Sie sind auf Seite 1von 49

ⓘ Optimized 10 hours ago View original

http://jyoteeshpragya.blogspot.com/2012/03/know-about-you-dreamstheir-effects.html?m=1

आप इस लॉग"" यो तष ा"" पर आधु नक एवं पुरातन यो तष का मला जु ला सं


गम देख और साथ ही पढ़
पाएं.उपाय,टोटके
गे ,म आ द क जानकारी!! ---"" नशु क" ( / मुत)म सलाह / परामश / मागदशन लेलए सं
पक
नह कर / फोन नह कर/ बा य नह कर.... -ध यवाद..THENKING YOU, - पं डत" वशाल"दयानं
द शा ी-
-09669290067 एवं 09039390067 पर सं पक कर... ..ध यवाद. -यहाँका शत सभी ले
ख/रचनाएँ
@कॉपीराईट के
अंतगत आती हे.@सवा धकार सुर त हे.||

र ववार, माच 25, 2012

आइये जानेसपन का अ त सं सार( व ान ).... वपन और उनके -बु


अ छे रे
भाव/ प रणाम ---- ( KNOW ABOUT YOU DREAMS..THEIR
EFFECTS & RESULTS) ( व और उनका फल)------ व : एक अ ययन-
----

आइयेजाने सार( व ान ).... वपन और उनके


सपन का अ त सं अ छे
-बु
रेभाव/ प रणाम ----
( KNOW ABOUT YOU DREAMS..THEIR EFFECTS & RESULTS)
( व और उनका फल)------ व : एक अ ययन-----

आ द काल से ही मानव म त क अपनी इ छा क पू त करने


के य न म स य है
। परं
तु
जब कसी भी
कारण इसक कु छ अधूरी इ छाएं ण नह हो पाती (जो क म त क केकसी कोने
पू म जा त अव था म
) तो वह व का प ले
रहती है लती ह। 

आधु नक व ान म पा ा य वचारक सगमं ड ायड नेइस वषय म कहा हैक व '' मानव क दबी ई
इ छा का काशन करते ह जनको हमने अपनी जा त अव था म कभी-कभी वचारा होता है
। अथात
व हमारी वो इ छाएंह जो कसी भी कार के भय सेजा त्
अव था म पूण नह हो पाती ह व व म
साकार होकर हम मान सक सं तु व तृत दे
ती है

सपने ? 
या व आतेय है
इस का कोई ठोस ामा णक उ र आज तक खोजा नह जा सका है । ायः यह माना जाता हैक व या
सपने आने का एक कारण ÷न द' भी हो सकता है
। व ान मानता हैक न द का हमारे
म त क म होने वाले
उन प रवतन से संबं , जो सीखने
ध होता है और याददा त बढ़ाने केसाथ-साथ मांस पे
शय को भी आराम
प ंचाने
म सहायक होते ह। इस न द क ही अव था म यूरॉन (म त क क को शकाएं ) पु
नः स य हो जाती
ह। 

वैा नक ने न द को दो भाग म बां टा है


पहला भाग आर ई एम अथात्रैपड आई मु वमट है। ( जसम
अ धकतर सपने आते ह) इसम शरीर श थल परं तु
आंख ते
जी सेघू
मती रहती ह और म त क जा त अव था
सेभी यादा ग तशील होता है । इस आर ई एम क अव ध १० से २० मनट क होती है तथा ये क एक
रात म चार से छह बार आर ई एम न द ले ता है
। यह थ त न द आनेकेलगभग १.३० घं टे
अथात ९० मनट
बाद आती है । इस आधार पर गणना कर तो रा का अं तम हर आर ई एम का ही समय होता है (य द
समा यतः १० बजे रात सोता हैतो ) जससे सपन के आनेक सं । 
भावना बढ़ जाती है

सपने बनतेकैसेह : दन भर व भ ोत से हमारेम त क को फु रण ( सगनल) मलते रहतेह।


ाथ मकता के आधार पर हमारा म त क हमसे पहलेउधर यान दलवाता हैजसे करना अ त ज री होता
, और जन फु
है रण संदे
श क आव यकता तु रंत नह होती उ ह वह अपने म दज कर ले
ता है
। इसके अलावा
त दन ब त सी भावना का भी हम पर य भाव पड़ता है। जो भावनाएं
हम कसी कारण वश दबा
लेतेह (गुसा आ द) वह भी हमारेअवचे तन म त क म दज हो जाती ह। रात को जब शरीर आराम कर रहा
होता हैम त क अपना काम कर रहा होता है । (इस दौरान हम चे
तनाव था म कोई कु रण संकेत भावनाएं
आ द नह मल रही होती) उस समय म त क दन भर मले संकेत को लेकर स य होता हैजनसेव
द शत होतेह। यह वह व होते ह जो म त क को दनभर मलेफु रण, भावना को दशाते ह जह
दनम हमनेकसी कारण वश रोक लया था। जब तक यह द शत नह हो पाता तब तक बार-बार नजर
आता रहता है तथा इन पर नयंण चाहकर भी नह कया जा सकता। 

व मनु य केलए बड़े


ही आकषक लु भावने
और रह यमय होते. डरावने
है और बु
रेव जहां
उसे
भयभीत
करते. वह दलच प, मनोहारी और अ छेव उसे
है आ म वभोर कर देते.
है

रा ी म सुत अव था म दे
खेगए व केव जाल म घरा वह सारा दन एक अजीब सी खु शी का अनु
भव
करता है.एक अजीब सी ऊजा उसके . मनु
भीतर वा हत होतीरहती है , जो बु
य वभाव ही ऐसा है रेव के
.और अ छेव के
फल को भी जानना चाहता है फल को भी जानने केलएउ सु
क रहता है. 

आ खर व , जो स दय से
या है मनुय को अपने
शुभ अशु
भ सं
के
त ारा सचे . असल
त करता रहा है
म व के व का एक ऐसा “भा यसू . 
चक” है

जो वह सब कु . जो उसके
छ उसको न ाव था म बताजाता है जीवन म शु
भ अशु
भ घटने . ऐसी
वाला होता है
सूम और ामा णकजानकारी मनुय को कसी भी प त से .
नह मल सकती है
कु
छ व बड़ेही व च और आ यजनकहोते .
है उ ह दे . क वह व म
ख कर अवाक रह जाता है
कै
सेआसमान मउड़ रहा था. कु
छ व ऐसे
भी होते. 
है

जो भ व य म घटने
वाली शु
भ अशु
भ घटना का बोध कराते. और कु
है छ व बलकु
ल ही मानव जीवन क
स चाइयो सेजुड़े
होते.
है

आप अगर रात के थम पहर म कोई व दे


खते
है
तो उस व का शु
भ या अशु
भ फल आपको साल भर म
मलनेक सं . 
भावना रहती है

रात केसरे
पहर म आप कोई व दे
खते.उसका शु
है भ या अशु
भ फल मलने
का समय आठ महीने
का होता

है

रात के
तीसरे
पहर म आप कोई व दे
खते
हैतो तीन महीने
म उसकाशु
भ अशु . 
भ फल मलता है

रात केचौथे
पहर केव के . और जो व सु
फल ा त का समय एक माह होता है बह भोर काल म दे
खे
जाते है . 
उसका फल शी ही आपको मलजाता है

दन नकलने
के बाद दे
खेजाने
वालेव का फल आधेमाह के
भीतर ही मलजाते. जीवनम ब त कार
है
केव दखाई दे
तेहैऔर व भ वषय पर व यमानहोते
है, 

उन सभी चयन करना असं


भव हैफर भी अ धकतर व का फल बताने
का यास कया जा रहा है
जो क
श द के मवार सेलखने .....
का यास कर रहा ँ

व मनु य केलए बड़ेही आकषकलु भावने


और रह यमय होते. डरावने
है और बु
रेव जहां
उसे
भयभीत
करते. वह दलच प, मनोहारी और अ छेव उसे
है आ म वभोर करदेते .
है

 रा ी म सुत अव थाम दे


खेगए व केव जाल म घरा वह सारा दन एक अजीब सी खु शी काअनु
भव
करता है .एक अजीब सी ऊजा उसके . मनु
भीतर वा हत होती रहती है , जो बु
य वभावही ऐसा है रेव के
फल को भी जानना चाहताहै.और अ छेव के फल को भी जानने केलए उ सु . 
क रहता है

, जो स दय से
आ खर व या है मनु य को अपनेशुभ अशु
भ सं
के
त ारा सचे . असल म
त करता रहा है
व के व का एक ऐसा “भा य सू . 
चक” है
जो वह सब कु . जो उसके
छ उसको न ाव था म बताजाता है जीवन म शु
भ अशु
भ घटने . ऐसी
वाला होता है
सूम और ामा णकजानकारी मनुय को कसी भी प त से .
नह मल सकती है

कु
छ व बड़ेही व च औरआ यजनक होते .
है उ ह दे . क वह व
ख कर अवाक रह जाता है
मकै
सेआसमान म उड़ रहा था. कु
छ व ऐसे
भी होते. 
है

जो भ व य म घटनेवाली शु
भ अशु
भघटना का बोध कराते. और कु
है छ व बलकु
ल ही मानव जीवन क
स चाइयो सेजुड़े
होते .
है

हमारेाचीनकाल के ं
थ म व व ान को काफ मह व दया गया है
। व परमा मा क ओर से
होने
वाली
घटना के पू
व सं
के
त होते
ह। व का भाव न त प से हर मनु । 
य पर पड़ता है

य द कोई अ छा-सा व दखाई देतो हम खुश होते


ह, कतुबु
रा दखाई दे
तो घबराकर तु
रं
त यो त षय के
पास प ँच जाते -छोटेनरीह बालक को भी नह छोड़ते
ह। व तो छोटे ह। वे
न द म कभी हँ
सतेह और कभी
डर सेरोनेलगतेह। 

हमारेाचीनकाल के ं
थ म व व ान को काफ मह व दया गया है
। व परमा मा क ओर से
होने
वाली
घटना के पू
व सं
के
त होते
ह। व का भाव न त प से हर मनु । 
य पर पड़ता है

य द कोई अ छा-सा व दखाई देतो हम खुश होते


ह, कतुबु
रा दखाई दे
तो घबराकर तु
रं
त यो त षय के
पास प ँच जाते -छोटेनरीह बालक को भी नह छोड़ते
ह। व तो छोटे ह। वे
न द म कभी हँ
सतेह और कभी
डर सेरोनेलगतेह।

इ सान मे
यह गु ण हैक वह सपन को सजाता रहता है या यू
ँकहेक भीतर उठने वाली हमारी भावनाएं
ही
सपनो का प धारण कर ले ती ह । इन उठती भावना पर कसी का नयंण नही होता । हम लाख
,ले
चाहे कन जब भी कोई प र थ त या सम या हमारे सम खड़ी होती है ,हमारे
भीतर भावना का ज म
होन लगता है। ठ क उसी तरह जै से कोई झीळ केठहरेपानी म प थर फकता है तो पानी के
गोल-गोल दायरे
बनन लगते ह । यह दायरे ये क इ सान म उस केवाभावानु सार होते
ह । इ ह दायर को पकड़ कर हम सभी
सपने बु
नन लगते ह ।यह हमारी आखरी साँ स तक ऐसेही चलता रहता है।
इसी लए हम सभी सपने दॆ
खते ह ।शायद ही ऐसा कोई इंसान हो जसे रात को सोनेके बाद सपन ना आते
होग । जो लोग यह कहते ह क उ ह सपन नही आते , या तो वह झू
ठ बोल रहेहोतेह या फर उ ह सु
बह उठने
केबाद सपना भू ल जाता होगा । हो सकता हैउन क यादा त कमजोर हो । या फर उनक नीदं ब त गहरी
होती होगी । जै
सेछोटे
ब च क होती है । उ ह आप सोते समय अकसर हँ सता- रोता आ दे खतेरहेहोग ,
ऐसी गहरी नीदंमेसोन वालेभी सपन को भू ल जाते ह और दावा करते ह क उ ह सपन नही आते । लेकन
सपन का दखना एक वाभा वक घटना है । इस लए यह सभी को आते ह । 

न ा और व का चोली-दामन का सं बं
ध है
। न द केबना सपने
नह आते ह। यह धारणा गलत हैक गहरी
न द म सपने नह आते ह। गहरी न द म भी सपने आतेह, अलब ा कु
छ लोग को ऐसे सपनेयाद नह रहते

सपना सभी दे खते ह कु
छ वष पहले यह बात समाचार-प म आई क पा ा य शोध नेस कर दया हैक
मनु य ही नह , पशु
भी सपने दे
खते ह। यह त य हमारेचतक ने स दय पहलेबताया था।

ोप नषद के
पां
चव ोक म यह प हैक सभी ाणी व दे खते ह। सवप य तसव:प य त मा यता है
क उप नषद का समय लगभग 6 हजार वष पहले का है
। दरअसल, मनुय या कसी भी ाणी म शरीर, मन
और आ मा क धानता होती है
। मुय प सेव मन केवषय ह। यही कारण हैक मनो व ान वषय के
अ तगत उसका अ ययन कया जाता है
। उप नषद कहते ह-अ ै व: व े
षदे म हमानमनु
भव त।

व अ सर सही होते ह, कभी-कभी ही यह सच नह होता। व सं


बं
धी कवदंतयांलोग के
अनु
भव पर
आधा रत होती ह। इस लए उ ह अं । 
ध व ास कह कर गलत नह ठहराया जा सकता है

या है
अथ? 

व देखने केबाद हम उसका कु छ न कुछ अथ लगाते ह। इसके आधार पर व के कुछ कार ह- नरथक
साथक, भ व यसू चक,शुभफलदायी,अशु भफलदायी,दै वी, आव यकता-पू त-कारक, आनंद देने
वाला, भय
दशानेवाला इ या द। नरथक व ऐसे होतेह, जो मन के भटकावसे उ प होते ह। जागनेपर ाय: हम उसे
भूल जातेह। जो व हम याद रहते ह, वेसाथक कहलाते ह। येव शु भ फलदायी,अशु भ फलदायी या
भ व य सू
चक भी हो सकते ह। छ प त शवाजी क इ दे वी तु
लजा भवानी थ । थानीय लोग मानतेह क
उ ह नेव म कट होकर शवाजी से बीजापु
रके सेनाप त अफजल से यु करने का आदे श दया था।
जन ु तय के अनुसार, वयंशव और पावती तु लसीदास केव म आए। उन दोन ने उ ह रामच रतमानस
लोक भाषा म लखने का आदेश दया।

 गो वामी के
श द म -----

सपनें
सा थमोपर, जो हर गौरी पसाउ।

तेट होइजो कहह , सब भाषा म न त भाउ।


फु

लोक-भाषा अव ध म लखा गया रामच रतमानस और तु


लसी दोन अमर हो गए।
इं
टर टे शन ऑफ ी स:------ पा ा य चतक ने भी सपन का व े षण कया है । इनम ॉयडका नाम
उ लेखनीय है । उनका इंटर टेशन ऑफ ी स ब त लोक य आ। ॉयडके अनुसार, हम अपनी न द को
तीन अव था म बां ट सकते ह-चेतन (कॉ शस), अचे त (अनकॉ शस), अ चे तन (सब कॉ शस)।अ चे तन
अव था म ही हम व दे खते ह। उनके अनुसार, व म हम सभी उ ह इ छा को पू री होतेए दे
खते ह,
जसे हम अपने मन म दबाए रखते , यहां
ह। यह इ छा कसी ल य को पाने तक क हमारी द मत काम भावना
भी हो सकती है । ॉयडका कहना था क हम उन व को सच मानने के बजाय उनका व े षण करना
चा हए। व के आधार पर फलकथन करने म यो त षय को आसानी होती है । सपन म कु छ भी कर सकने
क आजाद होती है । चाहेतो मछली को सड़क पर दौड़ा द या ग ड़ को पानी म तैरतेए दे ख। जब मनुय
गहरी न द म होता हैतो उसका इले ो एनसे फलो ाफ (ईईजी) अ फा तरंग को थर ग त म दखाता है ,
जसम सामा य ास, नाड़ी धीमी और शरीर का तापमान कम हो जाता है । परं
तुव अव था म ग तशीलता
बढ़ जाती है।

 हमारेाचीनकाल के ं
थ म व व ान को काफ मह व दया गया है
। व परमा मा क ओर से होने
वाली घटना के पू
व संके
त होते
ह। व का भाव न त प से हर मनुय पर पड़ता है
। य द कोई अ छा-
सा व दखाई दे तो हम खु ह।    
श होते

श द ब त छोटा हैव । भौ तक और जगत के अ या म का सम वय ही व है । भौ तक अथात जो कु छ


आंख सेदख रहा है , इंयांजसे अनुभव कर रही ह और सरा आ या मक अथात जो हम खु ली आंख
और पश से नह अनु भू
त हो रहा। येदोन अव थाएं जीवन के दो पहलूह। दोन स य है । एक बार एक
लकड़हारा रात म सोते समय सपने देखने लगा क वह ब त अमीर हो गया है। न द खुलने पर ब त स
आ। उसक प नी खा सू खा भोजन दे नेआई तो वह बोला क अब हम अमीर ह, ऐसा खाना नह खाता ं ।
प नी समझ गई क उसका प त कोई नकृ व दे ख कर जगा है। शाम तक उसने उसेकु छ नह दया जब
लकड़हारा भूख से ाकु ल आ तो उसे सपने केस य-अस य का ान आ और पु नः वह अपनी वा त वक
थ त पर लौट आया। अब यह उठता हैक व , स य-अस य कै से ? कु
है छ ण केलए स य का भान
कराता है
बाद म अस य हो जाता है , कभी स य हो जाता है
। 

ऋ ष, मह ष, आचाय ने इस भू म पर रह कर संसार को अस य अथात व ल कहा है , व के समान।


गृ
ह थ भी समाज देश म रह कर अपना थान मा मारक, फोटो े म तक सी मत मान ल, तो यह
आ या मक स य है । ई र को दे
खा नह गया है , ले श, समाज, संदाय कसी न कसी
कन व का हर दे
प म इसेवीकारता है
। अतः यह पूण स य है। जगत का स य अथात व ल सं सार सेसपन का अथ
नकालने ÷ म' कहा जा सकता है
म इसे । ÷ म' इस अथ म क अभी इस पर ब त कुछ आधु नक व ान से
पानेक सं । 
भावना बनती है
हर मनु य क दो अव थाएं होती ह, पहला जा त या अ न त, सरी पू ण न ा म अथात सु षुत। इसम पुनः
दो बार संध काल आता है पहला जब सोने जातेह -पू
ण न ा म जाने सेपहले और सरा, सोकर उठने से
कु छ काल पहले का समय होता है। जा त और पूण न ाव था के बीच के समय ायः व आते ह। एक
वचार से न द म दखने वाला सब कु , तो सरी वचारधारा म व , पू
छ अस य होता है व का घ टत स य होता
है
। आगे इस पर वचार करगेक ायः दखने वालेव के या कारण हो सकते ह ? भौ तक शरीर नह रहने
पर, मन बु और म त क केवचार का, या शव के साथ दहन-दफन हो जाता है ? कदा प कसी भी उजा
का य नह होता, पां तरण होता है । यह सवस य तथा वैा नक, मनी षय क ववे चना है
। ज म-ज मां तर
म ये संका रक प म आते ह। वैसेसु षु
त अव था म, मन बु और म त क का ान भं डारपूण सुषुत
नह होता। न ा दे वी अथात न द कै से आती हैऔर कहां चली जाती है। इसे कौन नयंत करता है ? वह
÷मन' है। शांत भाव सेसोचते ह क सोना है और धीरेधीरेसो जातेह। अगर मन म यह बात बै ठ हैक
ातःकाल अमु क समय उठना है तो न द गायब भी, समय पर हो जाती है
। जै सेबं
द मोबाइल, कंयूटर जब भी
चालू करगे , वह समय ठ क ही बताएगा। अथात उसम कु छ बंद अव था म भी चल रहा है । मानव शरीर एक
वल ण यंहै इसम वैदक ान से ले कर अक पनीय काय मता का समावे श है
। भगवान क इस रचना के
लए ीगीता का एक ोक है -न हक णम प जातुत यकमकृ त्
। 

कायते वशः कम सवः कृतजै


गु
णै
ः॥

ीगीता के इस ोक का यह भाव हैक सु षुत अव था म भी मन ारा म त क के संचत ान भंडार से


कुछ न कु छ काय होता रहता है
। सु
षुत अव था म भी ण मा को कोई भी ाकृतक गु ण-धम सेअलग नह
होता। थम कृत ही ई र है , मानव शरीर से
। वह सदा साथ रहता है शीष पर, अथात सबसेऊपर जो हमारा
म त क है । दमाग क थोड़ी सी चू क उसेग त सेग त तक प ं चा दे
ती है चालक ÷मन' है
। म त क का सं ,
हमारी सोच है। क याणकारी सोच अ छे सपन को ज म दे , नकृ सोच सदा बु
ती है रे
सपन को संजोता है

मनोवैा नक भी यही कहते ह क व मन क उपज है । 

मनुय म त क म असंय तं तु का जाल या संहालय है । जागृ


त अव था म मन से उसे
संचालन करते ह
फर भी ब त से म त क पी कंयू टर खोलने और बं द करने म दन भर क बाधाएंआती रहती ह। म त क
क व था जब व धवत् बं
द नह होती तो दमाग बो झल होकर न ा म, काय करने पर व का नमाण
करता है। जब जगते ह तो उनका अपु व प यान आता है , फर वचार करतेह क यह शुभ फल दे गा या
अशुभ। व का अथ हमे शा नरथक नह होता, य क पू वज म क मनोदशा और ान सं कार पु
नः आगे के
ज म म प रल त होते ह। बा चेतना ज य बोध, वतमान चे तना के
बोध को भलेही अ वीकार करे, लेकन
स चा ान एवं घ टत काय कलाप अं तरा मा म न हत होते ह। मन सेम त क के ान का उदय, दवा या
रा व होते ह। 
बार-बार एक ही तरह केव को दे खने वालेकई लोग एक ही कार क उपल ध पाते ह तो व वचारक
मनीषी इसेता लका के प म तु त करते ह। ब त ही ाचीन काल से यह धारणा चली आ रही है और ायः
यह स य के करीब है। वण, आभू षण, र न आ द क ा त का व , आने वालेसमय म इसका य दशाते
ह। वै
सेही मल मूऔर अशु य से यु वातावरण के सपने सेस मान पाना तथा शु
भ वातावरण म समय
तीत होना लखा है । लेकन मरेए पशु और सू खे ताल का य इसका वपरीत बोध नह कराता, ब क
आने वाले समय म व भषीका को दशाता है । व म सू य, चं, मं
दर और भगवान व प के दशन अ त शुभ
लखे गए ह। ऐसी ता लकाएंायः पं चां
ग म व ान यो तषाचाय ने देरखी ह। यो तषीय ववे चना म चं
को मन का कारक कहा गया है । अतः मन ही सपन का जनक कहा जा सकता है । जस जातक के लनम
कमजोर ह, षत चंया गत श ुह होते ह, वे
जातक आसन के कमजोर माने जाते ह। ऐसेलोग को
व यादा दखते ह तथा नजर दोष, डर, भय के यादा शकार होते ह। मनोवैा नक भी इसके उपचार म
यथासा य दमागी रोग का इलाज करते ह। यो तष सं भावना और पू व सू
चना का सं पूण व ान है।
दवा व हो या रा व , डरावने
सपने ह या नरथक व , इन सब से छूटकारा पानेका एक मं, जो
यात आचाय ारा तपा दत है यहांदया जा रहा है- 

मं
गलम्
भगवान व णु
मं
गलम्
ग ड़ो वजः। 

मं
गलम्
पुडरीका मं
गलाय तनोह रः। 

यः मरे
त्
पुडरीका ं
सः बा ा य तरः शु
चः'॥ 

बुरे
सपन को र करने हे
तुजातक या उसके माता पता को ा से पू
जा-पाठ के समय इसका जप करना
चा हए। नय मत प से इ /गुके स मु
ख इस मंक ाथना का भाव दे खा जा सकता है। कु
छ ही दन म
भय उ प करने वाले एवंनकृ सपन का न त प रमाजन होता दे खा गया है
। साथ ही साथ आने वाले
समय म दे वी-दे
वता क आकृतय का आभास होने लगता है
। आं ख बंद कर पू
जा करने वालेभी दे
वता
क आकृत का मरण करते ह, वै
से
ही व म भी इनक आकृत अ तशु भ है
। जीवन के होतेए भी मृ यु
स य है, वै
सेही जगत केव ल होतेए भी व का अ त व है , चाहेवेइस जीवन के ह या ज म
ज मांतरण के । अंतरा मा का ान एक मू , यह पू
त स य है ण ा उ दत करती है और यही इसका आधार है ।
 

साँ ज, नाड़ी ते
स ते । यह अव था ायः रात म 4-5 बार आती है
ज और तापमान भी अ धक रहता है । इस
अव था म शरीर केअं
ग ग तमान होते
ह। नाड़ी बढ़ ई और म त क जागृ त वाली थ त का कार दशाता
। 
है

सपने दे
खना मानव जीवन क एक आव यक आव यकता है
। सपने
दे खने
म कमी होने
का मतलब है
आप म
ोट न क कमी हैया फर आप पसनॉ लट डसऑडर केशकार ह। 

-----साँ
प- भारतीय परं
परा म मदम त साँ
प को दे
खने , कु
का अथ है ं
डली का जागृ
त होना तथा आं
त रक
रणा एवं
े बाहरी सजग कोण केबीच संघष केरहते
सपन म हलते सप दखाई दे तेह। 
----- प ी- प ी आ मा या वासना से मु का तीक होता है
। व म प ी कस अव था म दखता है
उसी से आ मा क थ त का अनु मान लगाया जाता है

----- उड़ना- यह आ म व ास या वतंता एवं


मो का दशन है
। आधु
नक वचारधारा इसे
असाधारण
मता के तीक के प म देखती है

----घोड़े
- घोड़े
का दखना व थ होने
का सू
चक है
। यह परो दशन क मता सु
झाता है
। कु
छ लोग इसका
संबंध जनन से जोड़ते
ह।

कु
छ व और उनका भाव-----

----- य द व म खु
द को पवत पर चढ़ता पाए, तो उसे
एक दन सफलता न । 
त मलती है

------- उ लूदखाई दे
, तो यह रोग अथवा शोक का सू
चक माना जाता है

  य द कोई बु , तो न द खु
रा व दखाई दे लते
ही गाय ी मंपढ़कर पानी पी ले
ना चा हए। उसी समय हनु
मान
चालीसा का पाठ अव य करना चा हए और फर नह सोना चा हए।      

-------------- कबू
तर दखाई दे
तो यह शु
भ समाचार का सू । 
चक है

----- खु
द को रोट बनाता दे, तो यह रोग का सू
खे । 
चक है

---- भं
डारा कराते
दे
खने
पर का जीवन धनधा य से
पू
ण रहे
गा। 

----- दन म दखेव न फल होते


ह। 

------ सपन म मनुय क च हमे शा सेही है


। हमारे
वेद -पु
राण म भी सपन के बारे
म ज कया गया है ।
य द कोई बु
रा व दखाई दे, तो न द खु
लते ही गाय ी मंपढ़कर पानी पी ले
ना चा हए। उसी समय हनु
मान
चालीसा का पाठ अव य करना चा हए और फर नह सोना चा हए।

--------------------------------------------------------

शु
भाशु
भ व के
पुराणो फल----

जागृ
ताव था म दे
खे, सु
ने
एवं
अनुभू
त सं नरावृ, सु
ग क पु षु
ताव था म मनुय को कसी न कसी प म
एवं , शु
कभी-कभी बना कसी तारत य के भ और अशु , जससेव
भ व के प म, द द शत होती है ा
व म ही आह् । 
ला दत, भयभीत और व मत होता है

ा नक, या च क सक य सेमान सक उ नता, पाचन वकार, थकान, चता एवं आह्लाद केआध य
पर भी व आधा रत होतेह। बहरहाल, शु
भ व से शु
भ काय के अ धका धक यास से
काय स म
सं
ल न होनेका सं
केत मलता है
और अशु भ व म आगामी सं भा वत खद थ त के त सचे त रहने

नसीहत लेना व ान ारा ेय कर बताया गया है सार - 
। तदनु
ल ण व शु भ, क ो, म य भगवान।
भाशु

शु
भ यासरत, अशु
भ से
ह ह सचे
त सु
जान॥ 

ी म य पु
राण के
२४२ व अ याय म बताया गया हैक सतयुग म जब भगवान अनं
त जगद र ने
म यावतार लया था, तो मनु
महाराज ने
उनसेमनु य ारा दे
खेगयेशु
भाशु
भ व फल का वृांत बताने
का
आ ह कया था। 

मनु , अपनी ज ासा शां


महराज ने त करनेहे, म य भगवान से
तु पू
छा क हे
भगवान! या ा, या अनुान के
व, या वै
पू से
भी सामा यतया जो अने
क कार केव मनु य को समय-समय पर दखायी देतेह, उनके
शु
भाशु भ फल या होतेह, बतानेक कृ
पा कर, यथा- 

व ा यानं
कथं
दे
व गमने यु
प थते
। यं
तेव वधाकाराः कशं
ते
षां
फलं
भवे
त्
॥ 

म य भगवान नेव के
फलीभू
त होने कहा : 
क अव ध केवषय म बतातेये

क क नानंतलै
ह मो ा णानां
च पू
जनम्
। तु
त वासु
दे
व य तथा त यै
व पू
जनम्
॥६॥ 

नाग मो वणंे
यंः व ाशनम्
। व ा तुथमे
यामे
सं
व तर वपा कनः॥७॥ 

षड्
भभासैतीये
तु भमासै
तृतीयके
। चतु
थ मासमा े
ण प यतो ना सं
शयः॥८॥ 

अ णोदयवे
लायां
दशाहे
न फलं
भवे
त्
। एक यां
य द वा रा ौशु
भं
वा य द वाशु
भम्
॥९। 

प चाद्षृ
तुय त त य पाकंव न दशे
त्
। त मा छोभनकेव े
प चात्व ोनश यते
॥२०॥ 

अथात, रा के थम हर म दे खेगयेव का फल एक सं व सर म अव य मलता है । सरेहर म दे


खेगये
व का फल ६ माह म ा त होता है । तीसरे
पहर म दे
खेगयेव का फल ३ माह म ा त होता है । चौथे
पहर
म जो व दखायी दे , उसका फल 1 माह म न त ही ा त होता है
ता है । अ णोदय, अथात सू
य दय क
बे
ला म दे
खे गयेव का फल १० दन म ा त होता है । य द एक ही रात म शुभ व और ः व दोन ही
दे
खेजाएं, तो उनम बाद वाला व ही फलदायी माना जाना चा हए, अथात् बाद वालेव फल के आधार पर
मागदशन करना चा हए। य क बाद वाला व फलीभू , अतः य द रा म शु
त होता है भ व दखायी दे , तो
उसके बाद सोना नह चा हए। 

शै
ल ासादनागा ववृ
षभारोहणंहतम्
। माणांे
तपु
पाणां
गमने
च तथा ज॥२॥ 

मतृ
णारवो नाभौ तथै
व ब बा ता। तथै
व ब शीष वं
फ लतो व एवं
च॥२२॥ 

सु
शुलमा यधा र वं
सु
शुलां
बरधा रता। चंाकतारा हणं
प रमाजनमे
व च॥२३॥ 
स वजा ल नं
चत ाय या तथा। भू
यं
ंबु
धीनांसनं
श ु
णां
च वध या॥२४॥ 

अथात, शु भ व के फल बतातेए ी म य भगवान ने मनुमहाराज को बताया क पवत, राज ासाद,


हाथी, घोड़ा, बै
ल आ द पर आरोहण हतकारी होता है तथा जन वृ के पुप े त, या शु
भ ह , उनपर चढ़ना
शुभकारी है। ना भ म वृ एवं घास-फूस उगना तथा अपने शरीर म ब त सी भुजाएं देखना, या अने
क शर, या
म तक दे खना, फल को दान करते दे
खना, उ ज के दशन, सु दर, शु
ं भ अथात्े त माला धारण करना, े त
व पहनना, चंमा, सू य और तारा को हाथ से पकड़ना, या उनके प रमाजन का व दखायी दे ना, इं
धनु ष को दय से लगाना, या उसे
ऊपर उठानेका व दखायी दे ना और पृ वी, या समुको नगल ले ना एवं
श ु का वध करना, ऐसेव दे खना सवथा शुभ होता है
। इसके अ त र भी जो व शु भ होतेह, वेन न
ह : 

जयो ववादे ू
ते
व संामे
च तथा ज। भ णं
चा मां
सानां
म यानां
पायस य च॥२५॥ 

दशनं धर या प नानं
वा धरे
ण च। सु
रा धरम ानां
पानं ीर य चाथ वा॥२६॥ 

अ ै
वा वे
षृ
नं
भूमौ नमलं
गगनं
तथा। मु
खे
न दोहनं
श तं
म हषीणां
तथा गवाम्
॥२७॥ 

सहीनां
ह तनीनां
च वडवानां
तथै
व च। सादो दे
वव े
यो गु य च तथा शु
भः॥२८॥ 

म य भगवान ने , मनुमहाराज से उ तारत य म व के शुभ फल क चचा करतेए, बताया क व म


संाम, वाद- ववाद म वजय, जु ए के खेल म जीतना, क चा मां
स खाना, मछली खाना, खून दखाई देना, या
धर सेनहातेए दखाई दे ना, सुरापान, र पान, अथवा धपान, अपनी आं त सेपृ वी को बां
धतेए
दे
खना, नमल नभ दे खना, भस, गाय, सहनी, ह थनी, या घोड़ी केथन म मुह लगा कर ध पीना, दे
ं वता, गु
और ा ण को स दे खना सभी शु भ फलदायी एवं शु
भ सूचक होतेह। म य भगवान ने और भी शुभ
व क चचा करतेए मनु महाराज को बताया : 

अं
भसा व भषे
क तु
गवांृ
सुते
न वा। चंाद् े
ना वाराज४ाशे
योस य दो ह सः॥२९॥ 

रा या भषे
क च तथा छे
दनंशरस तथा। मरणं
च दाह च व दाहो गृ
हा दषु
॥३०। 

ल ध च रा य ल नां
तंीवा ा भवादनम्
। तथोदकानां
तरणं
तथा वषमलड़घनम्
॥३१॥ 

ह तनीवडवानां
च गवां
च सव गृ
हे
। आरोहणमथा वानां
रोदनं
च तथा शु
भम्
॥३२। 

वर ीणां
तथा लाभ तथा ल नमे
व च। नगडै
बधनं
ध यं
तथा व ानु
ले
पनम्
॥३२॥ 

जीवतां
भूमपालानां
सु
ह्
दाम प दशनम्
। दशनं
दे
वतानां
च वमलानां
तथां
भसाम्
॥३४॥ 

शु
भां
यथै
ता न नर तु
ह ्
वा ा ो यय वाद्ु
वमथलाभम्
। 

व ा न वै
धमभृ
तां
वर ाधे
वमो ं
च तथातु
रोऽ प॥३५॥ 
और भी अ धक शु भ व के फल मनुमहाराज को बतातेए ी म य भगवान ने कहा क राजन ! गौव के
स ग से वत जल, या चंमा सेगरतेए जल सेनान का व सवथा शु भ एवंरा य क ा त कराने
। रा यारोहण का व , म तक कटने
वाला होता है का व , अपनी मृयु, व लत अ न दे खना, घर म लगी
आग का व दे खना, रा य च क ा त, वीणा वादन, या वण, जल म तै रना, ह थान को पार
करना, घर म ह तनी, घोड़ी तथा गौ का सव दे खना, घोड़े
क सवारी करते दे
खना, वयं को रोते
देखना
आ द व शु भ और मं गल शकु न के ोतक होते ह। इसकेअ त र सु द रय क ा त तथा उनका

आ लगन, जं जीर म वयं को बं
धा दे
खना, शरीर म मल का ले
प दे
खना, जो राजा मौजूद ह, उ ह व म दे खना,
म को व म दे खना, दे
वता का दशन, नमल जल दे खनेकेव भी सवथा शु भकारी होते ह, जससे
बना यास के धन-ऐ य क ा त होती है तथा ण रोगमु हो जाता है। अशुभ व एवं उनके
फल केवषय म ी म य भगवान मनु महाराज को बतातेए कहते ह : 

इदान कथ य या म न म ंव दशने
। ना भ वना यगा े
षु
तृ
णवृसमु
रवः॥२। 

चू
णनं
मूनं
कां
यानां
मुडनं
न नता तथा। म लनां
बरधा र वम यग्
ः पट द धता॥३॥ 

उ चात्पतनं
चै
व दोलारोहणमे
व च। अजनं
पटलोहानां
हयानाम प मारणम्
॥४॥ 

र पु
प माणां
च मं
डल य तथै
व च। वराह खरो ाणां
तथा चारोहण या॥५॥ 

भ णं
प म यानां
तै
ल य कृ
सर य च। नतनं
हसनं
चै
व ववाहो गीतमे
व च॥६॥ 

तंीवा वहीनानां
वा ानाम भवादनम्
। ोतोऽवगाहगमनंनानं
गोमयवा रणा॥७॥ 

पटोदके
न च तथा महीतोये
न चा यथ। मातु
ः वे
शा जठरेचतारोहणमे
व च॥८॥ 

श वजा भपतनं
पतनं
श शसू
ययोः। द ां
त र भौमानामु
पातानां
च दशनम्
॥९॥ 

अथात, म य भगवान नेव भ व के अशुभ फल क ओर इं गत करतेए मनु महाराज सेकहा क हे


राजन! व म ना भ के अ त र , शरीर केअ य अंग म घास, फू ड़-पौधे
स, पे उगेए देखना, सर पर कांसे
को कुटता दे
खना, मुडन दे
ं खना, अपने को न न दे
खना, वयं को मैलेकपड़े पहनेए देखना, ते
ल लगाना,
क चड़ म धं सना, या क चड़ लपटा देखना, ऊं चेथान सेगरना, झू ला झू
लना, क चड़ और लोहा आ द
एक त करना, घोड़ को मारना, लाल फू ल के पे
ड़ पर चढ़ना, या लाल पुप केपेड़ का मं
डल, सूअर, भालू,
गधेऔर ऊं ट क सवारी करना, प य का भोजन करना, मछली, ते ल और खचड़ी खाना, नृ य करना,
हं
सना, ववाह एवं गाना-बजाना दे
खना, बीणा केअलावा अ य वा को बजाना, जल ोत म नहाने जाना,
गोबर लगा कर जल नान, क चड़यु उथले जल म नहाना, माता केउदर म वेश करना, चता पर चढ़ना, इं
पताका का गरना, चंमा एवं सू
य को गरते दे
खना, अंत र म उ का पड के उ पात आ द व म दे खना
सवथा अशु । 
भ है

दे
व जा तभू
पालगुणं ोध एवं
च। आ ल नं
कुमारीणां
पुषाणां
च मै
थु
नम्
॥१०॥ 
हा न ै
व वगा ाणांवरे
कवमन या। द णाशा भगमनंा धना भभव तथा॥११॥ 

फलापहा न च तथा पु
पहा न तथै
व च। गृ
हाणां
चै
व पात गृ
हस माजनं
तथा॥२॥ 

ड़ा पशाच ा ानर नररै


प। पराद भभव ै
व त मां
च सनारवः॥३॥ 

काषायव धा र वं
त त् ी डनं
तथा। ने
हपानवगाहौ च र मा यानु
ले
पनम्
॥४॥ 

एवमाद न चा या न ः व ा न व न दशे
त्
। एषा। सं
कथनं
ध यं
भूयः वापनं
तथा॥५॥ 

अथात, ी म य भगवान् , व के अशुभ फल केवषय म मनु महाराज को बतातेए पुनः कहते ह क


दे
वता! राजा और गुजन को ोध करते दे
खना, व म कु मारी क या का आ लगन करना, पुष का
मै
थुन करना, अपने -द त करतेवयं
शरीर का नाश, कै को दे
खना, व म द ण दशा क या ा करना, अपने
को कसी ा ध से त दे खना, फल और पु प को न होते दे
खना, घर को गरते दे
खना, घर म लपाई,
पु
ताई, सफाई होते दे
खना, पशाच, मां साहारी पशु , बानर, भालू एवंमनुय के साथ ड़ा करना, श ु से
परा जत होना, या श ुक ओर से तु त कसी वप से त होना, वयं को म लन व वयं पहने दे
खना,
या वै
सेही व पहने ी के साथ ड़ा करना, ते ल पीना, या तेल सेनान करना, लाल पु प, या लाल चं दन
धारण करने का व दे खना आ द सब ः व ह। ऐसेः व को दे खनेकेबाद तु
रं
त सो जाने से, या अ य
लोग को ऐसेः व बता दे नेसेउनका भाव कम हो जाता है । 

ः व के भाव के
शमन का उपाय बतातेये
म य भगवान मनु
महाराज से
कहते
है: 

कलक नानंतलै
ह मो णानां
च पू
जनम्
। तु
त वासु
दे
व य तथात यै
व पू
जनम्
॥ 

नाग मो वणंे
यंः व ाशनम्
॥ 

अथात, ऐसेः व दे खने पर क क नान करना चा हए, तल क स मधा से


हवन कर के ा ण का पूजन,
स कार करना चा हए। भगवान वासु
दे
व क तुत (पूजन ादश अ रमं÷ ् नमो भगवतेवासु
दे
वाय' का
जप) करनी चा हए और गज मो कथा का पाठ, या वण करना चा हए। इनसेः व के भाव का
। 
शमन होता है

-------------------------------------------------------------

ले
कन हम सपने ह ? 
आतेयू

इस बारे
म सभी व वचारक के अपने -अपने मत है। कु
छ वचारक मानते ह क सपन का दखना इस
बात का माण हैक आप के भीतर कुछ ऐसा हैजो दबाया गया है। वह सपना बन कर दखाई दे ता है
। हम
कुछ ऐसेकाय जो समाज केभय से या अपनी प ँच सेबाहर होनेके कारण नही कर पाते, वही भावनाएंहमारे
अचेतन मन म चलेजाती ह और अवसर पाते ही सपन के प म हमेदखाई दे ती ह । यह वाभा वक सपन
क पहली थ त होती है ।

एक सरा कारण जो सपन के


आने ,वह हैकसी रोग का होना। ाचीन आचाय इसे
का है रोगी क " व -
प र ा" करना कहते
थे। 
हम जब भी बमार पड़ते
ह तो मान सक व शरी रक पीड़ा के
कारण हमारी नीदंया तो कम हो जाती हैया फर
झँ
प कय का प ले ले
ती है
। ऐसेम हम ब त व च - व च सपने दे
खते ह । कई बार ऐसा भी होता हैक
ब त डरावन सपनेआनेलगते ह । जस कारण रात को कई-कई बार हमारी नीदं
खु ल जाती हैऔर फर भय
केकारण हमेसहज अव था मे आने म काफ समय लग जाता है।

इस बारेम ाचीन आयु वदाचाय का मानना हैक रोगी अव था मे आने वालेसपन अकसर रोग क थ त
क ओर सं के
त करते ह । वेआचाय रोगी के
देखेगए सपन के आधार पर रोग क ज टलता या सहजता का
वचार करने
म समथ थे बध , उन रोगीय क मान सक दशाओ क खोज का वषय मानते
। वह इन का सं थे
और उसी के प रणाम व प जो न कष नकलते थे , उसी के
अनुसार अपनी च क सा का योग उस रोग
का नदान करने मे
करते थे। उन आचाय केव वचार करने के
कु ख-
छ उदाहरण दे

१.य द रोगी सर मु
डाएं
ं ,लाल या कालेव धारण कए कसी ी या पुश को सपने
म दे
खता है
या अं

भंग को दे
खता हैतो रोगी क दशा अ छ नही है

२. य द रोगी सपनेमेकसी ऊँ
चेथान सेगरे
या पानी म डू
बे
या गर जाए तो समझेक रोगी का रोग अभी
और बड़ सकता है ।

३. य द सपने
म ऊठ,शे
र या कसी जंगली जानवर क सवारी करे
या उस से
भयभीत हो तो समझेक रोगी
अभी कसी और रोग से भी त हो सकता है।

४. य द रोगी सपने
मेकसी ा ण,दे
वता राजा गाय,याचक या म को दे
खेतो समझेक रोगी ज द ही ठ क
हो जाएगा ।

५.य द कोई सपने


मे उड़ता हैतो इस का अ भ ाय यह लगाया जाता हैक रोगी या सपना दे
खने
वाला
च ता से मु हो गया है

६.य द सपने
मेकोई मास या अपनी ाकृत केव ध भोजन करता है
तो ऐसा नरोगी भी रोगी हो
सकता है।

७,य द कोई सपने


म साँप दे
खता है
तो ऐसा आनेवाले
समय मे
परे
शानी म पड़ सकता है
।या फर
मनौती आ द केपू
रा ना करने
पर ऐसेसपन आ सकते
ह।
ऊपर दए गए उदाहरण के बारे
मेएक बात कहना चा ग
ँा क इन सपन केफल अलग- अलग ं थ मे कई
बार पर पर मे
ल नही खाते। लेकन यहाँ
जो उदाहरण दए गए ह वेअ धकतर मे
ल खातेए हो,इस बात को
यान मेरख कर ही दए ह।

ऐसे
अने क सपन के मापक वचार का संह हमारेाचीन आयुवदाचाय नेजन क याण क भावना से
रत हो , हमारेलए रख छोड़ा है
े । यह अलग त य हैक आज उन पर लोग व ास कम ही करते
ह।

यहाँ
सपन के
आने
का तीसरा कारण भी है
।वह है
सपन के
जरीए भ व य-दशन करना ।

हम मेसेब त से ऐसे भी होग ज ह ने सपन मे अपनेजीवन मेघटनेवाली घटना को, पहले ही दे



लया होगा । ऐसा कई बार दे
खने मेआता हैक हम कोई सपना देखते ह और कुछ समय बाद वही सपना
साकार हो कर हमारेसामने घ टत हो जाता है
। य द ऐसे जो इस तरह केसपनेअकसर देखते रहते ह
और उ ह पहले बता दे
तेह , ऐसे को लोग व ा कहते
ह।

हमारेाचीन ं
थ म भी कई जगह ऐसे सपने
दे
खन का ज भी आया है , जै
सेतृ
जटा नामक रा सी का उस
समय सपना दे
खना,जब सीता माता रावण क कै
द मेथी और वह सपन मेएक बड़ेवानर ारा लंका को
जलाए जानेक बात अपनी सा थय को बताती है
। यह भी एक सपनेमेभ व य-दशन करना ही है
। 

कहा जाता हैक ईसा मसीह सपन को पढना जानते थे। वह अकसर लोगो ारा दे
खेसपन क सां
केतक
भाषा को सही -सही बता दे
ते
थे। जो सदै
व स य होते
थे ।

आज क च लत स मोहन वधा भी भावना को भा वत कर, को सपनेक अव था मेले


जाकर,
रोगी क मान सक रोग का नदान करने म योग आती है। वा तव मेइस वधा का सं
बध भी सपन से
ही है
। इस मेभावना ारा रोगी को क म नीदं
क अव था मे लेजाया जाता है

कई बार ऐसा होता हैक हम जहाँसो रहेहोते, वहाँ


है आप-पास जो घ टत हो रहा होता है
वही हमारे
सपनेम
जु
ड़ जाता है। या जैसेकभी हमे
लघुशं का क तलब लग रही होती है
तो हम सपनेभी जगह ढूं
ढते रहते
ह।
हमारा सपना उसी से सं
बं
धत हो जाता

व क श------
या और फलादे
व मुयतः ÷ व न ा' क अव था म आते ह। सुषुत अव था म दे खेगयेव ायः सुबह तक याद नह
रहते
। यह आव यक नह क व म दे खा गया सब कुछ अथपू ण हो। मानस और च क सा शा य के
अनुसार जो अनाव यक इ छा , चं चल भावना , उ च आकांा और भू त-भ व य क चता से
अपने को मु रखते
ह, वही गहरी न ा ले
पातेह। गहरी न ा व थ जीवन केलए परम आव यक है । 

धम शा -अथववे द, योगसू, पु
राण, उप नषद इ या द म व का आ या मक व े शण मलता है ,
जसके अनु सार व क या मनुय क आ मा से जुड़ी हैऔर आ मा परमा मा से
। मन क क पना श
असीम है द ास ÷
। मह ष वे सू' म बतातेह क म त क म पछले ज म का ान सु षुत अव था म
रहता है
। शु आचरण वाले धा मक और शां त च केसपने, दै
वक सं
देशवाहक होने केकारण, स य
होते
ह। परं तुचता त, या रोगी का मन अशां
त होनेकेकारण उसकेव न फल होते ह। व भावी
जीवन या ा से जुड़ेशु
भ और अशु भ सं ग, यहां
तक क वप , बीमारी और मृयु क पूव सू
चना दे
तेह। 

गौतम बु के ज म से कु
छ दन पहलेउनक माता रानी माया नेव म एक सू
य सा चमक ला, ६ दां
त वाला
सफेद हाथी दे
खा था, जसका अथ रा य के
मनी षय ने एक उ च को ट के
जगत स राजकु मार केजम
का सू
चक बताया, जो स य आ। 

पा ा य देश म व पर शोध काय सव थम शारी रक और फर मान सक तर पर कया गया। उ ीसव


शता द के अंत म च क सक के मतानु
सार अ य व का कारण अ व थता, सोते
समय सांस लेनेम
क ठनाई और म त क म ऑ सीजन क कमी होना था। मनोवैा नक के अनुसार तलाक, नौकरी छू
टना,
ापार म घाटा, या प रवार म कसी सद य क अचानक मृ
युकेकारण उ प मान सक तनाव बार-बार आने
वालेव म प रल त होते ह। 

पा ा य शोध केअनुसार जा त अव था म सां सा रक व तु और घटना का मानव म त क पर भाव


, जससे
पड़ता है अनेक वचार और इ छा का ज म होता है । जो संग मन म अपूण रहते ह, वेन ा क
अव था म, व थत या अ व थत प म, अ भ होतेह। स मनोवैा नक सगमं ड ॉयड ने
अपनी पु तक ÷ योरी ऑफ ी स' म बताया क मनु य क इ छाएं (मुयतः काम वासनाएं) जो समाज के
भय से जा त अव था म पूण नह हो पात , वेव म च रताथ हो कर को मान सक तृत दे ती ह और
उसको तनावमु और सं तुलत रहनेम सहायता करती ह। परंतुयह स ां त अं
धे ारा दे
खेगयेव
को समझाने म असमथ था। कुछ समय बाद ॉयड ने अपनेवचार म प रवतन कया। 

ीम टे
लीपै
थी' के
लेखक डा. टैनली केअनुसार व क पु नरावृ का संबं
ध वतमान म होने
वाली
सम या और घबराहट से ही नह , अ पतुअतीत से
भी हो सकता है
। बचपन म घट कोई भयानक घटना का
म त क पर गहरा भाव पड़ने सेउससे सं
बंधत व अ धक दखाई दे ते
ह। 

व क या पर काश डालतेए डा. टै नली ने बताया क मनुय का म त क छोट -छोट घटना एवं
जानका रय को सं ग ठत प दे कर एक ऐसेन कष ( व ) पर प ं , जो कभी-कभी ब त सही होता
चता है
है
। रोम के
स ाट जू लयस सीज+र क प नी ने उनक ह या क पछली रात सपने म दे
खा था क वह अपने
बाल बखे रे
प त का ल लुहान शरीर उठायेफर रही है
। उसनेसीज+र को सीनेट जानेसेमना कया, पर वह
नह माना और सीने टप ं
चने पर ूटस नेउसक ह या कर द । इसी कार अमे रक रा प त अ ाहम लकन
नेअपनी ह या को कुछ दन पहलेव म दे खा था। 
पा ा य शोधकता अब भारतीय वचारधारा से
सहमत हो रहेह। ॉयड नेनयेअनुभव के आधार पर अगली
पुतक ÷इंटर टे
शन फ ीम् स' म वीकार कया क व कभी-कभी मनु य क दबी इ छा और मन क
उड़ान सेब त आगे क सूचना दे
नेम स म होते
ह। डॉ. है
वलॉक एलाईस अपनी पुतक ÷ द व ड ऑफ
ीम्
स' म मानते
ह क व म सु षुत म त क और ÷एक ा ससरी परसे शन' क बड़ी भू । 
मका होती है

बु
च सोसाईट फॉर साई कक रसच' हॉलड, के
शोधकाय नेयह मा णत कया हैक कु
छ व भव यक
घटना क सही-सही पू वसू
चना दे
ते
ह। स मनोवैा नक डॉ. है फनर मोस के
अनु
सार सतत य न ारा
सु
षुत म त क को जगा कर सपन ारा ÷ द ' ा त क जा सकती है
। 

अ यं त वृ और कालेशरीर वाली ी का नाच देखना, अथवा नंगधडं , हं


ग फक र को नाचते , अपनी ओर
सते
ूर पात करते
दे
खना, कालेव पहने , हाथ म लौह का डं
डा लयेकसी को दे
खना मृ यु
केसूचक होते
ह।     

    

सपन के भ-फल व वषय शु


शु भ फल व छ आकाश ऐ य वृ आम का वृ सं तान ा त अपमान
चताएंर होना अपनी मृ यु आयु वृ खड़ी फसल धन ा त अथ दे खना रोग मु इमारत बनना धन
लाभ, उ त हाथी, गाय, मोर धन लाभ, समृ मधु म खी देखना लाभ ऊंचाई पर चढ़ना उ त क तान
त ा म वृ काला नाग रा य से स मान गंगा दशन सु
खी जीवन कला दे खना तर क होगी घोड़े पर चढ़
+ना पदो त छपकली दे खना अचानक धन लाभ डर कर भागना क से छुटकारा डोली दे
खना इ छा पू री
होना तारेदे
खना मनोरथ पू रा होना तलवार दे
खना श ु पर वजय दे वी-दे
वता खुशी क ा त धन एवं रन
संतान सुख नाखून काटना रोग तथा ख से मु यायालय झगड़े म सफलता मठाई खाना मान-स मान
हरा-भरा जंगल खु शी मले गी परी ा म असफल होना सफलता प आना शु भ सू चक लहराता झं डा वजय
क ा त भोजनयु थाल शु भ सूचक तांबेका स का मलना धनदायक भोजन पकाना शु भ समाचार माला
जपना भा योदय सीधी सड़क पर चलना सफलता खु ला दरवाजा दे
खना नया काम बनना कौआ उड़ाना
मुसीबत से छुटकारा सपन के अशु भ फल व वषय अशु भ फल अ न दे खना प सं बंधी रोग अ न उठाना
परेशानी होगी अपनी शाद सं कट आना अ त थ आना आक मक वप अं धे
रा दे
खना ख मले गा आं धी-
तूफान मुसीबत म फं सना उ लू देखना रोग-शोक होगा उ टा लटकना अपमान होना कटा सर दे खना चता,
परेशानी कुे का काटना श ु भय घोड़े सेगरना परेशानी चोर दे
खना धन हा न जेब कटना धन हा न झाड
दे
खना नु कसान होना डूबते देखना अ न सू चक द वार गरना धन हा न नल देखना चता नं गा दे
खना क
ा त ऊंचाई सेगरना हा न होना बंक दे खना सं कट आना ब ली दे खना लड़ाई होना भाषण दे ना वाद-
ववाद कौआ दशन अशु भ सू चक ताला लगा होना काय कना भोजनर हत थाली अशु भ सू चक खराब सड़क
पर चलना परे शानी आना  

कु
छ श द के सार उनकेव फल ----
अनु

अ------

खना – भरपु
अखरोट दे र भोजन मले
तथा धन वृ हो

खना - चता मले


अनाज दे
अनार खाना (मीठा ) – धन मले

अजनबी मलना – अ न क पू
व सू
चना

न खाना – व य लाभ
अजवै

खना – सफलता मले


अ यापक दे

अँ
धे खना – वप
रा दे आये

अँ खना – काय म कावट आये


धा दे

खना – धन और मानस मान क


अ सरा दे ा त

खना – धन लाभ हो
अथ दे

अम द खाना – धन मले

अनानास खाना – पहले


परे
शानी फर राहत मले

अदरक खाना – मान स मान बढे

अनार के खाना – शाद शी हो


प े

अमलतास के
फूल – पी लया या कोढ़का रोग होना

खना – शु
अरहर दे भ

अरहर खाना – पे
ट म दद

खना – सर दद या पे
अरबी दे टदद

अलमारी बं खना – धन ा त हो
द दे

अलमारी खु खना – धन हा न हो
ली दे

अंर खाना – व य लाभ


गू

अं खना – चोट लगने


ग र क दे काखतरा

अपने
को आकाश म उड़तेखना – सफलता ा तहो
दे

अपने खना – ल बी उ
पर सरौ का हमला दे

अं
ग कटेखना – वा य लाभ
दे

ग दान करना – उ जवल भ व य , पु


अं र कार

अंली काटना – प रवार मकले


गु श
अं
गू सना – पारवा रकस प त म ववाद
ठा चू

खना – प रवार ममां


अ तेत दे ग लक काय

खना – सं
अ थ दे कट टलना

अं खना – नेरोग
जन दे

अपने
आप को अके खना – ल बी या ा
ला दे

अख़बार पढ़ना, खरीदना – वाद ववाद

अचार खाना , बनाना – सर दद, पे


ट दद

हास करना – खद समाचार मले


अट्

अ य बनना – मान हा न

अ यन करना -असफलता मले

खना – ल बी उ
अपहरण दे

अ भमान करना – अपमा नत होना

अ च खना – औरत से
दे सहयोग मले

अमाव या होना – ःख सं
कट से
छु
टकारा

खना – धा मकअनुान हो
अगरब ी दे

खना – घटना हो
अगरब ी जलती दे

अगरब ी अ पत करना – शु

अपठनीय अ र पढना – खद समाचार मले

अं खना – अशु
गीठ जलती दे भ

अं
गीठ बु खना – शु
झी दे भ

अजीब व तुखना –
दे यजन के
आने
क सू
चना

खना – शु
अजगर दे भ

अ खना – सं
दे कट से
र ा

गार पर चलना – शारी रक क


अं

अं खना सम – अशु
क दे भ
अं खना वषम – शु
क दे भ

अ सेवयं खना – शी क मले


को कटा दे

अपने
दां
त गरतेखना – बं
दे धू
बां
धव कोक हो

आं
सूखना – प रवार ममं
दे गल काय हो

नना – अछा समय आने


आवाज सु वाला है

आं खना – सं
धी दे कट से
छु
टकारा

धी म गरना – सफलता मले


आं गी

-------------------------------------------

आ----

खना –इ छा पू
आइना दे रण हो , अछा दो त मले

आइना म अपना मु
हंखना – नौकरी मपरे
दे शानी , प नी म परे
शानी

खना – ऊचा पद ा त हो
आसमान दे

आसमान म वयं खना – अ छ या ा का सं


को दे के

आसमान म वयं
को गरतेखना –
दे ापारम हा न

खना – गलत तरीके


आग दे सेधन क ा त हो

आग जला कर भोजन बनाना – धन लाभ , नौकरी मतर क

कपडा जलना – अने


आग से , आँ
क ख मले ख का रोग

आजाद होतेखना – अने


दे क च ताओ से
मु

आलूखना – भरपू
दे र भोजन मले

आं खना – मनोकामनापू
वला दे ण न होना

आं
वला खातेखना – मनोकामनापू
दे ण होना

आ खना – सनता क ा त
दे

खना – शारा रकक


आक दे

आम खातेखना – धन औरसं
दे तान का सु

आ लगन दे – काम सु
खना पुष का औरत से खक ा त
आ लगन दे – प त से
खना औरत का पुष से बे
वफाई क सू
चना

आ लगन दे -श ु
खना पुष का पुष से ताबढ़ना

आ लगन दे – धन ा त का सं
खना औरत का औरत से के

खना – ल बी आयु
आ मह या करना या दे

आवारागद करना – धन लाभ होनौकरी मले

आँ खना –
चल दे तयो गताम वजय

आँ
चल से
आं पोछना – अछा समयआने
सू वाला है

आँ ह छपाना – मान समानक


चल म मु
ँ ा त

खना – सं
आरा चलता आ दे कट शी समा त होगे

आरा का आ दे
खना- नए सं
कट आने
का सं
के

दन करना या लखना – ल बी या ाहो


आवे

खना –
आ म दे ापारम घाटा

खना – काय पू
आ ा दे राहो

आइस म खाना – सु
ख शां
त मले

--------------------------------------------

इ-----

इमली खातेखना – औरत केलए शु


दे भ ,पुष केलए अशु

इडली सा भर खातेखना – सभी से


दे सहयोग मले

इ दे त चोरी होना – मृ
व क मू यु
तुयक आये

इ तहार पढना – धोखा मले


, चोरी हो

इ लगाना – अछे
फल क ा त, मान स मान बढे
गा

खना – मान स मान बढे


इमारत दे , धन लाभ हो

खना – क
ट दे मले
गा

इं खना – या ा हो , श ु
जन चलता दे से
सावधान

इ धनु खना – सं
ष दे , धन हा न हो
कट बढे
खना कम का – ःख व्नराशा मले
इ का दे

खना ट का -क कारक त थ
इ का दे

खना पान का -पारवा रक ले


इ का दे श

खना चड़ी का – गृ
इ का दे श ,अ त थ आने
ह ले क सू
चना

--------------------------------------------------------

ल------------------

लं खना -धन वृ हो , वसाय म ते


गर खाना या दे जी आये

लं
गू खना -शु
र दे भ समाचार मले

लं खना -आ थक क ठनाईया बढे


गोट दे

लक र ख चना -गृ
ह कले , अनाव यक झगडे
श बढे हो

खना -सोचा आ काम शी बने


लटकना या लटकतेए दे , आ थक समृ बढे

खना (अपना) – धन वृ हो ,
लड़का गोद म दे वसाय म ते
जी आये

खना (अनजान) – परे


लड़का गोद म दे ,घर म कले
शानी बढे श हो

लड़ना – व ो हय के
साथ – दे
श तथा समाज म अशां
त फै
ले

खना -मान स मान बढे


लगाम दे , धन वृ हो

खना -धन तथा सु


ल मी का च दे ख सौभा य क वृ हो

लहसु खना – धन वृ हो पर तु
न दे अ व्
स जी के ापार म हा न हो

खना – नयी मु
ल कड़ बाघ दे सीबत आने
का सं
के

खना (आग क ) – प रवार म शा त बढे


लपट दे , झगडा ख़तम हो

लाल आँ
खे खना – शु
दे भ फल क ा त

न जलना – चलतेए काम म रोड़ा अटके


लालटे

लालटे झाना – अने


न बु क सम या वयंनपट जाये

खना -आयु
लाट या मीनार दे वृ हो , सु
ख शा त बढे

खना -सु
लाठ दे त म वृ हो ,अ छे
ख शां सहयोगी मले

खना -स सं
लाल ट का दे ग से
लाभ हो, कामो म सफलता मले
लाल व ना – धन नाश हो ,खतरा बढे
दखाई दे

खना -लडाई झगडा व्


लाल आकाश म दे क म वृ ,धन तथा दे
आतं श क हा न हो

लबास (अपने )सफ़े


कपडे खना – सु
द दे ख , शा त तथा समृ म वृ हो

खना – धन दौलत बढे


लबास हरा दे , व य अ चा हो

खना - व य म खराबी आये


लबास पीला दे ,चोरी हो

लबास मै खना -धन हा न हो ,खराब समय आने


ला दे वाला है

लफाफा खोलना -समाज म मानहा न हो , गु


त बात सामने
आये

खना – काफ मे
लोहा दे हनत करने
केबाद सफलता मले

खना – मान स मान बढे


लोहार दे , श ु पर वजय ा त हो

लो बया खाना – धन तथा वसाय म वृ हो

खना या खाना -शु


लौक दे , धन वृ हो ,नौकरी म पद नती हो
भ समाचार मले

--------------------------------------------------------

उ-----

खना – र थान क या ा हो
उजाड़ दे

उ तरा योग करना – या ा मधन लाभ हो

खना – बीमारी क पू
उपवन दे व सू
चना

खना – अशु
उदघाटन दे भ सं
के

खना – शु
उदास दे भ समाचार मले

उधार ले ना – धन लाभ कासं


ना या दे के

वयं
को उड़तेखना – गं
दे भीर घटना क पू
व सू
चना

उछलतेखना - खद समाचार मलने


दे का सं
के

उ लूखना - ख का सं
दे के

ना – ःख मले
उबासी ले

उ टे पहनना – अपमान हो
कपडे

खना – भ व य मसफलता का सं
उजाला दे के

उजले
कपडेखना -इ जत बढे
दे , ववाह हो

उठना और गरना – सं
घषबढे
गा

उलझे
बाल या धागेखना – परे
दे शा नयाबढे
गी

खना – धन हा न , चोरी का भय
उ तरा दे

----------------------------------------------------------

ऊ-------

घना – धन हा न , चोरी का भय
ऊं

ऊं
चाई पर अपने खना – अपमा नत होना
को दे

खना – धन लाभ हो
ऊन दे

ऊं
चे खना – काफ मे
पहाड़ दे हनत के
बाद काय स होना

ऊं
चे खना – मनोकामना पू
वृ दे रीहोने
म समय लगना

----------------------------------

औ---

खना –गलत सं
औषधी दे ग त दे
खना

-----------------------------------------

ऐ-----------------

ऐनक लगतेखना – व ा मले


दे , ख़ु
शी इ जत मले

-----------------------------------------------------

ट-----

टं खना –शु
क खाली दे भल ण

टं खना – अशु
क भरी दे भ घटनाका सं
के

टाई सफे खना – अशु


द दे भ

टाई रं खना – शु
गीन दे भ

टेफोन करना – म ो क संया म वृ


ले

खना – शु
टोकरी खाली दे भल ण
खना – अशु
टोकरी भरी दे भ घटनाका सं
के

टोपी उतारना – मान स मानबढे

टोपी सर पर रखना – अपमान हो

--------------------------

ठ-----

रना –सु
ठ ड म ठठु ख मले

-------------------------------------

च------

खना – कारोबार म उ
चलता प हया दे हो

च पल पहनना – या ा पर जाना

खना – मान स मान बढे


च क दे गा

खना – ःख हो
चमडा दे

चबू खना -मान स मान बढे


तरा दे गा

खना (काली ) – शु
च ान दे भ

खना (सफे
च ान दे द ) – अशु

चपत मारना – धन हा न हो

चपत खाना – शु
भ फल क ा त

खना – आग लगने
चरबी दे का सं
के

चलना जमीन पर -नया रोजगार मले

चलना पानी पर – कारोबार म हा न

चलना आसमान पर – बीमारी आने


का सं
के

च खना – सभी काय बगडे


हण दे

खना – ल बी या ा हो
चमगादर उड़ता दे

खना – अशु
चमगादर लटका दे भ सं
के

खना – नजद क
च मच दे धोखा दे
खना – या ा पर जाना
च पल दे

चटनी खाना – खो म वृ

चरखा चलाना – मशीनरी खराब हो

च मा खोना – चोरी के
संके

चां बतन म ध पीना – सं


द के प म वृ हो

खना – हा न हो
चारपाई दे

टना -गृ
चादर शरीर पर लपे ह ले
श बढे

चादर मै खना – धन लाभ हो


ली दे

ट कर रखना – चोरी होने


चादर समे का सं
के

चं
चल आँ
खे खना – बीमारी आने
दे क सू
चना

चां खना – गृ
द का सामान दे ह ले
श बढे

ट खाना -अ छा समय आने


चोकले वाला है

खना – धन वृ हो
चाय दे

खना – क ठनाई से
चावल दे धन मले

चाकू
देखना – अं
त म वजय

खना – पु
च दे रानेम सेमलन हो

खना – मे
च डया दे हमान आने
का सं
के

खना – धन लाभ हो
च ट दे

खना – परे
च टया ब त अ धक दे शानी आये

खना – बदनामी हो
चील दे

च ट मारना – तु
रत सफलता मले

चु ना – आ थक समृ
बन ले ध हो

चु ना – म ता बढे
बन दे

टक काटना – प रवार म कले


चु श

चु
ं ना – चलते
गी दे काम म कावट
चु ना – आ थक लाभ
गी ले

चु
डै खना -धन हा न हो
ल दे

चू खना -औरत से
हा दे धोखा

चू
हा फं खना – शरीर को क
सा दे

चू
हा चू
हे
दानी सेनकलतेखना – क से
दे मु

चू खना – धन लाभ
हा मरा दे

हा मारना – धन हा न
चू

डया तोड़ना – प त द घायु


चू हो (औरत केलए )

चू खना – उ म भोजन ा त हो
हा दे

रन खाना – बीमारी म लाभ


चू

चक नकलना – धन क
चे ा त

चोर पकड़ना – धन आने


क सू
चना

चोट पर वयं खना – हा न हो


को दे

खना – या ा म सफलता
चोराहा दे

खना – अचानक धन आये


चौक दार दे

चौथ का चाँ खना – ब त अशु


द दे भ

------------------------------------------

ड-----

डं खना –
डा दे मन से
सावधान रहे

डफली बजाना – घर मउ सव क सू
चना

खना – बु
डाक खाना दे रासमाचार मले

खना – शु
डा कया दे भ सू
चना मले

खना – नराशा मले


डॉ टर दे

डाकू
देखना – धन वृ हो

--------------------------------------
त------

तरबू खना –धन लाभ


ज दे

तराजूखना – काय न प
दे पू
ण हो

तबला बजाना – जीवनसु


खपू
वक गु
जरे

खना – मान स मानबढे


त कया दे

खना – श ु
तलवार दे पर वजय

खना -मन शां


तप वी दे त हो

तला पकवान खाना – शु


भ समाचार मले

ना – धन वृ हो
तलाक दे

तमाचा मारना -श ु
पर वजय

तराजू लना – भयं


म तु करबीमारी हो

खना – अशु
तवा खाली दे भल ण

तवे कना – सं
पर रोट से प बढे

तहखाना दे श करना – तीथया ा पर जाने


खना या उसमेवे का सं
के

खना – सरकार से
ता बा दे लाभ मले

रना – व य लाभ
तालाब म तै

खना -चलते
ताला दे काम म कावट

खना – बगडे
ताली दे कामबने
गे

तां खना – सु
गा दे , सवारी कालाभ हो
ख मले

धना – काम महा न हो


ताबीज बां

खना – शु
ताबीज़ दे भ समय काआगमन

खना – म अथवापडोसी से
ताश दे लडाई हो

खना – अशु
तारा दे भ

खना – ववाह होया े


ततली दे मका मले

ततली उड़ कर र जाना – दां


प यजीवन म ले
श हो
खना – कारोबारम लाभ
तल दे

खना – लडाई झगडाहो


तराहा दे

शू खना – अ छामाग दशन मले


ल दे

मू खना – सरकारीनौकरी मले


त दे

ततली पकड़ना – नई सं
तानहो

द करना – धन वृ हो
तजोरी बं

तजोरी टू खना – कारोबारम बढोतरी


टती दे

तलक करना – ापारबढे

तू
फान दे
खना या उसमे
फँसना – सं
कट से
छु
टकारा मले

ते
ल या ते खना – सम या बढे
ली दे

तोलना –महं
गाई बढे

खना -श ु
तोप दे पर वजय

खना – ख़ु
तोता दे शी मले

खना – पे
त द बढ़ दे ट मपरे
शानी हो

खना – व यलाभ हो
तो लया दे

------------------------------------------

थ-----

थ पर खाना –काय म सफलता

थ पर मारना – झगडे
मफँ
सना

थक जाना – काय मसफलता मले

पना -मान स मान बढे


थर थर कं

खना – अशु
थाली भरी दे भ

खना – सफलता मले


थाली खाली दे

कना –मान स मान बढे


थू

थै खना – जमीनजायदाद म वृ
ली भरी दे
थै खना – जमीनजायदाद म झगडा हो
ली खाली दे

----------------------------------------------------------

ध--------------

नना –क बढे
धमाका सु

रा खाना – सं
धतू कट से
बचना

खना – या ा परजाना पढ़े


ध नया हरा दे

धनु खना – सभी कम म सफलता मले


ष दे

ध बेखना – शु
दे भ सं
के

खना –
धरोहर लाना या दे ापारम हा न ह

खना – शु
धा मक आयोजना दे भ सं
के

खना – काय मवृ ह


धागा दे

धु खना – मान स मानम वृ ह


री दे

धु खना – क बढे
आ दे , परे
शानीम फं
सना पढ़े

धु खना – शु
ध दे
ं भ समाचार मले

धु नना – परे
न सु शानीबढे

धू खना – परे
मधाम दे शानीबढे

धू खना – या ा ह
ल दे

खना – काम मसफलता मले


धोबी दे

खना – या ा परजाना पड़े


धोती दे

-------------------------------------------------

म-----

खना – अपमा नत होना पड़े


मछर दे

खना – गृ
मछली दे ह थी का सु
ख मले

खना – धन हा न हो
मखी दे
खना – ब त अ धक मे
मकडी दे हनत करनी पड़े

मकान बनतेखना – मान स मान म वृ हो


दे

मलाई खाना – धन वृ हो

मं खना – खु
दर या म जद दे शहाली बढे

मं
दर म पु खना – गृ
जारी दे ह कले
श बढे

मर जाना – धन वृ हो

ठना – ल बी बीमारी आये


मखमल पर बै

खना – शु
मगरमच दे भ समाचार मले

खना – मान स मान म वृ हो


मंी दे

माला ( पू
जा वाली ) शु
भ समय आने
का सं
के

माला फू
ल क पहनाना- मान स मान म वृ हो

मातम करना – खु
शहाली बढे

खना – घर म समृ
माली दे ध बढे

मच खाना – काम म सफलता मले

मग से खना – बु ते
पी ड़त होना या दे ज हो

टना – बगडे
मठाई खाना या बाँ काम बने

मीट खाना – मनोकामना पू


रण हो

मु
दा उठा कर ले
जातेखना – बना कमाया माल मले
दे

मु खना – चता र हो
द को ज दा दे

मु आवाज़ आना – बना काम बगड़ जाना


दा शारीर से

मु
द का समू खना – गलत सोसाइट म काम करना पड़े
ह दे

द को नहलाना – धन वृ हो
मु

मु
द को कु ना – शु
छ दे भ समाचार

मु साथ खाना -अ छा समय आये


द के

मु खना - वदे
गा दे श ापार बढे
मु खना -गृ
ग दे ह थी का सु
ख मले

मोहर लगाना – धन वृ हो

मु
रझाये
फू खना – सं
ल दे तान को क हो

मु
डन कराना या होते
ं खना -गृ
दे ह थी का तनाव र हो

मु खना – कारोबार म उ
हरम दे हो

मू खना – कारोबार म उ
गा पहनना या दे
ं हो

मू
ग मसू
ं खना – अने
र या मोठ दे क परे
शानी हो

खना -या ा लाभदायक हो


मोची दे

खना – झगडे
मोम दे या ववाद म समझोता हो

मोर नाचतेखना – शु
दे भ समाचार मले

खना – दां
मोर मोरनी दे प य सु
ख म वृ हो

मोजा पहनना – प त प नी म े
म बड़े

खना – ववाह हो
मोमब ी दे

----------------------------------------------------

व-----

खना – क ठनाई बढे


वक ल दे , झगडा हो

वजीफा पाना -काम म असफलता मले


, धनहा न हो

खना या डालना -घर म कले


वरमाला दे श हो म से
लडाई हो

वसीयत करना -भू


म स ब धी ववाद हो , घर म तनाव बढे

वायदा करना – झू
ठ बोलने
क आदत पढ़े

हसना -मान स मान का यान रखे


वाह वाह करके ,श ु
बदनाम करगे

वा नश करना (घर क व तु पर)- प रवार पर सं , व य खराब हो


कट आये

वा प उड़तेखना – धनहा न हो , घटना तथा शारी रक क हो


दे

ना –
वदाई समारोह म भाग ले ापार म ते , धन वृ हो
जी आये

खना – धन हा न हो
वमान दे
व फोट दे नना – नया कारोबार शु हो , बड़े
खना या सु य से
मु
लाकात हो

वीणा बजाना ( वयंारा) – धन धा य तथा समृ ा त हो

वीणा बजाना – शोक समारोह म शा मल होना पड़े


, ( सरो ारा)मान सक क हो

खना – अशु
वृा दे भ समाचार मले

-------------------------------------------------------------

द-----

दरवाजा बं खना – चता बढे


द दे

खना -धन लाभ हो


दही दे

खना – व य कु
द लया खाना या दे छ समय केलए ख़राब हो

खना – घर म फू
दरार दे ट

खना – काम म आल य हो
दलदल दे

दरवाजा खोलना – नया काय शु हो

दरवाजा गरना – अशु


भ सं
के

द णा ले ना –
ना या दे ापार म घाटा

दमकल चलाना – धन वृ हो

खना – मान सक अशां


दपण दे त

द ताना पहनना – शु
भ समाचार

दहे
ज़ ले ना – चोरी क स भावना
ना या दे

दरजी को काम करतेखना – कोट से


दे छुटकारा

दवा खाना या खलाना – अ छा म मले

दवा गरना – बीमारी र हो

दां टना – शु
त टू भ

दां खना -नया काय शु हो


त म दद दे

खना – मान सक परे


दाडी दे शानी हो

दादा या दाद दे त हो – मान स मान बढे


खना जो मृ
ना – धन वृ हो
दान ले

ना – धन हा न हो
दान दे

दाह खना – सोचा आ काय बनने


या दे केसं
के

न करना -क
दातु मटे

दाना डालना प यो को – ापार म लाभ हो

खना – चोरी हो
दाग दे

खना -पुी को क हो
दामाद दे

दाल कपड़ो पर गरना -शु


भल ण

दाल पीना – काय म कावट

दाढ़ सफे खना – काम म


द दे कावट

खना – धन वृ हो
दाढ़ काली दे

दया सलाई जलाना – मनी बढे

द पक बु ना – नया काय शु हो
झा दे

द पक जलाना – अशु
भ समाचार मले

खना –
द वाली दे ापार म घाटा हो

खना – मान स मान बढे


द पक दे

खना – सु
हन दे ख मले

कान करना – मान स मान बढे

चना – मानहा न हो
कान बे

कान खरीदना – धन का लाभ होना

द होना – क
कान बं म वृ हो

खना – व य म सु
प ा दे धार ह

हा / हन बनना – मानहा न ह

हा / खना -बीमारी आये


हन बारात स हत दे

खना – मान स मान म हा न ह


रबीन दे
खना – आ थक लाभ मले
ध दे

ठना –
कान पर बै ,धन लाभ ह
त बढे

दे मं ा त होना – नए काय म सफलता


वता से

दे
वी दे खना – सु
वता दे ख सं
प क वृ होना

खना – धन सं
दोना दे प ा त होना

दोमु
हा सां खना – घटना ह , म
प दे ारा व ासघात मले

दौड़ना – काय म असफलता ह

दे
वी दे खना – कृण – े
वता दे म सं
बं
धो म वृ

दे
वी दे खना – राम – सफलता मले
वता दे

दे
वी दे खना – शव – मान सक शां
वता दे त बढे

दे
वी दे खना – व णु
वता दे – सफलता मले

दे
वी दे खना –
वता दे ा – अ छा समय आने
वाला है

दे
वी दे खना – हनु
वता दे मान -श ु
का नाश हो

दे
वी दे खना – गा – रोग र हो
वता दे

दे
वी दे खना – सीता – पहले
वता दे क मलेफर समृ
ध हो

दे
वी दे खना – राधा – शारी रक सु
वता दे ख मले

दे
वी दे खना – ल मी – धन ध य क
वता दे ा त हो

दे
वी दे खना – सर वती -भ व य सु
वता दे खद हो

दे
वी दे खना – पावती – सफलता मले
वता दे

दे
वी दे खना – नारद - र से
वता दे शु ..
भ समाचार मले

------------------------------------------------------

क----

क खोदना – धन पाए , मकान बनाये

का – अ छा सपना है
क ल करना वयं , बु
रे
काम से
बचे

खना – अपमान सहना , परे


कद अपना छोटा दे शानी उठाना
खना – भारी सं
कद अपना बड़ा दे कट आना

कसम खातेखना – सं
दे तान का ःख भोगना

खना – व ा धन क
कलम दे ा त

ना – खु
कजा दे शहाली आये

ना –
कजा ले ापार म हा न

खना – मान समान बढे


कला कृतया दे

कपू खना –
र दे ापार म लाभ

खना – अ छेदन क शुआत


कबाडी दे

कबू खना – े
तर दे मका सेमलना

कबू ड – शु
तर का झु
ं भ समाचार मले

ल – ान क
कमल का फू ा त

खना – सु
कपास दे ख समृ
ध हो

कं खना – अपमान हो
गन दे

खना – पे
क दे ट दद

खना – धन वृ हो
क या दे

खना – ल बी उ
कफन दे

खना – वा य खराब हो
कली दे

कछु खना – शु
आ दे भ समाचार मले

खना – सफलता
कलश दे

खना – बीमारी आये


क बल दे

कपडा धोना – पहले कावट , फर लाभ

खना – श मदगी उठानी पड़े


कटा सर दे गी

क खना – नराशा हो
तान दे

कं खना – चोट लगना , दां


घी दे त या कान म दद

कसरत – बीमारी आने


क सू
चना
काली आँ
खे खना –
दे ापार म लाभ

काला रं खना – शु
ग दे भ फल

खाना – नया
काजू ापार शु हो

खना – शु
कान दे भ समाचार

कान साफ करना – अ छ बातो का ान

काउं खना – ले
टर दे ने
दे
ने
म लाभ हो

खना – घटना म फसने


कारखाना दे क सू
चना

खना – लाभ हो
काली ब ली दे

कु

डल पहनेखना – सं
दे कट हो

कु खना – काय म व न
बडा दे

कु
मकु खना – काय म सफलता
म दे

खना – प र म अ धक, लाभ कम


कुहाडी दे

कुा भ कना – लोगो ारा मजाक उड़ना

–श ु
कुा झपटे क हार

कु खना – नौकरी मले


स खाली दे

कू
ड़ेका ढे खना – क ठनाई के
र दे बाद धन मले

खना – ख़ु
कला दे शी ा त हो

खना / ठोकना – प रवार म बटवारा हो


क ल दे

के वारना – तीथ या ा
श सं

ला खाना / दे
के खना – ख़ु
शी हो

के खना – अ छ व तुमले
क दे

कै खना – अपने
मरा दे भेद छपा कर रखे

खना – धन का लाभ
कोढ़ दे

कोहरा – सं
कट समा त हो

खना – ःख मले
कोठ दे
खना / सु
कोयल दे नना – शु
भ समाचार

खना – शु
कोया दे भ सं
के

कसी ऊं
चेथान से
कूदना – असफलता

नर कं खना – उ बढने
काल दे का सं
के

जप करना – वजय

खना – मृ
कद ल बा दे यु
तुय क हो

कद घटना – अपमान हो

खना – बनते
कटोरा दे काम बगढ़ना

खना – शु
कन तर खाली दे भ

खना – अशु
कन तर भरा दे भ

कमं खना – प रवार केकसी सद य सेवयोग


डल दे

करवा चौथ – औरत दे


खेतो आजीवन सधवा, पुष दे
खेतो धन धा य सं
पू
रण

कागज कोरा – शु

खना – अशु
कागज लखा दे भ

सफे
द कु खना – शु
रता दे भ

अ य रं
ग का कु खना – अशु
रता दे भ

कु
स पर वयं
को बै
ठेखना – नया पद, पदोनती
दे

कु
स पर अ य को बै
ठेखना – अपमान
दे

क खोदना – मकान का नमाण करना

कपू खना –
र दे ापार नौकरी म लाभ

कबू खना – े
तर दे मका सेमलन

कपडा बे
चतेखना –
दे ापार म लाभ

कपडे
पर खू दाग –
न के थ बदनामी

कछु खना – धन आशा से


आ दे अ धक मलना

खना – सा वक भोजन म आनं


कमल ककडी दे द, ख़ु
शी मले
खना – सु
कपास दे ख, समृ
ध घर आये

करी खाना – वधवा सेववाह, वधु


र सेववाह

पाण – धरम काय पू


कृ ण होने
क सू
चना

खना – शु
कान दे भ समाचार

कान कट जाना – अपन सेवयोग

खना – काय मे
काला कुा दे सफलता

काउं खना – ले
टर दे न दे
न म लाभ

खना – शु
काली ब ली दे भ समाचार

खना – अशु
पीली ब ली दे भ समाचार

काना खना – अनकू


दे ल समय नह

खना – श
क डा दे का तीक

खना – शु
कुहार दे भ समाचार

के खना – दां
तली दे प य जीवन म शां
त हो

के खना या खाना – शु
ला दे भ समाचार

कची – अकारण कसी से


वाद- ववाद होना

खना – ःख मले
कोठ दे

खना – े
कोयला दे म के
जाल म फँ
स कर ःख पाए

कु
रान- सु
ख शां  
त क भावना बढे

------------------------------------------------------

र-----

रजाई ओड़ना – धन मले

रजाई नई बनवाना – थान प रवतन हो

रजाई फट पु खना – शु
रानी दे भ काय केलए नमंण हो

टना – सफलता मले


र सी लपे

खना -या ा करनी पड़े


रथ दे
रसभरी खाना – ववाह हो

ला खाना – धन वृ हो
रसगु

र खना – का आ धन मले
दे

ग करना – स बं
रं धत वा तु
क हा न हो

र ा करना – मान स मान म वृ हो

करना – नई व
रफू ो या आभू
षनो क ा त हो

र ा बं खना – धन वृ हो
धन दे

खना – अ छा भोजन मले


रसोई घर ग दा दे

खना -धन का सं
रसोई घर वछ दे कट आये

खना (साफ) -तर क मले


रा ता दे

खना (टे
रा ता दे डा ) परे
ड़ा मे शानी हो

खना – धन नाश हो
राख दे

रॉके खना – धन सं
ट दे प म वृ हो

खना -परे
रात दे शानी आये

खना – काम म
राइ दे कावट आये

खना – सं
रा श दे कट आये

खना – सु
रामलीला दे ख सौभा य म वृ

ना – सावधान रहे
र त ले

रवा वर चलाना – श ु
ता समा त हो

र शा दे
खना या उसमेठना – स
बै ा बढे

रे
लवेटे खना -लाभदायक या ा हो
शन दे

रे खना – क दायक या ा हो
ल दे

रे खना – ग त म
डयो बजता दे कावट हो

खना – आ थक लाभ हो
रे जरटर दे

रे खना – धन स पदा म वृ
ग तान दे
रोजा रखना – आ थक सं
कट आने
का सं
के

रोना – मान स मान म वृ हो

रोशनदान सेखना – वदे


दे श से
धन क ा त हो

रोट खाना या पकाना – बीमारी आने


का सं
के

टना – धन लाभ हो
रोट बाँ

खना – दे
रोट फकना या गरी ई दे , वदे
श म मन न लगे श क या ा शी हो

-----------------------------------------------

खना – सरकार से
याही दे स मान मले

टोव जलाना – भोजन अ छा मले

सं खना – धन वृ हो
डास दे

सं
गीत दे नना – क बढे
खना या सु

खना – प नी से
संक दे , अचानक धन मले
वा करे

सगाई दे शा मल होना -
खना या उसमे

सजा पाना – सं
कट से
छुटकारा मलाना

लना – धोखा होने


स ा खे का सं
के

सलाद खातेखना – धन वृ हो
दे

खना – ब त मे
सकस दे हनत करनी पड़े

खना – मान स मान बढे


सलाई दे

सरस का साग खाना – बीमारी र हो

खना –
सरस दे ापार म लाभ हो

ससु खना – शु
र दे भ समाचार मले

खना – वदे
सर कटा दे श या ा हो

खना – कारोबार म हा न हो
सर फटा दे

डाना – गृ
सर मु
ं ह कले
श म वृ हो
सर के
बाल झड़तेखना – क़ज़ से
दे मु मले

राल जाना – गृ
ससु ह कले
श म वृ हो

समुपार करना – उन मले

खना -सफलता मले


साइ कल दे

साइ कल चलाना – काम म तर क मले

खना –
साइन बोड दे ापार म लाभ हो

खना – जीवन म ख़ु
सावन दे शी मले

खना – ववाह हो , दा प य जीवन म सु


साडी दे ख मले

खना – धन वृ हो
सारस दे

खना – दा प य जीवन म सु
साला या साली दे ख हो , मे , धनवृ हो
हमान आये

सागर सू खना -बीमारी आये


खता दे , अकाल पड़े

गी बजाना – अपयश मले


सारं , धन हा न हो

खना – अचानक ववाद हो , सावधान रहे


साग दे

साबु खना – व य लाभ हो , बीमारी र हो


न दे

प मारना या पकड़ना –
सां मन पर वजय हो , अचानक धन मले

सां डर जाना -नजद क म सेव ासघात मले


प से

सां बात करना -श ु


प से सेलाभ मले

सां
प ने
वले खना – कोट कचे
क लडाई दे हरी जाना पड़े

सां
प के
दां खना -नजद क र ते
त दे दार हा न प ं
चाएं
गे

प छ सेगरना – घर म बीमारी आये


सां तथा कोट कचहरी म हा न हो

सां
प का मां खना या खाना – अपार धन आये
स दे पर तु
घर म धन के
नह

खना – कानू
सपाही दे न केवपरीत काम कारने
का सं
के

सने खना – समय


मा दे थ म न हो

सगरे
ट पीतेखना - थ म धन बबाद हो
दे

खना – प त प नी म झगडा हो
सलाई मशीन दे
सलाई करना – बगडा काम बन जाये

खना -धन हा न हो , बीमारी आये


सयार दे

खना – घटना क स भावना


स र दे

वता पर चडाना – मनोकामना पू


स र दे ण हो

खना -कु
सीताफल दे छ समय के
बाद गरीबी र होगी

खना -मान स मान बढे


सीता जी को दे

सीमा पार करना - वदे


श ापार म लाभ हो

खना – उसे
स पी दे दे पर हा न , उठाने
खने पर लाभ

सीना चौडा होना – लोक यता म वृ हो

सीड़ी पर चढ़ना – काम म असफलता मले

सु खना – साथी से
नहार दे धोखा मले

सु धना -गरीबी आये


टली कमर म बं , सं
घष करना पढ़े

सु खना (लोहे
भा दे , ववाह हो
का)- काय म सफलता मले

सु
दशन च खना – बईमानी का दं
दे ड शी मले

सु खना - ववाह शी हो , म
पारी दे क संया म वृ हो

सु
नहरी रं खना – का आ धन मले
ग दे

सु
रं
ग दे
खना या सु
रं श करना – नया काय आरं
ग म वे भ हो

सू खना – एक दे
ई दे खने
पर सु
ख तथा अने
क दे
खने
पर क म वृ हो

सु खना – शोक समाचार मले


लगती आग दे

सु
दर खना – मान स मान म हा न हो
ी दे

सु
नहरी धू खना – सरकार से
प दे धन लाभ हो , मान स मान बढे

सु खना – गृ
राही दे ह थी म तनाव हो , प त या प नी का च र ख़राब हो , रोग र हो

सु
गं स करना – चमड़ी क बीमारी आये
ध महसू

सु खना – बलवृ हो
नसान जगह दे

सू
द ले
तेखना – मुत का धन मले
दे
सू
द दे
तेखना -धन नाश हो , गरीबी आये
दे

ली पर चढ़ना – च ताओ से
सू मु हो , शु
भ समाचार मले

सू खना – धन सं
य दे प तथा मान स मान बढे

सू
य क तरह अपना चे खना – पु
हरा चमकता दे , मान स मान बढे
र कार मले

सू खना – बु
अर दे रे
काम म फँ , बु
सना पड़े रे
लोग से
दो ती हो तथा मानहा न हो

अर का ध पीना – च र खराब हो , जे
सू ल जाना पढ़े

सू
रजमु
खी का फू खना – सं
ल दे कट आने
क सू
चना

सू
यच खना – मृ
आ द का वनाश दे युतुय क मले

से खना – धन हा न हो पर तु
म क फली दे अ छा भोजन मले

से खना – ःख व्
ब का फल दे सु
ख म बराबर वृ हो

सध लगाना – ये
व तु
गु
म होना

वा करना – मे
से हनत का फल मले
गा

वा करवाना – व य खराब होने


से केल ण है

से धना – दा प य जीवन म कले


हरा बं श क सं
भावना

सै खना – साहस म वृ हो
नक दे

स ठ खाना – धन हा न हो , व य म सु
धार हो

खना – प रवार म बीमारी बढे


सोना दे , धन हा न हो

सोना मलना – धन वृ हो

सोना सरे ना – अपनी मु


को दे खता सेसर को लाभ प ं
चाना

टाना – परे
सोना लु , अपमान सहना पढ़े
शा नया बढे

सोना गरवी रखना – बईमानी करे


और अपमान हो

सोतेए शे खना – नडरता से


र को दे , सफलता मले
काय करे गी

सोलह ृ खना - व य खराब होने


गार दे
ं का सं
के

खना – श
व म मा नक र न दे तथा अ धकार म वृ

खना – मान सक शां


व म मोती र न दे त मले
व म मू खना – श ु
गा र न दे
ं पर वजय मले

खना –
व म प ा र न दे वसाय म वृ हो

व म पु खना -वै
खराज र न दे र वरोध क भावना बढे

खना – आ थक ग त हो
व म हीरा र न दे

खना – उ
व म नीलम र न दे हो

व म गोमे खना – सम या अचानक आये


द र न दे

व म लहसु खना – मान स मान बढे


नया र न दे

व म फे खना –
रोज़ा र न दे वसाय म वृ

---------------------------------------------

------

गार करना – े
ं म सं
ग म वृ हो

टना – दां
गार दान टू
ं प य जीवन म सु
ख व्
सफलता मले

-----------------------------------------------

ड-----

डं खना –
डा दे मन से
सावधान रहे

डफली बजाना – घर म उ सव क सू
चना

खना – बु
डाक खाना दे रा समाचार मले

खना – शु
डा कया दे भ सू
चना मले

खना – नराशा मले


डॉ टर दे

डाकू
देखना – धन वृ हो

--------------------------------------

व का ब त बड़ा व ान है। यह जीवन- दशा को बदलने वाला, नीरस को सरस बनानेवाला होता है
।यद
हम व के तीक क ◌ो समझ सक, उसक सां केतक भाषा को जान सक तो व म ब त लाभा वत हो
सकतेह। सचमुच यह गू
ढ़ व ा है। व अ छा हो या बुरा, य द सही जानकारी होती है
तो अ न से बचा जा
सकता हैऔर इ को संपा दत कया जा सकता है।
व के अनेक कार होते ह। काल केआधार पर भी उनका वभाजन होता है। कुछ व दन म आते ह और
कुछ रात म। कु
छ रात केपहलेहर म और कु छ सरे -तीसरे
और चौथेहर म। कौन-सा क याणकारी होता
हैऔर कौन सा अक याणकारी - इसे सब नह जानते । व शा के भी अपनेनयम ह। एक नयम हैक
क याणकारी व आने के न: न द नह ले
बाद त काल उठकर ई र जाप म लग जाना चा हए। पु नी चा हए।
न: सो जाते
जो पु ह, उनकेव का इ प रणाम न हो जाता है । दन म लये जाने वालेव को दवा व
कहते ह। इनम भी क पना होती है
। ये
यथाथ भी होते
ह। 

व केवषय म हमारी जानकारी ब त ही कम है । य द पू


री जानकारी हो तो उससे
पूरा लाभ उठाया जा
सकता है। वा य, संपदा, ापार, आ या म वकास आ द के साथ व जु ड़ेये
होते ह। एक वदेशी
ले
खक क टां गेटू
ट गयी। उसनेव म दे खा क एक फ र ता आया है , उसक टां गे
ठ क कर रहा है
। ात: वह
उठा, दे
खा क उसक टां गेठ क ह। वह चल- फर सकता है। 

अ या म- व ा ने व तु
क न रशीलता को दखाने केलए व क उपमा द गयी है । जै सेव क चीज
न र होती ह, व न र होता है, वैसेही सं
सार के सभी पदाथ न र ह। एक भखारी नेव दे खा क वह
राजा बन गया है
। उसकेमहल ह, रा नयां ह, हाथी-घोड़े
ह और वह ठाट-बाट सेरह रहा है। इतने
म ही एक
कुा आता है और सरहाने रखेभ ापा को चाटने लगता है
। भ ापा फू ट जाता है। उसकेव का
राजसी ठाट-बाट भी चु
क जाता है। यह हैसंसार क न रता। 

व के दे
वता पर, यो तषी और व पर पू रा भरोसा करना खतरेसे
खाली नह होता। कु
छ लोग कहतेह क
मु
झेव म दे वता नेऐसा कहा है
। वह उसकेअनुसार काम करता हैऔर फं
स जाता है
। इसम एक बात और है
क व क भाषा को समझना ब त क ठन होता है । उसम दखता कुछ हैऔर उसका अथ कु छ और ही होता
है
। इसी लए येसारी गड़ब ड़यांहोती ह।

न आगम म तीथकर, च वत , बलदे


जै व और वासु दे
व क माताएं
गभाव था सेपू
व व दे
खती ह। वेव
व तु
परक होतेह। उनम कलश, छ , सरोवर, माला आ द-आ द देखे ह। उनका अथ भ - भ होता है
जाते ।
येसारेतीक ह। इन तीक का सही अथ जानना सहज नह होता। सभी तीथकर के तीक च ह। कसी
ग, कसी का शे
का मृ र, कसी का छ और कसी का सप। ये सब तीक ह।

व भी तीका मक होते ह। दन म जो घटनाएं घटती ह, उनकेव भी आते ह। यह पुनरावृ होती है



चे
तन मन म जो बात रही, वह अचे तन मन के ारा कट हो जाती है । कु
छ बात का पूवाभास भी होता है
। जो
घटना भ व य म घ टत होने , उसको पहले
वाली है ही जान लया जाता है। यह है
पूवाभास। यह ब त सही
होता है। अ या म केलोग ने इस सं सार को दो-तीन उपमा म उप मत कया है - व , इंजाल और
मृ
गमरी चका। सं सार व - जै सा है। सं
सार इंजाल के समान है
। संसार मृ
गमरी चका के समान है
। भारतीय
सा ह य म व क ब त चचा ा त है । भारतीय व ा क अने क शाखा म व केवषय म ब त लखा
गया है। अ ां
ग न म शा का अं ग है- व शा । भारत के लोग व म ब त व ास करते रहेह। ढाई-
तीन हजार वष पु रानेसा ह य म व -पाठक का व तार से उ लेख ा त है । व -पाठक व को सु नकर
उसका फल बताते थे
। उनका फल- न पण अ रश: सही होता था। य को गभाव था म व आने क
बात मलती है । वेव -पाठक से उस व का फलाफल जान ले ती थी। जै
न सा ह य, बौ सा ह य म व
क घटनाएंचु रता सेा त ह। 

न द और व का सं बंध है
। ये
क व दे
खता है
। वह उसे या नह , व
याद रख सके षण कर सके

या नह , यह सरी बात है
। 
व ान क अने क खोज के साथ व क बात जु ड़ी ई है। वैा नक को पूरा समाधान नह मल रहा था,।
व ने उसक गु थी सु
लझा द । सलाई मशीन क खोज ई। पू रा समाधान नह मला। व म समाधान
मल गया। मनो व ान का पूरा एक वभाग ' व - व ान' से जु
ड़ा आ है । वशे षाव यक भा य म बताया गया
हैक सं कार केकारण व आते ह। मनो व ान मानता हैक द मत इ छाएं , अवचे तन मन क इ छाएं,
व म कट होती ह। दन म चे तन मन काम करता है। चे
तन म बु है , तक है , काट-छां
ट करने
क श है

वह दन म कायरत रहता है। जब आदमी सो जाता है तब वह न य हो जाता है और अवचे तन मन स य
हो जाता है

व त,
ु या अनुभूत घटना का ही आता है ।अ ु त, अ या अननु भू
त घटना का कभी व नह आता।
कुछ लोग कहतेह - हम ऐसा व आया जसका य न ु त था, न था और न अनु भू
त था। यह बात
अ यथा भी नह है। इसका भी पुकारण है । हमारी मृत के
वल इस म त क क मृ त नह है, इससेपरेक
मृ , पु
त है वज म के संकार क मृ त है। इन सं कार क परत हमारे म त क म है। सं
भव है आज का
म त क- व ानी इसे न जान पाया हो। अभी म त क के अनेक रह य अ ात ह। हजार -हजार वैा नक
म त क के अ ययन म सं ल न ह, पर आज भी वह रह य बना आ है । 

1. व मे
कोई दे
वता दखाई दे
तो लाभ के । 
साथ-साथ सफलता मलती है

2. व म कोई गौमाता के
दशन करता है
यह अ य त शु
भ होता है
। उस को यश, वै
भव एवं
प रवार वृ का लाभ मलता 

। 
है

3. व म गाय का ध दोहना धन ाç त का सू । 
चक है

4. सफे
द घोडे
का दखाई दे
ना-सु
दर भा य के
साथ-साथ धन क । 
ा त कराता है

5. व म चू
ह का दखाई दे
ना उ म भा य का तीक माना जाता है । 
जो धन दायक है

6. व म नीलक ठ या सारस दखता है


उसे
राज स मान के । 
साथ-साथ धन लाभ भी होता है

7. व म च प ी दखने । 
पर अनायास धन ाç त होती है

8. य द मरी ई चç◌़डया दखाई दे । 


तो अनायास ही धन लाभ होता है

9. व म तोते
को खाता आ दे
खना चू । 
र मा ा म धन ाç त माना जाता है

10. व म य द घ घा दखाई दे
तो के
वेतन म वृ तथा । 
ापार म लाभ होता है

11. व म सफे
द ची टयाँ
धन लाभ कराती हं। 
◌ै

12. व म कालेब छू । 
का दखना धन दलवाता है

13. व म ने
वले
का दखाई दे
ना वणाभू
षण क ाç त करवाता है

14. मधु
म खी का छ ा दे
खना शु
भ शकु
न है । 
जो धन दायक है

15. सप को फन उठायेयेव म दे
खना धन ाç त का सू । 
चक होता है
16. सप य द बल म जाता या आता आ दखाई दे
तो यह अनायास धन ाç त का सू । 
चक होता है

17. व म आम का बाग दे
खना या बाग म घू
मना अनायास धन क । 
ाç त करवाता है

18. व म कद ब केवृ को दे
खना ब त ही शुभ होता है
जो को धन-दौलत नरोगी काया मान
स मान एवं । 
राजस मान क ाç त करवाता है

19. य द हाथ क छोट अं


गु
ली म अं
गू
ठ पहन तो अनायास ही धन क ाç त। 

20. व म कान म कुडल धारण करना शु


भ शकु
न होता है । 
जो धन ाç त कराता है

21. व म नतक नृ । 
य करती दखाई द तो यह धन दायक है

22. सफे
द चू
डयां
दे
खना धन आगमन का सू । 
चक है

23. व से
कु द-कु
मु मु
दनी को दे । 
खना धनदायक होता है

24. व म कसान को दे । 
खना धन लाभ कराता है

25. व म गौ, हाथी, अ , महल, पवत और वृ पर चढ़ना भोजन करना तथा रोना धन दायक कहा गया
। 
है

26. व म यु म घायल शरीर दखाई द तो धनदायक। 

डत " वशाल" दयान द शा ी पर 3:01:00 pm


पं

कोई ट पणी नह :

‹ › मुयपृ वे
ब वशन दे

मे
रे
बारे

डत " वशाल" दयान द शा


पं ी
UJJAIN, MADHYAPRADESH, India

Thank you very much.. ीमान जी, आपके हे तु


ध यवाद.. महोदय,मेरी सलाह/परामश से वाएंनशुक/ उपल ध नह
ह..अ धक जानकारी हेतु, लीज आप मेरेलॉ स/फे सबु
क दे
ख सकते ह/ न र ण कर सकते ह, फॉलो कर सकते ह.. *पु
नः आपका
आभार.ध यवाद.. मै‘पं
. " वशाल" दयान द शा ी, Worked as a Professional astrologer & an vastu Adviser at self
employed. I am an Vedic Astrologer & an Vastu Expert and Palmist. अपने बारेम यो तषीय जानकारी चाहनेवाले
सभी जातक/जा तका … मु झेअपनी ज म त थ,..ज म थान, ज म समय.ओर गो आ द क पू ण जानकारी दे
तेए समस या ईमे ल कर
दे
वे..समय मलने पर म वयं उहउ े र दे
नेका यास क ँ गा.. यह सुवधा सशु क ह… आप चाहे तो मु
झसेफे क /Linkedin/ twitter
सबु
/https://branded.me/ptdayanandshastri पर भी सं पक/ बातचीत कर सकते .. —-पं
हे डत दयान द शा ी” वशाल”, मे
रा
क टेट नं —- MOB.—-0091–9669290067(M.P.)— —Waataaap—0091–9039390067…. मे
बर हे रा ईमे
लए े ..—- –
स हे
vastushastri08@gmail​.com, –vastushastri08@hot​ mail.com; (Consultation fee— —-For Kundali-2100/-
rupees…।। —For Vastu Visit–11,000/-(1000 squre feet) एवम्
आवास, भोजन तथा या ा य अ त र …।। —For Palm
reading/ hastrekha–2100/- rupees…।

मे
रा पू
रा ोफ़ाइल दे

Blogger ारा सं
चा लत.

Das könnte Ihnen auch gefallen