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सिखाता है
आपि में बैर करना
यशोधमाम
मानोज रखखत प्रकाशन
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कृ तिस्वाम्य –
मानोज रखित
ईमेल maanojrakhit@gmail.com
ISBN-10: 81-89746-15-4
प्रकाशन –
Paperback editions –
2012अक्टू बर
Digital Version –
2018 April
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स्िुति
या कुन्देन्दुतष
ु ारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्ण्डतकरा या श्वेतिद्मािना।
समपप ण
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पुस्िक समीक्षा
श्री शुखतवन्त दुबे 'खवजन', राष्ट्रिखत िदक प्राप्त, राष्ट्रीय िम्मानों िे िम्माखनत,
खवद्यावाचस्त्िखत (मा0), खजला अध्यक्ष इण्ण्डयन प्रेि कौंखिल, खजला िीधी, मध्य
"मानोज रखित की कृ खत "मज़हब ही खििाता है आिि में बैर करना" मेरे हाि
में है । अभी तक मैंने िढ़ा िा मज़हब नहीं खििाता आिि में बैर करना और अिने इि
दृखिहीन ज्ञान को िगवय प्रचाखरत भी करता आया हू ।ूँ खकन्तु आज िमझा खक मैने
तोतारटन्त इि िुस्त्तैनी अज्ञान को खवराित में िाया और श्रृंिला का िूर बनता रहा।
"मैं" हू ूँ व्यखि, चर िमखि का प्रतीक हू ,ूँ एक खिम्बल हू ।ूँ इिखलए यह अज्ञान भी व्यखि
चचतन के द्वार िर िोचने के खलए छोड़ देती है । ऐ वे िच्चाईया ूँ हैं जो िाठक की िोच को
बदल िकती हैं । अन्य मज़हबों की िंकीणयता, कट्टरता, दुराग्रहता तिा चहिात्मकता का
करता है ।
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िुस्त्तक धमय का फ़ोटोग्राफ़ है , ले िक एक फ़ोटोग्राफ़र। जो मज़हब के चे हरे को
हू -बहू दशयक के िामने रि खदया है । फ़ोटोग्राफ़र फ़ोटो में अिना कुछ नहीं देता। ले िक
कोई इच्छा नहीं रही, खक मैं उन व्यखियों को िमझाने में, अिना िमय एवं अिनी उजा
आमंरण है जहा ूँ वह खचन्तन के खलए जगह िाता है । इि छोटी िी िुस्त्तक में बाइखबल
ओल्ड व न्यू टे स्त्टामेन्ट, ईिाई गॉस्त्िे ल, कुरआन और उनकी आयतें तिा िनातन धमय
का खनष्ट्िक्ष व खनष्ट्काम भाव िे यिारूि, यिा आदेश एवं उिदेश प्रस्त्तुत खकया गया है ।
कटते खिर देिा है , बण्स्त्तयों की जलती होली देिी है , िून की नखदयों में उफ़ान देिा है ।
यही कारण है खक भावों का िाधक खचन्तन के कमय-मठ में िाधनारत होकर ित्यधमय के
द्वार िर िहु च
ूँ ता है । इि िहु च
ूँ में न िीझ है , न उदािी है , न कचोट है , न हिौड़ा प्रहार का
कोई आग्रह। वह शान्त खनर्वलप्त भाव िे अिने अध्ययन के खनष्ट्कषय धमयिार को िाठक के
मन मण्स्त्तष्ट्क में खनचोड़ देता है , जो धीरे -धीरे खरिता हु आ िाठक की िोई हु ई चे तना को
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ले िक कोई उिदेशक नहीं, िर मानव धमय का रक्षक है । इिीखलए उिका
िहला और अण्न्तम िंदेश - यखद अिने खहतों की िुरक्षा चाहते हो तो िहले िनातन धमय
खििाता है आिि में बैर करना - िटीक एवम् तकयिंगत है । िर िनातन धमय ही मानव
धमय है खजिमें --िवे भवन्तु िुखिनः िवे िन्तु खनरामया--के भाव-िुष्ट्ि खचन्तन-उद्यान में
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बस केवल एक झलक दे ख लें
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पतवत्र बाइतबल की तशक्षायें
वाक्यों का चयन कर ही अनुवाद प्रस्त्तुत करूूँ िातक मूल भाव बरकरार रिे ।
कोश, फ़ादर काखमल बुल्के, कािखलक प्रे ि, रा ूँची, 1968 तिा राजिाल
यिू दी मूल का है । यहू दी धमय की खशक्षायें इिमें िखिखहत हैं जो ईिाई धमय को
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मान्यिाप्राप्त है । इिमें िखिखहत खशक्षाओं में िे हम कखतिय उद्धरण यहा ूँ
प्रस्त्तुत करें गे जो यिू दी तिा ईसाई धमय के बारे में आपकी मान्यिाओां को
एक नई खदशा देगी।
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यिू दी मूल का पतवत्र बाइतबल
खकया, यखद वहा ूँ के लोग तकसी भी अन्य भगवान की पूजा करते हों, चाहे
वे ऊूँचे िवयतों िर बिते हों, या िहाखड़यों िर, या खफर हरी-भरी वाखदयों में
िुम्िारा पुत्र, या िुम्िारी पुत्री, या िुम्िारी पत्नी जो तुम्हारे हृदय में बिती हो,
िूजा करें जो न तुम्हारे भगवान हैं न तुम्हारे िूवयजों के 13:8 न तुम अिनी
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िहमखत दोगे , न तुम उिकी बात िुनोगे , न तुम्हारी नज़र में उिके प्रखत दया
होगी, न तुम उिे क्षमा करोगे , न तुम उिे छु िाओगे 13:9 तुम उिे अवश्य िी
मार डालोगे, तुम्हारा हाि वह पिला िार् िोगा जो उसे मृत्यु के द्वार तक
िहु च
ूँ ाएगा, उिके िश्चात दूिरे लोगों के हाि उि िर िड़ें गे 13:10 और तुम
उिे पत्र्रों से मारोगे ताखक वह मर जाए क्योंखक उिने तुम्हें तुम्हारे अिने
खनगल जाने दो उनके शरीरों को, उनकी मौि अत्यां ि दुुःखद िो, मैं भी
भेजगा
ू ूँ जानवरों को खजनके दा ूँत उनके शरीरों िर गड़ें गे और िा ूँिों को खजनका
खवष उन्हें धूल चटाएगा 32:25 खबना तलवार के उनके खदलों में आतंक भर
दो, नि कर दो जवा ूँ मदों को, कुमाखरयों को, मााँ का दूध पीिे नन्िे बच्चों को,
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ओल्ड टे स्टामेंट—ईसाइयाि
उठा कर िटको ताखक उनके टु कड़े -टु कड़े हो जायें , उनकी पतत्नयों का
बलात्कार करो।
ओल्ड टे स्टामेंट—नम्बसप
मादा बच्चों को खजन्होंने खकिी िुरुष के िाि िहवाि न खकया हो, उन्हें
ओल्ड टे स्टामेंट—एक्सोडस
उनकी िेवा करोगे , बण्ल्क उन्हें पूरी िरि से तवध्वांश कर दोगे , उनकी
को तोड़ दोगे , उनके उिवनों को काट डालोगे 34:14 तुम खकिी भी दूिरे
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भगवान की िेवा न करोगे क्योंतक लॉडप , खजिका नाम ईष्ट्यालु िै वह एक
ओल्ड टे स्टामेंट—नािुम
1:2 गॉड ईष्ट्यालु हैं , और लॉडप बदला ले िे हैं ; जब लॉडप बदला लेते
हैं तो वह क्रोधोन्मत्त िो जाते हैं ; लॉडप प्रतिशोध लेंगे अिने खवरोखधयों िे; वे
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ईसाई मूल का पतवत्र बाइतबल
तनउ टे स्टामेंट—मैथ्यू
गॉस्त्िे ल कहते हैं ईिा की जीवनी एवां उनकी तशक्षाओां के िंकलन को।
10:34 न सोिो खक मैं आया हू ूँ तवश्व में शाांति लाने के खलए, मैं
आया हू ूँ शाांति के तलए निीं बल्ल्क िलवार तलए 10:35 क्योंखक मैं आया हू ूँ
पतरवार।
तनउ टे स्टामेंट—ल्यूक
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12:51 िुम समझिे िो खक मैं आया हू ूँ इि धरती को अमन िै न
दे ने? मैं तुम्हें बताता हू ूँ - निीं। मैं आया हू ूँ बूँटवारा करने 12:52 क्योंखक अब
से घर में िा ूँच बटे होंगे - तीन दो के खवरुद्ध - दो तीन के खवरुद्ध 12:53 तपिा
होगा पुत्र के खवरुद्ध - पुत्र होगा तपिा के खवरुद्ध - मााँ होगी पुत्री के खवरुद्ध -
पुत्री होगी मािा के खवरुद्ध - सास होगी बिू के खिलाफ़ - बिू होगी सास के
खिलाफ़।
घृणा निीं करता - एवं मािा से , पत्नी से , सां िानों से , भाई-बिनों से , एवं
गॉस्पेल ऑफ र्ॉमस
सां ि िॉमि ईसा मसीि के बारह मुख्य तशष्ट्यों में िे एक िे और उन्होंने ईसा
16 ईिा ने कहा सां भविुः लोग सोििे िैं खक मैं आया हू ूँ तवश्व में
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िोंगे एक पतरवार में - वहा ूँ तीन होंगे दो के तवरुद्ध और दो होंगे तीन के
निीं करे गा, और अिना क्रॉि नहीं ढोये गा जैिा खक मैंने खकया है , वह मेरे
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पतवत्र कुर’आन की तशक्षायें
मुहम्मद फ़ारुक िा ूँ, अूँग्रेज़ी अनुवाद मु0 मा0 खिक्िाल, मिबा अल-हिनात,
इंखडया खरखलजि बुक िेंटर, नागिुर (4) एखमनेंट खहस्त्टोखरयन्ि, अरुण शोउरी,
8185990522
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अल'बकरा सूरा 2
8185990581)
अन'तनसा सूरा 4
चमखड़या ूँ डाल देंगे ताखक उन्हें स्वाद तमले यां त्रणा का। अल्लाह िबिे अखधक
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अल'अन्फ़ाल सूरा 8
आयत 12 जो मेरे अनुयायी नहीं हैं , मैं उनके हृदयों में आिांक भर
दूगा।
ूँ उनके सर धड़ से अलग कर दो, उनके हाि और िा ूँव को इि कदर
वो िुम निीं, बल्ल्क अल्लाि िा, खजिने चहिािूणय ढं ग िे उन्हें मार डाला। वि
िूवयक प्रहार खकया ताखक वह तुम जैिे अनुयायी को भरपूर पुरस्कार दे िके
कर ले (ISBN 8185990581)
अि'िौबा सूरा 9
आयत 2-3 अल्लाह एवं उनके िै गंबर मुि हैं , खकिी भी दाखयत्व िे,
मूर्ति पूजकों के प्रति... उन्हें ऐिी िजा दो खक वे शोक ग्रस्त्त हो जायें (ISBN
8185990581)
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आयत 5 जब हराम महीने बीत जायें तो मूर्तिपूजकों को कत्ल कर
डालो जहा ूँ भी िाओ उन्हें । तछप कर घाि लगाये बैठे रहो उन िर आक्रमण
करने के खलए। उन्हें घे र लो और बन्दी बना लो। यखद उन्हें मूर्वतिूजक होने का
उनका मागय छोड़ दो। अल्लाह ने उन्हें क्षमा खकया और उन िर दया की (ISBN
8185990522)
तुम्हें कड़ी िजा देगा और तुम्हारी जगह िर दूिरे आदमी को लाये गा 41 चाहे
करते, उनिे युद्ध छे ड़ो। उन िर कठोर बनो। उनका अांतिम तठकाना नरक
क्योंखक (जित) स्वगप उनका िोगा - वे लड़ें गे अल्लाह के खलए, किसा पूवपक
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अल्लाि का तोराह में (यहू खदयों का धमयग्रंि), गॉस्त्िे ल में (ईिा की जीवनी एवं
खशक्षायें ), एवं कुरआन में, खजििे वि (अल्लाि) बधें िैं । अल्लाह िे बे हतर
818663200X)
बसिे िैं , िमला बोल दो उन पर, उन्हें जताओ खक तुम खकतने कठोर हो
(ISBN 8185990581)
अल'िज़्ज़ सूरा 22
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अल'अिज़ाब सूरा 33
मुिम्मद सूरा 47
उनिे धन वसूल करो। उनके हखियार डलवा दो। तुम ऐिा ही करोगे । यखद
जाने देगा। वह उन्हें जन्नि में बुला लेगा। अल्लाि का विन है यह।
अनन्ि काल िक नरक में िड़े गा। अल्लाह केवल मुिलमानों की ही रक्षा
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को अिनायें गे उन्हें अल्लाि जन्नि में दातखल करे गा। जो मुिलमान निीं
बनेंग,े वे वही िायें गे जो जानवर खािे हैं , नकय उनका घर होगा... वे वहा ूँ
अल'फ़िि सूरा 48
अल'मुम्ििना सूरा 60
अि'ििरीम सूरा 66
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अल'िक्का सूरा 69
आग में और उिके बाद बा ूँधो उिे एक जंजीर िे, जो हो ित्तर क्युखबट लंबा,
8185990581)
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तिन्दू धमप की तशक्षायें
िं खडत रखव शं कर, ऐंजेल रे कॉर्डिय, 2002 (4) िेलेक्शं ि फ़्रॉम चहदू स्त्कृ प्चिय -
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श्रीमद्भगवद्गीिा
अध्याय 9 श्लोक 29
तप्रय है ; जो भि मुझको प्रेमसे भजिे हैं , वे मुझमें हैं और मैं भी उनमें प्रत्यक्ष
प्रकट हू ूँ
ऋग्वे द
1-164-46
करते हैं ; जैिे इंि, खमर, वरुण, अखि, शखिशाली गरुत्मत, यम एवं मतखरस्त्वन
(ISBN 8185990522)
तशवमतिम्ना
स्िोत्र 3
रास्त्तों िे, बहती हु ई अंत में जाकर उिी िागर िे खमलती हैं , उिी प्रकार िभी
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इच्छु क तुम (ईश्वर) तक जा िहु च
ूँ ते हैं , अिनी-अिनी चे िाओं के द्वारा,
िै त्रीय उपतनशद
िभी सार् काम करें , एक िोकर मानविा की भलाई के खलए। हमारा ज्ञान
ज्योखतमयय हो एवं अर्पपूणप हो। हममें एक-दूिरे के प्रखत घृणा न हो। िारों
िै त्रीय अरण्यक
पृथ्वी पर शांखत हो, आकाश में शांखत हो, स्वगप में शांखत हो, सभी
तदशाओां में शांखत हो, अति में शांखत हो, वायु में शांखत हो, सूयप में शांखत हो,
िां द्रमा में शांखत हो, ग्रिों में शांखत हो, जल में शांखत हो, पौधों में शांखत हो,
जड़ी-बूतटयों में शांखत हो, पे ड़ों में शांखत हो, गाय-बैलों में शांखत हो, बकतरयों
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में शांखत हो, घोड़ों में शांखत हो, मानवों में शांखत हो, ब्रह्म में शांखत हो, उन
व्यखियों में शांखत हो खजन्होंने ब्रह्म को पाया हो, शांखत हो, केवल शांखत हो।
स्र्ायी कर सकूाँ , और िभी खद्विादों में एवं चतुिादों में। ईश्वर करें मुझमें
सवे शाम
सब का भला हो। सब के तलए शांखत हो। सभी िूणयता के योग्य हों
एवं सभी उिकी अनुभूखत करें जो शुभ हो। सभी आनण्न्दत हों। सभी स्त्वस्त्ि
हों। सभी के जीवन में वह हो जो भला है एवं कोई भी कष्ट में न हो (चान््ि
ऑफ इंखडया)
िै त्रीय उपतनषद
करो। तुम्हारी मािा तुम्हारे खलए एक देवी स्त्वरूि हों। तुम्हारे तपिा तुम्हारे
खलए एक देवता स्त्वरूि हों। तुम्हारे गुरु तुम्हारे खलए एक देवता स्त्वरूि हों।
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तुम्हारे अतितर् तुम्हारे खलए एक देवता स्त्वरूि हों। जहा ूँ भी तुम दोष रतिि
कमों को खकए जाते हु ए देिो, केवल उन्िीं का अनुसरण करो, अन्य कमों
का निीं। िम जो िुम्िारे गुरु िैं , जब तुमने देिा है हमें अच्छे कमय करते हु ए
मोक्ष की ओर। शांखत हो, शांखत एवं िम्िूणय शांखत (चान््ि ऑफ इंखडया)
मनु स्मृति
तवष बुझा हो, अिवा खजिके फलक से आग लपलपा रही हो 7-91 राजा
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तवनय पूवपक दोनों हाि जोड़ खलए हों, अिवा जो युद्ध भूतम से पलायन कर
रहा हो, या खजिने घुटने टे क तदए हों और कहता हो खक मैं िुम्िारी शरण में
निावस्र्ा में हो, या खफर खजिने ितर्यार डाल तदए हों, न उि िर जो युद्ध
8190040049)
Interpretations
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लेखक के बारे में
मैं न तो खकिी िंगठन का िदस्त्य हू ,ूँ न खकिी राज नै खतक दल का, न खकिी धार्वमक
िंि का। मैं खकिी िंस्त्िा के बंधनों में अिने को जकड़ा हु आ िाना नहीं चाहता हू ।ूँ न
ही मुझमें कोई अखभलाषा है राजनीखत के दलदल में फूँ िने की। मेरे लेिन में यखद
कोई तुखट िाएूँ तो िमझें खक वह जान बूझकर नहीं हु आ और उिे ठीक करने के खलए
आि मुझे िदा तैयार िाएूँगे। चहदी मेर ी मातृभाषा नहीं है अतएव आशा है खक आि
गणिखत को मैंने प्रत्येक स्त्िान िर िाया चाहे वह मंखदर हो, या मण्स्त्जद, या खगरजा।
अिने िाखकस्त्तानी ड्राइवर मखलक के िाि मैं शारजाह के मण्स्त्जद में गया और उिके
बगल में बैठ कर अिने इिदे व को याद खकया, जबखक उिने अिनी नमाज़ िढ़ी।
एक ही बहु त बड़ी िाली में िे, हम िभी ने एक िाि भोजन खकया, उनके एक करीबी
खरश्तेदार की मौत के बाद, मण्स्त्जद िे लौट कर। मुम्बई में एक कैिोखलक चचय के
मास के दौरान मैं खगरजे में मौजूद िा। कैने डा के एक प्रोटे स्त्टें ट चचय में सरमन के
िमय मैं उिण्स्त्ित रहा। मुम्बई में यहू खदयों के खिनगॉग एवं िारखियों के टे म्िल में मैं
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एक चहदू, यह नहीं िोचता, खक मेर ा ईश्वर ही अकेला िच्चा ईश्वर है , और बाक़ी िभी
के ईश्वर, झूठे ईश्वर हैं , जै िा खक यहू दी िोचते हैं , ईिाई िोचते हैं , मुिलमान िोचते
हैं खजिका मुझे तब ज्ञान न िा। मोहनदाि करमचन्द (महात्मा ?) गां धी तिा
उनकी दे िा दे िी अने क खहन्दू धमयगुरुओं ने जो कहा उिे मैं ित्य िमझता रहा। चाहे
ईिाई वेस्त्ट, मैंने िभी धमों को एक जै िा जाना, और माना। मैंने जाने खकतने लोगों
िंदभय में अनजान िा। मैं जानता नहीं िा खक खवखभि धमय वास्तव में क्या सिखाते
हैं । मैं एक ऐिी काल्िखनक दुखनया में जीया, खजिमें ििी धमम िमान हु आ करते
िे !
आवश्यकता कभी न महिूि की िी, खक मुझे स्त्वयं खवखभि धमों का अध्ययन करना
चाखहए। मैं बड़ा िुिी िा, उन ज्ञाननयों पर िूणयतया खवश्वाि कर, खजन्होने मुझे उि
महान अित्य का पाठ िढ़ाया, खक िभी धमय िमान हैं , एवं िभी धमय प्रेम और
शाांनत की सशक्षा दे ते हैं । उन्होंने ऐिा क्यों खकया? क्या वे स्त्वयं अज्ञानी िे , और उिी
अज्ञान को, अिने अनुयाखययों में बााँटते रहे िे ? या खफर ित्य की प्रतीखत िी उन्हें ,
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जीवन के िचाि वषय बीत चुके िे , और तब जाकर मैं बैठा, खवखभि धमों की खशक्षाओं
उन धमों के अनुयाखययों की िोच, एवं आचरण में। गहराई में गया, तो मैंने जाना
खकि प्रकार िे, प्रत्येक धमय ने , मानव इखतहाि, एवं वतयमान की घटनाओं को रूि
िकते हैं , िर अिनी ही क्षखत करके। अब मैं बाूँटना चाहता हू ,ूँ अिनी इन नई
मैं एक ऐिे िखरवार में जन्मा िा, खजिमें अध्यात्म, एवं उच्च खशक्षा का प्रचलन, अने क
िीखढ़यों िे रहा िा। मेरे खिता स्त्वणयिदक प्राप्त इंजीखनयर िे । खितामह डॉक्टर िे ।
प्रखितामह खशक्षाखवद् एवं लेिक िे । प्रखितामह के खिता, व्यविाय त्याग कर, अिने
अंखतम जीवनकाल में, िंिार में रह कर भी, एक योगी बन गए िे । िभी के अंश मुझे
मेर ा जन्म, मातृिक्ष के खितामह के घर, बाूँकुड़ा (िखश्चम बंगाल) में 25 जनवरी 1952
को हु आ िा। इि प्रकार मैं एक दहांिू बांगाली पररवार में जन्मा, िला और बड़ा
खवश्वखवद्यालय की िदवी, एवं भारतवषय तिा खवदे श िे, तीन व्यविाखयक योग्यताओं
को प्राप्त कर, मुझे कई दे शों के खनगखमत क्षेर में, उच्च स्त्तर िर, व्यािक प्रशािखनक
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काययभार ि ूँभालने का, अविर भी खमला। इि बीच मुझे , बीि खवखभि दे शों के
नागखरकों के िाि, खनकट िंिकय में कायय करने का, एवं उन्हें जानने का भी, िमुखचत
अविर खमला। िचीि वषों तक, अिक िखरश्रम करने के िश्चात, अब मैंने कायय
मेरे आराध्य, श्री नारायण की िया िे, मेरे जीवन की महत्वाकाांक्षाएाँ एवां
िाांिाररक आकाांक्षाएाँ पूणम हो चुकी हैं। अब मैं, अपने िमय, एवां पररश्रम, के बिले
में , कुछ िी नहीां चाहता। इि कारण, मैं कायम में पूणम मनोयोग के िार्, एकाांत
ही चाहता हूाँ। मेरा कायम, केवल उन्हीां लोगों के सलए है, जो इिकी महत्ता को
पहचानते हैं। मझ
ु में अब कोई इच्छा नहीां रही, कक मैं उन व्यक्क्तयों को
िमझाने में , अपना िमय, एवां अपनी ऊजाम नष्ट करूाँ, जो मेरी बात को िमझने
के िार्, ननिाते जाना है, एवां उि कमम के पररणाम को, श्री नारायण को
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