शरत्-पू णमाः ʻल मी-इ -कुबेर-पूजन’ ʻआि वन पू णमा’ म “ दोष-ल मी-पूजन’ 1. सायं-काल यथा-शि त पूजा-साम ी को एक कर प व आसन पर बैठे। आचमन कर दाएँ हाथ म जल-अ त-पु प लेकर ‘संक प’ करे। यथा- ॐ अ य रा ौ आि वन-मासे-शु ल-प े पू णमायां तथौ अमुक-गो य अमुक-शमा (वमा या दासः) मम सकल-दुःख-दा र य- नरास-पूवक ल मी- इ -कुबेर-पूजनं अहं क र या म (क र ये)। इसके बाद पूजा- थान के वार पर एक ‘अ ट-दल-कमल′ बनाए और उस पर पु प-अ त चढ़ाकर ʻ वार-देवता यो नमः’ कहकर पूजा करे। फर ग ध-पु प-अ त छोड़कर – ʻॐ वारो व- भि त यो नमः’ कहे। ʻॐ मणे नमः, ॐ वा तु-पु षाय नमः’ से पुनः पु पा त चढ़ाए। तब ‘ॐ भूभुवः वः ह य-वाहन ! इहाग छ इह त ठ !’ कहकर ʻअि न का आवाहन’ करे। पुनः थोड़ा-सा जल, अ त, पु प लेकर – ʻइदं पा यं, इदं अनुलेपनं, इदं अ तं, एता न ग ध-पु पा ण, इदं धूपं, इदं द पं, इदं ता बूलं, इदं नैवे यं, एते यव-चूण-घृत-शा ल-त डुलाः, इदमाचमनीयं, एष पु पा जल ः। ॐ ह य-वाहनाय नमः।’ कहकर अ पत करे। अब ‘च -पूजा’ हेतु पहले च -देव का आवाहन करे- ʻभो पूण दो !, इहाग छ इह त ठ, एषोऽ यः इ दवे नमः। एता न पा या न ॐ पूण दवे नमः।’ कहकर थोड़ा-सा ग धा त, पु प जल म डालकर ‘पा य’ के लए अ पत करे। फर ‘इदं अनुलेपनं, इदं अ तं, एता न ग ध-पु पा ण, इदं धूपं, इदं द पं’ और इसके बाद दूध और खीर लेकर ‘इदं नैवे यं’ कहते हुए पूजा-साम ी को च -देव को अ पत करे। तब ‘इदं ता बूलं, इदं द णा- यं, द णां समपयाम’ कहकर भि त-स हत णाम करे। फर भाया स हत का पूजन करे। पहले आवाहन करे – ʻॐ सभाय- ! इहाग छ इह त ठ’ कहकर फुजा- थान पर पु प और अ त छोड़े। फर ʻएता न पा याद न समपया म’ एवं ‘ॐ सभाय- ाय नमः’ कहकर ग ध-पु प चढ़ाए। ‘एते माष- तल-त डुलाः ॐ सभाय- ाय नमः’ कहकर पूव त व ध से धूप-द प आ द अ पत करे। तब ‘ क दाय नमः’ कहकर क द-देव क पूजा करे। ‘इदं पा यं, इदं अनुलेपनं, इदं अ तं, एता न ग ध-पु पा ण, इदं धूपं, इदं द पं, इदं ता बूलं, इदं द णा- यं, एते माष- तल-त डुलाः ॐ क दाय नमः’ कहकर उपल ध पूजा-साम ी अ पत करे। पुनः न द वर क पूजा करने हेतु – ʻॐ न द वर-मुने, इहाग छ, इह त ठ, एता न पा याद न समपया म। एते माष- तल-त डुलाः ॐ न द शऽवर-मुनये नमः’ कहकर उपल ध पूजा-साम ी अ पत करे। इसके बाद ‘ॐ गोम त, इहाग छ, इह त ठ, एता न पा याद न समपया म, ॐ गोम यै नमः’ से पूव क भाँ त पूजा करे। ʻॐ सुर भ इहाग छ, इह त ठ, एता न पा याद न समपया म। ॐ सुर यै नमः’ से पूजा-साम ी अ पत करे। ʻॐ नकु भ इहाग छ, इह त ठ, एता न पा याद न समपया म। ॐ नकु भाय नमः’ से पूजा कर माष- तल-त डुल (उड़द- तल-चावल) दे। इसी कार छाग-वाहन (अि न-देव), मेष-वाहन (व ण), हि त-वाहन ( वनायक), अ व-वाहन (रेव त) का आवाहन कर पूजा करे। येक को उड़द- तल- चावल का नैवे य अ पत करे। अब दाएँ हाथ म पु प-अ त लेकर भगवती ल मी का यान करे- ॐ या सा प ासन था, वपुल-क ट-तट , प -दलायता ी। ग भीरावत-ना भः, तन-भर-न मता, शु -व ो तर या।। ल मी द यैगजे ैः। म ण-गज-ख चतैः, ना पता हेम-कु भैः। न यं सा प -ह ता, मम वसतु गृहे, सव-मांग य-यु ता।। उ त कार यान कर ʻआवाहना द-पूजन’ करे- “ॐ भूभुवः वः लि म, इहाग छ इह त ठ, एता न पा या याचमनीय- नानीयं, पुनराचमनीयम्।” फर ल मी क तमा अथवा य क पूजा करे। पहले नान कराए- ॐ म दा क या समानीतैः, हेमा भो ह-वा सतैः नानं कु व देवे श, स ललं च सुगि ध भः।। ॐ ल यै नमः।। तद तर ‘इदमनुलेपनं, इदं स दूर,ं इदम तं’ से पूजन कर ल मी देवी को पु प-माला और पु प अ पत करे- ʻॐ म दार-पा रजाता यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजया म शवे, भ तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ ल यै नमः, पु पा ण समपया म।’ इसके बाद ‘इदं र त-व ,ं इदं व व-प ं, इदं मा यं, एष धूपं, एष द पं, एता न नाना- व ध- नैवे या न, इसमाचनीयं। एता न नाना- वध-प वा न-स हत-ना रकेलोदक-स हत-नाना-फला न, ता बूला न, आचमनीयं समपया म’ से पूजा करे। अ त म ल मी जी को तीन पु पा ज लयाँ दान करे- “ॐ नम ते सव-भूतानां, वरदाऽ स ह र- ये, या ग त वत्- प नानां, सा मे भूयात् व -दशनात्। एष पु पा ज लः।। ॐ महा-ल यै नमः।।” ल मी का पूजन के बाद ‘इ -देव’ का ‘ॐ इ ाय नमः’ कहकर एवं ‘कुबेर’ का ‘ॐ कुबेराय नमः’ कहकर ग धा द से पूजन करे। फर हाथ म पु प लेकर ‘ॐ इ ाय नमः’, ‘ॐ कुबेराय नमः’ कहकर णाम करे- “ॐ धनदाय नम तु यं, न ध-प ा धपाय च। भव तु वत्- सादा ने, धन-धा या द-स पदः।।” 2. कोजागर ʻल मी-पूजा’ (आि वन पू णमा) रा म, चाँदनी होने पर धम-प नी के साथ भगवती ल मी का यान कर अ न के य जन के साथ खीर (पायस) का नैवे य चढ़ाए। देव व पतर का पूजन कर पूरे प रवार का स कार करे। ना रयल का जल पए और ‘भगवती’ का मरण-क तन करते हुए ‘रा -जागरण’ करे। इस दन रा के समय इ और ल मी पूछते ह क ʻ कौन जागता है ?ʼ इसके उ तर म उनका पूजन और द प- यो त का काश देखने म आये तो अव य ह ल मी और भु व ा त होता है । भगवती ल मी का यान इस कार है - ॐ नव-यौवन-स प नां, त त-का चन-सि नभाम् । व-ने ां व-भुजां र यां, द य-कु डल-धा रणीम् ।। ी-फलं-द णेपाणौ, वामे प ं च व तीम् । सवालंकार-स पूणा, सवालङकार-ग वताम् ।। 3. शर पू णमा (कृ य नणयामृत) – इसम दोष और नशीथ दोन म होनेवाल पू णमा ल जाती है । य द पहले दन नशीथ या पनी हो और दूसरे दन दोष या पनी न हो तो पहले दन त करना चा हये । १ – इस दन काँसीके पा म घी भरकर सुवणस हत ा मणको दे तो ओज वी होता है।, २ – अपरा णंम हा थय का नीराजन करे तो उ तम फल मलता है और ३ – अ य कारके अनु ठान करे तो उनक सफल स होती है । इसके अ त र त आि वन शु ल नशीथ या पनी पू णमा को भात के समय आरा य-देव को सु वेत व ाभूषणा द से सुशो भत करके षोडशोपचार पूजन करे और रा के समय उ तम गोदु ध क खीरम घी और सफेद खाँड मलाकर अ रा के समय भगवान के अपण करे । साथ ह पूण च माके म याकाशम ि थता होने पर उनका पूजन करे और पूव त कार क खीर का नैवे य अपण करके दूसरे दन उसका भोजन करे । B.R.VYAS-9829053681 BIKANER