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श्री केदारे श्वर पूजा - श्री धन लक्ष्मी पूजा

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श्री केदारे श्वर पज
ू ा - श्री धन लक्ष्मी पज
ू ा

Check List

1. Altar, Deity (statue/photo),

2. Two big brass lamps (with wicks, oil/ghee)

3. Matchbox, Agarbatti

4. Karpoor, Gandha Powder, Kumkum, gopichandan, haldi

5. Sri Mudra (for Sandhyaavandan), Vessel for Tirtha, Yajnopaviita

6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks

7. Flowers, Akshata (in a container), tulsi leaves, tulsi garland

8. Decorated Copper or Silver Kalasha, Two pieces of cloth (new),

9. Coconut, 1/2 kg. Rice, gold coin, gold chain

10. Extra Kalasha, 3 trays, 3 vessels for Abhisheka

11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25

12. Dry Fruits, 5 bananas, 1 coconut - all for naivedya

13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water

14. Puja Books (Sri Lakshmii ashTottara Book)

15. Dora (thread)

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Procedure

This vrata is performed on the amaavasya of ashweeja month every year.


The previous night, think of the Goddess Lakshmi and Lord Kedareshvara
and mentally decide to perform puujaa the next day. This is the sankalpa.

On the puja day, early in the morning keeping the same thoughts of
worshipping the Lord, take a head bath (if possible an oil-bath).

Wash Kalasha and fill it with clean water upto 3/4 of it and place it near the
altar in a clean place and cover it up.

Observe Fast (if possible).

Again in the evening take a head-bath. This should be done by both husband
and wife. Wear your best dress. Decorate the front door, altar, kalasha and
the place near the altar. Invite your relatives, friends (who have bhakti in the
Goddess and Lord). The yajamaan's dress should be traditional dhoti.

Keep all the things for puja ready, near the altar.

Duration - start to Arati - 2 hours


Total duration - start to finish - 3 to 3.5 hours

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१ At the regular altar ॐ उपेन्राय नमः . ॐ िरये नमः .
श्री कृष्णाय नमः ||
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः | -----------------------------------------------------------------------------

ॐ सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमः | ३ प्राणायामः


(Due to pranayam, the rajas component decreases
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः || and the sattva component increases.)
प्रारं भ कायं ननर्र्विघ्नमस्तु | शुभं शोभनमस्तु |
इष्ट दे र्वता कुलदे र्वता सुप्रसन्ना र्वरदा भर्वतु || ॐ प्रणर्वस्य परब्रह्म ऋर्षः . परमात्मा दे र्वता .

अनुज्ां दे हि || दै र्वी गायिी छन्दः . प्राणायामे र्र्वननयोगः ||

At the श्री केदारे श्र्वर-श्री धन लक्ष्मी altar


ॐ भःू . ॐ भर्व
ु ः . ॐ स्र्वः . ॐ मिः .
-----------------------------------------------------------------------------
२ आचमनः ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .
(Sip one spoon of water after each mantra. ॐ भभ
ू र्व
ुि ः स्र्वः |
Take a little water from the vessel for worship with an offering
spoon onto the palm and sip it. This is called achaman.. Just as ॐ तत्सर्र्वतुर्वरि े ण्यं भगो दे र्वस्य धीमिी
bathing causes external purification, partaking water in this
way is responsible for internal purification. This act is धधयो यो नः प्रचोदयात ् ||
repeated thrice. Thus physical, psychological and spiritual,
internal purification is brought about.)

पन
ु राचमन
द्र्र्वराचम्य (Repeat Achamana 2 - given above)
ॐ आपोज्योनत रसोमत
ृ ं ब्रह्म भूभर्व
ुि स्सुर्वरोम ् ||
ॐ केशर्वाय स्र्वािाः. ॐ नारायणाय स्र्वािाः. (Apply water to eyes and understand that you are of
ॐ माधर्वाय स्र्वािाः.
the nature of Brahman)

ॐ गोर्र्वन्दाय नमः. ॐ र्र्वष्णर्वे नमः . -----------------------------------------------------------------------------


४ सङ्कल्पः
ॐ मधस
ु ूदनाय नमः . ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः . (Holding unbroken consecrated rice (akshata) and an offering
ॐ र्वामनाय नमः . ॐ श्रीधराय नमः . spoon (pali) with water in the cup of one’s hand one should
chant the mantra with the resolve, ‘I of the .....lineage (gotra),
ॐ हृषीकेशाय नमः . ॐ पद्मनाभाय नमः . ..... am performing the .... ritual to obtain the benefit according
to the Shrutis, Smrutis and Puranas in order to acquire ....
ॐ दामोदराय नमः . ॐ सङ्कषिणाय नमः . result and then should offer the water from the hand into the
circular, shelving metal dish (tamhan). Offering the water into
ॐ र्वासुदेर्वाय नमः . ॐ प्रद्युम्नाय नमः . the circular, shelving dish signifies the completion of an act.)

ॐ अननरुद्धाय नमः . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः .


सर्वि दे र्वता प्रार्िना
ॐ अधोक्षजाय नमः . ॐ नारससंिाय नमः .
(Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)
ॐ अच्युताय नमः . ॐ जनादि नाय नमः .
ॐ श्रीमान ् मिागणाधधपतये नमः .

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श्री गुरुभ्यो नमः . श्री सरस्र्वत्यै नमः . संग्रामे संकटे चर्व
ै र्र्वघ्नः तस्य न जायते ||
श्री र्वेदाय नमः . श्री र्वेदपुरुषाय नमः .
(Whoever chants or hears these 12 names of Lord
Ganesha will not have any obstacles in any of their
इष्टदे र्वताभ्यो नमः | endeavours)

(Prostrations to your favorite deity)


कुलदे र्वताभ्यो नमः | शक
ु लांबरधरं दे र्वं शसशर्वणं चतभ
ु ज
ुि म ् |
(Prostrations to your family deity)
प्रसन्नर्वदनं ध्यायेत ् सर्वि र्र्वघ्नोपशान्तये ||
स्र्ान दे र्वताभ्यो नमः |
सर्विमङ्गल माङ्गल्ये सशर्वे सर्वािर्ि साधधके |
(Prostrations to the deity of this house)
ग्रामदे र्वताभ्यो नमः |
(Prostrations to the deity of this place)
शरण्ये त्र्यंबके दे र्वी नारायणी नमोऽस्तत
ु े ||
र्वास्तद
ु े र्वताभ्यो नमः | (We completely surrender ourselves to that Goddess
(Prostrations to the deity of all the materials we have who embodies auspiciousness, who is full of
collected) auspicious-ness and who brings auspicousness to us)

शचीपुरन्दराभ्यां नमः |
(Prostrations to the Indra and shachii) सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् |
उमामिे श्र्वराभ्यां नमः |
येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ||
(Prostrations to Shiva and pArvati)
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः |
(When Lord Hari, who brings auspiciousness is
(Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and
situated in our hearts, then there will be no more
NArAyaNa)
inauspiciousness in any of our undertakings)
मातार्पतभ्
ृ यां नमः |
(Prostrations to our parents)
सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमो नमः | तदे र्व लग्नं सहु दनं तदे र्व ताराबलं चंरबलं तदे र्व .
(Prostrations to all the Gods) र्र्वद्याबलं दै र्वबलं तदे र्व लक्ष्मीपतेः तघ् नयऽयुगं
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः | स्मरासम ||
(Prostrations to all Brahamanas - those who are in the religious
(What is the best time to worship the Lord? When our
path)
hearts are at the feet of Lord Narayana, then the
एतद्कमि प्रधान दे र्वताभ्यो नमो नमः | strength of the stars, the moon, the strength of
knowledge and all the Gods will combine and make it
(Prostrations to Lord Kedareshwara and Goddess Lakshmi, the
the most auspicious time and day to worship the Lord)
main deity of this puja)
|| अर्र्वघ्नमस्तु || लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः .
येषां इस्न्दर्वरश्यामो हृदयस्र्ो जनादि नः ||
सुमुखश्च एकदन्तश्च कर्पलो गजकणिकः . (When the Lord is situated in a person's heart, he
लंबोदरश्च र्र्वकटो र्र्वघ्ननाशो गणाधधपः || will always have profit in his work and victory in all
that he takes up and there is no question of defeat
धम्र
ू केतुगण
ि ाध्यक्षो बालचन्रो गजाननः . for such a person)

द्र्वादशैतानन नामानन यः पठे त ् श्रण


ु ुयादर्प ||
र्र्वद्यारं भे र्र्वर्वािे च प्रर्वेशे ननगिमे तर्ा .

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र्र्वनायकं गुरुं भानुं ब्रह्मार्र्वष्णुमिे श्र्वरान ् |
-----------------------------------------------------------------------------
५.(१) षडङ्ग न्यास
सरस्र्वतीं प्रणम्यादौ सर्वि कायािर्ि ससद्धये || (Purifying hands and various parts of the body )
(To achieve success in our work and to find
fulfillment we should first offer our prayers
to Lord Vinayaka and then to our teacher, then ॐ यत्परु
ु षं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् ।
to the Sun God and to the holy trinity of Brahma,
ViShNu and Shiva) मुखं ककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।।
ॐ ह्ां | अङ्गुष्ठाभ्यायां नमः | हृदयाय नमः ||
श्रीमद् भगर्वतो मिापुरुषस्य र्र्वष्णोराज्या (touch the thumbs)

प्रर्वतिमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्र्र्वतीय पराधे र्र्वष्णुपदे ॐ ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।
श्री श्र्वेतर्वराि कल्पे र्वैर्वस्र्वत मन्र्वन्तरे --------------- उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूरो अजायत ।।
दे श,े शासलर्वािन शके र्वतिमाने व्यर्विाररके ------------ ॐ ह्ीं | तजिनीभ्यां नमः | सशरसे स्र्वािाः ||
नाम संर्वत्सरे दक्षक्षणायणे शरद् ऋतौ आस्श्र्वयुज (touch both fore fingers)

मासे शुकल पक्षे अमार्वास्यां नतर्ौ ----- नक्षिे -----


ॐ चन्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
र्वासरे सर्वि ग्रिे षु यर्ा रासश स्र्ान स्स्र्तेषु सत्सु एर्वं
मुखाहदन्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।।
गुणर्र्वशेषेण र्र्वसशष्टायां
ॐ ह्ुं | मध्यमाभ्यां नमः | सशखायै र्वषट् ||
शभ
ु पण्
ु यनतर्ौ मम आत्मन श्रनु तस्मनृ त परु ाणोकत (touch middle fingers)
फलप्राप्यर्ं मम सकुटुम्बस्य क्षेम स्र्ैयि आयुरारोग्य
चतर्ु र्विध परु
ु षार्ि ससध्यर्ं अङ्गीकृत श्री केदारे श्र्वर, श्री ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।
धन मिालस्क्ष्म व्रताङ्गत्र्वेन संपाहदत सामग्रव्या पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।
गणेश र्वरुण ब्रह्मा सय
ू ािहद नर्वग्रि इन्राहद
ॐ ह्ैं | अनासमकाभ्यां नमः | कर्वचाय िुम ् ||
अष्टलोकपाल गणपनत चतुष्ट दे र्वता पूजनपूर्वक
ि ं श्री
(touch ring fingers)
केदारे श्र्वर, श्री धन मिालस्क्ष्म प्रीत्यर्ं यर्ा शकत्या
यर्ा समसलता उपचार रव्यैः पुरुषसूकत, श्री सूकत
ॐ धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार
परु ाणोकत मन्िैश्च ध्यान आर्वािनाहद षोडशोपचारे
शक्रः प्रर्र्वद्र्वान्प्रहदशश्चतस्रः ।
श्री केदारे श्र्वर, श्री धन मिालस्क्ष्म प्रीत्यत्र्ं पूजनं
तमेर्वं र्र्वद्यानमत
ृ इि भर्वनत
तर्ा व्रतोकत कर्ा श्रर्वणं च कररष्ये ||
नान्यः पन्र्ा अयनाय र्र्वद्यते ।।
इदं फलं मया दे र्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व |
ॐ ह्ौं | कननस्ष्ठकाभ्यां नमः | नेिियाय र्वौषट् ||
तेन मे सुफलार्वास्प्तर् भर्वेत ् जन्मनन जन्मनन ||
(touch little fingers)
(keep fruits in front of the Lord and Goddess)
----------------------------------------------------------------------------- यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः
५. षडङ्ग न्यास तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् ।
(Purifying the body)

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ते ि नाकं महिमानः सचन्ते ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः सांगं सपररर्वारं सायुधं सशस्कतकं
यि पूर्वे साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।। मिागणपनतं आर्वाियासम |
ॐ ह्ः | करतलकरपष्ृ ठाभ्यां नमः | अस्िाय फट् ||
(O great Ganapati come along with Riddhi, Buddhi,
your entire family, all your weapons and might’)
(touch palms and over sleeve of hands)

ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः ध्यायासम. ध्यानम ्
-----------------------------------------------------------------------------
५.(२) हदग्बन्धन
( show mudras)
समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. आर्वािनं समपियासम |
ॐ भुभर्व
ुि स्र्वरोम ् इनत हदग्बन्धः | ॐ मिागणपतये नमः. आसनं समपियासम |
(snap fingers, circle head clockwise and clap hands)
ॐ मिागणपतये नमः. पाद्यं समपियासम |
हदशो बद्नासम ||
(shut off all directions i.e. distractions so that we can ॐ मिागणपतये नमः. अघ्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. आचमनीयं समपियासम |
concentrate on the Lord)

-----------------------------------------------------------------------------
ॐ मिागणपतये नमः. स्नानं समपियासम |

६ गणपनत पूजा ॐ मिागणपतये नमः. र्वस्िं समपियासम |


(To prevent any obstacle from disrupting an auspicious ॐ मिागणपतये नमः. यज्ोपर्वीतं समपियासम |
occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati.)
ॐ मिागणपतये नमः. चन्दनं समपियासम |
आदौ ननर्र्विघ्नता ससध्यर्ं मिा गणपनत पूजनं ॐ मिागणपतये नमः. पररमल रव्यं समपियासम |
कररष्ये . ॐ मिागणपतये नमः. पुष्पाणण समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. धप
ू ं समपियासम |
ॐ गणानां त्र्वा शौनको गत्ृ समदो गणपनतजिगती ॐ मिागणपतये नमः. दीपं समपियासम |
गणपत्यार्वािने र्र्वननयोगः || ॐ मिागणपतये नमः. नैर्वेद्यं समपियासम |
(pour water)
ॐ मिागणपतये नमः. ताम्बल
ू ं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. फलं समपियासम |
ॐ गणानां त्र्वा गणपनतं िर्वामिे
ॐ मिागणपतये नमः. दक्षक्षणां समपियासम |
कर्र्वं कर्वीनामुपम श्रर्वस्तमं |
ॐ मिागणपतये नमः. आनतिकयं समपियासम |
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः.
आ नः शण्ृ र्वन्नूनतसभः सीदसादनं ||
मन्िपुष्पं समपियासम |
भूः गणपनतं आर्वाियासम .
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः |
भुर्वः गणपनतं आर्वाियासम .
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम |
स्र्वः गणपनतं आर्वाियासम .
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः. छिं समपियासम |

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ॐ मिागणपतये नमः. चामरं समपियासम | मिीध्यौः पधृ र्र्वीचन इमं यज्ं समसमक्षतां
ॐ मिागणपतये नमः. गीतं समपियासम | र्पप्रतान्नो भरीमसभः ||
ॐ मिागणपतये नमः. नत्ृ यं समपियासम |
-----------------------------------------------------------------------------
९ धान्य रासश
ॐ मिागणपतये नमः. र्वाद्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. सर्वि राजोपचारान ्
ॐ औषधाय संर्वदन्ते सोमेन सिराज् .
समपियासम||
यस्मै कृणेनत ब्राह्मणस्र्ं राजन ् पारयामसस ||

|| अर् प्रार्िना || (Touch the grains/rice/wheat)

-----------------------------------------------------------------------------
ॐ र्वक्रतुण्ड मिाकाय कोहटसूयि समप ्रभ.
१० कलश स्र्ापना
ननर्र्विघ्नं कुरु मे दे र्व सर्वि कायेषु सर्विदा || (Two small heaps of rice should be made on the ground
amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two pots
of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः. प्रार्िनां समपियासम| should be placed on these two heaps.)

अनया पूजया र्र्वघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम ् || ॐ आ कलशेषु धार्वनत पर्र्विे पररससञ्चच्यते


उकतैयज्
ि ेषु र्वधिते ||
(Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the vanquisher
of all obstacles be appeased with this worship of mine’, (keep kalasha on top of rice pile)
chanting thus water should be released.) ॐ इमं मे गङ्गे यमुने सरस्र्वती शुतुहर स्तोमं
----------------------------------------------------------------------------- सचता परुष्ण्या .
७ दीप स्र्ापना अससकन्य मरुद्र्वध
ृ े र्र्वतस्तयाजीकीये श्रण
ु ुह्या
सुषोमया ||
अर् दे र्वस्य दे व्यै च र्वाम भागे दीप स्र्ापनं कररष्ये| (fill kalasha with water)

अस्ग्ननािस्ग्नः ससमध्यते कर्र्वग्रििपनतयर्व


ुि ा िव्यर्वात ् ॐ गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं .

जुर्वास्यः || ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वयेधश्रयं ||


(sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha)
(light the lamps)
ॐ या फसलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुस्ष्पणीः .
-----------------------------------------------------------------------------
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मञ्चचत्र्वं ि सः ||
८ भसू म प्रार्िना
(put betel nut in kalasha)
(open palms and touch the ground.
first the earth (ground) on the right hand side (since the host ॐ सहिरत्नानन दाशुषुसुर्वानत सर्र्वता भगः .
तम्भागं धचिमीमिे ||
performing the religious ceremony is facing the east, the hand
touching the ground is in the southern direction) and then the
earth on the left hand side, in front of oneself (that is the (put jewels / washed coin in kalasha)
ॐ हिरण्यरूपः हिरण्य सस्न्रग्पान्न पात्स्येद ु हिरण्य
northern direction) should be touched. Energies from the south
are distressing. To prevent them from causing distress, one
offers obeisance to them by touching the earth. The energies
र्वणिः
from the north are however saluted as they are pleasant.)

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हिरण्ययात ् पररयोनेननिषद्या हिरण्यदा ददत््यन ् ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः . अक्षतान ्
नमस्मै || समपियासम||
(put gold / daxina in kalasha) (add to kalasha)
ॐ काण्डात ् काण्डात ् प्ररोिन्ती परुषः परुषः परर ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः . िरररा कुङ्कुमं
एर्वानो दर्व
ू े प्रतनु सिस्रेण शतेन च || समपियासम ||
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. धप
ू ं समपियासम ||
(put duurva / karika )
ॐ अश्र्वत्र्ेर्वो ननशदनं पणणिर्वो र्वसनतश्कृत .
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. दीपं समपियासम ||
गो भाज इस्त्कला सर्यत्स नर्वर् पूरुषं ||
(put five leaves in kalasha)
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. नैर्वेद्यं समपियासम ||
ॐ या फसलनीयाि अफला अपष्ु पायाश्च पस्ु ष्पणीः . ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः .
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मञ्चचत्र्वं ि सः || सकल राजोपचारार्े अक्षतान ् समपियासम ||
(put coconut in kalasha)
ॐ यर्व
ु ासर्व
ु ासः परीर्वीतागात ् स उश्रेयान ् भर्वनत अर्वते िे ळो र्वरुण नमोसभररर्व यज्ेसभरीमिे िर्र्वसभिः .
जायमानः क्षयं नमस्मभ्यं सरु प्रचेता राजन ् नेनांसस सशश्रर्ः
तं धीरासः कार्वयः उन्नयस्न्त स्र्वाद्ध्यो स्र्वाद्ध्यो कृतानन ||
मनसा दे र्वयन्तः|| र्वरुणाय नमः . मन्ि पष्ु पं समपियासम ||
(tie cloth for kalasha)
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम ||
ॐ पण
ू ािदर्र्वि परापत सप
ु ण
ू ाि पन
ु रापत .
र्वस्ने र्व र्र्वक्रीणार्वः इषमूजं शतक्रतो ||
(decorate copper plate and ashhTadala with kuMkuM) अनया पूजया भगर्वान ् श्री मिा र्वरुण प्रीयताम ् ||
इनत कलशं प्रनतष्ठापयासम || सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ||

सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

----------------------------------------------------------------------------- १२ कलश पूजन


११ र्वरुण पूजन (continue with second kalasha)

(On the second kalasha) कलशस्य मख


ु े र्र्वष्णःु कण्ठे रुरः समाधश्रतः .
तत्र्वायासम शन
ु ः शेपोः र्वरुण त्रिष्टुप ् कलशे मूले ति स्स्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातग
ृ णाः स्मत
ृ ाः ||
र्वरुणार्वािने र्र्वननयोगः || कुक्षौतु सागराः सर्वे सप्त द्र्वीपा र्वसन्
ु धराः .
ऋग्र्वेदोर् यजुर्वेदः सामर्वेदोह्यर्र्विणः ||
ॐ तत्र्वायासम ब्रह्मणा र्वन्दमानस्तदा शास्ते अङ्गैश्च सहिताः सर्वे कलशन्तु समाधश्रताः .
यजमानो िर्र्वसभिः . अि गायिी सार्र्विी शास्न्त पुस्ष्टकरी तर्ा ||
आिे लमानो र्वरुणः बोध्युरुशं समान आयुः प्रमोर्षः
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः र्वरुणाय नमः . चन्दनं समपियासम || आयान्तु दे र्व पूजार्ं असभषेकार्ि ससद्धये ||
(add to kalasha)

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ॐ ससताससते सररते यि सङ्गर्े तिाप्लुतासो १३ शङ्ख पूजन
हदर्वमुत्पतस्न्त.
(pour water from kalasha to sha~Nkha
add ga.ndha flower)
ये र्वैतन्र्वं र्र्वस्रजस्न्त धीरास्ते जनासो अमत
ृ त्त्र्वं
भजस्न्त || शङ्खं चन्राकि दै र्वतं मध्ये र्वरुण दे र्वताम ् |
(Those who want to attain immortality take a पष्ृ ठे प्रजापनतं र्र्वन्द्याद् अग्रे गङ्गा सरस्र्वतीम ् ||
dip in the confluence of the Ganges, yamuna and
त्र्वं पुरा सागरोत्पन्नो र्र्वष्णुना र्र्वधत
ृ ः करे |
sarasvati rivers at the prayag. Let the water
in this kalasha become like the water from the
नसमतः सर्वि दे र्वैश्च पाञ्चचजन्य नमोऽस्तत
ु े ||
holy rivers)

(This shaNkha has now become like the pAnchajanya,


|| कलशः प्रार्िनाः || which has come out of the ocean and which is the
hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the
कलशः कीनतिमायुष्यं प्रज्ां मेधां धश्रयं बलम ् | pAnchajanya)

योग्यतां पापिाननं च पण्


ु यं र्वद्
ृ धधं च साधयेत ् ||
पाञ्चचजन्याय र्र्वद्मिे . पार्वमानाय धीमहि .
(Let this kalasha increase our life span, presence
of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy तन्नो शङ्खः प्रचोदयात ् ||
our sins and increase our merits or puNya)
शङ्खाय नमः .
सर्वि तीर्िमयो यस्मात ् सर्वि दे र्वमयो यतः . सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
अतः िररर्प्रयोऽसस त्र्वं पण
ू क
ि ंु भं नमोऽस्तत
ु े || -----------------------------------------------------------------------------
(All the holy waters, and all the Gods are now १४ घण्टाचिना
present in this kalasha. Our prostrations to this (Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell
puurNakumbha which is hence dear to Lord Hari) apply ga.ndha, flower)
कलशदे र्वताभ्यो नमः .
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम || आगमार्िन्तु दे र्वानां गमनार्िन्तु राक्षसाम ् |
कुर्वे घण्टारर्वं ति दे र्वताह्र्वा लक्षणम ् ||
|| मुरा ||
ज्ानर्ोऽज्ानतोर्वार्प कांस्य घण्टान ् नर्वादयेत ् |
(Show mudras as you chant )
राक्षसानां र्पशाचनां तद्दे शे र्वसनतभिर्वेत ् |
तस्मात ् सर्वि प्रयत्नेन घण्टानादं प्रकारयेत ् ||
ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुरा . (to remove poison)
(When the bell is rung, knowingly or unknowingly,
अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुरा . (to provide nectar - amrit) all the good spirits are summoned and all the evil
spirits are driven away)
पर्र्विी करणार्े शङ्ख मुरा . (to make auspicious)
घण्ट दे र्वताभ्यो नमः |
संरक्षणार्े चक्र मर
ु ा . (to protect)
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
र्र्वपुलमाया करणार्े मेरु मुरा . (to remove mAyA)
(Ring the gha.nTA)
-----------------------------------------------------------------------------

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--------------------------------------------------------------- उद्भुद्दद्र्वं सौम्यो बुधः त्रिष्टुप ्
१५ आत्मशुद्धध
बुधार्वािने र्र्वननयोगः||
( Sprinkle water from sha~Nkha on puja items and
devotees) ॐ उद्भुद्दद्र्वं समनसः सखायः
समस्ग्न र्र्वन्द्र्वं बिर्वः सनीलः
अपर्र्विः पर्र्विो र्वा सर्वािर्वस्र्ाङ्गतोऽर्प र्वा | दधधक्रामस्ग्न मशसञ्चच दे र्वीसमन्रर्वतो
यः स्मरे त ् पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यन्तरः शुधचः|| र्वसननह्र्वयेर्वः

----------------------------------------------------------------------------- बुधाय नमः | बुधं आर्वाियासम ||

१६ नर्वग्रि अष्ट एर्वं चतुदिल दे र्वता पूजन बि


ृ स्पते घत्ृ समधो बि
ृ स्पनतत्रिष्टुप ्
बि
ृ स्पत्यार्वािने र्र्वननयोगः ||
नर्वग्रि दे र्वता पज
ू न
बि
ृ स्पते अधर्यदयो अिािद्युमद्र्र्वभानत कृतुमज्जनेषु
(begin at east go clockwise)
यद्धधदयश्चर्वास रत प्रजाततदस्मासर
ु र्र्वणं दे हि धचिं
बि
ृ स्पतये नमः | बि
ृ स्पनतं आर्वाियासम ||
आकृष्णेनाङ्गीरसो हिरण्यस्तुपः सर्र्वता त्रिष्टुप ्
सय
ु ािर्वािने र्र्वननयोगः ||
शुक्रान्ते भारद्र्वाजः शुक्रः त्रिष्टुप ्
हिरण्ययेन सर्र्वतारतेन ् दे र्वो यानत भुर्वनानन पश्यन ्
शक्र
ु ार्वािने र्र्वननयोगः ||
सय
ू ािय नमः | सय
ू ं आर्वाियासम ||
ॐ शुक्रान्ते अन्यद्य जतन्ते अन्यद्र्र्वशुरुषे अिनन
दौररर्वासस र्र्वश्र्वहिमाया अर्वसस स्र्वाध्र्वो भरते
आप्यायस्र्वेनत गौतमः सोमो गायत्रि
पूशस्न्नहिरानतरस्तु
चन्रार्वािने र्र्वननयोगः ||
शक्र
ु ाय नमः | शक्र
ु ं आर्वाियासम ||
ॐ आप्यायस्र्वसमेतत
ु े र्र्वश्र्वतः सोमर्वष्ृ णं
भर्वर्वाजस्यसन्घदे सङ्घदे
शमस्ग्नररररंत्रबरः शनैश्चर उस्ष्णक्
चन्राय नमः | चन्रं आर्वाियासम ||
कन्यार्वािाने र्र्वननयोगः ||
ॐ शमस्ग्नरास्ग्नसभः करश्चन्न तपतु सूयःि
अस्ग्न मूधि र्र्वरूपाङ्गारको गायत्रि
शंर्वातो र्वात्र्वरपा अपसध
ृ ः
अङ्गारकार्वािने र्र्वननयोगः||
शनैश्चराय नमः | शनैश्चरं आर्वाियासम ||
ॐ अस्ग्नमूधािहदर्वः ककु्पनतः प्रनतव्यायं
कयानो र्वामदे र्वो रािुगियत्रि राह्र्वािने र्र्वननयोगः ||
आपां रे तांसस स्जन्र्वनत
ॐ कयानासशि आभूर्व दधू र् सदार्वध
ृ ः सखा
अङ्गारकाय नमः| अङ्गारकं आर्वाियासम ||
कयाशधचष्टया र्वर्
ृ ा

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रािर्वे नमः | रािुं आर्वाियासम || र्वस्िं समपियासम |
यज्ोपर्वीतं समपियासम |
केतुं कृण्र्वन ् मधश्ु चन्दः केतुगाियत्रि गंधं धप
ू ं दीपं समपियासम |
केत्र्वार्वािने र्र्वननयोगः || नैर्वेद्यं समपियासम |
ॐ केतु कृण्र्वन ् केतर्वे पेशोमयि आपेशसे मन्िपुष्पं समपियासम |
समुषड्सभरजायतः सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
केतर्वे नमः | केतुं आर्वाियासम ||
यस्य स्मत्ृ याच नाम्नोकत्या तपः पूजा कक्रयाहदषु |
|| अष्टदल दे र्वता पूजन || नूनं संपूणत
ि ां याहद सद्यो र्वन्दे तमच्युतं ||
(All mistakes in our tapa, puujaa or kriyaa are removed and we
are purified by thinking of or uttering the name 'Achyut')
ॐ इन्राय नमः | अग्नये नमः |
यमाय नमः | नैऋतये नमः |
अनया पूजया नर्वग्रिाहद दे र्वता प्रीयताम ् ||
र्वरुणाय नमः | र्वायर्वे नमः |
सोमाय नमः | ईशानाय नमः |
१७ षट् पाि पज
ू ा
( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)
|| चतद
ु ि ल दे र्वता ||
र्वायव्ये अघ्यं |
ॐ गणपतये नमः | ॐ दग
ु ाियै नमः | नैऋत्ये पाद्यं |
ॐ क्षेिपालाय नमः | ॐ र्वसोष्पतये नमः | ईशान्ये आचमनीयं |
आग्नेये मधप
ु कं |
रव्याहद नर्वग्रि अष्टदल चतुदिलेषु स्स्र्त पर्व
ू े स्नानीयं |
सर्विदेर्वताभ्यो नमः || पस्श्चमे पुनराचमनं |
ध्यायासम ध्यानं समपियासम |
-----------------------------------------------------------------------------
आर्वािनं समपियासम |
१८ पञ्चचामत
ृ पज
ू ा
आसनं समपियासम |
( put tulasi leaves or axataas in vessels|
पाद्यं समपियासम | Panchamrit is nectar of five ingredients -
a mixture of milk, curds, clarified butter (ghee), honey and
अघ्यं समपियासम | sugar|)

आचमनं समपियासम |
क्षीरे सोमाय नमः | (keep milk in the centre)
स्नानं समपियासम |

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दधधनन र्वायर्वे नमः | (curd facing east ) ईशान्य कोणे ऐश्र्वयािय नमः ||
घत
ृ े रर्वये नमः | (Ghee to the south) पूर्वि हदशे धमािय नमः ||
मधनु न सर्र्विे नमः | ( Honey to west ) दक्षक्षण हदशे ज्ानाय नमः ||
शकिरायां र्र्वश्र्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमः | ( Sugar to पस्श्चम हदशे र्वैराग्याय नमः ||
north) उत्तर हदशे अनैश्चराय नमः ||
१९ द्र्वारपालक पूजा पीठ मध्ये मूलाय नमः ||
नालाय नमः ||
पूर्वद्
ि र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | पिेभ्यो नमः ||
धािे नमः | र्र्वधािे नमः | केसरे भ्यो नमः ||
दक्षक्षणद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | कणणिकायै नमः ||
चण्डाय नमः | प्रचण्डाय नमः | कणणिका मध्ये सं सत्त्र्वाय नमः ||
पस्श्चमद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | रं रजसे नमः || तं तमसे नमः ||
जयाय नमः | र्र्वजयाय नमः |
उत्तरद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | सय
ू म
ि ण्डलाय नमः ||
गङ्गायै नमः | यमन
ु ायै नमः | सूयम
ि ण्डलाधधपतये ब्रह्मणे नमः ||
मध्ये नर्व रत्नखधचत हदव्य ससंिासनस्योपरर सोममण्डलाय नमः ||
श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || सोममण्डलाधधपतये र्र्वष्णर्वे नमः ||
र्वस्ह्नमण्डलाय नमः ||
श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः || र्वस्ह्नमण्डलाधधपतये ईश्र्वराय नमः ||
द्र्वारपालक पूजां समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
तन्मध्ये श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः |
२० पीठ पज
ू ा
श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः|
पीठ पूजां समपियासम ||
पीठस्य अधोभागे आधार शकत्यै नमः || कूमािय -----------------------------------------------------------------------------

नमः ||
२१ हदग्पालक पूजा (start from east of kalasha or
दक्षक्षणे क्षीरोदधधये नमः | ससंिाय नमः ||
deity)
ससंिासनस्य आग्नेय कोणे र्वरािाय नमः || इन्राय नमः,
नैऋत्य कोणे ज्ानाय नमः || अग्नये नमः,
र्वायव्य कोणे र्वैराग्याय नमः || यमाय नमः,

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नैऋतये नमः, ह्ीं कननस्ष्ठकाभ्यां नमः ||
र्वरुणाय नमः, क्रौं करतलकरपष्ृ ठाभ्यां नमः ||
र्वायर्वे नमः,
|| अङ्ग न्यासः ||
कुबेराय नमः,
ईशानाय नमः,
आं हृदयाय नमः ||
इनत हदग्पालक पूजां समपियासम ह्ीं सशरसे स्र्वािाः ||
क्रौं सशखायै र्वषट् ||
-----------------------------------------------------------------------------
२२ प्राण प्रनतष्ठा
आं कर्वचाय िुं ||
(hold flowers/axata in hand)
ह्ीं नेिियाय र्वौषट् ||
ध्यायेत ् सत्यम ् गुणातीतं गुणिय समस्न्र्वतं
क्रौं अस्िाय फट् ||
लोकनार्ं त्रिलोकेशं कौस्तुभाभरणं िररम ् |
भभ
ू र्व
ुि स्र्वरोम ् इनत हदग्बन्धः ||
नीलर्वणं पीतर्वासं श्रीर्वत्सपदभूर्षतं
गोकुलानन्दं ब्रह्माध्यैरर्प पूस्जतम ् ||
आं ह्ीं क्रौम ् क्रौम ् ह्ीं आं |

ॐ अस्य श्री प्राण प्रनतष्ठापन मिा मन्िस्य य र ल र्व श ष स ि |

ब्रह्मा र्र्वष्णु मिे श्र्वरा ऋषयः | ॐ अिं सः सोऽिं सोऽिं अिं सः ||

ऋग्यजुः सामार्र्वािणण छन्दांसस |


सकलजगत्सस्ृ ष्टस्स्र्नत संिारकाररणी अस्यां मत
ू े प्राणः नतष्ठन्तःु | अस्यां मत
ू े जीर्वः

प्राणशस्कतः परा दे र्वता | नतष्ठन्तु |

आं बीजम ् | ह्ीं शस्कतः | क्रौम ् कीलकम ् | अस्यां मत


ू े सर्वेस्न्रयाणण मनस्त्र्वत ् चक्षुः

अस्यां मूतौ प्राण प्रनतष्ठापने र्र्वननयोगः || श्रोि स्जह्र्वा याणैः र्वाकर्वाणण पादपायोपस्र्ानन
प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य
|| करन्यासः || सुखेन धचरं नतष्ठन्तु स्र्वािाः |

आं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः || असुनीते पुनरस्मासु चक्षुर्वः पुनः प्राणसमिीनो


ह्ीं तजिनीभ्यां नमः || दे हिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयम
ि ुच्चरन्तम ् अनुमते
क्रौं मध्यमाभ्यां नमः || मड
ृ यान स्र्वस्स्त अमत
ृ ं र्वै प्राणा अमत
ृ मापः
आं अनासमकाभ्यां नमः || प्राणानेर्व यर्ा स्र्ानं उपह्र्वयेत ् ||

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चन्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि ।।
स्र्वासमन ् सर्वि जगन्नार्, जगन्माते
यार्वत्पूजार्वसानकं तार्वत्र्वम ् प्रीनतभार्वेन त्रबम्बेस्स्मन ् सर्वि मङ्गल माङ्गल्यै, र्र्वष्णु र्वक्ष स्स्र्तालये |
कलशेस्स्मन ् प्रनतमायां सस्न्नधधं कुरु || आर्वाियासम दे र्र्व त्र्वां, सुप्रीता र्वरदा भर्व ||
इनत प्राणं प्रनतष्ठापयासम || श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः . आर्वािनं समपियासम ||
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम || (offer flowers to Lord and Goddess)
-----------------------------------------------------------------------------
२३ ध्यानं आर्वाहितो भर्व । स्र्ार्पतो भर्व । सस्न्नहितो भर्व ।
सस्न्नरुद्धो भर्व । अर्वकुस्ण्ठतो भर्व । सुप्रीतो भर्व ।
ॐ ॐ (repeat 15 times)
सुप्रसन्नो भर्व । सुमुखो भर्व । र्वरदो भर्व ।
ॐ शल
ू ं डमरुकञ्चचैर्व तदानम्िस्तयग्ु मके
प्रसीद प्रसीद ।।
केदारदे र्वमीशानं ध्याये त्रिपुरककाधधनं ||
(show mudras to Lord and Goddess)
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || ध्यायासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
पद्मासने पद्मकरे , सर्विलोकैक पूस्जते | २५ आसनं
नारायणर्प्रये दे र्र्व सुप्रीता भर्व सर्विदा ||
(you can add more related shlokas) पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् ।
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः । उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।।
ध्यानात ् ध्यानं समपियासम
-----------------------------------------------------------------------------
सरु ासरु सशरोरत्न प्रदीर्पतपदाम्बज

२४ आर्वािनं
केदारदे र्वमद्दत्त आसनं प्रनतगह्
ृ यतां ||
( hold flowers in hand)
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || आसनं
ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात ् । समपियासम ||
स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ् ।। तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् ।
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् ।।
कैलास सशखरे रम्ये पार्वित्या सहितप्रभो | सय
ू ाियत
ु ननभः स्पत
ू े, स्परु रत्न र्र्वभर्ू षतं |
आगच्छ दे र्वदे र्वेश मद्भकत्यां चन्रशेखर || मन्दासनं इदं दे र्र्व, स्र्ीयतां सुर पूस्जते ||
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || आर्वाियासम || ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | आसनं समपियासम ।।
(offer flowers/axathaas)
ॐ हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ् ।
-----------------------------------------------------------------------------

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२६ पाद्यं सुर्वाससतजलं रम्यं सर्वितीर्ि समुद्भर्वम ् |
(offer water) अघ्यं गि
ृ ाण दे र्र्व त्र्वां सर्वि दे र्व नमस्कृते ||
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागाँश्च पूरुषः ।
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।।
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | अघ्यं समपियासम ||
गङ्गाधर नमस्तेस्तु त्रिलोचन र्वष
ृ ध्र्वज
-----------------------------------------------------------------------------
२८ आचमनीयं
मौस्कतकासन सम्स्ताप्य केदाराय नमो नमः ||
(offer water or axathaa/ leave/flower)
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || पादयोः पाद्यं
तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः ।
समपियासम ||
स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः ।।

अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् ।


मुननसभर् नारदप्रज्े ननत्यमाख्यात र्वैभर्वं |
धश्रयं दे र्वीमप
ु ह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जष
ु ताम ् ।।
केदारदे र्वभगर्वन ् गि
ृ ाणाचमनं प्रभो ||
शुद्धोदकं पािस्र्ं गन्ध पुष्पाहद समधश्रतम ् |
पाद्यं दास्यासमते दे र्र्व, गि
ृ ाण सरु पस्ू जते ||
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || आचमनीयं
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | पादोयो पाद्यं समपियासम||
----------------------------------------------------------------------------- समपियासम ||
२७ अघ्यं
(offer water) चन्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलन्तीं धश्रयं लोके
दे र्वजष्ु टामद
ु ाराम ् ।
त्रिपादध्ू र्वि उदै त्पुरुषः पादोऽस्येिाभर्वात्पुनः । तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां
ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ।। र्वण
ृ े ।।
सुर्वणि कलशास्न्र्वतं, चन्दना गरु संयुतं |
अघ्यं गि
ृ ाणभगर्वन ् भकत्या दत्तं मिे श्र्वर गि
ृ ाणाचमनं दे र्र्व, मयादत्तं शभ
ु प्रदे ||
प्रयच्छमे मनस्तुस्ष्टं भकतानासमष्टदायक || ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः । आचमनीयं समपियासम ||
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः| अघ्यं समपियासम||
-----------------------------------------------------------------------------
२९ स्नानं
यत्पुरुषेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत ।
कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामारां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां
र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः ।।
तपियन्तीम ् ।
पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ।।
गङ्गाच यमन
ु ाश्चैर्व नमिदाश्च सरस्र्वती ।

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तार्प पयोस्ष्ण रे र्वच ताभ्यः स्नानार्िमाहृतं ।। २९. १. २ दधध स्नानं (curd bath)

ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः|| मलापकशि स्नानं ॐ दधधक्राव्णो अकाररषं स्जष्णोरश्र्वस्यर्वास्जनः ।
अमपियासम || सुरसभनो मुखाकरत ् प्राण आयुंर्ष ताररषत ् ।।

आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वक्ष


ृ ोऽर् चन्र मन्डल सम्काशं सर्वि दे र्व र्प्रयं हि यत ् ।
त्रबल्र्वः । दधध ददासम दे र्वेश स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।
तस्य फलानन तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
अलक्ष्मीः ।। ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः| दधध स्नानं समपियासम ||
मन्दाककन्याः समानीतैर ् िे मांभोरुि र्वाससतैः | दधध स्नानानन्तर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।
स्नानं कुरुष्र्व दे र्वेसश ससललैश्च सुगस्न्धसभः || सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
२९. १. ३ घत
ृ स्नानं (ghee bath)
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || मलापकशि स्नानं
समपियासम ||
----------------------------------------------------------------------------- ॐ घत
ृ ं समसमक्षे घत
ृ मस्य योननघत
ि ृ े धश्रतो
२९. १ पञ्चचामत
ृ स्नानं घत
ृ ंर्वस्यधाम
२९.१. १ पय स्नानं (milk bath) अनष्ु ठधमार्वि मादयस्र्व स्र्वािाकृतं र्वष
ृ भ र्वक्षक्षिव्यं।।

ॐ आप्याय स्र्व स्र्वसमेतत


ु े आज्यं सरु ानां आिारं आज्यं यज्े प्रनतस्ष्ठतम ् ।
र्र्वश्र्वतः सोमर्वष्ृ ण्यं भर्वार्वाजस्य सङ्गर्े ।। आज्यं पर्र्विं परमं स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।

सुरभेस्तु समुत्पन्नं दे र्वानां अर्प दल


ु भ
ि म् । ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
पयो दधासम दे र्वेश स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।। ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | घत
ृ स्नानं समपियासम ||
घत
ृ स्नानानन्तर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः . पयः स्नानं समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
२९. १. ४ मधु स्नानं (Honey bath)
पयः स्नानानन्तर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। ॐ मधर्व
ु ात ऋतायते मधक्ष
ु रस्न्त ससन्धर्वः मास्ध्र्वनः
-----------------------------------------------------------------------------
सन्तोष्र्वधीः

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मधन
ु कता मुतोषसो मधम
ु त ् पाधर्िर्वं रजः मधद्
ु यौ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
रस्तुनः र्पता ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || पञ्चचामत
ृ स्नानं
मधम
ु ान्नो र्वनस्पनतर् मधम
ु ााँ अस्तु सूयःि समपियासम ||
माध्र्वीगािर्वो भर्वन्तु नः ||
-----------------------------------------------------------------------------
२९. २ गन्धोदक स्नानं (Sandalwood water
सर्वौषधध समुत्पन्नं पीयुष सदृशं मधु ।
bath)
स्नानार्ं मया दत्तं गि
ृ ाण परमेश्र्वर ।।

ॐ गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं |


ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ईश्र्वरीं सर्वि भूतानां तासम िोप व्ियेधश्रयं ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | मधु स्नानं समपियासम ||
मधु स्नानानन्तर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।
िरर चन्दन संभूतं िरर प्रीतेश्च गौरर्वात ् ।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
----------------------------------------------------------------------------- सुरसभ र्प्रय गोर्र्वन्द गन्ध स्नानाय गह्
ृ यतां ।।
२९. १. ५ शकिरा स्नानं (sugar bath) ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | गन्धोदक स्नानं
ॐ स्र्वाधःु पर्वस्य हदव्याय जन्मने समपियासम||
स्र्वादरु रन्राय सुिर्वीतु नाम्ने सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
स्र्वादसु मििाय र्वरुणाय र्वायर्वे
-----------------------------------------------------------------------------
२९. ३ अभ्यङ्ग स्नानं (Perfumed Oil bath)
बि
ृ स्पतये मधम
ु ााँ अदाभ्यः ||
ॐ कननक्रदज्र्वनुशं प्रभ्रुर्वान। इयधर्र्वािचमररतेर्व नार्वं।
सम
ु ङ्गलश्च शकुने भर्वासस मात्र्वा
इक्षु दण्डात ् समुत्पन्ना, रसस्स्नग्धतरा शुभा
काधचदसभभार्र्वश्व्या र्र्वदत ।।
शकिरे यं मया दत्ता, स्नानातं प्रनतगह्
ृ यताम ्

अभ्यंगार्ं मिीपाल तैलं पुष्पाहद संभर्वं ।


ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
सग
ु न्ध रव्य संसमश्रं सङ्गि
ृ ाण जगत्पते ।।
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | शकिरा स्नानं समपियासम||
शकिरा स्नानानन्तर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः। अभ्यङ्ग स्नानं
स्नानं पञ्चचामत
ृ ं दे र्व शीतशद्
ु धोदकैरर्प |
समपियासम।
गि
ृ ाण गौरीरमण त्र्वद्भकतेन मय्यस्प्पितं ||
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।

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ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः|| शुद्धोदकस्नानं
-----------------------------------------------------------------------------
२९. ४ अङ्गोद्र्वतिनकं (To clean the body)
समपियासम ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः। शुद्धोदक स्नानं
अङ्गोद्र्वतिनकं दे र्व कस्तूयािहद र्र्वसमधश्रतं ।
समपियासम।।
लेपनार्ं गि
ृ ाणेदं िरररा कुङ्कुमैयत
ुि ं ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
(after sprinkling water around throw one
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
tulasi leaf to the north)
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः। अङ्गोद्र्वतिनं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
----------------------------------------------------------------------------- ३० मिा असभषेकः
२९. ५ उष्णोदक स्नानं (Hot water bath) (Sound the bell pour water from kalasha)

नाना तीर्ािदाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृतं । ३०.१ पुरुष सूकत


स्नानार्ं च प्रयच्छासम स्र्वीकुरुश्र्व दयाननधे ।।
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || ॐ सिस्रशीषाि परु
ु षः सिस्राक्षः सिस्रपात ् ।
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः। उष्णोदक स्नानं स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ्।।१।।
समपियासम।। परु
ु ष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भत
ू ं यच्छ भव्यम ् ।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।। २।।
-----------------------------------------------------------------------------
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागाँश्च परु
ू षः ।
२९. ६ शुद्धोदक स्नानं (Pure water bath)
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।। ३।।
sprinkle water all around
त्रिपादध्ू र्वि उदै त्परु
ु षः पादोऽस्येिाभर्वात्पन
ु ः ।
ॐ आपोहिष्टा मयो भुर्वः । ता न ऊजे दधातन ।
ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ।। ४।।
मिे रणाय चक्षसे । यो र्वः सशर्वतमो रसः
तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध परु
ू षः ।
तस्यभाजयते ि नः ।
स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः ।। ५।।
उशतीररर्व मातरः । तस्मा अरङ्गमामर्वो । यस्य
यत्परु
ु षेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत ।
क्षयाय स्जन्र्वर् । आपो जनयर्ा च नः ।।
र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः।।६।।
सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः ।
नदीजल समायुकतं मयादत्तमनुत्तमं |
दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम ् ।
स्नानं स्र्वीकुरु दे र्वेश सदासशर्व नमोस्तत
ु े ||
तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् पुरुषं जातमग्रतः ।
तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।। ७।।

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तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् । ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः । पुरुषसूकत स्नानं
पशूगाँस्तागाँश्चक्रे र्वायव्यान ् आरण्यान ् समपियासम। ।।
ग्राम्याश्चये।।८।।
-----------------------------------------------------------------------------
३०.२ श्री सूकत
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे ।
छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजुस्तस्मादजायत ।।९।।
हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ् |
तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।
चन्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि || १||
गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
अजार्वयः।।१०।।
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् || २ ||
यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् ।
अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् |
मुखं ककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।। ११।।
धश्रयं दे र्वीमुपह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जुषताम ् || ३ ||
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।
कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामारां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां
उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शर
ू ो अजायत ।। १२।।
तपियन्तीम ् |
चन्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ४ ||
मख
ु ाहदन्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायरु जायत ।। १३।।
चन्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलन्तीं धश्रयं लोके
नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।
दे र्वजुष्टामुदाराम ् |
पदभ्यां भसू महदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ
तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां
अकल्पयन ्।।१४।।
र्वण
ृ े || ५ ||
र्वेदािमेतं परु
ु षं मिान्तम ्
आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वक्ष
ृ ोऽर्
आहदत्यर्वणं तमसस्तु पारे ।
त्रबल्र्वः |
सर्वािणण रूपाणण र्र्वधचत्य धीरः
तस्य फलानन तपसानद
ु न्तम
ु ायान्तरायाश्च बाह्या
नामानन कृत्र्वाऽसभर्वदन ् यदास्ते ।। १५।।
अलक्ष्मीः ।। ६ ।।
धाता परु स्ताद्यमद
ु ाजिार
उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि |
शक्रः प्रर्र्वद्र्वान्प्रहदशश्चतस्रः ।
प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे || ७ ||
तमेर्वं र्र्वद्यानमत
ृ इि भर्वनत
क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् |
नान्यः पन्र्ा अयनाय र्र्वद्यते ।। १६।।
अभूनतमसमद्
ृ धधं च सर्वां ननणुद
ि मे गि
ृ ात ् || ८ ||
यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः
गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपष्ु टां करीर्षणीम ् |
तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् ।
ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ९ ||
ते ि नाकं महिमानः सचन्ते
मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि |
यि पूर्वे साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।। १७।।

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पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः || १० || सरससजननलये सरोजिस्ते
कदि मेन प्रजाभूतामनय सम्भर्वकदि म | धर्वलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे ।
धश्रयं र्वासय मे कुले मातरं पद्ममासलनीम ् || ११ || भगर्वनत िररर्वल्लभे मनोज्े त्रिभुर्वनभूनतकरर प्रसीद
आपः सज
ृ न्तु स्स्नग्धानन धचकलीतर्वसमे गि
ृ े | मह्यम ् ।। २५ ।।
ननचदे र्वीं मातरं धश्रयं र्वासय मे कुले || १२ || र्र्वष्णुपत्नीं क्षमादे र्वीं माधर्वीं माधर्वर्प्रयाम ् ।
आरां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िे ममासलनीम ् | लक्ष्मीं र्प्रयसखीं दे र्वीं नमाम्यच्युतर्वल्लभाम ् ।।२६।।
सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १३ || मिालक्ष्मी च र्र्वद्मिे र्र्वष्णुपत्नी च धीमहि ।
आरां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ् | तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात ् ।। २७ ।।
चन्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १४ || श्रीर्वचिस्र्वमायुष्यमारोग्यमार्र्वधाच्छोभमानं मिीयते ।
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् | धान्यं धनं पशुं बिुपुिलाभं शतसंर्वत्सरं
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गार्वोदास्योश्र्वास्न्र्वन्दे यं दीघिमायुः।।२८।।
परु
ु षानिम ् || १५ || ॐ श्री ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः| श्री सक
ू त स्नानं
यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् | समपियासम ||
सक
ू तं पञ्चचदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् || १६ ||
-----------------------------------------------------------------------------

पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भर्वे | ३०. ३ र्र्वष्णु सूकत


तन्मेभजसस पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यिम ् ||१७||
अश्र्वदायी गोदायी धनदायी मिाधने | अतो दे र्वा अर्वन्तु नो यतो र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे ।
धनं मे जष
ु तां दे र्र्व सर्विकामााँश्च दे हि मे || १८ || पधर्िव्याः सप्त धामसभः ।।
पद्मानने पद्मर्र्वपद्मपिे पद्मर्प्रये पद्मदलायताक्षक्ष| इदं र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे िेधा ननदधे पदं ।
र्र्वश्र्वर्प्रये र्र्वश्र्वमनोनक
ु ू ले त्र्वत्पादपद्मं मनय समढ
ू मस्यपााँसरु े ।।
सस्न्नधत्स्र्व || १९ || िीणण पदा र्र्वचक्रमे र्र्वष्णुगोपा अदाभ्यः ।
पि
ु पौिं धनं धान्यं िस्त्यश्र्वाहदगर्वेरर्म ् | ततो धमािणण धारयन ् ।।
प्रजानां भर्वसस माता आयुष्मन्तं करोतु मे || २० || र्र्वष्णोः कमािणण पश्यत यतो व्रतानन पस्पशे ।
धनमस्ग्नधिनं र्वायुधन
ि ं सूयो धनं र्वसुः | इन्रस्य यज्
ु यः सखा ।।
धनसमन्रो बि
ृ स्पनतर्विरुणं धनमस्तु ते || २१ || तद् र्र्वष्णोः परमं पदं सदा पश्यस्न्त सूरयः ।
र्वैनतेय सोमं र्पब सोमं र्पबतु र्वि
ृ िा | हदर्वीर्व चक्षुराततम ् ।।
सोमं धनस्य सोसमनो मह्यं ददातु सोसमनः || २३ || तद् र्र्वप्रासो र्र्वपन्यर्वो जागर्व
ृ ााँसस्सममन्धते ।
न क्रोधो न च मात्सयं न लोभो नाशुभा मनतः । । र्र्वष्णोर् यत ् परमं पदं ।।
भर्वस्न्त कृतपुण्यानां भकतानां श्रीसूकतं जपेत ्।।२४।।

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दे र्वस्य त्र्वा सर्र्वतुः प्रसर्वेऽस्श्र्वनोबाििुभ्यां पूष्णो ग्रिानेर्वै नानास्जगसमशनत गि
ृ ाहि पशूनां प्रनतष्ठा
िस्ताभ्याम ् । प्रनतष्ठा ||
अग्नेस्तेजसा सूयश्ि च अचिसेन्रस्यं
इस्न्रयेनासभसशञ्चचासम ।। ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
बलाय धश्रयै यशसेन्नाध्याय अम्रुतासभषेको अस्तु । ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || सुप्रनतष्ठमस्तु ।।
शास्न्तः पुस्ष्टः तुस्ष्टः च अस्तु ।।
-----------------------------------------------------------------------------

३२ र्वस्ि
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः। मिा असभषेक (offer two pieces of cloth for the Lord)
स्नानं समपियासम ।।
----------------------------------------------------------------------------- ॐ तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् पुरुषं जातमग्रतः ।
३०. ४ तपिणं (offer water)
तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।।

ॐ भर्व दे र्वं तपियासम ।


ॐ उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि |
ॐ शर्वि दे र्वं तपियासम ।
प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे ||
ॐ ईशानं दे र्वं तपियासम ।
ॐ पशुपनतं दे र्वं तपियासम ।
र्वस्ियग्ु मं सदाशभ्र
ु ं मनोिरसमदं शभ
ु ं |
ॐ उग्रं दे र्वं तपियासम ।
ददासमदे र्वेश भकत्येदं प्रनतगह्
ृ यतां ||
ॐ रुरं दे र्वं तपियासम ।
श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || र्वस्ियग्ु मं
ॐ भीमं दे र्वं तपियासम ।
समपियासम||
ॐ मिान्तं दे र्वं तपियासम ।
----------------------------------------------------------------------------- मरु ार् जीताङ्यीयग
ु ले, दक
ु ू ल र्वसन र्प्रये |
३१ प्रनतष्ठापना र्वस्ियुग्मं प्रदास्यासम, गि
ृ ाण िररर्वल्लभे ||
श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || | (repeat 12 times) ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः| र्वस्ियुग्मं समपियासम ||
ॐ तदस्
ु तु समिा र्वरुणा तदग्ने शंयोरस्मभ्यसमदम -----------------------------------------------------------------------------
३३ श्री मिा लक्ष्मी पज
ू ा
स्तश
ु स्तम ् |
३३. १ कञ्चचक
ु ी
अशीमहि गाधमुत प्रनतष्ठां नमो हदर्वे बि
ृ ते
साधनाय||
नर्वरत्नासभदि धां सौर्वणैश्चैर्व तन्तुसभः ।
ॐ गि
ृ ार्वै प्रनतष्ठासूकतं तत ् प्रनतस्ष्टत तमया र्वाचा|
ननसमितां कञ्चचक
ु ीं भकत्या गि
ृ ाण परमेश्र्वरी ।।
शं स्तव्यं तस्माद्यद्यर्पदरू इर्व पशन
ू ् लभते |
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः। कंचक
ु ीं समपियासम ।।

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-----------------------------------------------------------------------------
३३. २ कण्ठ सि

र्र्वद्युत ् कृशाणु सङ्काशं जपा कुसुमसस्न्नभं ।
ससन्दरू न्ते प्रदास्यासम सौभाग्यं दे हि मे धचरं ।।
माङ्गल्य तन्तुमणणसभः मुकतैश्चैर्व र्र्वरास्जतं ।
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः । ससन्दरू ं समपियासम ।।
सौमङ्गल्ल्यासभर्वध्
ृ यर्ं कण्ठसूिं ददासमते ।। -----------------------------------------------------------------------------
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः। कण्ठसूिं समपियासम ।। ३३. ८ नाना आभरणं
-----------------------------------------------------------------------------
३३. ३ ताडपिाणण
स्र्वभार्वा सुन्दराङ्धग त्र्वं नाना रत्न युतानन च ।
भूषणानन र्र्वधचिाणण प्रीत्यर्ं प्रनतगह्
ृ यतां ।।
ताडपिाणण हदव्याणण र्र्वधचिाणण शुभानन च ।
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः । नाना आभरणानन
कराभरणयुकतानन मातस्तत्प्रनतगह्
ृ यतां ।।
समपियासम ।।
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः| ताडपिाणण समपियासम।। -----------------------------------------------------------------------------
३३. ९ नाना पररमल रव्य
-----------------------------------------------------------------------------
३३. ४ िरररा

नाना सुगस्न्धकं रव्यं चण


ू ीकृत्य प्रयत्नतः ।
िरररा रस्ञ्चजते दे र्वी सुख सौभाग्य दानयनी ।
ददासम ते नमस्तुभ्यं प्रीत्यर्ं प्रनतगह्
ृ यतां ।।
िरररान्ते प्रदास्यासम गि
ृ ाण परमेश्र्वरर ।।
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः। िरररा समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः । नाना पररमल रव्यं
३३. ५ कुङ्कुम समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
३४ यज्ोपर्वीत
कुङ्कुमं कामदां हदव्यं कासमनी काम संभर्वं ।
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् ।
कुङ्कुमाधचिते दे र्वी सौभाग्यार्ं प्रनतगह्
ृ यतां ।।
पशग
ू ाँस्तागाँश्चक्रे र्वायव्यान ् आरण्यान ् ग्राम्याश्चये।।
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः । कुङ्कुमं समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
स्र्वणि यज्ोपर्वीतञ्चच काञ्चचनम्चोत्तरीयकं |
३३. ६ कज्जल रुराक्षमालयायक
ु तं ददासम स्र्वीकुरुप्रभो ||
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
सुनील भ्रमराभसं कज्जलं नेि मण्डनं । यज्ोपर्वीतं समपियासम ||
मयादत्तसमदं भकत्या कज्जलं प्रनतगह्
ृ यतां ।। क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् |
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः । कज्जलं समपियासम।। अभनू तमसमद्
ृ धधं च सर्वां ननणद
ुि मे गि
ृ ात ् ||
-----------------------------------------------------------------------------
तप्तिे मकृतं सूि,ं मुकत धाम र्र्वभूर्षतां |
३३. ७ ससन्दरू

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उपर्वीतं इदं दे र्र्व, गि
ृ ाण त्र्व शुभ प्रदे || अहिररर्व भोगैः पयेनत बािुं जयाया िे नतं
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः | यज्ोपर्वीतम ् पररबाधमानः|
समपियासम || िस्तघ्नो र्र्वश्र्वा र्वयुनानन र्र्वद्र्वान्पुमान्पुमांसं परर
पातु र्र्वश्र्वतः ||
-----------------------------------------------------------------------------
३५ आभरणं िस्तभूषण
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||

गि
ृ ाण नानाभरणानन केदारे श्र्वर ननसमितानन । ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः| नाना पररमल रव्यं

ललाट कण्ठोत ्तम कणि िस्त ननतम्ब िस्ताङ्गुसल समपियासम ||


-----------------------------------------------------------------------------
भूषणानन ।।
३८ अक्षत
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः । िस्तभूषणं
समपियासम || तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः | िस्तभूषणं गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता अजार्वयः।।
समपियासम|| मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि |
पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः ||
-----------------------------------------------------------------------------
३६ गन्ध
अक्षतो ससद्र्वभार्वेन भकतानां अक्षतं पदं |

तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे । ददाससनार् मद्दत्तैः अक्षतैः र्प्रयताभर्वान ् ||

छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजस्


ु तस्मादजायत ।।
समस्त गन्ध रव्याणां दे र्वत्र्वमससजन्मभूः | ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || अक्षतान ्

भकत्या समर्पितं प्रीत्या मया गन्धाहद गह्


ृ यतां || समपियासम ||

ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||


गन्धं समपियासम || अक्षतान ् धर्वलान ् दे र्र्व, शालीयान ् स्र्ण्डुलान ् शभ
ु ान ्|

गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीम ् | िरररा कुङ्कुमोपेतौ, ग्रह्यतां अस्धधपुत्रिके ||

ईश्र्वरीं सर्विभत
ू ानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः | अक्षतान ् समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
कपरूि ागरू कस्तूरी, रोचनाहदसभरस्न्र्वतं |
३९ पुष्प
गंधं दास्याम्यिं दे र्र्व, प्रीत्य्र्ं प्रनतगह्
ृ यतां ||
ॐ श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः| गंधं समपियासम || माल्यादीनन सुगन्धीनन माल्यतादीनन र्वैप्रभो ।
मया हह्तानन पज
ू ार्ं पष्ु पाणण प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।
-----------------------------------------------------------------------------
३७ नाना पररमल रव्य
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः । ॐ श्री
धनमिालक्ष्म्यै नमः | पुष्पाणण समपियासम।।

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तुलसी कुन्दमन्दार पाररजाताम्बुजैयत
ुि ां
पञ्चचसभग्रिधर्ता माला र्वैजयन्ती क्यते ।। ॐ चन्रमौळये नमः । कण्ठं पूजयासम ।।
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः । ॐ श्री ॐ शसशमौसलने नमः । र्वदनं पूजयासम ।।
धनमिालक्ष्म्यै नमः | र्वैजयन्ती माला समपियासम ।। ॐ नीलकण्ठाय नमः । नाससकां पूजयासम ।।
ॐ शङ्कराय नमः । श्रोिे पूजयासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
४० नाना अलङ्कार
ॐ ललाटाक्षाय नमः । नेिाणण पूजयासम ।।

कहट सूताङ्गुली येच कुण्डले मुकुठं तर्ा ।


र्वनमालां कौस्तुभं च गि
ृ ाण पुरुषोत्तम ।। ॐ र्वष
ृ भध्र्वजाय नमः । भ्रर्वौ पूजयासम ।।

ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः । ॐ श्री ॐ शूलपाणणने नमः । भ्रूमध्यं पूजयासम ।।

धनमिालक्ष्म्यै नमः | नाना अलङ्कारान ् समपियासम|| ॐ शंभर्वे नमः । ललाटं पूजयासम ।।


----------------------------------------------------------------------------- ॐ सर्विज्ाय नमः । सशरः पूजयासम ।।
४१ अर् अङ्गपूजा
(for KedAreshvar)
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः सर्वािङ्गाणण
ॐ मिे श्र्वराय नमः । पादौ पज
ू यासम ।। पज
ू यासम।।
ॐ ईश्र्वराय नमः । गुल्फ़ौ पूजयासम ।।
ॐ कामरूपाय नमः । जानन
ु ी पज
ू यासम ।। (for Goddess Lakshmi)

ॐ िराय नमः । जङ्घै पूजयासम ।।


ॐ रमायै नमः . पादौ पज
ू यासम ||
ॐ त्रिपरु ान्तकाय नमः । ऊरून ् पज
ू यासम ।।
ॐ क्षीरास्धधतनयायै नमः . गुल्फौ पूजयासम ||
ॐ भर्वाय नमः । गुह्यं पूजयासम ।।
ॐ पद्मायै नमः . जानन
ु ी पज
ू यासम ||
ॐ गङ्गाधराय नमः । जघनं पज
ू यासम ।।
ॐ कमलायै नमः . जङ्घै पूजयासम ||
ॐ मिादे र्वाय नमः । कहटं पूजयासम ।।
ॐ संपत्प्रदानयन्यै नमः . ऊरून ् पज
ू यासम ||
ॐ र्पनाककने नमः । उदरं पज
ू यासम ।।
ॐ र्र्वष्णुर्वल्लभायै नमः . नासभं पूजयासम ||
ॐ सशर्वाय नमः । हृदयं पूजयासम ।।
ॐ कमलर्वाससन्यै नमः . कुक्षक्षं पूजयासम ||
ॐ सर्विदानयन्यै नमः . उदरं पूजयासम ||
ॐ सशनतकण्ठाय नमः । पाश्र्वौ पूजयासम ।।
ॐ िररर्प्रयायै नमः . हृदयं पूजयासम ||
ॐ र्र्वरूपाक्षाय नमः । पष्ृ ठदे िं पज
ू यासम ।।
ॐ मङ्गलदे र्वतायै नमः . र्वक्षस्र्लं पूजयासम ||
ॐ त्रिनेिाय नमः । स्कन्धौ पूजयासम ।।
ॐ रुराय नमः । बािून ् पूजयासम ।।
ॐ धश्रयै नमः . स्र्ानौ पूजयासम ||
ॐ शर्वािय नमः । िस्तान ् पूजयासम ।।

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ॐ लोकमािे नमः . बािुं पूजयासम || ॐ लोकमािे नमः || मस्ल्लका पुष्पं समपियासम ||
ॐ कमलािस्तायै नमः . िस्तान ् पूजयासम || ॐ पद्म ननलयायै नमः || पद्म पुष्पं समपियासम ||
ॐ र्वरप्रदायै नमः . भुजान ् पूजयासम ||
ॐ कंभुकस्न्टन्यै नमः . कण्ठं पूजयासम || ॐ कमलर्वाससन्यै नमः || सेर्वस्न्तका पुष्पं
ॐ श्रनु तस्तुतायै नमः . श्रोिं पूजयासम || समपियासम ||
ॐ लोकजनन्यै नमः . नेिाणण पूजयासम || ॐ र्वरलक्ष्म्यै नमः || ननलोत्पल पुष्पं समपियासम ||
ॐ प्रसन्नर्वदनायै नमः . र्वदनं पूजयासम ||
ॐ इस्न्दरायै नमः . ललाटं पूजयासम || ॐ सर्वैश्र्वयि काररण्यै नमः |
नानार्र्वध पुष्पाणण समपियासम ||
ॐ क्षीरसागर कन्यकायै नमः . सशरः पूजयासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
४३ अर् पि पूजा

ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || सर्वािङ्गाणण पज


ू यासम ||
----------------------------------------------------------------------------- ॐ मिादे र्वाय नमः || त्रबल्र्व पिं समपियासम ||
४२ अर् पुष्प पूजा ॐ मिे श्र्वराय नमः || जाजी पिं समपियासम ||
ॐ शङ्कराय नमः || चम्पका पिं समपियासम ||
ॐ भर्वाय नमः || कल्िार पुष्पं समपियासम || ॐ र्वष
ृ भध्र्वजाय नमः || तुलसी पिं समपियासम ||
ॐ शसशमौसलने नमः || सेर्वस्न्तका पष्ु पं समपियासम|| ॐ शल
ू पाणणने नमः || दर्व
ू ाि यग्ु मं समपियासम ||
ॐ रुराय नमः || मस्ल्लका पुष्पं समपियासम ||
ॐ नीलकण्ठाय नमः || इरुर्वस्न्तका पष्ु पं ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || सर्विपिाणण
समपियासम|| समपियासम |
ॐ सशर्वाय नमः || धगररकणणिका पष्ु पं समपियासम ||
ॐ भर्विाररणे नमः || आर्सी पुष्पं समपियासम || For Goddess Laxmi

ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||


ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || माधच पिं समपियासम ||
नानार्र्वधपुष्पाणण समपियासम ||
ॐ मायायै नमः || मरुग पिं समपियासम ||

For Goddess Laxmi ॐ क्षेमङ्कयै नमः || सेर्वस्न्तका पिं समपियासम ||


ॐ इस्न्दरायै नमः || पूग पुष्पं समपियासम || ॐ शुभ प्रदानयन्यै नमः || त्रबल्र्व पिं समपियासम ||
ॐ रमायै नमः || जाजी पुष्पं समपियासम || ॐ त्रिपुरसुन्दयै नमः || तुलसस पिं समपियासम ||
ॐ पद्मर्प्रयायै नमः || चम्पक पुष्पं समपियासम || ॐ र्र्वष्णुर्प्रयायै नमः || र्र्वष्णुक्रास्न्त पिं
ॐ िररर्प्रयायै नमः || र्वकुल पुष्पं समपियासम || समपियासम||

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ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || पिपूजां समपियासम || ॐ पशुपतये नमः .
ॐ लोकमािे नमः |
-----------------------------------------------------------------------------
४४ ग्रस्न्र् पूजा
सप्तमग्रस्न्र्ं पूजयासम |

Performing the pUjA for the holy threads -


sUtragra.nthi pUjA ॐ भीमाय नमः .
ॐ भागिव्यै नमः |
ॐ सशर्वाय नमः . अष्टमग्रस्न्र्ं पूजयासम |
ॐ रमायै नमः |
प्रर्मग्रस्न्र्ं पूजयासम | ॐ त्र्यंबकाय नमः .
ॐ पद्मिस्तायै नमः |
ॐ शान्ताय नमः . नर्वमग्रस्न्र्ं पज
ू यासम |
ॐ सर्विमङ्गलायै नमः |
द्र्र्वतीयग्रस्न्र्ं पज
ू यासम | ॐ नीललोहिताय नमः .
ॐ पुष्ट्यै नमः |
ॐ मिादे र्वाय नमः . दशमग्रस्न्र्ं पज
ू यासम |
ॐ कमलर्वाससन्यै नमः |
त्रितीयग्रस्न्र्ं पज
ू यासम | ॐ िराय नमः .
ॐ तुष्ट्यै नमः |
ॐ र्वष
ृ भद्र्वजाय नमः . एकादशग्रस्न्र्ं पज
ू यासम . |
ॐ मन्मर्जनन्यै नमः |
चतर्
ु ग्र
ि स्न्र्ं पज
ू यासम | ॐ स्मरिराय नमः .
ॐ मिालक्ष्म्यै नमः |
ॐ गौरीशाय नमः . द्र्वादशग्रस्न्र्ं पूजयासम |
ॐ र्र्वष्णुर्वल्लभायै नमः
पञ्चचमग्रस्न्र्ं पूजयासम | ॐ भगािय नमः .
ॐ रुराय नमः . ॐ कमलायै नमः |
ॐ क्षीरास्धध कन्यकायै नमः. ियोदशग्रस्न्र्ं पूजयासम |
षष्टग्रस्न्र्ं पूजयासम |

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ॐ शंभर्वे नमः . ॐ धनलक्ष्म्यै नमः |
ॐ पद्मासनयै नमः | एकर्र्वंशनतग्रस्न्र्ं पूजयासम |
चतुदिशग्रस्न्र्ं पूजयासम |
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ॐ शर्वािय नमः .
ॐ सोमायै नमः | ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः | ग्रंधर् पूजां समपियासम ||
पञ्चचदशग्रस्न्र्ं पूजयासम |
-----------------------------------------------------------------------------
४७ Katha

ॐ सदासशर्वाय नमः . CHAPTER 1


ॐ रमायै नमः |
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः
षोडशग्रस्न्र्ं पूजयासम |
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः
ॐ ईश्र्वराय नमः .
ॐ अनघायै नमः | In the ancient times,Shaunaka and other great rishis
सप्तदशग्रस्न्र्ं पूजयासम | had gathered in Neimisharanya to listen to Suta
puraanik. Sutaji says let me tell you, for the welfare
of the world, the story of Kedareshwara, a vrita
ॐ उग्राय पूजयासम . which can bring wealth and prosperity. Goddess
Parvati performed this vrita and achieved the
ॐ पीताम्बरधाररण्यै नमः | objects of her desire. One who performs this vrita
अष्टादशग्रस्न्र्ं पूजयासम | and one who listens to its greatness will have long
life, good health and all their wishes will be
fulfilled. Those who perform this vrita 21 times will
reach the abode of Shiva. Hence this vrita needs to
ॐ श्री कण्ठाय नमः .
be performed by all irrespective of varna or caste.
ॐ चस्न्डकायै नमः |
Once all the rishis, devas and gandharvas had
एकोनर्र्वंशनतग्रस्न्र्ं पूजयासम | gathered on Mount Kailas and were engaged in the
praise of and meditation on Lord Shiva who came
along with His consort Parvati, to their presence.
ॐ नीलकण्ठाय नमः . Narada and tumburu began to sing His glories;
ॐ सुरूपायै नमः | Ramba performed a dance to please Lord shiva. One
of the attendants called Bringiriti regaled the
र्र्वंशनतग्रस्न्र्ं पूजयासम | assembly. Lord shiva was pleased and Bringiriti
circumambulated Him and while doing so he
excluded Parvati, who in turn wanted to find out
ॐ मत्ृ युञ्चजयाय पूजयासम . from the Lord, the reason for her being

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excluded.The Lord replied that those who are aware
of Brahman will not prostrate to her as they do not CHAPTER 2
need anything from her. Parvati became furious and
despite pleadings by all the rishis left the place in an Chithrangadha was a gandharva and a great shiva
implacable mood. She came down to the forests and bhaktha. He wanted to spread this vrita in the
entered the ashram of Sage Gautama.Finding none world.After obtaining the blessings of
to receive her, she went in, awaiting the arrival of Nandikeshwara, he reaches the kingdom of Ujjain
the host. and exhorts the king
to do this vrita. The king does the vrita and becomes
When Sage Gautama was approaching the ashram, an emperoror. In Ujjain there were two dancing
he found to his astonishment, the place was full of girls name Punyavati and Baghyavathi. Their father
divine glow. Coming closer to the ashram he found was very poor and could not help them to perform
that Goddess Parvati was the source of the wonder. the vrita. Without feeling discouraged they obtained
After receiving the hospitality due to an august his permission, used the bark of a tree instead of
guest, Parvati wants to know from the sage a way to thread to tie to their wrists and perform the puja
acquire half of the body of Lord Shiva. Sage with faith and devotion. Lord shiva was pleased and
Gautama after going through all puranas and grants all their desires.
scriptures, asked her to do Kedareshwara vrita.
Punyavati became the queen of the king of Ujjain
Now Goddess Parvati wanted to know how to and baghyavati became the queen of Chola king.
perform this vrita. The sage says, this vrita is Thus both the sisters achieved their goals by
performed in the month of ashwiija from 8th day till worshipping Lord shiva. As time passed Baghyavati
new moon. During the whole period, Lord became proud of her
Kedreshwara needs to be worshipped daily. Tie a wealth and stopped performing this vrita. The chola
white thread to the wrist. Gather 21 Brahmins and king for some reason drove her along with her son,
the purohit and perform this vrita with faith and out of her house. After travelling through forests
devotion.Tie 21 threads to the kalasa and do 16 she came to rest at a place. She tells her son to pay a
varieties (shodashopachara) of puja to the Lord. visit to her aunt, the queen of Ujjain.When the boy
Offer Him the choicest of food and fruits. Please the accordingly meets and narrates the story of their
gathered brahmins with food and other offerings. plight to the queen,
With this Lord Parameshwara would be pleased and she gives him plenty of wealth. But the wealth
will grant you the half body of His. could not reach his mother, as Lord Kedareshwara
comes in the form of a wayside robber and robs him
Parvati performs this puja with great devotion and of all his wealth.The boy again returns and the
faith. Lord Shiva was pleased and grants her desire. incicdent repeats three times. Finally his aunt makes
Parvati in order the world may be benefitted, the boy do the kedareshwara puja. Now when he
requests Lord shiva to grant all desires of devotees returns not only there was none to rob him but all
who perform this vrita. The Lord agrees. the wealth he had lost earlier was also on the
wayside. He carries all the wealth to his mother and
End of Chapter 1 tells the whole story and makes her perform
Kedareshwara vrita.
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः
The king of Chola who was looking for his wife and
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः son reaches that place and takes them back to his
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः

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kingdom. From that day onwards, all of them ॐ अंत्रबकानार्ाय नमः |
perform kedreshwara vrita regularly.
ॐ श्रीकण्ठाय नमः |
ॐ भकतर्वत्सलाय नमः |
Whoever performs this vrita in kaliyuga and
whoever listens to this story with devotion and faith
and whoever reads or writes this story will get all ॐ भर्वाय नमः |
their desires fulfilled.
ॐ शर्वािय नमः |

ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ॐ त्रिलोकेशाय नमः |

ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः २०

ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ॐ सशनतकण्ठाय नमः |


----------------------------------------------------------------------------- ॐ सशर्वा र्प्रयाय नमः |
४८ अष्टोत्तर पज
ू ा (chant dhyAna shloka )
ॐ उग्राय नमः |
ॐ कपासलने नमः |
शल
ू ं डमरुकञ्चचैर्व तदानम्िस्तयग्ु मके
ॐ कामारये नमः |
केदारदे र्वमीशानं ध्याये त्रिपुरककाधधनं ||
ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः |
ॐ गङ्गाधराय नमः |
|| ॐ ||
ॐ ललाटाक्षाय नमः |
ॐ सशर्वाय नमः |
ॐ कालकालाय नमः |
ॐ मिे श्र्वराय नमः |
ॐ कृपाननधये नमः |
ॐ शंभर्वे नमः |
३०
ॐ र्पनाककने नमः |
ॐ भीमाय नमः |
ॐ शसशशेखराय नमः |
ॐ परशि
ु स्ताय नमः |
ॐ र्वामदे र्वाय नमः |
ॐ मग
ृ पाणये नमः |
ॐ र्र्वरूपाक्षाय नमः |
ॐ जटाधराय नमः |
ॐ कपहदि ने नमः |
ॐ कैलासर्वाससने नमः |
ॐ नीललोहिताय नमः |
ॐ कर्वधचने नमः |
ॐ शङ्कराय नमः |
ॐ कठोराय नमः |
१०
ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः |
ॐ शूलपाणये नमः |
ॐ र्वष
ृ ाङ्काय नमः |
ॐ खट्र्वाङ्धगने नमः |
ॐ र्वष
ृ भारूढाय नमः |
ॐ र्र्वष्णर्व
ु ल्लभाय नमः |
४०
ॐ सशर्पर्र्वष्टाय नमः |

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ॐ भस्मोद्धसू लत र्र्वग्रिाय नमः | ॐ पुरारातये नमः |
ॐ सामर्प्रयाय नमः | ॐ भगर्वते नमः |
ॐ स्र्वरमयाय नमः | ॐ प्रमर्ाधधपाय नमः |
ॐ ियीमूतय
ि े नमः | ७०
ॐ अनीश्र्वराय नमः | ॐ मत्ृ युञ्चजयाय नमः |
ॐ सर्विज्ाय नमः | ॐ सूक्ष्मतनर्वे नमः |
ॐ परमात्मने नमः | ॐ जगद्व्यार्पने नमः |
ॐ सोमसूयािस्ग्नलोचनाय नमः | ॐ जगद्गुरुर्वे नमः |
ॐ िर्र्वषे नमः | ॐ व्योमकेशाय नमः |
ॐ यज्मयाय नमः | ॐ मिासेनजनकाय नमः |
५० ॐ चारुर्र्वक्रमाय नमः |
ॐ सोमाय नमः | ॐ रुराय नमः |
ॐ पञ्चचर्वकिाय नमः | ॐ भूतपतये नमः |
ॐ सदासशर्वाय नमः | ॐ स्र्ाणर्वे नमः |
ॐ र्र्वश्र्वेश्र्वराय नमः | ८०
ॐ र्वीरभराय नमः | ॐ अियेबध्
ु न्याय नमः |
ॐ गणनार्ाय नमः | ॐ हदगंबराय नमः |
ॐ प्रजापतये नमः | ॐ अष्टमत
ू य
ि े नमः |
ॐ हिरण्यरे तसे नमः | ॐ अनेकात्मने नमः |
ॐ दध
ु ष
ि ािय नमः | ॐ सास्त्र्वकाय नमः |
ॐ धगरीशाय नमः | ॐ शुद्धर्र्वग्रिाय नमः |
६० ॐ शाश्र्वताय नमः |
ॐ धगररशाय नमः | ॐ खण्डपरशर्वे नमः |
ॐ अनघाय नमः | ॐ अज्ाय नमः |
ॐ भुजङ्गभूषणाय नमः | ॐ पाशर्र्वमोचकाय नमः |
ॐ भगािय नमः | ९०
ॐ धगररधन्र्वने नमः | ॐ मड
ृ ाय नमः |
ॐ धगररर्प्रयाय नमः | ॐ पशुपतये नमः |
ॐ कृर्त्तर्वाससे नमः | ॐ दे र्वाय नमः |

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ॐ मिादे र्वाय नमः | ॐ सर्विभूतहितप्रदायै नमः ।
ॐ अव्ययाय नमः | ॐ श्रद्धायै नमः ।
ॐ िरये नमः | ॐ र्र्वभूत्यै नमः ।
ॐ भगनेिसभदे नमः | ॐ सुरभ्यै नमः ।
ॐ अव्यकताय नमः | ॐ परमास्त्मकायै नमः ।
ॐ दक्षाध्र्वरिराय नमः | ॐ र्वाचे नमः ।
ॐ िराय नमः |
१०० ॐ पद्मालयायै नमः ।
ॐ पूषदन्तसभदे नमः | ॐ पद्मायै नमः ।
ॐ अव्यग्राय नमः | ॐ शुचये नमः ।
ॐ सिस्राक्षाय नमः | ॐ स्र्वािायै नमः ।
ॐ सिस्रपदे नमः | ॐ स्र्वधायै नमः ।
ॐ अपर्वगिप्रदाय नमः | ॐ सुधायै नमः ।
ॐ अनन्ताय नमः | ॐ धन्यायै नमः ।
ॐ तारकाय नमः | ॐ हिरण्मय्यै नमः ।
ॐ परमेश्र्वराय नमः | ॐ लक्ष्म्यै नमः ।
१०८
ॐ ननत्यपष्ु टायै नमः ।
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः | ॐ र्र्वभार्वयै नमः ।
अष्टोत्तर पज
ू ां समपियासम || ॐ अहदत्यै नमः ।
ॐ हदत्ये नमः ।
Dhyana sloka ॐ दीपायै नमः ।
लक्ष्मीं क्षीर समुर राज तनया श्रीरङ्ग धामेश्र्वरी ।
ॐ र्वसुधायै नमः ।
दासी भूत समस्त दे र्व-र्वननतां लोकैक दीपङ्कुराम ् ॥
ॐ र्वसुधाररण्यै नमः ।
श्री मन्मन्द कटाक्ष लधध र्र्वभर्व ब्रम्िै न्रगङ्गाधराम ्।
ॐ कमलायै नमः ।
त्र्वां िैलोकय कुटुस्म्बनीं सरससजां र्वन्दे मुकुन्दर्प्रयाम ्॥
ॐ कान्तायै नमः ।

ॐ प्रकृत्यै नमः ।
ॐ कामाक्ष्यै नमः ।
ॐ र्र्वकृत्यै नमः ।
ॐ क्रोधसंभर्वायै नमः ।
ॐ र्र्वद्यायै नमः ।

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ॐ अनुग्रिप्रदायै नमः । ॐ चन्रर्वदनायै नमः ।
ॐ बुद्ध्यै नमः । ॐ चन्रायै नमः ।
ॐ अनघायै नमः । ॐ चन्रसिोदयै नमः ।
ॐ िररर्वल्लभायै नमः । ॐ चतुभज
ुि ायै नमः ।
ॐ अशोकायै नमः । ॐ चन्ररूपायै नमः ।
ॐ अमत
ृ ायै नमः । ॐ इस्न्दरायै नमः ।
ॐ दीप्तायै नमः । ॐ इन्दश
ु ीतलायै नमः ।

ॐ लोकशोकर्र्वनासशन्यै नमः । ॐ आह्लादजनन्यै नमः ।


ॐ धमिननलयायै नमः । ॐ पुष्ट्यै नमः ।
ॐ करुणायै नमः । ॐ सशर्वायै नमः ।
ॐ लोकमािे नमः । ॐ सशर्वकयै नमः ।
ॐ पद्मर्प्रयायै नमः । ॐ सत्यै नमः ।
ॐ पद्मिस्तायै नमः । ॐ र्र्वमलायै नमः ।
ॐ पद्माक्ष्यै नमः । ॐ र्र्वश्र्वजनन्यै नमः ।
ॐ पद्मसन्
ु दयै नमः । ॐ तष्ु ट्यै नमः ।
ॐ पद्मोद्भर्वायै नमः । ॐ दाररद्र्यनासशन्यै नमः ।

ॐ पद्ममुख्यै नमः । ॐ प्रीनतपुष्कररण्यै नमः ।


ॐ पद्मनाभर्प्रयायै नमः । ॐ शान्तायै नमः ।
ॐ रमायै नमः । ॐ शुकलमाल्याम्बरायै नमः ।
ॐ पद्ममालाधरायै नमः । ॐ धश्रयै नमः ।
ॐ दे व्यै नमः । ॐ भास्कयै नमः ।
ॐ पद्समन्यै नमः । ॐ त्रबल्र्वननलयायै नमः ।
ॐ पद्मगस्न्धन्यै नमः । ॐ र्वरारोिायै नमः ।
ॐ पुण्यगन्धायै नमः । ॐ यशस्स्र्वन्यै नमः ।
ॐ सुप्रसन्नायै नमः । ॐ र्वसुन्धरायै नमः ।
ॐ प्रसादासभमुख्यै नमः । ॐ उदाराङ्गायै नमः ।
ॐ प्रभायै नमः । ॐ िररण्यै नमः ।

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ॐ िे ममासलन्यै नमः । अष्टोत्तर पूजां समपियासम ||
ॐ धनधान्यकयै नमः ।
-----------------------------------------------------------------------------
४९ धप
ू ं
ॐ ससद्ध्यै नमः ।
दशाङ्गं धप
ू मुकयञ्चच ह्यङ्कार र्र्वननर्वेसशतं |
ॐ स्िैणसौम्यायै नमः ।
धप
ू ं सुगन्धैरुत्पन्नं त्र्वंप्रीणयतु शङ्कर ||
ॐ शुभप्रदायै नमः ।
ॐ नप
ृ र्वेश्मगतानन्दायै नमः ।
दशाङ्गं गुग्गुलोपेत,ं सुगन्धं च मनोिरं |
ॐ र्वरलक्ष्म्यै नमः ।
धप
ू ं गि
ृ ाण दे र्वेसश, भस्कतं मय्यचलां कुरु ||

ॐ र्वसुप्रदायै नमः ।
ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || धप
ू मायापयासम||
ॐ शुभायै नमः ।
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || धप
ू ं आयापयासम ||
ॐ हिरण्यप्राकारायै नमः । -----------------------------------------------------------------------------
ॐ समर
ु तनयायै नमः । ५० दीपं
ॐ जयायै नमः । साज्यं त्रिर्वनति सम्युकतं र्वस्ह्नना योस्जतुम ् मया |
ॐ मङ्गळा दे व्यै नमः । गि
ृ ाण मङ्गलं दीपं िैलोकय नतसमरापिम ् ||
ॐ र्र्वष्णुर्वक्षस्स्र्लस्स्र्तायै नमः । भकत्या दीपं प्रयश्चासम दे र्वाय परमात्मने ।
ॐ र्र्वष्णप
ु त्न्यै नमः । िाहि मां नरकात ् घोरात ् दीपं ज्योनतनिमोस्तुते ।।
ॐ प्रसन्नाक्ष्यै नमः ।
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।
ॐ नारायणसमाधश्रतायै नमः । उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शर
ू ो अजायत ।।
ॐ दाररद्र्यध्र्वंससन्यै नमः । ॐ श्री केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || दीपं दशियासम
ॐ दे व्यै नमः । ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः . दीपं दशियासम ||
ॐ सर्वोपरर्व र्वाररण्यै नमः । ------------------------------------------------------
ॐ नर्वदग
ु ाियै नमः । ५१ नैर्वेद्यं
ॐ मिाकाल्यै नमः । (dip finger in water and write a square and 'shrii'
mark inside the square| Place naivedya on 'shrii'|
ॐ ब्रह्मार्र्वष्णुसशर्वास्त्मकायै नमः । remove lid and sprinkle water around the vessel;
ॐ त्रिकालज्ानसंपन्नायै नमः । place in each food item one washed tulsi leaf or
flower or akshata)
ॐ भुर्वनेश्र्वयै नमः ।
श्री धनमिालक्ष्म्यै नमः | ॐ सदासशर्वाय र्र्वद्मिे | मिादे र्वाय धीमहि |
तन्नो शङ्कर प्रचोदयात ् ||

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यर्ाकालं मनुष्यार्े मोक्ष्यमानं शरीररसभः
ॐ मिालक्ष्म्यै च र्र्वद्मिे | र्र्वष्णुपत्नी च धीमिी | तत्सर्वं स्र्वासमन ्/ दे र्वी पूजास्तु प्रयतां मे जनादि न/
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ् || जगदीश्र्वरी
सुधारसं सुर्र्वपुलं आपोषणसमदं
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || तर्व गि
ृ ाण कलशानीतं यर्ेष्टमुपभुज्ज्यताम ् ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || (show mudras) ;
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुरा |
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः नमः ।।
अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुरा |
अमत
ृ ोपस्तरणमसस स्र्वािाः |
पर्र्विी करणार्े शङ्ख मर
ु ा |
(drop water from shankha)
संरक्षणार्े चक्र मुरा |
र्र्वपल
ु माय करणार्े मेरु मर
ु ा | ॐ प्राणात्मने स्र्वािा ।
ॐ अपानात्मने स्र्वािा ।
(Touch naivedya and chant 9 times)'ॐ' ॐ व्यानात्मने स्र्वािा ।
ॐ सत्यंतर्वतेन पररर्षञ्चचासम ॐ उदानात्मने स्र्वािा ।
(sprinkle water around the naivedya) ॐ समानात्मने स्र्वािा ।
भोः! स्र्वासमन ् भोजनार्ं आगच्छाहद र्र्वज्ाप्य |
भोः! दे र्वी भोजनार्ं आगच्छाहद र्र्वज्ाप्य | नैर्वेद्यं गह्
ृ यतां दे र्व भस्कत मे अचलां कुरुः ।
(request Lord and Goddess to come for ईस्प्सतं मे र्वरं दे हि इिि च परां गनतम ् ।।
dinner)
श्री सदासशर्वं नमस्तुभ्यम ् मिा नैर्वेद्यं उत्तमम ्|
सौर्वणे स्र्ासलर्वैये मणणगण खधचते गोघत
ृ ां सङ्गि
ृ ाण परमेश्र्वरर भस्कत मस्ु कत प्रदायकम ् ||
सुपकर्वां भक्ष्यां भोज्यां च लेह्यानर्प
सकलमिं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकैरूपेतं श्री लस्क्ष्म नमस्तुभ्यम ् मिा नैर्वेद्यं उत्तमम ्|
समधु दधध घत
ृ ं क्षीर पानीय युकतं सङ्गि
ृ ाण सुरश्रेस्ष्ठन ् भस्कत मुस्कत प्रदायकम ् ||
तांबूलं चार्प स्र्वासमन ्/ दे र्वी प्रनतहदर्वसमिं मनसा
ॐ चन्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
धचन्तयासम ||
मुखाहदन्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।।
अद्य नतष्ठनत यस्त्कस्ञ्चचत ् कस्ल्पतश्चापरं धग्रिे
पकर्वान्नं च पानीयं यर्ोपस्कर संयुतं

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ॐ आरां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िे ममासलनीम ् | गि
ृ ाण परमेश्र्वरी करोद्र्वतिनकं शुभम ् || करोद्र्वतिनकं
सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || दे र्वी मया दत्तं हि भस्कततः |
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || चारु चन्र प्रभां हदव्यं गि
ृ ाण जगदीश्र्वरी ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः। ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
नैर्वेद्यं समपियासम ।। ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || करोद्र्वतिनार्े चन्दनं
(cover face with cloth and chant gayatri mantra five समपियासम ||
times or repeat 12 times OM namaH shivaaya ; OM -----------------------------------------------------------------------------
mahalaxmyai namaH)
५५ तांबूलं
सर्विि अमत
ृ ोर्पधान्यमसस स्र्वािाः || पूगीफलं सतांबूलं नागर्वस्ल्ल दलैयत
ुि म ् |
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || ताम्बूलं गह्
ृ यतां दे र्व/ दे र्वी येल लर्वङ्ग सम्युकतम ् ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || उत्तरापोषणं समपियासम || ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || पूगीफल ताम्बूलं
(let flow water from shankha)
----------------------------------------------------------------------------- समपियासम ||
५२ मिा फलं -----------------------------------------------------------------------------

(put tulsi / axathaa on a big fruit) ५६ दक्षक्षणा


इदं फलं मयादे र्व/दे र्वी स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व | हिरण्य गभि गभिस्र् िे मबीज र्र्वभार्वसोः |
तेन मे सफलार्वास्प्तभिर्वेत ् जन्मनन जन्मनन || अनन्त पुण्य फलदा अर्ः शास्न्तं प्रयच्छ मे ||
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || मिाफलं समपियासम | ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || सुर्वणि पुष्प दक्षक्षणां
समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
५३ फलाष्टक (put tulsi/akshata on fruits) -----------------------------------------------------------------------------
५७ मिा नीराजन
कूष्माण्ड मातुसलङ्गं च ककिठी दाडडमी फलम ् |
रम्भा फलं जम्बीरं बदरं तर्ा ||
ॐ धश्रयै जातः धश्रय अननररयाय धश्रयं र्वयो
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
जररतभ्
ृ यो ददानत
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || फलाष्टकं समपियासम ||
धश्रयं र्वसाना अमत
ृ त्र्वमायन ् भर्वस्न्त सत्य स
-----------------------------------------------------------------------------
५४ करोद्र्वतिन समर्ासमतरौ
धश्रय एर्वैनं तत ् धश्रयामादधानत सन्ततमच
ृ ा
कपरूि समधश्रतं तोयं कस्तूयािहद समस्न्र्वतम ् | र्वषट्कृत्यं
सन्तत्यै सन्धीयते प्रजया पशुसभः य एर्वं र्वेद ||

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ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
तुम पाताल ननर्वाससनन, तुम िी शुभ दाता
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || मिानीराजनं दीपं
ओ मैया तुम िी शुभ दाता ।
समपियासम ||
----------------------------------------------------------------------------- कमि प्रभार्व प्रकासशनन, भर्व ननधध की दाता
५८ कपरूि दीप ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

अचित प्राचित र्प्रयमेधासो अचित | स्जस घर तुम रिती तिाँ सब सद्गुण आता

अचिन्तु पुिका उत पुरं धष्ृ णर्वचित || ओ मैया सब सद्गुण आता ।


सब संभर्व िो जाता, मन निीं घबराता

कपरूि कं मिाराज रं भोद्भूतं च दीपकम ् | ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

मङ्गलार्ं मिीपाल सङ्गि


ृ ाण जगत्पते ||
तम
ु त्रबन यज् न िोते, र्वस्ि न कोई पाता

ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || ओ मैया र्वस्ि न कोई पाता ।

ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || कपरूि दीपं समपियासम|| खान पान का र्वैभर्व, सब तम


ु से आता
----------------------------------------------------------------------------- ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
५९ आरती
शुभ गुण मस्न्दर सुन्दर, क्षीरोदधध जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ओ मैया क्षीरोदधध जाता ।

तम रत्न चतुदिश तुम त्रबन, कोई निीं पाता


ु को ननस हदन सेर्वत, मैयाजी को ननस हदन सेर्वत
िर र्र्वष्णु र्र्वधाता । ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
मिा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता

उमा रमा ब्रह्माणी, तम ओ मैया जो कोई जन गाता ।


ु िी जग माता
ओ मैया तुम िी जग माता । उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता

सय ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
ू ि चन्र मााँ ध्यार्वत, नारद ऋर्ष गाता
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
६० प्रदक्षक्षणा

दग
ु ाि रूप ननरन्जनन, सुख सम्पनत दाता ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।
ओ मैया सुख सम्पनत दाता ।
पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।
जो कोई तुम को ध्यार्वत, ऋद्धध ससद्धध धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

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आरां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ् | छिं समपियासम ||
चन्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || चामरं समपियासम ||
गीतं समपियासम ||
यानन कानन च पापानन जन्मान्तर कृतानन च |
नत्ृ यं समपियासम ||
तानन तानन र्र्वनश्यस्न्त प्रदक्षक्षण पदे पदे ||
र्वाद्यं समपियासम ||
अन्यर्ा शरणं नास्स्त त्र्वमेर्व शरणं मम |
दपिणं समपियासम ||
तस्मात ् कारुण्य भार्वेन रक्ष रक्ष परमेश्र्वर ||
व्यजनं समपियासम||
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
आन्दोलनं समपियासम||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || प्रदक्षक्षणान ् समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
६१ नमस्कार ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || राजोपचारान ् समपियासम||
सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः । ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम ् । ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || सर्वोपचारान ् समपियासम||
ॐ ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् | ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || समस्त राजोपचारार्े
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं परु
ु षानिम ् || अक्षतान ् समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
नमः सर्वि हितार्ािय जगदाधार िे तर्वे |
६३ मन्ि पष्ु प
साष्टाङ्गोयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः |
ऊरूसा सशरसा दृष्ट्र्वा मनसा र्वाचसा तर्ा |
यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः
पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोष्टाङ्गं उच्यते ||
तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् ।
शात्येनार्प नमस्कारान ् कुर्वितः शाङ्िगपाणये |
ते ि नाकं महिमानः सचन्ते
शत जन्माधचितम ् पापम ् तत्क्षणमेर्व नश्यनत ||
यि पूर्वे साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।।
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || नमस्कारान ् समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् |
६२ राजोपचार सक
ू तं पञ्चचदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् ||
गि
ृ ाण परमेशान सरत्ने छि चामरे |
दपिणं व्यजनं चैर्व राजभोगाय यत्नतः || र्र्वद्या बद्
ु धध धनेश्र्वयि पि
ु पौिाहद संपदः |
ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः || पुष्पाञ्चजसल प्रदानेन दे हिमे ईस्प्सतं र्वरम ् ||
ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः ||

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नमो (अ)स्तु अनन्ताय सिस्र मूतय
ि े सिस्र पादाक्षक्ष ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
सशरोरु बािर्वे । ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || | मन्िपुष्पं समपियासम ||
सिस्र नाम्ने पुरुषाय शाश्र्वते सिस्र कोटी युगधाररणे
-----------------------------------------------------------------------------
नम: ।। ६४ शङ्ख ब्रमण (make three rounds of shankha with
water like arati and pour down; chant ॐ 9 times
ॐ नमो मिद्भ्यो नमो अभिकेभ्यो नमो युर्वभ्यो नम and show mudras)
आसशनेभ्यः ।
इमां आपसशर्वतम इमं सर्विस्य भेषजे |
यजां दे र्वान्यहद शकनर्वाम मा ज्यायसः शंसमार्वक्षृ क्ष
इमां राष्रस्य र्वधधिनन इमां राष्र भ्रतोमत ||
दे र्वाः ।। -----------------------------------------------------------------------------
ॐ ममत्तु नः पररज्मा र्वसिाि ममत्तु र्वातो अपां ६५ तीर्ि प्राशन
र्वष
ृ ण्र्वान ् ।
सशशीतसमन्रापर्विता यर्व
ु ं नस्तन्नो र्र्वश्र्वे र्वररर्वस्यन्तु अकाल मत्ृ यु िरणं सर्वि व्याधध ननर्वारणम ् |
दे र्वाः ॥ सर्वि पाप उपशमनम ् केदारे श्र्वर / लक्ष्मी पादोदकं
ॐ कर्ा तेअग्ने शच
ु यन्त आयोदि दाशर्व
ु ािजेसभराशष
ु ाणाः। शभ
ु म ् ||
उभे यत्तोके तनये दधाना ऋतस्य सामन्रणयन्त दे र्वाः ॥
-----------------------------------------------------------------------------
६६ र्र्वसजिन पूजा

ॐ राजाधध राजाय प्रसह्य साहिने


आराधधतानां दे र्वतानां पुनः पूजां कररष्ये ||
नमो र्वयं र्वैश्रर्वणाय कूमििे
समे कामान ् काम कामाय मह्यं पूजान्ते छिं समपियासम | चामरं समपियासम |
कामेश्र्वरो र्वैश्रर्वणो दधातु नत्ृ यं समपियासम | गीतं समपियासम |
कुबेराय र्वैश्रर्वणाय मिाराजाय नमः ।। र्वाद्यं समपियासम | आन्दोसलक3333 आरोिणं
समपियासम|
ॐ स्र्वस्स्त साम्राज्यं भोज्यं स्र्वाराज्यं र्वैराज्यं अश्र्वारोिणं समपियासम | गजारोिणं समपियासम |
पारमेष्ठां राज्यं मिाराज्यमाधधपत्यमयं समन्त ॐ केदारे श्र्वर स्र्वासमने नमः ||
पयाियी स्यात ् सार्विभौमः सार्वाियुष आन्तादा ॐ धनमिालक्ष्म्यै नमः || समस्त राजोपचार
पराधाित ् पधृ र्व्यै समुरपयंताया एकरासळनत तदप्येषः दे र्वोपचार शकत्यप
ु चार भकत्यप
ु चार पज
ू ां समपियासम||
श्लोकोऽसभगीतो मरूतः पररर्वेष्टारो मरुतस्या र्वसन ् -----------------------------------------------------------------------------
६७ आत्म समपिण
ग्रिे आर्वीक्षक्षतस्य कामप्रेर्र्विश्र्वेदेर्वा सभासद इनत ||

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यस्य स्मत्ृ या च नाम्नोकत्या तपः पूजा कक्रयाहदषु |
-----------------------------------------------------------------------------
Puja Text – Sri S.A.Bhandarkar

न्यूनं सम्पूणत
ि ां यानत सद्यो र्वन्दे तं अच्युतम ् ||
Transliterated by Sowmya Ramkumar
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मध्ये मन्ि तन्ि स्र्वर र्वणि न्यूनानतररकत लोप Last updated on Oct 31, 2013
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दोष प्रायस्श्चत्तार्ं मिे श्र्वर / दे र्र्व नामिय
मिामन्ि जपं कररष्ये ||
ॐ सशर्वाय नमः | मिे श्र्वराय नमः | शंभर्वे नमः |
ॐ सशर्वाय नमः | मिे श्र्वराय नमः | शंभर्वे नमः |
ॐ सशर्वाय नमः | मिे श्र्वराय नमः | शंभर्वे नमः |

ॐ रमायै नमः | लक्ष्म्यै नमः | धन लक्ष्म्यै नमः||


ॐ रमायै नमः | लक्ष्म्यै नमः | धन लक्ष्म्यै नमः||
ॐ रमायै नमः | लक्ष्म्यै नमः | धन लक्ष्म्यै नमः||
मन्ििीनम ्, कक्रयािीनम ्, भस्कतिीनम ् जनादि न |
यत ् पस्ू जतम ् मयादे र्व पररपण
ू म
ि ् तदस्तु मे ||
कायेन र्वाचा मनसेस्न्रयैर्वाि बुद्ध्यात्मना र्वा प्रकृनत
स्र्वभार्वात ् |
करोसम यद्यत ् सकलं परस्मै मिे श्र्वरायेनत
समपियासम ||

नमस्करोसम | श्री श्री केदारे श्र्वर, धनमिालक्ष्मी प्रसादं


सशरसा गह्
ृ णासम ||
------------------------------------------------------
६८ क्षमापनं

अपराध सिस्राणण कक्रयन्ते अिननिशं मया |


तानन सर्वािणण मे दे र्व क्षमस्र्व पुरुषोत्तम ||

यान्तु दे र्व गणाः सर्वे पूजां आदाय पाधर्िर्वीम ् |


इष्ट काम्यार्ि ससद्ध्यर्ं पुनरागमनाय च ||
(shake the kalasha)

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