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http://jyoteeshpragya.blogspot.com/2012/03/know-about-you-dreamstheir-effects.html?m=1
आधु नक व ान म पा ा य वचारक सगमं ड ायड नेइस वषय म कहा हैक व '' मानव क दबी ई
इ छा का काशन करते ह जनको हमने अपनी जा त अव था म कभी-कभी वचारा होता है
। अथात
व हमारी वो इ छाएंह जो कसी भी कार के भय सेजा त्
अव था म पूण नह हो पाती ह व व म
साकार होकर हम मान सक सं तु व तृत दे
ती है
।
सपने ?
या व आतेय है
इस का कोई ठोस ामा णक उ र आज तक खोजा नह जा सका है । ायः यह माना जाता हैक व या
सपने आने का एक कारण ÷न द' भी हो सकता है
। व ान मानता हैक न द का हमारे
म त क म होने वाले
उन प रवतन से संबं , जो सीखने
ध होता है और याददा त बढ़ाने केसाथ-साथ मांस पे
शय को भी आराम
प ंचाने
म सहायक होते ह। इस न द क ही अव था म यूरॉन (म त क क को शकाएं ) पु
नः स य हो जाती
ह।
रा ी म सुत अव था म दे
खेगए व केव जाल म घरा वह सारा दन एक अजीब सी खु शी का अनु
भव
करता है.एक अजीब सी ऊजा उसके . मनु
भीतर वा हत होतीरहती है , जो बु
य वभाव ही ऐसा है रेव के
.और अ छेव के
फल को भी जानना चाहता है फल को भी जानने केलएउ सु
क रहता है.
आ खर व , जो स दय से
या है मनुय को अपने
शुभ अशु
भ सं
के
त ारा सचे . असल
त करता रहा है
म व के व का एक ऐसा “भा यसू .
चक” है
जो वह सब कु . जो उसके
छ उसको न ाव था म बताजाता है जीवन म शु
भ अशु
भ घटने . ऐसी
वाला होता है
सूम और ामा णकजानकारी मनुय को कसी भी प त से .
नह मल सकती है
कु
छ व बड़ेही व च और आ यजनकहोते .
है उ ह दे . क वह व म
ख कर अवाक रह जाता है
कै
सेआसमान मउड़ रहा था. कु
छ व ऐसे
भी होते.
है
जो भ व य म घटने
वाली शु
भ अशु
भ घटना का बोध कराते. और कु
है छ व बलकु
ल ही मानव जीवन क
स चाइयो सेजुड़े
होते.
है
रात केसरे
पहर म आप कोई व दे
खते.उसका शु
है भ या अशु
भ फल मलने
का समय आठ महीने
का होता
.
है
रात के
तीसरे
पहर म आप कोई व दे
खते
हैतो तीन महीने
म उसकाशु
भ अशु .
भ फल मलता है
रात केचौथे
पहर केव के . और जो व सु
फल ा त का समय एक माह होता है बह भोर काल म दे
खे
जाते है .
उसका फल शी ही आपको मलजाता है
दन नकलने
के बाद दे
खेजाने
वालेव का फल आधेमाह के
भीतर ही मलजाते. जीवनम ब त कार
है
केव दखाई दे
तेहैऔर व भ वषय पर व यमानहोते
है,
, जो स दय से
आ खर व या है मनु य को अपनेशुभ अशु
भ सं
के
त ारा सचे . असल म
त करता रहा है
व के व का एक ऐसा “भा य सू .
चक” है
जो वह सब कु . जो उसके
छ उसको न ाव था म बताजाता है जीवन म शु
भ अशु
भ घटने . ऐसी
वाला होता है
सूम और ामा णकजानकारी मनुय को कसी भी प त से .
नह मल सकती है
कु
छ व बड़ेही व च औरआ यजनक होते .
है उ ह दे . क वह व
ख कर अवाक रह जाता है
मकै
सेआसमान म उड़ रहा था. कु
छ व ऐसे
भी होते.
है
जो भ व य म घटनेवाली शु
भ अशु
भघटना का बोध कराते. और कु
है छ व बलकु
ल ही मानव जीवन क
स चाइयो सेजुड़े
होते .
है
हमारेाचीनकाल के ं
थ म व व ान को काफ मह व दया गया है
। व परमा मा क ओर से
होने
वाली
घटना के पू
व सं
के
त होते
ह। व का भाव न त प से हर मनु ।
य पर पड़ता है
हमारेाचीनकाल के ं
थ म व व ान को काफ मह व दया गया है
। व परमा मा क ओर से
होने
वाली
घटना के पू
व सं
के
त होते
ह। व का भाव न त प से हर मनु ।
य पर पड़ता है
इ सान मे
यह गु ण हैक वह सपन को सजाता रहता है या यू
ँकहेक भीतर उठने वाली हमारी भावनाएं
ही
सपनो का प धारण कर ले ती ह । इन उठती भावना पर कसी का नयंण नही होता । हम लाख
,ले
चाहे कन जब भी कोई प र थ त या सम या हमारे सम खड़ी होती है ,हमारे
भीतर भावना का ज म
होन लगता है। ठ क उसी तरह जै से कोई झीळ केठहरेपानी म प थर फकता है तो पानी के
गोल-गोल दायरे
बनन लगते ह । यह दायरे ये क इ सान म उस केवाभावानु सार होते
ह । इ ह दायर को पकड़ कर हम सभी
सपने बु
नन लगते ह ।यह हमारी आखरी साँ स तक ऐसेही चलता रहता है।
इसी लए हम सभी सपने दॆ
खते ह ।शायद ही ऐसा कोई इंसान हो जसे रात को सोनेके बाद सपन ना आते
होग । जो लोग यह कहते ह क उ ह सपन नही आते , या तो वह झू
ठ बोल रहेहोतेह या फर उ ह सु
बह उठने
केबाद सपना भू ल जाता होगा । हो सकता हैउन क यादा त कमजोर हो । या फर उनक नीदं ब त गहरी
होती होगी । जै
सेछोटे
ब च क होती है । उ ह आप सोते समय अकसर हँ सता- रोता आ दे खतेरहेहोग ,
ऐसी गहरी नीदंमेसोन वालेभी सपन को भू ल जाते ह और दावा करते ह क उ ह सपन नही आते । लेकन
सपन का दखना एक वाभा वक घटना है । इस लए यह सभी को आते ह ।
न ा और व का चोली-दामन का सं बं
ध है
। न द केबना सपने
नह आते ह। यह धारणा गलत हैक गहरी
न द म सपने नह आते ह। गहरी न द म भी सपने आतेह, अलब ा कु
छ लोग को ऐसे सपनेयाद नह रहते
।
सपना सभी दे खते ह कु
छ वष पहले यह बात समाचार-प म आई क पा ा य शोध नेस कर दया हैक
मनु य ही नह , पशु
भी सपने दे
खते ह। यह त य हमारेचतक ने स दय पहलेबताया था।
ोप नषद के
पां
चव ोक म यह प हैक सभी ाणी व दे खते ह। सवप य तसव:प य त मा यता है
क उप नषद का समय लगभग 6 हजार वष पहले का है
। दरअसल, मनुय या कसी भी ाणी म शरीर, मन
और आ मा क धानता होती है
। मुय प सेव मन केवषय ह। यही कारण हैक मनो व ान वषय के
अ तगत उसका अ ययन कया जाता है
। उप नषद कहते ह-अ ै व: व े
षदे म हमानमनु
भव त।
या है
अथ?
व देखने केबाद हम उसका कु छ न कुछ अथ लगाते ह। इसके आधार पर व के कुछ कार ह- नरथक
साथक, भ व यसू चक,शुभफलदायी,अशु भफलदायी,दै वी, आव यकता-पू त-कारक, आनंद देने
वाला, भय
दशानेवाला इ या द। नरथक व ऐसे होतेह, जो मन के भटकावसे उ प होते ह। जागनेपर ाय: हम उसे
भूल जातेह। जो व हम याद रहते ह, वेसाथक कहलाते ह। येव शु भ फलदायी,अशु भ फलदायी या
भ व य सू
चक भी हो सकते ह। छ प त शवाजी क इ दे वी तु
लजा भवानी थ । थानीय लोग मानतेह क
उ ह नेव म कट होकर शवाजी से बीजापु
रके सेनाप त अफजल से यु करने का आदे श दया था।
जन ु तय के अनुसार, वयंशव और पावती तु लसीदास केव म आए। उन दोन ने उ ह रामच रतमानस
लोक भाषा म लखने का आदेश दया।
गो वामी के
श द म -----
सपनें
सा थमोपर, जो हर गौरी पसाउ।
हमारेाचीनकाल के ं
थ म व व ान को काफ मह व दया गया है
। व परमा मा क ओर से होने
वाली घटना के पू
व संके
त होते
ह। व का भाव न त प से हर मनुय पर पड़ता है
। य द कोई अ छा-
सा व दखाई दे तो हम खु ह।
श होते
मं
गलम्
भगवान व णु
मं
गलम्
ग ड़ो वजः।
मं
गलम्
पुडरीका मं
गलाय तनोह रः।
यः मरे
त्
पुडरीका ं
सः बा ा य तरः शु
चः'॥
बुरे
सपन को र करने हे
तुजातक या उसके माता पता को ा से पू
जा-पाठ के समय इसका जप करना
चा हए। नय मत प से इ /गुके स मु
ख इस मंक ाथना का भाव दे खा जा सकता है। कु
छ ही दन म
भय उ प करने वाले एवंनकृ सपन का न त प रमाजन होता दे खा गया है
। साथ ही साथ आने वाले
समय म दे वी-दे
वता क आकृतय का आभास होने लगता है
। आं ख बंद कर पू
जा करने वालेभी दे
वता
क आकृत का मरण करते ह, वै
से
ही व म भी इनक आकृत अ तशु भ है
। जीवन के होतेए भी मृ यु
स य है, वै
सेही जगत केव ल होतेए भी व का अ त व है , चाहेवेइस जीवन के ह या ज म
ज मांतरण के । अंतरा मा का ान एक मू , यह पू
त स य है ण ा उ दत करती है और यही इसका आधार है ।
साँ ज, नाड़ी ते
स ते । यह अव था ायः रात म 4-5 बार आती है
ज और तापमान भी अ धक रहता है । इस
अव था म शरीर केअं
ग ग तमान होते
ह। नाड़ी बढ़ ई और म त क जागृ त वाली थ त का कार दशाता
।
है
सपने दे
खना मानव जीवन क एक आव यक आव यकता है
। सपने
दे खने
म कमी होने
का मतलब है
आप म
ोट न क कमी हैया फर आप पसनॉ लट डसऑडर केशकार ह।
-----साँ
प- भारतीय परं
परा म मदम त साँ
प को दे
खने , कु
का अथ है ं
डली का जागृ
त होना तथा आं
त रक
रणा एवं
े बाहरी सजग कोण केबीच संघष केरहते
सपन म हलते सप दखाई दे तेह।
----- प ी- प ी आ मा या वासना से मु का तीक होता है
। व म प ी कस अव था म दखता है
उसी से आ मा क थ त का अनु मान लगाया जाता है
।
----घोड़े
- घोड़े
का दखना व थ होने
का सू
चक है
। यह परो दशन क मता सु
झाता है
। कु
छ लोग इसका
संबंध जनन से जोड़ते
ह।
कु
छ व और उनका भाव-----
----- य द व म खु
द को पवत पर चढ़ता पाए, तो उसे
एक दन सफलता न ।
त मलती है
------- उ लूदखाई दे
, तो यह रोग अथवा शोक का सू
चक माना जाता है
।
य द कोई बु , तो न द खु
रा व दखाई दे लते
ही गाय ी मंपढ़कर पानी पी ले
ना चा हए। उसी समय हनु
मान
चालीसा का पाठ अव य करना चा हए और फर नह सोना चा हए।
-------------- कबू
तर दखाई दे
तो यह शु
भ समाचार का सू ।
चक है
----- खु
द को रोट बनाता दे, तो यह रोग का सू
खे ।
चक है
---- भं
डारा कराते
दे
खने
पर का जीवन धनधा य से
पू
ण रहे
गा।
--------------------------------------------------------
शु
भाशु
भ व के
पुराणो फल----
जागृ
ताव था म दे
खे, सु
ने
एवं
अनुभू
त सं नरावृ, सु
ग क पु षु
ताव था म मनुय को कसी न कसी प म
एवं , शु
कभी-कभी बना कसी तारत य के भ और अशु , जससेव
भ व के प म, द द शत होती है ा
व म ही आह् ।
ला दत, भयभीत और व मत होता है
ा नक, या च क सक य सेमान सक उ नता, पाचन वकार, थकान, चता एवं आह्लाद केआध य
पर भी व आधा रत होतेह। बहरहाल, शु
भ व से शु
भ काय के अ धका धक यास से
काय स म
सं
ल न होनेका सं
केत मलता है
और अशु भ व म आगामी सं भा वत खद थ त के त सचे त रहने
क
नसीहत लेना व ान ारा ेय कर बताया गया है सार -
। तदनु
ल ण व शु भ, क ो, म य भगवान।
भाशु
शु
भ यासरत, अशु
भ से
ह ह सचे
त सु
जान॥
ी म य पु
राण के
२४२ व अ याय म बताया गया हैक सतयुग म जब भगवान अनं
त जगद र ने
म यावतार लया था, तो मनु
महाराज ने
उनसेमनु य ारा दे
खेगयेशु
भाशु
भ व फल का वृांत बताने
का
आ ह कया था।
व ा यानं
कथं
दे
व गमने यु
प थते
। यं
तेव वधाकाराः कशं
ते
षां
फलं
भवे
त्
॥
म य भगवान नेव के
फलीभू
त होने कहा :
क अव ध केवषय म बतातेये
क क नानंतलै
ह मो ा णानां
च पू
जनम्
। तु
त वासु
दे
व य तथा त यै
व पू
जनम्
॥६॥
नाग मो वणंे
यंः व ाशनम्
। व ा तुथमे
यामे
सं
व तर वपा कनः॥७॥
षड्
भभासैतीये
तु भमासै
तृतीयके
। चतु
थ मासमा े
ण प यतो ना सं
शयः॥८॥
अ णोदयवे
लायां
दशाहे
न फलं
भवे
त्
। एक यां
य द वा रा ौशु
भं
वा य द वाशु
भम्
॥९।
प चाद्षृ
तुय त त य पाकंव न दशे
त्
। त मा छोभनकेव े
प चात्व ोनश यते
॥२०॥
शै
ल ासादनागा ववृ
षभारोहणंहतम्
। माणांे
तपु
पाणां
गमने
च तथा ज॥२॥
मतृ
णारवो नाभौ तथै
व ब बा ता। तथै
व ब शीष वं
फ लतो व एवं
च॥२२॥
सु
शुलमा यधा र वं
सु
शुलां
बरधा रता। चंाकतारा हणं
प रमाजनमे
व च॥२३॥
स वजा ल नं
चत ाय या तथा। भू
यं
ंबु
धीनांसनं
श ु
णां
च वध या॥२४॥
जयो ववादे ू
ते
व संामे
च तथा ज। भ णं
चा मां
सानां
म यानां
पायस य च॥२५॥
दशनं धर या प नानं
वा धरे
ण च। सु
रा धरम ानां
पानं ीर य चाथ वा॥२६॥
अ ै
वा वे
षृ
नं
भूमौ नमलं
गगनं
तथा। मु
खे
न दोहनं
श तं
म हषीणां
तथा गवाम्
॥२७॥
सहीनां
ह तनीनां
च वडवानां
तथै
व च। सादो दे
वव े
यो गु य च तथा शु
भः॥२८॥
अं
भसा व भषे
क तु
गवांृ
सुते
न वा। चंाद् े
ना वाराज४ाशे
योस य दो ह सः॥२९॥
रा या भषे
क च तथा छे
दनंशरस तथा। मरणं
च दाह च व दाहो गृ
हा दषु
॥३०।
ल ध च रा य ल नां
तंीवा ा भवादनम्
। तथोदकानां
तरणं
तथा वषमलड़घनम्
॥३१॥
ह तनीवडवानां
च गवां
च सव गृ
हे
। आरोहणमथा वानां
रोदनं
च तथा शु
भम्
॥३२।
वर ीणां
तथा लाभ तथा ल नमे
व च। नगडै
बधनं
ध यं
तथा व ानु
ले
पनम्
॥३२॥
जीवतां
भूमपालानां
सु
ह्
दाम प दशनम्
। दशनं
दे
वतानां
च वमलानां
तथां
भसाम्
॥३४॥
शु
भां
यथै
ता न नर तु
ह ्
वा ा ो यय वाद्ु
वमथलाभम्
।
व ा न वै
धमभृ
तां
वर ाधे
वमो ं
च तथातु
रोऽ प॥३५॥
और भी अ धक शु भ व के फल मनुमहाराज को बतातेए ी म य भगवान ने कहा क राजन ! गौव के
स ग से वत जल, या चंमा सेगरतेए जल सेनान का व सवथा शु भ एवंरा य क ा त कराने
। रा यारोहण का व , म तक कटने
वाला होता है का व , अपनी मृयु, व लत अ न दे खना, घर म लगी
आग का व दे खना, रा य च क ा त, वीणा वादन, या वण, जल म तै रना, ह थान को पार
करना, घर म ह तनी, घोड़ी तथा गौ का सव दे खना, घोड़े
क सवारी करते दे
खना, वयं को रोते
देखना
आ द व शु भ और मं गल शकु न के ोतक होते ह। इसकेअ त र सु द रय क ा त तथा उनका
ं
आ लगन, जं जीर म वयं को बं
धा दे
खना, शरीर म मल का ले
प दे
खना, जो राजा मौजूद ह, उ ह व म दे खना,
म को व म दे खना, दे
वता का दशन, नमल जल दे खनेकेव भी सवथा शु भकारी होते ह, जससे
बना यास के धन-ऐ य क ा त होती है तथा ण रोगमु हो जाता है। अशुभ व एवं उनके
फल केवषय म ी म य भगवान मनु महाराज को बतातेए कहते ह :
इदान कथ य या म न म ंव दशने
। ना भ वना यगा े
षु
तृ
णवृसमु
रवः॥२।
चू
णनं
मूनं
कां
यानां
मुडनं
न नता तथा। म लनां
बरधा र वम यग्
ः पट द धता॥३॥
उ चात्पतनं
चै
व दोलारोहणमे
व च। अजनं
पटलोहानां
हयानाम प मारणम्
॥४॥
र पु
प माणां
च मं
डल य तथै
व च। वराह खरो ाणां
तथा चारोहण या॥५॥
भ णं
प म यानां
तै
ल य कृ
सर य च। नतनं
हसनं
चै
व ववाहो गीतमे
व च॥६॥
तंीवा वहीनानां
वा ानाम भवादनम्
। ोतोऽवगाहगमनंनानं
गोमयवा रणा॥७॥
पटोदके
न च तथा महीतोये
न चा यथ। मातु
ः वे
शा जठरेचतारोहणमे
व च॥८॥
श वजा भपतनं
पतनं
श शसू
ययोः। द ां
त र भौमानामु
पातानां
च दशनम्
॥९॥
दे
व जा तभू
पालगुणं ोध एवं
च। आ ल नं
कुमारीणां
पुषाणां
च मै
थु
नम्
॥१०॥
हा न ै
व वगा ाणांवरे
कवमन या। द णाशा भगमनंा धना भभव तथा॥११॥
फलापहा न च तथा पु
पहा न तथै
व च। गृ
हाणां
चै
व पात गृ
हस माजनं
तथा॥२॥
काषायव धा र वं
त त् ी डनं
तथा। ने
हपानवगाहौ च र मा यानु
ले
पनम्
॥४॥
एवमाद न चा या न ः व ा न व न दशे
त्
। एषा। सं
कथनं
ध यं
भूयः वापनं
तथा॥५॥
ः व के भाव के
शमन का उपाय बतातेये
म य भगवान मनु
महाराज से
कहते
है:
कलक नानंतलै
ह मो णानां
च पू
जनम्
। तु
त वासु
दे
व य तथात यै
व पू
जनम्
॥
नाग मो वणंे
यंः व ाशनम्
॥
-------------------------------------------------------------
ले
कन हम सपने ह ?
आतेयू
ँ
इस बारे
म सभी व वचारक के अपने -अपने मत है। कु
छ वचारक मानते ह क सपन का दखना इस
बात का माण हैक आप के भीतर कुछ ऐसा हैजो दबाया गया है। वह सपना बन कर दखाई दे ता है
। हम
कुछ ऐसेकाय जो समाज केभय से या अपनी प ँच सेबाहर होनेके कारण नही कर पाते, वही भावनाएंहमारे
अचेतन मन म चलेजाती ह और अवसर पाते ही सपन के प म हमेदखाई दे ती ह । यह वाभा वक सपन
क पहली थ त होती है ।
इस बारेम ाचीन आयु वदाचाय का मानना हैक रोगी अव था मे आने वालेसपन अकसर रोग क थ त
क ओर सं के
त करते ह । वेआचाय रोगी के
देखेगए सपन के आधार पर रोग क ज टलता या सहजता का
वचार करने
म समथ थे बध , उन रोगीय क मान सक दशाओ क खोज का वषय मानते
। वह इन का सं थे
और उसी के प रणाम व प जो न कष नकलते थे , उसी के
अनुसार अपनी च क सा का योग उस रोग
का नदान करने मे
करते थे। उन आचाय केव वचार करने के
कु ख-
छ उदाहरण दे
१.य द रोगी सर मु
डाएं
ं ,लाल या कालेव धारण कए कसी ी या पुश को सपने
म दे
खता है
या अं
ग
भंग को दे
खता हैतो रोगी क दशा अ छ नही है
।
२. य द रोगी सपनेमेकसी ऊँ
चेथान सेगरे
या पानी म डू
बे
या गर जाए तो समझेक रोगी का रोग अभी
और बड़ सकता है ।
३. य द सपने
म ऊठ,शे
र या कसी जंगली जानवर क सवारी करे
या उस से
भयभीत हो तो समझेक रोगी
अभी कसी और रोग से भी त हो सकता है।
४. य द रोगी सपने
मेकसी ा ण,दे
वता राजा गाय,याचक या म को दे
खेतो समझेक रोगी ज द ही ठ क
हो जाएगा ।
६.य द सपने
मेकोई मास या अपनी ाकृत केव ध भोजन करता है
तो ऐसा नरोगी भी रोगी हो
सकता है।
ऐसे
अने क सपन के मापक वचार का संह हमारेाचीन आयुवदाचाय नेजन क याण क भावना से
रत हो , हमारेलए रख छोड़ा है
े । यह अलग त य हैक आज उन पर लोग व ास कम ही करते
ह।
यहाँ
सपन के
आने
का तीसरा कारण भी है
।वह है
सपन के
जरीए भ व य-दशन करना ।
हमारेाचीन ं
थ म भी कई जगह ऐसे सपने
दे
खन का ज भी आया है , जै
सेतृ
जटा नामक रा सी का उस
समय सपना दे
खना,जब सीता माता रावण क कै
द मेथी और वह सपन मेएक बड़ेवानर ारा लंका को
जलाए जानेक बात अपनी सा थय को बताती है
। यह भी एक सपनेमेभ व य-दशन करना ही है
।
कहा जाता हैक ईसा मसीह सपन को पढना जानते थे। वह अकसर लोगो ारा दे
खेसपन क सां
केतक
भाषा को सही -सही बता दे
ते
थे। जो सदै
व स य होते
थे ।
व क श------
या और फलादे
व मुयतः ÷ व न ा' क अव था म आते ह। सुषुत अव था म दे खेगयेव ायः सुबह तक याद नह
रहते
। यह आव यक नह क व म दे खा गया सब कुछ अथपू ण हो। मानस और च क सा शा य के
अनुसार जो अनाव यक इ छा , चं चल भावना , उ च आकांा और भू त-भ व य क चता से
अपने को मु रखते
ह, वही गहरी न ा ले
पातेह। गहरी न ा व थ जीवन केलए परम आव यक है ।
धम शा -अथववे द, योगसू, पु
राण, उप नषद इ या द म व का आ या मक व े शण मलता है ,
जसके अनु सार व क या मनुय क आ मा से जुड़ी हैऔर आ मा परमा मा से
। मन क क पना श
असीम है द ास ÷
। मह ष वे सू' म बतातेह क म त क म पछले ज म का ान सु षुत अव था म
रहता है
। शु आचरण वाले धा मक और शां त च केसपने, दै
वक सं
देशवाहक होने केकारण, स य
होते
ह। परं तुचता त, या रोगी का मन अशां
त होनेकेकारण उसकेव न फल होते ह। व भावी
जीवन या ा से जुड़ेशु
भ और अशु भ सं ग, यहां
तक क वप , बीमारी और मृयु क पूव सू
चना दे
तेह।
गौतम बु के ज म से कु
छ दन पहलेउनक माता रानी माया नेव म एक सू
य सा चमक ला, ६ दां
त वाला
सफेद हाथी दे
खा था, जसका अथ रा य के
मनी षय ने एक उ च को ट के
जगत स राजकु मार केजम
का सू
चक बताया, जो स य आ।
ीम टे
लीपै
थी' के
लेखक डा. टैनली केअनुसार व क पु नरावृ का संबं
ध वतमान म होने
वाली
सम या और घबराहट से ही नह , अ पतुअतीत से
भी हो सकता है
। बचपन म घट कोई भयानक घटना का
म त क पर गहरा भाव पड़ने सेउससे सं
बंधत व अ धक दखाई दे ते
ह।
व क या पर काश डालतेए डा. टै नली ने बताया क मनुय का म त क छोट -छोट घटना एवं
जानका रय को सं ग ठत प दे कर एक ऐसेन कष ( व ) पर प ं , जो कभी-कभी ब त सही होता
चता है
है
। रोम के
स ाट जू लयस सीज+र क प नी ने उनक ह या क पछली रात सपने म दे
खा था क वह अपने
बाल बखे रे
प त का ल लुहान शरीर उठायेफर रही है
। उसनेसीज+र को सीनेट जानेसेमना कया, पर वह
नह माना और सीने टप ं
चने पर ूटस नेउसक ह या कर द । इसी कार अमे रक रा प त अ ाहम लकन
नेअपनी ह या को कुछ दन पहलेव म दे खा था।
पा ा य शोधकता अब भारतीय वचारधारा से
सहमत हो रहेह। ॉयड नेनयेअनुभव के आधार पर अगली
पुतक ÷इंटर टे
शन फ ीम् स' म वीकार कया क व कभी-कभी मनु य क दबी इ छा और मन क
उड़ान सेब त आगे क सूचना दे
नेम स म होते
ह। डॉ. है
वलॉक एलाईस अपनी पुतक ÷ द व ड ऑफ
ीम्
स' म मानते
ह क व म सु षुत म त क और ÷एक ा ससरी परसे शन' क बड़ी भू ।
मका होती है
बु
च सोसाईट फॉर साई कक रसच' हॉलड, के
शोधकाय नेयह मा णत कया हैक कु
छ व भव यक
घटना क सही-सही पू वसू
चना दे
ते
ह। स मनोवैा नक डॉ. है फनर मोस के
अनु
सार सतत य न ारा
सु
षुत म त क को जगा कर सपन ारा ÷ द ' ा त क जा सकती है
।
कु
छ श द के सार उनकेव फल ----
अनु
अ------
खना – भरपु
अखरोट दे र भोजन मले
तथा धन वृ हो
अजनबी मलना – अ न क पू
व सू
चना
न खाना – व य लाभ
अजवै
अँ
धे खना – वप
रा दे आये
खना – धन लाभ हो
अथ दे
अम द खाना – धन मले
अमलतास के
फूल – पी लया या कोढ़का रोग होना
खना – शु
अरहर दे भ
अरहर खाना – पे
ट म दद
खना – सर दद या पे
अरबी दे टदद
अलमारी बं खना – धन ा त हो
द दे
अलमारी खु खना – धन हा न हो
ली दे
अपने
को आकाश म उड़तेखना – सफलता ा तहो
दे
अपने खना – ल बी उ
पर सरौ का हमला दे
अं
ग कटेखना – वा य लाभ
दे
खना – सं
अ थ दे कट टलना
अं खना – नेरोग
जन दे
अपने
आप को अके खना – ल बी या ा
ला दे
अ य बनना – मान हा न
खना – ल बी उ
अपहरण दे
अ च खना – औरत से
दे सहयोग मले
अमाव या होना – ःख सं
कट से
छु
टकारा
खना – धा मकअनुान हो
अगरब ी दे
खना – घटना हो
अगरब ी जलती दे
अगरब ी अ पत करना – शु
भ
अं खना – अशु
गीठ जलती दे भ
अं
गीठ बु खना – शु
झी दे भ
अजीब व तुखना –
दे यजन के
आने
क सू
चना
खना – शु
अजगर दे भ
अ खना – सं
दे कट से
र ा
अं खना सम – अशु
क दे भ
अं खना वषम – शु
क दे भ
अपने
दां
त गरतेखना – बं
दे धू
बां
धव कोक हो
आं
सूखना – प रवार ममं
दे गल काय हो
आं खना – सं
धी दे कट से
छु
टकारा
-------------------------------------------
आ----
खना –इ छा पू
आइना दे रण हो , अछा दो त मले
आइना म अपना मु
हंखना – नौकरी मपरे
दे शानी , प नी म परे
शानी
खना – ऊचा पद ा त हो
आसमान दे
आसमान म वयं
को गरतेखना –
दे ापारम हा न
आलूखना – भरपू
दे र भोजन मले
आं खना – मनोकामनापू
वला दे ण न होना
आं
वला खातेखना – मनोकामनापू
दे ण होना
आ खना – सनता क ा त
दे
आम खातेखना – धन औरसं
दे तान का सु
ख
आ लगन दे – काम सु
खना पुष का औरत से खक ा त
आ लगन दे – प त से
खना औरत का पुष से बे
वफाई क सू
चना
आ लगन दे -श ु
खना पुष का पुष से ताबढ़ना
आ लगन दे – धन ा त का सं
खना औरत का औरत से के
त
खना – ल बी आयु
आ मह या करना या दे
आँ खना –
चल दे तयो गताम वजय
आँ
चल से
आं पोछना – अछा समयआने
सू वाला है
खना – सं
आरा चलता आ दे कट शी समा त होगे
आरा का आ दे
खना- नए सं
कट आने
का सं
के
त
खना –
आ म दे ापारम घाटा
खना – काय पू
आ ा दे राहो
आइस म खाना – सु
ख शां
त मले
--------------------------------------------
इ-----
इ दे त चोरी होना – मृ
व क मू यु
तुयक आये
इ लगाना – अछे
फल क ा त, मान स मान बढे
गा
खना – क
ट दे मले
गा
इं खना – या ा हो , श ु
जन चलता दे से
सावधान
इ धनु खना – सं
ष दे , धन हा न हो
कट बढे
खना कम का – ःख व्नराशा मले
इ का दे
खना ट का -क कारक त थ
इ का दे
खना चड़ी का – गृ
इ का दे श ,अ त थ आने
ह ले क सू
चना
--------------------------------------------------------
ल------------------
लं
गू खना -शु
र दे भ समाचार मले
लक र ख चना -गृ
ह कले , अनाव यक झगडे
श बढे हो
खना (अपना) – धन वृ हो ,
लड़का गोद म दे वसाय म ते
जी आये
लड़ना – व ो हय के
साथ – दे
श तथा समाज म अशां
त फै
ले
लहसु खना – धन वृ हो पर तु
न दे अ व्
स जी के ापार म हा न हो
खना – नयी मु
ल कड़ बाघ दे सीबत आने
का सं
के
त
लाल आँ
खे खना – शु
दे भ फल क ा त
खना -आयु
लाट या मीनार दे वृ हो , सु
ख शा त बढे
खना -सु
लाठ दे त म वृ हो ,अ छे
ख शां सहयोगी मले
खना -स सं
लाल ट का दे ग से
लाभ हो, कामो म सफलता मले
लाल व ना – धन नाश हो ,खतरा बढे
दखाई दे
खना – काफ मे
लोहा दे हनत करने
केबाद सफलता मले
--------------------------------------------------------
उ-----
खना – र थान क या ा हो
उजाड़ दे
खना – बीमारी क पू
उपवन दे व सू
चना
खना – अशु
उदघाटन दे भ सं
के
त
खना – शु
उदास दे भ समाचार मले
वयं
को उड़तेखना – गं
दे भीर घटना क पू
व सू
चना
उ लूखना - ख का सं
दे के
त
ना – ःख मले
उबासी ले
उ टे पहनना – अपमान हो
कपडे
खना – भ व य मसफलता का सं
उजाला दे के
त
उजले
कपडेखना -इ जत बढे
दे , ववाह हो
उठना और गरना – सं
घषबढे
गा
उलझे
बाल या धागेखना – परे
दे शा नयाबढे
गी
खना – धन हा न , चोरी का भय
उ तरा दे
----------------------------------------------------------
ऊ-------
घना – धन हा न , चोरी का भय
ऊं
ऊं
चाई पर अपने खना – अपमा नत होना
को दे
खना – धन लाभ हो
ऊन दे
ऊं
चे खना – काफ मे
पहाड़ दे हनत के
बाद काय स होना
ऊं
चे खना – मनोकामना पू
वृ दे रीहोने
म समय लगना
----------------------------------
औ---
खना –गलत सं
औषधी दे ग त दे
खना
-----------------------------------------
ऐ-----------------
-----------------------------------------------------
ट-----
टं खना –शु
क खाली दे भल ण
टं खना – अशु
क भरी दे भ घटनाका सं
के
त
टाई रं खना – शु
गीन दे भ
खना – शु
टोकरी खाली दे भल ण
खना – अशु
टोकरी भरी दे भ घटनाका सं
के
त
--------------------------
ठ-----
रना –सु
ठ ड म ठठु ख मले
-------------------------------------
च------
खना – कारोबार म उ
चलता प हया दे हो
च पल पहनना – या ा पर जाना
खना – ःख हो
चमडा दे
खना (काली ) – शु
च ान दे भ
खना (सफे
च ान दे द ) – अशु
भ
चपत मारना – धन हा न हो
चपत खाना – शु
भ फल क ा त
खना – आग लगने
चरबी दे का सं
के
त
खना – ल बी या ा हो
चमगादर उड़ता दे
खना – अशु
चमगादर लटका दे भ सं
के
त
खना – नजद क
च मच दे धोखा दे
खना – या ा पर जाना
च पल दे
चटनी खाना – खो म वृ
च मा खोना – चोरी के
संके
त
खना – हा न हो
चारपाई दे
टना -गृ
चादर शरीर पर लपे ह ले
श बढे
चं
चल आँ
खे खना – बीमारी आने
दे क सू
चना
चां खना – गृ
द का सामान दे ह ले
श बढे
खना – धन वृ हो
चाय दे
खना – क ठनाई से
चावल दे धन मले
चाकू
देखना – अं
त म वजय
खना – पु
च दे रानेम सेमलन हो
खना – मे
च डया दे हमान आने
का सं
के
त
खना – धन लाभ हो
च ट दे
खना – परे
च टया ब त अ धक दे शानी आये
खना – बदनामी हो
चील दे
च ट मारना – तु
रत सफलता मले
ं
चु ना – आ थक समृ
बन ले ध हो
चु ना – म ता बढे
बन दे
चु
ं ना – चलते
गी दे काम म कावट
चु ना – आ थक लाभ
गी ले
ं
चु
डै खना -धन हा न हो
ल दे
चू खना -औरत से
हा दे धोखा
चू
हा फं खना – शरीर को क
सा दे
चू
हा चू
हे
दानी सेनकलतेखना – क से
दे मु
चू खना – धन लाभ
हा मरा दे
हा मारना – धन हा न
चू
चू खना – उ म भोजन ा त हो
हा दे
चक नकलना – धन क
चे ा त
खना – या ा म सफलता
चोराहा दे
------------------------------------------
ड-----
डं खना –
डा दे मन से
सावधान रहे
डफली बजाना – घर मउ सव क सू
चना
खना – बु
डाक खाना दे रासमाचार मले
खना – शु
डा कया दे भ सू
चना मले
डाकू
देखना – धन वृ हो
--------------------------------------
त------
तराजूखना – काय न प
दे पू
ण हो
खना – श ु
तलवार दे पर वजय
ना – धन वृ हो
तलाक दे
तमाचा मारना -श ु
पर वजय
खना – अशु
तवा खाली दे भल ण
तवे कना – सं
पर रोट से प बढे
खना – सरकार से
ता बा दे लाभ मले
रना – व य लाभ
तालाब म तै
खना -चलते
ताला दे काम म कावट
खना – बगडे
ताली दे कामबने
गे
तां खना – सु
गा दे , सवारी कालाभ हो
ख मले
खना – शु
ताबीज़ दे भ समय काआगमन
खना – म अथवापडोसी से
ताश दे लडाई हो
खना – अशु
तारा दे भ
ततली पकड़ना – नई सं
तानहो
द करना – धन वृ हो
तजोरी बं
तू
फान दे
खना या उसमे
फँसना – सं
कट से
छु
टकारा मले
ते
ल या ते खना – सम या बढे
ली दे
तोलना –महं
गाई बढे
खना -श ु
तोप दे पर वजय
खना – ख़ु
तोता दे शी मले
खना – पे
त द बढ़ दे ट मपरे
शानी हो
खना – व यलाभ हो
तो लया दे
------------------------------------------
थ-----
थ पर मारना – झगडे
मफँ
सना
खना – अशु
थाली भरी दे भ
थै खना – जमीनजायदाद म वृ
ली भरी दे
थै खना – जमीनजायदाद म झगडा हो
ली खाली दे
----------------------------------------------------------
ध--------------
नना –क बढे
धमाका सु
रा खाना – सं
धतू कट से
बचना
ध बेखना – शु
दे भ सं
के
त
खना –
धरोहर लाना या दे ापारम हा न ह
खना – शु
धा मक आयोजना दे भ सं
के
त
धु खना – क बढे
आ दे , परे
शानीम फं
सना पढ़े
धु खना – शु
ध दे
ं भ समाचार मले
धु नना – परे
न सु शानीबढे
धू खना – परे
मधाम दे शानीबढे
धू खना – या ा ह
ल दे
-------------------------------------------------
म-----
खना – गृ
मछली दे ह थी का सु
ख मले
खना – धन हा न हो
मखी दे
खना – ब त अ धक मे
मकडी दे हनत करनी पड़े
मलाई खाना – धन वृ हो
मं खना – खु
दर या म जद दे शहाली बढे
मं
दर म पु खना – गृ
जारी दे ह कले
श बढे
मर जाना – धन वृ हो
खना – शु
मगरमच दे भ समाचार मले
माला ( पू
जा वाली ) शु
भ समय आने
का सं
के
त
माला फू
ल क पहनाना- मान स मान म वृ हो
मातम करना – खु
शहाली बढे
खना – घर म समृ
माली दे ध बढे
मग से खना – बु ते
पी ड़त होना या दे ज हो
टना – बगडे
मठाई खाना या बाँ काम बने
मु
दा उठा कर ले
जातेखना – बना कमाया माल मले
दे
मु खना – चता र हो
द को ज दा दे
मु
द का समू खना – गलत सोसाइट म काम करना पड़े
ह दे
द को नहलाना – धन वृ हो
मु
मु
द को कु ना – शु
छ दे भ समाचार
मु खना - वदे
गा दे श ापार बढे
मु खना -गृ
ग दे ह थी का सु
ख मले
मोहर लगाना – धन वृ हो
मु
रझाये
फू खना – सं
ल दे तान को क हो
मु
डन कराना या होते
ं खना -गृ
दे ह थी का तनाव र हो
मु खना – कारोबार म उ
हरम दे हो
मू खना – कारोबार म उ
गा पहनना या दे
ं हो
मू
ग मसू
ं खना – अने
र या मोठ दे क परे
शानी हो
खना – झगडे
मोम दे या ववाद म समझोता हो
मोर नाचतेखना – शु
दे भ समाचार मले
खना – दां
मोर मोरनी दे प य सु
ख म वृ हो
मोजा पहनना – प त प नी म े
म बड़े
खना – ववाह हो
मोमब ी दे
----------------------------------------------------
व-----
वायदा करना – झू
ठ बोलने
क आदत पढ़े
ना –
वदाई समारोह म भाग ले ापार म ते , धन वृ हो
जी आये
खना – धन हा न हो
वमान दे
व फोट दे नना – नया कारोबार शु हो , बड़े
खना या सु य से
मु
लाकात हो
खना – अशु
वृा दे भ समाचार मले
-------------------------------------------------------------
द-----
खना – व य कु
द लया खाना या दे छ समय केलए ख़राब हो
खना – घर म फू
दरार दे ट
खना – काम म आल य हो
दलदल दे
द णा ले ना –
ना या दे ापार म घाटा
दमकल चलाना – धन वृ हो
द ताना पहनना – शु
भ समाचार
दहे
ज़ ले ना – चोरी क स भावना
ना या दे
दां टना – शु
त टू भ
ना – धन हा न हो
दान दे
न करना -क
दातु मटे
खना – चोरी हो
दाग दे
खना -पुी को क हो
दामाद दे
खना – धन वृ हो
दाढ़ काली दे
द पक बु ना – नया काय शु हो
झा दे
द पक जलाना – अशु
भ समाचार मले
खना –
द वाली दे ापार म घाटा हो
खना – सु
हन दे ख मले
चना – मानहा न हो
कान बे
द होना – क
कान बं म वृ हो
खना – व य म सु
प ा दे धार ह
हा / हन बनना – मानहा न ह
ठना –
कान पर बै ,धन लाभ ह
त बढे
दे
वी दे खना – सु
वता दे ख सं
प क वृ होना
खना – धन सं
दोना दे प ा त होना
दोमु
हा सां खना – घटना ह , म
प दे ारा व ासघात मले
दे
वी दे खना – कृण – े
वता दे म सं
बं
धो म वृ
दे
वी दे खना – राम – सफलता मले
वता दे
दे
वी दे खना – शव – मान सक शां
वता दे त बढे
दे
वी दे खना – व णु
वता दे – सफलता मले
दे
वी दे खना –
वता दे ा – अ छा समय आने
वाला है
दे
वी दे खना – हनु
वता दे मान -श ु
का नाश हो
दे
वी दे खना – गा – रोग र हो
वता दे
दे
वी दे खना – सीता – पहले
वता दे क मलेफर समृ
ध हो
दे
वी दे खना – राधा – शारी रक सु
वता दे ख मले
दे
वी दे खना – ल मी – धन ध य क
वता दे ा त हो
दे
वी दे खना – सर वती -भ व य सु
वता दे खद हो
दे
वी दे खना – पावती – सफलता मले
वता दे
दे
वी दे खना – नारद - र से
वता दे शु ..
भ समाचार मले
------------------------------------------------------
क----
का – अ छा सपना है
क ल करना वयं , बु
रे
काम से
बचे
कसम खातेखना – सं
दे तान का ःख भोगना
खना – व ा धन क
कलम दे ा त
ना – खु
कजा दे शहाली आये
ना –
कजा ले ापार म हा न
कपू खना –
र दे ापार म लाभ
कबू खना – े
तर दे मका सेमलना
कबू ड – शु
तर का झु
ं भ समाचार मले
ल – ान क
कमल का फू ा त
खना – सु
कपास दे ख समृ
ध हो
कं खना – अपमान हो
गन दे
खना – पे
क दे ट दद
खना – धन वृ हो
क या दे
खना – ल बी उ
कफन दे
खना – वा य खराब हो
कली दे
कछु खना – शु
आ दे भ समाचार मले
खना – सफलता
कलश दे
क खना – नराशा हो
तान दे
काला रं खना – शु
ग दे भ फल
खाना – नया
काजू ापार शु हो
खना – शु
कान दे भ समाचार
काउं खना – ले
टर दे ने
दे
ने
म लाभ हो
खना – लाभ हो
काली ब ली दे
कु
ं
डल पहनेखना – सं
दे कट हो
कु खना – काय म व न
बडा दे
कु
मकु खना – काय म सफलता
म दे
–श ु
कुा झपटे क हार
कू
ड़ेका ढे खना – क ठनाई के
र दे बाद धन मले
खना – ख़ु
कला दे शी ा त हो
के वारना – तीथ या ा
श सं
ला खाना / दे
के खना – ख़ु
शी हो
के खना – अ छ व तुमले
क दे
कै खना – अपने
मरा दे भेद छपा कर रखे
खना – धन का लाभ
कोढ़ दे
कोहरा – सं
कट समा त हो
खना – ःख मले
कोठ दे
खना / सु
कोयल दे नना – शु
भ समाचार
खना – शु
कोया दे भ सं
के
त
कसी ऊं
चेथान से
कूदना – असफलता
नर कं खना – उ बढने
काल दे का सं
के
त
जप करना – वजय
खना – मृ
कद ल बा दे यु
तुय क हो
कद घटना – अपमान हो
खना – बनते
कटोरा दे काम बगढ़ना
खना – शु
कन तर खाली दे भ
खना – अशु
कन तर भरा दे भ
कागज कोरा – शु
भ
खना – अशु
कागज लखा दे भ
सफे
द कु खना – शु
रता दे भ
अ य रं
ग का कु खना – अशु
रता दे भ
कु
स पर वयं
को बै
ठेखना – नया पद, पदोनती
दे
कु
स पर अ य को बै
ठेखना – अपमान
दे
कपू खना –
र दे ापार नौकरी म लाभ
कबू खना – े
तर दे मका सेमलन
कपडा बे
चतेखना –
दे ापार म लाभ
कपडे
पर खू दाग –
न के थ बदनामी
खना – शु
कान दे भ समाचार
खना – काय मे
काला कुा दे सफलता
काउं खना – ले
टर दे न दे
न म लाभ
खना – शु
काली ब ली दे भ समाचार
खना – अशु
पीली ब ली दे भ समाचार
खना – श
क डा दे का तीक
खना – शु
कुहार दे भ समाचार
के खना – दां
तली दे प य जीवन म शां
त हो
के खना या खाना – शु
ला दे भ समाचार
खना – ःख मले
कोठ दे
खना – े
कोयला दे म के
जाल म फँ
स कर ःख पाए
कु
रान- सु
ख शां
त क भावना बढे
------------------------------------------------------
र-----
रजाई फट पु खना – शु
रानी दे भ काय केलए नमंण हो
ला खाना – धन वृ हो
रसगु
र खना – का आ धन मले
दे
ग करना – स बं
रं धत वा तु
क हा न हो
करना – नई व
रफू ो या आभू
षनो क ा त हो
र ा बं खना – धन वृ हो
धन दे
खना -धन का सं
रसोई घर वछ दे कट आये
खना (टे
रा ता दे डा ) परे
ड़ा मे शानी हो
खना – धन नाश हो
राख दे
रॉके खना – धन सं
ट दे प म वृ हो
खना -परे
रात दे शानी आये
खना – काम म
राइ दे कावट आये
खना – सं
रा श दे कट आये
खना – सु
रामलीला दे ख सौभा य म वृ
ना – सावधान रहे
र त ले
रवा वर चलाना – श ु
ता समा त हो
र शा दे
खना या उसमेठना – स
बै ा बढे
रे
लवेटे खना -लाभदायक या ा हो
शन दे
रे खना – क दायक या ा हो
ल दे
रे खना – ग त म
डयो बजता दे कावट हो
खना – आ थक लाभ हो
रे जरटर दे
रे खना – धन स पदा म वृ
ग तान दे
रोजा रखना – आ थक सं
कट आने
का सं
के
त
टना – धन लाभ हो
रोट बाँ
खना – दे
रोट फकना या गरी ई दे , वदे
श म मन न लगे श क या ा शी हो
-----------------------------------------------
खना – सरकार से
याही दे स मान मले
सं खना – धन वृ हो
डास दे
सं
गीत दे नना – क बढे
खना या सु
खना – प नी से
संक दे , अचानक धन मले
वा करे
सगाई दे शा मल होना -
खना या उसमे
सजा पाना – सं
कट से
छुटकारा मलाना
सलाद खातेखना – धन वृ हो
दे
खना – ब त मे
सकस दे हनत करनी पड़े
खना –
सरस दे ापार म लाभ हो
ससु खना – शु
र दे भ समाचार मले
खना – वदे
सर कटा दे श या ा हो
खना – कारोबार म हा न हो
सर फटा दे
डाना – गृ
सर मु
ं ह कले
श म वृ हो
सर के
बाल झड़तेखना – क़ज़ से
दे मु मले
राल जाना – गृ
ससु ह कले
श म वृ हो
खना –
साइन बोड दे ापार म लाभ हो
खना – जीवन म ख़ु
सावन दे शी मले
खना – धन वृ हो
सारस दे
खना – दा प य जीवन म सु
साला या साली दे ख हो , मे , धनवृ हो
हमान आये
प मारना या पकड़ना –
सां मन पर वजय हो , अचानक धन मले
सां
प ने
वले खना – कोट कचे
क लडाई दे हरी जाना पड़े
सां
प के
दां खना -नजद क र ते
त दे दार हा न प ं
चाएं
गे
सां
प का मां खना या खाना – अपार धन आये
स दे पर तु
घर म धन के
नह
खना – कानू
सपाही दे न केवपरीत काम कारने
का सं
के
त
सगरे
ट पीतेखना - थ म धन बबाद हो
दे
खना – प त प नी म झगडा हो
सलाई मशीन दे
सलाई करना – बगडा काम बन जाये
खना -कु
सीताफल दे छ समय के
बाद गरीबी र होगी
खना – उसे
स पी दे दे पर हा न , उठाने
खने पर लाभ
सु खना – साथी से
नहार दे धोखा मले
सु खना (लोहे
भा दे , ववाह हो
का)- काय म सफलता मले
सु
दशन च खना – बईमानी का दं
दे ड शी मले
सु खना - ववाह शी हो , म
पारी दे क संया म वृ हो
सु
नहरी रं खना – का आ धन मले
ग दे
सु
रं
ग दे
खना या सु
रं श करना – नया काय आरं
ग म वे भ हो
सू खना – एक दे
ई दे खने
पर सु
ख तथा अने
क दे
खने
पर क म वृ हो
सु
दर खना – मान स मान म हा न हो
ी दे
सु
नहरी धू खना – सरकार से
प दे धन लाभ हो , मान स मान बढे
सु खना – गृ
राही दे ह थी म तनाव हो , प त या प नी का च र ख़राब हो , रोग र हो
सु
गं स करना – चमड़ी क बीमारी आये
ध महसू
सु खना – बलवृ हो
नसान जगह दे
सू
द ले
तेखना – मुत का धन मले
दे
सू
द दे
तेखना -धन नाश हो , गरीबी आये
दे
ली पर चढ़ना – च ताओ से
सू मु हो , शु
भ समाचार मले
सू खना – धन सं
य दे प तथा मान स मान बढे
सू
य क तरह अपना चे खना – पु
हरा चमकता दे , मान स मान बढे
र कार मले
सू खना – बु
अर दे रे
काम म फँ , बु
सना पड़े रे
लोग से
दो ती हो तथा मानहा न हो
अर का ध पीना – च र खराब हो , जे
सू ल जाना पढ़े
सू
रजमु
खी का फू खना – सं
ल दे कट आने
क सू
चना
सू
यच खना – मृ
आ द का वनाश दे युतुय क मले
से खना – धन हा न हो पर तु
म क फली दे अ छा भोजन मले
से खना – ःख व्
ब का फल दे सु
ख म बराबर वृ हो
सध लगाना – ये
व तु
गु
म होना
वा करना – मे
से हनत का फल मले
गा
सै खना – साहस म वृ हो
नक दे
स ठ खाना – धन हा न हो , व य म सु
धार हो
सोना मलना – धन वृ हो
टाना – परे
सोना लु , अपमान सहना पढ़े
शा नया बढे
खना – श
व म मा नक र न दे तथा अ धकार म वृ
खना –
व म प ा र न दे वसाय म वृ हो
व म पु खना -वै
खराज र न दे र वरोध क भावना बढे
खना – आ थक ग त हो
व म हीरा र न दे
खना – उ
व म नीलम र न दे हो
व म फे खना –
रोज़ा र न दे वसाय म वृ
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------
गार करना – े
ं म सं
ग म वृ हो
टना – दां
गार दान टू
ं प य जीवन म सु
ख व्
सफलता मले
-----------------------------------------------
ड-----
डं खना –
डा दे मन से
सावधान रहे
डफली बजाना – घर म उ सव क सू
चना
खना – बु
डाक खाना दे रा समाचार मले
खना – शु
डा कया दे भ सू
चना मले
डाकू
देखना – धन वृ हो
--------------------------------------
व का ब त बड़ा व ान है। यह जीवन- दशा को बदलने वाला, नीरस को सरस बनानेवाला होता है
।यद
हम व के तीक क ◌ो समझ सक, उसक सां केतक भाषा को जान सक तो व म ब त लाभा वत हो
सकतेह। सचमुच यह गू
ढ़ व ा है। व अ छा हो या बुरा, य द सही जानकारी होती है
तो अ न से बचा जा
सकता हैऔर इ को संपा दत कया जा सकता है।
व के अनेक कार होते ह। काल केआधार पर भी उनका वभाजन होता है। कुछ व दन म आते ह और
कुछ रात म। कु
छ रात केपहलेहर म और कु छ सरे -तीसरे
और चौथेहर म। कौन-सा क याणकारी होता
हैऔर कौन सा अक याणकारी - इसे सब नह जानते । व शा के भी अपनेनयम ह। एक नयम हैक
क याणकारी व आने के न: न द नह ले
बाद त काल उठकर ई र जाप म लग जाना चा हए। पु नी चा हए।
न: सो जाते
जो पु ह, उनकेव का इ प रणाम न हो जाता है । दन म लये जाने वालेव को दवा व
कहते ह। इनम भी क पना होती है
। ये
यथाथ भी होते
ह।
अ या म- व ा ने व तु
क न रशीलता को दखाने केलए व क उपमा द गयी है । जै सेव क चीज
न र होती ह, व न र होता है, वैसेही सं
सार के सभी पदाथ न र ह। एक भखारी नेव दे खा क वह
राजा बन गया है
। उसकेमहल ह, रा नयां ह, हाथी-घोड़े
ह और वह ठाट-बाट सेरह रहा है। इतने
म ही एक
कुा आता है और सरहाने रखेभ ापा को चाटने लगता है
। भ ापा फू ट जाता है। उसकेव का
राजसी ठाट-बाट भी चु
क जाता है। यह हैसंसार क न रता।
व के दे
वता पर, यो तषी और व पर पू रा भरोसा करना खतरेसे
खाली नह होता। कु
छ लोग कहतेह क
मु
झेव म दे वता नेऐसा कहा है
। वह उसकेअनुसार काम करता हैऔर फं
स जाता है
। इसम एक बात और है
क व क भाषा को समझना ब त क ठन होता है । उसम दखता कुछ हैऔर उसका अथ कु छ और ही होता
है
। इसी लए येसारी गड़ब ड़यांहोती ह।
न द और व का सं बंध है
। ये
क व दे
खता है
। वह उसे या नह , व
याद रख सके षण कर सके
े
या नह , यह सरी बात है
।
व ान क अने क खोज के साथ व क बात जु ड़ी ई है। वैा नक को पूरा समाधान नह मल रहा था,।
व ने उसक गु थी सु
लझा द । सलाई मशीन क खोज ई। पू रा समाधान नह मला। व म समाधान
मल गया। मनो व ान का पूरा एक वभाग ' व - व ान' से जु
ड़ा आ है । वशे षाव यक भा य म बताया गया
हैक सं कार केकारण व आते ह। मनो व ान मानता हैक द मत इ छाएं , अवचे तन मन क इ छाएं,
व म कट होती ह। दन म चे तन मन काम करता है। चे
तन म बु है , तक है , काट-छां
ट करने
क श है
।
वह दन म कायरत रहता है। जब आदमी सो जाता है तब वह न य हो जाता है और अवचे तन मन स य
हो जाता है
।
व त,
ु या अनुभूत घटना का ही आता है ।अ ु त, अ या अननु भू
त घटना का कभी व नह आता।
कुछ लोग कहतेह - हम ऐसा व आया जसका य न ु त था, न था और न अनु भू
त था। यह बात
अ यथा भी नह है। इसका भी पुकारण है । हमारी मृत के
वल इस म त क क मृ त नह है, इससेपरेक
मृ , पु
त है वज म के संकार क मृ त है। इन सं कार क परत हमारे म त क म है। सं
भव है आज का
म त क- व ानी इसे न जान पाया हो। अभी म त क के अनेक रह य अ ात ह। हजार -हजार वैा नक
म त क के अ ययन म सं ल न ह, पर आज भी वह रह य बना आ है ।
1. व मे
कोई दे
वता दखाई दे
तो लाभ के ।
साथ-साथ सफलता मलती है
2. व म कोई गौमाता के
दशन करता है
यह अ य त शु
भ होता है
। उस को यश, वै
भव एवं
प रवार वृ का लाभ मलता
।
है
3. व म गाय का ध दोहना धन ाç त का सू ।
चक है
4. सफे
द घोडे
का दखाई दे
ना-सु
दर भा य के
साथ-साथ धन क ।
ा त कराता है
5. व म चू
ह का दखाई दे
ना उ म भा य का तीक माना जाता है ।
जो धन दायक है
7. व म च प ी दखने ।
पर अनायास धन ाç त होती है
9. व म तोते
को खाता आ दे
खना चू ।
र मा ा म धन ाç त माना जाता है
10. व म य द घ घा दखाई दे
तो के
वेतन म वृ तथा ।
ापार म लाभ होता है
11. व म सफे
द ची टयाँ
धन लाभ कराती हं।
◌ै
12. व म कालेब छू ।
का दखना धन दलवाता है
13. व म ने
वले
का दखाई दे
ना वणाभू
षण क ाç त करवाता है
।
14. मधु
म खी का छ ा दे
खना शु
भ शकु
न है ।
जो धन दायक है
15. सप को फन उठायेयेव म दे
खना धन ाç त का सू ।
चक होता है
16. सप य द बल म जाता या आता आ दखाई दे
तो यह अनायास धन ाç त का सू ।
चक होता है
17. व म आम का बाग दे
खना या बाग म घू
मना अनायास धन क ।
ाç त करवाता है
18. व म कद ब केवृ को दे
खना ब त ही शुभ होता है
जो को धन-दौलत नरोगी काया मान
स मान एवं ।
राजस मान क ाç त करवाता है
21. व म नतक नृ ।
य करती दखाई द तो यह धन दायक है
22. सफे
द चू
डयां
दे
खना धन आगमन का सू ।
चक है
23. व से
कु द-कु
मु मु
दनी को दे ।
खना धनदायक होता है
24. व म कसान को दे ।
खना धन लाभ कराता है
25. व म गौ, हाथी, अ , महल, पवत और वृ पर चढ़ना भोजन करना तथा रोना धन दायक कहा गया
।
है
कोई ट पणी नह :
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ब वशन दे
ख
मे
रे
बारे
म
मे
रा पू
रा ोफ़ाइल दे
ख
Blogger ारा सं
चा लत.