइ सुसच सहज ऩुनीत नहाने।।
सनत्मकक्रमा करय गुरु ऩकहॊ आए। चयन सयोज सुबग ससय नाए।।
सतानॊद ु तफ जनक फोराए। कौससक भुसन ऩकहॊ तुयत ऩठाए।।
जनक वफनम सतन्ह आइ सुनाई। हयषे फोसर सरए दोउ बाई।।
दो0-सतानॊदûऩद फॊकद प्रबु फैठे गुय ऩकहॊ जाइ।
चरहु तात भुसन कहे उ तफ ऩठवा जनक फोराइ।।239।।
–*–*–
सीम स्वमॊफरु दे ष्िअ जाई। ईसु काकह धं दे इ फड़ाई।।
रिन कहा जस बाजनु सोई। नाथ कृ ऩा तव जाऩय होई।।
हयषे भुसन सफ सुसन फय फानी। दीष्न्ह असीस सफकहॊ सुिु भानी।।
ऩुसन भुसनफृॊद सभेत कृ ऩारा। दे िन चरे धनुषभि सारा।।
यॊ गबूसभ आए दोउ बाई। असस सुसध सफ ऩुयफाससन्ह ऩाई।।
चरे सकर गृह काज वफसायी। फार जुफान जयठ नय नायी।।
दे िी जनक बीय बै बायी। सुसच सेवक सफ सरए हॉ कायी।।
तुयत सकर रोगन्ह ऩकहॊ जाहू। आसन उसचत दे हू सफ काहू।।
दो0-ककह भृद ु फचन वफनीत सतन्ह फैठाये नय नारय।
उत्तभ भध्मभ नीच रघु सनज सनज थर अनुहारय।।240।।
–*–*–
याजकुअॉय तेकह अवसय आए। भनहुॉ भनोहयता तन छाए।।
गुन सागय नागय फय फीया। सुॊदय स्माभर गौय सयीया।।
याज सभाज वफयाजत रूये । उडगन भहुॉ जनु जुग वफधु ऩूये।।
ष्जन्ह कईऄ यही बावना जैसी। प्रबु भूयसत सतन्ह दे िी तैसी।।
दे िकहॊ रूऩ भहा यनधीया। भनहुॉ फीय यसु धयईऄ सयीया।।

91
डये कुकटर नृऩ प्रबुकह सनहायी। भनहुॉ बमानक भूयसत बायी।।
यहे असुय छर छोसनऩ फेषा। सतन्ह प्रबु प्रगट कारसभ दे िा।।
ऩुयफाससन्ह दे िे दोउ बाई। नयबूषन रोचन सुिदाई।।
दो0-नारय वफरोककहॊ हयवष कहमॉ सनज सनज रुसच अनुरूऩ।
जनु सोहत ससॊगाय धरय भूयसत ऩयभ अनूऩ।।241।।
–*–*–
वफदष
ु न्ह प्रबु वफयाटभम दीसा। फहु भुि कय ऩग रोचन सीसा।।
जनक जासत अवरोककहॊ कैसईआ। सजन सगे वप्रम रागकहॊ जैसईऄ।।
सकहत वफदे ह वफरोककहॊ यानी। सससु सभ प्रीसत न जासत फिानी।।
जोसगन्ह ऩयभ तत्वभम बासा। साॊत सुद्ध सभ सहज प्रकासा।।
हरयबगतन्ह दे िे दोउ र्भ्ाता। इिदे व इव सफ सुि दाता।।
याभकह सचतव बामॉ जेकह सीमा। सो सनेहु सुिु नकहॊ कथनीमा।।
उय अनुबवसत न ककह सक सोऊ। कवन प्रकाय कहै कवफ कोऊ।।
एकह वफसध यहा जाकह जस बाऊ। तेकहॊ तस दे िेउ कोसरयाऊ।।
दो0-याजत याज सभाज भहुॉ कोसरयाज ककसोय।
सुॊदय स्माभर गौय तन वफस्व वफरोचन चोय।।242।।
–*–*–
सहज भनोहय भूयसत दोऊ। कोकट काभ उऩभा रघु सोऊ।।
सयद चॊद सनॊदक भुि नीके। नीयज नमन बावते जी के।।
सचतवत चारु भाय भनु हयनी। बावसत रृदम जासत नहीॊ फयनी।।
कर कऩोर श्रुसत कुॊडर रोरा। सचफुक अधय सुॊदय भृद ु फोरा।।
कुभुदफॊधु कय सनॊदक हाॉसा। बृकुटी वफकट भनोहय नासा।।
बार वफसार सतरक झरकाहीॊ। कच वफरोकक असर अवसर रजाहीॊ।।
ऩीत चौतनीॊ ससयष्न्ह सुहाई। कुसुभ करीॊ वफच फीच फनाईं।।
ये िईऄ रुसचय कॊफु कर गीवाॉ। जनु वत्रबुवन सुषभा की सीवाॉ।।
दो0-कुॊजय भसन कॊठा कसरत उयष्न्ह तुरससका भार।
फृषब कॊध केहरय ठवसन फर सनसध फाहु वफसार।।243।।
–*–*–
ककट तूनीय ऩीत ऩट फाॉधे। कय सय धनुष फाभ फय काॉधे।।
ऩीत जग्म उऩफीत सुहाए। नि ससि भॊजु भहाछवफ छाए।।
दे ष्ि रोग सफ बए सुिाये । एकटक रोचन चरत न ताये ।।
हयषे जनकु दे ष्ि दोउ बाई। भुसन ऩद कभर गहे तफ जाई।।
करय वफनती सनज कथा सुनाई। यॊ ग अवसन सफ भुसनकह दे िाई।।

92
जहॉ जहॉ जाकह कुअॉय फय दोऊ। तहॉ तहॉ चककत सचतव सफु कोऊ।।
सनज सनज रुि याभकह सफु दे िा। कोउ न जान कछु भयभु वफसेषा।।
बसर यचना भुसन नृऩ सन कहे ऊ। याजाॉ भुकदत भहासुि रहे ऊ।।
दो0-सफ भॊचन्ह ते भॊचु एक सुॊदय वफसद वफसार।
भुसन सभेत दोउ फॊधु तहॉ फैठाये भकहऩार।।244।।
–*–*–
प्रबुकह दे ष्ि सफ नृऩ कहॉ मॉ हाये । जनु याकेस उदम बएॉ ताये ।।
असस प्रतीसत सफ के भन भाहीॊ। याभ चाऩ तोयफ सक नाहीॊ।।
वफनु बॊजेहुॉ बव धनुषु वफसारा। भेसरकह सीम याभ उय भारा।।
अस वफचारय गवनहु घय बाई। जसु प्रताऩु फरु तेजु गवाॉई।।
वफहसे अऩय बूऩ सुसन फानी। जे अवफफेक अॊध असबभानी।।
तोये हुॉ धनुषु ब्माहु अवगाहा। वफनु तोयईऄ को कुअॉरय वफआहा।।
एक फाय कारउ ककन होऊ। ससम कहत सभय ष्जतफ हभ सोऊ।।
मह सुसन अवय भकहऩ भुसकाने। धयभसीर हरयबगत समाने।।
सो0-सीम वफआहवफ याभ गयफ दरू य करय नृऩन्ह के।।
जीसत को सक सॊग्राभ दसयथ के यन फाॉकुये ।।245।।
ब्मथा भयहु जसन गार फजाई। भन भोदकष्न्ह कक बूि फुताई।।
ससि हभारय सुसन ऩयभ ऩुनीता। जगदॊ फा जानहु ष्जमॉ सीता।।
जगत वऩता यघुऩसतकह वफचायी। बरय रोचन छवफ रेहु सनहायी।।
सुॊदय सुिद सकर गुन यासी। ए दोउ फॊधु सॊबु उय फासी।।
सुधा सभुर सभीऩ वफहाई। भृगजरु सनयष्ि भयहु कत धाई।।
कयहु जाइ जा कहुॉ जोई बावा। हभ तौ आजु जनभ परु ऩावा।।
अस ककह बरे बूऩ अनुयागे। रूऩ अनूऩ वफरोकन रागे।।
दे िकहॊ सुय नब चढ़े वफभाना। फयषकहॊ सुभन कयकहॊ कर गाना।।
दो0-जासन सुअवसरु सीम तफ ऩठई जनक फोराई।
चतुय सिीॊ सुॊदय सकर सादय चरीॊ रवाईं।।246।।
–*–*–
ससम सोबा नकहॊ जाइ फिानी। जगदॊ वफका रूऩ गुन िानी।।
उऩभा सकर भोकह रघु रागीॊ। प्राकृ त नारय अॊग अनुयागीॊ।।
ससम फयसनअ तेइ उऩभा दे ई। कुकवफ कहाइ अजसु को रेई।।
जौ ऩटतरयअ तीम सभ सीमा। जग असस जुफसत कहाॉ कभनीमा।।
सगया भुिय तन अयध बवानी। यसत असत दष्ु ित अतनु ऩसत जानी।।
वफष फारुनी फॊधु वप्रम जेही। ककहअ यभासभ ककसभ फैदेही।।

93
जौ छवफ सुधा ऩमोसनसध होई। ऩयभ रूऩभम कछछऩ सोई।।
सोबा यजु भॊदरु ससॊगारू। भथै ऩासन ऩॊकज सनज भारू।।
दो0-एकह वफसध उऩजै रष्छछ जफ सुॊदयता सुि भूर।
तदवऩ सकोच सभेत कवफ कहकहॊ सीम सभतूर।।247।।
–*–*–
चसरॊ सॊग रै सिीॊ समानी। गावत गीत भनोहय फानी।।
सोह नवर तनु सुॊदय सायी। जगत जनसन अतुसरत छवफ बायी।।
बूषन सकर सुदेस सुहाए। अॊग अॊग यसच सष्िन्ह फनाए।।
यॊ गबूसभ जफ ससम ऩगु धायी। दे ष्ि रूऩ भोहे नय नायी।।
हयवष सुयन्ह दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजाई। फयवष प्रसून अऩछया गाई।।
ऩासन सयोज सोह जमभारा। अवचट सचतए सकर बुआरा।।
सीम चककत सचत याभकह चाहा। बए भोहफस सफ नयनाहा।।
भुसन सभीऩ दे िे दोउ बाई। रगे ररकक रोचन सनसध ऩाई।।
दो0-गुयजन राज सभाजु फड़ दे ष्ि सीम सकुचासन।।
रासग वफरोकन सष्िन्ह तन यघुफीयकह उय आसन।।248।।
–*–*–
याभ रूऩु अरु ससम छवफ दे िईऄ। नय नारयन्ह ऩरयहयीॊ सनभेषईऄ।।
सोचकहॊ सकर कहत सकुचाहीॊ। वफसध सन वफनम कयकहॊ भन भाहीॊ।।
हरु वफसध फेसग जनक जड़ताई। भसत हभारय असस दे कह सुहाई।।
वफनु वफचाय ऩनु तष्ज नयनाहु। सीम याभ कय कयै वफफाहू।।
जग बर कहकह बाव सफ काहू। हठ कीन्हे अॊतहुॉ उय दाहू।।
एकहॊ रारसाॉ भगन सफ रोगू। फरु साॉवयो जानकी जोगू।।
तफ फॊदीजन जनक फौराए। वफरयदावरी कहत चसर आए।।
कह नृऩ जाइ कहहु ऩन भोया। चरे बाट कहमॉ हयषु न थोया।।
दो0-फोरे फॊदी फचन फय सुनहु सकर भकहऩार।
ऩन वफदे ह कय कहकहॊ हभ बुजा उठाइ वफसार।।249।।
–*–*–
नृऩ बुजफर वफधु ससवधनु याहू। गरुअ कठोय वफकदत सफ काहू।।
यावनु फानु भहाबट बाये । दे ष्ि सयासन गवॉकहॊ ससधाये ।।
सोइ ऩुयारय कोदॊ डु कठोया। याज सभाज आजु जोइ तोया।।
वत्रबुवन जम सभेत फैदेही।।वफनकहॊ वफचाय फयइ हकठ तेही।।
सुसन ऩन सकर बूऩ असबराषे। बटभानी असतसम भन भािे।।
ऩरयकय फाॉसध उठे अकुराई। चरे इिदे वन्ह ससय नाई।।

94
तभकक ताकक तकक ससवधनु धयहीॊ। उठइ न कोकट बाॉसत फरु कयहीॊ।।
ष्जन्ह के कछु वफचारु भन भाहीॊ। चाऩ सभीऩ भहीऩ न जाहीॊ।।
दो0-तभकक धयकहॊ धनु भूढ़ नृऩ उठइ न चरकहॊ रजाइ।
भनहुॉ ऩाइ बट फाहुफरु असधकु असधकु गरुआइ।।250।।
–*–*–
बूऩ सहस दस एककह फाया। रगे उठावन टयइ न टाया।।
डगइ न सॊबु सयासन कैसईऄ। काभी फचन सती भनु जैसईऄ।।
सफ नृऩ बए जोगु उऩहासी। जैसईऄ वफनु वफयाग सॊन्मासी।।
कीयसत वफजम फीयता बायी। चरे चाऩ कय फयफस हायी।।
श्रीहत बए हारय कहमॉ याजा। फैठे सनज सनज जाइ सभाजा।।
नृऩन्ह वफरोकक जनकु अकुराने। फोरे फचन योष जनु साने।।
दीऩ दीऩ के बूऩसत नाना। आए सुसन हभ जो ऩनु ठाना।।
दे व दनुज धरय भनुज सयीया। वफऩुर फीय आए यनधीया।।
दो0-कुअॉरय भनोहय वफजम फकड़ कीयसत असत कभनीम।
ऩावसनहाय वफयॊ सच जनु यचेउ न धनु दभनीम।।251।।
–*–*–
कहहु काकह महु राबु न बावा। काहुॉ न सॊकय चाऩ चढ़ावा।।
यहउ चढ़ाउफ तोयफ बाई। सतरु बरय बूसभ न सके छड़ाई।।
अफ जसन कोउ भािै बट भानी। फीय वफहीन भही भईआ जानी।।
तजहु आस सनज सनज गृह जाहू। सरिा न वफसध फैदेकह वफफाहू।।
सुकृत जाइ जं ऩनु ऩरयहयऊॉ। कुअॉरय कुआरय यहउ का कयऊॉ।।
जो जनतेउॉ वफनु बट बुवफ बाई। तौ ऩनु करय होतेउॉ न हॉ साई।।
जनक फचन सुसन सफ नय नायी। दे ष्ि जानकककह बए दि
ु ायी।।
भािे रिनु कुकटर बइॉ बंहईऄ । यदऩट पयकत नमन रयसंहईऄ ।।
दो0-ककह न सकत यघुफीय डय रगे फचन जनु फान।
नाइ याभ ऩद कभर ससरु फोरे सगया प्रभान।।252।।
–*–*–
यघुफॊससन्ह भहुॉ जहॉ कोउ होई। तेकहॊ सभाज अस कहइ न कोई।।
कही जनक जसस अनुसचत फानी। वफयभान यघुकुर भसन जानी।।
सुनहु बानुकुर ऩॊकज बानू। कहउॉ सुबाउ न कछु असबभानू।।
जौ तुम्हारय अनुसासन ऩावं। कॊदक
ु इव ब्रह्माॊड उठावं।।
काचे घट ष्जसभ डायं पोयी। सकउॉ भेरु भूरक ष्जसभ तोयी।।
तव प्रताऩ भकहभा बगवाना। को फाऩुयो वऩनाक ऩुयाना।।

95
नाथ जासन अस आमसु होऊ। कौतुकु कयं वफरोककअ सोऊ।।
कभर नार ष्जसभ चाप चढ़ावं। जोजन सत प्रभान रै धावं।।
दो0-तोयं छत्रक दॊ ड ष्जसभ तव प्रताऩ फर नाथ।
जं न कयं प्रबु ऩद सऩथ कय न धयं धनु बाथ।।253।।
–*–*–
रिन सकोऩ फचन जे फोरे। डगभगासन भकह कदग्गज डोरे।।
सकर रोक सफ बूऩ डे याने। ससम कहमॉ हयषु जनकु सकुचाने।।
गुय यघुऩसत सफ भुसन भन भाहीॊ। भुकदत बए ऩुसन ऩुसन ऩुरकाहीॊ।।
समनकहॊ यघुऩसत रिनु नेवाये । प्रेभ सभेत सनकट फैठाये ।।
वफस्वासभत्र सभम सुब जानी। फोरे असत सनेहभम फानी।।
उठहु याभ बॊजहु बवचाऩा। भेटहु तात जनक ऩरयताऩा।।
सुसन गुरु फचन चयन ससरु नावा। हयषु वफषाद ु न कछु उय आवा।।
ठाढ़े बए उकठ सहज सुबाएॉ। ठवसन जुफा भृगयाजु रजाएॉ।।
दो0-उकदत उदमसगरय भॊच ऩय यघुफय फारऩतॊग।
वफकसे सॊत सयोज सफ हयषे रोचन बृॊग।।254।।
–*–*–
नृऩन्ह केरय आसा सनसस नासी। फचन नित अवरी न प्रकासी।।
भानी भकहऩ कुभुद सकुचाने। कऩटी बूऩ उरूक रुकाने।।
बए वफसोक कोक भुसन दे वा। फरयसकहॊ सुभन जनावकहॊ सेवा।।
गुय ऩद फॊकद सकहत अनुयागा। याभ भुसनन्ह सन आमसु भागा।।
सहजकहॊ चरे सकर जग स्वाभी। भत्त भॊजु फय कुॊजय गाभी।।
चरत याभ सफ ऩुय नय नायी। ऩुरक ऩूरय तन बए सुिायी।।
फॊकद वऩतय सुय सुकृत सॉबाये । जं कछु ऩुन्म प्रबाउ हभाये ।।
तौ ससवधनु भृनार की नाईं। तोयहुॉ याभ गनेस गोसाईं।।
दो0-याभकह प्रेभ सभेत रष्ि सष्िन्ह सभीऩ फोराइ।
सीता भातु सनेह फस फचन कहइ वफरिाइ।।255।।
–*–*–
सष्ि सफ कौतुक दे िसनहाये । जेठ कहावत कहतू हभाये ।।
कोउ न फुझाइ कहइ गुय ऩाहीॊ। ए फारक असस हठ बसर नाहीॊ।।
यावन फान छुआ नकहॊ चाऩा। हाये सकर बूऩ करय दाऩा।।
सो धनु याजकुअॉय कय दे हीॊ। फार भयार कक भॊदय रेहीॊ।।
बूऩ समानऩ सकर ससयानी। सष्ि वफसध गसत कछु जासत न जानी।।
फोरी चतुय सिी भृद ु फानी। तेजवॊत रघु गसनअ न यानी।।

96
कहॉ कुॊबज कहॉ ससॊधु अऩाया। सोषेउ सुजसु सकर सॊसाया।।
यवफ भॊडर दे ित रघु रागा। उदमॉ तासु सतबुवन तभ बागा।।
दो0-भॊत्र ऩयभ रघु जासु फस वफसध हरय हय सुय सफा।
भहाभत्त गजयाज कहुॉ फस कय अॊकुस िफा।।256।।
–*–*–
काभ कुसुभ धनु सामक रीन्हे । सकर बुवन अऩने फस कीन्हे ।।
दे वफ तष्जअ सॊसउ अस जानी। बॊजफ धनुष याभु सुनु यानी।।
सिी फचन सुसन बै ऩयतीती। सभटा वफषाद ु फढ़ी असत प्रीती।।
तफ याभकह वफरोकक फैदेही। सबम रृदमॉ वफनवसत जेकह तेही।।
भनहीॊ भन भनाव अकुरानी। होहु प्रसन्न भहे स बवानी।।
कयहु सपर आऩसन सेवकाई। करय कहतु हयहु चाऩ गरुआई।।
गननामक फयदामक दे वा। आजु रगईऄ कीष्न्हउॉ तुअ सेवा।।
फाय फाय वफनती सुसन भोयी। कयहु चाऩ गुरुता असत थोयी।।
दो0-दे ष्ि दे ष्ि यघुफीय तन सुय भनाव धरय धीय।।
बये वफरोचन प्रेभ जर ऩुरकावरी सयीय।।257।।
–*–*–
नीकईऄ सनयष्ि नमन बरय सोबा। वऩतु ऩनु सुसभरय फहुरय भनु छोबा।।
अहह तात दारुसन हठ ठानी। सभुझत नकहॊ कछु राबु न हानी।।
ससचव सबम ससि दे इ न कोई। फुध सभाज फड़ अनुसचत होई।।
कहॉ धनु कुसरसहु चाकह कठोया। कहॉ स्माभर भृदग
ु ात ककसोया।।
वफसध केकह बाॉसत धयं उय धीया। ससयस सुभन कन फेसधअ हीया।।
सकर सबा कै भसत बै बोयी। अफ भोकह सॊबुचाऩ गसत तोयी।।
सनज जड़ता रोगन्ह ऩय डायी। होकह हरुअ यघुऩसतकह सनहायी।।
असत ऩरयताऩ सीम भन भाही। रव सनभेष जुग सफ सम जाहीॊ।।
दो0-प्रबुकह सचतइ ऩुसन सचतव भकह याजत रोचन रोर।
िेरत भनससज भीन जुग जनु वफधु भॊडर डोर।।258।।
–*–*–
सगया असरसन भुि ऩॊकज योकी। प्रगट न राज सनसा अवरोकी।।
रोचन जरु यह रोचन कोना। जैसे ऩयभ कृ ऩन कय सोना।।
सकुची ब्माकुरता फकड़ जानी। धरय धीयजु प्रतीसत उय आनी।।
तन भन फचन भोय ऩनु साचा। यघुऩसत ऩद सयोज सचतु याचा।।
तौ बगवानु सकर उय फासी। करयकहॊ भोकह यघुफय कै दासी।।
जेकह कईऄ जेकह ऩय सत्म सनेहू। सो तेकह सभरइ न कछु सॊहेहू।।

97
प्रबु तन सचतइ प्रेभ तन ठाना। कृ ऩासनधान याभ सफु जाना।।
ससमकह वफरोकक तकेउ धनु कैसे। सचतव गरुरु रघु ब्मारकह जैसे।।
दो0-रिन रिेउ यघुफॊसभसन ताकेउ हय कोदॊ डु।
ऩुरकक गात फोरे फचन चयन चावऩ ब्रह्माॊडु।।259।।
–*–*–
कदसकुॊजयहु कभठ अकह कोरा। धयहु धयसन धरय धीय न डोरा।।
याभु चहकहॊ सॊकय धनु तोया। होहु सजग सुसन आमसु भोया।।
चाऩ सऩीऩ याभु जफ आए। नय नारयन्ह सुय सुकृत भनाए।।
सफ कय सॊसउ अरु अग्मानू। भॊद भहीऩन्ह कय असबभानू।।
बृगुऩसत केरय गयफ गरुआई। सुय भुसनफयन्ह केरय कदयाई।।
ससम कय सोचु जनक ऩसछतावा। यासनन्ह कय दारुन दि
ु दावा।।
सॊबुचाऩ फड फोकहतु ऩाई। चढे जाइ सफ सॊगु फनाई।।
याभ फाहुफर ससॊधु अऩारू। चहत ऩारु नकह कोउ कड़हारू।।
दो0-याभ वफरोके रोग सफ सचत्र सरिे से दे ष्ि।
सचतई सीम कृ ऩामतन जानी वफकर वफसेवष।।260।।
–*–*–
दे िी वफऩुर वफकर फैदेही। सनसभष वफहात करऩ सभ तेही।।
तृवषत फारय वफनु जो तनु त्मागा। भुएॉ कयइ का सुधा तड़ागा।।
का फयषा सफ कृ षी सुिानईऄ। सभम चुकईऄ ऩुसन का ऩसछतानईऄ।।
अस ष्जमॉ जासन जानकी दे िी। प्रबु ऩुरके रष्ि प्रीसत वफसेषी।।
गुयकह प्रनाभु भनकह भन कीन्हा। असत राघवॉ उठाइ धनु रीन्हा।।
दभकेउ दासभसन ष्जसभ जफ रमऊ। ऩुसन नब धनु भॊडर सभ बमऊ।।
रेत चढ़ावत िईआचत गाढ़ईऄ । काहुॉ न रिा दे ि सफु ठाढ़ईऄ ।।
तेकह छन याभ भध्म धनु तोया। बये बुवन धुसन घोय कठोया।।
छॊ 0-बये बुवन घोय कठोय यव यवफ फाष्ज तष्ज भायगु चरे।
सचक्कयकहॊ कदग्गज डोर भकह अकह कोर कूरुभ करभरे।।
सुय असुय भुसन कय कान दीन्हईऄ सकर वफकर वफचायहीॊ।
कोदॊ ड िॊडेउ याभ तुरसी जमसत फचन उचायही।।
सो0-सॊकय चाऩु जहाजु सागरु यघुफय फाहुफरु।
फूड़ सो सकर सभाजु चढ़ा जो प्रथभकहॊ भोह फस।।261।।
प्रबु दोउ चाऩिॊड भकह डाये । दे ष्ि रोग सफ बए सुिाये ।।

98
कोससकरुऩ ऩमोसनसध ऩावन। प्रेभ फारय अवगाहु सुहावन।।
याभरूऩ याकेसु सनहायी। फढ़त फीसच ऩुरकावसर बायी।।
फाजे नब गहगहे सनसाना। दे वफधू नाचकहॊ करय गाना।।
ब्रह्माकदक सुय ससद्ध भुनीसा। प्रबुकह प्रसॊसकह दे कहॊ असीसा।।
फरयसकहॊ सुभन यॊ ग फहु भारा। गावकहॊ ककॊनय गीत यसारा।।
यही बुवन बरय जम जम फानी। धनुषबॊग धुसन जात न जानी।।
भुकदत कहकहॊ जहॉ तहॉ नय नायी। बॊजेउ याभ सॊबुधनु बायी।।
दो0-फॊदी भागध सूतगन वफरुद फदकहॊ भसतधीय।
कयकहॊ सनछावरय रोग सफ हम गम धन भसन चीय।।262।।
–*–*–
झाॉष्झ भृदॊग सॊि सहनाई। बेरय ढोर दॊ द
ु ब
ु ी सुहाई।।
फाजकहॊ फहु फाजने सुहाए। जहॉ तहॉ जुफसतन्ह भॊगर गाए।।
सष्िन्ह सकहत हयषी असत यानी। सूित धान ऩया जनु ऩानी।।
जनक रहे उ सुिु सोचु वफहाई। ऩैयत थकईऄ थाह जनु ऩाई।।
श्रीहत बए बूऩ धनु टू टे । जैसईऄ कदवस दीऩ छवफ छूटे ।।
सीम सुिकह फयसनअ केकह बाॉती। जनु चातकी ऩाइ जरु स्वाती।।
याभकह रिनु वफरोकत कैसईऄ। सससकह चकोय ककसोयकु जैसईऄ।।
सतानॊद तफ आमसु दीन्हा। सीताॉ गभनु याभ ऩकहॊ कीन्हा।।
दो0-सॊग सिीॊ सुदॊय चतुय गावकहॊ भॊगरचाय।
गवनी फार भयार गसत सुषभा अॊग अऩाय।।263।।
–*–*–
सष्िन्ह भध्म ससम सोहसत कैसे। छवफगन भध्म भहाछवफ जैसईऄ।।
कय सयोज जमभार सुहाई। वफस्व वफजम सोबा जेकहॊ छाई।।
तन सकोचु भन ऩयभ उछाहू। गूढ़ प्रेभु रष्ि ऩयइ न काहू।।
जाइ सभीऩ याभ छवफ दे िी। यकह जनु कुॉअरय सचत्र अवये िी।।
चतुय सिीॊ रष्ि कहा फुझाई। ऩकहयावहु जमभार सुहाई।।
सुनत जुगर कय भार उठाई। प्रेभ वफफस ऩकहयाइ न जाई।।
सोहत जनु जुग जरज सनारा। सससकह सबीत दे त जमभारा।।
गावकहॊ छवफ अवरोकक सहे री। ससमॉ जमभार याभ उय भेरी।।
सो0-यघुफय उय जमभार दे ष्ि दे व फरयसकहॊ सुभन।
सकुचे सकर बुआर जनु वफरोकक यवफ कुभुदगन।।264।।
ऩुय अरु ब्मोभ फाजने फाजे। िर बए भसरन साधु सफ याजे।।
सुय ककॊनय नय नाग भुनीसा। जम जम जम ककह दे कहॊ असीसा।।

99
नाचकहॊ गावकहॊ वफफुध फधूटीॊ। फाय फाय कुसुभाॊजसर छूटीॊ।।
जहॉ तहॉ वफप्र फेदधुसन कयहीॊ। फॊदी वफयदावसर उछचयहीॊ।।
भकह ऩातार नाक जसु ब्माऩा। याभ फयी ससम बॊजेउ चाऩा।।
कयकहॊ आयती ऩुय नय नायी। दे कहॊ सनछावरय वफत्त वफसायी।।
सोहसत सीम याभ कै जौयी। छवफ ससॊगारु भनहुॉ एक ठोयी।।
सिीॊ कहकहॊ प्रबुऩद गहु सीता। कयसत न चयन ऩयस असत बीता।।
दो0-गौतभ सतम गसत सुयसत करय नकहॊ ऩयससत ऩग ऩासन।
भन वफहसे यघुफॊसभसन प्रीसत अरौककक जासन।।265।।
–*–*–
तफ ससम दे ष्ि बूऩ असबराषे। कूय कऩूत भूढ़ भन भािे।।
उकठ उकठ ऩकहरय सनाह अबागे। जहॉ तहॉ गार फजावन रागे।।
रेहु छड़ाइ सीम कह कोऊ। धरय फाॉधहु नृऩ फारक दोऊ।।
तोयईऄ धनुषु चाड़ नकहॊ सयई। जीवत हभकह कुअॉरय को फयई।।
जं वफदे हु कछु कयै सहाई। जीतहु सभय सकहत दोउ बाई।।
साधु बूऩ फोरे सुसन फानी। याजसभाजकह राज रजानी।।
फरु प्रताऩु फीयता फड़ाई। नाक वऩनाककह सॊग ससधाई।।
सोइ सूयता कक अफ कहुॉ ऩाई। असस फुसध तौ वफसध भुहॉ भसस राई।।
दो0-दे िहु याभकह नमन बरय तष्ज इरयषा भद ु कोहु।
रिन योषु ऩावकु प्रफर जासन सरब जसन होहु।।266।।
–*–*–
फैनतेम फसर ष्जसभ चह कागू। ष्जसभ ससु चहै नाग अरय बागू।।
ष्जसभ चह कुसर अकायन कोही। सफ सॊऩदा चहै ससवरोही।।
रोबी रोरुऩ कर कीयसत चहई। अकरॊकता कक काभी रहई।।
हरय ऩद वफभुि ऩयभ गसत चाहा। तस तुम्हाय रारचु नयनाहा।।
कोराहरु सुसन सीम सकानी। सिीॊ रवाइ गईं जहॉ यानी।।
याभु सुबामॉ चरे गुरु ऩाहीॊ। ससम सनेहु फयनत भन भाहीॊ।।
यासनन्ह सकहत सोचफस सीमा। अफ धं वफसधकह काह कयनीमा।।
बूऩ फचन सुसन इत उत तकहीॊ। रिनु याभ डय फोसर न सकहीॊ।।
दो0-अरुन नमन बृकुटी कुकटर सचतवत नृऩन्ह सकोऩ।
भनहुॉ भत्त गजगन सनयष्ि ससॊघककसोयकह चोऩ।।267।।
–*–*–
ियबरु दे ष्ि वफकर ऩुय नायीॊ। सफ सभसर दे कहॊ भहीऩन्ह गायीॊ।।
तेकहॊ अवसय सुसन ससव धनु बॊगा। आमसु बृगुकुर कभर ऩतॊगा।।

100
दे ष्ि भहीऩ सकर सकुचाने। फाज झऩट जनु रवा रुकाने।।
गौरय सयीय बूसत बर र्भ्ाजा। बार वफसार वत्रऩुॊड वफयाजा।।
सीस जटा सससफदनु सुहावा। रयसफस कछुक अरुन होइ आवा।।
बृकुटी कुकटर नमन रयस याते। सहजहुॉ सचतवत भनहुॉ रयसाते।।
फृषब कॊध उय फाहु वफसारा। चारु जनेउ भार भृगछारा।।
ककट भुसन फसन तून दइ
ु फाॉधईऄ। धनु सय कय कुठारु कर काॉधईऄ।।
दो0-साॊत फेषु कयनी ककठन फयसन न जाइ सरुऩ।
धरय भुसनतनु जनु फीय यसु आमउ जहॉ सफ बूऩ।।268।।
–*–*–
दे ित बृगुऩसत फेषु कयारा। उठे सकर बम वफकर बुआरा।।
वऩतु सभेत ककह ककह सनज नाभा। रगे कयन सफ दॊ ड प्रनाभा।।
जेकह सुबामॉ सचतवकहॊ कहतु जानी। सो जानइ जनु आइ िुटानी।।
जनक फहोरय आइ ससरु नावा। सीम फोराइ प्रनाभु कयावा।।
आससष दीष्न्ह सिीॊ हयषानीॊ। सनज सभाज रै गई समानीॊ।।
वफस्वासभत्रु सभरे ऩुसन आई। ऩद सयोज भेरे दोउ बाई।।
याभु रिनु दसयथ के ढोटा। दीष्न्ह असीस दे ष्ि बर जोटा।।
याभकह सचतइ यहे थकक रोचन। रूऩ अऩाय भाय भद भोचन।।
दो0-फहुरय वफरोकक वफदे ह सन कहहु काह असत बीय।।
ऩूछत जासन अजान ष्जसभ ब्माऩेउ कोऩु सयीय।।269।।
–*–*–
सभाचाय ककह जनक सुनाए। जेकह कायन भहीऩ सफ आए।।
सुनत फचन कपरय अनत सनहाये । दे िे चाऩिॊड भकह डाये ।।
असत रयस फोरे फचन कठोया। कहु जड़ जनक धनुष कै तोया।।
फेसग दे िाउ भूढ़ न त आजू। उरटउॉ भकह जहॉ रकह तव याजू।।
असत डरु उतरु दे त नृऩु नाहीॊ। कुकटर बूऩ हयषे भन भाहीॊ।।
सुय भुसन नाग नगय नय नायी।।सोचकहॊ सकर त्रास उय बायी।।
भन ऩसछतासत सीम भहतायी। वफसध अफ सॉवयी फात वफगायी।।
बृगुऩसत कय सुबाउ सुसन सीता। अयध सनभेष करऩ सभ फीता।।
दो0-सबम वफरोके रोग सफ जासन जानकी बीरु।
रृदमॉ न हयषु वफषाद ु कछु फोरे श्रीयघुफीरु।।270।।
भासऩायामण, नवाॉ ववश्राभ
–*–*–
नाथ सॊबुधनु बॊजसनहाया। होइकह केउ एक दास तुम्हाया।।

101
आमसु काह ककहअ ककन भोही। सुसन रयसाइ फोरे भुसन कोही।।
सेवकु सो जो कयै सेवकाई। अरय कयनी करय करयअ रयाई।।
सुनहु याभ जेकहॊ ससवधनु तोया। सहसफाहु सभ सो रयऩु भोया।।
सो वफरगाउ वफहाइ सभाजा। न त भाये जैहकहॊ सफ याजा।।
सुसन भुसन फचन रिन भुसुकाने। फोरे ऩयसुधयकह अऩभाने।।
फहु धनुहीॊ तोयीॊ ररयकाईं। कफहुॉ न असस रयस कीष्न्ह गोसाईं।।
एकह धनु ऩय भभता केकह हे तू। सुसन रयसाइ कह बृगुकुरकेतू।।
दो0-ये नृऩ फारक कारफस फोरत तोकह न सॉभाय।।
धनुही सभ सतऩुयारय धनु वफकदत सकर सॊसाय।।271।।
–*–*–
रिन कहा हॉ सस हभयईऄ जाना। सुनहु दे व सफ धनुष सभाना।।
का छसत राबु जून धनु तौयईऄ । दे िा याभ नमन के बोयईऄ ।।
छुअत टू ट यघुऩसतहु न दोसू। भुसन वफनु काज करयअ कत योसू ।
फोरे सचतइ ऩयसु की ओया। ये सठ सुनेकह सुबाउ न भोया।।
फारकु फोसर फधउॉ नकहॊ तोही। केवर भुसन जड़ जानकह भोही।।
फार ब्रह्मचायी असत कोही। वफस्व वफकदत छवत्रमकुर रोही।।
बुजफर बूसभ बूऩ वफनु कीन्ही। वफऩुर फाय भकहदे वन्ह दीन्ही।।
सहसफाहु बुज छे दसनहाया। ऩयसु वफरोकु भहीऩकुभाया।।
दो0-भातु वऩतकह जसन सोचफस कयसस भहीसककसोय।
गबान्ह के अबाक दरन ऩयसु भोय असत घोय।।272।।
–*–*–
वफहसस रिनु फोरे भृद ु फानी। अहो भुनीसु भहा बटभानी।।
ऩुसन ऩुसन भोकह दे िाव कुठारू। चहत उड़ावन पूॉकक ऩहारू।।
इहाॉ कुम्हड़फसतमा कोउ नाहीॊ। जे तयजनी दे ष्ि भरय जाहीॊ।।
दे ष्ि कुठारु सयासन फाना। भईआ कछु कहा सकहत असबभाना।।
बृगुसुत सभुष्झ जनेउ वफरोकी। जो कछु कहहु सहउॉ रयस योकी।।
सुय भकहसुय हरयजन अरु गाई। हभयईऄ कुर इन्ह ऩय न सुयाई।।
फधईऄ ऩाऩु अऩकीयसत हायईऄ । भायतहूॉ ऩा ऩरयअ तुम्हायईऄ ।।
कोकट कुसरस सभ फचनु तुम्हाया। ब्मथा धयहु धनु फान कुठाया।।
दो0-जो वफरोकक अनुसचत कहे उॉ छभहु भहाभुसन धीय।
सुसन सयोष बृगुफॊसभसन फोरे सगया गबीय।।273।।
–*–*–
कौससक सुनहु भॊद महु फारकु। कुकटर कारफस सनज कुर घारकु।।

102
बानु फॊस याकेस करॊकू। सनऩट सनयॊ कुस अफुध असॊकू।।
कार कवरु होइकह छन भाहीॊ। कहउॉ ऩुकारय िोरय भोकह नाहीॊ।।
तुम्ह हटकउ जं चहहु उफाया। ककह प्रताऩु फरु योषु हभाया।।
रिन कहे उ भुसन सुजस तुम्हाया। तुम्हकह अछत को फयनै ऩाया।।
अऩने भुॉह तुम्ह आऩसन कयनी। फाय अनेक बाॉसत फहु फयनी।।
नकहॊ सॊतोषु त ऩुसन कछु कहहू। जसन रयस योकक दस
ु ह दि
ु सहहू।।
फीयब्रती तुम्ह धीय अछोबा। गायी दे त न ऩावहु सोबा।।
दो0-सूय सभय कयनी कयकहॊ ककह न जनावकहॊ आऩु।
वफयभान यन ऩाइ रयऩु कामय कथकहॊ प्रताऩु।।274।।
–*–*–
तुम्ह तौ कारु हाॉक जनु रावा। फाय फाय भोकह रासग फोरावा।।
सुनत रिन के फचन कठोया। ऩयसु सुधारय धये उ कय घोया।।
अफ जसन दे इ दोसु भोकह रोगू। कटु फादी फारकु फधजोगू।।
फार वफरोकक फहुत भईआ फाॉचा। अफ महु भयसनहाय बा साॉचा।।
कौससक कहा छसभअ अऩयाधू। फार दोष गुन गनकहॊ न साधू।।
िय कुठाय भईआ अकरुन कोही। आगईऄ अऩयाधी गुरुरोही।।
उतय दे त छोड़उॉ वफनु भायईऄ । केवर कौससक सीर तुम्हायईऄ ।।
न त एकह काकट कुठाय कठोयईऄ । गुयकह उरयन होतेउॉ श्रभ थोयईऄ ।।
दो0-गासधसूनु कह रृदमॉ हॉ सस भुसनकह हरयअयइ सूझ।
अमभम िाॉड न ऊिभम अजहुॉ न फूझ अफूझ।।275।।
–*–*–
कहे उ रिन भुसन सीरु तुम्हाया। को नकह जान वफकदत सॊसाया।।
भाता वऩतकह उरयन बए नीकईऄ। गुय रयनु यहा सोचु फड़ जीकईऄ।।
सो जनु हभये कह भाथे काढ़ा। कदन चसर गए ब्माज फड़ फाढ़ा।।
अफ आसनअ ब्मवहरयआ फोरी। तुयत दे उॉ भईआ थैरी िोरी।।
सुसन कटु फचन कुठाय सुधाया। हाम हाम सफ सबा ऩुकाया।।
बृगुफय ऩयसु दे िावहु भोही। वफप्र वफचारय फचउॉ नृऩरोही।।
सभरे न कफहुॉ सुबट यन गाढ़े । कद्वज दे वता घयकह के फाढ़े ।।
अनुसचत ककह सफ रोग ऩुकाये । यघुऩसत समनकहॊ रिनु नेवाये ।।
दो0-रिन उतय आहुसत सरयस बृगुफय कोऩु कृ सानु।
फढ़त दे ष्ि जर सभ फचन फोरे यघुकुरबानु।।276।।
–*–*–
नाथ कयहु फारक ऩय छोहू। सूध दध
ू भुि करयअ न कोहू।।

103
जं ऩै प्रबु प्रबाउ कछु जाना। तौ कक फयाफरय कयत अमाना।।
जं ररयका कछु अचगरय कयहीॊ। गुय वऩतु भातु भोद भन बयहीॊ।।
करयअ कृ ऩा सससु सेवक जानी। तुम्ह सभ सीर धीय भुसन ग्मानी।।
याभ फचन सुसन कछुक जुड़ाने। ककह कछु रिनु फहुरय भुसकाने।।
हॉ सत दे ष्ि नि ससि रयस ब्माऩी। याभ तोय र्भ्ाता फड़ ऩाऩी।।
गौय सयीय स्माभ भन भाहीॊ। कारकूटभुि ऩमभुि नाहीॊ।।
सहज टे ढ़ अनुहयइ न तोही। नीचु भीचु सभ दे ि न भौहीॊ।।
दो0-रिन कहे उ हॉ सस सुनहु भुसन क्रोधु ऩाऩ कय भूर।
जेकह फस जन अनुसचत कयकहॊ चयकहॊ वफस्व प्रसतकूर।।277।।
–*–*–
भईआ तुम्हाय अनुचय भुसनयामा। ऩरयहरय कोऩु करयअ अफ दामा।।
टू ट चाऩ नकहॊ जुयकह रयसाने। फैकठअ होइकहॊ ऩाम वऩयाने।।
जौ असत वप्रम तौ करयअ उऩाई। जोरयअ कोउ फड़ गुनी फोराई।।
फोरत रिनकहॊ जनकु डे याहीॊ। भि कयहु अनुसचत बर नाहीॊ।।
थय थय काऩकहॊ ऩुय नय नायी। छोट कुभाय िोट फड़ बायी।।
बृगुऩसत सुसन सुसन सनयबम फानी। रयस तन जयइ होइ फर हानी।।
फोरे याभकह दे इ सनहोया। फचउॉ वफचारय फॊधु रघु तोया।।
भनु भरीन तनु सुॊदय कैसईऄ। वफष यस बया कनक घटु जैसईआ।।
दो0- सुसन रसछभन वफहसे फहुरय नमन तये ये याभ।
गुय सभीऩ गवने सकुसच ऩरयहरय फानी फाभ।।278।।
–*–*–
असत वफनीत भृद ु सीतर फानी। फोरे याभु जोरय जुग ऩानी।।
सुनहु नाथ तुम्ह सहज सुजाना। फारक फचनु करयअ नकहॊ काना।।
फययै फारक एकु सुबाऊ। इन्हकह न सॊत वफदष
ू कहॊ काऊ।।
तेकहॊ नाहीॊ कछु काज वफगाया। अऩयाधी भईऄ नाथ तुम्हाया।।
कृ ऩा कोऩु फधु फॉधफ गोसाईं। भो ऩय करयअ दास की नाई।।
ककहअ फेसग जेकह वफसध रयस जाई। भुसननामक सोइ कयं उऩाई।।
कह भुसन याभ जाइ रयस कैसईऄ। अजहुॉ अनुज तव सचतव अनैसईऄ।।
एकह के कॊठ कुठारु न दीन्हा। तौ भईआ काह कोऩु करय कीन्हा।।
दो0-गबा स्त्रवकहॊ अवसनऩ यवसन सुसन कुठाय गसत घोय।
ऩयसु अछत दे िउॉ ष्जअत फैयी बूऩककसोय।।279।।
–*–*–
फहइ न हाथु दहइ रयस छाती। बा कुठारु कुॊकठत नृऩघाती।।

104
बमउ फाभ वफसध कपये उ सुबाऊ। भोये रृदमॉ कृ ऩा कसस काऊ।।
आजु दमा दि
ु ु दस
ु ह सहावा। सुसन सौसभत्र वफहसस ससरु नावा।।
फाउ कृ ऩा भूयसत अनुकूरा। फोरत फचन झयत जनु पूरा।।
जं ऩै कृ ऩाॉ जरयकहॊ भुसन गाता। क्रोध बएॉ तनु याि वफधाता।।
दे िु जनक हकठ फारक एहू। कीन्ह चहत जड़ जभऩुय गेहू।।
फेसग कयहु ककन आॉष्िन्ह ओटा। दे ित छोट िोट नृऩ ढोटा।।
वफहसे रिनु कहा भन भाहीॊ। भूदईऄ आॉष्ि कतहुॉ कोउ नाहीॊ।।
दो0-ऩयसुयाभु तफ याभ प्रसत फोरे उय असत क्रोधु।
सॊबु सयासनु तोरय सठ कयसस हभाय प्रफोधु।।280।।
–*–*–
फॊधु कहइ कटु सॊभत तोयईऄ । तू छर वफनम कयसस कय जोयईऄ ।।
करु ऩरयतोषु भोय सॊग्राभा। नाकहॊ त छाड़ कहाउफ याभा।।
छरु तष्ज कयकह सभरु ससवरोही। फॊधु सकहत न त भायउॉ तोही।।
बृगुऩसत फककहॊ कुठाय उठाएॉ। भन भुसकाकहॊ याभु ससय नाएॉ।।
गुनह रिन कय हभ ऩय योषू। कतहुॉ सुधाइहु ते फड़ दोषू।।
टे ढ़ जासन सफ फॊदइ काहू। फक्र चॊरभकह ग्रसइ न याहू।।
याभ कहे उ रयस तष्जअ भुनीसा। कय कुठारु आगईऄ मह सीसा।।
जईऄकहॊ रयस जाइ करयअ सोइ स्वाभी। भोकह जासन आऩन अनुगाभी।।
दो0-प्रबुकह सेवककह सभरु कस तजहु वफप्रफय योसु।
फेषु वफरोकईऄ कहे सस कछु फारकहू नकहॊ दोसु।।281।।
–*–*–
दे ष्ि कुठाय फान धनु धायी। बै ररयककह रयस फीरु वफचायी।।
नाभु जान ऩै तुम्हकह न चीन्हा। फॊस सुबामॉ उतरु तईऄकहॊ दीन्हा।।
जं तुम्ह औतेहु भुसन की नाईं। ऩद यज ससय सससु धयत गोसाईं।।
छभहु चूक अनजानत केयी। चकहअ वफप्र उय कृ ऩा घनेयी।।
हभकह तुम्हकह सरयफरय कसस नाथा।।कहहु न कहाॉ चयन कहॉ भाथा।।
याभ भात्र रघु नाभ हभाया। ऩयसु सकहत फड़ नाभ तोहाया।।
दे व एकु गुनु धनुष हभायईऄ । नव गुन ऩयभ ऩुनीत तुम्हायईऄ ।।
सफ प्रकाय हभ तुम्ह सन हाये । छभहु वफप्र अऩयाध हभाये ।।
दो0-फाय फाय भुसन वफप्रफय कहा याभ सन याभ।
फोरे बृगुऩसत सरुष हसस तहूॉ फॊधु सभ फाभ।।282।।
–*–*–
सनऩटकहॊ कद्वज करय जानकह भोही। भईआ जस वफप्र सुनावउॉ तोही।।

105
चाऩ स्त्रुवा सय आहुसत जानू। कोऩ भोय असत घोय कृ सानु।।
ससभसध सेन चतुयॊग सुहाई। भहा भहीऩ बए ऩसु आई।।
भै एकह ऩयसु काकट फसर दीन्हे । सभय जग्म जऩ कोकटन्ह कीन्हे ।।
भोय प्रबाउ वफकदत नकहॊ तोयईऄ । फोरसस सनदरय वफप्र के बोयईऄ ।।
बॊजेउ चाऩु दाऩु फड़ फाढ़ा। अहसभसत भनहुॉ जीसत जगु ठाढ़ा।।
याभ कहा भुसन कहहु वफचायी। रयस असत फकड़ रघु चूक हभायी।।
छुअतकहॊ टू ट वऩनाक ऩुयाना। भईआ ककह हे तु कयं असबभाना।।
दो0-जं हभ सनदयकहॊ वफप्र फकद सत्म सुनहु बृगुनाथ।
तौ अस को जग सुबटु जेकह बम फस नावकहॊ भाथ।।283।।
–*–*–
दे व दनुज बूऩसत बट नाना। सभफर असधक होउ फरवाना।।
जं यन हभकह ऩचायै कोऊ। रयकहॊ सुिेन कारु ककन होऊ।।
छवत्रम तनु धरय सभय सकाना। कुर करॊकु तेकहॊ ऩावॉय आना।।
कहउॉ सुबाउ न कुरकह प्रसॊसी। कारहु डयकहॊ न यन यघुफॊसी।।
वफप्रफॊस कै असस प्रबुताई। अबम होइ जो तुम्हकह डे याई।।
सुनु भृद ु गूढ़ फचन यघुऩसत के। उघये ऩटर ऩयसुधय भसत के।।
याभ यभाऩसत कय धनु रेहू। िईआचहु सभटै भोय सॊदेहू।।
दे त चाऩु आऩुकहॊ चसर गमऊ। ऩयसुयाभ भन वफसभम बमऊ।।
दो0-जाना याभ प्रबाउ तफ ऩुरक प्रपुष्ल्रत गात।
जोरय ऩासन फोरे फचन ह्दमॉ न प्रेभु अभात।।284।।
–*–*–
जम यघुफॊस फनज फन बानू। गहन दनुज कुर दहन कृ सानु।।
जम सुय वफप्र धेनु कहतकायी। जम भद भोह कोह र्भ्भ हायी।।
वफनम सीर करुना गुन सागय। जमसत फचन यचना असत नागय।।
सेवक सुिद सुबग सफ अॊगा। जम सयीय छवफ कोकट अनॊगा।।
कयं काह भुि एक प्रसॊसा। जम भहे स भन भानस हॊ सा।।
अनुसचत फहुत कहे उॉ अग्माता। छभहु छभाभॊकदय दोउ र्भ्ाता।।
ककह जम जम जम यघुकुरकेतू। बृगुऩसत गए फनकह तऩ हे तू।।
अऩबमॉ कुकटर भहीऩ डे याने। जहॉ तहॉ कामय गवॉकहॊ ऩयाने।।
दो0-दे वन्ह दीन्हीॊ दॊ द
ु ब
ु ीॊ प्रबु ऩय फयषकहॊ पूर।
हयषे ऩुय नय नारय सफ सभटी भोहभम सूर।।285।।
–*–*–
असत गहगहे फाजने फाजे। सफकहॊ भनोहय भॊगर साजे।।

106
जूथ जूथ सभसर सुभुि सुनमनीॊ। कयकहॊ गान कर कोककरफमनी।।
सुिु वफदे ह कय फयसन न जाई। जन्भदरयर भनहुॉ सनसध ऩाई।।
गत त्रास बइ सीम सुिायी। जनु वफधु उदमॉ चकोयकुभायी।।
जनक कीन्ह कौससककह प्रनाभा। प्रबु प्रसाद धनु बॊजेउ याभा।।
भोकह कृ तकृ त्म कीन्ह दह
ु ुॉ बाईं। अफ जो उसचत सो ककहअ गोसाई।।
कह भुसन सुनु नयनाथ प्रफीना। यहा वफफाहु चाऩ आधीना।।
टू टतहीॊ धनु बमउ वफफाहू। सुय नय नाग वफकदत सफ काहु।।
दो0-तदवऩ जाइ तुम्ह कयहु अफ जथा फॊस ब्मवहारु।
फूष्झ वफप्र कुरफृद्ध गुय फेद वफकदत आचारु।।286।।
–*–*–
दत
ू अवधऩुय ऩठवहु जाई। आनकहॊ नृऩ दसयथकह फोराई।।
भुकदत याउ ककह बरेकहॊ कृ ऩारा। ऩठए दत
ू फोसर तेकह कारा।।
फहुरय भहाजन सकर फोराए। आइ सफष्न्ह सादय ससय नाए।।
हाट फाट भॊकदय सुयफासा। नगरु सॉवायहु चारयहुॉ ऩासा।।
हयवष चरे सनज सनज गृह आए। ऩुसन ऩरयचायक फोसर ऩठाए।।
यचहु वफसचत्र वफतान फनाई। ससय धरय फचन चरे सचु ऩाई।।
ऩठए फोसर गुनी सतन्ह नाना। जे वफतान वफसध कुसर सुजाना।।
वफसधकह फॊकद सतन्ह कीन्ह अयॊ बा। वफयचे कनक कदसर के िॊबा।।
दो0-हरयत भसनन्ह के ऩत्र पर ऩदभ
ु याग के पूर।
यचना दे ष्ि वफसचत्र असत भनु वफयॊ सच कय बूर।।287।।
–*–*–
फेसन हरयत भसनभम सफ कीन्हे । सयर सऩयफ ऩयकहॊ नकहॊ चीन्हे ।।
कनक कसरत अकहफेर फनाई। रष्ि नकह ऩयइ सऩयन सुहाई।।
तेकह के यसच ऩसच फॊध फनाए। वफच वफच भुकता दाभ सुहाए।।
भासनक भयकत कुसरस वऩयोजा। चीरय कोरय ऩसच यचे सयोजा।।
ककए बृॊग फहुयॊग वफहॊ गा। गुॊजकहॊ कूजकहॊ ऩवन प्रसॊगा।।
सुय प्रसतभा िॊबन गढ़ी काढ़ी। भॊगर रब्म सरएॉ सफ ठाढ़ी।।
चंकईऄ बाॉसत अनेक ऩुयाईं। ससॊधुय भसनभम सहज सुहाई।।
दो0-सौयब ऩल्रव सुबग सुकठ ककए नीरभसन कोरय।।
हे भ फौय भयकत घवरय रसत ऩाटभम डोरय।।288।।
–*–*–
यचे रुसचय फय फॊदसनफाये । भनहुॉ भनोबवॉ पॊद सॉवाये ।।
भॊगर करस अनेक फनाए। ध्वज ऩताक ऩट चभय सुहाए।।

107
दीऩ भनोहय भसनभम नाना। जाइ न फयसन वफसचत्र वफताना।।
जेकहॊ भॊडऩ दर
ु कहसन फैदेही। सो फयनै असस भसत कवफ केही।।
दर
ू हु याभु रूऩ गुन सागय। सो वफतानु सतहुॉ रोक उजागय।।
जनक बवन कै सौबा जैसी। गृह गृह प्रसत ऩुय दे ष्िअ तैसी।।
जेकहॊ तेयहुसत तेकह सभम सनहायी। तेकह रघु रगकहॊ बुवन दस चायी।।
जो सॊऩदा नीच गृह सोहा। सो वफरोकक सुयनामक भोहा।।
दो0-फसइ नगय जेकह रछछ करय कऩट नारय फय फेषु।।
तेकह ऩुय कै सोबा कहत सकुचकहॊ सायद सेषु।।289।।
–*–*–
ऩहुॉचे दत
ू याभ ऩुय ऩावन। हयषे नगय वफरोकक सुहावन।।
बूऩ द्वाय सतन्ह िफरय जनाई। दसयथ नृऩ सुसन सरए फोराई।।
करय प्रनाभु सतन्ह ऩाती दीन्ही। भुकदत भहीऩ आऩु उकठ रीन्ही।।
फारय वफरोचन फाचत ऩाॉती। ऩुरक गात आई बरय छाती।।
याभु रिनु उय कय फय चीठी। यकह गए कहत न िाटी भीठी।।
ऩुसन धरय धीय ऩवत्रका फाॉची। हयषी सबा फात सुसन साॉची।।
िेरत यहे तहाॉ सुसध ऩाई। आए बयतु सकहत कहत बाई।।
ऩूछत असत सनेहॉ सकुचाई। तात कहाॉ तईऄ ऩाती आई।।
दो0-कुसर प्रानवप्रम फॊधु दोउ अहकहॊ कहहु केकहॊ दे स।
सुसन सनेह साने फचन फाची फहुरय नये स।।290।।
–*–*–
सुसन ऩाती ऩुरके दोउ र्भ्ाता। असधक सनेहु सभात न गाता।।
प्रीसत ऩुनीत बयत कै दे िी। सकर सबाॉ सुिु रहे उ वफसेषी।।
तफ नृऩ दत
ू सनकट फैठाये । भधुय भनोहय फचन उचाये ।।
बैमा कहहु कुसर दोउ फाये । तुम्ह नीकईऄ सनज नमन सनहाये ।।
स्माभर गौय धयईऄ धनु बाथा। फम ककसोय कौससक भुसन साथा।।
ऩकहचानहु तुम्ह कहहु सुबाऊ। प्रेभ वफफस ऩुसन ऩुसन कह याऊ।।
जा कदन तईऄ भुसन गए रवाई। तफ तईऄ आजु साॉसच सुसध ऩाई।।
कहहु वफदे ह कवन वफसध जाने। सुसन वप्रम फचन दत
ू भुसकाने।।
दो0-सुनहु भहीऩसत भुकुट भसन तुम्ह सभ धन्म न कोउ।
याभु रिनु ष्जन्ह के तनम वफस्व वफबूषन दोउ।।291।।
–*–*–
ऩूछन जोगु न तनम तुम्हाये । ऩुरुषससॊघ सतहु ऩुय उष्जआये ।।
ष्जन्ह के जस प्रताऩ कईऄ आगे। ससस भरीन यवफ सीतर रागे।।

108
सतन्ह कहॉ ककहअ नाथ ककसभ चीन्हे । दे ष्िअ यवफ कक दीऩ कय रीन्हे ।।
सीम स्वमॊफय बूऩ अनेका। ससभटे सुबट एक तईऄ एका।।
सॊबु सयासनु काहुॉ न टाया। हाये सकर फीय फरयआया।।
तीसन रोक भहॉ जे बटभानी। सब कै सकसत सॊबु धनु बानी।।
सकइ उठाइ सयासुय भेरू। सोउ कहमॉ हारय गमउ करय पेरू।।
जेकह कौतुक ससवसैरु उठावा। सोउ तेकह सबाॉ ऩयाबउ ऩावा।।
दो0-तहाॉ याभ यघुफॊस भसन सुसनअ भहा भकहऩार।
बॊजेउ चाऩ प्रमास वफनु ष्जसभ गज ऩॊकज नार।।292।।
–*–*–
सुसन सयोष बृगुनामकु आए। फहुत बाॉसत सतन्ह आॉष्ि दे िाए।।
दे ष्ि याभ फरु सनज धनु दीन्हा। करय फहु वफनम गवनु फन कीन्हा।।
याजन याभु अतुरफर जैसईऄ। तेज सनधान रिनु ऩुसन तैसईऄ।।
कॊऩकह बूऩ वफरोकत जाकईऄ। ष्जसभ गज हरय ककसोय के ताकईऄ।।
दे व दे ष्ि तव फारक दोऊ। अफ न आॉष्ि तय आवत कोऊ।।
दत
ू फचन यचना वप्रम रागी। प्रेभ प्रताऩ फीय यस ऩागी।।
सबा सभेत याउ अनुयागे। दत
ू न्ह दे न सनछावरय रागे।।
ककह अनीसत ते भूदकहॊ काना। धयभु वफचारय सफकहॊ सुि भाना।।
दो0-तफ उकठ बूऩ फससष्ठ कहुॉ दीष्न्ह ऩवत्रका जाइ।
कथा सुनाई गुयकह सफ सादय दत ू फोराइ।।293।।
–*–*–
सुसन फोरे गुय असत सुिु ऩाई। ऩुन्म ऩुरुष कहुॉ भकह सुि छाई।।
ष्जसभ सरयता सागय भहुॉ जाहीॊ। जयवऩ ताकह काभना नाहीॊ।।
सतसभ सुि सॊऩसत वफनकहॊ फोराएॉ। धयभसीर ऩकहॊ जाकहॊ सुबाएॉ।।
तुम्ह गुय वफप्र धेनु सुय सेफी। तसस ऩुनीत कौसल्मा दे फी।।
सुकृती तुम्ह सभान जग भाहीॊ। बमउ न है कोउ होनेउ नाहीॊ।।
तुम्ह ते असधक ऩुन्म फड़ काकईऄ। याजन याभ सरयस सुत जाकईऄ।।
फीय वफनीत धयभ ब्रत धायी। गुन सागय फय फारक चायी।।
तुम्ह कहुॉ सफा कार कल्माना। सजहु फयात फजाइ सनसाना।।
दो0-चरहु फेसग सुसन गुय फचन बरेकहॊ नाथ ससरु नाइ।
बूऩसत गवने बवन तफ दत ू न्ह फासु दे वाइ।।294।।
–*–*–
याजा सफु यसनवास फोराई। जनक ऩवत्रका फासच सुनाई।।
सुसन सॊदेसु सकर हयषानीॊ। अऩय कथा सफ बूऩ फिानीॊ।।

109
प्रेभ प्रपुष्ल्रत याजकहॊ यानी। भनहुॉ ससष्िसन सुसन फारयद फनी।।
भुकदत असीस दे कहॊ गुरु नायीॊ। असत आनॊद भगन भहतायीॊ।।
रेकहॊ ऩयस्ऩय असत वप्रम ऩाती। रृदमॉ रगाइ जुड़ावकहॊ छाती।।
याभ रिन कै कीयसत कयनी। फायकहॊ फाय बूऩफय फयनी।।
भुसन प्रसाद ु ककह द्वाय ससधाए। यासनन्ह तफ भकहदे व फोराए।।
कदए दान आनॊद सभेता। चरे वफप्रफय आससष दे ता।।
सो0-जाचक सरए हॉ कारय दीष्न्ह सनछावरय कोकट वफसध।
सचरु जीवहुॉ सुत चारय चक्रफसता दसयत्थ के।।295।।
कहत चरे ऩकहयईऄ ऩट नाना। हयवष हने गहगहे सनसाना।।
सभाचाय सफ रोगन्ह ऩाए। रागे घय घय होने फधाए।।
बुवन चारय दस बया उछाहू। जनकसुता यघुफीय वफआहू।।
सुसन सुब कथा रोग अनुयागे। भग गृह गरीॊ सॉवायन रागे।।
जयवऩ अवध सदै व सुहावसन। याभ ऩुयी भॊगरभम ऩावसन।।
तदवऩ प्रीसत कै प्रीसत सुहाई। भॊगर यचना यची फनाई।।
ध्वज ऩताक ऩट चाभय चारु। छावा ऩयभ वफसचत्र फजारू।।
कनक करस तोयन भसन जारा। हयद दफ
ू दसध अछछत भारा।।
दो0-भॊगरभम सनज सनज बवन रोगन्ह यचे फनाइ।
फीथीॊ सीचीॊ चतुयसभ चौकईऄ चारु ऩुयाइ।।296।।
–*–*–
जहॉ तहॉ जूथ जूथ सभसर बासभसन। सष्ज नव सप्त सकर दसु त दासभसन।।
वफधुफदनीॊ भृग सावक रोचसन। सनज सरुऩ यसत भानु वफभोचसन।।
गावकहॊ भॊगर भॊजुर फानीॊ। सुसनकर यव करकॊकठ रजानीॊ।।
बूऩ बवन ककसभ जाइ फिाना। वफस्व वफभोहन यचेउ वफताना।।
भॊगर रब्म भनोहय नाना। याजत फाजत वफऩुर सनसाना।।
कतहुॉ वफरयद फॊदी उछचयहीॊ। कतहुॉ फेद धुसन बूसुय कयहीॊ।।
गावकहॊ सुॊदरय भॊगर गीता। रै रै नाभु याभु अरु सीता।।
फहुत उछाहु बवनु असत थोया। भानहुॉ उभसग चरा चहु ओया।।
दो0-सोबा दसयथ बवन कइ को कवफ फयनै ऩाय।
जहाॉ सकर सुय सीस भसन याभ रीन्ह अवताय।।297।।
–*–*–
बूऩ बयत ऩुसन सरए फोराई। हम गम स्मॊदन साजहु जाई।।
चरहु फेसग यघुफीय फयाता। सुनत ऩुरक ऩूये दोउ र्भ्ाता।।
बयत सकर साहनी फोराए। आमसु दीन्ह भुकदत उकठ धाए।।

110
यसच रुसच जीन तुयग सतन्ह साजे। फयन फयन फय फाष्ज वफयाजे।।
सुबग सकर सुकठ चॊचर कयनी। अम इव जयत धयत ऩग धयनी।।
नाना जासत न जाकहॊ फिाने। सनदरय ऩवनु जनु चहत उड़ाने।।
सतन्ह सफ छमर बए असवाया। बयत सरयस फम याजकुभाया।।
सफ सुॊदय सफ बूषनधायी। कय सय चाऩ तून ककट बायी।।
दो0- छये छफीरे छमर सफ सूय सुजान नफीन।
जुग ऩदचय असवाय प्रसत जे अससकरा प्रफीन।।298।।
–*–*–
फाॉधे वफयद फीय यन गाढ़े । सनकसस बए ऩुय फाहे य ठाढ़े ।।
पेयकहॊ चतुय तुयग गसत नाना। हयषकहॊ सुसन सुसन ऩवन सनसाना।।
यथ सायसथन्ह वफसचत्र फनाए। ध्वज ऩताक भसन बूषन राए।।
चवॉय चारु ककॊककन धुसन कयही। बानु जान सोबा अऩहयहीॊ।।
सावॉकयन अगसनत हम होते। ते सतन्ह यथन्ह सायसथन्ह जोते।।
सुॊदय सकर अरॊकृत सोहे । ष्जन्हकह वफरोकत भुसन भन भोहे ।।
जे जर चरकहॊ थरकह की नाई। टाऩ न फूड़ फेग असधकाई।।
अस्त्र सस्त्र सफु साजु फनाई। यथी सायसथन्ह सरए फोराई।।
दो0-चकढ़ चकढ़ यथ फाहे य नगय रागी जुयन फयात।
होत सगुन सुन्दय सफकह जो जेकह कायज जात।।299।।
–*–*–
कसरत करयफयष्न्ह ऩयीॊ अॉफायीॊ। ककह न जाकहॊ जेकह बाॉसत सॉवायीॊ।।
चरे भत्तगज घॊट वफयाजी। भनहुॉ सुबग सावन घन याजी।।
फाहन अऩय अनेक वफधाना। ससवफका सुबग सुिासन जाना।।
सतन्ह चकढ़ चरे वफप्रफय फृन्दा। जनु तनु धयईऄ सकर श्रुसत छॊ दा।।
भागध सूत फॊकद गुनगामक। चरे जान चकढ़ जो जेकह रामक।।
फेसय ऊॉट फृषब फहु जाती। चरे फस्तु बरय अगसनत बाॉती।।
कोकटन्ह काॉवरय चरे कहाया। वफवफध फस्तु को फयनै ऩाया।।
चरे सकर सेवक सभुदाई। सनज सनज साजु सभाजु फनाई।।
दो0-सफ कईऄ उय सनबाय हयषु ऩूरयत ऩुरक सयीय।
कफकहॊ दे ष्िफे नमन बरय याभु रिनू दोउ फीय।।300।।
–*–*–
गयजकहॊ गज घॊटा धुसन घोया। यथ यव फाष्ज कहॊ स चहु ओया।।
सनदरय घनकह घुम्भायकहॊ सनसाना। सनज ऩयाइ कछु सुसनअ न काना।।
भहा बीय बूऩसत के द्वायईऄ । यज होइ जाइ ऩषान ऩफायईऄ ।।

111
चढ़ी अटारयन्ह दे िकहॊ नायीॊ। सरॉएॉ आयती भॊगर थायी।।
गावकहॊ गीत भनोहय नाना। असत आनॊद ु न जाइ फिाना।।
तफ सुभॊत्र दइ
ु स्ऩॊदन साजी। जोते यवफ हम सनॊदक फाजी।।
दोउ यथ रुसचय बूऩ ऩकहॊ आने। नकहॊ सायद ऩकहॊ जाकहॊ फिाने।।
याज सभाजु एक यथ साजा। दस
ू य तेज ऩुॊज असत र्भ्ाजा।।
दो0-तेकहॊ यथ रुसचय फससष्ठ कहुॉ हयवष चढ़ाइ नये सु।
आऩु चढ़े उ स्ऩॊदन सुसभरय हय गुय गौरय गनेसु।।301।।
–*–*–
सकहत फससष्ठ सोह नृऩ कैसईऄ। सुय गुय सॊग ऩुयॊदय जैसईऄ।।
करय कुर यीसत फेद वफसध याऊ। दे ष्ि सफकह सफ बाॉसत फनाऊ।।
सुसभरय याभु गुय आमसु ऩाई। चरे भहीऩसत सॊि फजाई।।
हयषे वफफुध वफरोकक फयाता। फयषकहॊ सुभन सुभॊगर दाता।।
बमउ कोराहर हम गम गाजे। ब्मोभ फयात फाजने फाजे।।
सुय नय नारय सुभॊगर गाई। सयस याग फाजकहॊ सहनाई।।
घॊट घॊकट धुसन फयसन न जाहीॊ। सयव कयकहॊ ऩाइक पहयाहीॊ।।
कयकहॊ वफदष
ू क कौतुक नाना। हास कुसर कर गान सुजाना ।
दो0-तुयग नचावकहॊ कुॉअय फय अकसन भृदॊग सनसान।।
नागय नट सचतवकहॊ चककत डगकहॊ न तार फॉधान।।302।।
–*–*–
फनइ न फयनत फनी फयाता। होकहॊ सगुन सुॊदय सुबदाता।।
चाया चाषु फाभ कदसस रेई। भनहुॉ सकर भॊगर ककह दे ई।।
दाकहन काग सुिेत सुहावा। नकुर दयसु सफ काहूॉ ऩावा।।
सानुकूर फह वत्रवफध फमायी। सघट सवार आव फय नायी।।
रोवा कपरय कपरय दयसु दे िावा। सुयबी सनभुि सससुकह वऩआवा।।
भृगभारा कपरय दाकहसन आई। भॊगर गन जनु दीष्न्ह दे िाई।।
छे भकयी कह छे भ वफसेषी। स्माभा फाभ सुतरु ऩय दे िी।।
सनभुि आमउ दसध अरु भीना। कय ऩुस्तक दइ
ु वफप्र प्रफीना।।
दो0-भॊगरभम कल्मानभम असबभत पर दाताय।
जनु सफ साचे होन कहत बए सगुन एक फाय।।303।।
–*–*–
भॊगर सगुन सुगभ सफ ताकईऄ। सगुन ब्रह्म सुॊदय सुत जाकईऄ।।
याभ सरयस फरु दर
ु कहसन सीता। सभधी दसयथु जनकु ऩुनीता।।
सुसन अस ब्माहु सगुन सफ नाचे। अफ कीन्हे वफयॊ सच हभ साॉचे।।

112
एकह वफसध कीन्ह फयात ऩमाना। हम गम गाजकहॊ हने सनसाना।।
आवत जासन बानुकुर केतू। सरयतष्न्ह जनक फॉधाए सेतू।।
फीच फीच फय फास फनाए। सुयऩुय सरयस सॊऩदा छाए।।
असन समन फय फसन सुहाए। ऩावकहॊ सफ सनज सनज भन बाए।।
सनत नूतन सुि रष्ि अनुकूरे। सकर फयासतन्ह भॊकदय बूरे।।
दो0-आवत जासन फयात फय सुसन गहगहे सनसान।
सष्ज गज यथ ऩदचय तुयग रेन चरे अगवान।।304।।
भासऩायामण,दसवाॉ ववश्राभ
–*–*–
कनक करस बरय कोऩय थाया। बाजन रसरत अनेक प्रकाया।।
बये सुधासभ सफ ऩकवाने। नाना बाॉसत न जाकहॊ फिाने।।
पर अनेक फय फस्तु सुहाईं। हयवष बईऄट कहत बूऩ ऩठाईं।।
बूषन फसन भहाभसन नाना। िग भृग हम गम फहुवफसध जाना।।
भॊगर सगुन सुगॊध सुहाए। फहुत बाॉसत भकहऩार ऩठाए।।
दसध सचउया उऩहाय अऩाया। बरय बरय काॉवरय चरे कहाया।।
अगवानन्ह जफ दीष्ि फयाता।उय आनॊद ु ऩुरक बय गाता।।
दे ष्ि फनाव सकहत अगवाना। भुकदत फयासतन्ह हने सनसाना।।
दो0-हयवष ऩयसऩय सभरन कहत कछुक चरे फगभेर।
जनु आनॊद सभुर दइ ु सभरत वफहाइ सुफेर।।305।।
–*–*–
फयवष सुभन सुय सुॊदरय गावकहॊ । भुकदत दे व दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजावकहॊ ।।
फस्तु सकर यािीॊ नृऩ आगईऄ। वफनम कीन्ह सतन्ह असत अनुयागईऄ।।
प्रेभ सभेत यामॉ सफु रीन्हा। बै फकसीस जाचकष्न्ह दीन्हा।।
करय ऩूजा भान्मता फड़ाई। जनवासे कहुॉ चरे रवाई।।
फसन वफसचत्र ऩाॉवड़े ऩयहीॊ। दे ष्ि धनहु धन भद ु ऩरयहयहीॊ।।
असत सुॊदय दीन्हे उ जनवासा। जहॉ सफ कहुॉ सफ बाॉसत सुऩासा।।
जानी ससमॉ फयात ऩुय आई। कछु सनज भकहभा प्रगकट जनाई।।
रृदमॉ सुसभरय सफ ससवद्ध फोराई। बूऩ ऩहुनई कयन ऩठाई।।
दो0-सससध सफ ससम आमसु अकसन गईं जहाॉ जनवास।
सरएॉ सॊऩदा सकर सुि सुयऩुय बोग वफरास।।306।।
–*–*–
सनज सनज फास वफरोकक फयाती। सुय सुि सकर सुरब सफ बाॉती।।
वफबव बेद कछु कोउ न जाना। सकर जनक कय कयकहॊ फिाना।।

113
ससम भकहभा यघुनामक जानी। हयषे रृदमॉ हे तु ऩकहचानी।।
वऩतु आगभनु सुनत दोउ बाई। रृदमॉ न असत आनॊद ु अभाई।।
सकुचन्ह ककह न सकत गुरु ऩाहीॊ। वऩतु दयसन रारचु भन भाहीॊ।।
वफस्वासभत्र वफनम फकड़ दे िी। उऩजा उय सॊतोषु वफसेषी।।
हयवष फॊधु दोउ रृदमॉ रगाए। ऩुरक अॊग अॊफक जर छाए।।
चरे जहाॉ दसयथु जनवासे। भनहुॉ सयोफय तकेउ वऩआसे।।
दो0- बूऩ वफरोके जफकहॊ भुसन आवत सुतन्ह सभेत।
उठे हयवष सुिससॊधु भहुॉ चरे थाह सी रेत।।307।।
–*–*–
भुसनकह दॊ डवत कीन्ह भहीसा। फाय फाय ऩद यज धरय सीसा।।
कौससक याउ सरमे उय राई। ककह असीस ऩूछी कुसराई।।
ऩुसन दॊ डवत कयत दोउ बाई। दे ष्ि नृऩसत उय सुिु न सभाई।।
सुत कहमॉ राइ दस
ु ह दि
ु भेटे। भृतक सयीय प्रान जनु बईऄटे।।
ऩुसन फससष्ठ ऩद ससय सतन्ह नाए। प्रेभ भुकदत भुसनफय उय राए।।
वफप्र फृॊद फॊदे दह
ु ुॉ बाईं। भन बावती असीसईऄ ऩाईं।।
बयत सहानुज कीन्ह प्रनाभा। सरए उठाइ राइ उय याभा।।
हयषे रिन दे ष्ि दोउ र्भ्ाता। सभरे प्रेभ ऩरयऩूरयत गाता।।
दो0-ऩुयजन ऩरयजन जासतजन जाचक भॊत्री भीत।
सभरे जथावफसध सफकह प्रबु ऩयभ कृ ऩार वफनीत।।308।।
–*–*–
याभकह दे ष्ि फयात जुड़ानी। प्रीसत कक यीसत न जासत फिानी।।
नृऩ सभीऩ सोहकहॊ सुत चायी। जनु धन धयभाकदक तनुधायी।।
सुतन्ह सभेत दसयथकह दे िी। भुकदत नगय नय नारय वफसेषी।।
सुभन फरयसस सुय हनकहॊ सनसाना। नाकनटीॊ नाचकहॊ करय गाना।।
सतानॊद अरु वफप्र ससचव गन। भागध सूत वफदष
ु फॊदीजन।।
सकहत फयात याउ सनभाना। आमसु भासग कपये अगवाना।।
प्रथभ फयात रगन तईऄ आई। तातईऄ ऩुय प्रभोद ु असधकाई।।
ब्रह्मानॊद ु रोग सफ रहहीॊ। फढ़हुॉ कदवस सनसस वफसध सन कहहीॊ।।
दो0-याभु सीम सोबा अवसध सुकृत अवसध दोउ याज।
जहॉ जहॉ ऩुयजन कहकहॊ अस सभसर नय नारय सभाज।।।309।।
–*–*–
जनक सुकृत भूयसत फैदेही। दसयथ सुकृत याभु धयईऄ दे ही।।
इन्ह सभ काॉहु न ससव अवयाधे। काकहॉ न इन्ह सभान पर राधे।।

114
इन्ह सभ कोउ न बमउ जग भाहीॊ। है नकहॊ कतहूॉ होनेउ नाहीॊ।।
हभ सफ सकर सुकृत कै यासी। बए जग जनसभ जनकऩुय फासी।।
ष्जन्ह जानकी याभ छवफ दे िी। को सुकृती हभ सरयस वफसेषी।।
ऩुसन दे िफ यघुफीय वफआहू। रेफ बरी वफसध रोचन राहू।।
कहकहॊ ऩयसऩय कोककरफमनीॊ। एकह वफआहॉ फड़ राबु सुनमनीॊ।।
फड़ईऄ बाग वफसध फात फनाई। नमन असतसथ होइहकहॊ दोउ बाई।।
दो0-फायकहॊ फाय सनेह फस जनक फोराउफ सीम।
रेन आइहकहॊ फॊधु दोउ कोकट काभ कभनीम।।310।।
–*–*–
वफवफध बाॉसत होइकह ऩहुनाई। वप्रम न काकह अस सासुय भाई।।
तफ तफ याभ रिनकह सनहायी। होइहकहॊ सफ ऩुय रोग सुिायी।।
सष्ि जस याभ रिनकय जोटा। तैसेइ बूऩ सॊग दइ
ु ढोटा।।
स्माभ गौय सफ अॊग सुहाए। ते सफ कहकहॊ दे ष्ि जे आए।।
कहा एक भईआ आजु सनहाये । जनु वफयॊ सच सनज हाथ सॉवाये ।।
बयतु याभही की अनुहायी। सहसा रष्ि न सककहॊ नय नायी।।
रिनु सत्रुसूदनु एकरूऩा। नि ससि ते सफ अॊग अनूऩा।।
भन बावकहॊ भुि फयसन न जाहीॊ। उऩभा कहुॉ वत्रबुवन कोउ नाहीॊ।।
छॊ 0-उऩभा न कोउ कह दास तुरसी कतहुॉ कवफ कोवफद कहईआ ।
फर वफनम वफया सीर सोबा ससॊधु इन्ह से एइ अहईआ ।।
ऩुय नारय सकर ऩसारय अॊचर वफसधकह फचन सुनावहीॊ।।
ब्माकहअहुॉ चारयउ बाइ एकहॊ ऩुय हभ सुभॊगर गावहीॊ।।
सो0-कहकहॊ ऩयस्ऩय नारय फारय वफरोचन ऩुरक तन।
सष्ि सफु कयफ ऩुयारय ऩुन्म ऩमोसनसध बूऩ दोउ।।311।।
एकह वफसध सकर भनोयथ कयहीॊ। आनॉद उभसग उभसग उय बयहीॊ।।
जे नृऩ सीम स्वमॊफय आए। दे ष्ि फॊधु सफ सतन्ह सुि ऩाए।।
कहत याभ जसु वफसद वफसारा। सनज सनज बवन गए भकहऩारा।।
गए फीसत कुछ कदन एकह बाॉती। प्रभुकदत ऩुयजन सकर फयाती।।
भॊगर भूर रगन कदनु आवा। कहभ रयतु अगहनु भासु सुहावा।।
ग्रह सतसथ नितु जोगु फय फारू। रगन सोसध वफसध कीन्ह वफचारू।।
ऩठै दीष्न्ह नायद सन सोई। गनी जनक के गनकन्ह जोई।।
सुनी सकर रोगन्ह मह फाता। कहकहॊ जोसतषी आकहॊ वफधाता।।
दो0-धेनुधूरय फेरा वफभर सकर सुभॊगर भूर।

115
वफप्रन्ह कहे उ वफदे ह सन जासन सगुन अनुकुर।।312।।
–*–*–
उऩयोकहतकह कहे उ नयनाहा। अफ वफरॊफ कय कायनु काहा।।
सतानॊद तफ ससचव फोराए। भॊगर सकर साष्ज सफ ल्माए।।
सॊि सनसान ऩनव फहु फाजे। भॊगर करस सगुन सुब साजे।।
सुबग सुआसससन गावकहॊ गीता। कयकहॊ फेद धुसन वफप्र ऩुनीता।।
रेन चरे सादय एकह बाॉती। गए जहाॉ जनवास फयाती।।
कोसरऩसत कय दे ष्ि सभाजू। असत रघु राग सतन्हकह सुययाजू।।
बमउ सभउ अफ धारयअ ऩाऊ। मह सुसन ऩया सनसानकहॊ घाऊ।।
गुयकह ऩूसछ करय कुर वफसध याजा। चरे सॊग भुसन साधु सभाजा।।
दो0-बाग्म वफबव अवधेस कय दे ष्ि दे व ब्रह्माकद।
रगे सयाहन सहस भुि जासन जनभ सनज फाकद।।313।।
–*–*–
सुयन्ह सुभॊगर अवसरु जाना। फयषकहॊ सुभन फजाइ सनसाना।।
ससव ब्रह्माकदक वफफुध फरूथा। चढ़े वफभानष्न्ह नाना जूथा।।
प्रेभ ऩुरक तन रृदमॉ उछाहू। चरे वफरोकन याभ वफआहू।।
दे ष्ि जनकऩुरु सुय अनुयागे। सनज सनज रोक सफकहॊ रघु रागे।।
सचतवकहॊ चककत वफसचत्र वफताना। यचना सकर अरौककक नाना।।
नगय नारय नय रूऩ सनधाना। सुघय सुधयभ सुसीर सुजाना।।
सतन्हकह दे ष्ि सफ सुय सुयनायीॊ। बए नित जनु वफधु उष्जआयीॊ।।
वफसधकह बमह आचयजु वफसेषी। सनज कयनी कछु कतहुॉ न दे िी।।
दो0-ससवॉ सभुझाए दे व सफ जसन आचयज बुराहु।
रृदमॉ वफचायहु धीय धरय ससम यघुफीय वफआहु।।314।।
–*–*–
ष्जन्ह कय नाभु रेत जग भाहीॊ। सकर अभॊगर भूर नसाहीॊ।।
कयतर होकहॊ ऩदायथ चायी। तेइ ससम याभु कहे उ काभायी।।
एकह वफसध सॊबु सुयन्ह सभुझावा। ऩुसन आगईऄ फय फसह चरावा।।
दे वन्ह दे िे दसयथु जाता। भहाभोद भन ऩुरककत गाता।।
साधु सभाज सॊग भकहदे वा। जनु तनु धयईऄ कयकहॊ सुि सेवा।।
सोहत साथ सुबग सुत चायी। जनु अऩफयग सकर तनुधायी।।
भयकत कनक फयन फय जोयी। दे ष्ि सुयन्ह बै प्रीसत न थोयी।।
ऩुसन याभकह वफरोकक कहमॉ हयषे। नृऩकह सयाकह सुभन सतन्ह फयषे।।
दो0-याभ रूऩु नि ससि सुबग फायकहॊ फाय सनहारय।

116
ऩुरक गात रोचन सजर उभा सभेत ऩुयारय।।315।।
–*–*–
केकक कॊठ दसु त स्माभर अॊगा। तकड़त वफसनॊदक फसन सुयॊगा।।
ब्माह वफबूषन वफवफध फनाए। भॊगर सफ सफ बाॉसत सुहाए।।
सयद वफभर वफधु फदनु सुहावन। नमन नवर याजीव रजावन।।
सकर अरौककक सुॊदयताई। ककह न जाइ भनहीॊ भन बाई।।
फॊधु भनोहय सोहकहॊ सॊगा। जात नचावत चऩर तुयॊगा।।
याजकुअॉय फय फाष्ज दे िावकहॊ । फॊस प्रसॊसक वफरयद सुनावकहॊ ।।
जेकह तुयॊग ऩय याभु वफयाजे। गसत वफरोकक िगनामकु राजे।।
ककह न जाइ सफ बाॉसत सुहावा। फाष्ज फेषु जनु काभ फनावा।।
छॊ 0-जनु फाष्ज फेषु फनाइ भनससजु याभ कहत असत सोहई।
आऩनईऄ फम फर रूऩ गुन गसत सकर बुवन वफभोहई।।
जगभगत जीनु जयाव जोसत सुभोसत भसन भासनक रगे।
ककॊककसन रराभ रगाभु रसरत वफरोकक सुय नय भुसन ठगे।।
दो0-प्रबु भनसकहॊ रमरीन भनु चरत फाष्ज छवफ ऩाव।
बूवषत उड़गन तकड़त घनु जनु फय फयकह नचाव।।316।।
–*–*–
जेकहॊ फय फाष्ज याभु असवाया। तेकह सायदउ न फयनै ऩाया।।
सॊकरु याभ रूऩ अनुयागे। नमन ऩॊचदस असत वप्रम रागे।।
हरय कहत सकहत याभु जफ जोहे । यभा सभेत यभाऩसत भोहे ।।
सनयष्ि याभ छवफ वफसध हयषाने। आठइ नमन जासन ऩसछताने।।
सुय सेनऩ उय फहुत उछाहू। वफसध ते डे वढ़ रोचन राहू।।
याभकह सचतव सुयेस सुजाना। गौतभ श्राऩु ऩयभ कहत भाना।।
दे व सकर सुयऩसतकह ससहाहीॊ। आजु ऩुयॊदय सभ कोउ नाहीॊ।।
भुकदत दे वगन याभकह दे िी। नृऩसभाज दह
ु ुॉ हयषु वफसेषी।।
छॊ 0-असत हयषु याजसभाज दह
ु ु कदसस दॊ द
ु ब
ु ीॊ फाजकहॊ घनी।
फयषकहॊ सुभन सुय हयवष ककह जम जमसत जम यघुकुरभनी।।
एकह बाॉसत जासन फयात आवत फाजने फहु फाजहीॊ।
यासन सुआसससन फोसर ऩरयछसन हे तु भॊगर साजहीॊ।।
दो0-सष्ज आयती अनेक वफसध भॊगर सकर सॉवारय।
चरीॊ भुकदत ऩरयछसन कयन गजगासभसन फय नारय।।317।।
–*–*–
वफधुफदनीॊ सफ सफ भृगरोचसन। सफ सनज तन छवफ यसत भद ु भोचसन।।

117
ऩकहयईऄ फयन फयन फय चीया। सकर वफबूषन सजईऄ सयीया।।
सकर सुभॊगर अॊग फनाएॉ। कयकहॊ गान करकॊकठ रजाएॉ।।
कॊकन ककॊककसन नूऩुय फाजकहॊ । चासर वफरोकक काभ गज राजकहॊ ।।
फाजकहॊ फाजने वफवफध प्रकाया। नब अरु नगय सुभॊगरचाया।।
सची सायदा यभा बवानी। जे सुयसतम सुसच सहज समानी।।
कऩट नारय फय फेष फनाई। सभरीॊ सकर यसनवासकहॊ जाई।।
कयकहॊ गान कर भॊगर फानीॊ। हयष वफफस सफ काहुॉ न जानी।।
छॊ 0-को जान केकह आनॊद फस सफ ब्रह्मु फय ऩरयछन चरी।
कर गान भधुय सनसान फयषकहॊ सुभन सुय सोबा बरी।।
आनॊदकॊद ु वफरोकक दर
ू हु सकर कहमॉ हयवषत बई।।
अॊबोज अॊफक अॊफु उभसग सुअॊग ऩुरकावसर छई।।
दो0-जो सुि बा ससम भातु भन दे ष्ि याभ फय फेषु।
सो न सककहॊ ककह करऩ सत सहस सायदा सेषु।।318।।
–*–*–

नमन नीरु हकट भॊगर जानी। ऩरयछसन कयकहॊ भुकदत भन यानी।।


फेद वफकहत अरु कुर आचारू। कीन्ह बरी वफसध सफ ब्मवहारू।।
ऩॊच सफद धुसन भॊगर गाना। ऩट ऩाॉवड़े ऩयकहॊ वफसध नाना।।
करय आयती अयघु सतन्ह दीन्हा। याभ गभनु भॊडऩ तफ कीन्हा।।
दसयथु सकहत सभाज वफयाजे। वफबव वफरोकक रोकऩसत राजे।।
सभमॉ सभमॉ सुय फयषकहॊ पूरा। साॊसत ऩढ़कहॊ भकहसुय अनुकूरा।।
नब अरु नगय कोराहर होई। आऩसन ऩय कछु सुनइ न कोई।।
एकह वफसध याभु भॊडऩकहॊ आए। अयघु दे इ आसन फैठाए।।
छॊ 0-फैठारय आसन आयती करय सनयष्ि फरु सुिु ऩावहीॊ।।
भसन फसन बूषन बूरय वायकहॊ नारय भॊगर गावहीॊ।।
ब्रह्माकद सुयफय वफप्र फेष फनाइ कौतुक दे िहीॊ।
अवरोकक यघुकुर कभर यवफ छवफ सुपर जीवन रेिहीॊ।।
दो0-नाऊ फायी बाट नट याभ सनछावरय ऩाइ।
भुकदत असीसकहॊ नाइ ससय हयषु न रृदमॉ सभाइ।।319।।
–*–*–
सभरे जनकु दसयथु असत प्रीतीॊ। करय फैकदक रौककक सफ यीतीॊ।।
सभरत भहा दोउ याज वफयाजे। उऩभा िोष्ज िोष्ज कवफ राजे।।
रही न कतहुॉ हारय कहमॉ भानी। इन्ह सभ एइ उऩभा उय आनी।।

118
साभध दे ष्ि दे व अनुयागे। सुभन फयवष जसु गावन रागे।।
जगु वफयॊ सच उऩजावा जफ तईऄ। दे िे सुने ब्माह फहु तफ तईऄ।।
सकर बाॉसत सभ साजु सभाजू। सभ सभधी दे िे हभ आजू।।
दे व सगया सुसन सुॊदय साॉची। प्रीसत अरौककक दह
ु ु कदसस भाची।।
दे त ऩाॉवड़े अयघु सुहाए। सादय जनकु भॊडऩकहॊ ल्माए।।
छॊ 0-भॊडऩु वफरोकक वफचीत्र यचनाॉ रुसचयताॉ भुसन भन हये ।।
सनज ऩासन जनक सुजान सफ कहुॉ आसन ससॊघासन धये ।।
कुर इि सरयस फससि ऩूजे वफनम करय आससष रही।
कौससककह ऩूजत ऩयभ प्रीसत कक यीसत तौ न ऩयै कही।।
दो0-फाभदे व आकदक रयषम ऩूजे भुकदत भहीस।
कदए कदब्म आसन सफकह सफ सन रही असीस।।320।।
–*–*–
फहुरय कीन्ह कोसरऩसत ऩूजा। जासन ईस सभ बाउ न दज
ू ा।।
कीन्ह जोरय कय वफनम फड़ाई। ककह सनज बाग्म वफबव फहुताई।।
ऩूजे बूऩसत सकर फयाती। सभसध सभ सादय सफ बाॉती।।
आसन उसचत कदए सफ काहू। कहं काह भूि एक उछाहू।।
सकर फयात जनक सनभानी। दान भान वफनती फय फानी।।
वफसध हरय हरु कदससऩसत कदनयाऊ। जे जानकहॊ यघुफीय प्रबाऊ।।
कऩट वफप्र फय फेष फनाएॉ। कौतुक दे िकहॊ असत सचु ऩाएॉ।।
ऩूजे जनक दे व सभ जानईऄ। कदए सुआसन वफनु ऩकहचानईऄ।।
छॊ 0-ऩकहचान को केकह जान सफकहॊ अऩान सुसध बोयी बई।
आनॊद कॊद ु वफरोकक दर
ू हु उबम कदसस आनॉद भई।।
सुय रिे याभ सुजान ऩूजे भानससक आसन दए।
अवरोकक सीरु सुबाउ प्रबु को वफफुध भन प्रभुकदत बए।।
दो0-याभचॊर भुि चॊर छवफ रोचन चारु चकोय।
कयत ऩान सादय सकर प्रेभु प्रभोद ु न थोय।।321।।
–*–*–
सभउ वफरोकक फससष्ठ फोराए। सादय सतानॊद ु सुसन आए।।
फेसग कुअॉरय अफ आनहु जाई। चरे भुकदत भुसन आमसु ऩाई।।
यानी सुसन उऩयोकहत फानी। प्रभुकदत सष्िन्ह सभेत समानी।।
वफप्र फधू कुरफृद्ध फोराईं। करय कुर यीसत सुभॊगर गाईं।।
नारय फेष जे सुय फय फाभा। सकर सुबामॉ सुॊदयी स्माभा।।
सतन्हकह दे ष्ि सुिु ऩावकहॊ नायीॊ। वफनु ऩकहचासन प्रानहु ते प्मायीॊ।।

119
फाय फाय सनभानकहॊ यानी। उभा यभा सायद सभ जानी।।
सीम सॉवारय सभाजु फनाई। भुकदत भॊडऩकहॊ चरीॊ रवाई।।
छॊ 0-चसर ल्माइ सीतकह सिीॊ सादय सष्ज सुभॊगर बासभनीॊ।
नवसप्त साजईऄ सुॊदयी सफ भत्त कुॊजय गासभनीॊ।।
कर गान सुसन भुसन ध्मान त्मागकहॊ काभ कोककर राजहीॊ।
भॊजीय नूऩुय कसरत कॊकन तार गती फय फाजहीॊ।।
दो0-सोहसत फसनता फृॊद भहुॉ सहज सुहावसन सीम।
छवफ ररना गन भध्म जनु सुषभा सतम कभनीम।।322।।
–*–*–
ससम सुॊदयता फयसन न जाई। रघु भसत फहुत भनोहयताई।।
आवत दीष्ि फयासतन्ह सीता।।रूऩ यासस सफ बाॉसत ऩुनीता।।
सफकह भनकहॊ भन ककए प्रनाभा। दे ष्ि याभ बए ऩूयनकाभा।।
हयषे दसयथ सुतन्ह सभेता। ककह न जाइ उय आनॉद ु जेता।।
सुय प्रनाभु करय फयसकहॊ पूरा। भुसन असीस धुसन भॊगर भूरा।।
गान सनसान कोराहरु बायी। प्रेभ प्रभोद भगन नय नायी।।
एकह वफसध सीम भॊडऩकहॊ आई। प्रभुकदत साॊसत ऩढ़कहॊ भुसनयाई।।
तेकह अवसय कय वफसध ब्मवहारू। दह
ु ुॉ कुरगुय सफ कीन्ह अचारू।।
छॊ 0-आचारु करय गुय गौरय गनऩसत भुकदत वफप्र ऩुजावहीॊ।
सुय प्रगकट ऩूजा रेकहॊ दे कहॊ असीस असत सुिु ऩावहीॊ।।
भधुऩका भॊगर रब्म जो जेकह सभम भुसन भन भहुॉ चहईआ ।
बये कनक कोऩय करस सो सफ सरएकहॊ ऩरयचायक यहईआ ।।1।।

कुर यीसत प्रीसत सभेत यवफ ककह दे त सफु सादय ककमो।

एकह बाॉसत दे व ऩुजाइ सीतकह सुबग ससॊघासनु कदमो।।

ससम याभ अवरोकसन ऩयसऩय प्रेभ काहु न रष्ि ऩयै ।।

भन फुवद्ध फय फानी अगोचय प्रगट कवफ कैसईऄ कयै ।।2।।


दो0-होभ सभम तनु धरय अनरु असत सुि आहुसत रेकहॊ ।
वफप्र फेष धरय फेद सफ ककह वफफाह वफसध दे कहॊ ।।323।।
–*–*–
जनक ऩाटभकहषी जग जानी। सीम भातु ककसभ जाइ फिानी।।
सुजसु सुकृत सुि सुदॊयताई। सफ सभेकट वफसध यची फनाई।।

120
सभउ जासन भुसनफयन्ह फोराई। सुनत सुआसससन सादय ल्माई।।
जनक फाभ कदसस सोह सुनमना। कहभसगरय सॊग फसन जनु भमना।।
कनक करस भसन कोऩय रूये । सुसच सुॊगध भॊगर जर ऩूये।।
सनज कय भुकदत यामॉ अरु यानी। धये याभ के आगईऄ आनी।।
ऩढ़कहॊ फेद भुसन भॊगर फानी। गगन सुभन झरय अवसरु जानी।।
फरु वफरोकक दॊ ऩसत अनुयागे। ऩाम ऩुनीत ऩिायन रागे।।
छॊ 0-रागे ऩिायन ऩाम ऩॊकज प्रेभ तन ऩुरकावरी।
नब नगय गान सनसान जम धुसन उभसग जनु चहुॉ कदसस चरी।।
जे ऩद सयोज भनोज अरय उय सय सदै व वफयाजहीॊ।
जे सकृ त सुसभयत वफभरता भन सकर कसर भर बाजहीॊ।।1।।
जे ऩयसस भुसनफसनता रही गसत यही जो ऩातकभई।
भकयॊ द ु ष्जन्ह को सॊबु ससय सुसचता अवसध सुय फयनई।।
करय भधुऩ भन भुसन जोसगजन जे सेइ असबभत गसत रहईआ ।
ते ऩद ऩिायत बाग्मबाजनु जनकु जम जम सफ कहै ।।2।।
फय कुअॉरय कयतर जोरय सािोचारु दोउ कुरगुय कयईआ ।
बमो ऩासनगहनु वफरोकक वफसध सुय भनुज भुसन आॉनद बयईआ ।।
सुिभूर दर
ू हु दे ष्ि दॊ ऩसत ऩुरक तन हुरस्मो कहमो।
करय रोक फेद वफधानु कन्मादानु नृऩबूषन ककमो।।3।।
कहभवॊत ष्जसभ सगरयजा भहे सकह हरयकह श्री सागय दई।
सतसभ जनक याभकह ससम सभयऩी वफस्व कर कीयसत नई।।
क्मं कयै वफनम वफदे हु ककमो वफदे हु भूयसत सावॉयी।
करय होभ वफसधवत गाॉकठ जोयी होन रागी बावॉयी।।4।।
दो0-जम धुसन फॊदी फेद धुसन भॊगर गान सनसान।
सुसन हयषकहॊ फयषकहॊ वफफुध सुयतरु सुभन सुजान।।324।।
–*–*–
कुअॉरु कुअॉरय कर बावॉरय दे हीॊ।।नमन राबु सफ सादय रेहीॊ।।
जाइ न फयसन भनोहय जोयी। जो उऩभा कछु कहं सो थोयी।।
याभ सीम सुॊदय प्रसतछाहीॊ। जगभगात भसन िॊबन भाहीॊ ।
भनहुॉ भदन यसत धरय फहु रूऩा। दे ित याभ वफआहु अनूऩा।।
दयस रारसा सकुच न थोयी। प्रगटत दयु त फहोरय फहोयी।।
बए भगन सफ दे िसनहाये । जनक सभान अऩान वफसाये ।।
प्रभुकदत भुसनन्ह बावॉयी पेयी। नेगसकहत सफ यीसत सनफेयीॊ।।

121
याभ सीम ससय सईऄदयु दे हीॊ। सोबा ककह न जासत वफसध केहीॊ।।
अरुन ऩयाग जरजु बरय नीकईऄ। सससकह बूष अकह रोब अभी कईऄ।।
फहुरय फससष्ठ दीन्ह अनुसासन। फरु दर
ु कहसन फैठे एक आसन।।
छॊ 0-फैठे फयासन याभु जानकक भुकदत भन दसयथु बए।
तनु ऩुरक ऩुसन ऩुसन दे ष्ि अऩनईऄ सुकृत सुयतरु पर नए।।
बरय बुवन यहा उछाहु याभ वफफाहु बा सफहीॊ कहा।
केकह बाॉसत फयसन ससयात यसना एक महु भॊगरु भहा।।1।।
तफ जनक ऩाइ फससष्ठ आमसु ब्माह साज सॉवारय कै।
भाॉडवी श्रुसतकीयसत उयसभरा कुअॉरय रईं हॉ कारय के।।
कुसकेतु कन्मा प्रथभ जो गुन सीर सुि सोबाभई।
सफ यीसत प्रीसत सभेत करय सो ब्माकह नृऩ बयतकह दई।।2।।
जानकी रघु बसगनी सकर सुॊदरय ससयोभसन जासन कै।
सो तनम दीन्ही ब्माकह रिनकह सकर वफसध सनभासन कै।।
जेकह नाभु श्रुतकीयसत सुरोचसन सुभुष्ि सफ गुन आगयी।
सो दई रयऩुसूदनकह बूऩसत रूऩ सीर उजागयी।।3।।
अनुरुऩ फय दर
ु कहसन ऩयस्ऩय रष्ि सकुच कहमॉ हयषहीॊ।
सफ भुकदत सुॊदयता सयाहकहॊ सुभन सुय गन फयषहीॊ।।
सुॊदयी सुॊदय फयन्ह सह सफ एक भॊडऩ याजहीॊ।
जनु जीव उय चारयउ अवस्था वफभुन सकहत वफयाजहीॊ।।4।।
दो0-भुकदत अवधऩसत सकर सुत फधुन्ह सभेत सनहारय।
जनु ऩाय भकहऩार भसन कक्रमन्ह सकहत पर चारय।।325।।
–*–*–
जसस यघुफीय ब्माह वफसध फयनी। सकर कुअॉय ब्माहे तेकहॊ कयनी।।
ककह न जाइ कछु दाइज बूयी। यहा कनक भसन भॊडऩु ऩूयी।।
कॊफर फसन वफसचत्र ऩटोये । बाॉसत बाॉसत फहु भोर न थोये ।।
गज यथ तुयग दास अरु दासी। धेनु अरॊकृत काभदह
ु ा सी।।
फस्तु अनेक करयअ ककसभ रेिा। ककह न जाइ जानकहॊ ष्जन्ह दे िा।।
रोकऩार अवरोकक ससहाने। रीन्ह अवधऩसत सफु सुिु भाने।।
दीन्ह जाचकष्न्ह जो जेकह बावा। उफया सो जनवासेकहॊ आवा।।
तफ कय जोरय जनकु भृद ु फानी। फोरे सफ फयात सनभानी।।
छॊ 0-सनभासन सकर फयात आदय दान वफनम फड़ाइ कै।
प्रभुकदत भहा भुसन फृॊद फॊदे ऩूष्ज प्रेभ रड़ाइ कै।।

122
ससरु नाइ दे व भनाइ सफ सन कहत कय सॊऩुट ककएॉ।
सुय साधु चाहत बाउ ससॊधु कक तोष जर अॊजसर कदएॉ।।1।।
कय जोरय जनकु फहोरय फॊधु सभेत कोसरयाम सं।
फोरे भनोहय फमन सासन सनेह सीर सुबाम सं।।
सॊफॊध याजन यावयईऄ हभ फड़े अफ सफ वफसध बए।
एकह याज साज सभेत सेवक जासनफे वफनु गथ रए।।2।।
ए दारयका ऩरयचारयका करय ऩासरफीॊ करुना नई।
अऩयाधु छसभफो फोसर ऩठए फहुत हं ढीट्मो कई।।
ऩुसन बानुकुरबूषन सकर सनभान सनसध सभधी ककए।
ककह जासत नकहॊ वफनती ऩयस्ऩय प्रेभ ऩरयऩूयन कहए।।3।।
फृॊदायका गन सुभन फरयसकहॊ याउ जनवासेकह चरे।
दॊ द
ु ब
ु ी जम धुसन फेद धुसन नब नगय कौतूहर बरे।।
तफ सिीॊ भॊगर गान कयत भुनीस आमसु ऩाइ कै।
दर
ू ह दर
ु कहसनन्ह सकहत सुॊदरय चरीॊ कोहफय ल्माइ कै।।4।।
दो0-ऩुसन ऩुसन याभकह सचतव ससम सकुचसत भनु सकुचै न।
हयत भनोहय भीन छवफ प्रेभ वऩआसे नैन।।326।।
भासऩायामण, ग्मायहवाॉ ववश्राभ
–*–*–
स्माभ सयीरु सुबामॉ सुहावन। सोबा कोकट भनोज रजावन।।
जावक जुत ऩद कभर सुहाए। भुसन भन भधुऩ यहत ष्जन्ह छाए।।
ऩीत ऩुनीत भनोहय धोती। हयसत फार यवफ दासभसन जोती।।
कर ककॊककसन ककट सूत्र भनोहय। फाहु वफसार वफबूषन सुॊदय।।
ऩीत जनेउ भहाछवफ दे ई। कय भुकरका चोरय सचतु रेई।।
सोहत ब्माह साज सफ साजे। उय आमत उयबूषन याजे।।
वऩअय उऩयना कािासोती। दह
ु ुॉ आॉचयष्न्ह रगे भसन भोती।।
नमन कभर कर कुॊडर काना। फदनु सकर संदजा सनधाना।।
सुॊदय बृकुकट भनोहय नासा। बार सतरकु रुसचयता सनवासा।।
सोहत भौरु भनोहय भाथे। भॊगरभम भुकुता भसन गाथे।।
छॊ 0-गाथे भहाभसन भौय भॊजुर अॊग सफ सचत चोयहीॊ।
ऩुय नारय सुय सुॊदयीॊ फयकह वफरोकक सफ सतन तोयहीॊ।।
भसन फसन बूषन वारय आयसत कयकहॊ भॊगर गावकहॊ ।
सुय सुभन फरयसकहॊ सूत भागध फॊकद सुजसु सुनावहीॊ।।1।।

123
कोहफयकहॊ आने कुॉअय कुॉअरय सुआसससनन्ह सुि ऩाइ कै।
असत प्रीसत रौककक यीसत रागीॊ कयन भॊगर गाइ कै।।
रहकौरय गौरय ससिाव याभकह सीम सन सायद कहईआ ।
यसनवासु हास वफरास यस फस जन्भ को परु सफ रहईआ ।।2।।
सनज ऩासन भसन भहुॉ दे ष्िअसत भूयसत सुरूऩसनधान की।
चारसत न बुजफल्री वफरोकसन वफयह बम फस जानकी।।
कौतुक वफनोद प्रभोद ु प्रेभु न जाइ ककह जानकहॊ अरीॊ।
फय कुअॉरय सुॊदय सकर सिीॊ रवाइ जनवासेकह चरीॊ।।3।।
तेकह सभम सुसनअ असीस जहॉ तहॉ नगय नब आनॉद ु भहा।
सचरु ष्जअहुॉ जोयीॊ चारु चायमो भुकदत भन सफहीॊ कहा।।
जोगीन्र ससद्ध भुनीस दे व वफरोकक प्रबु दॊ द
ु सु ब हनी।
चरे हयवष फयवष प्रसून सनज सनज रोक जम जम जम बनी।।4।।
दो0-सकहत फधूकटन्ह कुअॉय सफ तफ आए वऩतु ऩास।
सोबा भॊगर भोद बरय उभगेउ जनु जनवास।।327।।
–*–*–
ऩुसन जेवनाय बई फहु बाॉती। ऩठए जनक फोराइ फयाती।।
ऩयत ऩाॉवड़े फसन अनूऩा। सुतन्ह सभेत गवन ककमो बूऩा।।
सादय सफके ऩाम ऩिाये । जथाजोगु ऩीढ़न्ह फैठाये ।।
धोए जनक अवधऩसत चयना। सीरु सनेहु जाइ नकहॊ फयना।।
फहुरय याभ ऩद ऩॊकज धोए। जे हय रृदम कभर भहुॉ गोए।।
तीसनउ बाई याभ सभ जानी। धोए चयन जनक सनज ऩानी।।
आसन उसचत सफकह नृऩ दीन्हे । फोसर सूऩकायी सफ रीन्हे ।।
सादय रगे ऩयन ऩनवाये । कनक कीर भसन ऩान सॉवाये ।।
दो0-सूऩोदन सुयबी सयवऩ सुॊदय स्वाद ु ऩुनीत।
छन भहुॉ सफ कईऄ ऩरुसस गे चतुय सुआय वफनीत।।328।।
–*–*–
ऩॊच कवर करय जेवन रअगे। गारय गान सुसन असत अनुयागे।।
बाॉसत अनेक ऩये ऩकवाने। सुधा सरयस नकहॊ जाकहॊ फिाने।।
ऩरुसन रगे सुआय सुजाना। वफॊजन वफवफध नाभ को जाना।।
चारय बाॉसत बोजन वफसध गाई। एक एक वफसध फयसन न जाई।।
छयस रुसचय वफॊजन फहु जाती। एक एक यस अगसनत बाॉती।।
जेवॉत दे कहॊ भधुय धुसन गायी। रै रै नाभ ऩुरुष अरु नायी।।
सभम सुहावसन गारय वफयाजा। हॉ सत याउ सुसन सकहत सभाजा।।

124
एकह वफसध सफहीॊ बौजनु कीन्हा। आदय सकहत आचभनु दीन्हा।।
दो0-दे इ ऩान ऩूजे जनक दसयथु सकहत सभाज।
जनवासेकह गवने भुकदत सकर बूऩ ससयताज।।329।।
–*–*–
सनत नूतन भॊगर ऩुय भाहीॊ। सनसभष सरयस कदन जासभसन जाहीॊ।।
फड़े बोय बूऩसतभसन जागे। जाचक गुन गन गावन रागे।।
दे ष्ि कुअॉय फय फधुन्ह सभेता। ककसभ ककह जात भोद ु भन जेता।।
प्रातकक्रमा करय गे गुरु ऩाहीॊ। भहाप्रभोद ु प्रेभु भन भाहीॊ।।
करय प्रनाभ ऩूजा कय जोयी। फोरे सगया असभअॉ जनु फोयी।।
तुम्हयी कृ ऩाॉ सुनहु भुसनयाजा। बमउॉ आजु भईआ ऩूयनकाजा।।
अफ सफ वफप्र फोराइ गोसाईं। दे हु धेनु सफ बाॉसत फनाई।।
सुसन गुय करय भकहऩार फड़ाई। ऩुसन ऩठए भुसन फृॊद फोराई।।
दो0-फाभदे उ अरु दे वरयवष फारभीकक जाफासर।
आए भुसनफय सनकय तफ कौससकाकद तऩसासर।।330।।
–*–*–
दॊ ड प्रनाभ सफकह नृऩ कीन्हे । ऩूष्ज सप्रेभ फयासन दीन्हे ।।
चारय रछछ फय धेनु भगाई। काभसुयसब सभ सीर सुहाई।।
सफ वफसध सकर अरॊकृत कीन्हीॊ। भुकदत भकहऩ भकहदे वन्ह दीन्हीॊ।।
कयत वफनम फहु वफसध नयनाहू। रहे उॉ आजु जग जीवन राहू।।
ऩाइ असीस भहीसु अनॊदा। सरए फोसर ऩुसन जाचक फृॊदा।।
कनक फसन भसन हम गम स्मॊदन। कदए फूष्झ रुसच यवफकुरनॊदन।।
चरे ऩढ़त गावत गुन गाथा। जम जम जम कदनकय कुर नाथा।।
एकह वफसध याभ वफआह उछाहू। सकइ न फयसन सहस भुि जाहू।।
दो0-फाय फाय कौससक चयन सीसु नाइ कह याउ।
मह सफु सुिु भुसनयाज तव कृ ऩा कटाछछ ऩसाउ।।331।।
–*–*–
जनक सनेहु सीरु कयतूती। नृऩु सफ बाॉसत सयाह वफबूती।।
कदन उकठ वफदा अवधऩसत भागा। यािकहॊ जनकु सकहत अनुयागा।।
सनत नूतन आदरु असधकाई। कदन प्रसत सहस बाॉसत ऩहुनाई।।
सनत नव नगय अनॊद उछाहू। दसयथ गवनु सोहाइ न काहू।।
फहुत कदवस फीते एकह बाॉती। जनु सनेह यजु फॉधे फयाती।।
कौससक सतानॊद तफ जाई। कहा वफदे ह नृऩकह सभुझाई।।
अफ दसयथ कहॉ आमसु दे हू। जयवऩ छाकड़ न सकहु सनेहू।।

125
बरेकहॊ नाथ ककह ससचव फोराए। ककह जम जीव सीस सतन्ह नाए।।
दो0-अवधनाथु चाहत चरन बीतय कयहु जनाउ।
बए प्रेभफस ससचव सुसन वफप्र सबासद याउ।।332।।
–*–*–
ऩुयफासी सुसन चसरकह फयाता। फूझत वफकर ऩयस्ऩय फाता।।
सत्म गवनु सुसन सफ वफरिाने। भनहुॉ साॉझ सयससज सकुचाने।।
जहॉ जहॉ आवत फसे फयाती। तहॉ तहॉ ससद्ध चरा फहु बाॉती।।
वफवफध बाॉसत भेवा ऩकवाना। बोजन साजु न जाइ फिाना।।
बरय बरय फसहॉ अऩाय कहाया। ऩठई जनक अनेक सुसाया।।
तुयग राि यथ सहस ऩचीसा। सकर सॉवाये नि अरु सीसा।।
भत्त सहस दस ससॊधुय साजे। ष्जन्हकह दे ष्ि कदससकुॊजय राजे।।
कनक फसन भसन बरय बरय जाना। भकहषीॊ धेनु फस्तु वफसध नाना।।
दो0-दाइज असभत न सककअ ककह दीन्ह वफदे हॉ फहोरय।
जो अवरोकत रोकऩसत रोक सॊऩदा थोरय।।333।।
–*–*–
सफु सभाजु एकह बाॉसत फनाई। जनक अवधऩुय दीन्ह ऩठाई।।
चसरकह फयात सुनत सफ यानीॊ। वफकर भीनगन जनु रघु ऩानीॊ।।
ऩुसन ऩुसन सीम गोद करय रेहीॊ। दे इ असीस ससिावनु दे हीॊ।।
होएहु सॊतत वऩमकह वऩआयी। सचरु अकहफात असीस हभायी।।
सासु ससुय गुय सेवा कये हू। ऩसत रुि रष्ि आमसु अनुसये हू।।
असत सनेह फस सिीॊ समानी। नारय धयभ ससिवकहॊ भृद ु फानी।।
सादय सकर कुअॉरय सभुझाई। यासनन्ह फाय फाय उय राई।।
फहुरय फहुरय बेटकहॊ भहतायीॊ। कहकहॊ वफयॊ सच यचीॊ कत नायीॊ।।
दो0-तेकह अवसय बाइन्ह सकहत याभु बानु कुर केतु।
चरे जनक भॊकदय भुकदत वफदा कयावन हे तु।।334।।
–*–*–
चारयअ बाइ सुबामॉ सुहाए। नगय नारय नय दे िन धाए।।
कोउ कह चरन चहत हकहॊ आजू। कीन्ह वफदे ह वफदा कय साजू।।
रेहु नमन बरय रूऩ सनहायी। वप्रम ऩाहुने बूऩ सुत चायी।।
को जानै केकह सुकृत समानी। नमन असतसथ कीन्हे वफसध आनी।।
भयनसीरु ष्जसभ ऩाव वऩऊषा। सुयतरु रहै जनभ कय बूिा।।
ऩाव नायकी हरयऩद ु जैसईऄ। इन्ह कय दयसनु हभ कहॉ तैसे।।
सनयष्ि याभ सोबा उय धयहू। सनज भन पसन भूयसत भसन कयहू।।

126
एकह वफसध सफकह नमन परु दे ता। गए कुअॉय सफ याज सनकेता।।
दो0-रूऩ ससॊधु सफ फॊधु रष्ि हयवष उठा यसनवासु।
कयकह सनछावरय आयती भहा भुकदत भन सासु।।335।।
–*–*–
दे ष्ि याभ छवफ असत अनुयागीॊ। प्रेभवफफस ऩुसन ऩुसन ऩद रागीॊ।।
यही न राज प्रीसत उय छाई। सहज सनेहु फयसन ककसभ जाई।।
बाइन्ह सकहत उफकट अन्हवाए। छयस असन असत हे तु जेवाॉए।।
फोरे याभु सुअवसरु जानी। सीर सनेह सकुचभम फानी।।
याउ अवधऩुय चहत ससधाए। वफदा होन हभ इहाॉ ऩठाए।।
भातु भुकदत भन आमसु दे हू। फारक जासन कयफ सनत नेहू।।
सुनत फचन वफरिेउ यसनवासू। फोसर न सककहॊ प्रेभफस सासू।।
रृदमॉ रगाइ कुअॉरय सफ रीन्ही। ऩसतन्ह संवऩ वफनती असत कीन्ही।।
छॊ 0-करय वफनम ससम याभकह सभयऩी जोरय कय ऩुसन ऩुसन कहै ।
फसर जाॉउ तात सुजान तुम्ह कहुॉ वफकदत गसत सफ की अहै ।।
ऩरयवाय ऩुयजन भोकह याजकह प्रानवप्रम ससम जासनफी।
तुरसीस सीरु सनेहु रष्ि सनज ककॊकयी करय भासनफी।।
सो0-तुम्ह ऩरयऩूयन काभ जान ससयोभसन बाववप्रम।
जन गुन गाहक याभ दोष दरन करुनामतन।।336।।
अस ककह यही चयन गकह यानी। प्रेभ ऩॊक जनु सगया सभानी।।
सुसन सनेहसानी फय फानी। फहुवफसध याभ सासु सनभानी।।
याभ वफदा भागत कय जोयी। कीन्ह प्रनाभु फहोरय फहोयी।।
ऩाइ असीस फहुरय ससरु नाई। बाइन्ह सकहत चरे यघुयाई।।
भॊजु भधुय भूयसत उय आनी। बई सनेह सससथर सफ यानी।।
ऩुसन धीयजु धरय कुअॉरय हॉ कायी। फाय फाय बेटकहॊ भहतायीॊ।।
ऩहुॉचावकहॊ कपरय सभरकहॊ फहोयी। फढ़ी ऩयस्ऩय प्रीसत न थोयी।।
ऩुसन ऩुसन सभरत सष्िन्ह वफरगाई। फार फछछ ष्जसभ धेनु रवाई।।
दो0-प्रेभवफफस नय नारय सफ सष्िन्ह सकहत यसनवासु।
भानहुॉ कीन्ह वफदे हऩुय करुनाॉ वफयहॉ सनवासु।।337।।
–*–*–
सुक सारयका जानकी ज्माए। कनक वऩॊजयष्न्ह याष्ि ऩढ़ाए।।
ब्माकुर कहकहॊ कहाॉ फैदेही। सुसन धीयजु ऩरयहयइ न केही।।
बए वफकर िग भृग एकह बाॉसत। भनुज दसा कैसईऄ ककह जाती।।
फॊधु सभेत जनकु तफ आए। प्रेभ उभसग रोचन जर छाए।।

127
सीम वफरोकक धीयता बागी। यहे कहावत ऩयभ वफयागी।।
रीष्न्ह याॉम उय राइ जानकी। सभटी भहाभयजाद ग्मान की।।
सभुझावत सफ ससचव समाने। कीन्ह वफचारु न अवसय जाने।।
फायकहॊ फाय सुता उय राई। सष्ज सुॊदय ऩारकीॊ भगाई।।
दो0-प्रेभवफफस ऩरयवारु सफु जासन सुरगन नये स।
कुॉअरय चढ़ाई ऩारककन्ह सुसभये ससवद्ध गनेस।।338।।
–*–*–
फहुवफसध बूऩ सुता सभुझाई। नारयधयभु कुरयीसत ससिाई।।
दासीॊ दास कदए फहुतेये। सुसच सेवक जे वप्रम ससम केये ।।
सीम चरत ब्माकुर ऩुयफासी। होकहॊ सगुन सुब भॊगर यासी।।
बूसुय ससचव सभेत सभाजा। सॊग चरे ऩहुॉचावन याजा।।
सभम वफरोकक फाजने फाजे। यथ गज फाष्ज फयासतन्ह साजे।।
दसयथ वफप्र फोसर सफ रीन्हे । दान भान ऩरयऩूयन कीन्हे ।।
चयन सयोज धूरय धरय सीसा। भुकदत भहीऩसत ऩाइ असीसा।।
सुसभरय गजाननु कीन्ह ऩमाना। भॊगरभूर सगुन बए नाना।।
दो0-सुय प्रसून फयषकह हयवष कयकहॊ अऩछया गान।
चरे अवधऩसत अवधऩुय भुकदत फजाइ सनसान।।339।।
–*–*–
नृऩ करय वफनम भहाजन पेये । सादय सकर भागने टे ये।।
बूषन फसन फाष्ज गज दीन्हे । प्रेभ ऩोवष ठाढ़े सफ कीन्हे ।।
फाय फाय वफरयदावसर बाषी। कपये सकर याभकह उय यािी।।
फहुरय फहुरय कोसरऩसत कहहीॊ। जनकु प्रेभफस कपयै न चहहीॊ।।
ऩुसन कह बूऩसत फचन सुहाए। कपरयअ भहीस दरू य फकड़ आए।।
याउ फहोरय उतरय बए ठाढ़े । प्रेभ प्रफाह वफरोचन फाढ़े ।।
तफ वफदे ह फोरे कय जोयी। फचन सनेह सुधाॉ जनु फोयी।।
कयौ कवन वफसध वफनम फनाई। भहायाज भोकह दीष्न्ह फड़ाई।।
दो0-कोसरऩसत सभधी सजन सनभाने सफ बाॉसत।
सभरसन ऩयसऩय वफनम असत प्रीसत न रृदमॉ सभासत।।340।।
–*–*–
भुसन भॊडसरकह जनक ससरु नावा। आससयफाद ु सफकह सन ऩावा।।
सादय ऩुसन बईऄटे जाभाता। रूऩ सीर गुन सनसध सफ र्भ्ाता।।
जोरय ऩॊकरुह ऩासन सुहाए। फोरे फचन प्रेभ जनु जाए।।
याभ कयौ केकह बाॉसत प्रसॊसा। भुसन भहे स भन भानस हॊ सा।।

128
कयकहॊ जोग जोगी जेकह रागी। कोहु भोहु भभता भद ु त्मागी।।
ब्माऩकु ब्रह्मु अरिु अवफनासी। सचदानॊद ु सनयगुन गुनयासी।।
भन सभेत जेकह जान न फानी। तयकक न सककहॊ सकर अनुभानी।।
भकहभा सनगभु नेसत ककह कहई। जो सतहुॉ कार एकयस यहई।।
दो0-नमन वफषम भो कहुॉ बमउ सो सभस्त सुि भूर।
सफइ राबु जग जीव कहॉ बएॉ ईसु अनुकुर।।341।।
–*–*–
सफकह बाॉसत भोकह दीष्न्ह फड़ाई। सनज जन जासन रीन्ह अऩनाई।।
होकहॊ सहस दस सायद सेषा। कयकहॊ करऩ कोकटक बरय रेिा।।
भोय बाग्म याउय गुन गाथा। ककह न ससयाकहॊ सुनहु यघुनाथा।।
भै कछु कहउॉ एक फर भोयईऄ । तुम्ह यीझहु सनेह सुकठ थोयईऄ ।।
फाय फाय भागउॉ कय जोयईऄ । भनु ऩरयहयै चयन जसन बोयईऄ ।।
सुसन फय फचन प्रेभ जनु ऩोषे। ऩूयनकाभ याभु ऩरयतोषे।।
करय फय वफनम ससुय सनभाने। वऩतु कौससक फससष्ठ सभ जाने।।
वफनती फहुरय बयत सन कीन्ही। सभसर सप्रेभु ऩुसन आससष दीन्ही।।
दो0-सभरे रिन रयऩुसूदनकह दीष्न्ह असीस भहीस।
बए ऩयस्ऩय प्रेभफस कपरय कपरय नावकहॊ सीस।।342।।
–*–*–
फाय फाय करय वफनम फड़ाई। यघुऩसत चरे सॊग सफ बाई।।
जनक गहे कौससक ऩद जाई। चयन ये नु ससय नमनन्ह राई।।
सुनु भुनीस फय दयसन तोयईऄ । अगभु न कछु प्रतीसत भन भोयईऄ ।।
जो सुिु सुजसु रोकऩसत चहहीॊ। कयत भनोयथ सकुचत अहहीॊ।।
सो सुिु सुजसु सुरब भोकह स्वाभी। सफ सससध तव दयसन अनुगाभी।।
कीष्न्ह वफनम ऩुसन ऩुसन ससरु नाई। कपये भहीसु आससषा ऩाई।।
चरी फयात सनसान फजाई। भुकदत छोट फड़ सफ सभुदाई।।
याभकह सनयष्ि ग्राभ नय नायी। ऩाइ नमन परु होकहॊ सुिायी।।
दो0-फीच फीच फय फास करय भग रोगन्ह सुि दे त।
अवध सभीऩ ऩुनीत कदन ऩहुॉची आइ जनेत।।343।।û
–*–*–
हने सनसान ऩनव फय फाजे। बेरय सॊि धुसन हम गम गाजे।।
झाॉष्झ वफयव कडॊ डभीॊ सुहाई। सयस याग फाजकहॊ सहनाई।।
ऩुय जन आवत अकसन फयाता। भुकदत सकर ऩुरकावसर गाता।।
सनज सनज सुॊदय सदन सॉवाये । हाट फाट चौहट ऩुय द्वाये ।।

129
गरीॊ सकर अयगजाॉ ससॊचाई। जहॉ तहॉ चौकईऄ चारु ऩुयाई।।
फना फजारु न जाइ फिाना। तोयन केतु ऩताक वफताना।।
सपर ऩूगपर कदसर यसारा। योऩे फकुर कदॊ फ तभारा।।
रगे सुबग तरु ऩयसत धयनी। भसनभम आरफार कर कयनी।।
दो0-वफवफध बाॉसत भॊगर करस गृह गृह यचे सॉवारय।
सुय ब्रह्माकद ससहाकहॊ सफ यघुफय ऩुयी सनहारय।।344।।
–*–*–
बूऩ बवन तेकह अवसय सोहा। यचना दे ष्ि भदन भनु भोहा।।
भॊगर सगुन भनोहयताई। रयसध सससध सुि सॊऩदा सुहाई।।
जनु उछाह सफ सहज सुहाए। तनु धरय धरय दसयथ दसयथ गृहॉ छाए।।
दे िन हे तु याभ फैदेही। कहहु रारसा होकह न केही।।
जुथ जूथ सभसर चरीॊ सुआसससन। सनज छवफ सनदयकहॊ भदन वफराससन।।
सकर सुभॊगर सजईऄ आयती। गावकहॊ जनु फहु फेष बायती।।
बूऩसत बवन कोराहरु होई। जाइ न फयसन सभउ सुिु सोई।।
कौसल्माकद याभ भहतायीॊ। प्रेभ वफफस तन दसा वफसायीॊ।।
दो0-कदए दान वफप्रन्ह वफऩुर ऩूष्ज गनेस ऩुयायी।
प्रभुकदत ऩयभ दरयर जनु ऩाइ ऩदायथ चारय।।345।।
–*–*–
भोद प्रभोद वफफस सफ भाता। चरकहॊ न चयन सससथर बए गाता।।
याभ दयस कहत असत अनुयागीॊ। ऩरयछसन साजु सजन सफ रागीॊ।।
वफवफध वफधान फाजने फाजे। भॊगर भुकदत सुसभत्राॉ साजे।।
हयद दफ
ू दसध ऩल्रव पूरा। ऩान ऩूगपर भॊगर भूरा।।
अछछत अॊकुय रोचन राजा। भॊजुर भॊजरय तुरसस वफयाजा।।
छुहे ऩुयट घट सहज सुहाए। भदन सकुन जनु नीड़ फनाए।।
सगुन सुॊगध न जाकहॊ फिानी। भॊगर सकर सजकहॊ सफ यानी।।
यचीॊ आयतीॊ फहुत वफधाना। भुकदत कयकहॊ कर भॊगर गाना।।
दो0-कनक थाय बरय भॊगरष्न्ह कभर कयष्न्ह सरएॉ भात।
चरीॊ भुकदत ऩरयछसन कयन ऩुरक ऩल्रववत गात।।346।।
–*–*–
धूऩ धूभ नबु भेचक बमऊ। सावन घन घभॊडु जनु ठमऊ।।
सुयतरु सुभन भार सुय फयषकहॊ । भनहुॉ फराक अवसर भनु कयषकहॊ ।।
भॊजुर भसनभम फॊदसनवाये । भनहुॉ ऩाकरयऩु चाऩ सॉवाये ।।
प्रगटकहॊ दयु कहॊ अटन्ह ऩय बासभसन। चारु चऩर जनु दभककहॊ दासभसन।।

130
दॊ द
ु सु ब धुसन घन गयजसन घोया। जाचक चातक दादयु भोया।।
सुय सुगन्ध सुसच फयषकहॊ फायी। सुिी सकर ससस ऩुय नय नायी।।
सभउ जानी गुय आमसु दीन्हा। ऩुय प्रफेसु यघुकुरभसन कीन्हा।।
सुसभरय सॊबु सगयजा गनयाजा। भुकदत भहीऩसत सकहत सभाजा।।
दो0-होकहॊ सगुन फयषकहॊ सुभन सुय दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजाइ।
वफफुध फधू नाचकहॊ भुकदत भॊजुर भॊगर गाइ।।347।।
–*–*–
भागध सूत फॊकद नट नागय। गावकहॊ जसु सतहु रोक उजागय।।
जम धुसन वफभर फेद फय फानी। दस कदसस सुसनअ सुभॊगर सानी।।
वफऩुर फाजने फाजन रागे। नब सुय नगय रोग अनुयागे।।
फने फयाती फयसन न जाहीॊ। भहा भुकदत भन सुि न सभाहीॊ।।
ऩुयफाससन्ह तफ याम जोहाये । दे ित याभकह बए सुिाये ।।
कयकहॊ सनछावरय भसनगन चीया। फारय वफरोचन ऩुरक सयीया।।
आयसत कयकहॊ भुकदत ऩुय नायी। हयषकहॊ सनयष्ि कुॉअय फय चायी।।
ससवफका सुबग ओहाय उघायी। दे ष्ि दर
ु कहसनन्ह होकहॊ सुिायी।।
दो0-एकह वफसध सफही दे त सुिु आए याजदआ
ु य।
भुकदत भातु ऩरुछसन कयकहॊ फधुन्ह सभेत कुभाय।।348।।
–*–*–
कयकहॊ आयती फायकहॊ फाया। प्रेभु प्रभोद ु कहै को ऩाया।।
बूषन भसन ऩट नाना जाती।।कयही सनछावरय अगसनत बाॉती।।
फधुन्ह सभेत दे ष्ि सुत चायी। ऩयभानॊद भगन भहतायी।।
ऩुसन ऩुसन सीम याभ छवफ दे िी।।भुकदत सपर जग जीवन रेिी।।
सिीॊ सीम भुि ऩुसन ऩुसन चाही। गान कयकहॊ सनज सुकृत सयाही।।
फयषकहॊ सुभन छनकहॊ छन दे वा। नाचकहॊ गावकहॊ रावकहॊ सेवा।।
दे ष्ि भनोहय चारयउ जोयीॊ। सायद उऩभा सकर ढॉ ढोयीॊ।।
दे त न फनकहॊ सनऩट रघु रागी। एकटक यहीॊ रूऩ अनुयागीॊ।।
दो0-सनगभ नीसत कुर यीसत करय अयघ ऩाॉवड़े दे त।
फधुन्ह सकहत सुत ऩरयसछ सफ चरीॊ रवाइ सनकेत।।349।।
–*–*–
चारय ससॊघासन सहज सुहाए। जनु भनोज सनज हाथ फनाए।।
सतन्ह ऩय कुअॉरय कुअॉय फैठाये । सादय ऩाम ऩुसनत ऩिाये ।।
धूऩ दीऩ नैफेद फेद वफसध। ऩूजे फय दर
ु कहसन भॊगरसनसध।।
फायकहॊ फाय आयती कयहीॊ। ब्मजन चारु चाभय ससय ढयहीॊ।।

131
फस्तु अनेक सनछावय होहीॊ। बयीॊ प्रभोद भातु सफ सोहीॊ।।
ऩावा ऩयभ तत्व जनु जोगीॊ। अभृत रहे उ जनु सॊतत योगीॊ।।
जनभ यॊ क जनु ऩायस ऩावा। अॊधकह रोचन राबु सुहावा।।
भूक फदन जनु सायद छाई। भानहुॉ सभय सूय जम ऩाई।।
दो0-एकह सुि ते सत कोकट गुन ऩावकहॊ भातु अनॊद।ु ।
बाइन्ह सकहत वफआकह घय आए यघुकुरचॊद।ु ।350(क)।।
रोक यीत जननी कयकहॊ फय दर
ु कहसन सकुचाकहॊ ।
भोद ु वफनोद ु वफरोकक फड़ याभु भनकहॊ भुसकाकहॊ ।।350(ि)।।
–*–*–
दे व वऩतय ऩूजे वफसध नीकी। ऩूजीॊ सकर फासना जी की।।
सफकहॊ फॊकद भागकहॊ फयदाना। बाइन्ह सकहत याभ कल्माना।।
अॊतयकहत सुय आससष दे हीॊ। भुकदत भातु अॊचर बरय रईऄहीॊ।।
बूऩसत फोसर फयाती रीन्हे । जान फसन भसन बूषन दीन्हे ।।
आमसु ऩाइ याष्ि उय याभकह। भुकदत गए सफ सनज सनज धाभकह।।
ऩुय नय नारय सकर ऩकहयाए। घय घय फाजन रगे फधाए।।
जाचक जन जाचकह जोइ जोई। प्रभुकदत याउ दे कहॊ सोइ सोई।।
सेवक सकर फजसनआ नाना। ऩूयन ककए दान सनभाना।।
दो0-दईऄ कहॊ असीस जोहारय सफ गावकहॊ गुन गन गाथ।
तफ गुय बूसुय सकहत गृहॉ गवनु कीन्ह नयनाथ।।351।।
–*–*–
जो फससष्ठ अनुसासन दीन्ही। रोक फेद वफसध सादय कीन्ही।।
बूसुय बीय दे ष्ि सफ यानी। सादय उठीॊ बाग्म फड़ जानी।।
ऩाम ऩिारय सकर अन्हवाए। ऩूष्ज बरी वफसध बूऩ जेवाॉए।।
आदय दान प्रेभ ऩरयऩोषे। दे त असीस चरे भन तोषे।।
फहु वफसध कीष्न्ह गासधसुत ऩूजा। नाथ भोकह सभ धन्म न दज
ू ा।।
कीष्न्ह प्रसॊसा बूऩसत बूयी। यासनन्ह सकहत रीष्न्ह ऩग धूयी।।
बीतय बवन दीन्ह फय फासु। भन जोगवत यह नृऩ यसनवासू।।
ऩूजे गुय ऩद कभर फहोयी। कीष्न्ह वफनम उय प्रीसत न थोयी।।
दो0-फधुन्ह सभेत कुभाय सफ यासनन्ह सकहत भहीसु।
ऩुसन ऩुसन फॊदत गुय चयन दे त असीस भुनीसु।।352।।
–*–*–
वफनम कीष्न्ह उय असत अनुयागईऄ। सुत सॊऩदा याष्ि सफ आगईऄ।।
नेगु भासग भुसननामक रीन्हा। आससयफाद ु फहुत वफसध दीन्हा।।

132
उय धरय याभकह सीम सभेता। हयवष कीन्ह गुय गवनु सनकेता।।
वफप्रफधू सफ बूऩ फोराई। चैर चारु बूषन ऩकहयाई।।
फहुरय फोराइ सुआसससन रीन्हीॊ। रुसच वफचारय ऩकहयावसन दीन्हीॊ।।
नेगी नेग जोग सफ रेहीॊ। रुसच अनुरुऩ बूऩभसन दे हीॊ।।
वप्रम ऩाहुने ऩूज्म जे जाने। बूऩसत बरी बाॉसत सनभाने।।
दे व दे ष्ि यघुफीय वफफाहू। फयवष प्रसून प्रसॊसस उछाहू।।
दो0-चरे सनसान फजाइ सुय सनज सनज ऩुय सुि ऩाइ।
कहत ऩयसऩय याभ जसु प्रेभ न रृदमॉ सभाइ।।353।।
–*–*–
सफ वफसध सफकह सभकद नयनाहू। यहा रृदमॉ बरय ऩूरय उछाहू।।
जहॉ यसनवासु तहाॉ ऩगु धाये । सकहत फहूकटन्ह कुअॉय सनहाये ।।
सरए गोद करय भोद सभेता। को ककह सकइ बमउ सुिु जेता।।
फधू सप्रेभ गोद फैठायीॊ। फाय फाय कहमॉ हयवष दर
ु ायीॊ।।
दे ष्ि सभाजु भुकदत यसनवासू। सफ कईऄ उय अनॊद ककमो फासू।।
कहे उ बूऩ ष्जसभ बमउ वफफाहू। सुसन हयषु होत सफ काहू।।
जनक याज गुन सीरु फड़ाई। प्रीसत यीसत सॊऩदा सुहाई।।
फहुवफसध बूऩ बाट ष्जसभ फयनी। यानीॊ सफ प्रभुकदत सुसन कयनी।।
दो0-सुतन्ह सभेत नहाइ नृऩ फोसर वफप्र गुय ग्मासत।
बोजन कीन्ह अनेक वफसध घयी ऩॊच गइ यासत।।354।।
–*–*–
भॊगरगान कयकहॊ फय बासभसन। बै सुिभूर भनोहय जासभसन।।
अॉचइ ऩान सफ काहूॉ ऩाए। स्त्रग सुगॊध बूवषत छवफ छाए।।
याभकह दे ष्ि यजामसु ऩाई। सनज सनज बवन चरे ससय नाई।।
प्रेभ प्रभोद वफनोद ु फढ़ाई। सभउ सभाजु भनोहयताई।।
ककह न सककह सत सायद सेसू। फेद वफयॊ सच भहे स गनेसू।।
सो भै कहं कवन वफसध फयनी। बूसभनागु ससय धयइ कक धयनी।।
नृऩ सफ बाॉसत सफकह सनभानी। ककह भृद ु फचन फोराई यानी।।
फधू ररयकनीॊ ऩय घय आईं। यािेहु नमन ऩरक की नाई।।
दो0-ररयका श्रसभत उनीद फस समन कयावहु जाइ।
अस ककह गे वफश्राभगृहॉ याभ चयन सचतु राइ।।355।।
–*–*–
बूऩ फचन सुसन सहज सुहाए। जरयत कनक भसन ऩरॉग डसाए।।
सुबग सुयसब ऩम पेन सभाना। कोभर कसरत सुऩेतीॊ नाना।।

133
उऩफयहन फय फयसन न जाहीॊ। स्त्रग सुगॊध भसनभॊकदय भाहीॊ।।
यतनदीऩ सुकठ चारु चॉदोवा। कहत न फनइ जान जेकहॊ जोवा।।
सेज रुसचय यसच याभु उठाए। प्रेभ सभेत ऩरॉग ऩौढ़ाए।।
अग्मा ऩुसन ऩुसन बाइन्ह दीन्ही। सनज सनज सेज समन सतन्ह कीन्ही।।
दे ष्ि स्माभ भृद ु भॊजुर गाता। कहकहॊ सप्रेभ फचन सफ भाता।।
भायग जात बमावसन बायी। केकह वफसध तात ताड़का भायी।।
दो0-घोय सनसाचय वफकट बट सभय गनकहॊ नकहॊ काहु।।
भाये सकहत सहाम ककसभ िर भायीच सुफाहु।।356।।
–*–*–
भुसन प्रसाद फसर तात तुम्हायी। ईस अनेक कयवयईऄ टायी।।
भि यिवायी करय दह
ु ुॉ बाई। गुरु प्रसाद सफ वफया ऩाई।।
भुसनतम तयी रगत ऩग धूयी। कीयसत यही बुवन बरय ऩूयी।।
कभठ ऩीकठ ऩवफ कूट कठोया। नृऩ सभाज भहुॉ ससव धनु तोया।।
वफस्व वफजम जसु जानकक ऩाई। आए बवन ब्माकह सफ बाई।।
सकर अभानुष कयभ तुम्हाये । केवर कौससक कृ ऩाॉ सुधाये ।।
आजु सुपर जग जनभु हभाया। दे ष्ि तात वफधुफदन तुम्हाया।।
जे कदन गए तुम्हकह वफनु दे िईऄ। ते वफयॊ सच जसन ऩायकहॊ रेिईऄ।।
दो0-याभ प्रतोषीॊ भातु सफ ककह वफनीत फय फैन।
सुसभरय सॊबु गुय वफप्र ऩद ककए नीदफस नैन।।357।।
–*–*–
नीदउॉ फदन सोह सुकठ रोना। भनहुॉ साॉझ सयसीरुह सोना।।
घय घय कयकहॊ जागयन नायीॊ। दे कहॊ ऩयसऩय भॊगर गायीॊ।।
ऩुयी वफयाजसत याजसत यजनी। यानीॊ कहकहॊ वफरोकहु सजनी।।
सुॊदय फधुन्ह सासु रै सोई। पसनकन्ह जनु ससयभसन उय गोई।।
प्रात ऩुनीत कार प्रबु जागे। अरुनचूड़ फय फोरन रागे।।
फॊकद भागधष्न्ह गुनगन गाए। ऩुयजन द्वाय जोहायन आए।।
फॊकद वफप्र सुय गुय वऩतु भाता। ऩाइ असीस भुकदत सफ र्भ्ाता।।
जनसनन्ह सादय फदन सनहाये । बूऩसत सॊग द्वाय ऩगु धाये ।।
दो0-कीन्ह सौच सफ सहज सुसच सरयत ऩुनीत नहाइ।
प्रातकक्रमा करय तात ऩकहॊ आए चारयउ बाइ।।358।।
नवान्हऩायामण,तीसया ववश्राभ
–*–*–
बूऩ वफरोकक सरए उय राई। फैठै हयवष यजामसु ऩाई।।

134
दे ष्ि याभु सफ सबा जुड़ानी। रोचन राब अवसध अनुभानी।।
ऩुसन फससिु भुसन कौससक आए। सुबग आसनष्न्ह भुसन फैठाए।।
सुतन्ह सभेत ऩूष्ज ऩद रागे। सनयष्ि याभु दोउ गुय अनुयागे।।
कहकहॊ फससिु धयभ इसतहासा। सुनकहॊ भहीसु सकहत यसनवासा।।
भुसन भन अगभ गासधसुत कयनी। भुकदत फससि वफऩुर वफसध फयनी।।
फोरे फाभदे उ सफ साॉची। कीयसत कसरत रोक सतहुॉ भाची।।
सुसन आनॊद ु बमउ सफ काहू। याभ रिन उय असधक उछाहू।।
दो0-भॊगर भोद उछाह सनत जाकहॊ कदवस एकह बाॉसत।
उभगी अवध अनॊद बरय असधक असधक असधकासत।।359।।
–*–*–
सुकदन सोसध कर कॊकन छौये । भॊगर भोद वफनोद न थोये ।।
सनत नव सुिु सुय दे ष्ि ससहाहीॊ। अवध जन्भ जाचकहॊ वफसध ऩाहीॊ।।
वफस्वासभत्रु चरन सनत चहहीॊ। याभ सप्रेभ वफनम फस यहहीॊ।।
कदन कदन समगुन बूऩसत बाऊ। दे ष्ि सयाह भहाभुसनयाऊ।।
भागत वफदा याउ अनुयागे। सुतन्ह सभेत ठाढ़ बे आगे।।
नाथ सकर सॊऩदा तुम्हायी। भईआ सेवकु सभेत सुत नायी।।
कयफ सदा ररयकन् ऩय छोहू। दयसन दे त यहफ भुसन भोहू।।
अस ककह याउ सकहत सुत यानी। ऩये उ चयन भुि आव न फानी।।
दीन्ह असीस वफप्र फहु बाॉती। चरे न प्रीसत यीसत ककह जाती।।
याभु सप्रेभ सॊग सफ बाई। आमसु ऩाइ कपये ऩहुॉचाई।।
दो0-याभ रूऩु बूऩसत बगसत ब्माहु उछाहु अनॊद।ु
जात सयाहत भनकहॊ भन भुकदत गासधकुरचॊद।ु ।360।।
–*–*–
फाभदे व यघुकुर गुय ग्मानी। फहुरय गासधसुत कथा फिानी।।
सुसन भुसन सुजसु भनकहॊ भन याऊ। फयनत आऩन ऩुन्म प्रबाऊ।।
फहुये रोग यजामसु बमऊ। सुतन्ह सभेत नृऩसत गृहॉ गमऊ।।
जहॉ तहॉ याभ ब्माहु सफु गावा। सुजसु ऩुनीत रोक सतहुॉ छावा।।
आए ब्माकह याभु घय जफ तईऄ। फसइ अनॊद अवध सफ तफ तईऄ।।
प्रबु वफफाहॉ जस बमउ उछाहू। सककहॊ न फयसन सगया अकहनाहू।।
कवफकुर जीवनु ऩावन जानी।।याभ सीम जसु भॊगर िानी।।
तेकह ते भईआ कछु कहा फिानी। कयन ऩुनीत हे तु सनज फानी।।
छॊ 0-सनज सगया ऩावसन कयन कायन याभ जसु तुरसी कह्यो।
यघुफीय चरयत अऩाय फारयसध ऩारु कवफ कौनईऄ रह्यो।।

135
उऩफीत ब्माह उछाह भॊगर सुसन जे सादय गावहीॊ।
फैदेकह याभ प्रसाद ते जन सफादा सुिु ऩावहीॊ।।
सो0-ससम यघुफीय वफफाहु जे सप्रेभ गावकहॊ सुनकहॊ ।
सतन्ह कहुॉ सदा उछाहु भॊगरामतन याभ जसु।।361।।
भासऩायामण, फायहवाॉ ववश्राभ
इसत श्रीभराभचरयतभानसे सकरकसरकरुषवफध्वॊसने
प्रथभ् सोऩान् सभाप्त्।
(फारकाण्ड सभाप्त)
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136
AYODHYA KAND

अमोध्मा काण्ड

श्रीगणेशामनभ्
श्रीजानकीवल्रबो ववजमते
श्रीयाभचरयतभानस
कद्वतीम सोऩान
अमोध्मा-काण्ड
श्लोक
मस्माङ्के च ववबासत बूधयसुता दे वाऩगा भस्तके
बारे फारववधुगर
ा े च गयरॊ मस्मोयसस व्मारयाट्।
सोऽमॊ बूसतववबूषण् सुयवय् सवाासधऩ् सवादा
शवा् सवागत् सशव् शसशसनब् श्रीशङ्कय् ऩातु भाभ ्।।1।।
प्रसन्नताॊ मा न गतासबषेकतस्तथा न भम्रे वनवासद्ु ित्।
भुिाम्फुजश्री यघुनन्दनस्म भे सदास्तु सा भञ्जुरभॊगरप्रदा।।2।।
नीराम्फुजश्माभरकोभराङ्गॊ सीतासभायोवऩतवाभबागभ ्।
ऩाणौ भहासामकचारुचाऩॊ नभासभ याभॊ यघुवॊशनाथभ ्।।3।।
दो0-श्रीगुरु चयन सयोज यज सनज भनु भुकुरु सुधारय।
फयनउॉ यघुफय वफभर जसु जो दामकु पर चारय।।
जफ तईऄ याभु ब्माकह घय आए। सनत नव भॊगर भोद फधाए।।
बुवन चारयदस बूधय बायी। सुकृत भेघ फयषकह सुि फायी।।

रयसध सससध सॊऩसत नदीॊ सुहाई। उभसग अवध अॊफुसध कहुॉ आई।।
भसनगन ऩुय नय नारय सुजाती। सुसच अभोर सुॊदय सफ बाॉती।।
ककह न जाइ कछु नगय वफबूती। जनु एतसनअ वफयॊ सच कयतूती।।
सफ वफसध सफ ऩुय रोग सुिायी। याभचॊद भुि चॊद ु सनहायी।।
भुकदत भातु सफ सिीॊ सहे री। पसरत वफरोकक भनोयथ फेरी।।
याभ रूऩु गुनसीरु सुबाऊ। प्रभुकदत होइ दे ष्ि सुसन याऊ।।
दो0-सफ कईऄ उय असबराषु अस कहकहॊ भनाइ भहे सु।
आऩ अछत जुफयाज ऩद याभकह दे उ नये सु।।1।।
–*–*–
एक सभम सफ सकहत सभाजा। याजसबाॉ यघुयाजु वफयाजा।।
सकर सुकृत भूयसत नयनाहू। याभ सुजसु सुसन असतकह उछाहू।।

137
नृऩ सफ यहकहॊ कृ ऩा असबराषईऄ। रोकऩ कयकहॊ प्रीसत रुि यािईऄ।।
सतबुवन तीसन कार जग भाहीॊ। बूरय बाग दसयथ सभ नाहीॊ।।
भॊगरभूर याभु सुत जासू। जो कछु ककहज थोय सफु तासू।।
यामॉ सुबामॉ भुकुरु कय रीन्हा। फदनु वफरोकक भुकुट सभ कीन्हा।।
श्रवन सभीऩ बए ससत केसा। भनहुॉ जयठऩनु अस उऩदे सा।।
नृऩ जुफयाज याभ कहुॉ दे हू। जीवन जनभ राहु ककन रेहू।।
दो0-मह वफचारु उय आसन नृऩ सुकदनु सुअवसरु ऩाइ।
प्रेभ ऩुरकक तन भुकदत भन गुयकह सुनामउ जाइ।।2।।
–*–*–
कहइ बुआरु सुसनअ भुसननामक। बए याभ सफ वफसध सफ रामक।।
सेवक ससचव सकर ऩुयफासी। जे हभाये अरय सभत्र उदासी।।
सफकह याभु वप्रम जेकह वफसध भोही। प्रबु असीस जनु तनु धरय सोही।।
वफप्र सकहत ऩरयवाय गोसाईं। कयकहॊ छोहु सफ यौरयकह नाई।।
जे गुय चयन ये नु ससय धयहीॊ। ते जनु सकर वफबव फस कयहीॊ।।
भोकह सभ महु अनुबमउ न दज
ू ईऄ। सफु ऩामउॉ यज ऩावसन ऩूजईऄ।।
अफ असबराषु एकु भन भोयईऄ । ऩूजकह नाथ अनुग्रह तोयईऄ ।।
भुसन प्रसन्न रष्ि सहज सनेहू। कहे उ नये स यजामसु दे हू।।
दो0-याजन याउय नाभु जसु सफ असबभत दाताय।
पर अनुगाभी भकहऩ भसन भन असबराषु तुम्हाय।।3।।
–*–*–
सफ वफसध गुरु प्रसन्न ष्जमॉ जानी। फोरेउ याउ यहॉ सस भृद ु फानी।।
नाथ याभु करयअकहॊ जुफयाजू। ककहअ कृ ऩा करय करयअ सभाजू।।
भोकह अछत महु होइ उछाहू। रहकहॊ रोग सफ रोचन राहू।।
प्रबु प्रसाद ससव सफइ सनफाहीॊ। मह रारसा एक भन भाहीॊ।।
ऩुसन न सोच तनु यहउ कक जाऊ। जेकहॊ न होइ ऩाछईऄ ऩसछताऊ।।
सुसन भुसन दसयथ फचन सुहाए। भॊगर भोद भूर भन बाए।।
सुनु नृऩ जासु वफभुि ऩसछताहीॊ। जासु बजन वफनु जयसन न जाहीॊ।।
बमउ तुम्हाय तनम सोइ स्वाभी। याभु ऩुनीत प्रेभ अनुगाभी।।
दो0-फेसग वफरॊफु न करयअ नृऩ साष्जअ सफुइ सभाजु।
सुकदन सुभॊगरु तफकहॊ जफ याभु होकहॊ जुफयाजु।।4।।
–*–*–
भुकदत भकहऩसत भॊकदय आए। सेवक ससचव सुभॊत्रु फोराए।।
ककह जमजीव सीस सतन्ह नाए। बूऩ सुभॊगर फचन सुनाए।।

138
जं ऩाॉचकह भत रागै नीका। कयहु हयवष कहमॉ याभकह टीका।।
भॊत्री भुकदत सुनत वप्रम फानी। असबभत वफयवॉ ऩये उ जनु ऩानी।।
वफनती ससचव कयकह कय जोयी। ष्जअहु जगतऩसत फरयस कयोयी।।
जग भॊगर बर काजु वफचाया। फेसगअ नाथ न राइअ फाया।।
नृऩकह भोद ु सुसन ससचव सुबाषा। फढ़त फंड़ जनु रही सुसािा।।
दो0-कहे उ बूऩ भुसनयाज कय जोइ जोइ आमसु होइ।
याभ याज असबषेक कहत फेसग कयहु सोइ सोइ।।5।।
–*–*–
हयवष भुनीस कहे उ भृद ु फानी। आनहु सकर सुतीयथ ऩानी।।
औषध भूर पूर पर ऩाना। कहे नाभ गसन भॊगर नाना।।
चाभय चयभ फसन फहु बाॉती। योभ ऩाट ऩट अगसनत जाती।।
भसनगन भॊगर फस्तु अनेका। जो जग जोगु बूऩ असबषेका।।
फेद वफकदत ककह सकर वफधाना। कहे उ यचहु ऩुय वफवफध वफताना।।
सपर यसार ऩूगपर केया। योऩहु फीसथन्ह ऩुय चहुॉ पेया।।
यचहु भॊजु भसन चौकईऄ चारू। कहहु फनावन फेसग फजारू।।
ऩूजहु गनऩसत गुय कुरदे वा। सफ वफसध कयहु बूसभसुय सेवा।।
दो0-ध्वज ऩताक तोयन करस सजहु तुयग यथ नाग।
ससय धरय भुसनफय फचन सफु सनज सनज काजकहॊ राग।।6।।
–*–*–
जो भुनीस जेकह आमसु दीन्हा। सो तेकहॊ काजु प्रथभ जनु कीन्हा।।
वफप्र साधु सुय ऩूजत याजा। कयत याभ कहत भॊगर काजा।।
सुनत याभ असबषेक सुहावा। फाज गहागह अवध फधावा।।
याभ सीम तन सगुन जनाए। पयककहॊ भॊगर अॊग सुहाए।।
ऩुरकक सप्रेभ ऩयसऩय कहहीॊ। बयत आगभनु सूचक अहहीॊ।।
बए फहुत कदन असत अवसेयी। सगुन प्रतीसत बईऄट वप्रम केयी।।
बयत सरयस वप्रम को जग भाहीॊ। इहइ सगुन परु दस
ू य नाहीॊ।।
याभकह फॊधु सोच कदन याती। अॊडष्न्ह कभठ ह्रदउ जेकह बाॉती।।
दो0-एकह अवसय भॊगरु ऩयभ सुसन यहॉ सेउ यसनवासु।
सोबत रष्ि वफधु फढ़त जनु फारयसध फीसच वफरासु।।7।।
–*–*–
प्रथभ जाइ ष्जन्ह फचन सुनाए। बूषन फसन बूरय सतन्ह ऩाए।।
प्रेभ ऩुरकक तन भन अनुयागीॊ। भॊगर करस सजन सफ रागीॊ।।
चौकईऄ चारु सुसभत्राॉ ऩुयी। भसनभम वफवफध बाॉसत असत रुयी।।

139
आनॉद भगन याभ भहतायी। कदए दान फहु वफप्र हॉ कायी।।
ऩूजीॊ ग्राभदे वफ सुय नागा। कहे उ फहोरय दे न फसरबागा।।
जेकह वफसध होइ याभ कल्मानू। दे हु दमा करय सो फयदानू।।
गावकहॊ भॊगर कोककरफमनीॊ। वफधुफदनीॊ भृगसावकनमनीॊ।।
दो0-याभ याज असबषेकु सुसन कहमॉ हयषे नय नारय।
रगे सुभॊगर सजन सफ वफसध अनुकूर वफचारय।।8।।
–*–*–
तफ नयनाहॉ फससष्ठु फोराए। याभधाभ ससि दे न ऩठाए।।
गुय आगभनु सुनत यघुनाथा। द्वाय आइ ऩद नामउ भाथा।।
सादय अयघ दे इ घय आने। सोयह बाॉसत ऩूष्ज सनभाने।।
गहे चयन ससम सकहत फहोयी। फोरे याभु कभर कय जोयी।।
सेवक सदन स्वासभ आगभनू। भॊगर भूर अभॊगर दभनू।।
तदवऩ उसचत जनु फोसर सप्रीती। ऩठइअ काज नाथ असस नीती।।
प्रबुता तष्ज प्रबु कीन्ह सनेहू। बमउ ऩुनीत आजु महु गेहू।।
आमसु होइ सो कयं गोसाई। सेवक रहइ स्वासभ सेवकाई।।
दो0-सुसन सनेह साने फचन भुसन यघुफयकह प्रसॊस।
याभ कस न तुम्ह कहहु अस हॊ स फॊस अवतॊस।।9।।
–*–*–
फयसन याभ गुन सीरु सुबाऊ। फोरे प्रेभ ऩुरकक भुसनयाऊ।।
बूऩ सजेउ असबषेक सभाजू। चाहत दे न तुम्हकह जुफयाजू।।
याभ कयहु सफ सॊजभ आजू। जं वफसध कुसर सनफाहै काजू।।
गुरु ससि दे इ याम ऩकहॊ गमउ। याभ रृदमॉ अस वफसभउ बमऊ।।
जनभे एक सॊग सफ बाई। बोजन समन केसर ररयकाई।।
कयनफेध उऩफीत वफआहा। सॊग सॊग सफ बए उछाहा।।
वफभर फॊस महु अनुसचत एकू। फॊधु वफहाइ फड़े कह असबषेकू।।
प्रबु सप्रेभ ऩसछतासन सुहाई। हयउ बगत भन कै कुकटराई।।
दो0-तेकह अवसय आए रिन भगन प्रेभ आनॊद।
सनभाने वप्रम फचन ककह यघुकुर कैयव चॊद।।10।।
–*–*–
फाजकहॊ फाजने वफवफध वफधाना। ऩुय प्रभोद ु नकहॊ जाइ फिाना।।
बयत आगभनु सकर भनावकहॊ । आवहुॉ फेसग नमन परु ऩावकहॊ ।।
हाट फाट घय गरीॊ अथाई। कहकहॊ ऩयसऩय रोग रोगाई।।
कासर रगन बसर केसतक फाया। ऩूष्जकह वफसध असबराषु हभाया।।

140
कनक ससॊघासन सीम सभेता। फैठकहॊ याभु होइ सचत चेता।।
सकर कहकहॊ कफ होइकह कारी। वफघन भनावकहॊ दे व कुचारी।।
सतन्हकह सोहाइ न अवध फधावा। चोयकह चॊकदसन यासत न बावा।।
सायद फोसर वफनम सुय कयहीॊ। फायकहॊ फाय ऩाम रै ऩयहीॊ।।
दो0-वफऩसत हभारय वफरोकक फकड़ भातु करयअ सोइ आजु।
याभु जाकहॊ फन याजु तष्ज होइ सकर सुयकाजु।।11।।
–*–*–
सुसन सुय वफनम ठाकढ़ ऩसछताती। बइउॉ सयोज वफवऩन कहभयाती।।
दे ष्ि दे व ऩुसन कहकहॊ सनहोयी। भातु तोकह नकहॊ थोरयउ िोयी।।
वफसभम हयष यकहत यघुयाऊ। तुम्ह जानहु सफ याभ प्रबाऊ।।
जीव कयभ फस सुि दि
ु बागी। जाइअ अवध दे व कहत रागी।।
फाय फाय गकह चयन सॉकोचौ। चरी वफचारय वफफुध भसत ऩोची।।
ऊॉच सनवासु नीसच कयतूती। दे ष्ि न सककहॊ ऩयाइ वफबूती।।
आसगर काजु वफचारय फहोयी। कयहकहॊ चाह कुसर कवफ भोयी।।
हयवष रृदमॉ दसयथ ऩुय आई। जनु ग्रह दसा दस
ु ह दि
ु दाई।।
दो0-नाभु भॊथया भॊदभसत चेयी कैकेइ केरय।
अजस ऩेटायी ताकह करय गई सगया भसत पेरय।।12।।
–*–*–
दीि भॊथया नगरु फनावा। भॊजुर भॊगर फाज फधावा।।
ऩूछेसस रोगन्ह काह उछाहू। याभ सतरकु सुसन बा उय दाहू।।
कयइ वफचारु कुफुवद्ध कुजाती। होइ अकाजु कवसन वफसध याती।।
दे ष्ि रासग भधु कुकटर ककयाती। ष्जसभ गवॉ तकइ रेउॉ केकह बाॉती।।
बयत भातु ऩकहॊ गइ वफरिानी। का अनभसन हसस कह हॉ सस यानी।।
ऊतरु दे इ न रेइ उसासू। नारय चरयत करय ढायइ आॉसू।।
हॉ सस कह यासन गारु फड़ तोयईऄ । दीन्ह रिन ससि अस भन भोयईऄ ।।
तफहुॉ न फोर चेरय फकड़ ऩावऩसन। छाड़इ स्वास कारय जनु साॉवऩसन।।
दो0-सबम यासन कह कहसस ककन कुसर याभु भकहऩारु।
रिनु बयतु रयऩुदभनु सुसन बा कुफयी उय सारु।।13।।
–*–*–
कत ससि दे इ हभकह कोउ भाई। गारु कयफ केकह कय फरु ऩाई।।
याभकह छाकड़ कुसर केकह आजू। जेकह जनेसु दे इ जुफयाजू।।
बमउ कौससरकह वफसध असत दाकहन। दे ित गयफ यहत उय नाकहन।।
दे िेहु कस न जाइ सफ सोबा। जो अवरोकक भोय भनु छोबा।।

141
ऩूतु वफदे स न सोचु तुम्हायईऄ । जानसत हहु फस नाहु हभायईऄ ।।
नीद फहुत वप्रम सेज तुयाई। रिहु न बूऩ कऩट चतुयाई।।
सुसन वप्रम फचन भसरन भनु जानी। झुकी यासन अफ यहु अयगानी।।
ऩुसन अस कफहुॉ कहसस घयपोयी। तफ धरय जीब कढ़ावउॉ तोयी।।
दो0-काने िोये कूफये कुकटर कुचारी जासन।
सतम वफसेवष ऩुसन चेरय ककह बयतभातु भुसुकासन।।14।।
–*–*–
वप्रमफाकदसन ससि दीष्न्हउॉ तोही। सऩनेहुॉ तो ऩय कोऩु न भोही।।
सुकदनु सुभॊगर दामकु सोई। तोय कहा पुय जेकह कदन होई।।
जेठ स्वासभ सेवक रघु बाई। मह कदनकय कुर यीसत सुहाई।।
याभ सतरकु जं साॉचेहुॉ कारी। दे उॉ भागु भन बावत आरी।।
कौसल्मा सभ सफ भहतायी। याभकह सहज सुबामॉ वऩआयी।।
भो ऩय कयकहॊ सनेहु वफसेषी। भईआ करय प्रीसत ऩयीछा दे िी।।
जं वफसध जनभु दे इ करय छोहू। होहुॉ याभ ससम ऩूत ऩुतोहू।।
प्रान तईऄ असधक याभु वप्रम भोयईऄ । सतन्ह कईऄ सतरक छोबु कस तोयईऄ ।।
दो0-बयत सऩथ तोकह सत्म कहु ऩरयहरय कऩट दयु ाउ।
हयष सभम वफसभउ कयसस कायन भोकह सुनाउ।।15।।
–*–*–
एककहॊ फाय आस सफ ऩूजी। अफ कछु कहफ जीब करय दजू ी।।
पोयै जोगु कऩारु अबागा। बरेउ कहत दि
ु यउये कह रागा।।
कहकहॊ झूकठ पुरय फात फनाई। ते वप्रम तुम्हकह करुइ भईआ भाई।।
हभहुॉ कहवफ अफ ठकुयसोहाती। नाकहॊ त भौन यहफ कदनु याती।।
करय कुरूऩ वफसध ऩयफस कीन्हा। फवा सो रुसनअ रकहअ जो दीन्हा।।
कोउ नृऩ होउ हभकह का हानी। चेरय छाकड़ अफ होफ कक यानी।।
जायै जोगु सुबाउ हभाया। अनबर दे ष्ि न जाइ तुम्हाया।।
तातईऄ कछुक फात अनुसायी। छसभअ दे वफ फकड़ चूक हभायी।।
दो0-गूढ़ कऩट वप्रम फचन सुसन तीम अधयफुसध यासन।
सुयभामा फस फैरयसनकह सुह्द जासन ऩसतआसन।।16।।
–*–*–
सादय ऩुसन ऩुसन ऩूॉछसत ओही। सफयी गान भृगी जनु भोही।।
तसस भसत कपयी अहइ जसस बाफी। यहसी चेरय घात जनु पाफी।।
तुम्ह ऩूॉछहु भईआ कहत डे याऊॉ। धये उ भोय घयपोयी नाऊॉ।।
सष्ज प्रतीसत फहुवफसध गकढ़ छोरी। अवध साढ़साती तफ फोरी।।

142
वप्रम ससम याभु कहा तुम्ह यानी। याभकह तुम्ह वप्रम सो पुरय फानी।।
यहा प्रथभ अफ ते कदन फीते। सभउ कपयईऄ रयऩु होकहॊ वऩॊयीते।।
बानु कभर कुर ऩोषसनहाया। वफनु जर जारय कयइ सोइ छाया।।
जरय तुम्हारय चह सवसत उिायी। रूॉधहु करय उऩाउ फय फायी।।
दो0-तुम्हकह न सोचु सोहाग फर सनज फस जानहु याउ।
भन भरीन भुह भीठ नृऩ याउय सयर सुबाउ।।17।।
–*–*–
चतुय गॉबीय याभ भहतायी। फीचु ऩाइ सनज फात सॉवायी।।
ऩठए बयतु बूऩ नसनअउयईऄ । याभ भातु भत जानव यउयईऄ ।।
सेवकहॊ सकर सवसत भोकह नीकईऄ। गयवफत बयत भातु फर ऩी कईऄ।।
सारु तुम्हाय कौससरकह भाई। कऩट चतुय नकहॊ होइ जनाई।।
याजकह तुम्ह ऩय प्रेभु वफसेषी। सवसत सुबाउ सकइ नकहॊ दे िी।।
यची प्रॊऩचु बूऩकह अऩनाई। याभ सतरक कहत रगन धयाई।।
मह कुर उसचत याभ कहुॉ टीका। सफकह सोहाइ भोकह सुकठ नीका।।
आसगसर फात सभुष्झ डरु भोही। दे उ दै उ कपरय सो परु ओही।।
दो0-यसच ऩसच कोकटक कुकटरऩन कीन्हे सस कऩट प्रफोधु।।
ककहसस कथा सत सवसत कै जेकह वफसध फाढ़ वफयोधु।।18।।
–*–*–
बावी फस प्रतीसत उय आई। ऩूॉछ यासन ऩुसन सऩथ दे वाई।।
का ऩूछहुॉ तुम्ह अफहुॉ न जाना। सनज कहत अनकहत ऩसु ऩकहचाना।।
बमउ ऩािु कदन सजत सभाजू। तुम्ह ऩाई सुसध भोकह सन आजू।।
िाइअ ऩकहरयअ याज तुम्हायईऄ । सत्म कहईऄ नकहॊ दोषु हभायईऄ ।।
जं असत्म कछु कहफ फनाई। तौ वफसध दे इकह हभकह सजाई।।
याभकह सतरक कासर जं बमऊ।þ तुम्ह कहुॉ वफऩसत फीजु वफसध फमऊ।।
ये ि िॉचाइ कहउॉ फरु बाषी। बासभसन बइहु दध
ू कइ भािी।।
जं सुत सकहत कयहु सेवकाई। तौ घय यहहु न आन उऩाई।।
दो0-करॉ ू वफनतकह दीन्ह दि
ु ु तुम्हकह कौससराॉ दे फ।
बयतु फॊकदगृह सेइहकहॊ रिनु याभ के नेफ।।19।।
–*–*–
कैकमसुता सुनत कटु फानी। ककह न सकइ कछु सहसभ सुिानी।।
तन ऩसेउ कदरी ष्जसभ काॉऩी। कुफयीॊ दसन जीब तफ चाॉऩी।।
ककह ककह कोकटक कऩट कहानी। धीयजु धयहु प्रफोसधसस यानी।।
कपया कयभु वप्रम रासग कुचारी। फकककह सयाहइ भासन भयारी।।

143
सुनु भॊथया फात पुरय तोयी। दकहसन आॉष्ि सनत पयकइ भोयी।।
कदन प्रसत दे िउॉ यासत कुसऩने। कहउॉ न तोकह भोह फस अऩने।।
काह कयौ सष्ि सूध सुबाऊ। दाकहन फाभ न जानउॉ काऊ।।
दो0-अऩने चरत न आजु रसग अनबर काहुक कीन्ह।
केकहॊ अघ एककह फाय भोकह दै अॉ दस
ु ह दि
ु ु दीन्ह।।20।।
–*–*–
नैहय जनभु बयफ फरु जाइ। ष्जअत न कयवफ सवसत सेवकाई।।
अरय फस दै उ ष्जआवत जाही। भयनु नीक तेकह जीवन चाही।।
दीन फचन कह फहुवफसध यानी। सुसन कुफयीॊ सतमभामा ठानी।।
अस कस कहहु भासन भन ऊना। सुिु सोहागु तुम्ह कहुॉ कदन दन
ू ा।।
जेकहॊ याउय असत अनबर ताका। सोइ ऩाइकह महु परु ऩरयऩाका।।
जफ तईऄ कुभत सुना भईआ स्वासभसन। बूि न फासय नीॊद न जासभसन।।
ऩूॉछेउ गुसनन्ह ये ि सतन्ह िाॉची। बयत बुआर होकहॊ मह साॉची।।
बासभसन कयहु त कहं उऩाऊ। है तुम्हयीॊ सेवा फस याऊ।।
दो0-ऩयउॉ कूऩ तुअ फचन ऩय सकउॉ ऩूत ऩसत त्मासग।
कहसस भोय दि ु ु दे ष्ि फड़ कस न कयफ कहत रासग।।21।।
–*–*–
कुफयीॊ करय कफुरी कैकेई। कऩट छुयी उय ऩाहन टे ई।।
रिइ न यासन सनकट दि
ु ु कईआसे। चयइ हरयत सतन फसरऩसु जैसईऄ।।
सुनत फात भृद ु अॊत कठोयी। दे सत भनहुॉ भधु भाहुय घोयी।।
कहइ चेरय सुसध अहइ कक नाही। स्वासभसन ककहहु कथा भोकह ऩाहीॊ।।
दइ
ु फयदान बूऩ सन थाती। भागहु आजु जुड़ावहु छाती।।
सुतकह याजु याभकह फनवासू। दे हु रेहु सफ सवसत हुरासु।।
बूऩसत याभ सऩथ जफ कयई। तफ भागेहु जेकहॊ फचनु न टयई।।
होइ अकाजु आजु सनसस फीतईऄ। फचनु भोय वप्रम भानेहु जी तईऄ।।
दो0-फड़ कुघातु करय ऩातककसन कहे सस कोऩगृहॉ जाहु।
काजु सॉवाये हु सजग सफु सहसा जसन ऩसतआहु।।22।।
–*–*–
कुफरयकह यासन प्रानवप्रम जानी। फाय फाय फकड़ फुवद्ध फिानी।।
तोकह सभ कहत न भोय सॊसाया। फहे जात कइ बइसस अधाया।।
जं वफसध ऩुयफ भनोयथु कारी। कयं तोकह चि ऩूतरय आरी।।
फहुवफसध चेरयकह आदरु दे ई। कोऩबवन गवसन कैकेई।।
वफऩसत फीजु फयषा रयतु चेयी। बुइॉ बइ कुभसत कैकेई केयी।।

144
ऩाइ कऩट जरु अॊकुय जाभा। फय दोउ दर दि
ु पर ऩरयनाभा।।
कोऩ सभाजु साष्ज सफु सोई। याजु कयत सनज कुभसत वफगोई।।
याउय नगय कोराहरु होई। मह कुचासर कछु जान न कोई।।
दो0-प्रभुकदत ऩुय नय नारय। सफ सजकहॊ सुभॊगरचाय।
एक प्रवफसकहॊ एक सनगाभकहॊ बीय बूऩ दयफाय।।23।।
–*–*–
फार सिा सुन कहमॉ हयषाहीॊ। सभसर दस ऩाॉच याभ ऩकहॊ जाहीॊ।।
प्रबु आदयकहॊ प्रेभु ऩकहचानी। ऩूॉछकहॊ कुसर िेभ भृद ु फानी।।
कपयकहॊ बवन वप्रम आमसु ऩाई। कयत ऩयसऩय याभ फड़ाई।।
को यघुफीय सरयस सॊसाया। सीरु सनेह सनफाहसनहाया।
जईऄकह जईऄकह जोसन कयभ फस र्भ्भहीॊ। तहॉ तहॉ ईसु दे उ मह हभहीॊ।।
सेवक हभ स्वाभी ससमनाहू। होउ नात मह ओय सनफाहू।।
अस असबराषु नगय सफ काहू। कैकमसुता ह्दमॉ असत दाहू।।
को न कुसॊगसत ऩाइ नसाई। यहइ न नीच भतईऄ चतुयाई।।
दो0-साॉस सभम सानॊद नृऩु गमउ कैकेई गेहॉ।
गवनु सनठु यता सनकट ककम जनु धरय दे ह सनेहॉ।।24।।
–*–*–
कोऩबवन सुसन सकुचेउ याउ। बम फस अगहुड़ ऩयइ न ऩाऊ।।
सुयऩसत फसइ फाहॉ फर जाके। नयऩसत सकर यहकहॊ रुि ताकईऄ।।
सो सुसन सतम रयस गमउ सुिाई। दे िहु काभ प्रताऩ फड़ाई।।
सूर कुसरस असस अॉगवसनहाये । ते यसतनाथ सुभन सय भाये ।।
सबम नये सु वप्रमा ऩकहॊ गमऊ। दे ष्ि दसा दि
ु ु दारुन बमऊ।।
बूसभ समन ऩटु भोट ऩुयाना। कदए डारय तन बूषण नाना।।
कुभसतकह कसस कुफेषता पाफी। अन अकहवातु सूच जनु बाफी।।
जाइ सनकट नृऩु कह भृद ु फानी। प्रानवप्रमा केकह हे तु रयसानी।।
छॊ 0-केकह हे तु यासन रयसासन ऩयसत ऩासन ऩसतकह नेवायई।
भानहुॉ सयोष बुअॊग बासभसन वफषभ बाॉसत सनहायई।।
दोउ फासना यसना दसन फय भयभ ठाहरु दे िई।
तुरसी नृऩसत बवतब्मता फस काभ कौतुक रेिई।।
सो0-फाय फाय कह याउ सुभुष्ि सुरोसचसन वऩकफचसन।
कायन भोकह सुनाउ गजगासभसन सनज कोऩ कय।।25।।
अनकहत तोय वप्रमा केइॉ कीन्हा। केकह दइ
ु ससय केकह जभु चह रीन्हा।।
कहु केकह यॊ ककह कयौ नये सू। कहु केकह नृऩकह सनकासं दे सू।।

145
सकउॉ तोय अरय अभयउ भायी। काह कीट फऩुये नय नायी।।
जानसस भोय सुबाउ फयोरू। भनु तव आनन चॊद चकोरू।।
वप्रमा प्रान सुत सयफसु भोयईऄ । ऩरयजन प्रजा सकर फस तोयईऄ ।।
जं कछु कहौ कऩटु करय तोही। बासभसन याभ सऩथ सत भोही।।
वफहसस भागु भनबावसत फाता। बूषन सजकह भनोहय गाता।।
घयी कुघयी सभुष्झ ष्जमॉ दे िू। फेसग वप्रमा ऩरयहयकह कुफेषू।।
दो0-मह सुसन भन गुसन सऩथ फकड़ वफहसस उठी भसतभॊद।
बूषन सजसत वफरोकक भृगु भनहुॉ ककयासतसन पॊद।।26।।
–*–*–
ऩुसन कह याउ सुह्रद ष्जमॉ जानी। प्रेभ ऩुरकक भृद ु भॊजुर फानी।।
बासभसन बमउ तोय भनबावा। घय घय नगय अनॊद फधावा।।
याभकह दे उॉ कासर जुफयाजू। सजकह सुरोचसन भॊगर साजू।।
दरकक उठे उ सुसन ह्रदउ कठोरू। जनु छुइ गमउ ऩाक फयतोरू।।
ऐससउ ऩीय वफहसस तेकह गोई। चोय नारय ष्जसभ प्रगकट न योई।।
रिकहॊ न बूऩ कऩट चतुयाई। कोकट कुकटर भसन गुरू ऩढ़ाई।।
जयवऩ नीसत सनऩुन नयनाहू। नारयचरयत जरसनसध अवगाहू।।
कऩट सनेहु फढ़ाइ फहोयी। फोरी वफहसस नमन भुहु भोयी।।
दो0-भागु भागु ऩै कहहु वऩम कफहुॉ न दे हु न रेहु।
दे न कहे हु फयदान दइ
ु तेउ ऩावत सॊदेहु।।27।।
–*–*–
जानेउॉ भयभु याउ हॉ सस कहई। तुम्हकह कोहाफ ऩयभ वप्रम अहई।।
थासत याष्ि न भासगहु काऊ। वफसरय गमउ भोकह बोय सुबाऊ।।
झूठेहुॉ हभकह दोषु जसन दे हू। दइ
ु कै चारय भासग भकु रेहू।।
यघुकुर यीसत सदा चसर आई। प्रान जाहुॉ फरु फचनु न जाई।।
नकहॊ असत्म सभ ऩातक ऩुॊजा। सगरय सभ होकहॊ कक कोकटक गुॊजा।।
सत्मभूर सफ सुकृत सुहाए। फेद ऩुयान वफकदत भनु गाए।।
तेकह ऩय याभ सऩथ करय आई। सुकृत सनेह अवसध यघुयाई।।
फात दृढ़ाइ कुभसत हॉ सस फोरी। कुभत कुवफहग कुरह जनु िोरी।।
दो0-बूऩ भनोयथ सुबग फनु सुि सुवफहॊ ग सभाजु।
सबल्रसन ष्जसभ छाड़न चहसत फचनु बमॊकरु फाजु।।28।।
भासऩायामण, तेयहवाॉ ववश्राभ
–*–*–
सुनहु प्रानवप्रम बावत जी का। दे हु एक फय बयतकह टीका।।

146
भागउॉ दस
ू य फय कय जोयी। ऩुयवहु नाथ भनोयथ भोयी।।
ताऩस फेष वफसेवष उदासी। चौदह फरयस याभु फनफासी।।
सुसन भृद ु फचन बूऩ कहमॉ सोकू। ससस कय छुअत वफकर ष्जसभ कोकू।।
गमउ सहसभ नकहॊ कछु ककह आवा। जनु सचान फन झऩटे उ रावा।।
वफफयन बमउ सनऩट नयऩारू। दासभसन हनेउ भनहुॉ तरु तारू।।
भाथे हाथ भूकद दोउ रोचन। तनु धरय सोचु राग जनु सोचन।।
भोय भनोयथु सुयतरु पूरा। पयत करयसन ष्जसभ हतेउ सभूरा।।
अवध उजारय कीष्न्ह कैकेईं। दीन्हसस अचर वफऩसत कै नेईं।।
दो0-कवनईऄ अवसय का बमउ गमउॉ नारय वफस्वास।
जोग ससवद्ध पर सभम ष्जसभ जसतकह अवफया नास।।29।।
–*–*–
एकह वफसध याउ भनकहॊ भन झाॉिा। दे ष्ि कुबाॉसत कुभसत भन भािा।।
बयतु कक याउय ऩूत न होहीॊ। आनेहु भोर फेसाकह कक भोही।।
जो सुसन सरु अस राग तुम्हायईऄ । काहे न फोरहु फचनु सॉबाये ।।
दे हु उतरु अनु कयहु कक नाहीॊ। सत्मसॊध तुम्ह यघुकुर भाहीॊ।।
दे न कहे हु अफ जसन फरु दे हू। तजहुॉ सत्म जग अऩजसु रेहू।।
सत्म सयाकह कहे हु फरु दे ना। जानेहु रेइकह भासग चफेना।।
ससवफ दधीसच फसर जो कछु बाषा। तनु धनु तजेउ फचन ऩनु यािा।।
असत कटु फचन कहसत कैकेई। भानहुॉ रोन जये ऩय दे ई।।
दो0-धयभ धुयॊधय धीय धरय नमन उघाये यामॉ।
ससरु धुसन रीष्न्ह उसास असस भाये सस भोकह कुठामॉ।।30।।
–*–*–
आगईऄ दीष्ि जयत रयस बायी। भनहुॉ योष तयवारय उघायी।।
भूकठ कुफुवद्ध धाय सनठु याई। धयी कूफयीॊ सान फनाई।।
रिी भहीऩ कयार कठोया। सत्म कक जीवनु रेइकह भोया।।
फोरे याउ ककठन करय छाती। फानी सवफनम तासु सोहाती।।
वप्रमा फचन कस कहसस कुबाॉती। बीय प्रतीसत प्रीसत करय हाॉती।।
भोयईऄ बयतु याभु दइ
ु आॉिी। सत्म कहउॉ करय सॊकरू सािी।।
अवसस दत
ू ु भईआ ऩठइफ प्राता। ऐहकहॊ फेसग सुनत दोउ र्भ्ाता।।
सुकदन सोसध सफु साजु सजाई। दे उॉ बयत कहुॉ याजु फजाई।।
दो0- रोबु न याभकह याजु कय फहुत बयत ऩय प्रीसत।
भईआ फड़ छोट वफचारय ष्जमॉ कयत यहे उॉ नृऩनीसत।।31।।
–*–*–

147
याभ सऩथ सत कहुउॉ सुबाऊ। याभभातु कछु कहे उ न काऊ।।
भईआ सफु कीन्ह तोकह वफनु ऩूॉछईऄ। तेकह तईऄ ऩये उ भनोयथु छूछईऄ ।।
रयस ऩरयहरू अफ भॊगर साजू। कछु कदन गएॉ बयत जुफयाजू।।
एककह फात भोकह दि
ु ु रागा। फय दस
ू य असभॊजस भागा।।
अजहुॉ रृदम जयत तेकह आॉचा। रयस ऩरयहास कक साॉचेहुॉ साॉचा।।
कहु तष्ज योषु याभ अऩयाधू। सफु कोउ कहइ याभु सुकठ साधू।।
तुहूॉ सयाहसस कयसस सनेहू। अफ सुसन भोकह बमउ सॊदेहू।।
जासु सुबाउ अरयकह अनुकूरा। सो ककसभ करयकह भातु प्रसतकूरा।।
दो0- वप्रमा हास रयस ऩरयहयकह भागु वफचारय वफफेकु।
जेकहॊ दे िाॉ अफ नमन बरय बयत याज असबषेकु।।32।।
–*–*–
ष्जऐ भीन फरू फारय वफहीना। भसन वफनु पसनकु ष्जऐ दि
ु दीना।।
कहउॉ सुबाउ न छरु भन भाहीॊ। जीवनु भोय याभ वफनु नाहीॊ।।
सभुष्झ दे िु ष्जमॉ वप्रमा प्रफीना। जीवनु याभ दयस आधीना।।
सुसन म्रद ु फचन कुभसत असत जयई। भनहुॉ अनर आहुसत घृत ऩयई।।
कहइ कयहु ककन कोकट उऩामा। इहाॉ न रासगकह याउरय भामा।।
दे हु कक रेहु अजसु करय नाहीॊ। भोकह न फहुत प्रऩॊच सोहाहीॊ।
याभु साधु तुम्ह साधु समाने। याभभातु बसर सफ ऩकहचाने।।
जस कौससराॉ भोय बर ताका। तस परु उन्हकह दे उॉ करय साका।।
दो0-होत प्रात भुसनफेष धरय जं न याभु फन जाकहॊ ।
भोय भयनु याउय अजस नृऩ सभुष्झअ भन भाकहॊ ।।33।।
–*–*–
अस ककह कुकटर बई उकठ ठाढ़ी। भानहुॉ योष तयॊ सगसन फाढ़ी।।
ऩाऩ ऩहाय प्रगट बइ सोई। बयी क्रोध जर जाइ न जोई।।
दोउ फय कूर ककठन हठ धाया। बवॉय कूफयी फचन प्रचाया।।
ढाहत बूऩरूऩ तरु भूरा। चरी वफऩसत फारयसध अनुकूरा।।
रिी नये स फात पुरय साॉची। सतम सभस भीचु सीस ऩय नाची।।
गकह ऩद वफनम कीन्ह फैठायी। जसन कदनकय कुर होसस कुठायी।।
भागु भाथ अफहीॊ दे उॉ तोही। याभ वफयहॉ जसन भायसस भोही।।
यािु याभ कहुॉ जेकह तेकह बाॉती। नाकहॊ त जरयकह जनभ बरय छाती।।
दो0-दे िी ब्मासध असाध नृऩु ऩये उ धयसन धुसन भाथ।
कहत ऩयभ आयत फचन याभ याभ यघुनाथ।।34।।
–*–*–

148
ब्माकुर याउ सससथर सफ गाता। करयसन करऩतरु भनहुॉ सनऩाता।।
कॊठु सूि भुि आव न फानी। जनु ऩाठीनु दीन वफनु ऩानी।।
ऩुसन कह कटु कठोय कैकेई। भनहुॉ घाम भहुॉ भाहुय दे ई।।
जं अॊतहुॉ अस कयतफु यहे ऊ। भागु भागु तुम्ह केकहॊ फर कहे ऊ।।
दइ
ु कक होइ एक सभम बुआरा। हॉ सफ ठठाइ पुराउफ गारा।।
दासन कहाउफ अरु कृ ऩनाई। होइ कक िेभ कुसर यौताई।।
छाड़हु फचनु कक धीयजु धयहू। जसन अफरा ष्जसभ करुना कयहू।।
तनु सतम तनम धाभु धनु धयनी। सत्मसॊध कहुॉ तृन सभ फयनी।।
दो0-भयभ फचन सुसन याउ कह कहु कछु दोषु न तोय।
रागेउ तोकह वऩसाच ष्जसभ कारु कहावत भोय।।35।।û
–*–*–
चहत न बयत बूऩतकह बोयईऄ । वफसध फस कुभसत फसी ष्जम तोयईऄ ।।
सो सफु भोय ऩाऩ ऩरयनाभू। बमउ कुठाहय जेकहॊ वफसध फाभू।।
सुफस फससकह कपरय अवध सुहाई। सफ गुन धाभ याभ प्रबुताई।।
करयहकहॊ बाइ सकर सेवकाई। होइकह सतहुॉ ऩुय याभ फड़ाई।।
तोय करॊकु भोय ऩसछताऊ। भुएहुॉ न सभटकह न जाइकह काऊ।।
अफ तोकह नीक राग करु सोई। रोचन ओट फैठु भुहु गोई।।
जफ रसग ष्जऔ ॊ कहउॉ कय जोयी। तफ रसग जसन कछु कहसस फहोयी।।
कपरय ऩसछतैहसस अॊत अबागी। भायसस गाइ नहारु रागी।।
दो0-ऩये उ याउ ककह कोकट वफसध काहे कयसस सनदानु।
कऩट समासन न कहसत कछु जागसत भनहुॉ भसानु।।36।।
–*–*–
याभ याभ यट वफकर बुआरू। जनु वफनु ऩॊि वफहॊ ग फेहारू।।
रृदमॉ भनाव बोरु जसन होई। याभकह जाइ कहै जसन कोई।।
उदउ कयहु जसन यवफ यघुकुर गुय। अवध वफरोकक सूर होइकह उय।।
बूऩ प्रीसत कैकइ ककठनाई। उबम अवसध वफसध यची फनाई।।
वफरऩत नृऩकह बमउ सबनुसाया। फीना फेनु सॊि धुसन द्वाया।।
ऩढ़कहॊ बाट गुन गावकहॊ गामक। सुनत नृऩकह जनु रागकहॊ सामक।।
भॊगर सकर सोहाकहॊ न कैसईऄ। सहगासभसनकह वफबूषन जैसईऄ।।
तेकहॊ सनसस नीद ऩयी नकह काहू। याभ दयस रारसा उछाहू।।
दो0-द्वाय बीय सेवक ससचव कहकहॊ उकदत यवफ दे ष्ि।
जागेउ अजहुॉ न अवधऩसत कायनु कवनु वफसेवष।।37।।
–*–*–

149
ऩसछरे ऩहय बूऩु सनत जागा। आजु हभकह फड़ अचयजु रागा।।
जाहु सुभॊत्र जगावहु जाई। कीष्जअ काजु यजामसु ऩाई।।
गए सुभॊत्रु तफ याउय भाही। दे ष्ि बमावन जात डे याहीॊ।।
धाइ िाइ जनु जाइ न हे या। भानहुॉ वफऩसत वफषाद फसेया।।
ऩूछईऄ कोउ न ऊतरु दे ई। गए जईऄकहॊ बवन बूऩ कैकैई।।
ककह जमजीव फैठ ससरु नाई। दै ष्ि बूऩ गसत गमउ सुिाई।।
सोच वफकर वफफयन भकह ऩये ऊ। भानहुॉ कभर भूरु ऩरयहये ऊ।।
ससचउ सबीत सकइ नकहॊ ऩूॉछी। फोरी असुब बयी सुब छूछी।।
दो0-ऩयी न याजकह नीद सनसस हे तु जान जगदीसु।
याभु याभु यकट बोरु ककम कहइ न भयभु भहीसु।।38।।
–*–*–
आनहु याभकह फेसग फोराई। सभाचाय तफ ऩूॉछेहु आई।।
चरेउ सुभॊत्र याम रूि जानी। रिी कुचासर कीष्न्ह कछु यानी।।
सोच वफकर भग ऩयइ न ऩाऊ। याभकह फोसर ककहकह का याऊ।।
उय धरय धीयजु गमउ दआ
ु यईऄ । ऩूछॉकहॊ सकर दे ष्ि भनु भायईऄ ।।
सभाधानु करय सो सफही का। गमउ जहाॉ कदनकय कुर टीका।।
याभु सुभॊत्रकह आवत दे िा। आदरु कीन्ह वऩता सभ रेिा।।
सनयष्ि फदनु ककह बूऩ यजाई। यघुकुरदीऩकह चरेउ रेवाई।।
याभु कुबाॉसत ससचव सॉग जाहीॊ। दे ष्ि रोग जहॉ तहॉ वफरिाहीॊ।।
दो0-जाइ दीि यघुफॊसभसन नयऩसत सनऩट कुसाजु।।
सहसभ ऩये उ रष्ि ससॊसघसनकह भनहुॉ फृद्ध गजयाजु।।39।।
–*–*–
सूिकहॊ अधय जयइ सफु अॊगू। भनहुॉ दीन भसनहीन बुअॊगू।।
सरुष सभीऩ दीष्ि कैकेई। भानहुॉ भीचु घयी गसन रेई।।
करुनाभम भृद ु याभ सुबाऊ। प्रथभ दीि दि
ु ु सुना न काऊ।।
तदवऩ धीय धरय सभउ वफचायी। ऩूॉछी भधुय फचन भहतायी।।
भोकह कहु भातु तात दि
ु कायन। करयअ जतन जेकहॊ होइ सनवायन।।
सुनहु याभ सफु कायन एहू। याजकह तुभ ऩय फहुत सनेहू।।
दे न कहे ष्न्ह भोकह दइ
ु फयदाना। भागेउॉ जो कछु भोकह सोहाना।
सो सुसन बमउ बूऩ उय सोचू। छाकड़ न सककहॊ तुम्हाय सॉकोचू।।
दो0-सुत सनेह इत फचनु उत सॊकट ऩये उ नये सु।
सकहु न आमसु धयहु ससय भेटहु ककठन करेसु।।40।।
–*–*–

150
सनधयक फैकठ कहइ कटु फानी। सुनत ककठनता असत अकुरानी।।
जीब कभान फचन सय नाना। भनहुॉ भकहऩ भृद ु रछछ सभाना।।
जनु कठोयऩनु धयईऄ सयीरू। ससिइ धनुषवफया फय फीरू।।
सफ प्रसॊगु यघुऩसतकह सुनाई। फैकठ भनहुॉ तनु धरय सनठु याई।।
भन भुसकाइ बानुकुर बानु। याभु सहज आनॊद सनधानू।।
फोरे फचन वफगत सफ दष
ू न। भृद ु भॊजुर जनु फाग वफबूषन।।
सुनु जननी सोइ सुतु फड़बागी। जो वऩतु भातु फचन अनुयागी।।
तनम भातु वऩतु तोषसनहाया। दर
ु ब
ा जनसन सकर सॊसाया।।
दो0-भुसनगन सभरनु वफसेवष फन सफकह बाॉसत कहत भोय।
तेकह भहॉ वऩतु आमसु फहुरय सॊभत जननी तोय।।41।।
–*–*–
बयत प्रानवप्रम ऩावकहॊ याजू। वफसध सफ वफसध भोकह सनभुि आजु।
जं न जाउॉ फन ऐसेहु काजा। प्रथभ गसनअ भोकह भूढ़ सभाजा।।
सेवकहॊ अयॉ डु करऩतरु त्मागी। ऩरयहरय अभृत रेकहॊ वफषु भागी।।
तेउ न ऩाइ अस सभउ चुकाहीॊ। दे िु वफचारय भातु भन भाहीॊ।।
अॊफ एक दि
ु ु भोकह वफसेषी। सनऩट वफकर नयनामकु दे िी।।
थोरयकहॊ फात वऩतकह दि
ु बायी। होसत प्रतीसत न भोकह भहतायी।।
याउ धीय गुन उदसध अगाधू। बा भोकह ते कछु फड़ अऩयाधू।।
जातईऄ भोकह न कहत कछु याऊ। भोरय सऩथ तोकह कहु ससतबाऊ।।
दो0-सहज सयर यघुफय फचन कुभसत कुकटर करय जान।
चरइ जंक जर फक्रगसत जयवऩ ससररु सभान।।42।।
–*–*–
यहसी यासन याभ रुि ऩाई। फोरी कऩट सनेहु जनाई।।
सऩथ तुम्हाय बयत कै आना। हे तु न दस
ू य भै कछु जाना।।
तुम्ह अऩयाध जोगु नकहॊ ताता। जननी जनक फॊधु सुिदाता।।
याभ सत्म सफु जो कछु कहहू। तुम्ह वऩतु भातु फचन यत अहहू।।
वऩतकह फुझाइ कहहु फसर सोई। चौथईऄऩन जेकहॊ अजसु न होई।।
तुम्ह सभ सुअन सुकृत जेकहॊ दीन्हे । उसचत न तासु सनयादरु कीन्हे ।।
रागकहॊ कुभुि फचन सुब कैसे। भगहॉ गमाकदक तीयथ जैसे।।
याभकह भातु फचन सफ बाए। ष्जसभ सुयसरय गत ससरर सुहाए।।
दो0-गइ भुरुछा याभकह सुसभरय नृऩ कपरय कयवट रीन्ह।
ससचव याभ आगभन ककह वफनम सभम सभ कीन्ह।।43।।
–*–*–

151
अवसनऩ अकसन याभु ऩगु धाये । धरय धीयजु तफ नमन उघाये ।।
ससचवॉ सॉबारय याउ फैठाये । चयन ऩयत नृऩ याभु सनहाये ।।
सरए सनेह वफकर उय राई। गै भसन भनहुॉ पसनक कपरय ऩाई।।
याभकह सचतइ यहे उ नयनाहू। चरा वफरोचन फारय प्रफाहू।।
सोक वफफस कछु कहै न ऩाया। रृदमॉ रगावत फायकहॊ फाया।।
वफसधकह भनाव याउ भन भाहीॊ। जेकहॊ यघुनाथ न कानन जाहीॊ।।
सुसभरय भहे सकह कहइ सनहोयी। वफनती सुनहु सदाससव भोयी।।
आसुतोष तुम्ह अवढय दानी। आयसत हयहु दीन जनु जानी।।
दो0-तुम्ह प्रेयक सफ के रृदमॉ सो भसत याभकह दे हु।
फचनु भोय तष्ज यहकह घय ऩरयहरय सीरु सनेहु।।44।।
–*–*–
अजसु होउ जग सुजसु नसाऊ। नयक ऩयौ फरु सुयऩुरु जाऊ।।
सफ दि
ु दस
ु ह सहावहु भोही। रोचन ओट याभु जसन हंही।।
अस भन गुनइ याउ नकहॊ फोरा। ऩीऩय ऩात सरयस भनु डोरा।।
यघुऩसत वऩतकह प्रेभफस जानी। ऩुसन कछु ककहकह भातु अनुभानी।।
दे स कार अवसय अनुसायी। फोरे फचन वफनीत वफचायी।।
तात कहउॉ कछु कयउॉ कढठाई। अनुसचतु छभफ जासन ररयकाई।।
असत रघु फात रासग दि
ु ु ऩावा। काहुॉ न भोकह ककह प्रथभ जनावा।।
दे ष्ि गोसाइॉ कह ऩूॉसछउॉ भाता। सुसन प्रसॊगु बए सीतर गाता।।
दो0-भॊगर सभम सनेह फस सोच ऩरयहरयअ तात।
आमसु दे इअ हयवष कहमॉ ककह ऩुरके प्रबु गात।।45।।
–*–*–
धन्म जनभु जगतीतर तासू। वऩतकह प्रभोद ु चरयत सुसन जासू।।
चारय ऩदायथ कयतर ताकईऄ। वप्रम वऩतु भातु प्रान सभ जाकईऄ।।
आमसु ऩासर जनभ परु ऩाई। ऐहउॉ फेसगकहॊ होउ यजाई।।
वफदा भातु सन आवउॉ भागी। चसरहउॉ फनकह फहुरय ऩग रागी।।
अस ककह याभ गवनु तफ कीन्हा। बूऩ सोक फसु उतरु न दीन्हा।।
नगय ब्मावऩ गइ फात सुतीछी। छुअत चढ़ी जनु सफ तन फीछी।।
सुसन बए वफकर सकर नय नायी। फेसर वफटऩ ष्जसभ दे ष्ि दवायी।।
जो जहॉ सुनइ धुनइ ससरु सोई। फड़ वफषाद ु नकहॊ धीयजु होई।।
दो0-भुि सुिाकहॊ रोचन स्त्रवकह सोकु न रृदमॉ सभाइ।
भनहुॉ ०करुन यस कटकई उतयी अवध फजाइ।।46।।
–*–*–

152
सभरेकह भाझ वफसध फात फेगायी। जहॉ तहॉ दे कहॊ कैकेइकह गायी।।
एकह ऩावऩसनकह फूष्झ का ऩये ऊ। छाइ बवन ऩय ऩावकु धये ऊ।।
सनज कय नमन काकढ़ चह दीिा। डारय सुधा वफषु चाहत चीिा।।
कुकटर कठोय कुफुवद्ध अबागी। बइ यघुफॊस फेनु फन आगी।।
ऩारव फैकठ ऩेड़ु एकहॊ काटा। सुि भहुॉ सोक ठाटु धरय ठाटा।।
सदा याभु एकह प्रान सभाना। कायन कवन कुकटरऩनु ठाना।।
सत्म कहकहॊ कवफ नारय सुबाऊ। सफ वफसध अगहु अगाध दयु ाऊ।।
सनज प्रसतवफॊफु फरुकु गकह जाई। जासन न जाइ नारय गसत बाई।।
दो0-काह न ऩावकु जारय सक का न सभुर सभाइ।
का न कयै अफरा प्रफर केकह जग कारु न िाइ।।47।।
–*–*–
का सुनाइ वफसध काह सुनावा। का दे िाइ चह काह दे िावा।।
एक कहकहॊ बर बूऩ न कीन्हा। फरु वफचारय नकहॊ कुभसतकह दीन्हा।।
जो हकठ बमउ सकर दि
ु बाजनु। अफरा वफफस ग्मानु गुनु गा जनु।।
एक धयभ ऩयसभसत ऩकहचाने। नृऩकह दोसु नकहॊ दे कहॊ समाने।।
ससवफ दधीसच हरयचॊद कहानी। एक एक सन कहकहॊ फिानी।।
एक बयत कय सॊभत कहहीॊ। एक उदास बामॉ सुसन यहहीॊ।।
कान भूकद कय यद गकह जीहा। एक कहकहॊ मह फात अरीहा।।
सुकृत जाकहॊ अस कहत तुम्हाये । याभु बयत कहुॉ प्रानवऩआये ।।
दो0-चॊद ु चवै फरु अनर कन सुधा होइ वफषतूर।
सऩनेहुॉ कफहुॉ न कयकहॊ ककछु बयतु याभ प्रसतकूर।।48।।
–*–*–
एक वफधातकहॊ दष ू नु दईऄ हीॊ। सुधा दे िाइ दीन्ह वफषु जेहीॊ।।
ियबरु नगय सोचु सफ काहू। दस
ु ह दाहु उय सभटा उछाहू।।
वफप्रफधू कुरभान्म जठे यी। जे वप्रम ऩयभ कैकेई केयी।।
रगीॊ दे न ससि सीरु सयाही। फचन फानसभ रागकहॊ ताही।।
बयतु न भोकह वप्रम याभ सभाना। सदा कहहु महु सफु जगु जाना।।
कयहु याभ ऩय सहज सनेहू। केकहॊ अऩयाध आजु फनु दे हू।।
कफहुॉ न ककमहु सवसत आये सू। प्रीसत प्रतीसत जान सफु दे सू।।
कौसल्माॉ अफ काह वफगाया। तुम्ह जेकह रासग फज्र ऩुय ऩाया।।
दो0-सीम कक वऩम सॉगु ऩरयहरयकह रिनु कक यकहहकहॊ धाभ।
याजु कक बूॉजफ बयत ऩुय नृऩु कक ष्जइकह वफनु याभ।।49।।
–*–*–

153
अस वफचारय उय छाड़हु कोहू। सोक करॊक कोकठ जसन होहू।।
बयतकह अवसस दे हु जुफयाजू। कानन काह याभ कय काजू।।
नाकहन याभु याज के बूिे। धयभ धुयीन वफषम यस रूिे।।
गुय गृह फसहुॉ याभु तष्ज गेहू। नृऩ सन अस फरु दस
ू य रेहू।।
जं नकहॊ रसगहहु कहईऄ हभाये । नकहॊ रासगकह कछु हाथ तुम्हाये ।।
जं ऩरयहास कीष्न्ह कछु होई। तौ ककह प्रगट जनावहु सोई।।
याभ सरयस सुत कानन जोगू। काह ककहकह सुसन तुम्ह कहुॉ रोगू।।
उठहु फेसग सोइ कयहु उऩाई। जेकह वफसध सोकु करॊकु नसाई।।
छॊ 0-जेकह बाॉसत सोकु करॊकु जाइ उऩाम करय कुर ऩारही।
हकठ पेरु याभकह जात फन जसन फात दस
ू रय चारही।।
ष्जसभ बानु वफनु कदनु प्रान वफनु तनु चॊद वफनु ष्जसभ जासभनी।
सतसभ अवध तुरसीदास प्रबु वफनु सभुष्झ धं ष्जमॉ बासभनी।।
सो0-सष्िन्ह ससिावनु दीन्ह सुनत भधुय ऩरयनाभ कहत।
तेइॉ कछु कान न कीन्ह कुकटर प्रफोधी कूफयी।।50।।
उतरु न दे इ दस
ु ह रयस रूिी। भृसगन्ह सचतव जनु फासघसन बूिी।।
ब्मासध असासध जासन सतन्ह त्मागी। चरीॊ कहत भसतभॊद अबागी।।
याजु कयत मह दै अॉ वफगोई। कीन्हे सस अस जस कयइ न कोई।।
एकह वफसध वफरऩकहॊ ऩुय नय नायीॊ। दे कहॊ कुचासरकह कोकटक गायीॊ।।
जयकहॊ वफषभ जय रेकहॊ उसासा। कवसन याभ वफनु जीवन आसा।।
वफऩुर वफमोग प्रजा अकुरानी। जनु जरचय गन सूित ऩानी।।
असत वफषाद फस रोग रोगाई। गए भातु ऩकहॊ याभु गोसाई।।
भुि प्रसन्न सचत चौगुन चाऊ। सभटा सोचु जसन यािै याऊ।।
दो-नव गमॊद ु यघुफीय भनु याजु अरान सभान।
छूट जासन फन गवनु सुसन उय अनॊद ु असधकान।।51।।
यघुकुरसतरक जोरय दोउ हाथा। भुकदत भातु ऩद नामउ भाथा।।
दीष्न्ह असीस राइ उय रीन्हे । बूषन फसन सनछावरय कीन्हे ।।
फाय फाय भुि चुॊफसत भाता। नमन नेह जरु ऩुरककत गाता।।
गोद याष्ि ऩुसन रृदमॉ रगाए। स्त्रवत प्रेनयस ऩमद सुहाए।।
प्रेभु प्रभोद ु न कछु ककह जाई। यॊ क धनद ऩदफी जनु ऩाई।।
सादय सुॊदय फदनु सनहायी। फोरी भधुय फचन भहतायी।।
कहहु तात जननी फसरहायी। कफकहॊ रगन भुद भॊगरकायी।।
सुकृत सीर सुि सीवॉ सुहाई। जनभ राब कइ अवसध अघाई।।

154
दो0- जेकह चाहत नय नारय सफ असत आयत एकह बाॉसत।
ष्जसभ चातक चातकक तृवषत फृवि सयद रयतु स्वासत।।52।।
–*–*–
तात जाउॉ फसर फेसग नहाहू। जो भन बाव भधुय कछु िाहू।।
वऩतु सभीऩ तफ जाएहु बैआ। बइ फकड़ फाय जाइ फसर भैआ।।
भातु फचन सुसन असत अनुकूरा। जनु सनेह सुयतरु के पूरा।।
सुि भकयॊ द बये सश्रमभूरा। सनयष्ि याभ भनु बवरुॉ न बूरा।।
धयभ धुयीन धयभ गसत जानी। कहे उ भातु सन असत भृद ु फानी।।
वऩताॉ दीन्ह भोकह कानन याजू। जहॉ सफ बाॉसत भोय फड़ काजू।।
आमसु दे कह भुकदत भन भाता। जेकहॊ भुद भॊगर कानन जाता।।
जसन सनेह फस डयऩसस बोयईऄ । आनॉद ु अॊफ अनुग्रह तोयईऄ ।।
दो0-फयष चारयदस वफवऩन फसस करय वऩतु फचन प्रभान।
आइ ऩाम ऩुसन दे ष्िहउॉ भनु जसन कयसस भरान।।53।।
–*–*–
फचन वफनीत भधुय यघुफय के। सय सभ रगे भातु उय कयके।।
सहसभ सूष्ि सुसन सीतसर फानी। ष्जसभ जवास ऩयईऄ ऩावस ऩानी।।
ककह न जाइ कछु रृदम वफषाद।ू भनहुॉ भृगी सुसन केहरय नाद।ू ।
नमन सजर तन थय थय काॉऩी। भाजकह िाइ भीन जनु भाऩी।।
धरय धीयजु सुत फदनु सनहायी। गदगद फचन कहसत भहतायी।।
तात वऩतकह तुम्ह प्रानवऩआये । दे ष्ि भुकदत सनत चरयत तुम्हाये ।।
याजु दे न कहुॉ सुब कदन साधा। कहे उ जान फन केकहॊ अऩयाधा।।
तात सुनावहु भोकह सनदानू। को कदनकय कुर बमउ कृ सानू।।
दो0-सनयष्ि याभ रुि ससचवसुत कायनु कहे उ फुझाइ।
सुसन प्रसॊगु यकह भूक ष्जसभ दसा फयसन नकहॊ जाइ।।54।।
–*–*–
याष्ि न सकइ न ककह सक जाहू। दह ु ूॉ बाॉसत उय दारुन दाहू।।
सरित सुधाकय गा सरष्ि याहू। वफसध गसत फाभ सदा सफ काहू।।
धयभ सनेह उबमॉ भसत घेयी। बइ गसत साॉऩ छुछुॊदरय केयी।।
यािउॉ सुतकह कयउॉ अनुयोधू। धयभु जाइ अरु फॊधु वफयोधू।।
कहउॉ जान फन तौ फकड़ हानी। सॊकट सोच वफफस बइ यानी।।
फहुरय सभुष्झ सतम धयभु समानी। याभु बयतु दोउ सुत सभ जानी।।
सयर सुबाउ याभ भहतायी। फोरी फचन धीय धरय बायी।।
तात जाउॉ फसर कीन्हे हु नीका। वऩतु आमसु सफ धयभक टीका।।

155
दो0-याजु दे न ककह दीन्ह फनु भोकह न सो दि
ु रेसु।
तुम्ह वफनु बयतकह बूऩसतकह प्रजकह प्रचॊड करेसु।।55।।
–*–*–
जं केवर वऩतु आमसु ताता। तौ जसन जाहु जासन फकड़ भाता।।
जं वऩतु भातु कहे उ फन जाना। तं कानन सत अवध सभाना।।
वऩतु फनदे व भातु फनदे वी। िग भृग चयन सयोरुह सेवी।।
अॊतहुॉ उसचत नृऩकह फनफासू। फम वफरोकक कहमॉ होइ हयाॉसू।।
फड़बागी फनु अवध अबागी। जो यघुफॊससतरक तुम्ह त्मागी।।
जं सुत कहौ सॊग भोकह रेहू। तुम्हये रृदमॉ होइ सॊदेहू।।
ऩूत ऩयभ वप्रम तुम्ह सफही के। प्रान प्रान के जीवन जी के।।
ते तुम्ह कहहु भातु फन जाऊॉ। भईआ सुसन फचन फैकठ ऩसछताऊॉ।।
दो0-मह वफचारय नकहॊ कयउॉ हठ झूठ सनेहु फढ़ाइ।
भासन भातु कय नात फसर सुयसत वफसरय जसन जाइ।।56।।
–*–*–
दे व वऩतय सफ तुन्हकह गोसाई। यािहुॉ ऩरक नमन की नाई।।
अवसध अॊफु वप्रम ऩरयजन भीना। तुम्ह करुनाकय धयभ धुयीना।।
अस वफचारय सोइ कयहु उऩाई। सफकह ष्जअत जेकहॊ बईऄटेहु आई।।
जाहु सुिेन फनकह फसर जाऊॉ। करय अनाथ जन ऩरयजन गाऊॉ।।
सफ कय आजु सुकृत पर फीता। बमउ कयार कारु वफऩयीता।।
फहुवफसध वफरवऩ चयन रऩटानी। ऩयभ अबासगसन आऩुकह जानी।।
दारुन दस
ु ह दाहु उय ब्माऩा। फयसन न जाकहॊ वफराऩ कराऩा।।
याभ उठाइ भातु उय राई। ककह भृद ु फचन फहुरय सभुझाई।।
दो0-सभाचाय तेकह सभम सुसन सीम उठी अकुराइ।
जाइ सासु ऩद कभर जुग फॊकद फैकठ ससरु नाइ।।57।।
–*–*–
दीष्न्ह असीस सासु भृद ु फानी। असत सुकुभारय दे ष्ि अकुरानी।।
फैकठ नसभतभुि सोचसत सीता। रूऩ यासस ऩसत प्रेभ ऩुनीता।।
चरन चहत फन जीवननाथू। केकह सुकृती सन होइकह साथू।।
की तनु प्रान कक केवर प्राना। वफसध कयतफु कछु जाइ न जाना।।
चारु चयन नि रेिसत धयनी। नूऩुय भुिय भधुय कवफ फयनी।।
भनहुॉ प्रेभ फस वफनती कयहीॊ। हभकह सीम ऩद जसन ऩरयहयहीॊ।।
भॊजु वफरोचन भोचसत फायी। फोरी दे ष्ि याभ भहतायी।।
तात सुनहु ससम असत सुकुभायी। सासु ससुय ऩरयजनकह वऩआयी।।

156
दो0-वऩता जनक बूऩार भसन ससुय बानुकुर बानु।
ऩसत यवफकुर कैयव वफवऩन वफधु गुन रूऩ सनधानु।।58।।
–*–*–
भईआ ऩुसन ऩुत्रफधू वप्रम ऩाई। रूऩ यासस गुन सीर सुहाई।।
नमन ऩुतरय करय प्रीसत फढ़ाई। यािेउॉ प्रान जासनकककहॊ राई।।
करऩफेसर ष्जसभ फहुवफसध रारी। सीॊसच सनेह ससरर प्रसतऩारी।।
पूरत परत बमउ वफसध फाभा। जासन न जाइ काह ऩरयनाभा।।
ऩरॉग ऩीठ तष्ज गोद कहॊ ड़ोया। ससमॉ न दीन्ह ऩगु अवसन कठोया।।
ष्जअनभूरय ष्जसभ जोगवत यहऊॉ। दीऩ फासत नकहॊ टायन कहऊॉ।।
सोइ ससम चरन चहसत फन साथा। आमसु काह होइ यघुनाथा।
चॊद ककयन यस यससक चकोयी। यवफ रुि नमन सकइ ककसभ जोयी।।
दो0-करय केहरय सनससचय चयकहॊ दि
ु जॊतु फन बूरय।
वफष फाकटकाॉ कक सोह सुत सुबग सजीवसन भूरय।।59।।
–*–*–
फन कहत कोर ककयात ककसोयी। यचीॊ वफयॊ सच वफषम सुि बोयी।।
ऩाइन कृ सभ ष्जसभ ककठन सुबाऊ। सतन्हकह करेसु न कानन काऊ।।
कै ताऩस सतम कानन जोगू। ष्जन्ह तऩ हे तु तजा सफ बोगू।।
ससम फन फससकह तात केकह बाॉती। सचत्रसरष्ित कवऩ दे ष्ि डे याती।।
सुयसय सुबग फनज फन चायी। डाफय जोगु कक हॊ सकुभायी।।
अस वफचारय जस आमसु होई। भईआ ससि दे उॉ जानकककह सोई।।
जं ससम बवन यहै कह अॊफा। भोकह कहॉ होइ फहुत अवरॊफा।।
सुसन यघुफीय भातु वप्रम फानी। सीर सनेह सुधाॉ जनु सानी।।
दो0-ककह वप्रम फचन वफफेकभम कीष्न्ह भातु ऩरयतोष।
रगे प्रफोधन जानकककह प्रगकट वफवऩन गुन दोष।।60।।
भासऩायामण, चौदहवाॉ ववश्राभ
–*–*–
भातु सभीऩ कहत सकुचाहीॊ। फोरे सभउ सभुष्झ भन भाहीॊ।।
याजकुभारय ससिावन सुनहू। आन बाॉसत ष्जमॉ जसन कछु गुनहू।।
आऩन भोय नीक जं चहहू। फचनु हभाय भासन गृह यहहू।।
आमसु भोय सासु सेवकाई। सफ वफसध बासभसन बवन बराई।।
एकह ते असधक धयभु नकहॊ दज
ू ा। सादय सासु ससुय ऩद ऩूजा।।
जफ जफ भातु करयकह सुसध भोयी। होइकह प्रेभ वफकर भसत बोयी।।
तफ तफ तुम्ह ककह कथा ऩुयानी। सुॊदरय सभुझाएहु भृद ु फानी।।

157
कहउॉ सुबामॉ सऩथ सत भोही। सुभुष्ि भातु कहत यािउॉ तोही।।
दो0-गुय श्रुसत सॊभत धयभ परु ऩाइअ वफनकहॊ करेस।
हठ फस सफ सॊकट सहे गारव नहुष नये स।।61।।
–*–*–
भईआ ऩुसन करय प्रवान वऩतु फानी। फेसग कपयफ सुनु सुभुष्ि समानी।।
कदवस जात नकहॊ रासगकह फाया। सुॊदरय ससिवनु सुनहु हभाया।।
जौ हठ कयहु प्रेभ फस फाभा। तौ तुम्ह दि
ु ु ऩाउफ ऩरयनाभा।।
काननु ककठन बमॊकरु बायी। घोय घाभु कहभ फारय फमायी।।
कुस कॊटक भग काॉकय नाना। चरफ ऩमादे कहॊ वफनु ऩदत्राना।।
चयन कभर भुद ु भॊजु तुम्हाये । भायग अगभ बूसभधय बाये ।।
कॊदय िोह नदीॊ नद नाये । अगभ अगाध न जाकहॊ सनहाये ।।
बारु फाघ फृक केहरय नागा। कयकहॊ नाद सुसन धीयजु बागा।।
दो0-बूसभ समन फरकर फसन असनु कॊद पर भूर।
ते कक सदा सफ कदन सभसरकहॊ सफुइ सभम अनुकूर।।62।।
–*–*–
नय अहाय यजनीचय चयहीॊ। कऩट फेष वफसध कोकटक कयहीॊ।।
रागइ असत ऩहाय कय ऩानी। वफवऩन वफऩसत नकहॊ जाइ फिानी।।
ब्मार कयार वफहग फन घोया। सनससचय सनकय नारय नय चोया।।
डयऩकहॊ धीय गहन सुसध आएॉ। भृगरोचसन तुम्ह बीरु सुबाएॉ।।
हॊ सगवसन तुम्ह नकहॊ फन जोगू। सुसन अऩजसु भोकह दे इकह रोगू।।
भानस ससरर सुधाॉ प्रसतऩारी। ष्जअइ कक रवन ऩमोसध भयारी।।
नव यसार फन वफहयनसीरा। सोह कक कोककर वफवऩन कयीरा।।
यहहु बवन अस रृदमॉ वफचायी। चॊदफदसन दि
ु ु कानन बायी।।
दो0-सहज सुह्द गुय स्वासभ ससि जो न कयइ ससय भासन।।
सो ऩसछताइ अघाइ उय अवसस होइ कहत हासन।।63।।
–*–*–
सुसन भृद ु फचन भनोहय वऩम के। रोचन रसरत बये जर ससम के।।
सीतर ससि दाहक बइ कईआसईऄ। चकइकह सयद चॊद सनसस जईआसईऄ।।
उतरु न आव वफकर फैदेही। तजन चहत सुसच स्वासभ सनेही।।
फयफस योकक वफरोचन फायी। धरय धीयजु उय अवसनकुभायी।।
रासग सासु ऩग कह कय जोयी। छभवफ दे वफ फकड़ अवफनम भोयी।।
दीष्न्ह प्रानऩसत भोकह ससि सोई। जेकह वफसध भोय ऩयभ कहत होई।।
भईआ ऩुसन सभुष्झ दीष्ि भन भाहीॊ। वऩम वफमोग सभ दि
ु ु जग नाहीॊ।।

158
दो0- प्राननाथ करुनामतन सुॊदय सुिद सुजान।
तुम्ह वफनु यघुकुर कुभुद वफधु सुयऩुय नयक सभान।।64।।
–*–*–
भातु वऩता बसगनी वप्रम बाई। वप्रम ऩरयवारु सुह्रद सभुदाई।।
सासु ससुय गुय सजन सहाई। सुत सुॊदय सुसीर सुिदाई।।
जहॉ रसग नाथ नेह अरु नाते। वऩम वफनु सतमकह तयसनहु ते ताते।।
तनु धनु धाभु धयसन ऩुय याजू। ऩसत वफहीन सफु सोक सभाजू।।
बोग योगसभ बूषन बारू। जभ जातना सरयस सॊसारू।।
प्राननाथ तुम्ह वफनु जग भाहीॊ। भो कहुॉ सुिद कतहुॉ कछु नाहीॊ।।
ष्जम वफनु दे ह नदी वफनु फायी। तैससअ नाथ ऩुरुष वफनु नायी।।
नाथ सकर सुि साथ तुम्हायईऄ । सयद वफभर वफधु फदनु सनहायईऄ ।।
दो0-िग भृग ऩरयजन नगरु फनु फरकर वफभर दक
ु ू र।
नाथ साथ सुयसदन सभ ऩयनसार सुि भूर।।65।।
–*–*–
फनदे वीॊ फनदे व उदाया। करयहकहॊ सासु ससुय सभ साया।।
कुस ककसरम साथयी सुहाई। प्रबु सॉग भॊजु भनोज तुयाई।।
कॊद भूर पर असभअ अहारू। अवध सौध सत सरयस ऩहारू।।
सछनु सछनु प्रबु ऩद कभर वफरोकक। यकहहउॉ भुकदत कदवस ष्जसभ कोकी।।
फन दि
ु नाथ कहे फहुतेये। बम वफषाद ऩरयताऩ घनेये।।
प्रबु वफमोग रवरेस सभाना। सफ सभसर होकहॊ न कृ ऩासनधाना।।
अस ष्जमॉ जासन सुजान ससयोभसन। रेइअ सॊग भोकह छाकड़अ जसन।।
वफनती फहुत कयं का स्वाभी। करुनाभम उय अॊतयजाभी।।
दो0-याष्िअ अवध जो अवसध रसग यहत न जसनअकहॊ प्रान।
दीनफॊधु सॊदय सुिद सीर सनेह सनधान।।66।।
–*–*–
भोकह भग चरत न होइकह हायी। सछनु सछनु चयन सयोज सनहायी।।
सफकह बाॉसत वऩम सेवा करयहं। भायग जसनत सकर श्रभ हरयहं।।
ऩाम ऩिायी फैकठ तरु छाहीॊ। करयहउॉ फाउ भुकदत भन भाहीॊ।।
श्रभ कन सकहत स्माभ तनु दे िईऄ। कहॉ दि
ु सभउ प्रानऩसत ऩेिईऄ।।
सभ भकह तृन तरुऩल्रव डासी। ऩाग ऩरोकटकह सफ सनसस दासी।।
फायफाय भृद ु भूयसत जोही। रागकह तात फमारय न भोही।
को प्रबु सॉग भोकह सचतवसनहाया। ससॊघफधुकह ष्जसभ ससक ससआया।।
भईआ सुकुभारय नाथ फन जोगू। तुम्हकह उसचत तऩ भो कहुॉ बोगू।।

159
दो0-ऐसेउ फचन कठोय सुसन जं न ह्रदउ वफरगान।
तौ प्रबु वफषभ वफमोग दि
ु सकहहकहॊ ऩावॉय प्रान।।67।।
–*–*–

अस ककह सीम वफकर बइ बायी। फचन वफमोगु न सकी सॉबायी।।


दे ष्ि दसा यघुऩसत ष्जमॉ जाना। हकठ यािईऄ नकहॊ याष्िकह प्राना।।
कहे उ कृ ऩार बानुकुरनाथा। ऩरयहरय सोचु चरहु फन साथा।।
नकहॊ वफषाद कय अवसरु आजू। फेसग कयहु फन गवन सभाजू।।
ककह वप्रम फचन वप्रमा सभुझाई। रगे भातु ऩद आससष ऩाई।।
फेसग प्रजा दि
ु भेटफ आई। जननी सनठु य वफसरय जसन जाई।।
कपयकह दसा वफसध फहुरय कक भोयी। दे ष्िहउॉ नमन भनोहय जोयी।।
सुकदन सुघयी तात कफ होइकह। जननी ष्जअत फदन वफधु जोइकह।।
दो0-फहुरय फछछ ककह रारु ककह यघुऩसत यघुफय तात।
कफकहॊ फोराइ रगाइ कहमॉ हयवष सनयष्िहउॉ गात।।68।।
–*–*–
रष्ि सनेह कातरय भहतायी। फचनु न आव वफकर बइ बायी।।
याभ प्रफोधु कीन्ह वफसध नाना। सभउ सनेहु न जाइ फिाना।।
तफ जानकी सासु ऩग रागी। सुसनअ भाम भईआ ऩयभ अबागी।।
सेवा सभम दै अॉ फनु दीन्हा। भोय भनोयथु सपर न कीन्हा।।
तजफ छोबु जसन छाकड़अ छोहू। कयभु ककठन कछु दोसु न भोहू।।
सुसन ससम फचन सासु अकुरानी। दसा कवसन वफसध कहं फिानी।।
फायकह फाय राइ उय रीन्ही। धरय धीयजु ससि आससष दीन्ही।।
अचर होउ अकहवातु तुम्हाया। जफ रसग गॊग जभुन जर धाया।।
दो0-सीतकह सासु असीस ससि दीष्न्ह अनेक प्रकाय।
चरी नाइ ऩद ऩदभ
ु ससरु असत कहत फायकहॊ फाय।।69।।
–*–*–
सभाचाय जफ रसछभन ऩाए। ब्माकुर वफरि फदन उकठ धाए।।
कॊऩ ऩुरक तन नमन सनीया। गहे चयन असत प्रेभ अधीया।।
ककह न सकत कछु सचतवत ठाढ़े । भीनु दीन जनु जर तईऄ काढ़े ।।
सोचु रृदमॉ वफसध का होसनहाया। सफु सुिु सुकृत ससयान हभाया।।
भो कहुॉ काह कहफ यघुनाथा। यष्िहकहॊ बवन कक रेहकहॊ साथा।।
याभ वफरोकक फॊधु कय जोयईऄ । दे ह गेह सफ सन तृनु तोयईऄ ।।
फोरे फचनु याभ नम नागय। सीर सनेह सयर सुि सागय।।

160
तात प्रेभ फस जसन कदयाहू। सभुष्झ रृदमॉ ऩरयनाभ उछाहू।।
दो0-भातु वऩता गुरु स्वासभ ससि ससय धरय कयकह सुबामॉ।
रहे उ राबु सतन्ह जनभ कय नतरु जनभु जग जामॉ।।70।।
–*–*–
अस ष्जमॉ जासन सुनहु ससि बाई। कयहु भातु वऩतु ऩद सेवकाई।।
बवन बयतु रयऩुसूदन नाहीॊ। याउ फृद्ध भभ दि
ु ु भन भाहीॊ।।
भईआ फन जाउॉ तुम्हकह रेइ साथा। होइ सफकह वफसध अवध अनाथा।।
गुरु वऩतु भातु प्रजा ऩरयवारू। सफ कहुॉ ऩयइ दस
ु ह दि
ु बारू।।
यहहु कयहु सफ कय ऩरयतोषू। नतरु तात होइकह फड़ दोषू।।
जासु याज वप्रम प्रजा दि
ु ायी। सो नृऩु अवसस नयक असधकायी।।
यहहु तात असस नीसत वफचायी। सुनत रिनु बए ब्माकुर बायी।।
ससअयईऄ फचन सूष्ि गए कईआसईऄ। ऩयसत तुकहन ताभयसु जैसईऄ।।
दो0-उतरु न आवत प्रेभ फस गहे चयन अकुराइ।
नाथ दासु भईआ स्वासभ तुम्ह तजहु त काह फसाइ।।71।।
–*–*–
दीष्न्ह भोकह ससि नीकक गोसाईं। रासग अगभ अऩनी कदयाईं।।
नयफय धीय धयभ धुय धायी। सनगभ नीसत कहुॉ ते असधकायी।।
भईआ सससु प्रबु सनेहॉ प्रसतऩारा। भॊदरु भेरु कक रेकहॊ भयारा।।
गुय वऩतु भातु न जानउॉ काहू। कहउॉ सुबाउ नाथ ऩसतआहू।।
जहॉ रसग जगत सनेह सगाई। प्रीसत प्रतीसत सनगभ सनजु गाई।।
भोयईऄ सफइ एक तुम्ह स्वाभी। दीनफॊधु उय अॊतयजाभी।।
धयभ नीसत उऩदे ससअ ताही। कीयसत बूसत सुगसत वप्रम जाही।।
भन क्रभ फचन चयन यत होई। कृ ऩाससॊधु ऩरयहरयअ कक सोई।।
दो0-करुनाससॊधु सुफॊध के सुसन भृद ु फचन वफनीत।
सभुझाए उय राइ प्रबु जासन सनेहॉ सबीत।।72।।
–*–*–
भागहु वफदा भातु सन जाई। आवहु फेसग चरहु फन बाई।।
भुकदत बए सुसन यघुफय फानी। बमउ राब फड़ गइ फकड़ हानी।।
हयवषत ह्दमॉ भातु ऩकहॊ आए। भनहुॉ अॊध कपरय रोचन ऩाए।
जाइ जनसन ऩग नामउ भाथा। भनु यघुनॊदन जानकक साथा।।
ऩूॉछे भातु भसरन भन दे िी। रिन कही सफ कथा वफसेषी।।
गई सहसभ सुसन फचन कठोया। भृगी दे ष्ि दव जनु चहु ओया।।
रिन रिेउ बा अनयथ आजू। एकहॊ सनेह फस कयफ अकाजू।।

161
भागत वफदा सबम सकुचाहीॊ। जाइ सॊग वफसध ककहकह कक नाही।।
दो0-सभुष्झ सुसभत्राॉ याभ ससम रूऩ सुसीरु सुबाउ।
नृऩ सनेहु रष्ि धुनेउ ससरु ऩावऩसन दीन्ह कुदाउ।।73।।
–*–*–
धीयजु धये उ कुअवसय जानी। सहज सुह्द फोरी भृद ु फानी।।
तात तुम्हारय भातु फैदेही। वऩता याभु सफ बाॉसत सनेही।।
अवध तहाॉ जहॉ याभ सनवासू। तहॉ इॉ कदवसु जहॉ बानु प्रकासू।।
जौ ऩै सीम याभु फन जाहीॊ। अवध तुम्हाय काजु कछु नाकहॊ ।।
गुय वऩतु भातु फॊधु सुय साई। सेइअकहॊ सकर प्रान की नाईं।।
याभु प्रानवप्रम जीवन जी के। स्वायथ यकहत सिा सफही कै।।
ऩूजनीम वप्रम ऩयभ जहाॉ तईऄ। सफ भासनअकहॊ याभ के नातईऄ।।
अस ष्जमॉ जासन सॊग फन जाहू। रेहु तात जग जीवन राहू।।
दो0-बूरय बाग बाजनु बमहु भोकह सभेत फसर जाउॉ ।
जौभ तुम्हयईऄ भन छाकड़ छरु कीन्ह याभ ऩद ठाउॉ ।।74।।
–*–*–
ऩुत्रवती जुफती जग सोई। यघुऩसत बगतु जासु सुतु होई।।
नतरु फाॉझ बसर फाकद वफआनी। याभ वफभुि सुत तईऄ कहत जानी।।
तुम्हये कहॊ बाग याभु फन जाहीॊ। दस
ू य हे तु तात कछु नाहीॊ।।
सकर सुकृत कय फड़ परु एहू। याभ सीम ऩद सहज सनेहू।।
याग योषु इरयषा भद ु भोहू। जसन सऩनेहुॉ इन्ह के फस होहू।।
सकर प्रकाय वफकाय वफहाई। भन क्रभ फचन कये हु सेवकाई।।
तुम्ह कहुॉ फन सफ बाॉसत सुऩासू। सॉग वऩतु भातु याभु ससम जासू।।
जेकहॊ न याभु फन रहकहॊ करेसू। सुत सोइ कये हु इहइ उऩदे सू।।
छॊ 0-उऩदे सु महु जेकहॊ तात तुम्हये याभ ससम सुि ऩावहीॊ।
वऩतु भातु वप्रम ऩरयवाय ऩुय सुि सुयसत फन वफसयावहीॊ।
तुरसी प्रबुकह ससि दे इ आमसु दीन्ह ऩुसन आससष दई।
यसत होउ अवफयर अभर ससम यघुफीय ऩद सनत सनत नई।।
सो0-भातु चयन ससरु नाइ चरे तुयत सॊककत रृदमॉ।
फागुय वफषभ तोयाइ भनहुॉ बाग भृगु बाग फस।।75।।
गए रिनु जहॉ जानककनाथू। बे भन भुकदत ऩाइ वप्रम साथू।।
फॊकद याभ ससम चयन सुहाए। चरे सॊग नृऩभॊकदय आए।।
कहकहॊ ऩयसऩय ऩुय नय नायी। बसर फनाइ वफसध फात वफगायी।।
तन कृ स दि
ु ु फदन भरीने। वफकर भनहुॉ भािी भधु छीने।।

162
कय भीजकहॊ ससरु धुसन ऩसछताहीॊ। जनु वफन ऩॊि वफहग अकुराहीॊ।।
बइ फकड़ बीय बूऩ दयफाया। फयसन न जाइ वफषाद ु अऩाया।।
ससचवॉ उठाइ याउ फैठाये । ककह वप्रम फचन याभु ऩगु धाये ।।
ससम सभेत दोउ तनम सनहायी। ब्माकुर बमउ बूसभऩसत बायी।।
दो0-सीम सकहत सुत सुबग दोउ दे ष्ि दे ष्ि अकुराइ।
फायकहॊ फाय सनेह फस याउ रेइ उय राइ।।76।।
–*–*–
सकइ न फोसर वफकर नयनाहू। सोक जसनत उय दारुन दाहू।।
नाइ सीसु ऩद असत अनुयागा। उकठ यघुफीय वफदा तफ भागा।।
वऩतु असीस आमसु भोकह दीजै। हयष सभम वफसभउ कत कीजै।।
तात ककएॉ वप्रम प्रेभ प्रभाद।ू जसु जग जाइ होइ अऩफाद।ू ।
सुसन सनेह फस उकठ नयनाहाॉ। फैठाये यघुऩसत गकह फाहाॉ।।
सुनहु तात तुम्ह कहुॉ भुसन कहहीॊ। याभु चयाचय नामक अहहीॊ।।
सुब अरु असुब कयभ अनुहायी। ईस दे इ परु ह्दमॉ वफचायी।।
कयइ जो कयभ ऩाव पर सोई। सनगभ नीसत असस कह सफु कोई।।
दो0–औरु कयै अऩयाधु कोउ औय ऩाव पर बोगु।
असत वफसचत्र बगवॊत गसत को जग जानै जोगु।।77।।
–*–*–
यामॉ याभ यािन कहत रागी। फहुत उऩाम ककए छरु त्मागी।।
रिी याभ रुि यहत न जाने। धयभ धुयॊधय धीय समाने।।
तफ नृऩ सीम राइ उय रीन्ही। असत कहत फहुत बाॉसत ससि दीन्ही।।
ककह फन के दि
ु दस
ु ह सुनाए। सासु ससुय वऩतु सुि सभुझाए।।
ससम भनु याभ चयन अनुयागा। घरु न सुगभु फनु वफषभु न रागा।।
औयउ सफकहॊ सीम सभुझाई। ककह ककह वफवऩन वफऩसत असधकाई।।
ससचव नारय गुय नारय समानी। सकहत सनेह कहकहॊ भृद ु फानी।।
तुम्ह कहुॉ तौ न दीन्ह फनफासू। कयहु जो कहकहॊ ससुय गुय सासू।।
दो0–ससि सीतसर कहत भधुय भृद ु सुसन सीतकह न सोहासन।
सयद चॊद चॊदसन रगत जनु चकई अकुरासन।।78।।
–*–*–
सीम सकुच फस उतरु न दे ई। सो सुसन तभकक उठी कैकेई।।
भुसन ऩट बूषन बाजन आनी। आगईऄ धरय फोरी भृद ु फानी।।
नृऩकह प्रान वप्रम तुम्ह यघुफीया। सीर सनेह न छाकड़कह बीया।।
सुकृत सुजसु ऩयरोकु नसाऊ। तुम्हकह जान फन ककहकह न काऊ।।

163
अस वफचारय सोइ कयहु जो बावा। याभ जनसन ससि सुसन सुिु ऩावा।।
बूऩकह फचन फानसभ रागे। कयकहॊ न प्रान ऩमान अबागे।।
रोग वफकर भुरुसछत नयनाहू। काह करयअ कछु सूझ न काहू।।
याभु तुयत भुसन फेषु फनाई। चरे जनक जनसनकह ससरु नाई।।
दो0-सष्ज फन साजु सभाजु सफु फसनता फॊधु सभेत।
फॊकद वफप्र गुय चयन प्रबु चरे करय सफकह अचेत।।79।।
–*–*–
सनकसस फससष्ठ द्वाय बए ठाढ़े । दे िे रोग वफयह दव दाढ़े ।।
ककह वप्रम फचन सकर सभुझाए। वफप्र फृॊद यघुफीय फोराए।।
गुय सन ककह फयषासन दीन्हे । आदय दान वफनम फस कीन्हे ।।
जाचक दान भान सॊतोषे। भीत ऩुनीत प्रेभ ऩरयतोषे।।
दासीॊ दास फोराइ फहोयी। गुयकह संवऩ फोरे कय जोयी।।
सफ कै साय सॉबाय गोसाईं। कयवफ जनक जननी की नाई।।
फायकहॊ फाय जोरय जुग ऩानी। कहत याभु सफ सन भृद ु फानी।।
सोइ सफ बाॉसत भोय कहतकायी। जेकह तईऄ यहै बुआर सुिायी।।
दो0-भातु सकर भोये वफयहॉ जेकहॊ न होकहॊ दि
ु दीन।
सोइ उऩाउ तुम्ह कये हु सफ ऩुय जन ऩयभ प्रफीन।।80।।
–*–*–
एकह वफसध याभ सफकह सभुझावा। गुय ऩद ऩदभ ु हयवष ससरु नावा।
गनऩती गौरय सगयीसु भनाई। चरे असीस ऩाइ यघुयाई।।
याभ चरत असत बमउ वफषाद।ू सुसन न जाइ ऩुय आयत नाद।ू ।
कुसगुन रॊक अवध असत सोकू। हहयष वफषाद वफफस सुयरोकू।।
गइ भुरुछा तफ बूऩसत जागे। फोसर सुभॊत्रु कहन अस रागे।।
याभु चरे फन प्रान न जाहीॊ। केकह सुि रासग यहत तन भाहीॊ।
एकह तईऄ कवन ब्मथा फरवाना। जो दि
ु ु ऩाइ तजकहॊ तनु प्राना।।
ऩुसन धरय धीय कहइ नयनाहू। रै यथु सॊग सिा तुम्ह जाहू।।
दो0–सुकठ सुकुभाय कुभाय दोउ जनकसुता सुकुभारय।
यथ चढ़ाइ दे ियाइ फनु कपये हु गएॉ कदन चारय।।81।।
–*–*–
जौ नकहॊ कपयकहॊ धीय दोउ बाई। सत्मसॊध दृढ़ब्रत यघुयाई।।
तौ तुम्ह वफनम कये हु कय जोयी। पेरयअ प्रबु सभसथरेसककसोयी।।
जफ ससम कानन दे ष्ि डे याई। कहे हु भोरय ससि अवसरु ऩाई।।
सासु ससुय अस कहे उ सॉदेसू। ऩुवत्र कपरयअ फन फहुत करेसू।।

164
वऩतृगह
ृ कफहुॉ कफहुॉ ससुयायी। यहे हु जहाॉ रुसच होइ तुम्हायी।।
एकह वफसध कये हु उऩाम कदॊ फा। कपयइ त होइ प्रान अवरॊफा।।
नाकहॊ त भोय भयनु ऩरयनाभा। कछु न फसाइ बएॉ वफसध फाभा।।
अस ककह भुरुसछ ऩया भकह याऊ। याभु रिनु ससम आसन दे िाऊ।।
दो0–ऩाइ यजामसु नाइ ससरु यथु असत फेग फनाइ।
गमउ जहाॉ फाहे य नगय सीम सकहत दोउ बाइ।।82।।
–*–*–
तफ सुभॊत्र नृऩ फचन सुनाए। करय वफनती यथ याभु चढ़ाए।।
चकढ़ यथ सीम सकहत दोउ बाई। चरे रृदमॉ अवधकह ससरु नाई।।
चरत याभु रष्ि अवध अनाथा। वफकर रोग सफ रागे साथा।।
कृ ऩाससॊधु फहुवफसध सभुझावकहॊ । कपयकहॊ प्रेभ फस ऩुसन कपरय आवकहॊ ।।
रागसत अवध बमावसन बायी। भानहुॉ कारयासत अॉसधआयी।।
घोय जॊतु सभ ऩुय नय नायी। डयऩकहॊ एककह एक सनहायी।।
घय भसान ऩरयजन जनु बूता। सुत कहत भीत भनहुॉ जभदत
ू ा।।
फागन्ह वफटऩ फेसर कुष्म्हराहीॊ। सरयत सयोवय दे ष्ि न जाहीॊ।।
दो0-हम गम कोकटन्ह केसरभृग ऩुयऩसु चातक भोय।
वऩक यथाॊग सुक सारयका सायस हॊ स चकोय।।83।।
–*–*–
याभ वफमोग वफकर सफ ठाढ़े । जहॉ तहॉ भनहुॉ सचत्र सरष्ि काढ़े ।।
नगरु सपर फनु गहफय बायी। िग भृग वफऩुर सकर नय नायी।।
वफसध कैकेई ककयासतसन कीन्ही। जईऄकह दव दस
ु ह दसहुॉ कदसस दीन्ही।।
सकह न सके यघुफय वफयहागी। चरे रोग सफ ब्माकुर बागी।।
सफकहॊ वफचाय कीन्ह भन भाहीॊ। याभ रिन ससम वफनु सुिु नाहीॊ।।
जहाॉ याभु तहॉ सफुइ सभाजू। वफनु यघुफीय अवध नकहॊ काजू।।
चरे साथ अस भॊत्रु दृढ़ाई। सुय दर
ु ब
ा सुि सदन वफहाई।।
याभ चयन ऩॊकज वप्रम ष्जन्हही। वफषम बोग फस कयकहॊ कक सतन्हही।।
दो0-फारक फृद्ध वफहाइ गृॉह रगे रोग सफ साथ।
तभसा तीय सनवासु ककम प्रथभ कदवस यघुनाथ।।84।।
–*–*–
यघुऩसत प्रजा प्रेभफस दे िी। सदम रृदमॉ दि
ु ु बमउ वफसेषी।।
करुनाभम यघुनाथ गोसाॉई। फेसग ऩाइअकहॊ ऩीय ऩयाई।।
ककह सप्रेभ भृद ु फचन सुहाए। फहुवफसध याभ रोग सभुझाए।।
ककए धयभ उऩदे स घनेये। रोग प्रेभ फस कपयकहॊ न पेये ।।

165
सीरु सनेहु छाकड़ नकहॊ जाई। असभॊजस फस बे यघुयाई।।
रोग सोग श्रभ फस गए सोई। कछुक दे वभामाॉ भसत भोई।।
जफकहॊ जाभ जुग जासभसन फीती। याभ ससचव सन कहे उ सप्रीती।।
िोज भारय यथु हाॉकहु ताता। आन उऩामॉ फसनकह नकहॊ फाता।।
दो0-याभ रिन सुम जान चकढ़ सॊबु चयन ससरु नाइ।।
ससचवॉ चरामउ तुयत यथु इत उत िोज दयु ाइ।।85।।
–*–*–
जागे सकर रोग बएॉ बोरू। गे यघुनाथ बमउ असत सोरू।।
यथ कय िोज कतहहुॉ नकहॊ ऩावकहॊ । याभ याभ ककह चहु कदसस धावकहॊ ।।
भनहुॉ फारयसनसध फूड़ जहाजू। बमउ वफकर फड़ फसनक सभाजू।।
एककह एक दईऄ कहॊ उऩदे सू। तजे याभ हभ जासन करेसू।।
सनॊदकहॊ आऩु सयाहकहॊ भीना। सधग जीवनु यघुफीय वफहीना।।
जं ऩै वप्रम वफमोगु वफसध कीन्हा। तौ कस भयनु न भागईऄ दीन्हा।।
एकह वफसध कयत प्रराऩ कराऩा। आए अवध बये ऩरयताऩा।।
वफषभ वफमोगु न जाइ फिाना। अवसध आस सफ यािकहॊ प्राना।।
दो0-याभ दयस कहत नेभ ब्रत रगे कयन नय नारय।
भनहुॉ कोक कोकी कभर दीन वफहीन तभारय।।86।।
–*–*–
सीता ससचव सकहत दोउ बाई। सृॊगफेयऩुय ऩहुॉचे जाई।।
उतये याभ दे वसरय दे िी। कीन्ह दॊ डवत हयषु वफसेषी।।
रिन ससचवॉ ससमॉ ककए प्रनाभा। सफकह सकहत सुिु ऩामउ याभा।।
गॊग सकर भुद भॊगर भूरा। सफ सुि कयसन हयसन सफ सूरा।।
ककह ककह कोकटक कथा प्रसॊगा। याभु वफरोककहॊ गॊग तयॊ गा।।
ससचवकह अनुजकह वप्रमकह सुनाई। वफफुध नदी भकहभा असधकाई।।
भज्जनु कीन्ह ऩॊथ श्रभ गमऊ। सुसच जरु वऩअत भुकदत भन बमऊ।।
सुसभयत जाकह सभटइ श्रभ बारू। तेकह श्रभ मह रौककक ब्मवहारू।।
दो0-सुध्द ससचदानॊदभम कॊद बानुकुर केतु।
चरयत कयत नय अनुहयत सॊससृ त सागय सेतु।।87।।
–*–*–
मह सुसध गुहॉ सनषाद जफ ऩाई। भुकदत सरए वप्रम फॊधु फोराई।।
सरए पर भूर बईऄट बरय बाया। सभरन चरेउ कहॉ मॉ हयषु अऩाया।।
करय दॊ डवत बईऄट धरय आगईऄ। प्रबुकह वफरोकत असत अनुयागईऄ।।
सहज सनेह वफफस यघुयाई। ऩूॉछी कुसर सनकट फैठाई।।

166
नाथ कुसर ऩद ऩॊकज दे िईऄ। बमउॉ बागबाजन जन रेिईऄ।।
दे व धयसन धनु धाभु तुम्हाया। भईआ जनु नीचु सकहत ऩरयवाया।।
कृ ऩा करयअ ऩुय धारयअ ऩाऊ। थावऩम जनु सफु रोगु ससहाऊ।।
कहे हु सत्म सफु सिा सुजाना। भोकह दीन्ह वऩतु आमसु आना।।
दो0-फयष चारयदस फासु फन भुसन ब्रत फेषु अहारु।
ग्राभ फासु नकहॊ उसचत सुसन गुहकह बमउ दि
ु ु बारु।।88।।
–*–*–
याभ रिन ससम रूऩ सनहायी। कहकहॊ सप्रेभ ग्राभ नय नायी।।
ते वऩतु भातु कहहु सष्ि कैसे। ष्जन्ह ऩठए फन फारक ऐसे।।
एक कहकहॊ बर बूऩसत कीन्हा। रोमन राहु हभकह वफसध दीन्हा।।
तफ सनषादऩसत उय अनुभाना। तरु ससॊसुऩा भनोहय जाना।।
रै यघुनाथकह ठाउॉ दे िावा। कहे उ याभ सफ बाॉसत सुहावा।।
ऩुयजन करय जोहारु घय आए। यघुफय सॊध्मा कयन ससधाए।।
गुहॉ सॉवारय साॉथयी डसाई। कुस ककसरमभम भृदर
ु सुहाई।।
सुसच पर भूर भधुय भृद ु जानी। दोना बरय बरय यािेसस ऩानी।।
दो0-ससम सुभॊत्र र्भ्ाता सकहत कॊद भूर पर िाइ।
समन कीन्ह यघुफॊसभसन ऩाम ऩरोटत बाइ।।89।।
–*–*–
उठे रिनु प्रबु सोवत जानी। ककह ससचवकह सोवन भृद ु फानी।।
कछुक दयू सष्ज फान सयासन। जागन रगे फैकठ फीयासन।।
गुॉह फोराइ ऩाहरू प्रतीती। ठावॉ ठाॉव यािे असत प्रीती।।
आऩु रिन ऩकहॊ फैठेउ जाई। ककट बाथी सय चाऩ चढ़ाई।।
सोवत प्रबुकह सनहारय सनषाद।ू बमउ प्रेभ फस ह्दमॉ वफषाद।ू ।
तनु ऩुरककत जरु रोचन फहई। फचन सप्रेभ रिन सन कहई।।
बूऩसत बवन सुबामॉ सुहावा। सुयऩसत सदनु न ऩटतय ऩावा।।
भसनभम यसचत चारु चौफाये । जनु यसतऩसत सनज हाथ सॉवाये ।।
दो0-सुसच सुवफसचत्र सुबोगभम सुभन सुगॊध सुफास।
ऩरॉग भॊजु भसनदीऩ जहॉ सफ वफसध सकर सुऩास।।90।।
–*–*–
वफवफध फसन उऩधान तुयाई। छीय पेन भृद ु वफसद सुहाई।।
तहॉ ससम याभु समन सनसस कयहीॊ। सनज छवफ यसत भनोज भद ु हयहीॊ।।
ते ससम याभु साथयीॊ सोए। श्रसभत फसन वफनु जाकहॊ न जोए।।
भातु वऩता ऩरयजन ऩुयफासी। सिा सुसीर दास अरु दासी।।

167
जोगवकहॊ ष्जन्हकह प्रान की नाई। भकह सोवत तेइ याभ गोसाईं।।
वऩता जनक जग वफकदत प्रबाऊ। ससुय सुयेस सिा यघुयाऊ।।
याभचॊद ु ऩसत सो फैदेही। सोवत भकह वफसध फाभ न केही।।
ससम यघुफीय कक कानन जोगू। कयभ प्रधान सत्म कह रोगू।।
दो0-कैकमनॊकदसन भॊदभसत ककठन कुकटरऩनु कीन्ह।
जेहीॊ यघुनॊदन जानकककह सुि अवसय दि
ु ु दीन्ह।।91।।
–*–*–
बइ कदनकय कुर वफटऩ कुठायी। कुभसत कीन्ह सफ वफस्व दि ु ायी।।
बमउ वफषाद ु सनषादकह बायी। याभ सीम भकह समन सनहायी।।
फोरे रिन भधुय भृद ु फानी। ग्मान वफयाग बगसत यस सानी।।
काहु न कोउ सुि दि
ु कय दाता। सनज कृ त कयभ बोग सफु र्भ्ाता।।
जोग वफमोग बोग बर भॊदा। कहत अनकहत भध्मभ र्भ्भ पॊदा।।
जनभु भयनु जहॉ रसग जग जारू। सॊऩती वफऩसत कयभु अरु कारू।।
धयसन धाभु धनु ऩुय ऩरयवारू। सयगु नयकु जहॉ रसग ब्मवहारू।।
दे ष्िअ सुसनअ गुसनअ भन भाहीॊ। भोह भूर ऩयभायथु नाहीॊ।।
दो0-सऩनईऄ होइ सबिारय नृऩ यॊ कु नाकऩसत होइ।
जागईऄ राबु न हासन कछु सतसभ प्रऩॊच ष्जमॉ जोइ।।92।।
–*–*–
अस वफचारय नकहॊ कीजअ योसू। काहुकह फाकद न दे इअ दोसू।।
भोह सनसाॉ सफु सोवसनहाया। दे ष्िअ सऩन अनेक प्रकाया।।
एकहॊ जग जासभसन जागकहॊ जोगी। ऩयभायथी प्रऩॊच वफमोगी।।
जासनअ तफकहॊ जीव जग जागा। जफ जफ वफषम वफरास वफयागा।।
होइ वफफेकु भोह र्भ्भ बागा। तफ यघुनाथ चयन अनुयागा।।
सिा ऩयभ ऩयभायथु एहू। भन क्रभ फचन याभ ऩद नेहू।।
याभ ब्रह्म ऩयभायथ रूऩा। अवफगत अरि अनाकद अनूऩा।।
सकर वफकाय यकहत गतबेदा। ककह सनत नेसत सनरूऩकहॊ फेदा।
दो0-बगत बूसभ बूसुय सुयसब सुय कहत रासग कृ ऩार।
कयत चरयत धरय भनुज तनु सुनत सभटकह जग जार।।93।।
भासऩायामण, ऩॊरहवा ववश्राभ
–*–*–
सिा सभुष्झ अस ऩरयहरय भोहु। ससम यघुफीय चयन यत होहू।।
कहत याभ गुन बा सबनुसाया। जागे जग भॊगर सुिदाया।।
सकर सोच करय याभ नहावा। सुसच सुजान फट छीय भगावा।।

168
अनुज सकहत ससय जटा फनाए। दे ष्ि सुभॊत्र नमन जर छाए।।
रृदमॉ दाहु असत फदन भरीना। कह कय जोरय फचन असत दीना।।
नाथ कहे उ अस कोसरनाथा। रै यथु जाहु याभ कईऄ साथा।।
फनु दे िाइ सुयसरय अन्हवाई। आनेहु पेरय फेसग दोउ बाई।।
रिनु याभु ससम आनेहु पेयी। सॊसम सकर सॉकोच सनफेयी।।
दो0-नृऩ अस कहे उ गोसाईँ जस कहइ कयं फसर सोइ।
करय वफनती ऩामन्ह ऩये उ दीन्ह फार ष्जसभ योइ।।94।।
–*–*–
तात कृ ऩा करय कीष्जअ सोई। जातईऄ अवध अनाथ न होई।।
भॊत्रकह याभ उठाइ प्रफोधा। तात धयभ भतु तुम्ह सफु सोधा।।
ससवफ दधीसच हरयचॊद नये सा। सहे धयभ कहत कोकट करेसा।।
यॊ सतदे व फसर बूऩ सुजाना। धयभु धये उ सकह सॊकट नाना।।
धयभु न दस
ू य सत्म सभाना। आगभ सनगभ ऩुयान फिाना।।
भईआ सोइ धयभु सुरब करय ऩावा। तजईऄ सतहूॉ ऩुय अऩजसु छावा।।
सॊबाववत कहुॉ अऩजस राहू। भयन कोकट सभ दारुन दाहू।।
तुम्ह सन तात फहुत का कहऊॉ। कदएॉ उतरु कपरय ऩातकु रहऊॉ।।
दो0-वऩतु ऩद गकह ककह कोकट नसत वफनम कयफ कय जोरय।
सचॊता कवसनहु फात कै तात करयअ जसन भोरय।।95।।
–*–*–
तुम्ह ऩुसन वऩतु सभ असत कहत भोयईऄ । वफनती कयउॉ तात कय जोयईऄ ।।
सफ वफसध सोइ कयतब्म तुम्हायईऄ । दि
ु न ऩाव वऩतु सोच हभायईऄ ।।
सुसन यघुनाथ ससचव सॊफाद।ू बमउ सऩरयजन वफकर सनषाद।ू ।
ऩुसन कछु रिन कही कटु फानी। प्रबु फयजे फड़ अनुसचत जानी।।
सकुसच याभ सनज सऩथ दे वाई। रिन सॉदेसु ककहअ जसन जाई।।
कह सुभॊत्रु ऩुसन बूऩ सॉदेसू। सकह न सकककह ससम वफवऩन करेसू।।
जेकह वफसध अवध आव कपरय सीमा। सोइ यघुफयकह तुम्हकह कयनीमा।।
नतरु सनऩट अवरॊफ वफहीना। भईआ न ष्जअफ ष्जसभ जर वफनु भीना।।
दो0-भइकईऄ ससयईऄ सकर सुि जफकहॊ जहाॉ भनु भान।।
तॉह तफ यकहकह सुिेन ससम जफ रसग वफऩसत वफहान।।96।।
–*–*–
वफनती बूऩ कीन्ह जेकह बाॉती। आयसत प्रीसत न सो ककह जाती।।
वऩतु सॉदेसु सुसन कृ ऩासनधाना। ससमकह दीन्ह ससि कोकट वफधाना।।
सासु ससुय गुय वप्रम ऩरयवारू। कपयतु त सफ कय सभटै िबारू।।

169
सुसन ऩसत फचन कहसत फैदेही। सुनहु प्रानऩसत ऩयभ सनेही।।
प्रबु करुनाभम ऩयभ वफफेकी। तनु तष्ज यहसत छाॉह ककसभ छईऄ की।।
प्रबा जाइ कहॉ बानु वफहाई। कहॉ चॊकरका चॊद ु तष्ज जाई।।
ऩसतकह प्रेभभम वफनम सुनाई। कहसत ससचव सन सगया सुहाई।।
तुम्ह वऩतु ससुय सरयस कहतकायी। उतरु दे उॉ कपरय अनुसचत बायी।।
दो0-आयसत फस सनभुि बइउॉ वफरगु न भानफ तात।
आयजसुत ऩद कभर वफनु फाकद जहाॉ रसग नात।।97।।
–*–*–
वऩतु फैबव वफरास भईआ डीठा। नृऩ भसन भुकुट सभसरत ऩद ऩीठा।।
सुिसनधान अस वऩतु गृह भोयईऄ । वऩम वफहीन भन बाव न बोयईऄ ।।
ससुय चक्कवइ कोसरयाऊ। बुवन चारयदस प्रगट प्रबाऊ।।
आगईऄ होइ जेकह सुयऩसत रेई। अयध ससॊघासन आसनु दे ई।।
ससुरु एतादृस अवध सनवासू। वप्रम ऩरयवारु भातु सभ सासू।।
वफनु यघुऩसत ऩद ऩदभ
ु ऩयागा। भोकह केउ सऩनेहुॉ सुिद न रागा।।
अगभ ऩॊथ फनबूसभ ऩहाया। करय केहरय सय सरयत अऩाया।।
कोर ककयात कुयॊ ग वफहॊ गा। भोकह सफ सुिद प्रानऩसत सॊगा।।
दो0-सासु ससुय सन भोरय हुॉसत वफनम कयवफ ऩरय ऩामॉ।।
भोय सोचु जसन करयअ कछु भईआ फन सुिी सुबामॉ।।98।।
–*–*–
प्राननाथ वप्रम दे वय साथा। फीय धुयीन धयईऄ धनु बाथा।।
नकहॊ भग श्रभु र्भ्भु दि
ु भन भोयईऄ । भोकह रसग सोचु करयअ जसन बोयईऄ ।।
सुसन सुभॊत्रु ससम सीतसर फानी। बमउ वफकर जनु पसन भसन हानी।।
नमन सूझ नकहॊ सुनइ न काना। ककह न सकइ कछु असत अकुराना।।
याभ प्रफोधु कीन्ह फहु बाॉसत। तदवऩ होसत नकहॊ सीतसर छाती।।
जतन अनेक साथ कहत कीन्हे । उसचत उतय यघुनॊदन दीन्हे ।।
भेकट जाइ नकहॊ याभ यजाई। ककठन कयभ गसत कछु न फसाई।।
याभ रिन ससम ऩद ससरु नाई। कपये उ फसनक ष्जसभ भूय गवाॉई।।
दो0–यथ हाॉकेउ हम याभ तन हे रय हे रय कहकहनाकहॊ ।
दे ष्ि सनषाद वफषादफस धुनकहॊ सीस ऩसछताकहॊ ।।99।।
–*–*–
जासु वफमोग वफकर ऩसु ऐसे। प्रजा भातु वऩतु ष्जइहकहॊ कैसईऄ।।
फयफस याभ सुभॊत्रु ऩठाए। सुयसरय तीय आऩु तफ आए।।
भागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हाय भयभु भईआ जाना।।

170
चयन कभर यज कहुॉ सफु कहई। भानुष कयसन भूरय कछु अहई।।
छुअत ससरा बइ नारय सुहाई। ऩाहन तईऄ न काठ ककठनाई।।
तयसनउ भुसन घरयसन होइ जाई। फाट ऩयइ भोरय नाव उड़ाई।।
एकहॊ प्रसतऩारउॉ सफु ऩरयवारू। नकहॊ जानउॉ कछु अउय कफारू।।
जौ प्रबु ऩाय अवसस गा चहहू। भोकह ऩद ऩदभ
ु ऩिायन कहहू।।
छॊ 0-ऩद कभर धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतयाई चहं।
भोकह याभ याउरय आन दसयथ सऩथ सफ साची कहं।।
फरु तीय भायहुॉ रिनु ऩै जफ रसग न ऩाम ऩिारयहं।
तफ रसग न तुरसीदास नाथ कृ ऩार ऩारु उतारयहं।।
सो0-सुसन केफट के फैन प्रेभ रऩेटे अटऩटे ।
वफहसे करुनाऐन सचतइ जानकी रिन तन।।100।।
कृ ऩाससॊधु फोरे भुसुकाई। सोइ करु जईऄकह तव नाव न जाई।।
वेसग आनु जर ऩाम ऩिारू। होत वफरॊफु उतायकह ऩारू।।
जासु नाभ सुभयत एक फाया। उतयकहॊ नय बवससॊधु अऩाया।।
सोइ कृ ऩारु केवटकह सनहोया। जेकहॊ जगु ककम सतहु ऩगहु ते थोया।।
ऩद नि सनयष्ि दे वसरय हयषी। सुसन प्रबु फचन भोहॉ भसत कयषी।।
केवट याभ यजामसु ऩावा। ऩासन कठवता बरय रेइ आवा।।
असत आनॊद उभसग अनुयागा। चयन सयोज ऩिायन रागा।।
फयवष सुभन सुय सकर ससहाहीॊ। एकह सभ ऩुन्मऩुॊज कोउ नाहीॊ।।
दो0-ऩद ऩिारय जरु ऩान करय आऩु सकहत ऩरयवाय।
वऩतय ऩारु करय प्रबुकह ऩुसन भुकदत गमउ रेइ ऩाय।।101।।
–*–*–
उतरय ठाड़ बए सुयसरय ये ता। सीमयाभ गुह रिन सभेता।।
केवट उतरय दॊ डवत कीन्हा। प्रबुकह सकुच एकह नकहॊ कछु दीन्हा।।
वऩम कहम की ससम जानसनहायी। भसन भुदयी भन भुकदत उतायी।।
कहे उ कृ ऩार रेकह उतयाई। केवट चयन गहे अकुराई।।
नाथ आजु भईआ काह न ऩावा। सभटे दोष दि
ु दारयद दावा।।
फहुत कार भईआ कीष्न्ह भजूयी। आजु दीन्ह वफसध फसन बसर बूयी।।
अफ कछु नाथ न चाकहअ भोयईऄ । दीनदमार अनुग्रह तोयईऄ ।।
कपयती फाय भोकह जे दे फा। सो प्रसाद ु भईआ ससय धरय रेफा।।
दो0- फहुत कीन्ह प्रबु रिन ससमॉ नकहॊ कछु केवटु रेइ।
वफदा कीन्ह करुनामतन बगसत वफभर फरु दे इ।।102।।
–*–*–

171
तफ भज्जनु करय यघुकुरनाथा। ऩूष्ज ऩायसथव नामउ भाथा।।
ससमॉ सुयसरयकह कहे उ कय जोयी। भातु भनोयथ ऩुयउवफ भोयी।।
ऩसत दे वय सॊग कुसर फहोयी। आइ कयं जेकहॊ ऩूजा तोयी।।
सुसन ससम वफनम प्रेभ यस सानी। बइ तफ वफभर फारय फय फानी।।
सुनु यघुफीय वप्रमा फैदेही। तव प्रबाउ जग वफकदत न केही।।
रोकऩ होकहॊ वफरोकत तोयईऄ । तोकह सेवकहॊ सफ सससध कय जोयईऄ ।।
तुम्ह जो हभकह फकड़ वफनम सुनाई। कृ ऩा कीष्न्ह भोकह दीष्न्ह फड़ाई।।
तदवऩ दे वफ भईआ दे वफ असीसा। सपर होऩन कहत सनज फागीसा।।
दो0-प्राननाथ दे वय सकहत कुसर कोसरा आइ।
ऩूजकह सफ भनकाभना सुजसु यकहकह जग छाइ।।103।।
–*–*–
गॊग फचन सुसन भॊगर भूरा। भुकदत सीम सुयसरय अनुकुरा।।
तफ प्रबु गुहकह कहे उ घय जाहू। सुनत सूि भुिु बा उय दाहू।।
दीन फचन गुह कह कय जोयी। वफनम सुनहु यघुकुरभसन भोयी।।
नाथ साथ यकह ऩॊथु दे िाई। करय कदन चारय चयन सेवकाई।।
जेकहॊ फन जाइ यहफ यघुयाई। ऩयनकुटी भईआ कयवफ सुहाई।।
तफ भोकह कहॉ जसस दे फ यजाई। सोइ करयहउॉ यघुफीय दोहाई।।
सहज सनेह याभ रष्ि तासु। सॊग रीन्ह गुह रृदम हुरासू।।
ऩुसन गुहॉ ग्मासत फोसर सफ रीन्हे । करय ऩरयतोषु वफदा तफ कीन्हे ।।
दो0- तफ गनऩसत ससव सुसभरय प्रबु नाइ सुयसरयकह भाथ। ì
सिा अनुज ससमा सकहत फन गवनु कीन्ह यधुनाथ।।104।।
–*–*–
तेकह कदन बमउ वफटऩ तय फासू। रिन सिाॉ सफ कीन्ह सुऩासू।।
प्रात प्रातकृ त करय यधुसाई। तीयथयाजु दीि प्रबु जाई।।
ससचव सत्म श्रध्दा वप्रम नायी। भाधव सरयस भीतु कहतकायी।।
चारय ऩदायथ बया बॉडारु। ऩुन्म प्रदे स दे स असत चारु।।
छे त्र अगभ गढ़ु गाढ़ सुहावा। सऩनेहुॉ नकहॊ प्रसतऩष्छछन्ह ऩावा।।
सेन सकर तीयथ फय फीया। करुष अनीक दरन यनधीया।।
सॊगभु ससॊहासनु सुकठ सोहा। छत्रु अिमफटु भुसन भनु भोहा।।
चवॉय जभुन अरु गॊग तयॊ गा। दे ष्ि होकहॊ दि
ु दारयद बॊगा।।
दो0- सेवकहॊ सुकृसत साधु सुसच ऩावकहॊ सफ भनकाभ।
फॊदी फेद ऩुयान गन कहकहॊ वफभर गुन ग्राभ।।105।।
–*–*–

172
को ककह सकइ प्रमाग प्रबाऊ। करुष ऩुॊज कुॊजय भृगयाऊ।।
अस तीयथऩसत दे ष्ि सुहावा। सुि सागय यघुफय सुिु ऩावा।।
ककह ससम रिनकह सिकह सुनाई। श्रीभुि तीयथयाज फड़ाई।।
करय प्रनाभु दे ित फन फागा। कहत भहातभ असत अनुयागा।।
एकह वफसध आइ वफरोकी फेनी। सुसभयत सकर सुभॊगर दे नी।।
भुकदत नहाइ कीष्न्ह ससव सेवा। ऩुष्ज जथावफसध तीयथ दे वा।।
तफ प्रबु बयद्वाज ऩकहॊ आए। कयत दॊ डवत भुसन उय राए।।
भुसन भन भोद न कछु ककह जाइ। ब्रह्मानॊद यासस जनु ऩाई।।
दो0- दीष्न्ह असीस भुनीस उय असत अनॊद ु अस जासन।
रोचन गोचय सुकृत पर भनहुॉ ककए वफसध आसन।।106।।
–*–*–
कुसर प्रस्न करय आसन दीन्हे । ऩूष्ज प्रेभ ऩरयऩूयन कीन्हे ।।
कॊद भूर पर अॊकुय नीके। कदए आसन भुसन भनहुॉ अभी के।।
सीम रिन जन सकहत सुहाए। असत रुसच याभ भूर पर िाए।।
बए वफगतश्रभ याभु सुिाये । बयव्दाज भृद ु फचन उचाये ।।
आजु सुपर तऩु तीयथ त्मागू। आजु सुपर जऩ जोग वफयागू।।
सपर सकर सुब साधन साजू। याभ तुम्हकह अवरोकत आजू।।
राब अवसध सुि अवसध न दज
ू ी। तुम्हायईऄ दयस आस सफ ऩूजी।।
अफ करय कृ ऩा दे हु फय एहू। सनज ऩद सयससज सहज सनेहू।।
दो0-कयभ फचन भन छाकड़ छरु जफ रसग जनु न तुम्हाय।
तफ रसग सुिु सऩनेहुॉ नहीॊ ककएॉ कोकट उऩचाय।।
–*–*–
सुसन भुसन फचन याभु सकुचाने। बाव बगसत आनॊद अघाने।।
तफ यघुफय भुसन सुजसु सुहावा। कोकट बाॉसत ककह सफकह सुनावा।।
सो फड सो सफ गुन गन गेहू। जेकह भुनीस तुम्ह आदय दे हू।।
भुसन यघुफीय ऩयसऩय नवहीॊ। फचन अगोचय सुिु अनुबवहीॊ।।
मह सुसध ऩाइ प्रमाग सनवासी। फटु ताऩस भुसन ससद्ध उदासी।।
बयद्वाज आश्रभ सफ आए। दे िन दसयथ सुअन सुहाए।।
याभ प्रनाभ कीन्ह सफ काहू। भुकदत बए रकह रोमन राहू।।
दे कहॊ असीस ऩयभ सुिु ऩाई। कपये सयाहत सुॊदयताई।।
दो0-याभ कीन्ह वफश्राभ सनसस प्रात प्रमाग नहाइ।
चरे सकहत ससम रिन जन भुदकदत भुसनकह ससरु नाइ।।108।।
–*–*–

173
याभ सप्रेभ कहे उ भुसन ऩाहीॊ। नाथ ककहअ हभ केकह भग जाहीॊ।।
भुसन भन वफहसस याभ सन कहहीॊ। सुगभ सकर भग तुम्ह कहुॉ अहहीॊ।।
साथ रासग भुसन ससकम फोराए। सुसन भन भुकदत ऩचासक आए।।
सफष्न्ह याभ ऩय प्रेभ अऩाया। सकर कहकह भगु दीि हभाया।।
भुसन फटु चारय सॊग तफ दीन्हे । ष्जन्ह फहु जनभ सुकृत सफ कीन्हे ।।
करय प्रनाभु रयवष आमसु ऩाई। प्रभुकदत रृदमॉ चरे यघुयाई।।
ग्राभ सनकट जफ सनकसकह जाई। दे िकह दयसु नारय नय धाई।।
होकह सनाथ जनभ परु ऩाई। कपयकह दष्ु ित भनु सॊग ऩठाई।।
दो0-वफदा ककए फटु वफनम करय कपये ऩाइ भन काभ।
उतरय नहाए जभुन जर जो सयीय सभ स्माभ।।109।।
–*–*–
सुनत तीयवासी नय नायी। धाए सनज सनज काज वफसायी।।
रिन याभ ससम सुन्दयताई। दे ष्ि कयकहॊ सनज बाग्म फड़ाई।।
असत रारसा फसकहॊ भन भाहीॊ। नाउॉ गाउॉ फूझत सकुचाहीॊ।।
जे सतन्ह भहुॉ फमवफरयध समाने। सतन्ह करय जुगुसत याभु ऩकहचाने।।
सकर कथा सतन्ह सफकह सुनाई। फनकह चरे वऩतु आमसु ऩाई।।
सुसन सवफषाद सकर ऩसछताहीॊ। यानी यामॉ कीन्ह बर नाहीॊ।।
तेकह अवसय एक ताऩसु आवा। तेजऩुॊज रघुफमस सुहावा।।
कवव अरष्ित गसत फेषु वफयागी। भन क्रभ फचन याभ अनुयागी।।
दो0-सजर नमन तन ऩुरकक सनज इिदे उ ऩकहचासन।
ऩये उ दॊ ड ष्जसभ धयसनतर दसा न जाइ फिासन।।110।।
–*–*–
याभ सप्रेभ ऩुरकक उय रावा। ऩयभ यॊ क जनु ऩायसु ऩावा।।
भनहुॉ प्रेभु ऩयभायथु दोऊ। सभरत धये तन कह सफु कोऊ।।
फहुरय रिन ऩामन्ह सोइ रागा। रीन्ह उठाइ उभसग अनुयागा।।
ऩुसन ससम चयन धूरय धरय सीसा। जनसन जासन सससु दीष्न्ह असीसा।।
कीन्ह सनषाद दॊ डवत तेही। सभरेउ भुकदत रष्ि याभ सनेही।।
वऩअत नमन ऩुट रूऩु वऩमूषा। भुकदत सुअसनु ऩाइ ष्जसभ बूिा।।
ते वऩतु भातु कहहु सष्ि कैसे। ष्जन्ह ऩठए फन फारक ऐसे।।
याभ रिन ससम रूऩु सनहायी। होकहॊ सनेह वफकर नय नायी।।
दो0-तफ यघुफीय अनेक वफसध सिकह ससिावनु दीन्ह।
याभ यजामसु सीस धरय बवन गवनु तईःइॉ कीन्ह।।111।।
–*–*–

174
ऩुसन ससमॉ याभ रिन कय जोयी। जभुनकह कीन्ह प्रनाभु फहोयी।।
चरे ससीम भुकदत दोउ बाई। यवफतनुजा कइ कयत फड़ाई।।
ऩसथक अनेक सभरकहॊ भग जाता। कहकहॊ सप्रेभ दे ष्ि दोउ र्भ्ाता।।
याज रिन सफ अॊग तुम्हायईऄ । दे ष्ि सोचु असत रृदम हभायईऄ ।।
भायग चरहु ऩमादे कह ऩाएॉ। ज्मोसतषु झूठ हभायईऄ बाएॉ।।
अगभु ऩॊथ सगरय कानन बायी। तेकह भहॉ साथ नारय सुकुभायी।।
करय केहरय फन जाइ न जोई। हभ सॉग चरकह जो आमसु होई।।
जाफ जहाॉ रसग तहॉ ऩहुॉचाई। कपयफ फहोरय तुम्हकह ससरु नाई।।
दो0-एकह वफसध ऩूॉछकहॊ प्रेभ फस ऩुरक गात जरु नैन।
कृ ऩाससॊधु पेयकह सतन्हकह ककह वफनीत भृद ु फैन।।112।।
–*–*–
जे ऩुय गाॉव फसकहॊ भग भाहीॊ। सतन्हकह नाग सुय नगय ससहाहीॊ।।
केकह सुकृतीॊ केकह घयीॊ फसाए। धन्म ऩुन्मभम ऩयभ सुहाए।।
जहॉ जहॉ याभ चयन चसर जाहीॊ। सतन्ह सभान अभयावसत नाहीॊ।।
ऩुन्मऩुॊज भग सनकट सनवासी। सतन्हकह सयाहकहॊ सुयऩुयफासी।।
जे बरय नमन वफरोककहॊ याभकह। सीता रिन सकहत घनस्माभकह।।
जे सय सरयत याभ अवगाहकहॊ । सतन्हकह दे व सय सरयत सयाहकहॊ ।।
जेकह तरु तय प्रबु फैठकहॊ जाई। कयकहॊ करऩतरु तासु फड़ाई।।
ऩयसस याभ ऩद ऩदभ
ु ऩयागा। भानसत बूसभ बूरय सनज बागा।।
दो0-छाॉह कयकह घन वफफुधगन फयषकह सुभन ससहाकहॊ ।
दे ित सगरय फन वफहग भृग याभु चरे भग जाकहॊ ।।113।।
–*–*–
सीता रिन सकहत यघुयाई। गाॉव सनकट जफ सनकसकहॊ जाई।।
सुसन सफ फार फृद्ध नय नायी। चरकहॊ तुयत गृहकाजु वफसायी।।
याभ रिन ससम रूऩ सनहायी। ऩाइ नमनपरु होकहॊ सुिायी।।
सजर वफरोचन ऩुरक सयीया। सफ बए भगन दे ष्ि दोउ फीया।।
फयसन न जाइ दसा सतन्ह केयी। रकह जनु यॊ कन्ह सुयभसन ढे यी।।
एकन्ह एक फोसर ससि दे हीॊ। रोचन राहु रेहु छन एहीॊ।।
याभकह दे ष्ि एक अनुयागे। सचतवत चरे जाकहॊ सॉग रागे।।
एक नमन भग छवफ उय आनी। होकहॊ सससथर तन भन फय फानी।।
दो0-एक दे ष्िॊ फट छाॉह बसर डासस भृदर
ु तृन ऩात।
कहकहॊ गवाॉइअ सछनुकु श्रभु गवनफ अफकहॊ कक प्रात।।114।।
–*–*–

175
एक करस बरय आनकहॊ ऩानी। अॉचइअ नाथ कहकहॊ भृद ु फानी।।
सुसन वप्रम फचन प्रीसत असत दे िी। याभ कृ ऩार सुसीर वफसेषी।।
जानी श्रसभत सीम भन भाहीॊ। घरयक वफरॊफु कीन्ह फट छाहीॊ।।
भुकदत नारय नय दे िकहॊ सोबा। रूऩ अनूऩ नमन भनु रोबा।।
एकटक सफ सोहकहॊ चहुॉ ओया। याभचॊर भुि चॊद चकोया।।
तरुन तभार फयन तनु सोहा। दे ित कोकट भदन भनु भोहा।।
दासभसन फयन रिन सुकठ नीके। नि ससि सुबग बावते जी के।।
भुसनऩट ककटन्ह कसईऄ तूनीया। सोहकहॊ कय कभसरसन धनु तीया।।
दो0-जटा भुकुट सीससन सुबग उय बुज नमन वफसार।
सयद ऩयफ वफधु फदन फय रसत स्वेद कन जार।।115।।
–*–*–
फयसन न जाइ भनोहय जोयी। सोबा फहुत थोरय भसत भोयी।।
याभ रिन ससम सुॊदयताई। सफ सचतवकहॊ सचत भन भसत राई।।
थके नारय नय प्रेभ वऩआसे। भनहुॉ भृगी भृग दे ष्ि कदआ से।।
सीम सभीऩ ग्राभसतम जाहीॊ। ऩूॉछत असत सनेहॉ सकुचाहीॊ।।
फाय फाय सफ रागकहॊ ऩाएॉ। कहकहॊ फचन भृद ु सयर सुबाएॉ।।
याजकुभारय वफनम हभ कयहीॊ। सतम सुबामॉ कछु ऩूॉछत डयहीॊ।
स्वासभसन अवफनम छभवफ हभायी। वफरगु न भानफ जासन गवाॉयी।।
याजकुअॉय दोउ सहज सरोने। इन्ह तईऄ रही दसु त भयकत सोने।।
दो0-स्माभर गौय ककसोय फय सुॊदय सुषभा ऐन।
सयद सफायीनाथ भुिु सयद सयोरुह नैन।।116।।
भासऩायामण, सोरहवाॉ ववश्राभ
नवान्हऩायामण, चौथा ववश्राभ
–*–*–
कोकट भनोज रजावसनहाये । सुभुष्ि कहहु को आकहॊ तुम्हाये ।।
सुसन सनेहभम भॊजुर फानी। सकुची ससम भन भहुॉ भुसुकानी।।
सतन्हकह वफरोकक वफरोकसत धयनी। दह
ु ुॉ सकोच सकुसचत फयफयनी।।
सकुसच सप्रेभ फार भृग नमनी। फोरी भधुय फचन वऩकफमनी।।
सहज सुबाम सुबग तन गोये । नाभु रिनु रघु दे वय भोये ।।
फहुरय फदनु वफधु अॊचर ढाॉकी। वऩम तन सचतइ बंह करय फाॉकी।।
िॊजन भॊजु सतयीछे नमनसन। सनज ऩसत कहे उ सतन्हकह ससमॉ समनसन।।
बइ भुकदत सफ ग्राभफधूटीॊ। यॊ कन्ह याम यासस जनु रूटीॊ।।
दो0-असत सप्रेभ ससम ऩामॉ ऩरय फहुवफसध दे कहॊ असीस।

176
सदा सोहासगसन होहु तुम्ह जफ रसग भकह अकह सीस।।117।।
–*–*–
ऩायफती सभ ऩसतवप्रम होहू। दे वफ न हभ ऩय छाड़फ छोहू।।
ऩुसन ऩुसन वफनम करयअ कय जोयी। जं एकह भायग कपरयअ फहोयी।।
दयसनु दे फ जासन सनज दासी। रिीॊ सीमॉ सफ प्रेभ वऩआसी।।
भधुय फचन ककह ककह ऩरयतोषीॊ। जनु कुभुकदनीॊ कौभुदीॊ ऩोषीॊ।।
तफकहॊ रिन यघुफय रुि जानी। ऩूॉछेउ भगु रोगष्न्ह भृद ु फानी।।
सुनत नारय नय बए दि
ु ायी। ऩुरककत गात वफरोचन फायी।।
सभटा भोद ु भन बए भरीने। वफसध सनसध दीन्ह रेत जनु छीने।।
सभुष्झ कयभ गसत धीयजु कीन्हा। सोसध सुगभ भगु सतन्ह ककह दीन्हा।।
दो0-रिन जानकी सकहत तफ गवनु कीन्ह यघुनाथ।
पेये सफ वप्रम फचन ककह सरए राइ भन साथ।।118।।ý
–*–*–
कपयत नारय नय असत ऩसछताहीॊ। दे अकह दोषु दे कहॊ भन भाहीॊ।।
सकहत वफषाद ऩयसऩय कहहीॊ। वफसध कयतफ उरटे सफ अहहीॊ।।
सनऩट सनयॊ कुस सनठु य सनसॊकू। जेकहॊ ससस कीन्ह सरुज सकरॊकू।।
रूि करऩतरु सागरु िाया। तेकहॊ ऩठए फन याजकुभाया।।
जं ऩे इन्हकह दीन्ह फनफासू। कीन्ह फाकद वफसध बोग वफरासू।।
ए वफचयकहॊ भग वफनु ऩदत्राना। यचे फाकद वफसध फाहन नाना।।
ए भकह ऩयकहॊ डासस कुस ऩाता। सुबग सेज कत सृजत वफधाता।।
तरुफय फास इन्हकह वफसध दीन्हा। धवर धाभ यसच यसच श्रभु कीन्हा।।
दो0-जं ए भुसन ऩट धय जकटर सुॊदय सुकठ सुकुभाय।
वफवफध बाॉसत बूषन फसन फाकद ककए कयताय।।119।।
–*–*–
जं ए कॊद भूर पर िाहीॊ। फाकद सुधाकद असन जग भाहीॊ।।
एक कहकहॊ ए सहज सुहाए। आऩु प्रगट बए वफसध न फनाए।।
जहॉ रसग फेद कही वफसध कयनी। श्रवन नमन भन गोचय फयनी।।
दे िहु िोष्ज बुअन दस चायी। कहॉ अस ऩुरुष कहाॉ असस नायी।।
इन्हकह दे ष्ि वफसध भनु अनुयागा। ऩटतय जोग फनावै रागा।।
कीन्ह फहुत श्रभ ऐक न आए। तेकहॊ इरयषा फन आसन दयु ाए।।
एक कहकहॊ हभ फहुत न जानकहॊ । आऩुकह ऩयभ धन्म करय भानकहॊ ।।
ते ऩुसन ऩुन्मऩुॊज हभ रेिे। जे दे िकहॊ दे ष्िहकहॊ ष्जन्ह दे िे।।
दो0-एकह वफसध ककह ककह फचन वप्रम रेकहॊ नमन बरय नीय।

177
ककसभ चसरहकह भायग अगभ सुकठ सुकुभाय सयीय।।120।।
–*–*–
नारय सनेह वफकर फस होहीॊ। चकई साॉझ सभम जनु सोहीॊ।।
भृद ु ऩद कभर ककठन भगु जानी। गहफरय रृदमॉ कहकहॊ फय फानी।।
ऩयसत भृदर
ु चयन अरुनाये । सकुचसत भकह ष्जसभ रृदम हभाये ।।
जं जगदीस इन्हकह फनु दीन्हा। कस न सुभनभम भायगु कीन्हा।।
जं भागा ऩाइअ वफसध ऩाहीॊ। ए यष्िअकहॊ सष्ि आॉष्िन्ह भाहीॊ।।
जे नय नारय न अवसय आए। सतन्ह ससम याभु न दे िन ऩाए।।
सुसन सुरुऩ फूझकहॊ अकुराई। अफ रसग गए कहाॉ रसग बाई।।
सभयथ धाइ वफरोककहॊ जाई। प्रभुकदत कपयकहॊ जनभपरु ऩाई।।
दो0-अफरा फारक फृद्ध जन कय भीजकहॊ ऩसछताकहॊ ।।
होकहॊ प्रेभफस रोग इसभ याभु जहाॉ जहॉ जाकहॊ ।।121।।
–*–*–
गाॉव गाॉव अस होइ अनॊद।ू दे ष्ि बानुकुर कैयव चॊद।ू ।
जे कछु सभाचाय सुसन ऩावकहॊ । ते नृऩ यासनकह दोसु रगावकहॊ ।।
कहकहॊ एक असत बर नयनाहू। दीन्ह हभकह जोइ रोचन राहू।।
कहकहॊ ऩयस्ऩय रोग रोगाईं। फातईऄ सयर सनेह सुहाईं।।
ते वऩतु भातु धन्म ष्जन्ह जाए। धन्म सो नगरु जहाॉ तईऄ आए।।
धन्म सो दे सु सैरु फन गाऊॉ। जहॉ जहॉ जाकहॊ धन्म सोइ ठाऊॉ।।
सुि ऩामउ वफयॊ सच यसच तेही। ए जेकह के सफ बाॉसत सनेही।।
याभ रिन ऩसथ कथा सुहाई। यही सकर भग कानन छाई।।
दो0-एकह वफसध यघुकुर कभर यवफ भग रोगन्ह सुि दे त।
जाकहॊ चरे दे ित वफवऩन ससम सौसभवत्र सभेत।।122।।
–*–*–
आगे याभु रिनु फने ऩाछईऄ । ताऩस फेष वफयाजत काछईऄ ।।
उबम फीच ससम सोहसत कैसे। ब्रह्म जीव वफच भामा जैसे।।
फहुरय कहउॉ छवफ जसस भन फसई। जनु भधु भदन भध्म यसत रसई।।
उऩभा फहुरय कहउॉ ष्जमॉ जोही। जनु फुध वफधु वफच योकहसन सोही।।
प्रबु ऩद ये ि फीच वफच सीता। धयसत चयन भग चरसत सबीता।।
सीम याभ ऩद अॊक फयाएॉ। रिन चरकहॊ भगु दाकहन राएॉ।।
याभ रिन ससम प्रीसत सुहाई। फचन अगोचय ककसभ ककह जाई।।
िग भृग भगन दे ष्ि छवफ होहीॊ। सरए चोरय सचत याभ फटोहीॊ।।
दो0-ष्जन्ह ष्जन्ह दे िे ऩसथक वप्रम ससम सभेत दोउ बाइ।

178
बव भगु अगभु अनॊद ु तेइ वफनु श्रभ यहे ससयाइ।।123।।
–*–*–
अजहुॉ जासु उय सऩनेहुॉ काऊ। फसहुॉ रिनु ससम याभु फटाऊ।।
याभ धाभ ऩथ ऩाइकह सोई। जो ऩथ ऩाव कफहुॉ भुसन कोई।।
तफ यघुफीय श्रसभत ससम जानी। दे ष्ि सनकट फटु सीतर ऩानी।।
तहॉ फसस कॊद भूर पर िाई। प्रात नहाइ चरे यघुयाई।।
दे ित फन सय सैर सुहाए। फारभीकक आश्रभ प्रबु आए।।
याभ दीि भुसन फासु सुहावन। सुॊदय सगरय काननु जरु ऩावन।।
सयसन सयोज वफटऩ फन पूरे। गुॊजत भॊजु भधुऩ यस बूरे।।
िग भृग वफऩुर कोराहर कयहीॊ। वफयकहत फैय भुकदत भन चयहीॊ।।
दो0-सुसच सुॊदय आश्रभु सनयष्ि हयषे याष्जवनेन।
सुसन यघुफय आगभनु भुसन आगईऄ आमउ रेन।।124।।
–*–*–
भुसन कहुॉ याभ दॊ डवत कीन्हा। आससयफाद ु वफप्रफय दीन्हा।।
दे ष्ि याभ छवफ नमन जुड़ाने। करय सनभानु आश्रभकहॊ आने।।
भुसनफय असतसथ प्रानवप्रम ऩाए। कॊद भूर पर भधुय भगाए।।
ससम सौसभवत्र याभ पर िाए। तफ भुसन आश्रभ कदए सुहाए।।
फारभीकक भन आनॉद ु बायी। भॊगर भूयसत नमन सनहायी।।
तफ कय कभर जोरय यघुयाई। फोरे फचन श्रवन सुिदाई।।
तुम्ह वत्रकार दयसी भुसननाथा। वफस्व फदय ष्जसभ तुम्हयईऄ हाथा।।
अस ककह प्रबु सफ कथा फिानी। जेकह जेकह बाॉसत दीन्ह फनु यानी।।
दो0-तात फचन ऩुसन भातु कहत बाइ बयत अस याउ।
भो कहुॉ दयस तुम्हाय प्रबु सफु भभ ऩुन्म प्रबाउ।।125।।
–*–*–
दे ष्ि ऩाम भुसनयाम तुम्हाये । बए सुकृत सफ सुपर हभाये ।।
अफ जहॉ याउय आमसु होई। भुसन उदफेगु न ऩावै कोई।।
भुसन ताऩस ष्जन्ह तईऄ दि
ु ु रहहीॊ। ते नये स वफनु ऩावक दहहीॊ।।
भॊगर भूर वफप्र ऩरयतोषू। दहइ कोकट कुर बूसुय योषू।।
अस ष्जमॉ जासन ककहअ सोइ ठाऊॉ। ससम सौसभवत्र सकहत जहॉ जाऊॉ।।
तहॉ यसच रुसचय ऩयन तृन सारा। फासु कयौ कछु कार कृ ऩारा।।
सहज सयर सुसन यघुफय फानी। साधु साधु फोरे भुसन ग्मानी।।
कस न कहहु अस यघुकुरकेतू। तुम्ह ऩारक सॊतत श्रुसत सेतू।।
छॊ 0-श्रुसत सेतु ऩारक याभ तुम्ह जगदीस भामा जानकी।

179
जो सृजसत जगु ऩारसत हयसत रूि ऩाइ कृ ऩासनधान की।।
जो सहससीसु अहीसु भकहधरु रिनु सचयाचय धनी।
सुय काज धरय नययाज तनु चरे दरन िर सनससचय अनी।।
सो0-याभ सरुऩ तुम्हाय फचन अगोचय फुवद्धऩय।
अवफगत अकथ अऩाय नेसत सनत सनगभ कह।।126।।
जगु ऩेिन तुम्ह दे िसनहाये । वफसध हरय सॊबु नचावसनहाये ।।
तेउ न जानकहॊ भयभु तुम्हाया। औरु तुम्हकह को जानसनहाया।।
सोइ जानइ जेकह दे हु जनाई। जानत तुम्हकह तुम्हइ होइ जाई।।
तुम्हरयकह कृ ऩाॉ तुम्हकह यघुनॊदन। जानकहॊ बगत बगत उय चॊदन।।
सचदानॊदभम दे ह तुम्हायी। वफगत वफकाय जान असधकायी।।
नय तनु धये हु सॊत सुय काजा। कहहु कयहु जस प्राकृ त याजा।।
याभ दे ष्ि सुसन चरयत तुम्हाये । जड़ भोहकहॊ फुध होकहॊ सुिाये ।।
तुम्ह जो कहहु कयहु सफु साॉचा। जस कासछअ तस चाकहअ नाचा।।
दो0-ऩूॉछेहु भोकह कक यहं कहॉ भईआ ऩूॉछत सकुचाउॉ ।
जहॉ न होहु तहॉ दे हु ककह तुम्हकह दे िावं ठाउॉ ।।127।।
–*–*–
सुसन भुसन फचन प्रेभ यस साने। सकुसच याभ भन भहुॉ भुसुकाने।।
फारभीकक हॉ सस कहकहॊ फहोयी। फानी भधुय असभअ यस फोयी।।
सुनहु याभ अफ कहउॉ सनकेता। जहाॉ फसहु ससम रिन सभेता।।
ष्जन्ह के श्रवन सभुर सभाना। कथा तुम्हारय सुबग सरय नाना।।
बयकहॊ सनयॊ तय होकहॊ न ऩूये। सतन्ह के कहम तुम्ह कहुॉ गृह रूये ।।
रोचन चातक ष्जन्ह करय यािे। यहकहॊ दयस जरधय असबराषे।।
सनदयकहॊ सरयत ससॊधु सय बायी। रूऩ वफॊद ु जर होकहॊ सुिायी।।
सतन्ह के रृदम सदन सुिदामक। फसहु फॊधु ससम सह यघुनामक।।
दो0-जसु तुम्हाय भानस वफभर हॊ सससन जीहा जासु।
भुकुताहर गुन गन चुनइ याभ फसहु कहमॉ तासु।।128।।
–*–*–
प्रबु प्रसाद सुसच सुबग सुफासा। सादय जासु रहइ सनत नासा।।
तुम्हकह सनफेकदत बोजन कयहीॊ। प्रबु प्रसाद ऩट बूषन धयहीॊ।।
सीस नवकहॊ सुय गुरु कद्वज दे िी। प्रीसत सकहत करय वफनम वफसेषी।।
कय सनत कयकहॊ याभ ऩद ऩूजा। याभ बयोस रृदमॉ नकह दज
ू ा।।
चयन याभ तीयथ चसर जाहीॊ। याभ फसहु सतन्ह के भन भाहीॊ।।
भॊत्रयाजु सनत जऩकहॊ तुम्हाया। ऩूजकहॊ तुम्हकह सकहत ऩरयवाया।।

180
तयऩन होभ कयकहॊ वफसध नाना। वफप्र जेवाॉइ दे कहॊ फहु दाना।।
तुम्ह तईऄ असधक गुयकह ष्जमॉ जानी। सकर बामॉ सेवकहॊ सनभानी।।
दो0-सफु करय भागकहॊ एक परु याभ चयन यसत होउ।
सतन्ह कईऄ भन भॊकदय फसहु ससम यघुनॊदन दोउ।।129।।
–*–*–
काभ कोह भद भान न भोहा। रोब न छोब न याग न रोहा।।
ष्जन्ह कईऄ कऩट दॊ ब नकहॊ भामा। सतन्ह कईऄ रृदम फसहु यघुयामा।।
सफ के वप्रम सफ के कहतकायी। दि
ु सुि सरयस प्रसॊसा गायी।।
कहकहॊ सत्म वप्रम फचन वफचायी। जागत सोवत सयन तुम्हायी।।
तुम्हकह छाकड़ गसत दस
ू रय नाहीॊ। याभ फसहु सतन्ह के भन भाहीॊ।।
जननी सभ जानकहॊ ऩयनायी। धनु ऩयाव वफष तईऄ वफष बायी।।
जे हयषकहॊ ऩय सॊऩसत दे िी। दष्ु ित होकहॊ ऩय वफऩसत वफसेषी।।
ष्जन्हकह याभ तुम्ह प्रानवऩआये । सतन्ह के भन सुब सदन तुम्हाये ।।
दो0-स्वासभ सिा वऩतु भातु गुय ष्जन्ह के सफ तुम्ह तात।
भन भॊकदय सतन्ह कईऄ फसहु सीम सकहत दोउ र्भ्ात।।130।।
–*–*–
अवगुन तष्ज सफ के गुन गहहीॊ। वफप्र धेनु कहत सॊकट सहहीॊ।।
नीसत सनऩुन ष्जन्ह कइ जग रीका। घय तुम्हाय सतन्ह कय भनु नीका।।
गुन तुम्हाय सभुझइ सनज दोसा। जेकह सफ बाॉसत तुम्हाय बयोसा।।
याभ बगत वप्रम रागकहॊ जेही। तेकह उय फसहु सकहत फैदेही।।
जासत ऩाॉसत धनु धयभ फड़ाई। वप्रम ऩरयवाय सदन सुिदाई।।
सफ तष्ज तुम्हकह यहइ उय राई। तेकह के रृदमॉ यहहु यघुयाई।।
सयगु नयकु अऩफयगु सभाना। जहॉ तहॉ दे ि धयईऄ धनु फाना।।
कयभ फचन भन याउय चेया। याभ कयहु तेकह कईऄ उय डे या।।
दो0-जाकह न चाकहअ कफहुॉ कछु तुम्ह सन सहज सनेहु।
फसहु सनयॊ तय तासु भन सो याउय सनज गेहु।।131।।
–*–*–
एकह वफसध भुसनफय बवन दे िाए। फचन सप्रेभ याभ भन बाए।।
कह भुसन सुनहु बानुकुरनामक। आश्रभ कहउॉ सभम सुिदामक।।
सचत्रकूट सगरय कयहु सनवासू। तहॉ तुम्हाय सफ बाॉसत सुऩासू।।
सैरु सुहावन कानन चारू। करय केहरय भृग वफहग वफहारू।।
नदी ऩुनीत ऩुयान फिानी। अवत्रवप्रमा सनज तऩफर आनी।।
सुयसरय धाय नाउॉ भॊदाककसन। जो सफ ऩातक ऩोतक डाककसन।।

181
अवत्र आकद भुसनफय फहु फसहीॊ। कयकहॊ जोग जऩ तऩ तन कसहीॊ।।
चरहु सपर श्रभ सफ कय कयहू। याभ दे हु गौयव सगरयफयहू।।
दो0-सचत्रकूट भकहभा असभत कहीॊ भहाभुसन गाइ।
आए नहाए सरयत फय ससम सभेत दोउ बाइ।।132।।
–*–*–
यघुफय कहे उ रिन बर घाटू । कयहु कतहुॉ अफ ठाहय ठाटू ।।
रिन दीि ऩम उतय कयाया। चहुॉ कदसस कपये उ धनुष ष्जसभ नाया।।
नदी ऩनच सय सभ दभ दाना। सकर करुष कसर साउज नाना।।
सचत्रकूट जनु अचर अहे यी। चुकइ न घात भाय भुठबेयी।।
अस ककह रिन ठाउॉ दे ियावा। थरु वफरोकक यघुफय सुिु ऩावा।।
यभेउ याभ भनु दे वन्ह जाना। चरे सकहत सुय थऩसत प्रधाना।।
कोर ककयात फेष सफ आए। यचे ऩयन तृन सदन सुहाए।।
फयसन न जाकह भॊजु दइ
ु सारा। एक रसरत रघु एक वफसारा।।
दो0-रिन जानकी सकहत प्रबु याजत रुसचय सनकेत।
सोह भदनु भुसन फेष जनु यसत रयतुयाज सभेत।।133।।
भासऩायामण, सत्रहॉ वा ववश्राभ
–*–*–
अभय नाग ककॊनय कदससऩारा। सचत्रकूट आए तेकह कारा।।
याभ प्रनाभु कीन्ह सफ काहू। भुकदत दे व रकह रोचन राहू।।
फयवष सुभन कह दे व सभाजू। नाथ सनाथ बए हभ आजू।।
करय वफनती दि
ु दस
ु ह सुनाए। हयवषत सनज सनज सदन ससधाए।।
सचत्रकूट यघुनॊदनु छाए। सभाचाय सुसन सुसन भुसन आए।।
आवत दे ष्ि भुकदत भुसनफृॊदा। कीन्ह दॊ डवत यघुकुर चॊदा।।
भुसन यघुफयकह राइ उय रेहीॊ। सुपर होन कहत आससष दे हीॊ।।
ससम सौसभत्र याभ छवफ दे िकहॊ । साधन सकर सपर करय रेिकहॊ ।।
दो0-जथाजोग सनभासन प्रबु वफदा ककए भुसनफृॊद।
कयकह जोग जऩ जाग तऩ सनज आश्रभष्न्ह सुछॊद।।134।।
–*–*–
मह सुसध कोर ककयातन्ह ऩाई। हयषे जनु नव सनसध घय आई।।
कॊद भूर पर बरय बरय दोना। चरे यॊ क जनु रूटन सोना।।
सतन्ह भहॉ ष्जन्ह दे िे दोउ र्भ्ाता। अऩय सतन्हकह ऩूॉछकह भगु जाता।।
कहत सुनत यघुफीय सनकाई। आइ सफष्न्ह दे िे यघुयाई।।
कयकहॊ जोहारु बईऄट धरय आगे। प्रबुकह वफरोककहॊ असत अनुयागे।।

182
सचत्र सरिे जनु जहॉ तहॉ ठाढ़े । ऩुरक सयीय नमन जर फाढ़े ।।
याभ सनेह भगन सफ जाने। ककह वप्रम फचन सकर सनभाने।।
प्रबुकह जोहारय फहोरय फहोयी। फचन वफनीत कहकहॊ कय जोयी।।
दो0-अफ हभ नाथ सनाथ सफ बए दे ष्ि प्रबु ऩाम।
बाग हभाये आगभनु याउय कोसरयाम।।135।।
–*–*–
धन्म बूसभ फन ऩॊथ ऩहाया। जहॉ जहॉ नाथ ऩाउ तुम्ह धाया।।
धन्म वफहग भृग काननचायी। सपर जनभ बए तुम्हकह सनहायी।।
हभ सफ धन्म सकहत ऩरयवाया। दीि दयसु बरय नमन तुम्हाया।।
कीन्ह फासु बर ठाउॉ वफचायी। इहाॉ सकर रयतु यहफ सुिायी।।
हभ सफ बाॉसत कयफ सेवकाई। करय केहरय अकह फाघ फयाई।।
फन फेहड़ सगरय कॊदय िोहा। सफ हभाय प्रबु ऩग ऩग जोहा।।
तहॉ तहॉ तुम्हकह अहे य िेराउफ। सय सनयझय जरठाउॉ दे िाउफ।।
हभ सेवक ऩरयवाय सभेता। नाथ न सकुचफ आमसु दे ता।।
दो0-फेद फचन भुसन भन अगभ ते प्रबु करुना ऐन।
फचन ककयातन्ह के सुनत ष्जसभ वऩतु फारक फैन।।136।।
–*–*–
याभकह केवर प्रेभु वऩआया। जासन रेउ जो जानसनहाया।।
याभ सकर फनचय तफ तोषे। ककह भृद ु फचन प्रेभ ऩरयऩोषे।।
वफदा ककए ससय नाइ ससधाए। प्रबु गुन कहत सुनत घय आए।।
एकह वफसध ससम सभेत दोउ बाई। फसकहॊ वफवऩन सुय भुसन सुिदाई।।
जफ ते आइ यहे यघुनामकु। तफ तईऄ बमउ फनु भॊगरदामकु।।
पूरकहॊ परकहॊ वफटऩ वफसध नाना।।भॊजु फसरत फय फेसर वफताना।।
सुयतरु सरयस सुबामॉ सुहाए। भनहुॉ वफफुध फन ऩरयहरय आए।।
गॊज भॊजुतय भधुकय श्रेनी। वत्रवफध फमारय फहइ सुि दे नी।।
दो0-नीरकॊठ करकॊठ सुक चातक चक्क चकोय।
बाॉसत बाॉसत फोरकहॊ वफहग श्रवन सुिद सचत चोय।।137।।
–*–*–
केरय केहरय कवऩ कोर कुयॊ गा। वफगतफैय वफचयकहॊ सफ सॊगा।।
कपयत अहे य याभ छवफ दे िी। होकहॊ भुकदत भृगफॊद वफसेषी।।
वफफुध वफवऩन जहॉ रसग जग भाहीॊ। दे ष्ि याभ फनु सकर ससहाहीॊ।।
सुयसरय सयसइ कदनकय कन्मा। भेकरसुता गोदावरय धन्मा।।
सफ सय ससॊधु नदी नद नाना। भॊदाककसन कय कयकहॊ फिाना।।

183
उदम अस्त सगरय अरु कैरासू। भॊदय भेरु सकर सुयफासू।।
सैर कहभाचर आकदक जेते। सचत्रकूट जसु गावकहॊ तेते।।
वफॊसध भुकदत भन सुिु न सभाई। श्रभ वफनु वफऩुर फड़ाई ऩाई।।
दो0-सचत्रकूट के वफहग भृग फेसर वफटऩ तृन जासत।
ऩुन्म ऩुॊज सफ धन्म अस कहकहॊ दे व कदन यासत।।138।।
–*–*–
नमनवॊत यघुफयकह वफरोकी। ऩाइ जनभ पर होकहॊ वफसोकी।।
ऩयसस चयन यज अचय सुिायी। बए ऩयभ ऩद के असधकायी।।
सो फनु सैरु सुबामॉ सुहावन। भॊगरभम असत ऩावन ऩावन।।
भकहभा ककहअ कवसन वफसध तासू। सुिसागय जहॉ कीन्ह सनवासू।।
ऩम ऩमोसध तष्ज अवध वफहाई। जहॉ ससम रिनु याभु यहे आई।।
ककह न सककहॊ सुषभा जसस कानन। जं सत सहस हंकहॊ सहसानन।।
सो भईआ फयसन कहं वफसध केहीॊ। डाफय कभठ कक भॊदय रेहीॊ।।
सेवकहॊ रिनु कयभ भन फानी। जाइ न सीरु सनेहु फिानी।।
दो0–सछनु सछनु रष्ि ससम याभ ऩद जासन आऩु ऩय नेहु।
कयत न सऩनेहुॉ रिनु सचतु फॊधु भातु वऩतु गेहु।।139।।
–*–*–
याभ सॊग ससम यहसत सुिायी। ऩुय ऩरयजन गृह सुयसत वफसायी।।
सछनु सछनु वऩम वफधु फदनु सनहायी। प्रभुकदत भनहुॉ चकोयकुभायी।।
नाह नेहु सनत फढ़त वफरोकी। हयवषत यहसत कदवस ष्जसभ कोकी।।
ससम भनु याभ चयन अनुयागा। अवध सहस सभ फनु वप्रम रागा।।
ऩयनकुटी वप्रम वप्रमतभ सॊगा। वप्रम ऩरयवारु कुयॊ ग वफहॊ गा।।
सासु ससुय सभ भुसनसतम भुसनफय। असनु असभअ सभ कॊद भूर पय।।
नाथ साथ साॉथयी सुहाई। भमन समन सम सभ सुिदाई।।
रोकऩ होकहॊ वफरोकत जासू। तेकह कक भोकह सक वफषम वफरासू।।
दो0–सुसभयत याभकह तजकहॊ जन तृन सभ वफषम वफरासु।
याभवप्रमा जग जनसन ससम कछु न आचयजु तासु।।140।।
–*–*–
सीम रिन जेकह वफसध सुिु रहहीॊ। सोइ यघुनाथ कयकह सोइ कहहीॊ।।
कहकहॊ ऩुयातन कथा कहानी। सुनकहॊ रिनु ससम असत सुिु भानी।
जफ जफ याभु अवध सुसध कयहीॊ। तफ तफ फारय वफरोचन बयहीॊ।।
सुसभरय भातु वऩतु ऩरयजन बाई। बयत सनेहु सीरु सेवकाई।।
कृ ऩाससॊधु प्रबु होकहॊ दि
ु ायी। धीयजु धयकहॊ कुसभउ वफचायी।।

184
रष्ि ससम रिनु वफकर होइ जाहीॊ। ष्जसभ ऩुरुषकह अनुसय ऩरयछाहीॊ।।
वप्रमा फॊधु गसत रष्ि यघुनॊदनु। धीय कृ ऩार बगत उय चॊदनु।।
रगे कहन कछु कथा ऩुनीता। सुसन सुिु रहकहॊ रिनु अरु सीता।।
दो0-याभु रिन सीता सकहत सोहत ऩयन सनकेत।
ष्जसभ फासव फस अभयऩुय सची जमॊत सभेत।।141।।
–*–*–
जोगवकहॊ प्रबु ससम रिनकहॊ कैसईऄ। ऩरक वफरोचन गोरक जैसईऄ।।
सेवकहॊ रिनु सीम यघुफीयकह। ष्जसभ अवफफेकी ऩुरुष सयीयकह।।
एकह वफसध प्रबु फन फसकहॊ सुिायी। िग भृग सुय ताऩस कहतकायी।।
कहे उॉ याभ फन गवनु सुहावा। सुनहु सुभॊत्र अवध ष्जसभ आवा।।
कपये उ सनषाद ु प्रबुकह ऩहुॉचाई। ससचव सकहत यथ दे िेसस आई।।
भॊत्री वफकर वफरोकक सनषाद।ू ककह न जाइ जस बमउ वफषाद।ू ।
याभ याभ ससम रिन ऩुकायी। ऩये उ धयसनतर ब्माकुर बायी।।
दे ष्ि दष्िन कदसस हम कहकहनाहीॊ। जनु वफनु ऩॊि वफहग अकुराहीॊ।।
दो0-नकहॊ तृन चयकहॊ वऩअकहॊ जरु भोचकहॊ रोचन फारय।
ब्माकुर बए सनषाद सफ यघुफय फाष्ज सनहारय।।142।।
–*–*–
धरय धीयज तफ कहइ सनषाद।ू अफ सुभॊत्र ऩरयहयहु वफषाद।ू ।
तुम्ह ऩॊकडत ऩयभायथ ग्माता। धयहु धीय रष्ि वफभुि वफधाता
वफवफध कथा ककह ककह भृद ु फानी। यथ फैठाये उ फयफस आनी।।
सोक सससथर यथ सकइ न हाॉकी। यघुफय वफयह ऩीय उय फाॉकी।।
चयपयाकहॉ भग चरकहॊ न घोये । फन भृग भनहुॉ आसन यथ जोये ।।
अढ़ु कक ऩयकहॊ कपरय हे यकहॊ ऩीछईऄ । याभ वफमोसग वफकर दि
ु तीछईऄ ।।
जो कह याभु रिनु फैदेही। कहॊ करय कहॊ करय कहत हे यकहॊ तेही।।
फाष्ज वफयह गसत ककह ककसभ जाती। वफनु भसन पसनक वफकर जेकह बाॉती।।
दो0-बमउ सनषाद वफषादफस दे ित ससचव तुयॊग।
फोसर सुसेवक चारय तफ कदए सायथी सॊग।।143।।
–*–*–
गुह सायसथकह कपये उ ऩहुॉचाई। वफयहु वफषाद ु फयसन नकहॊ जाई।।
चरे अवध रेइ यथकह सनषादा। होकह छनकहॊ छन भगन वफषादा।।
सोच सुभॊत्र वफकर दि
ु दीना। सधग जीवन यघुफीय वफहीना।।
यकहकह न अॊतहुॉ अधभ सयीरू। जसु न रहे उ वफछुयत यघुफीरू।।
बए अजस अघ बाजन प्राना। कवन हे तु नकहॊ कयत ऩमाना।।

185
अहह भॊद भनु अवसय चूका। अजहुॉ न रृदम होत दइ
ु टू का।।
भीष्ज हाथ ससरु धुसन ऩसछताई। भनहॉ कृ ऩन धन यासस गवाॉई।।
वफरयद फाॉसध फय फीरु कहाई। चरेउ सभय जनु सुबट ऩयाई।।
दो0-वफप्र वफफेकी फेदवफद सॊभत साधु सुजासत।
ष्जसभ धोिईऄ भदऩान कय ससचव सोच तेकह बाॉसत।।144।।
–*–*–
ष्जसभ कुरीन सतम साधु समानी। ऩसतदे वता कयभ भन फानी।।
यहै कयभ फस ऩरयहरय नाहू। ससचव रृदमॉ सतसभ दारुन दाहु।।
रोचन सजर डीकठ बइ थोयी। सुनइ न श्रवन वफकर भसत बोयी।।
सूिकहॊ अधय रासग भुहॉ राटी। ष्जउ न जाइ उय अवसध कऩाटी।।
वफफयन बमउ न जाइ सनहायी। भाये सस भनहुॉ वऩता भहतायी।।
हासन गरासन वफऩुर भन ब्माऩी। जभऩुय ऩॊथ सोच ष्जसभ ऩाऩी।।
फचनु न आव रृदमॉ ऩसछताई। अवध काह भईआ दे िफ जाई।।
याभ यकहत यथ दे ष्िकह जोई। सकुसचकह भोकह वफरोकत सोई।।
दो0–धाइ ऩूॉसछहकहॊ भोकह जफ वफकर नगय नय नारय।
उतरु दे फ भईआ सफकह तफ रृदमॉ फज्रु फैठारय।।145।।
–*–*–
ऩुसछहकहॊ दीन दष्ु ित सफ भाता। कहफ काह भईआ सतन्हकह वफधाता।।
ऩूसछकह जफकहॊ रिन भहतायी। ककहहउॉ कवन सॉदेस सुिायी।।
याभ जनसन जफ आइकह धाई। सुसभरय फछछु ष्जसभ धेनु रवाई।।
ऩूॉछत उतरु दे फ भईआ तेही। गे फनु याभ रिनु फैदेही।।
जोइ ऩूॉसछकह तेकह ऊतरु दे फा।जाइ अवध अफ महु सुिु रेफा।।
ऩूॉसछकह जफकहॊ याउ दि
ु दीना। ष्जवनु जासु यघुनाथ अधीना।।
दे हउॉ उतरु कौनु भुहु राई। आमउॉ कुसर कुअॉय ऩहुॉचाई।।
सुनत रिन ससम याभ सॉदेसू। तृन ष्जसभ तनु ऩरयहरयकह नये सू।।
दो0–ह्रदउ न वफदये उ ऩॊक ष्जसभ वफछुयत प्रीतभु नीरु।।
जानत हं भोकह दीन्ह वफसध महु जातना सयीरु।।146।।
–*–*–
एकह वफसध कयत ऩॊथ ऩसछतावा। तभसा तीय तुयत यथु आवा।।
वफदा ककए करय वफनम सनषादा। कपये ऩामॉ ऩरय वफकर वफषादा।।
ऩैठत नगय ससचव सकुचाई। जनु भाये सस गुय फाॉबन गाई।।
फैकठ वफटऩ तय कदवसु गवाॉवा। साॉझ सभम तफ अवसरु ऩावा।।
अवध प्रफेसु कीन्ह अॉसधआयईऄ । ऩैठ बवन यथु याष्ि दआ
ु यईऄ ।।

186
ष्जन्ह ष्जन्ह सभाचाय सुसन ऩाए। बूऩ द्वाय यथु दे िन आए।।
यथु ऩकहचासन वफकर रष्ि घोये । गयकहॊ गात ष्जसभ आतऩ ओये ।।
नगय नारय नय ब्माकुर कईआसईऄ। सनघटत नीय भीनगन जईआसईऄ।।
दो0–ससचव आगभनु सुनत सफु वफकर बमउ यसनवासु।
बवन बमॊकरु राग तेकह भानहुॉ प्रेत सनवासु।।147।।
–*–*–
असत आयसत सफ ऩूॉछकहॊ यानी। उतरु न आव वफकर बइ फानी।।
सुनइ न श्रवन नमन नकहॊ सूझा। कहहु कहाॉ नृऩ तेकह तेकह फूझा।।
दाससन्ह दीि ससचव वफकराई। कौसल्मा गृहॉ गईं रवाई।।
जाइ सुभॊत्र दीि कस याजा। असभअ यकहत जनु चॊद ु वफयाजा।।
आसन समन वफबूषन हीना। ऩये उ बूसभतर सनऩट भरीना।।
रेइ उसासु सोच एकह बाॉती। सुयऩुय तईऄ जनु िॉसेउ जजाती।।
रेत सोच बरय सछनु सछनु छाती। जनु जरय ऩॊि ऩये उ सॊऩाती।।
याभ याभ कह याभ सनेही। ऩुसन कह याभ रिन फैदेही।।
दो0-दे ष्ि ससचवॉ जम जीव ककह कीन्हे उ दॊ ड प्रनाभु।
सुनत उठे उ ब्माकुर नृऩसत कहु सुभॊत्र कहॉ याभु।।148।।
–*–*–
बूऩ सुभॊत्रु रीन्ह उय राई। फूड़त कछु अधाय जनु ऩाई।।
सकहत सनेह सनकट फैठायी। ऩूॉछत याउ नमन बरय फायी।।
याभ कुसर कहु सिा सनेही। कहॉ यघुनाथु रिनु फैदेही।।
आने पेरय कक फनकह ससधाए। सुनत ससचव रोचन जर छाए।।
सोक वफकर ऩुसन ऩूॉछ नये सू। कहु ससम याभ रिन सॊदेसू।।
याभ रूऩ गुन सीर सुबाऊ। सुसभरय सुसभरय उय सोचत याऊ।।
याउ सुनाइ दीन्ह फनफासू। सुसन भन बमउ न हयषु हयाॉसू।।
सो सुत वफछुयत गए न प्राना। को ऩाऩी फड़ भोकह सभाना।।
दो0-सिा याभु ससम रिनु जहॉ तहाॉ भोकह ऩहुॉचाउ।
नाकहॊ त चाहत चरन अफ प्रान कहउॉ ससतबाउ।।149।।
–*–*–
ऩुसन ऩुसन ऩूॉछत भॊत्रकह याऊ। वप्रमतभ सुअन सॉदेस सुनाऊ।।
कयकह सिा सोइ फेसग उऩाऊ। याभु रिनु ससम नमन दे िाऊ।।
ससचव धीय धरय कह भुद ु फानी। भहायाज तुम्ह ऩॊकडत ग्मानी।।
फीय सुधीय धुयॊधय दे वा। साधु सभाजु सदा तुम्ह सेवा।।
जनभ भयन सफ दि
ु बोगा। हासन राब वप्रम सभरन वफमोगा।।

187
कार कयभ फस हौकहॊ गोसाईं। फयफस यासत कदवस की नाईं।।
सुि हयषकहॊ जड़ दि
ु वफरिाहीॊ। दोउ सभ धीय धयकहॊ भन भाहीॊ।।
धीयज धयहु वफफेकु वफचायी। छाकड़अ सोच सकर कहतकायी।।
दो0-प्रथभ फासु तभसा बमउ दस
ू य सुयसरय तीय।
न्हाई यहे जरऩानु करय ससम सभेत दोउ फीय।।150।।
–*–*–
केवट कीष्न्ह फहुत सेवकाई। सो जासभसन ससॊगयौय गवाॉई।।
होत प्रात फट छीरु भगावा। जटा भुकुट सनज सीस फनावा।।
याभ सिाॉ तफ नाव भगाई। वप्रमा चढ़ाइ चढ़े यघुयाई।।
रिन फान धनु धये फनाई। आऩु चढ़े प्रबु आमसु ऩाई।।
वफकर वफरोकक भोकह यघुफीया। फोरे भधुय फचन धरय धीया।।
तात प्रनाभु तात सन कहे हु। फाय फाय ऩद ऩॊकज गहे हू।।
कयवफ ऩामॉ ऩरय वफनम फहोयी। तात करयअ जसन सचॊता भोयी।।
फन भग भॊगर कुसर हभायईऄ । कृ ऩा अनुग्रह ऩुन्म तुम्हायईऄ ।।
छॊ 0- तुम्हये अनुग्रह तात कानन जात सफ सुिु ऩाइहं।
प्रसतऩासर आमसु कुसर दे िन ऩाम ऩुसन कपरय आइहं।।
जननीॊ सकर ऩरयतोवष ऩरय ऩरय ऩामॉ करय वफनती घनी।
तुरसी कये हु सोइ जतनु जेकहॊ कुसरी यहकहॊ कोसर धनी।।
सो0-गुय सन कहफ सॉदेसु फाय फाय ऩद ऩदभ
ु गकह।
कयफ सोइ उऩदे सु जेकहॊ न सोच भोकह अवधऩसत।।151।।
ऩुयजन ऩरयजन सकर सनहोयी। तात सुनाएहु वफनती भोयी।।
सोइ सफ बाॉसत भोय कहतकायी। जातईऄ यह नयनाहु सुिायी।।
कहफ सॉदेसु बयत के आएॉ। नीसत न तष्जअ याजऩद ु ऩाएॉ।।
ऩारेहु प्रजकह कयभ भन फानी। सेएहु भातु सकर सभ जानी।।
ओय सनफाहे हु बामऩ बाई। करय वऩतु भातु सुजन सेवकाई।।
तात बाॉसत तेकह यािफ याऊ। सोच भोय जेकहॊ कयै न काऊ।।
रिन कहे कछु फचन कठोया। फयष्ज याभ ऩुसन भोकह सनहोया।।
फाय फाय सनज सऩथ दे वाई। कहवफ न तात रिन ररयकाई।।
दो0-ककह प्रनाभ कछु कहन सरम ससम बइ सससथर सनेह।
थककत फचन रोचन सजर ऩुरक ऩल्रववत दे ह।।152।।
–*–*–
तेकह अवसय यघुफय रूि ऩाई। केवट ऩायकह नाव चराई।।
यघुकुरसतरक चरे एकह बाॉती। दे िउॉ ठाढ़ कुसरस धरय छाती।।

188
भईआ आऩन ककसभ कहं करेसू। ष्जअत कपये उॉ रेइ याभ सॉदेसू।।
अस ककह ससचव फचन यकह गमऊ। हासन गरासन सोच फस बमऊ।।
सुत फचन सुनतकहॊ नयनाहू। ऩये उ धयसन उय दारुन दाहू।।
तरपत वफषभ भोह भन भाऩा। भाजा भनहुॉ भीन कहुॉ ब्माऩा।।
करय वफराऩ सफ योवकहॊ यानी। भहा वफऩसत ककसभ जाइ फिानी।।
सुसन वफराऩ दि
ु हू दि
ु ु रागा। धीयजहू कय धीयजु बागा।।
दो0-बमउ कोराहरु अवध असत सुसन नृऩ याउय सोरु।
वफऩुर वफहग फन ऩये उ सनसस भानहुॉ कुसरस कठोरु।।153।।
–*–*–
प्रान कॊठगत बमउ बुआरू। भसन वफहीन जनु ब्माकुर ब्मारू।।
इरीॊ सकर वफकर बइॉ बायी। जनु सय सयससज फनु वफनु फायी।।
कौसल्माॉ नृऩु दीि भराना। यवफकुर यवफ अॉथमउ ष्जमॉ जाना।
उय धरय धीय याभ भहतायी। फोरी फचन सभम अनुसायी।।
नाथ सभुष्झ भन करयअ वफचारू। याभ वफमोग ऩमोसध अऩारू।।
कयनधाय तुम्ह अवध जहाजू। चढ़े उ सकर वप्रम ऩसथक सभाजू।।
धीयजु धरयअ त ऩाइअ ऩारू। नाकहॊ त फूकड़कह सफु ऩरयवारू।।
जं ष्जमॉ धरयअ वफनम वऩम भोयी। याभु रिनु ससम सभरकहॊ फहोयी।।
दो0–वप्रमा फचन भृद ु सुनत नृऩु सचतमउ आॉष्ि उघारय।
तरपत भीन भरीन जनु सीॊचत सीतर फारय।।154।।
–*–*–
धरय धीयजु उठी फैठ बुआरू। कहु सुभॊत्र कहॉ याभ कृ ऩारू।।
कहाॉ रिनु कहॉ याभु सनेही। कहॉ वप्रम ऩुत्रफधू फैदेही।।
वफरऩत याउ वफकर फहु बाॉती। बइ जुग सरयस ससयासत न याती।।
ताऩस अॊध साऩ सुसध आई। कौसल्मकह सफ कथा सुनाई।।
बमउ वफकर फयनत इसतहासा। याभ यकहत सधग जीवन आसा।।
सो तनु याष्ि कयफ भईआ काहा। जईऄकह न प्रेभ ऩनु भोय सनफाहा।।
हा यघुनॊदन प्रान वऩयीते। तुम्ह वफनु ष्जअत फहुत कदन फीते।।
हा जानकी रिन हा यघुफय। हा वऩतु कहत सचत चातक जरधय।
दो0-याभ याभ ककह याभ ककह याभ याभ ककह याभ।
तनु ऩरयहरय यघुफय वफयहॉ याउ गमउ सुयधाभ।।155।।
–*–*–
ष्जअन भयन परु दसयथ ऩावा। अॊड अनेक अभर जसु छावा।।
ष्जअत याभ वफधु फदनु सनहाया। याभ वफयह करय भयनु सॉवाया।।

189
सोक वफकर सफ योवकहॊ यानी। रूऩु सीर फरु तेजु फिानी।।
कयकहॊ वफराऩ अनेक प्रकाया। ऩयहीॊ बूसभतर फायकहॊ फाया।।
वफरऩकहॊ वफकर दास अरु दासी। घय घय रुदनु कयकहॊ ऩुयफासी।।
अॉथमउ आजु बानुकुर बानू। धयभ अवसध गुन रूऩ सनधानू।।
गायीॊ सकर कैकइकह दे हीॊ। नमन वफहीन कीन्ह जग जेहीॊ।।
एकह वफसध वफरऩत यै सन वफहानी। आए सकर भहाभुसन ग्मानी।।
दो0-तफ फससष्ठ भुसन सभम सभ ककह अनेक इसतहास।
सोक नेवाये उ सफकह कय सनज वफग्मान प्रकास।।156।।
–*–*–
तेर नाॉव बरय नृऩ तनु यािा। दत
ू फोराइ फहुरय अस बाषा।।
धावहु फेसग बयत ऩकहॊ जाहू। नृऩ सुसध कतहुॉ कहहु जसन काहू।।
एतनेइ कहे हु बयत सन जाई। गुय फोराई ऩठमउ दोउ बाई।।
सुसन भुसन आमसु धावन धाए। चरे फेग फय फाष्ज रजाए।।
अनयथु अवध अयॊ बेउ जफ तईऄ। कुसगुन होकहॊ बयत कहुॉ तफ तईऄ।।
दे िकहॊ यासत बमानक सऩना। जासग कयकहॊ कटु कोकट करऩना।।
वफप्र जेवाॉइ दे कहॊ कदन दाना। ससव असबषेक कयकहॊ वफसध नाना।।
भागकहॊ रृदमॉ भहे स भनाई। कुसर भातु वऩतु ऩरयजन बाई।।
दो0-एकह वफसध सोचत बयत भन धावन ऩहुॉचे आइ।
गुय अनुसासन श्रवन सुसन चरे गनेसु भनाइ।।157।।
–*–*–
चरे सभीय फेग हम हाॉके। नाघत सरयत सैर फन फाॉके।।
रृदमॉ सोचु फड़ कछु न सोहाई। अस जानकहॊ ष्जमॉ जाउॉ उड़ाई।।
एक सनभेष फयस सभ जाई। एकह वफसध बयत नगय सनअयाई।।
असगुन होकहॊ नगय ऩैठाया। यटकहॊ कुबाॉसत कुिेत कयाया।।
िय ससआय फोरकहॊ प्रसतकूरा। सुसन सुसन होइ बयत भन सूरा।।
श्रीहत सय सरयता फन फागा। नगरु वफसेवष बमावनु रागा।।
िग भृग हम गम जाकहॊ न जोए। याभ वफमोग कुयोग वफगोए।।
नगय नारय नय सनऩट दि
ु ायी। भनहुॉ सफष्न्ह सफ सॊऩसत हायी।।
दो0-ऩुयजन सभसरकहॊ न कहकहॊ कछु गवॉकहॊ जोहायकहॊ जाकहॊ ।
बयत कुसर ऩूॉसछ न सककहॊ बम वफषाद भन भाकहॊ ।।158।।
–*–*–
हाट फाट नकहॊ जाइ सनहायी। जनु ऩुय दहॉ कदसस रासग दवायी।।
आवत सुत सुसन कैकमनॊकदसन। हयषी यवफकुर जररुह चॊकदसन।।

190
सष्ज आयती भुकदत उकठ धाई। द्वाये कहॊ बईऄकट बवन रेइ आई।।
बयत दष्ु ित ऩरयवारु सनहाया। भानहुॉ तुकहन फनज फनु भाया।।
कैकेई हयवषत एकह बाॉसत। भनहुॉ भुकदत दव राइ ककयाती।।
सुतकह ससोच दे ष्ि भनु भायईऄ । ऩूॉछसत नैहय कुसर हभायईऄ ।।
सकर कुसर ककह बयत सुनाई। ऩूॉछी सनज कुर कुसर बराई।।
कहु कहॉ तात कहाॉ सफ भाता। कहॉ ससम याभ रिन वप्रम र्भ्ाता।।
दो0-सुसन सुत फचन सनेहभम कऩट नीय बरय नैन।
बयत श्रवन भन सूर सभ ऩावऩसन फोरी फैन।।159।।
–*–*–
तात फात भईआ सकर सॉवायी। बै भॊथया सहाम वफचायी।।
कछुक काज वफसध फीच वफगाये उ। बूऩसत सुयऩसत ऩुय ऩगु धाये उ।।
सुनत बयतु बए वफफस वफषादा। जनु सहभेउ करय केहरय नादा।।
तात तात हा तात ऩुकायी। ऩये बूसभतर ब्माकुर बायी।।
चरत न दे िन ऩामउॉ तोही। तात न याभकह संऩेहु भोही।।
फहुरय धीय धरय उठे सॉबायी। कहु वऩतु भयन हे तु भहतायी।।
सुसन सुत फचन कहसत कैकेई। भयभु ऩाॉसछ जनु भाहुय दे ई।।
आकदहु तईऄ सफ आऩसन कयनी। कुकटर कठोय भुकदत भन फयनी।।
दो0-बयतकह वफसये उ वऩतु भयन सुनत याभ फन गौनु।
हे तु अऩनऩउ जासन ष्जमॉ थककत यहे धरय भौनु।।160।।
–*–*–
वफकर वफरोकक सुतकह सभुझावसत। भनहुॉ जये ऩय रोनु रगावसत।।
तात याउ नकहॊ सोचे जोगू। वफढ़इ सुकृत जसु कीन्हे उ बोगू।।
जीवत सकर जनभ पर ऩाए। अॊत अभयऩसत सदन ससधाए।।
अस अनुभासन सोच ऩरयहयहू। सकहत सभाज याज ऩुय कयहू।।
सुसन सुकठ सहभेउ याजकुभारू। ऩाकईऄ छत जनु राग अॉगारू।।
धीयज धरय बरय रेकहॊ उसासा। ऩाऩसन सफकह बाॉसत कुर नासा।।
जं ऩै कुरुसच यही असत तोही। जनभत काहे न भाये भोही।।
ऩेड़ काकट तईआ ऩारउ सीॊचा। भीन ष्जअन सनसत फारय उरीचा।।
दो0-हॊ सफॊसु दसयथु जनकु याभ रिन से बाइ।
जननी तूॉ जननी बई वफसध सन कछु न फसाइ।।161।।
–*–*–
जफ तईआ कुभसत कुभत ष्जमॉ ठमऊ। िॊड िॊड होइ ह्रदउ न गमऊ।।
फय भागत भन बइ नकहॊ ऩीया। गरय न जीह भुहॉ ऩये उ न कीया।।

191
बूऩॉ प्रतीत तोरय ककसभ कीन्ही। भयन कार वफसध भसत हरय रीन्ही।।
वफसधहुॉ न नारय रृदम गसत जानी। सकर कऩट अघ अवगुन िानी।।
सयर सुसीर धयभ यत याऊ। सो ककसभ जानै तीम सुबाऊ।।
अस को जीव जॊतु जग भाहीॊ। जेकह यघुनाथ प्रानवप्रम नाहीॊ।।
बे असत अकहत याभु तेउ तोही। को तू अहसस सत्म कहु भोही।।
जो हसस सो हसस भुहॉ भसस राई। आॉष्ि ओट उकठ फैठकहॊ जाई।।
दो0-याभ वफयोधी रृदम तईऄ प्रगट कीन्ह वफसध भोकह।
भो सभान को ऩातकी फाकद कहउॉ कछु तोकह।।162।।
–*–*–
सुसन सत्रुघुन भातु कुकटराई। जयकहॊ गात रयस कछु न फसाई।।
तेकह अवसय कुफयी तहॉ आई। फसन वफबूषन वफवफध फनाई।।
रष्ि रयस बये उ रिन रघु बाई। फयत अनर घृत आहुसत ऩाई।।
हुभसग रात तकक कूफय भाया। ऩरय भुह बय भकह कयत ऩुकाया।।
कूफय टू टे उ पूट कऩारू। दसरत दसन भुि रुसधय प्रचारू।।
आह दइअ भईआ काह नसावा। कयत नीक परु अनइस ऩावा।।
सुसन रयऩुहन रष्ि नि ससि िोटी। रगे घसीटन धरय धरय झंटी।।
बयत दमासनसध दीष्न्ह छड़ाई। कौसल्मा ऩकहॊ गे दोउ बाई।।
दो0-भसरन फसन वफफयन वफकर कृ स सयीय दि
ु बाय।
कनक करऩ फय फेसर फन भानहुॉ हनी तुसाय।।163।।
–*–*–
बयतकह दे ष्ि भातु उकठ धाई। भुरुसछत अवसन ऩयी झइॉ आई।।
दे ित बयतु वफकर बए बायी। ऩये चयन तन दसा वफसायी।।
भातु तात कहॉ दे कह दे िाई। कहॉ ससम याभु रिनु दोउ बाई।।
कैकइ कत जनभी जग भाझा। जं जनसभ त बइ काहे न फाॉझा।।
कुर करॊकु जेकहॊ जनभेउ भोही। अऩजस बाजन वप्रमजन रोही।।
को सतबुवन भोकह सरयस अबागी। गसत असस तोरय भातु जेकह रागी।।
वऩतु सुयऩुय फन यघुफय केतू। भईआ केवर सफ अनयथ हे तु।।
सधग भोकह बमउॉ फेनु फन आगी। दस
ु ह दाह दि
ु दष
ू न बागी।।
दो0-भातु बयत के फचन भृद ु सुसन सुसन उठी सॉबारय।।
सरए उठाइ रगाइ उय रोचन भोचसत फारय।।164।।
–*–*–
सयर सुबाम भामॉ कहमॉ राए। असत कहत भनहुॉ याभ कपरय आए।।
बईऄटेउ फहुरय रिन रघु बाई। सोकु सनेहु न रृदमॉ सभाई।।

192
दे ष्ि सुबाउ कहत सफु कोई। याभ भातु अस काहे न होई।।
भाताॉ बयतु गोद फैठाये । आॉसु ऩंसछ भृद ु फचन उचाये ।।
अजहुॉ फछछ फसर धीयज धयहू। कुसभउ सभुष्झ सोक ऩरयहयहू।।
जसन भानहु कहमॉ हासन गरानी। कार कयभ गसत अघकटत जासन।।
काहुकह दोसु दे हु जसन ताता। बा भोकह सफ वफसध फाभ वफधाता।।
जो एतेहुॉ दि
ु भोकह ष्जआवा। अजहुॉ को जानइ का तेकह बावा।।
दो0-वऩतु आमस बूषन फसन तात तजे यघुफीय।
वफसभउ हयषु न रृदमॉ कछु ऩकहये फरकर चीय। 165।।
–*–*–
भुि प्रसन्न भन यॊ ग न योषू। सफ कय सफ वफसध करय ऩरयतोषू।।
चरे वफवऩन सुसन ससम सॉग रागी। यहइ न याभ चयन अनुयागी।।
सुनतकहॊ रिनु चरे उकठ साथा। यहकहॊ न जतन ककए यघुनाथा।।
तफ यघुऩसत सफही ससरु नाई। चरे सॊग ससम अरु रघु बाई।।
याभु रिनु ससम फनकह ससधाए। गइउॉ न सॊग न प्रान ऩठाए।।
महु सफु बा इन्ह आॉष्िन्ह आगईऄ। तउ न तजा तनु जीव अबागईऄ।।
भोकह न राज सनज नेहु सनहायी। याभ सरयस सुत भईआ भहतायी।।
ष्जऐ भयै बर बूऩसत जाना। भोय रृदम सत कुसरस सभाना।।
दो0- कौसल्मा के फचन सुसन बयत सकहत यसनवास।
ब्माकुर वफरऩत याजगृह भानहुॉ सोक नेवासु।।166।।
–*–*–
वफरऩकहॊ वफकर बयत दोउ बाई। कौसल्माॉ सरए रृदमॉ रगाई।।
बाॉसत अनेक बयतु सभुझाए। ककह वफफेकभम फचन सुनाए।।
बयतहुॉ भातु सकर सभुझाईं। ककह ऩुयान श्रुसत कथा सुहाईं।।
छर वफहीन सुसच सयर सुफानी। फोरे बयत जोरय जुग ऩानी।।
जे अघ भातु वऩता सुत भायईऄ । गाइ गोठ भकहसुय ऩुय जायईऄ ।।
जे अघ सतम फारक फध कीन्हईऄ । भीत भहीऩसत भाहुय दीन्हईऄ ।।
जे ऩातक उऩऩातक अहहीॊ। कयभ फचन भन बव कवफ कहहीॊ।।
ते ऩातक भोकह होहुॉ वफधाता। जं महु होइ भोय भत भाता।।
दो0-जे ऩरयहरय हरय हय चयन बजकहॊ बूतगन घोय।
तेकह कइ गसत भोकह दे उ वफसध जं जननी भत भोय।।167।।
–*–*–
फेचकहॊ फेद ु धयभु दकु ह रेहीॊ। वऩसुन ऩयाम ऩाऩ ककह दे हीॊ।।
कऩटी कुकटर करहवप्रम क्रोधी। फेद वफदष
ू क वफस्व वफयोधी।।

193
रोबी रॊऩट रोरुऩचाया। जे ताककहॊ ऩयधनु ऩयदाया।।
ऩावं भईआ सतन्ह के गसत घोया। जं जननी महु सॊभत भोया।।
जे नकहॊ साधुसॊग अनुयागे। ऩयभायथ ऩथ वफभुि अबागे।।
जे न बजकहॊ हरय नयतनु ऩाई। ष्जन्हकह न हरय हय सुजसु सोहाई।।
तष्ज श्रुसतऩॊथु फाभ ऩथ चरहीॊ। फॊचक वफयसच फेष जगु छरहीॊ।।
सतन्ह कै गसत भोकह सॊकय दे ऊ। जननी जं महु जानं बेऊ।।
दो0-भातु बयत के फचन सुसन साॉचे सयर सुबामॉ।
कहसत याभ वप्रम तात तुम्ह सदा फचन भन कामॉ।।168।।
–*–*–
याभ प्रानहु तईऄ प्रान तुम्हाये । तुम्ह यघुऩसतकह प्रानहु तईऄ प्माये ।।
वफधु वफष चवै स्त्रवै कहभु आगी। होइ फारयचय फारय वफयागी।।
बएॉ ग्मानु फरु सभटै न भोहू। तुम्ह याभकह प्रसतकूर न होहू।।
भत तुम्हाय महु जो जग कहहीॊ। सो सऩनेहुॉ सुि सुगसत न रहहीॊ।।
अस ककह भातु बयतु कहमॉ राए। थन ऩम स्त्रवकहॊ नमन जर छाए।।
कयत वफराऩ फहुत मकह बाॉती। फैठेकहॊ फीसत गइ सफ याती।।
फाभदे उ फससष्ठ तफ आए। ससचव भहाजन सकर फोराए।।
भुसन फहु बाॉसत बयत उऩदे से। ककह ऩयभायथ फचन सुदेसे।।
दो0-तात रृदमॉ धीयजु धयहु कयहु जो अवसय आजु।
उठे बयत गुय फचन सुसन कयन कहे उ सफु साजु।।169।।
–*–*–
नृऩतनु फेद वफकदत अन्हवावा। ऩयभ वफसचत्र वफभानु फनावा।।
गकह ऩद बयत भातु सफ यािी। यहीॊ यासन दयसन असबराषी।।
चॊदन अगय बाय फहु आए। असभत अनेक सुगॊध सुहाए।।
सयजु तीय यसच सचता फनाई। जनु सुयऩुय सोऩान सुहाई।।
एकह वफसध दाह कक्रमा सफ कीन्ही। वफसधवत न्हाइ सतराॊजुसर दीन्ही।।
सोसध सुभसृ त सफ फेद ऩुयाना। कीन्ह बयत दसगात वफधाना।।
जहॉ जस भुसनफय आमसु दीन्हा। तहॉ तस सहस बाॉसत सफु कीन्हा।।
बए वफसुद्ध कदए सफ दाना। धेनु फाष्ज गज फाहन नाना।।
दो0-ससॊघासन बूषन फसन अन्न धयसन धन धाभ।
कदए बयत रकह बूसभसुय बे ऩरयऩूयन काभ।।170।।
–*–*–
वऩतु कहत बयत कीष्न्ह जसस कयनी। सो भुि राि जाइ नकहॊ फयनी।।
सुकदनु सोसध भुसनफय तफ आए। ससचव भहाजन सकर फोराए।।

194
फैठे याजसबाॉ सफ जाई। ऩठए फोसर बयत दोउ बाई।।
बयतु फससष्ठ सनकट फैठाये । नीसत धयभभम फचन उचाये ।।
प्रथभ कथा सफ भुसनफय फयनी। कैकइ कुकटर कीष्न्ह जसस कयनी।।
बूऩ धयभब्रतु सत्म सयाहा। जेकहॊ तनु ऩरयहरय प्रेभु सनफाहा।।
कहत याभ गुन सीर सुबाऊ। सजर नमन ऩुरकेउ भुसनयाऊ।।
फहुरय रिन ससम प्रीसत फिानी। सोक सनेह भगन भुसन ग्मानी।।
दो0-सुनहु बयत बावी प्रफर वफरष्ि कहे उ भुसननाथ।
हासन राबु जीवन भयनु जसु अऩजसु वफसध हाथ।।171।।
–*–*–
अस वफचारय केकह दे इअ दोसू। ब्मयथ काकह ऩय कीष्जअ योसू।।
तात वफचारु केकह कयहु भन भाहीॊ। सोच जोगु दसयथु नृऩु नाहीॊ।।
सोसचअ वफप्र जो फेद वफहीना। तष्ज सनज धयभु वफषम रमरीना।।
सोसचअ नृऩसत जो नीसत न जाना। जेकह न प्रजा वप्रम प्रान सभाना।।
सोसचअ फमसु कृ ऩन धनवानू। जो न असतसथ ससव बगसत सुजानू।।
सोसचअ सूर ु वफप्र अवभानी। भुिय भानवप्रम ग्मान गुभानी।।
सोसचअ ऩुसन ऩसत फॊचक नायी। कुकटर करहवप्रम इछछाचायी।।
सोसचअ फटु सनज ब्रतु ऩरयहयई। जो नकहॊ गुय आमसु अनुसयई।।
दो0-सोसचअ गृही जो भोह फस कयइ कयभ ऩथ त्माग।
सोसचअ जसत प्रॊऩच यत वफगत वफफेक वफयाग।।172।।
–*–*–
फैिानस सोइ सोचै जोगु। तऩु वफहाइ जेकह बावइ बोगू।।
सोसचअ वऩसुन अकायन क्रोधी। जनसन जनक गुय फॊधु वफयोधी।।
सफ वफसध सोसचअ ऩय अऩकायी। सनज तनु ऩोषक सनयदम बायी।।
सोचनीम सफकह वफसध सोई। जो न छाकड़ छरु हरय जन होई।।
सोचनीम नकहॊ कोसरयाऊ। बुवन चारयदस प्रगट प्रबाऊ।।
बमउ न अहइ न अफ होसनहाया। बूऩ बयत जस वऩता तुम्हाया।।
वफसध हरय हरु सुयऩसत कदससनाथा। फयनकहॊ सफ दसयथ गुन गाथा।।
दो0-कहहु तात केकह बाॉसत कोउ करयकह फड़ाई तासु।
याभ रिन तुम्ह सत्रुहन सरयस सुअन सुसच जासु।।173।।
–*–*–
सफ प्रकाय बूऩसत फड़बागी। फाकद वफषाद ु करयअ तेकह रागी।।
महु सुसन सभुष्झ सोचु ऩरयहयहू। ससय धरय याज यजामसु कयहू।।
याॉम याजऩद ु तुम्ह कहुॉ दीन्हा। वऩता फचनु पुय चाकहअ कीन्हा।।

195
तजे याभु जेकहॊ फचनकह रागी। तनु ऩरयहये उ याभ वफयहागी।।
नृऩकह फचन वप्रम नकहॊ वप्रम प्राना। कयहु तात वऩतु फचन प्रवाना।।
कयहु सीस धरय बूऩ यजाई। हइ तुम्ह कहॉ सफ बाॉसत बराई।।
ऩयसुयाभ वऩतु अग्मा यािी। भायी भातु रोक सफ सािी।।
तनम जजासतकह जौफनु दमऊ। वऩतु अग्माॉ अघ अजसु न बमऊ।।
दो0-अनुसचत उसचत वफचारु तष्ज जे ऩारकहॊ वऩतु फैन।
ते बाजन सुि सुजस के फसकहॊ अभयऩसत ऐन।।174।।
–*–*–
अवसस नये स फचन पुय कयहू। ऩारहु प्रजा सोकु ऩरयहयहू।।
सुयऩुय नृऩ ऩाइकह ऩरयतोषू। तुम्ह कहुॉ सुकृत सुजसु नकहॊ दोषू।।
फेद वफकदत सॊभत सफही का। जेकह वऩतु दे इ सो ऩावइ टीका।।
कयहु याजु ऩरयहयहु गरानी। भानहु भोय फचन कहत जानी।।
सुसन सुिु रहफ याभ फैदेहीॊ। अनुसचत कहफ न ऩॊकडत केहीॊ।।
कौसल्माकद सकर भहतायीॊ। तेउ प्रजा सुि होकहॊ सुिायीॊ।।
ऩयभ तुम्हाय याभ कय जासनकह। सो सफ वफसध तुम्ह सन बर भासनकह।।
संऩेहु याजु याभ कै आएॉ। सेवा कये हु सनेह सुहाएॉ।।
दो0-कीष्जअ गुय आमसु अवसस कहकहॊ ससचव कय जोरय।
यघुऩसत आएॉ उसचत जस तस तफ कयफ फहोरय।।175।।
–*–*–
कौसल्मा धरय धीयजु कहई। ऩूत ऩथ्म गुय आमसु अहई।।
सो आदरयअ करयअ कहत भानी। तष्जअ वफषाद ु कार गसत जानी।।
फन यघुऩसत सुयऩसत नयनाहू। तुम्ह एकह बाॉसत तात कदयाहू।।
ऩरयजन प्रजा ससचव सफ अॊफा। तुम्हही सुत सफ कहॉ अवरॊफा।।
रष्ि वफसध फाभ कारु ककठनाई। धीयजु धयहु भातु फसर जाई।।
ससय धरय गुय आमसु अनुसयहू। प्रजा ऩासर ऩरयजन दि
ु ु हयहू।।
गुय के फचन ससचव असबनॊदनु। सुने बयत कहम कहत जनु चॊदनु।।
सुनी फहोरय भातु भृद ु फानी। सीर सनेह सयर यस सानी।।
छॊ 0-सानी सयर यस भातु फानी सुसन बयत ब्माकुर बए।
रोचन सयोरुह स्त्रवत सीॊचत वफयह उय अॊकुय नए।।
सो दसा दे ित सभम तेकह वफसयी सफकह सुसध दे ह की।
तुरसी सयाहत सकर सादय सीवॉ सहज सनेह की।।
सो0-बयतु कभर कय जोरय धीय धुयॊधय धीय धरय।
फचन असभअॉ जनु फोरय दे त उसचत उत्तय सफकह।।176।।

196
भासऩायामण, अठायहवाॉ ववश्राभ
भोकह उऩदे सु दीन्ह गुय नीका। प्रजा ससचव सॊभत सफही का।।
भातु उसचत धरय आमसु दीन्हा। अवसस सीस धरय चाहउॉ कीन्हा।।
गुय वऩतु भातु स्वासभ कहत फानी। सुसन भन भुकदत करयअ बसर जानी।।
उसचत कक अनुसचत ककएॉ वफचारू। धयभु जाइ ससय ऩातक बारू।।
तुम्ह तौ दे हु सयर ससि सोई। जो आचयत भोय बर होई।।
जयवऩ मह सभुझत हउॉ नीकईऄ। तदवऩ होत ऩरयतोषु न जी कईऄ।।
अफ तुम्ह वफनम भोरय सुसन रेहू। भोकह अनुहयत ससिावनु दे हू।।
ऊतरु दे उॉ छभफ अऩयाधू। दष्ु ित दोष गुन गनकहॊ न साधू।।
दो0-वऩतु सुयऩुय ससम याभु फन कयन कहहु भोकह याजु।
एकह तईऄ जानहु भोय कहत कै आऩन फड़ काजु।।177।।
–*–*–
कहत हभाय ससमऩसत सेवकाई। सो हरय रीन्ह भातु कुकटराई।।
भईआ अनुभासन दीि भन भाहीॊ। आन उऩामॉ भोय कहत नाहीॊ।।
सोक सभाजु याजु केकह रेिईऄ। रिन याभ ससम वफनु ऩद दे िईऄ।।
फाकद फसन वफनु बूषन बारू। फाकद वफयसत वफनु ब्रह्म वफचारू।।
सरुज सयीय फाकद फहु बोगा। वफनु हरयबगसत जामॉ जऩ जोगा।।
जामॉ जीव वफनु दे ह सुहाई। फाकद भोय सफु वफनु यघुयाई।।
जाउॉ याभ ऩकहॊ आमसु दे हू। एककहॊ आॉक भोय कहत एहू।।
भोकह नृऩ करय बर आऩन चहहू। सोउ सनेह जड़ता फस कहहू।।
दो0-कैकेई सुअ कुकटरभसत याभ वफभुि गतराज।
तुम्ह चाहत सुिु भोहफस भोकह से अधभ कईऄ याज।।178।।
–*–*–
कहउॉ साॉचु सफ सुसन ऩसतआहू। चाकहअ धयभसीर नयनाहू।।
भोकह याजु हकठ दे इहहु जफहीॊ। यसा यसातर जाइकह तफहीॊ।।
भोकह सभान को ऩाऩ सनवासू। जेकह रसग सीम याभ फनफासू।।
यामॉ याभ कहुॉ काननु दीन्हा। वफछुयत गभनु अभयऩुय कीन्हा।।
भईआ सठु सफ अनयथ कय हे तू। फैठ फात सफ सुनउॉ सचेतू।।
वफनु यघुफीय वफरोकक अफासू। यहे प्रान सकह जग उऩहासू।।
याभ ऩुनीत वफषम यस रूिे। रोरुऩ बूसभ बोग के बूिे।।
कहॉ रसग कहं रृदम ककठनाई। सनदरय कुसरसु जेकहॊ रही फड़ाई।।
दो0-कायन तईऄ कायजु ककठन होइ दोसु नकह भोय।
कुसरस अष्स्थ तईऄ उऩर तईऄ रोह कयार कठोय।।179।।

197
–*–*–
कैकेई बव तनु अनुयागे। ऩाॉवय प्रान अघाइ अबागे।।
जं वप्रम वफयहॉ प्रान वप्रम रागे। दे िफ सुनफ फहुत अफ आगे।।
रिन याभ ससम कहुॉ फनु दीन्हा। ऩठइ अभयऩुय ऩसत कहत कीन्हा।।
रीन्ह वफधवऩन अऩजसु आऩू। दीन्हे उ प्रजकह सोकु सॊताऩू।।
भोकह दीन्ह सुिु सुजसु सुयाजू। कीन्ह कैकेईं सफ कय काजू।।
एकह तईऄ भोय काह अफ नीका। तेकह ऩय दे न कहहु तुम्ह टीका।।
कैकई जठय जनसभ जग भाहीॊ। मह भोकह कहॉ कछु अनुसचत नाहीॊ।।
भोरय फात सफ वफसधकहॊ फनाई। प्रजा ऩाॉच कत कयहु सहाई।।
दो0-ग्रह ग्रहीत ऩुसन फात फस तेकह ऩुसन फीछी भाय।
तेकह वऩआइअ फारुनी कहहु काह उऩचाय।।180।।
–*–*–
कैकइ सुअन जोगु जग जोई। चतुय वफयॊ सच दीन्ह भोकह सोई।।
दसयथ तनम याभ रघु बाई। दीष्न्ह भोकह वफसध फाकद फड़ाई।।
तुम्ह सफ कहहु कढ़ावन टीका। याम यजामसु सफ कहॉ नीका।।
उतरु दे उॉ केकह वफसध केकह केही। कहहु सुिेन जथा रुसच जेही।।
भोकह कुभातु सभेत वफहाई। कहहु ककहकह के कीन्ह बराई।।
भो वफनु को सचयाचय भाहीॊ। जेकह ससम याभु प्रानवप्रम नाहीॊ।।
ऩयभ हासन सफ कहॉ फड़ राहू। अकदनु भोय नकह दष
ू न काहू।।
सॊसम सीर प्रेभ फस अहहू। सफुइ उसचत सफ जो कछु कहहू।।
दो0-याभ भातु सुकठ सयरसचत भो ऩय प्रेभु वफसेवष।
कहइ सुबाम सनेह फस भोरय दीनता दे ष्ि।।181।
–*–*–
गुय वफफेक सागय जगु जाना। ष्जन्हकह वफस्व कय फदय सभाना।।
भो कहॉ सतरक साज सज सोऊ। बएॉ वफसध वफभुि वफभुि सफु कोऊ।।
ऩरयहरय याभु सीम जग भाहीॊ। कोउ न ककहकह भोय भत नाहीॊ।।
सो भईआ सुनफ सहफ सुिु भानी। अॊतहुॉ कीच तहाॉ जहॉ ऩानी।।
डरु न भोकह जग ककहकह कक ऩोचू। ऩयरोकहु कय नाकहन सोचू।।
एकइ उय फस दस
ु ह दवायी। भोकह रसग बे ससम याभु दि
ु ायी।।
जीवन राहु रिन बर ऩावा। सफु तष्ज याभ चयन भनु रावा।।
भोय जनभ यघुफय फन रागी। झूठ काह ऩसछताउॉ अबागी।।
दो0-आऩसन दारुन दीनता कहउॉ सफकह ससरु नाइ।
दे िईऄ वफनु यघुनाथ ऩद ष्जम कै जयसन न जाइ।।182।।

198
–*–*–
आन उऩाउ भोकह नकह सूझा। को ष्जम कै यघुफय वफनु फूझा।।
एककहॊ आॉक इहइ भन भाहीॊ। प्रातकार चसरहउॉ प्रबु ऩाहीॊ।।
जयवऩ भईआ अनबर अऩयाधी। बै भोकह कायन सकर उऩाधी।।
तदवऩ सयन सनभुि भोकह दे िी। छसभ सफ करयहकहॊ कृ ऩा वफसेषी।।
सीर सकुच सुकठ सयर सुबाऊ। कृ ऩा सनेह सदन यघुयाऊ।।
अरयहुक अनबर कीन्ह न याभा। भईआ सससु सेवक जयवऩ फाभा।।
तुम्ह ऩै ऩाॉच भोय बर भानी। आमसु आससष दे हु सुफानी।।
जेकहॊ सुसन वफनम भोकह जनु जानी। आवकहॊ फहुरय याभु यजधानी।।
दो0-जयवऩ जनभु कुभातु तईऄ भईआ सठु सदा सदोस।
आऩन जासन न त्मासगहकहॊ भोकह यघुफीय बयोस।।183।।
–*–*–
बयत फचन सफ कहॉ वप्रम रागे। याभ सनेह सुधाॉ जनु ऩागे।।
रोग वफमोग वफषभ वफष दागे। भॊत्र सफीज सुनत जनु जागे।।
भातु ससचव गुय ऩुय नय नायी। सकर सनेहॉ वफकर बए बायी।।
बयतकह कहकह सयाकह सयाही। याभ प्रेभ भूयसत तनु आही।।
तात बयत अस काहे न कहहू। प्रान सभान याभ वप्रम अहहू।।
जो ऩावॉरु अऩनी जड़ताई। तुम्हकह सुगाइ भातु कुकटराई।।
सो सठु कोकटक ऩुरुष सभेता। फससकह करऩ सत नयक सनकेता।।
अकह अघ अवगुन नकह भसन गहई। हयइ गयर दि
ु दारयद दहई।।
दो0-अवसस चसरअ फन याभु जहॉ बयत भॊत्रु बर कीन्ह।
सोक ससॊधु फूड़त सफकह तुम्ह अवरॊफनु दीन्ह।।184।।
–*–*–
बा सफ कईऄ भन भोद ु न थोया। जनु घन धुसन सुसन चातक भोया।।
चरत प्रात रष्ि सनयनउ नीके। बयतु प्रानवप्रम बे सफही के।।
भुसनकह फॊकद बयतकह ससरु नाई। चरे सकर घय वफदा कयाई।।
धन्म बयत जीवनु जग भाहीॊ। सीरु सनेहु सयाहत जाहीॊ।।
कहकह ऩयसऩय बा फड़ काजू। सकर चरै कय साजकहॊ साजू।।
जेकह यािकहॊ यहु घय यिवायी। सो जानइ जनु गयदसन भायी।।
कोउ कह यहन ककहअ नकहॊ काहू। को न चहइ जग जीवन राहू।।
दो0-जयउ सो सॊऩसत सदन सुिु सुहद भातु वऩतु बाइ।
सनभुि होत जो याभ ऩद कयै न सहस सहाइ।।185।।
–*–*–

199
घय घय साजकहॊ फाहन नाना। हयषु रृदमॉ ऩयबात ऩमाना।।
बयत जाइ घय कीन्ह वफचारू। नगरु फाष्ज गज बवन बॉडारू।।
सॊऩसत सफ यघुऩसत कै आही। जौ वफनु जतन चरं तष्ज ताही।।
तौ ऩरयनाभ न भोरय बराई। ऩाऩ ससयोभसन साइॉ दोहाई।।
कयइ स्वासभ कहत सेवकु सोई। दष
ू न कोकट दे इ ककन कोई।।
अस वफचारय सुसच सेवक फोरे। जे सऩनेहुॉ सनज धयभ न डोरे।।
ककह सफु भयभु धयभु बर बाषा। जो जेकह रामक सो तेकहॊ यािा।।
करय सफु जतनु याष्ि यिवाये । याभ भातु ऩकहॊ बयतु ससधाये ।।
दो0-आयत जननी जासन सफ बयत सनेह सुजान।
कहे उ फनावन ऩारकीॊ सजन सुिासन जान।।186।।
–*–*–
चक्क चष्क्क ष्जसभ ऩुय नय नायी। चहत प्रात उय आयत बायी।।
जागत सफ सनसस बमउ वफहाना। बयत फोराए ससचव सुजाना।।
कहे उ रेहु सफु सतरक सभाजू। फनकहॊ दे फ भुसन याभकहॊ याजू।।
फेसग चरहु सुसन ससचव जोहाये । तुयत तुयग यथ नाग सॉवाये ।।
अरुॊ धती अरु असगसन सभाऊ। यथ चकढ़ चरे प्रथभ भुसनयाऊ।।
वफप्र फृॊद चकढ़ फाहन नाना। चरे सकर तऩ तेज सनधाना।।
नगय रोग सफ सष्ज सष्ज जाना। सचत्रकूट कहॉ कीन्ह ऩमाना।।
ससवफका सुबग न जाकहॊ फिानी। चकढ़ चकढ़ चरत बई सफ यानी।।
दो0-संवऩ नगय सुसच सेवकसन सादय सकर चराइ।
सुसभरय याभ ससम चयन तफ चरे बयत दोउ बाइ।।187।।
–*–*–
याभ दयस फस सफ नय नायी। जनु करय करयसन चरे तकक फायी।।
फन ससम याभु सभुष्झ भन भाहीॊ। सानुज बयत ऩमादे कहॊ जाहीॊ।।
दे ष्ि सनेहु रोग अनुयागे। उतरय चरे हम गम यथ त्मागे।।
जाइ सभीऩ याष्ि सनज डोरी। याभ भातु भृद ु फानी फोरी।।
तात चढ़हु यथ फसर भहतायी। होइकह वप्रम ऩरयवारु दि
ु ायी।।
तुम्हयईऄ चरत चसरकह सफु रोगू। सकर सोक कृ स नकहॊ भग जोगू।।
ससय धरय फचन चयन ससरु नाई। यथ चकढ़ चरत बए दोउ बाई।।
तभसा प्रथभ कदवस करय फासू। दस
ू य गोभसत तीय सनवासू।।
दो0-ऩम अहाय पर असन एक सनसस बोजन एक रोग।
कयत याभ कहत नेभ ब्रत ऩरयहरय बूषन बोग।।188।।
–*–*–

200
सई तीय फसस चरे वफहाने। सृॊगफेयऩुय सफ सनअयाने।।
सभाचाय सफ सुने सनषादा। रृदमॉ वफचाय कयइ सवफषादा।।
कायन कवन बयतु फन जाहीॊ। है कछु कऩट बाउ भन भाहीॊ।।
जं ऩै ष्जमॉ न होसत कुकटराई। तौ कत रीन्ह सॊग कटकाई।।
जानकहॊ सानुज याभकह भायी। कयउॉ अकॊटक याजु सुिायी।।
बयत न याजनीसत उय आनी। तफ करॊकु अफ जीवन हानी।।
सकर सुयासुय जुयकहॊ जुझाया। याभकह सभय न जीतसनहाया।।
का आचयजु बयतु अस कयहीॊ। नकहॊ वफष फेसर असभअ पर पयहीॊ।।
दो0-अस वफचारय गुहॉ ग्मासत सन कहे उ सजग सफ होहु।
हथवाॉसहु फोयहु तयसन कीष्जअ घाटायोहु।।189।।
–*–*–
होहु सॉजोइर योकहु घाटा। ठाटहु सकर भयै के ठाटा।।
सनभुि रोह बयत सन रेऊॉ। ष्जअत न सुयसरय उतयन दे ऊॉ।।
सभय भयनु ऩुसन सुयसरय तीया। याभ काजु छनबॊगु सयीया।।
बयत बाइ नृऩु भै जन नीचू। फड़ईऄ बाग असस ऩाइअ भीचू।।
स्वासभ काज करयहउॉ यन यायी। जस धवसरहउॉ बुवन दस चायी।।
तजउॉ प्रान यघुनाथ सनहोयईऄ । दह
ु ूॉ हाथ भुद भोदक भोयईऄ ।।
साधु सभाज न जाकय रेिा। याभ बगत भहुॉ जासु न ये िा।।
जामॉ ष्जअत जग सो भकह बारू। जननी जौफन वफटऩ कुठारू।।
दो0-वफगत वफषाद सनषादऩसत सफकह फढ़ाइ उछाहु।
सुसभरय याभ भागेउ तुयत तयकस धनुष सनाहु।।190।।
–*–*–
फेगहु बाइहु सजहु सॉजोऊ। सुसन यजाइ कदयाइ न कोऊ।।
बरेकहॊ नाथ सफ कहकहॊ सहयषा। एककहॊ एक फढ़ावइ कयषा।।
चरे सनषाद जोहारय जोहायी। सूय सकर यन रूचइ यायी।।
सुसभरय याभ ऩद ऩॊकज ऩनहीॊ। बाथीॊ फाॉसध चढ़ाइष्न्ह धनहीॊ।।
अॉगयी ऩकहरय कूॉकड़ ससय धयहीॊ। पयसा फाॉस सेर सभ कयहीॊ।।
एक कुसर असत ओड़न िाॉड़े। कूदकह गगन भनहुॉ सछसत छाॉड़े।।
सनज सनज साजु सभाजु फनाई। गुह याउतकह जोहाये जाई।।
दे ष्ि सुबट सफ रामक जाने। रै रै नाभ सकर सनभाने।।
दो0-बाइहु रावहु धोि जसन आजु काज फड़ भोकह।
सुसन सयोष फोरे सुबट फीय अधीय न होकह।।191।।
–*–*–

201
याभ प्रताऩ नाथ फर तोये । कयकहॊ कटकु वफनु बट वफनु घोये ।।
जीवत ऩाउ न ऩाछईऄ धयहीॊ। रुॊ ड भुॊडभम भेकदसन कयहीॊ।।
दीि सनषादनाथ बर टोरू। कहे उ फजाउ जुझाऊ ढोरू।।
एतना कहत छीॊक बइ फाॉए। कहे उ सगुसनअन्ह िेत सुहाए।।
फूढ़ु एकु कह सगुन वफचायी। बयतकह सभसरअ न होइकह यायी।।
याभकह बयतु भनावन जाहीॊ। सगुन कहइ अस वफग्रहु नाहीॊ।।
सुसन गुह कहइ नीक कह फूढ़ा। सहसा करय ऩसछताकहॊ वफभूढ़ा।।
बयत सुबाउ सीरु वफनु फूझईऄ। फकड़ कहत हासन जासन वफनु जूझईऄ।।
दो0-गहहु घाट बट ससभकट सफ रेउॉ भयभ सभसर जाइ।
फूष्झ सभत्र अरय भध्म गसत तस तफ करयहउॉ आइ।।192।।
–*–*–
रिन सनेहु सुबामॉ सुहाएॉ। फैरु प्रीसत नकहॊ दयु इॉ दयु ाएॉ।।
अस ककह बईऄट सॉजोवन रागे। कॊद भूर पर िग भृग भागे।।
भीन ऩीन ऩाठीन ऩुयाने। बरय बरय बाय कहायन्ह आने।।
सभरन साजु सष्ज सभरन ससधाए। भॊगर भूर सगुन सुब ऩाए।।
दे ष्ि दरू य तईऄ ककह सनज नाभू। कीन्ह भुनीसकह दॊ ड प्रनाभू।।
जासन याभवप्रम दीष्न्ह असीसा। बयतकह कहे उ फुझाइ भुनीसा।।
याभ सिा सुसन सॊदनु त्मागा। चरे उतरय उभगत अनुयागा।।
गाउॉ जासत गुहॉ नाउॉ सुनाई। कीन्ह जोहारु भाथ भकह राई।।
दो0-कयत दॊ डवत दे ष्ि तेकह बयत रीन्ह उय राइ।
भनहुॉ रिन सन बईऄट बइ प्रेभ न रृदमॉ सभाइ।।193।।
–*–*–
बईऄटत बयतु ताकह असत प्रीती। रोग ससहाकहॊ प्रेभ कै यीती।।
धन्म धन्म धुसन भॊगर भूरा। सुय सयाकह तेकह फरयसकहॊ पूरा।।
रोक फेद सफ बाॉसतकहॊ नीचा। जासु छाॉह छुइ रेइअ सीॊचा।।
तेकह बरय अॊक याभ रघु र्भ्ाता। सभरत ऩुरक ऩरयऩूरयत गाता।।
याभ याभ ककह जे जभुहाहीॊ। सतन्हकह न ऩाऩ ऩुॊज सभुहाहीॊ।।
मह तौ याभ राइ उय रीन्हा। कुर सभेत जगु ऩावन कीन्हा।।
कयभनास जरु सुयसरय ऩयई। तेकह को कहहु सीस नकहॊ धयई।।
उरटा नाभु जऩत जगु जाना। फारभीकक बए ब्रह्म सभाना।।
दो0-स्वऩच सफय िस जभन जड़ ऩावॉय कोर ककयात।
याभु कहत ऩावन ऩयभ होत बुवन वफख्मात।।194।।
–*–*–

202
नकहॊ असचयजु जुग जुग चसर आई। केकह न दीष्न्ह यघुफीय फड़ाई।।
याभ नाभ भकहभा सुय कहहीॊ। सुसन सुसन अवधरोग सुिु रहहीॊ।।
याभसिकह सभसर बयत सप्रेभा। ऩूॉछी कुसर सुभॊगर िेभा।।
दे ष्ि बयत कय सीर सनेहू। बा सनषाद तेकह सभम वफदे हू।।
सकुच सनेहु भोद ु भन फाढ़ा। बयतकह सचतवत एकटक ठाढ़ा।।
धरय धीयजु ऩद फॊकद फहोयी। वफनम सप्रेभ कयत कय जोयी।।
कुसर भूर ऩद ऩॊकज ऩेिी। भईआ सतहुॉ कार कुसर सनज रेिी।।
अफ प्रबु ऩयभ अनुग्रह तोयईऄ । सकहत कोकट कुर भॊगर भोयईऄ ।।
दो0-सभुष्झ भोरय कयतूसत कुरु प्रबु भकहभा ष्जमॉ जोइ।
जो न बजइ यघुफीय ऩद जग वफसध फॊसचत सोइ।।195।।
–*–*–
कऩटी कामय कुभसत कुजाती। रोक फेद फाहे य सफ बाॉती।।
याभ कीन्ह आऩन जफही तईऄ। बमउॉ बुवन बूषन तफही तईऄ।।
दे ष्ि प्रीसत सुसन वफनम सुहाई। सभरेउ फहोरय बयत रघु बाई।।
ककह सनषाद सनज नाभ सुफानीॊ। सादय सकर जोहायीॊ यानीॊ।।
जासन रिन सभ दे कहॊ असीसा। ष्जअहु सुिी सम राि फयीसा।।
सनयष्ि सनषाद ु नगय नय नायी। बए सुिी जनु रिनु सनहायी।।
कहकहॊ रहे उ एकहॊ जीवन राहू। बईऄटेउ याभबर बरय फाहू।।
सुसन सनषाद ु सनज बाग फड़ाई। प्रभुकदत भन रइ चरेउ रेवाई।।
दो0-सनकाये सेवक सकर चरे स्वासभ रुि ऩाइ।
घय तरु तय सय फाग फन फास फनाएष्न्ह जाइ।।196।।
–*–*–
सृॊगफेयऩुय बयत दीि जफ। बे सनेहॉ सफ अॊग सससथर तफ।।
सोहत कदएॉ सनषादकह रागू। जनु तनु धयईऄ वफनम अनुयागू।।
एकह वफसध बयत सेनु सफु सॊगा। दीष्ि जाइ जग ऩावसन गॊगा।।
याभघाट कहॉ कीन्ह प्रनाभू। बा भनु भगनु सभरे जनु याभू।।
कयकहॊ प्रनाभ नगय नय नायी। भुकदत ब्रह्मभम फारय सनहायी।।
करय भज्जनु भागकहॊ कय जोयी। याभचॊर ऩद प्रीसत न थोयी।।
बयत कहे उ सुयसरय तव ये नू। सकर सुिद सेवक सुयधेनू।।
जोरय ऩासन फय भागउॉ एहू। सीम याभ ऩद सहज सनेहू।।
दो0-एकह वफसध भज्जनु बयतु करय गुय अनुसासन ऩाइ।
भातु नहानीॊ जासन सफ डे या चरे रवाइ।।197।।
–*–*–

203
जहॉ तहॉ रोगन्ह डे या कीन्हा। बयत सोधु सफही कय रीन्हा।।
सुय सेवा करय आमसु ऩाई। याभ भातु ऩकहॊ गे दोउ बाई।।
चयन चाॉवऩ ककह ककह भृद ु फानी। जननीॊ सकर बयत सनभानी।।
बाइकह संवऩ भातु सेवकाई। आऩु सनषादकह रीन्ह फोराई।।
चरे सिा कय सं कय जोयईऄ । सससथर सयीय सनेह न थोयईऄ ।।
ऩूॉछत सिकह सो ठाउॉ दे िाऊ। नेकु नमन भन जयसन जुड़ाऊ।।
जहॉ ससम याभु रिनु सनसस सोए। कहत बये जर रोचन कोए।।
बयत फचन सुसन बमउ वफषाद।ू तुयत तहाॉ रइ गमउ सनषाद।ू ।
दो0-जहॉ ससॊसुऩा ऩुनीत तय यघुफय ककम वफश्राभु।
असत सनेहॉ सादय बयत कीन्हे उ दॊ ड प्रनाभु।।198।।
–*–*–
कुस साॉथयीíसनहारय सुहाई। कीन्ह प्रनाभु प्रदष्छछन जाई।।
चयन ये ि यज आॉष्िन्ह राई। फनइ न कहत प्रीसत असधकाई।।
कनक वफॊद ु दइ
ु चारयक दे िे। यािे सीस सीम सभ रेिे।।
सजर वफरोचन रृदमॉ गरानी। कहत सिा सन फचन सुफानी।।
श्रीहत सीम वफयहॉ दसु तहीना। जथा अवध नय नारय वफरीना।।
वऩता जनक दे उॉ ऩटतय केही। कयतर बोगु जोगु जग जेही।।
ससुय बानुकुर बानु बुआरू। जेकह ससहात अभयावसतऩारू।।
प्राननाथु यघुनाथ गोसाई। जो फड़ होत सो याभ फड़ाई।।
दो0-ऩसत दे वता सुतीम भसन सीम साॉथयी दे ष्ि।
वफहयत ह्रदउ न हहरय हय ऩवफ तईऄ ककठन वफसेवष।।199।।
–*–*–
रारन जोगु रिन रघु रोने। बे न बाइ अस अहकहॊ न होने।।
ऩुयजन वप्रम वऩतु भातु दर
ु ाये । ससम यघुफयकह प्रानवऩआये ।।
भृद ु भूयसत सुकुभाय सुबाऊ। तात फाउ तन राग न काऊ।।
ते फन सहकहॊ वफऩसत सफ बाॉती। सनदये कोकट कुसरस एकहॊ छाती।।
याभ जनसभ जगु कीन्ह उजागय। रूऩ सीर सुि सफ गुन सागय।।
ऩुयजन ऩरयजन गुय वऩतु भाता। याभ सुबाउ सफकह सुिदाता।।
फैरयउ याभ फड़ाई कयहीॊ। फोरसन सभरसन वफनम भन हयहीॊ।।
सायद कोकट कोकट सत सेषा। करय न सककहॊ प्रबु गुन गन रेिा।।
दो0-सुिस्वरुऩ यघुफॊसभसन भॊगर भोद सनधान।
ते सोवत कुस डासस भकह वफसध गसत असत फरवान।।200।।
–*–*–

204
याभ सुना दि
ु ु कान न काऊ। जीवनतरु ष्जसभ जोगवइ याऊ।।
ऩरक नमन पसन भसन जेकह बाॉती। जोगवकहॊ जनसन सकर कदन याती।।
ते अफ कपयत वफवऩन ऩदचायी। कॊद भूर पर पूर अहायी।।
सधग कैकेई अभॊगर भूरा। बइसस प्रान वप्रमतभ प्रसतकूरा।।
भईआ सधग सधग अघ उदसध अबागी। सफु उतऩातु बमउ जेकह रागी।।
कुर करॊकु करय सृजेउ वफधाताॉ। साइॉ दोह भोकह कीन्ह कुभाताॉ।।
सुसन सप्रेभ सभुझाव सनषाद।ू नाथ करयअ कत फाकद वफषाद।ू ।
याभ तुम्हकह वप्रम तुम्ह वप्रम याभकह। मह सनयजोसु दोसु वफसध फाभकह।।
छॊ 0-वफसध फाभ की कयनी ककठन जईऄकहॊ भातु कीन्ही फावयी।
तेकह यासत ऩुसन ऩुसन कयकहॊ प्रबु सादय सयहना यावयी।।
तुरसी न तुम्ह सो याभ प्रीतभु कहतु हं सौहईऄ ककएॉ।
ऩरयनाभ भॊगर जासन अऩने आसनए धीयजु कहएॉ।।
सो0-अॊतयजाभी याभु सकुच सप्रेभ कृ ऩामतन।
चसरअ करयअ वफश्राभु मह वफचारय दृढ़ आसन भन।।201।।
सिा फचन सुसन उय धरय धीया। फास चरे सुसभयत यघुफीया।।
मह सुसध ऩाइ नगय नय नायी। चरे वफरोकन आयत बायी।।
ऩयदष्िना करय कयकहॊ प्रनाभा। दे कहॊ कैकइकह िोरय सनकाभा।।
बयी बरय फारय वफरोचन रईऄहीॊ। फाभ वफधाताकह दष
ू न दे हीॊ।।
एक सयाहकहॊ बयत सनेहू। कोउ कह नृऩसत सनफाहे उ नेहू।।
सनॊदकहॊ आऩु सयाकह सनषादकह। को ककह सकइ वफभोह वफषादकह।।
एकह वफसध यासत रोगु सफु जागा। बा सबनुसाय गुदाया रागा।।
गुयकह सुनावॉ चढ़ाइ सुहाईं। नईं नाव सफ भातु चढ़ाईं।।
दॊ ड चारय भहॉ बा सफु ऩाया। उतरय बयत तफ सफकह सॉबाया।।
दो0-प्रातकक्रमा करय भातु ऩद फॊकद गुयकह ससरु नाइ।
आगईऄ ककए सनषाद गन दीन्हे उ कटकु चराइ।।202।।
–*–*–
ककमउ सनषादनाथु अगुआईं। भातु ऩारकीॊ सकर चराईं।।
साथ फोराइ बाइ रघु दीन्हा। वफप्रन्ह सकहत गवनु गुय कीन्हा।।
आऩु सुयसरयकह कीन्ह प्रनाभू। सुसभये रिन सकहत ससम याभू।।
गवने बयत ऩमोदे कहॊ ऩाए। कोतर सॊग जाकहॊ डोरयआए।।
कहकहॊ सुसेवक फायकहॊ फाया। होइअ नाथ अस्व असवाया।।
याभु ऩमोदे कह ऩामॉ ससधाए। हभ कहॉ यथ गज फाष्ज फनाए।।

205
ससय बय जाउॉ उसचत अस भोया। सफ तईऄ सेवक धयभु कठोया।।
दे ष्ि बयत गसत सुसन भृद ु फानी। सफ सेवक गन गयकहॊ गरानी।।
दो0-बयत तीसये ऩहय कहॉ कीन्ह प्रफेसु प्रमाग।
कहत याभ ससम याभ ससम उभसग उभसग अनुयाग।।203।।
–*–*–
झरका झरकत ऩामन्ह कईआसईऄ। ऩॊकज कोस ओस कन जैसईऄ।।
बयत ऩमादे कहॊ आए आजू। बमउ दष्ु ित सुसन सकर सभाजू।।
िफरय रीन्ह सफ रोग नहाए। कीन्ह प्रनाभु वत्रफेसनकहॊ आए।।
सवफसध ससताससत नीय नहाने। कदए दान भकहसुय सनभाने।।
दे ित स्माभर धवर हरोये । ऩुरकक सयीय बयत कय जोये ।।
सकर काभ प्रद तीयथयाऊ। फेद वफकदत जग प्रगट प्रबाऊ।।
भागउॉ बीि त्मासग सनज धयभू। आयत काह न कयइ कुकयभू।।
अस ष्जमॉ जासन सुजान सुदानी। सपर कयकहॊ जग जाचक फानी।।
दो0-अयथ न धयभ न काभ रुसच गसत न चहउॉ सनयफान।
जनभ जनभ यसत याभ ऩद मह फयदानु न आन।।204।।
–*–*–
जानहुॉ याभु कुकटर करय भोही। रोग कहउ गुय साकहफ रोही।।
सीता याभ चयन यसत भोयईऄ । अनुकदन फढ़उ अनुग्रह तोयईऄ ।।
जरद ु जनभ बरय सुयसत वफसायउ। जाचत जरु ऩवफ ऩाहन डायउ।।
चातकु यटसन घटईऄ घकट जाई। फढ़े प्रेभु सफ बाॉसत बराई।।
कनककहॊ फान चढ़इ ष्जसभ दाहईऄ । सतसभ वप्रमतभ ऩद नेभ सनफाहईऄ ।।
बयत फचन सुसन भाझ वत्रफेनी। बइ भृद ु फासन सुभॊगर दे नी।।
तात बयत तुम्ह सफ वफसध साधू। याभ चयन अनुयाग अगाधू।।
फाद गरासन कयहु भन भाहीॊ। तुम्ह सभ याभकह कोउ वप्रम नाहीॊ।।
दो0-तनु ऩुरकेउ कहमॉ हयषु सुसन फेसन फचन अनुकूर।
बयत धन्म ककह धन्म सुय हयवषत फयषकहॊ पूर।।205।।
–*–*–
प्रभुकदत तीयथयाज सनवासी। फैिानस फटु गृही उदासी।।
कहकहॊ ऩयसऩय सभसर दस ऩाॉचा। बयत सनेह सीरु सुसच साॉचा।।
सुनत याभ गुन ग्राभ सुहाए। बयद्वाज भुसनफय ऩकहॊ आए।।
दॊ ड प्रनाभु कयत भुसन दे िे। भूयसतभॊत बाग्म सनज रेिे।।
धाइ उठाइ राइ उय रीन्हे । दीष्न्ह असीस कृ तायथ कीन्हे ।।
आसनु दीन्ह नाइ ससरु फैठे। चहत सकुच गृहॉ जनु बष्ज ऩैठे।।

206
भुसन ऩूॉछफ कछु मह फड़ सोचू। फोरे रयवष रष्ि सीरु सॉकोचू।।
सुनहु बयत हभ सफ सुसध ऩाई। वफसध कयतफ ऩय ककछु न फसाई।।
दो0-तुम्ह गरासन ष्जमॉ जसन कयहु सभुझी भातु कयतूसत।
तात कैकइकह दोसु नकहॊ गई सगया भसत धूसत।।206।।
–*–*–
महउ कहत बर ककहकह न कोऊ। रोकु फेद फुध सॊभत दोऊ।।
तात तुम्हाय वफभर जसु गाई। ऩाइकह रोकउ फेद ु फड़ाई।।
रोक फेद सॊभत सफु कहई। जेकह वऩतु दे इ याजु सो रहई।।
याउ सत्मब्रत तुम्हकह फोराई। दे त याजु सुिु धयभु फड़ाई।।
याभ गवनु फन अनयथ भूरा। जो सुसन सकर वफस्व बइ सूरा।।
सो बावी फस यासन अमानी। करय कुचासर अॊतहुॉ ऩसछतानी।।
तहॉ उॉ तुम्हाय अरऩ अऩयाधू। कहै सो अधभ अमान असाधू।।
कयतेहु याजु त तुम्हकह न दोषू। याभकह होत सुनत सॊतोषू।।
दो0-अफ असत कीन्हे हु बयत बर तुम्हकह उसचत भत एहु।
सकर सुभॊगर भूर जग यघुफय चयन सनेहु।।207।।
–*–*–
सो तुम्हाय धनु जीवनु प्राना। बूरयबाग को तुम्हकह सभाना।।
मह तम्हाय आचयजु न ताता। दसयथ सुअन याभ वप्रम र्भ्ाता।।
सुनहु बयत यघुफय भन भाहीॊ। ऩेभ ऩात्रु तुम्ह सभ कोउ नाहीॊ।।
रिन याभ सीतकह असत प्रीती। सनसस सफ तुम्हकह सयाहत फीती।।
जाना भयभु नहात प्रमागा। भगन होकहॊ तुम्हयईऄ अनुयागा।।
तुम्ह ऩय अस सनेहु यघुफय कईऄ। सुि जीवन जग जस जड़ नय कईऄ।।
मह न असधक यघुफीय फड़ाई। प्रनत कुटु ॊ फ ऩार यघुयाई।।
तुम्ह तौ बयत भोय भत एहू। धयईऄ दे ह जनु याभ सनेहू।।
दो0-तुम्ह कहॉ बयत करॊक मह हभ सफ कहॉ उऩदे सु।
याभ बगसत यस ससवद्ध कहत बा मह सभउ गनेसु।।208।।
–*–*–
नव वफधु वफभर तात जसु तोया। यघुफय ककॊकय कुभुद चकोया।।
उकदत सदा अॉथइकह कफहूॉ ना। घकटकह न जग नब कदन कदन दन
ू ा।।
कोक सतरोक प्रीसत असत करयही। प्रबु प्रताऩ यवफ छवफकह न हरयही।।
सनसस कदन सुिद सदा सफ काहू। ग्रससकह न कैकइ कयतफु याहू।।
ऩूयन याभ सुऩेभ वऩमूषा। गुय अवभान दोष नकहॊ दष
ू ा।।
याभ बगत अफ असभअॉ अघाहूॉ। कीन्हे हु सुरब सुधा फसुधाहूॉ।।

207
बूऩ बगीयथ सुयसरय आनी। सुसभयत सकर सुॊभगर िानी।।
दसयथ गुन गन फयसन न जाहीॊ। असधकु कहा जेकह सभ जग नाहीॊ।।
दो0-जासु सनेह सकोच फस याभ प्रगट बए आइ।।
जे हय कहम नमनसन कफहुॉ सनयिे नहीॊ अघाइ।।209।।
–*–*–
कीयसत वफधु तुम्ह कीन्ह अनूऩा। जहॉ फस याभ ऩेभ भृगरूऩा।।
तात गरासन कयहु ष्जमॉ जाएॉ। डयहु दरयरकह ऩायसु ऩाएॉ।।।।
सुनहु बयत हभ झूठ न कहहीॊ। उदासीन ताऩस फन यहहीॊ।।
सफ साधन कय सुपर सुहावा। रिन याभ ससम दयसनु ऩावा।।
तेकह पर कय परु दयस तुम्हाया। सकहत ऩमाग सुबाग हभाया।।
बयत धन्म तुम्ह जसु जगु जमऊ। ककह अस ऩेभ भगन ऩुसन बमऊ।।
सुसन भुसन फचन सबासद हयषे। साधु सयाकह सुभन सुय फयषे।।
धन्म धन्म धुसन गगन ऩमागा। सुसन सुसन बयतु भगन अनुयागा।।
दो0-ऩुरक गात कहमॉ याभु ससम सजर सयोरुह नैन।
करय प्रनाभु भुसन भॊडसरकह फोरे गदगद फैन।।210।।
–*–*–
भुसन सभाजु अरु तीयथयाजू। साॉसचहुॉ सऩथ अघाइ अकाजू।।
एकहॊ थर जं ककछु ककहअ फनाई। एकह सभ असधक न अघ अधभाई।।
तुम्ह सफाग्म कहउॉ ससतबाऊ। उय अॊतयजाभी यघुयाऊ।।
भोकह न भातु कयतफ कय सोचू। नकहॊ दि
ु ु ष्जमॉ जगु जासनकह ऩोचू।।
नाकहन डरु वफगरयकह ऩयरोकू। वऩतहु भयन कय भोकह न सोकू।।
सुकृत सुजस बरय बुअन सुहाए। रसछभन याभ सरयस सुत ऩाए।।
याभ वफयहॉ तष्ज तनु छनबॊगू। बूऩ सोच कय कवन प्रसॊगू।।
याभ रिन ससम वफनु ऩग ऩनहीॊ। करय भुसन फेष कपयकहॊ फन फनही।।
दो0-अष्जन फसन पर असन भकह समन डासस कुस ऩात।
फसस तरु तय सनत सहत कहभ आतऩ फयषा फात।।211।।
–*–*–
एकह दि
ु दाहॉ दहइ कदन छाती। बूि न फासय नीद न याती।।
एकह कुयोग कय औषधु नाहीॊ। सोधेउॉ सकर वफस्व भन भाहीॊ।।
भातु कुभत फढ़ई अघ भूरा। तेकहॊ हभाय कहत कीन्ह फॉसूरा।।
कसर कुकाठ कय कीन्ह कुजॊत्रू। गाकड़ अवसध ऩकढ़ ककठन कुभॊत्रु।।
भोकह रसग महु कुठाटु तेकहॊ ठाटा। घारेसस सफ जगु फायहफाटा।।
सभटइ कुजोगु याभ कपरय आएॉ। फसइ अवध नकहॊ आन उऩाएॉ।।

208
बयत फचन सुसन भुसन सुिु ऩाई। सफकहॊ कीन्ह फहु बाॉसत फड़ाई।।
तात कयहु जसन सोचु वफसेषी। सफ दि
ु ु सभटकह याभ ऩग दे िी।।
दो0-करय प्रफोध भुसनफय कहे उ असतसथ ऩेभवप्रम होहु।
कॊद भूर पर पूर हभ दे कहॊ रेहु करय छोहु।।212।।
–*–*–
सुसन भुसन फचन बयत कहॉ म सोचू। बमउ कुअवसय ककठन सॉकोचू।।
जासन गरुइ गुय सगया फहोयी। चयन फॊकद फोरे कय जोयी।।
ससय धरय आमसु करयअ तुम्हाया। ऩयभ धयभ महु नाथ हभाया।।
बयत फचन भुसनफय भन बाए। सुसच सेवक ससष सनकट फोराए।।
चाकहए कीन्ह बयत ऩहुनाई। कॊद भूर पर आनहु जाई।।
बरेहीॊ नाथ ककह सतन्ह ससय नाए। प्रभुकदत सनज सनज काज ससधाए।।
भुसनकह सोच ऩाहुन फड़ नेवता। तसस ऩूजा चाकहअ जस दे वता।।
सुसन रयसध सससध असनभाकदक आई। आमसु होइ सो कयकहॊ गोसाई।।
दो0-याभ वफयह ब्माकुर बयतु सानुज सकहत सभाज।
ऩहुनाई करय हयहु श्रभ कहा भुकदत भुसनयाज।।213।।
–*–*–
रयसध सससध ससय धरय भुसनफय फानी। फड़बासगसन आऩुकह अनुभानी।।
कहकहॊ ऩयसऩय सससध सभुदाई। अतुसरत असतसथ याभ रघु बाई।।
भुसन ऩद फॊकद करयअ सोइ आजू। होइ सुिी सफ याज सभाजू।।
अस ककह यचेउ रुसचय गृह नाना। जेकह वफरोकक वफरिाकहॊ वफभाना।।
बोग वफबूसत बूरय बरय यािे। दे ित ष्जन्हकह अभय असबराषे।।
दासीॊ दास साजु सफ रीन्हईऄ । जोगवत यहकहॊ भनकह भनु दीन्हईऄ ।।
सफ सभाजु सष्ज सससध ऩर भाहीॊ। जे सुि सुयऩुय सऩनेहुॉ नाहीॊ।।
प्रथभकहॊ फास कदए सफ केही। सुॊदय सुिद जथा रुसच जेही।।
दो0-फहुरय सऩरयजन बयत कहुॉ रयवष अस आमसु दीन्ह।
वफसध वफसभम दामकु वफबव भुसनफय तऩफर कीन्ह।।214।।
–*–*–
भुसन प्रबाउ जफ बयत वफरोका। सफ रघु रगे रोकऩसत रोका।।
सुि सभाजु नकहॊ जाइ फिानी। दे ित वफयसत वफसायहीॊ ग्मानी।।
आसन समन सुफसन वफताना। फन फाकटका वफहग भृग नाना।।
सुयसब पूर पर असभअ सभाना। वफभर जरासम वफवफध वफधाना।
असन ऩान सुच असभअ अभी से। दे ष्ि रोग सकुचात जभी से।।
सुय सुयबी सुयतरु सफही कईऄ। रष्ि असबराषु सुयेस सची कईऄ।।

209
रयतु फसॊत फह वत्रवफध फमायी। सफ कहॉ सुरब ऩदायथ चायी।।
स्त्रक चॊदन फसनताकदक बोगा। दे ष्ि हयष वफसभम फस रोगा।।
दो0-सॊऩत चकई बयतु चक भुसन आमस िेरवाय।।
तेकह सनसस आश्रभ वऩॊजयाॉ यािे बा सबनुसाय।।215।।
भासऩायामण, उन्नीसवाॉ ववश्राभ
–*–*–
कीन्ह सनभज्जनु तीयथयाजा। नाइ भुसनकह ससरु सकहत सभाजा।।
रयवष आमसु असीस ससय यािी। करय दॊ डवत वफनम फहु बाषी।।
ऩथ गसत कुसर साथ सफ रीन्हे । चरे सचत्रकूटकहॊ सचतु दीन्हईऄ ।।
याभसिा कय दीन्हईऄ रागू। चरत दे ह धरय जनु अनुयागू।।
नकहॊ ऩद त्रान सीस नकहॊ छामा। ऩेभु नेभु ब्रतु धयभु अभामा।।
रिन याभ ससम ऩॊथ कहानी। ऩूॉछत सिकह कहत भृद ु फानी।।
याभ फास थर वफटऩ वफरोकईऄ। उय अनुयाग यहत नकहॊ योकईआ।।
दै ष्ि दसा सुय फरयसकहॊ पूरा। बइ भृद ु भकह भगु भॊगर भूरा।।
दो0-ककएॉ जाकहॊ छामा जरद सुिद फहइ फय फात।
तस भगु बमउ न याभ कहॉ जस बा बयतकह जात।।216।।
–*–*–
जड़ चेतन भग जीव घनेये। जे सचतए प्रबु ष्जन्ह प्रबु हे ये।।
ते सफ बए ऩयभ ऩद जोगू। बयत दयस भेटा बव योगू।।
मह फकड़ फात बयत कइ नाहीॊ। सुसभयत ष्जनकह याभु भन भाहीॊ।।
फायक याभ कहत जग जेऊ। होत तयन तायन नय तेऊ।।
बयतु याभ वप्रम ऩुसन रघु र्भ्ाता। कस न होइ भगु भॊगरदाता।।
ससद्ध साधु भुसनफय अस कहहीॊ। बयतकह सनयष्ि हयषु कहमॉ रहहीॊ।।
दे ष्ि प्रबाउ सुयेसकह सोचू। जगु बर बरेकह ऩोच कहुॉ ऩोचू।।
गुय सन कहे उ करयअ प्रबु सोई। याभकह बयतकह बईऄट न होई।।
दो0-याभु सॉकोची प्रेभ फस बयत सऩेभ ऩमोसध।
फनी फात फेगयन चहसत करयअ जतनु छरु सोसध।।217।।
–*–*–
फचन सुनत सुयगुरु भुसकाने। सहसनमन वफनु रोचन जाने।।
भामाऩसत सेवक सन भामा। कयइ त उरकट ऩयइ सुययामा।।
तफ ककछु कीन्ह याभ रुि जानी। अफ कुचासर करय होइकह हानी।।
सुनु सुयेस यघुनाथ सुबाऊ। सनज अऩयाध रयसाकहॊ न काऊ।।
जो अऩयाधु बगत कय कयई। याभ योष ऩावक सो जयई।।

210
रोकहुॉ फेद वफकदत इसतहासा। मह भकहभा जानकहॊ दयु फासा।।
बयत सरयस को याभ सनेही। जगु जऩ याभ याभु जऩ जेही।।
दो0-भनहुॉ न आसनअ अभयऩसत यघुफय बगत अकाजु।
अजसु रोक ऩयरोक दि ु कदन कदन सोक सभाजु।।218।।
–*–*–
सुनु सुयेस उऩदे सु हभाया। याभकह सेवकु ऩयभ वऩआया।।
भानत सुिु सेवक सेवकाई। सेवक फैय फैरु असधकाई।।
जयवऩ सभ नकहॊ याग न योषू। गहकहॊ न ऩाऩ ऩूनु गुन दोषू।।
कयभ प्रधान वफस्व करय यािा। जो जस कयइ सो तस परु चािा।।
तदवऩ कयकहॊ सभ वफषभ वफहाया। बगत अबगत रृदम अनुसाया।।
अगुन अरेऩ अभान एकयस। याभु सगुन बए बगत ऩेभ फस।।
याभ सदा सेवक रुसच यािी। फेद ऩुयान साधु सुय सािी।।
अस ष्जमॉ जासन तजहु कुकटराई। कयहु बयत ऩद प्रीसत सुहाई।।
दो0-याभ बगत ऩयकहत सनयत ऩय दि
ु दि
ु ी दमार।
बगत ससयोभसन बयत तईऄ जसन डयऩहु सुयऩार।।219।।
–*–*–
सत्मसॊध प्रबु सुय कहतकायी। बयत याभ आमस अनुसायी।।
स्वायथ वफफस वफकर तुम्ह होहू। बयत दोसु नकहॊ याउय भोहू।।
सुसन सुयफय सुयगुय फय फानी। बा प्रभोद ु भन सभटी गरानी।।
फयवष प्रसून हयवष सुययाऊ। रगे सयाहन बयत सुबाऊ।।
एकह वफसध बयत चरे भग जाहीॊ। दसा दे ष्ि भुसन ससद्ध ससहाहीॊ।।
जफकहॊ याभु ककह रेकहॊ उसासा। उभगत ऩेभु भनहॉ चहु ऩासा।।
रवकहॊ फचन सुसन कुसरस ऩषाना। ऩुयजन ऩेभु न जाइ फिाना।।
फीच फास करय जभुनकहॊ आए। सनयष्ि नीरु रोचन जर छाए।।
दो0-यघुफय फयन वफरोकक फय फारय सभेत सभाज।
होत भगन फारयसध वफयह चढ़े वफफेक जहाज।।220।।
–*–*–
जभुन तीय तेकह कदन करय फासू। बमउ सभम सभ सफकह सुऩासू।।
यातकहॊ घाट घाट की तयनी। आईं अगसनत जाकहॊ न फयनी।।
प्रात ऩाय बए एककह िईऄवाॉ। तोषे याभसिा की सेवाॉ।।
चरे नहाइ नकदकह ससय नाई। साथ सनषादनाथ दोउ बाई।।
आगईऄ भुसनफय फाहन आछईऄ । याजसभाज जाइ सफु ऩाछईऄ ।।
तेकहॊ ऩाछईऄ दोउ फॊधु ऩमादईऄ । बूषन फसन फेष सुकठ सादईऄ ।।

211
सेवक सुह्रद ससचवसुत साथा। सुसभयत रिनु सीम यघुनाथा।।
जहॉ जहॉ याभ फास वफश्राभा। तहॉ तहॉ कयकहॊ सप्रेभ प्रनाभा।।
दो0-भगफासी नय नारय सुसन धाभ काभ तष्ज धाइ।
दे ष्ि सरूऩ सनेह सफ भुकदत जनभ परु ऩाइ।।221।।
–*–*–
कहकहॊ सऩेभ एक एक ऩाहीॊ। याभु रिनु सष्ि होकहॊ कक नाहीॊ।।
फम फऩु फयन रूऩ सोइ आरी। सीरु सनेहु सरयस सभ चारी।।
फेषु न सो सष्ि सीम न सॊगा। आगईऄ अनी चरी चतुयॊगा।।
नकहॊ प्रसन्न भुि भानस िेदा। सष्ि सॊदेहु होइ एकहॊ बेदा।।
तासु तयक सतमगन भन भानी। कहकहॊ सकर तेकह सभ न समानी।।
तेकह सयाकह फानी पुरय ऩूजी। फोरी भधुय फचन सतम दज
ू ी।।
ककह सऩेभ सफ कथाप्रसॊगू। जेकह वफसध याभ याज यस बॊगू।।
बयतकह फहुरय सयाहन रागी। सीर सनेह सुबाम सुबागी।।
दो0-चरत ऩमादईऄ िात पर वऩता दीन्ह तष्ज याजु।
जात भनावन यघुफयकह बयत सरयस को आजु।।222।।
–*–*–
बामऩ बगसत बयत आचयनू। कहत सुनत दिु दषू न हयनू।।
जो कछु कहफ थोय सष्ि सोई। याभ फॊधु अस काहे न होई।।
हभ सफ सानुज बयतकह दे िईऄ। बइन्ह धन्म जुफती जन रेिईऄ।।
सुसन गुन दे ष्ि दसा ऩसछताहीॊ। कैकइ जनसन जोगु सुतु नाहीॊ।।
कोउ कह दष
ू नु यासनकह नाकहन। वफसध सफु कीन्ह हभकह जो दाकहन।।
कहॉ हभ रोक फेद वफसध हीनी। रघु सतम कुर कयतूसत भरीनी।।
फसकहॊ कुदे स कुगाॉव कुफाभा। कहॉ मह दयसु ऩुन्म ऩरयनाभा।।
अस अनॊद ु असचरयजु प्रसत ग्राभा। जनु भरुबूसभ करऩतरु जाभा।।
दो0-बयत दयसु दे ित िुरेउ भग रोगन्ह कय बागु।
जनु ससॊघरफाससन्ह बमउ वफसध फस सुरब प्रमागु।।223।।
–*–*–
सनज गुन सकहत याभ गुन गाथा। सुनत जाकहॊ सुसभयत यघुनाथा।।
तीयथ भुसन आश्रभ सुयधाभा। सनयष्ि सनभज्जकहॊ कयकहॊ प्रनाभा।।
भनहीॊ भन भागकहॊ फरु एहू। सीम याभ ऩद ऩदभ
ु सनेहू।।
सभरकहॊ ककयात कोर फनफासी। फैिानस फटु जती उदासी।।
करय प्रनाभु ऩूॉछकहॊ जेकहॊ तेही। केकह फन रिनु याभु फैदेही।।
ते प्रबु सभाचाय सफ कहहीॊ। बयतकह दे ष्ि जनभ परु रहहीॊ।।

212
जे जन कहकहॊ कुसर हभ दे िे। ते वप्रम याभ रिन सभ रेिे।।
एकह वफसध फूझत सफकह सुफानी। सुनत याभ फनफास कहानी।।
दो0-तेकह फासय फसस प्रातहीॊ चरे सुसभरय यघुनाथ।
याभ दयस की रारसा बयत सरयस सफ साथ।।224।।
–*–*–
भॊगर सगुन होकहॊ सफ काहू। पयककहॊ सुिद वफरोचन फाहू।।
बयतकह सकहत सभाज उछाहू। सभसरहकहॊ याभु सभटकह दि
ु दाहू।।
कयत भनोयथ जस ष्जमॉ जाके। जाकहॊ सनेह सुयाॉ सफ छाके।।
सससथर अॊग ऩग भग डसग डोरकहॊ । वफहफर फचन ऩेभ फस फोरकहॊ ।।
याभसिाॉ तेकह सभम दे िावा। सैर ससयोभसन सहज सुहावा।।
जासु सभीऩ सरयत ऩम तीया। सीम सभेत फसकहॊ दोउ फीया।।
दे ष्ि कयकहॊ सफ दॊ ड प्रनाभा। ककह जम जानकक जीवन याभा।।
प्रेभ भगन अस याज सभाजू। जनु कपरय अवध चरे यघुयाजू।।
दो0-बयत प्रेभु तेकह सभम जस तस ककह सकइ न सेषु।
कवफकहॊ अगभ ष्जसभ ब्रह्मसुिु अह भभ भसरन जनेषु।।225।
–*–*–
सकर सनेह सससथर यघुफय कईऄ। गए कोस दइ ु कदनकय ढयकईऄ।।
जरु थरु दे ष्ि फसे सनसस फीतईऄ। कीन्ह गवन यघुनाथ वऩयीतईऄ।।
उहाॉ याभु यजनी अवसेषा। जागे सीमॉ सऩन अस दे िा।।
सकहत सभाज बयत जनु आए। नाथ वफमोग ताऩ तन ताए।।
सकर भसरन भन दीन दि
ु ायी। दे िीॊ सासु आन अनुहायी।।
सुसन ससम सऩन बये जर रोचन। बए सोचफस सोच वफभोचन।।
रिन सऩन मह नीक न होई। ककठन कुचाह सुनाइकह कोई।।
अस ककह फॊधु सभेत नहाने। ऩूष्ज ऩुयारय साधु सनभाने।।
छॊ 0-सनभासन सुय भुसन फॊकद फैठे उत्तय कदसस दे ित बए।
नब धूरय िग भृग बूरय बागे वफकर प्रबु आश्रभ गए।।
तुरसी उठे अवरोकक कायनु काह सचत सचककत यहे ।
सफ सभाचाय ककयात कोरष्न्ह आइ तेकह अवसय कहे ।।
दो0-सुनत सुभॊगर फैन भन प्रभोद तन ऩुरक बय।
सयद सयोरुह नैन तुरसी बये सनेह जर।।226।।
–*–*–
फहुरय सोचफस बे ससमयवनू। कायन कवन बयत आगवनू।।
एक आइ अस कहा फहोयी। सेन सॊग चतुयॊग न थोयी।।

213
सो सुसन याभकह बा असत सोचू। इत वऩतु फच इत फॊधु सकोचू।।
बयत सुबाउ सभुष्झ भन भाहीॊ। प्रबु सचत कहत सथसत ऩावत नाही।।
सभाधान तफ बा मह जाने। बयतु कहे भहुॉ साधु समाने।।
रिन रिेउ प्रबु रृदमॉ िबारू। कहत सभम सभ नीसत वफचारू।।
वफनु ऩूॉछ कछु कहउॉ गोसाईं। सेवकु सभमॉ न ढीठ कढठाई।।
तुम्ह सफाग्म ससयोभसन स्वाभी। आऩसन सभुष्झ कहउॉ अनुगाभी।।
दो0-नाथ सुह्रद सुकठ सयर सचत सीर सनेह सनधान।।
सफ ऩय प्रीसत प्रतीसत ष्जमॉ जासनअ आऩु सभान।।227।।
–*–*–
वफषई जीव ऩाइ प्रबुताई। भूढ़ भोह फस होकहॊ जनाई।।
बयतु नीसत यत साधु सुजाना। प्रबु ऩद प्रेभ सकर जगु जाना।।
तेऊ आजु याभ ऩद ु ऩाई। चरे धयभ भयजाद भेटाई।।
कुकटर कुफॊध कुअवसरु ताकी। जासन याभ फनवास एकाकी।।
करय कुभॊत्रु भन साष्ज सभाजू। आए कयै अकॊटक याजू।।
कोकट प्रकाय करवऩ कुटराई। आए दर फटोरय दोउ बाई।।
जं ष्जमॉ होसत न कऩट कुचारी। केकह सोहासत यथ फाष्ज गजारी।।
बयतकह दोसु दे इ को जाएॉ। जग फौयाइ याज ऩद ु ऩाएॉ।।
दो0-ससस गुय सतम गाभी नघुषु चढ़े उ बूसभसुय जान।
रोक फेद तईऄ वफभुि बा अधभ न फेन सभान।।228।।
–*–*–
सहसफाहु सुयनाथु वत्रसॊकू। केकह न याजभद दीन्ह करॊकू।।
बयत कीन्ह मह उसचत उऩाऊ। रयऩु रयन यॊ च न यािफ काऊ।।
एक कीष्न्ह नकहॊ बयत बराई। सनदये याभु जासन असहाई।।
सभुष्झ ऩरयकह सोउ आजु वफसेषी। सभय सयोष याभ भुिु ऩेिी।।
एतना कहत नीसत यस बूरा। यन यस वफटऩु ऩुरक सभस पूरा।।
प्रबु ऩद फॊकद सीस यज यािी। फोरे सत्म सहज फरु बाषी।।
अनुसचत नाथ न भानफ भोया। बयत हभकह उऩचाय न थोया।।
कहॉ रसग सकहअ यकहअ भनु भायईऄ । नाथ साथ धनु हाथ हभायईऄ ।।
दो0-छवत्र जासत यघुकुर जनभु याभ अनुग जगु जान।
रातहुॉ भायईऄ चढ़सत ससय नीच को धूरय सभान।।229।।
–*–*–
उकठ कय जोरय यजामसु भागा। भनहुॉ फीय यस सोवत जागा।।
फाॉसध जटा ससय कसस ककट बाथा। साष्ज सयासनु सामकु हाथा।।

214
आजु याभ सेवक जसु रेऊॉ। बयतकह सभय ससिावन दे ऊॉ।।
याभ सनयादय कय परु ऩाई। सोवहुॉ सभय सेज दोउ बाई।।
आइ फना बर सकर सभाजू। प्रगट कयउॉ रयस ऩासछर आजू।।
ष्जसभ करय सनकय दरइ भृगयाजू। रेइ रऩेकट रवा ष्जसभ फाजू।।
तैसेकहॊ बयतकह सेन सभेता। सानुज सनदरय सनऩातउॉ िेता।।
जं सहाम कय सॊकरु आई। तौ भायउॉ यन याभ दोहाई।।
दो0-असत सयोष भािे रिनु रष्ि सुसन सऩथ प्रवान।
सबम रोक सफ रोकऩसत चाहत बबरय बगान।।230।।
–*–*–
जगु बम भगन गगन बइ फानी। रिन फाहुफरु वफऩुर फिानी।।
तात प्रताऩ प्रबाउ तुम्हाया। को ककह सकइ को जानसनहाया।।
अनुसचत उसचत काजु ककछु होऊ। सभुष्झ करयअ बर कह सफु कोऊ।।
सहसा करय ऩाछईआ ऩसछताहीॊ। कहकहॊ फेद फुध ते फुध नाहीॊ।।
सुसन सुय फचन रिन सकुचाने। याभ सीमॉ सादय सनभाने।।
कही तात तुम्ह नीसत सुहाई। सफ तईऄ ककठन याजभद ु बाई।।
जो अचवॉत नृऩ भातकहॊ तेई। नाकहन साधुसबा जेकहॊ सेई।।
सुनहु रिन बर बयत सयीसा। वफसध प्रऩॊच भहॉ सुना न दीसा।।
दो0-बयतकह होइ न याजभद ु वफसध हरय हय ऩद ऩाइ।।
कफहुॉ कक काॉजी सीकयसन छीयससॊधु वफनसाइ।।231।।
–*–*–
सतसभरु तरुन तयसनकह भकु सगरई। गगनु भगन भकु भेघकहॊ सभरई।।
गोऩद जर फूड़कहॊ घटजोनी। सहज छभा फरु छाड़ै छोनी।।
भसक पूॉक भकु भेरु उड़ाई। होइ न नृऩभद ु बयतकह बाई।।
रिन तुम्हाय सऩथ वऩतु आना। सुसच सुफॊधु नकहॊ बयत सभाना।।
सगुन िीरु अवगुन जरु ताता। सभरइ यचइ ऩयऩॊचु वफधाता।।
बयतु हॊ स यवफफॊस तड़ागा। जनसभ कीन्ह गुन दोष वफबागा।।
गकह गुन ऩम तष्ज अवगुन फायी। सनज जस जगत कीष्न्ह उष्जआयी।।
कहत बयत गुन सीरु सुबाऊ। ऩेभ ऩमोसध भगन यघुयाऊ।।
दो0-सुसन यघुफय फानी वफफुध दे ष्ि बयत ऩय हे तु।
सकर सयाहत याभ सो प्रबु को कृ ऩासनकेतु।।232।।
–*–*–
जं न होत जग जनभ बयत को। सकर धयभ धुय धयसन धयत को।।
कवफ कुर अगभ बयत गुन गाथा। को जानइ तुम्ह वफनु यघुनाथा।।

215
रिन याभ ससमॉ सुसन सुय फानी। असत सुिु रहे उ न जाइ फिानी।।
इहाॉ बयतु सफ सकहत सहाए। भॊदाककनीॊ ऩुनीत नहाए।।
सरयत सभीऩ याष्ि सफ रोगा। भासग भातु गुय ससचव सनमोगा।।
चरे बयतु जहॉ ससम यघुयाई। साथ सनषादनाथु रघु बाई।।
सभुष्झ भातु कयतफ सकुचाहीॊ। कयत कुतयक कोकट भन भाहीॊ।।
याभु रिनु ससम सुसन भभ नाऊॉ। उकठ जसन अनत जाकहॊ तष्ज ठाऊॉ।।
दो0-भातु भते भहुॉ भासन भोकह जो कछु कयकहॊ सो थोय।
अघ अवगुन छसभ आदयकहॊ सभुष्झ आऩनी ओय।।233।।
–*–*–
जं ऩरयहयकहॊ भसरन भनु जानी। जौ सनभानकहॊ सेवकु भानी।।
भोयईऄ सयन याभकह की ऩनही। याभ सुस्वासभ दोसु सफ जनही।।
जग जस बाजन चातक भीना। नेभ ऩेभ सनज सनऩुन नफीना।।
अस भन गुनत चरे भग जाता। सकुच सनेहॉ सससथर सफ गाता।।
पेयत भनहुॉ भातु कृ त िोयी। चरत बगसत फर धीयज धोयी।।
जफ सभुझत यघुनाथ सुबाऊ। तफ ऩथ ऩयत उताइर ऩाऊ।।
बयत दसा तेकह अवसय कैसी। जर प्रफाहॉ जर असर गसत जैसी।।
दे ष्ि बयत कय सोचु सनेहू। बा सनषाद तेकह सभमॉ वफदे हू।।
दो0-रगे होन भॊगर सगुन सुसन गुसन कहत सनषाद।ु
सभकटकह सोचु होइकह हयषु ऩुसन ऩरयनाभ वफषाद।ु ।234।।
–*–*–
सेवक फचन सत्म सफ जाने। आश्रभ सनकट जाइ सनअयाने।।
बयत दीि फन सैर सभाजू। भुकदत छुसधत जनु ऩाइ सुनाजू।।
ईसत बीसत जनु प्रजा दि
ु ायी। वत्रवफध ताऩ ऩीकड़त ग्रह भायी।।
जाइ सुयाज सुदेस सुिायी। होकहॊ बयत गसत तेकह अनुहायी।।
याभ फास फन सॊऩसत र्भ्ाजा। सुिी प्रजा जनु ऩाइ सुयाजा।।
ससचव वफयागु वफफेकु नये सू। वफवऩन सुहावन ऩावन दे सू।।
बट जभ सनमभ सैर यजधानी। साॊसत सुभसत सुसच सुॊदय यानी।।
सकर अॊग सॊऩन्न सुयाऊ। याभ चयन आसश्रत सचत चाऊ।।
दो0-जीसत भोह भकहऩारु दर सकहत वफफेक बुआरु।
कयत अकॊटक याजु ऩुयॉ सुि सॊऩदा सुकारु।।235।।
–*–*–
फन प्रदे स भुसन फास घनेये। जनु ऩुय नगय गाउॉ गन िेये।।
वफऩुर वफसचत्र वफहग भृग नाना। प्रजा सभाजु न जाइ फिाना।।

216
िगहा करय हरय फाघ फयाहा। दे ष्ि भकहष फृष साजु सयाहा।।
फमरु वफहाइ चयकहॊ एक सॊगा। जहॉ तहॉ भनहुॉ सेन चतुयॊगा।।
झयना झयकहॊ भत्त गज गाजकहॊ । भनहुॉ सनसान वफवफसध वफसध फाजकहॊ ।।
चक चकोय चातक सुक वऩक गन। कूजत भॊजु भयार भुकदत भन।।
असरगन गावत नाचत भोया। जनु सुयाज भॊगर चहु ओया।।
फेसर वफटऩ तृन सपर सपूरा। सफ सभाजु भुद भॊगर भूरा।।
दो-याभ सैर सोबा सनयष्ि बयत रृदमॉ असत ऩेभु।
ताऩस तऩ परु ऩाइ ष्जसभ सुिी ससयानईऄ नेभु।।236।।
भासऩायामण, फीसवाॉ ववश्राभ
नवाह्नऩायामण, ऩाॉचवाॉ ववश्राभ
तफ केवट ऊॉचईऄ चकढ़ धाई। कहे उ बयत सन बुजा उठाई।।
नाथ दे ष्िअकहॊ वफटऩ वफसारा। ऩाकरय जॊफु यसार तभारा।।
ष्जन्ह तरुफयन्ह भध्म फटु सोहा। भॊजु वफसार दे ष्ि भनु भोहा।।
नीर सघन ऩल्ल्व पर रारा। अवफयर छाहॉ सुिद सफ कारा।।
भानहुॉ सतसभय अरुनभम यासी। वफयची वफसध सॉकेसर सुषभा सी।।
ए तरु सरयत सभीऩ गोसाॉई। यघुफय ऩयनकुटी जहॉ छाई।।
तुरसी तरुफय वफवफध सुहाए। कहुॉ कहुॉ ससमॉ कहुॉ रिन रगाए।।
फट छामाॉ फेकदका फनाई। ससमॉ सनज ऩासन सयोज सुहाई।।
दो0-जहाॉ फैकठ भुसनगन सकहत सनत ससम याभु सुजान।
सुनकहॊ कथा इसतहास सफ आगभ सनगभ ऩुयान।।237।।
–*–*–
सिा फचन सुसन वफटऩ सनहायी। उभगे बयत वफरोचन फायी।।
कयत प्रनाभ चरे दोउ बाई। कहत प्रीसत सायद सकुचाई।।
हयषकहॊ सनयष्ि याभ ऩद अॊका। भानहुॉ ऩायसु ऩामउ यॊ का।।
यज ससय धरय कहमॉ नमनष्न्ह रावकहॊ । यघुफय सभरन सरयस सुि ऩावकहॊ ।।
दे ष्ि बयत गसत अकथ अतीवा। प्रेभ भगन भृग िग जड़ जीवा।।
सिकह सनेह वफफस भग बूरा। ककह सुऩॊथ सुय फयषकहॊ पूरा।।
सनयष्ि ससद्ध साधक अनुयागे। सहज सनेहु सयाहन रागे।।
होत न बूतर बाउ बयत को। अचय सचय चय अचय कयत को।।
दो0-ऩेभ असभअ भॊदरु वफयहु बयतु ऩमोसध गॉबीय।
भसथ प्रगटे उ सुय साधु कहत कृ ऩाससॊधु यघुफीय।।238।।
–*–*–

217
सिा सभेत भनोहय जोटा। रिेउ न रिन सघन फन ओटा।।
बयत दीि प्रबु आश्रभु ऩावन। सकर सुभॊगर सदनु सुहावन।।

कयत प्रफेस सभटे दि


ु दावा। जनु जोगीॊ ऩयभायथु ऩावा।।
दे िे बयत रिन प्रबु आगे। ऩूॉछे फचन कहत अनुयागे।।
सीस जटा ककट भुसन ऩट फाॉधईऄ। तून कसईऄ कय सरु धनु काॉधईऄ।।
फेदी ऩय भुसन साधु सभाजू। सीम सकहत याजत यघुयाजू।।
फरकर फसन जकटर तनु स्माभा। जनु भुसन फेष कीन्ह यसत काभा।।
कय कभरसन धनु सामकु पेयत। ष्जम की जयसन हयत हॉ सस हे यत।।
दो0-रसत भॊजु भुसन भॊडरी भध्म सीम यघुचॊद।ु
ग्मान सबाॉ जनु तनु धये बगसत सष्छचदानॊद।ु ।239।।
–*–*–
सानुज सिा सभेत भगन भन। वफसये हयष सोक सुि दि ु गन।।
ऩाकह नाथ ककह ऩाकह गोसाई। बूतर ऩये रकुट की नाई।।
फचन सऩेभ रिन ऩकहचाने। कयत प्रनाभु बयत ष्जमॉ जाने।।
फॊधु सनेह सयस एकह ओया। उत साकहफ सेवा फस जोया।।
सभसर न जाइ नकहॊ गुदयत फनई। सुकवफ रिन भन की गसत बनई।।
यहे याष्ि सेवा ऩय बारू। चढ़ी चॊग जनु िईआच िेरारू।।
कहत सप्रेभ नाइ भकह भाथा। बयत प्रनाभ कयत यघुनाथा।।
उठे याभु सुसन ऩेभ अधीया। कहुॉ ऩट कहुॉ सनषॊग धनु तीया।।
दो0-फयफस सरए उठाइ उय राए कृ ऩासनधान।
बयत याभ की सभरसन रष्ि वफसये सफकह अऩान।।240।।
–*–*–
सभरसन प्रीसत ककसभ जाइ फिानी। कवफकुर अगभ कयभ भन फानी।।
ऩयभ ऩेभ ऩूयन दोउ बाई। भन फुसध सचत अहसभसत वफसयाई।।
कहहु सुऩेभ प्रगट को कयई। केकह छामा कवफ भसत अनुसयई।।
कवफकह अयथ आिय फरु साॉचा। अनुहरय तार गसतकह नटु नाचा।।
अगभ सनेह बयत यघुफय को। जहॉ न जाइ भनु वफसध हरय हय को।।
सो भईआ कुभसत कहं केकह बाॉती। फाज सुयाग कक गाॉडय ताॉती।।
सभरसन वफरोकक बयत यघुफय की। सुयगन सबम धकधकी धयकी।।
सभुझाए सुयगुरु जड़ जागे। फयवष प्रसून प्रसॊसन रागे।।
दो0-सभसर सऩेभ रयऩुसूदनकह केवटु बईऄटेउ याभ।
बूरय बामॉ बईऄटे बयत रसछभन कयत प्रनाभ।।241।।

218
–*–*–
बईऄटेउ रिन ररकक रघु बाई। फहुरय सनषाद ु रीन्ह उय राई।।
ऩुसन भुसनगन दह
ु ुॉ बाइन्ह फॊदे। असबभत आससष ऩाइ अनॊदे।।
सानुज बयत उभसग अनुयागा। धरय ससय ससम ऩद ऩदभ
ु ऩयागा।।
ऩुसन ऩुसन कयत प्रनाभ उठाए। ससय कय कभर ऩयसस फैठाए।।
सीमॉ असीस दीष्न्ह भन भाहीॊ। भगन सनेहॉ दे ह सुसध नाहीॊ।।
सफ वफसध सानुकूर रष्ि सीता। बे सनसोच उय अऩडय फीता।।
कोउ ककछु कहइ न कोउ ककछु ऩूॉछा। प्रेभ बया भन सनज गसत छूॉछा।।
तेकह अवसय केवटु धीयजु धरय। जोरय ऩासन वफनवत प्रनाभु करय।।
दो0-नाथ साथ भुसननाथ के भातु सकर ऩुय रोग।
सेवक सेनऩ ससचव सफ आए वफकर वफमोग।।242।।
–*–*–
सीरससॊधु सुसन गुय आगवनू। ससम सभीऩ यािे रयऩुदवनू।।
चरे सफेग याभु तेकह कारा। धीय धयभ धुय दीनदमारा।।
गुयकह दे ष्ि सानुज अनुयागे। दॊ ड प्रनाभ कयन प्रबु रागे।।
भुसनफय धाइ सरए उय राई। प्रेभ उभसग बईऄटे दोउ बाई।।
प्रेभ ऩुरकक केवट ककह नाभू। कीन्ह दरू य तईऄ दॊ ड प्रनाभू।।
याभसिा रयवष फयफस बईऄटा। जनु भकह रुठत सनेह सभेटा।।
यघुऩसत बगसत सुभॊगर भूरा। नब सयाकह सुय फरयसकहॊ पूरा।।
एकह सभ सनऩट नीच कोउ नाहीॊ। फड़ फससष्ठ सभ को जग भाहीॊ।।
दो0-जेकह रष्ि रिनहु तईऄ असधक सभरे भुकदत भुसनयाउ।
सो सीताऩसत बजन को प्रगट प्रताऩ प्रबाउ।।243।।
–*–*–
आयत रोग याभ सफु जाना। करुनाकय सुजान बगवाना।।
जो जेकह बामॉ यहा असबराषी। तेकह तेकह कै तसस तसस रुि यािी।।
सानुज सभसर ऩर भहु सफ काहू। कीन्ह दरू य दि
ु ु दारुन दाहू।।
मह फकड़ फातॉ याभ कै नाहीॊ। ष्जसभ घट कोकट एक यवफ छाहीॊ।।
सभसर केवकटकह उभसग अनुयागा। ऩुयजन सकर सयाहकहॊ बागा।।
दे िीॊ याभ दष्ु ित भहतायीॊ। जनु सुफेसर अवरीॊ कहभ भायीॊ।।
प्रथभ याभ बईऄटी कैकेई। सयर सुबामॉ बगसत भसत बेई।।
ऩग ऩरय कीन्ह प्रफोधु फहोयी। कार कयभ वफसध ससय धरय िोयी।।
दो0-बेटीॊ यघुफय भातु सफ करय प्रफोधु ऩरयतोषु।।
अॊफ ईस आधीन जगु काहु न दे इअ दोषु।।244।।

219
–*–*–
गुयसतम ऩद फॊदे दह
ु ु बाई। सकहत वफप्रसतम जे सॉग आई।।
गॊग गौरय सभ सफ सनभानीॊ।।दे कहॊ असीस भुकदत भृद ु फानी।।
गकह ऩद रगे सुसभत्रा अॊका। जनु बेटीॊ सॊऩसत असत यॊ का।।
ऩुसन जनसन चयनसन दोउ र्भ्ाता। ऩये ऩेभ ब्माकुर सफ गाता।।
असत अनुयाग अॊफ उय राए। नमन सनेह ससरर अन्हवाए।।
तेकह अवसय कय हयष वफषाद।ू ककसभ कवफ कहै भूक ष्जसभ स्वाद।ू ।
सभसर जननकह सानुज यघुयाऊ। गुय सन कहे उ कक धारयअ ऩाऊ।।
ऩुयजन ऩाइ भुनीस सनमोगू। जर थर तकक तकक उतये उ रोगू।।
दो0-भकहसुय भॊत्री भातु गुय गने रोग सरए साथ।।
ऩावन आश्रभ गवनु ककम बयत रिन यघुनाथ।।245।।
–*–*–
सीम आइ भुसनफय ऩग रागी। उसचत असीस रही भन भागी।।
गुयऩसतसनकह भुसनसतमन्ह सभेता। सभरी ऩेभु ककह जाइ न जेता।।
फॊकद फॊकद ऩग ससम सफही के। आससयफचन रहे वप्रम जी के।।
सासु सकर जफ सीमॉ सनहायीॊ। भूदे नमन सहसभ सुकुभायीॊ।।
ऩयीॊ फसधक फस भनहुॉ भयारीॊ। काह कीन्ह कयताय कुचारीॊ।।
सतन्ह ससम सनयष्ि सनऩट दि
ु ु ऩावा। सो सफु सकहअ जो दै उ सहावा।।
जनकसुता तफ उय धरय धीया। नीर नसरन रोमन बरय नीया।।
सभरी सकर सासुन्ह ससम जाई। तेकह अवसय करुना भकह छाई।।
दो0-रासग रासग ऩग सफसन ससम बईऄटसत असत अनुयाग।।
रृदमॉ असीसकहॊ ऩेभ फस यकहअहु बयी सोहाग।।246।।
–*–*–
वफकर सनेहॉ सीम सफ यानीॊ। फैठन सफकह कहे उ गुय ग्मानीॊ।।
ककह जग गसत भासमक भुसननाथा। कहे कछुक ऩयभायथ गाथा।।
नृऩ कय सुयऩुय गवनु सुनावा। सुसन यघुनाथ दस
ु ह दि
ु ु ऩावा।।
भयन हे तु सनज नेहु वफचायी। बे असत वफकर धीय धुय धायी।।
कुसरस कठोय सुनत कटु फानी। वफरऩत रिन सीम सफ यानी।।
सोक वफकर असत सकर सभाजू। भानहुॉ याजु अकाजेउ आजू।।
भुसनफय फहुरय याभ सभुझाए। सकहत सभाज सुसरयत नहाए।।
ब्रतु सनयॊ फु तेकह कदन प्रबु कीन्हा। भुसनहु कहईऄ जरु काहुॉ न रीन्हा।।
दो0-बोरु बएॉ यघुनॊदनकह जो भुसन आमसु दीन्ह।।
श्रद्धा बगसत सभेत प्रबु सो सफु सादरु कीन्ह।।247।।

220
–*–*–
करय वऩतु कक्रमा फेद जसस फयनी। बे ऩुनीत ऩातक तभ तयनी।।
जासु नाभ ऩावक अघ तूरा। सुसभयत सकर सुभॊगर भूरा।।
सुद्ध सो बमउ साधु सॊभत अस। तीयथ आवाहन सुयसरय जस।।
सुद्ध बएॉ दइ
ु फासय फीते। फोरे गुय सन याभ वऩयीते।।
नाथ रोग सफ सनऩट दि
ु ायी। कॊद भूर पर अॊफु अहायी।।
सानुज बयतु ससचव सफ भाता। दे ष्ि भोकह ऩर ष्जसभ जुग जाता।।
सफ सभेत ऩुय धारयअ ऩाऊ। आऩु इहाॉ अभयावसत याऊ।।
फहुत कहे उॉ सफ ककमउॉ कढठाई। उसचत होइ तस करयअ गोसाॉई।।
दो0-धभा सेतु करुनामतन कस न कहहु अस याभ।
रोग दष्ु ित कदन दइ
ु दयस दे ष्ि रहहुॉ वफश्राभ।।248।।
–*–*–
याभ फचन सुसन सबम सभाजू। जनु जरसनसध भहुॉ वफकर जहाजू।।
सुसन गुय सगया सुभॊगर भूरा। बमउ भनहुॉ भारुत अनुकुरा।।
ऩावन ऩमॉ सतहुॉ कार नहाहीॊ। जो वफरोकक अॊघ ओघ नसाहीॊ।।
भॊगरभूयसत रोचन बरय बरय। सनयिकहॊ हयवष दॊ डवत करय करय।।
याभ सैर फन दे िन जाहीॊ। जहॉ सुि सकर सकर दि
ु नाहीॊ।।
झयना झरयकहॊ सुधासभ फायी। वत्रवफध ताऩहय वत्रवफध फमायी।।
वफटऩ फेसर तृन अगसनत जाती। पर प्रसून ऩल्रव फहु बाॉती।।
सुॊदय ससरा सुिद तरु छाहीॊ। जाइ फयसन फन छवफ केकह ऩाहीॊ।।
दो0-सयसन सयोरुह जर वफहग कूजत गुॊजत बृॊग।
फैय वफगत वफहयत वफवऩन भृग वफहॊ ग फहुयॊग।।249।।
–*–*–
कोर ककयात सबल्र फनफासी। भधु सुसच सुॊदय स्वाद ु सुधा सी।।
बरय बरय ऩयन ऩुटीॊ यसच रुयी। कॊद भूर पर अॊकुय जूयी।।
सफकह दे कहॊ करय वफनम प्रनाभा। ककह ककह स्वाद बेद गुन नाभा।।
दे कहॊ रोग फहु भोर न रेहीॊ। पेयत याभ दोहाई दे हीॊ।।
कहकहॊ सनेह भगन भृद ु फानी। भानत साधु ऩेभ ऩकहचानी।।
तुम्ह सुकृती हभ नीच सनषादा। ऩावा दयसनु याभ प्रसादा।।
हभकह अगभ असत दयसु तुम्हाया। जस भरु धयसन दे वधुसन धाया।।
याभ कृ ऩार सनषाद नेवाजा। ऩरयजन प्रजउ चकहअ जस याजा।।
दो0-मह ष्जॉमॉ जासन सॉकोचु तष्ज करयअ छोहु रष्ि नेहु।
हभकह कृ तायथ कयन रसग पर तृन अॊकुय रेहु।।250।।

221
–*–*–
तुम्ह वप्रम ऩाहुने फन ऩगु धाये । सेवा जोगु न बाग हभाये ।।
दे फ काह हभ तुम्हकह गोसाॉई। ईधनु ऩात ककयात सभताई।।
मह हभारय असत फकड़ सेवकाई। रेकह न फासन फसन चोयाई।।
हभ जड़ जीव जीव गन घाती। कुकटर कुचारी कुभसत कुजाती।।
ऩाऩ कयत सनसस फासय जाहीॊ। नकहॊ ऩट ककट नकह ऩेट अघाहीॊ।।
सऩोनेहुॉ धयभ फुवद्ध कस काऊ। मह यघुनॊदन दयस प्रबाऊ।।
जफ तईऄ प्रबु ऩद ऩदभ
ु सनहाये । सभटे दस
ु ह दि
ु दोष हभाये ।।
फचन सुनत ऩुयजन अनुयागे। सतन्ह के बाग सयाहन रागे।।
छॊ 0-रागे सयाहन बाग सफ अनुयाग फचन सुनावहीॊ।
फोरसन सभरसन ससम याभ चयन सनेहु रष्ि सुिु ऩावहीॊ।।
नय नारय सनदयकहॊ नेहु सनज सुसन कोर सबल्रसन की सगया।
तुरसी कृ ऩा यघुफॊसभसन की रोह रै रौका सतया।।
सो0-वफहयकहॊ फन चहु ओय प्रसतकदन प्रभुकदत रोग सफ।
जर ज्मं दादयु भोय बए ऩीन ऩावस प्रथभ।।251।।
ऩुय जन नारय भगन असत प्रीती। फासय जाकहॊ ऩरक सभ फीती।।
सीम सासु प्रसत फेष फनाई। सादय कयइ सरयस सेवकाई।।
रिा न भयभु याभ वफनु काहूॉ। भामा सफ ससम भामा भाहूॉ।।
सीमॉ सासु सेवा फस कीन्हीॊ। सतन्ह रकह सुि ससि आससष दीन्हीॊ।।
रष्ि ससम सकहत सयर दोउ बाई। कुकटर यासन ऩसछतासन अघाई।।
अवसन जभकह जाचसत कैकेई। भकह न फीचु वफसध भीचु न दे ई।।
रोकहुॉ फेद वफकदत कवफ कहहीॊ। याभ वफभुि थरु नयक न रहहीॊ।।
महु सॊसउ सफ के भन भाहीॊ। याभ गवनु वफसध अवध कक नाहीॊ।।
दो0-सनसस न नीद नकहॊ बूि कदन बयतु वफकर सुसच सोच।
नीच कीच वफच भगन जस भीनकह ससरर सॉकोच।।252।।
–*–*–
कीन्ही भातु सभस कार कुचारी। ईसत बीसत जस ऩाकत सारी।।
केकह वफसध होइ याभ असबषेकू। भोकह अवकरत उऩाउ न एकू।।
अवसस कपयकहॊ गुय आमसु भानी। भुसन ऩुसन कहफ याभ रुसच जानी।।
भातु कहे हुॉ फहुयकहॊ यघुयाऊ। याभ जनसन हठ कयवफ कक काऊ।।
भोकह अनुचय कय केसतक फाता। तेकह भहॉ कुसभउ फाभ वफधाता।।
जं हठ कयउॉ त सनऩट कुकयभू। हयसगरय तईऄ गुरु सेवक धयभू।।
एकउ जुगुसत न भन ठहयानी। सोचत बयतकह यै सन वफहानी।।

222
प्रात नहाइ प्रबुकह ससय नाई। फैठत ऩठए रयषमॉ फोराई।।
दो0-गुय ऩद कभर प्रनाभु करय फैठे आमसु ऩाइ।
वफप्र भहाजन ससचव सफ जुये सबासद आइ।।253।।
–*–*–
फोरे भुसनफरु सभम सभाना। सुनहु सबासद बयत सुजाना।।
धयभ धुयीन बानुकुर बानू। याजा याभु स्वफस बगवानू।।
सत्मसॊध ऩारक श्रुसत सेतू। याभ जनभु जग भॊगर हे तू।।
गुय वऩतु भातु फचन अनुसायी। िर दरु दरन दे व कहतकायी।।
नीसत प्रीसत ऩयभायथ स्वायथु। कोउ न याभ सभ जान जथायथु।।
वफसध हरय हरु ससस यवफ कदससऩारा। भामा जीव कयभ कुसर कारा।।
अकहऩ भकहऩ जहॉ रसग प्रबुताई। जोग ससवद्ध सनगभागभ गाई।।
करय वफचाय ष्जॉमॉ दे िहु नीकईऄ। याभ यजाइ सीस सफही कईऄ।।
दो0-यािईऄ याभ यजाइ रुि हभ सफ कय कहत होइ।
सभुष्झ समाने कयहु अफ सफ सभसर सॊभत सोइ।।254।।
–*–*–
सफ कहुॉ सुिद याभ असबषेकू। भॊगर भोद भूर भग एकू।।
केकह वफसध अवध चरकहॊ यघुयाऊ। कहहु सभुष्झ सोइ करयअ उऩाऊ।।
सफ सादय सुसन भुसनफय फानी। नम ऩयभायथ स्वायथ सानी।।
उतरु न आव रोग बए बोये । तफ ससरु नाइ बयत कय जोये ।।
बानुफॊस बए बूऩ घनेये। असधक एक तईऄ एक फड़े ये।।
जनभु हे तु सफ कहॉ वऩतु भाता। कयभ सुबासुब दे इ वफधाता।।
दसर दि
ु सजइ सकर कल्माना। अस असीस याउरय जगु जाना।।
सो गोसाइॉ वफसध गसत जेकहॊ छईऄ की। सकइ को टारय टे क जो टे की।।
दो0-फूष्झअ भोकह उऩाउ अफ सो सफ भोय अबागु।
सुसन सनेहभम फचन गुय उय उभगा अनुयागु।।255।।
–*–*–
तात फात पुरय याभ कृ ऩाहीॊ। याभ वफभुि सससध सऩनेहुॉ नाहीॊ।।
सकुचउॉ तात कहत एक फाता। अयध तजकहॊ फुध सयफस जाता।।
तुम्ह कानन गवनहु दोउ बाई। पेरयअकहॊ रिन सीम यघुयाई।।
सुसन सुफचन हयषे दोउ र्भ्ाता। बे प्रभोद ऩरयऩूयन गाता।।
भन प्रसन्न तन तेजु वफयाजा। जनु ष्जम याउ याभु बए याजा।।
फहुत राब रोगन्ह रघु हानी। सभ दि
ु सुि सफ योवकहॊ यानी।।
कहकहॊ बयतु भुसन कहा सो कीन्हे । परु जग जीवन्ह असबभत दीन्हे ।।

223
कानन कयउॉ जनभ बरय फासू। एकहॊ तईऄ असधक न भोय सुऩासू।।
दो0-अॉतयजाभी याभु ससम तुम्ह सयफग्म सुजान।
जो पुय कहहु त नाथ सनज कीष्जअ फचनु प्रवान।।256।।
–*–*–
बयत फचन सुसन दे ष्ि सनेहू। सबा सकहत भुसन बए वफदे हू।।
बयत भहा भकहभा जरयासी। भुसन भसत ठाकढ़ तीय अफरा सी।।
गा चह ऩाय जतनु कहमॉ हे या। ऩावसत नाव न फोकहतु फेया।।
औरु करयकह को बयत फड़ाई। सयसी सीवऩ कक ससॊधु सभाई।।
बयतु भुसनकह भन बीतय बाए। सकहत सभाज याभ ऩकहॉ आए।।
प्रबु प्रनाभु करय दीन्ह सुआसनु। फैठे सफ सुसन भुसन अनुसासनु।।
फोरे भुसनफरु फचन वफचायी। दे स कार अवसय अनुहायी।।
सुनहु याभ सयफग्म सुजाना। धयभ नीसत गुन ग्मान सनधाना।।
दो0-सफ के उय अॊतय फसहु जानहु बाउ कुबाउ।
ऩुयजन जननी बयत कहत होइ सो ककहअ उऩाउ।।257।।
–*–*–
आयत कहकहॊ वफचारय न काऊ। सूझ जूआरयकह आऩन दाऊ।।
सुसन भुसन फचन कहत यघुयाऊ। नाथ तुम्हाये कह हाथ उऩाऊ।।
सफ कय कहत रुि याउरय यािईः। आमसु ककएॉ भुकदत पुय बाषईऄ।।
प्रथभ जो आमसु भो कहुॉ होई। भाथईः भासन कयौ ससि सोई।।
ऩुसन जेकह कहॉ जस कहफ गोसाईँ। सो सफ बाॉसत घकटकह सेवकाईँ।।
कह भुसन याभ सत्म तुम्ह बाषा। बयत सनेहॉ वफचारु न यािा।।
तेकह तईऄ कहउॉ फहोरय फहोयी। बयत बगसत फस बइ भसत भोयी।।
भोयईः जान बयत रुसच याष्ि। जो कीष्जअ सो सुब ससव सािी।।
दो0-बयत वफनम सादय सुसनअ करयअ वफचारु फहोरय।
कयफ साधुभत रोकभत नृऩनम सनगभ सनचोरय।।258।।
–*–*–
गुरु अनुयाग बयत ऩय दे िी। याभ ह्दमॉ आनॊद ु वफसेषी।।
बयतकह धयभ धुयॊधय जानी। सनज सेवक तन भानस फानी।।
फोरे गुय आमस अनुकूरा। फचन भॊजु भृद ु भॊगरभूरा।।
नाथ सऩथ वऩतु चयन दोहाई। बमउ न बुअन बयत सभ बाई।।
जे गुय ऩद अॊफुज अनुयागी। ते रोकहुॉ फेदहुॉ फड़बागी।।
याउय जा ऩय अस अनुयागू। को ककह सकइ बयत कय बागू।।
रष्ि रघु फॊधु फुवद्ध सकुचाई। कयत फदन ऩय बयत फड़ाई।।

224
बयतु कहहीॊ सोइ ककएॉ बराई। अस ककह याभ यहे अयगाई।।
दो0-तफ भुसन फोरे बयत सन सफ सॉकोचु तष्ज तात।
कृ ऩाससॊधु वप्रम फॊधु सन कहहु रृदम कै फात।।259।।
–*–*–
सुसन भुसन फचन याभ रुि ऩाई। गुरु साकहफ अनुकूर अघाई।।
रष्ि अऩने ससय सफु छरु बारू। ककह न सककहॊ कछु कयकहॊ वफचारू।।
ऩुरकक सयीय सबाॉ बए ठाढईऄ । नीयज नमन नेह जर फाढ़ईऄ ।।
कहफ भोय भुसननाथ सनफाहा। एकह तईऄ असधक कहं भईआ काहा।
भईआ जानउॉ सनज नाथ सुबाऊ। अऩयासधहु ऩय कोह न काऊ।।
भो ऩय कृ ऩा सनेह वफसेषी। िेरत िुसनस न कफहूॉ दे िी।।
सससुऩन तेभ ऩरयहये उॉ न सॊगू। कफहुॉ न कीन्ह भोय भन बॊगू।।
भईआ प्रबु कृ ऩा यीसत ष्जमॉ जोही। हाये हुॉ िेर ष्जतावकहॊ भोही।।
दो0-भहूॉ सनेह सकोच फस सनभुि कही न फैन।
दयसन तृवऩत न आजु रसग ऩेभ वऩआसे नैन।।260।।
–*–*–
वफसध न सकेउ सकह भोय दर
ु ाया। नीच फीचु जननी सभस ऩाया।
महउ कहत भोकह आजु न सोबा। अऩनीॊ सभुष्झ साधु सुसच को बा।।
भातु भॊकद भईआ साधु सुचारी। उय अस आनत कोकट कुचारी।।
पयइ कक कोदव फासर सुसारी। भुकुता प्रसव कक सॊफुक कारी।।
सऩनेहुॉ दोसक रेसु न काहू। भोय अबाग उदसध अवगाहू।।
वफनु सभुझईऄ सनज अघ ऩरयऩाकू। जारयउॉ जामॉ जनसन ककह काकू।।
रृदमॉ हे रय हाये उॉ सफ ओया। एककह बाॉसत बरेकहॊ बर भोया।।
गुय गोसाइॉ साकहफ ससम याभू। रागत भोकह नीक ऩरयनाभू।।
दो0-साधु सबा गुय प्रबु सनकट कहउॉ सुथर ससत बाउ।
प्रेभ प्रऩॊचु कक झूठ पुय जानकहॊ भुसन यघुयाउ।।261।।
–*–*–
बूऩसत भयन ऩेभ ऩनु यािी। जननी कुभसत जगतु सफु सािी।।
दे ष्ि न जाकह वफकर भहतायी। जयकहॊ दस
ु ह जय ऩुय नय नायी।।
भहीॊ सकर अनयथ कय भूरा। सो सुसन सभुष्झ सकहउॉ सफ सूरा।।
सुसन फन गवनु कीन्ह यघुनाथा। करय भुसन फेष रिन ससम साथा।।
वफनु ऩानकहन्ह ऩमादे कह ऩाएॉ। सॊकरु साष्ि यहे उॉ एकह घाएॉ।।
फहुरय सनहाय सनषाद सनेहू। कुसरस ककठन उय बमउ न फेहू।।
अफ सफु आॉष्िन्ह दे िेउॉ आई। ष्जअत जीव जड़ सफइ सहाई।।

225
ष्जन्हकह सनयष्ि भग साॉवऩसन फीछी। तजकहॊ वफषभ वफषु ताभस तीछी।।
दो0-तेइ यघुनॊदनु रिनु ससम अनकहत रागे जाकह।
तासु तनम तष्ज दस
ु ह दि
ु दै उ सहावइ काकह।।262।।
–*–*–
सुसन असत वफकर बयत फय फानी। आयसत प्रीसत वफनम नम सानी।।
सोक भगन सफ सबाॉ िबारू। भनहुॉ कभर फन ऩये उ तुसारू।।
ककह अनेक वफसध कथा ऩुयानी। बयत प्रफोधु कीन्ह भुसन ग्मानी।।
फोरे उसचत फचन यघुनॊद।ू कदनकय कुर कैयव फन चॊद।ू ।
तात जाॉम ष्जमॉ कयहु गरानी। ईस अधीन जीव गसत जानी।।
तीसन कार सतबुअन भत भोयईऄ । ऩुन्मससरोक तात तय तोये ।।
उय आनत तुम्ह ऩय कुकटराई। जाइ रोकु ऩयरोकु नसाई।।
दोसु दे कहॊ जनसनकह जड़ तेई। ष्जन्ह गुय साधु सबा नकहॊ सेई।।
दो0-सभकटहकहॊ ऩाऩ प्रऩॊच सफ अष्िर अभॊगर बाय।
रोक सुजसु ऩयरोक सुिु सुसभयत नाभु तुम्हाय।।263।।
–*–*–
कहउॉ सुबाउ सत्म ससव सािी। बयत बूसभ यह याउरय यािी।।
तात कुतयक कयहु जसन जाएॉ। फैय ऩेभ नकह दयु इ दयु ाएॉ।।
भुसन गन सनकट वफहग भृग जाहीॊ। फाधक फसधक वफरोकक ऩयाहीॊ।।
कहत अनकहत ऩसु ऩष्छछउ जाना। भानुष तनु गुन ग्मान सनधाना।।
तात तुम्हकह भईआ जानउॉ नीकईऄ। कयं काह असभॊजस जीकईऄ।।
यािेउ यामॉ सत्म भोकह त्मागी। तनु ऩरयहये उ ऩेभ ऩन रागी।।
तासु फचन भेटत भन सोचू। तेकह तईऄ असधक तुम्हाय सॉकोचू।।
ता ऩय गुय भोकह आमसु दीन्हा। अवसस जो कहहु चहउॉ सोइ कीन्हा।।
दो0-भनु प्रसन्न करय सकुच तष्ज कहहु कयं सोइ आजु।
सत्मसॊध यघुफय फचन सुसन बा सुिी सभाजु।।264।।
–*–*–
सुय गन सकहत सबम सुययाजू। सोचकहॊ चाहत होन अकाजू।।
फनत उऩाउ कयत कछु नाहीॊ। याभ सयन सफ गे भन भाहीॊ।।
फहुरय वफचारय ऩयस्ऩय कहहीॊ। यघुऩसत बगत बगसत फस अहहीॊ।
सुसध करय अॊफयीष दयु फासा। बे सुय सुयऩसत सनऩट सनयासा।।
सहे सुयन्ह फहु कार वफषादा। नयहरय ककए प्रगट प्रहरादा।।
रसग रसग कान कहकहॊ धुसन भाथा। अफ सुय काज बयत के हाथा।।
आन उऩाउ न दे ष्िअ दे वा। भानत याभु सुसेवक सेवा।।

226
कहमॉ सऩेभ सुसभयहु सफ बयतकह। सनज गुन सीर याभ फस कयतकह।।
दो0-सुसन सुय भत सुयगुय कहे उ बर तुम्हाय फड़ बागु।
सकर सुभॊगर भूर जग बयत चयन अनुयागु।।265।।
–*–*–
सीताऩसत सेवक सेवकाई। काभधेनु सम सरयस सुहाई।।
बयत बगसत तुम्हयईऄ भन आई। तजहु सोचु वफसध फात फनाई।।
दे िु दे वऩसत बयत प्रबाऊ। सहज सुबामॉ वफफस यघुयाऊ।।
भन सथय कयहु दे व डरु नाहीॊ। बयतकह जासन याभ ऩरयछाहीॊ।।
सुनो सुयगुय सुय सॊभत सोचू। अॊतयजाभी प्रबुकह सकोचू।।
सनज ससय बारु बयत ष्जमॉ जाना। कयत कोकट वफसध उय अनुभाना।।
करय वफचारु भन दीन्ही ठीका। याभ यजामस आऩन नीका।।
सनज ऩन तष्ज यािेउ ऩनु भोया। छोहु सनेहु कीन्ह नकहॊ थोया।।
दो0-कीन्ह अनुग्रह असभत असत सफ वफसध सीतानाथ।
करय प्रनाभु फोरे बयतु जोरय जरज जुग हाथ।।266।।
–*–*–
कहं कहावं का अफ स्वाभी। कृ ऩा अॊफुसनसध अॊतयजाभी।।
गुय प्रसन्न साकहफ अनुकूरा। सभटी भसरन भन करवऩत सूरा।।
अऩडय डये उॉ न सोच सभूरईऄ। यवफकह न दोसु दे व कदसस बूरईऄ।।
भोय अबागु भातु कुकटराई। वफसध गसत वफषभ कार ककठनाई।।
ऩाउ योवऩ सफ सभसर भोकह घारा। प्रनतऩार ऩन आऩन ऩारा।।
मह नइ यीसत न याउरय होई। रोकहुॉ फेद वफकदत नकहॊ गोई।।
जगु अनबर बर एकु गोसाईं। ककहअ होइ बर कासु बराईं।।
दे उ दे वतरु सरयस सुबाऊ। सनभुि वफभुि न काहुकह काऊ।।
दो0-जाइ सनकट ऩकहचासन तरु छाहॉ सभसन सफ सोच।
भागत असबभत ऩाव जग याउ यॊ कु बर ऩोच।।267।।
–*–*–
रष्ि सफ वफसध गुय स्वासभ सनेहू। सभटे उ छोबु नकहॊ भन सॊदेहू।।
अफ करुनाकय कीष्जअ सोई। जन कहत प्रबु सचत छोबु न होई।।
जो सेवकु साकहफकह सॉकोची। सनज कहत चहइ तासु भसत ऩोची।।
सेवक कहत साकहफ सेवकाई। कयै सकर सुि रोब वफहाई।।
स्वायथु नाथ कपयईऄ सफही का। ककएॉ यजाइ कोकट वफसध नीका।।
मह स्वायथ ऩयभायथ सारु। सकर सुकृत पर सुगसत ससॊगारु।।
दे व एक वफनती सुसन भोयी। उसचत होइ तस कयफ फहोयी।।

227
सतरक सभाजु साष्ज सफु आना। करयअ सुपर प्रबु जं भनु भाना।।
दो0-सानुज ऩठइअ भोकह फन कीष्जअ सफकह सनाथ।
नतरु पेरयअकहॊ फॊधु दोउ नाथ चरं भईआ साथ।।268।।
–*–*–
नतरु जाकहॊ फन तीसनउ बाई। फहुरयअ सीम सकहत यघुयाई।।
जेकह वफसध प्रबु प्रसन्न भन होई। करुना सागय कीष्जअ सोई।।
दे वॉ दीन्ह सफु भोकह अबारु। भोयईऄ नीसत न धयभ वफचारु।।
कहउॉ फचन सफ स्वायथ हे तू। यहत न आयत कईऄ सचत चेतू।।
उतरु दे इ सुसन स्वासभ यजाई। सो सेवकु रष्ि राज रजाई।।
अस भईआ अवगुन उदसध अगाधू। स्वासभ सनेहॉ सयाहत साधू।।
अफ कृ ऩार भोकह सो भत बावा। सकुच स्वासभ भन जाइॉ न ऩावा।।
प्रबु ऩद सऩथ कहउॉ ससत बाऊ। जग भॊगर कहत एक उऩाऊ।।
दो0-प्रबु प्रसन्न भन सकुच तष्ज जो जेकह आमसु दे फ।
सो ससय धरय धरय करयकह सफु सभकटकह अनट अवये फ।।269।।
–*–*–
बयत फचन सुसच सुसन सुय हयषे। साधु सयाकह सुभन सुय फयषे।।
असभॊजस फस अवध नेवासी। प्रभुकदत भन ताऩस फनफासी।।
चुऩकहॊ यहे यघुनाथ सॉकोची। प्रबु गसत दे ष्ि सबा सफ सोची।।
जनक दत
ू तेकह अवसय आए। भुसन फससष्ठँ सुसन फेसग फोराए।।
करय प्रनाभ सतन्ह याभु सनहाये । फेषु दे ष्ि बए सनऩट दि
ु ाये ।।
दत
ू न्ह भुसनफय फूझी फाता। कहहु वफदे ह बूऩ कुसराता।।
सुसन सकुचाइ नाइ भकह भाथा। फोरे चय फय जोयईऄ हाथा।।
फूझफ याउय सादय साईं। कुसर हे तु सो बमउ गोसाईं।।
दो0-नाकह त कोसर नाथ कईऄ साथ कुसर गइ नाथ।
सभसथरा अवध वफसेष तईऄ जगु सफ बमउ अनाथ।।270।।
–*–*–
कोसरऩसत गसत सुसन जनकौया। बे सफ रोक सोक फस फौया।।
जेकहॊ दे िे तेकह सभम वफदे हू। नाभु सत्म अस राग न केहू।।
यासन कुचासर सुनत नयऩारकह। सूझ न कछु जस भसन वफनु ब्मारकह।।
बयत याज यघुफय फनफासू। बा सभसथरेसकह रृदमॉ हयाॉसू।।
नृऩ फूझे फुध ससचव सभाजू। कहहु वफचारय उसचत का आजू।।
सभुष्झ अवध असभॊजस दोऊ। चसरअ कक यकहअ न कह कछु कोऊ।।
नृऩकह धीय धरय रृदमॉ वफचायी। ऩठए अवध चतुय चय चायी।।

228
फूष्झ बयत ससत बाउ कुबाऊ। आएहु फेसग न होइ रिाऊ।।
दो0-गए अवध चय बयत गसत फूष्झ दे ष्ि कयतूसत।
चरे सचत्रकूटकह बयतु चाय चरे तेयहूसत।।271।।
–*–*–
दत
ू न्ह आइ बयत कइ कयनी। जनक सभाज जथाभसत फयनी।।
सुसन गुय ऩरयजन ससचव भहीऩसत। बे सफ सोच सनेहॉ वफकर असत।।
धरय धीयजु करय बयत फड़ाई। सरए सुबट साहनी फोराई।।
घय ऩुय दे स याष्ि यिवाये । हम गम यथ फहु जान सॉवाये ।।
दघ
ु यी सासध चरे ततकारा। ककए वफश्राभु न भग भहीऩारा।।
बोयकहॊ आजु नहाइ प्रमागा। चरे जभुन उतयन सफु रागा।।
िफरय रेन हभ ऩठए नाथा। सतन्ह ककह अस भकह नामउ भाथा।।
साथ ककयात छ सातक दीन्हे । भुसनफय तुयत वफदा चय कीन्हे ।।
दो0-सुनत जनक आगवनु सफु हयषेउ अवध सभाजु।
यघुनॊदनकह सकोचु फड़ सोच वफफस सुययाजु।।272।।
–*–*–
गयइ गरासन कुकटर कैकेई। काकह कहै केकह दषू नु दे ई।।
अस भन आसन भुकदत नय नायी। बमउ फहोरय यहफ कदन चायी।।
एकह प्रकाय गत फासय सोऊ। प्रात नहान राग सफु कोऊ।।
करय भज्जनु ऩूजकहॊ नय नायी। गनऩ गौरय सतऩुयारय तभायी।।
यभा यभन ऩद फॊकद फहोयी। वफनवकहॊ अॊजुसर अॊचर जोयी।।
याजा याभु जानकी यानी। आनॉद अवसध अवध यजधानी।।
सुफस फसउ कपरय सकहत सभाजा। बयतकह याभु कयहुॉ जुफयाजा।।
एकह सुि सुधाॉ सीॊची सफ काहू। दे व दे हु जग जीवन राहू।।
दो0-गुय सभाज बाइन्ह सकहत याभ याजु ऩुय होउ।
अछत याभ याजा अवध भरयअ भाग सफु कोउ।।273।।
–*–*–
सुसन सनेहभम ऩुयजन फानी। सनॊदकहॊ जोग वफयसत भुसन ग्मानी।।
एकह वफसध सनत्मकयभ करय ऩुयजन। याभकह कयकहॊ प्रनाभ ऩुरकक तन।।
ऊॉच नीच भध्मभ नय नायी। रहकहॊ दयसु सनज सनज अनुहायी।।
सावधान सफही सनभानकहॊ । सकर सयाहत कृ ऩासनधानकहॊ ।।
ररयकाइकह ते यघुफय फानी। ऩारत नीसत प्रीसत ऩकहचानी।।
सीर सकोच ससॊधु यघुयाऊ। सुभुि सुरोचन सयर सुबाऊ।।
कहत याभ गुन गन अनुयागे। सफ सनज बाग सयाहन रागे।।

229
हभ सभ ऩुन्म ऩुॊज जग थोये । ष्जन्हकह याभु जानत करय भोये ।।
दो0-प्रेभ भगन तेकह सभम सफ सुसन आवत सभसथरेसु।
सकहत सबा सॊर्भ्भ उठे उ यवफकुर कभर कदनेसु।।274।।
–*–*–
बाइ ससचव गुय ऩुयजन साथा। आगईऄ गवनु कीन्ह यघुनाथा।।
सगरयफरु दीि जनकऩसत जफहीॊ। करय प्रनाभ यथ त्मागेउ तफहीॊ।।
याभ दयस रारसा उछाहू। ऩथ श्रभ रेसु करेसु न काहू।।
भन तहॉ जहॉ यघुफय फैदेही। वफनु भन तन दि
ु सुि सुसध केही।।
आवत जनकु चरे एकह बाॉती। सकहत सभाज प्रेभ भसत भाती।।
आए सनकट दे ष्ि अनुयागे। सादय सभरन ऩयसऩय रागे।।
रगे जनक भुसनजन ऩद फॊदन। रयवषन्ह प्रनाभु कीन्ह यघुनॊदन।।
बाइन्ह सकहत याभु सभसर याजकह। चरे रवाइ सभेत सभाजकह।।
दो0-आश्रभ सागय साॊत यस ऩूयन ऩावन ऩाथु।
सेन भनहुॉ करुना सरयत सरएॉ जाकहॊ यघुनाथु।।275।।
–*–*–
फोयसत ग्मान वफयाग कयाये । फचन ससोक सभरत नद नाये ।।
सोच उसास सभीय तॊयगा। धीयज तट तरुफय कय बॊगा।।
वफषभ वफषाद तोयावसत धाया। बम र्भ्भ बवॉय अफता अऩाया।।
केवट फुध वफया फकड़ नावा। सककहॊ न िेइ ऐक नकहॊ आवा।।
फनचय कोर ककयात वफचाये । थके वफरोकक ऩसथक कहमॉ हाये ।।
आश्रभ उदसध सभरी जफ जाई। भनहुॉ उठे उ अॊफुसध अकुराई।।
सोक वफकर दोउ याज सभाजा। यहा न ग्मानु न धीयजु राजा।।
बूऩ रूऩ गुन सीर सयाही। योवकहॊ सोक ससॊधु अवगाही।।
छॊ 0-अवगाकह सोक सभुर सोचकहॊ नारय नय ब्माकुर भहा।
दै दोष सकर सयोष फोरकहॊ फाभ वफसध कीन्हो कहा।।
सुय ससद्ध ताऩस जोसगजन भुसन दे ष्ि दसा वफदे ह की।
तुरसी न सभयथु कोउ जो तरय सकै सरयत सनेह की।।
सो0-ककए असभत उऩदे स जहॉ तहॉ रोगन्ह भुसनफयन्ह।
धीयजु धरयअ नये स कहे उ फससष्ठ वफदे ह सन।।276।।
जासु ग्मानु यवफ बव सनसस नासा। फचन ककयन भुसन कभर वफकासा।।
तेकह कक भोह भभता सनअयाई। मह ससम याभ सनेह फड़ाई।।
वफषई साधक ससद्ध समाने। वत्रवफध जीव जग फेद फिाने।।
याभ सनेह सयस भन जासू। साधु सबाॉ फड़ आदय तासू।।

230
सोह न याभ ऩेभ वफनु ग्मानू। कयनधाय वफनु ष्जसभ जरजानू।।
भुसन फहुवफसध वफदे हु सभुझाए। याभघाट सफ रोग नहाए।।
सकर सोक सॊकुर नय नायी। सो फासरु फीतेउ वफनु फायी।।
ऩसु िग भृगन्ह न कीन्ह अहारू। वप्रम ऩरयजन कय कौन वफचारू।।
दो0-दोउ सभाज सनसभयाजु यघुयाजु नहाने प्रात।
फैठे सफ फट वफटऩ तय भन भरीन कृ स गात।।277।।
–*–*–
जे भकहसुय दसयथ ऩुय फासी। जे सभसथराऩसत नगय सनवासी।।
हॊ स फॊस गुय जनक ऩुयोधा। ष्जन्ह जग भगु ऩयभायथु सोधा।।
रगे कहन उऩदे स अनेका। सकहत धयभ नम वफयसत वफफेका।।
कौससक ककह ककह कथा ऩुयानीॊ। सभुझाई सफ सबा सुफानीॊ।।
तफ यघुनाथ कोससककह कहे ऊ। नाथ कासर जर वफनु सफु यहे ऊ।।
भुसन कह उसचत कहत यघुयाई। गमउ फीसत कदन ऩहय अढ़ाई।।
रयवष रुि रष्ि कह तेयहुसतयाजू। इहाॉ उसचत नकहॊ असन अनाजू।।
कहा बूऩ बर सफकह सोहाना। ऩाइ यजामसु चरे नहाना।।
दो0-तेकह अवसय पर पूर दर भूर अनेक प्रकाय।
रइ आए फनचय वफऩुर बरय बरय काॉवरय बाय।।278।।
–*–*–
काभद भे सगरय याभ प्रसादा। अवरोकत अऩहयत वफषादा।।
सय सरयता फन बूसभ वफबागा। जनु उभगत आनॉद अनुयागा।।
फेसर वफटऩ सफ सपर सपूरा। फोरत िग भृग असर अनुकूरा।।
तेकह अवसय फन असधक उछाहू। वत्रवफध सभीय सुिद सफ काहू।।
जाइ न फयसन भनोहयताई। जनु भकह कयसत जनक ऩहुनाई।।
तफ सफ रोग नहाइ नहाई। याभ जनक भुसन आमसु ऩाई।।
दे ष्ि दे ष्ि तरुफय अनुयागे। जहॉ तहॉ ऩुयजन उतयन रागे।।
दर पर भूर कॊद वफसध नाना। ऩावन सुॊदय सुधा सभाना।।
दो0-सादय सफ कहॉ याभगुय ऩठए बरय बरय बाय।
ऩूष्ज वऩतय सुय असतसथ गुय रगे कयन पयहाय।।279।।
–*–*–
एकह वफसध फासय फीते चायी। याभु सनयष्ि नय नारय सुिायी।।
दह
ु ु सभाज असस रुसच भन भाहीॊ। वफनु ससम याभ कपयफ बर नाहीॊ।।
सीता याभ सॊग फनफासू। कोकट अभयऩुय सरयस सुऩासू।।
ऩरयहरय रिन याभु फैदेही। जेकह घरु बाव फाभ वफसध तेही।।

231
दाकहन दइउ होइ जफ सफही। याभ सभीऩ फससअ फन तफही।।
भॊदाककसन भज्जनु सतहु कारा। याभ दयसु भुद भॊगर भारा।।
अटनु याभ सगरय फन ताऩस थर। असनु असभअ सभ कॊद भूर पर।।
सुि सभेत सॊफत दइ
ु साता। ऩर सभ होकहॊ न जसनअकहॊ जाता।।
दो0-एकह सुि जोग न रोग सफ कहकहॊ कहाॉ अस बागु।।
सहज सुबामॉ सभाज दह
ु ु याभ चयन अनुयागु।।280।।
–*–*–
एकह वफसध सकर भनोयथ कयहीॊ। फचन सप्रेभ सुनत भन हयहीॊ।।
सीम भातु तेकह सभम ऩठाईं। दासीॊ दे ष्ि सुअवसरु आईं।।
सावकास सुसन सफ ससम सासू। आमउ जनकयाज यसनवासू।।
कौसल्माॉ सादय सनभानी। आसन कदए सभम सभ आनी।।
सीरु सनेह सकर दह
ु ु ओया। रवकहॊ दे ष्ि सुसन कुसरस कठोया।।
ऩुरक सससथर तन फारय वफरोचन। भकह नि सरिन रगीॊ सफ सोचन।।
सफ ससम याभ प्रीसत कक सस भूयती। जनु करुना फहु फेष वफसूयसत।।
सीम भातु कह वफसध फुसध फाॉकी। जो ऩम पेनु पोय ऩवफ टाॉकी।।
दो0-सुसनअ सुधा दे ष्िअकहॊ गयर सफ कयतूसत कयार।
जहॉ तहॉ काक उरूक फक भानस सकृ त भयार।।281।।
–*–*–
सुसन ससोच कह दे वफ सुसभत्रा। वफसध गसत फकड़ वफऩयीत वफसचत्रा।।
जो सृष्ज ऩारइ हयइ फहोयी। फार केसर सभ वफसध भसत बोयी।।
कौसल्मा कह दोसु न काहू। कयभ वफफस दि
ु सुि छसत राहू।।
ककठन कयभ गसत जान वफधाता। जो सुब असुब सकर पर दाता।।
ईस यजाइ सीस सफही कईऄ। उतऩसत सथसत रम वफषहु अभी कईऄ।।
दे वफ भोह फस सोसचअ फादी। वफसध प्रऩॊचु अस अचर अनादी।।
बूऩसत ष्जअफ भयफ उय आनी। सोसचअ सष्ि रष्ि सनज कहत हानी।।
सीम भातु कह सत्म सुफानी। सुकृती अवसध अवधऩसत यानी।।
दो0-रिनु याभ ससम जाहुॉ फन बर ऩरयनाभ न ऩोचु।
गहफरय कहमॉ कह कौससरा भोकह बयत कय सोचु।।282।।
–*–*–
ईस प्रसाद असीस तुम्हायी। सुत सुतफधू दे वसरय फायी।।
याभ सऩथ भईआ कीन्ह न काऊ। सो करय कहउॉ सिी ससत बाऊ।।
बयत सीर गुन वफनम फड़ाई। बामऩ बगसत बयोस बराई।।
कहत सायदहु कय भसत हीचे। सागय सीऩ कक जाकहॊ उरीचे।।

232
जानउॉ सदा बयत कुरदीऩा। फाय फाय भोकह कहे उ भहीऩा।।
कसईऄ कनकु भसन ऩारयष्ि ऩाएॉ। ऩुरुष ऩरयष्िअकहॊ सभमॉ सुबाएॉ।
अनुसचत आजु कहफ अस भोया। सोक सनेहॉ समानऩ थोया।।
सुसन सुयसरय सभ ऩावसन फानी। बईं सनेह वफकर सफ यानी।।
दो0-कौसल्मा कह धीय धरय सुनहु दे वफ सभसथरेसस।
को वफफेकसनसध फल्रबकह तुम्हकह सकइ उऩदे सस।।283।।
–*–*–
यासन याम सन अवसरु ऩाई। अऩनी बाॉसत कहफ सभुझाई।।
यष्िअकहॊ रिनु बयतु गफनकहॊ फन। जं मह भत भानै भहीऩ भन।।
तौ बर जतनु कयफ सुवफचायी। भोयईऄ सौचु बयत कय बायी।।
गूढ़ सनेह बयत भन भाही। यहईऄ नीक भोकह रागत नाहीॊ।।
रष्ि सुबाउ सुसन सयर सुफानी। सफ बइ भगन करुन यस यानी।।
नब प्रसून झरय धन्म धन्म धुसन। सससथर सनेहॉ ससद्ध जोगी भुसन।।
सफु यसनवासु वफथकक रष्ि यहे ऊ। तफ धरय धीय सुसभत्राॉ कहे ऊ।।
दे वफ दॊ ड जुग जासभसन फीती। याभ भातु सुनी उठी सप्रीती।।
दो0-फेसग ऩाउ धारयअ थरकह कह सनेहॉ ससतबाम।
हभयईऄ तौ अफ ईस गसत के सभसथरेस सहाम।।284।।
–*–*–
रष्ि सनेह सुसन फचन वफनीता। जनकवप्रमा गह ऩाम ऩुनीता।।
दे वफ उसचत असस वफनम तुम्हायी। दसयथ घरयसन याभ भहतायी।।
प्रबु अऩने नीचहु आदयहीॊ। असगसन धूभ सगरय ससय सतनु धयहीॊ।।
सेवकु याउ कयभ भन फानी। सदा सहाम भहे सु बवानी।।
यउये अॊग जोगु जग को है । दीऩ सहाम कक कदनकय सोहै ।।
याभु जाइ फनु करय सुय काजू। अचर अवधऩुय करयहकहॊ याजू।।
अभय नाग नय याभ फाहुफर। सुि फससहकहॊ अऩनईऄ अऩने थर।।
मह सफ जागफसरक ककह यािा। दे वफ न होइ भुधा भुसन बाषा।।
दो0-अस ककह ऩग ऩरय ऩेभ असत ससम कहत वफनम सुनाइ।।
ससम सभेत ससमभातु तफ चरी सुआमसु ऩाइ।।285।।
–*–*–
वप्रम ऩरयजनकह सभरी फैदेही। जो जेकह जोगु बाॉसत तेकह तेही।।
ताऩस फेष जानकी दे िी। बा सफु वफकर वफषाद वफसेषी।।
जनक याभ गुय आमसु ऩाई। चरे थरकह ससम दे िी आई।।
रीष्न्ह राइ उय जनक जानकी। ऩाहुन ऩावन ऩेभ प्रान की।।

233
उय उभगेउ अॊफुसध अनुयागू। बमउ बूऩ भनु भनहुॉ ऩमागू।।
ससम सनेह फटु फाढ़त जोहा। ता ऩय याभ ऩेभ सससु सोहा।।
सचयजीवी भुसन ग्मान वफकर जनु। फूड़त रहे उ फार अवरॊफनु।।
भोह भगन भसत नकहॊ वफदे ह की। भकहभा ससम यघुफय सनेह की।।
दो0-ससम वऩतु भातु सनेह फस वफकर न सकी सॉबारय।
धयसनसुताॉ धीयजु धये उ सभउ सुधयभु वफचारय।।286।।
–*–*–
ताऩस फेष जनक ससम दे िी। बमउ ऩेभु ऩरयतोषु वफसेषी।।
ऩुवत्र ऩववत्र ककए कुर दोऊ। सुजस धवर जगु कह सफु कोऊ।।
ष्जसत सुयसरय कीयसत सरय तोयी। गवनु कीन्ह वफसध अॊड कयोयी।।
गॊग अवसन थर तीसन फड़े ये। एकहॊ ककए साधु सभाज घनेये।।
वऩतु कह सत्म सनेहॉ सुफानी। सीम सकुच भहुॉ भनहुॉ सभानी।।
ऩुसन वऩतु भातु रीन्ह उय राई। ससि आससष कहत दीष्न्ह सुहाई।।
कहसत न सीम सकुसच भन भाहीॊ। इहाॉ फसफ यजनीॊ बर नाहीॊ।।
रष्ि रुि यासन जनामउ याऊ। रृदमॉ सयाहत सीरु सुबाऊ।।
दो0-फाय फाय सभसर बईऄट ससम वफदा कीन्ह सनभासन।
कही सभम ससय बयत गसत यासन सुफासन समासन।।287।।
–*–*–
सुसन बूऩार बयत ब्मवहारू। सोन सुगध
ॊ सुधा ससस सारू।।
भूदे सजर नमन ऩुरके तन। सुजसु सयाहन रगे भुकदत भन।।
सावधान सुनु सुभुष्ि सुरोचसन। बयत कथा बव फॊध वफभोचसन।।
धयभ याजनम ब्रह्मवफचारू। इहाॉ जथाभसत भोय प्रचारू।।
सो भसत भोरय बयत भकहभाही। कहै काह छसर छुअसत न छाॉही।।
वफसध गनऩसत अकहऩसत ससव सायद। कवफ कोवफद फुध फुवद्ध वफसायद।।
बयत चरयत कीयसत कयतूती। धयभ सीर गुन वफभर वफबूती।।
सभुझत सुनत सुिद सफ काहू। सुसच सुयसरय रुसच सनदय सुधाहू।।
दो0-सनयवसध गुन सनरुऩभ ऩुरुषु बयतु बयत सभ जासन।
ककहअ सुभेरु कक सेय सभ कवफकुर भसत सकुचासन।।288।।
–*–*–
अगभ सफकह फयनत फयफयनी। ष्जसभ जरहीन भीन गभु धयनी।।
बयत असभत भकहभा सुनु यानी। जानकहॊ याभु न सककहॊ फिानी।।
फयसन सप्रेभ बयत अनुबाऊ। सतम ष्जम की रुसच रष्ि कह याऊ।।
फहुयकहॊ रिनु बयतु फन जाहीॊ। सफ कय बर सफ के भन भाहीॊ।।

234
दे वफ ऩयॊ तु बयत यघुफय की। प्रीसत प्रतीसत जाइ नकहॊ तयकी।।
बयतु अवसध सनेह भभता की। जयवऩ याभु सीभ सभता की।।
ऩयभायथ स्वायथ सुि साये । बयत न सऩनेहुॉ भनहुॉ सनहाये ।।
साधन ससद्ध याभ ऩग नेहू।।भोकह रष्ि ऩयत बयत भत एहू।।
दो0-बोये हुॉ बयत न ऩेसरहकहॊ भनसहुॉ याभ यजाइ।
करयअ न सोचु सनेह फस कहे उ बूऩ वफरिाइ।।289।।
–*–*–
याभ बयत गुन गनत सप्रीती। सनसस दॊ ऩसतकह ऩरक सभ फीती।।
याज सभाज प्रात जुग जागे। न्हाइ न्हाइ सुय ऩूजन रागे।।
गे नहाइ गुय ऩहीॊ यघुयाई। फॊकद चयन फोरे रुि ऩाई।।
नाथ बयतु ऩुयजन भहतायी। सोक वफकर फनफास दि
ु ायी।।
सकहत सभाज याउ सभसथरेसू। फहुत कदवस बए सहत करेसू।।
उसचत होइ सोइ कीष्जअ नाथा। कहत सफही कय यौयईऄ हाथा।।
अस ककह असत सकुचे यघुयाऊ। भुसन ऩुरके रष्ि सीरु सुबाऊ।।
तुम्ह वफनु याभ सकर सुि साजा। नयक सरयस दह
ु ु याज सभाजा।।
दो0-प्रान प्रान के जीव के ष्जव सुि के सुि याभ।
तुम्ह तष्ज तात सोहात गृह ष्जन्हकह सतन्हकहॊ वफसध फाभ।।290।।
–*–*–
सो सुिु कयभु धयभु जरय जाऊ। जहॉ न याभ ऩद ऩॊकज बाऊ।।
जोगु कुजोगु ग्मानु अग्मानू। जहॉ नकहॊ याभ ऩेभ ऩयधानू।।
तुम्ह वफनु दि
ु ी सुिी तुम्ह तेहीॊ। तुम्ह जानहु ष्जम जो जेकह केहीॊ।।
याउय आमसु ससय सफही कईऄ। वफकदत कृ ऩारकह गसत सफ नीकईऄ।।
आऩु आश्रभकह धारयअ ऩाऊ। बमउ सनेह सससथर भुसनयाऊ।।
करय प्रनाभ तफ याभु ससधाए। रयवष धरय धीय जनक ऩकहॊ आए।।
याभ फचन गुरु नृऩकह सुनाए। सीर सनेह सुबामॉ सुहाए।।
भहायाज अफ कीष्जअ सोई। सफ कय धयभ सकहत कहत होई।
दो0-ग्मान सनधान सुजान सुसच धयभ धीय नयऩार।
तुम्ह वफनु असभॊजस सभन को सभयथ एकह कार।।291।।
–*–*–
सुसन भुसन फचन जनक अनुयागे। रष्ि गसत ग्मानु वफयागु वफयागे।।
सससथर सनेहॉ गुनत भन भाहीॊ। आए इहाॉ कीन्ह बर नाही।।
याभकह यामॉ कहे उ फन जाना। कीन्ह आऩु वप्रम प्रेभ प्रवाना।।
हभ अफ फन तईऄ फनकह ऩठाई। प्रभुकदत कपयफ वफफेक फड़ाई।।

235
ताऩस भुसन भकहसुय सुसन दे िी। बए प्रेभ फस वफकर वफसेषी।।
सभउ सभुष्झ धरय धीयजु याजा। चरे बयत ऩकहॊ सकहत सभाजा।।
बयत आइ आगईऄ बइ रीन्हे । अवसय सरयस सुआसन दीन्हे ।।
तात बयत कह तेयहुसत याऊ। तुम्हकह वफकदत यघुफीय सुबाऊ।।
दो0-याभ सत्मब्रत धयभ यत सफ कय सीरु सनेहु।।
सॊकट सहत सकोच फस ककहअ जो आमसु दे हु।।292।।
–*–*–
सुसन तन ऩुरकक नमन बरय फायी। फोरे बयतु धीय धरय बायी।।
प्रबु वप्रम ऩूज्म वऩता सभ आऩू। कुरगुरु सभ कहत भाम न फाऩू।।
कौससकाकद भुसन ससचव सभाजू। ग्मान अॊफुसनसध आऩुनु आजू।।
सससु सेवक आमसु अनुगाभी। जासन भोकह ससि दे इअ स्वाभी।।
एकहॊ सभाज थर फूझफ याउय। भौन भसरन भईआ फोरफ फाउय।।
छोटे फदन कहउॉ फकड़ फाता। छभफ तात रष्ि फाभ वफधाता।।
आगभ सनगभ प्रससद्ध ऩुयाना। सेवाधयभु ककठन जगु जाना।।
स्वासभ धयभ स्वायथकह वफयोधू। फैरु अॊध प्रेभकह न प्रफोधू।।
दो0-याष्ि याभ रुि धयभु ब्रतु ऩयाधीन भोकह जासन।
सफ कईऄ सॊभत सफा कहत करयअ ऩेभु ऩकहचासन।।293।।
–*–*–
बयत फचन सुसन दे ष्ि सुबाऊ। सकहत सभाज सयाहत याऊ।।
सुगभ अगभ भृद ु भॊजु कठोये । अयथु असभत असत आिय थोये ।।
ज्मौ भुि भुकुय भुकुरु सनज ऩानी। गकह न जाइ अस अदबुत फानी।।
बूऩ बयत भुसन सकहत सभाजू। गे जहॉ वफफुध कुभुद कद्वजयाजू।।
सुसन सुसध सोच वफकर सफ रोगा। भनहुॉ भीनगन नव जर जोगा।।
दे वॉ प्रथभ कुरगुय गसत दे िी। सनयष्ि वफदे ह सनेह वफसेषी।।
याभ बगसतभम बयतु सनहाये । सुय स्वायथी हहरय कहमॉ हाये ।।
सफ कोउ याभ ऩेभभम ऩेिा। बउ अरेि सोच फस रेिा।।
दो0-याभु सनेह सकोच फस कह ससोच सुययाज।
यचहु प्रऩॊचकह ऩॊच सभसर नाकहॊ त बमउ अकाजु।।294।।
–*–*–
सुयन्ह सुसभरय सायदा सयाही। दे वफ दे व सयनागत ऩाही।।
पेरय बयत भसत करय सनज भामा। ऩारु वफफुध कुर करय छर छामा।।
वफफुध वफनम सुसन दे वफ समानी। फोरी सुय स्वायथ जड़ जानी।।
भो सन कहहु बयत भसत पेरू। रोचन सहस न सूझ सुभेरू।।

236
वफसध हरय हय भामा फकड़ बायी। सोउ न बयत भसत सकइ सनहायी।।
सो भसत भोकह कहत करु बोयी। चॊकदसन कय कक चॊडकय चोयी।।
बयत रृदमॉ ससम याभ सनवासू। तहॉ कक सतसभय जहॉ तयसन प्रकासू।।
अस ककह सायद गइ वफसध रोका। वफफुध वफकर सनसस भानहुॉ कोका।।
दो0-सुय स्वायथी भरीन भन कीन्ह कुभॊत्र कुठाटु ।।
यसच प्रऩॊच भामा प्रफर बम र्भ्भ अयसत उचाटु ।।295।।
–*–*–
करय कुचासर सोचत सुययाजू। बयत हाथ सफु काजु अकाजू।।
गए जनकु यघुनाथ सभीऩा। सनभाने सफ यवफकुर दीऩा।।
सभम सभाज धयभ अवफयोधा। फोरे तफ यघुफॊस ऩुयोधा।।
जनक बयत सॊफाद ु सुनाई। बयत कहाउसत कही सुहाई।।
तात याभ जस आमसु दे हू। सो सफु कयै भोय भत एहू।।
सुसन यघुनाथ जोरय जुग ऩानी। फोरे सत्म सयर भृद ु फानी।।
वफयभान आऩुसन सभसथरेसू। भोय कहफ सफ बाॉसत बदे सू।।
याउय याम यजामसु होई। याउरय सऩथ सही ससय सोई।।
दो0-याभ सऩथ सुसन भुसन जनकु सकुचे सबा सभेत।
सकर वफरोकत बयत भुिु फनइ न उतरु दे त।।296।।
–*–*–
सबा सकुच फस बयत सनहायी। याभफॊधु धरय धीयजु बायी।।
कुसभउ दे ष्ि सनेहु सॉबाया। फढ़त वफॊसध ष्जसभ घटज सनवाया।।
सोक कनकरोचन भसत छोनी। हयी वफभर गुन गन जगजोनी।।
बयत वफफेक फयाहॉ वफसारा। अनामास उधयी तेकह कारा।।
करय प्रनाभु सफ कहॉ कय जोये । याभु याउ गुय साधु सनहोये ।।
छभफ आजु असत अनुसचत भोया। कहउॉ फदन भृद ु फचन कठोया।।
कहमॉ सुसभयी सायदा सुहाई। भानस तईऄ भुि ऩॊकज आई।।
वफभर वफफेक धयभ नम सारी। बयत बायती भॊजु भयारी।।
दो0-सनयष्ि वफफेक वफरोचनष्न्ह सससथर सनेहॉ सभाजु।
करय प्रनाभु फोरे बयतु सुसभरय सीम यघुयाजु।।297।।
–*–*–
प्रबु वऩतु भातु सुह्रद गुय स्वाभी। ऩूज्म ऩयभ कहत अतॊयजाभी।।
सयर सुसाकहफु सीर सनधानू। प्रनतऩार सफाग्म सुजानू।।
सभयथ सयनागत कहतकायी। गुनगाहकु अवगुन अघ हायी।।
स्वासभ गोसाॉइकह सरयस गोसाई। भोकह सभान भईआ साइॉ दोहाई।।

237
प्रबु वऩतु फचन भोह फस ऩेरी। आमउॉ इहाॉ सभाजु सकेरी।।
जग बर ऩोच ऊॉच अरु नीचू। असभअ अभयऩद भाहुरु भीचू।।
याभ यजाइ भेट भन भाहीॊ। दे िा सुना कतहुॉ कोउ नाहीॊ।।
सो भईआ सफ वफसध कीष्न्ह कढठाई। प्रबु भानी सनेह सेवकाई।।
दो0-कृ ऩाॉ बराई आऩनी नाथ कीन्ह बर भोय।
दष
ू न बे बूषन सरयस सुजसु चारु चहु ओय।।298।।
–*–*–
याउरय यीसत सुफासन फड़ाई। जगत वफकदत सनगभागभ गाई।।
कूय कुकटर िर कुभसत करॊकी। नीच सनसीर सनयीस सनसॊकी।।
तेउ सुसन सयन साभुहईऄ आए। सकृ त प्रनाभु ककहईऄ अऩनाए।।
दे ष्ि दोष कफहुॉ न उय आने। सुसन गुन साधु सभाज फिाने।।
को साकहफ सेवककह नेवाजी। आऩु सभाज साज सफ साजी।।
सनज कयतूसत न सभुष्झअ सऩनईऄ। सेवक सकुच सोचु उय अऩनईऄ।।
सो गोसाइॉ नकह दस
ू य कोऩी। बुजा उठाइ कहउॉ ऩन योऩी।।
ऩसु नाचत सुक ऩाठ प्रफीना। गुन गसत नट ऩाठक आधीना।।
दो0-मं सुधारय सनभासन जन ककए साधु ससयभोय।
को कृ ऩार वफनु ऩासरहै वफरयदावसर फयजोय।।299।।
–*–*–
सोक सनेहॉ कक फार सुबाएॉ। आमउॉ राइ यजामसु फाएॉ।।
तफहुॉ कृ ऩार हे रय सनज ओया। सफकह बाॉसत बर भानेउ भोया।।
दे िेउॉ ऩाम सुभॊगर भूरा। जानेउॉ स्वासभ सहज अनुकूरा।।
फड़ईऄ सभाज वफरोकेउॉ बागू। फड़ीॊ चूक साकहफ अनुयागू।।
कृ ऩा अनुग्रह अॊगु अघाई। कीष्न्ह कृ ऩासनसध सफ असधकाई।।
यािा भोय दर
ु ाय गोसाईं। अऩनईऄ सीर सुबामॉ बराईं।।
नाथ सनऩट भईआ कीष्न्ह कढठाई। स्वासभ सभाज सकोच वफहाई।।
अवफनम वफनम जथारुसच फानी। छसभकह दे उ असत आयसत जानी।।
दो0-सुह्रद सुजान सुसाकहफकह फहुत कहफ फकड़ िोरय।
आमसु दे इअ दे व अफ सफइ सुधायी भोरय।।300।।
–*–*–
प्रबु ऩद ऩदभ
ु ऩयाग दोहाई। सत्म सुकृत सुि सीवॉ सुहाई।।
सो करय कहउॉ कहए अऩने की। रुसच जागत सोवत सऩने की।।
सहज सनेहॉ स्वासभ सेवकाई। स्वायथ छर पर चारय वफहाई।।
अग्मा सभ न सुसाकहफ सेवा। सो प्रसाद ु जन ऩावै दे वा।।

238
अस ककह प्रेभ वफफस बए बायी। ऩुरक सयीय वफरोचन फायी।।
प्रबु ऩद कभर गहे अकुराई। सभउ सनेहु न सो ककह जाई।।
कृ ऩाससॊधु सनभासन सुफानी। फैठाए सभीऩ गकह ऩानी।।
बयत वफनम सुसन दे ष्ि सुबाऊ। सससथर सनेहॉ सबा यघुयाऊ।।
छॊ 0-यघुयाउ सससथर सनेहॉ साधु सभाज भुसन सभसथरा धनी।
भन भहुॉ सयाहत बयत बामऩ बगसत की भकहभा घनी।।
बयतकह प्रसॊसत वफफुध फयषत सुभन भानस भसरन से।
तुरसी वफकर सफ रोग सुसन सकुचे सनसागभ नसरन से।।
सो0-दे ष्ि दि
ु ायी दीन दह
ु ु सभाज नय नारय सफ।
भघवा भहा भरीन भुए भारय भॊगर चहत।।301।।
कऩट कुचासर सीवॉ सुययाजू। ऩय अकाज वप्रम आऩन काजू।।
काक सभान ऩाकरयऩु यीती। छरी भरीन कतहुॉ न प्रतीती।।
प्रथभ कुभत करय कऩटु सॉकेरा। सो उचाटु सफ कईऄ ससय भेरा।।
सुयभामाॉ सफ रोग वफभोहे । याभ प्रेभ असतसम न वफछोहे ।।
बम उचाट फस भन सथय नाहीॊ। छन फन रुसच छन सदन सोहाहीॊ।।
दवु फध भनोगसत प्रजा दि
ु ायी। सरयत ससॊधु सॊगभ जनु फायी।।
दसु चत कतहुॉ ऩरयतोषु न रहहीॊ। एक एक सन भयभु न कहहीॊ।।
रष्ि कहमॉ हॉ सस कह कृ ऩासनधानू। सरयस स्वान भघवान जुफानू।।
दो0-बयतु जनकु भुसनजन ससचव साधु सचेत वफहाइ।
रासग दे वभामा सफकह जथाजोगु जनु ऩाइ।।302।।
–*–*–
कृ ऩाससॊधु रष्ि रोग दि
ु ाये । सनज सनेहॉ सुयऩसत छर बाये ।।
सबा याउ गुय भकहसुय भॊत्री। बयत बगसत सफ कै भसत जॊत्री।।
याभकह सचतवत सचत्र सरिे से। सकुचत फोरत फचन ससिे से।।
बयत प्रीसत नसत वफनम फड़ाई। सुनत सुिद फयनत ककठनाई।।
जासु वफरोकक बगसत रवरेसू। प्रेभ भगन भुसनगन सभसथरेसू।।
भकहभा तासु कहै ककसभ तुरसी। बगसत सुबामॉ सुभसत कहमॉ हुरसी।।
आऩु छोकट भकहभा फकड़ जानी। कवफकुर कासन भासन सकुचानी।।
ककह न सकसत गुन रुसच असधकाई। भसत गसत फार फचन की नाई।।
दो0-बयत वफभर जसु वफभर वफधु सुभसत चकोयकुभारय।
उकदत वफभर जन रृदम नब एकटक यही सनहारय।।303।।
–*–*–
बयत सुबाउ न सुगभ सनगभहूॉ। रघु भसत चाऩरता कवफ छभहूॉ।।

239
कहत सुनत ससत बाउ बयत को। सीम याभ ऩद होइ न यत को।।
सुसभयत बयतकह प्रेभु याभ को। जेकह न सुरब तेकह सरयस फाभ को।।
दे ष्ि दमार दसा सफही की। याभ सुजान जासन जन जी की।।
धयभ धुयीन धीय नम नागय। सत्म सनेह सीर सुि सागय।।
दे सु कार रष्ि सभउ सभाजू। नीसत प्रीसत ऩारक यघुयाजू।।
फोरे फचन फासन सयफसु से। कहत ऩरयनाभ सुनत ससस यसु से।।
तात बयत तुम्ह धयभ धुयीना। रोक फेद वफद प्रेभ प्रफीना।।
दो0-कयभ फचन भानस वफभर तुम्ह सभान तुम्ह तात।
गुय सभाज रघु फॊधु गुन कुसभमॉ ककसभ ककह जात।।304।।
–*–*–
जानहु तात तयसन कुर यीती। सत्मसॊध वऩतु कीयसत प्रीती।।
सभउ सभाजु राज गुरुजन की। उदासीन कहत अनकहत भन की।।
तुम्हकह वफकदत सफही कय कयभू। आऩन भोय ऩयभ कहत धयभू।।
भोकह सफ बाॉसत बयोस तुम्हाया। तदवऩ कहउॉ अवसय अनुसाया।।
तात तात वफनु फात हभायी। केवर गुरुकुर कृ ऩाॉ सॉबायी।।
नतरु प्रजा ऩरयजन ऩरयवारू। हभकह सकहत सफु होत िुआरू।।
जं वफनु अवसय अथवॉ कदनेसू। जग केकह कहहु न होइ करेसू।।
तस उतऩातु तात वफसध कीन्हा। भुसन सभसथरेस याष्ि सफु रीन्हा।।
दो0-याज काज सफ राज ऩसत धयभ धयसन धन धाभ।
गुय प्रबाउ ऩासरकह सफकह बर होइकह ऩरयनाभ।।305।।
–*–*–
सकहत सभाज तुम्हाय हभाया। घय फन गुय प्रसाद यिवाया।।
भातु वऩता गुय स्वासभ सनदे सू। सकर धयभ धयनीधय सेसू।।
सो तुम्ह कयहु कयावहु भोहू। तात तयसनकुर ऩारक होहू।।
साधक एक सकर सससध दे नी। कीयसत सुगसत बूसतभम फेनी।।
सो वफचारय सकह सॊकटु बायी। कयहु प्रजा ऩरयवारु सुिायी।।
फाॉटी वफऩसत सफकहॊ भोकह बाई। तुम्हकह अवसध बरय फकड़ ककठनाई।।
जासन तुम्हकह भृद ु कहउॉ कठोया। कुसभमॉ तात न अनुसचत भोया।।
होकहॊ कुठामॉ सुफॊधु सुहाए। ओकड़अकहॊ हाथ अससनहु के घाए।।
दो0-सेवक कय ऩद नमन से भुि सो साकहफु होइ।
तुरसी प्रीसत कक यीसत सुसन सुकवफ सयाहकहॊ सोइ।।306।।
–*–*–
सबा सकर सुसन यघुफय फानी। प्रेभ ऩमोसध असभअ जनु सानी।।

240
सससथर सभाज सनेह सभाधी। दे ष्ि दसा चुऩ सायद साधी।।
बयतकह बमउ ऩयभ सॊतोषू। सनभुि स्वासभ वफभुि दि
ु दोषू।।
भुि प्रसन्न भन सभटा वफषाद।ू बा जनु गूॉगेकह सगया प्रसाद।ू ।
कीन्ह सप्रेभ प्रनाभु फहोयी। फोरे ऩासन ऩॊकरुह जोयी।।
नाथ बमउ सुिु साथ गए को। रहे उॉ राहु जग जनभु बए को।।
अफ कृ ऩार जस आमसु होई। कयं सीस धरय सादय सोई।।
सो अवरॊफ दे व भोकह दे ई। अवसध ऩारु ऩावं जेकह सेई।।
दो0-दे व दे व असबषेक कहत गुय अनुसासनु ऩाइ।
आनेउॉ सफ तीयथ ससररु तेकह कहॉ काह यजाइ।।307।।
–*–*–
एकु भनोयथु फड़ भन भाहीॊ। सबमॉ सकोच जात ककह नाहीॊ।।
कहहु तात प्रबु आमसु ऩाई। फोरे फासन सनेह सुहाई।।
सचत्रकूट सुसच थर तीयथ फन। िग भृग सय सरय सनझाय सगरयगन।।
प्रबु ऩद अॊककत अवसन वफसेषी। आमसु होइ त आवं दे िी।।
अवसस अवत्र आमसु ससय धयहू। तात वफगतबम कानन चयहू।।
भुसन प्रसाद फनु भॊगर दाता। ऩावन ऩयभ सुहावन र्भ्ाता।।
रयवषनामकु जहॉ आमसु दे हीॊ। यािेहु तीयथ जरु थर तेहीॊ।।
सुसन प्रबु फचन बयत सुि ऩावा। भुसन ऩद कभर भुकदत ससरु नावा।।
दो0-बयत याभ सॊफाद ु सुसन सकर सुभॊगर भूर।
सुय स्वायथी सयाकह कुर फयषत सुयतरु पूर।।308।।
–*–*–
धन्म बयत जम याभ गोसाईं। कहत दे व हयषत फरयआई।
भुसन सभसथरेस सबाॉ सफ काहू। बयत फचन सुसन बमउ उछाहू।।
बयत याभ गुन ग्राभ सनेहू। ऩुरकक प्रसॊसत याउ वफदे हू।।
सेवक स्वासभ सुबाउ सुहावन। नेभु ऩेभु असत ऩावन ऩावन।।
भसत अनुसाय सयाहन रागे। ससचव सबासद सफ अनुयागे।।
सुसन सुसन याभ बयत सॊफाद।ू दह
ु ु सभाज कहमॉ हयषु वफषाद।ू ।
याभ भातु दि
ु ु सुिु सभ जानी। ककह गुन याभ प्रफोधीॊ यानी।।
एक कहकहॊ यघुफीय फड़ाई। एक सयाहत बयत बराई।।
दो0-अवत्र कहे उ तफ बयत सन सैर सभीऩ सुकूऩ।
याष्िअ तीयथ तोम तहॉ ऩावन असभअ अनूऩ।।309।।
–*–*–
बयत अवत्र अनुसासन ऩाई। जर बाजन सफ कदए चराई।।

241
सानुज आऩु अवत्र भुसन साधू। सकहत गए जहॉ कूऩ अगाधू।।
ऩावन ऩाथ ऩुन्मथर यािा। प्रभुकदत प्रेभ अवत्र अस बाषा।।
तात अनाकद ससद्ध थर एहू। रोऩेउ कार वफकदत नकहॊ केहू।।
तफ सेवकन्ह सयस थरु दे िा। ककन्ह सुजर कहत कूऩ वफसेषा।।
वफसध फस बमउ वफस्व उऩकारू। सुगभ अगभ असत धयभ वफचारू।।
बयतकूऩ अफ ककहहकहॊ रोगा। असत ऩावन तीयथ जर जोगा।।
प्रेभ सनेभ सनभज्जत प्रानी। होइहकहॊ वफभर कयभ भन फानी।।
दो0-कहत कूऩ भकहभा सकर गए जहाॉ यघुयाउ।
अवत्र सुनामउ यघुफयकह तीयथ ऩुन्म प्रबाउ।।310।।
–*–*–
कहत धयभ इसतहास सप्रीती। बमउ बोरु सनसस सो सुि फीती।।
सनत्म सनफाकह बयत दोउ बाई। याभ अवत्र गुय आमसु ऩाई।।
सकहत सभाज साज सफ सादईऄ । चरे याभ फन अटन ऩमादईऄ ।।
कोभर चयन चरत वफनु ऩनहीॊ। बइ भृद ु बूसभ सकुसच भन भनहीॊ।।
कुस कॊटक काॉकयीॊ कुयाईं। कटु क कठोय कुफस्तु दयु ाईं।।
भकह भॊजुर भृद ु भायग कीन्हे । फहत सभीय वत्रवफध सुि रीन्हे ।।
सुभन फयवष सुय घन करय छाहीॊ। वफटऩ पूसर पसर तृन भृदत
ु ाहीॊ।।
भृग वफरोकक िग फोसर सुफानी। सेवकहॊ सकर याभ वप्रम जानी।।
दो0-सुरब ससवद्ध सफ प्राकृ तहु याभ कहत जभुहात।
याभ प्रान वप्रम बयत कहुॉ मह न होइ फकड़ फात।।311।।
–*–*–
एकह वफसध बयतु कपयत फन भाहीॊ। नेभु प्रेभु रष्ि भुसन सकुचाहीॊ।।
ऩुन्म जराश्रम बूसभ वफबागा। िग भृग तरु तृन सगरय फन फागा।।
चारु वफसचत्र ऩवफत्र वफसेषी। फूझत बयतु कदब्म सफ दे िी।।
सुसन भन भुकदत कहत रयवषयाऊ। हे तु नाभ गुन ऩुन्म प्रबाऊ।।
कतहुॉ सनभज्जन कतहुॉ प्रनाभा। कतहुॉ वफरोकत भन असबयाभा।।
कतहुॉ फैकठ भुसन आमसु ऩाई। सुसभयत सीम सकहत दोउ बाई।।
दे ष्ि सुबाउ सनेहु सुसेवा। दे कहॊ असीस भुकदत फनदे वा।।
कपयकहॊ गएॉ कदनु ऩहय अढ़ाई। प्रबु ऩद कभर वफरोककहॊ आई।।
दो0-दे िे थर तीयथ सकर बयत ऩाॉच कदन भाझ।
कहत सुनत हरय हय सुजसु गमउ कदवसु बइ साॉझ।।312।।
–*–*–
बोय न्हाइ सफु जुया सभाजू। बयत बूसभसुय तेयहुसत याजू।।

242
बर कदन आजु जासन भन भाहीॊ। याभु कृ ऩार कहत सकुचाहीॊ।।
गुय नृऩ बयत सबा अवरोकी। सकुसच याभ कपरय अवसन वफरोकी।।
सीर सयाकह सबा सफ सोची। कहुॉ न याभ सभ स्वासभ सॉकोची।।
बयत सुजान याभ रुि दे िी। उकठ सप्रेभ धरय धीय वफसेषी।।
करय दॊ डवत कहत कय जोयी। यािीॊ नाथ सकर रुसच भोयी।।
भोकह रसग सहे उ सफकहॊ सॊताऩू। फहुत बाॉसत दि
ु ु ऩावा आऩू।।
अफ गोसाइॉ भोकह दे उ यजाई। सेवं अवध अवसध बरय जाई।।
दो0-जेकहॊ उऩाम ऩुसन ऩाम जनु दे िै दीनदमार।
सो ससि दे इअ अवसध रसग कोसरऩार कृ ऩार।।313।।
–*–*–
ऩुयजन ऩरयजन प्रजा गोसाई। सफ सुसच सयस सनेहॉ सगाई।।
याउय फकद बर बव दि
ु दाहू। प्रबु वफनु फाकद ऩयभ ऩद राहू।।
स्वासभ सुजानु जासन सफ ही की। रुसच रारसा यहसन जन जी की।।
प्रनतऩारु ऩासरकह सफ काहू। दे उ दह
ु ू कदसस ओय सनफाहू।।
अस भोकह सफ वफसध बूरय बयोसो। ककएॉ वफचारु न सोचु ियो सो।।
आयसत भोय नाथ कय छोहू। दह
ु ुॉ सभसर कीन्ह ढीठु हकठ भोहू।।
मह फड़ दोषु दरू य करय स्वाभी। तष्ज सकोच ससिइअ अनुगाभी।।
बयत वफनम सुसन सफकहॊ प्रसॊसी। िीय नीय वफफयन गसत हॊ सी।।
दो0-दीनफॊधु सुसन फॊधु के फचन दीन छरहीन।
दे स कार अवसय सरयस फोरे याभु प्रफीन।।314।।
–*–*–
तात तुम्हारय भोरय ऩरयजन की। सचॊता गुयकह नृऩकह घय फन की।।
भाथे ऩय गुय भुसन सभसथरेसू। हभकह तुम्हकह सऩनेहुॉ न करेसू।।
भोय तुम्हाय ऩयभ ऩुरुषायथु। स्वायथु सुजसु धयभु ऩयभायथु।।
वऩतु आमसु ऩासरकहॊ दह
ु ु बाई। रोक फेद बर बूऩ बराई।।
गुय वऩतु भातु स्वासभ ससि ऩारईऄ। चरेहुॉ कुभग ऩग ऩयकहॊ न िारईऄ।।
अस वफचारय सफ सोच वफहाई। ऩारहु अवध अवसध बरय जाई।।
दे सु कोसु ऩरयजन ऩरयवारू। गुय ऩद यजकहॊ राग छरुबारू।।
तुम्ह भुसन भातु ससचव ससि भानी। ऩारेहु ऩुहुसभ प्रजा यजधानी।।
दो0-भुष्िआ भुिु सो चाकहऐ िान ऩान कहुॉ एक।
ऩारइ ऩोषइ सकर अॉग तुरसी सकहत वफफेक।।315।।
–*–*–
याजधयभ सयफसु एतनोई। ष्जसभ भन भाहॉ भनोयथ गोई।।

243
फॊधु प्रफोधु कीन्ह फहु बाॉती। वफनु अधाय भन तोषु न साॉती।।
बयत सीर गुय ससचव सभाजू। सकुच सनेह वफफस यघुयाजू।।
प्रबु करय कृ ऩा ऩाॉवयीॊ दीन्हीॊ। सादय बयत सीस धरय रीन्हीॊ।।
चयनऩीठ करुनासनधान के। जनु जुग जासभक प्रजा प्रान के।।
सॊऩुट बयत सनेह यतन के। आिय जुग जुन जीव जतन के।।
कुर कऩाट कय कुसर कयभ के। वफभर नमन सेवा सुधयभ के।।
बयत भुकदत अवरॊफ रहे तईऄ। अस सुि जस ससम याभु यहे तईऄ।।
दो0-भागेउ वफदा प्रनाभु करय याभ सरए उय राइ।
रोग उचाटे अभयऩसत कुकटर कुअवसरु ऩाइ।।316।।
–*–*–
सो कुचासर सफ कहॉ बइ नीकी। अवसध आस सभ जीवसन जी की।।
नतरु रिन ससम सभ वफमोगा। हहरय भयत सफ रोग कुयोगा।।
याभकृ ऩाॉ अवये फ सुधायी। वफफुध धारय बइ गुनद गोहायी।।
बईऄटत बुज बरय बाइ बयत सो। याभ प्रेभ यसु ककह न ऩयत सो।।
तन भन फचन उभग अनुयागा। धीय धुयॊधय धीयजु त्मागा।।
फारयज रोचन भोचत फायी। दे ष्ि दसा सुय सबा दि
ु ायी।।
भुसनगन गुय धुय धीय जनक से। ग्मान अनर भन कसईऄ कनक से।।
जे वफयॊ सच सनयरेऩ उऩाए। ऩदभ
ु ऩत्र ष्जसभ जग जर जाए।।
दो0-तेउ वफरोकक यघुफय बयत प्रीसत अनूऩ अऩाय।
बए भगन भन तन फचन सकहत वफयाग वफचाय।।317।।
–*–*–
जहाॉ जनक गुय भसत बोयी। प्राकृ त प्रीसत कहत फकड़ िोयी।।
फयनत यघुफय बयत वफमोगू। सुसन कठोय कवफ जासनकह रोगू।।
सो सकोच यसु अकथ सुफानी। सभउ सनेहु सुसभरय सकुचानी।।
बईऄकट बयत यघुफय सभुझाए। ऩुसन रयऩुदवनु हयवष कहमॉ राए।।
सेवक ससचव बयत रुि ऩाई। सनज सनज काज रगे सफ जाई।।
सुसन दारुन दि
ु ु दह
ु ूॉ सभाजा। रगे चरन के साजन साजा।।
प्रबु ऩद ऩदभ
ु फॊकद दोउ बाई। चरे सीस धरय याभ यजाई।।
भुसन ताऩस फनदे व सनहोयी। सफ सनभासन फहोरय फहोयी।।
दो0-रिनकह बईऄकट प्रनाभु करय ससय धरय ससम ऩद धूरय।
चरे सप्रेभ असीस सुसन सकर सुभॊगर भूरय।।318।।
–*–*–
सानुज याभ नृऩकह ससय नाई। कीष्न्ह फहुत वफसध वफनम फड़ाई।।

244
दे व दमा फस फड़ दि
ु ु ऩामउ। सकहत सभाज काननकहॊ आमउ।।
ऩुय ऩगु धारयअ दे इ असीसा। कीन्ह धीय धरय गवनु भहीसा।।
भुसन भकहदे व साधु सनभाने। वफदा ककए हरय हय सभ जाने।।
सासु सभीऩ गए दोउ बाई। कपये फॊकद ऩग आससष ऩाई।।
कौससक फाभदे व जाफारी। ऩुयजन ऩरयजन ससचव सुचारी।।
जथा जोगु करय वफनम प्रनाभा। वफदा ककए सफ सानुज याभा।।
नारय ऩुरुष रघु भध्म फड़े ये। सफ सनभासन कृ ऩासनसध पेये ।।
दो0-बयत भातु ऩद फॊकद प्रबु सुसच सनेहॉ सभसर बईऄकट।
वफदा कीन्ह सष्ज ऩारकी सकुच सोच सफ भेकट।।319।।
–*–*–
ऩरयजन भातु वऩतकह सभसर सीता। कपयी प्रानवप्रम प्रेभ ऩुनीता।।
करय प्रनाभु बईऄटी सफ सासू। प्रीसत कहत कवफ कहमॉ न हुरासू।।
सुसन ससि असबभत आससष ऩाई। यही सीम दह
ु ु प्रीसत सभाई।।
यघुऩसत ऩटु ऩारकीॊ भगाईं। करय प्रफोधु सफ भातु चढ़ाई।।
फाय फाय कहसर सभसर दह
ु ु बाई। सभ सनेहॉ जननी ऩहुॉचाई।।
साष्ज फाष्ज गज फाहन नाना। बयत बूऩ दर कीन्ह ऩमाना।।
रृदमॉ याभु ससम रिन सभेता। चरे जाकहॊ सफ रोग अचेता।।
फसह फाष्ज गज ऩसु कहमॉ हायईऄ । चरे जाकहॊ ऩयफस भन भायईऄ ।।
दो0-गुय गुयसतम ऩद फॊकद प्रबु सीता रिन सभेत।
कपये हयष वफसभम सकहत आए ऩयन सनकेत।।320।।
–*–*–
वफदा कीन्ह सनभासन सनषाद।ू चरेउ रृदमॉ फड़ वफयह वफषाद।ू ।
कोर ककयात सबल्र फनचायी। पेये कपये जोहारय जोहायी।।
प्रबु ससम रिन फैकठ फट छाहीॊ। वप्रम ऩरयजन वफमोग वफरिाहीॊ।।
बयत सनेह सुबाउ सुफानी। वप्रमा अनुज सन कहत फिानी।।
प्रीसत प्रतीसत फचन भन कयनी। श्रीभुि याभ प्रेभ फस फयनी।।
तेकह अवसय िग भृग जर भीना। सचत्रकूट चय अचय भरीना।।
वफफुध वफरोकक दसा यघुफय की। फयवष सुभन ककह गसत घय घय की।।
प्रबु प्रनाभु करय दीन्ह बयोसो। चरे भुकदत भन डय न ियो सो।।
दो0-सानुज सीम सभेत प्रबु याजत ऩयन कुटीय।
बगसत ग्मानु फैयाग्म जनु सोहत धयईऄ सयीय।।321।।
–*–*–
भुसन भकहसुय गुय बयत बुआरू। याभ वफयहॉ सफु साजु वफहारू।।

245
प्रबु गुन ग्राभ गनत भन भाहीॊ। सफ चुऩचाऩ चरे भग जाहीॊ।।
जभुना उतरय ऩाय सफु बमऊ। सो फासरु वफनु बोजन गमऊ।।
उतरय दे वसरय दस
ू य फासू। याभसिाॉ सफ कीन्ह सुऩासू।।
सई उतरय गोभतीॊ नहाए। चौथईऄ कदवस अवधऩुय आए।
जनकु यहे ऩुय फासय चायी। याज काज सफ साज सॉबायी।।
संवऩ ससचव गुय बयतकह याजू। तेयहुसत चरे साष्ज सफु साजू।।
नगय नारय नय गुय ससि भानी। फसे सुिेन याभ यजधानी।।
दो0-याभ दयस रसग रोग सफ कयत नेभ उऩफास।
तष्ज तष्ज बूषन बोग सुि ष्जअत अवसध कीॊ आस।।322।।
–*–*–
ससचव सुसेवक बयत प्रफोधे। सनज सनज काज ऩाइ ऩाइ ससि ओधे।।
ऩुसन ससि दीन्ह फोसर रघु बाई। संऩी सकर भातु सेवकाई।।
बूसुय फोसर बयत कय जोये । करय प्रनाभ फम वफनम सनहोये ।।
ऊॉच नीच कायजु बर ऩोचू। आमसु दे फ न कयफ सॉकोचू।।
ऩरयजन ऩुयजन प्रजा फोराए। सभाधानु करय सुफस फसाए।।
सानुज गे गुय गेहॉ फहोयी। करय दॊ डवत कहत कय जोयी।।
आमसु होइ त यहं सनेभा। फोरे भुसन तन ऩुरकक सऩेभा।।
सभुझव कहफ कयफ तुम्ह जोई। धयभ सारु जग होइकह सोई।।
दो0-सुसन ससि ऩाइ असीस फकड़ गनक फोसर कदनु सासध।
ससॊघासन प्रबु ऩादक
ु ा फैठाये सनरुऩासध।।323।।
–*–*–
याभ भातु गुय ऩद ससरु नाई। प्रबु ऩद ऩीठ यजामसु ऩाई।।
नॊकदगावॉ करय ऩयन कुटीया। कीन्ह सनवासु धयभ धुय धीया।।
जटाजूट ससय भुसनऩट धायी। भकह िसन कुस साॉथयी सॉवायी।।
असन फसन फासन ब्रत नेभा। कयत ककठन रयवषधयभ सप्रेभा।।
बूषन फसन बोग सुि बूयी। भन तन फचन तजे सतन तूयी।।
अवध याजु सुय याजु ससहाई। दसयथ धनु सुसन धनद ु रजाई।।
तेकहॊ ऩुय फसत बयत वफनु यागा। चॊचयीक ष्जसभ चॊऩक फागा।।
यभा वफरासु याभ अनुयागी। तजत फभन ष्जसभ जन फड़बागी।।
दो0-याभ ऩेभ बाजन बयतु फड़े न एकहॊ कयतूसत।
चातक हॊ स सयाकहअत टईऄ क वफफेक वफबूसत।।324।।
–*–*–
दे ह कदनहुॉ कदन दफ
ू रय होई। घटइ तेजु फरु भुिछवफ सोई।।

246
सनत नव याभ प्रेभ ऩनु ऩीना। फढ़त धयभ दरु भनु न भरीना।।
ष्जसभ जरु सनघटत सयद प्रकासे। वफरसत फेतस फनज वफकासे।।
सभ दभ सॊजभ सनमभ उऩासा। नित बयत कहम वफभर अकासा।।
ध्रुव वफस्वास अवसध याका सी। स्वासभ सुयसत सुयफीसथ वफकासी।।
याभ ऩेभ वफधु अचर अदोषा। सकहत सभाज सोह सनत चोिा।।
बयत यहसन सभुझसन कयतूती। बगसत वफयसत गुन वफभर वफबूती।।
फयनत सकर सुकसच सकुचाहीॊ। सेस गनेस सगया गभु नाहीॊ।।
दो0-सनत ऩूजत प्रबु ऩाॉवयी प्रीसत न रृदमॉ सभासत।।
भासग भासग आमसु कयत याज काज फहु बाॉसत।।325।।
–*–*–
ऩुरक गात कहमॉ ससम यघुफीरू। जीह नाभु जऩ रोचन नीरू।।
रिन याभ ससम कानन फसहीॊ। बयतु बवन फसस तऩ तनु कसहीॊ।।
दोउ कदसस सभुष्झ कहत सफु रोगू। सफ वफसध बयत सयाहन जोगू।।
सुसन ब्रत नेभ साधु सकुचाहीॊ। दे ष्ि दसा भुसनयाज रजाहीॊ।।
ऩयभ ऩुनीत बयत आचयनू। भधुय भॊजु भुद भॊगर कयनू।।
हयन ककठन कसर करुष करेसू। भहाभोह सनसस दरन कदनेसू।।
ऩाऩ ऩुॊज कुॊजय भृगयाजू। सभन सकर सॊताऩ सभाजू।
जन यॊ जन बॊजन बव बारू। याभ सनेह सुधाकय सारू।।
छॊ 0-ससम याभ प्रेभ वऩमूष ऩूयन होत जनभु न बयत को।
भुसन भन अगभ जभ सनमभ सभ दभ वफषभ ब्रत आचयत को।।
दि
ु दाह दारयद दॊ ब दष
ू न सुजस सभस अऩहयत को।
कसरकार तुरसी से सठष्न्ह हकठ याभ सनभुि कयत को।।
सो0-बयत चरयत करय नेभु तुरसी जो सादय सुनकहॊ ।
सीम याभ ऩद ऩेभु अवसस होइ बव यस वफयसत।।326।।
भासऩायामण, इक्कीसवाॉ ववश्राभ
इसत श्रीभराभचरयतभानसे सकरकसरकरुषववध्वॊसने
कद्वतीम् सोऩान् सभाप्त्।
————
(अमोध्माकाण्ड सभाप्त)
–*–*–

247
ARANYA KAND

अयण्म काण्ड

श्री गणेशाम नभ्


श्री जानकीवल्रबो ववजमते
श्री याभचरयतभानस
———-
तृतीम सोऩान
(अयण्मकाण्ड)
श्लोक
भूरॊ धभातयोववावेकजरधे् ऩूणेन्दभ
ु ानन्ददॊ
वैयाग्माम्फुजबास्कयॊ ह्यघघनध्वान्ताऩहॊ ताऩहभ ्।
भोहाम्बोधयऩूगऩाटनववधौ स्व्सम्बवॊ शङ्कयॊ
वन्दे ब्रह्मकुरॊ करॊकशभनॊ श्रीयाभबूऩवप्रमभ ्।।1।।
सान्रानन्दऩमोदसौबगतनुॊ ऩीताम्फयॊ सुन्दयॊ
ऩाणौ फाणशयासनॊ ककटरसत्तूणीयबायॊ वयभ ्
याजीवामतरोचनॊ धृतजटाजूटेन सॊशोसबतॊ
सीतारक्ष्भणसॊमुतॊ ऩसथगतॊ याभासबयाभॊ बजे।।2।।
सो0-उभा याभ गुन गूढ़ ऩॊकडत भुसन ऩावकहॊ वफयसत।
ऩावकहॊ भोह वफभूढ़ जे हरय वफभुि न धभा यसत।।
ऩुय नय बयत प्रीसत भईआ गाई। भसत अनुरूऩ अनूऩ सुहाई।।
अफ प्रबु चरयत सुनहु असत ऩावन। कयत जे फन सुय नय भुसन बावन।।
एक फाय चुसन कुसुभ सुहाए। सनज कय बूषन याभ फनाए।।
सीतकह ऩकहयाए प्रबु सादय। फैठे पकटक ससरा ऩय सुॊदय।।
सुयऩसत सुत धरय फामस फेषा। सठ चाहत यघुऩसत फर दे िा।।
ष्जसभ वऩऩीसरका सागय थाहा। भहा भॊदभसत ऩावन चाहा।।
सीता चयन चंच हसत बागा। भूढ़ भॊदभसत कायन कागा।।
चरा रुसधय यघुनामक जाना। सीॊक धनुष सामक सॊधाना।।
दो0-असत कृ ऩार यघुनामक सदा दीन ऩय नेह।
ता सन आइ कीन्ह छरु भूयि अवगुन गेह।।1।।
प्रेरयत भॊत्र ब्रह्मसय धावा। चरा बाष्ज फामस बम ऩावा।।
धरय सनज रुऩ गमउ वऩतु ऩाहीॊ। याभ वफभुि यािा तेकह नाहीॊ।।

248
बा सनयास उऩजी भन त्रासा। जथा चक्र बम रयवष दफ
ु ाासा।।
ब्रह्मधाभ ससवऩुय सफ रोका। कपया श्रसभत ब्माकुर बम सोका।।
काहूॉ फैठन कहा न ओही। याष्ि को सकइ याभ कय रोही।।
भातु भृत्मु वऩतु सभन सभाना। सुधा होइ वफष सुनु हरयजाना।।
सभत्र कयइ सत रयऩु कै कयनी। ता कहॉ वफफुधनदी फैतयनी।।
सफ जगु ताकह अनरहु ते ताता। जो यघुफीय वफभुि सुनु र्भ्ाता।।
नायद दे िा वफकर जमॊता। रासग दमा कोभर सचत सॊता।।
ऩठवा तुयत याभ ऩकहॊ ताही। कहे सस ऩुकारय प्रनत कहत ऩाही।।
आतुय सबम गहे सस ऩद जाई। त्राकह त्राकह दमार यघुयाई।।
अतुसरत फर अतुसरत प्रबुताई। भईआ भसतभॊद जासन नकहॊ ऩाई।।
सनज कृ त कभा जसनत पर ऩामउॉ । अफ प्रबु ऩाकह सयन तकक आमउॉ ।।
सुसन कृ ऩार असत आयत फानी। एकनमन करय तजा बवानी।।
सो0-कीन्ह भोह फस रोह जयवऩ तेकह कय फध उसचत।
प्रबु छाड़े उ करय छोह को कृ ऩार यघुफीय सभ।।2।।
यघुऩसत सचत्रकूट फसस नाना। चरयत ककए श्रुसत सुधा सभाना।।
फहुरय याभ अस भन अनुभाना। होइकह बीय सफकहॊ भोकह जाना।।
सकर भुसनन्ह सन वफदा कयाई। सीता सकहत चरे द्वौ बाई।।
अवत्र के आश्रभ जफ प्रबु गमऊ। सुनत भहाभुसन हयवषत बमऊ।।
ऩुरककत गात अवत्र उकठ धाए। दे ष्ि याभु आतुय चसर आए।।
कयत दॊ डवत भुसन उय राए। प्रेभ फारय द्वौ जन अन्हवाए।।
दे ष्ि याभ छवफ नमन जुड़ाने। सादय सनज आश्रभ तफ आने।।
करय ऩूजा ककह फचन सुहाए। कदए भूर पर प्रबु भन बाए।।
सो0-प्रबु आसन आसीन बरय रोचन सोबा सनयष्ि।
भुसनफय ऩयभ प्रफीन जोरय ऩासन अस्तुसत कयत।।3।।
छॊ 0-नभासभ बि वत्सरॊ। कृ ऩारु शीर कोभरॊ।।
बजासभ ते ऩदाॊफुजॊ। अकासभनाॊ स्वधाभदॊ ।।
सनकाभ श्माभ सुॊदयॊ । बवाम्फुनाथ भॊदयॊ ।।
प्रपुल्र कॊज रोचनॊ। भदाकद दोष भोचनॊ।।
प्ररॊफ फाहु ववक्रभॊ। प्रबोऽप्रभेम वैबवॊ।।
सनषॊग चाऩ सामकॊ। धयॊ वत्ररोक नामकॊ।।
कदनेश वॊश भॊडनॊ। भहे श चाऩ िॊडनॊ।।
भुनीॊर सॊत यॊ जनॊ। सुयारय वृॊद बॊजनॊ।।

249
भनोज वैरय वॊकदतॊ। अजाकद दे व सेववतॊ।।
ववशुद्ध फोध ववग्रहॊ । सभस्त दष
ू णाऩहॊ ।।
नभासभ इॊ कदया ऩसतॊ। सुिाकयॊ सताॊ गसतॊ।।
बजे सशवि सानुजॊ। शची ऩसतॊ वप्रमानुजॊ।।
त्वदॊ सघ्र भूर मे नया्। बजॊसत हीन भत्सया।।
ऩतॊसत नो बवाणावे। ववतका वीसच सॊकुरे।।
ववववि वाससन् सदा। बजॊसत भुिमे भुदा।।
सनयस्म इॊ करमाकदकॊ। प्रमाॊसत ते गसतॊ स्वकॊ।।
तभेकभभ्दत
ु ॊ प्रबुॊ। सनयीहभीश्वयॊ ववबुॊ।।
जगद्गरु
ु ॊ च शाश्वतॊ। तुयीमभेव केवरॊ।।
बजासभ बाव वल्रबॊ। कुमोसगनाॊ सुदर
ु ब
ा ॊ।।
स्वबि कल्ऩ ऩादऩॊ। सभॊ सुसेव्मभन्वहॊ ।।
अनूऩ रूऩ बूऩसतॊ। नतोऽहभुववाजा ऩसतॊ।।
प्रसीद भे नभासभ ते। ऩदाब्ज बवि दे कह भे।।
ऩठॊ सत मे स्तवॊ इदॊ । नयादये ण ते ऩदॊ ।।
व्रजॊसत नात्र सॊशमॊ। त्वदीम बवि सॊमुता।।
दो0-वफनती करय भुसन नाइ ससरु कह कय जोरय फहोरय।
चयन सयोरुह नाथ जसन कफहुॉ तजै भसत भोरय।।4।।
–*–*–
अनुसुइमा के ऩद गकह सीता। सभरी फहोरय सुसीर वफनीता।।
रयवषऩसतनी भन सुि असधकाई। आससष दे इ सनकट फैठाई।।
कदब्म फसन बूषन ऩकहयाए। जे सनत नूतन अभर सुहाए।।
कह रयवषफधू सयस भृद ु फानी। नारयधभा कछु ब्माज फिानी।।
भातु वऩता र्भ्ाता कहतकायी। सभतप्रद सफ सुनु याजकुभायी।।
असभत दासन बताा फमदे ही। अधभ सो नारय जो सेव न तेही।।
धीयज धभा सभत्र अरु नायी। आऩद कार ऩरयष्िअकहॊ चायी।।
फृद्ध योगफस जड़ धनहीना। अधॊ फसधय क्रोधी असत दीना।।
ऐसेहु ऩसत कय ककएॉ अऩभाना। नारय ऩाव जभऩुय दि
ु नाना।।
एकइ धभा एक ब्रत नेभा। कामॉ फचन भन ऩसत ऩद प्रेभा।।
जग ऩसत ब्रता चारय वफसध अहकहॊ । फेद ऩुयान सॊत सफ कहकहॊ ।।
उत्तभ के अस फस भन भाहीॊ। सऩनेहुॉ आन ऩुरुष जग नाहीॊ।।
भध्मभ ऩयऩसत दे िइ कैसईऄ। र्भ्ाता वऩता ऩुत्र सनज जईआसईऄ।।

250
धभा वफचारय सभुष्झ कुर यहई। सो सनककि वत्रम श्रुसत अस कहई।।
वफनु अवसय बम तईऄ यह जोई। जानेहु अधभ नारय जग सोई।।
ऩसत फॊचक ऩयऩसत यसत कयई। यौयव नयक कल्ऩ सत ऩयई।।
छन सुि रासग जनभ सत कोकट। दि
ु न सभुझ तेकह सभ को िोटी।।
वफनु श्रभ नारय ऩयभ गसत रहई। ऩसतब्रत धभा छाकड़ छर गहई।।
ऩसत प्रसतकुर जनभ जहॉ जाई। वफधवा होई ऩाई तरुनाई।।
सो0-सहज अऩावसन नारय ऩसत सेवत सुब गसत रहइ।
जसु गावत श्रुसत चारय अजहु तुरससका हरयकह वप्रम।।5क।।
सनु सीता तव नाभ सुसभय नारय ऩसतब्रत कयकह।
तोकह प्रानवप्रम याभ ककहउॉ कथा सॊसाय कहत।।5ि।।
सुसन जानकीॊ ऩयभ सुिु ऩावा। सादय तासु चयन ससरु नावा।।
तफ भुसन सन कह कृ ऩासनधाना। आमसु होइ जाउॉ फन आना।।
सॊतत भो ऩय कृ ऩा कये हू। सेवक जासन तजेहु जसन नेहू।।
धभा धुयॊधय प्रबु कै फानी। सुसन सप्रेभ फोरे भुसन ग्मानी।।
जासु कृ ऩा अज ससव सनकादी। चहत सकर ऩयभायथ फादी।।
ते तुम्ह याभ अकाभ वऩआये । दीन फॊधु भृद ु फचन उचाये ।।
अफ जानी भईआ श्री चतुयाई। बजी तुम्हकह सफ दे व वफहाई।।
जेकह सभान असतसम नकहॊ कोई। ता कय सीर कस न अस होई।।
केकह वफसध कहं जाहु अफ स्वाभी। कहहु नाथ तुम्ह अॊतयजाभी।।
अस ककह प्रबु वफरोकक भुसन धीया। रोचन जर फह ऩुरक सयीया।।
छॊ 0-तन ऩुरक सनबाय प्रेभ ऩुयन नमन भुि ऩॊकज कदए।
भन ग्मान गुन गोतीत प्रबु भईआ दीि जऩ तऩ का ककए।।
जऩ जोग धभा सभूह तईऄ नय बगसत अनुऩभ ऩावई।
यधुफीय चरयत ऩुनीत सनसस कदन दास तुरसी गावई।।
दो0- कसरभर सभन दभन भन याभ सुजस सुिभूर।
सादय सुनकह जे सतन्ह ऩय याभ यहकहॊ अनुकूर।।6(क)।।
सो0-ककठन कार भर कोस धभा न ग्मान न जोग जऩ।
ऩरयहरय सकर बयोस याभकह बजकहॊ ते चतुय नय।।6(ि)।।
–*–*–
भुसन ऩद कभर नाइ करय सीसा। चरे फनकह सुय नय भुसन ईसा।।
आगे याभ अनुज ऩुसन ऩाछईऄ । भुसन फय फेष फने असत काछईऄ ।।
उभम फीच श्री सोहइ कैसी। ब्रह्म जीव वफच भामा जैसी।।

251
सरयता फन सगरय अवघट घाटा। ऩसत ऩकहचानी दे कहॊ फय फाटा।।
जहॉ जहॉ जाकह दे व यघुयामा। कयकहॊ भेध तहॉ तहॉ नब छामा।।
सभरा असुय वफयाध भग जाता। आवतहीॊ यघुवीय सनऩाता।।
तुयतकहॊ रुसचय रूऩ तेकहॊ ऩावा। दे ष्ि दि
ु ी सनज धाभ ऩठावा।।
ऩुसन आए जहॉ भुसन सयबॊगा। सुॊदय अनुज जानकी सॊगा।।
दो0-दे िी याभ भुि ऩॊकज भुसनफय रोचन बृॊग।
सादय ऩान कयत असत धन्म जन्भ सयबॊग।।7।।
–*–*–
कह भुसन सुनु यघुफीय कृ ऩारा। सॊकय भानस याजभयारा।।
जात यहे उॉ वफयॊ सच के धाभा। सुनेउॉ श्रवन फन ऐहकहॊ याभा।।
सचतवत ऩॊथ यहे उॉ कदन याती। अफ प्रबु दे ष्ि जुड़ानी छाती।।
नाथ सकर साधन भईआ हीना। कीन्ही कृ ऩा जासन जन दीना।।
सो कछु दे व न भोकह सनहोया। सनज ऩन यािेउ जन भन चोया।।
तफ रसग यहहु दीन कहत रागी। जफ रसग सभरं तुम्हकह तनु त्मागी।।
जोग जग्म जऩ तऩ ब्रत कीन्हा। प्रबु कहॉ दे इ बगसत फय रीन्हा।।
एकह वफसध सय यसच भुसन सयबॊगा। फैठे रृदमॉ छाकड़ सफ सॊगा।।
दो0-सीता अनुज सभेत प्रबु नीर जरद तनु स्माभ।
भभ कहमॉ फसहु सनयॊ तय सगुनरुऩ श्रीयाभ।।8।।
–*–*–
अस ककह जोग असगसन तनु जाया। याभ कृ ऩाॉ फैकुॊठ ससधाया।।
ताते भुसन हरय रीन न बमऊ। प्रथभकहॊ बेद बगसत फय रमऊ।।
रयवष सनकाम भुसनफय गसत दे ष्ि। सुिी बए सनज रृदमॉ वफसेषी।।
अस्तुसत कयकहॊ सकर भुसन फृॊदा। जमसत प्रनत कहत करुना कॊदा।।
ऩुसन यघुनाथ चरे फन आगे। भुसनफय फृॊद वफऩुर सॉग रागे।।
अष्स्थ सभूह दे ष्ि यघुयामा। ऩूछी भुसनन्ह रासग असत दामा।।
जानतहुॉ ऩूसछअ कस स्वाभी। सफदयसी तुम्ह अॊतयजाभी।।
सनससचय सनकय सकर भुसन िाए। सुसन यघुफीय नमन जर छाए।।
दो0-सनससचय हीन कयउॉ भकह बुज उठाइ ऩन कीन्ह।
सकर भुसनन्ह के आश्रभष्न्ह जाइ जाइ सुि दीन्ह।।9।।
–*–*–
भुसन अगष्स्त कय ससकम सुजाना। नाभ सुतीछन यसत बगवाना।।
भन क्रभ फचन याभ ऩद सेवक। सऩनेहुॉ आन बयोस न दे वक।।
प्रबु आगवनु श्रवन सुसन ऩावा। कयत भनोयथ आतुय धावा।।

252
हे वफसध दीनफॊधु यघुयामा। भो से सठ ऩय करयहकहॊ दामा।।
सकहत अनुज भोकह याभ गोसाई। सभसरहकहॊ सनज सेवक की नाई।।
भोये ष्जमॉ बयोस दृढ़ नाहीॊ। बगसत वफयसत न ग्मान भन भाहीॊ।।
नकहॊ सतसॊग जोग जऩ जागा। नकहॊ दृढ़ चयन कभर अनुयागा।।
एक फासन करुनासनधान की। सो वप्रम जाकईऄ गसत न आन की।।
होइहईआ सुपर आजु भभ रोचन। दे ष्ि फदन ऩॊकज बव भोचन।।
सनबाय प्रेभ भगन भुसन ग्मानी। ककह न जाइ सो दसा बवानी।।
कदसस अरु वफकदसस ऩॊथ नकहॊ सूझा। को भईआ चरेउॉ कहाॉ नकहॊ फूझा।।
कफहुॉक कपरय ऩाछईऄ ऩुसन जाई। कफहुॉक नृत्म कयइ गुन गाई।।
अवफयर प्रेभ बगसत भुसन ऩाई। प्रबु दे िईआ तरु ओट रुकाई।।
असतसम प्रीसत दे ष्ि यघुफीया। प्रगटे रृदमॉ हयन बव बीया।।
भुसन भग भाझ अचर होइ फैसा। ऩुरक सयीय ऩनस पर जैसा।।
तफ यघुनाथ सनकट चसर आए। दे ष्ि दसा सनज जन भन बाए।।
भुसनकह याभ फहु बाॉसत जगावा। जाग न ध्मानजसनत सुि ऩावा।।
बूऩ रूऩ तफ याभ दयु ावा। रृदमॉ चतुबज
ुा रूऩ दे िावा।।
भुसन अकुराइ उठा तफ कैसईऄ। वफकर हीन भसन पसन फय जैसईऄ।।
आगईऄ दे ष्ि याभ तन स्माभा। सीता अनुज सकहत सुि धाभा।।
ऩये उ रकुट इव चयनष्न्ह रागी। प्रेभ भगन भुसनफय फड़बागी।।
बुज वफसार गकह सरए उठाई। ऩयभ प्रीसत यािे उय राई।।
भुसनकह सभरत अस सोह कृ ऩारा। कनक तरुकह जनु बईऄट तभारा।।
याभ फदनु वफरोक भुसन ठाढ़ा। भानहुॉ सचत्र भाझ सरष्ि काढ़ा।।
दो0-तफ भुसन रृदमॉ धीय धीय गकह ऩद फायकहॊ फाय।
सनज आश्रभ प्रबु आसन करय ऩूजा वफवफध प्रकाय।।10।।
–*–*–
कह भुसन प्रबु सुनु वफनती भोयी। अस्तुसत कयं कवन वफसध तोयी।।
भकहभा असभत भोरय भसत थोयी। यवफ सन्भुि ियोत अॉजोयी।।
श्माभ ताभयस दाभ शयीयॊ । जटा भुकुट ऩरयधन भुसनचीयॊ ।।
ऩाष्ण चाऩ शय ककट तूणीयॊ । नौसभ सनयॊ तय श्रीयघुवीयॊ ।।
भोह वववऩन घन दहन कृ शानु्। सॊत सयोरुह कानन बानु्।।
सनसशचय करय वरूथ भृगयाज्। त्रातु सदा नो बव िग फाज्।।
अरुण नमन याजीव सुवेश।ॊ सीता नमन चकोय सनशेश।ॊ ।
हय ह्रकद भानस फार भयारॊ। नौसभ याभ उय फाहु ववशारॊ।।

253
सॊशम सऩा ग्रसन उयगाद्। शभन सुककाश तका ववषाद्।।
बव बॊजन यॊ जन सुय मूथ्। त्रातु सदा नो कृ ऩा वरूथ्।।
सनगुण
ा सगुण ववषभ सभ रूऩॊ। ऻान सगया गोतीतभनूऩॊ।।
अभरभष्िरभनवयभऩायॊ । नौसभ याभ बॊजन भकह बायॊ ।।
बि कल्ऩऩादऩ आयाभ्। तजान क्रोध रोब भद काभ्।।
असत नागय बव सागय सेतु्। त्रातु सदा कदनकय कुर केतु्।।
अतुसरत बुज प्रताऩ फर धाभ्। कसर भर ववऩुर ववबॊजन नाभ्।।
धभा वभा नभाद गुण ग्राभ्। सॊतत शॊ तनोतु भभ याभ्।।
जदवऩ वफयज ब्माऩक अवफनासी। सफ के रृदमॉ सनयॊ तय फासी।।
तदवऩ अनुज श्री सकहत ियायी। फसतु भनसस भभ काननचायी।।
जे जानकहॊ ते जानहुॉ स्वाभी। सगुन अगुन उय अॊतयजाभी।।
जो कोसर ऩसत याष्जव नमना। कयउ सो याभ रृदम भभ अमना।
अस असबभान जाइ जसन बोये । भईआ सेवक यघुऩसत ऩसत भोये ।।
सुसन भुसन फचन याभ भन बाए। फहुरय हयवष भुसनफय उय राए।।
ऩयभ प्रसन्न जानु भुसन भोही। जो फय भागहु दे उ सो तोही।।
भुसन कह भै फय कफहुॉ न जाचा। सभुष्झ न ऩयइ झूठ का साचा।।
तुम्हकह नीक रागै यघुयाई। सो भोकह दे हु दास सुिदाई।।
अवफयर बगसत वफयसत वफग्माना। होहु सकर गुन ग्मान सनधाना।।
प्रबु जो दीन्ह सो फरु भईआ ऩावा। अफ सो दे हु भोकह जो बावा।।
दो0-अनुज जानकी सकहत प्रबु चाऩ फान धय याभ।
भभ कहम गगन इॊ द ु इव फसहु सदा सनहकाभ।।11।।
–*–*–
एवभस्तु करय यभासनवासा। हयवष चरे कुबॊज रयवष ऩासा।।
फहुत कदवस गुय दयसन ऩाएॉ। बए भोकह एकहॊ आश्रभ आएॉ।।
अफ प्रबु सॊग जाउॉ गुय ऩाहीॊ। तुम्ह कहॉ नाथ सनहोया नाहीॊ।।
दे ष्ि कृ ऩासनसध भुसन चतुयाई। सरए सॊग वफहसै द्वौ बाई।।
ऩॊथ कहत सनज बगसत अनूऩा। भुसन आश्रभ ऩहुॉचे सुयबूऩा।।
तुयत सुतीछन गुय ऩकहॊ गमऊ। करय दॊ डवत कहत अस बमऊ।।
नाथ कौसराधीस कुभाया। आए सभरन जगत आधाया।।
याभ अनुज सभेत फैदेही। सनसस कदनु दे व जऩत हहु जेही।।
सुनत अगष्स्त तुयत उकठ धाए। हरय वफरोकक रोचन जर छाए।।
भुसन ऩद कभर ऩये द्वौ बाई। रयवष असत प्रीसत सरए उय राई।।

254
सादय कुसर ऩूसछ भुसन ग्मानी। आसन फय फैठाये आनी।।
ऩुसन करय फहु प्रकाय प्रबु ऩूजा। भोकह सभ बाग्मवॊत नकहॊ दज
ू ा।।
जहॉ रसग यहे अऩय भुसन फृॊदा। हयषे सफ वफरोकक सुिकॊदा।।
दो0-भुसन सभूह भहॉ फैठे सन्भुि सफ की ओय।
सयद इॊ द ु तन सचतवत भानहुॉ सनकय चकोय।।12।।
–*–*–
तफ यघुफीय कहा भुसन ऩाहीॊ। तुम्ह सन प्रबु दयु ाव कछु नाही।।
तुम्ह जानहु जेकह कायन आमउॉ । ताते तात न ककह सभुझामउॉ ।।
अफ सो भॊत्र दे हु प्रबु भोही। जेकह प्रकाय भायं भुसनरोही।।
भुसन भुसकाने सुसन प्रबु फानी। ऩूछेहु नाथ भोकह का जानी।।
तुम्हये इॉ बजन प्रबाव अघायी। जानउॉ भकहभा कछुक तुम्हायी।।
ऊभरय तरु वफसार तव भामा। पर ब्रह्माॊड अनेक सनकामा।।
जीव चयाचय जॊतु सभाना। बीतय फसकह न जानकहॊ आना।।
ते पर बछछक ककठन कयारा। तव बमॉ डयत सदा सोउ कारा।।
ते तुम्ह सकर रोकऩसत साईं। ऩूॉछेहु भोकह भनुज की नाईं।।
मह फय भागउॉ कृ ऩासनकेता। फसहु रृदमॉ श्री अनुज सभेता।।
अवफयर बगसत वफयसत सतसॊगा। चयन सयोरुह प्रीसत अबॊगा।।
जयवऩ ब्रह्म अिॊड अनॊता। अनुबव गम्म बजकहॊ जेकह सॊता।।
अस तव रूऩ फिानउॉ जानउॉ । कपरय कपरय सगुन ब्रह्म यसत भानउॉ ।।
सॊतत दासन्ह दे हु फड़ाई। तातईऄ भोकह ऩूॉछेहु यघुयाई।।
है प्रबु ऩयभ भनोहय ठाऊॉ। ऩावन ऩॊचफटी तेकह नाऊॉ।।
दॊ डक फन ऩुनीत प्रबु कयहू। उग्र साऩ भुसनफय कय हयहू।।
फास कयहु तहॉ यघुकुर यामा। कीजे सकर भुसनन्ह ऩय दामा।।
चरे याभ भुसन आमसु ऩाई। तुयतकहॊ ऩॊचफटी सनअयाई।।
दो0-गीधयाज सईआ बईआट बइ फहु वफसध प्रीसत फढ़ाइ।।
गोदावयी सनकट प्रबु यहे ऩयन गृह छाइ।।13।।
–*–*–
जफ ते याभ कीन्ह तहॉ फासा। सुिी बए भुसन फीती त्रासा।।
सगरय फन नदीॊ तार छवफ छाए। कदन कदन प्रसत असत हौकहॊ सुहाए।।
िग भृग फृॊद अनॊकदत यहहीॊ। भधुऩ भधुय गॊजत छवफ रहहीॊ।।
सो फन फयसन न सक अकहयाजा। जहाॉ प्रगट यघुफीय वफयाजा।।
एक फाय प्रबु सुि आसीना। रसछभन फचन कहे छरहीना।।
सुय नय भुसन सचयाचय साईं। भईआ ऩूछउॉ सनज प्रबु की नाई।।

255
भोकह सभुझाइ कहहु सोइ दे वा। सफ तष्ज कयं चयन यज सेवा।।
कहहु ग्मान वफयाग अरु भामा। कहहु सो बगसत कयहु जेकहॊ दामा।।
दो0- ईस्वय जीव बेद प्रबु सकर कहौ सभुझाइ।।
जातईऄ होइ चयन यसत सोक भोह र्भ्भ जाइ।।14।।
–*–*–
थोये कह भहॉ सफ कहउॉ फुझाई। सुनहु तात भसत भन सचत राई।।
भईआ अरु भोय तोय तईआ भामा। जेकहॊ फस कीन्हे जीव सनकामा।।
गो गोचय जहॉ रसग भन जाई। सो सफ भामा जानेहु बाई।।
तेकह कय बेद सुनहु तुम्ह सोऊ। वफया अऩय अवफया दोऊ।।
एक दि
ु असतसम दि
ु रूऩा। जा फस जीव ऩया बवकूऩा।।
एक यचइ जग गुन फस जाकईऄ। प्रबु प्रेरयत नकहॊ सनज फर ताकईऄ।।
ग्मान भान जहॉ एकउ नाहीॊ। दे ि ब्रह्म सभान सफ भाही।।
ककहअ तात सो ऩयभ वफयागी। तृन सभ ससवद्ध तीसन गुन त्मागी।।
दो0-भामा ईस न आऩु कहुॉ जान ककहअ सो जीव।
फॊध भोछछ प्रद सफाऩय भामा प्रेयक सीव।।15।।
–*–*–
धभा तईऄ वफयसत जोग तईऄ ग्माना। ग्मान भोछछप्रद फेद फिाना।।
जातईऄ फेसग रवउॉ भईआ बाई। सो भभ बगसत बगत सुिदाई।।
सो सुतॊत्र अवरॊफ न आना। तेकह आधीन ग्मान वफग्माना।।
बगसत तात अनुऩभ सुिभूरा। सभरइ जो सॊत होइॉ अनुकूरा।।
बगसत कक साधन कहउॉ फिानी। सुगभ ऩॊथ भोकह ऩावकहॊ प्रानी।।
प्रथभकहॊ वफप्र चयन असत प्रीती। सनज सनज कभा सनयत श्रुसत यीती।।
एकह कय पर ऩुसन वफषम वफयागा। तफ भभ धभा उऩज अनुयागा।।
श्रवनाकदक नव बवि दृढ़ाहीॊ। भभ रीरा यसत असत भन भाहीॊ।।
सॊत चयन ऩॊकज असत प्रेभा। भन क्रभ फचन बजन दृढ़ नेभा।।
गुरु वऩतु भातु फॊधु ऩसत दे वा। सफ भोकह कहॉ जाने दृढ़ सेवा।।
भभ गुन गावत ऩुरक सयीया। गदगद सगया नमन फह नीया।।
काभ आकद भद दॊ ब न जाकईऄ। तात सनयॊ तय फस भईआ ताकईऄ।।
दो0-फचन कभा भन भोरय गसत बजनु कयकहॊ सन्काभ।।
सतन्ह के रृदम कभर भहुॉ कयउॉ सदा वफश्राभ।।16।।
–*–*–
बगसत जोग सुसन असत सुि ऩावा। रसछभन प्रबु चयनष्न्ह ससरु नावा।।
एकह वफसध गए कछुक कदन फीती। कहत वफयाग ग्मान गुन नीती।।

256
सूऩनिा यावन कै फकहनी। दि
ु रृदम दारुन जस अकहनी।।
ऩॊचफटी सो गइ एक फाया। दे ष्ि वफकर बइ जुगर कुभाया।।
र्भ्ाता वऩता ऩुत्र उयगायी। ऩुरुष भनोहय सनयित नायी।।
होइ वफकर सक भनकह न योकी। ष्जसभ यवफभसन रव यवफकह वफरोकी।।
रुसचय रुऩ धरय प्रबु ऩकहॊ जाई। फोरी फचन फहुत भुसुकाई।।
तुम्ह सभ ऩुरुष न भो सभ नायी। मह सॉजोग वफसध यचा वफचायी।।
भभ अनुरूऩ ऩुरुष जग भाहीॊ। दे िेउॉ िोष्ज रोक सतहु नाहीॊ।।
ताते अफ रसग यकहउॉ कुभायी। भनु भाना कछु तुम्हकह सनहायी।।
सीतकह सचतइ कही प्रबु फाता। अहइ कुआय भोय रघु र्भ्ाता।।
गइ रसछभन रयऩु बसगनी जानी। प्रबु वफरोकक फोरे भृद ु फानी।।
सुॊदरय सुनु भईआ उन्ह कय दासा। ऩयाधीन नकहॊ तोय सुऩासा।।
प्रबु सभथा कोसरऩुय याजा। जो कछु कयकहॊ उनकह सफ छाजा।।
सेवक सुि चह भान सबिायी। ब्मसनी धन सुब गसत वफसबचायी।।
रोबी जसु चह चाय गुभानी। नब दकु ह दध
ू चहत ए प्रानी।।
ऩुसन कपरय याभ सनकट सो आई। प्रबु रसछभन ऩकहॊ फहुरय ऩठाई।।
रसछभन कहा तोकह सो फयई। जो तृन तोरय राज ऩरयहयई।।
तफ ष्िससआसन याभ ऩकहॊ गई। रूऩ बमॊकय प्रगटत बई।।
सीतकह सबम दे ष्ि यघुयाई। कहा अनुज सन समन फुझाई।।
दो0-रसछभन असत राघवॉ सो नाक कान वफनु कीष्न्ह।
ताके कय यावन कहॉ भनौ चुनौती दीष्न्ह।।17।।
–*–*–
नाक कान वफनु बइ वफकयाया। जनु स्त्रव सैर गैरु कै धाया।।
िय दष
ू न ऩकहॊ गइ वफरऩाता। सधग सधग तव ऩौरुष फर र्भ्ाता।।
तेकह ऩूछा सफ कहे सस फुझाई। जातुधान सुसन सेन फनाई।।
धाए सनससचय सनकय फरूथा। जनु सऩछछ कज्जर सगरय जूथा।।
नाना फाहन नानाकाया। नानामुध धय घोय अऩाया।।
सुऩनिा आगईऄ करय रीनी। असुब रूऩ श्रुसत नासा हीनी।।
असगुन असभत होकहॊ बमकायी। गनकहॊ न भृत्मु वफफस सफ झायी।।
गजाकह तजाकहॊ गगन उड़ाहीॊ। दे ष्ि कटकु बट असत हयषाहीॊ।।
कोउ कह ष्जअत धयहु द्वौ बाई। धरय भायहु सतम रेहु छड़ाई।।
धूरय ऩूरय नब भॊडर यहा। याभ फोराइ अनुज सन कहा।।
रै जानकककह जाहु सगरय कॊदय। आवा सनससचय कटकु बमॊकय।।

257
यहे हु सजग सुसन प्रबु कै फानी। चरे सकहत श्री सय धनु ऩानी।।
दे ष्ि याभ रयऩुदर चसर आवा। वफहसस ककठन कोदॊ ड चढ़ावा।।
छॊ 0-कोदॊ ड ककठन चढ़ाइ ससय जट जूट फाॉधत सोह क्मं।
भयकत समर ऩय रयत दासभसन कोकट सं जुग बुजग ज्मं।।
ककट कसस सनषॊग वफसार बुज गकह चाऩ वफससि सुधारय कै।।
सचतवत भनहुॉ भृगयाज प्रबु गजयाज घटा सनहारय कै।।
सो0-आइ गए फगभेर धयहु धयहु धावत सुबट।
जथा वफरोकक अकेर फार यवफकह घेयत दनुज।।18।।
प्रबु वफरोकक सय सककहॊ न डायी। थककत बई यजनीचय धायी।।
ससचव फोसर फोरे िय दष
ू न। मह कोउ नृऩफारक नय बूषन।।
नाग असुय सुय नय भुसन जेते। दे िे ष्जते हते हभ केते।।
हभ बरय जन्भ सुनहु सफ बाई। दे िी नकहॊ असस सुॊदयताई।।
जयवऩ बसगनी कीन्ह कुरूऩा। फध रामक नकहॊ ऩुरुष अनूऩा।।
दे हु तुयत सनज नारय दयु ाई। जीअत बवन जाहु द्वौ बाई।।
भोय कहा तुम्ह ताकह सुनावहु। तासु फचन सुसन आतुय आवहु।।
दत
ू न्ह कहा याभ सन जाई। सुनत याभ फोरे भुसकाई।।
हभ छत्री भृगमा फन कयहीॊ। तुम्ह से िर भृग िौजत कपयहीॊ।।
रयऩु फरवॊत दे ष्ि नकहॊ डयहीॊ। एक फाय कारहु सन रयहीॊ।।
जयवऩ भनुज दनुज कुर घारक। भुसन ऩारक िर सारक फारक।।
जं न होइ फर घय कपरय जाहू। सभय वफभुि भईआ हतउॉ न काहू।।
यन चकढ़ करयअ कऩट चतुयाई। रयऩु ऩय कृ ऩा ऩयभ कदयाई।।
दत
ू न्ह जाइ तुयत सफ कहे ऊ। सुसन िय दष
ू न उय असत दहे ऊ।।
छॊ -उय दहे उ कहे उ कक धयहु धाए वफकट बट यजनीचया।
सय चाऩ तोभय सवि सूर कृ ऩान ऩरयघ ऩयसु धया।।
प्रबु कीन्ह धनुष टकोय प्रथभ कठोय घोय बमावहा।
बए फसधय ब्माकुर जातुधान न ग्मान तेकह अवसय यहा।।
दो0-सावधान होइ धाए जासन सफर आयासत।
रागे फयषन याभ ऩय अस्त्र सस्त्र फहु बाॉसत।।19(क)।।
सतन्ह के आमुध सतर सभ करय काटे यघुफीय।
तासन सयासन श्रवन रसग ऩुसन छाॉड़े सनज तीय।।19(ि)।।
–*–*–
छॊ 0-तफ चरे जान फफान कयार। पुॊकयत जनु फहु ब्मार।।

258
कोऩेउ सभय श्रीयाभ। चरे वफससि सनससत सनकाभ।।
अवरोकक ियतय तीय। भुरय चरे सनससचय फीय।।
बए क्रुद्ध तीसनउ बाइ। जो बासग यन ते जाइ।।
तेकह फधफ हभ सनज ऩासन। कपये भयन भन भहुॉ ठासन।।
आमुध अनेक प्रकाय। सनभुि ते कयकहॊ प्रहाय।।
रयऩु ऩयभ कोऩे जासन। प्रबु धनुष सय सॊधासन।।
छाॉड़े वफऩुर नायाच। रगे कटन वफकट वऩसाच।।
उय सीस बुज कय चयन। जहॉ तहॉ रगे भकह ऩयन।।
सचक्कयत रागत फान। धय ऩयत कुधय सभान।।
बट कटत तन सत िॊड। ऩुसन उठत करय ऩाषॊड।।
नब उड़त फहु बुज भुॊड। वफनु भौसर धावत रुॊ ड।।
िग कॊक काक सृगार। कटकटकहॊ ककठन कयार।।
छॊ 0-कटकटकहॊ ज़ॊफुक बूत प्रेत वऩसाच िऩाय सॊचहीॊ।
फेतार फीय कऩार तार फजाइ जोसगसन नॊचहीॊ।।
यघुफीय फान प्रचॊड िॊडकहॊ बटन्ह के उय बुज ससया।
जहॉ तहॉ ऩयकहॊ उकठ रयकहॊ धय धरु धरु कयकहॊ बमकय सगया।।
अॊतावयीॊ गकह उड़त गीध वऩसाच कय गकह धावहीॊ।।
सॊग्राभ ऩुय फासी भनहुॉ फहु फार गुड़ी उड़ावहीॊ।।
भाये ऩछाये उय वफदाये वफऩुर बट कहॉ यत ऩये ।
अवरोकक सनज दर वफकर बट सतससयाकद िय दष
ू न कपये ।।
सय सवि तोभय ऩयसु सूर कृ ऩान एककह फायहीॊ।
करय कोऩ श्रीयघुफीय ऩय अगसनत सनसाचय डायहीॊ।।
प्रबु सनसभष भहुॉ रयऩु सय सनवारय ऩचारय डाये सामका।
दस दस वफससि उय भाझ भाये सकर सनससचय नामका।।
भकह ऩयत उकठ बट सबयत भयत न कयत भामा असत घनी।
सुय डयत चौदह सहस प्रेत वफरोकक एक अवध धनी।।
सुय भुसन सबम प्रबु दे ष्ि भामानाथ असत कौतुक कय ् मो।
दे िकह ऩयसऩय याभ करय सॊग्राभ रयऩुदर ररय भय ् मो।।
दो0-याभ याभ ककह तनु तजकहॊ ऩावकहॊ ऩद सनफाान।
करय उऩाम रयऩु भाये छन भहुॉ कृ ऩासनधान।।20(क)।।
हयवषत फयषकहॊ सुभन सुय फाजकहॊ गगन सनसान।
अस्तुसत करय करय सफ चरे सोसबत वफवफध वफभान।।20(ि)।।

259
–*–*–
जफ यघुनाथ सभय रयऩु जीते। सुय नय भुसन सफ के बम फीते।।
तफ रसछभन सीतकह रै आए। प्रबु ऩद ऩयत हयवष उय राए।
सीता सचतव स्माभ भृद ु गाता। ऩयभ प्रेभ रोचन न अघाता।।
ऩॊचवटीॊ फसस श्रीयघुनामक। कयत चरयत सुय भुसन सुिदामक।।
धुआॉ दे ष्ि ियदष
ू न केया। जाइ सुऩनिाॉ यावन प्रेया।।
फोसर फचन क्रोध करय बायी। दे स कोस कै सुयसत वफसायी।।
कयसस ऩान सोवसस कदनु याती। सुसध नकहॊ तव ससय ऩय आयाती।।
याज नीसत वफनु धन वफनु धभाा। हरयकह सभऩे वफनु सतकभाा।।
वफया वफनु वफफेक उऩजाएॉ। श्रभ पर ऩढ़े ककएॉ अरु ऩाएॉ।।
सॊग ते जती कुभॊत्र ते याजा। भान ते ग्मान ऩान तईऄ राजा।।
प्रीसत प्रनम वफनु भद ते गुनी। नासकह फेसग नीसत अस सुनी।।
सो0-रयऩु रुज ऩावक ऩाऩ प्रबु अकह गसनअ न छोट करय।
अस ककह वफवफध वफराऩ करय रागी योदन कयन।।21(क)।।
दो0-सबा भाझ ऩरय ब्माकुर फहु प्रकाय कह योइ।
तोकह ष्जअत दसकॊधय भोरय कक असस गसत होइ।।21(ि)।।
–*–*–
सुनत सबासद उठे अकुराई। सभुझाई गकह फाहॉ उठाई।।
कह रॊकेस कहसस सनज फाता। कईःइॉ तव नासा कान सनऩाता।।
अवध नृऩसत दसयथ के जाए। ऩुरुष ससॊघ फन िेरन आए।।
सभुष्झ ऩयी भोकह उन्ह कै कयनी। यकहत सनसाचय करयहकहॊ धयनी।।
ष्जन्ह कय बुजफर ऩाइ दसानन। अबम बए वफचयत भुसन कानन।।
दे ित फारक कार सभाना। ऩयभ धीय धन्वी गुन नाना।।
अतुसरत फर प्रताऩ द्वौ र्भ्ाता। िर फध यत सुय भुसन सुिदाता।।
सोबाधाभ याभ अस नाभा। सतन्ह के सॊग नारय एक स्माभा।।
रुऩ यासस वफसध नारय सॉवायी। यसत सत कोकट तासु फसरहायी।।
तासु अनुज काटे श्रुसत नासा। सुसन तव बसगसन कयकहॊ ऩरयहासा।।
िय दष
ू न सुसन रगे ऩुकाया। छन भहुॉ सकर कटक उन्ह भाया।।
िय दष
ू न सतससया कय घाता। सुसन दससीस जये सफ गाता।।
दो0-सुऩनिकह सभुझाइ करय फर फोरेसस फहु बाॉसत।
गमउ बवन असत सोचफस नीद ऩयइ नकहॊ यासत।।22।।
–*–*–
सुय नय असुय नाग िग भाहीॊ। भोये अनुचय कहॉ कोउ नाहीॊ।।

260
िय दष
ू न भोकह सभ फरवॊता। सतन्हकह को भायइ वफनु बगवॊता।।
सुय यॊ जन बॊजन भकह बाया। जं बगवॊत रीन्ह अवताया।।
तौ भै जाइ फैरु हकठ कयऊॉ। प्रबु सय प्रान तजईऄ बव तयऊॉ।।
होइकह बजनु न ताभस दे हा। भन क्रभ फचन भॊत्र दृढ़ एहा।।
जं नयरुऩ बूऩसुत कोऊ। हरयहउॉ नारय जीसत यन दोऊ।।
चरा अकेर जान चकढ तहवाॉ। फस भायीच ससॊधु तट जहवाॉ।।
इहाॉ याभ जसस जुगुसत फनाई। सुनहु उभा सो कथा सुहाई।।
दो0-रसछभन गए फनकहॊ जफ रेन भूर पर कॊद।
जनकसुता सन फोरे वफहसस कृ ऩा सुि फृॊद।। 23।।
–*–*–
सुनहु वप्रमा ब्रत रुसचय सुसीरा। भईआ कछु कयवफ रसरत नयरीरा।।
तुम्ह ऩावक भहुॉ कयहु सनवासा। जौ रसग कयं सनसाचय नासा।।
जफकहॊ याभ सफ कहा फिानी। प्रबु ऩद धरय कहमॉ अनर सभानी।।
सनज प्रसतवफॊफ याष्ि तहॉ सीता। तैसइ सीर रुऩ सुवफनीता।।
रसछभनहूॉ मह भयभु न जाना। जो कछु चरयत यचा बगवाना।।
दसभुि गमउ जहाॉ भायीचा। नाइ भाथ स्वायथ यत नीचा।।
नवसन नीच कै असत दि
ु दाई। ष्जसभ अॊकुस धनु उयग वफराई।।
बमदामक िर कै वप्रम फानी। ष्जसभ अकार के कुसुभ बवानी।।
दो0-करय ऩूजा भायीच तफ सादय ऩूछी फात।
कवन हे तु भन ब्मग्र असत अकसय आमहु तात।।24।।
–*–*–
दसभुि सकर कथा तेकह आगईऄ। कही सकहत असबभान अबागईऄ।।
होहु कऩट भृग तुम्ह छरकायी। जेकह वफसध हरय आनौ नृऩनायी।।
तेकहॊ ऩुसन कहा सुनहु दससीसा। ते नयरुऩ चयाचय ईसा।।
तासं तात फमरु नकहॊ कीजे। भायईऄ भरयअ ष्जआएॉ जीजै।।
भुसन भि यािन गमउ कुभाया। वफनु पय सय यघुऩसत भोकह भाया।।
सत जोजन आमउॉ छन भाहीॊ। सतन्ह सन फमरु ककएॉ बर नाहीॊ।।
बइ भभ कीट बृॊग की नाई। जहॉ तहॉ भईआ दे िउॉ दोउ बाई।।
जं नय तात तदवऩ असत सूया। सतन्हकह वफयोसध न आइकह ऩूया।।
दो0-जेकहॊ ताड़का सुफाहु हसत िॊडेउ हय कोदॊ ड।।
िय दष
ू न सतससया फधेउ भनुज कक अस फरयफॊड।।25।।
–*–*–
जाहु बवन कुर कुसर वफचायी। सुनत जया दीष्न्हसस फहु गायी।।

261
गुरु ष्जसभ भूढ़ कयसस भभ फोधा। कहु जग भोकह सभान को जोधा।।
तफ भायीच रृदमॉ अनुभाना। नवकह वफयोधईऄ नकहॊ कल्माना।।
सस्त्री भभॉ प्रबु सठ धनी। फैद फॊकद कवफ बानस गुनी।।
उबम बाॉसत दे िा सनज भयना। तफ ताककसस यघुनामक सयना।।
उतरु दे त भोकह फधफ अबागईऄ। कस न भयं यघुऩसत सय रागईऄ।।
अस ष्जमॉ जासन दसानन सॊगा। चरा याभ ऩद प्रेभ अबॊगा।।
भन असत हयष जनाव न तेही। आजु दे ष्िहउॉ ऩयभ सनेही।।
छॊ 0- सनज ऩयभ प्रीतभ दे ष्ि रोचन सुपर करय सुि ऩाइहं।
श्री सकहत अनुज सभेत कृ ऩासनकेत ऩद भन राइहं।।
सनफाान दामक क्रोध जा कय बगसत अफसकह फसकयी।
सनज ऩासन सय सॊधासन सो भोकह फसधकह सुिसागय हयी।।
दो0-भभ ऩाछईऄ धय धावत धयईऄ सयासन फान।
कपरय कपरय प्रबुकह वफरोककहउॉ धन्म न भो सभ आन।।26।।
–*–*–
तेकह फन सनकट दसानन गमऊ। तफ भायीच कऩटभृग बमऊ।।
असत वफसचत्र कछु फयसन न जाई। कनक दे ह भसन यसचत फनाई।।
सीता ऩयभ रुसचय भृग दे िा। अॊग अॊग सुभनोहय फेषा।।
सुनहु दे व यघुफीय कृ ऩारा। एकह भृग कय असत सुॊदय छारा।।
सत्मसॊध प्रबु फसध करय एही। आनहु चभा कहसत फैदेही।।
तफ यघुऩसत जानत सफ कायन। उठे हयवष सुय काजु सॉवायन।।
भृग वफरोकक ककट ऩरयकय फाॉधा। कयतर चाऩ रुसचय सय साॉधा।।
प्रबु रसछभसनकह कहा सभुझाई। कपयत वफवऩन सनससचय फहु बाई।।
सीता केरय कये हु यिवायी। फुसध वफफेक फर सभम वफचायी।।
प्रबुकह वफरोकक चरा भृग बाजी। धाए याभु सयासन साजी।।
सनगभ नेसत ससव ध्मान न ऩावा। भामाभृग ऩाछईऄ सो धावा।।
कफहुॉ सनकट ऩुसन दरू य ऩयाई। कफहुॉक प्रगटइ कफहुॉ छऩाई।।
प्रगटत दयु त कयत छर बूयी। एकह वफसध प्रबुकह गमउ रै दयू ी।।
तफ तकक याभ ककठन सय भाया। धयसन ऩये उ करय घोय ऩुकाया।।
रसछभन कय प्रथभकहॊ रै नाभा। ऩाछईऄ सुसभये सस भन भहुॉ याभा।।
प्रान तजत प्रगटे सस सनज दे हा। सुसभये सस याभु सभेत सनेहा।।
अॊतय प्रेभ तासु ऩकहचाना। भुसन दर
ु ब
ा गसत दीष्न्ह सुजाना।।
दो0-वफऩुर सुभन सुय फयषकहॊ गावकहॊ प्रबु गुन गाथ।

262
सनज ऩद दीन्ह असुय कहुॉ दीनफॊधु यघुनाथ।।27।।
–*–*–
िर फसध तुयत कपये यघुफीया। सोह चाऩ कय ककट तूनीया।।
आयत सगया सुनी जफ सीता। कह रसछभन सन ऩयभ सबीता।।
जाहु फेसग सॊकट असत र्भ्ाता। रसछभन वफहसस कहा सुनु भाता।।
बृकुकट वफरास सृवि रम होई। सऩनेहुॉ सॊकट ऩयइ कक सोई।।
भयभ फचन जफ सीता फोरा। हरय प्रेरयत रसछभन भन डोरा।।
फन कदसस दे व संवऩ सफ काहू। चरे जहाॉ यावन ससस याहू।।
सून फीच दसकॊधय दे िा। आवा सनकट जती कईऄ फेषा।।
जाकईऄ डय सुय असुय डे याहीॊ। सनसस न नीद कदन अन्न न िाहीॊ।।
सो दससीस स्वान की नाई। इत उत सचतइ चरा बकड़हाई।।
इसभ कुऩॊथ ऩग दे त िगेसा। यह न तेज फुसध फर रेसा।।
नाना वफसध करय कथा सुहाई। याजनीसत बम प्रीसत दे िाई।।
कह सीता सुनु जती गोसाईं। फोरेहु फचन दि
ु की नाईं।।
तफ यावन सनज रूऩ दे िावा। बई सबम जफ नाभ सुनावा।।
कह सीता धरय धीयजु गाढ़ा। आइ गमउ प्रबु यहु िर ठाढ़ा।।
ष्जसभ हरयफधुकह छुर सस चाहा। बएसस कारफस सनससचय नाहा।।
सुनत फचन दससीस रयसाना। भन भहुॉ चयन फॊकद सुि भाना।।
दो0-क्रोधवॊत तफ यावन रीष्न्हसस यथ फैठाइ।
चरा गगनऩथ आतुय बमॉ यथ हाॉकक न जाइ।।28।।
–*–*–
हा जग एक फीय यघुयामा। केकहॊ अऩयाध वफसाये हु दामा।।
आयसत हयन सयन सुिदामक। हा यघुकुर सयोज कदननामक।।
हा रसछभन तुम्हाय नकहॊ दोसा। सो परु ऩामउॉ कीन्हे उॉ योसा।।
वफवफध वफराऩ कयसत फैदेही। बूरय कृ ऩा प्रबु दरू य सनेही।।
वफऩसत भोरय को प्रबुकह सुनावा। ऩुयोडास चह यासब िावा।।
सीता कै वफराऩ सुसन बायी। बए चयाचय जीव दि
ु ायी।।
गीधयाज सुसन आयत फानी। यघुकुरसतरक नारय ऩकहचानी।।
अधभ सनसाचय रीन्हे जाई। ष्जसभ भरेछ फस कवऩरा गाई।।
सीते ऩुवत्र कयसस जसन त्रासा। करयहउॉ जातुधान कय नासा।।
धावा क्रोधवॊत िग कैसईऄ। छूटइ ऩवफ ऩयफत कहुॉ जैसे।।
ये ये दि
ु ठाढ़ ककन होही। सनबाम चरेसस न जानेकह भोही।।
आवत दे ष्ि कृ ताॊत सभाना। कपरय दसकॊधय कय अनुभाना।।

263
की भैनाक कक िगऩसत होई। भभ फर जान सकहत ऩसत सोई।।
जाना जयठ जटामू एहा। भभ कय तीयथ छाॉकड़कह दे हा।।
सुनत गीध क्रोधातुय धावा। कह सुनु यावन भोय ससिावा।।
तष्ज जानकककह कुसर गृह जाहू। नाकहॊ त अस होइकह फहुफाहू।।
याभ योष ऩावक असत घोया। होइकह सकर सरब कुर तोया।।
उतरु न दे त दसानन जोधा। तफकहॊ गीध धावा करय क्रोधा।।
धरय कच वफयथ कीन्ह भकह सगया। सीतकह याष्ि गीध ऩुसन कपया।।
चौचन्ह भारय वफदाये सस दे ही। दॊ ड एक बइ भुरुछा तेही।।
तफ सक्रोध सनससचय ष्िससआना। काढ़े सस ऩयभ कयार कृ ऩाना।।
काटे सस ऩॊि ऩया िग धयनी। सुसभरय याभ करय अदबुत कयनी।।
सीतकह जासन चढ़ाइ फहोयी। चरा उताइर त्रास न थोयी।।
कयसत वफराऩ जासत नब सीता। ब्माध वफफस जनु भृगी सबीता।।
सगरय ऩय फैठे कवऩन्ह सनहायी। ककह हरय नाभ दीन्ह ऩट डायी।।
एकह वफसध सीतकह सो रै गमऊ। फन असोक भहॉ याित बमऊ।।
दो0-हारय ऩया िर फहु वफसध बम अरु प्रीसत दे िाइ।
तफ असोक ऩादऩ तय याष्िसस जतन कयाइ।।29(क)।।
नवान्हऩायामण, छठा ववश्राभ
जेकह वफसध कऩट कुयॊ ग सॉग धाइ चरे श्रीयाभ।
सो छवफ सीता याष्ि उय यटसत यहसत हरयनाभ।।29(ि)।।
–*–*–
यघुऩसत अनुजकह आवत दे िी। फाकहज सचॊता कीष्न्ह वफसेषी।।
जनकसुता ऩरयहरयहु अकेरी। आमहु तात फचन भभ ऩेरी।।
सनससचय सनकय कपयकहॊ फन भाहीॊ। भभ भन सीता आश्रभ नाहीॊ।।
गकह ऩद कभर अनुज कय जोयी। कहे उ नाथ कछु भोकह न िोयी।।
अनुज सभेत गए प्रबु तहवाॉ। गोदावरय तट आश्रभ जहवाॉ।।
आश्रभ दे ष्ि जानकी हीना। बए वफकर जस प्राकृ त दीना।।
हा गुन िासन जानकी सीता। रूऩ सीर ब्रत नेभ ऩुनीता।।
रसछभन सभुझाए फहु बाॉती। ऩूछत चरे रता तरु ऩाॉती।।
हे िग भृग हे भधुकय श्रेनी। तुम्ह दे िी सीता भृगनैनी।।
िॊजन सुक कऩोत भृग भीना। भधुऩ सनकय कोककरा प्रफीना।।
कुॊद करी दाकड़भ दासभनी। कभर सयद ससस अकहबासभनी।।
फरुन ऩास भनोज धनु हॊ सा। गज केहरय सनज सुनत प्रसॊसा।।

264
श्रीपर कनक कदसर हयषाहीॊ। नेकु न सॊक सकुच भन भाहीॊ।।
सुनु जानकी तोकह वफनु आजू। हयषे सकर ऩाइ जनु याजू।।
ककसभ सकह जात अनि तोकह ऩाहीॊ । वप्रमा फेसग प्रगटसस कस नाहीॊ।।
एकह वफसध िौजत वफरऩत स्वाभी। भनहुॉ भहा वफयही असत काभी।।
ऩूयनकाभ याभ सुि यासी। भनुज चरयत कय अज अवफनासी।।
आगे ऩया गीधऩसत दे िा। सुसभयत याभ चयन ष्जन्ह ये िा।।
दो0-कय सयोज ससय ऩयसेउ कृ ऩाससॊधु यधुफीय।।
सनयष्ि याभ छवफ धाभ भुि वफगत बई सफ ऩीय।।30।।
–*–*–
तफ कह गीध फचन धरय धीया । सुनहु याभ बॊजन बव बीया।।
नाथ दसानन मह गसत कीन्ही। तेकह िर जनकसुता हरय रीन्ही।।
रै दष्छछन कदसस गमउ गोसाई। वफरऩसत असत कुययी की नाई।।
दयस रागी प्रबु यािईऄउॉ प्राना। चरन चहत अफ कृ ऩासनधाना।।
याभ कहा तनु यािहु ताता। भुि भुसकाइ कही तेकहॊ फाता।।
जा कय नाभ भयत भुि आवा। अधभउ भुकुत होई श्रुसत गावा।।
सो भभ रोचन गोचय आगईऄ। यािं दे ह नाथ केकह िाॉगईः।।
जर बरय नमन कहकहॉ यघुयाई। तात कभा सनज ते गसतॊ ऩाई।।
ऩयकहत फस ष्जन्ह के भन भाहीँ । सतन्ह कहुॉ जग दर
ु ब
ा कछु नाहीँ ।।
तनु तष्ज तात जाहु भभ धाभा। दे उॉ काह तुम्ह ऩूयनकाभा।।
दो0-सीता हयन तात जसन कहहु वऩता सन जाइ।।
जँ भईअ याभ त कुर सकहत ककहकह दसानन आइ।।31।।
–*–*–
गीध दे ह तष्ज धरय हरय रुऩा। बूषन फहु ऩट ऩीत अनूऩा।।
स्माभ गात वफसार बुज चायी। अस्तुसत कयत नमन बरय फायी।।
छॊ 0-जम याभ रूऩ अनूऩ सनगुन
ा सगुन गुन प्रेयक सही।
दससीस फाहु प्रचॊड िॊडन चॊड सय भॊडन भही।।
ऩाथोद गात सयोज भुि याजीव आमत रोचनॊ।
सनत नौसभ याभु कृ ऩार फाहु वफसार बव बम भोचनॊ।।1।।
फरभप्रभेमभनाकदभजभब्मिभेकभगोचयॊ ।
गोवफॊद गोऩय द्वॊ द्वहय वफग्मानघन धयनीधयॊ ।।
जे याभ भॊत्र जऩॊत सॊत अनॊत जन भन यॊ जनॊ।
सनत नौसभ याभ अकाभ वप्रम काभाकद िर दर गॊजनॊ।।2।
जेकह श्रुसत सनयॊ जन ब्रह्म ब्माऩक वफयज अज ककह गावहीॊ।।

265
करय ध्मान ग्मान वफयाग जोग अनेक भुसन जेकह ऩावहीॊ।।
सो प्रगट करुना कॊद सोबा फृॊद अग जग भोहई।
भभ रृदम ऩॊकज बृॊग अॊग अनॊग फहु छवफ सोहई।।3।।
जो अगभ सुगभ सुबाव सनभार असभ सभ सीतर सदा।
ऩस्मॊसत जॊ जोगी जतन करय कयत भन गो फस सदा।।
सो याभ यभा सनवास सॊतत दास फस वत्रबुवन धनी।
भभ उय फसउ सो सभन सॊससृ त जासु कीयसत ऩावनी।।4।।
दो0-अवफयर बगसत भासग फय गीध गमउ हरयधाभ।
तेकह की कक्रमा जथोसचत सनज कय कीन्ही याभ।।32।।
–*–*–
कोभर सचत असत दीनदमारा। कायन वफनु यघुनाथ कृ ऩारा।।
गीध अधभ िग आसभष बोगी। गसत दीष्न्ह जो जाचत जोगी।।
सुनहु उभा ते रोग अबागी। हरय तष्ज होकहॊ वफषम अनुयागी।।
ऩुसन सीतकह िोजत द्वौ बाई। चरे वफरोकत फन फहुताई।।
सॊकुर रता वफटऩ घन कानन। फहु िग भृग तहॉ गज ऩॊचानन।।
आवत ऩॊथ कफॊध सनऩाता। तेकहॊ सफ कही साऩ कै फाता।।
दयु फासा भोकह दीन्ही साऩा। प्रबु ऩद ऩेष्ि सभटा सो ऩाऩा।।
सुनु गॊधफा कहउॉ भै तोही। भोकह न सोहाइ ब्रह्मकुर रोही।।
दो0-भन क्रभ फचन कऩट तष्ज जो कय बूसुय सेव।
भोकह सभेत वफयॊ सच ससव फस ताकईऄ सफ दे व।।33।।
–*–*–
साऩत ताड़त ऩरुष कहॊ ता। वफप्र ऩूज्म अस गावकहॊ सॊता।।
ऩूष्जअ वफप्र सीर गुन हीना। सूर न गुन गन ग्मान प्रफीना।।
ककह सनज धभा ताकह सभुझावा। सनज ऩद प्रीसत दे ष्ि भन बावा।।
यघुऩसत चयन कभर ससरु नाई। गमउ गगन आऩसन गसत ऩाई।।
ताकह दे इ गसत याभ उदाया। सफयी कईऄ आश्रभ ऩगु धाया।।
सफयी दे ष्ि याभ गृहॉ आए। भुसन के फचन सभुष्झ ष्जमॉ बाए।।
सयससज रोचन फाहु वफसारा। जटा भुकुट ससय उय फनभारा।।
स्माभ गौय सुॊदय दोउ बाई। सफयी ऩयी चयन रऩटाई।।
प्रेभ भगन भुि फचन न आवा। ऩुसन ऩुसन ऩद सयोज ससय नावा।।
सादय जर रै चयन ऩिाये । ऩुसन सुॊदय आसन फैठाये ।।
दो0-कॊद भूर पर सुयस असत कदए याभ कहुॉ आसन।
प्रेभ सकहत प्रबु िाए फायॊ फाय फिासन।।34।।

266
–*–*–
ऩासन जोरय आगईऄ बइ ठाढ़ी। प्रबुकह वफरोकक प्रीसत असत फाढ़ी।।
केकह वफसध अस्तुसत कयौ तुम्हायी। अधभ जासत भईआ जड़भसत बायी।।
अधभ ते अधभ अधभ असत नायी। सतन्ह भहॉ भईआ भसतभॊद अघायी।।
कह यघुऩसत सुनु बासभसन फाता। भानउॉ एक बगसत कय नाता।।
जासत ऩाॉसत कुर धभा फड़ाई। धन फर ऩरयजन गुन चतुयाई।।
बगसत हीन नय सोहइ कैसा। वफनु जर फारयद दे ष्िअ जैसा।।
नवधा बगसत कहउॉ तोकह ऩाहीॊ। सावधान सुनु धरु भन भाहीॊ।।
प्रथभ बगसत सॊतन्ह कय सॊगा। दस
ू रय यसत भभ कथा प्रसॊगा।।
दो0-गुय ऩद ऩॊकज सेवा तीसरय बगसत अभान।
चौसथ बगसत भभ गुन गन कयइ कऩट तष्ज गान।।35।।
–*–*–
भॊत्र जाऩ भभ दृढ़ वफस्वासा। ऩॊचभ बजन सो फेद प्रकासा।।
छठ दभ सीर वफयसत फहु कयभा। सनयत सनयॊ तय सज्जन धयभा।।
सातवॉ सभ भोकह भम जग दे िा। भोतईऄ सॊत असधक करय रेिा।।
आठवॉ जथाराब सॊतोषा। सऩनेहुॉ नकहॊ दे िइ ऩयदोषा।।
नवभ सयर सफ सन छरहीना। भभ बयोस कहमॉ हयष न दीना।।
नव भहुॉ एकउ ष्जन्ह के होई। नारय ऩुरुष सचयाचय कोई।।
सोइ असतसम वप्रम बासभसन भोये । सकर प्रकाय बगसत दृढ़ तोयईऄ ।।
जोसग फृॊद दयु रब गसत जोई। तो कहुॉ आजु सुरब बइ सोई।।
भभ दयसन पर ऩयभ अनूऩा। जीव ऩाव सनज सहज सरूऩा।।
जनकसुता कइ सुसध बासभनी। जानकह कहु करयफयगासभनी।।
ऩॊऩा सयकह जाहु यघुयाई। तहॉ होइकह सुग्रीव सभताई।।
सो सफ ककहकह दे व यघुफीया। जानतहूॉ ऩूछहु भसतधीया।।
फाय फाय प्रबु ऩद ससरु नाई। प्रेभ सकहत सफ कथा सुनाई।।
छॊ 0-ककह कथा सकर वफरोकक हरय भुि रृदमॉ ऩद ऩॊकज धये ।
तष्ज जोग ऩावक दे ह हरय ऩद रीन बइ जहॉ नकहॊ कपये ।।
नय वफवफध कभा अधभा फहु भत सोकप्रद सफ त्मागहू।
वफस्वास करय कह दास तुरसी याभ ऩद अनुयागहू।।
दो0-जासत हीन अघ जन्भ भकह भुि कीष्न्ह असस नारय।
भहाभॊद भन सुि चहसस ऐसे प्रबुकह वफसारय।।36।।
–*–*–
चरे याभ त्मागा फन सोऊ। अतुसरत फर नय केहरय दोऊ।।

267
वफयही इव प्रबु कयत वफषादा। कहत कथा अनेक सॊफादा।।
रसछभन दे िु वफवऩन कइ सोबा। दे ित केकह कय भन नकहॊ छोबा।।
नारय सकहत सफ िग भृग फृॊदा। भानहुॉ भोरय कयत हकहॊ सनॊदा।।
हभकह दे ष्ि भृग सनकय ऩयाहीॊ। भृगीॊ कहकहॊ तुम्ह कहॉ बम नाहीॊ।।
तुम्ह आनॊद कयहु भृग जाए। कॊचन भृग िोजन ए आए।।
सॊग राइ करयनीॊ करय रेहीॊ। भानहुॉ भोकह ससिावनु दे हीॊ।।
सास्त्र सुसचॊसतत ऩुसन ऩुसन दे ष्िअ। बूऩ सुसेववत फस नकहॊ रेष्िअ।।
याष्िअ नारय जदवऩ उय भाहीॊ। जुफती सास्त्र नृऩसत फस नाहीॊ।।
दे िहु तात फसॊत सुहावा। वप्रमा हीन भोकह बम उऩजावा।।
दो0-वफयह वफकर फरहीन भोकह जानेसस सनऩट अकेर।
सकहत वफवऩन भधुकय िग भदन कीन्ह फगभेर।।37(क)।।
दे ष्ि गमउ र्भ्ाता सकहत तासु दत
ू सुसन फात।
डे या कीन्हे उ भनहुॉ तफ कटकु हटकक भनजात।।37(ि)।।
–*–*–
वफटऩ वफसार रता अरुझानी। वफवफध वफतान कदए जनु तानी।।
कदसर तार फय धुजा ऩताका। दै ष्ि न भोह धीय भन जाका।।
वफवफध बाॉसत पूरे तरु नाना। जनु फानैत फने फहु फाना।।
कहुॉ कहुॉ सुन्दय वफटऩ सुहाए। जनु बट वफरग वफरग होइ छाए।।
कूजत वऩक भानहुॉ गज भाते। ढे क भहोि ऊॉट वफसयाते।।
भोय चकोय कीय फय फाजी। ऩायावत भयार सफ ताजी।।
तीसतय रावक ऩदचय जूथा। फयसन न जाइ भनोज फरुथा।।
यथ सगरय ससरा दॊ द
ु ब
ु ी झयना। चातक फॊदी गुन गन फयना।।
भधुकय भुिय बेरय सहनाई। वत्रवफध फमारय फसीठीॊ आई।।
चतुयॊसगनी सेन सॉग रीन्हईऄ । वफचयत सफकह चुनौती दीन्हईऄ ।।
रसछभन दे ित काभ अनीका। यहकहॊ धीय सतन्ह कै जग रीका।।
एकह कईऄ एक ऩयभ फर नायी। तेकह तईऄ उफय सुबट सोइ बायी।।
दो0-तात तीसन असत प्रफर िर काभ क्रोध अरु रोब।
भुसन वफग्मान धाभ भन कयकहॊ सनसभष भहुॉ छोब।।38(क)।।
रोब कईऄ इछछा दॊ ब फर काभ कईऄ केवर नारय।
क्रोध के ऩरुष फचन फर भुसनफय कहकहॊ वफचारय।।38(ि)।।
–*–*–
गुनातीत सचयाचय स्वाभी। याभ उभा सफ अॊतयजाभी।।
कासभन्ह कै दीनता दे िाई। धीयन्ह कईऄ भन वफयसत दृढ़ाई।।

268
क्रोध भनोज रोब भद भामा। छूटकहॊ सकर याभ कीॊ दामा।।
सो नय इॊ रजार नकहॊ बूरा। जा ऩय होइ सो नट अनुकूरा।।
उभा कहउॉ भईआ अनुबव अऩना। सत हरय बजनु जगत सफ सऩना।।
ऩुसन प्रबु गए सयोफय तीया। ऩॊऩा नाभ सुबग गॊबीया।।
सॊत रृदम जस सनभार फायी। फाॉधे घाट भनोहय चायी।।
जहॉ तहॉ वऩअकहॊ वफवफध भृग नीया। जनु उदाय गृह जाचक बीया।।
दो0-ऩुयइसन सफन ओट जर फेसग न ऩाइअ भभा।
भामाछन्न न दे ष्िऐ जैसे सनगुन
ा ब्रह्म।।39(क)।।
सुष्ि भीन सफ एकयस असत अगाध जर भाकहॊ ।
जथा धभासीरन्ह के कदन सुि सॊजुत जाकहॊ ।।39(ि)।।
–*–*–
वफकसे सयससज नाना यॊ गा। भधुय भुिय गुॊजत फहु बृॊगा।।
फोरत जरकुक्कुट करहॊ सा। प्रबु वफरोकक जनु कयत प्रसॊसा।।
चक्रवाक फक िग सभुदाई। दे ित फनइ फयसन नकहॊ जाई।।
सुन्दय िग गन सगया सुहाई। जात ऩसथक जनु रेत फोराई।।
तार सभीऩ भुसनन्ह गृह छाए। चहु कदसस कानन वफटऩ सुहाए।।
चॊऩक फकुर कदॊ फ तभारा। ऩाटर ऩनस ऩयास यसारा।।
नव ऩल्रव कुसुसभत तरु नाना। चॊचयीक ऩटरी कय गाना।।
सीतर भॊद सुगॊध सुबाऊ। सॊतत फहइ भनोहय फाऊ।।
कुहू कुहू कोककर धुसन कयहीॊ। सुसन यव सयस ध्मान भुसन टयहीॊ।।
दो0-पर बायन नसभ वफटऩ सफ यहे बूसभ सनअयाइ।
ऩय उऩकायी ऩुरुष ष्जसभ नवकहॊ सुसॊऩसत ऩाइ।।40।।
–*–*–
दे ष्ि याभ असत रुसचय तरावा। भज्जनु कीन्ह ऩयभ सुि ऩावा।।
दे िी सुॊदय तरुफय छामा। फैठे अनुज सकहत यघुयामा।।
तहॉ ऩुसन सकर दे व भुसन आए। अस्तुसत करय सनज धाभ ससधाए।।
फैठे ऩयभ प्रसन्न कृ ऩारा। कहत अनुज सन कथा यसारा।।
वफयहवॊत बगवॊतकह दे िी। नायद भन बा सोच वफसेषी।।
भोय साऩ करय अॊगीकाया। सहत याभ नाना दि
ु बाया।।
ऐसे प्रबुकह वफरोकउॉ जाई। ऩुसन न फसनकह अस अवसरु आई।।
मह वफचारय नायद कय फीना। गए जहाॉ प्रबु सुि आसीना।।
गावत याभ चरयत भृद ु फानी। प्रेभ सकहत फहु बाॉसत फिानी।।
कयत दॊ डवत सरए उठाई। यािे फहुत फाय उय राई।।

269
स्वागत ऩूॉसछ सनकट फैठाये । रसछभन सादय चयन ऩिाये ।।
दो0- नाना वफसध वफनती करय प्रबु प्रसन्न ष्जमॉ जासन।
नायद फोरे फचन तफ जोरय सयोरुह ऩासन।।41।।
–*–*–
सुनहु उदाय सहज यघुनामक। सुॊदय अगभ सुगभ फय दामक।।
दे हु एक फय भागउॉ स्वाभी। जयवऩ जानत अॊतयजाभी।।
जानहु भुसन तुम्ह भोय सुबाऊ। जन सन कफहुॉ कक कयउॉ दयु ाऊ।।
कवन फस्तु असस वप्रम भोकह रागी। जो भुसनफय न सकहु तुम्ह भागी।।
जन कहुॉ कछु अदे म नकहॊ भोयईऄ । अस वफस्वास तजहु जसन बोयईऄ ।।
तफ नायद फोरे हयषाई । अस फय भागउॉ कयउॉ कढठाई।।
जयवऩ प्रबु के नाभ अनेका। श्रुसत कह असधक एक तईऄ एका।।
याभ सकर नाभन्ह ते असधका। होउ नाथ अघ िग गन फसधका।।
दो0-याका यजनी बगसत तव याभ नाभ सोइ सोभ।
अऩय नाभ उडगन वफभर फसुहुॉ बगत उय ब्मोभ।।42(क)।।
एवभस्तु भुसन सन कहे उ कृ ऩाससॊधु यघुनाथ।
तफ नायद भन हयष असत प्रबु ऩद नामउ भाथ।।42(ि)।।
–*–*–
असत प्रसन्न यघुनाथकह जानी। ऩुसन नायद फोरे भृद ु फानी।।
याभ जफकहॊ प्रेयेउ सनज भामा। भोहे हु भोकह सुनहु यघुयामा।।
तफ वफफाह भईआ चाहउॉ कीन्हा। प्रबु केकह कायन कयै न दीन्हा।।
सुनु भुसन तोकह कहउॉ सहयोसा। बजकहॊ जे भोकह तष्ज सकर बयोसा।।
कयउॉ सदा सतन्ह कै यिवायी। ष्जसभ फारक यािइ भहतायी।।
गह सससु फछछ अनर अकह धाई। तहॉ यािइ जननी अयगाई।।
प्रौढ़ बएॉ तेकह सुत ऩय भाता। प्रीसत कयइ नकहॊ ऩासछसर फाता।।
भोये प्रौढ़ तनम सभ ग्मानी। फारक सुत सभ दास अभानी।।
जनकह भोय फर सनज फर ताही। दह
ु ु कहॉ काभ क्रोध रयऩु आही।।
मह वफचारय ऩॊकडत भोकह बजहीॊ। ऩाएहुॉ ग्मान बगसत नकहॊ तजहीॊ।।
दो0-काभ क्रोध रोबाकद भद प्रफर भोह कै धारय।
सतन्ह भहॉ असत दारुन दि ु द भामारूऩी नारय।।43।।
–*–*–
सुसन भुसन कह ऩुयान श्रुसत सॊता। भोह वफवऩन कहुॉ नारय फसॊता।।
जऩ तऩ नेभ जराश्रम झायी। होइ ग्रीषभ सोषइ सफ नायी।।
काभ क्रोध भद भत्सय बेका। इन्हकह हयषप्रद फयषा एका।।

270
दफ
ु ाासना कुभुद सभुदाई। सतन्ह कहॉ सयद सदा सुिदाई।।
धभा सकर सयसीरुह फृॊदा। होइ कहभ सतन्हकह दहइ सुि भॊदा।।
ऩुसन भभता जवास फहुताई। ऩरुहइ नारय ससससय रयतु ऩाई।।
ऩाऩ उरूक सनकय सुिकायी। नारय सनवफड़ यजनी अॉसधआयी।।
फुसध फर सीर सत्म सफ भीना। फनसी सभ वत्रम कहकहॊ प्रफीना।।
दो0-अवगुन भूर सूरप्रद प्रभदा सफ दि
ु िासन।
ताते कीन्ह सनवायन भुसन भईआ मह ष्जमॉ जासन।।44।।
–*–*–
सुसन यघुऩसत के फचन सुहाए। भुसन तन ऩुरक नमन बरय आए।।
कहहु कवन प्रबु कै असस यीती। सेवक ऩय भभता अरु प्रीती।।
जे न बजकहॊ अस प्रबु र्भ्भ त्मागी। ग्मान यॊ क नय भॊद अबागी।।
ऩुसन सादय फोरे भुसन नायद। सुनहु याभ वफग्मान वफसायद।।
सॊतन्ह के रछछन यघुफीया। कहहु नाथ बव बॊजन बीया।।
सुनु भुसन सॊतन्ह के गुन कहऊॉ। ष्जन्ह ते भईआ उन्ह कईऄ फस यहऊॉ।।
षट वफकाय ष्जत अनघ अकाभा। अचर अककॊचन सुसच सुिधाभा।।
असभतफोध अनीह सभतबोगी। सत्मसाय कवफ कोवफद जोगी।।
सावधान भानद भदहीना। धीय धभा गसत ऩयभ प्रफीना।।
दो0-गुनागाय सॊसाय दि
ु यकहत वफगत सॊदेह।।
तष्ज भभ चयन सयोज वप्रम सतन्ह कहुॉ दे ह न गेह।।45।।
–*–*–
सनज गुन श्रवन सुनत सकुचाहीॊ। ऩय गुन सुनत असधक हयषाहीॊ।।
सभ सीतर नकहॊ त्मागकहॊ नीती। सयर सुबाउ सफकहॊ सन प्रीती।।
जऩ तऩ ब्रत दभ सॊजभ नेभा। गुरु गोवफॊद वफप्र ऩद प्रेभा।।
श्रद्धा छभा भमत्री दामा। भुकदता भभ ऩद प्रीसत अभामा।।
वफयसत वफफेक वफनम वफग्माना। फोध जथायथ फेद ऩुयाना।।
दॊ ब भान भद कयकहॊ न काऊ। बूसर न दे कहॊ कुभायग ऩाऊ।।
गावकहॊ सुनकहॊ सदा भभ रीरा। हे तु यकहत ऩयकहत यत सीरा।।
भुसन सुनु साधुन्ह के गुन जेते। ककह न सककहॊ सायद श्रुसत तेते।।
छॊ 0-ककह सक न सायद सेष नायद सुनत ऩद ऩॊकज गहे ।
अस दीनफॊधु कृ ऩार अऩने बगत गुन सनज भुि कहे ।।
ससरु नाह फायकहॊ फाय चयनष्न्ह ब्रह्मऩुय नायद गए।।
ते धन्म तुरसीदास आस वफहाइ जे हरय यॉ ग यॉ ए।।
दो0-यावनारय जसु ऩावन गावकहॊ सुनकहॊ जे रोग।

271
याभ बगसत दृढ़ ऩावकहॊ वफनु वफयाग जऩ जोग।।46(क)।।
दीऩ ससिा सभ जुफसत तन भन जसन होसस ऩतॊग।
बजकह याभ तष्ज काभ भद कयकह सदा सतसॊग।।46(ि)।।
भासऩायामण, फाईसवाॉ ववश्राभ
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इसत श्रीभराभचरयतभानसे सकरकसरकरुषववध्वॊसने
तृतीम् सोऩान् सभाप्त्।
(अयण्मकाण्ड सभाप्त)
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–*–*–

272
KISHKINDHA KAND

ककष्ककन्धा काण्ड

।।याभ।।
श्रीगणेशाम नभ्
श्रीजानकीवल्रबो ववजमते
श्रीयाभचरयतभानस
चतुथा सोऩान
( ककष्ककन्धाकाण्ड)
श्लोक
कुन्दे न्दीवयसुन्दयावसतफरौ ववऻानधाभावुबौ
शोबाढ्मौ वयधष्न्वनौ श्रुसतनुतौ गोववप्रवृन्दवप्रमौ।
भामाभानुषरूवऩणौ यघुवयौ सद्धभावभं कहतौ
सीतान्वेषणतत्ऩयौ ऩसथगतौ बविप्रदौ तौ कह न्।।1।।
ब्रह्माम्बोसधसभुद्भवॊ कसरभरप्रध्वॊसनॊ चाव्ममॊ
श्रीभछछम्बुभुिेन्दस
ु ुन्दयवये सॊशोसबतॊ सवादा।
सॊसायाभमबेषजॊ सुिकयॊ श्रीजानकीजीवनॊ
धन्मास्ते कृ सतन् वऩफष्न्त सततॊ श्रीयाभनाभाभृतभ ्।।2।।
सो0-भुवि जन्भ भकह जासन ग्मान िासन अघ हासन कय
जहॉ फस सॊबु बवासन सो कासी सेइअ कस न।।
जयत सकर सुय फृॊद वफषभ गयर जेकहॊ ऩान ककम।
तेकह न बजसस भन भॊद को कृ ऩार सॊकय सरयस।।
आगईऄ चरे फहुरय यघुयामा। रयकमभूक ऩयवत सनअयामा।।
तहॉ यह ससचव सकहत सुग्रीवा। आवत दे ष्ि अतुर फर सीॊवा।।
असत सबीत कह सुनु हनुभाना। ऩुरुष जुगर फर रूऩ सनधाना।।
धरय फटु रूऩ दे िु तईआ जाई। कहे सु जासन ष्जमॉ समन फुझाई।।
ऩठए फासर होकहॊ भन भैरा। बागं तुयत तजं मह सैरा।।
वफप्र रूऩ धरय कवऩ तहॉ गमऊ। भाथ नाइ ऩूछत अस बमऊ।।
को तुम्ह स्माभर गौय सयीया। छत्री रूऩ कपयहु फन फीया।।
ककठन बूसभ कोभर ऩद गाभी। कवन हे तु वफचयहु फन स्वाभी।।
भृदर
ु भनोहय सुॊदय गाता। सहत दस
ु ह फन आतऩ फाता।।
की तुम्ह तीसन दे व भहॉ कोऊ। नय नायामन की तुम्ह दोऊ।।

273
दो0-जग कायन तायन बव बॊजन धयनी बाय।
की तुम्ह अककर बुवन ऩसत रीन्ह भनुज अवताय।।1।।
–*–*–
कोसरेस दसयथ के जाए । हभ वऩतु फचन भासन फन आए।।
नाभ याभ रसछभन दौउ बाई। सॊग नारय सुकुभारय सुहाई।।
इहाॉ हरय सनससचय फैदेही। वफप्र कपयकहॊ हभ िोजत तेही।।
आऩन चरयत कहा हभ गाई। कहहु वफप्र सनज कथा फुझाई।।
प्रबु ऩकहचासन ऩये उ गकह चयना। सो सुि उभा नकहॊ फयना।।
ऩुरककत तन भुि आव न फचना। दे ित रुसचय फेष कै यचना।।
ऩुसन धीयजु धरय अस्तुसत कीन्ही। हयष रृदमॉ सनज नाथकह चीन्ही।।
भोय न्माउ भईआ ऩूछा साईं। तुम्ह ऩूछहु कस नय की नाईं।।
तव भामा फस कपयउॉ बुराना। ता ते भईआ नकहॊ प्रबु ऩकहचाना।।
दो0-एकु भईआ भॊद भोहफस कुकटर रृदम अग्मान।
ऩुसन प्रबु भोकह वफसाये उ दीनफॊधु बगवान।।2।।
–*–*–
जदवऩ नाथ फहु अवगुन भोयईऄ । सेवक प्रबुकह ऩयै जसन बोयईऄ ।।
नाथ जीव तव भामाॉ भोहा। सो सनस्तयइ तुम्हाये कहॊ छोहा।।
ता ऩय भईआ यघुफीय दोहाई। जानउॉ नकहॊ कछु बजन उऩाई।।
सेवक सुत ऩसत भातु बयोसईऄ। यहइ असोच फनइ प्रबु ऩोसईऄ।।
अस ककह ऩये उ चयन अकुराई। सनज तनु प्रगकट प्रीसत उय छाई।।
तफ यघुऩसत उठाइ उय रावा। सनज रोचन जर सीॊसच जुड़ावा।।
सुनु कवऩ ष्जमॉ भानसस जसन ऊना। तईआ भभ वप्रम रसछभन ते दन
ू ा।।
सभदयसी भोकह कह सफ कोऊ। सेवक वप्रम अनन्मगसत सोऊ।।
दो0-सो अनन्म जाकईऄ असस भसत न टयइ हनुभॊत।
भईआ सेवक सचयाचय रूऩ स्वासभ बगवॊत।।3।।
–*–*–
दे ष्ि ऩवन सुत ऩसत अनुकूरा। रृदमॉ हयष फीती सफ सूरा।।
नाथ सैर ऩय कवऩऩसत यहई। सो सुग्रीव दास तव अहई।।
तेकह सन नाथ भमत्री कीजे। दीन जासन तेकह अबम कयीजे।।
सो सीता कय िोज कयाइकह। जहॉ तहॉ भयकट कोकट ऩठाइकह।।
एकह वफसध सकर कथा सभुझाई। सरए दऔ
ु जन ऩीकठ चढ़ाई।।
जफ सुग्रीवॉ याभ कहुॉ दे िा। असतसम जन्भ धन्म करय रेिा।।
सादय सभरेउ नाइ ऩद भाथा। बईआटेउ अनुज सकहत यघुनाथा।।

274
कवऩ कय भन वफचाय एकह यीती। करयहकहॊ वफसध भो सन ए प्रीती।।
दो0-तफ हनुभॊत उबम कदसस की सफ कथा सुनाइ।।
ऩावक सािी दे इ करय जोयी प्रीती दृढ़ाइ।।4।।
–*–*–
कीन्ही प्रीसत कछु फीच न यािा। रछसभन याभ चरयत सफ बाषा।।
कह सुग्रीव नमन बरय फायी। सभसरकह नाथ सभसथरेसकुभायी।।
भॊवत्रन्ह सकहत इहाॉ एक फाया। फैठ यहे उॉ भईआ कयत वफचाया।।
गगन ऩॊथ दे िी भईआ जाता। ऩयफस ऩयी फहुत वफरऩाता।।
याभ याभ हा याभ ऩुकायी। हभकह दे ष्ि दीन्हे उ ऩट डायी।।
भागा याभ तुयत तेकहॊ दीन्हा। ऩट उय राइ सोच असत कीन्हा।।
कह सुग्रीव सुनहु यघुफीया। तजहु सोच भन आनहु धीया।।
सफ प्रकाय करयहउॉ सेवकाई। जेकह वफसध सभसरकह जानकी आई।।
दो0-सिा फचन सुसन हयषे कृ ऩाससधु फरसीॊव।
कायन कवन फसहु फन भोकह कहहु सुग्रीव ।।5।।
–*–*–
नात फासर अरु भईआ द्वौ बाई। प्रीसत यही कछु फयसन न जाई।।
भम सुत भामावी तेकह नाऊॉ। आवा सो प्रबु हभयईऄ गाऊॉ।।
अधा यासत ऩुय द्वाय ऩुकाया। फारी रयऩु फर सहै न ऩाया।।
धावा फासर दे ष्ि सो बागा। भईआ ऩुसन गमउॉ फॊधु सॉग रागा।।
सगरयफय गुहाॉ ऩैठ सो जाई। तफ फारीॊ भोकह कहा फुझाई।।
ऩरयिेसु भोकह एक ऩिवाया। नकहॊ आवं तफ जानेसु भाया।।
भास कदवस तहॉ यहे उॉ ियायी। सनसयी रुसधय धाय तहॉ बायी।।
फासर हतेसस भोकह भारयकह आई। ससरा दे इ तहॉ चरेउॉ ऩयाई।।
भॊवत्रन्ह ऩुय दे िा वफनु साईं। दीन्हे उ भोकह याज फरयआई।।
फासर ताकह भारय गृह आवा। दे ष्ि भोकह ष्जमॉ बेद फढ़ावा।।
रयऩु सभ भोकह भाये सस असत बायी। हरय रीन्हे सस सफासु अरु नायी।।
ताकईऄ बम यघुफीय कृ ऩारा। सकर बुवन भईआ कपये उॉ वफहारा।।
इहाॉ साऩ फस आवत नाहीॊ। तदवऩ सबीत यहउॉ भन भाहीँ ।।
सुसन सेवक दि
ु दीनदमारा। पयकक उठीॊ द्वै बुजा वफसारा।।
दो0- सुनु सुग्रीव भारयहउॉ फासरकह एककहॊ फान।
ब्रम्ह रुर सयनागत गएॉ न उफरयकहॊ प्रान।।6।।
–*–*–
जे न सभत्र दिु होकहॊ दि
ु ायी। सतन्हकह वफरोकत ऩातक बायी।।

275
सनज दि
ु सगरय सभ यज करय जाना। सभत्रक दि
ु यज भेरु सभाना।।
ष्जन्ह कईऄ असस भसत सहज न आई। ते सठ कत हकठ कयत सभताई।।
कुऩथ सनवारय सुऩॊथ चरावा। गुन प्रगटे अवगुनष्न्ह दयु ावा।।
दे त रेत भन सॊक न धयई। फर अनुभान सदा कहत कयई।।
वफऩसत कार कय सतगुन नेहा। श्रुसत कह सॊत सभत्र गुन एहा।।
आगईऄ कह भृद ु फचन फनाई। ऩाछईऄ अनकहत भन कुकटराई।।
जा कय सचत अकह गसत सभ बाई। अस कुसभत्र ऩरयहये कह बराई।।
सेवक सठ नृऩ कृ ऩन कुनायी। कऩटी सभत्र सूर सभ चायी।।
सिा सोच त्मागहु फर भोयईऄ । सफ वफसध घटफ काज भईआ तोयईऄ ।।
कह सुग्रीव सुनहु यघुफीया। फासर भहाफर असत यनधीया।।
दॊ द
ु ब
ु ी अष्स्थ तार दे ियाए। वफनु प्रमास यघुनाथ ढहाए।।
दे ष्ि असभत फर फाढ़ी प्रीती। फासर फधफ इन्ह बइ ऩयतीती।।
फाय फाय नावइ ऩद सीसा। प्रबुकह जासन भन हयष कऩीसा।।
उऩजा ग्मान फचन तफ फोरा। नाथ कृ ऩाॉ भन बमउ अरोरा।।
सुि सॊऩसत ऩरयवाय फड़ाई। सफ ऩरयहरय करयहउॉ सेवकाई।।
ए सफ याभबगसत के फाधक। कहकहॊ सॊत तफ ऩद अवयाधक।।
सत्रु सभत्र सुि दि
ु जग भाहीॊ। भामा कृ त ऩयभायथ नाहीॊ।।
फासर ऩयभ कहत जासु प्रसादा। सभरेहु याभ तुम्ह सभन वफषादा।।
सऩनईऄ जेकह सन होइ रयाई। जागईऄ सभुझत भन सकुचाई।।
अफ प्रबु कृ ऩा कयहु एकह बाॉती। सफ तष्ज बजनु कयं कदन याती।।
सुसन वफयाग सॊजुत कवऩ फानी। फोरे वफहॉ सस याभु धनुऩानी।।
जो कछु कहे हु सत्म सफ सोई। सिा फचन भभ भृषा न होई।।
नट भयकट इव सफकह नचावत। याभु िगेस फेद अस गावत।।
रै सुग्रीव सॊग यघुनाथा। चरे चाऩ सामक गकह हाथा।।
तफ यघुऩसत सुग्रीव ऩठावा। गजेसस जाइ सनकट फर ऩावा।।
सुनत फासर क्रोधातुय धावा। गकह कय चयन नारय सभुझावा।।
सुनु ऩसत ष्जन्हकह सभरेउ सुग्रीवा। ते द्वौ फॊधु तेज फर सीॊवा।।
कोसरेस सुत रसछभन याभा। कारहु जीसत सककहॊ सॊग्राभा।।
दो0-कह फासर सुनु बीरु वप्रम सभदयसी यघुनाथ।
जं कदासच भोकह भायकहॊ तौ ऩुसन होउॉ सनाथ।।7।।
–*–*–
अस ककह चरा भहा असबभानी। तृन सभान सुग्रीवकह जानी।।

276
सबये उबौ फारी असत तजाा । भुकठका भारय भहाधुसन गजाा।।
तफ सुग्रीव वफकर होइ बागा। भुवि प्रहाय फज्र सभ रागा।।
भईआ जो कहा यघुफीय कृ ऩारा। फॊधु न होइ भोय मह कारा।।
एकरूऩ तुम्ह र्भ्ाता दोऊ। तेकह र्भ्भ तईऄ नकहॊ भाये उॉ सोऊ।।
कय ऩयसा सुग्रीव सयीया। तनु बा कुसरस गई सफ ऩीया।।
भेरी कॊठ सुभन कै भारा। ऩठवा ऩुसन फर दे इ वफसारा।।
ऩुसन नाना वफसध बई रयाई। वफटऩ ओट दे िकहॊ यघुयाई।।
दो0-फहु छर फर सुग्रीव कय कहमॉ हाया बम भासन।
भाया फासर याभ तफ रृदम भाझ सय तासन।।8।।
–*–*–
ऩया वफकर भकह सय के रागईऄ। ऩुसन उकठ फैठ दे ष्ि प्रबु आगईऄ।।
स्माभ गात ससय जटा फनाएॉ। अरुन नमन सय चाऩ चढ़ाएॉ।।
ऩुसन ऩुसन सचतइ चयन सचत दीन्हा। सुपर जन्भ भाना प्रबु चीन्हा।।
रृदमॉ प्रीसत भुि फचन कठोया। फोरा सचतइ याभ की ओया।।
धभा हे तु अवतये हु गोसाई। भाये हु भोकह ब्माध की नाई।।
भईआ फैयी सुग्रीव वऩआया। अवगुन कफन नाथ भोकह भाया।।
अनुज फधू बसगनी सुत नायी। सुनु सठ कन्मा सभ ए चायी।।
इन्हकह कुद्दवि वफरोकइ जोई। ताकह फधईऄ कछु ऩाऩ न होई।।
भुढ़ तोकह असतसम असबभाना। नारय ससिावन कयसस न काना।।
भभ बुज फर आसश्रत तेकह जानी। भाया चहसस अधभ असबभानी।।
दो0-सुनहु याभ स्वाभी सन चर न चातुयी भोरय।
प्रबु अजहूॉ भईआ ऩाऩी अॊतकार गसत तोरय।।9।।
–*–*–
सुनत याभ असत कोभर फानी। फासर सीस ऩयसेउ सनज ऩानी।।
अचर कयं तनु यािहु प्राना। फासर कहा सुनु कृ ऩासनधाना।।
जन्भ जन्भ भुसन जतनु कयाहीॊ। अॊत याभ ककह आवत नाहीॊ।।
जासु नाभ फर सॊकय कासी। दे त सफकह सभ गसत अववनासी।।
भभ रोचन गोचय सोइ आवा। फहुरय कक प्रबु अस फसनकह फनावा।।
छॊ 0-सो नमन गोचय जासु गुन सनत नेसत ककह श्रुसत गावहीॊ।
ष्जसत ऩवन भन गो सनयस करय भुसन ध्मान कफहुॉक ऩावहीॊ।।
भोकह जासन असत असबभान फस प्रबु कहे उ यािु सयीयही।
अस कवन सठ हकठ काकट सुयतरु फारय करयकह फफूयही।।1।।
अफ नाथ करय करुना वफरोकहु दे हु जो फय भागऊॉ।

277
जेकहॊ जोसन जन्भं कभा फस तहॉ याभ ऩद अनुयागऊॉ।।
मह तनम भभ सभ वफनम फर कल्मानप्रद प्रबु रीष्जऐ।
गकह फाहॉ सुय नय नाह आऩन दास अॊगद कीष्जऐ।।2।।
दो0-याभ चयन दृढ़ प्रीसत करय फासर कीन्ह तनु त्माग।
सुभन भार ष्जसभ कॊठ ते सगयत न जानइ नाग।।10।।
–*–*–
याभ फासर सनज धाभ ऩठावा। नगय रोग सफ ब्माकुर धावा।।
नाना वफसध वफराऩ कय ताया। छूटे केस न दे ह सॉबाया।।
ताया वफकर दे ष्ि यघुयामा । दीन्ह ग्मान हरय रीन्ही भामा।।
सछसत जर ऩावक गगन सभीया। ऩॊच यसचत असत अधभ सयीया।।
प्रगट सो तनु तव आगईऄ सोवा। जीव सनत्म केकह रसग तुम्ह योवा।।
उऩजा ग्मान चयन तफ रागी। रीन्हे सस ऩयभ बगसत फय भागी।।
उभा दारु जोवषत की नाई। सफकह नचावत याभु गोसाई।।
तफ सुग्रीवकह आमसु दीन्हा। भृतक कभा वफसधफत सफ कीन्हा।।
याभ कहा अनुजकह सभुझाई। याज दे हु सुग्रीवकह जाई।।
यघुऩसत चयन नाइ करय भाथा। चरे सकर प्रेरयत यघुनाथा।।
दो0-रसछभन तुयत फोराए ऩुयजन वफप्र सभाज।
याजु दीन्ह सुग्रीव कहॉ अॊगद कहॉ जुफयाज।।11।।
–*–*–
उभा याभ सभ कहत जग भाहीॊ। गुरु वऩतु भातु फॊधु प्रबु नाहीॊ।।
सुय नय भुसन सफ कै मह यीती। स्वायथ रासग कयकहॊ सफ प्रीती।।
फासर त्रास ब्माकुर कदन याती। तन फहु ब्रन सचॊताॉ जय छाती।।
सोइ सुग्रीव कीन्ह कवऩयाऊ। असत कृ ऩार यघुफीय सुबाऊ।।
जानतहुॉ अस प्रबु ऩरयहयहीॊ। काहे न वफऩसत जार नय ऩयहीॊ।।
ऩुसन सुग्रीवकह रीन्ह फोराई। फहु प्रकाय नृऩनीसत ससिाई।।
कह प्रबु सुनु सुग्रीव हयीसा। ऩुय न जाउॉ दस चारय फयीसा।।
गत ग्रीषभ फयषा रयतु आई। यकहहउॉ सनकट सैर ऩय छाई।।
अॊगद सकहत कयहु तुम्ह याजू। सॊतत रृदम धये हु भभ काजू।।
जफ सुग्रीव बवन कपरय आए। याभु प्रफयषन सगरय ऩय छाए।।
दो0-प्रथभकहॊ दे वन्ह सगरय गुहा यािेउ रुसचय फनाइ।
याभ कृ ऩासनसध कछु कदन फास कयकहॊ गे आइ।।12।।
–*–*–
सुॊदय फन कुसुसभत असत सोबा। गुॊजत भधुऩ सनकय भधु रोबा।।

278
कॊद भूर पर ऩत्र सुहाए। बए फहुत जफ ते प्रबु आए ।।
दे ष्ि भनोहय सैर अनूऩा। यहे तहॉ अनुज सकहत सुयबूऩा।।
भधुकय िग भृग तनु धरय दे वा। कयकहॊ ससद्ध भुसन प्रबु कै सेवा।।
भॊगररुऩ बमउ फन तफ ते । कीन्ह सनवास यभाऩसत जफ ते।।
पकटक ससरा असत सुर्भ् सुहाई। सुि आसीन तहाॉ द्वौ बाई।।
कहत अनुज सन कथा अनेका। बगसत वफयसत नृऩनीसत वफफेका।।
फयषा कार भेघ नब छाए। गयजत रागत ऩयभ सुहाए।।
दो0- रसछभन दे िु भोय गन नाचत फारयद ऩैष्ि।
गृही वफयसत यत हयष जस वफकनु बगत कहुॉ दे ष्ि।।13।।
–*–*–
घन घभॊड नब गयजत घोया। वप्रमा हीन डयऩत भन भोया।।
दासभसन दभक यह न घन भाहीॊ। िर कै प्रीसत जथा सथय नाहीॊ।।
फयषकहॊ जरद बूसभ सनअयाएॉ। जथा नवकहॊ फुध वफया ऩाएॉ।।
फूॉद अघात सहकहॊ सगरय कईआसईऄ । िर के फचन सॊत सह जैसईऄ।।
छुर नदीॊ बरय चरीॊ तोयाई। जस थोये हुॉ धन िर इतयाई।।
बूसभ ऩयत बा ढाफय ऩानी। जनु जीवकह भामा रऩटानी।।
ससभकट ससभकट जर बयकहॊ तरावा। ष्जसभ सदगुन सज्जन ऩकहॊ आवा।।
सरयता जर जरसनसध भहुॉ जाई। होई अचर ष्जसभ ष्जव हरय ऩाई।।
दो0- हरयत बूसभ तृन सॊकुर सभुष्झ ऩयकहॊ नकहॊ ऩॊथ।
ष्जसभ ऩािॊड फाद तईऄ गुप्त होकहॊ सदग्रॊथ।।14।।
–*–*–
दादयु धुसन चहु कदसा सुहाई। फेद ऩढ़कहॊ जनु फटु सभुदाई।।
नव ऩल्रव बए वफटऩ अनेका। साधक भन जस सभरईऄ वफफेका।।
अका जफास ऩात वफनु बमऊ। जस सुयाज िर उयभ गमऊ।।
िोजत कतहुॉ सभरइ नकहॊ धूयी। कयइ क्रोध ष्जसभ धयभकह दयू ी।।
ससस सॊऩन्न सोह भकह कैसी। उऩकायी कै सॊऩसत जैसी।।
सनसस तभ घन ियोत वफयाजा। जनु दॊ सबन्ह कय सभरा सभाजा।।
भहाफृवि चसर पूकट ककआयीॊ । ष्जसभ सुतॊत्र बएॉ वफगयकहॊ नायीॊ।।
कृ षी सनयावकहॊ चतुय ककसाना। ष्जसभ फुध तजकहॊ भोह भद भाना।।
दे ष्िअत चक्रफाक िग नाहीॊ। कसरकह ऩाइ ष्जसभ धभा ऩयाहीॊ।।
ऊषय फयषइ तृन नकहॊ जाभा। ष्जसभ हरयजन कहमॉ उऩज न काभा।।
वफवफध जॊतु सॊकुर भकह र्भ्ाजा। प्रजा फाढ़ ष्जसभ ऩाइ सुयाजा।।
जहॉ तहॉ यहे ऩसथक थकक नाना। ष्जसभ इॊ करम गन उऩजईऄ ग्माना।।

279
दो0-कफहुॉ प्रफर फह भारुत जहॉ तहॉ भेघ वफराकहॊ ।
ष्जसभ कऩूत के उऩजईऄ कुर सद्धभा नसाकहॊ ।।15(क)।।
कफहुॉ कदवस भहॉ सनवफड़ तभ कफहुॉक प्रगट ऩतॊग।
वफनसइ उऩजइ ग्मान ष्जसभ ऩाइ कुसॊग सुसॊग।।15(ि)।।
–*–*–
फयषा वफगत सयद रयतु आई। रसछभन दे िहु ऩयभ सुहाई।।
पूरईऄ कास सकर भकह छाई। जनु फयषाॉ कृ त प्रगट फुढ़ाई।।
उकदत अगष्स्त ऩॊथ जर सोषा। ष्जसभ रोबकह सोषइ सॊतोषा।।
सरयता सय सनभार जर सोहा। सॊत रृदम जस गत भद भोहा।।
यस यस सूि सरयत सय ऩानी। भभता त्माग कयकहॊ ष्जसभ ग्मानी।।
जासन सयद रयतु िॊजन आए। ऩाइ सभम ष्जसभ सुकृत सुहाए।।
ऩॊक न ये नु सोह असस धयनी। नीसत सनऩुन नृऩ कै जसस कयनी।।
जर सॊकोच वफकर बइॉ भीना। अफुध कुटु ॊ फी ष्जसभ धनहीना।।
वफनु धन सनभार सोह अकासा। हरयजन इव ऩरयहरय सफ आसा।।
कहुॉ कहुॉ फृवि सायदी थोयी। कोउ एक ऩाव बगसत ष्जसभ भोयी।।
दो0-चरे हयवष तष्ज नगय नृऩ ताऩस फसनक सबिारय।
ष्जसभ हरयबगत ऩाइ श्रभ तजकह आश्रभी चारय।।16।।
–*–*–
सुिी भीन जे नीय अगाधा। ष्जसभ हरय सयन न एकउ फाधा।।
पूरईऄ कभर सोह सय कैसा। सनगुन
ा ब्रम्ह सगुन बएॉ जैसा।।
गुॊजत भधुकय भुिय अनूऩा। सुॊदय िग यव नाना रूऩा।।
चक्रफाक भन दि
ु सनसस ऩैिी। ष्जसभ दज
ु न
ा ऩय सॊऩसत दे िी।।
चातक यटत तृषा असत ओही। ष्जसभ सुि रहइ न सॊकयरोही।।
सयदातऩ सनसस ससस अऩहयई। सॊत दयस ष्जसभ ऩातक टयई।।
दे ष्ि इॊ द ु चकोय सभुदाई। सचतवतकहॊ ष्जसभ हरयजन हरय ऩाई।।
भसक दॊ स फीते कहभ त्रासा। ष्जसभ कद्वज रोह ककएॉ कुर नासा।।
दो0-बूसभ जीव सॊकुर यहे गए सयद रयतु ऩाइ।
सदगुय सभरे जाकहॊ ष्जसभ सॊसम र्भ्भ सभुदाइ।।17।।
–*–*–
फयषा गत सनभार रयतु आई। सुसध न तात सीता कै ऩाई।।
एक फाय कैसेहुॉ सुसध जानं। कारहु जीत सनसभष भहुॉ आनं।।
कतहुॉ यहउ जं जीवसत होई। तात जतन करय आनेउॉ सोई।।
सुग्रीवहुॉ सुसध भोरय वफसायी। ऩावा याज कोस ऩुय नायी।।

280
जेकहॊ सामक भाया भईआ फारी। तेकहॊ सय हतं भूढ़ कहॉ कारी।।
जासु कृ ऩाॉ छूटहीॊ भद भोहा। ता कहुॉ उभा कक सऩनेहुॉ कोहा।।
जानकहॊ मह चरयत्र भुसन ग्मानी। ष्जन्ह यघुफीय चयन यसत भानी।।
रसछभन क्रोधवॊत प्रबु जाना। धनुष चढ़ाइ गहे कय फाना।।
दो0-तफ अनुजकह सभुझावा यघुऩसत करुना सीॊव।।
बम दे िाइ रै आवहु तात सिा सुग्रीव।।18।।
–*–*–
इहाॉ ऩवनसुत रृदमॉ वफचाया। याभ काजु सुग्रीवॉ वफसाया।।
सनकट जाइ चयनष्न्ह ससरु नावा। चारयहु वफसध तेकह ककह सभुझावा।।
सुसन सुग्रीवॉ ऩयभ बम भाना। वफषमॉ भोय हरय रीन्हे उ ग्माना।।
अफ भारुतसुत दत
ू सभूहा। ऩठवहु जहॉ तहॉ फानय जूहा।।
कहहु ऩाि भहुॉ आव न जोई। भोयईऄ कय ता कय फध होई।।
तफ हनुभॊत फोराए दत
ू ा। सफ कय करय सनभान फहूता।।
बम अरु प्रीसत नीसत दे िाई। चरे सकर चयनष्न्ह ससय नाई।।
एकह अवसय रसछभन ऩुय आए। क्रोध दे ष्ि जहॉ तहॉ कवऩ धाए।।
दो0-धनुष चढ़ाइ कहा तफ जारय कयउॉ ऩुय छाय।
ब्माकुर नगय दे ष्ि तफ आमउ फासरकुभाय।।19।।
–*–*–
चयन नाइ ससरु वफनती कीन्ही। रसछभन अबम फाॉह तेकह दीन्ही।।
क्रोधवॊत रसछभन सुसन काना। कह कऩीस असत बमॉ अकुराना।।
सुनु हनुभॊत सॊग रै ताया। करय वफनती सभुझाउ कुभाया।।
ताया सकहत जाइ हनुभाना। चयन फॊकद प्रबु सुजस फिाना।।
करय वफनती भॊकदय रै आए। चयन ऩिारय ऩरॉग फैठाए।।
तफ कऩीस चयनष्न्ह ससरु नावा। गकह बुज रसछभन कॊठ रगावा।।
नाथ वफषम सभ भद कछु नाहीॊ। भुसन भन भोह कयइ छन भाहीॊ।।
सुनत वफनीत फचन सुि ऩावा। रसछभन तेकह फहु वफसध सभुझावा।।
ऩवन तनम सफ कथा सुनाई। जेकह वफसध गए दत
ू सभुदाई।।
दो0-हयवष चरे सुग्रीव तफ अॊगदाकद कवऩ साथ।
याभानुज आगईऄ करय आए जहॉ यघुनाथ।।20।।
–*–*–
नाइ चयन ससरु कह कय जोयी। नाथ भोकह कछु नाकहन िोयी।।
असतसम प्रफर दे व तफ भामा। छूटइ याभ कयहु जं दामा।।
वफषम फस्म सुय नय भुसन स्वाभी। भईआ ऩावॉय ऩसु कवऩ असत काभी।।

281
नारय नमन सय जाकह न रागा। घोय क्रोध तभ सनसस जो जागा।।
रोब ऩाॉस जेकहॊ गय न फॉधामा। सो नय तुम्ह सभान यघुयामा।।
मह गुन साधन तईऄ नकहॊ होई। तुम्हयी कृ ऩाॉ ऩाव कोइ कोई।।
तफ यघुऩसत फोरे भुसकाई। तुम्ह वप्रम भोकह बयत ष्जसभ बाई।।
अफ सोइ जतनु कयहु भन राई। जेकह वफसध सीता कै सुसध ऩाई।।
दो0- एकह वफसध होत फतकही आए फानय जूथ।
नाना फयन सकर कदसस दे ष्िअ कीस फरुथ।।21।।
–*–*–
फानय कटक उभा भईऄ दे िा। सो भूरुि जो कयन चह रेिा।।
आइ याभ ऩद नावकहॊ भाथा। सनयष्ि फदनु सफ होकहॊ सनाथा।।
अस कवऩ एक न सेना भाहीॊ। याभ कुसर जेकह ऩूछी नाहीॊ।।
मह कछु नकहॊ प्रबु कइ असधकाई। वफस्वरूऩ ब्माऩक यघुयाई।।
ठाढ़े जहॉ तहॉ आमसु ऩाई। कह सुग्रीव सफकह सभुझाई।।
याभ काजु अरु भोय सनहोया। फानय जूथ जाहु चहुॉ ओया।।
जनकसुता कहुॉ िोजहु जाई। भास कदवस भहॉ आएहु बाई।।
अवसध भेकट जो वफनु सुसध ऩाएॉ। आवइ फसनकह सो भोकह भयाएॉ।।
दो0- फचन सुनत सफ फानय जहॉ तहॉ चरे तुयॊत ।
तफ सुग्रीवॉ फोराए अॊगद नर हनुभॊत।।22।।
–*–*–
सुनहु नीर अॊगद हनुभाना। जाभवॊत भसतधीय सुजाना।।
सकर सुबट सभसर दष्छछन जाहू। सीता सुसध ऩूॉछेउ सफ काहू।।
भन क्रभ फचन सो जतन वफचाये हु। याभचॊर कय काजु सॉवाये हु।।
बानु ऩीकठ सेइअ उय आगी। स्वासभकह सफा बाव छर त्मागी।।
तष्ज भामा सेइअ ऩयरोका। सभटकहॊ सकर बव सॊबव सोका।।
दे ह धये कय मह परु बाई। बष्जअ याभ सफ काभ वफहाई।।
सोइ गुनग्म सोई फड़बागी । जो यघुफीय चयन अनुयागी।।
आमसु भासग चयन ससरु नाई। चरे हयवष सुसभयत यघुयाई।।
ऩाछईऄ ऩवन तनम ससरु नावा। जासन काज प्रबु सनकट फोरावा।।
ऩयसा सीस सयोरुह ऩानी। कयभुकरका दीष्न्ह जन जानी।।
फहु प्रकाय सीतकह सभुझाएहु। ककह फर वफयह फेसग तुम्ह आएहु।।
हनुभत जन्भ सुपर करय भाना। चरेउ रृदमॉ धरय कृ ऩासनधाना।।
जयवऩ प्रबु जानत सफ फाता। याजनीसत याित सुयत्राता।।
दो0-चरे सकर फन िोजत सरयता सय सगरय िोह।

282
याभ काज रमरीन भन वफसया तन कय छोह।।23।।
–*–*–
कतहुॉ होइ सनससचय सईआ बेटा। प्रान रेकहॊ एक एक चऩेटा।।
फहु प्रकाय सगरय कानन हे यकहॊ । कोउ भुसन सभरत ताकह सफ घेयकहॊ ।।
रासग तृषा असतसम अकुराने। सभरइ न जर घन गहन बुराने।।
भन हनुभान कीन्ह अनुभाना। भयन चहत सफ वफनु जर ऩाना।।
चकढ़ सगरय ससिय चहूॉ कदसस दे िा। बूसभ वफवफय एक कौतुक ऩेिा।।
चक्रफाक फक हॊ स उड़ाहीॊ। फहुतक िग प्रवफसकहॊ तेकह भाहीॊ।।
सगरय ते उतरय ऩवनसुत आवा। सफ कहुॉ रै सोइ वफफय दे िावा।।
आगईऄ कै हनुभॊतकह रीन्हा। ऩैठे वफफय वफरॊफु न कीन्हा।।
दो0-दीि जाइ उऩवन फय सय वफगससत फहु कॊज।
भॊकदय एक रुसचय तहॉ फैकठ नारय तऩ ऩुॊज।।24।।
–*–*–
दरू य ते ताकह सफष्न्ह ससय नावा। ऩूछईऄ सनज फृत्ताॊत सुनावा।।
तेकहॊ तफ कहा कयहु जर ऩाना। िाहु सुयस सुॊदय पर नाना।।
भज्जनु कीन्ह भधुय पर िाए। तासु सनकट ऩुसन सफ चसर आए।।
तेकहॊ सफ आऩसन कथा सुनाई। भईआ अफ जाफ जहाॉ यघुयाई।।
भूदहु नमन वफफय तष्ज जाहू। ऩैहहु सीतकह जसन ऩसछताहू।।
नमन भूकद ऩुसन दे िकहॊ फीया। ठाढ़े सकर ससॊधु कईऄ तीया।।
सो ऩुसन गई जहाॉ यघुनाथा। जाइ कभर ऩद नाएसस भाथा।।
नाना बाॉसत वफनम तेकहॊ कीन्ही। अनऩामनी बगसत प्रबु दीन्ही।।
दो0-फदयीफन कहुॉ सो गई प्रबु अग्मा धरय सीस ।
उय धरय याभ चयन जुग जे फॊदत अज ईस।।25।।
–*–*–
इहाॉ वफचायकहॊ कवऩ भन भाहीॊ। फीती अवसध काज कछु नाहीॊ।।
सफ सभसर कहकहॊ ऩयस्ऩय फाता। वफनु सुसध रएॉ कयफ का र्भ्ाता।।
कह अॊगद रोचन बरय फायी। दह
ु ुॉ प्रकाय बइ भृत्मु हभायी।।
इहाॉ न सुसध सीता कै ऩाई। उहाॉ गएॉ भारयकह कवऩयाई।।
वऩता फधे ऩय भायत भोही। यािा याभ सनहोय न ओही।।
ऩुसन ऩुसन अॊगद कह सफ ऩाहीॊ। भयन बमउ कछु सॊसम नाहीॊ।।
अॊगद फचन सुनत कवऩ फीया। फोसर न सककहॊ नमन फह नीया।।
छन एक सोच भगन होइ यहे । ऩुसन अस वचन कहत सफ बए।।
हभ सीता कै सुसध सरन्हईऄ वफना। नकहॊ जईआहईआ जुफयाज प्रफीना।।

283
अस ककह रवन ससॊधु तट जाई। फैठे कवऩ सफ दबा डसाई।।
जाभवॊत अॊगद दि
ु दे िी। ककहॊ कथा उऩदे स वफसेषी।।
तात याभ कहुॉ नय जसन भानहु। सनगुन
ा ब्रम्ह अष्जत अज जानहु।।
दो0-सनज इछछा प्रबु अवतयइ सुय भकह गो कद्वज रासग।
सगुन उऩासक सॊग तहॉ यहकहॊ भोछछ सफ त्मासग।।26।।
–*–*–
एकह वफसध कथा कहकह फहु बाॉती सगरय कॊदयाॉ सुनी सॊऩाती।।
फाहे य होइ दे ष्ि फहु कीसा। भोकह अहाय दीन्ह जगदीसा।।
आजु सफकह कहॉ बछछन कयऊॉ। कदन फहु चरे अहाय वफनु भयऊॉ।।
कफहुॉ न सभर बरय उदय अहाया। आजु दीन्ह वफसध एककहॊ फाया।।
डयऩे गीध फचन सुसन काना। अफ बा भयन सत्म हभ जाना।।
कवऩ सफ उठे गीध कहॉ दे िी। जाभवॊत भन सोच वफसेषी।।
कह अॊगद वफचारय भन भाहीॊ। धन्म जटामू सभ कोउ नाहीॊ।।
याभ काज कायन तनु त्मागी । हरय ऩुय गमउ ऩयभ फड़ बागी।।
सुसन िग हयष सोक जुत फानी । आवा सनकट कवऩन्ह बम भानी।।
सतन्हकह अबम करय ऩूछेसस जाई। कथा सकर सतन्ह ताकह सुनाई।।
सुसन सॊऩासत फॊधु कै कयनी। यघुऩसत भकहभा फधुवफसध फयनी।।
दो0- भोकह रै जाहु ससॊधुतट दे उॉ सतराॊजसर ताकह ।
फचन सहाइ कयवव भईआ ऩैहहु िोजहु जाकह ।।27।।
–*–*–
अनुज कक्रमा करय सागय तीया। ककह सनज कथा सुनहु कवऩ फीया।।
हभ द्वौ फॊधु प्रथभ तरुनाई । गगन गए यवफ सनकट उडाई।।
तेज न सकह सक सो कपरय आवा । भै असबभानी यवफ सनअयावा ।।
जये ऩॊि असत तेज अऩाया । ऩये उॉ बूसभ करय घोय सचकाया ।।
भुसन एक नाभ चॊरभा ओही। रागी दमा दे िी करय भोही।।
फहु प्रकाय तईऄकह ग्मान सुनावा । दे कह जसनत असबभानी छड़ावा ।।
त्रेताॉ ब्रह्म भनुज तनु धरयही। तासु नारय सनससचय ऩसत हरयही।।
तासु िोज ऩठइकह प्रबू दत
ू ा। सतन्हकह सभरईऄ तईआ होफ ऩुनीता।।
जसभहकहॊ ऩॊि कयसस जसन सचॊता । सतन्हकह दे िाइ दे हेसु तईआ सीता।।
भुसन कइ सगया सत्म बइ आजू । सुसन भभ फचन कयहु प्रबु काजू।।
सगरय वत्रकूट ऊऩय फस रॊका । तहॉ यह यावन सहज असॊका ।।
तहॉ असोक उऩफन जहॉ यहई ।। सीता फैकठ सोच यत अहई।।
दो-भईआ दे िउॉ तुम्ह नाकह गीघकह दवि अऩाय।।

284
फूढ बमउॉ न त कयतेउॉ कछुक सहाम तुम्हाय।।28।।
जो नाघइ सत जोजन सागय । कयइ सो याभ काज भसत आगय ।।
भोकह वफरोकक धयहु भन धीया । याभ कृ ऩाॉ कस बमउ सयीया।।
ऩावऩउ जा कय नाभ सुसभयहीॊ। असत अऩाय बवसागय तयहीॊ।।
तासु दत
ू तुम्ह तष्ज कदयाई। याभ रृदमॉ धरय कयहु उऩाई।।
अस ककह गरुड़ गीध जफ गमऊ। सतन्ह कईऄ भन असत वफसभम बमऊ।।
सनज सनज फर सफ काहूॉ बाषा। ऩाय जाइ कय सॊसम यािा।।
जयठ बमउॉ अफ कहइ रयछे सा। नकहॊ तन यहा प्रथभ फर रेसा।।
जफकहॊ वत्रवफक्रभ बए ियायी। तफ भईआ तरुन यहे उॉ फर बायी।।
दो0-फसर फाॉधत प्रबु फाढे उ सो तनु फयसन न जाई।
उबम धयी भहॉ दीन्ही सात प्रदष्छछन धाइ।।29।।
–*–*–
अॊगद कहइ जाउॉ भईआ ऩाया। ष्जमॉ सॊसम कछु कपयती फाया।।
जाभवॊत कह तुम्ह सफ रामक। ऩठइअ ककसभ सफ ही कय नामक।।
कहइ यीछऩसत सुनु हनुभाना। का चुऩ सासध यहे हु फरवाना।।
ऩवन तनम फर ऩवन सभाना। फुसध वफफेक वफग्मान सनधाना।।
कवन सो काज ककठन जग भाहीॊ। जो नकहॊ होइ तात तुम्ह ऩाहीॊ।।
याभ काज रसग तफ अवताया। सुनतकहॊ बमउ ऩवाताकाया।।
कनक फयन तन तेज वफयाजा। भानहु अऩय सगरयन्ह कय याजा।।
ससॊहनाद करय फायकहॊ फाया। रीरहीॊ नाषउॉ जरसनसध िाया।।
सकहत सहाम यावनकह भायी। आनउॉ इहाॉ वत्रकूट उऩायी।।
जाभवॊत भईआ ऩूॉछउॉ तोही। उसचत ससिावनु दीजहु भोही।।
एतना कयहु तात तुम्ह जाई। सीतकह दे ष्ि कहहु सुसध आई।।
तफ सनज बुज फर याष्जव नैना। कौतुक रासग सॊग कवऩ सेना।।
छॊ 0–कवऩ सेन सॊग सॉघारय सनससचय याभु सीतकह आसनहईआ ।
त्रैरोक ऩावन सुजसु सुय भुसन नायदाकद फिासनहईआ ।।
जो सुनत गावत कहत सभुझत ऩयभ ऩद नय ऩावई।
यघुफीय ऩद ऩाथोज भधुकय दास तुरसी गावई।।
दो0-बव बेषज यघुनाथ जसु सुनकह जे नय अरु नारय।
सतन्ह कय सकर भनोयथ ससद्ध करयकह वत्रससयारय।।30(क)।।
सो0-नीरोत्ऩर तन स्माभ काभ कोकट सोबा असधक।
सुसनअ तासु गुन ग्राभ जासु नाभ अघ िग फसधक।।30(ि)।।

285
भासऩायामण, तेईसवाॉ ववश्राभ
—————-
इसत श्रीभराभचरयतभानसे सकरकसरकरुषववध्वॊसने
चतुथा सोऩान् सभाप्त्।
(ककष्ककन्धाकाण्ड सभाप्त)

~~~~~~~
–*–*–

286
SUNDAR KAND

सुन्दय काण्ड

श्रीजानकीवल्रबो ववजमते
श्रीयाभचरयतभानस
ऩञ्चभ सोऩान
सुन्दयकाण्ड
श्लोक
शान्तॊ शाश्वतभप्रभेमभनघॊ सनवााणशाष्न्तप्रदॊ
ब्रह्माशम्बुपणीन्रसेव्मभसनशॊ वेदान्तवेयॊ ववबुभ ् ।
याभाख्मॊ जगदीश्वयॊ सुयगुरुॊ भामाभनुकमॊ हरयॊ
वन्दे ऽहॊ करुणाकयॊ यघुवयॊ बूऩारचूड़ाभष्णभ ्।।1।।
नान्मा स्ऩृहा यघुऩते रृदमेऽस्भदीमे
सत्मॊ वदासभ च बवानष्िरान्तयात्भा।
बविॊ प्रमछछ यघुऩुङ्गव सनबायाॊ भे
काभाकददोषयकहतॊ कुरु भानसॊ च।।2।।
अतुसरतफरधाभॊ हे भशैराबदे हॊ
दनुजवनकृ शानुॊ ऻासननाभग्रगण्मभ ्।
सकरगुणसनधानॊ वानयाणाभधीशॊ
यघुऩसतवप्रमबिॊ वातजातॊ नभासभ।।3।।
जाभवॊत के फचन सुहाए। सुसन हनुभॊत रृदम असत बाए।।
तफ रसग भोकह ऩरयिेहु तुम्ह बाई। सकह दि
ु कॊद भूर पर िाई।।
जफ रसग आवं सीतकह दे िी। होइकह काजु भोकह हयष वफसेषी।।
मह ककह नाइ सफष्न्ह कहुॉ भाथा। चरेउ हयवष कहमॉ धरय यघुनाथा।।
ससॊधु तीय एक बूधय सुॊदय। कौतुक कूकद चढ़े उ ता ऊऩय।।
फाय फाय यघुफीय सॉबायी। तयकेउ ऩवनतनम फर बायी।।
जेकहॊ सगरय चयन दे इ हनुभॊता। चरेउ सो गा ऩातार तुयॊता।।
ष्जसभ अभोघ यघुऩसत कय फाना। एही बाॉसत चरेउ हनुभाना।।
जरसनसध यघुऩसत दत
ू वफचायी। तईआ भैनाक होकह श्रभहायी।।
दो0- हनूभान तेकह ऩयसा कय ऩुसन कीन्ह प्रनाभ।
याभ काजु कीन्हईऄ वफनु भोकह कहाॉ वफश्राभ।।1।।
–*–*–

287
जात ऩवनसुत दे वन्ह दे िा। जानईआ कहुॉ फर फुवद्ध वफसेषा।।
सुयसा नाभ अकहन्ह कै भाता। ऩठइष्न्ह आइ कही तेकहॊ फाता।।
आजु सुयन्ह भोकह दीन्ह अहाया। सुनत फचन कह ऩवनकुभाया।।
याभ काजु करय कपरय भईआ आवं। सीता कइ सुसध प्रबुकह सुनावं।।
तफ तव फदन ऩैकठहउॉ आई। सत्म कहउॉ भोकह जान दे भाई।।
कफनेहुॉ जतन दे इ नकहॊ जाना। ग्रससस न भोकह कहे उ हनुभाना।।
जोजन बरय तेकहॊ फदनु ऩसाया। कवऩ तनु कीन्ह दग
ु ुन वफस्ताया।।
सोयह जोजन भुि तेकहॊ ठमऊ। तुयत ऩवनसुत फवत्तस बमऊ।।
जस जस सुयसा फदनु फढ़ावा। तासु दन
ू कवऩ रूऩ दे िावा।।
सत जोजन तेकहॊ आनन कीन्हा। असत रघु रूऩ ऩवनसुत रीन्हा।।
फदन ऩइकठ ऩुसन फाहे य आवा। भागा वफदा ताकह ससरु नावा।।
भोकह सुयन्ह जेकह रासग ऩठावा। फुसध फर भयभु तोय भै ऩावा।।
दो0-याभ काजु सफु करयहहु तुम्ह फर फुवद्ध सनधान।
आससष दे ह गई सो हयवष चरेउ हनुभान।।2।।
–*–*–
सनससचरय एक ससॊधु भहुॉ यहई। करय भामा नबु के िग गहई।।
जीव जॊतु जे गगन उड़ाहीॊ। जर वफरोकक सतन्ह कै ऩरयछाहीॊ।।
गहइ छाहॉ सक सो न उड़ाई। एकह वफसध सदा गगनचय िाई।।
सोइ छर हनूभान कहॉ कीन्हा। तासु कऩटु कवऩ तुयतकहॊ चीन्हा।।
ताकह भारय भारुतसुत फीया। फारयसध ऩाय गमउ भसतधीया।।
तहाॉ जाइ दे िी फन सोबा। गुॊजत चॊचयीक भधु रोबा।।
नाना तरु पर पूर सुहाए। िग भृग फृॊद दे ष्ि भन बाए।।
सैर वफसार दे ष्ि एक आगईऄ। ता ऩय धाइ चढे उ बम त्मागईऄ।।
उभा न कछु कवऩ कै असधकाई। प्रबु प्रताऩ जो कारकह िाई।।
सगरय ऩय चकढ रॊका तेकहॊ दे िी। ककह न जाइ असत दग
ु ा वफसेषी।।
असत उतॊग जरसनसध चहु ऩासा। कनक कोट कय ऩयभ प्रकासा।।
छॊ =कनक कोट वफसचत्र भसन कृ त सुॊदयामतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुफट्ट फीथीॊ चारु ऩुय फहु वफसध फना।।
गज फाष्ज िछचय सनकय ऩदचय यथ फरूसथन्ह को गनै।।
फहुरूऩ सनससचय जूथ असतफर सेन फयनत नकहॊ फनै।।1।।
फन फाग उऩफन फाकटका सय कूऩ फाऩीॊ सोहहीॊ।
नय नाग सुय गॊधफा कन्मा रूऩ भुसन भन भोहहीॊ।।

288
कहुॉ भार दे ह वफसार सैर सभान असतफर गजाहीॊ।
नाना अिाये न्ह सबयकहॊ फहु वफसध एक एकन्ह तजाहीॊ।।2।।
करय जतन बट कोकटन्ह वफकट तन नगय चहुॉ कदसस यछछहीॊ।
कहुॉ भकहष भानषु धेनु िय अज िर सनसाचय बछछहीॊ।।
एकह रासग तुरसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
यघुफीय सय तीयथ सयीयष्न्ह त्मासग गसत ऩैहकहॊ सही।।3।।
दो0-ऩुय यिवाये दे ष्ि फहु कवऩ भन कीन्ह वफचाय।
असत रघु रूऩ धयं सनसस नगय कयं ऩइसाय।।3।।
–*–*–
भसक सभान रूऩ कवऩ धयी। रॊककह चरेउ सुसभरय नयहयी।।
नाभ रॊककनी एक सनससचयी। सो कह चरेसस भोकह सनॊदयी।।
जानेकह नहीॊ भयभु सठ भोया। भोय अहाय जहाॉ रसग चोया।।
भुकठका एक भहा कवऩ हनी। रुसधय फभत धयनीॊ ढनभनी।।
ऩुसन सॊबारय उकठ सो रॊका। जोरय ऩासन कय वफनम सॊसका।।
जफ यावनकह ब्रह्म फय दीन्हा। चरत वफयॊ सच कहा भोकह चीन्हा।।
वफकर होसस तईआ कवऩ कईऄ भाये । तफ जानेसु सनससचय सॊघाये ।।
तात भोय असत ऩुन्म फहूता। दे िेउॉ नमन याभ कय दत
ू ा।।
दो0-तात स्वगा अऩफगा सुि धरयअ तुरा एक अॊग।
तूर न ताकह सकर सभसर जो सुि रव सतसॊग।।4।।
–*–*–
प्रवफसस नगय कीजे सफ काजा। रृदमॉ याष्ि कौसरऩुय याजा।।
गयर सुधा रयऩु कयकहॊ सभताई। गोऩद ससॊधु अनर ससतराई।।
गरुड़ सुभेरु ये नू सभ ताही। याभ कृ ऩा करय सचतवा जाही।।
असत रघु रूऩ धये उ हनुभाना। ऩैठा नगय सुसभरय बगवाना।।
भॊकदय भॊकदय प्रसत करय सोधा। दे िे जहॉ तहॉ अगसनत जोधा।।
गमउ दसानन भॊकदय भाहीॊ। असत वफसचत्र ककह जात सो नाहीॊ।।
समन ककए दे िा कवऩ तेही। भॊकदय भहुॉ न दीष्ि फैदेही।।
बवन एक ऩुसन दीि सुहावा। हरय भॊकदय तहॉ सबन्न फनावा।।
दो0-याभामुध अॊककत गृह सोबा फयसन न जाइ।
नव तुरससका फृॊद तहॉ दे ष्ि हयवष कवऩयाइ।।5।।
–*–*–
रॊका सनससचय सनकय सनवासा। इहाॉ कहाॉ सज्जन कय फासा।।
भन भहुॉ तयक कयै कवऩ रागा। तेहीॊ सभम वफबीषनु जागा।।

289
याभ याभ तेकहॊ सुसभयन कीन्हा। रृदमॉ हयष कवऩ सज्जन चीन्हा।।
एकह सन हकठ करयहउॉ ऩकहचानी। साधु ते होइ न कायज हानी।।
वफप्र रुऩ धरय फचन सुनाए। सुनत वफबीषण उकठ तहॉ आए।।
करय प्रनाभ ऩूॉछी कुसराई। वफप्र कहहु सनज कथा फुझाई।।
की तुम्ह हरय दासन्ह भहॉ कोई। भोयईऄ रृदम प्रीसत असत होई।।
की तुम्ह याभु दीन अनुयागी। आमहु भोकह कयन फड़बागी।।
दो0-तफ हनुभॊत कही सफ याभ कथा सनज नाभ।
सुनत जुगर तन ऩुरक भन भगन सुसभरय गुन ग्राभ।।6।।
–*–*–
सुनहु ऩवनसुत यहसन हभायी। ष्जसभ दसनष्न्ह भहुॉ जीब वफचायी।।
तात कफहुॉ भोकह जासन अनाथा। करयहकहॊ कृ ऩा बानुकुर नाथा।।
ताभस तनु कछु साधन नाहीॊ। प्रीसत न ऩद सयोज भन भाहीॊ।।
अफ भोकह बा बयोस हनुभॊता। वफनु हरयकृ ऩा सभरकहॊ नकहॊ सॊता।।
जौ यघुफीय अनुग्रह कीन्हा। तौ तुम्ह भोकह दयसु हकठ दीन्हा।।
सुनहु वफबीषन प्रबु कै यीती। कयकहॊ सदा सेवक ऩय प्रीती।।
कहहु कवन भईआ ऩयभ कुरीना। कवऩ चॊचर सफहीॊ वफसध हीना।।
प्रात रेइ जो नाभ हभाया। तेकह कदन ताकह न सभरै अहाया।।
दो0-अस भईआ अधभ सिा सुनु भोहू ऩय यघुफीय।
कीन्ही कृ ऩा सुसभरय गुन बये वफरोचन नीय।।7।।
–*–*–
जानतहूॉ अस स्वासभ वफसायी। कपयकहॊ ते काहे न होकहॊ दि
ु ायी।।
एकह वफसध कहत याभ गुन ग्राभा। ऩावा असनफााछम वफश्राभा।।
ऩुसन सफ कथा वफबीषन कही। जेकह वफसध जनकसुता तहॉ यही।।
तफ हनुभॊत कहा सुनु र्भ्ाता। दे िी चहउॉ जानकी भाता।।
जुगुसत वफबीषन सकर सुनाई। चरेउ ऩवनसुत वफदा कयाई।।
करय सोइ रूऩ गमउ ऩुसन तहवाॉ। फन असोक सीता यह जहवाॉ।।
दे ष्ि भनकह भहुॉ कीन्ह प्रनाभा। फैठेकहॊ फीसत जात सनसस जाभा।।
कृ स तन सीस जटा एक फेनी। जऩसत रृदमॉ यघुऩसत गुन श्रेनी।।
दो0-सनज ऩद नमन कदएॉ भन याभ ऩद कभर रीन।
ऩयभ दिु ी बा ऩवनसुत दे ष्ि जानकी दीन।।8।।
–*–*–
तरु ऩल्रव भहुॉ यहा रुकाई। कयइ वफचाय कयं का बाई।।
तेकह अवसय यावनु तहॉ आवा। सॊग नारय फहु ककएॉ फनावा।।

290
फहु वफसध िर सीतकह सभुझावा। साभ दान बम बेद दे िावा।।
कह यावनु सुनु सुभुष्ि समानी। भॊदोदयी आकद सफ यानी।।
तव अनुचयीॊ कयउॉ ऩन भोया। एक फाय वफरोकु भभ ओया।।
तृन धरय ओट कहसत फैदेही। सुसभरय अवधऩसत ऩयभ सनेही।।
सुनु दसभुि ियोत प्रकासा। कफहुॉ कक नसरनी कयइ वफकासा।।
अस भन सभुझु कहसत जानकी। िर सुसध नकहॊ यघुफीय फान की।।
सठ सूने हरय आनेकह भोकह। अधभ सनरज्ज राज नकहॊ तोही।।
दो0- आऩुकह सुसन ियोत सभ याभकह बानु सभान।
ऩरुष फचन सुसन काकढ़ असस फोरा असत ष्िससआन।।9।।
–*–*–
सीता तईआ भभ कृ त अऩभाना। ककटहउॉ तव ससय ककठन कृ ऩाना।।
नाकहॊ त सऩकद भानु भभ फानी। सुभुष्ि होसत न त जीवन हानी।।
स्माभ सयोज दाभ सभ सुॊदय। प्रबु बुज करय कय सभ दसकॊधय।।
सो बुज कॊठ कक तव असस घोया। सुनु सठ अस प्रवान ऩन भोया।।
चॊरहास हरु भभ ऩरयताऩॊ। यघुऩसत वफयह अनर सॊजातॊ।।
सीतर सनससत फहसस फय धाया। कह सीता हरु भभ दि
ु बाया।।
सुनत फचन ऩुसन भायन धावा। भमतनमाॉ ककह नीसत फुझावा।।
कहे सस सकर सनससचरयन्ह फोराई। सीतकह फहु वफसध त्रासहु जाई।।
भास कदवस भहुॉ कहा न भाना। तौ भईआ भायवफ काकढ़ कृ ऩाना।।
दो0-बवन गमउ दसकॊधय इहाॉ वऩसासचसन फृॊद।
सीतकह त्रास दे िावकह धयकहॊ रूऩ फहु भॊद।।10।।
–*–*–
वत्रजटा नाभ याछछसी एका। याभ चयन यसत सनऩुन वफफेका।।
सफन्हौ फोसर सुनाएसस सऩना। सीतकह सेइ कयहु कहत अऩना।।
सऩनईऄ फानय रॊका जायी। जातुधान सेना सफ भायी।।
िय आरूढ़ नगन दससीसा। भुॊकडत ससय िॊकडत बुज फीसा।।
एकह वफसध सो दष्छछन कदसस जाई। रॊका भनहुॉ वफबीषन ऩाई।।
नगय कपयी यघुफीय दोहाई। तफ प्रबु सीता फोसर ऩठाई।।
मह सऩना भईऄ कहउॉ ऩुकायी। होइकह सत्म गएॉ कदन चायी।।
तासु फचन सुसन ते सफ डयीॊ। जनकसुता के चयनष्न्ह ऩयीॊ।।
दो0-जहॉ तहॉ गईं सकर तफ सीता कय भन सोच।
भास कदवस फीतईऄ भोकह भारयकह सनससचय ऩोच।।11।।
–*–*–

291
वत्रजटा सन फोरी कय जोयी। भातु वफऩसत सॊसगसन तईआ भोयी।।
तजं दे ह करु फेसग उऩाई। दस
ु हु वफयहु अफ नकहॊ सकह जाई।।
आसन काठ यचु सचता फनाई। भातु अनर ऩुसन दे कह रगाई।।
सत्म कयकह भभ प्रीसत समानी। सुनै को श्रवन सूर सभ फानी।।
सुनत फचन ऩद गकह सभुझाएसस। प्रबु प्रताऩ फर सुजसु सुनाएसस।।
सनसस न अनर सभर सुनु सुकुभायी। अस ककह सो सनज बवन ससधायी।।
कह सीता वफसध बा प्रसतकूरा। सभरकह न ऩावक सभकटकह न सूरा।।
दे ष्िअत प्रगट गगन अॊगाया। अवसन न आवत एकउ ताया।।
ऩावकभम ससस स्त्रवत न आगी। भानहुॉ भोकह जासन हतबागी।।
सुनकह वफनम भभ वफटऩ असोका। सत्म नाभ करु हरु भभ सोका।।
नूतन ककसरम अनर सभाना। दे कह असगसन जसन कयकह सनदाना।।
दे ष्ि ऩयभ वफयहाकुर सीता। सो छन कवऩकह करऩ सभ फीता।।
सो0-कवऩ करय रृदमॉ वफचाय दीष्न्ह भुकरका डायी तफ।
जनु असोक अॊगाय दीष्न्ह हयवष उकठ कय गहे उ।।12।।
तफ दे िी भुकरका भनोहय। याभ नाभ अॊककत असत सुॊदय।।
चककत सचतव भुदयी ऩकहचानी। हयष वफषाद रृदमॉ अकुरानी।।
जीसत को सकइ अजम यघुयाई। भामा तईऄ असस यसच नकहॊ जाई।।
सीता भन वफचाय कय नाना। भधुय फचन फोरेउ हनुभाना।।
याभचॊर गुन फयनईआ रागा। सुनतकहॊ सीता कय दि
ु बागा।।
रागीॊ सुनईआ श्रवन भन राई। आकदहु तईऄ सफ कथा सुनाई।।
श्रवनाभृत जेकहॊ कथा सुहाई। ककह सो प्रगट होसत ककन बाई।।
तफ हनुभॊत सनकट चसर गमऊ। कपरय फईआठीॊ भन वफसभम बमऊ।।
याभ दत
ू भईआ भातु जानकी। सत्म सऩथ करुनासनधान की।।
मह भुकरका भातु भईआ आनी। दीष्न्ह याभ तुम्ह कहॉ सकहदानी।।
नय फानयकह सॊग कहु कैसईऄ। ककह कथा बइ सॊगसत जैसईऄ।।
दो0-कवऩ के फचन सप्रेभ सुसन उऩजा भन वफस्वास।।
जाना भन क्रभ फचन मह कृ ऩाससॊधु कय दास।।13।।
–*–*–
हरयजन जासन प्रीसत असत गाढ़ी। सजर नमन ऩुरकावसर फाढ़ी।।
फूड़त वफयह जरसध हनुभाना। बमउ तात भं कहुॉ जरजाना।।
अफ कहु कुसर जाउॉ फसरहायी। अनुज सकहत सुि बवन ियायी।।
कोभरसचत कृ ऩार यघुयाई। कवऩ केकह हे तु धयी सनठु याई।।

292
सहज फासन सेवक सुि दामक। कफहुॉक सुयसत कयत यघुनामक।।
कफहुॉ नमन भभ सीतर ताता। होइहकह सनयष्ि स्माभ भृद ु गाता।।
फचनु न आव नमन बये फायी। अहह नाथ हं सनऩट वफसायी।।
दे ष्ि ऩयभ वफयहाकुर सीता। फोरा कवऩ भृद ु फचन वफनीता।।
भातु कुसर प्रबु अनुज सभेता। तव दि
ु दि
ु ी सुकृऩा सनकेता।।
जसन जननी भानहु ष्जमॉ ऊना। तुम्ह ते प्रेभु याभ कईऄ दन
ू ा।।
दो0-यघुऩसत कय सॊदेसु अफ सुनु जननी धरय धीय।
अस ककह कवऩ गद गद बमउ बये वफरोचन नीय।।14।।
–*–*–
कहे उ याभ वफमोग तव सीता। भो कहुॉ सकर बए वफऩयीता।।
नव तरु ककसरम भनहुॉ कृ सानू। कारसनसा सभ सनसस ससस बानू।।
कुफरम वफवऩन कुॊत फन सरयसा। फारयद तऩत तेर जनु फरयसा।।
जे कहत यहे कयत तेइ ऩीया। उयग स्वास सभ वत्रवफध सभीया।।
कहे हू तईऄ कछु दि
ु घकट होई। काकह कहं मह जान न कोई।।
तत्व प्रेभ कय भभ अरु तोया। जानत वप्रमा एकु भनु भोया।।
सो भनु सदा यहत तोकह ऩाहीॊ। जानु प्रीसत यसु एतेनकह भाहीॊ।।
प्रबु सॊदेसु सुनत फैदेही। भगन प्रेभ तन सुसध नकहॊ तेही।।
कह कवऩ रृदमॉ धीय धरु भाता। सुसभरु याभ सेवक सुिदाता।।
उय आनहु यघुऩसत प्रबुताई। सुसन भभ फचन तजहु कदयाई।।
दो0-सनससचय सनकय ऩतॊग सभ यघुऩसत फान कृ सानु।
जननी रृदमॉ धीय धरु जये सनसाचय जानु।।15।।
–*–*–
जं यघुफीय होसत सुसध ऩाई। कयते नकहॊ वफरॊफु यघुयाई।।
याभफान यवफ उएॉ जानकी। तभ फरूथ कहॉ जातुधान की।।
अफकहॊ भातु भईआ जाउॉ रवाई। प्रबु आमसु नकहॊ याभ दोहाई।।
कछुक कदवस जननी धरु धीया। कवऩन्ह सकहत अइहकहॊ यघुफीया।।
सनससचय भारय तोकह रै जैहकहॊ । सतहुॉ ऩुय नायदाकद जसु गैहकहॊ ।।
हईआ सुत कवऩ सफ तुम्हकह सभाना। जातुधान असत बट फरवाना।।
भोयईऄ रृदम ऩयभ सॊदेहा। सुसन कवऩ प्रगट कीन्ह सनज दे हा।।
कनक बूधयाकाय सयीया। सभय बमॊकय असतफर फीया।।
सीता भन बयोस तफ बमऊ। ऩुसन रघु रूऩ ऩवनसुत रमऊ।।
दो0-सुनु भाता सािाभृग नकहॊ फर फुवद्ध वफसार।
प्रबु प्रताऩ तईऄ गरुड़कह िाइ ऩयभ रघु ब्मार।।16।।

293
–*–*–
भन सॊतोष सुनत कवऩ फानी। बगसत प्रताऩ तेज फर सानी।।
आससष दीष्न्ह याभवप्रम जाना। होहु तात फर सीर सनधाना।।
अजय अभय गुनसनसध सुत होहू। कयहुॉ फहुत यघुनामक छोहू।।
कयहुॉ कृ ऩा प्रबु अस सुसन काना। सनबाय प्रेभ भगन हनुभाना।।
फाय फाय नाएसस ऩद सीसा। फोरा फचन जोरय कय कीसा।।
अफ कृ तकृ त्म बमउॉ भईआ भाता। आससष तव अभोघ वफख्माता।।
सुनहु भातु भोकह असतसम बूिा। रासग दे ष्ि सुॊदय पर रूिा।।
सुनु सुत कयकहॊ वफवऩन यिवायी। ऩयभ सुबट यजनीचय बायी।।
सतन्ह कय बम भाता भोकह नाहीॊ। जं तुम्ह सुि भानहु भन भाहीॊ।।
दो0-दे ष्ि फुवद्ध फर सनऩुन कवऩ कहे उ जानकीॊ जाहु।
यघुऩसत चयन रृदमॉ धरय तात भधुय पर िाहु।।17।।
–*–*–
चरेउ नाइ ससरु ऩैठेउ फागा। पर िाएसस तरु तोयईआ रागा।।
यहे तहाॉ फहु बट यिवाये । कछु भाये सस कछु जाइ ऩुकाये ।।
नाथ एक आवा कवऩ बायी। तेकहॊ असोक फाकटका उजायी।।
िाएसस पर अरु वफटऩ उऩाये । यछछक भकदा भकदा भकह डाये ।।
सुसन यावन ऩठए बट नाना। सतन्हकह दे ष्ि गजेउ हनुभाना।।
सफ यजनीचय कवऩ सॊघाये । गए ऩुकायत कछु अधभाये ।।
ऩुसन ऩठमउ तेकहॊ अछछकुभाया। चरा सॊग रै सुबट अऩाया।।
आवत दे ष्ि वफटऩ गकह तजाा। ताकह सनऩासत भहाधुसन गजाा।।
दो0-कछु भाये सस कछु भदे सस कछु सभरएसस धरय धूरय।
कछु ऩुसन जाइ ऩुकाये प्रबु भकाट फर बूरय।।18।।
–*–*–
सुसन सुत फध रॊकेस रयसाना। ऩठएसस भेघनाद फरवाना।।
भायसस जसन सुत फाॊधेसु ताही। दे ष्िअ कवऩकह कहाॉ कय आही।।
चरा इॊ रष्जत अतुसरत जोधा। फॊधु सनधन सुसन उऩजा क्रोधा।।
कवऩ दे िा दारुन बट आवा। कटकटाइ गजाा अरु धावा।।
असत वफसार तरु एक उऩाया। वफयथ कीन्ह रॊकेस कुभाया।।
यहे भहाबट ताके सॊगा। गकह गकह कवऩ भदा इ सनज अॊगा।।
सतन्हकह सनऩासत ताकह सन फाजा। सबये जुगर भानहुॉ गजयाजा।
भुकठका भारय चढ़ा तरु जाई। ताकह एक छन भुरुछा आई।।
उकठ फहोरय कीष्न्हसस फहु भामा। जीसत न जाइ प्रबॊजन जामा।।

294
दो0-ब्रह्म अस्त्र तेकहॊ साॉधा कवऩ भन कीन्ह वफचाय।
जं न ब्रह्मसय भानउॉ भकहभा सभटइ अऩाय।।19।।
–*–*–
ब्रह्मफान कवऩ कहुॉ तेकह भाया। ऩयसतहुॉ फाय कटकु सॊघाया।।
तेकह दे िा कवऩ भुरुसछत बमऊ। नागऩास फाॉधेसस रै गमऊ।।
जासु नाभ जवऩ सुनहु बवानी। बव फॊधन काटकहॊ नय ग्मानी।।
तासु दत
ू कक फॊध तरु आवा। प्रबु कायज रसग कवऩकहॊ फॉधावा।।
कवऩ फॊधन सुसन सनससचय धाए। कौतुक रासग सबाॉ सफ आए।।
दसभुि सबा दीष्ि कवऩ जाई। ककह न जाइ कछु असत प्रबुताई।।
कय जोयईऄ सुय कदससऩ वफनीता। बृकुकट वफरोकत सकर सबीता।।
दे ष्ि प्रताऩ न कवऩ भन सॊका। ष्जसभ अकहगन भहुॉ गरुड़ असॊका।।
दो0-कवऩकह वफरोकक दसानन वफहसा ककह दफ
ु ााद।
सुत फध सुयसत कीष्न्ह ऩुसन उऩजा रृदमॉ वफषाद।।20।।
–*–*–
कह रॊकेस कवन तईआ कीसा। केकहॊ के फर घारेकह फन िीसा।।
की धं श्रवन सुनेकह नकहॊ भोही। दे िउॉ असत असॊक सठ तोही।।
भाये सनससचय केकहॊ अऩयाधा। कहु सठ तोकह न प्रान कइ फाधा।।
सुन यावन ब्रह्माॊड सनकामा। ऩाइ जासु फर वफयसचत भामा।।
जाकईऄ फर वफयॊ सच हरय ईसा। ऩारत सृजत हयत दससीसा।
जा फर सीस धयत सहसानन। अॊडकोस सभेत सगरय कानन।।
धयइ जो वफवफध दे ह सुयत्राता। तुम्ह ते सठन्ह ससिावनु दाता।
हय कोदॊ ड ककठन जेकह बॊजा। तेकह सभेत नृऩ दर भद गॊजा।।
िय दष
ू न वत्रससया अरु फारी। फधे सकर अतुसरत फरसारी।।
दो0-जाके फर रवरेस तईऄ ष्जतेहु चयाचय झारय।
तासु दत ू भईआ जा करय हरय आनेहु वप्रम नारय।।21।।
–*–*–
जानउॉ भईआ तुम्हारय प्रबुताई। सहसफाहु सन ऩयी रयाई।।
सभय फासर सन करय जसु ऩावा। सुसन कवऩ फचन वफहसस वफहयावा।।
िामउॉ पर प्रबु रागी बूॉिा। कवऩ सुबाव तईऄ तोये उॉ रूिा।।
सफ कईऄ दे ह ऩयभ वप्रम स्वाभी। भायकहॊ भोकह कुभायग गाभी।।
ष्जन्ह भोकह भाया ते भईआ भाये । तेकह ऩय फाॉधेउ तनमॉ तुम्हाये ।।
भोकह न कछु फाॉधे कइ राजा। कीन्ह चहउॉ सनज प्रबु कय काजा।।
वफनती कयउॉ जोरय कय यावन। सुनहु भान तष्ज भोय ससिावन।।

295
दे िहु तुम्ह सनज कुरकह वफचायी। र्भ्भ तष्ज बजहु बगत बम हायी।।
जाकईऄ डय असत कार डे याई। जो सुय असुय चयाचय िाई।।
तासं फमरु कफहुॉ नकहॊ कीजै। भोये कहईऄ जानकी दीजै।।
दो0-प्रनतऩार यघुनामक करुना ससॊधु ियारय।
गएॉ सयन प्रबु याष्िहईआ तव अऩयाध वफसारय।।22।।
–*–*–
याभ चयन ऩॊकज उय धयहू। रॊका अचर याज तुम्ह कयहू।।
रयवष ऩुसरस्त जसु वफभर भॊमका। तेकह ससस भहुॉ जसन होहु करॊका।।
याभ नाभ वफनु सगया न सोहा। दे िु वफचारय त्मासग भद भोहा।।
फसन हीन नकहॊ सोह सुयायी। सफ बूषण बूवषत फय नायी।।
याभ वफभुि सॊऩसत प्रबुताई। जाइ यही ऩाई वफनु ऩाई।।
सजर भूर ष्जन्ह सरयतन्ह नाहीॊ। फयवष गए ऩुसन तफकहॊ सुिाहीॊ।।
सुनु दसकॊठ कहउॉ ऩन योऩी। वफभुि याभ त्राता नकहॊ कोऩी।।
सॊकय सहस वफकनु अज तोही। सककहॊ न याष्ि याभ कय रोही।।
दो0-भोहभूर फहु सूर प्रद त्मागहु तभ असबभान।
बजहु याभ यघुनामक कृ ऩा ससॊधु बगवान।।23।।
–*–*–
जदवऩ ककह कवऩ असत कहत फानी। बगसत वफफेक वफयसत नम सानी।।
फोरा वफहसस भहा असबभानी। सभरा हभकह कवऩ गुय फड़ ग्मानी।।
भृत्मु सनकट आई िर तोही। रागेसस अधभ ससिावन भोही।।
उरटा होइकह कह हनुभाना। भसतर्भ्भ तोय प्रगट भईआ जाना।।
सुसन कवऩ फचन फहुत ष्िससआना। फेसग न हयहुॉ भूढ़ कय प्राना।।
सुनत सनसाचय भायन धाए। ससचवन्ह सकहत वफबीषनु आए।
नाइ सीस करय वफनम फहूता। नीसत वफयोध न भारयअ दत
ू ा।।
आन दॊ ड कछु करयअ गोसाॉई। सफहीॊ कहा भॊत्र बर बाई।।
सुनत वफहसस फोरा दसकॊधय। अॊग बॊग करय ऩठइअ फॊदय।।
दो-कवऩ कईऄ भभता ऩूॉछ ऩय सफकह कहउॉ सभुझाइ।
तेर फोरय ऩट फाॉसध ऩुसन ऩावक दे हु रगाइ।।24।।
ऩूॉछहीन फानय तहॉ जाइकह। तफ सठ सनज नाथकह रइ आइकह।।
ष्जन्ह कै कीन्हसस फहुत फड़ाई। दे िेउॉûभईआ सतन्ह कै प्रबुताई।।
फचन सुनत कवऩ भन भुसुकाना। बइ सहाम सायद भईआ जाना।।
जातुधान सुसन यावन फचना। रागे यचईआ भूढ़ सोइ यचना।।
यहा न नगय फसन घृत तेरा। फाढ़ी ऩूॉछ कीन्ह कवऩ िेरा।।

296
कौतुक कहॉ आए ऩुयफासी। भायकहॊ चयन कयकहॊ फहु हाॉसी।।
फाजकहॊ ढोर दे कहॊ सफ तायी। नगय पेरय ऩुसन ऩूॉछ प्रजायी।।
ऩावक जयत दे ष्ि हनुभॊता। बमउ ऩयभ रघु रुऩ तुयॊता।।
सनफुकक चढ़े उ कवऩ कनक अटायीॊ। बई सबीत सनसाचय नायीॊ।।
दो0-हरय प्रेरयत तेकह अवसय चरे भरुत उनचास।
अट्टहास करय गजाéाा कवऩ फकढ़ राग अकास।।25।।
–*–*–
दे ह वफसार ऩयभ हरुआई। भॊकदय तईऄ भॊकदय चढ़ धाई।।
जयइ नगय बा रोग वफहारा। झऩट रऩट फहु कोकट कयारा।।
तात भातु हा सुसनअ ऩुकाया। एकह अवसय को हभकह उफाया।।
हभ जो कहा मह कवऩ नकहॊ होई। फानय रूऩ धयईऄ सुय कोई।।
साधु अवग्मा कय परु ऐसा। जयइ नगय अनाथ कय जैसा।।
जाया नगरु सनसभष एक भाहीॊ। एक वफबीषन कय गृह नाहीॊ।।
ता कय दत
ू अनर जेकहॊ ससरयजा। जया न सो तेकह कायन सगरयजा।।
उरकट ऩरकट रॊका सफ जायी। कूकद ऩया ऩुसन ससॊधु भझायी।।
दो0-ऩूॉछ फुझाइ िोइ श्रभ धरय रघु रूऩ फहोरय।
जनकसुता के आगईऄ ठाढ़ बमउ कय जोरय।।26।।
–*–*–
भातु भोकह दीजे कछु चीन्हा। जैसईऄ यघुनामक भोकह दीन्हा।।
चूड़ाभसन उतारय तफ दमऊ। हयष सभेत ऩवनसुत रमऊ।।
कहे हु तात अस भोय प्रनाभा। सफ प्रकाय प्रबु ऩूयनकाभा।।
दीन दमार वफरयद ु सॊबायी। हयहु नाथ भभ सॊकट बायी।।
तात सक्रसुत कथा सुनाएहु। फान प्रताऩ प्रबुकह सभुझाएहु।।
भास कदवस भहुॉ नाथु न आवा। तौ ऩुसन भोकह ष्जअत नकहॊ ऩावा।।
कहु कवऩ केकह वफसध यािं प्राना। तुम्हहू तात कहत अफ जाना।।
तोकह दे ष्ि सीतसर बइ छाती। ऩुसन भो कहुॉ सोइ कदनु सो याती।।
दो0-जनकसुतकह सभुझाइ करय फहु वफसध धीयजु दीन्ह।
चयन कभर ससरु नाइ कवऩ गवनु याभ ऩकहॊ कीन्ह।।27।।
–*–*–
चरत भहाधुसन गजेसस बायी। गबा स्त्रवकहॊ सुसन सनससचय नायी।।
नासघ ससॊधु एकह ऩायकह आवा। सफद ककरककरा कवऩन्ह सुनावा।।
हयषे सफ वफरोकक हनुभाना। नूतन जन्भ कवऩन्ह तफ जाना।।
भुि प्रसन्न तन तेज वफयाजा। कीन्हे सस याभचन्र कय काजा।।

297
सभरे सकर असत बए सुिायी। तरपत भीन ऩाव ष्जसभ फायी।।
चरे हयवष यघुनामक ऩासा। ऩूॉछत कहत नवर इसतहासा।।
तफ भधुफन बीतय सफ आए। अॊगद सॊभत भधु पर िाए।।
यिवाये जफ फयजन रागे। भुवि प्रहाय हनत सफ बागे।।
दो0-जाइ ऩुकाये ते सफ फन उजाय जुफयाज।
सुसन सुग्रीव हयष कवऩ करय आए प्रबु काज।।28।।
–*–*–
जं न होसत सीता सुसध ऩाई। भधुफन के पर सककहॊ कक िाई।।
एकह वफसध भन वफचाय कय याजा। आइ गए कवऩ सकहत सभाजा।।
आइ सफष्न्ह नावा ऩद सीसा। सभरेउ सफष्न्ह असत प्रेभ कऩीसा।।
ऩूॉछी कुसर कुसर ऩद दे िी। याभ कृ ऩाॉ बा काजु वफसेषी।।
नाथ काजु कीन्हे उ हनुभाना। यािे सकर कवऩन्ह के प्राना।।
सुसन सुग्रीव फहुरय तेकह सभरेऊ। कवऩन्ह सकहत यघुऩसत ऩकहॊ चरेऊ।
याभ कवऩन्ह जफ आवत दे िा। ककएॉ काजु भन हयष वफसेषा।।
पकटक ससरा फैठे द्वौ बाई। ऩये सकर कवऩ चयनष्न्ह जाई।।
दो0-प्रीसत सकहत सफ बेटे यघुऩसत करुना ऩुॊज।
ऩूॉछी कुसर नाथ अफ कुसर दे ष्ि ऩद कॊज।।29।।
–*–*–
जाभवॊत कह सुनु यघुयामा। जा ऩय नाथ कयहु तुम्ह दामा।।
ताकह सदा सुब कुसर सनयॊ तय। सुय नय भुसन प्रसन्न ता ऊऩय।।
सोइ वफजई वफनई गुन सागय। तासु सुजसु त्रेरोक उजागय।।
प्रबु कीॊ कृ ऩा बमउ सफु काजू। जन्भ हभाय सुपर बा आजू।।
नाथ ऩवनसुत कीष्न्ह जो कयनी। सहसहुॉ भुि न जाइ सो फयनी।।
ऩवनतनम के चरयत सुहाए। जाभवॊत यघुऩसतकह सुनाए।।
सुनत कृ ऩासनसध भन असत बाए। ऩुसन हनुभान हयवष कहमॉ राए।।
कहहु तात केकह बाॉसत जानकी। यहसत कयसत यछछा स्वप्रान की।।
दो0-नाभ ऩाहरु कदवस सनसस ध्मान तुम्हाय कऩाट।
रोचन सनज ऩद जॊवत्रत जाकहॊ प्रान केकहॊ फाट।।30।।
–*–*–
चरत भोकह चूड़ाभसन दीन्ही। यघुऩसत रृदमॉ राइ सोइ रीन्ही।।
नाथ जुगर रोचन बरय फायी। फचन कहे कछु जनककुभायी।।
अनुज सभेत गहे हु प्रबु चयना। दीन फॊधु प्रनतायसत हयना।।
भन क्रभ फचन चयन अनुयागी। केकह अऩयाध नाथ हं त्मागी।।

298
अवगुन एक भोय भईआ भाना। वफछुयत प्रान न कीन्ह ऩमाना।।
नाथ सो नमनष्न्ह को अऩयाधा। सनसयत प्रान करयकहॊ हकठ फाधा।।
वफयह असगसन तनु तूर सभीया। स्वास जयइ छन भाकहॊ सयीया।।
नमन स्त्रवकह जरु सनज कहत रागी। जयईआ न ऩाव दे ह वफयहागी।
सीता के असत वफऩसत वफसारा। वफनकहॊ कहईऄ बसर दीनदमारा।।
दो0-सनसभष सनसभष करुनासनसध जाकहॊ करऩ सभ फीसत।
फेसग चसरम प्रबु आसनअ बुज फर िर दर जीसत।।31।।
–*–*–
सुसन सीता दिु प्रबु सुि अमना। बरय आए जर याष्जव नमना।।
फचन काॉम भन भभ गसत जाही। सऩनेहुॉ फूष्झअ वफऩसत कक ताही।।
कह हनुभॊत वफऩसत प्रबु सोई। जफ तव सुसभयन बजन न होई।।
केसतक फात प्रबु जातुधान की। रयऩुकह जीसत आसनफी जानकी।।
सुनु कवऩ तोकह सभान उऩकायी। नकहॊ कोउ सुय नय भुसन तनुधायी।।
प्रसत उऩकाय कयं का तोया। सनभुि होइ न सकत भन भोया।।
सुनु सुत उरयन भईआ नाहीॊ। दे िेउॉ करय वफचाय भन भाहीॊ।।
ऩुसन ऩुसन कवऩकह सचतव सुयत्राता। रोचन नीय ऩुरक असत गाता।।
दो0-सुसन प्रबु फचन वफरोकक भुि गात हयवष हनुभॊत।
चयन ऩये उ प्रेभाकुर त्राकह त्राकह बगवॊत।।32।।
–*–*–
फाय फाय प्रबु चहइ उठावा। प्रेभ भगन तेकह उठफ न बावा।।
प्रबु कय ऩॊकज कवऩ कईऄ सीसा। सुसभरय सो दसा भगन गौयीसा।।
सावधान भन करय ऩुसन सॊकय। रागे कहन कथा असत सुॊदय।।
कवऩ उठाइ प्रबु रृदमॉ रगावा। कय गकह ऩयभ सनकट फैठावा।।
कहु कवऩ यावन ऩासरत रॊका। केकह वफसध दहे उ दग
ु ा असत फॊका।।
प्रबु प्रसन्न जाना हनुभाना। फोरा फचन वफगत असबभाना।।
सािाभृग के फकड़ भनुसाई। सािा तईऄ सािा ऩय जाई।।
नासघ ससॊधु हाटकऩुय जाया। सनससचय गन वफसध वफवऩन उजाया।
सो सफ तव प्रताऩ यघुयाई। नाथ न कछू भोरय प्रबुताई।।
दो0- ता कहुॉ प्रबु कछु अगभ नकहॊ जा ऩय तुम्ह अनुकुर।
तफ प्रबावॉ फड़वानरकहॊ जारय सकइ िरु तूर।।33।।
–*–*–
नाथ बगसत असत सुिदामनी। दे हु कृ ऩा करय अनऩामनी।।
सुसन प्रबु ऩयभ सयर कवऩ फानी। एवभस्तु तफ कहे उ बवानी।।

299
उभा याभ सुबाउ जेकहॊ जाना। ताकह बजनु तष्ज बाव न आना।।
मह सॊवाद जासु उय आवा। यघुऩसत चयन बगसत सोइ ऩावा।।
सुसन प्रबु फचन कहकहॊ कवऩफृॊदा। जम जम जम कृ ऩार सुिकॊदा।।
तफ यघुऩसत कवऩऩसतकह फोरावा। कहा चरईआ कय कयहु फनावा।।
अफ वफरॊफु केकह कायन कीजे। तुयत कवऩन्ह कहुॉ आमसु दीजे।।
कौतुक दे ष्ि सुभन फहु फयषी। नब तईऄ बवन चरे सुय हयषी।।
दो0-कवऩऩसत फेसग फोराए आए जूथऩ जूथ।
नाना फयन अतुर फर फानय बारु फरूथ।।34।।
–*–*–
प्रबु ऩद ऩॊकज नावकहॊ सीसा। गयजकहॊ बारु भहाफर कीसा।।
दे िी याभ सकर कवऩ सेना। सचतइ कृ ऩा करय याष्जव नैना।।
याभ कृ ऩा फर ऩाइ कवऩॊदा। बए ऩछछजुत भनहुॉ सगरयॊ दा।।
हयवष याभ तफ कीन्ह ऩमाना। सगुन बए सुॊदय सुब नाना।।
जासु सकर भॊगरभम कीती। तासु ऩमान सगुन मह नीती।।
प्रबु ऩमान जाना फैदेहीॊ। पयकक फाभ अॉग जनु ककह दे हीॊ।।
जोइ जोइ सगुन जानकककह होई। असगुन बमउ यावनकह सोई।।
चरा कटकु को फयनईआ ऩाया। गजाकह फानय बारु अऩाया।।
नि आमुध सगरय ऩादऩधायी। चरे गगन भकह इछछाचायी।।
केहरयनाद बारु कवऩ कयहीॊ। डगभगाकहॊ कदग्गज सचक्कयहीॊ।।
छॊ 0-सचक्कयकहॊ कदग्गज डोर भकह सगरय रोर सागय ियबये ।
भन हयष सब गॊधफा सुय भुसन नाग ककन्नय दि
ु टये ।।
कटकटकहॊ भकाट वफकट बट फहु कोकट कोकटन्ह धावहीॊ।
जम याभ प्रफर प्रताऩ कोसरनाथ गुन गन गावहीॊ।।1।।
सकह सक न बाय उदाय अकहऩसत फाय फायकहॊ भोहई।
गह दसन ऩुसन ऩुसन कभठ ऩृि कठोय सो ककसभ सोहई।।
यघुफीय रुसचय प्रमान प्रष्स्थसत जासन ऩयभ सुहावनी।
जनु कभठ िऩाय सऩायाज सो सरित अवफचर ऩावनी।।2।।
दो0-एकह वफसध जाइ कृ ऩासनसध उतये सागय तीय।
जहॉ तहॉ रागे िान पर बारु वफऩुर कवऩ फीय।।35।।
–*–*–
उहाॉ सनसाचय यहकहॊ ससॊका। जफ ते जारय गमउ कवऩ रॊका।।
सनज सनज गृहॉ सफ कयकहॊ वफचाया। नकहॊ सनससचय कुर केय उफाया।।
जासु दत
ू फर फयसन न जाई। तेकह आएॉ ऩुय कवन बराई।।

300
दत
ू ष्न्ह सन सुसन ऩुयजन फानी। भॊदोदयी असधक अकुरानी।।
यहसस जोरय कय ऩसत ऩग रागी। फोरी फचन नीसत यस ऩागी।।
कॊत कयष हरय सन ऩरयहयहू। भोय कहा असत कहत कहमॉ धयहु।।
सभुझत जासु दत
ू कइ कयनी। स्त्रवहीॊ गबा यजनीचय धयनी।।
तासु नारय सनज ससचव फोराई। ऩठवहु कॊत जो चहहु बराई।।
तफ कुर कभर वफवऩन दि
ु दाई। सीता सीत सनसा सभ आई।।
सुनहु नाथ सीता वफनु दीन्हईऄ । कहत न तुम्हाय सॊबु अज कीन्हईऄ ।।
दो0–याभ फान अकह गन सरयस सनकय सनसाचय बेक।
जफ रसग ग्रसत न तफ रसग जतनु कयहु तष्ज टे क।।36।।
–*–*–
श्रवन सुनी सठ ता करय फानी। वफहसा जगत वफकदत असबभानी।।
सबम सुबाउ नारय कय साचा। भॊगर भहुॉ बम भन असत काचा।।
जं आवइ भकाट कटकाई। ष्जअकहॊ वफचाये सनससचय िाई।।
कॊऩकहॊ रोकऩ जाकी त्रासा। तासु नारय सबीत फकड़ हासा।।
अस ककह वफहसस ताकह उय राई। चरेउ सबाॉ भभता असधकाई।।
भॊदोदयी रृदमॉ कय सचॊता। बमउ कॊत ऩय वफसध वफऩयीता।।
फैठेउ सबाॉ िफरय असस ऩाई। ससॊधु ऩाय सेना सफ आई।।
फूझेसस ससचव उसचत भत कहहू। ते सफ हॉ से भि करय यहहू।।
ष्जतेहु सुयासुय तफ श्रभ नाहीॊ। नय फानय केकह रेिे भाही।।
दो0-ससचव फैद गुय तीसन जं वप्रम फोरकहॊ बम आस।
याज धभा तन तीसन कय होइ फेसगहीॊ नास।।37।।
–*–*–
सोइ यावन कहुॉ फसन सहाई। अस्तुसत कयकहॊ सुनाइ सुनाई।।
अवसय जासन वफबीषनु आवा। र्भ्ाता चयन सीसु तेकहॊ नावा।।
ऩुसन ससरु नाइ फैठ सनज आसन। फोरा फचन ऩाइ अनुसासन।।
जौ कृ ऩार ऩूॉसछहु भोकह फाता। भसत अनुरुऩ कहउॉ कहत ताता।।
जो आऩन चाहै कल्माना। सुजसु सुभसत सुब गसत सुि नाना।।
सो ऩयनारय सरराय गोसाईं। तजउ चउसथ के चॊद कक नाई।।
चौदह बुवन एक ऩसत होई। बूतरोह सतिइ नकहॊ सोई।।
गुन सागय नागय नय जोऊ। अरऩ रोब बर कहइ न कोऊ।।
दो0- काभ क्रोध भद रोब सफ नाथ नयक के ऩॊथ।
सफ ऩरयहरय यघुफीयकह बजहु बजकहॊ जेकह सॊत।।38।।
–*–*–

301
तात याभ नकहॊ नय बूऩारा। बुवनेस्वय कारहु कय कारा।।
ब्रह्म अनाभम अज बगवॊता। ब्माऩक अष्जत अनाकद अनॊता।।
गो कद्वज धेनु दे व कहतकायी। कृ ऩाससॊधु भानुष तनुधायी।।
जन यॊ जन बॊजन िर ब्राता। फेद धभा यछछक सुनु र्भ्ाता।।
ताकह फमरु तष्ज नाइअ भाथा। प्रनतायसत बॊजन यघुनाथा।।
दे हु नाथ प्रबु कहुॉ फैदेही। बजहु याभ वफनु हे तु सनेही।।
सयन गएॉ प्रबु ताहु न त्मागा। वफस्व रोह कृ त अघ जेकह रागा।।
जासु नाभ त्रम ताऩ नसावन। सोइ प्रबु प्रगट सभुझु ष्जमॉ यावन।।
दो0-फाय फाय ऩद रागउॉ वफनम कयउॉ दससीस।
ऩरयहरय भान भोह भद बजहु कोसराधीस।।39(क)।।
भुसन ऩुरष्स्त सनज ससकम सन ककह ऩठई मह फात।
तुयत सो भईआ प्रबु सन कही ऩाइ सुअवसरु तात।।39(ि)।।
–*–*–
भाल्मवॊत असत ससचव समाना। तासु फचन सुसन असत सुि भाना।।
तात अनुज तव नीसत वफबूषन। सो उय धयहु जो कहत वफबीषन।।
रयऩु उतकयष कहत सठ दोऊ। दरू य न कयहु इहाॉ हइ कोऊ।।
भाल्मवॊत गृह गमउ फहोयी। कहइ वफबीषनु ऩुसन कय जोयी।।
सुभसत कुभसत सफ कईऄ उय यहहीॊ। नाथ ऩुयान सनगभ अस कहहीॊ।।
जहाॉ सुभसत तहॉ सॊऩसत नाना। जहाॉ कुभसत तहॉ वफऩसत सनदाना।।
तव उय कुभसत फसी वफऩयीता। कहत अनकहत भानहु रयऩु प्रीता।।
कारयासत सनससचय कुर केयी। तेकह सीता ऩय प्रीसत घनेयी।।
दो0-तात चयन गकह भागउॉ यािहु भोय दर
ु ाय।
सीत दे हु याभ कहुॉ अकहत न होइ तुम्हाय।।40।।
–*–*–
फुध ऩुयान श्रुसत सॊभत फानी। कही वफबीषन नीसत फिानी।।
सुनत दसानन उठा रयसाई। िर तोकह सनकट भुत्मु अफ आई।।
ष्जअसस सदा सठ भोय ष्जआवा। रयऩु कय ऩछछ भूढ़ तोकह बावा।।
कहसस न िर अस को जग भाहीॊ। बुज फर जाकह ष्जता भईआ नाही।।
भभ ऩुय फसस तऩससन्ह ऩय प्रीती। सठ सभरु जाइ सतन्हकह कहु नीती।।
अस ककह कीन्हे सस चयन प्रहाया। अनुज गहे ऩद फायकहॊ फाया।।
उभा सॊत कइ इहइ फड़ाई। भॊद कयत जो कयइ बराई।।
तुम्ह वऩतु सरयस बरेकहॊ भोकह भाया। याभु बजईऄ कहत नाथ तुम्हाया।।
ससचव सॊग रै नब ऩथ गमऊ। सफकह सुनाइ कहत अस बमऊ।।

302
दो0=याभु सत्मसॊकल्ऩ प्रबु सबा कारफस तोरय।
भै यघुफीय सयन अफ जाउॉ दे हु जसन िोरय।।41।।
–*–*–
अस ककह चरा वफबीषनु जफहीॊ। आमूहीन बए सफ तफहीॊ।।
साधु अवग्मा तुयत बवानी। कय कल्मान अष्िर कै हानी।।
यावन जफकहॊ वफबीषन त्मागा। बमउ वफबव वफनु तफकहॊ अबागा।।
चरेउ हयवष यघुनामक ऩाहीॊ। कयत भनोयथ फहु भन भाहीॊ।।
दे ष्िहउॉ जाइ चयन जरजाता। अरुन भृदर
ु सेवक सुिदाता।।
जे ऩद ऩयसस तयी रयवषनायी। दॊ डक कानन ऩावनकायी।।
जे ऩद जनकसुताॉ उय राए। कऩट कुयॊ ग सॊग धय धाए।।
हय उय सय सयोज ऩद जेई। अहोबाग्म भै दे ष्िहउॉ तेई।।
दो0= ष्जन्ह ऩामन्ह के ऩादक
ु ष्न्ह बयतु यहे भन राइ।
ते ऩद आजु वफरोककहउॉ इन्ह नमनष्न्ह अफ जाइ।।42।।
–*–*–
एकह वफसध कयत सप्रेभ वफचाया। आमउ सऩकद ससॊधु एकहॊ ऩाया।।
कवऩन्ह वफबीषनु आवत दे िा। जाना कोउ रयऩु दत
ू वफसेषा।।
ताकह याष्ि कऩीस ऩकहॊ आए। सभाचाय सफ ताकह सुनाए।।
कह सुग्रीव सुनहु यघुयाई। आवा सभरन दसानन बाई।।
कह प्रबु सिा फूष्झऐ काहा। कहइ कऩीस सुनहु नयनाहा।।
जासन न जाइ सनसाचय भामा। काभरूऩ केकह कायन आमा।।
बेद हभाय रेन सठ आवा। याष्िअ फाॉसध भोकह अस बावा।।
सिा नीसत तुम्ह नीकक वफचायी। भभ ऩन सयनागत बमहायी।।
सुसन प्रबु फचन हयष हनुभाना। सयनागत फछछर बगवाना।।
दो0=सयनागत कहुॉ जे तजकहॊ सनज अनकहत अनुभासन।
ते नय ऩावॉय ऩाऩभम सतन्हकह वफरोकत हासन।।43।।
–*–*–
कोकट वफप्र फध रागकहॊ जाहू। आएॉ सयन तजउॉ नकहॊ ताहू।।
सनभुि होइ जीव भोकह जफहीॊ। जन्भ कोकट अघ नासकहॊ तफहीॊ।।
ऩाऩवॊत कय सहज सुबाऊ। बजनु भोय तेकह बाव न काऊ।।
जं ऩै दि
ु हदम सोइ होई। भोयईऄ सनभुि आव कक सोई।।
सनभार भन जन सो भोकह ऩावा। भोकह कऩट छर सछर न बावा।।
बेद रेन ऩठवा दससीसा। तफहुॉ न कछु बम हासन कऩीसा।।
जग भहुॉ सिा सनसाचय जेते। रसछभनु हनइ सनसभष भहुॉ तेते।।

303
जं सबीत आवा सयनाई। यष्िहउॉ ताकह प्रान की नाई।।
दो0=उबम बाॉसत तेकह आनहु हॉ सस कह कृ ऩासनकेत।
जम कृ ऩार ककह चरे अॊगद हनू सभेत।।44।।
–*–*–
सादय तेकह आगईऄ करय फानय। चरे जहाॉ यघुऩसत करुनाकय।।
दरू यकह ते दे िे द्वौ र्भ्ाता। नमनानॊद दान के दाता।।
फहुरय याभ छवफधाभ वफरोकी। यहे उ ठटु कक एकटक ऩर योकी।।
बुज प्ररॊफ कॊजारुन रोचन। स्माभर गात प्रनत बम भोचन।।
ससॊघ कॊध आमत उय सोहा। आनन असभत भदन भन भोहा।।
नमन नीय ऩुरककत असत गाता। भन धरय धीय कही भृद ु फाता।।
नाथ दसानन कय भईआ र्भ्ाता। सनससचय फॊस जनभ सुयत्राता।।
सहज ऩाऩवप्रम ताभस दे हा। जथा उरूककह तभ ऩय नेहा।।
दो0-श्रवन सुजसु सुसन आमउॉ प्रबु बॊजन बव बीय।
त्राकह त्राकह आयसत हयन सयन सुिद यघुफीय।।45।।
–*–*–
अस ककह कयत दॊ डवत दे िा। तुयत उठे प्रबु हयष वफसेषा।।
दीन फचन सुसन प्रबु भन बावा। बुज वफसार गकह रृदमॉ रगावा।।
अनुज सकहत सभसर कढग फैठायी। फोरे फचन बगत बमहायी।।
कहु रॊकेस सकहत ऩरयवाया। कुसर कुठाहय फास तुम्हाया।।
िर भॊडरीॊ फसहु कदनु याती। सिा धयभ सनफहइ केकह बाॉती।।
भईआ जानउॉ तुम्हारय सफ यीती। असत नम सनऩुन न बाव अनीती।।
फरु बर फास नयक कय ताता। दि
ु सॊग जसन दे इ वफधाता।।
अफ ऩद दे ष्ि कुसर यघुयामा। जं तुम्ह कीन्ह जासन जन दामा।।
दो0-तफ रसग कुसर न जीव कहुॉ सऩनेहुॉ भन वफश्राभ।
जफ रसग बजत न याभ कहुॉ सोक धाभ तष्ज काभ।।46।।
–*–*–
तफ रसग रृदमॉ फसत िर नाना। रोब भोह भछछय भद भाना।।
जफ रसग उय न फसत यघुनाथा। धयईऄ चाऩ सामक ककट बाथा।।
भभता तरुन तभी अॉसधआयी। याग द्वे ष उरूक सुिकायी।।
तफ रसग फससत जीव भन भाहीॊ। जफ रसग प्रबु प्रताऩ यवफ नाहीॊ।।
अफ भईआ कुसर सभटे बम बाये । दे ष्ि याभ ऩद कभर तुम्हाये ।।
तुम्ह कृ ऩार जा ऩय अनुकूरा। ताकह न ब्माऩ वत्रवफध बव सूरा।।
भईआ सनससचय असत अधभ सुबाऊ। सुब आचयनु कीन्ह नकहॊ काऊ।।

304
जासु रूऩ भुसन ध्मान न आवा। तेकहॊ प्रबु हयवष रृदमॉ भोकह रावा।।
दो0–अहोबाग्म भभ असभत असत याभ कृ ऩा सुि ऩुॊज।
दे िेउॉ नमन वफयॊ सच ससफ सेब्म जुगर ऩद कॊज।।47।।
–*–*–
सुनहु सिा सनज कहउॉ सुबाऊ। जान बुसुॊकड सॊबु सगरयजाऊ।।
जं नय होइ चयाचय रोही। आवे सबम सयन तकक भोही।।
तष्ज भद भोह कऩट छर नाना। कयउॉ सय तेकह साधु सभाना।।
जननी जनक फॊधु सुत दाया। तनु धनु बवन सुह्रद ऩरयवाया।।
सफ कै भभता ताग फटोयी। भभ ऩद भनकह फाॉध फरय डोयी।।
सभदयसी इछछा कछु नाहीॊ। हयष सोक बम नकहॊ भन भाहीॊ।।
अस सज्जन भभ उय फस कैसईऄ। रोबी रृदमॉ फसइ धनु जैसईऄ।।
तुम्ह सारयिे सॊत वप्रम भोयईऄ । धयउॉ दे ह नकहॊ आन सनहोयईऄ ।।
दो0- सगुन उऩासक ऩयकहत सनयत नीसत दृढ़ नेभ।
ते नय प्रान सभान भभ ष्जन्ह कईऄ कद्वज ऩद प्रेभ।।48।।
–*–*–
सुनु रॊकेस सकर गुन तोयईऄ । तातईऄ तुम्ह असतसम वप्रम भोयईऄ ।।
याभ फचन सुसन फानय जूथा। सकर कहकहॊ जम कृ ऩा फरूथा।।
सुनत वफबीषनु प्रबु कै फानी। नकहॊ अघात श्रवनाभृत जानी।।
ऩद अॊफुज गकह फायकहॊ फाया। रृदमॉ सभात न प्रेभु अऩाया।।
सुनहु दे व सचयाचय स्वाभी। प्रनतऩार उय अॊतयजाभी।।
उय कछु प्रथभ फासना यही। प्रबु ऩद प्रीसत सरयत सो फही।।
अफ कृ ऩार सनज बगसत ऩावनी। दे हु सदा ससव भन बावनी।।
एवभस्तु ककह प्रबु यनधीया। भागा तुयत ससॊधु कय नीया।।
जदवऩ सिा तव इछछा नाहीॊ। भोय दयसु अभोघ जग भाहीॊ।।
अस ककह याभ सतरक तेकह साया। सुभन फृवि नब बई अऩाया।।
दो0-यावन क्रोध अनर सनज स्वास सभीय प्रचॊड।
जयत वफबीषनु यािेउ दीन्हे हु याजु अिॊड।।49(क)।।
जो सॊऩसत ससव यावनकह दीष्न्ह कदएॉ दस भाथ।
सोइ सॊऩदा वफबीषनकह सकुसच दीन्ह यघुनाथ।।49(ि)।।
–*–*–
अस प्रबु छाकड़ बजकहॊ जे आना। ते नय ऩसु वफनु ऩूॉछ वफषाना।।
सनज जन जासन ताकह अऩनावा। प्रबु सुबाव कवऩ कुर भन बावा।।
ऩुसन सफाग्म सफा उय फासी। सफारूऩ सफ यकहत उदासी।।

305
फोरे फचन नीसत प्रसतऩारक। कायन भनुज दनुज कुर घारक।।
सुनु कऩीस रॊकाऩसत फीया। केकह वफसध तरयअ जरसध गॊबीया।।
सॊकुर भकय उयग झष जाती। असत अगाध दस्
ु तय सफ बाॉती।।
कह रॊकेस सुनहु यघुनामक। कोकट ससॊधु सोषक तव सामक।।
जयवऩ तदवऩ नीसत असस गाई। वफनम करयअ सागय सन जाई।।
दो0-प्रबु तुम्हाय कुरगुय जरसध ककहकह उऩाम वफचारय।
वफनु प्रमास सागय तरयकह सकर बारु कवऩ धारय।।50।।
–*–*–
सिा कही तुम्ह नीकक उऩाई। करयअ दै व जं होइ सहाई।।
भॊत्र न मह रसछभन भन बावा। याभ फचन सुसन असत दि
ु ऩावा।।
नाथ दै व कय कवन बयोसा। सोवषअ ससॊधु करयअ भन योसा।।
कादय भन कहुॉ एक अधाया। दै व दै व आरसी ऩुकाया।।
सुनत वफहसस फोरे यघुफीया। ऐसेकहॊ कयफ धयहु भन धीया।।
अस ककह प्रबु अनुजकह सभुझाई। ससॊधु सभीऩ गए यघुयाई।।
प्रथभ प्रनाभ कीन्ह ससरु नाई। फैठे ऩुसन तट दबा डसाई।।
जफकहॊ वफबीषन प्रबु ऩकहॊ आए। ऩाछईऄ यावन दत
ू ऩठाए।।
दो0-सकर चरयत सतन्ह दे िे धयईऄ कऩट कवऩ दे ह।
प्रबु गुन रृदमॉ सयाहकहॊ सयनागत ऩय नेह।।51।।
–*–*–
प्रगट फिानकहॊ याभ सुबाऊ। असत सप्रेभ गा वफसरय दयु ाऊ।।
रयऩु के दत
ू कवऩन्ह तफ जाने। सकर फाॉसध कऩीस ऩकहॊ आने।।
कह सुग्रीव सुनहु सफ फानय। अॊग बॊग करय ऩठवहु सनससचय।।
सुसन सुग्रीव फचन कवऩ धाए। फाॉसध कटक चहु ऩास कपयाए।।
फहु प्रकाय भायन कवऩ रागे। दीन ऩुकायत तदवऩ न त्मागे।।
जो हभाय हय नासा काना। तेकह कोसराधीस कै आना।।
सुसन रसछभन सफ सनकट फोराए। दमा रासग हॉ सस तुयत छोडाए।।
यावन कय दीजहु मह ऩाती। रसछभन फचन फाचु कुरघाती।।
दो0-कहे हु भुिागय भूढ़ सन भभ सॊदेसु उदाय।
सीता दे इ सभरेहु न त आवा कार तुम्हाय।।52।।
–*–*–
तुयत नाइ रसछभन ऩद भाथा। चरे दत ू फयनत गुन गाथा।।
कहत याभ जसु रॊकाॉ आए। यावन चयन सीस सतन्ह नाए।।
वफहसस दसानन ऩूॉछी फाता। कहसस न सुक आऩसन कुसराता।।

306
ऩुसन कहु िफरय वफबीषन केयी। जाकह भृत्मु आई असत नेयी।।
कयत याज रॊका सठ त्मागी। होइकह जफ कय कीट अबागी।।
ऩुसन कहु बारु कीस कटकाई। ककठन कार प्रेरयत चसर आई।।
ष्जन्ह के जीवन कय यिवाया। बमउ भृदर
ु सचत ससॊधु वफचाया।।
कहु तऩससन्ह कै फात फहोयी। ष्जन्ह के रृदमॉ त्रास असत भोयी।।
दो0–की बइ बईऄट कक कपरय गए श्रवन सुजसु सुसन भोय।
कहसस न रयऩु दर तेज फर फहुत चककत सचत तोय।।53।।
–*–*–
नाथ कृ ऩा करय ऩूॉछेहु जैसईऄ। भानहु कहा क्रोध तष्ज तैसईऄ।।
सभरा जाइ जफ अनुज तुम्हाया। जातकहॊ याभ सतरक तेकह साया।।
यावन दत
ू हभकह सुसन काना। कवऩन्ह फाॉसध दीन्हे दि
ु नाना।।
श्रवन नाससका काटै रागे। याभ सऩथ दीन्हे हभ त्मागे।।
ऩूॉसछहु नाथ याभ कटकाई। फदन कोकट सत फयसन न जाई।।
नाना फयन बारु कवऩ धायी। वफकटानन वफसार बमकायी।।
जेकहॊ ऩुय दहे उ हतेउ सुत तोया। सकर कवऩन्ह भहॉ तेकह फरु थोया।।
असभत नाभ बट ककठन कयारा। असभत नाग फर वफऩुर वफसारा।।
दो0-कद्ववफद भमॊद नीर नर अॊगद गद वफकटासस।
दसधभुि केहरय सनसठ सठ जाभवॊत फरयासस।।54।।
–*–*–
ए कवऩ सफ सुग्रीव सभाना। इन्ह सभ कोकटन्ह गनइ को नाना।।
याभ कृ ऩाॉ अतुसरत फर सतन्हहीॊ। तृन सभान त्रेरोककह गनहीॊ।।
अस भईआ सुना श्रवन दसकॊधय। ऩदभ
ु अठायह जूथऩ फॊदय।।
नाथ कटक भहॉ सो कवऩ नाहीॊ। जो न तुम्हकह जीतै यन भाहीॊ।।
ऩयभ क्रोध भीजकहॊ सफ हाथा। आमसु ऩै न दे कहॊ यघुनाथा।।
सोषकहॊ ससॊधु सकहत झष ब्मारा। ऩूयहीॊ न त बरय कुधय वफसारा।।
भकदा गदा सभरवकहॊ दससीसा। ऐसेइ फचन कहकहॊ सफ कीसा।।
गजाकहॊ तजाकहॊ सहज असॊका। भानहु ग्रसन चहत हकहॊ रॊका।।
दो0–सहज सूय कवऩ बारु सफ ऩुसन ससय ऩय प्रबु याभ।
यावन कार कोकट कहु जीसत सककहॊ सॊग्राभ।।55।।
–*–*–
याभ तेज फर फुसध वफऩुराई। तफ र्भ्ातकह ऩूॉछेउ नम नागय।।
तासु फचन सुसन सागय ऩाहीॊ। भागत ऩॊथ कृ ऩा भन भाहीॊ।।
सुनत फचन वफहसा दससीसा। जं असस भसत सहाम कृ त कीसा।।

307
सहज बीरु कय फचन दृढ़ाई। सागय सन ठानी भचराई।।
भूढ़ भृषा का कयसस फड़ाई। रयऩु फर फुवद्ध थाह भईआ ऩाई।।
ससचव सबीत वफबीषन जाकईऄ। वफजम वफबूसत कहाॉ जग ताकईऄ।।
सुसन िर फचन दत
ू रयस फाढ़ी। सभम वफचारय ऩवत्रका काढ़ी।।
याभानुज दीन्ही मह ऩाती। नाथ फचाइ जुड़ावहु छाती।।
वफहसस फाभ कय रीन्ही यावन। ससचव फोसर सठ राग फचावन।।
दो0–फातन्ह भनकह रयझाइ सठ जसन घारसस कुर िीस।
याभ वफयोध न उफयसस सयन वफकनु अज ईस।।56(क)।।
की तष्ज भान अनुज इव प्रबु ऩद ऩॊकज बृॊग।
होकह कक याभ सयानर िर कुर सकहत ऩतॊग।।56(ि)।।
–*–*–
सुनत सबम भन भुि भुसुकाई। कहत दसानन सफकह सुनाई।।
बूसभ ऩया कय गहत अकासा। रघु ताऩस कय फाग वफरासा।।
कह सुक नाथ सत्म सफ फानी। सभुझहु छाकड़ प्रकृ सत असबभानी।।
सुनहु फचन भभ ऩरयहरय क्रोधा। नाथ याभ सन तजहु वफयोधा।।
असत कोभर यघुफीय सुबाऊ। जयवऩ अष्िर रोक कय याऊ।।
सभरत कृ ऩा तुम्ह ऩय प्रबु करयही। उय अऩयाध न एकउ धरयही।।
जनकसुता यघुनाथकह दीजे। एतना कहा भोय प्रबु कीजे।
जफ तेकहॊ कहा दे न फैदेही। चयन प्रहाय कीन्ह सठ तेही।।
नाइ चयन ससरु चरा सो तहाॉ। कृ ऩाससॊधु यघुनामक जहाॉ।।
करय प्रनाभु सनज कथा सुनाई। याभ कृ ऩाॉ आऩसन गसत ऩाई।।
रयवष अगष्स्त कीॊ साऩ बवानी। याछस बमउ यहा भुसन ग्मानी।।
फॊकद याभ ऩद फायकहॊ फाया। भुसन सनज आश्रभ कहुॉ ऩगु धाया।।
दो0-वफनम न भानत जरसध जड़ गए तीन कदन फीसत।
फोरे याभ सकोऩ तफ बम वफनु होइ न प्रीसत।।57।।
–*–*–
रसछभन फान सयासन आनू। सोषं फारयसध वफससि कृ सानू।।
सठ सन वफनम कुकटर सन प्रीती। सहज कृ ऩन सन सुॊदय नीती।।
भभता यत सन ग्मान कहानी। असत रोबी सन वफयसत फिानी।।
क्रोसधकह सभ कासभकह हरय कथा। ऊसय फीज फएॉ पर जथा।।
अस ककह यघुऩसत चाऩ चढ़ावा। मह भत रसछभन के भन बावा।।
सॊघानेउ प्रबु वफससि कयारा। उठी उदसध उय अॊतय ज्वारा।।
भकय उयग झष गन अकुराने। जयत जॊतु जरसनसध जफ जाने।।

308
कनक थाय बरय भसन गन नाना। वफप्र रूऩ आमउ तष्ज भाना।।
दो0-काटे कहॊ ऩइ कदयी पयइ कोकट जतन कोउ सीॊच।
वफनम न भान िगेस सुनु डाटे कहॊ ऩइ नव नीच।।58।।
–*–*–
सबम ससॊधु गकह ऩद प्रबु केये । छभहु नाथ सफ अवगुन भेये।।
गगन सभीय अनर जर धयनी। इन्ह कइ नाथ सहज जड़ कयनी।।
तव प्रेरयत भामाॉ उऩजाए। सृवि हे तु सफ ग्रॊथसन गाए।।
प्रबु आमसु जेकह कहॉ जस अहई। सो तेकह बाॉसत यहे सुि रहई।।
प्रबु बर कीन्ही भोकह ससि दीन्ही। भयजादा ऩुसन तुम्हयी कीन्ही।।
ढोर गवाॉय सूर ऩसु नायी। सकर ताड़ना के असधकायी।।
प्रबु प्रताऩ भईआ जाफ सुिाई। उतरयकह कटकु न भोरय फड़ाई।।
प्रबु अग्मा अऩेर श्रुसत गाई। कयं सो फेसग जौ तुम्हकह सोहाई।।
दो0-सुनत वफनीत फचन असत कह कृ ऩार भुसुकाइ।
जेकह वफसध उतयै कवऩ कटकु तात सो कहहु उऩाइ।।59।।
–*–*–
नाथ नीर नर कवऩ द्वौ बाई। ररयकाई रयवष आससष ऩाई।।
सतन्ह के ऩयस ककएॉ सगरय बाये । तरयहकहॊ जरसध प्रताऩ तुम्हाये ।।
भईआ ऩुसन उय धरय प्रबुताई। करयहउॉ फर अनुभान सहाई।।
एकह वफसध नाथ ऩमोसध फॉधाइअ। जेकहॊ मह सुजसु रोक सतहुॉ गाइअ।।
एकह सय भभ उत्तय तट फासी। हतहु नाथ िर नय अघ यासी।।
सुसन कृ ऩार सागय भन ऩीया। तुयतकहॊ हयी याभ यनधीया।।
दे ष्ि याभ फर ऩौरुष बायी। हयवष ऩमोसनसध बमउ सुिायी।।
सकर चरयत ककह प्रबुकह सुनावा। चयन फॊकद ऩाथोसध ससधावा।।
छॊ 0-सनज बवन गवनेउ ससॊधु श्रीयघुऩसतकह मह भत बामऊ।
मह चरयत कसर भरहय जथाभसत दास तुरसी गामऊ।।
सुि बवन सॊसम सभन दवन वफषाद यघुऩसत गुन गना।।
तष्ज सकर आस बयोस गावकह सुनकह सॊतत सठ भना।।
दो0-सकर सुभॊगर दामक यघुनामक गुन गान।
सादय सुनकहॊ ते तयकहॊ बव ससॊधु वफना जरजान।।60।।
भासऩायामण, चौफीसवाॉ ववश्राभ
इसत श्रीभराभचरयतभानसे सकरकसरकरुषववध्वॊसने
ऩञ्चभ् सोऩान् सभाप्त् ।

~~~~~~~–*–*– (सुन्दयकाण्ड सभाप्त) –*–*–~~~~~~~

309
LANKA KAND

रॊका काण्ड

श्री गणेशाम नभ्


श्री जानकीवल्रबो ववजमते
श्री याभचरयतभानस
षष्ठ सोऩान
(रॊकाकाण्ड)
श्लोक
याभॊ काभारयसेव्मॊ बवबमहयणॊ कारभत्तेबससॊहॊ
मोगीन्रॊ ऻानगम्मॊ गुणसनसधभष्जतॊ सनगुण
ा ॊ सनववाकायभ ्।
भामातीतॊ सुयेशॊ िरवधसनयतॊ ब्रह्मवृन्दै कदे वॊ
वन्दे कन्दावदातॊ सयससजनमनॊ दे वभुवॉशरूऩभ ्।।1।।
शॊिेन्द्वाबभतीवसुन्दयतनुॊ शादा र
ू चभााम्फयॊ
कारव्मारकयारबूषणधयॊ गॊगाशशाॊकवप्रमभ ्।
काशीशॊ कसरकल्भषौघशभनॊ कल्माणकल्ऩरभ
ु ॊ
नौभीड्मॊ सगरयजाऩसतॊ गुणसनसधॊ कन्दऩाहॊ शङ्कयभ ्।।2।।
मो ददासत सताॊ शम्बु् कैवल्मभवऩ दर
ु ब
ा भ ्।
िरानाॊ दण्डकृ योऽसौ शङ्कय् शॊ तनोतु भे।।3।।
दो0-रव सनभेष ऩयभानु जुग फयष करऩ सय चॊड।
बजसस न भन तेकह याभ को कारु जासु कोदॊ ड।।
–*–*–
सो0-ससॊधु फचन सुसन याभ ससचव फोसर प्रबु अस कहे उ।
अफ वफरॊफु केकह काभ कयहु सेतु उतयै कटकु।।
सुनहु बानुकुर केतु जाभवॊत कय जोरय कह।
नाथ नाभ तव सेतु नय चकढ़ बव सागय तरयकहॊ ।।
मह रघु जरसध तयत कसत फाया। अस सुसन ऩुसन कह ऩवनकुभाया।।
प्रबु प्रताऩ फड़वानर बायी। सोषेउ प्रथभ ऩमोसनसध फायी।।
तफ रयऩु नायी रुदन जर धाया। बये उ फहोरय बमउ तेकहॊ िाया।।
सुसन असत उकुसत ऩवनसुत केयी। हयषे कवऩ यघुऩसत तन हे यी।।
जाभवॊत फोरे दोउ बाई। नर नीरकह सफ कथा सुनाई।।
याभ प्रताऩ सुसभरय भन भाहीॊ। कयहु सेतु प्रमास कछु नाहीॊ।।

310
फोसर सरए कवऩ सनकय फहोयी। सकर सुनहु वफनती कछु भोयी।।
याभ चयन ऩॊकज उय धयहू। कौतुक एक बारु कवऩ कयहू।।
धावहु भकाट वफकट फरूथा। आनहु वफटऩ सगरयन्ह के जूथा।।
सुसन कवऩ बारु चरे करय हूहा। जम यघुफीय प्रताऩ सभूहा।।
दो0-असत उतॊग सगरय ऩादऩ रीरकहॊ रेकहॊ उठाइ।
आसन दे कहॊ नर नीरकह यचकहॊ ते सेतु फनाइ।।1।।
–*–*–
सैर वफसार आसन कवऩ दे हीॊ। कॊदक
ु इव नर नीर ते रेहीॊ।।
दे ष्ि सेतु असत सुॊदय यचना। वफहसस कृ ऩासनसध फोरे फचना।।
ऩयभ यम्म उत्तभ मह धयनी। भकहभा असभत जाइ नकहॊ फयनी।।
करयहउॉ इहाॉ सॊबु थाऩना। भोये रृदमॉ ऩयभ करऩना।।
सुसन कऩीस फहु दत
ू ऩठाए। भुसनफय सकर फोसर रै आए।।
सरॊग थावऩ वफसधवत करय ऩूजा। ससव सभान वप्रम भोकह न दज
ू ा।।
ससव रोही भभ बगत कहावा। सो नय सऩनेहुॉ भोकह न ऩावा।।
सॊकय वफभुि बगसत चह भोयी। सो नायकी भूढ़ भसत थोयी।।
दो0-सॊकय वप्रम भभ रोही ससव रोही भभ दास।
ते नय कयकह करऩ बरय धोय नयक भहुॉ फास।।2।।
–*–*–
जे याभेस्वय दयसनु करयहकहॊ । ते तनु तष्ज भभ रोक ससधरयहकहॊ ।।
जो गॊगाजरु आसन चढ़ाइकह। सो साजुज्म भुवि नय ऩाइकह।।
होइ अकाभ जो छर तष्ज सेइकह। बगसत भोरय तेकह सॊकय दे इकह।।
भभ कृ त सेतु जो दयसनु करयही। सो वफनु श्रभ बवसागय तरयही।।
याभ फचन सफ के ष्जम बाए। भुसनफय सनज सनज आश्रभ आए।।
सगरयजा यघुऩसत कै मह यीती। सॊतत कयकहॊ प्रनत ऩय प्रीती।।
फाॉधा सेतु नीर नर नागय। याभ कृ ऩाॉ जसु बमउ उजागय।।
फूड़कहॊ आनकह फोयकहॊ जेई। बए उऩर फोकहत सभ तेई।।
भकहभा मह न जरसध कइ फयनी। ऩाहन गुन न कवऩन्ह कइ कयनी।।
दो0=श्री यघुफीय प्रताऩ ते ससॊधु तये ऩाषान।
ते भसतभॊद जे याभ तष्ज बजकहॊ जाइ प्रबु आन।।3।।
–*–*–
फाॉसध सेतु असत सुदृढ़ फनावा। दे ष्ि कृ ऩासनसध के भन बावा।।
चरी सेन कछु फयसन न जाई। गजाकहॊ भकाट बट सभुदाई।।
सेतुफॊध कढग चकढ़ यघुयाई। सचतव कृ ऩार ससॊधु फहुताई।।

311
दे िन कहुॉ प्रबु करुना कॊदा। प्रगट बए सफ जरचय फृॊदा।।
भकय नक्र नाना झष ब्मारा। सत जोजन तन ऩयभ वफसारा।।
अइसेउ एक सतन्हकह जे िाहीॊ। एकन्ह कईऄ डय तेवऩ डे याहीॊ।।
प्रबुकह वफरोककहॊ टयकहॊ न टाये । भन हयवषत सफ बए सुिाये ।।
सतन्ह की ओट न दे ष्िअ फायी। भगन बए हरय रूऩ सनहायी।।
चरा कटकु प्रबु आमसु ऩाई। को ककह सक कवऩ दर वफऩुराई।।
दो0-सेतुफॊध बइ बीय असत कवऩ नब ऩॊथ उड़ाकहॊ ।
अऩय जरचयष्न्ह ऊऩय चकढ़ चकढ़ ऩायकह जाकहॊ ।।4।।
–*–*–
अस कौतुक वफरोकक द्वौ बाई। वफहॉ सस चरे कृ ऩार यघुयाई।।
सेन सकहत उतये यघुफीया। ककह न जाइ कवऩ जूथऩ बीया।।
ससॊधु ऩाय प्रबु डे या कीन्हा। सकर कवऩन्ह कहुॉ आमसु दीन्हा।।
िाहु जाइ पर भूर सुहाए। सुनत बारु कवऩ जहॉ तहॉ धाए।।
सफ तरु पये याभ कहत रागी। रयतु अरु कुरयतु कार गसत त्मागी।।
िाकहॊ भधुय पर फटऩ हरावकहॊ । रॊका सन्भुि ससिय चरावकहॊ ।।
जहॉ कहुॉ कपयत सनसाचय ऩावकहॊ । घेरय सकर फहु नाच नचावकहॊ ।।
दसनष्न्ह काकट नाससका काना। ककह प्रबु सुजसु दे कहॊ तफ जाना।।
ष्जन्ह कय नासा कान सनऩाता। सतन्ह यावनकह कही सफ फाता।।
सुनत श्रवन फारयसध फॊधाना। दस भुि फोसर उठा अकुराना।।
दो0-फाॊध्मो फनसनसध नीयसनसध जरसध ससॊधु फायीस।
सत्म तोमसनसध कॊऩसत उदसध ऩमोसध नदीस।।5।।
–*–*–
सनज वफकरता वफचारय फहोयी। वफहॉ सस गमउ ग्रह करय बम बोयी।।
भॊदोदयीॊ सुन्मो प्रबु आमो। कौतुकहीॊ ऩाथोसध फॉधामो।।
कय गकह ऩसतकह बवन सनज आनी। फोरी ऩयभ भनोहय फानी।।
चयन नाइ ससरु अॊचरु योऩा। सुनहु फचन वऩम ऩरयहरय कोऩा।।
नाथ फमरु कीजे ताही सं। फुसध फर सककअ जीसत जाही सं।।
तुम्हकह यघुऩसतकह अॊतय कैसा। िरु ियोत कदनकयकह जैसा।।
असतफर भधु कैटब जेकहॊ भाये । भहाफीय कदसतसुत सॊघाये ।।
जेकहॊ फसर फाॉसध सहजबुज भाया। सोइ अवतये उ हयन भकह बाया।।
तासु वफयोध न कीष्जअ नाथा। कार कयभ ष्जव जाकईऄ हाथा।।
दो0-याभकह सौवऩ जानकी नाइ कभर ऩद भाथ।
सुत कहुॉ याज सभवऩा फन जाइ बष्जअ यघुनाथ।।6।।

312
–*–*–
नाथ दीनदमार यघुयाई। फाघउ सनभुि गएॉ न िाई।।
चाकहअ कयन सो सफ करय फीते। तुम्ह सुय असुय चयाचय जीते।।
सॊत कहकहॊ असस नीसत दसानन। चौथईऄऩन जाइकह नृऩ कानन।।
तासु बजन कीष्जअ तहॉ बताा। जो कताा ऩारक सॊहताा।।
सोइ यघुवीय प्रनत अनुयागी। बजहु नाथ भभता सफ त्मागी।।
भुसनफय जतनु कयकहॊ जेकह रागी। बूऩ याजु तष्ज होकहॊ वफयागी।।
सोइ कोसरधीस यघुयामा। आमउ कयन तोकह ऩय दामा।।
जं वऩम भानहु भोय ससिावन। सुजसु होइ सतहुॉ ऩुय असत ऩावन।।
दो0-अस ककह नमन नीय बरय गकह ऩद कॊवऩत गात।
नाथ बजहु यघुनाथकह अचर होइ अकहवात।।7।।
–*–*–
तफ यावन भमसुता उठाई। कहै राग िर सनज प्रबुताई।।
सुनु तै वप्रमा फृथा बम भाना। जग जोधा को भोकह सभाना।।
फरुन कुफेय ऩवन जभ कारा। बुज फर ष्जतेउॉ सकर कदगऩारा।।
दे व दनुज नय सफ फस भोयईऄ । कवन हे तु उऩजा बम तोयईऄ ।।
नाना वफसध तेकह कहे सस फुझाई। सबाॉ फहोरय फैठ सो जाई।।
भॊदोदयीॊ हदमॉ अस जाना। कार फस्म उऩजा असबभाना।।
सबाॉ आइ भॊवत्रन्ह तईऄकह फूझा। कयफ कवन वफसध रयऩु सईआ जूझा।।
कहकहॊ ससचव सुनु सनससचय नाहा। फाय फाय प्रबु ऩूछहु काहा।।
कहहु कवन बम करयअ वफचाया। नय कवऩ बारु अहाय हभाया।।
दो0-सफ के फचन श्रवन सुसन कह प्रहस्त कय जोरय।
सनसत वफयोध न करयअ प्रबु भवत्रॊन्ह भसत असत थोरय।।8।।
–*–*–
कहकहॊ ससचव सठ ठकुयसोहाती। नाथ न ऩूय आव एकह बाॉती।।
फारयसध नासघ एक कवऩ आवा। तासु चरयत भन भहुॉ सफु गावा।।
छुधा न यही तुम्हकह तफ काहू। जायत नगरु कस न धरय िाहू।।
सुनत नीक आगईऄ दि
ु ऩावा। ससचवन अस भत प्रबुकह सुनावा।।
जेकहॊ फायीस फॉधामउ हे रा। उतये उ सेन सभेत सुफेरा।।
सो बनु भनुज िाफ हभ बाई। फचन कहकहॊ सफ गार पुराई।।
तात फचन भभ सुनु असत आदय। जसन भन गुनहु भोकह करय कादय।।
वप्रम फानी जे सुनकहॊ जे कहहीॊ। ऐसे नय सनकाम जग अहहीॊ।।
फचन ऩयभ कहत सुनत कठोये । सुनकहॊ जे कहकहॊ ते नय प्रबु थोये ।।

313
प्रथभ फसीठ ऩठउ सुनु नीती। सीता दे इ कयहु ऩुसन प्रीती।।
दो0-नारय ऩाइ कपरय जाकहॊ जं तौ न फढ़ाइअ यारय।
नाकहॊ त सन्भुि सभय भकह तात करयअ हकठ भारय।।9।।
–*–*–
मह भत जं भानहु प्रबु भोया। उबम प्रकाय सुजसु जग तोया।।
सुत सन कह दसकॊठ रयसाई। असस भसत सठ केकहॊ तोकह ससिाई।।
अफहीॊ ते उय सॊसम होई। फेनुभूर सुत बमहु घभोई।।
सुसन वऩतु सगया ऩरुष असत घोया। चरा बवन ककह फचन कठोया।।
कहत भत तोकह न रागत कैसईऄ। कार वफफस कहुॉ बेषज जैसईऄ।।
सॊध्मा सभम जासन दससीसा। बवन चरेउ सनयित बुज फीसा।।
रॊका ससिय उऩय आगाया। असत वफसचत्र तहॉ होइ अिाया।।
फैठ जाइ तेही भॊकदय यावन। रागे ककॊनय गुन गन गावन।।
फाजकहॊ तार ऩिाउज फीना। नृत्म कयकहॊ अऩछया प्रफीना।।
दो0-सुनासीय सत सरयस सो सॊतत कयइ वफरास।
ऩयभ प्रफर रयऩु सीस ऩय तयवऩ सोच न त्रास।।10।।
–*–*–
इहाॉ सुफेर सैर यघुफीया। उतये सेन सकहत असत बीया।।
ससिय एक उतॊग असत दे िी। ऩयभ यम्म सभ सुर्भ् वफसेषी।।
तहॉ तरु ककसरम सुभन सुहाए। रसछभन यसच सनज हाथ डसाए।।
ता ऩय रूसचय भृदर
ु भृगछारा। तेहीॊ आसान आसीन कृ ऩारा।।
प्रबु कृ त सीस कऩीस उछॊ गा। फाभ दकहन कदसस चाऩ सनषॊगा।।
दह
ु ुॉ कय कभर सुधायत फाना। कह रॊकेस भॊत्र रसग काना।।
फड़बागी अॊगद हनुभाना। चयन कभर चाऩत वफसध नाना।।
प्रबु ऩाछईऄ रसछभन फीयासन। ककट सनषॊग कय फान सयासन।।
दो0-एकह वफसध कृ ऩा रूऩ गुन धाभ याभु आसीन।
धन्म ते नय एकहॊ ध्मान जे यहत सदा रमरीन।।11(क)।।
ऩूयफ कदसा वफरोकक प्रबु दे िा उकदत भॊमक।
कहत सफकह दे िहु सससकह भृगऩसत सरयस असॊक।।11(ि)।।
–*–*–
ऩूयफ कदसस सगरयगुहा सनवासी। ऩयभ प्रताऩ तेज फर यासी।।
भत्त नाग तभ कुॊब वफदायी। ससस केसयी गगन फन चायी।।
वफथुये नब भुकुताहर ताया। सनसस सुॊदयी केय ससॊगाया।।
कह प्रबु ससस भहुॉ भेचकताई। कहहु काह सनज सनज भसत बाई।।

314
कह सुग़ीव सुनहु यघुयाई। ससस भहुॉ प्रगट बूसभ कै झाॉई।।
भाये उ याहु सससकह कह कोई। उय भहॉ ऩयी स्माभता सोई।।
कोउ कह जफ वफसध यसत भुि कीन्हा। साय बाग ससस कय हरय रीन्हा।।
सछर सो प्रगट इॊ द ु उय भाहीॊ। तेकह भग दे ष्िअ नब ऩरयछाहीॊ।।
प्रबु कह गयर फॊधु ससस केया। असत वप्रम सनज उय दीन्ह फसेया।।
वफष सॊजुत कय सनकय ऩसायी। जायत वफयहवॊत नय नायी।।
दो0-कह हनुभॊत सुनहु प्रबु ससस तुम्हाया वप्रम दास।
तव भूयसत वफधु उय फससत सोइ स्माभता अबास।।12(क)।।
नवान्हऩायामण।। सातवाॉ ववश्राभ
ऩवन तनम के फचन सुसन वफहॉ से याभु सुजान।
दष्छछन कदसस अवरोकक प्रबु फोरे कृ ऩा सनधान।।12(ि)।।
–*–*–
दे िु वफबीषन दष्छछन आसा। घन घॊभड दासभसन वफरासा।।
भधुय भधुय गयजइ घन घोया। होइ फृवि जसन उऩर कठोया।।
कहत वफबीषन सुनहु कृ ऩारा। होइ न तकड़त न फारयद भारा।।
रॊका ससिय उऩय आगाया। तहॉ दसकॊघय दे ि अिाया।।
छत्र भेघडॊ फय ससय धायी। सोइ जनु जरद घटा असत कायी।।
भॊदोदयी श्रवन ताटॊ का। सोइ प्रबु जनु दासभनी दभॊका।।
फाजकहॊ तार भृदॊग अनूऩा। सोइ यव भधुय सुनहु सुयबूऩा।।
प्रबु भुसुकान सभुष्झ असबभाना। चाऩ चढ़ाइ फान सॊधाना।।
दो0-छत्र भुकुट ताटॊ क तफ हते एकहीॊ फान।
सफकईऄ दे ित भकह ऩये भयभु न कोऊ जान।।13(क)।।
अस कौतुक करय याभ सय प्रवफसेउ आइ सनषॊग।
यावन सबा ससॊक सफ दे ष्ि भहा यसबॊग।।13(ि)।।
–*–*–
कॊऩ न बूसभ न भरुत वफसेषा। अस्त्र सस्त्र कछु नमन न दे िा।।
सोचकहॊ सफ सनज रृदम भझायी। असगुन बमउ बमॊकय बायी।।
दसभुि दे ष्ि सबा बम ऩाई। वफहसस फचन कह जुगुसत फनाई।।
ससयउ सगये सॊतत सुब जाही। भुकुट ऩये कस असगुन ताही।।
समन कयहु सनज सनज गृह जाई। गवने बवन सकर ससय नाई।।
भॊदोदयी सोच उय फसेऊ। जफ ते श्रवनऩूय भकह िसेऊ।।
सजर नमन कह जुग कय जोयी। सुनहु प्रानऩसत वफनती भोयी।।
कॊत याभ वफयोध ऩरयहयहू। जासन भनुज जसन हठ भन धयहू।।

315
दो0-वफस्वरुऩ यघुफॊस भसन कयहु फचन वफस्वासु।
रोक कल्ऩना फेद कय अॊग अॊग प्रसत जासु।।14।।
–*–*–
ऩद ऩातार सीस अज धाभा। अऩय रोक अॉग अॉग वफश्राभा।।
बृकुकट वफरास बमॊकय कारा। नमन कदवाकय कच घन भारा।।
जासु घ्रान अष्स्वनीकुभाया। सनसस अरु कदवस सनभेष अऩाया।।
श्रवन कदसा दस फेद फिानी। भारुत स्वास सनगभ सनज फानी।।
अधय रोब जभ दसन कयारा। भामा हास फाहु कदगऩारा।।
आनन अनर अॊफुऩसत जीहा। उतऩसत ऩारन प्ररम सभीहा।।
योभ याष्ज अिादस बाया। अष्स्थ सैर सरयता नस जाया।।
उदय उदसध अधगो जातना। जगभम प्रबु का फहु करऩना।।
दो0-अहॊ काय ससव फुवद्ध अज भन ससस सचत्त भहान।
भनुज फास सचयाचय रुऩ याभ बगवान।।15 क।।
अस वफचारय सुनु प्रानऩसत प्रबु सन फमरु वफहाइ।
प्रीसत कयहु यघुफीय ऩद भभ अकहवात न जाइ।।15 ि।।
–*–*–
वफहॉ सा नारय फचन सुसन काना। अहो भोह भकहभा फरवाना।।
नारय सुबाउ सत्म सफ कहहीॊ। अवगुन आठ सदा उय यहहीॊ।।
साहस अनृत चऩरता भामा। बम अवफफेक असौच अदामा।।
रयऩु कय रुऩ सकर तईआ गावा। असत वफसार बम भोकह सुनावा।।
सो सफ वप्रमा सहज फस भोयईऄ । सभुष्झ ऩया प्रसाद अफ तोयईऄ ।।
जासनउॉ वप्रमा तोरय चतुयाई। एकह वफसध कहहु भोरय प्रबुताई।।
तव फतकही गूढ़ भृगरोचसन। सभुझत सुिद सुनत बम भोचसन।।
भॊदोदरय भन भहुॉ अस ठमऊ। वऩमकह कार फस भसतर्भ्भ बमऊ।।
दो0-एकह वफसध कयत वफनोद फहु प्रात प्रगट दसकॊध।
सहज असॊक रॊकऩसत सबाॉ गमउ भद अॊध।।16(क)।।
सो0-पूरह पयइ न फेत जदवऩ सुधा फयषकहॊ जरद।
भूरुि रृदमॉ न चेत जं गुय सभरकहॊ वफयॊ सच सभ।।16(ि)।।
–*–*–
इहाॉ प्रात जागे यघुयाई। ऩूछा भत सफ ससचव फोराई।।
कहहु फेसग का करयअ उऩाई। जाभवॊत कह ऩद ससरु नाई।।
सुनु सफाग्म सकर उय फासी। फुसध फर तेज धभा गुन यासी।।
भॊत्र कहउॉ सनज भसत अनुसाया। दत
ू ऩठाइअ फासरकुभाया।।

316
नीक भॊत्र सफ के भन भाना। अॊगद सन कह कृ ऩासनधाना।।
फासरतनम फुसध फर गुन धाभा। रॊका जाहु तात भभ काभा।।
फहुत फुझाइ तुम्हकह का कहऊॉ। ऩयभ चतुय भईआ जानत अहऊॉ।।
काजु हभाय तासु कहत होई। रयऩु सन कये हु फतकही सोई।।
सो0-प्रबु अग्मा धरय सीस चयन फॊकद अॊगद उठे उ।
सोइ गुन सागय ईस याभ कृ ऩा जा ऩय कयहु।।17(क)।।
स्वमॊ ससद्ध सफ काज नाथ भोकह आदरु कदमउ।
अस वफचारय जुफयाज तन ऩुरककत हयवषत कहमउ।।17(ि)।।
फॊकद चयन उय धरय प्रबुताई। अॊगद चरेउ सफकह ससरु नाई।।
प्रबु प्रताऩ उय सहज असॊका। यन फाॉकुया फासरसुत फॊका।।
ऩुय ऩैठत यावन कय फेटा। िेरत यहा सो होइ गै बईआटा।।
फातकहॊ फात कयष फकढ़ आई। जुगर अतुर फर ऩुसन तरुनाई।।
तेकह अॊगद कहुॉ रात उठाई। गकह ऩद ऩटकेउ बूसभ बवाॉई।।
सनससचय सनकय दे ष्ि बट बायी। जहॉ तहॉ चरे न सककहॊ ऩुकायी।।
एक एक सन भयभु न कहहीॊ। सभुष्झ तासु फध चुऩ करय यहहीॊ।।
बमउ कोराहर नगय भझायी। आवा कवऩ रॊका जेहीॊ जायी।।
अफ धं कहा करयकह कयताया। असत सबीत सफ कयकहॊ वफचाया।।
वफनु ऩूछईऄ भगु दे कहॊ कदिाई। जेकह वफरोक सोइ जाइ सुिाई।।
दो0-गमउ सबा दयफाय तफ सुसभरय याभ ऩद कॊज।
ससॊह ठवसन इत उत सचतव धीय फीय फर ऩुॊज।।18।।
–*–*–
तुयत सनसाचय एक ऩठावा। सभाचाय यावनकह जनावा।।
सुनत वफहॉ सस फोरा दससीसा। आनहु फोसर कहाॉ कय कीसा।।
आमसु ऩाइ दत
ू फहु धाए। कवऩकुॊजयकह फोसर रै आए।।
अॊगद दीि दसानन फईआसईऄ। सकहत प्रान कज्जरसगरय जैसईऄ।।
बुजा वफटऩ ससय सृॊग सभाना। योभावरी रता जनु नाना।।
भुि नाससका नमन अरु काना। सगरय कॊदया िोह अनुभाना।।
गमउ सबाॉ भन नेकु न भुया। फासरतनम असतफर फाॉकुया।।
उठे सबासद कवऩ कहुॉ दे िी। यावन उय बा क्रौध वफसेषी।।
दो0-जथा भत्त गज जूथ भहुॉ ऩॊचानन चसर जाइ।
याभ प्रताऩ सुसभरय भन फैठ सबाॉ ससरु नाइ।।19।।
–*–*–
कह दसकॊठ कवन तईआ फॊदय। भईआ यघुफीय दत
ू दसकॊधय।।

317
भभ जनककह तोकह यही सभताई। तव कहत कायन आमउॉ बाई।।
उत्तभ कुर ऩुरष्स्त कय नाती। ससव वफयॊ सच ऩूजेहु फहु बाॉती।।
फय ऩामहु कीन्हे हु सफ काजा। जीतेहु रोकऩार सफ याजा।।
नृऩ असबभान भोह फस ककॊफा। हरय आसनहु सीता जगदॊ फा।।
अफ सुब कहा सुनहु तुम्ह भोया। सफ अऩयाध छसभकह प्रबु तोया।।
दसन गहहु तृन कॊठ कुठायी। ऩरयजन सकहत सॊग सनज नायी।।
सादय जनकसुता करय आगईऄ। एकह वफसध चरहु सकर बम त्मागईऄ।।
दो0-प्रनतऩार यघुफॊसभसन त्राकह त्राकह अफ भोकह।
आयत सगया सुनत प्रबु अबम कयै गो तोकह।।20।।
–*–*–
ये कवऩऩोत फोरु सॊबायी। भूढ़ न जानेकह भोकह सुयायी।।
कहु सनज नाभ जनक कय बाई। केकह नातईऄ भासनऐ सभताई।।
अॊगद नाभ फासर कय फेटा। तासं कफहुॉ बई ही बेटा।।
अॊगद फचन सुनत सकुचाना। यहा फासर फानय भईआ जाना।।
अॊगद तहीॊ फासर कय फारक। उऩजेहु फॊस अनर कुर घारक।।
गबा न गमहु ब्मथा तुम्ह जामहु। सनज भुि ताऩस दत
ू कहामहु।।
अफ कहु कुसर फासर कहॉ अहई। वफहॉ सस फचन तफ अॊगद कहई।।
कदन दस गएॉ फासर ऩकहॊ जाई। फूझेहु कुसर सिा उय राई।।
याभ वफयोध कुसर जसस होई। सो सफ तोकह सुनाइकह सोई।।
सुनु सठ बेद होइ भन ताकईऄ। श्रीयघुफीय रृदम नकहॊ जाकईऄ।।
दो0-हभ कुर घारक सत्म तुम्ह कुर ऩारक दससीस।
अॊधउ फसधय न अस कहकहॊ नमन कान तव फीस।।21।
–*–*–
ससव वफयॊ सच सुय भुसन सभुदाई। चाहत जासु चयन सेवकाई।।
तासु दत
ू होइ हभ कुर फोया। अइससहुॉ भसत उय वफहय न तोया।।
सुसन कठोय फानी कवऩ केयी। कहत दसानन नमन तये यी।।
िर तव ककठन फचन सफ सहऊॉ। नीसत धभा भईआ जानत अहऊॉ।।
कह कवऩ धभासीरता तोयी। हभहुॉ सुनी कृ त ऩय वत्रम चोयी।।
दे िी नमन दत
ू यिवायी। फूकड़ न भयहु धभा ब्रतधायी।।
कान नाक वफनु बसगसन सनहायी। छभा कीष्न्ह तुम्ह धभा वफचायी।।
धभासीरता तव जग जागी। ऩावा दयसु हभहुॉ फड़बागी।।
दो0-जसन जल्ऩसस जड़ जॊतु कवऩ सठ वफरोकु भभ फाहु।
रोकऩार फर वफऩुर ससस ग्रसन हे तु सफ याहु।।22(क)।।

318
ऩुसन नब सय भभ कय सनकय कभरष्न्ह ऩय करय फास।
सोबत बमउ भयार इव सॊबु सकहत कैरास।।22(ि)।।
–*–*–
तुम्हये कटक भाझ सुनु अॊगद। भो सन सबरयकह कवन जोधा फद।।
तव प्रबु नारय वफयहॉ फरहीना। अनुज तासु दि
ु दि
ु ी भरीना।।
तुम्ह सुग्रीव कूररभ
ु दोऊ। अनुज हभाय बीरु असत सोऊ।।
जाभवॊत भॊत्री असत फूढ़ा। सो कक होइ अफ सभयारूढ़ा।।
ससष्ल्ऩ कभा जानकहॊ नर नीरा। है कवऩ एक भहा फरसीरा।।
आवा प्रथभ नगरु जईऄकहॊ जाया। सुनत फचन कह फासरकुभाया।।
सत्म फचन कहु सनससचय नाहा। साॉचेहुॉ कीस कीन्ह ऩुय दाहा।।
यावन नगय अल्ऩ कवऩ दहई। सुसन अस फचन सत्म को कहई।।
जो असत सुबट सयाहे हु यावन। सो सुग्रीव केय रघु धावन।।
चरइ फहुत सो फीय न होई। ऩठवा िफरय रेन हभ सोई।।
दो0-सत्म नगरु कवऩ जाये उ वफनु प्रबु आमसु ऩाइ।
कपरय न गमउ सुग्रीव ऩकहॊ तेकहॊ बम यहा रुकाइ।।23(क)।।
सत्म कहकह दसकॊठ सफ भोकह न सुसन कछु कोह।
कोउ न हभायईऄ कटक अस तो सन रयत जो सोह।।23(ि)।।
प्रीसत वफयोध सभान सन करयअ नीसत असस आकह।
जं भृगऩसत फध भेड़ुकष्न्ह बर कक कहइ कोउ ताकह।।23(ग)।।
जयवऩ रघुता याभ कहुॉ तोकह फधईऄ फड़ दोष।
तदवऩ ककठन दसकॊठ सुनु छत्र जासत कय योष।।23(घ)।।
फक्र उवि धनु फचन सय रृदम दहे उ रयऩु कीस।
प्रसतउत्तय सड़ससन्ह भनहुॉ काढ़त बट दससीस।।23(ङ)।।
हॉ सस फोरेउ दसभौसर तफ कवऩ कय फड़ गुन एक।
जो प्रसतऩारइ तासु कहत कयइ उऩाम अनेक।।23(छ)।।
–*–*–
धन्म कीस जो सनज प्रबु काजा। जहॉ तहॉ नाचइ ऩरयहरय राजा।।
नासच कूकद करय रोग रयझाई। ऩसत कहत कयइ धभा सनऩुनाई।।
अॊगद स्वासभबि तव जाती। प्रबु गुन कस न कहसस एकह बाॉती।।
भईआ गुन गाहक ऩयभ सुजाना। तव कटु यटसन कयउॉ नकहॊ काना।।
कह कवऩ तव गुन गाहकताई। सत्म ऩवनसुत भोकह सुनाई।।
फन वफधॊसस सुत फसध ऩुय जाया। तदवऩ न तेकहॊ कछु कृ त अऩकाया।।
सोइ वफचारय तव प्रकृ सत सुहाई। दसकॊधय भईआ कीष्न्ह कढठाई।।

319
दे िेउॉ आइ जो कछु कवऩ बाषा। तुम्हयईऄ राज न योष न भािा।।
जं असस भसत वऩतु िाए कीसा। ककह अस फचन हॉ सा दससीसा।।
वऩतकह िाइ िातेउॉ ऩुसन तोही। अफहीॊ सभुष्झ ऩया कछु भोही।।
फासर वफभर जस बाजन जानी। हतउॉ न तोकह अधभ असबभानी।।
कहु यावन यावन जग केते। भईआ सनज श्रवन सुने सुनु जेते।।
फसरकह ष्जतन एक गमउ ऩतारा। यािेउ फाॉसध सससुन्ह हमसारा।।
िेरकहॊ फारक भायकहॊ जाई। दमा रासग फसर दीन्ह छोड़ाई।।
एक फहोरय सहसबुज दे िा। धाइ धया ष्जसभ जॊतु वफसेषा।।
कौतुक रासग बवन रै आवा। सो ऩुरष्स्त भुसन जाइ छोड़ावा।।
दो0-एक कहत भोकह सकुच असत यहा फासर की काॉि।
इन्ह भहुॉ यावन तईआ कवन सत्म फदकह तष्ज भाि।।24।।
–*–*–
सुनु सठ सोइ यावन फरसीरा। हयसगरय जान जासु बुज रीरा।।
जान उभाऩसत जासु सुयाई। ऩूजेउॉ जेकह ससय सुभन चढ़ाई।।
ससय सयोज सनज कयष्न्ह उतायी। ऩूजेउॉ असभत फाय वत्रऩुयायी।।
बुज वफक्रभ जानकहॊ कदगऩारा। सठ अजहूॉ ष्जन्ह कईऄ उय सारा।।
जानकहॊ कदग्गज उय ककठनाई। जफ जफ सबयउॉ जाइ फरयआई।।
ष्जन्ह के दसन कयार न पूटे । उय रागत भूरक इव टू टे ।।
जासु चरत डोरसत इसभ धयनी। चढ़त भत्त गज ष्जसभ रघु तयनी।।
सोइ यावन जग वफकदत प्रताऩी। सुनेकह न श्रवन अरीक प्रराऩी।।
दो0-तेकह यावन कहॉ रघु कहसस नय कय कयसस फिान।
ये कवऩ फफाय िफा िर अफ जाना तव ग्मान।।25।।
–*–*–
सुसन अॊगद सकोऩ कह फानी। फोरु सॉबारय अधभ असबभानी।।
सहसफाहु बुज गहन अऩाया। दहन अनर सभ जासु कुठाया।।
जासु ऩयसु सागय िय धाया। फूड़े नृऩ अगसनत फहु फाया।।
तासु गफा जेकह दे ित बागा। सो नय क्मं दससीस अबागा।।
याभ भनुज कस ये सठ फॊगा। धन्वी काभु नदी ऩुसन गॊगा।।
ऩसु सुयधेनु कल्ऩतरु रूिा। अन्न दान अरु यस ऩीमूषा।।
फैनतेम िग अकह सहसानन। सचॊताभसन ऩुसन उऩर दसानन।।
सुनु भसतभॊद रोक फैकुॊठा। राब कक यघुऩसत बगसत अकुॊठा।।
दो0-सेन सकहत तफ भान भसथ फन उजारय ऩुय जारय।।
कस ये सठ हनुभान कवऩ गमउ जो तव सुत भारय।।26।।

320
–*–*–
सुनु यावन ऩरयहरय चतुयाई। बजसस न कृ ऩाससॊधु यघुयाई।।
जौ िर बएसस याभ कय रोही। ब्रह्म रुर सक याष्ि न तोही।।
भूढ़ फृथा जसन भायसस गारा। याभ फमय अस होइकह हारा।।
तव ससय सनकय कवऩन्ह के आगईऄ। ऩरयहकहॊ धयसन याभ सय रागईऄ।।
ते तव ससय कॊदक
ु सभ नाना। िेरहकहॊ बारु कीस चौगाना।।
जफकहॊ सभय कोऩकह यघुनामक। छुकटहकहॊ असत कयार फहु सामक।।
तफ कक चसरकह अस गार तुम्हाया। अस वफचारय बजु याभ उदाया।।
सुनत फचन यावन ऩयजया। जयत भहानर जनु घृत ऩया।।
दो0-कुॊबकयन अस फॊधु भभ सुत प्रससद्ध सक्रारय।
भोय ऩयाक्रभ नकहॊ सुनेकह ष्जतेउॉ चयाचय झारय।।27।।
–*–*–
सठ सािाभृग जोरय सहाई। फाॉधा ससॊधु इहइ प्रबुताई।।
नाघकहॊ िग अनेक फायीसा। सूय न होकहॊ ते सुनु सफ कीसा।।
भभ बुज सागय फर जर ऩूया। जहॉ फूड़े फहु सुय नय सूया।।
फीस ऩमोसध अगाध अऩाया। को अस फीय जो ऩाइकह ऩाया।।
कदगऩारन्ह भईआ नीय बयावा। बूऩ सुजस िर भोकह सुनावा।।
जं ऩै सभय सुबट तव नाथा। ऩुसन ऩुसन कहसस जासु गुन गाथा।।
तौ फसीठ ऩठवत केकह काजा। रयऩु सन प्रीसत कयत नकहॊ राजा।।
हयसगरय भथन सनयिु भभ फाहू। ऩुसन सठ कवऩ सनज प्रबुकह सयाहू।।
दो0-सूय कवन यावन सरयस स्वकय काकट जेकहॊ सीस।
हुने अनर असत हयष फहु फाय साष्ि गौयीस।।28।।
–*–*–
जयत वफरोकेउॉ जफकहॊ कऩारा। वफसध के सरिे अॊक सनज बारा।।
नय कईऄ कय आऩन फध फाॉची। हसेउॉ जासन वफसध सगया असाॉची।।
सोउ भन सभुष्झ त्रास नकहॊ भोयईऄ । सरिा वफयॊ सच जयठ भसत बोयईऄ ।।
आन फीय फर सठ भभ आगईऄ। ऩुसन ऩुसन कहसस राज ऩसत त्मागे।।
कह अॊगद सरज्ज जग भाहीॊ। यावन तोकह सभान कोउ नाहीॊ।।
राजवॊत तव सहज सुबाऊ। सनज भुि सनज गुन कहसस न काऊ।।
ससय अरु सैर कथा सचत यही। ताते फाय फीस तईआ कही।।
सो बुजफर यािेउ उय घारी। जीतेहु सहसफाहु फसर फारी।।
सुनु भसतभॊद दे कह अफ ऩूया। काटईऄ सीस कक होइअ सूया।।
इॊ रजासर कहु ककहअ न फीया। काटइ सनज कय सकर सयीया।।

321
दो0-जयकहॊ ऩतॊग भोह फस बाय फहकहॊ िय फृॊद।
ते नकहॊ सूय कहावकहॊ सभुष्झ दे िु भसतभॊद।।29।।
–*–*–
अफ जसन फतफढ़ाव िर कयही। सुनु भभ फचन भान ऩरयहयही।।
दसभुि भईआ न फसीठीॊ आमउॉ । अस वफचारय यघुफीष ऩठामउॉ ।।
फाय फाय अस कहइ कृ ऩारा। नकहॊ गजारय जसु फधईऄ सृकारा।।
भन भहुॉ सभुष्झ फचन प्रबु केये । सहे उॉ कठोय फचन सठ तेये।।
नाकहॊ त करय भुि बॊजन तोया। रै जातेउॉ सीतकह फयजोया।।
जानेउॉ तव फर अधभ सुयायी। सूनईऄ हरय आसनकह ऩयनायी।।
तईआ सनससचय ऩसत गफा फहूता। भईआ यघुऩसत सेवक कय दत
ू ा।।
जं न याभ अऩभानकह डयउॉ । तोकह दे ित अस कौतुक कयऊॉ।।
दो0-तोकह ऩटकक भकह सेन हसत चौऩट करय तव गाउॉ ।
तव जुफसतन्ह सभेत सठ जनकसुतकह रै जाउॉ ।।30।।
–*–*–
जौ अस कयं तदवऩ न फड़ाई। भुएकह फधईऄ नकहॊ कछु भनुसाई।।
कौर काभफस कृ वऩन वफभूढ़ा। असत दरयर अजसी असत फूढ़ा।।
सदा योगफस सॊतत क्रोधी। वफकनु वफभूि श्रुसत सॊत वफयोधी।।
तनु ऩोषक सनॊदक अघ िानी। जीवन सव सभ चौदह प्रानी।।
अस वफचारय िर फधउॉ न तोही। अफ जसन रयस उऩजावसस भोही।।
सुसन सकोऩ कह सनससचय नाथा। अधय दसन दसस भीजत हाथा।।
ये कवऩ अधभ भयन अफ चहसी। छोटे फदन फात फकड़ कहसी।।
कटु जल्ऩसस जड़ कवऩ फर जाकईऄ। फर प्रताऩ फुसध तेज न ताकईऄ।।
दो0-अगुन अभान जासन तेकह दीन्ह वऩता फनफास।
सो दि
ु अरु जुफती वफयह ऩुसन सनसस कदन भभ त्रास।।31(क)।।
ष्जन्ह के फर कय गफा तोकह अइसे भनुज अनेक।
िाहीॊ सनसाचय कदवस सनसस भूढ़ सभुझु तष्ज टे क।।31(ि)।।
–*–*–
जफ तेकहॊ कीन्ह याभ कै सनॊदा। क्रोधवॊत असत बमउ कवऩॊदा।।
हरय हय सनॊदा सुनइ जो काना। होइ ऩाऩ गोघात सभाना।।
कटकटान कवऩकुॊजय बायी। दह
ु ु बुजदॊ ड तभकक भकह भायी।।
डोरत धयसन सबासद िसे। चरे बाष्ज बम भारुत ग्रसे।।
सगयत सॉबारय उठा दसकॊधय। बूतर ऩये भुकुट असत सुॊदय।।
कछु तेकहॊ रै सनज ससयष्न्ह सॉवाये । कछु अॊगद प्रबु ऩास ऩफाये ।।

322
आवत भुकुट दे ष्ि कवऩ बागे। कदनहीॊ रूक ऩयन वफसध रागे।।
की यावन करय कोऩ चराए। कुसरस चारय आवत असत धाए।।
कह प्रबु हॉ सस जसन रृदमॉ डे याहू। रूक न अससन केतु नकहॊ याहू।।
ए ककयीट दसकॊधय केये । आवत फासरतनम के प्रेये।।
दो0-तयकक ऩवनसुत कय गहे आसन धये प्रबु ऩास।
कौतुक दे िकहॊ बारु कवऩ कदनकय सरयस प्रकास।।32(क)।।
उहाॉ सकोवऩ दसानन सफ सन कहत रयसाइ।
धयहु कवऩकह धरय भायहु सुसन अॊगद भुसुकाइ।।32(ि)।।
–*–*–
एकह वफसध फेसग सूबट सफ धावहु। िाहु बारु कवऩ जहॉ जहॉ ऩावहु।।
भकाटहीन कयहु भकह जाई। ष्जअत धयहु ताऩस द्वौ बाई।।
ऩुसन सकोऩ फोरेउ जुफयाजा। गार फजावत तोकह न राजा।।
भरु गय काकट सनरज कुरघाती। फर वफरोकक वफहयसत नकहॊ छाती।।
ये वत्रम चोय कुभायग गाभी। िर भर यासस भॊदभसत काभी।।
सन्मऩात जल्ऩसस दफ
ु ाादा। बएसस कारफस िर भनुजादा।।
माको परु ऩावकहगो आगईऄ। फानय बारु चऩेटष्न्ह रागईऄ।।
याभु भनुज फोरत असस फानी। सगयकहॊ न तव यसना असबभानी।।
सगरयहकहॊ यसना सॊसम नाहीॊ। ससयष्न्ह सभेत सभय भकह भाहीॊ।।
सो0-सो नय क्मं दसकॊध फासर फध्मो जेकहॊ एक सय।
फीसहुॉ रोचन अॊध सधग तव जन्भ कुजासत जड़।।33(क)।।
तफ सोसनत की प्मास तृवषत याभ सामक सनकय।
तजउॉ तोकह तेकह त्रास कटु जल्ऩक सनससचय अधभ।।33(ि)।।
भै तव दसन तोरयफे रामक। आमसु भोकह न दीन्ह यघुनामक।।
असस रयस होसत दसउ भुि तोयं। रॊका गकह सभुर भहॉ फोयं।।
गूररय पर सभान तव रॊका। फसहु भध्म तुम्ह जॊतु असॊका।।
भईआ फानय पर िात न फाया। आमसु दीन्ह न याभ उदाया।।
जुगसत सुनत यावन भुसुकाई। भूढ़ ससष्िकह कहॉ फहुत झुठाई।।
फासर न कफहुॉ गार अस भाया। सभसर तऩससन्ह तईआ बएसस रफाया।।
साॉचेहुॉ भईआ रफाय बुज फीहा। जं न उऩारयउॉ तव दस जीहा।।
सभुष्झ याभ प्रताऩ कवऩ कोऩा। सबा भाझ ऩन करय ऩद योऩा।।
जं भभ चयन सकसस सठ टायी। कपयकहॊ याभु सीता भईआ हायी।।
सुनहु सुबट सफ कह दससीसा। ऩद गकह धयसन ऩछायहु कीसा।।

323
इॊ रजीत आकदक फरवाना। हयवष उठे जहॉ तहॉ बट नाना।।
झऩटकहॊ करय फर वफऩुर उऩाई। ऩद न टयइ फैठकहॊ ससरु नाई।।
ऩुसन उकठ झऩटहीॊ सुय आयाती। टयइ न कीस चयन एकह बाॉती।।
ऩुरुष कुजोगी ष्जसभ उयगायी। भोह वफटऩ नकहॊ सककहॊ उऩायी।।
दो0-कोकटन्ह भेघनाद सभ सुबट उठे हयषाइ।
झऩटकहॊ टयै न कवऩ चयन ऩुसन फैठकहॊ ससय नाइ।।34(क)।।
बूसभ न छाॉडत कवऩ चयन दे ित रयऩु भद बाग।।
कोकट वफघ्न ते सॊत कय भन ष्जसभ नीसत न त्माग।।34(ि)।।
–*–*–
कवऩ फर दे ष्ि सकर कहमॉ हाये । उठा आऩु कवऩ कईऄ ऩयचाये ।।
गहत चयन कह फासरकुभाया। भभ ऩद गहईऄ न तोय उफाया।।
गहसस न याभ चयन सठ जाई। सुनत कपया भन असत सकुचाई।।
बमउ तेजहत श्री सफ गई। भध्म कदवस ष्जसभ ससस सोहई।।
ससॊघासन फैठेउ ससय नाई। भानहुॉ सॊऩसत सकर गॉवाई।।
जगदातभा प्रानऩसत याभा। तासु वफभुि ककसभ रह वफश्राभा।।
उभा याभ की बृकुकट वफरासा। होइ वफस्व ऩुसन ऩावइ नासा।।
तृन ते कुसरस कुसरस तृन कयई। तासु दत
ू ऩन कहु ककसभ टयई।।
ऩुसन कवऩ कही नीसत वफसध नाना। भान न ताकह कारु सनअयाना।।
रयऩु भद भसथ प्रबु सुजसु सुनामो। मह ककह चल्मो फासर नृऩ जामो।।
हतं न िेत िेराइ िेराई। तोकह अफकहॊ का कयं फड़ाई।।
प्रथभकहॊ तासु तनम कवऩ भाया। सो सुसन यावन बमउ दि
ु ाया।।
जातुधान अॊगद ऩन दे िी। बम ब्माकुर सफ बए वफसेषी।।
दो0-रयऩु फर धयवष हयवष कवऩ फासरतनम फर ऩुॊज।
ऩुरक सयीय नमन जर गहे याभ ऩद कॊज।।35(क)।।
साॉझ जासन दसकॊधय बवन गमउ वफरिाइ।
भॊदोदयी यावनकह फहुरय कहा सभुझाइ।।(ि)।।
–*–*–
कॊत सभुष्झ भन तजहु कुभसतही। सोह न सभय तुम्हकह यघुऩसतही।।
याभानुज रघु ये ि िचाई। सोउ नकहॊ नाघेहु असस भनुसाई।।
वऩम तुम्ह ताकह ष्जतफ सॊग्राभा। जाके दत
ू केय मह काभा।।
कौतुक ससॊधु नाघी तव रॊका। आमउ कवऩ केहयी असॊका।।
यिवाये हसत वफवऩन उजाया। दे ित तोकह अछछ तेकहॊ भाया।।
जारय सकर ऩुय कीन्हे सस छाया। कहाॉ यहा फर गफा तुम्हाया।।

324
अफ ऩसत भृषा गार जसन भायहु। भोय कहा कछु रृदमॉ वफचायहु।।
ऩसत यघुऩसतकह नृऩसत जसन भानहु। अग जग नाथ अतुर फर जानहु।।
फान प्रताऩ जान भायीचा। तासु कहा नकहॊ भानेकह नीचा।।
जनक सबाॉ अगसनत बूऩारा। यहे तुम्हउ फर अतुर वफसारा।।
बॊष्ज धनुष जानकी वफआही। तफ सॊग्राभ ष्जतेहु ककन ताही।।
सुयऩसत सुत जानइ फर थोया। यािा ष्जअत आॉष्ि गकह पोया।।
सूऩनिा कै गसत तुम्ह दे िी। तदवऩ रृदमॉ नकहॊ राज वफषेषी।।
दो0-फसध वफयाध िय दष
ू नकह रीँ राॉ हत्मो कफॊध।
फासर एक सय भायमो तेकह जानहु दसकॊध।।36।।
–*–*–
जेकहॊ जरनाथ फॉधामउ हे रा। उतये प्रबु दर सकहत सुफेरा।।
कारुनीक कदनकय कुर केतू। दत
ू ऩठामउ तव कहत हे तू।।
सबा भाझ जेकहॊ तव फर भथा। करय फरूथ भहुॉ भृगऩसत जथा।।
अॊगद हनुभत अनुचय जाके। यन फाॉकुये फीय असत फाॉके।।
तेकह कहॉ वऩम ऩुसन ऩुसन नय कहहू। भुधा भान भभता भद फहहू।।
अहह कॊत कृ त याभ वफयोधा। कार वफफस भन उऩज न फोधा।।
कार दॊ ड गकह काहु न भाया। हयइ धभा फर फुवद्ध वफचाया।।
सनकट कार जेकह आवत साईं। तेकह र्भ्भ होइ तुम्हारयकह नाईं।।
दो0-दइ
ु सुत भये दहे उ ऩुय अजहुॉ ऩूय वऩम दे हु।
कृ ऩाससॊधु यघुनाथ बष्ज नाथ वफभर जसु रेहु।।37।।
–*–*–
नारय फचन सुसन वफससि सभाना। सबाॉ गमउ उकठ होत वफहाना।।
फैठ जाइ ससॊघासन पूरी। असत असबभान त्रास सफ बूरी।।
इहाॉ याभ अॊगदकह फोरावा। आइ चयन ऩॊकज ससरु नावा।।
असत आदय सऩीऩ फैठायी। फोरे वफहॉ सस कृ ऩार ियायी।।
फासरतनम कौतुक असत भोही। तात सत्म कहु ऩूछउॉ तोही।।।
यावनु जातुधान कुर टीका। बुज फर अतुर जासु जग रीका।।
तासु भुकुट तुम्ह चारय चराए। कहहु तात कवनी वफसध ऩाए।।
सुनु सफाग्म प्रनत सुिकायी। भुकुट न होकहॊ बूऩ गुन चायी।।
साभ दान अरु दॊ ड वफबेदा। नृऩ उय फसकहॊ नाथ कह फेदा।।
नीसत धभा के चयन सुहाए। अस ष्जमॉ जासन नाथ ऩकहॊ आए।।
दो0-धभाहीन प्रबु ऩद वफभुि कार वफफस दससीस।
तेकह ऩरयहरय गुन आए सुनहु कोसराधीस।।38(((क)।।

325
ऩयभ चतुयता श्रवन सुसन वफहॉ से याभु उदाय।
सभाचाय ऩुसन सफ कहे गढ़ के फासरकुभाय।।38(ि)।।
–*–*–
रयऩु के सभाचाय जफ ऩाए। याभ ससचव सफ सनकट फोराए।।
रॊका फाॉके चारय दआ
ु या। केकह वफसध रासगअ कयहु वफचाया।।
तफ कऩीस रयछछे स वफबीषन। सुसभरय रृदमॉ कदनकय कुर बूषन।।
करय वफचाय सतन्ह भॊत्र दृढ़ावा। चारय अनी कवऩ कटकु फनावा।।
जथाजोग सेनाऩसत कीन्हे । जूथऩ सकर फोसर तफ रीन्हे ।।
प्रबु प्रताऩ ककह सफ सभुझाए। सुसन कवऩ ससॊघनाद करय धाए।।
हयवषत याभ चयन ससय नावकहॊ । गकह सगरय ससिय फीय सफ धावकहॊ ।।
गजाकहॊ तजाकहॊ बारु कऩीसा। जम यघुफीय कोसराधीसा।।
जानत ऩयभ दग
ु ा असत रॊका। प्रबु प्रताऩ कवऩ चरे असॊका।।
घटाटोऩ करय चहुॉ कदसस घेयी। भुिकहॊ सनसान फजावहीॊ बेयी।।
दो0-जमसत याभ जम रसछभन जम कऩीस सुग्रीव।
गजाकहॊ ससॊघनाद कवऩ बारु भहा फर सीॊव।।39।।
–*–*–
रॊकाॉ बमउ कोराहर बायी। सुना दसानन असत अहॉ कायी।।
दे िहु फनयन्ह केरय कढठाई। वफहॉ सस सनसाचय सेन फोराई।।
आए कीस कार के प्रेये। छुधावॊत सफ सनससचय भेये।।
अस ककह अट्टहास सठ कीन्हा। गृह फैठे अहाय वफसध दीन्हा।।
सुबट सकर चारयहुॉ कदसस जाहू। धरय धरय बारु कीस सफ िाहू।।
उभा यावनकह अस असबभाना। ष्जसभ कटष्ट्टब िग सूत उताना।।
चरे सनसाचय आमसु भागी। गकह कय सबॊकडऩार फय साॉगी।।
तोभय भुग्दय ऩयसु प्रचॊडा। सुर कृ ऩान ऩरयघ सगरयिॊडा।।
ष्जसभ अरुनोऩर सनकय सनहायी। धावकहॊ सठ िग भाॊस अहायी।।
चंच बॊग दि
ु सतन्हकह न सूझा। सतसभ धाए भनुजाद अफूझा।।
दो0-नानामुध सय चाऩ धय जातुधान फर फीय।
कोट कॉगूयष्न्ह चकढ़ गए कोकट कोकट यनधीय।।40।।
–*–*–
कोट कॉगूयष्न्ह सोहकहॊ कैसे। भेरु के सृॊगसन जनु घन फैसे।।
फाजकहॊ ढोर सनसान जुझाऊ। सुसन धुसन होइ बटष्न्ह भन चाऊ।।
फाजकहॊ बेरय नपीरय अऩाया। सुसन कादय उय जाकहॊ दयाया।।
दे ष्िन्ह जाइ कवऩन्ह के ठट्टा। असत वफसार तनु बारु सुबट्टा।।

326
धावकहॊ गनकहॊ न अवघट घाटा। ऩफात पोरय कयकहॊ गकह फाटा।।
कटकटाकहॊ कोकटन्ह बट गजाकहॊ । दसन ओठ काटकहॊ असत तजाकहॊ ।।
उत यावन इत याभ दोहाई। जमसत जमसत जम ऩयी रयाई।।
सनससचय ससिय सभूह ढहावकहॊ । कूकद धयकहॊ कवऩ पेरय चरावकहॊ ।।
दो0-धरय कुधय िॊड प्रचॊड ककाट बारु गढ़ ऩय डायहीॊ।
झऩटकहॊ चयन गकह ऩटकक भकह बष्ज चरत फहुरय ऩचायहीॊ।।
–*–*–
असत तयर तरुन प्रताऩ तयऩकहॊ तभकक गढ़ चकढ़ चकढ़ गए।
कवऩ बारु चकढ़ भॊकदयन्ह जहॉ तहॉ याभ जसु गावत बए।।
दो0-एकु एकु सनससचय गकह ऩुसन कवऩ चरे ऩयाइ।
ऊऩय आऩु हे ठ बट सगयकहॊ धयसन ऩय आइ।।41।।
–*–*–
याभ प्रताऩ प्रफर कवऩजूथा। भदा कहॊ सनससचय सुबट फरूथा।।
चढ़े दग
ु ा ऩुसन जहॉ तहॉ फानय। जम यघुफीय प्रताऩ कदवाकय।।
चरे सनसाचय सनकय ऩयाई। प्रफर ऩवन ष्जसभ घन सभुदाई।।
हाहाकाय बमउ ऩुय बायी। योवकहॊ फारक आतुय नायी।।
सफ सभसर दे कहॊ यावनकह गायी। याज कयत एकहॊ भृत्मु हॉ कायी।।
सनज दर वफचर सुनी तेकहॊ काना। पेरय सुबट रॊकेस रयसाना।।
जो यन वफभुि सुना भईआ काना। सो भईआ हतफ कयार कृ ऩाना।।
सफासु िाइ बोग करय नाना। सभय बूसभ बए फल्रब प्राना।।
उग्र फचन सुसन सकर डे याने। चरे क्रोध करय सुबट रजाने।।
सन्भुि भयन फीय कै सोबा। तफ सतन्ह तजा प्रान कय रोबा।।
दो0-फहु आमुध धय सुबट सफ सबयकहॊ ऩचारय ऩचारय।
ब्माकुर ककए बारु कवऩ ऩरयघ वत्रसूरष्न्ह भायी।।42।।
–*–*–
बम आतुय कवऩ बागन रागे। जयवऩ उभा जीसतहकहॊ आगे।।
कोउ कह कहॉ अॊगद हनुभॊता। कहॉ नर नीर दवु फद फरवॊता।।
सनज दर वफकर सुना हनुभाना। ऩष्छछभ द्वाय यहा फरवाना।।
भेघनाद तहॉ कयइ रयाई। टू ट न द्वाय ऩयभ ककठनाई।।
ऩवनतनम भन बा असत क्रोधा। गजेउ प्रफर कार सभ जोधा।।
कूकद रॊक गढ़ ऊऩय आवा। गकह सगरय भेघनाद कहुॉ धावा।।
बॊजेउ यथ सायथी सनऩाता। ताकह रृदम भहुॉ भाये सस राता।।
दस
ु यईऄ सूत वफकर तेकह जाना। स्मॊदन घासर तुयत गृह आना।।

327
दो0-अॊगद सुना ऩवनसुत गढ़ ऩय गमउ अकेर।
यन फाॉकुया फासरसुत तयकक चढ़े उ कवऩ िेर।।43।।
–*–*–
जुद्ध वफरुद्ध क्रुद्ध द्वौ फॊदय। याभ प्रताऩ सुसभरय उय अॊतय।।
यावन बवन चढ़े द्वौ धाई। कयकह कोसराधीस दोहाई।।
करस सकहत गकह बवनु ढहावा। दे ष्ि सनसाचयऩसत बम ऩावा।।
नारय फृॊद कय ऩीटकहॊ छाती। अफ दइ
ु कवऩ आए उतऩाती।।
कवऩरीरा करय सतन्हकह डे यावकहॊ । याभचॊर कय सुजसु सुनावकहॊ ।।
ऩुसन कय गकह कॊचन के िॊबा। कहे ष्न्ह करयअ उतऩात अयॊ बा।।
गष्जा ऩये रयऩु कटक भझायी। रागे भदै बुज फर बायी।।
काहुकह रात चऩेटष्न्ह केहू। बजहु न याभकह सो पर रेहू।।
दो0-एक एक सं भदा कहॊ तोरय चरावकहॊ भुॊड।
यावन आगईऄ ऩयकहॊ ते जनु पूटकहॊ दसध कुॊड।।44।।
–*–*–
भहा भहा भुष्िआ जे ऩावकहॊ । ते ऩद गकह प्रबु ऩास चरावकहॊ ।।
कहइ वफबीषनु सतन्ह के नाभा। दे कहॊ याभ सतन्हहू सनज धाभा।।
िर भनुजाद कद्वजासभष बोगी। ऩावकहॊ गसत जो जाचत जोगी।।
उभा याभ भृदसु चत करुनाकय। फमय बाव सुसभयत भोकह सनससचय।।
दे कहॊ ऩयभ गसत सो ष्जमॉ जानी। अस कृ ऩार को कहहु बवानी।।
अस प्रबु सुसन न बजकहॊ र्भ्भ त्मागी। नय भसतभॊद ते ऩयभ अबागी।।
अॊगद अरु हनुभॊत प्रफेसा। कीन्ह दग
ु ा अस कह अवधेसा।।
रॊकाॉ द्वौ कवऩ सोहकहॊ कैसईऄ। भथकह ससॊधु दइ
ु भॊदय जैसईऄ।।
दो0-बुज फर रयऩु दर दरभसर दे ष्ि कदवस कय अॊत।
कूदे जुगर वफगत श्रभ आए जहॉ बगवॊत।।45।।
–*–*–
प्रबु ऩद कभर सीस सतन्ह नाए। दे ष्ि सुबट यघुऩसत भन बाए।।
याभ कृ ऩा करय जुगर सनहाये । बए वफगतश्रभ ऩयभ सुिाये ।।
गए जासन अॊगद हनुभाना। कपये बारु भकाट बट नाना।।
जातुधान प्रदोष फर ऩाई। धाए करय दससीस दोहाई।।
सनससचय अनी दे ष्ि कवऩ कपये । जहॉ तहॉ कटकटाइ बट सबये ।।
द्वौ दर प्रफर ऩचारय ऩचायी। रयत सुबट नकहॊ भानकहॊ हायी।।
भहाफीय सनससचय सफ काये । नाना फयन फरीभुि बाये ।।
सफर जुगर दर सभफर जोधा। कौतुक कयत रयत करय क्रोधा।।

328
प्रावफट सयद ऩमोद घनेये। रयत भनहुॉ भारुत के प्रेये।।
असनऩ अकॊऩन अरु असतकामा। वफचरत सेन कीष्न्ह इन्ह भामा।।
बमउ सनसभष भहॉ असत अॉसधमाया। फृवि होइ रुसधयोऩर छाया।।
दो0-दे ष्ि सनवफड़ तभ दसहुॉ कदसस कवऩदर बमउ िबाय।
एककह एक न दे िई जहॉ तहॉ कयकहॊ ऩुकाय।।46।।
–*–*–
सकर भयभु यघुनामक जाना। सरए फोसर अॊगद हनुभाना।।
सभाचाय सफ ककह सभुझाए। सुनत कोवऩ कवऩकुॊजय धाए।।
ऩुसन कृ ऩार हॉ सस चाऩ चढ़ावा। ऩावक सामक सऩकद चरावा।।
बमउ प्रकास कतहुॉ तभ नाहीॊ। ग्मान उदमॉ ष्जसभ सॊसम जाहीॊ।।
बारु फरीभुि ऩाइ प्रकासा। धाए हयष वफगत श्रभ त्रासा।।
हनूभान अॊगद यन गाजे। हाॉक सुनत यजनीचय बाजे।।
बागत ऩट ऩटककहॊ धरय धयनी। कयकहॊ बारु कवऩ अद्भत
ु कयनी।।
गकह ऩद डायकहॊ सागय भाहीॊ। भकय उयग झष धरय धरय िाहीॊ।।
दो0-कछु भाये कछु घामर कछु गढ़ चढ़े ऩयाइ।
गजाकहॊ बारु फरीभुि रयऩु दर फर वफचराइ।।47।।
–*–*–
सनसा जासन कवऩ चारयउ अनी। आए जहाॉ कोसरा धनी।।
याभ कृ ऩा करय सचतवा सफही। बए वफगतश्रभ फानय तफही।।
उहाॉ दसानन ससचव हॉ काये । सफ सन कहे सस सुबट जे भाये ।।
आधा कटकु कवऩन्ह सॊघाया। कहहु फेसग का करयअ वफचाया।।
भाल्मवॊत असत जयठ सनसाचय। यावन भातु वऩता भॊत्री फय।।
फोरा फचन नीसत असत ऩावन। सुनहु तात कछु भोय ससिावन।।
जफ ते तुम्ह सीता हरय आनी। असगुन होकहॊ न जाकहॊ फिानी।।
फेद ऩुयान जासु जसु गामो। याभ वफभुि काहुॉ न सुि ऩामो।।
दो0-कहयन्माछछ र्भ्ाता सकहत भधु कैटब फरवान।
जेकह भाये सोइ अवतये उ कृ ऩाससॊधु बगवान।।48(क)।।
भासऩायामण, ऩचीसवाॉ ववश्राभ
काररूऩ िर फन दहन गुनागाय घनफोध।
ससव वफयॊ सच जेकह सेवकहॊ तासं कवन वफयोध।।48(ि)।।
–*–*–
ऩरयहरय फमरु दे हु फैदेही। बजहु कृ ऩासनसध ऩयभ सनेही।।
ताके फचन फान सभ रागे। करयआ भुह करय जाकह अबागे।।

329
फूढ़ बएसस न त भयतेउॉ तोही। अफ जसन नमन दे िावसस भोही।।
तेकह अऩने भन अस अनुभाना। फध्मो चहत एकह कृ ऩासनधाना।।
सो उकठ गमउ कहत दफ
ु ाादा। तफ सकोऩ फोरेउ घननादा।।
कौतुक प्रात दे ष्िअहु भोया। करयहउॉ फहुत कहं का थोया।।
सुसन सुत फचन बयोसा आवा। प्रीसत सभेत अॊक फैठावा।।
कयत वफचाय बमउ सबनुसाया। रागे कवऩ ऩुसन चहूॉ दआ
ु या।।
कोवऩ कवऩन्ह दघ
ु ट
ा गढ़ु घेया। नगय कोराहरु बमउ घनेया।।
वफवफधामुध धय सनससचय धाए। गढ़ ते ऩफात ससिय ढहाए।।
छॊ 0-ढाहे भहीधय ससिय कोकटन्ह वफवफध वफसध गोरा चरे।
घहयात ष्जसभ ऩवफऩात गजात जनु प्ररम के फादरे।।
भकाट वफकट बट जुटत कटत न रटत तन जजाय बए।
गकह सैर तेकह गढ़ ऩय चरावकहॊ जहॉ सो तहॉ सनससचय हए।।
दो0-भेघनाद सुसन श्रवन अस गढ़ु ऩुसन छईऄ का आइ।
उतमो फीय दग ु ा तईऄ सन्भुि चल्मो फजाइ।।49।।
–*–*–
कहॉ कोसराधीस द्वौ र्भ्ाता। धन्वी सकर रोक वफख्माता।।
कहॉ नर नीर दवु फद सुग्रीवा। अॊगद हनूभॊत फर सीॊवा।।
कहाॉ वफबीषनु र्भ्ातारोही। आजु सफकह हकठ भायउॉ ओही।।
अस ककह ककठन फान सॊधाने। असतसम क्रोध श्रवन रसग ताने।।
सय सभुह सो छाड़ै रागा। जनु सऩछछ धावकहॊ फहु नागा।।
जहॉ तहॉ ऩयत दे ष्िअकहॊ फानय। सन्भुि होइ न सके तेकह अवसय।।
जहॉ तहॉ बासग चरे कवऩ यीछा। वफसयी सफकह जुद्ध कै ईछा।।
सो कवऩ बारु न यन भहॉ दे िा। कीन्हे सस जेकह न प्रान अवसेषा।।
दो0-दस दस सय सफ भाये सस ऩये बूसभ कवऩ फीय।
ससॊहनाद करय गजाा भेघनाद फर धीय।।50।।
–*–*–
दे ष्ि ऩवनसुत कटक वफहारा। क्रोधवॊत जनु धामउ कारा।।
भहासैर एक तुयत उऩाया। असत रयस भेघनाद ऩय डाया।।
आवत दे ष्ि गमउ नब सोई। यथ सायथी तुयग सफ िोई।।
फाय फाय ऩचाय हनुभाना। सनकट न आव भयभु सो जाना।।
यघुऩसत सनकट गमउ घननादा। नाना बाॉसत कये सस दफ
ु ाादा।।
अस्त्र सस्त्र आमुध सफ डाये । कौतुकहीॊ प्रबु काकट सनवाये ।।
दे ष्ि प्रताऩ भूढ़ ष्िससआना। कयै राग भामा वफसध नाना।।

330
ष्जसभ कोउ कयै गरुड़ सईआ िेरा। डयऩावै गकह स्वल्ऩ सऩेरा।।
दो0-जासु प्रफर भामा फर ससव वफयॊ सच फड़ छोट।
ताकह कदिावइ सनससचय सनज भामा भसत िोट।।51।।
–*–*–
नब चकढ़ फयष वफऩुर अॊगाया। भकह ते प्रगट होकहॊ जरधाया।।
नाना बाॉसत वऩसाच वऩसाची। भारु काटु धुसन फोरकहॊ नाची।।
वफिा ऩूम रुसधय कच हाड़ा। फयषइ कफहुॉ उऩर फहु छाड़ा।।
फयवष धूरय कीन्हे सस अॉसधआया। सूझ न आऩन हाथ ऩसाया।।
कवऩ अकुराने भामा दे िईऄ। सफ कय भयन फना एकह रेिईऄ।।
कौतुक दे ष्ि याभ भुसुकाने। बए सबीत सकर कवऩ जाने।।
एक फान काटी सफ भामा। ष्जसभ कदनकय हय सतसभय सनकामा।।
कृ ऩादृवि कवऩ बारु वफरोके। बए प्रफर यन यहकहॊ न योके।।
दो0-आमसु भासग याभ ऩकहॊ अॊगदाकद कवऩ साथ।
रसछभन चरे क्रुद्ध होइ फान सयासन हाथ।।52।।
–*–*–
छतज नमन उय फाहु वफसारा। कहभसगरय सनब तनु कछु एक रारा।।
इहाॉ दसानन सुबट ऩठाए। नाना अस्त्र सस्त्र गकह धाए।।
बूधय नि वफटऩामुध धायी। धाए कवऩ जम याभ ऩुकायी।।
सबये सकर जोरयकह सन जोयी। इत उत जम इछछा नकहॊ थोयी।।
भुकठकन्ह रातन्ह दातन्ह काटकहॊ । कवऩ जमसीर भारय ऩुसन डाटकहॊ ।।
भारु भारु धरु धरु धरु भारू। सीस तोरय गकह बुजा उऩारू।।
असस यव ऩूरय यही नव िॊडा। धावकहॊ जहॉ तहॉ रुॊ ड प्रचॊडा।।
दे िकहॊ कौतुक नब सुय फृॊदा। कफहुॉक वफसभम कफहुॉ अनॊदा।।
दो0-रुसधय गाड़ बरय बरय जम्मो ऊऩय धूरय उड़ाइ।
जनु अॉगाय याससन्ह ऩय भृतक धूभ यह्यो छाइ।।53।।
–*–*–
घामर फीय वफयाजकहॊ कैसे। कुसुसभत ककॊसुक के तरु जैसे।।
रसछभन भेघनाद द्वौ जोधा। सबयकहॊ ऩयसऩय करय असत क्रोधा।।
एककह एक सकइ नकहॊ जीती। सनससचय छर फर कयइ अनीती।।
क्रोधवॊत तफ बमउ अनॊता। बॊजेउ यथ सायथी तुयॊता।।
नाना वफसध प्रहाय कय सेषा। याछछस बमउ प्रान अवसेषा।।
यावन सुत सनज भन अनुभाना। सॊकठ बमउ हरयकह भभ प्राना।।
फीयघासतनी छाकड़सस साॉगी। तेज ऩुॊज रसछभन उय रागी।।

331
भुरुछा बई सवि के रागईऄ। तफ चसर गमउ सनकट बम त्मागईऄ।।
दो0-भेघनाद सभ कोकट सत जोधा यहे उठाइ।
जगदाधाय सेष ककसभ उठै चरे ष्िससआइ।।54।।
–*–*–
सुनु सगरयजा क्रोधानर जासू। जायइ बुवन चारयदस आसू।।
सक सॊग्राभ जीसत को ताही। सेवकहॊ सुय नय अग जग जाही।।
मह कौतूहर जानइ सोई। जा ऩय कृ ऩा याभ कै होई।।
सॊध्मा बइ कपरय द्वौ फाहनी। रगे सॉबायन सनज सनज अनी।।
ब्माऩक ब्रह्म अष्जत बुवनेस्वय। रसछभन कहाॉ फूझ करुनाकय।।
तफ रसग रै आमउ हनुभाना। अनुज दे ष्ि प्रबु असत दि
ु भाना।।
जाभवॊत कह फैद सुषेना। रॊकाॉ यहइ को ऩठई रेना।।
धरय रघु रूऩ गमउ हनुभॊता। आनेउ बवन सभेत तुयॊता।।
दो0-याभ ऩदायवफॊद ससय नामउ आइ सुषेन।
कहा नाभ सगरय औषधी जाहु ऩवनसुत रेन।।55।।
–*–*–
याभ चयन सयससज उय यािी। चरा प्रबॊजन सुत फर बाषी।।
उहाॉ दत
ू एक भयभु जनावा। यावन कारनेसभ गृह आवा।।
दसभुि कहा भयभु तेकहॊ सुना। ऩुसन ऩुसन कारनेसभ ससरु धुना।।
दे ित तुम्हकह नगरु जेकहॊ जाया। तासु ऩॊथ को योकन ऩाया।।
बष्ज यघुऩसत करु कहत आऩना। छाॉड़हु नाथ भृषा जल्ऩना।।
नीर कॊज तनु सुॊदय स्माभा। रृदमॉ यािु रोचनासबयाभा।।
भईआ तईआ भोय भूढ़ता त्मागू। भहा भोह सनसस सूतत जागू।।
कार ब्मार कय बछछक जोई। सऩनेहुॉ सभय कक जीसतअ सोई।।
दो0-सुसन दसकॊठ रयसान असत तेकहॊ भन कीन्ह वफचाय।
याभ दत
ू कय भयं फरु मह िर यत भर बाय।।56।।
–*–*–
अस ककह चरा यसचसस भग भामा। सय भॊकदय फय फाग फनामा।।
भारुतसुत दे िा सुब आश्रभ। भुसनकह फूष्झ जर वऩमं जाइ श्रभ।।
याछछस कऩट फेष तहॉ सोहा। भामाऩसत दत
ू कह चह भोहा।।
जाइ ऩवनसुत नामउ भाथा। राग सो कहै याभ गुन गाथा।।
होत भहा यन यावन याभकहॊ । ष्जतहकहॊ याभ न सॊसम मा भकहॊ ।।
इहाॉ बएॉ भईआ दे िेउॉ बाई। ग्मान दृवि फर भोकह असधकाई।।
भागा जर तेकहॊ दीन्ह कभॊडर। कह कवऩ नकहॊ अघाउॉ थोयईऄ जर।।

332
सय भज्जन करय आतुय आवहु। कदछछा दे उॉ ग्मान जेकहॊ ऩावहु।।
दो0-सय ऩैठत कवऩ ऩद गहा भकयीॊ तफ अकुरान।
भायी सो धरय कदव्म तनु चरी गगन चकढ़ जान।।57।।
–*–*–
कवऩ तव दयस बइउॉ सनकऩाऩा। सभटा तात भुसनफय कय साऩा।।
भुसन न होइ मह सनससचय घोया। भानहु सत्म फचन कवऩ भोया।।
अस ककह गई अऩछया जफहीॊ। सनससचय सनकट गमउ कवऩ तफहीॊ।।
कह कवऩ भुसन गुयदसछना रेहू। ऩाछईऄ हभकह भॊत्र तुम्ह दे हू।।
ससय रॊगूय रऩेकट ऩछाया। सनज तनु प्रगटे सस भयती फाया।।
याभ याभ ककह छाड़े सस प्राना। सुसन भन हयवष चरेउ हनुभाना।।
दे िा सैर न औषध चीन्हा। सहसा कवऩ उऩारय सगरय रीन्हा।।
गकह सगरय सनसस नब धावत बमऊ। अवधऩुयी उऩय कवऩ गमऊ।।
दो0-दे िा बयत वफसार असत सनससचय भन अनुभासन।
वफनु पय सामक भाये उ चाऩ श्रवन रसग तासन।।58।।
–*–*–
ऩये उ भुरुसछ भकह रागत सामक। सुसभयत याभ याभ यघुनामक।।
सुसन वप्रम फचन बयत तफ धाए। कवऩ सभीऩ असत आतुय आए।।
वफकर वफरोकक कीस उय रावा। जागत नकहॊ फहु बाॉसत जगावा।।
भुि भरीन भन बए दि
ु ायी। कहत फचन बरय रोचन फायी।।
जेकहॊ वफसध याभ वफभुि भोकह कीन्हा। तेकहॊ ऩुसन मह दारुन दि
ु दीन्हा।।
जं भोयईऄ भन फच अरु कामा। प्रीसत याभ ऩद कभर अभामा।।
तौ कवऩ होउ वफगत श्रभ सूरा। जं भो ऩय यघुऩसत अनुकूरा।।
सुनत फचन उकठ फैठ कऩीसा। ककह जम जमसत कोसराधीसा।।
सो0-रीन्ह कवऩकह उय राइ ऩुरककत तनु रोचन सजर।
प्रीसत न रृदमॉ सभाइ सुसभरय याभ यघुकुर सतरक।।59।।
तात कुसर कहु सुिसनधान की। सकहत अनुज अरु भातु जानकी।।
कवऩ सफ चरयत सभास फिाने। बए दि
ु ी भन भहुॉ ऩसछताने।।
अहह दै व भईआ कत जग जामउॉ । प्रबु के एकहु काज न आमउॉ ।।
जासन कुअवसरु भन धरय धीया। ऩुसन कवऩ सन फोरे फरफीया।।
तात गहरु होइकह तोकह जाता। काजु नसाइकह होत प्रबाता।।
चढ़ु भभ सामक सैर सभेता। ऩठवं तोकह जहॉ कृ ऩासनकेता।।
सुसन कवऩ भन उऩजा असबभाना। भोयईऄ बाय चसरकह ककसभ फाना।।
याभ प्रबाव वफचारय फहोयी। फॊकद चयन कह कवऩ कय जोयी।।

333
दो0-तव प्रताऩ उय याष्ि प्रबु जेहउॉ नाथ तुयॊत।
अस ककह आमसु ऩाइ ऩद फॊकद चरेउ हनुभॊत।।60(क)।।
बयत फाहु फर सीर गुन प्रबु ऩद प्रीसत अऩाय।
भन भहुॉ जात सयाहत ऩुसन ऩुसन ऩवनकुभाय।।60(ि)।।
–*–*–
उहाॉ याभ रसछभनकहॊ सनहायी। फोरे फचन भनुज अनुसायी।।
अधा यासत गइ कवऩ नकहॊ आमउ। याभ उठाइ अनुज उय रामउ।।
सकहु न दष्ु ित दे ष्ि भोकह काऊ। फॊधु सदा तव भृदर
ु सुबाऊ।।
भभ कहत रासग तजेहु वऩतु भाता। सहे हु वफवऩन कहभ आतऩ फाता।।
सो अनुयाग कहाॉ अफ बाई। उठहु न सुसन भभ फच वफकराई।।
जं जनतेउॉ फन फॊधु वफछोहू। वऩता फचन भनतेउॉ नकहॊ ओहू।।
सुत वफत नारय बवन ऩरयवाया। होकहॊ जाकहॊ जग फायकहॊ फाया।।
अस वफचारय ष्जमॉ जागहु ताता। सभरइ न जगत सहोदय र्भ्ाता।।
जथा ऩॊि वफनु िग असत दीना। भसन वफनु पसन करयफय कय हीना।।
अस भभ ष्जवन फॊधु वफनु तोही। जं जड़ दै व ष्जआवै भोही।।
जैहउॉ अवध कवन भुहु राई। नारय हे तु वप्रम बाइ गॉवाई।।
फरु अऩजस सहतेउॉ जग भाहीॊ। नारय हासन वफसेष छसत नाहीॊ।।
अफ अऩरोकु सोकु सुत तोया। सकहकह सनठु य कठोय उय भोया।।
सनज जननी के एक कुभाया। तात तासु तुम्ह प्रान अधाया।।
संऩेसस भोकह तुम्हकह गकह ऩानी। सफ वफसध सुिद ऩयभ कहत जानी।।
उतरु काह दै हउॉ तेकह जाई। उकठ ककन भोकह ससिावहु बाई।।
फहु वफसध ससचत सोच वफभोचन। स्त्रवत ससरर याष्जव दर रोचन।।
उभा एक अिॊड यघुयाई। नय गसत बगत कृ ऩार दे िाई।।
सो0-प्रबु प्रराऩ सुसन कान वफकर बए फानय सनकय।
आइ गमउ हनुभान ष्जसभ करुना भहॉ फीय यस।।61।।
हयवष याभ बईऄटेउ हनुभाना। असत कृ तग्म प्रबु ऩयभ सुजाना।।
तुयत फैद तफ कीन्ह उऩाई। उकठ फैठे रसछभन हयषाई।।
रृदमॉ राइ प्रबु बईऄटेउ र्भ्ाता। हयषे सकर बारु कवऩ ब्राता।।
कवऩ ऩुसन फैद तहाॉ ऩहुॉचावा। जेकह वफसध तफकहॊ ताकह रइ आवा।।
मह फृत्ताॊत दसानन सुनेऊ। असत वफषअद ऩुसन ऩुसन ससय धुनेऊ।।
ब्माकुर कुॊबकयन ऩकहॊ आवा। वफवफध जतन करय ताकह जगावा।।
जागा सनससचय दे ष्िअ कैसा। भानहुॉ कारु दे ह धरय फैसा।।

334
कुॊबकयन फूझा कहु बाई। काहे तव भुि यहे सुिाई।।
कथा कही सफ तेकहॊ असबभानी। जेकह प्रकाय सीता हरय आनी।।
तात कवऩन्ह सफ सनससचय भाये । भहाभहा जोधा सॊघाये ।।
दभ
ु ि
ुा सुयरयऩु भनुज अहायी। बट असतकाम अकॊऩन बायी।।
अऩय भहोदय आकदक फीया। ऩये सभय भकह सफ यनधीया।।
दो0-सुसन दसकॊधय फचन तफ कुॊबकयन वफरिान।
जगदॊ फा हरय आसन अफ सठ चाहत कल्मान।।62।।
–*–*–
बर न कीन्ह तईआ सनससचय नाहा। अफ भोकह आइ जगाएकह काहा।।
अजहूॉ तात त्मासग असबभाना। बजहु याभ होइकह कल्माना।।
हईआ दससीस भनुज यघुनामक। जाके हनूभान से ऩामक।।
अहह फॊधु तईआ कीष्न्ह िोटाई। प्रथभकहॊ भोकह न सुनाएकह आई।।
कीन्हे हु प्रबू वफयोध तेकह दे वक। ससव वफयॊ सच सुय जाके सेवक।।
नायद भुसन भोकह ग्मान जो कहा। कहतेउॉ तोकह सभम सनयफहा।।
अफ बरय अॊक बईऄटु भोकह बाई। रोचन सूपर कयौ भईआ जाई।।
स्माभ गात सयसीरुह रोचन। दे िं जाइ ताऩ त्रम भोचन।।
दो0-याभ रूऩ गुन सुसभयत भगन बमउ छन एक।
यावन भागेउ कोकट घट भद अरु भकहष अनेक।।63।।
–*–*–
भकहष िाइ करय भकदया ऩाना। गजाा फज्राघात सभाना।।
कुॊबकयन दभ
ु द
ा यन यॊ गा। चरा दग
ु ा तष्ज सेन न सॊगा।।
दे ष्ि वफबीषनु आगईऄ आमउ। ऩये उ चयन सनज नाभ सुनामउ।।
अनुज उठाइ रृदमॉ तेकह रामो। यघुऩसत बि जासन भन बामो।।
तात रात यावन भोकह भाया। कहत ऩयभ कहत भॊत्र वफचाया।।
तेकहॊ गरासन यघुऩसत ऩकहॊ आमउॉ । दे ष्ि दीन प्रबु के भन बामउॉ ।।
सुनु सुत बमउ कारफस यावन। सो कक भान अफ ऩयभ ससिावन।।
धन्म धन्म तईआ धन्म वफबीषन। बमहु तात सनससचय कुर बूषन।।
फॊधु फॊस तईआ कीन्ह उजागय। बजेहु याभ सोबा सुि सागय।।
दो0-फचन कभा भन कऩट तष्ज बजेहु याभ यनधीय।
जाहु न सनज ऩय सूझ भोकह बमउॉ कारफस फीय। 64।।
–*–*–
फॊधु फचन सुसन चरा वफबीषन। आमउ जहॉ त्रैरोक वफबूषन।।
नाथ बूधयाकाय सयीया। कुॊबकयन आवत यनधीया।।

335
एतना कवऩन्ह सुना जफ काना। ककरककराइ धाए फरवाना।।
सरए उठाइ वफटऩ अरु बूधय। कटकटाइ डायकहॊ ता ऊऩय।।
कोकट कोकट सगरय ससिय प्रहाया। कयकहॊ बारु कवऩ एक एक फाया।।
भुय ् मो न भन तनु टय ् मो न टाय ् मो। ष्जसभ गज अका परसन को भामो।।
तफ भारुतसुत भुकठका हन्मो। ऩय ् मो धयसन ब्माकुर ससय धुन्मो।।
ऩुसन उकठ तेकहॊ भाये उ हनुभॊता। घुसभात बूतर ऩये उ तुयॊता।।
ऩुसन नर नीरकह अवसन ऩछाये सस। जहॉ तहॉ ऩटकक ऩटकक बट डाये सस।।
चरी फरीभुि सेन ऩयाई। असत बम त्रससत न कोउ सभुहाई।।
दो0-अॊगदाकद कवऩ भुरुसछत करय सभेत सुग्रीव।
काॉि दावफ कवऩयाज कहुॉ चरा असभत फर सीॊव।।65।।
–*–*–
उभा कयत यघुऩसत नयरीरा। िेरत गरुड़ ष्जसभ अकहगन भीरा।।
बृकुकट बॊग जो कारकह िाई। ताकह कक सोहइ ऐसस रयाई।।
जग ऩावसन कीयसत वफस्तरयहकहॊ । गाइ गाइ बवसनसध नय तरयहकहॊ ।।
भुरुछा गइ भारुतसुत जागा। सुग्रीवकह तफ िोजन रागा।।
सुग्रीवहु कै भुरुछा फीती। सनफुक गमउ तेकह भृतक प्रतीती।।
काटे सस दसन नाससका काना। गयष्ज अकास चरउ तेकहॊ जाना।।
गहे उ चयन गकह बूसभ ऩछाया। असत राघवॉ उकठ ऩुसन तेकह भाया।।
ऩुसन आमसु प्रबु ऩकहॊ फरवाना। जमसत जमसत जम कृ ऩासनधाना।।
नाक कान काटे ष्जमॉ जानी। कपया क्रोध करय बइ भन ग्रानी।।
सहज बीभ ऩुसन वफनु श्रुसत नासा। दे ित कवऩ दर उऩजी त्रासा।।
दो0-जम जम जम यघुफॊस भसन धाए कवऩ दै हूह।
एककह फाय तासु ऩय छाड़े ष्न्ह सगरय तरु जूह।।66।।
–*–*–
कुॊबकयन यन यॊ ग वफरुद्धा। सन्भुि चरा कार जनु क्रुद्धा।।
कोकट कोकट कवऩ धरय धरय िाई। जनु टीड़ी सगरय गुहाॉ सभाई।।
कोकटन्ह गकह सयीय सन भदाा। कोकटन्ह भीष्ज सभरव भकह गदाा।।
भुि नासा श्रवनष्न्ह कीॊ फाटा। सनसरय ऩयाकहॊ बारु कवऩ ठाटा।।
यन भद भत्त सनसाचय दऩाा। वफस्व ग्रससकह जनु एकह वफसध अऩाा।।
भुये सुबट सफ कपयकहॊ न पेये । सूझ न नमन सुनकहॊ नकहॊ टे ये।।
कुॊबकयन कवऩ पौज वफडायी। सुसन धाई यजनीचय धायी।।
दे ष्ि याभ वफकर कटकाई। रयऩु अनीक नाना वफसध आई।।
दो0-सुनु सुग्रीव वफबीषन अनुज सॉबाये हु सैन।

336
भईआ दे िउॉ िर फर दरकह फोरे याष्जवनैन।।67।।
–*–*–
कय सायॊ ग साष्ज ककट बाथा। अरय दर दरन चरे यघुनाथा।।
प्रथभ कीन्ह प्रबु धनुष टॉ कोया। रयऩु दर फसधय बमउ सुसन सोया।।
सत्मसॊध छाॉड़े सय रछछा। कारसऩा जनु चरे सऩछछा।।
जहॉ तहॉ चरे वफऩुर नायाचा। रगे कटन बट वफकट वऩसाचा।।
कटकहॊ चयन उय ससय बुजदॊ डा। फहुतक फीय होकहॊ सत िॊडा।।
घुसभा घुसभा घामर भकह ऩयहीॊ। उकठ सॊबारय सुबट ऩुसन रयहीॊ।।
रागत फान जरद ष्जसभ गाजहीॊ। फहुतक दे िी ककठन सय बाजकहॊ ।।
रुॊ ड प्रचॊड भुॊड वफनु धावकहॊ । धरु धरु भारू भारु धुसन गावकहॊ ।।
दो0-छन भहुॉ प्रबु के सामकष्न्ह काटे वफकट वऩसाच।
ऩुसन यघुफीय सनषॊग भहुॉ प्रवफसे सफ नायाच।।68।।
–*–*–
कुॊबकयन भन दीि वफचायी। हसत धन भाझ सनसाचय धायी।।
बा असत क्रुद्ध भहाफर फीया। ककमो भृगनामक नाद गॉबीया।।
कोवऩ भहीधय रेइ उऩायी। डायइ जहॉ भकाट बट बायी।।
आवत दे ष्ि सैर प्रबू बाये । सयष्न्ह काकट यज सभ करय डाये ।।।
ऩुसन धनु तासन कोवऩ यघुनामक। छाॉड़े असत कयार फहु सामक।।
तनु भहुॉ प्रवफसस सनसरय सय जाहीॊ। ष्जसभ दासभसन घन भाझ सभाहीॊ।।
सोसनत स्त्रवत सोह तन काये । जनु कज्जर सगरय गेरु ऩनाये ।।
वफकर वफरोकक बारु कवऩ धाए। वफहॉ सा जफकहॊ सनकट कवऩ आए।।
दो0-भहानाद करय गजाा कोकट कोकट गकह कीस।
भकह ऩटकइ गजयाज इव सऩथ कयइ दससीस।।69।।
–*–*–
बागे बारु फरीभुि जूथा। फृकु वफरोकक ष्जसभ भेष फरूथा।।
चरे बासग कवऩ बारु बवानी। वफकर ऩुकायत आयत फानी।।
मह सनससचय दक
ु ार सभ अहई। कवऩकुर दे स ऩयन अफ चहई।।
कृ ऩा फारयधय याभ ियायी। ऩाकह ऩाकह प्रनतायसत हायी।।
सकरुन फचन सुनत बगवाना। चरे सुधारय सयासन फाना।।
याभ सेन सनज ऩाछईआ घारी। चरे सकोऩ भहा फरसारी।।
िईआसच धनुष सय सत सॊधाने। छूटे तीय सयीय सभाने।।
रागत सय धावा रयस बया। कुधय डगभगत डोरसत धया।।
रीन्ह एक तेकहॊ सैर उऩाटी। यघुकुर सतरक बुजा सोइ काटी।।

337
धावा फाभ फाहु सगरय धायी। प्रबु सोउ बुजा काकट भकह ऩायी।।
काटईऄ बुजा सोह िर कैसा। ऩछछहीन भॊदय सगरय जैसा।।
उग्र वफरोकसन प्रबुकह वफरोका। ग्रसन चहत भानहुॉ त्रेरोका।।
दो0-करय सचक्काय घोय असत धावा फदनु ऩसारय।
गगन ससद्ध सुय त्राससत हा हा हे सत ऩुकारय।।70।।
–*–*–
सबम दे व करुनासनसध जान्मो। श्रवन प्रजॊत सयासनु तान्मो।।
वफससि सनकय सनससचय भुि बये ऊ। तदवऩ भहाफर बूसभ न ऩये ऊ।।
सयष्न्ह बया भुि सन्भुि धावा। कार त्रोन सजीव जनु आवा।।
तफ प्रबु कोवऩ तीब्र सय रीन्हा। धय ते सबन्न तासु ससय कीन्हा।।
सो ससय ऩये उ दसानन आगईऄ। वफकर बमउ ष्जसभ पसन भसन त्मागईऄ।।
धयसन धसइ धय धाव प्रचॊडा। तफ प्रबु काकट कीन्ह दइ
ु िॊडा।।
ऩये बूसभ ष्जसभ नब तईऄ बूधय। हे ठ दावफ कवऩ बारु सनसाचय।।
तासु तेज प्रबु फदन सभाना। सुय भुसन सफकहॊ अचॊबव भाना।।
सुय दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजावकहॊ हयषकहॊ । अस्तुसत कयकहॊ सुभन फहु फयषकहॊ ।।
करय वफनती सुय सकर ससधाए। तेही सभम दे वरयवष आए।।
गगनोऩरय हरय गुन गन गाए। रुसचय फीययस प्रबु भन बाए।।
फेसग हतहु िर ककह भुसन गए। याभ सभय भकह सोबत बए।।
छॊ 0-सॊग्राभ बूसभ वफयाज यघुऩसत अतुर फर कोसर धनी।
श्रभ वफॊद ु भुि याजीव रोचन अरुन तन सोसनत कनी।।
बुज जुगर पेयत सय सयासन बारु कवऩ चहु कदसस फने।
कह दास तुरसी ककह न सक छवफ सेष जेकह आनन घने।।
दो0-सनससचय अधभ भराकय ताकह दीन्ह सनज धाभ।
सगरयजा ते नय भॊदभसत जे न बजकहॊ श्रीयाभ।।71।।
–*–*–
कदन कईऄ अॊत कपयीॊ दोउ अनी। सभय बई सुबटन्ह श्रभ घनी।।
याभ कृ ऩाॉ कवऩ दर फर फाढ़ा। ष्जसभ तृन ऩाइ राग असत डाढ़ा।।
छीजकहॊ सनससचय कदनु अरु याती। सनज भुि कहईऄ सुकृत जेकह बाॉती।।
फहु वफराऩ दसकॊधय कयई। फॊधु सीस ऩुसन ऩुसन उय धयई।।
योवकहॊ नारय रृदम हसत ऩानी। तासु तेज फर वफऩुर फिानी।।
भेघनाद तेकह अवसय आमउ। ककह फहु कथा वऩता सभुझामउ।।
दे िेहु कासर भोरय भनुसाई। अफकहॊ फहुत का कयं फड़ाई।।
इिदे व सईआ फर यथ ऩामउॉ । सो फर तात न तोकह दे िामउॉ ।।

338
एकह वफसध जल्ऩत बमउ वफहाना। चहुॉ दआ
ु य रागे कवऩ नाना।।
इत कवऩ बारु कार सभ फीया। उत यजनीचय असत यनधीया।।
रयकहॊ सुबट सनज सनज जम हे तू। फयसन न जाइ सभय िगकेतू।।
दो0-भेघनाद भामाभम यथ चकढ़ गमउ अकास।।
गजेउ अट्टहास करय बइ कवऩ कटककह त्रास।।72।।
–*–*–
सवि सूर तयवारय कृ ऩाना। अस्त्र सस्त्र कुसरसामुध नाना।।
डायह ऩयसु ऩरयघ ऩाषाना। रागेउ फृवि कयै फहु फाना।।
दस कदसस यहे फान नब छाई। भानहुॉ भघा भेघ झरय राई।।
धरु धरु भारु सुसनअ धुसन काना। जो भायइ तेकह कोउ न जाना।।
गकह सगरय तरु अकास कवऩ धावकहॊ । दे िकह तेकह न दष्ु ित कपरय आवकहॊ ।।
अवघट घाट फाट सगरय कॊदय। भामा फर कीन्हे सस सय ऩॊजय।।
जाकहॊ कहाॉ ब्माकुर बए फॊदय। सुयऩसत फॊकद ऩये जनु भॊदय।।
भारुतसुत अॊगद नर नीरा। कीन्हे सस वफकर सकर फरसीरा।।
ऩुसन रसछभन सुग्रीव वफबीषन। सयष्न्ह भारय कीन्हे सस जजाय तन।।
ऩुसन यघुऩसत सईआ जूझे रागा। सय छाॉड़इ होइ रागकहॊ नागा।।
ब्मार ऩास फस बए ियायी। स्वफस अनॊत एक अवफकायी।।
नट इव कऩट चरयत कय नाना। सदा स्वतॊत्र एक बगवाना।।
यन सोबा रसग प्रबुकहॊ फॉधामो। नागऩास दे वन्ह बम ऩामो।।
दो0-सगरयजा जासु नाभ जवऩ भुसन काटकहॊ बव ऩास।
सो कक फॊध तय आवइ ब्माऩक वफस्व सनवास।।73।।
–*–*–
चरयत याभ के सगुन बवानी। तकका न जाकहॊ फुवद्ध फर फानी।।
अस वफचारय जे तग्म वफयागी। याभकह बजकहॊ तका सफ त्मागी।।
ब्माकुर कटकु कीन्ह घननादा। ऩुसन बा प्रगट कहइ दफ
ु ाादा।।
जाभवॊत कह िर यहु ठाढ़ा। सुसन करय ताकह क्रोध असत फाढ़ा।।
फूढ़ जासन सठ छाॉड़ेउॉ तोही। रागेसस अधभ ऩचायै भोही।।
अस ककह तयर वत्रसूर चरामो। जाभवॊत कय गकह सोइ धामो।।
भारयसस भेघनाद कै छाती। ऩया बूसभ घुसभात सुयघाती।।
ऩुसन रयसान गकह चयन कपयामौ। भकह ऩछारय सनज फर दे ियामो।।
फय प्रसाद सो भयइ न भाया। तफ गकह ऩद रॊका ऩय डाया।।
इहाॉ दे वरयवष गरुड़ ऩठामो। याभ सभीऩ सऩकद सो आमो।।
दो0-िगऩसत सफ धरय िाए भामा नाग फरूथ।

339
भामा वफगत बए सफ हयषे फानय जूथ। 74(क)।।
गकह सगरय ऩादऩ उऩर नि धाए कीस रयसाइ।
चरे तभीचय वफकरतय गढ़ ऩय चढ़े ऩयाइ।।74(ि)।।
–*–*–
भेघनाद के भुयछा जागी। वऩतकह वफरोकक राज असत रागी।।
तुयत गमउ सगरयफय कॊदया। कयं अजम भि अस भन धया।।
इहाॉ वफबीषन भॊत्र वफचाया। सुनहु नाथ फर अतुर उदाया।।
भेघनाद भि कयइ अऩावन। िर भामावी दे व सतावन।।
जं प्रबु ससद्ध होइ सो ऩाइकह। नाथ फेसग ऩुसन जीसत न जाइकह।।
सुसन यघुऩसत असतसम सुि भाना। फोरे अॊगदाकद कवऩ नाना।।
रसछभन सॊग जाहु सफ बाई। कयहु वफधॊस जग्म कय जाई।।
तुम्ह रसछभन भाये हु यन ओही। दे ष्ि सबम सुय दि
ु असत भोही।।
भाये हु तेकह फर फुवद्ध उऩाई। जेकहॊ छीजै सनससचय सुनु बाई।।
जाभवॊत सुग्रीव वफबीषन। सेन सभेत यहे हु तीसनउ जन।।
जफ यघुफीय दीष्न्ह अनुसासन। ककट सनषॊग कसस साष्ज सयासन।।
प्रबु प्रताऩ उय धरय यनधीया। फोरे घन इव सगया गॉबीया।।
जं तेकह आजु फधईऄ वफनु आवं। तौ यघुऩसत सेवक न कहावं।।
जं सत सॊकय कयकहॊ सहाई। तदवऩ हतउॉ यघुफीय दोहाई।।
दो0-यघुऩसत चयन नाइ ससरु चरेउ तुयॊत अनॊत।
अॊगद नीर भमॊद नर सॊग सुबट हनुभॊत।।75।।
–*–*–
जाइ कवऩन्ह सो दे िा फैसा। आहुसत दे त रुसधय अरु बईआसा।।
कीन्ह कवऩन्ह सफ जग्म वफधॊसा। जफ न उठइ तफ कयकहॊ प्रसॊसा।।
तदवऩ न उठइ धये ष्न्ह कच जाई। रातष्न्ह हसत हसत चरे ऩयाई।।
रै वत्रसुर धावा कवऩ बागे। आए जहॉ याभानुज आगे।।
आवा ऩयभ क्रोध कय भाया। गजा घोय यव फायकहॊ फाया।।
कोवऩ भरुतसुत अॊगद धाए। हसत वत्रसूर उय धयसन सगयाए।।
प्रबु कहॉ छाॉड़ेसस सूर प्रचॊडा। सय हसत कृ त अनॊत जुग िॊडा।।
उकठ फहोरय भारुसत जुफयाजा। हतकहॊ कोवऩ तेकह घाउ न फाजा।।
कपये फीय रयऩु भयइ न भाया। तफ धावा करय घोय सचकाया।।
आवत दे ष्ि क्रुद्ध जनु कारा। रसछभन छाड़े वफससि कयारा।।
दे िेसस आवत ऩवफ सभ फाना। तुयत बमउ िर अॊतयधाना।।
वफवफध फेष धरय कयइ रयाई। कफहुॉक प्रगट कफहुॉ दरु य जाई।।

340
दे ष्ि अजम रयऩु डयऩे कीसा। ऩयभ क्रुद्ध तफ बमउ अहीसा।।
रसछभन भन अस भॊत्र दृढ़ावा। एकह ऩावऩकह भईआ फहुत िेरावा।।
सुसभरय कोसराधीस प्रताऩा। सय सॊधान कीन्ह करय दाऩा।।
छाड़ा फान भाझ उय रागा। भयती फाय कऩटु सफ त्मागा।।
दो0-याभानुज कहॉ याभु कहॉ अस ककह छाॉड़ेसस प्रान।
धन्म धन्म तव जननी कह अॊगद हनुभान।।76।।
–*–*–
वफनु प्रमास हनुभान उठामो। रॊका द्वाय याष्ि ऩुसन आमो।।
तासु भयन सुसन सुय गॊधफाा। चकढ़ वफभान आए नब सफाा।।
फयवष सुभन दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजावकहॊ । श्रीयघुनाथ वफभर जसु गावकहॊ ।।
जम अनॊत जम जगदाधाया। तुम्ह प्रबु सफ दे वष्न्ह सनस्ताया।।
अस्तुसत करय सुय ससद्ध ससधाए। रसछभन कृ ऩाससन्धु ऩकहॊ आए।।
सुत फध सुना दसानन जफहीॊ। भुरुसछत बमउ ऩये उ भकह तफहीॊ।।
भॊदोदयी रुदन कय बायी। उय ताड़न फहु बाॉसत ऩुकायी।।
नगय रोग सफ ब्माकुर सोचा। सकर कहकहॊ दसकॊधय ऩोचा।।
दो0-तफ दसकॊठ वफवफध वफसध सभुझाईं सफ नारय।
नस्वय रूऩ जगत सफ दे िहु रृदमॉ वफचारय।।77।।
–*–*–
सतन्हकह ग्मान उऩदे सा यावन। आऩुन भॊद कथा सुब ऩावन।।
ऩय उऩदे स कुसर फहुतेये। जे आचयकहॊ ते नय न घनेये।।
सनसा ससयासन बमउ सबनुसाया। रगे बारु कवऩ चारयहुॉ द्वाया।।
सुबट फोराइ दसानन फोरा। यन सन्भुि जा कय भन डोरा।।
सो अफहीॊ फरु जाउ ऩयाई। सॊजुग वफभुि बएॉ न बराई।।
सनज बुज फर भईआ फमरु फढ़ावा। दे हउॉ उतरु जो रयऩु चकढ़ आवा।।
अस ककह भरुत फेग यथ साजा। फाजे सकर जुझाऊ फाजा।।
चरे फीय सफ अतुसरत फरी। जनु कज्जर कै आॉधी चरी।।
असगुन असभत होकहॊ तेकह कारा। गनइ न बुजफर गफा वफसारा।।
छॊ 0-असत गफा गनइ न सगुन असगुन स्त्रवकहॊ आमुध हाथ ते।
बट सगयत यथ ते फाष्ज गज सचक्कयत बाजकहॊ साथ ते।।
गोभाम गीध कयार िय यव स्वान फोरकहॊ असत घने।
जनु कारदत
ू उरूक फोरकहॊ फचन ऩयभ बमावने।।
दो0-ताकह कक सॊऩसत सगुन सुब सऩनेहुॉ भन वफश्राभ।
बूत रोह यत भोहफस याभ वफभुि यसत काभ।।78।।

341
–*–*–
चरेउ सनसाचय कटकु अऩाया। चतुयॊसगनी अनी फहु धाया।।
वफवफध बाॉसत फाहन यथ जाना। वफऩुर फयन ऩताक ध्वज नाना।।
चरे भत्त गज जूथ घनेये। प्रावफट जरद भरुत जनु प्रेये।।
फयन फयद वफयदै त सनकामा। सभय सूय जानकहॊ फहु भामा।।
असत वफसचत्र फाकहनी वफयाजी। फीय फसॊत सेन जनु साजी।।
चरत कटक कदगससधुॊय डगहीॊ। छुसबत ऩमोसध कुधय डगभगहीॊ।।
उठी ये नु यवफ गमउ छऩाई। भरुत थककत फसुधा अकुराई।।
ऩनव सनसान घोय यव फाजकहॊ । प्ररम सभम के घन जनु गाजकहॊ ।।
बेरय नपीरय फाज सहनाई। भारू याग सुबट सुिदाई।।
केहरय नाद फीय सफ कयहीॊ। सनज सनज फर ऩौरुष उछचयहीॊ।।
कहइ दसानन सुनहु सुबट्टा। भदा हु बारु कवऩन्ह के ठट्टा।।
हं भारयहउॉ बूऩ द्वौ बाई। अस ककह सन्भुि पौज यईऄ गाई।।
मह सुसध सकर कवऩन्ह जफ ऩाई। धाए करय यघुफीय दोहाई।।
छॊ 0-धाए वफसार कयार भकाट बारु कार सभान ते।
भानहुॉ सऩछछ उड़ाकहॊ बूधय फृॊद नाना फान ते।।
नि दसन सैर भहारभ
ु ामुध सफर सॊक न भानहीॊ।
जम याभ यावन भत्त गज भृगयाज सुजसु फिानहीॊ।।
दो0-दह
ु ु कदसस जम जमकाय करय सनज सनज जोयी जासन।
सबये फीय इत याभकह उत यावनकह फिासन।।79।।
–*–*–
यावनु यथी वफयथ यघुफीया। दे ष्ि वफबीषन बमउ अधीया।।
असधक प्रीसत भन बा सॊदेहा। फॊकद चयन कह सकहत सनेहा।।
नाथ न यथ नकहॊ तन ऩद त्राना। केकह वफसध ष्जतफ फीय फरवाना।।
सुनहु सिा कह कृ ऩासनधाना। जेकहॊ जम होइ सो स्मॊदन आना।।
सौयज धीयज तेकह यथ चाका। सत्म सीर दृढ़ ध्वजा ऩताका।।
फर वफफेक दभ ऩयकहत घोये । छभा कृ ऩा सभता यजु जोये ।।
ईस बजनु सायथी सुजाना। वफयसत चभा सॊतोष कृ ऩाना।।
दान ऩयसु फुसध सवि प्रचॊड़ा। फय वफग्मान ककठन कोदॊ डा।।
अभर अचर भन त्रोन सभाना। सभ जभ सनमभ ससरीभुि नाना।।
कवच अबेद वफप्र गुय ऩूजा। एकह सभ वफजम उऩाम न दज
ू ा।।
सिा धभाभम अस यथ जाकईऄ। जीतन कहॉ न कतहुॉ रयऩु ताकईऄ।।
दो0-भहा अजम सॊसाय रयऩु जीसत सकइ सो फीय।

342
जाकईऄ अस यथ होइ दृढ़ सुनहु सिा भसतधीय।।80(क)।।
सुसन प्रबु फचन वफबीषन हयवष गहे ऩद कॊज।
एकह सभस भोकह उऩदे सेहु याभ कृ ऩा सुि ऩुॊज।।80(ि)।।
उत ऩचाय दसकॊधय इत अॊगद हनुभान।
रयत सनसाचय बारु कवऩ करय सनज सनज प्रबु आन।।80(ग)।।
–*–*–
सुय ब्रह्माकद ससद्ध भुसन नाना। दे ित यन नब चढ़े वफभाना।।
हभहू उभा यहे तेकह सॊगा। दे ित याभ चरयत यन यॊ गा।।
सुबट सभय यस दह
ु ु कदसस भाते। कवऩ जमसीर याभ फर ताते।।
एक एक सन सबयकहॊ ऩचायकहॊ । एकन्ह एक भकदा भकह ऩायकहॊ ।।
भायकहॊ काटकहॊ धयकहॊ ऩछायकहॊ । सीस तोरय सीसन्ह सन भायकहॊ ।।
उदय वफदायकहॊ बुजा उऩायकहॊ । गकह ऩद अवसन ऩटकक बट डायकहॊ ।।
सनससचय बट भकह गाड़कह बारू। ऊऩय ढारय दे कहॊ फहु फारू।।
फीय फसरभुि जुद्ध वफरुद्धे । दे ष्िअत वफऩुर कार जनु क्रुद्धे ।।
छॊ 0-क्रुद्धे कृ ताॊत सभान कवऩ तन स्त्रवत सोसनत याजहीॊ।
भदा कहॊ सनसाचय कटक बट फरवॊत घन ष्जसभ गाजहीॊ।।
भायकहॊ चऩेटष्न्ह डाकट दातन्ह काकट रातन्ह भीजहीॊ।
सचक्कयकहॊ भकाट बारु छर फर कयकहॊ जेकहॊ िर छीजहीॊ।।
धरय गार पायकहॊ उय वफदायकहॊ गर अॉतावरय भेरहीॊ।
प्रहरादऩसत जनु वफवफध तनु धरय सभय अॊगन िेरहीॊ।।
धरु भारु काटु ऩछारु घोय सगया गगन भकह बरय यही।
जम याभ जो तृन ते कुसरस कय कुसरस ते कय तृन सही।।
दो0-सनज दर वफचरत दे िेसस फीस बुजाॉ दस चाऩ।
यथ चकढ़ चरेउ दसानन कपयहु कपयहु करय दाऩ।।81।।
–*–*–
धामउ ऩयभ क्रुद्ध दसकॊधय। सन्भुि चरे हूह दै फॊदय।।
गकह कय ऩादऩ उऩर ऩहाया। डाये ष्न्ह ता ऩय एककहॊ फाया।।
रागकहॊ सैर फज्र तन तासू। िॊड िॊड होइ पूटकहॊ आसू।।
चरा न अचर यहा यथ योऩी। यन दभ
ु द
ा यावन असत कोऩी।।
इत उत झऩकट दऩकट कवऩ जोधा। भदै राग बमउ असत क्रोधा।।
चरे ऩयाइ बारु कवऩ नाना। त्राकह त्राकह अॊगद हनुभाना।।
ऩाकह ऩाकह यघुफीय गोसाई। मह िर िाइ कार की नाई।।
तेकह दे िे कवऩ सकर ऩयाने। दसहुॉ चाऩ सामक सॊधाने।।

343
छॊ 0-सॊधासन धनु सय सनकय छाड़े सस उयग ष्जसभ उकड़ रागहीॊ।
यहे ऩूरय सय धयनी गगन कदसस वफदसस कहॉ कवऩ बागहीॊ।।
बमो असत कोराहर वफकर कवऩ दर बारु फोरकहॊ आतुये।
यघुफीय करुना ससॊधु आयत फॊधु जन यछछक हये ।।
दो0-सनज दर वफकर दे ष्ि ककट कसस सनषॊग धनु हाथ।
रसछभन चरे क्रुद्ध होइ नाइ याभ ऩद भाथ।।82।।
–*–*–
ये िर का भायसस कवऩ बारू। भोकह वफरोकु तोय भईआ कारू।।
िोजत यहे उॉ तोकह सुतघाती। आजु सनऩासत जुड़ावउॉ छाती।।
अस ककह छाड़े सस फान प्रचॊडा। रसछभन ककए सकर सत िॊडा।।
कोकटन्ह आमुध यावन डाये । सतर प्रवान करय काकट सनवाये ।।
ऩुसन सनज फानन्ह कीन्ह प्रहाया। स्मॊदनु बॊष्ज सायथी भाया।।
सत सत सय भाये दस बारा। सगरय सृॊगन्ह जनु प्रवफसकहॊ ब्मारा।।
ऩुसन सत सय भाया उय भाहीॊ। ऩये उ धयसन तर सुसध कछु नाहीॊ।।
उठा प्रफर ऩुसन भुरुछा जागी। छाकड़सस ब्रह्म दीष्न्ह जो साॉगी।।
छॊ 0-सो ब्रह्म दत्त प्रचॊड सवि अनॊत उय रागी सही।
ऩमो फीय वफकर उठाव दसभुि अतुर फर भकहभा यही।।
ब्रह्माॊड बवन वफयाज जाकईऄ एक ससय ष्जसभ यज कनी।
तेकह चह उठावन भूढ़ यावन जान नकहॊ वत्रबुअन धनी।।
दो0-दे ष्ि ऩवनसुत धामउ फोरत फचन कठोय।
आवत कवऩकह हन्मो तेकहॊ भुवि प्रहाय प्रघोय।।83।।
–*–*–
जानु टे कक कवऩ बूसभ न सगया। उठा सॉबारय फहुत रयस बया।।
भुकठका एक ताकह कवऩ भाया। ऩये उ सैर जनु फज्र प्रहाया।।
भुरुछा गै फहोरय सो जागा। कवऩ फर वफऩुर सयाहन रागा।।
सधग सधग भभ ऩौरुष सधग भोही। जं तईआ ष्जअत यहे सस सुयरोही।।
अस ककह रसछभन कहुॉ कवऩ ल्मामो। दे ष्ि दसानन वफसभम ऩामो।।
कह यघुफीय सभुझु ष्जमॉ र्भ्ाता। तुम्ह कृ ताॊत बछछक सुय त्राता।।
सुनत फचन उकठ फैठ कृ ऩारा। गई गगन सो सकसत कयारा।।
ऩुसन कोदॊ ड फान गकह धाए। रयऩु सन्भुि असत आतुय आए।।
छॊ 0-आतुय फहोरय वफबॊष्ज स्मॊदन सूत हसत ब्माकुर ककमो।
सगय ् मो धयसन दसकॊधय वफकरतय फान सत फेध्मो कहमो।।
सायथी दस
ू य घासर यथ तेकह तुयत रॊका रै गमो।

344
यघुफीय फॊधु प्रताऩ ऩुॊज फहोरय प्रबु चयनष्न्ह नमो।।
दो0-उहाॉ दसानन जासग करय कयै राग कछु जग्म।
याभ वफयोध वफजम चह सठ हठ फस असत अग्म।।84।।
–*–*–
इहाॉ वफबीषन सफ सुसध ऩाई। सऩकद जाइ यघुऩसतकह सुनाई।।
नाथ कयइ यावन एक जागा। ससद्ध बएॉ नकहॊ भरयकह अबागा।।
ऩठवहु नाथ फेसग बट फॊदय। कयकहॊ वफधॊस आव दसकॊधय।।
प्रात होत प्रबु सुबट ऩठाए। हनुभदाकद अॊगद सफ धाए।।
कौतुक कूकद चढ़े कवऩ रॊका। ऩैठे यावन बवन असॊका।।
जग्म कयत जफहीॊ सो दे िा। सकर कवऩन्ह बा क्रोध वफसेषा।।
यन ते सनरज बाष्ज गृह आवा। इहाॉ आइ फक ध्मान रगावा।।
अस ककह अॊगद भाया राता। सचतव न सठ स्वायथ भन याता।।
छॊ 0-नकहॊ सचतव जफ करय कोऩ कवऩ गकह दसन रातन्ह भायहीॊ।
धरय केस नारय सनकारय फाहे य तेऽसतदीन ऩुकायहीॊ।।
तफ उठे उ क्रुद्ध कृ ताॊत सभ गकह चयन फानय डायई।
एकह फीच कवऩन्ह वफधॊस कृ त भि दे ष्ि भन भहुॉ हायई।।
दो0-जग्म वफधॊसस कुसर कवऩ आए यघुऩसत ऩास।
चरेउ सनसाचय क्रुद्धा होइ त्मासग ष्जवन कै आस।।85।।
–*–*–
चरत होकहॊ असत असुब बमॊकय। फैठकहॊ गीध उड़ाइ ससयन्ह ऩय।।
बमउ कारफस काहु न भाना। कहे सस फजावहु जुद्ध सनसाना।।
चरी तभीचय अनी अऩाया। फहु गज यथ ऩदासत असवाया।।
प्रबु सन्भुि धाए िर कईआसईऄ। सरब सभूह अनर कहॉ जईआसईऄ।।
इहाॉ दे वतन्ह अस्तुसत कीन्ही। दारुन वफऩसत हभकह एकहॊ दीन्ही।।
अफ जसन याभ िेरावहु एही। असतसम दष्ु ित होसत फैदेही।।
दे व फचन सुसन प्रबु भुसकाना। उकठ यघुफीय सुधाये फाना।
जटा जूट दृढ़ फाॉधै भाथे। सोहकहॊ सुभन फीच वफच गाथे।।
अरुन नमन फारयद तनु स्माभा। अष्िर रोक रोचनासबयाभा।।
ककटतट ऩरयकय कस्मो सनषॊगा। कय कोदॊ ड ककठन सायॊ गा।।
छॊ 0-सायॊ ग कय सुॊदय सनषॊग ससरीभुिाकय ककट कस्मो।
बुजदॊ ड ऩीन भनोहयामत उय धयासुय ऩद रस्मो।।
कह दास तुरसी जफकहॊ प्रबु सय चाऩ कय पेयन रगे।
ब्रह्माॊड कदग्गज कभठ अकह भकह ससॊधु बूधय डगभगे।।

345
दो0-सोबा दे ष्ि हयवष सुय फयषकहॊ सुभन अऩाय।
जम जम जम करुनासनसध छवफ फर गुन आगाय।।86।।
–*–*–
एहीॊ फीच सनसाचय अनी। कसभसात आई असत घनी।
दे ष्ि चरे सन्भुि कवऩ बट्टा। प्ररमकार के जनु घन घट्टा।।
फहु कृ ऩान तयवारय चभॊककहॊ । जनु दहॉ कदसस दासभनीॊ दभॊककहॊ ।।
गज यथ तुयग सचकाय कठोया। गजाकहॊ भनहुॉ फराहक घोया।।
कवऩ रॊगूय वफऩुर नब छाए। भनहुॉ इॊ रधनु उए सुहाए।।
उठइ धूरय भानहुॉ जरधाया। फान फुॊद बै फृवि अऩाया।।
दह
ु ुॉ कदसस ऩफात कयकहॊ प्रहाया। फज्रऩात जनु फायकहॊ फाया।।
यघुऩसत कोवऩ फान झरय राई। घामर बै सनससचय सभुदाई।।
रागत फान फीय सचक्कयहीॊ। घुसभा घुसभा जहॉ तहॉ भकह ऩयहीॊ।।
स्त्रवकहॊ सैर जनु सनझाय बायी। सोसनत सरय कादय बमकायी।।
छॊ 0-कादय बमॊकय रुसधय सरयता चरी ऩयभ अऩावनी।
दोउ कूर दर यथ ये त चक्र अफता फहसत बमावनी।।
जर जॊतुगज ऩदचय तुयग िय वफवफध फाहन को गने।
सय सवि तोभय सऩा चाऩ तयॊ ग चभा कभठ घने।।
दो0-फीय ऩयकहॊ जनु तीय तरु भज्जा फहु फह पेन।
कादय दे ष्ि डयकहॊ तहॉ सुबटन्ह के भन चेन।।87।।
–*–*–
भज्जकह बूत वऩसाच फेतारा। प्रभथ भहा झोकटॊ ग कयारा।।
काक कॊक रै बुजा उड़ाहीॊ। एक ते छीसन एक रै िाहीॊ।।
एक कहकहॊ ऐससउ संघाई। सठहु तुम्हाय दरयर न जाई।।
कहॉ यत बट घामर तट सगये । जहॉ तहॉ भनहुॉ अधाजर ऩये ।।
िईआचकहॊ गीध आॉत तट बए। जनु फॊसी िेरत सचत दए।।
फहु बट फहकहॊ चढ़े िग जाहीॊ। जनु नावरय िेरकहॊ सरय भाहीॊ।।
जोसगसन बरय बरय िप्ऩय सॊचकहॊ । बूत वऩसाच फधू नब नॊचकहॊ ।।
बट कऩार कयतार फजावकहॊ । चाभुॊडा नाना वफसध गावकहॊ ।।
जॊफुक सनकय कटक्कट कट्टकहॊ । िाकहॊ हुआकहॊ अघाकहॊ दऩट्टकहॊ ।।
कोकटन्ह रुॊ ड भुॊड वफनु डोल्रकहॊ । सीस ऩये भकह जम जम फोल्रकहॊ ।।
छॊ 0-फोल्रकहॊ जो जम जम भुॊड रुॊ ड प्रचॊड ससय वफनु धावहीॊ।
िप्ऩरयन्ह िग्ग अरुष्ज्झ जुज्झकहॊ सुबट बटन्ह ढहावहीॊ।।
फानय सनसाचय सनकय भदा कहॊ याभ फर दवऩात बए।

346
सॊग्राभ अॊगन सुबट सोवकहॊ याभ सय सनकयष्न्ह हए।।
दो0-यावन रृदमॉ वफचाया बा सनससचय सॊघाय।
भईआ अकेर कवऩ बारु फहु भामा कयं अऩाय।।88।।
–*–*–
दे वन्ह प्रबुकह ऩमादईऄ दे िा। उऩजा उय असत छोब वफसेषा।।
सुयऩसत सनज यथ तुयत ऩठावा। हयष सकहत भातसर रै आवा।।
तेज ऩुॊज यथ कदब्म अनूऩा। हयवष चढ़े कोसरऩुय बूऩा।।
चॊचर तुयग भनोहय चायी। अजय अभय भन सभ गसतकायी।।
यथारूढ़ यघुनाथकह दे िी। धाए कवऩ फरु ऩाइ वफसेषी।।
सही न जाइ कवऩन्ह कै भायी। तफ यावन भामा वफस्तायी।।
सो भामा यघुफीयकह फाॉची। रसछभन कवऩन्ह सो भानी साॉची।।
दे िी कवऩन्ह सनसाचय अनी। अनुज सकहत फहु कोसरधनी।।
छॊ 0-फहु याभ रसछभन दे ष्ि भकाट बारु भन असत अऩडये ।
जनु सचत्र सरष्ित सभेत रसछभन जहॉ सो तहॉ सचतवकहॊ िये ।।
सनज सेन चककत वफरोकक हॉ सस सय चाऩ सष्ज कोसर धनी।
भामा हयी हरय सनसभष भहुॉ हयषी सकर भकाट अनी।।
दो0-फहुरय याभ सफ तन सचतइ फोरे फचन गॉबीय।
द्वॊ दजुद्ध दे िहु सकर श्रसभत बए असत फीय।।89।।
–*–*–
अस ककह यथ यघुनाथ चरावा। वफप्र चयन ऩॊकज ससरु नावा।।
तफ रॊकेस क्रोध उय छावा। गजात तजात सन्भुि धावा।।
जीतेहु जे बट सॊजुग भाहीॊ। सुनु ताऩस भईआ सतन्ह सभ नाहीॊ।।
यावन नाभ जगत जस जाना। रोकऩ जाकईऄ फॊदीिाना।।
िय दष
ू न वफयाध तुम्ह भाया। फधेहु ब्माध इव फासर वफचाया।।
सनससचय सनकय सुबट सॊघाये हु। कुॊबकयन घननादकह भाये हु।।
आजु फमरु सफु रेउॉ सनफाही। जं यन बूऩ बाष्ज नकहॊ जाहीॊ।।
आजु कयउॉ िरु कार हवारे। ऩये हु ककठन यावन के ऩारे।।
सुसन दफ
ु च
ा न कारफस जाना। वफहॉ सस फचन कह कृ ऩासनधाना।।
सत्म सत्म सफ तव प्रबुताई। जल्ऩसस जसन दे िाउ भनुसाई।।
छॊ 0-जसन जल्ऩना करय सुजसु नासकह नीसत सुनकह कयकह छभा।
सॊसाय भहॉ ऩूरुष वत्रवफध ऩाटर यसार ऩनस सभा।।
एक सुभनप्रद एक सुभन पर एक परइ केवर रागहीॊ।
एक कहकहॊ कहकहॊ कयकहॊ अऩय एक कयकहॊ कहत न फागहीॊ।।

347
दो0-याभ फचन सुसन वफहॉ सा भोकह ससिावत ग्मान।
फमरु कयत नकहॊ तफ डये अफ रागे वप्रम प्रान।।90।।
–*–*–
ककह दफ
ु च
ा न क्रुद्ध दसकॊधय। कुसरस सभान राग छाॉड़ै सय।।
नानाकाय ससरीभुि धाए। कदसस अरु वफकदस गगन भकह छाए।।
ऩावक सय छाॉड़ेउ यघुफीया। छन भहुॉ जये सनसाचय तीया।।
छाकड़सस तीब्र सवि ष्िससआई। फान सॊग प्रबु पेरय चराई।।
कोकटक चक्र वत्रसूर ऩफायै । वफनु प्रमास प्रबु काकट सनवायै ।।
सनपर होकहॊ यावन सय कैसईऄ। िर के सकर भनोयथ जैसईऄ।।
तफ सत फान सायथी भाये सस। ऩये उ बूसभ जम याभ ऩुकाये सस।।
याभ कृ ऩा करय सूत उठावा। तफ प्रबु ऩयभ क्रोध कहुॉ ऩावा।।
छॊ 0-बए क्रुद्ध जुद्ध वफरुद्ध यघुऩसत त्रोन सामक कसभसे।
कोदॊ ड धुसन असत चॊड सुसन भनुजाद सफ भारुत ग्रसे।।
भॉदोदयी उय कॊऩ कॊऩसत कभठ बू बूधय त्रसे।
सचक्कयकहॊ कदग्गज दसन गकह भकह दे ष्ि कौतुक सुय हॉ से।।
दो0-तानेउ चाऩ श्रवन रसग छाॉड़े वफससि कयार।
याभ भायगन गन चरे रहरहात जनु ब्मार।।91।।
–*–*–
चरे फान सऩछछ जनु उयगा। प्रथभकहॊ हतेउ सायथी तुयगा।।
यथ वफबॊष्ज हसत केतु ऩताका। गजाा असत अॊतय फर थाका।।
तुयत आन यथ चकढ़ ष्िससआना। अस्त्र सस्त्र छाॉड़ेसस वफसध नाना।।
वफपर होकहॊ सफ उयभ ताके। ष्जसभ ऩयरोह सनयत भनसा के।।
तफ यावन दस सूर चरावा। फाष्ज चारय भकह भारय सगयावा।।
तुयग उठाइ कोवऩ यघुनामक। िईआसच सयासन छाॉड़े सामक।।
यावन ससय सयोज फनचायी। चसर यघुफीय ससरीभुि धायी।।
दस दस फान बार दस भाये । सनसरय गए चरे रुसधय ऩनाये ।।
स्त्रवत रुसधय धामउ फरवाना। प्रबु ऩुसन कृ त धनु सय सॊधाना।।
तीस तीय यघुफीय ऩफाये । बुजष्न्ह सभेत सीस भकह ऩाये ।।
काटतहीॊ ऩुसन बए नफीने। याभ फहोरय बुजा ससय छीने।।
प्रबु फहु फाय फाहु ससय हए। कटत झकटसत ऩुसन नूतन बए।।
ऩुसन ऩुसन प्रबु काटत बुज सीसा। असत कौतुकी कोसराधीसा।।
यहे छाइ नब ससय अरु फाहू। भानहुॉ असभत केतु अरु याहू।।
छॊ 0-जनु याहु केतु अनेक नब ऩथ स्त्रवत सोसनत धावहीॊ।

348
यघुफीय तीय प्रचॊड रागकहॊ बूसभ सगयन न ऩावहीॊ।।
एक एक सय ससय सनकय छे दे नब उड़त इसभ सोहहीॊ।
जनु कोवऩ कदनकय कय सनकय जहॉ तहॉ वफधुॊतुद ऩोहहीॊ।।
दो0-ष्जसभ ष्जसभ प्रबु हय तासु ससय सतसभ सतसभ होकहॊ अऩाय।
सेवत वफषम वफफधा ष्जसभ सनत सनत नूतन भाय।।92।।
–*–*–
दसभुि दे ष्ि ससयन्ह कै फाढ़ी। वफसया भयन बई रयस गाढ़ी।।
गजेउ भूढ़ भहा असबभानी। धामउ दसहु सयासन तानी।।
सभय बूसभ दसकॊधय कोप्मो। फयवष फान यघुऩसत यथ तोप्मो।।
दॊ ड एक यथ दे ष्ि न ऩये ऊ। जनु सनहाय भहुॉ कदनकय दयु े ऊ।।
हाहाकाय सुयन्ह जफ कीन्हा। तफ प्रबु कोवऩ कायभुक रीन्हा।।
सय सनवारय रयऩु के ससय काटे । ते कदसस वफकदस गगन भकह ऩाटे ।।
काटे ससय नब भायग धावकहॊ । जम जम धुसन करय बम उऩजावकहॊ ।।
कहॉ रसछभन सुग्रीव कऩीसा। कहॉ यघुफीय कोसराधीसा।।
छॊ 0-कहॉ याभु ककह ससय सनकय धाए दे ष्ि भकाट बष्ज चरे।
सॊधासन धनु यघुफॊसभसन हॉ सस सयष्न्ह ससय फेधे बरे।।
ससय भासरका कय कासरका गकह फृॊद फृॊदष्न्ह फहु सभरीॊ।
करय रुसधय सरय भज्जनु भनहुॉ सॊग्राभ फट ऩूजन चरीॊ।।
दो0-ऩुसन दसकॊठ क्रुद्ध होइ छाॉड़ी सवि प्रचॊड।
चरी वफबीषन सन्भुि भनहुॉ कार कय दॊ ड।।93।।
–*–*–
आवत दे ष्ि सवि असत घोया। प्रनतायसत बॊजन ऩन भोया।।
तुयत वफबीषन ऩाछईऄ भेरा। सन्भुि याभ सहे उ सोइ सेरा।।
रासग सवि भुरुछा कछु बई। प्रबु कृ त िेर सुयन्ह वफकरई।।
दे ष्ि वफबीषन प्रबु श्रभ ऩामो। गकह कय गदा क्रुद्ध होइ धामो।।
ये कुबाग्म सठ भॊद कुफुद्धे। तईआ सुय नय भुसन नाग वफरुद्धे ।।
सादय ससव कहुॉ सीस चढ़ाए। एक एक के कोकटन्ह ऩाए।।
तेकह कायन िर अफ रसग फाॉछमो। अफ तव कारु सीस ऩय नाछमो।।
याभ वफभुि सठ चहसस सॊऩदा। अस ककह हनेसस भाझ उय गदा।।
छॊ 0-उय भाझ गदा प्रहाय घोय कठोय रागत भकह ऩय ् मो।
दस फदन सोसनत स्त्रवत ऩुसन सॊबारय धामो रयस बय ् मो।।
द्वौ सबये असतफर भल्रजुद्ध वफरुद्ध एकु एककह हनै।
यघुफीय फर दवऩात वफबीषनु घासर नकहॊ ता कहुॉ गनै।।

349
दो0-उभा वफबीषनु यावनकह सन्भुि सचतव कक काउ।
सो अफ सबयत कार ज्मं श्रीयघुफीय प्रबाउ।।94।।
–*–*–
दे िा श्रसभत वफबीषनु बायी। धामउ हनूभान सगरय धायी।।
यथ तुयॊग सायथी सनऩाता। रृदम भाझ तेकह भाये सस राता।।
ठाढ़ यहा असत कॊवऩत गाता। गमउ वफबीषनु जहॉ जनत्राता।।
ऩुसन यावन कवऩ हतेउ ऩचायी। चरेउ गगन कवऩ ऩूॉछ ऩसायी।।
गकहसस ऩूॉछ कवऩ सकहत उड़ाना। ऩुसन कपरय सबये उ प्रफर हनुभाना।।
रयत अकास जुगर सभ जोधा। एककह एकु हनत करय क्रोधा।।
सोहकहॊ नब छर फर फहु कयहीॊ। कज्जर सगरय सुभेरु जनु रयहीॊ।।
फुसध फर सनससचय ऩयइ न ऩाय ् मो। तफ भारुत सुत प्रबु सॊबाय ् मो।।
छॊ 0-सॊबारय श्रीयघुफीय धीय ऩचारय कवऩ यावनु हन्मो।
भकह ऩयत ऩुसन उकठ रयत दे वन्ह जुगर कहुॉ जम जम बन्मो।।
हनुभॊत सॊकट दे ष्ि भकाट बारु क्रोधातुय चरे।
यन भत्त यावन सकर सुबट प्रचॊड बुज फर दरभरे।।
दो0-तफ यघुफीय ऩचाये धाए कीस प्रचॊड।
कवऩ फर प्रफर दे ष्ि तेकहॊ कीन्ह प्रगट ऩाषॊड।।95।।
–*–*–
अॊतयधान बमउ छन एका। ऩुसन प्रगटे िर रूऩ अनेका।।
यघुऩसत कटक बारु कवऩ जेते। जहॉ तहॉ प्रगट दसानन तेते।।
दे िे कवऩन्ह असभत दससीसा। जहॉ तहॉ बजे बारु अरु कीसा।।
बागे फानय धयकहॊ न धीया। त्राकह त्राकह रसछभन यघुफीया।।
दहॉ कदसस धावकहॊ कोकटन्ह यावन। गजाकहॊ घोय कठोय बमावन।।
डये सकर सुय चरे ऩयाई। जम कै आस तजहु अफ बाई।।
सफ सुय ष्जते एक दसकॊधय। अफ फहु बए तकहु सगरय कॊदय।।
यहे वफयॊ सच सॊबु भुसन ग्मानी। ष्जन्ह ष्जन्ह प्रबु भकहभा कछु जानी।।
छॊ 0-जाना प्रताऩ ते यहे सनबाम कवऩन्ह रयऩु भाने पुये ।
चरे वफचसर भकाट बारु सकर कृ ऩार ऩाकह बमातुये।।
हनुभॊत अॊगद नीर नर असतफर रयत यन फाॉकुये ।
भदा कहॊ दसानन कोकट कोकटन्ह कऩट बू बट अॊकुये ।।
दो0-सुय फानय दे िे वफकर हॉ स्मो कोसराधीस।
सष्ज सायॊ ग एक सय हते सकर दससीस।।96।।
–*–*–

350
प्रबु छन भहुॉ भामा सफ काटी। ष्जसभ यवफ उएॉ जाकहॊ तभ पाटी।।
यावनु एकु दे ष्ि सुय हयषे। कपये सुभन फहु प्रबु ऩय फयषे।।
बुज उठाइ यघुऩसत कवऩ पेये । कपये एक एकन्ह तफ टे ये।।
प्रबु फरु ऩाइ बारु कवऩ धाए। तयर तभकक सॊजुग भकह आए।।
अस्तुसत कयत दे वतष्न्ह दे िईऄ। बमउॉ एक भईआ इन्ह के रेिईऄ।।
सठहु सदा तुम्ह भोय भयामर। अस ककह कोवऩ गगन ऩय धामर।।
हाहाकाय कयत सुय बागे। िरहु जाहु कहॉ भोयईऄ आगे।।
दे ष्ि वफकर सुय अॊगद धामो। कूकद चयन गकह बूसभ सगयामो।।
छॊ 0-गकह बूसभ ऩाय ् मो रात भाय ् मो फासरसुत प्रबु ऩकहॊ गमो।
सॊबारय उकठ दसकॊठ घोय कठोय यव गजात बमो।।
करय दाऩ चाऩ चढ़ाइ दस सॊधासन सय फहु फयषई।
ककए सकर बट घामर बमाकुर दे ष्ि सनज फर हयषई।।
दो0-तफ यघुऩसत यावन के सीस बुजा सय चाऩ।
काटे फहुत फढ़े ऩुसन ष्जसभ तीयथ कय ऩाऩ। 97।।
–*–*–
ससय बुज फाकढ़ दे ष्ि रयऩु केयी। बारु कवऩन्ह रयस बई घनेयी।।
भयत न भूढ़ कटे उ बुज सीसा। धाए कोवऩ बारु बट कीसा।।
फासरतनम भारुसत नर नीरा। फानययाज दवु फद फरसीरा।।
वफटऩ भहीधय कयकहॊ प्रहाया। सोइ सगरय तरु गकह कवऩन्ह सो भाया।।
एक निष्न्ह रयऩु फऩुष वफदायी। बअसग चरकहॊ एक रातन्ह भायी।।
तफ नर नीर ससयष्न्ह चकढ़ गमऊ। निष्न्ह सरराय वफदायत बमऊ।।
रुसधय दे ष्ि वफषाद उय बायी। सतन्हकह धयन कहुॉ बुजा ऩसायी।।
गहे न जाकहॊ कयष्न्ह ऩय कपयहीॊ। जनु जुग भधुऩ कभर फन चयहीॊ।।
कोवऩ कूकद द्वौ धये सस फहोयी। भकह ऩटकत बजे बुजा भयोयी।।
ऩुसन सकोऩ दस धनु कय रीन्हे । सयष्न्ह भारय घामर कवऩ कीन्हे ।।
हनुभदाकद भुरुसछत करय फॊदय। ऩाइ प्रदोष हयष दसकॊधय।।
भुरुसछत दे ष्ि सकर कवऩ फीया। जाभवॊत धामउ यनधीया।।
सॊग बारु बूधय तरु धायी। भायन रगे ऩचारय ऩचायी।।
बमउ क्रुद्ध यावन फरवाना। गकह ऩद भकह ऩटकइ बट नाना।।
दे ष्ि बारुऩसत सनज दर घाता। कोवऩ भाझ उय भाये सस राता।।
छॊ 0-उय रात घात प्रचॊड रागत वफकर यथ ते भकह ऩया।
गकह बारु फीसहुॉ कय भनहुॉ कभरष्न्ह फसे सनसस भधुकया।।

351
भुरुसछत वफरोकक फहोरय ऩद हसत बारुऩसत प्रबु ऩकहॊ गमौ।
सनसस जासन स्मॊदन घासर तेकह तफ सूत जतनु कयत बमो।।
दो0-भुरुछा वफगत बारु कवऩ सफ आए प्रबु ऩास।
सनससचय सकर यावनकह घेरय यहे असत त्रास।।98।।
भासऩायामण, छब्फीसवाॉ ववश्राभ
–*–*–
तेही सनसस सीता ऩकहॊ जाई। वत्रजटा ककह सफ कथा सुनाई।।
ससय बुज फाकढ़ सुनत रयऩु केयी। सीता उय बइ त्रास घनेयी।।
भुि भरीन उऩजी भन सचॊता। वत्रजटा सन फोरी तफ सीता।।
होइकह कहा कहसस ककन भाता। केकह वफसध भरयकह वफस्व दि
ु दाता।।
यघुऩसत सय ससय कटे हुॉ न भयई। वफसध वफऩयीत चरयत सफ कयई।।
भोय अबाग्म ष्जआवत ओही। जेकहॊ हौ हरय ऩद कभर वफछोही।।
जेकहॊ कृ त कऩट कनक भृग झूठा। अजहुॉ सो दै व भोकह ऩय रूठा।।
जेकहॊ वफसध भोकह दि
ु दस
ु ह सहाए। रसछभन कहुॉ कटु फचन कहाए।।
यघुऩसत वफयह सवफष सय बायी। तकक तकक भाय फाय फहु भायी।।
ऐसेहुॉ दि
ु जो याि भभ प्राना। सोइ वफसध ताकह ष्जआव न आना।।
फहु वफसध कय वफराऩ जानकी। करय करय सुयसत कृ ऩासनधान की।।
कह वत्रजटा सुनु याजकुभायी। उय सय रागत भयइ सुयायी।।
प्रबु ताते उय हतइ न तेही। एकह के रृदमॉ फससत फैदेही।।
छॊ 0-एकह के रृदमॉ फस जानकी जानकी उय भभ फास है ।
भभ उदय बुअन अनेक रागत फान सफ कय नास है ।।
सुसन फचन हयष वफषाद भन असत दे ष्ि ऩुसन वत्रजटाॉ कहा।
अफ भरयकह रयऩु एकह वफसध सुनकह सुॊदरय तजकह सॊसम भहा।।
दो0-काटत ससय होइकह वफकर छुकट जाइकह तव ध्मान।
तफ यावनकह रृदम भहुॉ भरयहकहॊ याभु सुजान।।99।।
–*–*–
अस ककह फहुत बाॉसत सभुझाई। ऩुसन वत्रजटा सनज बवन ससधाई।।
याभ सुबाउ सुसभरय फैदेही। उऩजी वफयह वफथा असत तेही।।
सनससकह सससकह सनॊदसत फहु बाॉती। जुग सभ बई ससयासत न याती।।
कयसत वफराऩ भनकहॊ भन बायी। याभ वफयहॉ जानकी दि
ु ायी।।
जफ असत बमउ वफयह उय दाहू। पयकेउ फाभ नमन अरु फाहू।।
सगुन वफचारय धयी भन धीया। अफ सभसरहकहॊ कृ ऩार यघुफीया।।
इहाॉ अधासनसस यावनु जागा। सनज सायसथ सन िीझन रागा।।

352
सठ यनबूसभ छड़ाइसस भोही। सधग सधग अधभ भॊदभसत तोही।।
तेकहॊ ऩद गकह फहु वफसध सभुझावा। बौरु बएॉ यथ चकढ़ ऩुसन धावा।।
सुसन आगवनु दसानन केया। कवऩ दर ियबय बमउ घनेया।।
जहॉ तहॉ बूधय वफटऩ उऩायी। धाए कटकटाइ बट बायी।।
छॊ 0-धाए जो भकाट वफकट बारु कयार कय बूधय धया।
असत कोऩ कयकहॊ प्रहाय भायत बष्ज चरे यजनीचया।।
वफचराइ दर फरवॊत कीसन्ह घेरय ऩुसन यावनु सरमो।
चहुॉ कदसस चऩेटष्न्ह भारय निष्न्ह वफदारय तनु ब्माकुर ककमो।।
दो0-दे ष्ि भहा भकाट प्रफर यावन कीन्ह वफचाय।
अॊतयकहत होइ सनसभष भहुॉ कृ त भामा वफस्ताय।।100।।
–*–*–
छॊ 0-जफ कीन्ह तेकहॊ ऩाषॊड। बए प्रगट जॊतु प्रचॊड।।
फेतार बूत वऩसाच। कय धयईऄ धनु नायाच।।1।।
जोसगसन गहईऄ कयफार। एक हाथ भनुज कऩार।।
करय सय सोसनत ऩान। नाचकहॊ कयकहॊ फहु गान।।2।।
धरु भारु फोरकहॊ घोय। यकह ऩूरय धुसन चहुॉ ओय।।
भुि फाइ धावकहॊ िान। तफ रगे कीस ऩयान।।3।।
जहॉ जाकहॊ भकाट बासग। तहॉ फयत दे िकहॊ आसग।।
बए वफकर फानय बारु। ऩुसन राग फयषै फारु।।4।।
जहॉ तहॉ थककत करय कीस। गजेउ फहुरय दससीस।।
रसछभन कऩीस सभेत। बए सकर फीय अचेत।।5।।
हा याभ हा यघुनाथ। ककह सुबट भीजकहॊ हाथ।।
एकह वफसध सकर फर तोरय। तेकहॊ कीन्ह कऩट फहोरय।।6।।
प्रगटे सस वफऩुर हनुभान। धाए गहे ऩाषान।।
सतन्ह याभु घेये जाइ। चहुॉ कदसस फरूथ फनाइ।।7।।
भायहु धयहु जसन जाइ। कटकटकहॊ ऩूॉछ उठाइ।।
दहॉ कदसस रॉगूय वफयाज। तेकहॊ भध्म कोसरयाज।।8।।
छॊ 0-तेकहॊ भध्म कोसरयाज सुॊदय स्माभ तन सोबा रही।
जनु इॊ रधनुष अनेक की फय फारय तुॊग तभारही।।
प्रबु दे ष्ि हयष वफषाद उय सुय फदत जम जम जम कयी।
यघुफीय एककह तीय कोवऩ सनभेष भहुॉ भामा हयी।।1।।
भामा वफगत कवऩ बारु हयषे वफटऩ सगरय गकह सफ कपये ।

353
सय सनकय छाड़े याभ यावन फाहु ससय ऩुसन भकह सगये ।।
श्रीयाभ यावन सभय चरयत अनेक कल्ऩ जो गावहीॊ।
सत सेष सायद सनगभ कवफ तेउ तदवऩ ऩाय न ऩावहीॊ।।2।।
दो0-ताके गुन गन कछु कहे जड़भसत तुरसीदास।
ष्जसभ सनज फर अनुरूऩ ते भाछी उड़इ अकास।।101(क)।।
काटे ससय बुज फाय फहु भयत न बट रॊकेस।
प्रबु क्रीड़त सुय ससद्ध भुसन ब्माकुर दे ष्ि करेस।।101(ि)।।
–*–*–
काटत फढ़कहॊ सीस सभुदाई। ष्जसभ प्रसत राब रोब असधकाई।।
भयइ न रयऩु श्रभ बमउ वफसेषा। याभ वफबीषन तन तफ दे िा।।
उभा कार भय जाकीॊ ईछा। सो प्रबु जन कय प्रीसत ऩयीछा।।
सुनु सयफग्म चयाचय नामक। प्रनतऩार सुय भुसन सुिदामक।।
नासबकुॊड वऩमूष फस माकईऄ। नाथ ष्जअत यावनु फर ताकईऄ।।
सुनत वफबीषन फचन कृ ऩारा। हयवष गहे कय फान कयारा।।
असुब होन रागे तफ नाना। योवकहॊ िय सृकार फहु स्वाना।।
फोरकह िग जग आयसत हे तू। प्रगट बए नब जहॉ तहॉ केतू।।
दस कदसस दाह होन असत रागा। बमउ ऩयफ वफनु यवफ उऩयागा।।
भॊदोदरय उय कॊऩसत बायी। प्रसतभा स्त्रवकहॊ नमन भग फायी।।
छॊ 0-प्रसतभा रुदकहॊ ऩवफऩात नब असत फात फह डोरसत भही।
फयषकहॊ फराहक रुसधय कच यज असुब असत सक को कही।।
उतऩात असभत वफरोकक नब सुय वफकर फोरकह जम जए।
सुय सबम जासन कृ ऩार यघुऩसत चाऩ सय जोयत बए।।
दो0-िैसच सयासन श्रवन रसग छाड़े सय एकतीस।
यघुनामक सामक चरे भानहुॉ कार पनीस।।102।।
–*–*–
सामक एक नासब सय सोषा। अऩय रगे बुज ससय करय योषा।।
रै ससय फाहु चरे नायाचा। ससय बुज हीन रुॊ ड भकह नाचा।।
धयसन धसइ धय धाव प्रचॊडा। तफ सय हसत प्रबु कृ त दइ
ु िॊडा।।
गजेउ भयत घोय यव बायी। कहाॉ याभु यन हतं ऩचायी।।
डोरी बूसभ सगयत दसकॊधय। छुसबत ससॊधु सरय कदग्गज बूधय।।
धयसन ऩये उ द्वौ िॊड फढ़ाई। चावऩ बारु भकाट सभुदाई।।
भॊदोदरय आगईऄ बुज सीसा। धरय सय चरे जहाॉ जगदीसा।।
प्रवफसे सफ सनषॊग भहु जाई। दे ष्ि सुयन्ह दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजाई।।

354
तासु तेज सभान प्रबु आनन। हयषे दे ष्ि सॊबु चतुयानन।।
जम जम धुसन ऩूयी ब्रह्मॊडा। जम यघुफीय प्रफर बुजदॊ डा।।
फयषकह सुभन दे व भुसन फृॊदा। जम कृ ऩार जम जमसत भुकुॊदा।।
छॊ 0-जम कृ ऩा कॊद भुकॊद द्वॊ द हयन सयन सुिप्रद प्रबो।
िर दर वफदायन ऩयभ कायन कारुनीक सदा वफबो।।
सुय सुभन फयषकहॊ हयष सॊकुर फाज दॊ द
ु सु ब गहगही।
सॊग्राभ अॊगन याभ अॊग अनॊग फहु सोबा रही।।
ससय जटा भुकुट प्रसून वफच वफच असत भनोहय याजहीॊ।
जनु नीरसगरय ऩय तकड़त ऩटर सभेत उड़ु गन र्भ्ाजहीॊ।।
बुजदॊ ड सय कोदॊ ड पेयत रुसधय कन तन असत फने।
जनु यामभुनीॊ तभार ऩय फैठीॊ वफऩुर सुि आऩने।।
दो0-कृ ऩादृवि करय प्रबु अबम ककए सुय फृॊद।
बारु कीस सफ हयषे जम सुि धाभ भुकॊद।।103।।
–*–*–
ऩसत ससय दे ित भॊदोदयी। भुरुसछत वफकर धयसन िसस ऩयी।।
जुफसत फृॊद योवत उकठ धाईं। तेकह उठाइ यावन ऩकहॊ आई।।
ऩसत गसत दे ष्ि ते कयकहॊ ऩुकाया। छूटे कच नकहॊ फऩुष सॉबाया।।
उय ताड़ना कयकहॊ वफसध नाना। योवत कयकहॊ प्रताऩ फिाना।।
तव फर नाथ डोर सनत धयनी। तेज हीन ऩावक ससस तयनी।।
सेष कभठ सकह सककहॊ न बाया। सो तनु बूसभ ऩये उ बरय छाया।।
फरुन कुफेय सुयेस सभीया। यन सन्भुि धरय काहुॉ न धीया।।
बुजफर ष्जतेहु कार जभ साईं। आजु ऩये हु अनाथ की नाईं।।
जगत वफकदत तुम्हायी प्रबुताई। सुत ऩरयजन फर फयसन न जाई।।
याभ वफभुि अस हार तुम्हाया। यहा न कोउ कुर योवसनहाया।।
तव फस वफसध प्रऩॊच सफ नाथा। सबम कदससऩ सनत नावकहॊ भाथा।।
अफ तव ससय बुज जॊफुक िाहीॊ। याभ वफभुि मह अनुसचत नाहीॊ।।
कार वफफस ऩसत कहा न भाना। अग जग नाथु भनुज करय जाना।।
छॊ 0-जान्मो भनुज करय दनुज कानन दहन ऩावक हरय स्वमॊ।
जेकह नभत ससव ब्रह्माकद सुय वऩम बजेहु नकहॊ करुनाभमॊ।।
आजन्भ ते ऩयरोह यत ऩाऩौघभम तव तनु अमॊ।
तुम्हहू कदमो सनज धाभ याभ नभासभ ब्रह्म सनयाभमॊ।।
दो0-अहह नाथ यघुनाथ सभ कृ ऩाससॊधु नकहॊ आन।

355
जोसग फृॊद दर
ु ब
ा गसत तोकह दीष्न्ह बगवान।।104।।
–*–*–
भॊदोदयी फचन सुसन काना। सुय भुसन ससद्ध सफष्न्ह सुि भाना।।
अज भहे स नायद सनकादी। जे भुसनफय ऩयभायथफादी।।
बरय रोचन यघुऩसतकह सनहायी। प्रेभ भगन सफ बए सुिायी।।
रुदन कयत दे िीॊ सफ नायी। गमउ वफबीषनु भन दि
ु बायी।।
फॊधु दसा वफरोकक दि
ु कीन्हा। तफ प्रबु अनुजकह आमसु दीन्हा।।
रसछभन तेकह फहु वफसध सभुझामो। फहुरय वफबीषन प्रबु ऩकहॊ आमो।।
कृ ऩादृवि प्रबु ताकह वफरोका। कयहु कक्रमा ऩरयहरय सफ सोका।।
कीष्न्ह कक्रमा प्रबु आमसु भानी। वफसधवत दे स कार ष्जमॉ जानी।।
दो0-भॊदोदयी आकद सफ दे इ सतराॊजसर ताकह।
बवन गई यघुऩसत गुन गन फयनत भन भाकह।।105।।
–*–*–
आइ वफबीषन ऩुसन ससरु नामो। कृ ऩाससॊधु तफ अनुज फोरामो।।
तुम्ह कऩीस अॊगद नर नीरा। जाभवॊत भारुसत नमसीरा।।
सफ सभसर जाहु वफबीषन साथा। साये हु सतरक कहे उ यघुनाथा।।
वऩता फचन भईआ नगय न आवउॉ । आऩु सरयस कवऩ अनुज ऩठावउॉ ।।
तुयत चरे कवऩ सुसन प्रबु फचना। कीन्ही जाइ सतरक की यचना।।
सादय ससॊहासन फैठायी। सतरक सारय अस्तुसत अनुसायी।।
जोरय ऩासन सफहीॊ ससय नाए। सकहत वफबीषन प्रबु ऩकहॊ आए।।
तफ यघुफीय फोसर कवऩ रीन्हे । ककह वप्रम फचन सुिी सफ कीन्हे ।।
छॊ 0-ककए सुिी ककह फानी सुधा सभ फर तुम्हायईऄ रयऩु हमो।
ऩामो वफबीषन याज सतहुॉ ऩुय जसु तुम्हायो सनत नमो।।
भोकह सकहत सुब कीयसत तुम्हायी ऩयभ प्रीसत जो गाइहईआ ।
सॊसाय ससॊधु अऩाय ऩाय प्रमास वफनु नय ऩाइहईआ ।।
दो0-प्रबु के फचन श्रवन सुसन नकहॊ अघाकहॊ कवऩ ऩुॊज।
फाय फाय ससय नावकहॊ गहकहॊ सकर ऩद कॊज।।106।।
–*–*–
ऩुसन प्रबु फोसर सरमउ हनुभाना। रॊका जाहु कहे उ बगवाना।।
सभाचाय जानकककह सुनावहु। तासु कुसर रै तुम्ह चसर आवहु।।
तफ हनुभॊत नगय भहुॉ आए। सुसन सनससचयी सनसाचय धाए।।
फहु प्रकाय सतन्ह ऩूजा कीन्ही। जनकसुता दे िाइ ऩुसन दीन्ही।।
दयू कह ते प्रनाभ कवऩ कीन्हा। यघुऩसत दत
ू जानकीॊ चीन्हा।।

356
कहहु तात प्रबु कृ ऩासनकेता। कुसर अनुज कवऩ सेन सभेता।।
सफ वफसध कुसर कोसराधीसा। भातु सभय जीत्मो दससीसा।।
अवफचर याजु वफबीषन ऩामो। सुसन कवऩ फचन हयष उय छामो।।
छॊ 0-असत हयष भन तन ऩुरक रोचन सजर कह ऩुसन ऩुसन यभा।
का दे उॉ तोकह त्रेरोक भहुॉ कवऩ ककभवऩ नकहॊ फानी सभा।।
सुनु भातु भईआ ऩामो अष्िर जग याजु आजु न सॊसमॊ।
यन जीसत रयऩुदर फॊधु जुत ऩस्मासभ याभभनाभमॊ।।
दो0-सुनु सुत सदगुन सकर तव रृदमॉ फसहुॉ हनुभॊत।
सानुकूर कोसरऩसत यहहुॉ सभेत अनॊत।।107।।
–*–*–
अफ सोइ जतन कयहु तुम्ह ताता। दे िं नमन स्माभ भृद ु गाता।।
तफ हनुभान याभ ऩकहॊ जाई। जनकसुता कै कुसर सुनाई।।
सुसन सॊदेसु बानुकुरबूषन। फोसर सरए जुफयाज वफबीषन।।
भारुतसुत के सॊग ससधावहु। सादय जनकसुतकह रै आवहु।।
तुयतकहॊ सकर गए जहॉ सीता। सेवकहॊ सफ सनससचयीॊ वफनीता।।
फेसग वफबीषन सतन्हकह ससिामो। सतन्ह फहु वफसध भज्जन कयवामो।।
फहु प्रकाय बूषन ऩकहयाए। ससवफका रुसचय साष्ज ऩुसन ल्माए।।
ता ऩय हयवष चढ़ी फैदेही। सुसभरय याभ सुिधाभ सनेही।।
फेतऩासन यछछक चहुॉ ऩासा। चरे सकर भन ऩयभ हुरासा।।
दे िन बारु कीस सफ आए। यछछक कोवऩ सनवायन धाए।।
कह यघुफीय कहा भभ भानहु। सीतकह सिा ऩमादईऄ आनहु।।
दे िहुॉ कवऩ जननी की नाईं। वफहसस कहा यघुनाथ गोसाई।।
सुसन प्रबु फचन बारु कवऩ हयषे। नब ते सुयन्ह सुभन फहु फयषे।।
सीता प्रथभ अनर भहुॉ यािी। प्रगट कीष्न्ह चह अॊतय सािी।।
दो0-तेकह कायन करुनासनसध कहे कछुक दफ
ु ााद।
सुनत जातुधानीॊ सफ रागीॊ कयै वफषाद।।108।।
–*–*–
प्रबु के फचन सीस धरय सीता। फोरी भन क्रभ फचन ऩुनीता।।
रसछभन होहु धयभ के नेगी। ऩावक प्रगट कयहु तुम्ह फेगी।।
सुसन रसछभन सीता कै फानी। वफयह वफफेक धयभ सनसत सानी।।
रोचन सजर जोरय कय दोऊ। प्रबु सन कछु ककह सकत न ओऊ।।
दे ष्ि याभ रुि रसछभन धाए। ऩावक प्रगकट काठ फहु राए।।
ऩावक प्रफर दे ष्ि फैदेही। रृदमॉ हयष नकहॊ बम कछु तेही।।

357
जं भन फच क्रभ भभ उय भाहीॊ। तष्ज यघुफीय आन गसत नाहीॊ।।
तौ कृ सानु सफ कै गसत जाना। भो कहुॉ होउ श्रीिॊड सभाना।।
छॊ 0-श्रीिॊड सभ ऩावक प्रफेस ककमो सुसभरय प्रबु भैसथरी।
जम कोसरेस भहे स फॊकदत चयन यसत असत सनभारी।।
प्रसतवफॊफ अरु रौककक करॊक प्रचॊड ऩावक भहुॉ जये ।
प्रबु चरयत काहुॉ न रिे नब सुय ससद्ध भुसन दे िकहॊ िये ।।1।।
धरय रूऩ ऩावक ऩासन गकह श्री सत्म श्रुसत जग वफकदत जो।
ष्जसभ छीयसागय इॊ कदया याभकह सभऩॉ आसन सो।।
सो याभ फाभ वफबाग याजसत रुसचय असत सोबा बरी।
नव नीर नीयज सनकट भानहुॉ कनक ऩॊकज की करी।।2।।
दो0-फयषकहॊ सुभन हयवष सुन फाजकहॊ गगन सनसान।
गावकहॊ ककॊनय सुयफधू नाचकहॊ चढ़ीॊ वफभान।।109(क)।।
जनकसुता सभेत प्रबु सोबा असभत अऩाय।
दे ष्ि बारु कवऩ हयषे जम यघुऩसत सुि साय।।109(ि)।।
–*–*–
तफ यघुऩसत अनुसासन ऩाई। भातसर चरेउ चयन ससरु नाई।।
आए दे व सदा स्वायथी। फचन कहकहॊ जनु ऩयभायथी।।
दीन फॊधु दमार यघुयामा। दे व कीष्न्ह दे वन्ह ऩय दामा।।
वफस्व रोह यत मह िर काभी। सनज अघ गमउ कुभायगगाभी।।
तुम्ह सभरूऩ ब्रह्म अवफनासी। सदा एकयस सहज उदासी।।
अकर अगुन अज अनघ अनाभम। अष्जत अभोघसवि करुनाभम।।
भीन कभठ सूकय नयहयी। फाभन ऩयसुयाभ फऩु धयी।।
जफ जफ नाथ सुयन्ह दि
ु ु ऩामो। नाना तनु धरय तुम्हइॉ नसामो।।
मह िर भसरन सदा सुयरोही। काभ रोब भद यत असत कोही।।
अधभ ससयोभसन तव ऩद ऩावा। मह हभये भन वफसभम आवा।।
हभ दे वता ऩयभ असधकायी। स्वायथ यत प्रबु बगसत वफसायी।।
बव प्रफाहॉ सॊतत हभ ऩये । अफ प्रबु ऩाकह सयन अनुसये ।।
दो0-करय वफनती सुय ससद्ध सफ यहे जहॉ तहॉ कय जोरय।
असत सप्रेभ तन ऩुरकक वफसध अस्तुसत कयत फहोरय।।110।।
–*–*–
छॊ 0-जम याभ सदा सुिधाभ हये । यघुनामक सामक चाऩ धये ।।
बव फायन दायन ससॊह प्रबो। गुन सागय नागय नाथ वफबो।।
तन काभ अनेक अनूऩ छफी। गुन गावत ससद्ध भुनीॊर कफी।।

358
जसु ऩावन यावन नाग भहा। िगनाथ जथा करय कोऩ गहा।।
जन यॊ जन बॊजन सोक बमॊ। गतक्रोध सदा प्रबु फोधभमॊ।।
अवताय उदाय अऩाय गुनॊ। भकह बाय वफबॊजन ग्मानघनॊ।।
अज ब्माऩकभेकभनाकद सदा। करुनाकय याभ नभासभ भुदा।।
यघुफॊस वफबूषन दष
ू न हा। कृ त बूऩ वफबीषन दीन यहा।।
गुन ग्मान सनधान अभान अजॊ। सनत याभ नभासभ वफबुॊ वफयजॊ।।
बुजदॊ ड प्रचॊड प्रताऩ फरॊ। िर फृॊद सनकॊद भहा कुसरॊ।।
वफनु कायन दीन दमार कहतॊ। छवफ धाभ नभासभ यभा सकहतॊ।।
बव तायन कायन काज ऩयॊ । भन सॊबव दारुन दोष हयॊ ।।
सय चाऩ भनोहय त्रोन धयॊ । जयजारुन रोचन बूऩफयॊ ।।
सुि भॊकदय सुॊदय श्रीयभनॊ। भद भाय भुधा भभता सभनॊ।।
अनवय अिॊड न गोचय गो। सफरूऩ सदा सफ होइ न गो।।
इसत फेद फदॊ सत न दॊ तकथा। यवफ आतऩ सबन्नभसबन्न जथा।।
कृ तकृ त्म वफबो सफ फानय ए। सनयिॊसत तवानन सादय ए।।
सधग जीवन दे व सयीय हये । तव बवि वफना बव बूसर ऩये ।।
अफ दीन दमार दमा करयऐ। भसत भोरय वफबेदकयी हरयऐ।।
जेकह ते वफऩयीत कक्रमा करयऐ। दि
ु सो सुि भासन सुिी चरयऐ।।
िर िॊडन भॊडन यम्म छभा। ऩद ऩॊकज सेववत सॊबु उभा।।
नृऩ नामक दे फयदानसभदॊ । चयनाॊफुज प्रेभ सदा सुबदॊ ।।
दो0-वफनम कीष्न्ह चतुयानन प्रेभ ऩुरक असत गात।
सोबाससॊधु वफरोकत रोचन नहीॊ अघात।।111।।
–*–*–
तेकह अवसय दसयथ तहॉ आए। तनम वफरोकक नमन जर छाए।।
अनुज सकहत प्रबु फॊदन कीन्हा। आससयफाद वऩताॉ तफ दीन्हा।।
तात सकर तव ऩुन्म प्रबाऊ। जीत्मं अजम सनसाचय याऊ।।
सुसन सुत फचन प्रीसत असत फाढ़ी। नमन ससरर योभावसर ठाढ़ी।।
यघुऩसत प्रथभ प्रेभ अनुभाना। सचतइ वऩतकह दीन्हे उ दृढ़ ग्माना।।
ताते उभा भोछछ नकहॊ ऩामो। दसयथ बेद बगसत भन रामो।।
सगुनोऩासक भोछछ न रेहीॊ। सतन्ह कहुॉ याभ बगसत सनज दे हीॊ।।
फाय फाय करय प्रबुकह प्रनाभा। दसयथ हयवष गए सुयधाभा।।
दो0-अनुज जानकी सकहत प्रबु कुसर कोसराधीस।
सोबा दे ष्ि हयवष भन अस्तुसत कय सुय ईस।।112।।
–*–*–

359
छॊ 0-जम याभ सोबा धाभ। दामक प्रनत वफश्राभ।।
धृत त्रोन फय सय चाऩ। बुजदॊ ड प्रफर प्रताऩ।।1।।
जम दष
ू नारय ियारय। भदा न सनसाचय धारय।।
मह दि
ु भाये उ नाथ। बए दे व सकर सनाथ।।2।।
जम हयन धयनी बाय। भकहभा उदाय अऩाय।।
जम यावनारय कृ ऩार। ककए जातुधान वफहार।।3।।
रॊकेस असत फर गफा। ककए फस्म सुय गॊधफा।।
भुसन ससद्ध नय िग नाग। हकठ ऩॊथ सफ कईऄ राग।।4।।
ऩयरोह यत असत दि
ु । ऩामो सो परु ऩावऩि।।
अफ सुनहु दीन दमार। याजीव नमन वफसार।।5।।
भोकह यहा असत असबभान। नकहॊ कोउ भोकह सभान।।
अफ दे ष्ि प्रबु ऩद कॊज। गत भान प्रद दि
ु ऩुॊज।।6।।
कोउ ब्रह्म सनगुन
ा ध्माव। अब्मि जेकह श्रुसत गाव।।
भोकह बाव कोसर बूऩ। श्रीयाभ सगुन सरूऩ।।7।।
फैदेकह अनुज सभेत। भभ रृदमॉ कयहु सनकेत।।
भोकह जासनए सनज दास। दे बवि यभासनवास।।8।।
दे बवि यभासनवास त्रास हयन सयन सुिदामकॊ।
सुि धाभ याभ नभासभ काभ अनेक छवफ यघुनामकॊ।।
सुय फृॊद यॊ जन द्वॊ द बॊजन भनुज तनु अतुसरतफरॊ।
ब्रह्माकद सॊकय सेब्म याभ नभासभ करुना कोभरॊ।।
दो0-अफ करय कृ ऩा वफरोकक भोकह आमसु दे हु कृ ऩार।
काह कयं सुसन वप्रम फचन फोरे दीनदमार।।113।।
–*–*–
सुनु सुयऩसत कवऩ बारु हभाये । ऩये बूसभ सनसचयष्न्ह जे भाये ।।
भभ कहत रासग तजे इन्ह प्राना। सकर ष्जआउ सुयेस सुजाना।।
सुनु िगेस प्रबु कै मह फानी। असत अगाध जानकहॊ भुसन ग्मानी।।
प्रबु सक वत्रबुअन भारय ष्जआई। केवर सक्रकह दीष्न्ह फड़ाई।।
सुधा फयवष कवऩ बारु ष्जआए। हयवष उठे सफ प्रबु ऩकहॊ आए।।
सुधाफृवि बै दह
ु ु दर ऊऩय। ष्जए बारु कवऩ नकहॊ यजनीचय।।
याभाकाय बए सतन्ह के भन। भुि बए छूटे बव फॊधन।।
सुय अॊससक सफ कवऩ अरु यीछा। ष्जए सकर यघुऩसत कीॊ ईछा।।
याभ सरयस को दीन कहतकायी। कीन्हे भुकुत सनसाचय झायी।।

360
िर भर धाभ काभ यत यावन। गसत ऩाई जो भुसनफय ऩाव न।।
दो0-सुभन फयवष सफ सुय चरे चकढ़ चकढ़ रुसचय वफभान।
दे ष्ि सुअवसरु प्रबु ऩकहॊ आमउ सॊबु सुजान।।114(क)।।
ऩयभ प्रीसत कय जोरय जुग नसरन नमन बरय फारय।
ऩुरककत तन गदगद सगयाॉ वफनम कयत वत्रऩुयारय।।114(ि)।।
–*–*–
छॊ 0-भाभसबयऺम यघुकुर नामक। धृत फय चाऩ रुसचय कय सामक।।
भोह भहा घन ऩटर प्रबॊजन। सॊसम वफवऩन अनर सुय यॊ जन।।1।।
अगुन सगुन गुन भॊकदय सुॊदय। र्भ्भ तभ प्रफर प्रताऩ कदवाकय।।
काभ क्रोध भद गज ऩॊचानन। फसहु सनयॊ तय जन भन कानन।।2।।
वफषम भनोयथ ऩुॊज कॊज फन। प्रफर तुषाय उदाय ऩाय भन।।
बव फारयसध भॊदय ऩयभॊ दय। फायम तायम सॊससृ त दस्
ु तय।।3।।
स्माभ गात याजीव वफरोचन। दीन फॊधु प्रनतायसत भोचन।।
अनुज जानकी सकहत सनयॊ तय। फसहु याभ नृऩ भभ उय अॊतय।।4।।
भुसन यॊ जन भकह भॊडर भॊडन। तुरससदास प्रबु त्रास वफिॊडन।।5।।
दो0-नाथ जफकहॊ कोसरऩुयीॊ होइकह सतरक तुम्हाय।
कृ ऩाससॊधु भईआ आउफ दे िन चरयत उदाय।।115।।
–*–*–
करय वफनती जफ सॊबु ससधाए। तफ प्रबु सनकट वफबीषनु आए।।
नाइ चयन ससरु कह भृद ु फानी। वफनम सुनहु प्रबु सायॉ गऩानी।।
सकुर सदर प्रबु यावन भाय ् मो। ऩावन जस वत्रबुवन वफस्ताय ् मो।।
दीन भरीन हीन भसत जाती। भो ऩय कृ ऩा कीष्न्ह फहु बाॉती।।
अफ जन गृह ऩुनीत प्रबु कीजे। भज्जनु करयअ सभय श्रभ छीजे।।
दे ष्ि कोस भॊकदय सॊऩदा। दे हु कृ ऩार कवऩन्ह कहुॉ भुदा।।
सफ वफसध नाथ भोकह अऩनाइअ। ऩुसन भोकह सकहत अवधऩुय जाइअ।।
सुनत फचन भृद ु दीनदमारा। सजर बए द्वौ नमन वफसारा।।
दो0-तोय कोस गृह भोय सफ सत्म फचन सुनु र्भ्ात।
बयत दसा सुसभयत भोकह सनसभष कल्ऩ सभ जात।।116(क)।।
ताऩस फेष गात कृ स जऩत सनयॊ तय भोकह।
दे िं फेसग सो जतनु करु सिा सनहोयउॉ तोकह।।116(ि)।।
फीतईऄ अवसध जाउॉ जं ष्जअत न ऩावउॉ फीय।
सुसभयत अनुज प्रीसत प्रबु ऩुसन ऩुसन ऩुरक सयीय।।116(ग)।।
कये हु कल्ऩ बरय याजु तुम्ह भोकह सुसभये हु भन भाकहॊ ।

361
ऩुसन भभ धाभ ऩाइहहु जहाॉ सॊत सफ जाकहॊ ।।116(घ)।।
–*–*–
सुनत वफबीषन फचन याभ के। हयवष गहे ऩद कृ ऩाधाभ के।।
फानय बारु सकर हयषाने। गकह प्रबु ऩद गुन वफभर फिाने।।
फहुरय वफबीषन बवन ससधामो। भसन गन फसन वफभान बयामो।।
रै ऩुकऩक प्रबु आगईऄ यािा। हॉ सस करय कृ ऩाससॊधु तफ बाषा।।
चकढ़ वफभान सुनु सिा वफबीषन। गगन जाइ फयषहु ऩट बूषन।।
नब ऩय जाइ वफबीषन तफही। फयवष कदए भसन अॊफय सफही।।
जोइ जोइ भन बावइ सोइ रेहीॊ। भसन भुि भेसर डारय कवऩ दे हीॊ।।
हॉ से याभु श्री अनुज सभेता। ऩयभ कौतुकी कृ ऩा सनकेता।।
दो0-भुसन जेकह ध्मान न ऩावकहॊ नेसत नेसत कह फेद।
कृ ऩाससॊधु सोइ कवऩन्ह सन कयत अनेक वफनोद।।117(क)।।
उभा जोग जऩ दान तऩ नाना भि ब्रत नेभ।
याभ कृ ऩा नकह कयकहॊ तसस जसस सनककेवर प्रेभ।।117(ि)।।
–*–*–
बारु कवऩन्ह ऩट बूषन ऩाए। ऩकहरय ऩकहरय यघुऩसत ऩकहॊ आए।।
नाना ष्जनस दे ष्ि सफ कीसा। ऩुसन ऩुसन हॉ सत कोसराधीसा।।
सचतइ सफष्न्ह ऩय कीष्न्ह दामा। फोरे भृदर
ु फचन यघुयामा।।
तुम्हयईऄ फर भईआ यावनु भाय ् मो। सतरक वफबीषन कहॉ ऩुसन साय ् मो।।
सनज सनज गृह अफ तुम्ह सफ जाहू। सुसभये हु भोकह डयऩहु जसन काहू।।
सुनत फचन प्रेभाकुर फानय। जोरय ऩासन फोरे सफ सादय।।
प्रबु जोइ कहहु तुम्हकह सफ सोहा। हभये होत फचन सुसन भोहा।।
दीन जासन कवऩ ककए सनाथा। तुम्ह त्रेरोक ईस यघुनाथा।।
सुसन प्रबु फचन राज हभ भयहीॊ। भसक कहूॉ िगऩसत कहत कयहीॊ।।
दे ष्ि याभ रुि फानय यीछा। प्रेभ भगन नकहॊ गृह कै ईछा।।
दो0-प्रबु प्रेरयत कवऩ बारु सफ याभ रूऩ उय याष्ि।
हयष वफषाद सकहत चरे वफनम वफवफध वफसध बावष।।118(क)।।
कवऩऩसत नीर यीछऩसत अॊगद नर हनुभान।
सकहत वफबीषन अऩय जे जूथऩ कवऩ फरवान।।118(ि)।।
दो0- ककह न सककहॊ कछु प्रेभ फस बरय बरय रोचन फारय।
सन्भुि सचतवकहॊ याभ तन नमन सनभेष सनवारय।।118(ग)।।
~
–*–*–
–*–*–

362
असतसम प्रीसत दे ि यघुयाई। सरन्हे सकर वफभान चढ़ाई।।
भन भहुॉ वफप्र चयन ससरु नामो। उत्तय कदससकह वफभान चरामो।।
चरत वफभान कोराहर होई। जम यघुफीय कहइ सफु कोई।।
ससॊहासन असत उछच भनोहय। श्री सभेत प्रबु फैठै ता ऩय।।
याजत याभु सकहत बासभनी। भेरु सृॊग जनु घन दासभनी।।
रुसचय वफभानु चरेउ असत आतुय। कीन्ही सुभन फृवि हयषे सुय।।
ऩयभ सुिद चसर वत्रवफध फमायी। सागय सय सरय सनभार फायी।।
सगुन होकहॊ सुॊदय चहुॉ ऩासा। भन प्रसन्न सनभार नब आसा।।
कह यघुफीय दे िु यन सीता। रसछभन इहाॉ हत्मो इॉ रजीता।।
हनूभान अॊगद के भाये । यन भकह ऩये सनसाचय बाये ।।
कुॊबकयन यावन द्वौ बाई। इहाॉ हते सुय भुसन दि
ु दाई।।
दो0-इहाॉ सेतु फाॉध्मो अरु थाऩेउॉ ससव सुि धाभ।
सीता सकहत कृ ऩासनसध सॊबुकह कीन्ह प्रनाभ।।119(क)।।
जहॉ जहॉ कृ ऩाससॊधु फन कीन्ह फास वफश्राभ।
सकर दे िाए जानकककह कहे सफष्न्ह के नाभ।।119(ि)।।
–*–*–
तुयत वफभान तहाॉ चसर आवा। दॊ डक फन जहॉ ऩयभ सुहावा।।
कुॊबजाकद भुसननामक नाना। गए याभु सफ कईऄ अस्थाना।।
सकर रयवषन्ह सन ऩाइ असीसा। सचत्रकूट आए जगदीसा।।
तहॉ करय भुसनन्ह केय सॊतोषा। चरा वफभानु तहाॉ ते चोिा।।
फहुरय याभ जानकककह दे िाई। जभुना कसर भर हयसन सुहाई।।
ऩुसन दे िी सुयसयी ऩुनीता। याभ कहा प्रनाभ करु सीता।।
तीयथऩसत ऩुसन दे िु प्रमागा। सनयित जन्भ कोकट अघ बागा।।
दे िु ऩयभ ऩावसन ऩुसन फेनी। हयसन सोक हरय रोक सनसेनी।।
ऩुसन दे िु अवधऩुयी असत ऩावसन। वत्रवफध ताऩ बव योग नसावसन।।।
दो0-सीता सकहत अवध कहुॉ कीन्ह कृ ऩार प्रनाभ।
सजर नमन तन ऩुरककत ऩुसन ऩुसन हयवषत याभ।।120(क)।।
ऩुसन प्रबु आइ वत्रफेनीॊ हयवषत भज्जनु कीन्ह।
कवऩन्ह सकहत वफप्रन्ह कहुॉ दान वफवफध वफसध दीन्ह।।120(ि)।।
–*–*–
प्रबु हनुभॊतकह कहा फुझाई। धरय फटु रूऩ अवधऩुय जाई।।
बयतकह कुसर हभारय सुनाएहु। सभाचाय रै तुम्ह चसर आएहु।।
तुयत ऩवनसुत गवनत बमउ। तफ प्रबु बयद्वाज ऩकहॊ गमऊ।।

363
नाना वफसध भुसन ऩूजा कीन्ही। अस्तुती करय ऩुसन आससष दीन्ही।।
भुसन ऩद फॊकद जुगर कय जोयी। चकढ़ वफभान प्रबु चरे फहोयी।।
इहाॉ सनषाद सुना प्रबु आए। नाव नाव कहॉ रोग फोराए।।
सुयसरय नासघ जान तफ आमो। उतये उ तट प्रबु आमसु ऩामो।।
तफ सीताॉ ऩूजी सुयसयी। फहु प्रकाय ऩुसन चयनष्न्ह ऩयी।।
दीष्न्ह असीस हयवष भन गॊगा। सुॊदरय तव अकहवात अबॊगा।।
सुनत गुहा धामउ प्रेभाकुर। आमउ सनकट ऩयभ सुि सॊकुर।।
प्रबुकह सकहत वफरोकक फैदेही। ऩये उ अवसन तन सुसध नकहॊ तेही।।
प्रीसत ऩयभ वफरोकक यघुयाई। हयवष उठाइ सरमो उय राई।।
छॊ 0-सरमो रृदमॉ राइ कृ ऩा सनधान सुजान यामॉ यभाऩती।
फैठारय ऩयभ सभीऩ फूझी कुसर सो कय फीनती।
अफ कुसर ऩद ऩॊकज वफरोकक वफयॊ सच सॊकय सेब्म जे।
सुि धाभ ऩूयनकाभ याभ नभासभ याभ नभासभ ते।।1।।
सफ बाॉसत अधभ सनषाद सो हरय बयत ज्मं उय राइमो।
भसतभॊद तुरसीदास सो प्रबु भोह फस वफसयाइमो।।
मह यावनारय चरयत्र ऩावन याभ ऩद यसतप्रद सदा।
काभाकदहय वफग्मानकय सुय ससद्ध भुसन गावकहॊ भुदा।।2।।
दो0-सभय वफजम यघुफीय के चरयत जे सुनकहॊ सुजान।
वफजम वफफेक वफबूसत सनत सतन्हकह दे कहॊ बगवान।।121(क)।।
मह कसरकार भरामतन भन करय दे िु वफचाय।
श्रीयघुनाथ नाभ तष्ज नाकहन आन अधाय।।121(ि)।।
भासऩायामण, सत्ताईसवाॉ ववश्राभ
——————-
इसत श्रीभराभचरयतभानसे सकरकसरकरुषववध्वॊसने
षष्ठ् सोऩान् सभाप्त्।
(रॊकाकाण्ड सभाप्त)
————
–*–*–

364
UTTAR KAND

उत्तय काण्ड

श्री गणेशाम नभ्


श्रीजानकीवल्रबो ववजमते
श्रीयाभचरयतभानस
सप्तभ सोऩान
(उत्तयकाण्ड)
श्लोक
केकीकण्ठाबनीरॊ सुयवयववरसकद्वप्रऩादाब्जसचह्नॊ
शोबाढ्मॊ ऩीतवस्त्रॊ सयससजनमनॊ सवादा सुप्रसन्नभ ्।
ऩाणौ नायाचचाऩॊ कवऩसनकयमुतॊ फन्धुना सेव्मभानॊ
नौभीड्मॊ जानकीशॊ यघुवयभसनशॊ ऩुकऩकारूढयाभभ ्।।1।।
कोसरेन्रऩदकञ्जभञ्जुरौ कोभरावजभहे शवष्न्दतौ।
जानकीकयसयोजरासरतौ सचन्तकस्म भनबृङ्गसष्ड्गनौ।।2।।
कुन्दइन्दद
ु यगौयसुन्दयॊ अष्म्फकाऩसतभबीिससवद्धदभ ्।
कारुणीककरकञ्जरोचनॊ नौसभ शॊकयभनॊगभोचनभ ्।।3।।
दो0-यहा एक कदन अवसध कय असत आयत ऩुय रोग।
जहॉ तहॉ सोचकहॊ नारय नय कृ स तन याभ वफमोग।।
–*–*–
सगुन होकहॊ सुॊदय सकर भन प्रसन्न सफ केय।
प्रबु आगवन जनाव जनु नगय यम्म चहुॉ पेय।।
कौसल्माकद भातु सफ भन अनॊद अस होइ।
आमउ प्रबु श्री अनुज जुत कहन चहत अफ कोइ।।
बयत नमन बुज दष्छछन पयकत फायकहॊ फाय।
जासन सगुन भन हयष असत रागे कयन वफचाय।।
यहे उ एक कदन अवसध अधाया। सभुझत भन दि
ु बमउ अऩाया।।
कायन कवन नाथ नकहॊ आमउ। जासन कुकटर ककधं भोकह वफसयामउ।।
अहह धन्म रसछभन फड़बागी। याभ ऩदायवफॊद ु अनुयागी।।
कऩटी कुकटर भोकह प्रबु चीन्हा। ताते नाथ सॊग नकहॊ रीन्हा।।
जं कयनी सभुझै प्रबु भोयी। नकहॊ सनस्ताय करऩ सत कोयी।।
जन अवगुन प्रबु भान न काऊ। दीन फॊधु असत भृदर
ु सुबाऊ।।

365
भोरय ष्जमॉ बयोस दृढ़ सोई। सभसरहकहॊ याभ सगुन सुब होई।।
फीतईऄ अवसध यहकह जं प्राना। अधभ कवन जग भोकह सभाना।।
दो0-याभ वफयह सागय भहॉ बयत भगन भन होत।
वफप्र रूऩ धरय ऩवन सुत आइ गमउ जनु ऩोत।।1(क)।।
फैकठ दे ष्ि कुसासन जटा भुकुट कृ स गात।
याभ याभ यघुऩसत जऩत स्त्रवत नमन जरजात।।1(ि)।।
–*–*–
दे ित हनूभान असत हयषेउ। ऩुरक गात रोचन जर फयषेउ।।
भन भहॉ फहुत बाॉसत सुि भानी। फोरेउ श्रवन सुधा सभ फानी।।
जासु वफयहॉ सोचहु कदन याती। यटहु सनयॊ तय गुन गन ऩाॉती।।
यघुकुर सतरक सुजन सुिदाता। आमउ कुसर दे व भुसन त्राता।।
रयऩु यन जीसत सुजस सुय गावत। सीता सकहत अनुज प्रबु आवत।।
सुनत फचन वफसये सफ दि
ू ा। तृषावॊत ष्जसभ ऩाइ वऩमूषा।।
को तुम्ह तात कहाॉ ते आए। भोकह ऩयभ वप्रम फचन सुनाए।।
भारुत सुत भईआ कवऩ हनुभाना। नाभु भोय सुनु कृ ऩासनधाना।।
दीनफॊधु यघुऩसत कय ककॊकय। सुनत बयत बईऄटेउ उकठ सादय।।
सभरत प्रेभ नकहॊ रृदमॉ सभाता। नमन स्त्रवत जर ऩुरककत गाता।।
कवऩ तव दयस सकर दि
ु फीते। सभरे आजु भोकह याभ वऩयीते।।
फाय फाय फूझी कुसराता। तो कहुॉ दे उॉ काह सुनु र्भ्ाता।।
एकह सॊदेस सरयस जग भाहीॊ। करय वफचाय दे िेउॉ कछु नाहीॊ।।
नाकहन तात उरयन भईआ तोही। अफ प्रबु चरयत सुनावहु भोही।।
तफ हनुभॊत नाइ ऩद भाथा। कहे सकर यघुऩसत गुन गाथा।।
कहु कवऩ कफहुॉ कृ ऩार गोसाईं। सुसभयकहॊ भोकह दास की नाईं।।
छॊ 0-सनज दास ज्मं यघुफॊसबूषन कफहुॉ भभ सुसभयन कय ् मो।
सुसन बयत फचन वफनीत असत कवऩ ऩुरककत तन चयनष्न्ह ऩय ् मो।।
यघुफीय सनज भुि जासु गुन गन कहत अग जग नाथ जो।
काहे न होइ वफनीत ऩयभ ऩुनीत सदगुन ससॊधु सो।।
दो0-याभ प्रान वप्रम नाथ तुम्ह सत्म फचन भभ तात।
ऩुसन ऩुसन सभरत बयत सुसन हयष न रृदमॉ सभात।।2(क)।।
सो0-बयत चयन ससरु नाइ तुरयत गमउ कवऩ याभ ऩकहॊ ।
कही कुसर सफ जाइ हयवष चरेउ प्रबु जान चकढ़।।2(ि)।।
–*–*–
हयवष बयत कोसरऩुय आए। सभाचाय सफ गुयकह सुनाए।।

366
ऩुसन भॊकदय भहॉ फात जनाई। आवत नगय कुसर यघुयाई।।
सुनत सकर जननीॊ उकठ धाईं। ककह प्रबु कुसर बयत सभुझाई।।
सभाचाय ऩुयफाससन्ह ऩाए। नय अरु नारय हयवष सफ धाए।।
दसध दफ
ु ाा योचन पर पूरा। नव तुरसी दर भॊगर भूरा।।
बरय बरय हे भ थाय बासभनी। गावत चसरॊ ससॊधु ससॊधुयगासभनी।।
जे जैसेकहॊ तैसेकहॊ उकट धावकहॊ । फार फृद्ध कहॉ सॊग न रावकहॊ ।।
एक एकन्ह कहॉ फूझकहॊ बाई। तुम्ह दे िे दमार यघुयाई।।
अवधऩुयी प्रबु आवत जानी। बई सकर सोबा कै िानी।।
फहइ सुहावन वत्रवफध सभीया। बइ सयजू असत सनभार नीया।।
दो0-हयवषत गुय ऩरयजन अनुज बूसुय फृॊद सभेत।
चरे बयत भन प्रेभ असत सन्भुि कृ ऩासनकेत।।3(क)।।
फहुतक चढ़ी अटारयन्ह सनयिकहॊ गगन वफभान।
दे ष्ि भधुय सुय हयवषत कयकहॊ सुभॊगर गान।।3(ि)।।
याका ससस यघुऩसत ऩुय ससॊधु दे ष्ि हयषान।
फढ़मो कोराहर कयत जनु नारय तयॊ ग सभान।।3(ग)।।
–*–*–
इहाॉ बानुकुर कभर कदवाकय। कवऩन्ह दे िावत नगय भनोहय।।
सुनु कऩीस अॊगद रॊकेसा। ऩावन ऩुयी रुसचय मह दे सा।।
जयवऩ सफ फैकुॊठ फिाना। फेद ऩुयान वफकदत जगु जाना।।
अवधऩुयी सभ वप्रम नकहॊ सोऊ। मह प्रसॊग जानइ कोउ कोऊ।।
जन्भबूसभ भभ ऩुयी सुहावसन। उत्तय कदसस फह सयजू ऩावसन।।
जा भज्जन ते वफनकहॊ प्रमासा। भभ सभीऩ नय ऩावकहॊ फासा।।
असत वप्रम भोकह इहाॉ के फासी। भभ धाभदा ऩुयी सुि यासी।।
हयषे सफ कवऩ सुसन प्रबु फानी। धन्म अवध जो याभ फिानी।।
दो0-आवत दे ष्ि रोग सफ कृ ऩाससॊधु बगवान।
नगय सनकट प्रबु प्रेयेउ उतये उ बूसभ वफभान।।4(क)।।
उतरय कहे उ प्रबु ऩुकऩककह तुम्ह कुफेय ऩकहॊ जाहु।
प्रेरयत याभ चरेउ सो हयषु वफयहु असत ताहु।।4(ि)।।
–*–*–
आए बयत सॊग सफ रोगा। कृ स तन श्रीयघुफीय वफमोगा।।
फाभदे व फससष्ठ भुसननामक। दे िे प्रबु भकह धरय धनु सामक।।
धाइ धये गुय चयन सयोरुह। अनुज सकहत असत ऩुरक तनोरुह।।
बईऄकट कुसर फूझी भुसनयामा। हभयईऄ कुसर तुम्हारयकहॊ दामा।।

367
सकर कद्वजन्ह सभसर नामउ भाथा। धभा धुयॊधय यघुकुरनाथा।।
गहे बयत ऩुसन प्रबु ऩद ऩॊकज। नभत ष्जन्हकह सुय भुसन सॊकय अज।।
ऩये बूसभ नकहॊ उठत उठाए। फय करय कृ ऩाससॊधु उय राए।।
स्माभर गात योभ बए ठाढ़े । नव याजीव नमन जर फाढ़े ।।
छॊ 0-याजीव रोचन स्त्रवत जर तन रसरत ऩुरकावसर फनी।
असत प्रेभ रृदमॉ रगाइ अनुजकह सभरे प्रबु वत्रबुअन धनी।।
प्रबु सभरत अनुजकह सोह भो ऩकहॊ जासत नकहॊ उऩभा कही।
जनु प्रेभ अरु ससॊगाय तनु धरय सभरे फय सुषभा रही।।1।।
फूझत कृ ऩासनसध कुसर बयतकह फचन फेसग न आवई।
सुनु ससवा सो सुि फचन भन ते सबन्न जान जो ऩावई।।
अफ कुसर कौसरनाथ आयत जासन जन दयसन कदमो।
फूड़त वफयह फायीस कृ ऩासनधान भोकह कय गकह सरमो।।2।।
दो0-ऩुसन प्रबु हयवष सत्रुहन बईऄटे रृदमॉ रगाइ।
रसछभन बयत सभरे तफ ऩयभ प्रेभ दोउ बाइ।।5।।
–*–*–
बयतानुज रसछभन ऩुसन बईऄटे। दस
ु ह वफयह सॊबव दि
ु भेटे।।
सीता चयन बयत ससरु नावा। अनुज सभेत ऩयभ सुि ऩावा।।
प्रबु वफरोकक हयषे ऩुयफासी। जसनत वफमोग वफऩसत सफ नासी।।
प्रेभातुय सफ रोग सनहायी। कौतुक कीन्ह कृ ऩार ियायी।।
असभत रूऩ प्रगटे तेकह कारा। जथाजोग सभरे सफकह कृ ऩारा।।
कृ ऩादृवि यघुफीय वफरोकी। ककए सकर नय नारय वफसोकी।।
छन भकहॊ सफकह सभरे बगवाना। उभा भयभ मह काहुॉ न जाना।।
एकह वफसध सफकह सुिी करय याभा। आगईऄ चरे सीर गुन धाभा।।
कौसल्माकद भातु सफ धाई। सनयष्ि फछछ जनु धेनु रवाई।।
छॊ 0-जनु धेनु फारक फछछ तष्ज गृहॉ चयन फन ऩयफस गईं।
कदन अॊत ऩुय रुि स्त्रवत थन हुॊकाय करय धावत बई।।
असत प्रेभ सफ भातु बेटीॊ फचन भृद ु फहुवफसध कहे ।
गइ वफषभ वफमोग बव सतन्ह हयष सुि अगसनत रहे ।।
दो0-बेटेउ तनम सुसभत्राॉ याभ चयन यसत जासन।
याभकह सभरत कैकेई रृदमॉ फहुत सकुचासन।।6(क)।।
रसछभन सफ भातन्ह सभसर हयषे आससष ऩाइ।
कैकेइ कहॉ ऩुसन ऩुसन सभरे भन कय छोबु न जाइ।।6।।
–*–*–

368
सासुन्ह सफसन सभरी फैदेही। चयनष्न्ह रासग हयषु असत तेही।।
दे कहॊ असीस फूष्झ कुसराता। होइ अचर तुम्हाय अकहवाता।।
सफ यघुऩसत भुि कभर वफरोककहॊ । भॊगर जासन नमन जर योककहॊ ।।
कनक थाय आयसत उतायकहॊ । फाय फाय प्रबु गात सनहायकहॊ ।।
नाना बाॉसत सनछावरय कयहीॊ। ऩयभानॊद हयष उय बयहीॊ।।
कौसल्मा ऩुसन ऩुसन यघुफीयकह। सचतवसत कृ ऩाससॊधु यनधीयकह।।
रृदमॉ वफचायसत फायकहॊ फाया। कवन बाॉसत रॊकाऩसत भाया।।
असत सुकुभाय जुगर भेये फाये । सनससचय सुबट भहाफर बाये ।।
दो0-रसछभन अरु सीता सकहत प्रबुकह वफरोकसत भातु।
ऩयभानॊद भगन भन ऩुसन ऩुसन ऩुरककत गातु।।7।।
–*–*–
रॊकाऩसत कऩीस नर नीरा। जाभवॊत अॊगद सुबसीरा।।
हनुभदाकद सफ फानय फीया। धये भनोहय भनुज सयीया।।
बयत सनेह सीर ब्रत नेभा। सादय सफ फयनकहॊ असत प्रेभा।।
दे ष्ि नगयफाससन्ह कै यीती। सकर सयाहकह प्रबु ऩद प्रीती।।
ऩुसन यघुऩसत सफ सिा फोराए। भुसन ऩद रागहु सकर ससिाए।।
गुय फससि कुरऩूज्म हभाये । इन्ह की कृ ऩाॉ दनुज यन भाये ।।
ए सफ सिा सुनहु भुसन भेये। बए सभय सागय कहॉ फेये।।
भभ कहत रासग जन्भ इन्ह हाये । बयतहु ते भोकह असधक वऩआये ।।
सुसन प्रबु फचन भगन सफ बए। सनसभष सनसभष उऩजत सुि नए।।
दो0-कौसल्मा के चयनष्न्ह ऩुसन सतन्ह नामउ भाथ।।
आससष दीन्हे हयवष तुम्ह वप्रम भभ ष्जसभ यघुनाथ।।8(क)।।
सुभन फृवि नब सॊकुर बवन चरे सुिकॊद।
चढ़ी अटारयन्ह दे िकहॊ नगय नारय नय फृॊद।।8(ि)।।
–*–*–
कॊचन करस वफसचत्र सॉवाये । सफकहॊ धये सष्ज सनज सनज द्वाये ।।
फॊदनवाय ऩताका केतू। सफष्न्ह फनाए भॊगर हे तू।।
फीथीॊ सकर सुगॊध ससॊचाई। गजभसन यसच फहु चौक ऩुयाई।।
नाना बाॉसत सुभॊगर साजे। हयवष नगय सनसान फहु फाजे।।
जहॉ तहॉ नारय सनछावय कयहीॊ। दे कहॊ असीस हयष उय बयहीॊ।।
कॊचन थाय आयती नाना। जुफती सजईऄ कयकहॊ सुब गाना।।
कयकहॊ आयती आयसतहय कईऄ। यघुकुर कभर वफवऩन कदनकय कईऄ।।
ऩुय सोबा सॊऩसत कल्माना। सनगभ सेष सायदा फिाना।।

369
तेउ मह चरयत दे ष्ि ठसग यहहीॊ। उभा तासु गुन नय ककसभ कहहीॊ।।
दो0-नारय कुभुकदनीॊ अवध सय यघुऩसत वफयह कदनेस।
अस्त बएॉ वफगसत बईं सनयष्ि याभ याकेस।।9(क)।।
होकहॊ सगुन सुब वफवफध वफसध फाजकहॊ गगन सनसान।
ऩुय नय नारय सनाथ करय बवन चरे बगवान।।9(ि)।।
–*–*–
प्रबु जानी कैकेई रजानी। प्रथभ तासु गृह गए बवानी।।
ताकह प्रफोसध फहुत सुि दीन्हा। ऩुसन सनज बवन गवन हरय कीन्हा।।
कृ ऩाससॊधु जफ भॊकदय गए। ऩुय नय नारय सुिी सफ बए।।
गुय फससि कद्वज सरए फुराई। आजु सुघयी सुकदन सभुदाई।।
सफ कद्वज दे हु हयवष अनुसासन। याभचॊर फैठकहॊ ससॊघासन।।
भुसन फससि के फचन सुहाए। सुनत सकर वफप्रन्ह असत बाए।।
कहकहॊ फचन भृद ु वफप्र अनेका। जग असबयाभ याभ असबषेका।।
अफ भुसनफय वफरॊफ नकहॊ कीजे। भहायाज कहॉ सतरक कयीजै।।
दो0-तफ भुसन कहे उ सुभॊत्र सन सुनत चरेउ हयषाइ।
यथ अनेक फहु फाष्ज गज तुयत सॉवाये जाइ।।10(क)।।
जहॉ तहॉ धावन ऩठइ ऩुसन भॊगर रब्म भगाइ।
हयष सभेत फससि ऩद ऩुसन ससरु नामउ आइ।।10(ि)।।
नवान्हऩायामण, आठवाॉ ववश्राभ
–*–*–
अवधऩुयी असत रुसचय फनाई। दे वन्ह सुभन फृवि झरय राई।।
याभ कहा सेवकन्ह फुराई। प्रथभ सिन्ह अन्हवावहु जाई।।
सुनत फचन जहॉ तहॉ जन धाए। सुग्रीवाकद तुयत अन्हवाए।।
ऩुसन करुनासनसध बयतु हॉ काये । सनज कय याभ जटा सनरुआये ।।
अन्हवाए प्रबु तीसनउ बाई। बगत फछर कृ ऩार यघुयाई।।
बयत बाग्म प्रबु कोभरताई। सेष कोकट सत सककहॊ न गाई।।
ऩुसन सनज जटा याभ वफफयाए। गुय अनुसासन भासग नहाए।।
करय भज्जन प्रबु बूषन साजे। अॊग अनॊग दे ष्ि सत राजे।।
दो0-सासुन्ह सादय जानकककह भज्जन तुयत कयाइ।
कदब्म फसन फय बूषन अॉग अॉग सजे फनाइ।।11(क)।।
याभ फाभ कदसस सोबसत यभा रूऩ गुन िासन।
दे ष्ि भातु सफ हयषीॊ जन्भ सुपर सनज जासन।।11(ि)।।
सुनु िगेस तेकह अवसय ब्रह्मा ससव भुसन फृॊद।

370
चकढ़ वफभान आए सफ सुय दे िन सुिकॊद।।11(ग)।।
–*–*–
प्रबु वफरोकक भुसन भन अनुयागा। तुयत कदब्म ससॊघासन भागा।।
यवफ सभ तेज सो फयसन न जाई। फैठे याभ कद्वजन्ह ससरु नाई।।
जनकसुता सभेत यघुयाई। ऩेष्ि प्रहयषे भुसन सभुदाई।।
फेद भॊत्र तफ कद्वजन्ह उचाये । नब सुय भुसन जम जमसत ऩुकाये ।।
प्रथभ सतरक फससि भुसन कीन्हा। ऩुसन सफ वफप्रन्ह आमसु दीन्हा।।
सुत वफरोकक हयषीॊ भहतायी। फाय फाय आयती उतायी।।
वफप्रन्ह दान वफवफध वफसध दीन्हे । जाचक सकर अजाचक कीन्हे ।।
ससॊघासन ऩय वत्रबुअन साई। दे ष्ि सुयन्ह दॊ द
ु ब
ु ीॊ फजाईं।।
छॊ 0-नब दॊ द
ु ब
ु ीॊ फाजकहॊ वफऩुर गॊधफा ककॊनय गावहीॊ।
नाचकहॊ अऩछया फृॊद ऩयभानॊद सुय भुसन ऩावहीॊ।।
बयताकद अनुज वफबीषनाॊगद हनुभदाकद सभेत ते।
गहईऄ छत्र चाभय ब्मजन धनु असस चभा सवि वफयाजते।।1।।
श्री सकहत कदनकय फॊस फूषन काभ फहु छवफ सोहई।
नव अॊफुधय फय गात अॊफय ऩीत सुय भन भोहई।।
भुकुटाॊगदाकद वफसचत्र बूषन अॊग अॊगष्न्ह प्रसत सजे।
अॊबोज नमन वफसार उय बुज धन्म नय सनयिॊसत जे।।2।।
दो0-वह सोबा सभाज सुि कहत न फनइ िगेस।
फयनकहॊ सायद सेष श्रुसत सो यस जान भहे स।।12(क)।।
सबन्न सबन्न अस्तुसत करय गए सुय सनज सनज धाभ।
फॊदी फेष फेद तफ आए जहॉ श्रीयाभ।। 12(ि)।।
प्रबु सफाग्म कीन्ह असत आदय कृ ऩासनधान।
रिेउ न काहूॉ भयभ कछु रगे कयन गुन गान।।12(ग)।।
–*–*–
छॊ 0-जम सगुन सनगुन
ा रूऩ अनूऩ बूऩ ससयोभने।
दसकॊधयाकद प्रचॊड सनससचय प्रफर िर बुज फर हने।।
अवताय नय सॊसाय बाय वफबॊष्ज दारुन दि
ु दहे ।
जम प्रनतऩार दमार प्रबु सॊजुि सवि नभाभहे ।।1।।
तव वफषभ भामा फस सुयासुय नाग नय अग जग हये ।
बव ऩॊथ र्भ्भत असभत कदवस सनसस कार कभा गुनसन बये ।।
जे नाथ करय करुना वफरोके वत्रवफसध दि
ु ते सनफाहे।
बव िेद छे दन दछछ हभ कहुॉ यछछ याभ नभाभहे ।।2।।

371
जे ग्मान भान वफभत्त तव बव हयसन बवि न आदयी।
ते ऩाइ सुय दर
ु ब
ा ऩदादवऩ ऩयत हभ दे ित हयी।।
वफस्वास करय सफ आस ऩरयहरय दास तव जे होइ यहे ।
जवऩ नाभ तव वफनु श्रभ तयकहॊ बव नाथ सो सभयाभहे ।।3।।
जे चयन ससव अज ऩूज्म यज सुब ऩयसस भुसनऩसतनी तयी।
नि सनगाता भुसन फॊकदता त्रेरोक ऩावसन सुयसयी।।
ध्वज कुसरस अॊकुस कॊज जुत फन कपयत कॊटक ककन रहे ।
ऩद कॊज द्वॊ द भुकुॊद याभ यभेस सनत्म बजाभहे ।।4।।
अब्मिभूरभनाकद तरु त्वच चारय सनगभागभ बने।
षट कॊध सािा ऩॊच फीस अनेक ऩना सुभन घने।।
पर जुगर वफसध कटु भधुय फेसर अकेसर जेकह आसश्रत यहे ।
ऩल्रवत पूरत नवर सनत सॊसाय वफटऩ नभाभहे ।।5।।
जे ब्रह्म अजभद्वै तभनुबवगम्म भनऩय ध्मावहीॊ।
ते कहहुॉ जानहुॉ नाथ हभ तव सगुन जस सनत गावहीॊ।।
करुनामतन प्रबु सदगुनाकय दे व मह फय भागहीॊ।
भन फचन कभा वफकाय तष्ज तव चयन हभ अनुयागहीॊ।।6।।
दो0-सफ के दे ित फेदन्ह वफनती कीष्न्ह उदाय।
अॊतधाान बए ऩुसन गए ब्रह्म आगाय।।13(क)।।
फैनतेम सुनु सॊबु तफ आए जहॉ यघुफीय।
वफनम कयत गदगद सगया ऩूरयत ऩुरक सयीय।।13(ि)।।
–*–*–
छॊ 0- जम याभ यभायभनॊ सभनॊ। बव ताऩ बमाकुर ऩाकह जनॊ।।
अवधेस सुयेस यभेस वफबो। सयनागत भागत ऩाकह प्रबो।।1।।
दससीस वफनासन फीस बुजा। कृ त दरू य भहा भकह बूरय रुजा।।
यजनीचय फृॊद ऩतॊग यहे । सय ऩावक तेज प्रचॊड दहे ।।2।।
भकह भॊडर भॊडन चारुतयॊ । धृत सामक चाऩ सनषॊग फयॊ ।।
भद भोह भहा भभता यजनी। तभ ऩुॊज कदवाकय तेज अनी।।3।।
भनजात ककयात सनऩात ककए। भृग रोग कुबोग सये न कहए।।
हसत नाथ अनाथसन ऩाकह हये । वफषमा फन ऩावॉय बूसर ऩये ।।4।।
फहु योग वफमोगष्न्ह रोग हए। बवदॊ सघ्र सनयादय के पर ए।।
बव ससॊधु अगाध ऩये नय ते। ऩद ऩॊकज प्रेभ न जे कयते।।5।।
असत दीन भरीन दि
ु ी सनतहीॊ। ष्जन्ह के ऩद ऩॊकज प्रीसत नहीॊ।।

372
अवरॊफ बवॊत कथा ष्जन्ह के।। वप्रम सॊत अनॊत सदा सतन्ह कईऄ।।6।।
नकहॊ याग न रोब न भान भदा।।सतन्ह कईऄ सभ फैबव वा वफऩदा।।
एकह ते तव सेवक होत भुदा। भुसन त्मागत जोग बयोस सदा।।7।।
करय प्रेभ सनयॊ तय नेभ सरएॉ। ऩद ऩॊकज सेवत सुद्ध कहएॉ।।
सभ भासन सनयादय आदयही। सफ सॊत सुिी वफचयॊ सत भही।।8।।
भुसन भानस ऩॊकज बृॊग बजे। यघुफीय भहा यनधीय अजे।।
तव नाभ जऩासभ नभासभ हयी। बव योग भहागद भान अयी।।9।।
गुन सीर कृ ऩा ऩयभामतनॊ। प्रनभासभ सनयॊ तय श्रीयभनॊ।।
यघुनॊद सनकॊदम द्वॊ द्वघनॊ। भकहऩार वफरोकम दीन जनॊ।।10।।
दो0-फाय फाय फय भागउॉ हयवष दे हु श्रीयॊ ग।
ऩद सयोज अनऩामनी बगसत सदा सतसॊग।।14(क)।।
फयसन उभाऩसत याभ गुन हयवष गए कैरास।
तफ प्रबु कवऩन्ह कदवाए सफ वफसध सुिप्रद फास।।14(ि)।।
–*–*–
सुनु िगऩसत मह कथा ऩावनी। वत्रवफध ताऩ बव बम दावनी।।
भहायाज कय सुब असबषेका। सुनत रहकहॊ नय वफयसत वफफेका।।
जे सकाभ नय सुनकहॊ जे गावकहॊ । सुि सॊऩसत नाना वफसध ऩावकहॊ ।।
सुय दर
ु ब
ा सुि करय जग भाहीॊ। अॊतकार यघुऩसत ऩुय जाहीॊ।।
सुनकहॊ वफभुि वफयत अरु वफषई। रहकहॊ बगसत गसत सॊऩसत नई।।
िगऩसत याभ कथा भईआ फयनी। स्वभसत वफरास त्रास दि
ु हयनी।।
वफयसत वफफेक बगसत दृढ़ कयनी। भोह नदी कहॉ सुॊदय तयनी।।
सनत नव भॊगर कौसरऩुयी। हयवषत यहकहॊ रोग सफ कुयी।।
सनत नइ प्रीसत याभ ऩद ऩॊकज। सफकईऄ ष्जन्हकह नभत ससव भुसन अज।।
भॊगन फहु प्रकाय ऩकहयाए। कद्वजन्ह दान नाना वफसध ऩाए।।
दो0-ब्रह्मानॊद भगन कवऩ सफ कईऄ प्रबु ऩद प्रीसत।
जात न जाने कदवस सतन्ह गए भास षट फीसत।।15।।
–*–*–
वफसये गृह सऩनेहुॉ सुसध नाहीॊ। ष्जसभ ऩयरोह सॊत भन भाही।।
तफ यघुऩसत सफ सिा फोराए। आइ सफष्न्ह सादय ससरु नाए।।
ऩयभ प्रीसत सभीऩ फैठाये । बगत सुिद भृद ु फचन उचाये ।।
तुम्ह असत कीन्ह भोरय सेवकाई। भुि ऩय केकह वफसध कयं फड़ाई।।
ताते भोकह तुम्ह असत वप्रम रागे। भभ कहत रासग बवन सुि त्मागे।।
अनुज याज सॊऩसत फैदेही। दे ह गेह ऩरयवाय सनेही।।

373
सफ भभ वप्रम नकहॊ तुम्हकह सभाना। भृषा न कहउॉ भोय मह फाना।।
सफ के वप्रम सेवक मह नीती। भोयईऄ असधक दास ऩय प्रीती।।
दो0-अफ गृह जाहु सिा सफ बजेहु भोकह दृढ़ नेभ।
सदा सफागत सफाकहत जासन कये हु असत प्रेभ।।16।।
–*–*–
सुसन प्रबु फचन भगन सफ बए। को हभ कहाॉ वफसरय तन गए।।
एकटक यहे जोरय कय आगे। सककहॊ न कछु ककह असत अनुयागे।।
ऩयभ प्रेभ सतन्ह कय प्रबु दे िा। कहा वफवफध वफसध ग्मान वफसेषा।।
प्रबु सन्भुि कछु कहन न ऩायकहॊ । ऩुसन ऩुसन चयन सयोज सनहायकहॊ ।।
तफ प्रबु बूषन फसन भगाए। नाना यॊ ग अनूऩ सुहाए।।
सुग्रीवकह प्रथभकहॊ ऩकहयाए। फसन बयत सनज हाथ फनाए।।
प्रबु प्रेरयत रसछभन ऩकहयाए। रॊकाऩसत यघुऩसत भन बाए।।
अॊगद फैठ यहा नकहॊ डोरा। प्रीसत दे ष्ि प्रबु ताकह न फोरा।।
दो0-जाभवॊत नीराकद सफ ऩकहयाए यघुनाथ।
कहमॉ धरय याभ रूऩ सफ चरे नाइ ऩद भाथ।।17(क)।।
तफ अॊगद उकठ नाइ ससरु सजर नमन कय जोरय।
असत वफनीत फोरेउ फचन भनहुॉ प्रेभ यस फोरय।।17(ि)।।
–*–*–
सुनु सफाग्म कृ ऩा सुि ससॊधो। दीन दमाकय आयत फॊधो।।
भयती फेय नाथ भोकह फारी। गमउ तुम्हाये कह कंछईऄ घारी।।
असयन सयन वफयद ु सॊबायी। भोकह जसन तजहु बगत कहतकायी।।
भोयईऄ तुम्ह प्रबु गुय वऩतु भाता। जाउॉ कहाॉ तष्ज ऩद जरजाता।।
तुम्हकह वफचारय कहहु नयनाहा। प्रबु तष्ज बवन काज भभ काहा।।
फारक ग्मान फुवद्ध फर हीना। यािहु सयन नाथ जन दीना।।
नीसच टहर गृह कै सफ करयहउॉ । ऩद ऩॊकज वफरोकक बव तरयहउॉ ।।
अस ककह चयन ऩये उ प्रबु ऩाही। अफ जसन नाथ कहहु गृह जाही।।
दो0-अॊगद फचन वफनीत सुसन यघुऩसत करुना सीॊव।
प्रबु उठाइ उय रामउ सजर नमन याजीव।।18(क)।।
सनज उय भार फसन भसन फासरतनम ऩकहयाइ।
वफदा कीष्न्ह बगवान तफ फहु प्रकाय सभुझाइ।।18(ि)।।
–*–*–
बयत अनुज सौसभत्र सभेता। ऩठवन चरे बगत कृ त चेता।।
अॊगद रृदमॉ प्रेभ नकहॊ थोया। कपरय कपरय सचतव याभ कीॊ ओया।।

374
फाय फाय कय दॊ ड प्रनाभा। भन अस यहन कहकहॊ भोकह याभा।।
याभ वफरोकसन फोरसन चरनी। सुसभरय सुसभरय सोचत हॉ सस सभरनी।।
प्रबु रुि दे ष्ि वफनम फहु बाषी। चरेउ रृदमॉ ऩद ऩॊकज यािी।।
असत आदय सफ कवऩ ऩहुॉचाए। बाइन्ह सकहत बयत ऩुसन आए।।
तफ सुग्रीव चयन गकह नाना। बाॉसत वफनम कीन्हे हनुभाना।।
कदन दस करय यघुऩसत ऩद सेवा। ऩुसन तव चयन दे ष्िहउॉ दे वा।।
ऩुन्म ऩुॊज तुम्ह ऩवनकुभाया। सेवहु जाइ कृ ऩा आगाया।।
अस ककह कवऩ सफ चरे तुयॊता। अॊगद कहइ सुनहु हनुभॊता।।
दो0-कहे हु दॊ डवत प्रबु सईआ तुम्हकह कहउॉ कय जोरय।
फाय फाय यघुनामककह सुयसत कयाएहु भोरय।।19(क)।।
अस ककह चरेउ फासरसुत कपरय आमउ हनुभॊत।
तासु प्रीसत प्रबु सन ककह भगन बए बगवॊत।।!9(ि)।।
कुसरसहु चाकह कठोय असत कोभर कुसुभहु चाकह।
सचत्त िगेस याभ कय सभुष्झ ऩयइ कहु काकह।।19(ग)।।
–*–*–
ऩुसन कृ ऩार सरमो फोसर सनषादा। दीन्हे बूषन फसन प्रसादा।।
जाहु बवन भभ सुसभयन कये हू। भन क्रभ फचन धभा अनुसये हू।।
तुम्ह भभ सिा बयत सभ र्भ्ाता। सदा यहे हु ऩुय आवत जाता।।
फचन सुनत उऩजा सुि बायी। ऩये उ चयन बरय रोचन फायी।।
चयन नसरन उय धरय गृह आवा। प्रबु सुबाउ ऩरयजनष्न्ह सुनावा।।
यघुऩसत चरयत दे ष्ि ऩुयफासी। ऩुसन ऩुसन कहकहॊ धन्म सुियासी।।
याभ याज फईआठईऄ त्रेरोका। हयवषत बए गए सफ सोका।।
फमरु न कय काहू सन कोई। याभ प्रताऩ वफषभता िोई।।
दो0-फयनाश्रभ सनज सनज धयभ फसनयत फेद ऩथ रोग।
चरकहॊ सदा ऩावकहॊ सुिकह नकहॊ बम सोक न योग।।20।।
–*–*–
दै कहक दै ववक बौसतक ताऩा। याभ याज नकहॊ काहुकह ब्माऩा।।
सफ नय कयकहॊ ऩयस्ऩय प्रीती। चरकहॊ स्वधभा सनयत श्रुसत नीती।।
चारयउ चयन धभा जग भाहीॊ। ऩूरय यहा सऩनेहुॉ अघ नाहीॊ।।
याभ बगसत यत नय अरु नायी। सकर ऩयभ गसत के असधकायी।।
अल्ऩभृत्मु नकहॊ कवसनउ ऩीया। सफ सुॊदय सफ वफरुज सयीया।।
नकहॊ दरयर कोउ दि
ु ी न दीना। नकहॊ कोउ अफुध न रछछन हीना।।
सफ सनदं ब धभायत ऩुनी। नय अरु नारय चतुय सफ गुनी।।

375
सफ गुनग्म ऩॊकडत सफ ग्मानी। सफ कृ तग्म नकहॊ कऩट समानी।।
दो0-याभ याज नबगेस सुनु सचयाचय जग भाकहॊ ।।
कार कभा सुबाव गुन कृ त दिु काहुकह नाकहॊ ।।21।।
–*–*–
बूसभ सप्त सागय भेिरा। एक बूऩ यघुऩसत कोसरा।।
बुअन अनेक योभ प्रसत जासू। मह प्रबुता कछु फहुत न तासू।।
सो भकहभा सभुझत प्रबु केयी। मह फयनत हीनता घनेयी।।
सोउ भकहभा िगेस ष्जन्ह जानी। कपयी एकहॊ चरयत सतन्हहुॉ यसत भानी।।
सोउ जाने कय पर मह रीरा। कहकहॊ भहा भुसनफय दभसीरा।।
याभ याज कय सुि सॊऩदा। फयसन न सकइ पनीस सायदा।।
सफ उदाय सफ ऩय उऩकायी। वफप्र चयन सेवक नय नायी।।
एकनारय ब्रत यत सफ झायी। ते भन फच क्रभ ऩसत कहतकायी।।
दो0-दॊ ड जसतन्ह कय बेद जहॉ नताक नृत्म सभाज।
जीतहु भनकह सुसनअ अस याभचॊर कईऄ याज।।22।।
–*–*–
पूरकहॊ पयकहॊ सदा तरु कानन। यहकह एक सॉग गज ऩॊचानन।।
िग भृग सहज फमरु वफसयाई। सफष्न्ह ऩयस्ऩय प्रीसत फढ़ाई।।
कूजकहॊ िग भृग नाना फृॊदा। अबम चयकहॊ फन कयकहॊ अनॊदा।।
सीतर सुयसब ऩवन फह भॊदा। गूॊजत असर रै चसर भकयॊ दा।।
रता वफटऩ भागईऄ भधु चवहीॊ। भनबावतो धेनु ऩम स्त्रवहीॊ।।
ससस सॊऩन्न सदा यह धयनी। त्रेताॉ बइ कृ तजुग कै कयनी।।
प्रगटीॊ सगरयन्ह वफवफध भसन िानी। जगदातभा बूऩ जग जानी।।
सरयता सकर फहकहॊ फय फायी। सीतर अभर स्वाद सुिकायी।।
सागय सनज भयजादाॉ यहहीॊ। डायकहॊ यत्न तटष्न्ह नय रहहीॊ।।
सयससज सॊकुर सकर तड़ागा। असत प्रसन्न दस कदसा वफबागा।।
दो0-वफधु भकह ऩूय भमूिष्न्ह यवफ तऩ जेतनेकह काज।
भागईऄ फारयद दे कहॊ जर याभचॊर के याज।।23।।
–*–*–
कोकटन्ह फाष्जभेध प्रबु कीन्हे । दान अनेक कद्वजन्ह कहॉ दीन्हे ।।
श्रुसत ऩथ ऩारक धभा धुयॊधय। गुनातीत अरु बोग ऩुयॊदय।।
ऩसत अनुकूर सदा यह सीता। सोबा िासन सुसीर वफनीता।।
जानसत कृ ऩाससॊधु प्रबुताई। सेवसत चयन कभर भन राई।।
जयवऩ गृहॉ सेवक सेवककनी। वफऩुर सदा सेवा वफसध गुनी।।

376
सनज कय गृह ऩरयचयजा कयई। याभचॊर आमसु अनुसयई।।
जेकह वफसध कृ ऩाससॊधु सुि भानइ। सोइ कय श्री सेवा वफसध जानइ।।
कौसल्माकद सासु गृह भाहीॊ। सेवइ सफष्न्ह भान भद नाहीॊ।।
उभा यभा ब्रह्माकद फॊकदता। जगदॊ फा सॊततभसनॊकदता।।
दो0-जासु कृ ऩा कटाछछु सुय चाहत सचतव न सोइ।
याभ ऩदायवफॊद यसत कयसत सुबावकह िोइ।।24।।
–*–*–
सेवकहॊ सानकूर सफ बाई। याभ चयन यसत असत असधकाई।।
प्रबु भुि कभर वफरोकत यहहीॊ। कफहुॉ कृ ऩार हभकह कछु कहहीॊ।।
याभ कयकहॊ र्भ्ातन्ह ऩय प्रीती। नाना बाॉसत ससिावकहॊ नीती।।
हयवषत यहकहॊ नगय के रोगा। कयकहॊ सकर सुय दर
ु ब
ा बोगा।।
अहसनसस वफसधकह भनावत यहहीॊ। श्रीयघुफीय चयन यसत चहहीॊ।।
दइ
ु सुत सुन्दय सीताॉ जाए। रव कुस फेद ऩुयानन्ह गाए।।
दोउ वफजई वफनई गुन भॊकदय। हरय प्रसतवफॊफ भनहुॉ असत सुॊदय।।
दइ
ु दइ
ु सुत सफ र्भ्ातन्ह केये । बए रूऩ गुन सीर घनेये।।
दो0-ग्मान सगया गोतीत अज भामा भन गुन ऩाय।
सोइ सष्छचदानॊद घन कय नय चरयत उदाय।।25।।
–*–*–
प्रातकार सयऊ करय भज्जन। फैठकहॊ सबाॉ सॊग कद्वज सज्जन।।
फेद ऩुयान फससि फिानकहॊ । सुनकहॊ याभ जयवऩ सफ जानकहॊ ।।
अनुजन्ह सॊजुत बोजन कयहीॊ। दे ष्ि सकर जननीॊ सुि बयहीॊ।।
बयत सत्रुहन दोनउ बाई। सकहत ऩवनसुत उऩफन जाई।।
फूझकहॊ फैकठ याभ गुन गाहा। कह हनुभान सुभसत अवगाहा।।
सुनत वफभर गुन असत सुि ऩावकहॊ । फहुरय फहुरय करय वफनम कहावकहॊ ।।
सफ कईऄ गृह गृह होकहॊ ऩुयाना। याभचरयत ऩावन वफसध नाना।।
नय अरु नारय याभ गुन गानकहॊ । कयकहॊ कदवस सनसस जात न जानकहॊ ।।
दो0-अवधऩुयी फाससन्ह कय सुि सॊऩदा सभाज।
सहस सेष नकहॊ ककह सककहॊ जहॉ नृऩ याभ वफयाज।।26।।
–*–*–
नायदाकद सनकाकद भुनीसा। दयसन रासग कोसराधीसा।।
कदन प्रसत सकर अजोध्मा आवकहॊ । दे ष्ि नगरु वफयागु वफसयावकहॊ ।।
जातरूऩ भसन यसचत अटायीॊ। नाना यॊ ग रुसचय गच ढायीॊ।।
ऩुय चहुॉ ऩास कोट असत सुॊदय। यचे कॉगूया यॊ ग यॊ ग फय।।

377
नव ग्रह सनकय अनीक फनाई। जनु घेयी अभयावसत आई।।
भकह फहु यॊ ग यसचत गच काॉचा। जो वफरोकक भुसनफय भन नाचा।।
धवर धाभ ऊऩय नब चुॊफत। करस भनहुॉ यवफ ससस दसु त सनॊदत।।
फहु भसन यसचत झयोिा र्भ्ाजकहॊ । गृह गृह प्रसत भसन दीऩ वफयाजकहॊ ।।
छॊ 0-भसन दीऩ याजकहॊ बवन र्भ्ाजकहॊ दे हयीॊ वफरभ
ु यची।
भसन िॊब बीसत वफयॊ सच वफयची कनक भसन भयकत िची।।
सुॊदय भनोहय भॊकदयामत अष्जय रुसचय पकटक यचे।
प्रसत द्वाय द्वाय कऩाट ऩुयट फनाइ फहु फज्रष्न्ह िचे।।
दो0-चारु सचत्रसारा गृह गृह प्रसत सरिे फनाइ।
याभ चरयत जे सनयि भुसन ते भन रेकहॊ चोयाइ।।27।।
–*–*–
सुभन फाकटका सफकहॊ रगाई। वफवफध बाॉसत करय जतन फनाई।।
रता रसरत फहु जासत सुहाई। पूरकहॊ सदा फॊसत कक नाई।।
गुॊजत भधुकय भुिय भनोहय। भारुत वत्रवफध सदा फह सुॊदय।।
नाना िग फारकष्न्ह ष्जआए। फोरत भधुय उड़ात सुहाए।।
भोय हॊ स सायस ऩायावत। बवनसन ऩय सोबा असत ऩावत।।
जहॉ तहॉ दे िकहॊ सनज ऩरयछाहीॊ। फहु वफसध कूजकहॊ नृत्म कयाहीॊ।।
सुक सारयका ऩढ़ावकहॊ फारक। कहहु याभ यघुऩसत जनऩारक।।
याज दआ
ु य सकर वफसध चारू। फीथीॊ चौहट रूसचय फजारू।।
छॊ 0-फाजाय रुसचय न फनइ फयनत फस्तु वफनु गथ ऩाइए।
जहॉ बूऩ यभासनवास तहॉ की सॊऩदा ककसभ गाइए।।
फैठे फजाज सयाप फसनक अनेक भनहुॉ कुफेय ते।
सफ सुिी सफ सछचरयत सुॊदय नारय नय सससु जयठ जे।।
दो0-उत्तय कदसस सयजू फह सनभार जर गॊबीय।
फाॉधे घाट भनोहय स्वल्ऩ ऩॊक नकहॊ तीय।।28।।
–*–*–
दरू य पयाक रुसचय सो घाटा। जहॉ जर वऩअकहॊ फाष्ज गज ठाटा।।
ऩसनघट ऩयभ भनोहय नाना। तहाॉ न ऩुरुष कयकहॊ अस्नाना।।
याजघाट सफ वफसध सुॊदय फय। भज्जकहॊ तहाॉ फयन चारयउ नय।।
तीय तीय दे वन्ह के भॊकदय। चहुॉ कदसस सतन्ह के उऩफन सुॊदय।।
कहुॉ कहुॉ सरयता तीय उदासी। फसकहॊ ग्मान यत भुसन सॊन्मासी।।
तीय तीय तुरससका सुहाई। फृॊद फृॊद फहु भुसनन्ह रगाई।।
ऩुय सोबा कछु फयसन न जाई। फाहे य नगय ऩयभ रुसचयाई।।

378
दे ित ऩुयी अष्िर अघ बागा। फन उऩफन फावऩका तड़ागा।।
छॊ 0-फाऩीॊ तड़ाग अनूऩ कूऩ भनोहयामत सोहहीॊ।
सोऩान सुॊदय नीय सनभार दे ष्ि सुय भुसन भोहहीॊ।।
फहु यॊ ग कॊज अनेक िग कूजकहॊ भधुऩ गुॊजायहीॊ।
आयाभ यम्म वऩकाकद िग यव जनु ऩसथक हॊ कायहीॊ।।
दो0-यभानाथ जहॉ याजा सो ऩुय फयसन कक जाइ।
असनभाकदक सुि सॊऩदा यहीॊ अवध सफ छाइ।।29।।
–*–*–
जहॉ तहॉ नय यघुऩसत गुन गावकहॊ । फैकठ ऩयसऩय इहइ ससिावकहॊ ।।
बजहु प्रनत प्रसतऩारक याभकह। सोबा सीर रूऩ गुन धाभकह।।
जरज वफरोचन स्माभर गातकह। ऩरक नमन इव सेवक त्रातकह।।
धृत सय रुसचय चाऩ तूनीयकह। सॊत कॊज फन यवफ यनधीयकह।।
कार कयार ब्मार िगयाजकह। नभत याभ अकाभ भभता जकह।।
रोब भोह भृगजूथ ककयातकह। भनससज करय हरय जन सुिदातकह।।
सॊसम सोक सनवफड़ तभ बानुकह। दनुज गहन घन दहन कृ सानुकह।।
जनकसुता सभेत यघुफीयकह। कस न बजहु बॊजन बव बीयकह।।
फहु फासना भसक कहभ याससकह। सदा एकयस अज अवफनाससकह।।
भुसन यॊ जन बॊजन भकह बायकह। तुरससदास के प्रबुकह उदायकह।।
दो0-एकह वफसध नगय नारय नय कयकहॊ याभ गुन गान।
सानुकूर सफ ऩय यहकहॊ सॊतत कृ ऩासनधान।।30।।
–*–*–
जफ ते याभ प्रताऩ िगेसा। उकदत बमउ असत प्रफर कदनेसा।।
ऩूरय प्रकास यहे उ सतहुॉ रोका। फहुतेन्ह सुि फहुतन भन सोका।।
ष्जन्हकह सोक ते कहउॉ फिानी। प्रथभ अवफया सनसा नसानी।।
अघ उरूक जहॉ तहाॉ रुकाने। काभ क्रोध कैयव सकुचाने।।
वफवफध कभा गुन कार सुबाऊ। ए चकोय सुि रहकहॊ न काऊ।।
भत्सय भान भोह भद चोया। इन्ह कय हुनय न कवसनहुॉ ओया।।
धयभ तड़ाग ग्मान वफग्माना। ए ऩॊकज वफकसे वफसध नाना।।
सुि सॊतोष वफयाग वफफेका। वफगत सोक ए कोक अनेका।।
दो0-मह प्रताऩ यवफ जाकईऄ उय जफ कयइ प्रकास।
ऩसछरे फाढ़कहॊ प्रथभ जे कहे ते ऩावकहॊ नास।।31।।
–*–*–
र्भ्ातन्ह सकहत याभु एक फाया। सॊग ऩयभ वप्रम ऩवनकुभाया।।

379
सुॊदय उऩफन दे िन गए। सफ तरु कुसुसभत ऩल्रव नए।।
जासन सभम सनकाकदक आए। तेज ऩुॊज गुन सीर सुहाए।।
ब्रह्मानॊद सदा रमरीना। दे ित फारक फहुकारीना।।
रूऩ धयईऄ जनु चारयउ फेदा। सभदयसी भुसन वफगत वफबेदा।।
आसा फसन ब्मसन मह सतन्हहीॊ। यघुऩसत चरयत होइ तहॉ सुनहीॊ।।
तहाॉ यहे सनकाकद बवानी। जहॉ घटसॊबव भुसनफय ग्मानी।।
याभ कथा भुसनफय फहु फयनी। ग्मान जोसन ऩावक ष्जसभ अयनी।।
दो0-दे ष्ि याभ भुसन आवत हयवष दॊ डवत कीन्ह।
स्वागत ऩूॉसछ ऩीत ऩट प्रबु फैठन कहॉ दीन्ह।।32।।
–*–*–
कीन्ह दॊ डवत तीसनउॉ बाई। सकहत ऩवनसुत सुि असधकाई।।
भुसन यघुऩसत छवफ अतुर वफरोकी। बए भगन भन सके न योकी।।
स्माभर गात सयोरुह रोचन। सुॊदयता भॊकदय बव भोचन।।
एकटक यहे सनभेष न रावकहॊ । प्रबु कय जोयईऄ सीस नवावकहॊ ।।
सतन्ह कै दसा दे ष्ि यघुफीया। स्त्रवत नमन जर ऩुरक सयीया।।
कय गकह प्रबु भुसनफय फैठाये । ऩयभ भनोहय फचन उचाये ।।
आजु धन्म भईआ सुनहु भुनीसा। तुम्हयईऄ दयस जाकहॊ अघ िीसा।।
फड़े बाग ऩाइफ सतसॊगा। वफनकहॊ प्रमास होकहॊ बव बॊगा।।
दो0-सॊत सॊग अऩफगा कय काभी बव कय ऩॊथ।
कहकह सॊत कवफ कोवफद श्रुसत ऩुयान सदग्रॊथ।।33।।
–*–*–
सुसन प्रबु फचन हयवष भुसन चायी। ऩुरककत तन अस्तुसत अनुसायी।।
जम बगवॊत अनॊत अनाभम। अनघ अनेक एक करुनाभम।।
जम सनगुन
ा जम जम गुन सागय। सुि भॊकदय सुॊदय असत नागय।।
जम इॊ कदया यभन जम बूधय। अनुऩभ अज अनाकद सोबाकय।।
ग्मान सनधान अभान भानप्रद। ऩावन सुजस ऩुयान फेद फद।।
तग्म कृ तग्म अग्मता बॊजन। नाभ अनेक अनाभ सनयॊ जन।।
सफा सफागत सफा उयारम। फससस सदा हभ कहुॉ ऩरयऩारम।।
द्वॊ द वफऩसत बव पॊद वफबॊजम। ह्रकद फसस याभ काभ भद गॊजम।।
दो0-ऩयभानॊद कृ ऩामतन भन ऩरयऩूयन काभ।
प्रेभ बगसत अनऩामनी दे हु हभकह श्रीयाभ।।34।।
–*–*–
दे हु बगसत यघुऩसत असत ऩावसन। वत्रवफध ताऩ बव दाऩ नसावसन।।

380
प्रनत काभ सुयधेनु करऩतरु। होइ प्रसन्न दीजै प्रबु मह फरु।।
बव फारयसध कुॊबज यघुनामक। सेवत सुरब सकर सुि दामक।।
भन सॊबव दारुन दि
ु दायम। दीनफॊधु सभता वफस्तायम।।
आस त्रास इरयषाकद सनवायक। वफनम वफफेक वफयसत वफस्तायक।।
बूऩ भौसर भन भॊडन धयनी। दे कह बगसत सॊससृ त सरय तयनी।।
भुसन भन भानस हॊ स सनयॊ तय। चयन कभर फॊकदत अज सॊकय।।
यघुकुर केतु सेतु श्रुसत यछछक। कार कयभ सुबाउ गुन बछछक।।
तायन तयन हयन सफ दष
ू न। तुरससदास प्रबु वत्रबुवन बूषन।।
दो0-फाय फाय अस्तुसत करय प्रेभ सकहत ससरु नाइ।
ब्रह्म बवन सनकाकद गे असत अबीि फय ऩाइ।।35।।
–*–*–
सनकाकदक वफसध रोक ससधाए। र्भ्ातन्ह याभ चयन ससरु नाए।।
ऩूछत प्रबुकह सकर सकुचाहीॊ। सचतवकहॊ सफ भारुतसुत ऩाहीॊ।।
सुसन चहकहॊ प्रबु भुि कै फानी। जो सुसन होइ सकर र्भ्भ हानी।।
अॊतयजाभी प्रबु सब जाना। फूझत कहहु काह हनुभाना।।
जोरय ऩासन कह तफ हनुभॊता। सुनहु दीनदमार बगवॊता।।
नाथ बयत कछु ऩूॉछन चहहीॊ। प्रस्न कयत भन सकुचत अहहीॊ।।
तुम्ह जानहु कवऩ भोय सुबाऊ। बयतकह भोकह कछु अॊतय काऊ।।
सुसन प्रबु फचन बयत गहे चयना। सुनहु नाथ प्रनतायसत हयना।।
दो0-नाथ न भोकह सॊदेह कछु सऩनेहुॉ सोक न भोह।
केवर कृ ऩा तुम्हारयकह कृ ऩानॊद सॊदोह।।36।।
–*–*–
कयउॉ कृ ऩासनसध एक कढठाई। भईआ सेवक तुम्ह जन सुिदाई।।
सॊतन्ह कै भकहभा यघुयाई। फहु वफसध फेद ऩुयानन्ह गाई।।
श्रीभुि तुम्ह ऩुसन कीष्न्ह फड़ाई। सतन्ह ऩय प्रबुकह प्रीसत असधकाई।।
सुना चहउॉ प्रबु सतन्ह कय रछछन। कृ ऩाससॊधु गुन ग्मान वफचछछन।।
सॊत असॊत बेद वफरगाई। प्रनतऩार भोकह कहहु फुझाई।।
सॊतन्ह के रछछन सुनु र्भ्ाता। अगसनत श्रुसत ऩुयान वफख्माता।।
सॊत असॊतष्न्ह कै असस कयनी। ष्जसभ कुठाय चॊदन आचयनी।।
काटइ ऩयसु भरम सुनु बाई। सनज गुन दे इ सुगॊध फसाई।।
दो0-ताते सुय सीसन्ह चढ़त जग फल्रब श्रीिॊड।
अनर दाकह ऩीटत घनकहॊ ऩयसु फदन मह दॊ ड।।37।।
–*–*–

381
वफषम अरॊऩट सीर गुनाकय। ऩय दि
ु दि
ु सुि सुि दे िे ऩय।।
सभ अबूतरयऩु वफभद वफयागी। रोबाभयष हयष बम त्मागी।।
कोभरसचत दीनन्ह ऩय दामा। भन फच क्रभ भभ बगसत अभामा।।
सफकह भानप्रद आऩु अभानी। बयत प्रान सभ भभ ते प्रानी।।
वफगत काभ भभ नाभ ऩयामन। साॊसत वफयसत वफनती भुकदतामन।।
सीतरता सयरता भमत्री। कद्वज ऩद प्रीसत धभा जनमत्री।।
ए सफ रछछन फसकहॊ जासु उय। जानेहु तात सॊत सॊतत पुय।।
सभ दभ सनमभ नीसत नकहॊ डोरकहॊ । ऩरुष फचन कफहूॉ नकहॊ फोरकहॊ ।।
दो0-सनॊदा अस्तुसत उबम सभ भभता भभ ऩद कॊज।
ते सज्जन भभ प्रानवप्रम गुन भॊकदय सुि ऩुॊज।।38।।
–*–*–
सनहु असॊतन्ह केय सुबाऊ। बूरेहुॉ सॊगसत करयअ न काऊ।।
सतन्ह कय सॊग सदा दि
ु दाई। ष्जसभ करऩकह घारइ हयहाई।।
िरन्ह रृदमॉ असत ताऩ वफसेषी। जयकहॊ सदा ऩय सॊऩसत दे िी।।
जहॉ कहुॉ सनॊदा सुनकहॊ ऩयाई। हयषकहॊ भनहुॉ ऩयी सनसध ऩाई।।
काभ क्रोध भद रोब ऩयामन। सनदा म कऩटी कुकटर भरामन।।
फमरु अकायन सफ काहू सं। जो कय कहत अनकहत ताहू सं।।
झूठइ रेना झूठइ दे ना। झूठइ बोजन झूठ चफेना।।
फोरकहॊ भधुय फचन ष्जसभ भोया। िाइ भहा असत रृदम कठोया।।
दो0-ऩय रोही ऩय दाय यत ऩय धन ऩय अऩफाद।
ते नय ऩाॉवय ऩाऩभम दे ह धयईऄ भनुजाद।।39।।
–*–*–
रोबइ ओढ़न रोबइ डासन। ससस्त्रोदय ऩय जभऩुय त्रास न।।
काहू की जं सुनकहॊ फड़ाई। स्वास रेकहॊ जनु जूड़ी आई।।
जफ काहू कै दे िकहॊ वफऩती। सुिी बए भानहुॉ जग नृऩती।।
स्वायथ यत ऩरयवाय वफयोधी। रॊऩट काभ रोब असत क्रोधी।।
भातु वऩता गुय वफप्र न भानकहॊ । आऩु गए अरु घारकहॊ आनकहॊ ।।
कयकहॊ भोह फस रोह ऩयावा। सॊत सॊग हरय कथा न बावा।।
अवगुन ससॊधु भॊदभसत काभी। फेद वफदष
ू क ऩयधन स्वाभी।।
वफप्र रोह ऩय रोह वफसेषा। दॊ ब कऩट ष्जमॉ धयईऄ सुफेषा।।
दो0-ऐसे अधभ भनुज िर कृ तजुग त्रेता नाकहॊ ।
द्वाऩय कछुक फृॊद फहु होइहकहॊ कसरजुग भाकहॊ ।।40।।
–*–*–

382
ऩय कहत सरयस धभा नकहॊ बाई। ऩय ऩीड़ा सभ नकहॊ अधभाई।।
सननाम सकर ऩुयान फेद कय। कहे उॉ तात जानकहॊ कोवफद नय।।
नय सयीय धरय जे ऩय ऩीया। कयकहॊ ते सहकहॊ भहा बव बीया।।
कयकहॊ भोह फस नय अघ नाना। स्वायथ यत ऩयरोक नसाना।।
काररूऩ सतन्ह कहॉ भईआ र्भ्ाता। सुब अरु असुब कभा पर दाता।।
अस वफचारय जे ऩयभ समाने। बजकहॊ भोकह सॊसत
ृ दि
ु जाने।।
त्मागकहॊ कभा सुबासुब दामक। बजकहॊ भोकह सुय नय भुसन नामक।।
सॊत असॊतन्ह के गुन बाषे। ते न ऩयकहॊ बव ष्जन्ह रष्ि यािे।।
दो0-सुनहु तात भामा कृ त गुन अरु दोष अनेक।
गुन मह उबम न दे ष्िअकहॊ दे ष्िअ सो अवफफेक।।41।।
–*–*–
श्रीभुि फचन सुनत सफ बाई। हयषे प्रेभ न रृदमॉ सभाई।।
कयकहॊ वफनम असत फायकहॊ फाया। हनूभान कहमॉ हयष अऩाया।।
ऩुसन यघुऩसत सनज भॊकदय गए। एकह वफसध चरयत कयत सनत नए।।
फाय फाय नायद भुसन आवकहॊ । चरयत ऩुनीत याभ के गावकहॊ ।।
सनत नव चयन दे ष्ि भुसन जाहीॊ। ब्रह्मरोक सफ कथा कहाहीॊ।।
सुसन वफयॊ सच असतसम सुि भानकहॊ । ऩुसन ऩुसन तात कयहु गुन गानकहॊ ।।
सनकाकदक नायदकह सयाहकहॊ । जयवऩ ब्रह्म सनयत भुसन आहकहॊ ।।
सुसन गुन गान सभासध वफसायी।। सादय सुनकहॊ ऩयभ असधकायी।।
दो0-जीवनभुि ब्रह्मऩय चरयत सुनकहॊ तष्ज ध्मान।
जे हरय कथाॉ न कयकहॊ यसत सतन्ह के कहम ऩाषान।।42।।
–*–*–
एक फाय यघुनाथ फोराए। गुय कद्वज ऩुयफासी सफ आए।।
फैठे गुय भुसन अरु कद्वज सज्जन। फोरे फचन बगत बव बॊजन।।
सनहु सकर ऩुयजन भभ फानी। कहउॉ न कछु भभता उय आनी।।
नकहॊ अनीसत नकहॊ कछु प्रबुताई। सुनहु कयहु जो तुम्हकह सोहाई।।
सोइ सेवक वप्रमतभ भभ सोई। भभ अनुसासन भानै जोई।।
जं अनीसत कछु बाषं बाई। तं भोकह फयजहु बम वफसयाई।।
फड़ईऄ बाग भानुष तनु ऩावा। सुय दर
ु ब
ा सफ ग्रॊसथन्ह गावा।।
साधन धाभ भोछछ कय द्वाया। ऩाइ न जेकहॊ ऩयरोक सॉवाया।।
दो0-सो ऩयत्र दि
ु ऩावइ ससय धुसन धुसन ऩसछताइ।
कारकह कभाकह ईस्वयकह सभथ्मा दोष रगाइ।।43।।
–*–*–

383
एकह तन कय पर वफषम न बाई। स्वगाउ स्वल्ऩ अॊत दि
ु दाई।।
नय तनु ऩाइ वफषमॉ भन दे हीॊ। ऩरकट सुधा ते सठ वफष रेहीॊ।।
ताकह कफहुॉ बर कहइ न कोई। गुॊजा ग्रहइ ऩयस भसन िोई।।
आकय चारय रछछ चौयासी। जोसन र्भ्भत मह ष्जव अवफनासी।।
कपयत सदा भामा कय प्रेया। कार कभा सुबाव गुन घेया।।
कफहुॉक करय करुना नय दे ही। दे त ईस वफनु हे तु सनेही।।
नय तनु बव फारयसध कहुॉ फेयो। सन्भुि भरुत अनुग्रह भेयो।।
कयनधाय सदगुय दृढ़ नावा। दर
ु ब
ा साज सुरब करय ऩावा।।
दो0-जो न तयै बव सागय नय सभाज अस ऩाइ।
सो कृ त सनॊदक भॊदभसत आत्भाहन गसत जाइ।।44।।
–*–*–
जं ऩयरोक इहाॉ सुि चहहू। सुसन भभ फचन ह्रृदमॉ दृढ़ गहहू।।
सुरब सुिद भायग मह बाई। बगसत भोरय ऩुयान श्रुसत गाई।।
ग्मान अगभ प्रत्मूह अनेका। साधन ककठन न भन कहुॉ टे का।।
कयत कि फहु ऩावइ कोऊ। बवि हीन भोकह वप्रम नकहॊ सोऊ।।
बवि सुतॊत्र सकर सुि िानी। वफनु सतसॊग न ऩावकहॊ प्रानी।।
ऩुन्म ऩुॊज वफनु सभरकहॊ न सॊता। सतसॊगसत सॊससृ त कय अॊता।।
ऩुन्म एक जग भहुॉ नकहॊ दज
ू ा। भन क्रभ फचन वफप्र ऩद ऩूजा।।

सानुकूर तेकह ऩय भुसन दे वा। जो तष्ज कऩटु कयइ कद्वज सेवा।।


दो0-औयउ एक गुऩुत भत सफकह कहउॉ कय जोरय।
सॊकय बजन वफना नय बगसत न ऩावइ भोरय।।45।।
–*–*–
कहहु बगसत ऩथ कवन प्रमासा। जोग न भि जऩ तऩ उऩवासा।।
सयर सुबाव न भन कुकटराई। जथा राब सॊतोष सदाई।।
भोय दास कहाइ नय आसा। कयइ तौ कहहु कहा वफस्वासा।।
फहुत कहउॉ का कथा फढ़ाई। एकह आचयन फस्म भईआ बाई।।
फैय न वफग्रह आस न त्रासा। सुिभम ताकह सदा सफ आसा।।
अनायॊ ब असनकेत अभानी। अनघ अयोष दछछ वफग्मानी।।
प्रीसत सदा सज्जन सॊसगाा। तृन सभ वफषम स्वगा अऩफगाा।।
बगसत ऩछछ हठ नकहॊ सठताई। दि
ु तका सफ दरू य फहाई।।
दो0-भभ गुन ग्राभ नाभ यत गत भभता भद भोह।
ता कय सुि सोइ जानइ ऩयानॊद सॊदोह।।46।।

384
–*–*–
सुनत सुधासभ फचन याभ के। गहे सफसन ऩद कृ ऩाधाभ के।।
जनसन जनक गुय फॊधु हभाये । कृ ऩा सनधान प्रान ते प्माये ।।
तनु धनु धाभ याभ कहतकायी। सफ वफसध तुम्ह प्रनतायसत हायी।।
असस ससि तुम्ह वफनु दे इ न कोऊ। भातु वऩता स्वायथ यत ओऊ।।
हे तु यकहत जग जुग उऩकायी। तुम्ह तुम्हाय सेवक असुयायी।।
स्वायथ भीत सकर जग भाहीॊ। सऩनेहुॉ प्रबु ऩयभायथ नाहीॊ।।
सफके फचन प्रेभ यस साने। सुसन यघुनाथ रृदमॉ हयषाने।।
सनज सनज गृह गए आमसु ऩाई। फयनत प्रबु फतकही सुहाई।।
दो0–उभा अवधफासी नय नारय कृ तायथ रूऩ।
ब्रह्म सष्छचदानॊद घन यघुनामक जहॉ बूऩ।।47।।
–*–*–
एक फाय फससि भुसन आए। जहाॉ याभ सुिधाभ सुहाए।।
असत आदय यघुनामक कीन्हा। ऩद ऩिारय ऩादोदक रीन्हा।।
याभ सुनहु भुसन कह कय जोयी। कृ ऩाससॊधु वफनती कछु भोयी।।
दे ष्ि दे ष्ि आचयन तुम्हाया। होत भोह भभ रृदमॉ अऩाया।।
भकहभा असभत फेद नकहॊ जाना। भईआ केकह बाॉसत कहउॉ बगवाना।।
उऩयोकहत्म कभा असत भॊदा। फेद ऩुयान सुभसृ त कय सनॊदा।।
जफ न रेउॉ भईआ तफ वफसध भोही। कहा राब आगईऄ सुत तोही।।
ऩयभातभा ब्रह्म नय रूऩा। होइकह यघुकुर बूषन बूऩा।।
दो0–तफ भईआ रृदमॉ वफचाया जोग जग्म ब्रत दान।
जा कहुॉ करयअ सो ऩैहउॉ धभा न एकह सभ आन।।48।।
–*–*–
जऩ तऩ सनमभ जोग सनज धभाा। श्रुसत सॊबव नाना सुब कभाा।।
ग्मान दमा दभ तीयथ भज्जन। जहॉ रसग धभा कहत श्रुसत सज्जन।।
आगभ सनगभ ऩुयान अनेका। ऩढ़े सुने कय पर प्रबु एका।।
तफ ऩद ऩॊकज प्रीसत सनयॊ तय। सफ साधन कय मह पर सुॊदय।।
छूटइ भर कक भरकह के धोएॉ। घृत कक ऩाव कोइ फारय वफरोएॉ।।
प्रेभ बगसत जर वफनु यघुयाई। असबअॊतय भर कफहुॉ न जाई।।
सोइ सफाग्म तग्म सोइ ऩॊकडत। सोइ गुन गृह वफग्मान अिॊकडत।।
दछछ सकर रछछन जुत सोई। जाकईऄ ऩद सयोज यसत होई।।
दो0-नाथ एक फय भागउॉ याभ कृ ऩा करय दे हु।
जन्भ जन्भ प्रबु ऩद कभर कफहुॉ घटै जसन नेहु।।49।।

385
–*–*–
अस ककह भुसन फससि गृह आए। कृ ऩाससॊधु के भन असत बाए।।
हनूभान बयताकदक र्भ्ाता। सॊग सरए सेवक सुिदाता।।
ऩुसन कृ ऩार ऩुय फाहे य गए। गज यथ तुयग भगावत बए।।
दे ष्ि कृ ऩा करय सकर सयाहे । कदए उसचत ष्जन्ह ष्जन्ह तेइ चाहे ।।
हयन सकर श्रभ प्रबु श्रभ ऩाई। गए जहाॉ सीतर अवॉयाई।।
बयत दीन्ह सनज फसन डसाई। फैठे प्रबु सेवकहॊ सफ बाई।।
भारुतसुत तफ भारूत कयई। ऩुरक फऩुष रोचन जर बयई।।
हनूभान सभ नकहॊ फड़बागी। नकहॊ कोउ याभ चयन अनुयागी।।
सगरयजा जासु प्रीसत सेवकाई। फाय फाय प्रबु सनज भुि गाई।।
दो0-तेकहॊ अवसय भुसन नायद आए कयतर फीन।
गावन रगे याभ कर कीयसत सदा नफीन।।50।।
–*–*–
भाभवरोकम ऩॊकज रोचन। कृ ऩा वफरोकसन सोच वफभोचन।।
नीर ताभयस स्माभ काभ अरय। रृदम कॊज भकयॊ द भधुऩ हरय।।
जातुधान फरूथ फर बॊजन। भुसन सज्जन यॊ जन अघ गॊजन।।
बूसुय ससस नव फृॊद फराहक। असयन सयन दीन जन गाहक।।
बुज फर वफऩुर बाय भकह िॊकडत। िय दष
ू न वफयाध फध ऩॊकडत।।
यावनारय सुिरूऩ बूऩफय। जम दसयथ कुर कुभुद सुधाकय।।
सुजस ऩुयान वफकदत सनगभागभ। गावत सुय भुसन सॊत सभागभ।।
कारुनीक ब्मरीक भद िॊडन। सफ वफसध कुसर कोसरा भॊडन।।
कसर भर भथन नाभ भभताहन। तुरसीदास प्रबु ऩाकह प्रनत जन।।
दो0-प्रेभ सकहत भुसन नायद फयसन याभ गुन ग्राभ।
सोबाससॊधु रृदमॉ धरय गए जहाॉ वफसध धाभ।।51।।
–*–*–
सगरयजा सुनहु वफसद मह कथा। भईआ सफ कही भोरय भसत जथा।।
याभ चरयत सत कोकट अऩाया। श्रुसत सायदा न फयनै ऩाया।।
याभ अनॊत अनॊत गुनानी। जन्भ कभा अनॊत नाभानी।।
जर सीकय भकह यज गसन जाहीॊ। यघुऩसत चरयत न फयसन ससयाहीॊ।।
वफभर कथा हरय ऩद दामनी। बगसत होइ सुसन अनऩामनी।।
उभा ककहउॉ सफ कथा सुहाई। जो बुसुॊकड िगऩसतकह सुनाई।।
कछुक याभ गुन कहे उॉ फिानी। अफ का कहं सो कहहु बवानी।।
सुसन सुब कथा उभा हयषानी। फोरी असत वफनीत भृद ु फानी।।

386
धन्म धन्म भईआ धन्म ऩुयायी। सुनेउॉ याभ गुन बव बम हायी।।
दो0-तुम्हयी कृ ऩाॉ कृ ऩामतन अफ कृ तकृ त्म न भोह।
जानेउॉ याभ प्रताऩ प्रबु सचदानॊद सॊदोह।।52(क)।।
–*–*–
नाथ तवानन ससस स्रवत कथा सुधा यघुफीय।
श्रवन ऩुटष्न्ह भन ऩान करय नकहॊ अघात भसतधीय।।52(ि)।।
याभ चरयत जे सुनत अघाहीॊ। यस वफसेष जाना सतन्ह नाहीॊ।।
जीवनभुि भहाभुसन जेऊ। हरय गुन सुनहीॊ सनयॊ तय तेऊ।।
बव सागय चह ऩाय जो ऩावा। याभ कथा ता कहॉ दृढ़ नावा।।
वफषइन्ह कहॉ ऩुसन हरय गुन ग्राभा। श्रवन सुिद अरु भन असबयाभा।।
श्रवनवॊत अस को जग भाहीॊ। जाकह न यघुऩसत चरयत सोहाहीॊ।।
ते जड़ जीव सनजात्भक घाती। ष्जन्हकह न यघुऩसत कथा सोहाती।।
हरयचरयत्र भानस तुम्ह गावा। सुसन भईआ नाथ असभसत सुि ऩावा।।
तुम्ह जो कही मह कथा सुहाई। कागबसुॊकड गरुड़ प्रसत गाई।।
दो0-वफयसत ग्मान वफग्मान दृढ़ याभ चयन असत नेह।
फामस तन यघुऩसत बगसत भोकह ऩयभ सॊदेह।।53।।
–*–*–
नय सहस्त्र भहॉ सुनहु ऩुयायी। कोउ एक होइ धभा ब्रतधायी।।
धभासीर कोकटक भहॉ कोई। वफषम वफभुि वफयाग यत होई।।
कोकट वफयि भध्म श्रुसत कहई। सम्मक ग्मान सकृ त कोउ रहई।।
ग्मानवॊत कोकटक भहॉ कोऊ। जीवनभुि सकृ त जग सोऊ।।
सतन्ह सहस्त्र भहुॉ सफ सुि िानी। दर
ु ब
ा ब्रह्मरीन वफग्मानी।।
धभासीर वफयि अरु ग्मानी। जीवनभुि ब्रह्मऩय प्रानी।।
सफ ते सो दर
ु ब
ा सुययामा। याभ बगसत यत गत भद भामा।।
सो हरयबगसत काग ककसभ ऩाई। वफस्वनाथ भोकह कहहु फुझाई।।
दो0-याभ ऩयामन ग्मान यत गुनागाय भसत धीय।
नाथ कहहु केकह कायन ऩामउ काक सयीय।।54।।
–*–*–
मह प्रबु चरयत ऩववत्र सुहावा। कहहु कृ ऩार काग कहॉ ऩावा।।
तुम्ह केकह बाॉसत सुना भदनायी। कहहु भोकह असत कौतुक बायी।।
गरुड़ भहाग्मानी गुन यासी। हरय सेवक असत सनकट सनवासी।।
तेकहॊ केकह हे तु काग सन जाई। सुनी कथा भुसन सनकय वफहाई।।
कहहु कवन वफसध बा सॊफादा। दोउ हरयबगत काग उयगादा।।

387
गौरय सगया सुसन सयर सुहाई। फोरे ससव सादय सुि ऩाई।।
धन्म सती ऩावन भसत तोयी। यघुऩसत चयन प्रीसत नकहॊ थोयी।।
सुनहु ऩयभ ऩुनीत इसतहासा। जो सुसन सकर रोक र्भ्भ नासा।।
उऩजइ याभ चयन वफस्वासा। बव सनसध तय नय वफनकहॊ प्रमासा।।
दो0-ऐससअ प्रस्न वफहॊ गऩसत कीन्ह काग सन जाइ।
सो सफ सादय ककहहउॉ सुनहु उभा भन राइ।।55।।
–*–*–
भईआ ष्जसभ कथा सुनी बव भोचसन। सो प्रसॊग सुनु सुभुष्ि सुरोचसन।।
प्रथभ दछछ गृह तव अवताया। सती नाभ तफ यहा तुम्हाया।।
दछछ जग्म तफ बा अऩभाना। तुम्ह असत क्रोध तजे तफ प्राना।।
भभ अनुचयन्ह कीन्ह भि बॊगा। जानहु तुम्ह सो सकर प्रसॊगा।।
तफ असत सोच बमउ भन भोयईऄ । दि
ु ी बमउॉ वफमोग वप्रम तोयईऄ ।।
सुॊदय फन सगरय सरयत तड़ागा। कौतुक दे ित कपयउॉ फेयागा।।
सगरय सुभेय उत्तय कदसस दयू ी। नीर सैर एक सुन्दय बूयी।।
तासु कनकभम ससिय सुहाए। चारय चारु भोये भन बाए।।
सतन्ह ऩय एक एक वफटऩ वफसारा। फट ऩीऩय ऩाकयी यसारा।।
सैरोऩरय सय सुॊदय सोहा। भसन सोऩान दे ष्ि भन भोहा।।
दो0–सीतर अभर भधुय जर जरज वफऩुर फहुयॊग।
कूजत कर यव हॊ स गन गुॊजत भजुॊर बृॊग।।56।।
–*–*–
तेकहॊ सगरय रुसचय फसइ िग सोई। तासु नास कल्ऩाॊत न होई।।
भामा कृ त गुन दोष अनेका। भोह भनोज आकद अवफफेका।।
यहे ब्मावऩ सभस्त जग भाहीॊ। तेकह सगरय सनकट कफहुॉ नकहॊ जाहीॊ।।
तहॉ फसस हरयकह बजइ ष्जसभ कागा। सो सुनु उभा सकहत अनुयागा।।
ऩीऩय तरु तय ध्मान सो धयई। जाऩ जग्म ऩाकरय तय कयई।।
आॉफ छाहॉ कय भानस ऩूजा। तष्ज हरय बजनु काजु नकहॊ दज
ू ा।।
फय तय कह हरय कथा प्रसॊगा। आवकहॊ सुनकहॊ अनेक वफहॊ गा।।
याभ चरयत वफचीत्र वफसध नाना। प्रेभ सकहत कय सादय गाना।।
सुनकहॊ सकर भसत वफभर भयारा। फसकहॊ सनयॊ तय जे तेकहॊ तारा।।
जफ भईआ जाइ सो कौतुक दे िा। उय उऩजा आनॊद वफसेषा।।
दो0-तफ कछु कार भयार तनु धरय तहॉ कीन्ह सनवास।
सादय सुसन यघुऩसत गुन ऩुसन आमउॉ कैरास।।57।।
–*–*–

388
सगरयजा कहे उॉ सो सफ इसतहासा। भईआ जेकह सभम गमउॉ िग ऩासा।।
अफ सो कथा सुनहु जेही हे तू। गमउ काग ऩकहॊ िग कुर केतू।।
जफ यघुनाथ कीष्न्ह यन क्रीड़ा। सभुझत चरयत होसत भोकह ब्रीड़ा।।
इॊ रजीत कय आऩु फॉधामो। तफ नायद भुसन गरुड़ ऩठामो।।
फॊधन काकट गमो उयगादा। उऩजा रृदमॉ प्रचॊड वफषादा।।
प्रबु फॊधन सभुझत फहु बाॉती। कयत वफचाय उयग आयाती।।
ब्माऩक ब्रह्म वफयज फागीसा। भामा भोह ऩाय ऩयभीसा।।
सो अवताय सुनेउॉ जग भाहीॊ। दे िेउॉ सो प्रबाव कछु नाहीॊ।।
दो0–बव फॊधन ते छूटकहॊ नय जवऩ जा कय नाभ।
िचा सनसाचय फाॉधेउ नागऩास सोइ याभ।।58।।
–*–*–
नाना बाॉसत भनकह सभुझावा। प्रगट न ग्मान रृदमॉ र्भ्भ छावा।।
िेद ष्िन्न भन तका फढ़ाई। बमउ भोहफस तुम्हरयकहॊ नाई।।
ब्माकुर गमउ दे वरयवष ऩाहीॊ। कहे सस जो सॊसम सनज भन भाहीॊ।।
सुसन नायदकह रासग असत दामा। सुनु िग प्रफर याभ कै भामा।।
जो ग्मासनन्ह कय सचत अऩहयई। फरयआई वफभोह भन कयई।।
जेकहॊ फहु फाय नचावा भोही। सोइ ब्माऩी वफहॊ गऩसत तोही।।
भहाभोह उऩजा उय तोयईऄ । सभकटकह न फेसग कहईऄ िग भोयईऄ ।।
चतुयानन ऩकहॊ जाहु िगेसा। सोइ कये हु जेकह होइ सनदे सा।।
दो0-अस ककह चरे दे वरयवष कयत याभ गुन गान।
हरय भामा फर फयनत ऩुसन ऩुसन ऩयभ सुजान।।59।।
–*–*–
तफ िगऩसत वफयॊ सच ऩकहॊ गमऊ। सनज सॊदेह सुनावत बमऊ।।
सुसन वफयॊ सच याभकह ससरु नावा। सभुष्झ प्रताऩ प्रेभ असत छावा।।
भन भहुॉ कयइ वफचाय वफधाता। भामा फस कवफ कोवफद ग्माता।।
हरय भामा कय असभसत प्रबावा। वफऩुर फाय जेकहॊ भोकह नचावा।।
अग जगभम जग भभ उऩयाजा। नकहॊ आचयज भोह िगयाजा।।
तफ फोरे वफसध सगया सुहाई। जान भहे स याभ प्रबुताई।।
फैनतेम सॊकय ऩकहॊ जाहू। तात अनत ऩूछहु जसन काहू।।
तहॉ होइकह तव सॊसम हानी। चरेउ वफहॊ ग सुनत वफसध फानी।।
दो0-ऩयभातुय वफहॊ गऩसत आमउ तफ भो ऩास।
जात यहे उॉ कुफेय गृह यकहहु उभा कैरास।।60।।
–*–*–

389
तेकहॊ भभ ऩद सादय ससरु नावा। ऩुसन आऩन सॊदेह सुनावा।।
सुसन ता करय वफनती भृद ु फानी। ऩये भ सकहत भईआ कहे उॉ बवानी।।
सभरेहु गरुड़ भायग भहॉ भोही। कवन बाॉसत सभुझावं तोही।।
तफकह होइ सफ सॊसम बॊगा। जफ फहु कार करयअ सतसॊगा।।
सुसनअ तहाॉ हरय कथा सुहाई। नाना बाॉसत भुसनन्ह जो गाई।।
जेकह भहुॉ आकद भध्म अवसाना। प्रबु प्रसतऩाय याभ बगवाना।।
सनत हरय कथा होत जहॉ बाई। ऩठवउॉ तहाॉ सुनकह तुम्ह जाई।।
जाइकह सुनत सकर सॊदेहा। याभ चयन होइकह असत नेहा।।
दो0-वफनु सतसॊग न हरय कथा तेकह वफनु भोह न बाग।
भोह गएॉ वफनु याभ ऩद होइ न दृढ़ अनुयाग।।61।।
–*–*–
सभरकहॊ न यघुऩसत वफनु अनुयागा। ककएॉ जोग तऩ ग्मान वफयागा।।
उत्तय कदसस सुॊदय सगरय नीरा। तहॉ यह काकबुसुॊकड सुसीरा।।
याभ बगसत ऩथ ऩयभ प्रफीना। ग्मानी गुन गृह फहु कारीना।।
याभ कथा सो कहइ सनयॊ तय। सादय सुनकहॊ वफवफध वफहॊ गफय।।
जाइ सुनहु तहॉ हरय गुन बूयी। होइकह भोह जसनत दि
ु दयू ी।।
भईआ जफ तेकह सफ कहा फुझाई। चरेउ हयवष भभ ऩद ससरु नाई।।
ताते उभा न भईआ सभुझावा। यघुऩसत कृ ऩाॉ भयभु भईआ ऩावा।।
होइकह कीन्ह कफहुॉ असबभाना। सो िौवै चह कृ ऩासनधाना।।
कछु तेकह ते ऩुसन भईआ नकहॊ यािा। सभुझइ िग िगही कै बाषा।।
प्रबु भामा फरवॊत बवानी। जाकह न भोह कवन अस ग्मानी।।
दो0-ग्मासन बगत ससयोभसन वत्रबुवनऩसत कय जान।
ताकह भोह भामा नय ऩावॉय कयकहॊ गुभान।।62(क)।।
भासऩायामण, अट्ठाईसवाॉ ववश्राभ
ससव वफयॊ सच कहुॉ भोहइ को है फऩुया आन।
अस ष्जमॉ जासन बजकहॊ भुसन भामा ऩसत बगवान।।62(ि)।।
–*–*–
गमउ गरुड़ जहॉ फसइ बुसुॊडा। भसत अकुॊठ हरय बगसत अिॊडा।।
दे ष्ि सैर प्रसन्न भन बमऊ। भामा भोह सोच सफ गमऊ।।
करय तड़ाग भज्जन जरऩाना। फट तय गमउ रृदमॉ हयषाना।।
फृद्ध फृद्ध वफहॊ ग तहॉ आए। सुनै याभ के चरयत सुहाए।।
कथा अयॊ ब कयै सोइ चाहा। तेही सभम गमउ िगनाहा।।
आवत दे ष्ि सकर िगयाजा। हयषेउ फामस सकहत सभाजा।।

390
असत आदय िगऩसत कय कीन्हा। स्वागत ऩूसछ सुआसन दीन्हा।।
करय ऩूजा सभेत अनुयागा। भधुय फचन तफ फोरेउ कागा।।
दो0-नाथ कृ तायथ बमउॉ भईआ तव दयसन िगयाज।
आमसु दे हु सो कयं अफ प्रबु आमहु केकह काज।।63(क)।।
सदा कृ तायथ रूऩ तुम्ह कह भृद ु फचन िगेस।
जेकह कै अस्तुसत सादय सनज भुि कीष्न्ह भहे स।।63(ि)।।
–*–*–
सुनहु तात जेकह कायन आमउॉ । सो सफ बमउ दयस तव ऩामउॉ ।।
दे ष्ि ऩयभ ऩावन तव आश्रभ। गमउ भोह सॊसम नाना र्भ्भ।।
अफ श्रीयाभ कथा असत ऩावसन। सदा सुिद दि
ु ऩुॊज नसावसन।।
सादय तात सुनावहु भोही। फाय फाय वफनवउॉ प्रबु तोही।।
सुनत गरुड़ कै सगया वफनीता। सयर सुप्रेभ सुिद सुऩुनीता।।
बमउ तासु भन ऩयभ उछाहा। राग कहै यघुऩसत गुन गाहा।।
प्रथभकहॊ असत अनुयाग बवानी। याभचरयत सय कहे सस फिानी।।
ऩुसन नायद कय भोह अऩाया। कहे सस फहुरय यावन अवताया।।
प्रबु अवताय कथा ऩुसन गाई। तफ सससु चरयत कहे सस भन राई।।
दो0-फारचरयत ककहॊ वफवफध वफसध भन भहॉ ऩयभ उछाह।
रयवष आगवन कहे सस ऩुसन श्री यघुफीय वफफाह।।64।।
–*–*–
फहुरय याभ असबषेक प्रसॊगा। ऩुसन नृऩ फचन याज यस बॊगा।।
ऩुयफाससन्ह कय वफयह वफषादा। कहे सस याभ रसछभन सॊफादा।।
वफवऩन गवन केवट अनुयागा। सुयसरय उतरय सनवास प्रमागा।।
फारभीक प्रबु सभरन फिाना। सचत्रकूट ष्जसभ फसे बगवाना।।
ससचवागवन नगय नृऩ भयना। बयतागवन प्रेभ फहु फयना।।
करय नृऩ कक्रमा सॊग ऩुयफासी। बयत गए जहॉ प्रबु सुि यासी।।
ऩुसन यघुऩसत फहु वफसध सभुझाए। रै ऩादक
ु ा अवधऩुय आए।।
बयत यहसन सुयऩसत सुत कयनी। प्रबु अरु अवत्र बईऄट ऩुसन फयनी।।
दो0-ककह वफयाध फध जेकह वफसध दे ह तजी सयबॊग।।
फयसन सुतीछन प्रीसत ऩुसन प्रबु अगष्स्त सतसॊग।।65।।
–*–*–
ककह दॊ डक फन ऩावनताई। गीध भइत्री ऩुसन तेकहॊ गाई।।
ऩुसन प्रबु ऩॊचवटीॊ कृ त फासा। बॊजी सकर भुसनन्ह की त्रासा।।
ऩुसन रसछभन उऩदे स अनूऩा। सूऩनिा ष्जसभ कीष्न्ह कुरूऩा।।

391
िय दष
ू न फध फहुरय फिाना। ष्जसभ सफ भयभु दसानन जाना।।
दसकॊधय भायीच फतकहीॊ। जेकह वफसध बई सो सफ तेकहॊ कही।।
ऩुसन भामा सीता कय हयना। श्रीयघुफीय वफयह कछु फयना।।
ऩुसन प्रबु गीध कक्रमा ष्जसभ कीन्ही। फसध कफॊध सफरयकह गसत दीन्ही।।
फहुरय वफयह फयनत यघुफीया। जेकह वफसध गए सयोफय तीया।।
दो0-प्रबु नायद सॊफाद ककह भारुसत सभरन प्रसॊग।
ऩुसन सुग्रीव सभताई फासर प्रान कय बॊग।।66((क)।।
कवऩकह सतरक करय प्रबु कृ त सैर प्रफयषन फास।
फयनन फषाा सयद अरु याभ योष कवऩ त्रास।।66(ि)।।
–*–*–
जेकह वफसध कवऩऩसत कीस ऩठाए। सीता िोज सकर कदसस धाए।।
वफफय प्रफेस कीन्ह जेकह बाॉती। कवऩन्ह फहोरय सभरा सॊऩाती।।
सुसन सफ कथा सभीयकुभाया। नाघत बमउ ऩमोसध अऩाया।।
रॊकाॉ कवऩ प्रफेस ष्जसभ कीन्हा। ऩुसन सीतकह धीयजु ष्जसभ दीन्हा।।
फन उजारय यावनकह प्रफोधी। ऩुय दकह नाघेउ फहुरय ऩमोधी।।
आए कवऩ सफ जहॉ यघुयाई। फैदेही कक कुसर सुनाई।।
सेन सभेसत जथा यघुफीया। उतये जाइ फारयसनसध तीया।।
सभरा वफबीषन जेकह वफसध आई। सागय सनग्रह कथा सुनाई।।
दो0-सेतु फाॉसध कवऩ सेन ष्जसभ उतयी सागय ऩाय।
गमउ फसीठी फीयफय जेकह वफसध फासरकुभाय।।67(क)।।
सनससचय कीस रयाई फयसनसस वफवफध प्रकाय।
कुॊबकयन घननाद कय फर ऩौरुष सॊघाय।।67(ि)।।
–*–*–
सनससचय सनकय भयन वफसध नाना। यघुऩसत यावन सभय फिाना।।
यावन फध भॊदोदरय सोका। याज वफबीषण दे व असोका।।
सीता यघुऩसत सभरन फहोयी। सुयन्ह कीन्ह अस्तुसत कय जोयी।।
ऩुसन ऩुकऩक चकढ़ कवऩन्ह सभेता। अवध चरे प्रबु कृ ऩा सनकेता।।
जेकह वफसध याभ नगय सनज आए। फामस वफसद चरयत सफ गाए।।
कहे सस फहोरय याभ असबषैका। ऩुय फयनत नृऩनीसत अनेका।।
कथा सभस्त बुसुॊड फिानी। जो भईआ तुम्ह सन कही बवानी।।
सुसन सफ याभ कथा िगनाहा। कहत फचन भन ऩयभ उछाहा।।
सो0-गमउ भोय सॊदेह सुनेउॉ सकर यघुऩसत चरयत।
बमउ याभ ऩद नेह तव प्रसाद फामस सतरक।।68(क)।।

392
भोकह बमउ असत भोह प्रबु फॊधन यन भहुॉ सनयष्ि।
सचदानॊद सॊदोह याभ वफकर कायन कवन। 68(ि)।।
दे ष्ि चरयत असत नय अनुसायी। बमउ रृदमॉ भभ सॊसम बायी।।
सोइ र्भ्भ अफ कहत करय भईआ भाना। कीन्ह अनुग्रह कृ ऩासनधाना।।
जो असत आतऩ ब्माकुर होई। तरु छामा सुि जानइ सोई।।
जं नकहॊ होत भोह असत भोही। सभरतेउॉ तात कवन वफसध तोही।।
सुनतेउॉ ककसभ हरय कथा सुहाई। असत वफसचत्र फहु वफसध तुम्ह गाई।।
सनगभागभ ऩुयान भत एहा। कहकहॊ ससद्ध भुसन नकहॊ सॊदेहा।।
सॊत वफसुद्ध सभरकहॊ ऩरय तेही। सचतवकहॊ याभ कृ ऩा करय जेही।।
याभ कृ ऩाॉ तव दयसन बमऊ। तव प्रसाद सफ सॊसम गमऊ।।
दो0-सुसन वफहॊ गऩसत फानी सकहत वफनम अनुयाग।
ऩुरक गात रोचन सजर भन हयषेउ असत काग।।69(क)।।
श्रोता सुभसत सुसीर सुसच कथा यससक हरय दास।
ऩाइ उभा असत गोप्मभवऩ सज्जन कयकहॊ प्रकास।।69(ि)।।
–*–*–
फोरेउ काकबसुॊड फहोयी। नबग नाथ ऩय प्रीसत न थोयी।।
सफ वफसध नाथ ऩूज्म तुम्ह भेये। कृ ऩाऩात्र यघुनामक केये ।।
तुम्हकह न सॊसम भोह न भामा। भो ऩय नाथ कीन्ह तुम्ह दामा।।
ऩठइ भोह सभस िगऩसत तोही। यघुऩसत दीष्न्ह फड़ाई भोही।।
तुम्ह सनज भोह कही िग साईं। सो नकहॊ कछु आचयज गोसाईं।।
नायद बव वफयॊ सच सनकादी। जे भुसननामक आतभफादी।।
भोह न अॊध कीन्ह केकह केही। को जग काभ नचाव न जेही।।
तृस्नाॉ केकह न कीन्ह फौयाहा। केकह कय रृदम क्रोध नकहॊ दाहा।।
दो0-ग्मानी ताऩस सूय कवफ कोवफद गुन आगाय।
केकह कै रौब वफडॊ फना कीष्न्ह न एकहॊ सॊसाय।।70(क)।।
श्री भद फक्र न कीन्ह केकह प्रबुता फसधय न काकह।
भृगरोचसन के नैन सय को अस राग न जाकह।।70(ि)।।
–*–*–
गुन कृ त सन्मऩात नकहॊ केही। कोउ न भान भद तजेउ सनफेही।।
जोफन ज्वय केकह नकहॊ फरकावा। भभता केकह कय जस न नसावा।।
भछछय काकह करॊक न रावा। काकह न सोक सभीय डोरावा।।
सचॊता साॉवऩसन को नकहॊ िामा। को जग जाकह न ब्माऩी भामा।।
कीट भनोयथ दारु सयीया। जेकह न राग घुन को अस धीया।।

393
सुत वफत रोक ईषना तीनी। केकह के भसत इन्ह कृ त न भरीनी।।
मह सफ भामा कय ऩरयवाया। प्रफर असभसत को फयनै ऩाया।।
ससव चतुयानन जाकह डे याहीॊ। अऩय जीव केकह रेिे भाहीॊ।।
दो0-ब्मावऩ यहे उ सॊसाय भहुॉ भामा कटक प्रचॊड।।
सेनाऩसत काभाकद बट दॊ ब कऩट ऩाषॊड।।71(क)।।
सो दासी यघुफीय कै सभुझईऄ सभथ्मा सोवऩ।
छूट न याभ कृ ऩा वफनु नाथ कहउॉ ऩद योवऩ।।71(ि)।।
–*–*–
जो भामा सफ जगकह नचावा। जासु चरयत रष्ि काहुॉ न ऩावा।।
सोइ प्रबु र्भ्ू वफरास िगयाजा। नाच नटी इव सकहत सभाजा।।
सोइ सष्छचदानॊद घन याभा। अज वफग्मान रूऩो फर धाभा।।
ब्माऩक ब्माप्म अिॊड अनॊता। अष्िर अभोघसवि बगवॊता।।
अगुन अदर्भ् सगया गोतीता। सफदयसी अनवय अजीता।।
सनभाभ सनयाकाय सनयभोहा। सनत्म सनयॊ जन सुि सॊदोहा।।
प्रकृ सत ऩाय प्रबु सफ उय फासी। ब्रह्म सनयीह वफयज अवफनासी।।
इहाॉ भोह कय कायन नाहीॊ। यवफ सन्भुि तभ कफहुॉ कक जाहीॊ।।
दो0-बगत हे तु बगवान प्रबु याभ धये उ तनु बूऩ।
ककए चरयत ऩावन ऩयभ प्राकृ त नय अनुरूऩ।।72(क)।।
जथा अनेक फेष धरय नृत्म कयइ नट कोइ।
सोइ सोइ बाव दे िावइ आऩुन होइ न सोइ।।72(ि)।।
–*–*–
असस यघुऩसत रीरा उयगायी। दनुज वफभोहसन जन सुिकायी।।
जे भसत भसरन वफषमफस काभी। प्रबु भोह धयकहॊ इसभ स्वाभी।।
नमन दोष जा कहॉ जफ होई। ऩीत फयन ससस कहुॉ कह सोई।।
जफ जेकह कदसस र्भ्भ होइ िगेसा। सो कह ऩष्छछभ उमउ कदनेसा।।
नौकारूढ़ चरत जग दे िा। अचर भोह फस आऩुकह रेिा।।
फारक र्भ्भकहॊ न र्भ्भकहॊ गृहादीॊ। कहकहॊ ऩयस्ऩय सभथ्माफादी।।
हरय वफषइक अस भोह वफहॊ गा। सऩनेहुॉ नकहॊ अग्मान प्रसॊगा।।
भामाफस भसतभॊद अबागी। रृदमॉ जभसनका फहुवफसध रागी।।
ते सठ हठ फस सॊसम कयहीॊ। सनज अग्मान याभ ऩय धयहीॊ।।
दो0-काभ क्रोध भद रोब यत गृहासि दि
ु रूऩ।
ते ककसभ जानकहॊ यघुऩसतकह भूढ़ ऩये तभ कूऩ।।73(क)।।
सनगुन
ा रूऩ सुरब असत सगुन जान नकहॊ कोइ।

394
सुगभ अगभ नाना चरयत सुसन भुसन भन र्भ्भ होइ।।73(ि)।।
–*–*–
सुनु िगेस यघुऩसत प्रबुताई। कहउॉ जथाभसत कथा सुहाई।।
जेकह वफसध भोह बमउ प्रबु भोही। सोउ सफ कथा सुनावउॉ तोही।।
याभ कृ ऩा बाजन तुम्ह ताता। हरय गुन प्रीसत भोकह सुिदाता।।
ताते नकहॊ कछु तुम्हकहॊ दयु ावउॉ । ऩयभ यहस्म भनोहय गावउॉ ।।
सुनहु याभ कय सहज सुबाऊ। जन असबभान न यािकहॊ काऊ।।
सॊसत
ृ भूर सूरप्रद नाना। सकर सोक दामक असबभाना।।
ताते कयकहॊ कृ ऩासनसध दयू ी। सेवक ऩय भभता असत बूयी।।
ष्जसभ सससु तन ब्रन होइ गोसाई। भातु सचयाव ककठन की नाईं।।
दो0-जदवऩ प्रथभ दि
ु ऩावइ योवइ फार अधीय।
ब्मासध नास कहत जननी गनसत न सो सससु ऩीय।।74(क)।।
सतसभ यघुऩसत सनज दासकय हयकहॊ भान कहत रासग।
तुरससदास ऐसे प्रबुकह कस न बजहु र्भ्भ त्मासग।।74(ि)।।
–*–*–
याभ कृ ऩा आऩसन जड़ताई। कहउॉ िगेस सुनहु भन राई।।
जफ जफ याभ भनुज तनु धयहीॊ। बि हे तु रीर फहु कयहीॊ।।
तफ तफ अवधऩुयी भईआ ज़ाऊॉ। फारचरयत वफरोकक हयषाऊॉ।।
जन्भ भहोत्सव दे िउॉ जाई। फयष ऩाॉच तहॉ यहउॉ रोबाई।।
इिदे व भभ फारक याभा। सोबा फऩुष कोकट सत काभा।।
सनज प्रबु फदन सनहारय सनहायी। रोचन सुपर कयउॉ उयगायी।।
रघु फामस फऩु धरय हरय सॊगा। दे िउॉ फारचरयत फहुयॊगा।।
दो0-ररयकाईं जहॉ जहॉ कपयकहॊ तहॉ तहॉ सॊग उड़ाउॉ ।
जूठसन ऩयइ अष्जय भहॉ सो उठाइ करय िाउॉ ।।75(क)।।
एक फाय असतसम सफ चरयत ककए यघुफीय।
सुसभयत प्रबु रीरा सोइ ऩुरककत बमउ सयीय।।75(ि)।।
–*–*–
कहइ बसुॊड सुनहु िगनामक। याभचरयत सेवक सुिदामक।।
नृऩभॊकदय सुॊदय सफ बाॉती। िसचत कनक भसन नाना जाती।।
फयसन न जाइ रुसचय अॉगनाई। जहॉ िेरकहॊ सनत चारयउ बाई।।
फारवफनोद कयत यघुयाई। वफचयत अष्जय जनसन सुिदाई।।
भयकत भृदर
ु करेवय स्माभा। अॊग अॊग प्रसत छवफ फहु काभा।।
नव याजीव अरुन भृद ु चयना। ऩदज रुसचय नि ससस दसु त हयना।।

395
रसरत अॊक कुसरसाकदक चायी। नूऩुय चारू भधुय यवकायी।।
चारु ऩुयट भसन यसचत फनाई। ककट ककॊककन कर भुिय सुहाई।।
दो0-ये िा त्रम सुन्दय उदय नाबी रुसचय गॉबीय।
उय आमत र्भ्ाजत वफवफध फार वफबूषन चीय।।76।।
–*–*–
अरुन ऩासन नि कयज भनोहय। फाहु वफसार वफबूषन सुद ॊ य।।
कॊध फार केहरय दय ग्रीवा। चारु सचफुक आनन छवफ सीॊवा।।
करफर फचन अधय अरुनाये । दइ
ु दइ
ु दसन वफसद फय फाये ।।
रसरत कऩोर भनोहय नासा। सकर सुिद ससस कय सभ हासा।।
नीर कॊज रोचन बव भोचन। र्भ्ाजत बार सतरक गोयोचन।।
वफकट बृकुकट सभ श्रवन सुहाए। कुॊसचत कच भेचक छवफ छाए।।
ऩीत झीसन झगुरी तन सोही। ककरकसन सचतवसन बावसत भोही।।
रूऩ यासस नृऩ अष्जय वफहायी। नाचकहॊ सनज प्रसतवफॊफ सनहायी।।
भोकह सन कयहीॊ वफवफध वफसध क्रीड़ा। फयनत भोकह होसत असत ब्रीड़ा।।
ककरकत भोकह धयन जफ धावकहॊ । चरउॉ बासग तफ ऩूऩ दे िावकहॊ ।।
दो0-आवत सनकट हॉ सकहॊ प्रबु बाजत रुदन कयाकहॊ ।
जाउॉ सभीऩ गहन ऩद कपरय कपरय सचतइ ऩयाकहॊ ।।77(क)।।
प्राकृ त सससु इव रीरा दे ष्ि बमउ भोकह भोह।
कवन चरयत्र कयत प्रबु सचदानॊद सॊदोह।।77(ि)।।
–*–*–
एतना भन आनत िगयामा। यघुऩसत प्रेरयत ब्माऩी भामा।।
सो भामा न दि
ु द भोकह काहीॊ। आन जीव इव सॊसत
ृ नाहीॊ।।
नाथ इहाॉ कछु कायन आना। सुनहु सो सावधान हरयजाना।।
ग्मान अिॊड एक सीताफय। भामा फस्म जीव सचयाचय।।
जं सफ कईऄ यह ग्मान एकयस। ईस्वय जीवकह बेद कहहु कस।।
भामा फस्म जीव असबभानी। ईस फस्म भामा गुनिानी।।
ऩयफस जीव स्वफस बगवॊता। जीव अनेक एक श्रीकॊता।।
भुधा बेद जयवऩ कृ त भामा। वफनु हरय जाइ न कोकट उऩामा।।
दो0-याभचॊर के बजन वफनु जो चह ऩद सनफाान।
ग्मानवॊत अवऩ सो नय ऩसु वफनु ऩूॉछ वफषान।।78(क)।।
याकाऩसत षोड़स उअकहॊ तायागन सभुदाइ।।
सकर सगरयन्ह दव राइअ वफनु यवफ यासत न जाइ।।78(ि)।।
–*–*–

396
ऐसेकहॊ हरय वफनु बजन िगेसा। सभटइ न जीवन्ह केय करेसा।।
हरय सेवककह न ब्माऩ अवफया। प्रबु प्रेरयत ब्माऩइ तेकह वफया।।
ताते नास न होइ दास कय। बेद बगसत बाढ़इ वफहॊ गफय।।
र्भ्भ ते चककत याभ भोकह दे िा। वफहॉ से सो सुनु चरयत वफसेषा।।
तेकह कौतुक कय भयभु न काहूॉ। जाना अनुज न भातु वऩताहूॉ।।
जानु ऩासन धाए भोकह धयना। स्माभर गात अरुन कय चयना।।
तफ भईआ बासग चरेउॉ उयगाभी। याभ गहन कहॉ बुजा ऩसायी।।
ष्जसभ ष्जसभ दरू य उड़ाउॉ अकासा। तहॉ बुज हरय दे िउॉ सनज ऩासा।।
दो0-ब्रह्मरोक रसग गमउॉ भईआ सचतमउॉ ऩाछ उड़ात।
जुग अॊगुर कय फीच सफ याभ बुजकह भोकह तात।।79(क)।।
सप्ताफयन बेद करय जहाॉ रगईऄ गसत भोरय।
गमउॉ तहाॉ प्रबु बुज सनयष्ि ब्माकुर बमउॉ फहोरय।।79(ि)।।
–*–*–
भूदेउॉ नमन त्रससत जफ बमउॉ । ऩुसन सचतवत कोसरऩुय गमऊॉ।।
भोकह वफरोकक याभ भुसुकाहीॊ। वफहॉ सत तुयत गमउॉ भुि भाहीॊ।।
उदय भाझ सुनु अॊडज यामा। दे िेउॉ फहु ब्रह्माॊड सनकामा।।
असत वफसचत्र तहॉ रोक अनेका। यचना असधक एक ते एका।।
कोकटन्ह चतुयानन गौयीसा। अगसनत उडगन यवफ यजनीसा।।
अगसनत रोकऩार जभ कारा। अगसनत बूधय बूसभ वफसारा।।
सागय सरय सय वफवऩन अऩाया। नाना बाॉसत सृवि वफस्ताया।।
सुय भुसन ससद्ध नाग नय ककॊनय। चारय प्रकाय जीव सचयाचय।।
दो0-जो नकहॊ दे िा नकहॊ सुना जो भनहूॉ न सभाइ।
सो सफ अद्भत
ु दे िेउॉ फयसन कवसन वफसध जाइ।।80(क)।।
एक एक ब्रह्माॊड भहुॉ यहउॉ फयष सत एक।
एकह वफसध दे ित कपयउॉ भईआ अॊड कटाह अनेक।।80(ि)।।
–*–*–
एकह वफसध दे ित कपयउॉ भईआ अॊड कटाह अनेक।।80(ि)।।
रोक रोक प्रसत सबन्न वफधाता। सबन्न वफकनु ससव भनु कदससत्राता।।
नय गॊधफा बूत फेतारा। ककॊनय सनससचय ऩसु िग ब्मारा।।
दे व दनुज गन नाना जाती। सकर जीव तहॉ आनकह बाॉती।।
भकह सरय सागय सय सगरय नाना। सफ प्रऩॊच तहॉ आनइ आना।।
अॊडकोस प्रसत प्रसत सनज रुऩा। दे िेउॉ ष्जनस अनेक अनूऩा।।
अवधऩुयी प्रसत बुवन सननायी। सयजू सबन्न सबन्न नय नायी।।

397
दसयथ कौसल्मा सुनु ताता। वफवफध रूऩ बयताकदक र्भ्ाता।।
प्रसत ब्रह्माॊड याभ अवताया। दे िउॉ फारवफनोद अऩाया।।
दो0-सबन्न सबन्न भै दीि सफु असत वफसचत्र हरयजान।
अगसनत बुवन कपये उॉ प्रबु याभ न दे िेउॉ आन।।81(क)।।
सोइ सससुऩन सोइ सोबा सोइ कृ ऩार यघुफीय।
बुवन बुवन दे ित कपयउॉ प्रेरयत भोह सभीय।।81(ि)
–*–*–
र्भ्भत भोकह ब्रह्माॊड अनेका। फीते भनहुॉ कल्ऩ सत एका।।
कपयत कपयत सनज आश्रभ आमउॉ । तहॉ ऩुसन यकह कछु कार गवाॉमउॉ ।।
सनज प्रबु जन्भ अवध सुसन ऩामउॉ । सनबाय प्रेभ हयवष उकठ धामउॉ ।।
दे िउॉ जन्भ भहोत्सव जाई। जेकह वफसध प्रथभ कहा भईआ गाई।।
याभ उदय दे िेउॉ जग नाना। दे ित फनइ न जाइ फिाना।।
तहॉ ऩुसन दे िेउॉ याभ सुजाना। भामा ऩसत कृ ऩार बगवाना।।
कयउॉ वफचाय फहोरय फहोयी। भोह कसरर ब्मावऩत भसत भोयी।।
उबम घयी भहॉ भईआ सफ दे िा। बमउॉ र्भ्सभत भन भोह वफसेषा।।
दो0-दे ष्ि कृ ऩार वफकर भोकह वफहॉ से तफ यघुफीय।
वफहॉ सतहीॊ भुि फाहे य आमउॉ सुनु भसतधीय।।82(क)।।
सोइ ररयकाई भो सन कयन रगे ऩुसन याभ।
कोकट बाॉसत सभुझावउॉ भनु न रहइ वफश्राभ।।82(ि)।।
–*–*–
दे ष्ि चरयत मह सो प्रबुताई। सभुझत दे ह दसा वफसयाई।।
धयसन ऩये उॉ भुि आव न फाता। त्राकह त्राकह आयत जन त्राता।।
प्रेभाकुर प्रबु भोकह वफरोकी। सनज भामा प्रबुता तफ योकी।।
कय सयोज प्रबु भभ ससय धये ऊ। दीनदमार सकर दि
ु हये ऊ।।
कीन्ह याभ भोकह वफगत वफभोहा। सेवक सुिद कृ ऩा सॊदोहा।।
प्रबुता प्रथभ वफचारय वफचायी। भन भहॉ होइ हयष असत बायी।।
बगत फछरता प्रबु कै दे िी। उऩजी भभ उय प्रीसत वफसेषी।।
सजर नमन ऩुरककत कय जोयी। कीष्न्हउॉ फहु वफसध वफनम फहोयी।।
दो0-सुसन सप्रेभ भभ फानी दे ष्ि दीन सनज दास।
फचन सुिद गॊबीय भृद ु फोरे यभासनवास।।83(क)।।
काकबसुॊकड भागु फय असत प्रसन्न भोकह जासन।
असनभाकदक सससध अऩय रयसध भोछछ सकर सुि िासन।।83(ि)।।
–*–*–

398
ग्मान वफफेक वफयसत वफग्माना। भुसन दर
ु ब
ा गुन जे जग नाना।।
आजु दे उॉ सफ सॊसम नाहीॊ। भागु जो तोकह बाव भन भाहीॊ।।
सुसन प्रबु फचन असधक अनुयागेउॉ। भन अनुभान कयन तफ रागेऊॉ।।
प्रबु कह दे न सकर सुि सही। बगसत आऩनी दे न न कही।।
बगसत हीन गुन सफ सुि ऐसे। रवन वफना फहु वफॊजन जैसे।।
बजन हीन सुि कवने काजा। अस वफचारय फोरेउॉ िगयाजा।।
जं प्रबु होइ प्रसन्न फय दे हू। भो ऩय कयहु कृ ऩा अरु नेहू।।
भन बावत फय भागउॉ स्वाभी। तुम्ह उदाय उय अॊतयजाभी।।
दो0-अवफयर बगसत वफसुध्द तव श्रुसत ऩुयान जो गाव।
जेकह िोजत जोगीस भुसन प्रबु प्रसाद कोउ ऩाव।।84(क)।।
बगत कल्ऩतरु प्रनत कहत कृ ऩा ससॊधु सुि धाभ।
सोइ सनज बगसत भोकह प्रबु दे हु दमा करय याभ।।84(ि)।।
–*–*–
एवभस्तु ककह यघुकुरनामक। फोरे फचन ऩयभ सुिदामक।।
सुनु फामस तईआ सहज समाना। काहे न भागसस अस फयदाना।।

सफ सुि िासन बगसत तईआ भागी। नकहॊ जग कोउ तोकह सभ फड़बागी।।


जो भुसन कोकट जतन नकहॊ रहहीॊ। जे जऩ जोग अनर तन दहहीॊ।।
यीझेउॉ दे ष्ि तोरय चतुयाई। भागेहु बगसत भोकह असत बाई।।
सुनु वफहॊ ग प्रसाद अफ भोयईऄ । सफ सुब गुन फससहकहॊ उय तोयईऄ ।।
बगसत ग्मान वफग्मान वफयागा। जोग चरयत्र यहस्म वफबागा।।
जानफ तईआ सफही कय बेदा। भभ प्रसाद नकहॊ साधन िेदा।।
दं0-भामा सॊबव र्भ्भ सफ अफ न ब्मावऩहकहॊ तोकह।
जानेसु ब्रह्म अनाकद अज अगुन गुनाकय भोकह।।85(क)।।
भोकह बगत वप्रम सॊतत अस वफचारय सुनु काग।
कामॉ फचन भन भभ ऩद कये सु अचर अनुयाग।।85(ि)।।
अफ सुनु ऩयभ वफभर भभ फानी। सत्म सुगभ सनगभाकद फिानी।।
सनज ससद्धाॊत सुनावउॉ तोही। सुनु भन धरु सफ तष्ज बजु भोही।।
भभ भामा सॊबव सॊसाया। जीव चयाचय वफवफसध प्रकाया।।
सफ भभ वप्रम सफ भभ उऩजाए। सफ ते असधक भनुज भोकह बाए।।
सतन्ह भहॉ कद्वज कद्वज भहॉ श्रुसतधायी। सतन्ह भहुॉ सनगभ धयभ अनुसायी।।
सतन्ह भहॉ वप्रम वफयि ऩुसन ग्मानी। ग्मासनहु ते असत वप्रम वफग्मानी।।
सतन्ह ते ऩुसन भोकह वप्रम सनज दासा। जेकह गसत भोरय न दस
ू रय आसा।।

399
ऩुसन ऩुसन सत्म कहउॉ तोकह ऩाहीॊ। भोकह सेवक सभ वप्रम कोउ नाहीॊ।।
बगसत हीन वफयॊ सच ककन होई। सफ जीवहु सभ वप्रम भोकह सोई।।
बगसतवॊत असत नीचउ प्रानी। भोकह प्रानवप्रम असस भभ फानी।।
दो0-सुसच सुसीर सेवक सुभसत वप्रम कहु काकह न राग।
श्रुसत ऩुयान कह नीसत असस सावधान सुनु काग।।86।।
–*–*–
एक वऩता के वफऩुर कुभाया। होकहॊ ऩृथक गुन सीर अचाया।।
कोउ ऩॊकडॊ त कोउ ताऩस ग्माता। कोउ धनवॊत सूय कोउ दाता।।
कोउ सफाग्म धभायत कोई। सफ ऩय वऩतकह प्रीसत सभ होई।।
कोउ वऩतु बगत फचन भन कभाा। सऩनेहुॉ जान न दस
ू य धभाा।।
सो सुत वप्रम वऩतु प्रान सभाना। जयवऩ सो सफ बाॉसत अमाना।।
एकह वफसध जीव चयाचय जेते। वत्रजग दे व नय असुय सभेते।।
अष्िर वफस्व मह भोय उऩामा। सफ ऩय भोकह फयाफरय दामा।।
सतन्ह भहॉ जो ऩरयहरय भद भामा। बजै भोकह भन फच अरू कामा।।
दो0-ऩुरूष नऩुॊसक नारय वा जीव चयाचय कोइ।
सफा बाव बज कऩट तष्ज भोकह ऩयभ वप्रम सोइ।।87(क)।।
सो0-सत्म कहउॉ िग तोकह सुसच सेवक भभ प्रानवप्रम।
अस वफचारय बजु भोकह ऩरयहरय आस बयोस सफ।।87(ि)।।
–*–*–
कफहूॉ कार न ब्मावऩकह तोही। सुसभये सु बजेसु सनयॊ तय भोही।।
प्रबु फचनाभृत सुसन न अघाऊॉ। तनु ऩुरककत भन असत हयषाऊॉ।।
सो सुि जानइ भन अरु काना। नकहॊ यसना ऩकहॊ जाइ फिाना।।
प्रबु सोबा सुि जानकहॊ नमना। ककह ककसभ सककहॊ सतन्हकह नकहॊ फमना।।
फहु वफसध भोकह प्रफोसध सुि दे ई। रगे कयन सससु कौतुक तेई।।
सजर नमन कछु भुि करय रूिा। सचतइ भातु रागी असत बूिा।।
दे ष्ि भातु आतुय उकठ धाई। ककह भृद ु फचन सरए उय राई।।
गोद याष्ि कयाव ऩम ऩाना। यघुऩसत चरयत रसरत कय गाना।।
सो0-जेकह सुि रासग ऩुयारय असुब फेष कृ त ससव सुिद।
अवधऩुयी नय नारय तेकह सुि भहुॉ सॊतत भगन।।88(क)।।
सोइ सुि रवरेस ष्जन्ह फायक सऩनेहुॉ रहे उ।
ते नकहॊ गनकहॊ िगेस ब्रह्मसुिकह सज्जन सुभसत।।88(ि)।।
भईआ ऩुसन अवध यहे उॉ कछु कारा। दे िेउॉ फारवफनोद यसारा।।
याभ प्रसाद बगसत फय ऩामउॉ । प्रबु ऩद फॊकद सनजाश्रभ आमउॉ ।।

400
तफ ते भोकह न ब्माऩी भामा। जफ ते यघुनामक अऩनामा।।
मह सफ गुप्त चरयत भईआ गावा। हरय भामाॉ ष्जसभ भोकह नचावा।।
सनज अनुबव अफ कहउॉ िगेसा। वफनु हरय बजन न जाकह करेसा।।
याभ कृ ऩा वफनु सुनु िगयाई। जासन न जाइ याभ प्रबुताई।।
जानईऄ वफनु न होइ ऩयतीती। वफनु ऩयतीसत होइ नकहॊ प्रीती।।
प्रीसत वफना नकहॊ बगसत कदढ़ाई। ष्जसभ िगऩसत जर कै सचकनाई।।
सो0-वफनु गुय होइ कक ग्मान ग्मान कक होइ वफयाग वफनु।
गावकहॊ फेद ऩुयान सुि कक रकहअ हरय बगसत वफनु।।89(क)।।
कोउ वफश्राभ कक ऩाव तात सहज सॊतोष वफनु।
चरै कक जर वफनु नाव कोकट जतन ऩसच ऩसच भरयअ।।89(ि)।।
वफनु सॊतोष न काभ नसाहीॊ। काभ अछत सुि सऩनेहुॉ नाहीॊ।।
याभ बजन वफनु सभटकहॊ कक काभा। थर वफहीन तरु कफहुॉ कक जाभा।।
वफनु वफग्मान कक सभता आवइ। कोउ अवकास कक नब वफनु ऩावइ।।
श्रद्धा वफना धभा नकहॊ होई। वफनु भकह गॊध कक ऩावइ कोई।।
वफनु तऩ तेज कक कय वफस्ताया। जर वफनु यस कक होइ सॊसाया।।
सीर कक सभर वफनु फुध सेवकाई। ष्जसभ वफनु तेज न रूऩ गोसाई।।
सनज सुि वफनु भन होइ कक थीया। ऩयस कक होइ वफहीन सभीया।।
कवसनउ ससवद्ध कक वफनु वफस्वासा। वफनु हरय बजन न बव बम नासा।।
दो0-वफनु वफस्वास बगसत नकहॊ तेकह वफनु रवकहॊ न याभु।
याभ कृ ऩा वफनु सऩनेहुॉ जीव न रह वफश्राभु।।90(क)।।
सो0-अस वफचारय भसतधीय तष्ज कुतका सॊसम सकर।
बजहु याभ यघुफीय करुनाकय सुॊदय सुिद।।90(ि)।।
–*–*–
सनज भसत सरयस नाथ भईआ गाई। प्रबु प्रताऩ भकहभा िगयाई।।
कहे उॉ न कछु करय जुगुसत वफसेषी। मह सफ भईआ सनज नमनष्न्ह दे िी।।
भकहभा नाभ रूऩ गुन गाथा। सकर असभत अनॊत यघुनाथा।।
सनज सनज भसत भुसन हरय गुन गावकहॊ । सनगभ सेष ससव ऩाय न ऩावकहॊ ।।
तुम्हकह आकद िग भसक प्रजॊता। नब उड़ाकहॊ नकहॊ ऩावकहॊ अॊता।।
सतसभ यघुऩसत भकहभा अवगाहा। तात कफहुॉ कोउ ऩाव कक थाहा।।
याभु काभ सत कोकट सुबग तन। दग
ु ाा कोकट असभत अरय भदा न।।
सक्र कोकट सत सरयस वफरासा। नब सत कोकट असभत अवकासा।।
दो0-भरुत कोकट सत वफऩुर फर यवफ सत कोकट प्रकास।

401
ससस सत कोकट सुसीतर सभन सकर बव त्रास।।91(क)।।
कार कोकट सत सरयस असत दस्
ु तय दग
ु ा दयु ॊ त।
धूभकेतु सत कोकट सभ दयु ाधयष बगवॊत।।91(ि)।।
\
–*–*–
प्रबु अगाध सत कोकट ऩतारा। सभन कोकट सत सरयस कयारा।।
तीयथ असभत कोकट सभ ऩावन। नाभ अष्िर अघ ऩूग नसावन।।
कहभसगरय कोकट अचर यघुफीया। ससॊधु कोकट सत सभ गॊबीया।।
काभधेनु सत कोकट सभाना। सकर काभ दामक बगवाना।।
सायद कोकट असभत चतुयाई। वफसध सत कोकट सृवि सनऩुनाई।।
वफकनु कोकट सभ ऩारन कताा। रुर कोकट सत सभ सॊहताा।।
धनद कोकट सत सभ धनवाना। भामा कोकट प्रऩॊच सनधाना।।
बाय धयन सत कोकट अहीसा। सनयवसध सनरुऩभ प्रबु जगदीसा।।
छॊ 0-सनरुऩभ न उऩभा आन याभ सभान याभु सनगभ कहै ।
ष्जसभ कोकट सत ियोत सभ यवफ कहत असत रघुता रहै ।।
एकह बाॉसत सनज सनज भसत वफरास भुसनस हरयकह फिानहीॊ।
प्रबु बाव गाहक असत कृ ऩार सप्रेभ सुसन सुि भानहीॊ।।
दो0-याभु असभत गुन सागय थाह कक ऩावइ कोइ।
सॊतन्ह सन जस ककछु सुनेउॉ तुम्हकह सुनामउॉ सोइ।।92(क)।।
सो0-बाव फस्म बगवान सुि सनधान करुना बवन।
तष्ज भभता भद भान बष्जअ सदा सीता यवन।।92(ि)।।
–*–*–
सुसन बुसुॊकड के फचन सुहाए। हयवषत िगऩसत ऩॊि पुराए।।
नमन नीय भन असत हयषाना। श्रीयघुऩसत प्रताऩ उय आना।।
ऩासछर भोह सभुष्झ ऩसछताना। ब्रह्म अनाकद भनुज करय भाना।।
ऩुसन ऩुसन काग चयन ससरु नावा। जासन याभ सभ प्रेभ फढ़ावा।।
गुय वफनु बव सनसध तयइ न कोई। जं वफयॊ सच सॊकय सभ होई।।
सॊसम सऩा ग्रसेउ भोकह ताता। दि
ु द रहरय कुतका फहु ब्राता।।
तव सरूऩ गारुकड़ यघुनामक। भोकह ष्जआमउ जन सुिदामक।।
तव प्रसाद भभ भोह नसाना। याभ यहस्म अनूऩभ जाना।।
दो0-ताकह प्रसॊसस वफवफध वफसध सीस नाइ कय जोरय।
फचन वफनीत सप्रेभ भृद ु फोरेउ गरुड़ फहोरय।।93(क)।।
प्रबु अऩने अवफफेक ते फूझउॉ स्वाभी तोकह।

402
कृ ऩाससॊधु सादय कहहु जासन दास सनज भोकह।।93(ि)।।
–*–*–
तुम्ह सफाग्म तन्म तभ ऩाया। सुभसत सुसीर सयर आचाया।।
ग्मान वफयसत वफग्मान सनवासा। यघुनामक के तुम्ह वप्रम दासा।।
कायन कवन दे ह मह ऩाई। तात सकर भोकह कहहु फुझाई।।
याभ चरयत सय सुॊदय स्वाभी। ऩामहु कहाॉ कहहु नबगाभी।।
नाथ सुना भईआ अस ससव ऩाहीॊ। भहा प्ररमहुॉ नास तव नाहीॊ।।
भुधा फचन नकहॊ ईस्वय कहई। सोउ भोयईऄ भन सॊसम अहई।।
अग जग जीव नाग नय दे वा। नाथ सकर जगु कार करेवा।।
अॊड कटाह असभत रम कायी। कारु सदा दयु सतक्रभ बायी।।
सो0-तुम्हकह न ब्माऩत कार असत कयार कायन कवन।
भोकह सो कहहु कृ ऩार ग्मान प्रबाव कक जोग फर।।94(क)।।
दो0-प्रबु तव आश्रभ आएॉ भोय भोह र्भ्भ बाग।
कायन कवन सो नाथ सफ कहहु सकहत अनुयाग।।94(ि)।।
–*–*–
गरुड़ सगया सुसन हयषेउ कागा। फोरेउ उभा ऩयभ अनुयागा।।
धन्म धन्म तव भसत उयगायी। प्रस्न तुम्हारय भोकह असत प्मायी।।
सुसन तव प्रस्न सप्रेभ सुहाई। फहुत जनभ कै सुसध भोकह आई।।
सफ सनज कथा कहउॉ भईआ गाई। तात सुनहु सादय भन राई।।
जऩ तऩ भि सभ दभ ब्रत दाना। वफयसत वफफेक जोग वफग्माना।।
सफ कय पर यघुऩसत ऩद प्रेभा। तेकह वफनु कोउ न ऩावइ छे भा।।
एकह तन याभ बगसत भईआ ऩाई। ताते भोकह भभता असधकाई।।
जेकह तईऄ कछु सनज स्वायथ होई। तेकह ऩय भभता कय सफ कोई।।
सो0-ऩन्नगारय असस नीसत श्रुसत सॊभत सज्जन कहकहॊ ।
असत नीचहु सन प्रीसत करयअ जासन सनज ऩयभ कहत।।95(क)।।
ऩाट कीट तईऄ होइ तेकह तईऄ ऩाटॊ फय रुसचय।
कृ सभ ऩारइ सफु कोइ ऩयभ अऩावन प्रान सभ।।95(ि)।।
स्वायथ साॉच जीव कहुॉ एहा। भन क्रभ फचन याभ ऩद नेहा।।
सोइ ऩावन सोइ सुबग सयीया। जो तनु ऩाइ बष्जअ यघुफीया।।
याभ वफभुि रकह वफसध सभ दे ही। कवफ कोवफद न प्रसॊसकहॊ तेही।।
याभ बगसत एकहॊ तन उय जाभी। ताते भोकह ऩयभ वप्रम स्वाभी।।
तजउॉ न तन सनज इछछा भयना। तन वफनु फेद बजन नकहॊ फयना।।
प्रथभ भोहॉ भोकह फहुत वफगोवा। याभ वफभुि सुि कफहुॉ न सोवा।।

403
नाना जनभ कभा ऩुसन नाना। ककए जोग जऩ तऩ भि दाना।।
कवन जोसन जनभेउॉ जहॉ नाहीॊ। भईआ िगेस र्भ्सभ र्भ्सभ जग भाहीॊ।।
दे िेउॉ करय सफ कयभ गोसाई। सुिी न बमउॉ अफकहॊ की नाई।।
सुसध भोकह नाथ जन्भ फहु केयी। ससव प्रसाद भसत भोहॉ न घेयी।।
दो0-प्रथभ जन्भ के चरयत अफ कहउॉ सुनहु वफहगेस।
सुसन प्रबु ऩद यसत उऩजइ जातईऄ सभटकहॊ करेस।।96(क)।।
ऩूरुफ कल्ऩ एक प्रबु जुग कसरजुग भर भूर।।
नय अरु नारय अधभा यत सकर सनगभ प्रसतकूर।।96(ि)।।
–*–*–
तेकह कसरजुग कोसरऩुय जाई। जन्भत बमउॉ सूर तनु ऩाई।।
ससव सेवक भन क्रभ अरु फानी। आन दे व सनॊदक असबभानी।।
धन भद भत्त ऩयभ फाचारा। उग्रफुवद्ध उय दॊ ब वफसारा।।
जदवऩ यहे उॉ यघुऩसत यजधानी। तदवऩ न कछु भकहभा तफ जानी।।
अफ जाना भईआ अवध प्रबावा। सनगभागभ ऩुयान अस गावा।।
कवनेहुॉ जन्भ अवध फस जोई। याभ ऩयामन सो ऩरय होई।।
अवध प्रबाव जान तफ प्रानी। जफ उय फसकहॊ याभु धनुऩानी।।
सो कसरकार ककठन उयगायी। ऩाऩ ऩयामन सफ नय नायी।।
दो0-कसरभर ग्रसे धभा सफ रुप्त बए सदग्रॊथ।
दॊ सबन्ह सनज भसत कष्ल्ऩ करय प्रगट ककए फहु ऩॊथ।।97(क)।।
बए रोग सफ भोहफस रोब ग्रसे सुब कभा।
सुनु हरयजान ग्मान सनसध कहउॉ कछुक कसरधभा।।97(ि)।।
–*–*–
फयन धभा नकहॊ आश्रभ चायी। श्रुसत वफयोध यत सफ नय नायी।।
कद्वज श्रुसत फेचक बूऩ प्रजासन। कोउ नकहॊ भान सनगभ अनुसासन।।
भायग सोइ जा कहुॉ जोइ बावा। ऩॊकडत सोइ जो गार फजावा।।
सभथ्मायॊ ब दॊ ब यत जोई। ता कहुॉ सॊत कहइ सफ कोई।।
सोइ समान जो ऩयधन हायी। जो कय दॊ ब सो फड़ आचायी।।
जौ कह झूॉठ भसियी जाना। कसरजुग सोइ गुनवॊत फिाना।।
सनयाचाय जो श्रुसत ऩथ त्मागी। कसरजुग सोइ ग्मानी सो वफयागी।।
जाकईऄ नि अरु जटा वफसारा। सोइ ताऩस प्रससद्ध कसरकारा।।
दो0-असुब फेष बूषन धयईऄ बछछाबछछ जे िाकहॊ ।
तेइ जोगी तेइ ससद्ध नय ऩूज्म ते कसरजुग भाकहॊ ।।98(क)।।
सो0-जे अऩकायी चाय सतन्ह कय गौयव भान्म तेइ।

404
भन क्रभ फचन रफाय तेइ फकता कसरकार भहुॉ।।98(ि)।।
–*–*–
नारय वफफस नय सकर गोसाई। नाचकहॊ नट भकाट की नाई।।
सूर कद्वजन्ह उऩदे सकहॊ ग्माना। भेसर जनेऊ रेकहॊ कुदाना।।
सफ नय काभ रोब यत क्रोधी। दे व वफप्र श्रुसत सॊत वफयोधी।।
गुन भॊकदय सुॊदय ऩसत त्मागी। बजकहॊ नारय ऩय ऩुरुष अबागी।।
सौबासगनीॊ वफबूषन हीना। वफधवन्ह के ससॊगाय नफीना।।
गुय ससष फसधय अॊध का रेिा। एक न सुनइ एक नकहॊ दे िा।।
हयइ ससकम धन सोक न हयई। सो गुय घोय नयक भहुॉ ऩयई।।
भातु वऩता फारकष्न्ह फोराफकहॊ । उदय बयै सोइ धभा ससिावकहॊ ।।
दो0-ब्रह्म ग्मान वफनु नारय नय कहकहॊ न दस
ू रय फात।
कौड़ी रासग रोब फस कयकहॊ वफप्र गुय घात।।99(क)।।
फादकहॊ सूर कद्वजन्ह सन हभ तुम्ह ते कछु घाकट।
जानइ ब्रह्म सो वफप्रफय आॉष्ि दे िावकहॊ डाकट।।99(ि)।।
–*–*–

ऩय वत्रम रॊऩट कऩट समाने। भोह रोह भभता रऩटाने।।


तेइ अबेदफादी ग्मानी नय। दे िा भईऄ चरयत्र कसरजुग कय।।
आऩु गए अरु सतन्हहू घारकहॊ । जे कहुॉ सत भायग प्रसतऩारकहॊ ।।
कल्ऩ कल्ऩ बरय एक एक नयका। ऩयकहॊ जे दष
ू कहॊ श्रुसत करय तयका।।
जे फयनाधभ तेसर कुम्हाया। स्वऩच ककयात कोर करवाया।।
नारय भुई गृह सॊऩसत नासी। भूड़ भुड़ाइ होकहॊ सन्मासी।।
ते वफप्रन्ह सन आऩु ऩुजावकहॊ । उबम रोक सनज हाथ नसावकहॊ ।।
वफप्र सनयछछय रोरुऩ काभी। सनयाचाय सठ फृषरी स्वाभी।।
सूर कयकहॊ जऩ तऩ ब्रत नाना। फैकठ फयासन कहकहॊ ऩुयाना।।
सफ नय कष्ल्ऩत कयकहॊ अचाया। जाइ न फयसन अनीसत अऩाया।।
दो0-बए फयन सॊकय कसर सबन्नसेतु सफ रोग।
कयकहॊ ऩाऩ ऩावकहॊ दि
ु बम रुज सोक वफमोग।।100(क)।।
श्रुसत सॊभत हरय बवि ऩथ सॊजुत वफयसत वफफेक।
तेकह न चरकहॊ नय भोह फस कल्ऩकहॊ ऩॊथ अनेक।।100(ि)।।
–*–*–
छॊ 0-फहु दाभ सॉवायकहॊ धाभ जती। वफषमा हरय रीष्न्ह न यकह वफयती।।
तऩसी धनवॊत दरयर गृही। कसर कौतुक तात न जात कही।।

405
कुरवॊसत सनकायकहॊ नारय सती। गृह आसनकहॊ चेयी सनफेरय गती।।
सुत भानकहॊ भातु वऩता तफ रं। अफरानन दीि नहीॊ जफ रं।।
ससुयारय वऩआरय रगी जफ तईऄ। रयऩरूऩ कुटु ॊ फ बए तफ तईऄ।।
नृऩ ऩाऩ ऩयामन धभा नहीॊ। करय दॊ ड वफडॊ फ प्रजा सनतहीॊ।।
धनवॊत कुरीन भरीन अऩी। कद्वज सचन्ह जनेउ उघाय तऩी।।
नकहॊ भान ऩुयान न फेदकह जो। हरय सेवक सॊत सही कसर सो।
कवफ फृॊद उदाय दन
ु ी न सुनी। गुन दष
ू क ब्रात न कोवऩ गुनी।।
कसर फायकहॊ फाय दक
ु ार ऩयै । वफनु अन्न दि
ु ी सफ रोग भयै ।।
दो0-सुनु िगेस कसर कऩट हठ दॊ ब द्वे ष ऩाषॊड।
भान भोह भायाकद भद ब्मावऩ यहे ब्रह्मॊड।।101(क)।।
ताभस धभा कयकहॊ नय जऩ तऩ ब्रत भि दान।
दे व न फयषकहॊ धयनीॊ फए न जाभकहॊ धान।।101(ि)।।
–*–*–
छॊ 0-अफरा कच बूषन बूरय छुधा। धनहीन दि ु ी भभता फहुधा।।
सुि चाहकहॊ भूढ़ न धभा यता। भसत थोरय कठोरय न कोभरता।।1।।
नय ऩीकड़त योग न बोग कहीॊ। असबभान वफयोध अकायनहीॊ।।
रघु जीवन सॊफतु ऩॊच दसा। करऩाॊत न नास गुभानु असा।।2।।
कसरकार वफहार ककए भनुजा। नकहॊ भानत क्वौ अनुजा तनुजा।
नकहॊ तोष वफचाय न सीतरता। सफ जासत कुजासत बए भगता।।3।।
इरयषा ऩरुषाछछय रोरुऩता। बरय ऩूरय यही सभता वफगता।।
सफ रोग वफमोग वफसोक हुए। फयनाश्रभ धभा अचाय गए।।4।।
दभ दान दमा नकहॊ जानऩनी। जड़ता ऩयफॊचनतासत घनी।।
तनु ऩोषक नारय नया सगये । ऩयसनॊदक जे जग भो फगये ।।5।।
दो0-सुनु ब्मारारय कार कसर भर अवगुन आगाय।
गुनउॉ फहुत कसरजुग कय वफनु प्रमास सनस्ताय।।102(क)।।
कृ तजुग त्रेता द्वाऩय ऩूजा भि अरु जोग।
जो गसत होइ सो कसर हरय नाभ ते ऩावकहॊ रोग।।102(ि)।।
–*–*–
कृ तजुग सफ जोगी वफग्मानी। करय हरय ध्मान तयकहॊ बव प्रानी।।
त्रेताॉ वफवफध जग्म नय कयहीॊ। प्रबुकह सभवऩा कभा बव तयहीॊ।।
द्वाऩय करय यघुऩसत ऩद ऩूजा। नय बव तयकहॊ उऩाम न दज
ू ा।।
कसरजुग केवर हरय गुन गाहा। गावत नय ऩावकहॊ बव थाहा।।
कसरजुग जोग न जग्म न ग्माना। एक अधाय याभ गुन गाना।।

406
सफ बयोस तष्ज जो बज याभकह। प्रेभ सभेत गाव गुन ग्राभकह।।
सोइ बव तय कछु सॊसम नाहीॊ। नाभ प्रताऩ प्रगट कसर भाहीॊ।।
कसर कय एक ऩुनीत प्रताऩा। भानस ऩुन्म होकहॊ नकहॊ ऩाऩा।।
दो0-कसरजुग सभ जुग आन नकहॊ जं नय कय वफस्वास।
गाइ याभ गुन गन वफभरॉ बव तय वफनकहॊ प्रमास।।103(क)।।
प्रगट चारय ऩद धभा के कसरर भहुॉ एक प्रधान।
जेन केन वफसध दीन्हईऄ दान कयइ कल्मान।।103(ि)।।
–*–*–
सनत जुग धभा होकहॊ सफ केये । रृदमॉ याभ भामा के प्रेये।।
सुद्ध सत्व सभता वफग्माना। कृ त प्रबाव प्रसन्न भन जाना।।
सत्व फहुत यज कछु यसत कभाा। सफ वफसध सुि त्रेता कय धभाा।।
फहु यज स्वल्ऩ सत्व कछु ताभस। द्वाऩय धभा हयष बम भानस।।
ताभस फहुत यजोगुन थोया। कसर प्रबाव वफयोध चहुॉ ओया।।
फुध जुग धभा जासन भन भाहीॊ। तष्ज अधभा यसत धभा कयाहीॊ।।
कार धभा नकहॊ ब्माऩकहॊ ताही। यघुऩसत चयन प्रीसत असत जाही।।
नट कृ त वफकट कऩट िगयामा। नट सेवककह न ब्माऩइ भामा।।
दो0-हरय भामा कृ त दोष गुन वफनु हरय बजन न जाकहॊ ।
बष्जअ याभ तष्ज काभ सफ अस वफचारय भन भाकहॊ ।।104(क)।।
तेकह कसरकार फयष फहु फसेउॉ अवध वफहगेस।
ऩये उ दक
ु ार वफऩसत फस तफ भईआ गमउॉ वफदे स।।104(ि)।।
–*–*–
गमउॉ उजेनी सुनु उयगायी। दीन भरीन दरयर दि ु ायी।।
गएॉ कार कछु सॊऩसत ऩाई। तहॉ ऩुसन कयउॉ सॊबु सेवकाई।।
वफप्र एक फैकदक ससव ऩूजा। कयइ सदा तेकह काजु न दज
ू ा।।
ऩयभ साधु ऩयभायथ वफॊदक। सॊबु उऩासक नकहॊ हरय सनॊदक।।
तेकह सेवउॉ भईआ कऩट सभेता। कद्वज दमार असत नीसत सनकेता।।
फाकहज नम्र दे ष्ि भोकह साईं। वफप्र ऩढ़ाव ऩुत्र की नाईं।।
सॊबु भॊत्र भोकह कद्वजफय दीन्हा। सुब उऩदे स वफवफध वफसध कीन्हा।।
जऩउॉ भॊत्र ससव भॊकदय जाई। रृदमॉ दॊ ब अहसभसत असधकाई।।
दो0-भईआ िर भर सॊकुर भसत नीच जासत फस भोह।
हरय जन कद्वज दे िईऄ जयउॉ कयउॉ वफकनु कय रोह।।105(क)।।
सो0-गुय सनत भोकह प्रफोध दष्ु ित दे ष्ि आचयन भभ।
भोकह उऩजइ असत क्रोध दॊ सबकह नीसत कक बावई।।105(ि)।।

407
–*–*–
एक फाय गुय रीन्ह फोराई। भोकह नीसत फहु बाॉसत ससिाई।।
ससव सेवा कय पर सुत सोई। अवफयर बगसत याभ ऩद होई।।
याभकह बजकहॊ तात ससव धाता। नय ऩावॉय कै केसतक फाता।।
जासु चयन अज ससव अनुयागी। तातु रोहॉ सुि चहसस अबागी।।
हय कहुॉ हरय सेवक गुय कहे ऊ। सुसन िगनाथ रृदम भभ दहे ऊ।।
अधभ जासत भईआ वफया ऩाएॉ। बमउॉ जथा अकह दध
ू वऩआएॉ।।
भानी कुकटर कुबाग्म कुजाती। गुय कय रोह कयउॉ कदनु याती।।
असत दमार गुय स्वल्ऩ न क्रोधा। ऩुसन ऩुसन भोकह ससिाव सुफोधा।।
जेकह ते नीच फड़ाई ऩावा। सो प्रथभकहॊ हसत ताकह नसावा।।
धूभ अनर सॊबव सुनु बाई। तेकह फुझाव घन ऩदवी ऩाई।।
यज भग ऩयी सनयादय यहई। सफ कय ऩद प्रहाय सनत सहई।।
भरुत उड़ाव प्रथभ तेकह बयई। ऩुसन नृऩ नमन ककयीटष्न्ह ऩयई।।
सुनु िगऩसत अस सभुष्झ प्रसॊगा। फुध नकहॊ कयकहॊ अधभ कय सॊगा।।
कवफ कोवफद गावकहॊ असस नीती। िर सन करह न बर नकहॊ प्रीती।।
उदासीन सनत यकहअ गोसाईं। िर ऩरयहरयअ स्वान की नाईं।।
भईआ िर रृदमॉ कऩट कुकटराई। गुय कहत कहइ न भोकह सोहाई।।
दो0-एक फाय हय भॊकदय जऩत यहे उॉ ससव नाभ।
गुय आमउ असबभान तईऄ उकठ नकहॊ कीन्ह प्रनाभ।।106(क)।।
सो दमार नकहॊ कहे उ कछु उय न योष रवरेस।
असत अघ गुय अऩभानता सकह नकहॊ सके भहे स।।106(ि)।।
–*–*–
भॊकदय भाझ बई नब फानी। ये हतबाग्म अग्म असबभानी।।
जयवऩ तव गुय कईऄ नकहॊ क्रोधा। असत कृ ऩार सचत सम्मक फोधा।।
तदवऩ साऩ सठ दै हउॉ तोही। नीसत वफयोध सोहाइ न भोही।।
जं नकहॊ दॊ ड कयं िर तोया। र्भ्ि होइ श्रुसतभायग भोया।।
जे सठ गुय सन इरयषा कयहीॊ। यौयव नयक कोकट जुग ऩयहीॊ।।
वत्रजग जोसन ऩुसन धयकहॊ सयीया। अमुत जन्भ बरय ऩावकहॊ ऩीया।।
फैठ यहे सस अजगय इव ऩाऩी। सऩा होकह िर भर भसत ब्माऩी।।
भहा वफटऩ कोटय भहुॉ जाई।।यहु अधभाधभ अधगसत ऩाई।।
दो0-हाहाकाय कीन्ह गुय दारुन सुसन ससव साऩ।।
कॊवऩत भोकह वफरोकक असत उय उऩजा ऩरयताऩ।।107(क)।।
करय दॊ डवत सप्रेभ कद्वज ससव सन्भुि कय जोरय।

408
वफनम कयत गदगद स्वय सभुष्झ घोय गसत भोरय।।107(ि)।।
–*–*–
नभाभीशभीशान सनवााणरूऩॊ। ववॊबुॊ ब्माऩकॊ ब्रह्म वेदस्वरूऩॊ।
सनजॊ सनगुण
ा ॊ सनववाकल्ऩॊ सनयीॊह। सचदाकाशभाकाशवासॊ बजेऽहॊ ।।
सनयाकायभंकायभूरॊ तुयीमॊ। सगया ग्मान गोतीतभीशॊ सगयीशॊ।।
कयारॊ भहाकार कारॊ कृ ऩारॊ। गुणागाय सॊसायऩायॊ नतोऽहॊ ।।
तुषायाकर सॊकाश गौयॊ गबीयॊ । भनोबूत कोकट प्रबा श्री शयीयॊ ।।
स्पुयन्भौसर कल्रोसरनी चारु गॊगा। रसद्भारफारेन्द ु कॊठे बुजॊगा।।
चरत्कुॊडरॊ र्भ्ू सुनेत्रॊ ववशारॊ। प्रसन्नाननॊ नीरकॊठॊ दमारॊ।।
भृगाधीशचभााम्फयॊ भुण्डभारॊ। वप्रमॊ शॊकयॊ सवानाथॊ बजासभ।।
प्रचॊडॊ प्रकृ िॊ प्रगल्बॊ ऩये श।ॊ अिॊडॊ अजॊ बानुकोकटप्रकाशॊ।।
त्रम्शूर सनभूर
ा नॊ शूरऩाष्णॊ। बजेऽहॊ बवानीऩसतॊ बावगम्मॊ।।
करातीत कल्माण कल्ऩान्तकायी। सदा सज्जनान्ददाता ऩुयायी।।
सचदानॊदसॊदोह भोहाऩहायी। प्रसीद प्रसीद प्रबो भन्भथायी।।
न मावद् उभानाथ ऩादायववन्दॊ । बजॊतीह रोके ऩये वा नयाणाॊ।।
न तावत्सुिॊ शाष्न्त सन्ताऩनाशॊ। प्रसीद प्रबो सवाबूतासधवासॊ।।
न जानासभ मोगॊ जऩॊ नैव ऩूजाॊ। नतोऽहॊ सदा सवादा शॊबु तुभ्मॊ।।
जया जन्भ द्ु िौघ तातप्मभानॊ। प्रबो ऩाकह आऩन्नभाभीश शॊबो।।
श्लोक-रुरािकसभदॊ प्रोिॊ ववप्रेण हयतोषमे।
मे ऩठष्न्त नया बक्त्मा तेषाॊ शम्बु् प्रसीदसत।।9।।
दो0–सुसन वफनती सफाग्म ससव दे ष्ि वब्रप्र अनुयागु।
ऩुसन भॊकदय नबफानी बइ कद्वजफय फय भागु।।108(क)।।
जं प्रसन्न प्रबु भो ऩय नाथ दीन ऩय नेहु।
सनज ऩद बगसत दे इ प्रबु ऩुसन दस
ू य फय दे हु।।108(ि)।।
तव भामा फस जीव जड़ सॊतत कपयइ बुरान।
तेकह ऩय क्रोध न करयअ प्रबु कृ ऩा ससॊधु बगवान।।108(ग)।।
सॊकय दीनदमार अफ एकह ऩय होहु कृ ऩार।
साऩ अनुग्रह होइ जेकहॊ नाथ थोये हीॊ कार।।108(घ)।।
–*–*–
एकह कय होइ ऩयभ कल्माना। सोइ कयहु अफ कृ ऩासनधाना।।
वफप्रसगया सुसन ऩयकहत सानी। एवभस्तु इसत बइ नबफानी।।
जदवऩ कीन्ह एकहॊ दारुन ऩाऩा। भईआ ऩुसन दीन्ह कोऩ करय साऩा।।
तदवऩ तुम्हाय साधुता दे िी। करयहउॉ एकह ऩय कृ ऩा वफसेषी।।

409
छभासीर जे ऩय उऩकायी। ते कद्वज भोकह वप्रम जथा ियायी।।
भोय श्राऩ कद्वज ब्मथा न जाइकह। जन्भ सहस अवस्म मह ऩाइकह।।
जनभत भयत दस
ु ह दि
ु होई। अकह स्वल्ऩउ नकहॊ ब्मावऩकह सोई।।
कवनेउॉ जन्भ सभकटकह नकहॊ ग्माना। सुनकह सूर भभ फचन प्रवाना।।
यघुऩसत ऩुयीॊ जन्भ तफ बमऊ। ऩुसन तईआ भभ सेवाॉ भन दमऊ।।
ऩुयी प्रबाव अनुग्रह भोयईऄ । याभ बगसत उऩष्जकह उय तोयईऄ ।।
सुनु भभ फचन सत्म अफ बाई। हरयतोषन ब्रत कद्वज सेवकाई।।
अफ जसन कयकह वफप्र अऩभाना। जानेहु सॊत अनॊत सभाना।।
इॊ र कुसरस भभ सूर वफसारा। कारदॊ ड हरय चक्र कयारा।।
जो इन्ह कय भाया नकहॊ भयई। वफप्ररोह ऩावक सो जयई।।
अस वफफेक यािेहु भन भाहीॊ। तुम्ह कहॉ जग दर
ु ब
ा कछु नाहीॊ।।
औयउ एक आससषा भोयी। अप्रसतहत गसत होइकह तोयी।।
दो0-सुसन ससव फचन हयवष गुय एवभस्तु इसत बावष।
भोकह प्रफोसध गमउ गृह सॊबु चयन उय याष्ि।।109(क)।।
प्रेरयत कार वफसध सगरय जाइ बमउॉ भईआ ब्मार।
ऩुसन प्रमास वफनु सो तनु जजेउॉ गएॉ कछु कार।।109(ि)।।
जोइ तनु धयउॉ तजउॉ ऩुसन अनामास हरयजान।
ष्जसभ नूतन ऩट ऩकहयइ नय ऩरयहयइ ऩुयान।।109(ग)।।
ससवॉ यािी श्रुसत नीसत अरु भईआ नकहॊ ऩावा क्रेस।
एकह वफसध धये उॉ वफवफध तनु ग्मान न गमउ िगेस।।109(घ)।।
–*–*–
वत्रजग दे व नय जोइ तनु धयउॉ । तहॉ तहॉ याभ बजन अनुसयऊॉ।।
एक सूर भोकह वफसय न काऊ। गुय कय कोभर सीर सुबाऊ।।
चयभ दे ह कद्वज कै भईआ ऩाई। सुय दर
ु ब
ा ऩुयान श्रुसत गाई।।
िेरउॉ तहूॉ फारकन्ह भीरा। कयउॉ सकर यघुनामक रीरा।।
प्रौढ़ बएॉ भोकह वऩता ऩढ़ावा। सभझउॉ सुनउॉ गुनउॉ नकहॊ बावा।।
भन ते सकर फासना बागी। केवर याभ चयन रम रागी।।
कहु िगेस अस कवन अबागी। ियी सेव सुयधेनुकह त्मागी।।
प्रेभ भगन भोकह कछु न सोहाई। हाये उ वऩता ऩढ़ाइ ऩढ़ाई।।
बए कारफस जफ वऩतु भाता। भईआ फन गमउॉ बजन जनत्राता।।
जहॉ जहॉ वफवऩन भुनीस्वय ऩावउॉ । आश्रभ जाइ जाइ ससरु नावउॉ ।।
फूझत सतन्हकह याभ गुन गाहा। कहकहॊ सुनउॉ हयवषत िगनाहा।।

410
सुनत कपयउॉ हरय गुन अनुफादा। अब्माहत गसत सॊबु प्रसादा।।
छूटी वत्रवफध ईषना गाढ़ी। एक रारसा उय असत फाढ़ी।।
याभ चयन फारयज जफ दे िं। तफ सनज जन्भ सपर करय रेिं।।
जेकह ऩूॉछउॉ सोइ भुसन अस कहई। ईस्वय सफा बूतभम अहई।।
सनगुन
ा भत नकहॊ भोकह सोहाई। सगुन ब्रह्म यसत उय असधकाई।।
दो0-गुय के फचन सुयसत करय याभ चयन भनु राग।
यघुऩसत जस गावत कपयउॉ छन छन नव अनुयाग।।110(क)।।
भेरु ससिय फट छामाॉ भुसन रोभस आसीन।
दे ष्ि चयन ससरु नामउॉ फचन कहे उॉ असत दीन।।110(ि)।।
सुसन भभ फचन वफनीत भृद ु भुसन कृ ऩार िगयाज।
भोकह सादय ऩूॉछत बए कद्वज आमहु केकह काज।।110(ग)।।
तफ भईआ कहा कृ ऩासनसध तुम्ह सफाग्म सुजान।
सगुन ब्रह्म अवयाधन भोकह कहहु बगवान।।110(घ)।।
–*–*–
तफ भुसनष यघुऩसत गुन गाथा। कहे कछुक सादय िगनाथा।।
ब्रह्मग्मान यत भुसन वफग्मासन। भोकह ऩयभ असधकायी जानी।।
रागे कयन ब्रह्म उऩदे सा। अज अद्वे त अगुन रृदमेसा।।
अकर अनीह अनाभ अरुऩा। अनुबव गम्म अिॊड अनूऩा।।
भन गोतीत अभर अवफनासी। सनवफाकाय सनयवसध सुि यासी।।
सो तईआ ताकह तोकह नकहॊ बेदा। फारय फीसच इव गावकह फेदा।।
वफवफध बाॉसत भोकह भुसन सभुझावा। सनगुन
ा भत भभ रृदमॉ न आवा।।
ऩुसन भईआ कहे उॉ नाइ ऩद सीसा। सगुन उऩासन कहहु भुनीसा।।
याभ बगसत जर भभ भन भीना। ककसभ वफरगाइ भुनीस प्रफीना।।
सोइ उऩदे स कहहु करय दामा। सनज नमनष्न्ह दे िं यघुयामा।।
बरय रोचन वफरोकक अवधेसा। तफ सुसनहउॉ सनगुन
ा उऩदे सा।।
भुसन ऩुसन ककह हरयकथा अनूऩा। िॊकड सगुन भत अगुन सनरूऩा।।
तफ भईआ सनगुन
ा भत कय दयू ी। सगुन सनरूऩउॉ करय हठ बूयी।।
उत्तय प्रसतउत्तय भईआ कीन्हा। भुसन तन बए क्रोध के चीन्हा।।
सुनु प्रबु फहुत अवग्मा ककएॉ। उऩज क्रोध ग्मासनन्ह के कहएॉ।।
असत सॊघयषन जं कय कोई। अनर प्रगट चॊदन ते होई।।
दो0–फायॊ फाय सकोऩ भुसन कयइ सनरुऩन ग्मान।
भईआ अऩनईऄ भन फैठ तफ कयउॉ वफवफध अनुभान।।111(क)।।

411
क्रोध कक द्वे तफुवद्ध वफनु द्वै त कक वफनु अग्मान।
भामाफस ऩरयसछन्न जड़ जीव कक ईस सभान।।111(ि)।।
–*–*–
कफहुॉ कक दि
ु सफ कय कहत ताकईऄ। तेकह कक दरयर ऩयस भसन जाकईऄ।।
ऩयरोही की होकहॊ सनसॊका। काभी ऩुसन कक यहकहॊ अकरॊका।।
फॊस कक यह कद्वज अनकहत कीन्हईऄ । कभा कक होकहॊ स्वरूऩकह चीन्हईऄ ।।
काहू सुभसत कक िर सॉग जाभी। सुब गसत ऩाव कक ऩयवत्रम गाभी।।
बव कक ऩयकहॊ ऩयभात्भा वफॊदक। सुिी कक होकहॊ कफहुॉ हरयसनॊदक।।
याजु कक यहइ नीसत वफनु जानईऄ। अघ कक यहकहॊ हरयचरयत फिानईऄ।।
ऩावन जस कक ऩुन्म वफनु होई। वफनु अघ अजस कक ऩावइ कोई।।
राबु कक ककछु हरय बगसत सभाना। जेकह गावकहॊ श्रुसत सॊत ऩुयाना।।
हासन कक जग एकह सभ ककछु बाई। बष्जअ न याभकह नय तनु ऩाई।।
अघ कक वऩसुनता सभ कछु आना। धभा कक दमा सरयस हरयजाना।।
एकह वफसध असभसत जुगुसत भन गुनऊॉ। भुसन उऩदे स न सादय सुनऊॉ।।
ऩुसन ऩुसन सगुन ऩछछ भईआ योऩा। तफ भुसन फोरेउ फचन सकोऩा।।
भूढ़ ऩयभ ससि दे उॉ न भानसस। उत्तय प्रसतउत्तय फहु आनसस।।
सत्म फचन वफस्वास न कयही। फामस इव सफही ते डयही।।
सठ स्वऩछछ तफ रृदमॉ वफसारा। सऩकद होकह ऩछछी चॊडारा।।
रीन्ह श्राऩ भईआ सीस चढ़ाई। नकहॊ कछु बम न दीनता आई।।
दो0-तुयत बमउॉ भईआ काग तफ ऩुसन भुसन ऩद ससरु नाइ।
सुसभरय याभ यघुफॊस भसन हयवषत चरेउॉ उड़ाइ।।112(क)।।
उभा जे याभ चयन यत वफगत काभ भद क्रोध।।
सनज प्रबुभम दे िकहॊ जगत केकह सन कयकहॊ वफयोध।।112(ि)।।
–*–*–
सुनु िगेस नकहॊ कछु रयवष दष
ू न। उय प्रेयक यघुफॊस वफबूषन।।
कृ ऩाससॊधु भुसन भसत करय बोयी। रीष्न्ह प्रेभ ऩरयछछा भोयी।।
भन फच क्रभ भोकह सनज जन जाना। भुसन भसत ऩुसन पेयी बगवाना।।
रयवष भभ भहत सीरता दे िी। याभ चयन वफस्वास वफसेषी।।
असत वफसभम ऩुसन ऩुसन ऩसछताई। सादय भुसन भोकह रीन्ह फोराई।।
भभ ऩरयतोष वफवफध वफसध कीन्हा। हयवषत याभभॊत्र तफ दीन्हा।।
फारकरूऩ याभ कय ध्माना। कहे उ भोकह भुसन कृ ऩासनधाना।।
सुॊदय सुिद सभकह असत बावा। सो प्रथभकहॊ भईआ तुम्हकह सुनावा।।
भुसन भोकह कछुक कार तहॉ यािा। याभचरयतभानस तफ बाषा।।

412
सादय भोकह मह कथा सुनाई। ऩुसन फोरे भुसन सगया सुहाई।।
याभचरयत सय गुप्त सुहावा। सॊबु प्रसाद तात भईआ ऩावा।।
तोकह सनज बगत याभ कय जानी। ताते भईआ सफ कहे उॉ फिानी।।
याभ बगसत ष्जन्ह कईऄ उय नाहीॊ। कफहुॉ न तात ककहअ सतन्ह ऩाहीॊ।।
भुसन भोकह वफवफध बाॉसत सभुझावा। भईआ सप्रेभ भुसन ऩद ससरु नावा।।
सनज कय कभर ऩयसस भभ सीसा। हयवषत आससष दीन्ह भुनीसा।।
याभ बगसत अवफयर उय तोयईऄ । फससकह सदा प्रसाद अफ भोयईऄ ।।
दो0–सदा याभ वप्रम होहु तुम्ह सुब गुन बवन अभान।
काभरूऩ इछधाभयन ग्मान वफयाग सनधान।।113(क)।।
जईऄकहॊ आश्रभ तुम्ह फसफ ऩुसन सुसभयत श्रीबगवॊत।
ब्मावऩकह तहॉ न अवफया जोजन एक प्रजॊत।।113(ि)।।
–*–*–
कार कभा गुन दोष सुबाऊ। कछु दि ु तुम्हकह न ब्मावऩकह काऊ।।
याभ यहस्म रसरत वफसध नाना। गुप्त प्रगट इसतहास ऩुयाना।।
वफनु श्रभ तुम्ह जानफ सफ सोऊ। सनत नव नेह याभ ऩद होऊ।।
जो इछछा करयहहु भन भाहीॊ। हरय प्रसाद कछु दर
ु ब
ा नाहीॊ।।
सुसन भुसन आससष सुनु भसतधीया। ब्रह्मसगया बइ गगन गॉबीया।।
एवभस्तु तव फच भुसन ग्मानी। मह भभ बगत कभा भन फानी।।
सुसन नबसगया हयष भोकह बमऊ। प्रेभ भगन सफ सॊसम गमऊ।।
करय वफनती भुसन आमसु ऩाई। ऩद सयोज ऩुसन ऩुसन ससरु नाई।।
हयष सकहत एकहॊ आश्रभ आमउॉ । प्रबु प्रसाद दर
ु ब
ा फय ऩामउॉ ।।
इहाॉ फसत भोकह सुनु िग ईसा। फीते करऩ सात अरु फीसा।।
कयउॉ सदा यघुऩसत गुन गाना। सादय सुनकहॊ वफहॊ ग सुजाना।।
जफ जफ अवधऩुयीॊ यघुफीया। धयकहॊ बगत कहत भनुज सयीया।।
तफ तफ जाइ याभ ऩुय यहऊॉ। सससुरीरा वफरोकक सुि रहऊॉ।।
ऩुसन उय याष्ि याभ सससुरूऩा। सनज आश्रभ आवउॉ िगबूऩा।।
कथा सकर भईआ तुम्हकह सुनाई। काग दे ह जेकहॊ कायन ऩाई।।
ककहउॉ तात सफ प्रस्न तुम्हायी। याभ बगसत भकहभा असत बायी।।
दो0-ताते मह तन भोकह वप्रम बमउ याभ ऩद नेह।
सनज प्रबु दयसन ऩामउॉ गए सकर सॊदेह।।114(क)।।
भासऩायामण, उन्तीसवाॉ ववश्राभ
बगसत ऩछछ हठ करय यहे उॉ दीष्न्ह भहारयवष साऩ।

413
भुसन दर
ु ब
ा फय ऩामउॉ दे िहु बजन प्रताऩ।।114(ि)।।
–*–*–
जे असस बगसत जासन ऩरयहयहीॊ। केवर ग्मान हे तु श्रभ कयहीॊ।।
ते जड़ काभधेनु गृहॉ त्मागी। िोजत आकु कपयकहॊ ऩम रागी।।
सुनु िगेस हरय बगसत वफहाई। जे सुि चाहकहॊ आन उऩाई।।
ते सठ भहाससॊधु वफनु तयनी। ऩैरय ऩाय चाहकहॊ जड़ कयनी।।
सुसन बसुॊकड के फचन बवानी। फोरेउ गरुड़ हयवष भृद ु फानी।।
तव प्रसाद प्रबु भभ उय भाहीॊ। सॊसम सोक भोह र्भ्भ नाहीॊ।।
सुनेउॉ ऩुनीत याभ गुन ग्राभा। तुम्हयी कृ ऩाॉ रहे उॉ वफश्राभा।।
एक फात प्रबु ऩूॉछउॉ तोही। कहहु फुझाइ कृ ऩासनसध भोही।।
कहकहॊ सॊत भुसन फेद ऩुयाना। नकहॊ कछु दर
ु ब
ा ग्मान सभाना।।
सोइ भुसन तुम्ह सन कहे उ गोसाईं। नकहॊ आदये हु बगसत की नाईं।।
ग्मानकह बगसतकह अॊतय केता। सकर कहहु प्रबु कृ ऩा सनकेता।।
सुसन उयगारय फचन सुि भाना। सादय फोरेउ काग सुजाना।।
बगसतकह ग्मानकह नकहॊ कछु बेदा। उबम हयकहॊ बव सॊबव िेदा।।
नाथ भुनीस कहकहॊ कछु अॊतय। सावधान सोउ सुनु वफहॊ गफय।।
ग्मान वफयाग जोग वफग्माना। ए सफ ऩुरुष सुनहु हरयजाना।।
ऩुरुष प्रताऩ प्रफर सफ बाॉती। अफरा अफर सहज जड़ जाती।।
दो0–ऩुरुष त्मासग सक नारयकह जो वफयि भसत धीय।।
न तु काभी वफषमाफस वफभुि जो ऩद यघुफीय।।115(क)।।
सो0-सोउ भुसन ग्मानसनधान भृगनमनी वफधु भुि सनयष्ि।
वफफस होइ हरयजान नारय वफकनु भामा प्रगट।।115(ि)।।
–*–*–
इहाॉ न ऩछछऩात कछु यािउॉ । फेद ऩुयान सॊत भत बाषउॉ ।।
भोह न नारय नारय कईऄ रूऩा। ऩन्नगारय मह यीसत अनूऩा।।
भामा बगसत सुनहु तुम्ह दोऊ। नारय फगा जानइ सफ कोऊ।।
ऩुसन यघुफीयकह बगसत वऩआयी। भामा िरु नताकी वफचायी।।
बगसतकह सानुकूर यघुयामा। ताते तेकह डयऩसत असत भामा।।
याभ बगसत सनरुऩभ सनरुऩाधी। फसइ जासु उय सदा अफाधी।।
तेकह वफरोकक भामा सकुचाई। करय न सकइ कछु सनज प्रबुताई।।
अस वफचारय जे भुसन वफग्मानी। जाचहीॊ बगसत सकर सुि िानी।।
दो0-मह यहस्म यघुनाथ कय फेसग न जानइ कोइ।
जो जानइ यघुऩसत कृ ऩाॉ सऩनेहुॉ भोह न होइ।।116(क)।।

414
औयउ ग्मान बगसत कय बेद सुनहु सुप्रफीन।
जो सुसन होइ याभ ऩद प्रीसत सदा अवफछीन।।116(ि)।।
–*–*–
सुनहु तात मह अकथ कहानी। सभुझत फनइ न जाइ फिानी।।
ईस्वय अॊस जीव अवफनासी। चेतन अभर सहज सुि यासी।।
सो भामाफस बमउ गोसाईं। फॉध्मो कीय भयकट की नाई।।
जड़ चेतनकह ग्रॊसथ ऩरय गई। जदवऩ भृषा छूटत ककठनई।।
तफ ते जीव बमउ सॊसायी। छूट न ग्रॊसथ न होइ सुिायी।।
श्रुसत ऩुयान फहु कहे उ उऩाई। छूट न असधक असधक अरुझाई।।
जीव रृदमॉ तभ भोह वफसेषी। ग्रॊसथ छूट ककसभ ऩयइ न दे िी।।
अस सॊजोग ईस जफ कयई। तफहुॉ कदासचत सो सनरुअयई।।
साष्त्त्वक श्रद्धा धेनु सुहाई। जं हरय कृ ऩाॉ रृदमॉ फस आई।।
जऩ तऩ ब्रत जभ सनमभ अऩाया। जे श्रुसत कह सुब धभा अचाया।।
तेइ तृन हरयत चयै जफ गाई। बाव फछछ सससु ऩाइ ऩेन्हाई।।
नोइ सनफृवत्त ऩात्र वफस्वासा। सनभार भन अहीय सनज दासा।।
ऩयभ धभाभम ऩम दकु ह बाई। अवटै अनर अकाभ वफहाई।।
तोष भरुत तफ छभाॉ जुड़ावै। धृसत सभ जावनु दे इ जभावै।।
भुकदताॉ भथईआ वफचाय भथानी। दभ अधाय यजु सत्म सुफानी।।
तफ भसथ काकढ़ रेइ नवनीता। वफभर वफयाग सुबग सुऩुनीता।।
दो0-जोग असगसन करय प्रगट तफ कभा सुबासुब राइ।
फुवद्ध ससयावईआ ग्मान घृत भभता भर जरय जाइ।।117(क)।।
तफ वफग्मानरूवऩसन फुवद्ध वफसद घृत ऩाइ।
सचत्त कदआ बरय धयै दृढ़ सभता कदअकट फनाइ।।117(ि)।।
तीसन अवस्था तीसन गुन तेकह कऩास तईऄ काकढ़।
तूर तुयीम सॉवारय ऩुसन फाती कयै सुगाकढ़।।117(ग)।।
सो0-एकह वफसध रेसै दीऩ तेज यासस वफग्मानभम।।
जातकहॊ जासु सभीऩ जयकहॊ भदाकदक सरब सफ।।117(घ)।।
–*–*–
सोहभष्स्भ इसत फृवत्त अिॊडा। दीऩ ससिा सोइ ऩयभ प्रचॊडा।।
आतभ अनुबव सुि सुप्रकासा। तफ बव भूर बेद र्भ्भ नासा।।
प्रफर अवफया कय ऩरयवाया। भोह आकद तभ सभटइ अऩाया।।
तफ सोइ फुवद्ध ऩाइ उॉ ष्जआया। उय गृहॉ फैकठ ग्रॊसथ सनरुआया।।
छोयन ग्रॊसथ ऩाव जं सोई। तफ मह जीव कृ तायथ होई।।

415
छोयत ग्रॊसथ जासन िगयामा। वफघ्न अनेक कयइ तफ भामा।।
रयवद्ध ससवद्ध प्रेयइ फहु बाई। फुद्धकह रोब कदिावकहॊ आई।।
कर फर छर करय जाकहॊ सभीऩा। अॊचर फात फुझावकहॊ दीऩा।।
होइ फुवद्ध जं ऩयभ समानी। सतन्ह तन सचतव न अनकहत जानी।।
जं तेकह वफघ्न फुवद्ध नकहॊ फाधी। तौ फहोरय सुय कयकहॊ उऩाधी।।
इॊ रीॊ द्वाय झयोिा नाना। तहॉ तहॉ सुय फैठे करय थाना।।
आवत दे िकहॊ वफषम फमायी। ते हकठ दे ही कऩाट उघायी।।
जफ सो प्रबॊजन उय गृहॉ जाई। तफकहॊ दीऩ वफग्मान फुझाई।।
ग्रॊसथ न छूकट सभटा सो प्रकासा। फुवद्ध वफकर बइ वफषम फतासा।।
इॊ करन्ह सुयन्ह न ग्मान सोहाई। वफषम बोग ऩय प्रीसत सदाई।।
वफषम सभीय फुवद्ध कृ त बोयी। तेकह वफसध दीऩ को फाय फहोयी।।
दो0-तफ कपरय जीव वफवफध वफसध ऩावइ सॊससृ त क्रेस।
हरय भामा असत दस्
ु तय तरय न जाइ वफहगेस।।118(क)।।
कहत ककठन सभुझत ककठन साधन ककठन वफफेक।
होइ घुनाछछय न्माम जं ऩुसन प्रत्मूह अनेक।।118(ि)।।
–*–*–
ग्मान ऩॊथ कृ ऩान कै धाया। ऩयत िगेस होइ नकहॊ फाया।।
जो सनवफाघ्न ऩॊथ सनफाहई। सो कैवल्म ऩयभ ऩद रहई।।
असत दर
ु ब
ा कैवल्म ऩयभ ऩद। सॊत ऩुयान सनगभ आगभ फद।।
याभ बजत सोइ भुकुसत गोसाई। अनइष्छछत आवइ फरयआई।।
ष्जसभ थर वफनु जर यकह न सकाई। कोकट बाॉसत कोउ कयै उऩाई।।
तथा भोछछ सुि सुनु िगयाई। यकह न सकइ हरय बगसत वफहाई।।
अस वफचारय हरय बगत समाने। भुवि सनयादय बगसत रुबाने।।
बगसत कयत वफनु जतन प्रमासा। सॊससृ त भूर अवफया नासा।।
बोजन करयअ तृवऩसत कहत रागी। ष्जसभ सो असन ऩचवै जठयागी।।
असस हरयबगसत सुगभ सुिदाई। को अस भूढ़ न जाकह सोहाई।।
दो0-सेवक सेब्म बाव वफनु बव न तरयअ उयगारय।।
बजहु याभ ऩद ऩॊकज अस ससद्धाॊत वफचारय।।119(क)।।
जो चेतन कहॉ ज़ड़ कयइ ज़ड़कह कयइ चैतन्म।
अस सभथा यघुनामककहॊ बजकहॊ जीव ते धन्म।।119(ि)।।
–*–*–
कहे उॉ ग्मान ससद्धाॊत फुझाई। सुनहु बगसत भसन कै प्रबुताई।।
याभ बगसत सचॊताभसन सुॊदय। फसइ गरुड़ जाके उय अॊतय।।

416
ऩयभ प्रकास रूऩ कदन याती। नकहॊ कछु चकहअ कदआ घृत फाती।।
भोह दरयर सनकट नकहॊ आवा। रोब फात नकहॊ ताकह फुझावा।।
प्रफर अवफया तभ सभकट जाई। हायकहॊ सकर सरब सभुदाई।।
िर काभाकद सनकट नकहॊ जाहीॊ। फसइ बगसत जाके उय भाहीॊ।।
गयर सुधासभ अरय कहत होई। तेकह भसन वफनु सुि ऩाव न कोई।।
ब्माऩकहॊ भानस योग न बायी। ष्जन्ह के फस सफ जीव दि
ु ायी।।
याभ बगसत भसन उय फस जाकईऄ। दि
ु रवरेस न सऩनेहुॉ ताकईऄ।।
चतुय ससयोभसन तेइ जग भाहीॊ। जे भसन रासग सुजतन कयाहीॊ।।
सो भसन जदवऩ प्रगट जग अहई। याभ कृ ऩा वफनु नकहॊ कोउ रहई।।
सुगभ उऩाम ऩाइफे केये । नय हतबाग्म दे कहॊ बटभेये।।
ऩावन ऩफात फेद ऩुयाना। याभ कथा रुसचयाकय नाना।।
भभॉ सज्जन सुभसत कुदायी। ग्मान वफयाग नमन उयगायी।।
बाव सकहत िोजइ जो प्रानी। ऩाव बगसत भसन सफ सुि िानी।।
भोयईऄ भन प्रबु अस वफस्वासा। याभ ते असधक याभ कय दासा।।
याभ ससॊधु घन सज्जन धीया। चॊदन तरु हरय सॊत सभीया।।
सफ कय पर हरय बगसत सुहाई। सो वफनु सॊत न काहूॉ ऩाई।।
अस वफचारय जोइ कय सतसॊगा। याभ बगसत तेकह सुरब वफहॊ गा।।
दो0-ब्रह्म ऩमोसनसध भॊदय ग्मान सॊत सुय आकहॊ ।
कथा सुधा भसथ काढ़कहॊ बगसत भधुयता जाकहॊ ।।120(क)।।
वफयसत चभा असस ग्मान भद रोब भोह रयऩु भारय।
जम ऩाइअ सो हरय बगसत दे िु िगेस वफचारय।।120(ि)।।
–*–*–
ऩुसन सप्रेभ फोरेउ िगयाऊ। जं कृ ऩार भोकह ऊऩय बाऊ।।
नाथ भोकह सनज सेवक जानी। सप्त प्रस्न कहहु फिानी।।
प्रथभकहॊ कहहु नाथ भसतधीया। सफ ते दर
ु ब
ा कवन सयीया।।
फड़ दि
ु कवन कवन सुि बायी। सोउ सॊछेऩकहॊ कहहु वफचायी।।
सॊत असॊत भयभ तुम्ह जानहु। सतन्ह कय सहज सुबाव फिानहु।।
कवन ऩुन्म श्रुसत वफकदत वफसारा। कहहु कवन अघ ऩयभ कयारा।।
भानस योग कहहु सभुझाई। तुम्ह सफाग्म कृ ऩा असधकाई।।
तात सुनहु सादय असत प्रीती। भईआ सॊछेऩ कहउॉ मह नीती।।
नय तन सभ नकहॊ कवसनउ दे ही। जीव चयाचय जाचत तेही।।
नयग स्वगा अऩफगा सनसेनी। ग्मान वफयाग बगसत सुब दे नी।।

417
सो तनु धरय हरय बजकहॊ न जे नय। होकहॊ वफषम यत भॊद भॊद तय।।
काॉच ककरयच फदरईऄ ते रेही। कय ते डारय ऩयस भसन दे हीॊ।।
नकहॊ दरयर सभ दि
ु जग भाहीॊ। सॊत सभरन सभ सुि जग नाहीॊ।।
ऩय उऩकाय फचन भन कामा। सॊत सहज सुबाउ िगयामा।।
सॊत सहकहॊ दि
ु ऩयकहत रागी। ऩयदि
ु हे तु असॊत अबागी।।
बूजा तरू सभ सॊत कृ ऩारा। ऩयकहत सनसत सह वफऩसत वफसारा।।
सन इव िर ऩय फॊधन कयई। िार कढ़ाइ वफऩसत सकह भयई।।
िर वफनु स्वायथ ऩय अऩकायी। अकह भूषक इव सुनु उयगायी।।
ऩय सॊऩदा वफनासस नसाहीॊ। ष्जसभ ससस हसत कहभ उऩर वफराहीॊ।।
दि
ु उदम जग आयसत हे तू। जथा प्रससद्ध अधभ ग्रह केतू।।
सॊत उदम सॊतत सुिकायी। वफस्व सुिद ष्जसभ इॊ द ु तभायी।।
ऩयभ धभा श्रुसत वफकदत अकहॊ सा। ऩय सनॊदा सभ अघ न गयीसा।।
हय गुय सनॊदक दादयु होई। जन्भ सहस्त्र ऩाव तन सोई।।
कद्वज सनॊदक फहु नयक बोग करय। जग जनभइ फामस सयीय धरय।।
सुय श्रुसत सनॊदक जे असबभानी। यौयव नयक ऩयकहॊ ते प्रानी।।
होकहॊ उरूक सॊत सनॊदा यत। भोह सनसा वप्रम ग्मान बानु गत।।
सफ के सनॊदा जे जड़ कयहीॊ। ते चभगादयु होइ अवतयहीॊ।।
सुनहु तात अफ भानस योगा। ष्जन्ह ते दि
ु ऩावकहॊ सफ रोगा।।
भोह सकर ब्मासधन्ह कय भूरा। सतन्ह ते ऩुसन उऩजकहॊ फहु सूरा।।
काभ फात कप रोब अऩाया। क्रोध वऩत्त सनत छाती जाया।।
प्रीसत कयकहॊ जं तीसनउ बाई। उऩजइ सन्मऩात दि
ु दाई।।
वफषम भनोयथ दग
ु भ
ा नाना। ते सफ सूर नाभ को जाना।।
भभता दाद ु कॊडु इयषाई। हयष वफषाद गयह फहुताई।।
ऩय सुि दे ष्ि जयसन सोइ छई। कुि दि
ु ता भन कुकटरई।।
अहॊ काय असत दि
ु द डभरुआ। दॊ ब कऩट भद भान नेहरुआ।।
तृस्ना उदयफृवद्ध असत बायी। वत्रवफध ईषना तरुन सतजायी।।
जुग वफसध ज्वय भत्सय अवफफेका। कहॉ रासग कहं कुयोग अनेका।।
दो0-एक ब्मासध फस नय भयकहॊ ए असासध फहु ब्मासध।
ऩीड़कहॊ सॊतत जीव कहुॉ सो ककसभ रहै सभासध।।121(क)।।
नेभ धभा आचाय तऩ ग्मान जग्म जऩ दान।
बेषज ऩुसन कोकटन्ह नकहॊ योग जाकहॊ हरयजान।।121(ि)।।
–*–*–

418
एकह वफसध सकर जीव जग योगी। सोक हयष बम प्रीसत वफमोगी।।
भानक योग कछुक भईआ गाए। हकहॊ सफ कईऄ रष्ि वफयरेन्ह ऩाए।।
जाने ते छीजकहॊ कछु ऩाऩी। नास न ऩावकहॊ जन ऩरयताऩी।।
वफषम कुऩथ्म ऩाइ अॊकुये । भुसनहु रृदमॉ का नय फाऩुये।।
याभ कृ ऩाॉ नासकह सफ योगा। जं एकह बाॉसत फनै सॊमोगा।।
सदगुय फैद फचन वफस्वासा। सॊजभ मह न वफषम कै आसा।।
यघुऩसत बगसत सजीवन भूयी। अनूऩान श्रद्धा भसत ऩूयी।।
एकह वफसध बरेकहॊ सो योग नसाहीॊ। नाकहॊ त जतन कोकट नकहॊ जाहीॊ।।
जासनअ तफ भन वफरुज गोसाॉई। जफ उय फर वफयाग असधकाई।।
सुभसत छुधा फाढ़इ सनत नई। वफषम आस दफ
ु र
ा ता गई।।
वफभर ग्मान जर जफ सो नहाई। तफ यह याभ बगसत उय छाई।।
ससव अज सुक सनकाकदक नायद। जे भुसन ब्रह्म वफचाय वफसायद।।
सफ कय भत िगनामक एहा। करयअ याभ ऩद ऩॊकज नेहा।।
श्रुसत ऩुयान सफ ग्रॊथ कहाहीॊ। यघुऩसत बगसत वफना सुि नाहीॊ।।
कभठ ऩीठ जाभकहॊ फरु फाया। फॊध्मा सुत फरु काहुकह भाया।।
पूरकहॊ नब फरु फहुवफसध पूरा। जीव न रह सुि हरय प्रसतकूरा।।
तृषा जाइ फरु भृगजर ऩाना। फरु जाभकहॊ सस सीस वफषाना।।
अॊधकारु फरु यवफकह नसावै। याभ वफभुि न जीव सुि ऩावै।।
कहभ ते अनर प्रगट फरु होई। वफभुि याभ सुि ऩाव न कोई।।
दो0=फारय भथईऄ घृत होइ फरु ससकता ते फरु तेर।
वफनु हरय बजन न बव तरयअ मह ससद्धाॊत अऩेर।।122(क)।।
भसककह कयइ वफॊयॊसच प्रबु अजकह भसक ते हीन।
अस वफचारय तष्ज सॊसम याभकह बजकहॊ प्रफीन।।122(ि)।।
श्लोक- ववसनष्छश्रतॊ वदासभ ते न अन्मथा वचाॊसस भे।
हरयॊ नया बजष्न्त मेऽसतदस्
ु तयॊ तयष्न्त ते।।122(ग)।।
–*–*–
कहे उॉ नाथ हरय चरयत अनूऩा। ब्मास सभास स्वभसत अनुरुऩा।।
श्रुसत ससद्धाॊत इहइ उयगायी। याभ बष्जअ सफ काज वफसायी।।
प्रबु यघुऩसत तष्ज सेइअ काही। भोकह से सठ ऩय भभता जाही।।
तुम्ह वफग्मानरूऩ नकहॊ भोहा। नाथ कीष्न्ह भो ऩय असत छोहा।।
ऩूसछहुॉ याभ कथा असत ऩावसन। सुक सनकाकद सॊबु भन बावसन।।
सत सॊगसत दर
ु ब
ा सॊसाया। सनसभष दॊ ड बरय एकउ फाया।।

419
दे िु गरुड़ सनज रृदमॉ वफचायी। भईआ यघुफीय बजन असधकायी।।
सकुनाधभ सफ बाॉसत अऩावन। प्रबु भोकह कीन्ह वफकदत जग ऩावन।।
दो0-आजु धन्म भईआ धन्म असत जयवऩ सफ वफसध हीन।
सनज जन जासन याभ भोकह सॊत सभागभ दीन।।123(क)।।
नाथ जथाभसत बाषेउॉ यािेउॉ नकहॊ कछु गोइ।
चरयत ससॊधु यघुनामक थाह कक ऩावइ कोइ।।123।।
–*–*–
सुसभरय याभ के गुन गन नाना। ऩुसन ऩुसन हयष बुसुॊकड सुजाना।।
भकहभा सनगभ नेसत करय गाई। अतुसरत फर प्रताऩ प्रबुताई।।
ससव अज ऩूज्म चयन यघुयाई। भो ऩय कृ ऩा ऩयभ भृदर
ु ाई।।
अस सुबाउ कहुॉ सुनउॉ न दे िउॉ । केकह िगेस यघुऩसत सभ रेिउॉ ।।
साधक ससद्ध वफभुि उदासी। कवफ कोवफद कृ तग्म सॊन्मासी।।
जोगी सूय सुताऩस ग्मानी। धभा सनयत ऩॊकडत वफग्मानी।।
तयकहॊ न वफनु सेएॉ भभ स्वाभी। याभ नभासभ नभासभ नभाभी।।
सयन गएॉ भो से अघ यासी। होकहॊ सुद्ध नभासभ अवफनासी।।
दो0-जासु नाभ बव बेषज हयन घोय त्रम सूर।
सो कृ ऩारु भोकह तो ऩय सदा यहउ अनुकूर।।124(क)।।
सुसन बुसुॊकड के फचन सुब दे ष्ि याभ ऩद नेह।
फोरेउ प्रेभ सकहत सगया गरुड़ वफगत सॊदेह।।124(ि)।।
–*–*–
भै कृ त्कृ त्म बमउॉ तव फानी। सुसन यघुफीय बगसत यस सानी।।
याभ चयन नूतन यसत बई। भामा जसनत वफऩसत सफ गई।।
भोह जरसध फोकहत तुम्ह बए। भो कहॉ नाथ वफवफध सुि दए।।
भो ऩकहॊ होइ न प्रसत उऩकाया। फॊदउॉ तव ऩद फायकहॊ फाया।।
ऩूयन काभ याभ अनुयागी। तुम्ह सभ तात न कोउ फड़बागी।।
सॊत वफटऩ सरयता सगरय धयनी। ऩय कहत हे तु सफन्ह कै कयनी।।
सॊत रृदम नवनीत सभाना। कहा कवफन्ह ऩरय कहै न जाना।।
सनज ऩरयताऩ रवइ नवनीता। ऩय दि
ु रवकहॊ सॊत सुऩुनीता।।
जीवन जन्भ सुपर भभ बमऊ। तव प्रसाद सॊसम सफ गमऊ।।
जानेहु सदा भोकह सनज ककॊकय। ऩुसन ऩुसन उभा कहइ वफहॊ गफय।।
दो0-तासु चयन ससरु नाइ करय प्रेभ सकहत भसतधीय।
गमउ गरुड़ फैकुॊठ तफ रृदमॉ याष्ि यघुफीय।।125(क)।।
सगरयजा सॊत सभागभ सभ न राब कछु आन।

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वफनु हरय कृ ऩा न होइ सो गावकहॊ फेद ऩुयान।।125(ि)।।
–*–*–
कहे उॉ ऩयभ ऩुनीत इसतहासा। सुनत श्रवन छूटकहॊ बव ऩासा।।
प्रनत कल्ऩतरु करुना ऩुॊजा। उऩजइ प्रीसत याभ ऩद कॊजा।।
भन क्रभ फचन जसनत अघ जाई। सुनकहॊ जे कथा श्रवन भन राई।।
तीथााटन साधन सभुदाई। जोग वफयाग ग्मान सनऩुनाई।।
नाना कभा धभा ब्रत दाना। सॊजभ दभ जऩ तऩ भि नाना।।
बूत दमा कद्वज गुय सेवकाई। वफया वफनम वफफेक फड़ाई।।
जहॉ रसग साधन फेद फिानी। सफ कय पर हरय बगसत बवानी।।
सो यघुनाथ बगसत श्रुसत गाई। याभ कृ ऩाॉ काहूॉ एक ऩाई।।
दो0-भुसन दर
ु ब
ा हरय बगसत नय ऩावकहॊ वफनकहॊ प्रमास।
जे मह कथा सनयॊ तय सुनकहॊ भासन वफस्वास।।126।।
–*–*–
सोइ सफाग्म गुनी सोइ ग्माता। सोइ भकह भॊकडत ऩॊकडत दाता।।
धभा ऩयामन सोइ कुर त्राता। याभ चयन जा कय भन याता।।
नीसत सनऩुन सोइ ऩयभ समाना। श्रुसत ससद्धाॊत नीक तेकहॊ जाना।।
सोइ कवफ कोवफद सोइ यनधीया। जो छर छाकड़ बजइ यघुफीया।।
धन्म दे स सो जहॉ सुयसयी। धन्म नारय ऩसतब्रत अनुसयी।।
धन्म सो बूऩु नीसत जो कयई। धन्म सो कद्वज सनज धभा न टयई।।
सो धन धन्म प्रथभ गसत जाकी। धन्म ऩुन्म यत भसत सोइ ऩाकी।।
धन्म घयी सोइ जफ सतसॊगा। धन्म जन्भ कद्वज बगसत अबॊगा।।
दो0-सो कुर धन्म उभा सुनु जगत ऩूज्म सुऩुनीत।
श्रीयघुफीय ऩयामन जेकहॊ नय उऩज वफनीत।।127।।
–*–*–
भसत अनुरूऩ कथा भईआ बाषी। जयवऩ प्रथभ गुप्त करय यािी।।
तव भन प्रीसत दे ष्ि असधकाई। तफ भईआ यघुऩसत कथा सुनाई।।
मह न ककहअ सठही हठसीरकह। जो भन राइ न सुन हरय रीरकह।।
ककहअ न रोसबकह क्रोधकह कासभकह। जो न बजइ सचयाचय स्वासभकह।।
कद्वज रोकहकह न सुनाइअ कफहूॉ। सुयऩसत सरयस होइ नृऩ जफहूॉ।।
याभ कथा के तेइ असधकायी। ष्जन्ह कईऄ सतसॊगसत असत प्मायी।।
गुय ऩद प्रीसत नीसत यत जेई। कद्वज सेवक असधकायी तेई।।
ता कहॉ मह वफसेष सुिदाई। जाकह प्रानवप्रम श्रीयघुयाई।।
दो0-याभ चयन यसत जो चह अथवा ऩद सनफाान।

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बाव सकहत सो मह कथा कयउ श्रवन ऩुट ऩान।।128।।
–*–*–
याभ कथा सगरयजा भईआ फयनी। कसर भर सभसन भनोभर हयनी।।
सॊससृ त योग सजीवन भूयी। याभ कथा गावकहॊ श्रुसत सूयी।।
एकह भहॉ रुसचय सप्त सोऩाना। यघुऩसत बगसत केय ऩॊथाना।।
असत हरय कृ ऩा जाकह ऩय होई। ऩाउॉ दे इ एकहॊ भायग सोई।।
भन काभना ससवद्ध नय ऩावा। जे मह कथा कऩट तष्ज गावा।।
कहकहॊ सुनकहॊ अनुभोदन कयहीॊ। ते गोऩद इव बवसनसध तयहीॊ।।
सुसन सफ कथा रृदमॉ असत बाई। सगरयजा फोरी सगया सुहाई।।
नाथ कृ ऩाॉ भभ गत सॊदेहा। याभ चयन उऩजेउ नव नेहा।।
दो0-भईआ कृ तकृ त्म बइउॉ अफ तव प्रसाद वफस्वेस।
उऩजी याभ बगसत दृढ़ फीते सकर करेस।।129।।
–*–*–
मह सुब सॊबु उभा सॊफादा। सुि सॊऩादन सभन वफषादा।।
बव बॊजन गॊजन सॊदेहा। जन यॊ जन सज्जन वप्रम एहा।।
याभ उऩासक जे जग भाहीॊ। एकह सभ वप्रम सतन्ह के कछु नाहीॊ।।
यघुऩसत कृ ऩाॉ जथाभसत गावा। भईआ मह ऩावन चरयत सुहावा।।
एकहॊ कसरकार न साधन दज
ू ा। जोग जग्म जऩ तऩ ब्रत ऩूजा।।
याभकह सुसभरयअ गाइअ याभकह। सॊतत सुसनअ याभ गुन ग्राभकह।।
जासु ऩसतत ऩावन फड़ फाना। गावकहॊ कवफ श्रुसत सॊत ऩुयाना।।
ताकह बजकह भन तष्ज कुकटराई। याभ बजईऄ गसत केकहॊ नकहॊ ऩाई।।
छॊ 0-ऩाई न केकहॊ गसत ऩसतत ऩावन याभ बष्ज सुनु सठ भना।
गसनका अजासभर ब्माध गीध गजाकद िर ताये घना।।
आबीय जभन ककयात िस स्वऩचाकद असत अघरूऩ जे।
ककह नाभ फायक तेवऩ ऩावन होकहॊ याभ नभासभ ते।।1।।
यघुफॊस बूषन चरयत मह नय कहकहॊ सुनकहॊ जे गावहीॊ।
कसर भर भनोभर धोइ वफनु श्रभ याभ धाभ ससधावहीॊ।।
सत ऩॊच चौऩाईं भनोहय जासन जो नय उय धयै ।
दारुन अवफया ऩॊच जसनत वफकाय श्रीयघुफय हयै ।।2।।
सुॊदय सुजान कृ ऩा सनधान अनाथ ऩय कय प्रीसत जो।
सो एक याभ अकाभ कहत सनफाानप्रद सभ आन को।।
जाकी कृ ऩा रवरेस ते भसतभॊद तुरसीदासहूॉ।
ऩामो ऩयभ वफश्राभु याभ सभान प्रबु नाहीॊ कहूॉ।।3।।

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दो0-भो सभ दीन न दीन कहत तुम्ह सभान यघुफीय।
अस वफचारय यघुफॊस भसन हयहु वफषभ बव बीय।।130(क)।।
कासभकह नारय वऩआरय ष्जसभ रोबकह वप्रम ष्जसभ दाभ।
सतसभ यघुनाथ सनयॊ तय वप्रम रागहु भोकह याभ।।130(ि)।।
श्लोक-मत्ऩूवा प्रबुणा कृ तॊ सुकववना श्रीशम्बुना दग
ु भ
ा ॊ
श्रीभराभऩदाब्जबविभसनशॊ प्राप्त्मै तु याभामणभ ्।
भत्वा तरघुनाथभसनयतॊ स्वान्तस्तभ्शान्तमे
बाषाफद्धसभदॊ चकाय तुरसीदासस्तथा भानसभ ्।।1।।
ऩुण्मॊ ऩाऩहयॊ सदा सशवकयॊ ववऻानबविप्रदॊ
भामाभोहभराऩहॊ सुववभरॊ प्रेभाम्फुऩूयॊ शुबभ ्।
श्रीभराभचरयत्रभानससभदॊ बक्त्मावगाहष्न्त मे
ते सॊसायऩतङ्गघोयककयणैदाह्यष्न्त नो भानवा्।।2।।
भासऩायामण, तीसवाॉ ववश्राभ
नवान्हऩायामण, नवाॉ ववश्राभ
———
इसत श्रीभराभचरयतभानसे सकरकसरकरुषववध्वॊसने
सप्तभ् सोऩान् सभाप्त्।
(उत्तयकाण्ड सभाप्त)
——–
आयसत श्रीयाभामनजी की। कीयसत कसरत रसरत ससम ऩी की।।
गावत ब्रह्माकदक भुसन नायद। फारभीक वफग्मान वफसायद।
सुक सनकाकद सेष अरु सायद। फयसन ऩवनसुत कीयसत नीकी।।1।।
गावत फेद ऩुयान अिदस। छओ सास्त्र सफ ग्रॊथन को यस।
भुसन जन धन सॊतन को सयफस। साय अॊस सॊभत सफही की।।2।।
गावत सॊतत सॊबु बवानी। अरु घटसॊबव भुसन वफग्मानी।
ब्मास आकद कवफफजा फिानी। कागबुसुॊकड गरुड के ही की।।3।।
कसरभर हयसन वफषम यस पीकी। सुबग ससॊगाय भुवि जुफती की।
दरन योग बव भूरय अभी की। तात भात सफ वफसध तुरसी की।।4।।

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