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1
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
यो तष दे
व व ा है
यू
ंही नह सदगुदे
व ने
इस व ा वशे
ष पर सवा धक पुतक लखे
यू
ंही नह
सदगुदे व के
यश सेर र सेलोग खचेचले आते थे
।
ज म कु
ं
डली जीवन का दपण है
। यह इस लए नह होता क जीवन के
नकारा मक ण का आकलन
करके उनकेआने सेपहलेही डर डर के
मरण्मु
खी हो जाव वरण
खै
र हर थ त प र थ त को दे
खने
केहमे
शा से
ही दो कोण रहे
ह।
हमे
जीवन (आशा) और मृ
यु( नराशा) दोन म सेकसके साथ आगे
बढ़ना है
इसका सवा धकार
गत ही रहता है
सदा से
...
***॥ नव ह पू जन ॥***
ॐ ा मु
रा र पु रां
तकारी भानु
: शशी भूमसु
तो बु
ध ।
गु शु: श न रा के तव: सव हा: शां तकरा भवं
तु
॥
सूय: शौय मथे च पदव स मंगलंमं
गल: स बु च बु
धो गु गुतां
शु: सु
खंशं
श न:।
रा बा बलं करोतु
सततं
केतु
: कु
ल यो त न यंी तकरा भवं
तुमम ते
सवअनुकू
ला हा:॥
ॐ नव हे
यो नम:। आवाहया म, थापया म, पू
जया म।
2
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
रन स वधान -
इस अव था म हमे
उस ह वशे
ष का “कवच” स करके
धारण करना चा हए। कवच स का वधान मै
फर
कभी लखूं
गा।
ये
दो वधानो के
मा यम से
हमारे
जीवन के
अने
काने
क सम या का समाधान सरलता से
कर सकते
ह।
यह सामा य वधान है
र न वशे
ष केह का दये
गये
संया म सेजतना जप कर सकते
ह उतना कर ल। सभी
केलए ा माला का योग कर।
य द आप साधक ह तो एक बे
हद मामू
ली सा उपर न या हक क भी आपको इस वधान के
दम पर आ य च कत कर
दे
गा अपनेभाव से....
कसी भी ह के
मूल र न या उपर न को ाण त ीत एवं
मं स करने
का वधान
न नवत है
–
1-
3
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
सव थम र न को चां
द या वण क अं
गठ
ु म ज वाकर मुका बनवा ल ।
2-
अब स बंधत ह केदन/ वार को न द समय म न द दशा को मु
खां
वत होकर बै
ठ
जाएं
। गुगणप या द सभी न य साधन कम कर ल।
3-
अब र न ज ड़त मुका को व छ जल सेनान करवा कर नज सम बाजोट पर था पत
कर तथा उस ह का यान कर।
4-
अब पं
चोपचार पू
जन करके
।
रन ाण त ा वधान
व नयोग –
॥ ॐ अ य ी ाण त ा मंय ा व णु ा ऋषय: ऋ यजु
मानस छं
दां
सी ाण
श दे
वता आंबीजम् श म् क लकम् अ मन र न ाण त ा
व नयोग: ॥
5-
अब ह के
मूल मंका नद शत संया म जप कम से
कम दन मे
स प कर।
6-
जपोपरां
त दशां
श अथवा शतां
श आ तयां
उस ह क होम अ न म द।
4
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
7-
अब आपके
सम रखेए “जी वत जागृ
त र न” को धारण कर ल जए ।
सू
य–
यान -
जपाकु
सु
मसं
काशंका यपे
यंमह ु
तम्
। तमोऽ र सवपाप नं णतोऽ म दवाकरम्
॥१॥
मं-
॥ ॐ ां स: सू
याय नम: ॥
वार – र ववार
दशा – पूव
वेला – ात:
उंगली – अना मका
जप संया – ७०००/१४०००/२८०००/१२५०००
चं–
यान -
द धशङ्
ख तु
षाराभं ीरोदाणव सं
भवम्
। नमा म श शनं
सोमं
श भोमु
कु
ट भू
षणम्
॥२॥
मं-
॥ ॐ ां स: चंमसे
नम: ॥
वार – सोमवार
दशा – आ नेय {पूव-द ण}
वेला – चंो दत रा
उंगली – क न का
जप संया – ११०००/२२०००/४४०००/१२५०००
मं
गल –
यान -
धरणी गभ सं
भू
तंव ु
का त सम भम्
। कु
मारं
श ह तं
च म लंणमा यहम्
॥३॥
मं-
॥ॐ ां स: भौमाय नम: ॥
5
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
वार – मं
गलवार
दशा – द ण
वेला – संया
उंगली – अना मका
जप संया – १००००/२००००/४००००/१२५०००
बु
ध–
यान -
य गु
क लका यामं पे
णा तमं
बु
धम्
। सौ यं
सौ य गु
णोपे
तं
तंबु
धंणमा यहम्
॥४॥
मं-
॥ ॐ ां स: बु
धाय नम: ॥
वार – बु
धवार
दशा – ईशान {पू
व-उ र}
वेला – ात:
उंगली – क न का
जप संया – ९०००/१८०००/३६०००/१२५०००
गु{दे
वगु} –
यान -
दे
वानां
च ऋषीणां
च गु
ंका चन सं
नभम्
। बु भू
तं लोके
शंतं
नमा म बृ
ह प तम्
॥५॥
मं-
॥ ॐ ां स: गुवे
नम: ॥
वार – गुवार
दशा – उ र
वेला – दोपहर
उंगली – तजनी
जप संया – १९०००/३८०००/७६०००/१२५०००
शु{दै
यगु} –
यान -
हमकु
द मृ
णालाभं
दैयानां
परमं
गुम्
। सवशा व ारं
भागवंणमा यहम्
॥६॥
मं-
॥ ॐ ां स: शुाय नम: ॥
6
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
वार – शुवार
दशा – पू
व
वेला – ात:
उंगली – तजनी
जप संया – १६०००/३२०००/६४०००/१२५०००
शन–
यान -
नीलां
जन समाभासं
र वपुं
यमा जम्
। छायामात ड सं
भू
तं
तंनमा म शनैरम्
॥७॥
मं-
॥ ॐ ां स: शनये
नम: ॥
वार – श नवार
दशा – प म
वेला – रा ी १० बजे
उंगली – म यमा
जप संया – २३०००/४६०००/९२०००/१२५०००
रा –
यान -
अधकायं
महावीय च ा द य वमदनम्
। स हकागभ सं
भू
तं
तंरा ंणमा यहम्
॥८॥
मं-
॥ ॐ ां स: राहवे
नम: ॥
वार – श नवार
दशा – नै
ऋ य {प म-द ण}
वेला – संया
उंगली – म यमा
जप संया – १८०००/३६०००/७२०००/१२५०००
के
तु–
यान -
पलाश पु
प सं
काशं
तारका ह म तकम्
। रौ ं
रौ ा मकं
घोरं
तंके
तु
ंणमा यहम्
॥९॥
7
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
मं-
॥ ॐ खां
ख ख स: के
तवे
नम: ॥
वार – श नवार
दशा – वाय {उ र-प म}
वेला – ात:
उंगली – म यमा
जप संया – १७०००/३४०००/६८०००/१२५०००
8
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
कवच स वधान -
जातक क कु
ंडली म उसको ल ने
श, प चमे
श, और भा येश केर न ही धारन करना च हए । अ य ह के
र न अनु
कू
ळ लाभ नह दे
तेहैऔर ब त बार भा यावरोधक भी बन जाते ह। इस लए इसका यान रखना
च हए।
परं
तुह के
कवच कसी भी ह के
धारण कए जा सकते
ह । इनसेव रत लाभ होता है
।
कसी भी ह के
कवच को बनाने
एवं
उस को ाण त ीत एवं
मं स करने
का वधान न नवत है
–
1-
सव थम स बंधत “ ह का यं” को “कु
मकु
म क याही”, और “अनार क पु
यन म लया आ
कलम” सेभोजप पर बनाकर यथा उ चत उपल ध ताबीज मे
डालकर कवच बना ल । चां
द का ता बज
सभी केलए ा है ।
9
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
बु
ध, गु, के तु वण चां
द
श न, रा , लौह चां
द
2-
अब स बंधत ह केदन/ वार को न द समय म न द दशा को मु
खां
वत होकर बै
ठ जाएं
। गु
गणप या द सभी न य साधन कम कर ल।
3-
अब कवच को व छ जल सेनान करवा कर नज सम बाजोट पर था पत कर तथा उस ह का यान
कर।
4-
अब पं
च ोपचार पू
जन करके
।
कवच ाण त ा वधान
व नयोग –
॥ ॐ अ य ी ाण त ा मंय ा व णु ा ऋषय: ऋ यजु
मानस छं दां
सी ाण श दे
वता आं
बीजम् श म् क लकम् अ मन र न ाण त ा व नयोग: ॥
स बं
धत ह क ाण त ा न न मं3 बार पढतेए कर । मंजाप के
समय कवच को अं
गठ
ुेऔर
स बं
धत ह क उं
ग ल सेपश करे
रह।
ाण त ा मं-
( न न मं3 बार पढ-)
ॐ आं यं रं
लंवं
शंषंसं हं
लंं हं
सः अमु
क देव य ाणा इह ाणाः।
ॐ आं यं रं
लंवंशं
षंसं हंलंं हं
सः अमुक दे
व य जीव इह जीव थतः।
ॐ आं यंरंलंवं
शंषंसंहंलंं हंसः अमु
क देव य सव या ण इह थतः।
ॐ आं यंरं
लंवं
शंषं
संहं लंंहं
सः अमुक दे
व य वाङ् मन वक् च ु ः ो ज ा ाण वा ाण
पाद्पायूप था न इहै
वाग य सुखंचरं त ंतुवाहा।
अमु
क के
जगह जस ह का कवच बना रह है । उसका नाम बोल ।
अब न न मं व ह पर अंगुरखकर 1 बार पढ -
ॐ मनो जुतजुषतामा य य बृ
ह प तय ममं त ोवर ं ।
य ं
स ममं दधातुव े दे
वाश इह मादयं
तामो अंत ॥
ॐ अ यैाणा: त ं तुअ यैाणा: रं तु
च।
अ यैदे
व व मचायैमामहेत च क न॥
5-
अब ह के
मूल मंका नद शत संया म जप कम से
कम दन मे
स प कर।
6-
10
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
जपोपरां
त दशां
श अथवा शतां
श आ तयां
उस ह क होम अ न म द।
7-
अब आपके
सम रखेए जी वत जागृ
त कवच को धारण कर ल जए ।
यान -
जपाकु
सु
मसं
काशंका यपे
यंमह ु
तम्
। तमोऽ र सवपाप नं णतोऽ म दवाकरम्
॥१॥
मं-
॥ ॐ ां स: सू
याय नम: ॥
वार – र ववार
दशा – पूव
जप संया – ७०००
यान -
द धशङ्
ख तु
षाराभं ीरोदाणव सं
भवम्
। नमा म श शनं
सोमं
श भोमु
कु
ट भू
षणम्
॥२॥
मं-
11
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
॥ ॐ ां स: चं
मसे
नम: ॥
वार – सोमवार
दशा – आ नेय {पू
व-द ण}
जप संया – ११०००
मं
गल –
यान -
धरणी गभ सं
भत
ूंव ु
का त सम भम्
। कु
मारं
श ह तं
च म लंणमा यहम्
॥३॥
मं-
॥ ॐ ां स: भौमाय नम: ॥
वार – मं
गलवार
दशा – द ण
जप संया – १००००
यान -
य गु
क लका यामंपे
णा तमं
बु
धम्
। सौ यं
सौ य गु
णोपे
तं
तंबु
धंणमा यहम्
॥४॥
12
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
मं-
॥ ॐ ां स: बु
धाय नम: ॥
वार – बु
धवार
दशा – ईशान {पू
व-उ र}
जप संया – ९०००
यान -
दे
वानां
च ऋषीणां
च गु
ंका चन सं
नभम्
। बु भू
तं लोके
शंतं
नमा म बृ
ह प तम्
॥५॥
मं-
॥ ॐ ां स: गुवे
नम: ॥
वार – गुवार
दशा – उ र
जप संया – १९०००
यान -
हमकु
द मृ
णालाभं
दैयानां
परमं
गुम्
। सवशा व ारं
भागवंणमा यहम्
॥६॥
13
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
मं-
॥ ॐ ां स: शुाय नम: ॥
वार – शुवार
दशा – पू
व
जप संया – १६०००
यान -
नीलां
जन समाभासं
र वपुं
यमा जम्
। छायामात ड सं
भत
ूंतं
नमा म शनैरम्
॥७॥
मं-
॥ ॐ ां स: शनये
नम: ॥
वार – श नवार
दशा – प म
जप संया – २३०००
यान -
अधकायं
महावीय च ा द य वमदनम्
। स हकागभ सं
भत
ूंतं
रा ंणमा यहम्
॥८॥
मं-
14
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
॥ ॐ ां स: राहवे
नम: ॥
वार – श नवार
दशा – नै
ऋ य {प म-द ण}
जप संया – १८०००
यान -
पलाश पु
प सं
काशं
तारका ह म तकम्
। रौ ं
रौ ा मकं
घोरं
तंके
तु
ंणमा यहम्
॥९॥
मं-
॥ ॐ खां
ख ख स: के
तवे
नम: ॥
वार – श नवार
दशा – वाय {उ र-प म}
जप संया – १७०००
15
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
नव ह तो माला -
- आ द य दय तो -
व नयोग –
ॐ अ य आ द य दय तो य अग य ऋ ष:, अनु ु
प छंद:, आ द य दय भू
तो भगवान् ा दे
वता,
नर ताशे
ष व नतया व ा स ौ सव जय स ौ च व नयोग: ।
ऋ या द यास –
{१}- ॐ अग य ऋषये नम: शर स,
{२}- ॐ अनु ु
प छं
दसे नम: मुखे,
{३}- ॐ आ द य दय भू तो भगवान् दे
वतायैनम: दये
,
{४}- ॐ बीजाय नम: गु,े
{५}- ॐ र ममते श ये नम: पादयो:,
{६}- ॐ त स वतुर या दगाय ी क लकाय नम: सवागे
।
16
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
श
ेाना युते
शाय सूर ाया द यवचसे । भा वते सव भ ाय रौ ाय वपु षे नम: ॥
तमो नाय हम नाय श ु नाया मता मने । कृ
त न नाय दे वाय यो तषां पतये नम: ॥
त तचामीकराभाय हरयेव कमणे । नम तमोS भ न नाय चये लोकसा णे ॥
नाशय येष वै भू
तंतमेव सृ ज त भु : । पाय ये
ष तप ये ष वष ये
ष गभ त भ: ॥
एष सु ते
षु जाग त भूतेषु प र न त: । एष चै वा नहो ं च फलं चै
वा नहो णाम् ॥
दे
वा तव वै तू नां फलमे व च । या न कृ या न लोकेषुसवषु परम भु :॥
एनमाप सु कृ ेषुका तारे षुभयेषुच । क तयन् पुष: क ावसीद त राघव ॥
पूजय वैनमेका ो दे
वदे वंजग प तम् । एत गु णतं जप वा युे षुवज य य स ॥
अ मन् णे महाबाहो रावणंवं ज ह य स । एवमुवा ततोग यो जगाम स यथागतम् ॥
एत वा महाते जा न शोकोभवत् तदा । धारयामास सुीतो राघव: यता मवान् ॥
आ द यंे यंज वे दंपरं हषमवा तवान् । राच य शु चभूवा धनुर ादाय वीयवान् ॥
रावणंे य ा मा जयाथ समु पागमत् । सवय ने न महता वृ
त त य वधे भवत ॥
अथ र वरवद री य रामं मु दतमना: परमं यमाण: ।
न शचरप तसंयंव द वा सु रगणम यगतो वच वरे त॥
चा ष
ुोप नषद्
व नयोग-
ॐ अ या ा ष ुी व ाया अ हबुध य ऋ ष:, गाय ी
छंद:, स वता दे
वता, च रूोग नवृये व नयोग: ।
ऋ या द यास-
अ हबु
ध य ऋषयेनम: शर स । गाय ी छं
दसे
नम: मु
खे।
स वता दे
वतायै
नम: द । व नयोगाय नम: सवागे
।
यान-
भा व ना मौ ल: फु रदधार चा रं जत चा के
शो
भा वान् यो द ते जा: करकमलयु त: वणवण: भा म ।
व ाकाशावकाशो हगण स हतो भा त य ोदया ौ
सवानं
द दाता ह र हर न मत: पातुमांव च :ु॥
ॐ च :ुच :ुच :ु तेज: थरो भव । माम् पा ह पा ह । व रतं च रू ोगान् शमय शमय । मम्
जात पं ते
जो दशय दशय । यथा अहम अ धो न यां तथा क पय क पय । क याणं कुकु। या न मम्
पूवज मोपा जता न च :ु तरोधक कृ ता न सवा ण नमू लय नमू
लय ।
ॐ नम: च ुतेजोदा े द ाय भा कराय । ॐ नम: क णाकरायामृ ताय । ॐ नम: सू
याय । ॐ नम: भगवते
सू
यायांतेजसे नम: । खेचराय नम: । महते
नम: । रजसे नम: । तमसेनम: । असतो मा स मय । तमसो
मा यो तगमय । मृ योमामृ
तंगमय । उ णो भगवान शु च प: । हंसो भगवान् शु चर त प: ।
य इमां
चा ुमती व ांा णो न यमधीते न त या रोगो भव त । न त य कु लेअ धो भव त । अ ौ
ा णान् स यग् ाह य वा व ा स भव त । ॐ नमो भगवते आ द याय अहोवा हनी अहोवा हनी
वाहा ।
लघु
चा ष
ुोप नषद्
17
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
ॐ अ या ा षुी व ाया अ हबुध य ऋ ष:, गाय ी छंद:, सू
य दे
वता, च रूोग नवृये व नयोग: ।
ॐ च :ुच :ु च :ुतेज: थरो भव । माम् पा ह पा ह । व रतं च रू ोगान् शमय शमय । मम्
जात पं ते
जो दशय दशय । यथा अहम अ धो न यां तथा क पय क पय । क याणं कुकु। या न मम्
पूवज मोपा जता न च :ु तरोधक कृ ता न सवा ण नमू लय नमूलय ।
ॐ नम: च ु ते
जोदा े द ाय भा कराय । ॐ नम: क णाकरायामृ ताय । ॐ नम: सूयाय । ॐ नम: भगवते
सू
यायांते जसेनम: । खेचराय नम: । महते
नम: । रजसे नम: । तमसे नम: । असतो मा स मय । तमसो
मा यो तगमय । मृयोमामृतंगमय । उ णो भगवा छु च प: । हंसो भगवान् शु चर त प: ।
य इमां
चा ु मती व ांा णो न यमधीते न त या रोगो भव त । न त य कु लेअ धो भव त । अ ौ
ा णान् स यग् ाह य वा व ा स भव त । ॐ नमो भगवते आ द याय अहोवा हनी अहोवा हनी
वाहा ।
अ त लघु
चा ष
ुोप नषद्
ॐ नम: भगवते सू
याया ते जसेनम: । खेचराय नम: । असतो मा स मय । तमसो मा यो तगमय ।
मृयोमामृ
तंगमय । उ णो भगवान शु च प: । हंसो भगवान् शु चर त प: । वय सु पणो उपसेदर ं
य मेधा ऋषयो नाधमाना: । अव वा तमू
णु ह पूधच म ुुमुय मा धये व ब ान् । पु डरीका ाय नम:
। पुकरेणाय नम: । अमलेणाय नम: । कमलेणाय नम: । व पाय नम: । ीमहा व णवेनम: ।
चा ु
मती मं : ॐ च ु
: ते
ज काय आ द याय ॐ फट्
।
सू
य नम कार–
एक लाख ध दे
ने
वाली गाय को दान करने
का फल मा एक दन केव धवत सू
य नम कार स प करने
सेा त हो जाता है
।
अ ल या ता पा म जल ले
कर उसम र चं
दन, अ त,और फू
ल डालकर हाथ को दय के
पास लाकर न न मंसे
सू
य को
अ यद–
ए ह सू
य ! सह ां
शो ! ते
जोराशे
! जग पते
! अनु
क पय मां
भ या गृ
हाणा य दवाकर !
अब सू
य मं
डल मेथत भगवान सू
य नारायण का यान कर।
अब सू
य दे
व के ादश नाम से
उनको नम कार कर। एवं
यथास भव सचरण आसन के
साथ नम कार पू
ण भावपू
वक स प
कर।
18
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
1- ॐ म ाय नम: 2- ॐ रवये
नम:
3- ॐ सू
याय नम: 4- ॐ भानवे
नम:
5- ॐ खगाय नम: 6- ॐ पू
ण नम:
19
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
7- ॐ हर यगभाय नम: 8- ॐ मरीचये
नम:
अब सू
य के
सारथी अ ण को अ य द।
वनतातनयो दे
व: कमसा ी सु
र ेर: । स ता : स तर जुअ णो मेसीदतु
॥
20
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
ॐ कम सा णे
अ णाय नम: ।
आ द य य नम कारं
येकु
व त दनेदने
। ज मां
तरसह ष
ेुदा र य
्ंनोपजायते
॥
इसके
बाद सू
या य का जल म तक एवं
आंख पर लगाएं
। तथा कु
छ चरणामृ
त व प भी हण कर।
अकाल मृ
युहरणं
सव ा ध वनाशनम्
। सू
य पादोदकं
तीथ जठरे
धारया यहं
॥
अब समपण कर।
ॐ त सत्
कृत मदं
कम ापणम तु
। व णवे
नम: । व णवे
नम: । व णवे
नम: ।
- चं तवन -
ी चंकवचम्
यान – समं
चतु
भु
जंवं
दे
केयू
र-मु
कु
टो वलम् । वासु
दे
व य नयनं
शं
कर य च भू
षणम् ॥
ी चं
ा वश त नाम तो म्
चंय ृ
णुनामा न शु
भदा न महीपते
। या न ु
वा नरो :खा मु
यते
ना सं
शय: ॥
21
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
सु
धाकर सोम लौर ज: कु मुद य: । लोक य: शुभानुंमा रो हणीप त: ॥
शशी हमकरो राजा जराजो नशाकर: । आ य े: इ : शीतां
शु
रौषधीश: कला न ध: ॥
जै
वातृको रमा ाता ीरोदाणव स भव: । न नायक: श भुशर चू ड ाम ण वभु
:॥
तापहता नभोद पो नामा ये
ता न य: पठे
त् । यहं भ स यु त य पीड़ा वन य त ॥
त ने च पठे तु लभेत् सव समी हतम् । हाद नां च सवषांभवे चं बलंसदा ॥
- मं
गल तवन -
कवच
व नयोग - ॐ अ य ी अं गारक कवच तो मंय क यप ऋ ष:,
अनु ुप छं
द:, अंगारको दे
वता, ी भौम ी यथ जपेव नयोग: ।
र ा बरो र वपु : करीट चतु भजो
ु मेषगमो गदाभृ त् ।
धरासुत: श धर शू ली सदा मम् या रद: शां त: ॥
अंगारक: शरो र े मुखं वैधरणीसु त: । वौ र ा बर: पातुनेे मे र लोचन: ॥
नासांश धर: पातु मुखं मेर लोचन: । भु जौ मेर माली च ह तौ श धर तथा ॥
व : पातुवरांग दयं पातुलो हत: । क ट मेहराज मु खंचैव धरासु
त: ॥
जानुजंघेकुज: पातुपादौ भ य: सदा । सवा य या न चां
गा न र े मे
मे
षवाहन: ॥
य इदंकवचंद ं सवश ु नवारणम् । भू त ेत पशाचानां नाशनं सव स दम् ॥
सव रोग हरंचै
व सव स पत दं शुभम् । भु मु दं नृ
णांसवसौभा यवधनम् ॥
रोग बंध वमो ं च स यमेत सं शय: ॥
नामावली
व नयोग - ॐ अ य ी भौम तो य गग ऋ ष:,
मं
गलो देवता, ु
प छंद:, ऋणापहरणे जपेव नयोग: ।
र ा बरो र वपु : करीट चतु भजो
ु मे षगमो गदाभृत् ।
धरासुत: श धर शू ली सदा मम् या रद: शां त: ॥
ॐ मं गलो भू मपु ऋणहता धन द: । थरा मजो महाकाय: सवकामाथसाधक: ॥
लो हतो लो हतांग सामगानां कृपाकर: । धरा मज: कुजो भौमो भू तदो भूमनं दन: ॥
अंगारको यम व ैसवरोगापहारक: । वृकताSपहता च सवकामफल द: ॥
एता न कुजनामा न ात थाय य: पठे त् । ऋणं न जायतेत य धनंा ो यसं शयम् ॥
अंगारकोS तवलवान प यो हाणांवे दो व नयन य पनाकपाणे :।
आर चं दनसुशीतलवा रणा योS य य चतोSथ वपु लांददा त स म् ॥
भो भो धरा मज: इ त थत: पृ थ ां:खापहो रतशोकसम तहता ।
नृ
णामृ णंहर त ता ध नन: कु या : पूजत: सकलमं गलवासरे षु ॥
एके न ह ते
न गदां वभ त शू लम येन ऋजुमे ण।
श सदा ये न वरं ददा त चतु
भजो
ु मंगलमादधातु ॥
यो मंगलो मंगलमाद-धा त म य हो य छ त वां छताथम् ।
धमाथ कामा दसु खंभु वंकल पुै न कदा वयोग: ॥
कनकमय शरीर ते जसा नरी यो तवह सम कां तमालवे ल धज मा ।
अव नज तनये षुय ूते य: पु
र ाणो दशतु मम् वभू त भूमज: स भाव: ॥
22
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
बु
ध तवन
बु
ध कवच
व नयोग – ॐ अ य ी बु ध कवच तो मंय क यप ऋ ष:,
अनु ु
प् छंद:, बु
धो दे
वता, बुधपीड़ाशमनाथ जपे व नयोग: ।
बु
ध त पु तकधर: कुकु म य सम ु त: । पीता बरधर: पातु पीतमा यानु ले
पन: ॥
क ट च पातु मे सौ य: शरोदेशंबु
ध तथा । नेेानमय: पातुोते पातु नशा य: ॥
ाणंगंध य: पातु ज ांव ा दो मम । क ठं पातु वधो: पुो भु जा पु तकभू षण: ॥
व : पातु वरां
ग दयं रो हणीसुत: । ना भ पातु सुरारा यो म यंपातुखगेर: ॥
जानु
नी रो हणेय च पातु जंघे खल द: । पादौ मे बोधन: पातु पातुसौ यो खलं वपु:॥
एत कवचं द ं सवपाप णाशनम् । सवरोग शमनं सव :ख नवारनम् ॥
आयु रारो यधनदे पुपौ वधनम् । य: पठेछृ णुया ा प सव वजयी भवे त् ॥
बु
ध प च वश त नामावली तो म्
व नयोग- ॐ अ य ी बु धप च वश तनाम तो मंय जाप तर्ऋ ष:
ु
प छं द: बु
धो दे
वता बु
ध पीड़ा नवारणाथ जपे व नयोग: ।
बु
धो बु मतांेो बु दाता धन द: । य क लका याम: क नेो मनोहर: ॥
होमेपो रौ हणेयो न श ेो दयाकर: । व काय हं ता च सौ यो बु ववधन: ॥
चंा मजो व णुपी ानी ो ा ननायक: । हपीड़ाहरो दार पुधा य पशुद: ॥
लोक य: सौ यमु तगुणदो गु णव सल: । प च वश त नामा न बुध यै ता न य: पठे
त् ॥
मृवा बु
धंसदा त य पीड़ा: सवा वन य त । त ने वा पठे तु लभते स मन गतम् ॥
बु
ध शां
त तो म्
23
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
बृ
ह प त तवन
कवच
व नयोग- ॐ अ य ी बृ
ह प त कवच य ई र ऋ ष:, अनुु प छं
द:, दे
वगु ी बृ
ह प त: दे
वता, गं
बीजं
, श :, क
क लकं, बृ
ह प त पीड़ा शमनाथ पाठेव नयोग: ।
ऋ या द यास- शर स ई र ऋषये नम: । मु
खेअनुु
प छं
दसेनम: । द ी बृ ह प त दे
वतायैनम: । गुे
गंबीजाय नम: ।
पादयो: श ये नम: । नाभौ ल क लकाय नम: । सवागेबृ
ह प त पीड़ा शमनाथ पाठेव नयोगाय नम: ।
बीज कर यास अंग यास
गाँ अं
गुा यांनम:, दयाय नम:,
ग तजनी यांनम:, शरसेवाहा,
गूँ म यमा यांनम:, शखायै वषट् ,
ग अना मका यांनम:, कवचाय ं ,
ग क न का यां नम:, ने याय वौषट् ,
ग: करतल करपृा यां नम: । अ ाय फट् ।
अभी फलदं दे
वंसव ं सुर पूजतम् । अ मालाधरं शा तंणमा म बृह प तम् ॥
बृ
ह प त: शर: पातुललाटं पातुमे
गु: । कण सु रगु: पातुनेेमे
अभी दायक: ॥
ज ांपातुसु
राचाय नासां मेवे
दपारग: । मु
खंमेपातुसव ो क ठं मे
दे
वता गु: ॥
भुजावांगरस: पातुकरौ पातुशुभ द: । तनौ मेपातुवागीश: कु मेशुभल ण: ॥
ना भ दे
वगु: पातुम यंपातु सु
ख द: । क ट पातुजगद्व : ऊ मे पातुवा प त: ॥
जानुजंघे
सुराचाय पादौ व ा मक तथा । अ या न या न चांगा न र े
न् मेसवतोगु: ॥
इ ये
तत् कवचंद ं सं यंय: पठेर: । सवान् कामानवा ो त सव वजयी भवे त् ॥
नामावली
व नयोग- ॐ अ य ी बृ
ह प त तो य गृ
समद ऋ ष:, अनुुप छं
द:, ी बृ
ह प त: दे
वता, ी बृ
ह प त ी यथ पाठे
व नयोग: ।
ऋ या द यास- शर स गृ
समद ऋषये
नम: । मु
खेअनुु
प छं
दसे नम: । द ी बृ
ह प त दे
वतायै
नम: । सवागेी
बृ
ह प त ी यथ पाठेव नयोगाय नम: ।
गुबृ ह प तज व: सुराचाय वदा वर: । वागीशो धषणो द घ म ु : पीता बरो यु
वा ॥
सुधा हाधीशो हपीड़ापहारक: । दयाकर: सौ य मूत: सु
रा य: कुकु म ु त: ॥
लोकपू यो लोकगुन त ो नी तकारक: । ताराप त ां गरसो वेद वैध पतामह: ॥
भ या बृह प त मृ वा नामा ये
ता न य: पठे
त् । आरोगी बलवान् ीमान् पुवान स भवेर: ॥
जीवेद् वषशतं म य: पापंन य त त णात् । य: पू जयेद् गु दने पीतगंधा ता बरै
:॥
पु
प दपोपहारैपू ज य वा बृह प तम् । ा णान् भोज य वा च पीड़ा शां तभवे द् गुरो: ॥
24
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
ी शु तवन
व नयोग-
ॐ अ य ी शुकवच य भार ाज ऋ ष:, अनु ु
प छ द:,
ी शुदे
वता, ी शु ी यथ पाठेव नयोग: ।
ऋ या द यास-
शर स भार ाज ऋषये नम: ।, मु
खे अनु
ुप छं
दसे
नम: ।,
द ी शुदे वतायै
नम: ।, सवागेी शु ी यथ पाठेव नयोगाय नम: ।
यान-
मृ
णाल कुदे पयोज सुभं , पीता बरंसृ
तम मा लनम् ।
सम त शा ाथ न ध महा तं
, यायेत् क व वा छतमथ स ये ॥
शरो मेभागव: पातुभालं पातुहा धप: । नेे दैयगु: पातुो े मेच दन ुत: ॥
पातु
मेना सकांका ो वदनं दैयव दत: । ज ां मेचोशना पातु क ठंीक ठ भ मान् ॥
भुजौ ते
जो न ध: पातुकु पातु मनो ज: । ना भ भृगसुुत: पातुम यंपातुमही य: ॥
क ट मेपातुव ा मा ऊ मे सुरपूजत: । जानू जा हर: पातु जं
घेानवतां बर: ॥
गुफौ गुण न ध: पातुपातुपादौ वरां
वर: । सवा यंगा न मे पातुवणमालाप र कृत: ॥
य इदंकवचं द ं पठ त याS वत: । न त य जायते पीड़ा भाग य सादत: ॥
व नयोग-
ॐ अ य ी शु तो य भार ाज ऋ ष:, गाय ी छ द:,
ी शुदे
वता, ी शुपीड़ा प रहाराथ व नयोग: ।
ऋ या द यास-
शर स भार ाज ऋषये नम: ।, मु
खेगाय ी छं
दसे
नम: ।,
द ी शुदेवतायैनम: ।, सवागेी शुपीड़ा प रहाराथ व नयोगाय नम: ।
शु: का : शुरे ता शुला बरधर: सुधी: । हमाभ: कु दधवल: शुां शु: शुलभू षण: ॥
नी त ो नी तकृी त मागगामी हा धप: । उशना वे द वे
दां
ग पारग: क वरा म वत् ॥
भागव: क णा सधुान ग य: सु त द: ।शु यै ता न नामा न शुंमृ वा तुय: पठे
त् ॥
आयु धनं सुखंपुंल म वस तमुमाम् । व ां चै
व वयं त मैशु तुो ददा त च ॥
ी शु तवराज तो म्
व नयोग –
ॐ अ य ी शु तवराज तो ा य जाप त: ऋ ष:
अनुु
प छं
द: ीशु दे
वता ीशु ी यथ पाठेव नयोग: ।
ऋ या द यास –
25
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
शर स जापतये ऋषये नम:,
मु
खेअनु ुप छं
दसे: नम:,
द ीशुदे वतायै नम:,
सवा े ी शु ी यथ पाठेव नयोगाय नम:।
ी शु तवराज तो म्
व नयोग –
ॐ अ य ी शु तवराज तो ा य जाप त: ऋ ष:
अनुु
प छं
द: ीशु दे
वता ीशु ी यथ पाठेव नयोग: ।
ऋ या द यास –
26
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
जीवपुाय यो व ांदात् त मै नमो नम: । नम: शुाय का ाय
भृ
गप
ुुाय धीम ह । नम: कारण पाय नम ते कारणा मने॥
तवराज ममं पुयंभागव य महा मन: । य: पठेछृणुयाद्वा प लभते वांछतं
फलं॥
पुकामो लभते पुान् ीकामो लभते यम् । रा यकामो लभे द ् रा यं ीकामो यमुमाम् ॥
भृगवुारेय नेन प ठत ंसमा हतै : । अ यवारे
तुहोरायां
पूजयेत् भृगन
ुं
दनम् ॥
रोगात मुयेत रोगात् भयात मु ये
त भयात् । य त् ाथये त जं
तुत त् ा ो त सवदा ॥
ात: कालेकत ा भृ गुपू
जा य नत: । सवपाप व नमु: ा ु या छवस धम् ॥
ी श न र ा तवन्
कवच
या वा गणप त राजा धमराजो यु
ध र: । धीर: शनैर ये
मं
चकार तवमुमम् ॥
व नयोग-
ॐ अ य ी शनैर तव राज य सधुप: ऋ ष: गाय ी
छं
द: ी शनैर दे
वता ी शनैर ी यथ पाठेव नयोग: ।
ऋ या द यास-
शर स सधुप ऋषये नम:, मु
खेगाय ी छं
दसे
नम:,
द ी शनैर दे
वतायै
नम:, सवा ेीशनैर ी यथ पाठेव नयोग: ।
शरो मे
भा क र: पातु भालं छाया सु
तोSवतु । कोटरा ो शौ पातुश खक ठ नभ: ु त॥
ाणंमे भीषण: पातु मु
खं ब लमुखोSवतु । कंधौ संवतक: पातु भु
जो मेभयदोSवतु॥
सौ रम दयं पातुना भ शनैरोSवतु । हराज: क ट पातु सवत: र वनं
दन: ॥
पादौ मंदग त: पातुकृण: पा व खलं वपु: । र ामे
तांपठेन यं
सौरे
नाम बालैयुतम् । सुखी पुी चरायुस भवेा सं शय: ॥
ी श न अ ो रशतनामाव ल तो म्
सौ र: शनैर: कृणो नीलो पल नभ: श न: । शु कोदरो वशाला ो नरी यो वभीषण: ॥
श तक ठ नभो नील छाया दयनं दन: । काल : कोटरा : थू लरोमावली मु ख: ॥
द घ नमास गा तु शु को घोरो भयानक: । नीलां शु : ोधनो रौ ो द घ म ु जटाधर: ॥
मं
दोमंदग त: ख ोSतृ त: संवतको यम: । हराज: कराली च सू यपुो र व: शशी ॥
कुजो बुधो गु: का ो भानु ज: स हकासु त: । के
तुदव प तबा : कृ तां
तो नैऋत तथा ॥
शशी म त् कु बे
र ईशान: सु र: आ मभू : । व णु हरो गणप त: कु मार: कामो ई र: ॥
क ा ह ा पाल यता रा ये शो रा यदायक: । छायासु त: यामलांगो धनह ा धन द: ॥
ूरकम वधाता च सवकमावरोधक: । तुो : काम प: कामदो र वनं दन: ॥
हपीड़ा हर: शां
तो न श ेो हेर: । थरासन: थरग त: महाकायो महाबल: ॥
महा भो महाकाल: काला मा कालकालक: । आ द यभयदाता च मृ युरा द य नं
दन: ॥
शत भ दा यनेयोदशी त थ य: । त या मा त थगणनो न गण नायक: ॥
योग रा शमुता मा क ा दनप त: भु : । शमीपु प य: याम: ल ैो य भयदायक: ॥
नीलवासा: या सधु : नीला न च य छ व: । सव रोग हरो दे व: स ो दे वगण तु त: ॥
अ ो र शतं ना नांसौरे छाया सुत य य: । पठे न यं त य पीड़ा सम ता न य त ु वम् ॥
कृवा पू
जां पठेन् म य भ मान् यो तव राजम् । वशे षत: श न दने पीड़ा त य वन य त ॥
ज म ल नेथ तवाS प गोचरेू ररा शगे। दशासु च गते सौरेतदा तव ममं पठेत् ॥
पू
जये द् य: श न भ या शमीपु पा ता बरै : । वधाय लौह तमां नरो :खात् वमु यते॥
बाधा याS य हाणां च य: पठे त् त य न य त । भीतो भयात् वमु येत्
ब ो मु ये
त् बं धनात् । रोगी रोगात् वमु येत् नर: तव ममं पठे
त् ॥
27
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
रा तवन
कवच
व नयोग- ॐ अ य ी रा कवच य चंमा ऋ ष:, अनुुप छं
द:, ी रा दवता, राँ
बीजं
,
नम: श :, वाहा क लकं
, ी रा पीड़ा शमनाथ च ी यथ पाठेव नयोग: ।
ऋ या द यास- शर स चंमा ऋषये नम: । मु
खेअनुु
प छंदसेनम: । द ी रा देवतायैनम: । गुे
राँ
बीजाय नम: ।
पादयो: नम: श ये
नम: । नाभौ वाहा क लकाय नम: ।
सवागेी रा ी यथ पाठेव नयोगाय नम: ।
बीज कर यास अंग यास
राँ अं
गुा यांनम:, दयाय नम:,
र तजनी यांनम:, शरसेवाहा,
ँ म यमा यांनम:, शखायै वषट् ,
र अना मका यांनम:, कवचाय ं ,
र क न का यां नम:, ने याय वौषट् ,
र: करतल करपृा यां नम: । अ ाय फट् ।
णमा म सदा रा ं शूपाकारंकरी टनम् । स हके यंकराला यं लोकानामभयंकरम् ॥
नीला बर: शर: पातुललाटं लोक वं दत: । च ुषी पातु
मे रा : ो ेव शरीरवान् ॥
ना सकां मेधूवण: शू लपा णमु खंमम् । ज ा मेस हकासू नु: क ठंमेकंठनाङ्क: ॥
भु
ज े शो भुजौ पातुनील मा या बर: करौ । पातुव थलं मंी पातु कु वधु ं
तद
ु: ॥
क ट मेवकट: पातु ऊ मे सुरपूजत: । वभानु जानु
नी पातु जंघेमेपातु
जा हा ॥
गुफौ हप त: पातु पादौ मेभीषणाकृत: । सवा यं गा न मे पातुनील ंदन भू
षण: ॥
राहो रदं
कवचमृ दं व तुदंयो भ या पठ यनु दनंनयत: शु च: सन् ।
ा ो त क तमतु लां यमृ मायु रारो यमा म वजयं च ह तत् सादात् ॥
नामावली
व नयोग- ॐ अ य ी रा पं च वश ाम- तो य वामदेव ऋ ष:,
गाय ी छं
द:, ी रा दवता, ी रा ी यथ पाठेव नयोग: ।
ऋ या द यास- शर स वामदेव ऋषये नम: । मु
खेगाय ी छं
दसे
नम: ।
द ी रा देवतायैनम: । सवागेी रा ी यथ पाठेव नयोगाय नम: ।
रा दानवमंी च स हका च नं दन: । अधकाय: सदा ोधी चांा द य- वमदन: ॥
रौ ो यो दैय: वभानु
भानुभी तद: । हराज: सुधापायी राका त य भलाषक: ॥
काल : काल प: ीक ठ दया त: । वधु ं
तद
ु: स हकेयो घोर पो महाबल: ॥
हपीड़ाकरो दंी र नेो महोदर: । प च वश तनामा न मृ वा रा ं
सदा नर: ॥
य: पठेन् महत पीड़ा त य न य त न तम् । आरो यं पुमतु लां यं धा यंपशूं तथा ॥
ददा त रा त मै य: पठे
त् तो मनुमम् । सततं पठते य तु जीवेत् वष शतं नर: ॥
के
तुतवन
कवच
28
नव ह तंम्
- SANTOSH KUMAR GUPTA
ऋ या द यास- शर स य बक ऋषये नम: । मु
खेअनुु
प छं
दसे नम: ।
द ी के तु
दवतायै
नम: । सवागेी के
तुी यथ पाठेव नयोगाय नम: ।
ू
रंकरालवदनं च वण करी टनम् । णमा म सदा के तुंवजाकारंहेरम् ॥
च वण शर: पातु भालंधूसम ु त: । पातु नेेपगला : ु ती मे र लोचन: ॥
ाणंपातुसु
वणाभ बु कंस हकासु त: । पातुक ठंच मे केतु
: कं धौ पातुहा धप: ॥
ह तौ पातुसुर े: कु पातुमहा ह: । सहासन: क ट पातु म यं पातु महाSसु
र: ॥
उ पातु महाशीष जानुनी मे
S त कोपन: । पातुपादौ च मेू र: सवागं नर पगल: ॥
इतीदंकवचं द ं सवरोग वनाशनम् । श ु वनाशंभूतानां
शमनं सव स दम् ॥
ब ना क महो े न य मन स वतते । तत् सव भवे य कवच य
च धारणात् ॥ य: पठेछृ णु
याद्वा प सव वजयी भवे त् ॥
नामावली
के
तु
: काल: कल यता धूकेतुववणक: । लोककेतु
महाकेतु: सवकेतुभय द: ॥
रौ ो यो : ू रकमा सु
गधंधृ
क् । पलाशपु पसंकाश: च य ोपवीतधृ क् ॥
तारागण वमद च जै मनेयो हा धप: । एतद् वश त नामा न केतोय: सततंपठेत् ॥
त य न यं त बाधा सवा: के
तुसादत: । धनधा यपशूनां
च भवे त् वृनसं शय: ॥
29